Fantasy काले जादू की दुनिया adultery

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Update 10

आज अमावस्या की वो शुभ रात है जब मैं अपनी आख़िरी 101 बलि चढ़ा के शैतान को खुश कर दूँगा...उनके आशीर्वाद से मैं हमेशा के लिए अजय अमर हो जाउन्गा...फिर मैं अकेला इस पूरी दुनिया पर राज करूँगा...हा हा हा.” त्रिकाल ठहाका लगा के हँसने लगा.

इधर चट्टान के पीछे छुपे तीनो भाई बहन यह सब सुन रहे थे. उनको पता चल गया था कि आज त्रिकाल की आख़िरी बलि है, अगर आज उसे ना रोका गया तो वो पूरी दुनिया मे कोहराम मचा देगा.

“जाओ उस नयी लड़की को ले आओ...बलि का वक़्त आ गया है...” त्रिकाल शेर की तरह दहाड़ा. उसके आदेश पर उसके कुछ शिष्य अंदर एक कोठरी से एक लड़की को बाहर ले आए. वो लड़की कोई और नही सलमा थी और वह भी पूरी नंगी.

सलमा को त्रिकाल के चंगुल मे देख अर्जुन का खून खौल उठा. पर करण और काजल ने उसे समझाया और कोई भी ग़लत कदम उठाने से रोका.

“आअह...यह तो एक रूप सुंदरी है....इसे भोगने मे बहुत मज़ा आएगा...हा हा हा..” त्रिकाल की आँखे सलमा के गोरे चिकने जिस्म को देख कर चमक उठी.

“छोड़ दो मुझे....कॉन हो तुम लोग....मुझे प्लीज़ जाने दो..” सलमा अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली. तभी त्रिकाल के शिष्य ने उसे खीच के एक तमाचा मारा और वो वही ज़मीन पर गिर गयी.

तमाचा इतना ज़ोर का था कि सलमा का पूरा जबड़ा हिल गया. उसकी आँखो से आँसू बहने लगे. दूर चट्टानो के पीछे से अर्जुन उसे देख रहा था, पर वो चाह कर भी कुछ नही कर सकता था.

“पकडो इसे...और मेरे पास ले आओ..” त्रिकाल ने आदेश दिया. उसके शिष्यो ने सलमा के बाल पकड़ कर घसीट ते हुए उसे त्रिकाल के कदमो मे ला के गिरा दिया. इतनी ज़ोर से बाल खिचने की वजह से सलमा तड़प उठी और उसके सर से खून बहने लगा. वहशिपन का बड़ा गंदा नज़ारा था वो.

जब सलमा त्रिकाल के सामने खड़ी हुई तो वो उसके सामने कोई बच्ची लग रही थी. त्रिकाल का विकराल शरीर सलमा के फूल से बदन के सामने किसी राक्षस के समान लग रहा था.

त्रिकाल ने झुक के एक झटके मे ही सलमा को एक हाथ से उठा लिया और उसे बलि वेदी पर ले जाकर पटक दिया. सलमा अपने आपको छुड़ाने की बहुत कोशिश करने लगी पर त्रिकाल के सामने उसकी एक नही चल रही थी.

बलि वेदी के उपर शैतान की एक बड़ी सी ख़ौफफनाक मूर्ति थी जिसकी आँखे लाल लाल चमक रही थी. वो मूर्ति इतनी डरावनी थी कि अगर कोई कमज़ोर दिल का व्यक्ति उस मूर्ति को देख ले तो उसको वही दिल का दौरा आ जाए.यह सब तीनो चट्टान के पीछे से देख रहे थे, पर वो मजबूर थे. इधर त्रिकाल ने अपना काला चोगा उतार दिया और उसका भीमकाय हबशी शरीर नंगा हो गया. उसका पूरा शरीर बालो से किसी भालू की तरह भरा हुआ था. वो बहुत कुरूप और बदसूरत था. सलमा उसे ख़ौफ्फ भरी निगाहो से देख रही थी. ऐसा राक्षस जैसा आदमी उसने कभी नही देखा था.

जब सलमा ने त्रिकाल के झूलते हुए काले लौडे को देखा तो उसके होश उड़ गये. किसी हाथी के लौडे के समान त्रिकाल का लॉडा भी विकराल था करीब एक फुट लंबा और बहुत मोटा, एकदम उसके चेहरे की तरह काला जो किसी आम आदमी का हो ही नही सकता था. लौडे की नसे उभर कर साफ दिखाई दे रही थी. भीमकाय लौडे के नीचे भीमकाय अंडकोष लटक रहे थे जिसमे ना जाने कितना वीर्य भरा था. त्रिकाल उसे बड़ी वासना भरी नजरो से देख रहा था.

“हे मेरे शैतानो के देवता...मैं आज यह आख़िरी 101वी कुवारि लड़की को तुझे बलि के रूप मे सौंप रहा हू.....मेरी बलि स्वीकार करना...” त्रिकाल ज़ोर से दहाड़ता हुआ बोला.

जो उसके साथ आगे होने वाला था वो सोच कर सलमा बिलख बिलख कर रोने लगी, “प्लीज़ मुझे छोड़ दो....मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है....मुझे प्लीज़ मत मारो...मैं जीना चाहती हू...” सलमा गिडगिडाने के सिवा और कुछ नही कर सकती थी.

“चुप हो जा साली रंडी...तू आज रात मेरी वासना की भूक को शांत करेगी...अभी शैतान मेरे शरीर मे प्रवेश कर के तेरे साथ संभोग करेगा...फिर तेरी बलि उसे चढ़ाई जाएगी....हा हा हा..” त्रिकाल ठहाका लगाके हँसने लगा.

फिर उस गुफा मे अचानक धूआ सा फैल गया. करण अर्जुन और काजल ने देखा कि शैतान की मूर्ति से कुछ साया निकल के त्रिकाल के शरीर मे घुस गया. उस साए के घुसते ही त्रिकाल की आँखो मे खून उतर आया और वासना से पागल हो गया.

किसी जंगली जानवरो की तरह वो फूल सी नाज़ुक सलमा पर टूट पड़ा और उस से अपनी वासना की प्यास बुझाने लगा. इधर कारण अर्जुन और काजल को यह सब देख कर बहुत दुख हो रहा था. बेचारी सलमा का क्या कसूर था कि भगवान उसे ऐसी सज़ा दे रहा है.

सारे तांत्रिक शिष्य अपने काले जादू मे लीन हो गये. इधर सलमा चीखती चिल्लाती रही, त्रिकाल से रहम की भीक मांगती रही पर उस शैतान पर कोई असर नही पड़ा.

त्रिकाल के बड़े बड़े कठोर हाथ सलमा की नाज़ुक चुचियो को बड़े ज़ोर से दबोच रहे थे. ऐसा लग रह था कि कोई शेर किसी बकरी के उपर लेटा हो. अपनी चुचि को इतने ज़ोर से मसले जाने पर सलमा चीख उठी. त्रिकाल ने उसके निपल को इतने ज़ोर से मूह मे लेकर काटा कि वहाँ से खून बहने लगा.सलमा बचने की नाकाम कोशिश कर रही थी. उसको इतना दर्द हो रहा था कि उसे लगा कि वो उस दर्द से ही मर जाएगी. त्रिकाल के कठोर हाथ सलमा की कमसिन बुर को बड़े बेरहमी से सहला रहे थे. सलमा को बहुत दर्द हो रहा था जिसके कारण वो अपने होश संभाल के नही रख पाई और बेहोश हो गयी.

त्रिकाल मे समाए शैतान की वासना चरम पर थी. उसने सलमा को बड़े गौर से देखा. सलमा के पूरे जिस्म पर काटने और चिल्लाने के निशान थे. चुचियो के निपल और होंठो के किनारे से लगातार खून बह रहा था. सलमा की गोरी गान्ड पर भी त्रिकाल के नाखूनो के निशान थे जो उसके वहशिपन का सबूत थे.

“अब यह लड़की हमेशा के लिए शैतान की हुई....हा हा हा..” त्रिकाल के अंदर समाए शैतान ने ठहाका लगा के कहा. वो अपने हाथ मे अपना एक फुट लंबा काला हलब्बी लॉडा हिला रहा था. उसके लौडे का सुपाडा बहुत की विकराल और डरावना था.

उसने अपने शिष्यो को इशारा किया जो काला जादू करने मे लगे हुए थे. वो सबने भी अपना चोगा उतार दिया और नंगे होकर त्रिकाल के पास आ गये. उन सब के लौडे भी हुंकार भर रहे थे. इशारा पाते ही उनमे से एक ने बेहोश पड़ी सलमा का मूह खोलकर अपना बदबूदार लॉडा अंदर पेल दिया और उसके मूह मे ही झटके मारने लगा.

दो शिष्य सलमा की दोनो चुचियो पर टूट पड़े और बेरहमी से उसका दूध पीने लगे. अभी सलमा बेहोश थी, कम से कम इस दर्द से अंजान थी. त्रिकाल ने अपनी एक उंगली सलमा की गान्ड के अंदर कर दी. अगर सलमा बेहोश ना होती तो उसको बहुत दर्द होता.

“बलि का वक़्त निकला जा रहा है, तांत्रिक राज त्रिकाल...” त्रिकाल के एक शिष्य ने उसको याद दिलाया.

त्रिकाल का हलब्बी लंड किसी साँप की तरह फुफ्कार रहा था उसने अपना सुपाडा बेहोश सलमा की चूत पर टिका के उसपे तेल मलने लगा, जिस से सलमा की चूत और उसका विकराल लंड दोनो तेल मे नहा गये.

वासना का ऐसा गंदा खेल देख कर करण अर्जुन और काजल के सर शर्म से झुक गये. ख़ास कर काजल का जिसे ऐसा दृश्य अपने भाइयो के साथ देखना पड़ रहा था.शैतान की जय हो.....” हुंकार भरते त्रिकाल ने सलमा की गान्ड को दबोच कर अपने फुफ्कार्ते लौडे का भयंकर झटका सलमा की बुर पे मारा और उसका सुपाडा चूत को किसी चाकू की तरह चीरता हुआ अंदर प्रवेश कर गया.

बेहोश सलमा को इतना तेज़ दर्द हुआ कि उसको होश आ गया और वो छटपटाने लगी. बेचारी चीख भी नही पा रही थी क्यूकी उसके मूह मे पहले से ही एक मोटा लंड फसा पड़ा था. ऐसा दर्द उसने अपने पूरे जीवन मे कभी महसूस नही किया था. उसकी चूत मे तेज़ जलन हो रही थी और उपर से दो तांत्रिक उसकी दोनो चुचियो को ऐसे चूस रहे थे जैसे उसके निपल को उसकी चुचियो से उखाड़ देंगे.

इतने विशाल लंड ने सलमा की चूत की दीवारो की सारी नसे फाड़ दी थी जिनसे बेतहाशा खून बह रहा था. इतना ज़्यादा खून निकलने से सलमा ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी, पर उसकी आवाज़ उसके मूह मे ठूँसे लंड की वजह से दब कर रह गयी.

यह दृश्य चट्टान के पीछे छुपि काजल देख ना सकी. आख़िर वो भी एक औरत थी और वो औरतो का दर्द अच्छे से समझती थी इसलिए उसने अपना मूह फेर लिया. करण और अर्जुन भी ऐसा दर्दनाक दृश्य देख कर भावुक हो गये और उनकी आँखे भी नम हो गयी.

