Erotica लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग (सम्पूर्ण)

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लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-17

बॉस के फ़्लैट में अपने देवर से चूत चुदवाने के बाद मैंने उससे कहा- देवर जी, अपनी पहली चुदाई की कहानी सुनाओ।
सूरज बोला- मेरी पहली चुदाई कोई खास नहीं थी लेकिन उसको भूल भी नहीं सकता। आप सुनो भाभी!
जब मैं एडमिशन के बाद पहले दिन कॉलेज गया तो क्लास की सभी सीटें भरी हुई थी।
मेरे साथ रागिनी नाम की एक लड़की थी जो देखने में ठीक ठाक ही थी, वो बहुत ज्यादा हाई-फाई नहीं दिख रही थी। हम दोनों को ही क्लास में बैठने की जगह नहीं मिल रही थी कि तभी प्रोफेसर आ गये और जब उन्होंने हमें इस तरह देखा तो चपरासी से कह कर एक बेंच सबसे पीछे लगा दी।
बेंच की लम्बाई बहुत ज्यादा नहीं थी, हम दोनों ही उस बेंच पर बैठ गये लेकिन मेरा मन अपनी स्टडी में नहीं लग रहा था, कारण मेरा जिस्म और रागिनी का जिस्म एक दूसरे से सट रहा था।
शायद उसका भी मन नहीं लग रहा था क्योंकि बार-बार वो मेरी तरफ बड़े ही नर्वस होकर देख रही थी।
नर्वस तो मैं भी था लेकिन मैंने अपनी नर्वसनेस को शो नहीं किया।
किसी तरह मेरा पहला दिन बीता।
दूसरे दिन मैं कॉलेज जल्दी इस उम्मीद से पहुँच गया कि मैं अपनी कोई दूसरी जगह को अरेंज कर लूंगा लेकिन दूसरे लड़के लड़कियों ने न तो मुझे और न ही रागिनी को किसी दूसरी सीट पर नहीं बैठने दिया।
क्लास में जितने भी प्रोफसर आये, सभी से हम दोनों ने रिक्वेस्ट की पर हम दोनों के मजाक उड़ने के सिवा कुछ नहीं हुआ, विवश होकर हम दोनों को फिर उसी सीट पर बैठना ही पड़ा।
अब धीरे-धीरे हम दोनों के लिये वही सीट फिक्स हो गई। क्लास के शेष लड़के और लड़कियाँ हम दोनों का मजाक उड़ाते और भद्दे कमेन्टस पास करते।
मैं बीच में ही बोल पड़ी- कमेन्टस, कैसे कमेन्टस?
'यही कि अबे लड़की मिली है तो पटा कर मजा ले!'
खैर अब हम दोनों ही झिझक छोड़ कर पढ़ाई पर ध्यान देने लगे और अच्छे दोस्त हो गये। हम लोग एक दूसरे से हंसी मजाक भी करने लगे।
मजाक करते-करते या बात करते-करते कभी मेरा हाथ उसकी जांघ पर चला जाता तो कभी उसका हाथ मेरी जांघ पर होता।
रागिनी भी मुझे कभी चूतिया तो कभी गांडू कहकर बुलाने लगी।
एक दिन वो मुझे किसी बात पर पता नहीं क्या हुआ था, शायद रागिनी मुझसे कई दिन से नोटस मांग रही थी, लेकिन मैं उसे वो नोटस नहीं दे पा रहा था कि एक दिन रागिनी मुझे बोली- अबे साले गांडू, कभी तो कोई काम कर लिया कर, इतने दिन से मैं तुझसे नोटस मांग रही हूँ और तू गांडू कि दे नहीं रहा है।
इस बार मैं बोल उठा- बोल ले तू साली मुझे जितना गांडू… पर एक दिन तेरी गांड मैं ही मारूँगा।
मेरी इस बात को सुनकर उसने थोड़ा सा मुंह बनाया और चली गई।
कहानी बताते बताते सूरज मेरे जिस्म को सहलाता जा रहा था। खास तौर पर उसके दोनों हाथ मेरे चूचियों को ऐसे दबा रहे थे मानो ये आम हों और इनमें से रस निकल रहा हो!
और तो और सूरज के नाखून मेरे निप्पल को मसल रहे थे।
मैंने फिर पूछा- फिर क्या हुआ?
तो सूरज बोला- भाभी, दो-तीन दिन तक रागिनी कॉलेज नहीं आई तो मुझे भी लगा कि कही वो मेरी बात का बुरा नहीं मान गई।
पर चौथे दिन जब वो कॉलेज आई तो पहले की अपेक्षा वो काफी सेक्सी लग रही थी। हालाँकि कपड़े उसने वही सलवार सूट पहना हुआ था पर कायदे से मेकअप करके आई थी।
सीट पर आकर मेरे पास खड़ी हो गई और थोड़ा झुकती हुई बोली- और गांडू, क्या हाल है?
मैं बीच में बोली- रागिनी ने तुम्हारा निक नेम गांडू तो नहीं रख दिया था?
'भाभी आप भी?'
'अच्छा ठीक है, अब आगे बताओ?'
'हाँ तो मैंने उसके इस बात का रिसपॉन्स नहीं दिया तो वो थोड़ा और पास आई और बोली- है न तू गांडू का गांडू… उस दिन गांड मारने की बोल रहा था और आज मुझसे बात भी नहीं कर रहा है।
मैंने उसकी गांड में उंगली कर दी तो आउच करके पीछे हट गई और फिर बगल में मेरे पास बैठ गई।
थोड़ी देर तक तो हम दोनों की बात नहीं हुई, फिर हार कर मैंने ही पूछा तो बोली- यार, वास्तव में उस दिन मैं बुरा मान गई थी, इसलिये मैं घर चली गई। इसी दौरान मुझे मेरी एक दूर की रिश्तेदार की शादी में जाना पड़ा।
काफी भीड़ थी। चूंकि मैं पहली बार अपनी उस बहन के पास गई थी तो वो हर वक्त मुझे अपने साथ ही रखती थी। यहां तक कि रात में मैं उसके साथ उसके कमरे में सोती थी। परसो आधी रात को अचानक कुछ फुसफुसाहट से मेरी नींद खुली तो मेरी वो बहन फोन पर बातें कर रही थी और बोल रही थी 'मत परेशान हो मेरे राजा, शादी के बाद तेरे ही पास आ रही हूँ, तेरे लौड़े की जम के सेवा करूँगी। अभी अपने लंड को शान्त रख।'
इसी तरह गन्दे शब्दों का वो बोल रही थी कि बीच में वो बोल पड़ी 'अबे गांडू, मार लेना मेरी गांड… अब फोन रखो। मुझे नींद आ रही है।'
फिर दोनों की बाते खतम हो गई और वो मेरे ऊपर अपनी टांग चढ़ा कर सो गई लेकिन उसकी बात 'अबे गांडू, मार लेना मेरी गांड' ही मेरे कानों में सुनाई पड़ रही थी।
मुझे लगा कि जब ये इस तरह खुल के बात कर सकती है तो मैं तो तुमको अक्सर कहती रहती हूँ।
मैं जोर से हँसा।उसके साथ साथ सभी मुझे देखने लगे।
मैंने धीरे से रागिनी से कहा- लगता है कि तुम्हारे पूरे घर में गांडू बोलने की आदत है?
पता नहीं मुझे क्या हो गया था कि मैं उसे छेड़ना चाह रहा था इसलिये मैंने उसकी जांघों को सहलाना शुरू कर दिया।
एक-दो मिनट उसको अहसास नहीं हुआ।
फिर मैं और सूरज दोनों बिस्तर पर पहुँच गये। सूरज बिस्तर पर लेट गया और बोला- भाभी, मेरे लंड को अपनी चूत के अन्दर लेकर मेरे ऊपर लेट जाओ।
मैंने उसके कहे अनुसार उसके लंड को अपनी चूत के अन्दर कर लिया और उसके ऊपर लेट गई।
सूरज एक बार फिर मेरी पीठ सहलाते सहलाते अपनी आगे की कहानी बताने लगा:
रागिनी होंठों के चबाये जा रही थी और अपने दोनों पैरों को जितना सिकोड़ सकती थी, सिकोड़ने की कोशिश कर रही थी।
उस दिन पहली बार मुझे पीछे की सीट पर बैठने का फायदा मिला, कुछ देर मैं उसकी जांघ को सहलाता रहा, फिर धीरे से उसकी चूत के ऊपर हाथ ले जाने लगा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- सूरज, यह तुमने क्या किया?
'क्या हुआ?'
वो बोली- पता नहीं मेरे अन्दर से क्या निकल रहा है कि मेरी पैन्टी गीली हो गई है।
'भाभी, आप तो जानती हो कि लड़कों की आदत शुरू से ही खराब होती है, मैंने उसके हाथ को पकड़ा और जल्दी से उसकी चूत के ऊपर अपनी उंगली लगा दी। वास्तव में उसकी सलवार भी गीली थी।'
मैंने अपनी उंगली का दवाब उसकी चूत पर और दिया इससे उसका पानी मेरी उंगली पर आ गया और उसके रस से गीली हुई मेरी उंगली को मैंने अपनी जीभ से लगा लिया।
रागिनी ने जब मुझे ऐसा करते हुए देखा तो बोली- छीः छीः, यह क्या कर रहे हो? यह गन्दा है।मैंने उसकी तरफ देखा और बोला- मुझे तो इसका स्वाद बड़ा ही अच्छा लग रहा है।

