Erotica लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग (सम्पूर्ण)

Active member
896
1,810
123
लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-21

सुहाना की बात पर हम दोनों ने उसे गांड और चूत दोनों के मजे साथ साथ लेने पर बधाई दी।

सुहाना हँसने लगी।
फिर रितेश बोला- मेरा गिफ्ट?
सुहाना बोली- उसको मैं भूली नहीं हूँ।
तभी मैं बोल पड़ी- सुहाना, अगर आप चाहे तो मैं-रितेश और टोनी और मीना एक कपल नोएडा के हैं, हम लोग स्वैपिंग करते हैं।
सुहाना बोल पड़ी- ये स्वैपिंग क्या होता है?
तो मैंने सुहाना को बताया कि इस खेल में कपल्स होते हैं, एक मर्द दूसरे की बीवी से उसके सामने ही सेक्स करता है यानि की अदला बदली कर के!
सुहाना- इसका मतलब तुम भी रितेश के सामने दूसरे मर्द से चुदवाती हो?
मैं- हाँ, शुरू शुरू में अच्छा नहीं लगा पर अब मजा आता है। अगर तुम चाहो तो तुम भी आशीष के साथ मेरे ग्रुप में शामिल हो सकती हो, बहुत मजा आयेगा।
'चलो देखते हैं, मुझे तो ये बड़ा डेयरिंग खेल लग रहा है, पता नहीं आशीष मानेगा या नहीं!'
फिर बाकी इधर उधर की बात होने लगी और फिर सुहाना ने यह कहकर फोन काट दिया कि एक दो दिन में वो फोन करेगी।
सुहाना की कहानी सुनकर हम दोनों काफी उत्तेजित हो चुके थे तो फोन कटते ही रितेश ने मुझे पटक दिया, मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया और तेज तेज चोदने लगा।
थोड़ी देर बाद वो डिस्चार्ज हो गया और मेरे ऊपर लेट गया।
रितेश हाँफ रहा था।
वो फिर मेरे से अलग हुआ तो मेरी उंगली अपने आप ही मेरी चूत की तरफ चली गई और हम दोनों की जो मिक्स मलाई मेरी चूत से बाहर आ रही थी, उसको उंगली पर लेकर उसका स्वाद लेने लगी।
मेरी देखा देखी रितेश भी अपनी उंगली से मिक्स मलाई को चाटने लगा।
हम दोनों का कोटा पूरा हो चुका था, अब मुझे इंतजार था कि रात में रितेश के साथ उसकी बहन की चुदाई को देख कर आनन्द लेने का।
फिर मुझे ऑफिस वाला प्रोपोजल याद आया तो रितेश ने कहा- मैं अपने ऑफिस में जाकर बात करता हूँ। अगर छुट्टी मिल जायेगी तो हम दोनों कलकत्ता में हनीमून मनायेंगे।
उसके बाद हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और नीचे आ गये।
रितेश घर के बाकी सदस्यों के साथ बात कर रहा था जबकि मैं और नमिता शाम के खाने की तैयारी में लग गये थे।
चूंकि घर के सभी सदस्य बड़े से छोटे तक चाहते थे कि मैं घर में गाउन ही पहन कर रहूँ तो फिर मैंने भी मन में ठान लिया था कि अब मैं घर में मटकते हुए चलूँगी ताकि सबको मेरी मटकती हुई गाण्ड का भी मजा मिले।
हम लोग खाना बना ही रहे थे कि अचानक बाबूजी ने सबको बुलाया और करीब 20-22 रिश्तेदारो के आने की खबर दी जो मुझसे मिलने कल ही आ रहे हैं और मुझसे पूछने लगे कि दो दिन रहेंगे, तुम्हें तो ऐतराज तो नहीं है।
मैं न भी कैसे करती।
रितेश मेरे पास आया और बोला- लो दो दिन के लिये फिर मुश्किल हो गई तो आज रात तैयार हो जा, तेरी खूब गांड और चूत चोदूँगा। मुझे भी क्या चाहिए था, रितेश का लंड ही तो चाहिये था।
खाना खाते खाते यह तय हुआ कि जितनी लेडीज आयेंगी वो ऊपर मेरे और नमिता के कमरे में रहेंगी और जेन्टस हॉल में तथा विजय और रितेश के कमरे में रहेंगे।
चूंकि सासू मां ने पहले से ही मना कर दिया कि कोई भी उनके कमरे में नहीं रहेगा तो बस उनसे यही कहा गया कि यदि मेहमानों की सख्या अधिक हुई तो मैं और नमिता ही उनके कमरे में रात को सोयेंगे।