इधर त्रिकाल ने सलमा की टाइट चूत मे फँसे अपने बालिश्ट लंड का एक तगड़ा झटका ऐसा मारा कि उसके लौडे ने सलमा की चूत की दीवारो को ज़रूरत से ज़्यादा फैलाते हुए सारी नसों को फाड़ कर पूरा अंदर घुस गया और बच्चेदानी से जा टकराया. खून की ताज़ा धार सलमा की चूत से बह निकली और सलमा दर्द की दबी हुई चीख मारते हुए अपना सर इधर उधर पटाकने लगी. दर्द इतना असहनीय था कि वो फिर से बेहोशी की दुनिया मे चली गयी.

“देख शैतान...आज मैने तेरे लिए यह कुवारि लड़की से संभोग किया है...अब इसकी बलि स्वीकार करना...हा हा हा..” त्रिकाल को लेकिन यह नही पता था कि सलमा एक बार पहले ही अर्जुन के लंड से चुद चुकी थी. त्रिकाल का लॉडा था ही इतना विकराल कि अगर वो फटे हुए भोस्डे को भी चोदे तो भी उसको फाड़ के उसमे से खून निकाल दे. इसी चक्कर मे त्रिकाल को यह नही पता चल पाया कि सलमा अब कुवारि नही थी बल्कि चुदि चुदाई थी.

खैर यह सब से अंजान त्रिकाल तो अपनी वासना शांत करने मे लगा था. ताबड़तोड़ धक्को से बेहोश सलमा का पूरा जिस्म हिचकोले खा रहा था. बाकी शिष्य अब तक सलमा के मूह और दोनो चुचियो को अपने वीर्य से नहला कर हट चुके थे.
अगर त्रिकाल का लॉडा हाथी की तरह था तो वो चोदता भी हाथी की तरह था. वो अपना लंड सुपाडे तक निकाल के दोबारा सलमा की कमसिन चूत मे पेल देता था. करीब एक घंटे लगातार चोदने के बाद त्रिकाल हाफने लगा हुंकार भरते हुए ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा.अब वो झड़ने वाला था. सलमा बीच बीच मे होश मे तो आती थी लेकिन दर्द की वजह से दोबारा बेहोश हो जाती थी. त्रिकाल ज़ोर ज़ोर से लौडे को चूत मे पेल रहा था. अब उसका शरीर अकड़ने लगा और उसने लौडे को चूत मे अंदर बच्चेदानी तक पेल के झड़ने लगा. लंड से गरम गरम गाढ़ा वीर्य निकलते ही सलमा हो होश आ गया. उसने अपने गर्भ मे त्रिकाल का गरम वीर्य भरता महसूस किया और वह ज़ोर ज़ोर से रोने लगी.

लौडे से इतना ज़्यादा वीर्य निकल रहा था कि चूत पूरी तरह से गाढ़े गरम वीर्य से लबा लब भर गयी थी. दस आदमियो के बराबर अकेले का वीर्य निकला था त्रिकाल के अंडकोष से. लॉडा बाहर खीचने के बाद चूत से वीर्य बाहर चुहुने लगा और उसकी गान्ड के छेद मे घुसने लगा.

“यह ले शैतान....मैने तेरी वासना को शांत कर दिया...अब इस लड़की की बलि के बाद तुझे अपना वादे पूरा करना पड़ेगा और मुझे अमर बनाना पड़ेगा...” दहाड़ता हुआ त्रिकाल सलमा से उठ खड़ा हुआ.

सलमा बिल्कुल बेजान पड़ी थी. किस्मत ने भी उसके साथ कैसा खेल खेला था. एक तो जिसे उसने इतना प्यार किया उसने उसका बलात्कार किया और आज किसी काला जादू करने वाले तांत्रिक ने उसकी इज़्ज़त की धज्जिया उड़ा दी. अब अगर वो उसका बलि दे भी दे तो कोई गम नही था उसे क्यूकी ऐसी ज़िल्लत भरी जिंदगी वो नही जीना चाहती थी. अगर वो त्रिकाल से बच भी जाती तो सुसाइड कर लेती.

करण अर्जुन और काजल ने ऐसा नज़ारा कभी नही देखा था. उन्हे उस वहशी दरिंदे पर पर बहुत गुस्सा आ रहा था. तभी उन्होने देखा कि त्रिकाल के शरीर से वो काला साया निकल कर वापस शैतान की मूर्ति मे समा गया.

“अब इस लड़की को बलि चढ़ाने की बारी है....अब मुझे अमर होने से कोई नही रोक सकता...इस बलि के बाद शैतान साक्षात मुझे दर्शन देंगे और मुझे अमर बना देंगे....हा हा हा..” हंसता हुआ त्रिकाल पास मे पड़ी हुई कुल्हाड़ी उठा लिया.
अर्जुन से अब नही रहा गया, वो उठ कर त्रिकाल से लड़ना चाहता था, वो अपनी सलमा को हर हाल मे बचाना चाहता था, लेकिन मौके की नज़ाकत देख कर करण ने उसे शांत करवा दिया. उसे पता था कि कोई भी त्रिकाल के काले जादू के सामने नही टिक पाएगा.

“तय्यार हो जा लड़की मरने के लिए...तू उन 101 खुशनसीब लड़कियो मे से है जिन्हे शैतान की वासना शांत करने का मौका मिला है....” हुंकारता हुआ त्रिकाल बोला.सलमा ने अपनी मौत निश्चित समझ कर अपनी आँखो को बंद कर लिया. वो अपने अल्लाह को याद करने लगी. उसे पूरा विश्वास था कि एक ना एक दिन अल्लाह का कोई बंदा आएगा और इस दुष्ट तांत्रिक को मार कर बुराई पर सच की जीत साबित करेगा.
कुल्हाड़ी का वार हुआ और सलमा का खूबसूरत चेहरा उसके सर के साथ उसके धड़ से अलग हो गया.

अर्जुन यह सब दहशत भरी निगाहो से देख रह था. उसके सामने उसकी प्रेमिका से बलात्कार कर के मार दिया गया और वह कुछ ना कर सका. करण का भी यही हाल था.

लेकिन काजल से यह घिनोना दृश्या देखा नही गया. सलमा का सर कट ते ही उसकी चीख निकल पड़ी. अर्जुन और करण ने जब तक काजल का मूह बंद किया तब तक बहुत देर हो चुकी थी. त्रिकाल का ध्यान उस तरफ चला गया था जहाँ वो तीनो छुपे हुए थे.

“हे भगवान अब क्या करे....” अर्जुन बोला.

“अब तो भागने मे ही भलाई है....” करण बोला और भागने लगा. उसके पीछे अर्जुन भी था लेकिन काजल वही खड़ी रही. सलमा की मौत और बलात्कार को अपनी आँखो से देखने के बाद वो सदमे मे आ गई थी.

करण और अर्जुन जब तक वापस आते तब तक देर हो चुकी थी. उनके सामने त्रिकाल के दो शिष्य काजल को पकड़े खड़े थे.

“कमिनो जाने दो मुझे....भैया बचाओ मुझे...” काजल अपने आपको छुड़ाने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली.

“छोड़ दे हमारी बहन को वरना यह खंजर सीधा तेरे सीने के आर पार कर दूँगा...” अर्जुन जेब से खंजर निकालते हुए बोला.

तब तक त्रिकाल भी वहाँ आ गया. उसने अपना हाथ फेरा और काले जादू के असर से खंजर अर्जुन के हाथ से अपने आप निकल कर दूर जा गिरा. “कॉन है यह कुत्ते और यहाँ क्या कर रहे है...” त्रिकाल गुस्से मे गुर्राया.

“मालिक यह लोग हमे छुप कर तन्त्र साधना करते हुए देख रहे थे...शायद टीवी रिपोर्टर लगते है...” त्रिकाल के एक शिष्य ने कहा जो एक हाथ से काजल को पकड़ के रखा था.

“कमीने जिस लड़की का अभी तूने बलात्कार किया और उसे जान से मार दिया वो मेरी मंगेतर थी...” अर्जुन का खून पास मे पड़ी सलमा का कटा हुआ जिस्म देख कर उबल रहा था.

“जब तुम कुत्तो ने मुझे इतना करते देख ही लिया है तो आगे भी देख लो कि मैं कैसे अमर होता हू...हा हा हा....पकड़ लो इन दोनो को..” त्रिकाल ने भारी आवाज़ मे अपने शिष्यो को आदेश दिया.

करण और अर्जुन ने पलटवार करने की कोशिश की पर त्रिकाल के काले जादू के सामने उनके हाथ पैर वही जम गये और उसके शिष्यो ने करण अर्जुन को आसानी से पकड़ लिया.

त्रिकाल का समय खराब हो रहा था इसलिए उसने जल्दी से सलमा का कटा हुआ सर शैतान की खौफ्फ्नाक मूर्ति को अर्पण कर के तन्त्र साधना करने लगा.
“अब मैं अमर हू....मुझे कोई नही मार सकता...हा हा हा...पूरी दुनिया मे मेरा राज होगा..” तन्त्र साधना पूरी हो जाने के बाद त्रिकाल ठहाका लगा के हँसने लगा.

पर आश्चर्य की बात त्रिकाल के लिए यह थी कि शैतान ने उसे अभी तक दर्शन नही दिए. त्रिकाल का माथा चकरा गया कि आख़िर जब उसने आख़िरी लड़की की बलि चढ़ा दी तो शैतान उसे दर्शन क्यू नही दे रहा.

तभी शैतान की मूर्ति से एक आवाज़ आई, “मूर्ख त्रिकाल तूने मेरी काम वासना तो शांत कर दी पर जिस लड़की की बलि तूने चढ़ाई है वो कुवारि नही है...उसका कौमार्य पहले ही भंग हो चुका था...”
 
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Update 11

त्रिकाल ऐसा सुनते ही चौंक गया. उसे अपनी ग़लती का एहसास हुआ पर अगले ही पल उसके बदसूरत चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ गयी. “मुझे माफ़ कर दो शैतान...अगली अमावस्या को तुम्हारी काम वासना और एक कुवारि लड़की की बलि चढ़ा कर तुम्हे ज़रूर प्रसन करूँगा...यह त्रिकाल का वादा है तुमसे...हा हा हा..”

त्रिकाल बड़ा ही कमीना आदमी था उसने अपने शिष्यो से कहा, “अगली अमावस्या को नयी लड़की लाने की कोई ज़रूरत नही है...इन दोनो लौन्डो की यह चिकनी बहन ही हमारा अगला शिकार होगी...”

काजल के यह सुनते ही होश उड़ गये. जो आज उसने सलमा के साथ होता देखा था वो अगली अमावस्या की रात उसके साथ होने वाला था, यह सोच कर उसकी रूह काँप उठी. इधर करण और अर्जुन का खून खौल उठा. अपनी बहन के बारे मे ऐसा सुनकर उन्हे बहुत गुस्सा आया. उन्होने बहुत कोशिश की पर त्रिकाल के काले जादू से आज़ाद नही हो पाए.

“मालिक इनकी बहन को हम भी चोदना चाहते है...पर अभी इन दोनो लड़को का क्या करना है...???” एक शिष्य ने काजल की गुदाज मोटी मोटी चुचियो दबोचते हुए कहा. काजल के जिस्म पर मर्द का यह पहला स्पर्श था जिससे वो तड़प उठी.