फिर उससे बोला- देखो, मेरी वजह से तुम्हारी पैन्टी गीली हुई है। तो ऐसा करो कि अपनी पैन्टी मुझे दे दो तो मैं उसे कल धोकर ला दूंगा।
'नहीं दूंगी, मैं खुद धो लूंगी।'
मैं उससे मजे लेने के लिये बोला- अगर नहीं दोगी तो मैं खड़ा होकर चिल्ला दूंगा कि रागिनी ने पेशाब कर दिया है। अब देख लो?
उसने मुझे एक तेज चुटकी काटी और बोली- ठीक है, थोड़ी देर बाद।
लेकिन तो मुझे तुरन्त ही चाहिये थी ताकि मैं उसके रस को सूंघ सकूँ और मजा ले सकूँ।
फिर मैं रागिनी को धौंस देते हुए बोला कि मुझे अभी तुरन्त ही चाहिये।
दाँत पीसते हुये वो अपना बैग लेकर गई और थोड़ी देर बाद वापस आई और बैग से अपनी पैन्टी निकाल कर मुझे देती हुई बोली- लो। मैंने उसकी पैन्टी ली और जहां पर उसका रस लगा था उसको अपने नाक के पास ले गया, सूंघने लगा।
वो मेरा हाथ दबाते हुए धीरे से बोली- सूरज, यह क्या कर रहे हो।
मैंने कहा- मैं अपनी दोस्त के रस की महक ले रहा हूँ।
कहकर उस हिस्से को मैंने अपने मुंह के अन्दर भर लिया।
मैं बोली- यार सूरज तुम तो शुरू से ही बहुत ही चोदू किस्म के इंसान थे।
'हाँ भाभी, लेकिन तुम्हारे जैसी चुददक्ड़ नहीं देखी। क्योंकि तुम जान जाती हो कि कब और कैसे मजा दिया जाये।'
'अच्छा फिर क्या हुआ?
बस मैंने उसकी चड्डी को खूब अच्छे से चाट कर साफ किया और फिर उसके बाद मैं अपना लंड बाहर निकालने लगा तो रागिनी बोली- सूरज तुम बहुत बेशर्म होते जा रहे हो।
मैं बिना कुछ बोले लंड को मुठ मारने लगा और कुछ ही देर में मैंने अपना पूरा माल उसकी पैन्टी में गिरा दिया, जबकि इतनी देर में रागिनी इस बात को लेकर डर रही थी कि कहीं कोई आकर मेरी यह हरकत न देख ले।
मेरा जितना वीर्य उसकी पैन्टी में गिर सकता था उतना गिरा बाकी का मैंने उसकी ही पैन्टी से साफ किया और उसकी और पैन्टी बढ़ाते हुए कहा- अब तुम्हारी बारी!
वो बोली- छीः मैं ये नहीं करूँगी।
मैं समझ गया कि यह सीधे से मानने वाली नहीं है तो एक बार उसको फिर ब्लैक मेल किया कि अगर नहीं करोगी तो मैं खड़े होकर तुम्हारी पैन्टी सबको दिखा दूंगा।
विवश होकर उसने अपनी पैन्टी ली और इस तरह झुक गई कि वो क्या कर रही है किसी को पता नहीं चले और फिर वो पैन्टी को मुंह के पास ले गई और हल्के से अपनी जीभ को टच किया और फिर मुंह बनाते हुए बोली- मुझे नहीं करना है।
मैंने उसे समझाया कि जब मैं तुमसे तुम्हारी पैन्टी मांग कर मैं चाट सकता हूँ तो तुम क्यों नहीं।
रागिनी बोली- तुमने अपनी मर्ज़ी से किया।
मैं बोला- हाँ ठीक है, लेकिन सोचो कि जब तुम्हारी शादी होगी और तुम्हारा आदमी अपना लंड जबरदस्ती तुम्हारे मुंह में डालेगा तो तो तुमको वही करना पड़ेगा, चाहे तुम्हारी मर्जी हो या न हो। फिर अभी कर के मजा लो।
मैं इसी तरह की बाते करके उसे फुसलाता रहा और अन्त में हारकर रागिनी ने अपनी पैन्टी को चाट कर साफ किया।
उसके बाद रागिनी ने मेरे वीर्य को अपने थूक के साथ एकत्र करके मेरे मुंह को खोलते हुए उसने वो थूक मेरे अन्दर थूक दिया जिसको मैं गटक गया था।
मैंने रागिनी से बोला- अब हमारी दोस्ती पक्की हो गई है, कहते हुए उसके होंठों को चूम लिया।
रागिनी अपनी पैन्टी को अपने बैग में रखते हुए बोली- अब तुम केवल मेरे ही गांडू हो।
उसके बाद जब कॉलेज ओवर होने तक हम लोग एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए पढ़ाई कर रहे थे।
सूरज और मुझे काफी जोश चढ़ चुका था और मैं उसके ऊपर तेज तेज उछलने लगी और सूरज मेरी हिलती-डुलती हुई चूचियों को पकड़ पकड़ कर मसल रहा था।
अब मैं खलास हो चुकी थी और दो तीन धक्के मारने के बाद मैं सूरज के ऊपर ही लेट गई, सूरज का टाईट लंड अभी भी मेरी चूत के अन्दर हरकत कर रहा था।
सूरज ने मुझे उठाया और घोड़ी के पोजिशन में खड़ा होने के लिये बोला।
मैं घोड़ी बन गई।
सूरज की जीभ मेरे गांड को चाट रही थी। थोड़ी ही देर मैं मेरी गांड सूरज के थूक से काफी गीली हो चुकी थी कि सहसा सूरज अपने लंड को मेरी गांड से रगड़ने लगा, तो मुझे समझते देर नहीं लगी कि सूरज मेरे गांड भी चोदना चाहता है।
मैंने तुरन्त ही सूरज को ऐसा करने से मना किया तो सूरज भी बिना कोई सवाल किये हुए अपने लंड को मेरी चूत पर सेट करके एक तेज झटका मारा और उसका समूचा लंड मेरी चूत के अन्दर था।
अब सूरज धक्के पे धक्का दिये जा रहा था।
काफी धक्के लगाने के बाद सूरज ने मुझे सीधा किया और मेरे ऊपर अपने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी, उसका वीर्य मेरी चूचियों पर गिरा।
सूरज अपनी उंगली में वीर्य लेता और फिर वही उंगली मेरे मुंह के अन्दर करता।
इस तरह करके उसने मुझे अपना पूरा वीर्य चटा दिया और उसके बाद अपने लंड को साफ करने के लिये कहा जो मेरा सबसे पसन्दीदा काम था, मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लेकर साफ किया।
इतना करने के बाद सूरज ने भी मेरी चूत को साफ किया।
एक बार फिर बेड पर मैं सूरज की बांहो में लेटी हुई थी।

कहानी जारी रहेगी।
Superb update dost
 
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लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-14