सासू मां इस बात पर मान गई।
हम लोग खा-पीकर एक बार फिर सब अपने अपने कमरे में चले गये।
कमरे में पहुँचते ही मैंने हल्की सी रोशनी की ताकि देखने वाले देख सकें।
मैं जैसे ही अपना गाउन उतराने लगी तो देखा कि रितेश नंगा खड़ा है, मुझे देखकर मुस्कुराते हुए कहा- यार अपना कमरा अपना ही होता है, कोई रोक टोक नहीं।
मैंने अपना गाउन उतारा और रितेश की बांहो में अपने को समेट लिया।
तभी मुझे हल्की सी आवाज दरवाजे के बन्द होने की आई, इसका मतलब था कि अमित और नमिता दोनों ऊपर आ गये हैं और उन्होंने ही दरवाजा बंद किया है।
उसी समय मैंने रितेश से थोड़ी उँची आवाज में कहा- रितेश, आज 69 की पोजिशन करके तुम मेरी चूत चाटो और मैं तुम्हारे लंड को चूसूँ, लेकिन खड़े वाली 69 की पोजिशन!
चूंकि रितेश भी काफी हृष्ट-पुष्ट था तो वो तैयार हो गया।
मेरी नजर खिड़की पर ही थी जहाँ पर नमिता और अमित दोनों खड़े होकर हमे देख रहे थे।
रितेश ने मुझे उठाया और हवा में ही मुझे उल्टा कर दिया, मेरा मुंह उसके लंड पर आ गया। अब हमारी पोजिशन काफी रोचक थी और शायद बाहर से देखने वालों के लिये भी।
मैं रितेश के लंड को चूस रही थी, रितेश मेरी चूत का रसास्वादन कर रहा था।
काफी थ्रिल था।
थोड़ी देर बाद रितेश ने मुझे अपनी गोद से उतारा और मुझे घोड़ी बनने का इशारा किया।
मैंने जानबूझ कर खिड़की की दीवार से अपने को सपोर्ट दिया, मैं देखना चाहती थी कि नमिता को कैसा लग रहा है। खिड़की की एक तरफ नमिता और दूसरी तरफ अमित छुप कर अन्दर के नजारे का मजा ले रहे थे।
रितेश ने मेरी गांड में थूक लगाया और एक झटके में अपने लंड को मेरी चूत के अन्दर पेल दिया।
'उईईई ईईईई मां… मादरचोद हमेशा इसी तरह से मेरी गांड मारोगे कि कभी प्यार से भी?'
'अरे बहन की लौड़ी, जब तेरी गांड ही इतनी मस्त है तो मैं अपने को कैसे रोकूँ?'
'तो यह बात है- तुमको सिर्फ मेरी गांड ही मस्त लगती है चूत नहीं?'
यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
रितेश बोला- नहीं डार्लिंग, चूत तो तुम्हारी दुनिया की सबसे मस्त चूत है। इतनी चूत चोदी, लेकिन जब तक तेरी चूत न चोदूँ तो मजा नहीं आता है। आज तो पूरी रात मेरा लंड तुम्हारी चूत और गांड की सेवा करेगा। क्योंकि कल से फिर दो तीन दिन के लिये अपना मिलन जरा मुश्किल है।
कहकर वो जोर-जोर से मेरी चूत और गांड का बाजा बजाने लगा और साथ ही साथ मेरे चूतड़ पर कसकर तड़ी मारता और जोर-जोर से मेरी चूची को मसलता।
दर्द के कारण मेरे मुंह से सीत्कार निकल जाती।
इधर वो दोनों मेरी बात को सुनकर एक दूसरे को कमरे में चलने का इशारा कर रहे थे लेकिन मेरी नजर में ना आ जायें इसलिये वो वहीं रूके रहे।
तब तक रितेश मेरी कायदे से बजा चुका था और चिल्ला रहा था- मैं झड़ने वाला हूँ!
उसको सुनकर मैं तुरन्त ही नीचे बैठ गई और उसके लंड को अपने मुँह में लेकर उसके माल को जैसा कि आप सभी समझ गये होंगे, लेकर मैंने क्या किया होगा।
इधर मुझे दौड़ने की आवाज आई और यही दौड़ने की आवाज रितेश ने भी सुनी।
वो बोला- आकांक्षा, ऐसा लगा कि कोई दौड़ रहा है।
मैं जानती थी कि दौड़ने वाले कौन है लेकिन मैंने रितेश को टाल दिया, मैं चाहती थी कि आज रितेश भी चुदाई को लाईव देखे, मैं जानती थी कि अगर मैं रितेश को अमित और नमिता की चुदाई देखने के लिये कहूँगी तो हो सकता है वो मना कर दे।
इसलिये मैं बोली- रितेश, आओ छत पर चलें।