करण और अर्जुन यह देख कर आग बाबूला हो गये पर वो दोनो काले जादू के असर से मजबूर थे. त्रिकाल ने अपने शिष्य को आदेश दिया, “यह दोनो टीवी रिपोर्टर मालूम होते है...अगर इनको जान से मार दिया तो इनको खोजने और रिपोर्टर यहाँ तक आ जाएँगे और हमारा राज सबके सामने खुल जाएगा...इतना जोखिम हम नही ले सकते...”

“तो आप ही बताइए मालिक मैं क्या करू....” शिष्य काजल की मोटी चुचिया उसके दोनो भाइयो के सामने ही दबोच दबोच कर दबा रहा था.

“एक काम करो अभी इनको यहाँ से दूर जंगल मे फिकवा दो...यह कभी भी यहाँ वापस नही पहुच पाएँगे....हा हा हा..” हंसते हुए त्रिकाल ने काजल के सौंदर्य को एक बार देखा और उसकी कठोर गदराई गान्ड को सहलाता हुआ कोठरी के अंदर चला गया.

पर जाते जाते उसने करण और अर्जुन पे ऐसा काला जादू किया कि वो दोनो बेहोश हो गये और गुफा से दूर जंगल के ना जाने किस कोने पर पहुचा दिए गये.

बेहोश होने से पहले उन्हे बस काजल की चीख ही सुनाई दी “भैया...प्लीज़ मुझे छोड़ कर मत जाओ....मुझे यहाँ बहुत डर लग रहा है...यह लोग मुझे भी सलमा की तरह मार देंगे...भैया प्लीज़....” और फिर वो दोनो बेहोश हो गये थे.

जब उन्हे होश आया तो सवेरा हो चुका था. रात की एक एक बात उनके ज़हन मे दौड़ रही थी. अपने साथ अपनी प्यारी बहन को ना पाकर वो दोनो टूट गये और वही पर बैठ के एक दूसरे के कंधो पर रोने लगे.

“हमे काजल को यहाँ लाना ही नही चाहिए था....” अर्जुन रोते हुए बोला.

“अर्जुन सम्भालो अपने आपको...” करण उसके कंधो पर हाथ फेरता हुआ बोला.

“कैसे संभालू अपने आपको....???” और अर्जुन फिर से बिलख बिलख कर रोने लगा. उसकी माँ के गुजर जाने के बाद सिर्फ़ एक काजल ही थी जिसे वो सबसे ज़्यादा प्यार करता था. और आज वो भी उसके साथ नही थी.

“अर्जुन हमें हिम्मत से काम लेना होगा...ऐसे बैठे बैठे रोने से काम नही चलेगा....हमें कोई ना कोई रास्ता निकालना ही होगा जिस से हम वापस त्रिकाल की गुफा तक पहुच सके..” करण ने उसे समझाते हुए कहा.

“पर हम यह सब करेंगे कैसे....और कहीं वो कमीने तांत्रिक लोग काजल के साथ कुछ उल्टा सीधा ना कर दे..” अर्जुन अपनी आँखो से आँसू पोछता हुआ बोला.

“अर्जुन एक तो सीधी सी बात है कि त्रिकाल और उसके आदमी काजल को अगली अमावस्या तक कोई नुकसान नही पहुचाएँगे....और अब अगली अमावस्या 28 दिन बाद है...इतने समय मे हमें काजल को छुड़ाने का कोई तरीका ढूँढना ही होगा.”करण तुम ठीक कह रहे हो....कम से कम काजल अगले अमावस्या तक तो सुरक्षित है....पर अभी तो हमें इस जंगल से बाहर निकलना होगा तभी हम आगे की कुछ प्लॅनिंग कर सकते है...” कहते हुए अर्जुन और करण उस घने जंगल से बाहर जाने का रास्ता तलाश करने लगे.

इधर काजल को त्रिकाल के आदमियो ने एक अंधेरे कारागार मे डाल दिया. काजल बहुत ही ज़्यादा डरी हुई थी, “मेरे दोनो भैया मुझे बचाने ज़रूर आएँगे....फिर तुम्हारे मालिक को बचने के लिए पाताल मे भी जगह नही मिलेगी...सड़ सड़ कर मरेगा वो पापी...” काजल त्रिकाल के आदमियो पर चिल्लाते हुए बोली जिसे वो नज़रअंदाज कर के उसकी चूची दबोच कर काल कोठरी मे बंद कर के चले गये.

काजल एक कोने मे बैठी सुबक्ती रही. उस कल कोठरी मे फैले अंधेरे से वो सहमी हुई थी. त्रिकाल के वहशी आदमियो ने उसके सारे कपड़े उतार के उसे नंगी कर दिया था. वो अपने योवन को अपने हाथो से समेटे सूबक रही थी.

“बेटी तुम कॉन हो....?” काल कोठरी एक अंधेरे कोने से एक महिला की आवाज़ आई. जब वो काल कोठरी की छोटी सी खिड़की से आती हुई सूरज की रोशनी के सामने आई तब काजल उसे देखते ही पहचान गयी.

“माआअ......” काजल दौड़ के अपनी माँ से लिपट गयी, तब उसे अपनी चुचियो पर अपनी माँ की चुचिया महसूष हुई. उसके निपल अपनी माँ रत्ना की निपल्स से रगड़ खा गये और वो जान गयी कि उसकी माँ भी उस काल कोठरी मे नंगी पड़ी हुई है.
“काजल...???” रत्ना ने हैरानी से पूछा.

“हाँ माँ मैं ही हू...आपकी बेटी काजल.” और काजल रोते हुए अपनी माँ से लिपट गयी.
अपनी बेटी को यहाँ देख कर एक पल के लिए रत्ना बहुत खुश हुई पर अगले ही पल उसकी हँसी गायब हो गयी, “बेटी पर तू यहाँ आई कैसे....तुझे यहाँ नही होना चाहिए था...यह लोग बड़े गंदे आदमी है...सब के सब वहशी दरिंदे है...”

“माँ मैं अर्जुन और करण भैया के साथ यहाँ आई थी...”

“क्या वो दोनो यहाँ आए थे....कब और कहाँ..?” रत्ना काजल की बाहे झन्झोडते हुए उस से पूछने लगी.

“माँ कुछ महीनो से अर्जुन और करण भैया को आपके इसी काल कोठरी मे बंद होने के सपने आते थे...सो उनका पीछा करते हुए हम लोग यहाँ तक आ गये...”

“हाँ मैने ही उन दोनो को सपना दिखाया था....बारह साल से त्रिकाल की रखेल बन कर मैने भी थोड़ा सा काला जादू सीख लिया है जिसकी मदद से मैने अपने दोनो बेटो को अपने यहाँ होने का सपना दिखाया था...”

“क्या आप और त्रिकाल की रखेल हो...???” काजल को अपनी माँ की कही बातो पर यकीन नही हो रहा था.

हाँ बेटी...यह सब 25 साल पहले शुरू हुआ जब त्रिकाल की गंदी नज़र मेरे जिस्म पर पड़ी थी. उसने मेरा फायेदा उठा कर मेरा बलात्कार किया और मेरी बलि देने के लिए इसी गुफा मे ले आया...लेकिन वो मेरे रूप से कुछ ज़्यादा ही आकर्षित हो गया था इसीलिए उसने मेरी बलि नही चढ़ाई...बल्कि मुझे वापस मेरे घर भेज दिया...मैं बदनाम होने से डर गयी और घरवालो को कुछ नही बताया...लेकिन फिर भी त्रिकाल की वासना शांत नही हुई...बारह साल पहले वो लौट आया और मेरा अपहरण कर के मुझे अपनी रखेल बना लिया...पर अब कभी कभी लगता है आख़िर उसको मेरी बलि चढ़ा देनी चाहिए थी...कम से कम इस ज़िल्लत भरी ज़िंदगी से मुझे मुक्ति तो मिल जाती...” और रत्ना बिलख बिलक कर अपनी बेटी की कंधो पर सर रख कर रोने लगी.

“आप बिल्कुल फिकर मत करो माँ....मुझे पूरा यकीन है कि मेरे दोनो भैया हमें बचाने ज़रूर आएँगे...बस आप थोड़ा धीरज रखो..” काजल ने अपनी माँ के सर पे प्यार से हाथ फेरा.

“मुझे पता है मेरी बेटी कि मेरे दोनो बेटे हमें लेने एक दिन ज़रूर आएँगे....आख़िर दोनो शेर बेटे पैदा किए है मैने.” रत्ना अपनी बेटी को अपने गले से लगाती हुई बोली.

जब रत्ना ने काजल को अपने गले से लगाया तो उसकी हल्की ढीली पड़ चुकी चुचियो से उसकी बेटी की कठोर चुचि टकरा गयी. उन दोनो के निपल एक दूसरे से रगड़ खाने लगे. दोनो की लंबाई एक होने की वजह से दोनो की चुचिया भी एक दूसरे पे सीधे लड़ गयी.

“बेटी तू तो बहुत बड़ी हो गयी है...” रत्ने ने काजल के माथे को चूमते हुए कहा.

“नही माँ मैं तो अभी भी आपकी लाडली हू...” काजल ने मासूमियत से जवाब दिया.
“पर तेरी चुचिया तो मेरे बराबर हो गयी है...” रत्ना ने काजल की दोनो चुचियो को अपना हाथ से नीचे से उठाया मानो उनका वजन ले रही हो. अपनी माँ के ऐसे हाथ लगाए जाने से काजल थोडा शर्मा गयी.

“माँ आपकी चुचिया अब भी काफ़ी कठोर है...” काजल ने भी रत्ना की चुचियो को नीचे से उठाया और हौले से मसल के देखा.


“नही बेटी अब इनमे वो बात नही रह गयी....” रत्ना ने कहा और अपना हाथ काजल के चिकने पेट से सरकाते हुए उसकी डबल पाव रोटी जैसी चूत पर ले गयी. काजल की बुर पर बहुत ही घनी झान्टे थी जो काफ़ी लंबी लंबी थी.

“बेटी क्या तू झान्टे नही बनाती है....” रत्ना की यह बात सुनकर काजल का चेहरा शर्म से लाल हो गया.

“वो माँ...मुझे ऐसे ही अच्छा लगता है...एक दो बार बनाई है लेकिन उस से वहाँ पे खुजली होने लगती है...” काजल ने कहा और अपना हाथ नीचे ले जाकर अपनी माँ रत्ना की चूत पर रख दिया.

रत्ना की चूत तो काजल से भी दोगुना फूली हुई थी. रत्ना की चूत की फांके बहुत मोटी और बड़ी बड़ी थी और उनपर तो काजल की चूत से भी ज़्यादा झान्टे थी. “माँ आप भी तो झान्टे नही बनाती हो..” काजल ने रत्ना की झान्टो के बाल को खीचते हुए कहा.

“क्या करू बेटी मैं यहाँ फसि हुई हू....पहले तो इस ज़िल्लत भरी ज़िंदगी से घिंन आती थी...पर अब तो जैसे इसकी आदत हो गयी है....अब मुझे यहाँ से तभी आज़ादी मिलेगी जब वो दुष्ट पापी त्रिकाल मारा जाएगा...” रत्ना ने अपनी बेटी की चूत को सहलाते हुए कहा.

“काजल अच्छा यह बता मेरे दोनो बेटे करते क्या है और दिखते कैसे है...” रत्ना ने काजल से पूछा.