घर पहुँची तो सभी लोग मेरा इंतजार कर रहे थे।
आज मैं काफी थकी हुई लग रही थी।
अमित और नमिता मेरे पास आये, आते ही अमित ने कहा- भाभी बहुत थकी हुई लग रही हो, कहो तो मालिश कर दूँ?
मैंने नमिता की तरफ देखा और बोली- अगर नमिता को ऐतराज न हो तो… और केवल मालिश, सेक्स नहीं करूँगी।
नमिता बोली- भाभी, मैं भी देखना चाहती हूँ कि अमित कैसी मालिश करता है। मैं भी जब कभी थकी हूँगी तो अमित मेरी भी मालिश कर दिया करेगा।
तभी ससुर जी की आवाज आई- क्या बात है, आज तुम काफी थकी सी लग रही हो?
'हाँ बाबू जी, आज ऑफिस में काम ज्यादा था इसीलिये!'
'कोई बात नहीं, जाओ एक-दो घण्टे तुम आराम कर लो। तुम्हें कोई परेशान नहीं करेगा।'
कहकर वो चले गये और मैं ऊपर अपने कमरे में आ गई।
मेरे पीछे-पीछे अमित और नमिता भी आ गये।
कमरे में पहुँच कर मैंने रितेश को फोन लगाया तो उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा था।
एक दो बार ट्राई करने के बाद मैंने वही नमिता और अमित के सामने ही अपने कपड़े बदल कर गाउन पहन लिया और अमित से बोली- जीजू, आप तैयारी करो, मैं जरा फ्रेश होकर आ रही हूँ, तब आप मालिश करना।
इतना कहने के साथ मैं फ्रेश होने नीचे आई और फ्रेश होने के लिये लैट्रिन का दरवाजा खोलने ही जा रही थी कि अन्दर से 'आह उह… आह उह…' की आवाज आ रही थी।
मैं आवाज तो सुन पा रही थी लेकिन देखने के लिये मैं कोई सुराख खोज रही थी कि देखा छोटा देवर जिसका नाम सूरज था, वो मेरा नाम ले लेकर मुठ मार रहा था, बोल रहा था- भाभी तुम कितनी अच्छी हो। तुम्हारी चूत क्या कहना… आ आ मेरी जान, मेरे लंड को अपनी चूत में ले लो। क्या गोल गोल है तुम्हारी चूची, इसका दूध मुझे पिला दो।
इसी तरह वो मेरी चूत, चूची और गांड के कसीदे पढ़ रहा था। बड़बड़ाते हुए उसका हाथ भी बड़े तेजी से चल रहा था और फिर अचानक उसके लंड से पिचकारी छूटी और उसकी पूरी हथेली में उसका रस लगा था।
फिर वो उसी अवस्था में अपने हाथ धोने के लिये खड़ा हुआ।
मुरझाने के बाद भी उसका लंड लंड नहीं मूसल लग रहा था।
हाथ धोने के बाद उसने अपनी चड्डी पहनी और मैं जल्दी से वहाँ से दूर हो गई।
जब सूरज बाहर आया तो मैं उसको गौर से देखने लगी, जो अब मुझे काफी सेक्सी दिख रहा था।
खैर मैं फिर फारिग होने के लिये चली गई और लेट्रिन में जितनी देर बैठी रही, सूरज के बारे में सोचती रही कि सूरज ने मुझे कब और कैसे नग्न देख लिया कि उसे मेरे अंग अंग के बारे में मालूम था या फिर वो कोरी कल्पना में मुझे पाना चाहता था।
तभी अचानक वो सुराख मुझे याद आया, जैसे अभी अभी मैंने सूरज को वो सब करते देखा, हो सकता है कि सूरज ने मुझे देखने के लिये सूराख किया है।
तभी मेरी नजर उस सुराख में एक बार फिर पड़ी और मुझे लगा कि किसी की आँख अन्दर की तरफ झांक रही है।
फिर मेरे अन्दर का क्रीड़ा एक बार फिर जाग गया और मैंने अपने आपको झुकाते हुए अपनी चूचियों को और लटका कर खुला छोड़ दिया ताकि जो देख रहा है, अच्छी तरह देख सके।
और फारिग होने के बाद मैं नंगी ही अपने हाथ धोने उठी।
उसके बाद मैं अपने कमरे में आ गई जहाँ अमित मेरा इंतजार कर रहा था।
पहुँचने के बाद मैंने अपनी गाउन उतारी और जमीन पर लेट गई।
अमित और नमिता भी नंगे हो चुके थे।
अमित अब मेरी मालिश करने लगा। वो बहुत ही अच्छे से मेरी मालिश कर रहा था, हालाँकि बीच बीच में अमित मेरी चूत और गांड में उंगली कर रहा था।
मेरी मालिश और अंगो की छेड़छाड़ करने की वजह से अमित का लंड तन कर टाईट हो चुका था और मेरी जिस्म के हर हिस्से से रगड़ खा रहा था।
मेरी मालिश करने के बाद अमित लेट गया और नमिता उसके लंड पर बैठ गई, फिर धीरे-धीरे वो सवारी करने लगी। उन दोनों की काम क्रीड़ा देखने के बाद भी मेरी इच्छा नहीं हो रही थी।
उधर थोड़ी देर तक उन दोनों के बीच भी युद्ध चलता रहा और फिर अपने मुकाम पर पहुँच कर शान्त हो गया।
एक बार फिर अमित मुझे धन्यवाद देते हुए बोला- भाभी, आपके ही कारण नमिता की चूत मुझे मिलने लगी है।
इस पर नमिता हंस दी।
उसके बाद अमित मेरे बगल में और नमिता अमित के बगल में लेट गये।
मुझे पता नहीं कब नींद आ गई और मैं अमित से चिपक कर सो गई।
एक घंटे के बाद मैं उठी और नहाने के लिये नीचे आ गई। नहा धोकर फ्री होने के बाद मैंने और नमिता ने मिल कर घर के काम को खत्म किया।
इस दौरान मेरी नजर सूरज पर भी रहने लगी और रह रहकर मेरी नजर के सामने उसका लम्बा मूसल लंड आने लगा। और न चाहते हुए भी मेरा मन उसके लंड को अपनी चूत में लेने का कर रहा था।
लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि जो मैं चाह रही थी वो पूरा नहीं हो पायेगा क्योंकि सूरज और नीतेश, मेरा छोटा देवर सास और ससुर के कमरे में ही सोते थे इसलिये मुझे मौका तो इतनी आसानी से नहीं मिलने वाला था।
खैर काम निपटा कर मैं अपने कमरे में आ गई और अमित और नमिता अपने कमरे में चले गये।
सुबह के चार या पाँच के आस पास रितेश का फोन आया। जैसे ही मैंने फोन पिक किया रितेश सॉरी बोलने लगा।
मैंने कारण जानना चाहा तो उसने अपनी आप बीती सुनाई:
आज मेरी बॉस सुहाना ने मेरे मोबाईल का स्विच ऑफ कर दिया था, वो कह रही थी कि आज कुछ ज्यादा ही ओवर टाईम ड्यूटी होगी, वो कोई डिस्टरबेन्स पसंद नहीं करेगी।
और बोली कि आज वो मुझे मेरे ओवर टाईम का ईनाम भी देगी।
उसके बाद हम दोनों प्रोजेक्ट पूरा करते रहे और यहां तक कि ऑफिस का एक-एक एम्पलाई कब अपने घर जा चुका था, हम दोनों को पता भी नहीं चला।
जब लॉस्ट में चपरासी छुट्टी मांगने आया तो सुहाना उससे बोली- अभी थोड़ी देर और रूको, जब काम खत्म हो जायेगा तो जाना।
बहुत गिड़गिड़ाने पर उसने चपरासी को छुट्टी दी।
चपरासी के जाते ही सुहाना ने अन्दर से ऑफिस लॉक कर दिया।
मैं अपने काम में व्यस्त ही था कि मुझे मेरे सीने पर हाथ चलते हुआ सा महसूस हुआ तो मैंने मुड़ कर देखा तो सुहाना मेरे पीछे खड़ी थी और उसका हाथ मेरे सीने पर धीरे-धीरे रेंग रहा था।
मैं उसे देखता ही रहा तो वो बोली- तुम अपना प्रोजेक्ट करते रहो और मैं तुम्हें ईनाम भी साथ साथ देती हूँ।
कहकर उसने मुझे मेरे काम पर ध्यान देने के लिये कहा तो मैं बोला- अगर आप ऐसे करते रहोगी तो मैं काम कैसे करूँगा, द्स-पंद्रह मिनट का और वर्क है निपटा लेने दीजिए तो ये बन्दा आपका ईनाम खुद ही ले लेगा।
तो सुहाना बोली- मजा तो तभी है प्यारे, काम के साथ-साथ ईनाम भी लो।
उसकी बातों को सुनकर मैं अपने काम पर ध्यान लगाने की कोशिश करने लगा, पर जब एक औरत का हाथ अन्दर हो और मन में खलबली मची हो तो काम में कैसे मन लगता!
लेकिन मैं अपनी कोशिश करता रहा, अब मुझे यह देखना था कि जीत किसकी होती है।
सुहाना का हाथ मेरे सीने पर तो चल ही रहा था साथ में उसके होंठ भी मेरे गालों पर जगह-जगह अपनी छाप छोड़ रहे थे।
मैं कसमसा भी रहा था और काम भी कर रहा था।
जब सुहाना का मन इससे भी नहीं माना तो उसने अपना हाथ मेरे लंड के ऊपर रख दिया और उसे टटोल रही थी। इससे वो कभी मेरे अंडों को दबा देती तो कभी वो मेरे सोए हुए लंड को छेड़ देती थी।
आखिर मेरा कंट्रोल अब खत्म हो चुका था और लंड महराज फुफकारने लगे थे। वो एक कुटिल मुस्कान के साथ बोली- रितेश, तुमने अगर अपना ध्यान अपने प्रोजेक्ट पर नहीं लगाया तो प्रोजेक्ट अधूरा रह जायेगा और तुम्हारा ईनाम भी।
मेरी मजबूरी यह थी कि काफी दिनों बाद मुझे आज भरपेट खाना मिल रहा था और उसे छोड़ना नहीं चाह रहा था।
अजीब बात यह थी कि अगला कह रहा है कि खाना तो तुम्हारे लिये ही है लेकिन उसे बिना हाथ लगाये खाओ।
मेरी बॉस सुहाना की हरकतों में कमी भी नहीं आ रही थी, वो लगातार मुझे उत्तेजित करने के लिये कुछ न कुछ किये जा रही थी। उसने एक बार फिर अपने हाथ को मेरे सीने के पास पहुँचाया और नाखून से मेरे निप्पल को कचोटने लगी।
इससे मुझे मीठी सी पीड़ा हो रही थी और मेरा ध्यान भी भटक रहा था लेकिन सुहाना मेरी कोई बात मानने को तैयार नहीं थी।
कभी उसके हाथ मेरे सीने पर और निप्पल पर तो कभी मेरी पीठ को सहला रही थी।
मेरा जो काम पंद्रह मिनट का था, सुहाना की इन उत्तेजना भरी हरकतों के कारण वो पंद्रह मिनट कब के बीत चुके थे।
गजब तो तब हो गया जब सुहाना मेरी पीठ सहलाते हुए पता नहीं कब अपने हाथ मेरे कमर के नीचे ले गई और मेरी गांड की दरार के बीच अपनी उंगली रगड़ने लगी।
मैं, आकांक्षा ने अपने पति रितेश से पूछा- यार, यह तो बताओ तुम्हारी बॉस कैसी है।
रितेश फ़िर बताने लगा- यार, कल तक तो वो बहुत खड़ूस नजर आ रही थी लेकिन आज वो बड़ी गांड, बड़ी बड़ी चूचियों और बड़ी बड़ी आँख की मलकिन नजर आ रही थी। आज वो किसी परी से कम नहीं लग रही थी। जैसी हरकतें वो मेरे साथ कर रही थी, मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरी आकांक्षा मुझ पर तरस खाकर मेरे पास मेरी प्यास मिटाने आ गई है।
रितेश के मुंह से मेरे लिये ये तारीफ के शब्द सुनकर मुझे अपने आप पर बड़ा नाज हुआ।
उधर रितेश बोले जा रहा था:
मेरी बॉस सुहाना अपनी उंगली मेरी गांड से निकाली और फिर मेरे ही सामने अपनी उंगली को चाटने लगी।
उंगली चाटते हुए वो बोली- रितेश, यह है तुम्हारा पहला ईनाम… अब दूसरा ईनाम ये देखो।
कहकर सुहाना ने अपने टॉप को उतार दिया।
मेरी नजर जब उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों पर पड़ी तो मेरी नजर वहां से हट ही नहीं रही थी।
सुहाना ने अपने बड़ी-बड़ी चूचियो को एक छोटी लेकिन बड़ी ही सेक्सी ब्रा में छुपा कर रखी हुई थी।
अपने दोनों हाथो से अपने स्तन को वो दबा रही थी और मेरे होंठों से रगड़ रही थी।
मेरी उंगलियाँ कीबोर्ड पर थी और होंठ उसके ब्रा के बीच छिपी हुई चूचियों में थे।
मेरा काम खत्म होने पर था ही कि सुहाना ने अपनी ब्रा को निकाल फेंका और निप्पल को मेरे मुंह में लगा दिया।
अब मैं उसके निप्पल को चूस रहा था और अपना काम कर रहा था।
सुहाना का ध्यान मेरे ऊपर से हट चुका था और वो मस्ती में आ चुकी थी।
तभी मैं आकांक्षा फिर उसकी बात को काटते हुए बोली- तो क्या तुम दोनों ने चुदाई का खेल ऑफिस में ही खेला?
'नहीं यार सुनो तो, सुहाना तो बहुत ही वाईल्ड है।'
मैंने पूछा- कैसे?
तो रितेश बताने लगा कि वो बहुत मस्ती में आ चुकी थी और आहें भरने लगी थी कि मैंने उसे झकझोरते हुए बोला- मैम प्रोजेक्ट ओवर हो गया है।
'अरे वाह, मैं तो सोच रही थी कि तुमको काम करते करते पूरा मजा दे दूंगी, लेकिन तुम बहुत तेज निकले!' कहकर मेरे गोदी में बैठ गई और प्रोजेक्ट चेक करने लगी।
अब मुझे मौका मिल गया था, मैंने पीछे से उसकी दूध जैसी चूचियों के साथ खेल शुरू कर दिया और लगातार मैं उसकी पीठ पर चुम्बन देता जा रहा था और वो बड़े मजे से आहें भरती हुई प्रोजेक्ट चेक कर रही थी।
मेरा टाईट लंड शायद उसके पिछवाड़े चुभ रहा होगा, तभी तो वो जितनी देर मेरे ऊपर बैठी रही उतनी देर तक वो अपनी गांड को इधर-उधर हिलाती रही।
प्रोजेक्ट चेक करने के बाद उसने कम्प्यूटर ऑफ किया और फिर अपनी टॉप पहनने के बाद उसने मुझे अपनी ब्रा मुझे दी और ब्रा को मुझे मेरी जेब में रखने को बोली।
उसके बाद हम दोनों ने ऑफिस को पूरी तरह लॉक क्या।
फ़िर सुहाना मुझसे बोली- तुम्हारा ईनाम अभी भी मेरे पास है, तुम कहाँ लोगे?
मैं बोला- बॉस…
सुहाना टोकते हुए बोली- बॉस नहीं, सुहाना बोलो।
'ठीक है सुहाना, लेकिन मैं तो इस शहर में नया हूँ। अपने होटल का रूम और ऑफिस के अलावा कुछ जानता नहीं हूँ। अब आप जहाँ ईनाम देना चाहो दे दो।'
'ठीक है, फिर मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे होटल चलती हूँ क्योंकि घर पर मैं तुमको ले नहीं जा सकती हूँ।'
इतना कहकर उसने अपने घर रात में न आने की सूचना दे दी।


कहानी जारी रहेगी।
WOW MAST HOT & EROTIC UPDATE
अजीब बात यह थी कि अगला कह रहा है कि खाना तो तुम्हारे लिये ही है लेकिन उसे बिना हाथ लगाये खाओ।
मेरी बॉस सुहाना की हरकतों में कमी भी नहीं आ रही थी, वो लगातार मुझे उत्तेजित करने के लिये कुछ न कुछ किये जा रही थी। उसने एक बार फिर अपने हाथ को मेरे सीने के पास पहुँचाया और नाखून से मेरे निप्पल को कचोटने लगी।
 