कहानी जारी रहेगी।
 
50
74
18
लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग
748_450-414x445.gif
Credit goes to original writer only
WOW THAT'S THE SPIRIT :clapclap:
 
50
74
18
लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-1

मेरा नाम आकांक्षा है।
Biography-of-Akanksha-Singh.jpg

यह मेरे साथ बीती हुई वो घटना है जिसका जिक्र मैं नहीं कर पा रही थी और अपने मन में नहीं रख पा रही थी।
पर भला हो अन्तर्वासना और शरद जी, जिन्होंने मेरी कहानी को अपने शब्द में मेरी इस घटना को पिरोया है, जिसकी वजह से मैं अपनी यह घटना आप लोगों तक पहुँचा पा रही हूँ।

कहानी शुरू करने से पहले मैं आप सभी से माफी इसलिये मांगती हूँ क्योंकि मैंने इस कहानी में खूब खुल कर जिस्म के अंगों के नाम लिये हैं ताकि आप लोग जब कहानी पढ़ें तो कहानी का मजा खुल कर लें।

मेरी कहानी मेरी कॉलेज लाईफ से शुरू हो जाती है।
मेरा Boy Friend जिसका नाम रितेश है,
ritesh_deshmukh_1497629710.jpg
जो बाद में मेरे जीवन का हमसफर भी बना।

शुरू शुरू में जब हमने कॉलेज ज्वाईन किया तो केवल हम दोनों क्लास मेट ही थे।

वो पढ़ने में भी बहुत अच्छा था इसलिये मेरी उससे दोस्ती भी हो गई।
हमने पढ़ाई में ही तीन समेस्टर निकाल दिये।

वो मेरी बहुत हेल्प करता, लेकिन कॉलेज टाईम में ही… न तो उसने कभी मेरे घर आने की कोशिश की और न ही उसने मुझे अपने घर बुलाया।

हाँ… उसमें एक अजीब आदत थी, वो यह कि जब कभी भी ममैं उसके पास किसी प्रॉब्लम को लेकर जाती तो वो मेरी प्रॉब्लम सोल्व तो करता लेकिन बीच-बीच में मेरे उरोजों में झाँकने की कोशिश जरूर करता और मेरे उरोजों की गहराइयों को मापने की कोशिश करता।
शुरू में तो मुझे बड़ा अजीब से लगता पर बाद में उसकी इस हरकत का असर होना ही बंद हो गया।
हम दोनों लोकल ही थे।

अरे हाँ… मैं तो अपना पूरा परिचय देना तो भूल ही गई।
मेरा नाम आकांक्षा है, मैं लखनऊ की रहने वाली हूँ, पाँच फुट पाँच इंच लम्बी हूँ। मेरे यौवन के दिनों का फिगर 28-30-28 था। न तो मेरी छाती ही ठीक से विकसित हुई थी और न ही मेरे शरीर का दूसरा अंग।

मैं बहुत दुबली पतली थी फिर भी कॉलेज के लड़के मुझे लाईन मारने से नहीं चूकते थे।
कामेन्ट तो ये होते थे कि एक बार मिल जाये तो इसकी चूची दबा-दबा कर बड़ी कर दूँ तो ये और मस्त माल लगेगी।

शुरू में मुझे बहुत बुरा लगता था और रोना भी आता था।
लेकिन धीरे-धीरे आदत होती गई और कभी-कभी लड़को की कमेन्ट सुनकर जब मैं घर पहुँचती थी तो शीशे के सामने नंगी खड़ी हो जाती थी और अपने छोटे छोटे लटके हुए अपने उरोजों को निहारती और अपने हाथों से दबाने की कोशिश करती।