“माँ आपके दोनो बेटे बहुत स्मार्ट दिखते है. अर्जुन भैया एक बहुत बड़ी कंपनी मे चीफ सिविल इंजिनियर है और करण भैया एक बहुत बड़े डॉक्टर...और आपकी यह बेटी वकालत पढ़ रही है...” काजल ने बताया.

टू बी कंटिन्यूड....
 
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Update 12

माँ आपके दोनो बेटे बहुत स्मार्ट दिखते है. अर्जुन भैया एक बहुत बड़ी कंपनी मे चीफ सिविल इंजिनियर है और करण भैया एक बहुत बड़े डॉक्टर...और आपकी यह बेटी वकालत पढ़ रही है...” काजल ने बताया.

“मैं यहाँ इस कालकोठरी मे भगवान से यही मनाती थी कि मेरे बेटो का भविष्य उज्ज्वल बना देना...” रत्ना के बोलते ही काल कोठरी का गेट खुला और त्रिकाल का एक आदमी अंदर आया है.

“चल मालिक की सेवा करने का समय हो गया है...” उसने रत्ना को घसीट ते हुए कहा. काजल बस देखती ही रह गयी, आख़िर वो कर भी क्या सकती थी.

थोड़ी देर बाद बगल की कोठारी से उसकी माँ की दर्द भरी चीखे काजल को सुनाई देने लगी. वह बस अपने मन मे यही सोच रही थी कब उसके दोनो भाई आए और उसे और उसकी माँ को त्रिकाल के चंगुल से छुड़ा ले जाए.

इधर घने जंगल मे भूके प्यासे कारण और अर्जुन भटकते रहते है. पूरा दिन गुजर गया था पर अभी तक उन्हे जंगल से बाहर निकलने का रास्ता नही मिला. इधर उधर चलते रहने के बाद उन्हे कुछ आदमी उनकी ओर आते दिखाई दिए.

“चल इनसे मदद माँगते है....” करण बोला और अर्जुन का हाथ पकड़ कर आदमियो की तरफ चल दिया.

“पर करण कही यह त्रिकाल के आदमी तो नही....???”

“नही यह त्रिकाल के आदमी नही हो सकते....तुमने सुना नही कि वो हमे टीवी रिपोर्टर समझ रहे थे....इसलिए अभी वो वापस हम पर हमला नही करेंगे...”

अर्जुन को लगा कि करण की बात मे दम है इसलिए वो करण के साथ साथ चलने लगा.

“काका आप लोग कौन है....” करण ने उन आदमियो मे से एक से पूछा.

“अरे बिटवा...हम सब तो इहा के लकड़हारे है...देखत नाही हो हमारे पास जंगल की कटी लकड़िया है....पर एई बताओ...तुम दोनो एई बख़त इस घने जंगल मा क्या कर रहे हो...” उस अधेड़ उमर के आदमी ने कहा.

“वो दरअसल काका....हम लोग जंगल मे घूमने आए थे पर यहा भटक गये है और वापस शहर जाना चाहते है...” करण बोला.

“बिटवा....तुम लोगो का एई बख़त यहा घूमना ठीक नाही है...तुमका पता है एई जंगल माँ एक बहुत ही दुष्ट तंत्रिकवा रहत है...उ अगर तुम लोगो का देख लीही तो समझ लो तुम दोनो की मौत पक्की है....”

“काका हम यहाँ से जल्द से जल्द निकल जाना चाहते है.....” करण बोला.

फिर उस आदमी ने करण और अर्जुन को जंगल से बाहर जाने का रास्ता बता दिया. रात हो चली थी और दोनो पास के एक कस्बे मे पहुच चुके थे. दो दिनो से भूके दोनो पास के एक ढाबे मे चले गये और खाना खाने बैठ गये.

“करण अब हम यहाँ से आगे क्या करे....” अर्जुन ने रोटिया तोड़ते हुए कहा.

“यह तो मुझे भी समझ मे नही आ रहा है....” करण खाने का कौर खाते हुए बोला.

“क्यू ना हम दोबारा जंगल मे जाने का प्रयास करे....”

“पर अर्जुन अब तो हमारे पास सलमा के फोन का जीपीस सिग्नल भी नही है तो हम वहाँ पर कैसे जा सकते है....”

“ह्म्‍म्म....बात तो सही है...पर अगर हम कुछ दिनो तक लगातार ढूँढते रहे तो ज़रूर त्रिकाल की गुफा ढूंड लेंगे..”

“नही ऐसा करना ठीक नही होगा...क्यूकी अगर हम त्रिकाल की गुफा तक पहुच भी गये तो उसके काले जादू से जीत नही पाएँगे...”

“तो फिर हम करे क्या....बस हाथ पर हाथ धरे अपनी बहन की इज़्ज़त लूट ते देखे....” अर्जुन खीजते हुए बोला.

करण कुछ देर चुप रहा. उसका डॉक्टोरी दिमाग़ तेज़ी से चल रहा था जब उसे एक ख़याल आया. “क्यू ना हम दोबारा आचार्य सत्य प्रकाश के पास चलते है....उन्होने पिच्छली बार हमारी मदद की थी तो इस बार भी ज़रूर करेंगे..” करण कुछ सोचते हुए बोला.

“हाँ यह ठीक रहेगा...” अर्जुन ने जवाब दिया.

रात भर वही ढाबे के बाहर बिताकर दोनो अगली सुबह अपने गाड़ी से मुंबई रवाना हो गये.

“करण...काजल की कमी बहुत खल रही है...अगर हमारी फूल सी बहन को कुछ भी हो गया तो मैं अपने आप को कभी माफ़ नही कर पाउन्गा...” अर्जुन का गला भर आया था.

“तू फिकर मत कर मेरे भाई....काजल भी हमारी तरह एक राजपूत खून है...वो इतनी जल्दी हिम्मत नही हारेगी....और मुझे पूरा विश्वास है कि हम जल्द ही कुछ ना कुछ रास्ता ज़रूर ढूँढ निकालेंगे...”

एक दूसरे की हिम्मत बढ़ाते दोनो अपने घर मुंबई पहुच गये. आचार्य सत्य प्रकाश का पता लगाने पर उन्हे पता चला कि वो पास के शहेर मे यज्ञ कराने गये है और दो दिन बाद ही लौटेंगे.

“चल भाई अब इन दो दिनो मे आराम कर ले क्यूकी हम जिस सफ़र पर निकलने वाले है उसपर अब आराम नही मिलेगा..” करण बोला.

“पर भाई हमारी बहन वहाँ मुसीबत मे है तो हम यहा कैसे आराम कर सकते है...”

“अर्जुन तू खुले दिमाग़ से सोच...अभी हमारे पास कोई और रास्ता नही है...जब तक आचार्य वापस नही आते है तब तक हम कुछ नही कर सकते....और तू फिकर करना छोड़ दे क्यूकी अगली अमावस्या तक त्रिकाल काजल को हाथ भी नही लगाएगा...” करण ने अर्जुन को समझाया.

अब सब कुछ भगवान पर छोड़ कर दोनो अपने अपने घर चले गये. अर्जुन को लगा कि सलमा के अम्मी अब्बू को सब कुछ सच सच बता दे, पर उसकी ऐसा करने की हिम्मत ही नही हुई, और अगर हिम्मत होती भी तो सलमा के अम्मी अब्बू यह तांत्रिक के काले जादू पर कभी विश्वास नही करते. अपने दिल पर यह बड़ा सा बोझ लेकर अर्जुन अपने घर चला गया.

इतने दिनो से करण का क्लिनिक भी बंद था, पर उसे इसकी फिकर नही थी. करण की नज़रें तो किसी और को ही ढूँढ रही थी. शाम तक वो तय्यार हो कर गाड़ी से अपनी मंज़िल तक पहुच गया
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Update 13

निशा मॅटर्निटी क्लिनिक.....ह्म्म्मI अब तो अंदर जाना ही पड़ेगा....एक बार आचार्य के आ जाने के बाद मुझे यह मौका दोबारा नही मिलेगा....क्या पता ऐसी ख़तरनाक जगह से मैं वापस जिंदा लौट पाउ भी या नही...” एक गहरी साँस लेकर करण क्लिनिक के अंदर घुस गया.

करण ने आज एक ब्लॅक बिज़्नेस फॉर्मल सूट पहना था जिसमे सफेद शर्ट पर ब्लॅक टाइ उसपर बहुत जच रही थी, क्यूकी उसे पता था जिससे वो मिलने जा रहा है उसे करण पे फॉर्मल सूट्स बहुत पसंद थे.

करण किसी फिल्म के हीरो की तरह स्मार्ट और हॅंडसम था. जब वो रिसेप्षन तक पहुचा तो वहाँ पे बैठी रिसेप्षनिस्ट एक स्मार्ट और हॅंडसम आदमी को आँख फाडे देखती रह गयी.

करण के लिए यह सब आम बात थी. वह जहाँ जाता वही पर लड़किया उसपर फिदा हो जाती, पर वो सिर्फ़ एक लड़की पर फिदा था जिस से वो बहुत ज़्यादा प्यार करता था. उसने आँख फाड़ती रिसेप्षनिस्ट को देखा और मुस्कुरा कर बोला, “हेलो.....मुझे डॉक्टर. निशा से मिलना है...!!!”

“सर बिना अपायंटमेंट के आप निशा मेडम से नही मिल सकते.”

“जी मेरा उनसे मिलना ज़रूरी है...”

“सर आप अपना नाम बताइए मैं निशा मेडम से बात कर के देखती हू...”

“करण ऱाठोड...”

“ओके सर...जस्ट आ मिनिट.” और फिर रिसेप्षनिस्ट निशा के कॅबिन का फोन डाइयल करने लगी. करण यह सब देख कर मुस्कुरा रहा था.

“हेलो मेडम...यहाँ पर कोई करण सर आपसे मिलना आए है...अगर आप कहे तो मैं उन्हे आपके कॅबिन मे भेज दूं..”

फोन पर से कुछ आवाज़ आई जिसे सुनकर रिसेप्षनिस्ट करण से बोली, “आइ आम सॉरी सर निशा मेडम कह रही है कि वो किसी करण रठोड को नही जानती है..”

करण यह सुनकर चौंक गया, “लगता है अभी तक नाराज़ है मुझसे...” उसने मन मे सोचा.

“आप एक काम करिए मेरी उनसे फोन पर बात करा दीजिए...”

“आइ आम सॉरी सर, निशा मेडम के क्लियर इन्स्ट्रक्षन्स है कि कोई भी उनसे बात नही करेगा...अगर आपको बात ही करना है तो मैण आपको परसो का अपायंटमेंट दे सकती हू..”

“परसो तक का तो टाइम नही है मेरे पास...” करण फुसफुसाया.

“सर आपने कुछ कहा...???”

“जी नही मैने कुछ नही कहा.....आइ आम सॉरी..” करण पलट के जाने लगा जब सामने के कॅबिन का दरवाज़ा खुला और उसमे से एक खूबसूरत अप्सरा निकल के आई. निशा के हुस्न को देख कर यही अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि जिस करण के पीछे मेडिकल कॉलेज की पूरी लड़किया भागती थी वो सिर्फ़ निशा के पीछे भागता था. निशा से खूबसूरत करण ने आज तक कोई लड़की नही देखी थी.