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लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-15


'ठीक है, फिर मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे होटल चलती हूँ क्योंकि घर पर मैं तुमको ले नहीं जा सकती हूँ।'
इतना कहकर उसने अपने घर रात में न आने की सूचना दे दी।
और फिर मुझे एक शानदार रेस्तराँ लेकर गई और एक केबिन के अन्दर हम दोनों बैठ गए।
उस केबिन में बहुत ही कम वाट का नीला बल्ब जल रहा था, जिससे उस केबिन में कुछ उजाला तो कुछ अंधेरा सा नजर आ रहा था।
उसने दो बियर तथा खाने का ऑर्डर किया।
हम दोनों एक-दूसरे के बगल में बैठे थे, सुहाना ने अपनी जींस खोली और अपने जांघ के नीचे कर लिया और मेरी जींस की चेन खोल कर लंड बाहर निकाल कर उससे खेलने लगी और मेरा हाथ ले जाकर अपनी चूत के ऊपर रख दिया।
अब मुझसे वो सेक्स की ही बातें कर रही थी। वो इस बात का ख्याल जरूर रखती कि अगर वेटर लेकर कुछ आ रहा है तो हम लोगों की हरकत उसकी नजर में ना आये।
सुहाना बोली- तुम जब किसी औरत या लड़की के साथ सेक्स करते हो तो तुम उसको साथ क्या-क्या करते हो?
मैं बोला- जनरली सभी मर्द औरत या लड़की से साथ वाइल्ड होना पसंद करते है और मुझे भी वाईल्ड होना पसंद है। जब तक दोनों एक दूसरे के जिस्म से पूरी तरह से न खेलें तो चूत चुदाई का मजा नहीं आता है।
सुहाना ने मुझसे पूछा- तुम्हें मुझमें सबसे अच्छा क्या लगा?
तो मैं बोला- अभी तक तो मैंने आपको पूरी तरह से नहीं देखा। फिर भी आपके तीनों छेद!
'तीन छेद?' वो मेरी तरफ देखते हुए बोली।
'हाँ!' मैंने उसके होठों पर उंगली फिराते हुए बोला, उसके बाद हाथ को नीचे ले जाकर उसकी चूत के अन्दर उंगली करते हुए कहा- दूसरा छेद ये!
और फिर उंगली चूत रूपी स्टेशन को छोड़कर गांड के छेद की तरफ बढ़ गई और वहां उंगली टच करते हुए बोला- एक छेद ये भी है जहाँ मेरा लंड हमेशा जाने के लिये बेताब रहता है।
'तो क्या तुम्हारी बीवी तुमसे अपनी गांड मरवाती है?'
'मेरी बीवी बिल्कुल काम देवी है, जब तक उसके तीनों छेदों को मजा नहीं आ जाता, तब तक वो मुझे छोड़ती ही नहीं है।'
सुहाना बोली- यार, तुम्हारी बातों ने तो मुझे और उत्तेजित कर दिया है और मैं पानी छोड़ रही हूँ। जल्दी जल्दी खाना खाओ और फिर मुझे खूब प्यार करो।
मेज पर खाना लग चुका था और वेटर जा चुका था।
मैंने सुहाना को देखा और मैं मेज़ के नीचे अपने आपको एडजस्ट करके बैठ गया और सुहाना की चूत में अपनी जीभ लगा दी।
सुहाना जो काफी मस्ती में आ चुकी थी, बर्दाश्त नहीं कर सकी और उसकी चूत ने रस को छोड़ दिया, वो रस सीधे मेरी जीभ को स्वाद देने लगा था।
मैंने उसके रस को चाट कर साफ कर दिया और अपनी जगह पर बैठ गया।
मेरे बैठते ही सुहाना बोली- लाओ, मैं भी तुम्हारा पानी निकाल दूँ।
मैंने मना किया और फिर बियार पीने के साथ-साथ खाना भी खाने लगे।
उसके बाद रेस्त्रां का बिल सुहाना ने चुकाया और हम लोग होटल में आ गये।
होटल के मैंनेजर की निगाहें हमारे ऊपर ही थी, वो मेरे पास आया और बोला- क्या आज रात मेम साब भी आपके साथ रूकेंगी?
मैंने हाँ में सर हिलाया और सुहाना ने अपने पर्स से पाँच सौ का नोट निकाल कर मैंनेजर को देते हुई बोली- देखना कोई हमें डिस्टर्ब ना करे।
मैंनेजर ने पाँच सौ का नोट लिया और अपने दाँत दिखाता हुआ चला गया।
हम दोनों अपने कमरे पहुँचे और कमरे में पहुँचते ही सुहाना बोली- रितेश, तुम्हारा ईनाम अब तुम्हारे सामने है, इस ईनाम को जैसे चाहे वैसे यूज करो।
'मैं खुल कर मजा लेता हूँ।'
'ठीक है। खुलकर मजा मैं भी लूंगी और तुम्हे तुम्हारा ईनाम अच्छा लगे, इसकी भी पूरी कोशिश करूँगी।'
मैंने तुरन्त ही सुहाना को दरवाजे के सहारा दिया और अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए और हाथ से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों के साथ खेलने लगा।
सुहाना भी मेरा साथ देने लगी और अपने टॉप को उतार कर अपने जिस्म से निकाल दिया।
टॉप निकालने के साथ-साथ उसने अपना बेलबॉटम और पैन्टी को भी अपने से अलग कर दिया और नंगी मुझसे चिपक गई।
मैंने भी अपने पूरे कपड़े उतार दिए और नीचे बैठकर उसकी चूत के फांकों को फैलाकर उसकी दरार में अपनी जीभ चलाने लगा, कभी मैं उसकी क्लिट को तो कभी उसके कण्ट को चूसता तो कभी उसके चूत की गहराई में अपनी उंगलियों को पहुंचाता।
मुझे इस तरह करने में कोई तकलीफ न हो इसलिये सुहाना ने अपने दोनों पैरों को अच्छे से फैला दिया।
सुहाना आहें भरते हुए बोली- रितेश, तुम मेरी चूत को बहुत मजा दे रहे हो। क्या इतना ही मजा मेरी गांड को भी दे सकते हो? मेरी गांड में बहुत सुरसुराहट हो रही है।
मेरे हाँ कहने पर सुहाना पलट कर अपने दोनों हाथों को उस दरवाजे से टिका दिया और अपना पूरा वजन अपने हाथों पर डाल दिया। मैंने उसी तरह से उसके गांड के दरार को चौड़ा किया और अपनी जीभ उसकी लाल-लाल सुर्ख गांड के छेद पर टिका दिया।
सुहाना की गांड लपलपा रही थी, मेरे होंठ और जीभ उनके बीच में घुस रहे थे।
सुहाना बोले जा रही थी- रितेश, इसकी खुजली नहीं मिट रही है।
सुहाना को मैंने हल्का सा और झुकाया, अपना लंड उसकी गांड से रगड़ने लगा और सुहाना बोलने लगी- आह ओह ओह… बस ऐसे ही बहुत अच्छा लग रहा है।
मैं उसकी गांड में लंड रगड़ते-रगड़ते लंड को अन्दर डालने की कोशिश कर रहा था लेकिन बार-बार लंड फिसल कर बाहर आ जाता।
एक तो मैं होटल में था और मेरे पास कोई क्रीम भी नहीं थी, मैं क्या करूँ गांड छोड़कर चूत ही चोद दूँ…
लेकिन जिस तरह से सुहाना की सेक्सी आवाज आ रही थी उससे ऐसा लग रहा था कि वो भी चाहती है कि उसकी गांड के अन्दर मेरे लंड का प्रवेश हो।
मैं अपना दिमाग भी साथ ही साथ चला रहा था कि मुझे ख्याल आया कि सुहाना के बैग में कुछ न तो कुछ मिल ही जायेगा जिससे मेरा काम बन जाये।
मैंने सुहाना को उसी तरह खड़े रहने के लिये कहा और खुद उसके बैग की तालाशी लेने लगा।
साला बैग नहीं था पूरा साजो सामान का बक्सा था। डिजाइनर और सेक्सी ब्रा पैन्टी थी, लिपिस्ट्क, दो-तीन तरह की क्रीम थी, हेयर रिमूवर था।
मैंने उसके बैग से क्रीम निकाली और उंगली में लेकर उसके गांड के अन्दर क्रीम लगाने लगा।
मेरी नजर साथ ही साथ उसकी लटकती हुई चूची पर पड़ी और मेरा हाथ उसकी गोलाइयों को सहलाने लगा।
मैंने क्रीम को उसकी गांड में लगा दिया और फिर जो हाथ में लगी थी, उसको लंड पर लगा कर एक झटके से उसकी गांड में लंड डाला। इधर सुहाना की दबी चीख आउच निकली और मेरी भी हालत मेरे सुपारे का खोल की वजह से खराब थी जो सुहाना की टाईट गांड से रगड़ खा रहा था।
खैर सुहाना चीख कर ही रूक गई, बोली कुछ नहीं।
मैंने एक बार फिर लंड को बाहर निकाल कर थोड़ा तेज झटके से अन्दर डाला।
'आउच…' फिर वही आवाज… लेकिन 'मुझे दर्द हो रहा, अपना लंड निकालो। मैं मर जाऊँगी!' ऐसा सुहाना ने कुछ भी नहीं कहा और शायद अपने होंठों के दाँतों के बीच दबा कर दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश कर रही थी।
मैं अब धीरे-धीरे अपने लंड को अन्दर बाहर कर के उसकी गांड में जगह बना रहा था और इसी तरह धीरे-धीरे लंड को अन्दर बाहर करते करते अब सुहाना की गांड में मेरा पूरा लंड जा चुका था, हालाँकि मेरा चमड़ा घिसने की वजह से मेरे लंड में जलन बहुत हो रही थी।
अब सुहाना की टाईट गांड काफी ढीली पड़ चुकी थी और अब दर्द की आवाज के स्थान पर उन्माद की आवाजें आने लगी थी।
थोड़ी देर में मैं उसके गांड के अन्दर ही खलास हो गया और उसकी गांड मेरे पानी से भर गई।
मैंने सुहाना को सीधा किया और अपने सीने से उसकी पीठ चिपका ली। जैसे ही सुहाना मेरे से चिपकी मेरा लंड फच की आवाज के साथ बाहर आ चुका था।
सुहाना की उंगली उसके गांड के छेद तथा आस-पास उस सभी जगह चल रही थी जहां-जहां मेरा पानी बहकर जा रहा था।
सुहाना ने मेरे पानी को अपनी उंगली में लेकर उसके स्वाद को टेस्ट करने की कोशिश करने लगी।
मैंने सुहाना को इस तरह करते देखा तो अपने मुरझाये लंड की तरफ दिखाते हुए बोला- अगर तुम्हें इसका टेस्ट लेना है तो इसको अपने मुंह में लेकर टेस्ट करो।
सुहाना घुटने के बल बैठ गई और मेरे लंड पर अपनी जीभ को इस प्रकार चलाने लगी मानो वो हर जगह को टेस्ट कर रही हो।
फिर गप से उसने मेरे लंड को अपने मुंह में पूरा भर लिया और उसे लॉली पॉप की तरह चूसने लगी।
जब उसने मेरे माल से सने लंड को पूरा साफ कर लिया तो खड़ी हो गई और बोली- मुझे तुमसे कुछ पूछना है।
हम दोनों बिस्तर पर आकर बैठ गये, मैंने कहा- हाँ बोलो, क्या पूछना चाहती हो?
तो उसने मुझसे पूछा- क्या तुम्हारी बीवी भी तुमसे गांड मरवाती है?
मैंने हँसते हुए उसकी पीठ पर हाथ फेरा और बोला- मेरी बीवी मुझे बहुत खुश रखती है और मेरी खुशी के लिये ही उसने मुझसे अपनी गांड मेरे सुहागरात में मरवाई थी।
मेरी तरफ आश्चर्य से देखती हुई बोली- ऐसा क्यों?
तो मैंने भी बेबाक उत्तर दिया- क्योंकि सुहागरात के समय उसकी चूत चुदी हुई थी। मतलब पहले से ही चुदी चुदाई थी।
'क्या तुमने ही?'
लेकिन मैंने उसका जवाब नहीं दिया और मैं उसके निप्पल को अपने मुंह में भर कर चूसने लला जबकि वो मेरे बालों को सहलाते हुए अपने प्रश्न पूछ रही थी और मैं जवाब दे रहा था।
तभी वो बोली- इसका मतलब कि मेरा पति भी मुझसे चाहता होगा कि मैं बेडरूम में उसके सामने एक रंडी की तरह रहूँ?
'बिल्कुल वो चाहता होगा!' मैंने कहा- लेकिन तुम दोनों की झिझक के वजह से तुम दोनों न तो खुल के अपनी बात एक दूसरे से शेयर कर सकते हो और न ही खुलकर सेक्स का मजा ले सकते हो।
मैं उससे बाते करते हुए उसकी चूची को चूस रहा था और उसकी गीली चूत के अन्दर उंगली किये जा रहा था कि अचानक उसने मुझे एक किनारे किया और उठ कर खड़ी हो गई, मुझे चूमते हुए बोली- सॉरी रितेश, शायद तुम्हें इस समय मैं तुम्हारा ईनाम पूरा न दे पाऊँ। फिर कभी मैं कोशिश करूँगी कि तुम्हें तुम्हारा ईनाम पूरा मिल जाये।
कहते हुए वो अपने कपड़े पहनने लगी और वो मुझसे बोली- थैंक्यू रितेश, आज मैं जाकर अपने हबी के लिये रंडी बन जाऊँगी।
इतना कहने के साथ वो दरवाजा खोलने लगी कि तभी मैंने सुहाना को दो मिनट तक रूकने के लिये कहा।
सुहाना फिर मुझे देखने लगी।
मैंने कहा- मैम, जाकर नहा लेना और कोई जल्दबाजी न करना लेकिन उसे संकेत देती रहना ताकि वो भी आपके साथ खुल सके।
वो फिर मेरे पास आई और मेरे होंठो को चूमते हुए बोली- रितेश, मैं चाहती तो हूँ कि तुम्हारे खड़े लंड को अपनी चूत की सैर कराऊँ लेकिन मैं रूक नहीं सकती।
'मत रूको लेकिन मुझे कल बताना!' उसकी चूत को दबाते हुए कहा कि इस चूत ने क्या कमाल किया?'
रितेश ने जब अपनी बातें खत्म की तो मैं आकांक्षा बोली- जानू मायूस न हो, तुम्हारी यह रंडी तुम्हारा इंतजार कर रही है। मेरी भी चूत में आग लगी है पर बुझी नहीं है।
कह कर मैंने भी रितेश को सारी बातें बताई जो मेरे बॉस ने मेरे साथ किया।
फिर हम दोनों ही खूब हंस रहे थे, मैंने रितेश से पूछा यार बॉस कह रहा था कि मैं तुम्हें भी अपने साथ कलकत्ता ले जाऊँ। काम का काम भी और हनीमून भी कर लो।
रितेश बोला- कह तो ठीक रहा है तुम्हारा बॉस! चलो कल मैं आ रहा हूँ, देखते हैं अगर ऑफिस से छुट्टी मिल जाये।
फिर हम दोनों ने मोबाईल पर एक दूसरे को खूब किस किया और फिर दूसरी तरफ से फोन कट गया।
कहानी जारी रहेगी।
WOW MAST UPDATE VERY EROTIC
मेरी बीवी मुझे बहुत खुश रखती है और मेरी खुशी के लिये ही उसने मुझसे अपनी गांड मेरे सुहागरात में मरवाई थी।
मेरी तरफ आश्चर्य से देखती हुई बोली- ऐसा क्यों?
तो मैंने भी बेबाक उत्तर दिया- क्योंकि सुहागरात के समय उसकी चूत चुदी हुई थी। मतलब पहले से ही चुदी चुदाई थी।
'क्या तुमने ही?'
लेकिन मैंने उसका जवाब नहीं दिया और मैं उसके निप्पल को अपने मुंह में भर कर चूसने लला जबकि वो मेरे बालों को सहलाते हुए अपने प्रश्न पूछ रही थी और मैं जवाब दे रहा था।
तभी वो बोली- इसका मतलब कि मेरा पति भी मुझसे चाहता होगा कि मैं बेडरूम में उसके सामने एक रंडी की तरह रहूँ?
'बिल्कुल वो चाहता होगा!' मैंने कहा- लेकिन तुम दोनों की झिझक के वजह से तुम दोनों न तो खुल के अपनी बात एक दूसरे से शेयर कर सकते हो और न ही खुलकर सेक्स का मजा ले सकते हो।
 
