UPDATE-6
2 दिन जल्दी बीत गए। फ्लैट मालिक को आज उन्हें खाली करने आना था
अंशुल: स्वाति? अब क्या? तुम्हारी ज़िद के करण जयराज जी नाराज हो गए। आज घर खाली भी करना है।
स्वाति: तो मैं क्या करूं? हमें गुंडे के घर जाके रहेंगे?
अंशुल: स्वाति वो गुंडा नहीं है? विधायक बनने वाला हे यहां का।
स्वाति: तो?*
अंशुल: तुम्हारे पास कोई और जगह है? तुम बताओ?
स्वाति: नहीं।
अंशुल: तो मैं जयराज जी को फिर से रिक्वेस्ट करता हूं।
स्वाति: जो करना है करो। मैं उनसे बात नहीं करने वाली।
अंशुल: क्या तुम्हें किसने कहा? मैंबात कर लेता हूं।
स्वाति जानती थी कि उसके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था। उसे जयराज की इस दुष्ट योजना के लिए राजी होना पड़ा।
अंशुल ने जयराज को फोन किया और उसे बताया कि वे उसके घर में रहने के लिए तैयार हैं।
जयराज दुनिया के सबसे खुश इंसान थे। उसने जल्दी से अपने असिस्टेंट को फोन किया और शिफ्टिंग की सारी व्यवस्था कर दी। शिफ्टिंग काफी तेज थी क्योंकि उनके पास कोई फर्नीचर नहीं था। दोपहर तक वे सभी जयराज के घर में शिफ्ट हो गए। स्वाति ने इस पूरे समय में कभी भी जयराज को देखा या बात नहीं की। घर में खचाखच भरा हुआ था और सोनिया इधर-उधर भाग रही थी। अंशुल को अस्थायी रूप से एक बिस्तर पर रखा गया था। स्वाति ने दोपहर का भोजन तैयार किया और सबने साथ में खाया। इस पूरे समय में जयराज ने स्वाति के शरीर में झाँकने का कोई मौका नहीं छोड़ा। जब उसका पल्लू थोड़ा सा हिल गया तो उसकी साड़ी के स्तनों का बाईं ओर का दृश्य जयराज के लिए सबसे सुंदर दृश्य था। जयराज बस अपने होठों को चाट रहा था। वह उसकी नाभि देखना चाहता था, लेकिन स्वाति ने उसे मौका नहीं दिया।
समय बीतता गया और रात हो गई। उन्होंने रात का खाना खा लिया और सोने की तैयारी कर रहे थे।*
जयराज के दो बेडरूम थे। इसमें से एक छोटा सा था जहां एक 6x4 सिंगल दीवान था। वह कमरा और बिस्तर अंशुल को दे दिया गया। दूसरा वह शयनकक्ष था जहां जयराज सोया करते थे। इसमें एक बड़ा किंग साइज बेड था।
जयराज: अंशुल, तुम यहां आराम से हो?
अंशुल: बिलकुल। धन्यवाद जयराज जी। इतना तो कोई अपना परिवार के लिए भी नहीं कर्ता।
जयराज : बस करो।
स्वाति: मैं यहां नीचे सो जाति हूं, सोनिया के साथ।
जयराज : क्या यहां क्यों हैं? तुम हमें बेडरूम में तो जाओ। वाह एसी हे।
अंशुल: अरे हा.. तुम वहा सो जाओ.. मैं यहां ठीक हूं..
स्वाति ने आश्चर्य से दोनों को देखा।
जयराज : मैं बहार ड्राइंग रूम में सो जाउंगा।
अंशुल: क्या आप क्या कह रहे हैं? आप ड्राइंग रूम में? आप के घर में?
जयराज : अरे तो क्या हुआ..
अंशुल: अरे नहीं.. ऐसा कैसे हो सकता है..आप वह नहीं सो सकते..
स्वाति: माई कह तो राही हूं.. मैं यह *सो जाउंगी..
जयराज: क्या तुम अंदर बेडरूम में सो जाओ.. सोनिया और छोटी बेटी के साथ। बिस्तर से बड़ा वह..
अंशुल: क्या स्वाति अगर बेड बड़ा हे तो थिक हे ना.. सोनिया तुम और जयराजी बेड पे सो जाओ.. सोनिया तो बीच में सो जाएगी। और पिंकी तो पालने मुझे सो जाएगी।
स्वाति: अंशुल तुम क्या बोल रहे हो?
अंशुल: तो क्या जयराज जी को सोफे पर सोना होगा?
जयराज: क्या मैं नीचे इतना जाउंगा बेस?