खूबसूरती और दिमाग़ का अनोखा संगम था निशा मे. वह इतनी सुंदर थी की मेडिकल कॉलेज मे पार्ट टाइम टीवी आड्स और फॅशन डिज़ाइनर्स के लिए मोडीलिंग और फोटोशूटस भी करती थी. लेकिन समय निकाल कर पढ़ती भी इतना थी कि अपने बॅच की टॉपर हुआ करती थी. कॉलेज मे सभी लड़के निशा पे फिदा थे. पर उसका दिल आया भी तो करण पर. जब करण और निशा के प्यार के बारे मे सबको पता चला तो ना जाने कितने लड़के लड़कियो के दिल टूटे थे.

साँचे मे ढला निशा का जिस्म जैसे भगवान ने खुद फ़ुर्सत मे बनाया था. वो आमिरा दस्तूर (आक्ट्रेस) की बिल्कुल ट्रू कॉपी लगती थी. 34-26-36 का साइज़ ज़ीरो फिगर और उसपर एक स्लिम ब्लू साड़ी उसे बिल्कुल कातिलाना बना रहा था. अब आँखे फाड़ के देखने की बारी करण की थी.

“निशा मेडम यही है करण राठोड...यह कह रहे है कि यह आपको जानते है...” रिसेप्षनिस्ट ने निशा को अपनी ओर आते हुए देखा.

“स्वाती....मैं इन्हे नही जानती...” निशा ने एक अदा से रिसेप्षनिस्ट को कहा पर उसकी आँखे करण को ही घूर रही थी.

“मेडम आप कहिए तो मैं

सेक्यूरिटी बुलाऊ..?” रिसेप्षनिस्ट बोली.
प्लीज़ निशा मेरी बात तो सुनो....आइ आम सॉरी फॉर ऑल दट...” करण के सामने हर लड़की गिड़गिडाटी थी पर एक निशा ही थी जिसके सामने करण गिड़गिदाता था.

“ठीक है स्वाती तुम जाओ...वैसे भी क्लिनिक के बंद करने का समय हो गया है...” निशा बोली.

“पर मेडम आप नही चलेंगी...” रिसेप्षनिस्ट ने निशा से पूछा.

“नही मैं अभी यही रहूंगी....ज़रा मैं भी तो देखु कि यह करण ऱाठोड कॉन है...” निशा करण को घूरते हुए बोली.

रिसेप्षनिस्ट करण और निशा के बीच का चक्कर समझ गयी और चुप चाप मुस्कुराते हुए वहाँ से चली गयी.

“आपसे मैं अपनी कॅबिन मे बात करना चाहती हू डॉक्टर. करण ऱाठोड....” निशा अपनी गान्ड ठुमकते हुए अपनी कॅबिन मे चली गयी. करण भी उसके पीछे पीछे कॅबिन मे चला गया.

उसने प्यार से निशा का हाथ पकड़ा, पर जैसे ही उसने कुछ कहना चाहा निशा ने अपना हाथ झटक कर हटा लिया और बोली, “च्छुना मत मुझे....तुम्हे कोई हक़ नही है मुझे च्छुने का...” निशा के आँखो मे गुस्सा सॉफ झलक रहा था.

“अगर तुम मुझे बोलने का मौका दोगि तो मैं तुम्हे सब कुछ समझा सकता हू....”

“क्या बहाना बनाओगे करण...???” निशा ने चिल्लाते हुए कहा. “जब से हम रिलेशन्षिप मे है तब से तुम बहाने ही बना रहे हो...” निशा करण को किसी शेरनी की तरह घूर रही थी.

“मैं बहाना नही बना रहा निशा...परसो मैं ऐसे जगह फसा था जहा से मेरा निकलना नामुमकिन था....प्लीज़ मेरी बात का यकीन करो...” करण फिर से निशा का हाथ पकड़ते हुए कहा.

गुस्से मे आकर निशा ने फिर अपना हाथ झटक के हटा लिया, “हाँ अगर कोई दूसरी लड़कियो की बाँहो मे मज़े करे तो उसका वहाँ से निकल पाना नामुमकिन होता है...”

“यह तुम क्या कह रही हो निशा....ऐसा कुछ नही है जैसा तुम समझ रही हो...मेरा यकीन करो मैं आना चाहता था...” करण ने इस बार ज़ोर से निशा का हाथ पकड़ लिया.

“आना चाहते थे तो आए क्यू नही....तुम्हे पता है ना कि मम्मी पापा मेरी शादी अमेरिका के एक लड़के से करवाने वाले है....और परसो वो लड़का और उसकी फॅमिली मुझे देखने आए थे....पता है परसो तुम मेरे साथ नही थे तो मुझे कितना डर लग रहा था...” जितनी ज़ोर से करण ने निशा का हाथ पकड़ा था उतने ही ज़ोर से निशा ने अपना हाथ झटक कर छुड़ा लिया.

“मैं सब जानता हू लव...”

“लव...माइ फुट..!!!..क्या तुम्हे लव का मतलब भी पता है....कैसे लवर हो तुम जो अपनी गर्लफ्रेंड को किसी और के साथ शादी करता देख सकते हो..” निशा अपनी पूरी ताक़त से चिल्लाते हुए बोली.

“तुम्हे किसी और के साथ देखने से पहले मैं मर जाउन्गा निशा...” कारण ने सर झुकाते हुए कहा.

“तो ठीक है तुम मर जाओ...और फिर पीछे से मैं भी स्यूयिसाइड कर लूँगी...क्यूकी मम्मी पापा ने मेरी शादी उस लड़के से तय कर दी है...और कल ही हमारी सगाई है..” कहते हुए निशा की आँखो मे आँसू आ गये.

“मेरा यकीन करो निशा मैं परसो वहाँ था जहा से मेरा तुम्हारे पास आना नामुमकिन था....और अगर मैने तुम्हे उसके बारे मे बताया तो तुम फिर कहोगी मैं बहाने बना रहा हू...”

“हाँ तुम बहाने ही बनाओगे...मुझे सब पता है...अब तो कभी कभी लगता है कि तुम्हारा मुझसे मन भर गया है...”

“प्लीज़ निशा ऐसा मत बोलो....तुम जब ऐसा कहती हो तो मेरा दिल छल्नी हो जाता है...”

“झूठ...फिर झूठ...अगर तुम मुझसे प्यार नही करते तो बता दो मुझे...मैं कुवारि ही जी लूँगी पर तुम्हारे सिवा किसी और से शादी नही करूँगी..” अब निशा रोने लगी थी.

करण उसको बताता भी तो क्या कि वो अभी एक तांत्रिक का काला जादू देख कर आया है जिसने उस से उसकी प्यारी छोटी बहन भी छीन ली. निशा कभी भी ऐसी बातो पर विश्वास नही करती जिस से उसके और निशा के बीच की ग़लत फहमिया और बढ़ जाती.
 
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Update 14

करण निशा के पास जाकर उसको चुप करना चाहता था पर निशा ने उसे बीच मे ही रोक दिया, “पास मत आना मेरे...एक नंबर के धोकेबाज हो तुम...पहले बहुत बड़े वादे किए थे तुमने...पर जब मेरी शादी तय होने लगी तो किसी कायर की तरह दूसरी लड़कियो के बाँहो मे छुप गये...आइ हेट यू करण...मैं दोबारा तुम्हारी शकल भी नही देखना चाहती..” निशा बोलते हुए बिलख बिलख कर रोने लगी.

करण को समझ मे नही आ रहा था कि वो निशा को यह सब कैसे समझाए. उसने मायूस होकर कहा, “ठीक है निशा...मैं आज के बाद दोबारा अपनी शकल कभी तुम्हे नही दिखाउन्गा....पर जाते जाते तुम्हे कुछ दिखाना चाहता हू...” कहते हुए करण की आँखे नम हो गयी.


उसने अपना कोट उतार दिया. निशा के समझ मे कुछ नही आया. फिर करण ने अपना टाइ खोला और शर्ट भी उतार दिया. कपड़े उतारते ही निशा ने देखा कि कारण की छाती पूरी छल्नी है. उसे इस सब पर यकीन नही हुआ. करण पीछे मूड गया, उसकी पीठ पर भी नाखूनो के गहरे जख्म थे.

“ओह्ह माइ गॉड...” निशा अपने मूह पर हाथ रखते हुए बोली.

“इसी वजह से मैं परसो नही आ पाया...वो तो मेरी किस्मत थी मैं बच गया नही तो आज तुम्हारे सामने खड़ा होने के बजाए कही दो गज ज़मीन के नीचे दफ़्न होता..” करण ने अपने आँसू पोछते हुए कहा.

“ये...ये सब कैसे हुआ करण...” निशा दौड़ के करण के पास गयी और उसके जख़्मो को च्छू कर देखने लगी.

“तुम्हे अभी भी लगता है कि मैं किसी लड़की के साथ था..?.” करण के पूछने पर निशा कुछ नही बोल पाई.

“तुम्हे ड्रेसिंग की ज़रूरत है नही तो इन जख़्मो से तुम्हे इन्फेक्षन हो सकता है...”

करण उसका हाथ पकड़ते हुए, “इन्हे ड्रेसिंग की नही बल्कि तुम्हारे कोमल हाथो के स्पर्श की ज़रूरत है...” करण ने कहा और निशा उसकी गहरी आँखो मे डूब गयी.

“तुम मुझसे बहुत प्यार करते हो ना....” निशा लगातार करण की आँखो मे देखे जा रही थी..

“अपनी जान से भी ज़्यादा....” करण ने भी निशा की आँखो मे देखते हुए जवाब दिया.

“तो फिर आज रात मेरे घर चलो....”

“पर निशा इतनी रात को तुम्हारे घर...उपर से तुम्हारे मम्मी पापा भी होंगे वहाँ...मुझे नही लगता है कि मेरा वहाँ जाना ठीक होगा.”

निशा ने करण के होंटो पर अपनी उंगली रख दी, “ष्ह्ह्ह......जैसा मैं कहती हू बस वैसा करो...” निशा की आँखो मे आज एक अलग ही नशा लग रहा था.

क्लिनिक को गार्ड द्वारा बंद करवाने के बाद दोनो निशा की कार मे उसके घर पहुच गये. रात को घर की रखवाली कर रहे वॉचमन ने गेट खोला और वो दोनो अंदर आ गये.

“निशा पर तुम्हारे मम्मी पापा..?” करण कार से उतरता हुआ बोला.

“वो लोग आज रात घर पर नही है...मेरी सगाई की तय्यारी मे पुणे गये है...अब कल सुबह ही लौटेंगे..” निशा ने करण का हाथ पकड़ के घर के अंदर खीचते हुए कहा.

“पर निशा हमे ऐसा नही करना चाहिए....” करण इतनी रात मे अकेले एक लड़की के घर आने मे थोड़ा संकोच कर रहा था.

“पर वर कुछ नही....उपर मेरा बेडरूम है आ जाओ...” कहते हुए निशा अदा से चलती हुई उपर अपने कमरे मे चली गयी. करण को उसकी चाल आज कुछ बदली बदली सी लग रही थी. आज से पहले निशा करण को सिर्फ़ अपने आपको किस करने देती थी उसने आज तक करण को इस से आगे बढ़ने नही दिया. पर आज उसकी आँखो मे अलग सा नशा था, एक अलग सी कशिश थी
करण धड़कते दिल से धीरे धीरे उपर जाने लगा. उसके दिमाग़ मे हर तरह की बातें चल रही थी. अपनी माँ का सपना, आचार्य का मार्गदर्शन, त्रिकाल द्वारा सलमा का बलात्कार और हत्या, अपनी प्यारी बहन का त्रिकाल के चंगुल मे फस जाना और अब उसकी प्रेमिका की सगाई वो भी अगले ही दिन.