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लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-16

मैं उठी और घर के काम निपटाने के साथ-साथ मैं सूरज और रोहन (सबसे छोटा देवर) दोनों पर ही नजर रखे हुए थे, क्योंकि मैं समझ गई थी रोहन भी मेरे लिये आहें भरता ही होगा।
मेर घर पर ही मेरे लिये काफी लंड थे जो मेरी चूत में जाना चाह रहे थे।
लेकिन रोहन तो दिखा नहीं, सूरज बार-बार उत्सुकता से मेरी तरफ देख रहा था। उसके हाव भाव से ऐसा लग रहा था कि मैं तुरन्त ही नहाने चली जाऊँ, जिससे वो मुझे देख सके।
क्योंकि घर के बाकी सदस्य अभी भी सो रहे थे और शायद रोहन भी सो रहा होगा।
मुझे भी मौका सही लगा तो मैंने बाकी का काम छोड़ दिया और अपने कपड़े लेकर गुसलखाने में चली गई और अन्दर उसी छेद से मैं सूरज की गतिविधि पर नजर रखने लगी।
देखा तो सूरज भी दबे कदमों से गुसलखाने के पास आ रहा था।
लेकिन यह क्या!?!
वो सीधा लैट्रिन में घुस गया।
मेरा माथा ठनका… मैं समझने की कोशिश कर रही थी कि सूरज लैट्रिन क्यों गया होगा।
मैं अब गुसलखाने के अन्दर चेक करने लगी तो देखा तो लैट्रिन से लगी हुई दीवार के किनारे एक छेद है।
मैं वहां जाकर इस तरह खड़ी हो गई कि सूरज को यह न लगे कि मैंने उस छेद को देख लिया है।
कुछ देर ऐसे ही खड़ी रही, फिर हल्के से दूसरी तरफ देखा तो सूरज टहल रहा था। इसका मतलब यह था कि वो मुझे नंगी देखने के लिये बड़ा उत्सुक है, लेकिन अभी तक मैंने कपड़े पहने हुए थे और इसी को लेकर वो बैचेन था।
मैं उस छेद से थोड़ा दूर होते हुए इस तरह से खड़ी हुई कि मेरी गर्दन के नीचे से सूरज को अच्छी तरह से मेरे पूरे जिस्म का दर्शन हो जाये।
उसके बाद मैंने अपनी नाईटी उतार दी और अपने चूचियों को और चूत को अच्छे से सहलाने लगी ताकि सूरज को और मजा मिले।
थोड़ी देर तक तो मैं सूरज को अपने गांड, चूत और चूची का नजारा धीरे धीरे नहा कर देती रही कि तभी मुझे कुछ तेज आवाज सुनाई दी तो उसी छेद से झांककर देखा तो सूरज ही कम्बोड पर बैठा हुआ था, उसकी आंखें बन्द थी और वो बड़बड़ाते हुए मुठ मार रहा था।
मैं नहा कर निकली और कपड़े बदलने चली गई।
नीचे उतर कर देखा तो अब सूरज नहाने जा रहा था।
अब मेरी भी लालसा उसके लंड को देखने की हो रही थी।
मैं बाहर से देख नहीं सकती थी और नहा चुकी थी लेकिन देखना तो था ही, जैसे ही सूरज गुसलखाने में घुसा, वैसे ही मैंने नमिता को अपना पेट खराब होने की जानकारी देकर मैं लैट्रिन में घुस गई।
सूरज को उम्मीद नहीं रही होगी कि उसे भी कोई नंगा देखने की तमन्ना रखता है।
अन्दर घुस कर मैं उसी छेद से बाथरूम के अन्दर झांक रही थी। सूरज अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा शॉवर के नीचे खड़ा था और पानी के बौछार का आनन्द ले रहा था।
क्या जिस्म था उसका… पूरा मर्द लगता था। उसकी गांड की उभार भी क्या टाईट थे।
लेकिन मेरा पूरा ध्यान तो उसके लंड पर था और जो मैं देखना चाह रही थी।
वो जब घूमा तो उसका लंड बिल्कुल तना हुआ था और बार बार ऊपर नीचे हो रहा था।
ऐसा लग रहा था कि कोई रह रह कर नाग फुंफकार रहा हो।
सूरज भी नहा धोकर बाहर निकला और उधर मैं भी।
मैं ऑफिस के लिये तैयार होने जा ही रही थी कि नमिता मुझे टोकते हुये बोली- जब तबियत ठीक नहीं है तो ऑफिस मत जाओ।
फिर सूरज की तरफ देखते हुए बोली- सूरज, भाभी की तबियत ठीक नहीं है, तुम आज कॉलेज मत जाओ और जाकर किसी डॉक्टर के यहां दिखा दो।
सूरज को तो जैसे मन की मुराद मिल गई हो, वो तपाक से बोला- जी दीदी, जरूर! मैं भाभी को डॉक्टर के यहां चेकअप करा दूंगा।
सूरज का लंड देखने के बाद तो मेरा भी ऑफिस जाने का मन नहीं कर रहा था तो मैंने भी नमिता से बोल दिया कि मैं ऑफिस फोन करके बता देती हूँ कि आज मैं नहीं आ पाऊँगी।
लेकिन मेरे दिमाग में यह घूम रहा था कि सूरज के लंड का मजा कहाँ लूँ। घर पर नहीं ले सकती थी और बाहर होटल वो भी नहीं जंच रहा था कि मेरे दिमाग बॉस के घर पर घूमा, उसका घर पूरा खाली था और कोई भी खतरा होने के डर भी नहीं था।
यह ख्याल दिमाग में आते ही मैंने अपने बॉस को फोन किया ऑफिस न आने का कारण बता दिया।
बॉस ने खुशी खुशी छुट्टी मंजूर कर ली।
जब छुट्टी मंजूर हो गई तो मैंने अपने बॉस से कहा- बॉस, मुझे आपका एक फेवर चाहिये?
'हाँ हाँ… बोलो, मैं तुम्हारे लिये क्या कर सकता हूँ?'
'आज मेरे हबी बाहर से वापस आ रहे है और मैं उन्हें ऐन्टरटेन करना चाह रही हूँ। दिन में मैं उन्हें घर पर ऐन्टरटेन नहीं कर सकती तो मुझे आपके घर की चाबी चाहिये। जहाँ केवल मैं और मेरे हबी हों।'
वो तुरन्त ही बोले- मुझे कोई ऐतराज नहीं है, मैं ऑफिस में हूँ, जब चाहो आकर चाबी ले जाना।
मेरे लिये सब कुछ आसान हो गया था, अब सूरज के लिये मुझे तैयार होना था।
करीब दस बजे के करीब मैं थोड़े अच्छे से तैयार हुई, तभी सूरज मेरे कमरे में आया और बोला- भाभी, मैं तैयार हूँ।
फिर मुझे देखते हुए बोला- वाव भाभी, आप कितनी अच्छी लग रही हो।
लेकिन मैंने उसकी बातों को अनसुना कर दिया और अपने रूम से बाहर आ गई।
इतनी देर में सूरज ने अपनी बाईक स्टार्ट कर ली थी, मैं अन्दर सब को बता कर सूरज के साथ बाईक पर बैठ गई।
मेरे अन्दर एक अलग सी आग भड़क रही थी और चाह रही थी कि जितनी जल्दी हो सूरज मेरी बाँहों में हो।रितेश के बाद सूरज ऐसा पहला मर्द था, जिसकी बांहो में मैं खुद आना चाह रही थी।
बाईक अपनी गति से चली जा रही थी और मैं सूरज से सट कर बैठी थी और उसके कमर को अपनी बांहो से जकड़े हुए थी। पता नहीं उसे कैसा लग रहा होगा।
अभी हम घर से थोड़ी दूर ही चले थे कि मैंने सूरज से मेरे ऑफिस चलने के लिये बोला तो वह बिना कुछ बोले दस मिनट बाद मुझे मेरे ऑफिस ले आया और बोला- भाभी, आपका ऑफिस!
जैसे मैं नींद से जागी और जल्दी से बाईक उतर कर अपने ऑफिस के अन्दर घुस गई और सीधे बॉस के केबिन में।
मुझे देखते ही बॉस ने अपनी आदतानुसार मुझे बांहों में जकड़ लिया और एक चुम्मा मेरे होंठों पर चस्पा कर दिया।
मैंने बॉस से चाबी ली और चलने लगी तो बॉस ने मुझसे बोले कि मेरे हबी से वो मिलना चाहते हैं।
मैंने उन्हें उन्ही के केबिन से नीचे मोटरसाईकिल पर बैठे सूरज को दिखा दिया।
उसके बाद मैं तेजी से चलते हुए नीचे आ गई और मोटरसाईकिल पर बैठ गई, सूरज ने बाईक आगे बढ़ा दी।
उसके बाद फिर मैंने सूरज को मेरी बताई हुई जगह पर चलने के लिये कहा तो सूरज बोल उठा- भाभी, हमें तो डॉक्टर के यहाँ चलना है। 'हाँ चलती हूँ, बस एक छोटा सा काम है, निपटा लूँ, फिर डॉक्टर के यहाँ चलते हैं। उसके बाद सीधे घर चलकर मैं आराम करूंगी।'
फिर बिना कुछ बोले सूरज ने गाड़ी आगे बढ़ा दी और उसके बाद बॉस के फ्लैट पर पहुँचने से पहले मेरे और सूरज के बीच कोई बात नहीं हुई।
फ्लैट पर पहुंचने के बाद मैंने सूरज को गाड़ी पार्क करने के लिये बोला तो उसने वहीं रहकर इंतजार करने के लिये बोला।
मैं सूरज के हाथ को अपने हाथ में लेते हुये बोली- भाभी की बात मानने में बहुत मजा आता है और जो नहीं मानता है तो फिर पछताने के सिवा कुछ नहीं मिलता है।
फिर बिना कुछ बोले सूरज ने गाड़ी को पार्क किया और मेरे साथ फ्लैट के अन्दर आ गया।
कमरे के अन्दर पहुँचने पर सूरज आश्चर्य से इधर उधर देखने लगा।
उसको देख कर मैंने पूछा क्या देख रहे हो तो बोला भाभी आपने तो कहा था कि आप यहां काम से आई हो लेकिन इस फ्लैट में कोई नहीं रहता है और फिर आप बाहर से लॉक खोल कर आई हो। मैं समझा नहीं?
'मैं यहां अपना इलाज करवाने आई हूँ।'
'यहाँ कौन है जो आपका इलाज करेगा?'
'तुम…' छूटते ही मैं बोली।
सूरज की आंख आश्चर्य से और चौड़ी हो गई, हकलाते हुए बोला- मैं आपका इलाज कैसे कर सकता हूँ?
'अरे वाह, सुबह तो तुम कह रहे थे कि भाभी आप बहुत अच्छी लग रही हो और अब नादान बन रहे हो।' कहते हुए मैं उसके और समीप आ गई थी और उसके शर्ट के ऊपर ही उंगली चलाते हुए बोली- क्यों सूरज, तुम्हें अपनी भाभी को नंगी देखना कैसा लगता है?