स्वाति: कोई बात नहीं.. सोनिया बीच में तो जाएगी..*
जयराज व्यवस्था से खुश था।
वे सभी अंशुल को गुड नाईट बोलकर वहां से चले गए।
स्वाति दीवार की ओर एकदम कोने में सो गई। फिर सोनिया सो गई। फिर दूसरे छोर पर जयराज।*
करीब एक बजे जयराज की नींद खुल गई। उसने देखा सब सो रहे हैं। वह बाहर गया, रसोई में। व्हिस्की की बोतल ली। दो बड़े पैग पिया कुछ माउथ फ्रेशनर। वह बेडरूम में आ गया। अंदर से बंद कर लिया। उसने सोनिया को उठाया और उसे अपने आसन पर सुला दिया। वह तेजी से बीच में गया और स्वाति के करीब गया। स्वाति अभी भी सो रही थी। उसने अपनी बाँहों को धीरे से उसके नंगे पेट के चारों ओर लपेट दिया। उसके गोरे पेट पर चाँदनी ने उसे चमका दिया। उसने धीरे से उसकी पीठ पर उसके गहरे कटे हुए ब्लाउज़ के ऊपर अपनी नाक रगड़ी। स्वाति थोड़ी हिली। जयराज तब तक करीब चला गया जब तक उसकी कमर साड़ी के ऊपर से उसके गोल कूल्हों को छू नहीं गई। स्वाति ने अपनी आँखें खोलीं और महसूस किया कि उसके हाथ उसके पेट को सहला रहे हैं। वह जल्दी से मुड़ी।
स्वाति : जयराज जी ??? ये आप क्या कर रहे हैं?
जयराज: प्लीज स्वाति.. आई लव यू.. तुम्हें पता तो हे..
स्वाति: प्लीज छोड़िए मुझे..*
जयराज: आवाज मत करो.. सोनिया जाग जाएगी..
स्वाति: प्लीज जयराज जी.. ये गलत हे..
जयराज: मैंने तुम्हारी इतनी मदद की.. क्या तुम इतना नहीं कर सकती मेरे झूठ?
स्वाति: आप जो कहेंगे मैं करूंगा... लेकिन ये नहीं..
जयराज: मुझे तो बस यही चाहिए..*
वह उसके पेट को सहलाता रहा और उसकी कमर में और जोर डालता रहा।
स्वाति क्रोधित होकर उठ बैठी। जयराज ने उसे नीचे खींच लिया।
जयराज: प्लीज मेरा साथ दे दो..
स्वाति: क्यों आप ऐसा कर रहे हैं मेरे साथ? मैंने क्या बिगड़ा वह आपका?
जयराज: तुम्हें जब से देखा हे..नींद नहीं आती..
स्वाति: मैं ये नहीं कर सकती.. मेरी बेटियां यहां तो रही हे.. मेरा पति दूसरे कमरे में हैं..
जयराज: दरवाजा लॉक कर दिया हे.. वैसे भी वो उठ नहीं सकता..
वे कानाफूसी में बात कर रहे थे। जयराज ने झट से दोनों के ऊपर से कम्बल खींच लिया। स्वाति दीवार की ओर मुड़ गई। जयराज धीरे से उसकी गर्दन को चूमने लगा और
पेटीकोट में अपनी उँगली डाल कर नाभि को ढूँढ़ने लगा और ऊँगली करने लगा।
स्वाति: आप जो कहेंगे मार करूंगी.. बस ये मत किजिए मेरे साथ.. मैं अच्छे घर से हूं.. शादी शुदा हूं..
जयराज: तबी तो तुम मुझे पसंद आई.. मैं हमेशा तुम्हारा ख्याल रखूंगा..
स्वाति: तु तो पाप ही...
जयराज: कुछ पाप नहीं हे..
जयराज ने कम्बल ऊपर खींच लिया और वे दोनों एक तकिए में समा गए।
उसने अपना एक हाथ उसके कोमल स्तन पर रखा और जोर से निचोड़ा जिससे स्वाति कराह उठी।
जयराज ने अपने पूरे शरीर का भार स्वाति के कोमल शरीर पर डालते हुए स्वयं को उसके ऊपर रख दिया। उसने उसकी आँखों में देखा।*
जयराज: तो तुझे क्या लगता है?
स्वाति: ये पाप मुझसे मत करवाये..
जयराज : ये प्यार हे..
दोनों ने एक दूसरे की आंखों में देखा। स्वाति ने एक बार सोनिया की तरफ देखा। वह गहरी नींद में थी। उनके होंठ हर की तरह कोमलता से मिले। जयराज ने उसके कोमल होठों को पूरा चूम लिया। उसने उसे अपने नीचे झूला बनाया। दो होठों को चूमने की भीगी हुई खनकदार आवाजें निकल रही थीं। चुंबन जल्द ही एक चुम्बन में बदल गया।
उनकी जुबानें मिलीं। स्वाति की आंखें बंद थीं।
जयराज के हाथ उसके ब्लाउज पर थे। उन्हें जोर से पंप करना। वह सोचता रहा कि स्तनों के कितने कोमल जोड़े हैं। चुंबन बेतुका होता जा रहा था। कमरे में अँधेरा था। एसी चालू था। दो बच्चे सो रहे थे। एक जोड़ा प्यार कर रहा था।
स्वाति ने मन ही मन सोचा। वह ऐसा नहीं होने दे सकती। वह इस विशाल गुंडे को अपने अंदर नहीं घुसने देगी।