अपने ही ख़यालो मे खोया करण जब निशा के कमरे मे पहुचा तो निशा वहाँ नही थी. उसने देखा कि निशा की सेक्सी ब्लू साड़ी और उसकी मॅचिंग ब्लू ब्लाउस वही बिस्तर पर पड़ी थी. साथ ही मे काली रंग की रेशमी डिज़ाइनर ब्रा और बिल्कुल पतली सी एक मॅचिंग डिज़ाइनर पैंटी पड़ी थी.

करण ने जब सर घुमा के देखा तो बाथरूम का दरवाज़ा आधा खुला हुआ था और अंदर से शवर से पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी. करण ने मुस्कुराते हुए निशा की ब्रा उठा ली और सूंघने लगा.

“उम्म्म्म.....वाह !!!..” करण ब्रा से आती निशा के पसीने की गंध सूंघ कर उत्तेजित हो गया. उसने तुरंत निशा की पैंटी भी उठा ली और चूत की जगह पर नाक लगाकर सूंघने लगा.

“वूव्व.....क्या गंध है...” करण एक गहरी साँस लेता हुआ अपने मन मे सोचने लगा.

पैंटी से आती निशा की पसीने और पेशाब की गंध से करण की नाक भर गयी जिसे सूंघ कर वो पागल सा हो गया. करण इस से ज़्यादा उत्तेजित आज तक कभी नही हुआ था और वो भी सिर्फ़ निशा की उतरी हुई ब्रा और पैंटी से.

एक जवान औरत के पसीने और पेशाब की गंध भी इतनी मादक हो सकती है आज करण ने जाना था. उसने तुरंत निशा की पैंटी को जहाँ वो उसकी चूत से चिपकी रहती है चूसने लगा. किसी पागल कुत्ते की तरह वो पैंटी को ही चाटने लगा. वो अपने जीभ पर निशा की पैंटी से निकली पसीना और पेशाब का गीलापन महसूस करने लगा.

करण इतना उत्तेजित हो गया कि उसका हल्लबि लॉडा उसके पॅंट मे ही खड़ा होने लगा. उसने देखा कि निशा की ब्लू ब्लाउज पर बगल आर्म्पाइट वाला हिस्सा गीला है. उसने ब्लाउस को उठाया और अपनी नाक के पास ले जाकर एक गहरी साँस लिया.

“अहह........कितनी मादक गंध आ रही है ब्लाउस से..” उसने मन मे सोचा. निशा की ब्लाउस से उठती तेज़ पसीने की गंध ने करण का सुध बुध सब छीन लिया था. उसे यह भी एहसास नही हुआ कि निशा उसे बाथरूम के दरवाज़े से देख रही है.

जब करण को होश आया तो उसने पाया कि उसके एक हाथ मे निशा की ब्रा और पैंटी है और दूसरे हाथ मे ब्लाउस जिसकी मादक गंध वो ले रहा था. उसने जब सर घुमा के देखा तो निशा दरवाज़े से सर बाहर निकाल के उसे देख रही थी और एक मादक मुस्कान हंस रही थी.

“मैं कपड़े और तौलिया लेना भूल गयी...क्या तुम मेरे वॉर्डरोब से मेरे कपड़े और तौलिया दे दोगे...” निशा ने यह बात इतनी मादकता से कही कि करण को लगा कि वो वही पॅंट मे ही झड जाएगा.

निशा का ऐसा सेक्सी रूप करण ने आज तक नही देखा था. जो निशा उसकी गर्लफ्रेंड होने के बावजूद उसे हाथ भी नही लगाने देती थी यह कहकर कि शादी के बाद ही वो सेक्स करेगी, आज खुद इतनी सेक्सी हरकते कर रही थी.

उसने करण को बहुत तडपाया था, जहा बाकी प्रेमी प्रेमिका शादी से पहले ही संभोग मे जुट जाते है वही निशा का कहना था कि वो अपनी परंपरा और संस्कार के मुताबिक अपने पति से ही शारीरिक संबंध बनाएगी. और इन सब मे बेचारा करण सिर्फ़ हिला के रह जाता था, पर वो निशा की बहुत इज़्ज़त भी करता था इसीलिए उसने अपनी वासना पर सिर्फ़ निशा के लिए काबू रखा और कभी भी निशा की मर्ज़ी के खिलाफ उसे हाथ नही लगाया.



“सोच क्या रहे हो...मुझे मेरे कपड़े दो..” निशा की आवाज़ मे मादकता ही मादकता भरी थी.
करण अपने गले का थूक गटकते हुए उठा और वॉर्डरोब तक पहुच गया. उसके साथ अभी जो भी हो रहा था उसपे विश्वास नही हो रहा था. निशा आज रात के लिए अपने संस्कार कैसे बदल सकती है.

खैर उसने जब वॉर्डरोब खोला तो उसमे बहुत सी ड्रेस थी. करण को समझ मे नही आया कि कॉन सी निशा को चाहिए. उसने वापस अपना गला सॉफ करते हुए पूछा, “निशा इसमे तो बहुत से कपड़े है...तुम्हे इनमे से कॉन सी चाहिए...?”

“तुम प्यार से जो भी दे दोगे मैं पहन लूँगी....” निशा मुस्कुराते हुए बोली. उसकी अदा ऐसी थी कि कोई भी उसपर फिदा हो जाए.

करण ने एक पिंक कलर की नाइटी चुनी जो निशा की सिर्फ़ जाँघो तक आती होगी. आख़िर करण करता भी क्या निशा के पास सारी नाइटी ऐसी ही थी.

उसने एक हाथ से वो नाइटी उठाई और दूसरे हाथ से तौलिया और हल्के कदमो से बाथरूम तक पहुच गया. जैसे ही उसने नाइटी को हाथ बढ़ा कर निशा को देना चाहा तो निशा ने उसका हाथ पकड़ लिया. बेचारा करण एकदम से सकपका गया. निशा उसे घूर घूर कर वासना भरी निगाओ से देख रही जैसे उसे पूरा खा जाएगी.

“क्या नाइटी के नीचे मुझे नंगी रखोगे...” निशा ने करण का हाथ अपनी ओर खीचते हुए कहा. निशा सिर्फ़ सर ही बाथरूम के दरवाज़े से बाहर निकाले हुई थी. उसका बाकी का जिस्म दरवाज़े के अंदर छुपा हुआ था.

“नही नही मेरा वो मतलब नही था....”

“मेरी ब्रा और पैंटी तो ले आओ....” निशा मादक आवाज़ मे अपने होंठो पर जीभ फिराती हुई बोली.

करण के लिए यह सब कुछ ज़्यादा ही था. उसके लंड उसकी पॅंट फाड़ने को तय्यार था. वो वापस वॉर्डरोब तक पहुच गया और ब्रा पैंटी ढूँढने लगा. एक ड्रॉयर खोलने के बाद उसमे अनगिनत ब्रा पैंटी के सेट काएदे से फोल्ड किए हुए मिले.

करण ने इस बार पूछा नही बल्कि एक वाइट ब्रा पैंटी उठा लाया और निशा को पकड़ा दिया. निशा ब्रा पैंटी के उस सेट को देख कर हँसने लगी.

जब करण को निशा की हँसी का कोई कारण समझ मे नही आया तो निशा बोली, “जानू यह तो टीशर्ट ब्रा है...इसमे पॅड्स होते है...यह रात को नही पहनी जाती, इसे तो टॉप्स या टीशर्ट के अंदर पहनते है ताकि निपल्स नही दिखे...” और निशा फिर से कातिलाना हँसी हँसने लगी. करण ने आज पहली बार निशा के मूह से ‘निपल’ नाम सुन रहा था जिस से उसका लंड उसके पॅंट मे ही झटके खाने लगा.

“मुझे तो लगा कि सारी ब्रा पॅंटीस एक ही होती होंगी...” करण बोला. वो बड़ी मुश्किल से अपनी भावनाओ पर काबू कर रहा था. उसका मन हो रहा था कि अभी बाथरूम मे घुस जाए और निशा को अपनी बाँहो मे भर कर खूब प्यार करे.

वो पलट कर वॉर्डरोब तक गया और एक नाइटी से मॅच करती हुई एक पिंक कलर की रेशमी जालीदार ब्रा और बहुत ही पतली पैंटी उठा लाया. निशा उसके हाथ मे यह सेट देख कर मन मे सोचने लगी, “अब आए ना बच्चू लाइन पर...अब जाके सही ब्रा पैंटी का सही सेट लाए हो..”
 
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Update 15
निशा उसके हाथो से ब्रा पैंटी नाइटी और तौलिया लेकर बाथरूम मे घुस गयी. इतनी देर मे करण ने जल्दी से अपने पॅंट का ज़िप खोला और अपना लंबा और मोटा लॉडा बाहर निकाल के सहलाने लगा. ळौडे को सहलाने भर से प्रेकुं की दो बूंदे सुपाडे से नीचे छलक आई. उसने प्रेकुं की बूँदो को सुपाडे पर गोल गोल मल दिया और लौडे को पॅंट के अंदर अड्जस्ट करके ज़िप बंद कर लिया.

तभी निशा नहा कर बाहर आई. उसने सिर्फ़ सफेद तौलिया लपेटा था जो उसकी मोटी मोटी चुचियो को ढके हुए था पर उसकी मखमली सुडोल जाँघो की नुमाइश कर रहा था. करण ने सोचा कि इसने नाइटी क्यू नही पहनी, पर वो तौलिए से बाहर निशा के कंधो पर उसके पिंक ब्रा के स्ट्रॅप्स देख सकता था.

“वो क्या है ना कि नाइटी अगर बातरूम मे पहनती तो वो गीली हो जाती...” निशा ने अपनी खुसबूदार गीली ज़ुल्फो को झटकते हुए कहा जिस से पानी की बूंदे सीधे करण के चेहरे पर पड़ी. निशा की इस अदा पर करण तो निढाल हो गया. निशा जैसे बाउन्सर बार बार फेक रही थी, करण उन सभी बाउन्सरो पर क्लीन बोल्ड होता जा रहा था.

दो मिनिट तक अपने रेशमी गीली बालो को सवारने के बाद उसने करण को देखा, करण पत्थर की मूरत बन उसकी जवानी को निहार रहा था जिसे समझकर निशा मंद मंद मुस्कुरा रही थी.

निशा ने घूर के करण को देखा और हौले से अपनी चुचियो की घाटी पर बँधे तौलिए की गाँठ मे हाथ डाल कर एक झटके मे खोल दिया. करण एक तक देखता रह गया जब तौलिया निशा की जिस्म से सरकता हुआ नीचे जा गिरा.

निशा उसके सामने केवल पिंक ब्रा और पैंटी मे थी. 34 डी साइज़ के इतने मोटे मोटे कसे हुए दूध कि उनको ब्रा की कोई ज़रूरत ही नही थी उपर से ब्रा इतनी पतली कि उसमे से निपल्स का उभार सॉफ पता चल रहा था.