'मैं समझा नहीं भाभी?'
'देखो बनो मत… तुम्हारे दिल की ही तमन्ना है न कि भाभी को तुम नंगी देखो। तो आज इलाज के बहाने तुम मुझे नंगी देख सकते हो। घर मैं यह मौका तो तुम्हे कभी भी नहीं मिलता इसलिये मैं तुम्हे यहां लाई हूँ।' उसके हाथ को पकड़कर मैंने अपनी चूचियों पर रख दिया- तुम अपनी इच्छा पूरी कर लो!
'भाभी…' वो कुछ बोल नहीं पा रहा था।
मैं अब पूरी बेशर्मी पर उतर आई थी, मेरा हाथ उसके तने हुए नागराज पर फिसल रहा था जो बाहर आने को बहुत बैचेन था।
'भाभी…' बस इतना ही बोल पाया था, उसका संकोच उसे आगे नहीं बढ़ने दे रहा था।
'देखो, मेरे नाम की मुठ मारने से भाभी की चूत नहीं मिलेगी। या फिर ये हो सकता है कि तुम्हारा लंड केवल मुठ मारने के लिये है न कि चूत चोदने के लिये।'
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मेरी इस बात को सुनते ही उसने मुझे तुरन्त अपनी बांहों में भर लिया और अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और थोड़ी देर मेरे होंठ को चूसने के बाद वो बोला- भाभी, अपने देवर का आज कमाल देखना। कैसे वो आपको खुश करता है।
कहते हुए उसने मुझे पलट दिया और मेरी चूचियों को टॉप के ऊपर से ही दबाने लगा।
कभी वो मेरी चूची दबाता तो कभी मेरी चूत से छेड़खानी करता और मैं आंखें बन्द किये हुये ये सब करवाती रही।
थोड़ी देर बाद उसने मेरे टॉप को मेरे जिस्म से अलग कर दिया और मेरी नंगी चूची को बिना ब्रा के देख कर बोला- वाआओ… भाभी आप तो पूरी तैयारी से आई हो? अन्दर ब्रा भी नहीं पहनी हो।
'मैं ब्रा और पैन्टी नहीं पहनती हूँ।'
'क्या कह रही हो?'
'हाँ, तेरे भाई को मेरा ब्रा और पैन्टी पहनना अच्छा नहीं लगता है।'
फिर उसने मेरी जींस भी उतार दी, मैं बिल्कुल नंगी खड़ी थी।
मेरी गर्दन को चूमते हुए बोला- भाभी, आज मेरा सपना सच हो रहा है। मैं अपनी सेक्सी भाभी को अपनी आँखों के सामने नंगी देख रहा हूँ।
कहकर वो मेरी पीठ को चूमते-चूमते मेरे गांड के पास पहुँच गया और मेरे पुट्ठे को चूची समझ कर तेज-तेज दबाने लगा।फिर उसने मेरे पुट्ठे को कस कर फैला दिया और दरार में उंगली चलाने लगा और बीच-बीच में मेरी गांड के छेद में उंगली डाल देता।
मुझे उसकी इस हरकत पर बहुत मजा आ रहा था।
सहसा वो उठा और बोला- भाभी, आज मैं आपको जी भर कर देखना चाहता हूँ।कहकर वो मेरे एक एक अंग को छूकर देख रहा था और साथ ही साथ मेरे फिगर की तारीफ एक अनुभवी खिलाड़ी की तरह किये जा रहा था।
सूरज बोला- भाभी, आज तक मैंने इतना परफेक्ट और सेक्सी फिगर नहीं देखा।
मैंने पूछा- कितनी लड़कियां अब तक?
'बहुत को चोदा है भाभी, लेकिन तुम्हारी जैसी बिन्दास और सेक्सी नहीं देखा। तुम तो पूरी की पूरी काम देवी लग रही हो।' कहकर उसने मुझे गोदी में उठाया और पास पड़े बेड पर बड़ी सावधानी से लिटा दिया और फिर अपनी उंगलियाँ मेरी चूचियों की गोलाइयों में चलाने लगा और बीच बीच में मेरे निप्पल को दबा देता।
उसके बाद वो मुझे चूमने लगा और फिर मेरी नाभि में अपनी जीभ को घुमाने लगा। सूरज जितने प्यार से मेरे जिस्म से खेल रहा था कि उसे किसी बात की कोई जल्दी नहीं है।
उसके इस तरह से मेरे जिस्म से खेलने के कारण मैं पानी छोड़ चुकी थी कि तभी उसकी उंगली ने मेरे चूत प्रदेश की यात्रा शुरू कर दी। और जैसे ही उसकी उंगली मेरे चूत के अन्दर गई तो उसकी उंगली गीली हो गई।
उसने उंगली को बाहर निकाला और अपने मुंह में ले जाकर अपनी उंगली इस तरह से चूस रहा था कि जैसे वो कोई लॉलीपॉप चूस रहा हो।
उसके बाद वो बोला- भाभी, तेरी गीली चूत को प्यार करने में बड़ा मजा आयेगा।
कहकर उसने मेरी दोनों टांगों को जो अब तक एक दूसरी से चिपकी हुई थी, अलग कर दिया और अपनी जीभ से हौले-हौले चाटने लगा।
अभी तक उसने अपने एक भी कपड़ा नहीं उतारा था और न ही अपने लंड को मसल रहा था।
सूरज अपनी जीभ के साथ-साथ अपने दोनों हाथों का प्रयोग भी कर रहा था, कभी वो मेरी क्लिट से छेड़खानी करता तो कभी कण्ट से… तो कभी अपनी उंगली मेरी चूत के अन्दर डालकर अन्दर खरोंच करता जैसे कोई छोटी शीशी के तले से चाशनी निकाल रहा हो।
मेरे मुंह से 'उफ ओह उफ ओह…' के अलावा कुछ नहीं निकल रहा था।
उसकी इस प्यारी हरकत के कारण मेरे मुंह से कुछ नहीं निकल पा रहा था।
बड़ी मुश्किल से मैं बस इतना ही बोल पाई- सूरज, भाभी को पूरी नंगी देख लिया और खुद इतना शर्मा रहे हो कि भाभी के सामने नंगे भी नहीं हो पा रहे हो।
'सॉरी भाभी, मैं आपके नंगे जिस्म में इतना खो गया था कि मुझे याद नहीं कि मैंने अभी तक अपने कपड़े नहीं उतारे।'
फिर वो तुरन्त ही खड़ा हुआ और अपने पूरे कपड़े उतार दिये।
क्या लंबा लंड था उसका… बिल्कुल टाईट। वो लंड नहीं ऐसा लग रहा था कि कोई ड्रिलिंग मशीन हो।
मैं तुरन्त खड़ी हो गई और उसके लंड को हाथ में लेकर बोली- जब तुम्हारे पास इतना बढ़िया औजार था तो अभी तक मुझसे इसको छिपाया क्यों?
कह कर मैंने अपनी जीभ उसके सुपारे के अग्र भाग में लगा दी। उसके लंड से भी रस की एक दो बूंद टपक रही थी जो अब मेरे जीभ का स्वाद बढ़ा रही थी।
मैं भी अब उसके लंड को अपने मुंह में रखकर चूसने लगी।
बड़ा ही कड़क लंड था उसका… अब सूरज ज्यादा उत्तेजित हो रहा था।
उसने मेरा सिर कस कर पकड़ा और मेरे मुंह को ही चोदने लगा। उसका लंड बार बार मेरे गले के अन्दर तक धंस रहा था, जिसकी वजह से बीच-बीच में मुझे ऐसा लगता था कि लंड अगर मेरे मुंह से नहीं निकला तो मैं मर जाऊँगी।
थोड़ी देर तक मेरे मुंह को चोदने के बाद सूरज ने एक बार फिर मुझे गोद में उठाया और पास पड़ी हुई डायनिंग टेबिल पर लेटा दिया। उसके बाद सूरज ने मेरे दोनों पैरों को हवा में फैलाते हुए उसे एक दूसरे से दूर करते हुए अपने लंड को मेरी चूत के मुहाने में सेट किया और एक तेज झटका दिया।
गप्प से उसका लंड मेरी चूत के अन्दर जाकर फिट हो गया।
सूरज हवा में ही मेरे दोनों टांगो को पकड़े हुए ही अब मुझे चोदे जा रहा था और मैं इस समय एक ब्लू फिल्म की हिरोइन की तरह चुद रही थी।
इस पोजिशन में चोदने के बाद उसने मुझे अपनी गोद में उठा कर ही मुझे चोदने लगा।
मैं डिस्चार्ज हो चुकी थी, लेकिन वो मुझे चोदे ही जा रहा था।
एक बार फिर सूरज ने मुझे डायनिंग टेबिल पर लेटा दिया और बोलने लगा- भाभी, मेरा निकलने वाला है, जल्दी बोलो कहाँ निकालूँ?
मैं तुरन्त बोली- मेरे मुंह में!
मेरे इतना कहने पर सूरज मुझसे अलग हो गया और मैं उठ गई और सूरज के लंड को अपने मुंह में लेकर उसके निकलते हुए रस को पीने लगी।
सूरज 'आ… ओ… आ…' करके अपने लंड को हिलाये जा रहा था।
उसने भी अपना लंड मेरे मुंह से तब तक नहीं निकाला जब तक कि उसके रस का एक एक बूंद मेरे गले से नहीं उतर गई।
उसके बाद सूरज ने मेरी बगल में हाथ लगा कर मुझे उठाया और डायनिंग टेबल पर बैठा दिया और फिर मेरी टांगों को फैलाते हुए उसने अपने मुंह को मेरी चूत के मुहाने में रख दिया और मेरे अन्दर से निकलते हुए रस को चाटने लगा।
उसके बाद मैं और सूरज दोनों ही एक दूसरे के होंठों के एक बार फिर चूमने लग थे।
बॉस के घर के बॉलकनी में एक आराम चेयर रखी हुई थी सूरज उसे लेकर अन्दर आ गया और उसमे बैठकर अपनी दोनों टांगों को फैला कर मुझे अपने ऊपर बैठा लिया।
हम दोनों के एक-एक अंग चिपके हुए थे, उसके दोनों हाथ मेरे पेट को कसे हुए थे और उसके होंठ मेरे गर्दन को पुचकार रहे थे।
थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही शांत पड़े रहे, फिर सूरज ही बोला- भाभी, कई लड़कियों के चूत को मेरे इस लंड ने चोदा है पर जितना मजा आज आया है, वो मजा मुझे पहले कभी नहीं मिला है।
'अच्छा तो मेरे देवर को लड़कियाँ अपनी चूत देने के लिये तैयार रहती हैं।' कहकर मैं हँसने लगी और सूरज ने मेरी निप्पल को कस कर मसल दिया।
मेरे मुंह से केवल 'उईईई ईईईई…' ही निकल पाया और अब सूरज हंस रहा था।

कहानी जारी रहेगी।
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'बहुत को चोदा है भाभी, लेकिन तुम्हारी जैसी बिन्दास और सेक्सी नहीं देखा। तुम तो पूरी की पूरी काम देवी लग रही हो।' कहकर उसने मुझे गोदी में उठाया और पास पड़े बेड पर बड़ी सावधानी से लिटा दिया और फिर अपनी उंगलियाँ मेरी चूचियों की गोलाइयों में चलाने लगा और बीच बीच में मेरे निप्पल को दबा देता।
उसके बाद वो मुझे चूमने लगा और फिर मेरी नाभि में अपनी जीभ को घुमाने लगा। सूरज जितने प्यार से मेरे जिस्म से खेल रहा था कि उसे किसी बात की कोई जल्दी नहीं है।
उसके इस तरह से मेरे जिस्म से खेलने के कारण मैं पानी छोड़ चुकी थी कि तभी उसकी उंगली ने मेरे चूत प्रदेश की यात्रा शुरू कर दी। और जैसे ही उसकी उंगली मेरे चूत के अन्दर गई तो उसकी उंगली गीली हो गई।
उसने उंगली को बाहर निकाला और अपने मुंह में ले जाकर अपनी उंगली इस तरह से चूस रहा था कि जैसे वो कोई लॉलीपॉप चूस रहा हो।
उसके बाद वो बोला- भाभी, तेरी गीली चूत को प्यार करने में बड़ा मजा आयेगा।
 
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लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-18