चुचियो के नीचे निशा का गोरा बिल्कुल सपाट पेट था जिसमे बहुत ही गहरी नाभि थी. उस नाभि मे एक डाइमंड लगा हुआ था जो निशा की नाभि की खूबसूरती को और बढ़ा रहा था.

करण की नज़रें किसी स्कॅनर की तरह काम करते हुए निशा के पेट से नीचे आई तो उसका दिल धक्क से कर के रह गया. ऐसा नज़ारा उसने ब्लू फ़िल्मो मे भी नही देखा था. एक सोने की चैन निशा की 26 साइज़ की गोरी कमर पर कातिल लग रही थी.

करण को यह सब देख कर लग रहा था कि अब उसको हार्ट अटॅक ज़रूर आएगा. वो सोने की चैन निशा के कमर पर इतनी सेक्सी लग रही थी कि मत पूछो.

नीचे सिर्फ़ पतली सी पिंक रेशमी जालीदार पैंटी मे कसी 36 साइज़ की सुडोल और मांसल गान्ड थी. करण तो यही सोच रहा था कि आख़िर उस पैंटी पर क्या बीत रही होगी जो अपनी औकात से बड़ी गान्ड को संभालने की कोशिश कर रही थी.

पैंटी थोड़ी पारदर्शी थी जिसकी वजह से निशा की झाँते पैंटी के अंदर ही दिख रही थी. निशा की झाँते इतनी घनी और लंबी थी कि पैंटी के कोने से बाहर निकल रही थी.

करण को कुछ होश नही रहा, वो तो बस अपने सामने खड़ी रति के अवतार को ही निहारे जा रहा था. अब तक निशा ने उस से यह सब छिपाया था, तो आज यह सब दिखाने का क्या मतलब हो सकता है. लंड को अड्जस्ट करने का कोई फायेदा नही था क्यूकी वो निशा के सेक्सी जिस्म को देख कर दोबारा फुफ्कारने लगा था. प्रेकुं की कुछ बूंदे करण को अपने सुपाडे पर महसूस हो रही थी.

“क्या हुआ...ऐसे क्या देख रहे हो मुझे...कभी किसी लड़की को ऐसे नही देखा है क्या..” निशा अपनी निचले होठ को चबाते हुए बोली और अपनी नाइटी पहन ने लगी.

अब करण से बर्दास्त करना बहुत ही मुश्किल हो गया था, जब औरत के इस रूप ने ऋषि मुनियो की तपस्या तक भंग कर दी तो उनके सामने करण क्या था. वो आगे बढ़ा और निशा की गोरी गोरी कमर मे अपना हाथ डाल दिया और सोने की चैन को खीचने लगा. चैन की रगड़ ने निशा की गोरी कमर पर लाल निशान बना दिया.

करण ने अपने हाथो को निशा की सुडोल मोटी मोटी गदराई गान्ड पर रख कर उसे मसल्ने लगा. निशा एकदम से तड़प उठी. आनंद मे निशा का सर पीछे हो गया. करण ने झटके से निशा की गान्ड पकड़के उसके पेट को अपने से चिपका लिया.


जैसे ही निशा के पेट पर कुछ चुभा तो उसने सर झुका के देखा और पाया कि करण का साँप तो पहले से ही फुफ्कार रहा है. करण ने उसको और अपने से चिपका लिया और उसके कानो को चूसने लगा.

निशा एकदम से मोम की तरह करण की बाँहो मे पिघल गयी. करण लगातार निशा के कानो चूसे जा रहा था और हल्के से काट भी रहा था. उसने निशा के कान की इयरिंग्स को भी अपने मूह मे लेकर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा.

निशा मस्ती मे खोती जा रही थी. करण ने उसके कानो को चुसते हुए फुसफुसका के एक ही शब्द कहा कहा, “सेक्शकशकष्यययी....लग रही हो” और निशा ने अपने आपको पूरा करण को समर्पित कर दिया.
करण ने निशा की गान्ड पर हाथ डाल कर उसे अपने गोद मे उठा लिया और बिस्तर मे ले जाकर पटक दिया और उसके उपर लेट गया. उसने निशा के गर्दन को प्यार करना शुरू किया तो निशा की मूह से “आआहह....उम्म्म्मम....ईइस्स्स्स” की सिसकारी निकलनी शुरू हो गयी.

करण जानता था कि औरतो पर उनके कान और गले पर चूमने से खुमारी चढ़ती है और वो जल्दी गरम होती है. निशा के साथ भी यही हाल था. वो तो बस यही चाह रही थी कि करण जल्दी से उसके होंठो पर अपने होठ रख दे, और वही हुआ भी.

करण ने हौले से अपने होंठो से निशा के लरजते होंठो को चूम लिया. फिर उसके नीचे वाली होठ को अपने होंठो के बीच भर कर उसका रस पीने लगा. “म्म्म्महमममम.........आअहह.” निशा की सिसकिया पूरे कमरे मे गूँज उठी थी.

पर अचानक करण अलग हो गया. निशा उसको ऐसे देख रही थी जैसे किसी बच्चे के मूह से उसका खिलोना छीन लिया गया हो. करण उठ के बैठ गया और एक गहरी साँस लेकर धीरे से बोला, “यह सब क्या है निशा....तुम तो ऐसी नही थी...तुमने ही कहा था कि तुम यह सब शादी के बाद करोगी....फिर यह सब क्यू कर रही हो तुम..”



करण के बोलते ही निशा उदास हो गयी, जिन आँखो मे कुछ देर पहले वासना थी अब उनमे आँसू आ गये थे. “करण आज शायद यह मेरी तुम्हारे साथ आख़िरी रात हो....कल मम्मी पापा मेरी सगाई के लिए मुझे भी पुणे ले जाएँगे...”

करण उसकी बातें बड़ी ध्यान से सुन रहा था. निशा ने लेटे लेटे अपने आँसू पोछते हुए कहा, “वो लोग मेरी शादी तो किसी और से कर देंगे पर मेरा दिल और जिस्म सिर्फ़ तुम्हारे पास रहेगा...”

करण निशा की ऐसी बातें सुनकर भावुक हो गया और बोला, “और इसीलिए तुम यह सब कर रही हो...?”

निशा उठते हुए बोली, “भले ही मेरी शादी किसी और से हो जाए पर मेरे जिस्म पर पहला हक़ उसी का है जिसे मैं प्यार करती हू और वो तुम हो..” निशा रोते हुए करण के गले लग गयी और अपन सर उसके कंधो पर टिका कर बोली, “प्लीज़ करण मुझे आज रात अपना बना लो....मुझे आज वो सारी खुशिया दे दो जिसके लिए मैं आने वाले जिंदगी मे तड़प्ती रहूंगी...”

करण की आँखो मे भी आँसू थे. उसे निशा पर बहुत प्यार आ रहा था. वो जिंदगी भर सोचता रहा कि वो अनाथालय मे पला बढ़ा इसलिए उसे कोई प्यार नही करता, और आज उसे यह एहसास हुआ कि उसे प्यार करने वाले तो उसके करीब ही है, उसकी प्रेमिका, उसकी माँ, उसकी बहन और अब उसका भाई भी.

करण अपने जज्बातो पर काबू पाते हुए, “मैने पिच्छले जनम मे ज़रूर कुछ पुन्य किए होंगे जो तुम मेरी लाइफ मे आई...और मैं जानता हू तुम मुझसे बहुत प्यार करती हो..” उसने निशा के चेहरे को उपर उठाते हुए कहा, “पर इसका यह मतलब नही कि तुम मुझसे शादी से पहले सेक्स कर लो...”

निशा ने चौंकती नज़रो से करण की तरफ देखा मानो उस से पूछ रही हो कि आख़िर वो उस से सेक्स करने से मना क्यू कर रहा है. करण ने निशा की आँखो मे यह प्रश्न पढ़ लिया और उसके चेहरे को अपने हाथो मे लेते हुए, “भूल गयी तुमने मुझसे क्या कहा था...कि हम शादी से पहले सेक्स नही करेंगे..”

करण की बात सुनकर निशा की आँखे फिर से भर आई, “वो तो मैने तब कहा था जब मैं ख्वाब देखती थी कि मेरी और तुम्हारी शादी हो रही है...पर अब जब हमारी शादी ही नही होगी तो पुरानी बातो को याद कर के क्या फायेदा.....प्लीज़ करण बस मुझे अपना बना लो...मैं नही चाहती कि कोई दूसरा मर्द मुझे पहली बार हाथ लगाए...”

करण ने निशा की तरफ बड़ी प्यार से देखा और हौले से उसके होंठो को चूम लिया और कहा, “कॉन कहता है सपने हक़ीक़त नही बन सकते...तुमने जो हमारी शादी का सपना देखा था वो ज़रूर सच होगा....और रही बात किसी मर्द को तुम्हे पहले छुने की तो मैं अभी कुछ ऐसा करता हू कि वो पहला और आख़िरी मर्द मैं बन जाउ...मैं तुम्हे अपना ज़रूर बनाउन्गा पर शादी के बाद..”

निशा की कुछ समझ मे नही आया. करण अपनी जगह से उठा और बेड के सहारे ज़मीन पर अपने घुटनो के बल बैठ कर, “डॉक्टर. निशा...विल यू मॅरी मी...” और करण ने अपनी सोने की अंगूठी निकाल कर निशा को पेश कर दी.

निशा ने करण की आँखो मे अपने लिए सारे जहाँ का प्यार देखा. उसके मूह से बस इतना ही निकला, “येस....” और वो खुशी के आँसू रोने लगी.

करण उठा और अपने गले से काले रंग का भगवान शिव का ताबीज़ निकालते हुए उसे निशा के गले मे पहनाने लगा और बोला, “यह रहा मन्गल्सूत्र...”

निशा को मानो अपनी आँखो पर यकीन नही हो रहा था. उसकी शादी ऐसे भी होगी उसने कभी सोचा भी नही था लेकिन उसे तो बस करण चाहिए था भले ही वो कैसे भी मिले.

आख़िर मे करण ने पास मे रखे चाकू को उठाया और अपना अगुठा थोड़ा सा काटकर, खून से निशा की माँग भर दी और बोला, “लो भर दी तुम्हारी माँग मैने अपने खून से....और मैं वचन देता हू जब तक ज़िंदा रहूँगा तुम्हे अपनी धरम पत्नी मानूँगा और तुम्हारे हर सुख दुख मे तुम्हारा साथ दूँगा और तुम्हारी जान देकर भी रक्षा करूँगा....” माँग भर जाने का और एक सुहागन होने का सुख निशा आज पहली बार महसूस कर रही थी.

निशा ने करण द्वारा पहनाई हुई अंगूठी और ताबीज़ रूपी मन्गल्सुत्र को चूम लिया और बोली, “करण तुम्हे नही पता आज मैं कितनी खुश हू....मुझे तुम मेरे पेरेंट्स से भी ज़्यादा समझते हो....मैं तुम्हे अपनी जीवन मे पति पाकर धन्य हो हो गयी...और मैं भी तुमसे वादा करती हू कि एक अर्धांगिनी होने का हर फ़र्ज़ निभाउन्गि...अपने पति को तन और मन हर तरह से खुश रखने की कोशिश करूँगी...” और निशा और करण आलिंगन मे बँध जाते है.

“अब शादी हो गयी तो सुहागरात भी हो जाए...” हंसते हुए करण निशा को बाँहो मे भरता हुआ बोला. अभी तक अदा दिखाने वाली निशा अब थोड़ा सा शर्मा गयी और किसी बेल की तरह करण से लिपट गयी.