एक बार फिर बेड पर मैं अपने देवर सूरज की बांहो में लेटी हुई थी।
मैंने सूरज से आगे की कहानी बताने को कहा तो सूरज बोला- भाभी, उसके बाद अब हम दोनों रोज ही एक दूसरे के समान से खेलते और पढ़ाई कर रहे थे।
फिर रविवार का दिन आया और रागिनी का फोन आया और बोली कि उसका बर्थडे है और मैं तुरन्त ही उसके घर पहुंचूँ।
मेरे खुरापाती दिमाग में ख्याल आया कि रागिनी की चूत फड़क रही है, मैं तुरन्त ही तैयार होकर रागिनी के घर की ओर चल दिया।
घर का दरवाजा रागिनी ने ही खोला, रागिनी बहुत ही सेक्सी नजर आ रही थी, जिससे मुझे और मेरी सोच को बल मिला।
उसने बहुत ही छोटी टॉप और स्कर्ट पहना हुआ था, अगर वो सोफे पर भी बैठ जाये तो उसके सामने बैठे हुए बन्दे को उसका पूरा योनि प्रदेश मुफ्त में ही देखने को मिलेगी। रागिनी ने बहुत ही ज्यादा मेक अप किया हुआ था।
मैं अन्दर पहुँचा, देखा कि अन्दर मेरे और रागिनी के अतरिक्त कोई नहीं था, मैंने रागिनी से कहा- रागिनी अगर तेरे को गांड मरवानी थी तो सीधे बोल देती कि आज घर में कोई नहीं है, तो मैं थोड़ा जल्दी आ जाता।
मेरी बात को इगनोर करते हुये बोली- बता गांडू, मैं कैसे लग रही हूँ?
'इतनी सेक्सी कि मेरा मन कर रहा है कि अभी ही तुझे चोद दूं!'
'इसीलिये तो मेरे गांडू, तुझे बुलाया है कि आज तेरे साथ मैं अपना बर्थडे मना लूँ!'
कहकर रागिनी मुझे अपने कमरे में ले गई और मुझे बेड पर बैठाते हुए वो अपनी पैन्टी को इस प्रकार उतारने लगी कि मुझे उसके स्कर्ट के अन्दर कुछ भी न दिखे।
पैन्टी उतारकर मुझे देती हुई बोली- हमारे पास पूरे दो घंटे है, मुझे आज खूब मजा दो। आज तुम मुझे मसल दो। अच्छे से मेरा बर्थडे मना दो।
जैसे ही उसकी पैन्टी मेरे हाथ में आई तो मुझे गीली लगी।
इसका मतलब आज वो सिर्फ मेरे बारे में ही सोच रही थी और जैसे ही उसे पता चला कि आज वो घर में दो-तीन घंट के लिये अकेली रहेगी तो वो मेरे बारे में और सोच सोच कर उत्तेजित हो गई और पैन्टी ही अपने रस को निकाल दिया।
मैंने उसकी पैन्टी सूंघी और उसको चाटने लगा।
पैन्टी चाटने के बाद मैं घुटने के बल उसके पास बैठ गया और उसके स्कर्ट को ऊपर उठाकर उसकी चूत को भी सूंघने लगा।
उसकी चूत की महक बहुत ही अच्छी लग रही थी हालांकि उसकी चूत में झांटें काफी बड़ी हो गई थी।
मैंने अपने पूरे कपड़े उतार दिए और अपने लंड को रागिनी को दिखाते हुए उसे चूसने के लिये कहा। रागिनी बिना कोई प्रतिरोध किये मेरे लंड को चूसने बैठ गई।
पहली बार रागिनी ने लंड को अपने मुंह में लिया था तो उसके दांत मेरे लंड में गड़ रहे थे लेकिन धीरे-धीरे वो मेरे लंड को सही तरीके से चूसने लगी।
अब मुझे लगने लगा कि मेरा माल निकलने वाला है तो मैंने अपने लंड को रागिनी के मुंह से निकाला और उसकी पैन्टी को लंड पर लगाते हुए मूठ मारने लगा।
आज किसी बात का डर नहीं था सो वो भी बड़े मजे से मुझे मुठ मारते हुए देख रही थी।
दो चार हाथ चलाने के बाद मेरा पूरा वीर्य उसकी पैन्टी में आ गया। रागिनी पैन्टी लेकर बड़े ही प्यार से मेरे माल को चाटने लगी।
पैन्टी को चाटने के बाद रागिनी ने मेरे लंड में बचे हुए माल को साफ किया और फिर मुझसे चिपकते हुए बोली- गांडू, मैंने तेरे को पूरा नंगा देख लिया है अब तू मेरे कपड़े उतार कर मुझे पूरा नंगा देख!
मैंने तुरन्त ही उसके कपड़े उसके बदन से अलग किए। उसके नंगे जिस्म को देखकर पूरा विश्वास हो गया कि रागिनी अभी कोरी है और आज उसका कोरापन मैं ही खत्म करूंगा।
मैं आकांक्षा अपने देवर सूरज की कहानी में इतना डूब चुकी थी कि उसने मुझे झकझोरा और पूछने लगा- कहाँ खो गई भाभी?
मैं बोली- काश, मैं भी पैन्टी पहनती तो तुमसे अपनी पैन्टी चटवाती।
सूरज हंसने लगा और बोला- वो तो ठीक है, लेकिन आप कहां खो गई थी?
'तुम जो कहानी सुना रहे हो, उसमें मैं अपने आपको ही रागिनी समझने लगी।'
सूरज बोला- तो यह बात है और मैं सोच रहा था कि आप पूछोगी कि तुम कैसे जाने कि रागिनी कोरी होगी।
मैंने भी उसकी हां में हां मिलाते हुए कहा- तो बताओ कि तुमने कैसे जाना कि रागिनी कोरी होगी।
'क्योंकि उसके चूचे सख्त थे और चूचुक भी काफी छोटे थे मतलब वो अभी चूसे हुए नहीं थे। और जब मैंने उसकी चूत पर हाथ फेरा तो उसके मुलायम झांटों के बीच उसकी बुर भी बहुत मुलायम थी।
मैंने उसकी चूत सूंघने के बाद उसे घुमाया और उसके गांड के फांकों को फैलाया तो उसकी गांड का छेद क्या लाल लाल था।
मेरे होंठ अपने आप ही उसकी गांड को चूमने लगे और रागिनी गहरी गहरी सांसें लेने लगी।
गांड चूमने के बाद मैं खड़ा हो गया और रागिनी को अपनी बांहो में भर लिया।
क्या गर्म जिस्म था उसका।
फिर मैंने उसे बिस्तर पर लेटाया और उसकी अमरूद जैसी चूची को मुंह में भर लेता और चूसता खास कर उसकी निप्पल को… और उसके जिस्म के हर हिस्से से मैं छेड़खानी कर रहा था।
कभी मैं उसके जिस्म से छेड़खानी करता और कभी वो मेरी ही नकल मेरे जिस्म में उतारती।
इस तरह बारी-बारी से हम दोनों एक दूसरे के जिस्म से छेड़खानी कर रहे थे कि मेरी नजर रागिनी के हाथों की तरफ गई तो देखा कि रागिनी अपनी चूत को तेज-तेज खुजली कर रही थी।
मैंने उसके हाथ को हटाया और उसकी जांघों के बीच आकर बैठ गया और अपने लंड से उसकी चूत को सहलाने लगा।
क्या गर्म थी साली की चूत… ऐसा लग रहा था कि कोई दहकती हुई भट्टी हो।
जब मैं अपने लंड से उसकी चूत को सहलाने लगा तो रागिनी बोल उठी- बस सूरज, ऐसे ही सहलाते रहो, बड़ा अच्छा लग रहा है।
मैंने उसके कहेनुसार अपने लंड को उसकी बुर में सहलाना चालू रखा और जब मुझे विश्वास हो गया कि रागिनी खूब मस्त हो गई है तो मैंने एक झटके में अपने लंड को उसकी चूत में पेल दिया।
अचानक हुए इस हमले से वो बिलबिला गई और चिल्लाने लगी। यह तो अच्छा था कि उस वक्त घर में कोई नहीं था।
मैंने तुरन्त ही उसके मुंह में हाथ रखा लेकिन रागिनी अपने हाथों पैरों को पटक रही थी और बार-बार मेरी पीठ पर अपने मुक्के जमाये जा रही थी और अपने से अलग करने की कोशिश कर रही थी।
मैं उसके मुंह में हाथ रखते हुए उसकी चूची को मुंह में लेकर बारी-बारी चूसने लगा।
जब धीरे-धीरे रागिनी ने अपने हाथ पांव को पटकना बंद कर दिया तो मैंने उसके मुंह से हाथ हटाया तो छुटते ही बोली- हरामजादे मुझे मार कर ही दम लेगा क्या?
मैंने उसकी बात को अनसुना कर दिया और उसके चूची को मुंह में लेकर जब तक पीता रहा जब तक कि रागिनी के अन्दर फिर से एक बार उत्तेजना बढ़नी शुरू न हो गई।
इस बार रागिनी अपनी कमर उठा कर मेरे लंड को पूरा का पूरा अपने अन्दर लेने की कोशिश करने लगी।
मैंने लोहे को गर्म देखा तो तुरन्त ही एक चोट और पहुँचा दी लेकिन इस बार रागिनी ने चिल्लाने के साथ साथ अपने नाखूनों को मेरी पीठ में गड़ा दिया।
मैं भी इस तरह नाखून को गड़ा देने से बिलबिला उठा लेकिन अपने ऊपर संयम रखते हुए उसके दिये हुए दर्द को बर्दाश्त करने लगा और उसके जिस्म से एक बार फिर जब तक खेलता रहा और रागिनी को दुबारा जोश दिलाने लगा।
जोश आने के बाद रागिनी सब कुछ भूल गई और कमर उठा कर एक बार फिर मेरे लंड को अपने अन्दर लेने लगी।
रागिनी का कुंवारापन खत्म हो चुका था, अब वो कमर उचका उचका कर मजे लेने लगी और थोड़ी देर बाद ढीली पड़ गई और हांफने लगी और अपने हाथ-पैरों को इस तरह ढीला छोड़ दिया कि वो चाह रही हो कि भाई मैं पड़ी हूं और तुम्हे जो कुछ भी मेरे साथ करना हो कर लेना।
उसके कुछ देर बाद मुझे अहसास हुआ कि मैं भी अब खलास होने वाला हूं तो मैंने अपना लंड निकाल लिया और रागिनी की चूत के ऊपर अपने वीर्य को गिरा दिया, फिर उसके बगल में लेटा रहा।
रागिनी मुझसे बोली- सूरज, अन्दर बहुत जलन हो रही है।
मैं बोला- तुम्हारे अन्दर की झिल्ली फटी है, इस वजह से जल रहा है। उठो, उठ कर अपनी चूत को धो लो, मैं क्रीम लगा देता हूँ, कुछ देर बाद जलन दूर हो जायेगी।
जब हम दोनों ही बिस्तर से उठे तो देखा कि उसके खून से बिस्तर का एक खास हिस्सा सना हुआ था। खून देख कर वो मेरी ओर देखने लगी तो मेरे बताने के बाद उसकी आंखें फटी की फटी रह गई, उसने अपनी जलन को भूलती हुई चादर को उठाया और वाशरूम में ले जाकर साफ करने लगी।
मैंने रागिनी को दिलासा देते हुए कहा कि कोई पूछे तो माहवारी बता देना और बोल देना कि मैं गहरी नींद में सोई थी पता नहीं कब हो गया।
शायद रागिनी को मेरी बात समझ में आ गई थी, इसलिये उसने जितनी चादर धोई थी, उसके बाद उसे वहीं छोड़ दिया।
और फिर मैंने उसकी चूत को साफ करने के बाद चूत के अन्दर क्रीम लगा दी।
फिर हम दोनों ने अपने कपड़े पहने।
रागिनी ने अपनी उस सेक्सी ड्रेस को अलमारी में छिपा दिया और फिर से सलवार सूट पर आ गई।
उसके घर वालों के आने का समय हो चुका था इसलिये उसने मुझे जल्दी जाने के लिये बोला और बोली- बर्थडे गिफ्ट देने के लिये शुक्रिया।
कहानी सुनते सुनाते एक बार फिर हम दोनों देवर भाभी को जोश चढ़ गया और सूरज एक बार फिर मेरी सवारी करने लगा और इस समय उसका जोश केवल मैं ही महसूस कर सकती थी।

कहानी जारी रहेगी।
 
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WOW MAST HOT & EROTIC UPDATE
अजीब बात यह थी कि अगला कह रहा है कि खाना तो तुम्हारे लिये ही है लेकिन उसे बिना हाथ लगाये खाओ।
मेरी बॉस सुहाना की हरकतों में कमी भी नहीं आ रही थी, वो लगातार मुझे उत्तेजित करने के लिये कुछ न कुछ किये जा रही थी। उसने एक बार फिर अपने हाथ को मेरे सीने के पास पहुँचाया और नाखून से मेरे निप्पल को कचोटने लगी।
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WOW MAST UPDATE VERY EROTIC
मेरी बीवी मुझे बहुत खुश रखती है और मेरी खुशी के लिये ही उसने मुझसे अपनी गांड मेरे सुहागरात में मरवाई थी।
मेरी तरफ आश्चर्य से देखती हुई बोली- ऐसा क्यों?
तो मैंने भी बेबाक उत्तर दिया- क्योंकि सुहागरात के समय उसकी चूत चुदी हुई थी। मतलब पहले से ही चुदी चुदाई थी।
'क्या तुमने ही?'
लेकिन मैंने उसका जवाब नहीं दिया और मैं उसके निप्पल को अपने मुंह में भर कर चूसने लला जबकि वो मेरे बालों को सहलाते हुए अपने प्रश्न पूछ रही थी और मैं जवाब दे रहा था।
तभी वो बोली- इसका मतलब कि मेरा पति भी मुझसे चाहता होगा कि मैं बेडरूम में उसके सामने एक रंडी की तरह रहूँ?
'बिल्कुल वो चाहता होगा!' मैंने कहा- लेकिन तुम दोनों की झिझक के वजह से तुम दोनों न तो खुल के अपनी बात एक दूसरे से शेयर कर सकते हो और न ही खुलकर सेक्स का मजा ले सकते हो।
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