“मैने कहा ना कि पति को तन और मन से खुश रखना हर पत्नी का कर्तव्य है....तो चलो आज तुम्हे तन से खुश करती हू...” कहते हुए निशा ने करण को बिस्तर पर धकेल दिया और उसकी छाती पर चढ़ के बैठ गयी.

वो नाइटी मे कमाल की लग रही थी. उसने एक एक कर के करण की शर्ट के बटन्स को खोल दिया और टाइ भी उतार दी. करण के घाव देख कर उसके मन मे आया कि एक बार इसके बारे मे पूछे पर वो वासना मे डूब जाना चाहती थी इसलिए वह ख़याल मन से निकाल कर करण की मांसल छाती को प्यार से चूमने लगी.
करण ने भी अपने हाथो को नाइटी के अंदर से निशा की पैंटी और नंगी कमर पर चलाने लगा. निशा किसी मक्खन की तरह मुलायम थी. जहा हाथ लगाओ उसके चिकने गोरे बदन पर वो फिसल जाता.

निशा थोड़ा उपर हुई और करण के होंठो को चूसने लगी. दोनो की जीब एक दूसरे से मिलने को बेकरार थी. दोनो की जीभ मे लग रहा था कि कुश्ती प्रतियोगिता चल रही है. निशा ने अपने मूह का ढेर सारा थूक लिया और उसे करण के मूह मे डालने लगी. करण भी जैसे जन्मो का प्यासा, निशा की थूक की हर बूँद चाट चाट कर पी गया और बदले मे उसने भी ढेर सारा थूक निशा के मूह मे उगल दिया जिसे निशा भी मज़े से चाट के पी गयी.

करण ने अपना हाथ निशा की चुचियो के बीच की घाटी मे डाला और नाइटी की गाँठ खोल दी. नाइटी निशा के चिकने बदन पर फिसलते हुए गिर गयी. अब निशा केवल ब्रा और पैंटी मे थी. करण ने निशा को नीचे लिटा दिया और उसके उपर चढ़ गया.

इतना चिकना जिस्म करण ने आज तक नही देखा था. निशा पर रोए या बाल के नामो निशान नही थे, पर बगल (आर्म्पाइट) मे निशा के बहुत बाल थे. निशा ने जब देखा तो थोड़ा शर्मा गयी और बोली, “आइ आम सॉरी...मुझे पता नही था कि आज हम सुहाग रात मनाएँगे नही तो मैं इन बालो को शेव कर देती...”

करण ने मुस्कुराते हुआ अपने मूह को निशा की बगलो मे घुसा दिया और बोला, “मुझे बगल के बाल बहुत पसंद है...इनमे जब पसीना होता है तब इनमे से बड़ी मादक गंध आती है.” बोलते हुए करण निशा की बगल को अपना जीभ निकाल के चाटने लगा.

निशा के लिए यह नया तजुर्बा था. उसे यकीन नही हुआ कि करण को आर्म्पाइट के बाल अच्छे लगते है. उसने अपने जिस्म को ढीला छोड़ दिया और करण की जीभ को अपनी बगल पर चलते महसूस करके मदहोश हो गयी. एक गुदगुदी जैसा एहसास हो रहा था उसे, लग रहा था जैसे वहाँ चींटिया रेंग रही हो. करण के थूक से निशा की कांख के बाल पूरे भीग गये थे जिसपे एसी की ठंडी हवा निशा को बहकाने लगी.

करण बड़ी शिद्दत से निशा की बगलो को चाट रहा था और रुक रुक कर उसकी बगल के बाल को मूह मे भर कर खींच भी देता था जिस से निशा का मज़ा दोगुना हो जाता.

“मेरे आर्म्पाइट मे क्या रखा है जो तुम इतने शिद्दत से वहाँ चाट रहे हो..” निशा मदहोश होते हुए बोली.

“तुम क्या जानो कि हम मर्दो को औरतो के पसीने से भरी आर्म्पाइट को चाटने और सूंघने से कितनी उत्तेजना होती है...” कहते हुए करण ने फिर से अपना मूह पूरा निशा की बगलो मे घुसा दिया.

तसल्ली से पाँच दस मिनिट निशा की दोनो कांखो को चाटने के बाद करण उपर उठा और निशा को देखने लगा जिसकी आँखो मे वासना के लाल डोरे तैर रहे थे. उसने निशा के मोटे मोटे दूध को ब्रा के उपर से ही अपने दोनो हाथ मे भरा और अपनी पूरी ताक़त से मसल्ने लगा.

“ह......उम्म्म......नाहहिईिइ......कारण....धीरे करो दर्द हो रहा है मुझे...” सिसकी लेती हुई निशा बोली.

पर करण को आज रोकना बहुत मुश्किल था. वो निशा की मोटी चुचियो को मसल्ते हुए झुक कर निशा के लबो को वापस चूसने लगा. निशा की सिसकिया अब करण के मूह मे ही समाए जा रही थी.
करण ने निशा के होंठो को छोड़ा और उसकी गर्दन चूमता हुआ ब्रा के स्ट्रॅप्स तक पहुच गया और ब्रा की स्ट्रेप को अपने दांतो मे भर कर खीचने लगा. करण की ऐसी हरकतें निशा को पागल बना रही थी. वो मन ही मन मे सोच रही थी कि करण को आख़िर सेक्स करने का ऐसा नायाब तरीका पता कैसे चला.

करण ने निशा की ब्रा के दोनो स्ट्रॅप्स को दांतो से खीच कर कंधो से उतार दिया और अपने हाथ को पीछे ले जाकर उसके खोल दिए. निशा के जिस्म से अब ब्रा भी अलग हो गयी थी जिससे उसके उन्नत स्तन उच्छल कर करण के सामने आ गये.

करण आज तक निशा के दूध को कपड़ो के उपर से देख कर उनकी कल्पना ही करता था, पर आज वो हिमालय के पर्वत की तरह उसके ओर मूह उठाए खड़े थे. करण निशा की नंगी मोटी कसी हुई चुचि को भूके शेर की तरह देख रहा था.

“तुम्हारे बूब्स बहुत टाइट है निशा....मन कर रहा है इनको बहुत प्यार करू...” करण निशा के नरम मुलायम कसे हुए बूब्स को को अपने हाथो मे भरता हुआ बोला.

“मेरे जिस्म पर सिर्फ़ तुम्हारा हक़ है जान....जो चाहे इनके साथ करो...” निशा ने मादकता से जवाब दिया जिसे सुनकर करण उसकी मुलायम दूध को कस कर मसालने लगा.

“निशा....यह कितने सॉफ्ट है...लग रहा है किसी मुलायम स्पंज के बॉल को दबा रहा हू...” करण दूध को मसल्ते हुए बोला.

निशा पर खुमारी पूरी तरह चढ़ चुकी थी. उसे नही पता था चुदाई मे इतना मज़ा आता है. उसने अपने रसीले होंठो पर जीभ फिराई और मादकता से कहा, “यह मुलायम होने के साथ साथ स्वादिष्ट भी है...क्या तुम इन दोनो को टेस्ट करोगे...”

करण निशा का इशारा समझ गया और गोरी गोरी चुचियो पर बड़े से भूरे निपल को मूह मे लेकर किसी छोटे बच्चे की तरह चूसने लगा और दूसरे को मसल्ने लगा.

“म्म्म्मलम....म्म्माीआआ....मररर...गायईीई....आअहह...” निशा की चुचियो पर पहली बार किसी मर्द ने हाथ फेरा था और उसे चूसा था. वो वासना मे अपना सर इधर उधर पटक रही थी.

करण कभी निपल पर जीभ फेरता तो कभी उन्हे पूरा मूह मे लेकर चूसने लगता तो कभी निपल को दाँत से हल्के से काट लेता. निशा के लिए यह सब बहुत था, उसे लगा कि कारण अभी नही रुका तो वो सिर्फ़ चुचि चुसाइ से ही अपने चरम सीमा पर पहुच जाएगी.

करण अब दूसरे दूध को मसल्ने लगा और अपना एक हाथ नीचे ले जाकर निशा की गहरी चिकनी नाभि मे उंगली करने लगा. नाभि मे उंगली घुसते ही निशा गुदगुदी से पागल हो गयी और अपनी कमर को उपर के तरफ झटकने लगी.

करण अब हौले हौले निशा के जिस्म को चूमते हुए नीचे आने लगा. वो जहाँ जहाँ चूमता था निशा का वो हिस्सा उसके थूक से भीग जाता था. नीचे आकर उसने अपनी खुरदरी चीभ को नोकिला कर के निशा की गोरी नाभि मे घुमाने लगा.

“प्लीआसीए....कर्रांन्न....वहाँ...नहियिइ....” निशा नाभि मे चूसे जाने से गुदगुदी के कारण पागल सी हो रही थी. उसने करण का सर पकड़ कर अपनी नाभि से हटाना चाहा पर करण ज़बरदस्ती उसकी नाभि चूसने मे लगा रहा.

करण ने निशा की नाभि इतनी चूसी कि उसकी नाभि उसके थूक से लबालब भर गयी. नाभि चूसने के बाद वो निशा के जिस्म को चूमते और चाट ते हुए नीचे सरकने लगा जहा उसे निशा की कमर पर लिपटा सोने का चैन दिखाई दिया.

करण पर वासना इतनी सवार थी की वो उस सोने की चैन को ही अपने मूह मे लेकर चूसने लगा. करण के थूक से चैन हल्की रोशनी मे चमक उठी. निशा कारण का अपने प्रति यह दीवानगी देख कर मुस्कुराने लगी.

चैन को छोड़ कारण जब नीचे पहुचा तब उसे महसूस हुआ कि वो जन्नत के बिल्कुल नज़दीक है. जैसे ब्रा के स्ट्रॅप्स को उसने दांतो से खीचा था वैसे ही उसने पैंटी को भी दाँत से पकड़ कर उतारने लगा. करण की ऐसी मादक हरकतें देख कर निशा वासना से पागल हो गयी. उसे समझ मे नही आ रहा था कि करण एक एक्सपर्ट की तरह उसके साथ कैसे सेक्स कर रहा था.

थोड़ी कोशिश के बाद आख़िर करण निशा की पैंटी को अपने दांतो से तोड़ा नीचे सरकाने मे कामयाब हो गया. उसे जो सामने दिखा वो उसके लिए सोने की खदान से कम नही था. निशा की चूत पर ढेर सारी झान्ट थी. झान्टो के जंगल के पीछे थी डबल पाव रोटी की तरह फूली हुई चूत की बड़ी बड़ी फांके जिसके बीच सिर्फ़ एक पतला सा चीरा था जो उसके कुवारि होने का गवाह था. चुदि चुदाई औरतो की चूत पर चीरा नही होता बल्कि उनकी चूत की फांके अलग अलग हो जाती है.

निशा की झाटों से भरी चूत देख कर करण उसकी सम्मोहन मे खो सा गया. उसने आज पहली बार किसी लड़की की असली चूत देखी थी. निशा करण को ऐसे अपनी बुर को सुध बुध खो कर देखने पर हँसने लगी. उसे अपनी औरत होने पर गर्व हो रहा था जो अपने सौंदर्य के सम्मोहन से किसी भी मर्द को फसा सकती थी.

टू बी कंटिन्यूड....
 

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