खैर अब मैं तो शादीशुदा हूँ और मेरे उरोज भी काफी बड़े, सुडौल और आकर्षक हो गये हैं।
बात चौथे समेस्टर की है, एक प्रोजेक्ट मिला था, वो मुझसे पूरा नहीं हो पा रहा था और रितेश कॉलेज से समय नहीं दे पा रहा था।
कई दिन टल जाने के बाद एक दिन मैंने मन में ठान लिया कि रितेश के घर पर ही प्रोजेक्ट पूरा करूँगी।
ऐसा सोचते ही मैं एक दिन रितेश के घर दोपहर में पहुँची तो उसकी माँ ने दरवाजा खोला।

नमस्ते करने के बाद उन्होंने मुझे दूर से ही रितेश का कमरा दिखा दिया।
उस समय शायद रितेश की माँ के अतिरिक्त घर में कोई नहीं था।

मैं सीढ़ियों से चढ़कर रितेश के कमरे की तरफ बढ़ रही थी, कमरे के पास पहुँच कर मैं ठिठकी।
रितेश के कमरे का परदा हिल रहा था और उस परदे के हिलने से बीच-बीच में अन्दर क्या हो रहा है, दिखाई पड़ रहा था।

उसी बीच मैंने देखा कि रितेश कान में ईयर फोन लगा कर बिल्कुल नंगा बैठा है और अपने अंगूठे से अपने लंड के अग्र भाग के ऊपर चलाता और फिर उंगली को अपनी जीभ से चाटता।

मैं एकदम शॉक्ड हो गई रितेश का यह रूप देख कर…
मैं थोड़ी देर खड़ी रही और रितेश को देखती रही।

रितेश की हरकत और नंगा बदन देख कर मेरे शरीर में हल्की से अकड़न होने लगी और मुझे लगा कि मेरे शरीर से कुछ निकल रहा है। स्वत: ही मेरे हाथ मेरे नाजुक अंग पर चले गये और मुझे कुछ गीलापन सा लगा।

उस समय मैंने सलवार सूट पहना हुआ था तो सलवार के ऊपर से ही उस नाजुक स्थान को साफ करने लगी।

मेरा दिमाग में अब रितेश को नंगा देखने का खुमार चढ़ चुका था।
मैंने थोड़े से परदे को हटाते हुए उसको आवाज लगाई और ऐसे कमरे में प्रवेश किया जैसे मैंने कुछ देखा ही नहीं हो।

इस तरह अचानक मेरे अन्दर आने से रितेश हड़बड़ा गया और पास पड़ी हुई टॉवल को अपने नीचे के नंगे अंगों को छुपा लिया।
'ओह… I am sorry… बोल कर मैं वापस जाने लगी तो रितेश मुझे रोकते हुये बोला- कोई बात नहीं, अब अन्दर आ ही गई हो तो बैठो।
मैंने बैठते हुए पूछा- तुम नंगे बैठे हो कोई ऊपर नहीं आता क्या?
वह तौलिये को लपटते हुए खड़ा हुआ और दरवाजे को अन्दर से बन्द करते हुये बोला- शायद आज मैं दरवाजा बन्द करना भूल गया। तुम बताओ कैसे आना हुआ?

'वही प्रोजेक्ट में तुम मेरी मदद करो।'
वो बोला- ओह…

फिर मेरे कंधे पर हाथ रखते हुये बोला- तुम्हें भी मेरी मदद करनी होगी।
मैंने बिना कुछ सोचे उसे हाँ बोल दिया और पूछा- कैसी हेल्प करनी है?
तो उसने मुझसे पक्का वादा लेते हुए कहा- तुम इंकार नहीं करोगी?

मैं इन तीन समेस्टर में उसके इतने करीब आ चुकी थी कि मुझे उससे प्यार हो गया था और उसके लिये मैं सब कुछ कर सकती थी जो भी वो मुझसे चाहता इसलिये मेरे हाँ कहते ही वो मुझसे बोला- तुम मुझसे प्यार करती हो?

मैं अचकचा गई और हकलाते हुए मैंने उससे हाँ बोल दिया।
तो उसने खुश होते हुए मुझे कस कर अपनी बाँहों में जकड़ लिया।

यह मेरे जीवन का पहला क्षण था कि जब मैं किसी मर्द के बाँहो में इस तरह से जकड़ी हुई थी।

थोड़ी देर वो मुझे अपनी बाँहों में जकड़ा रहा, फिर मुझे अपने से अलग करता हुआ मुझे कम्प्यूटर के पास बैठाया और एक चैट डॉयलॉग बाक्स को दिखाते हुए बोला- जिससे मैं चैटिंग कर रहा हूँ, ये एक मेल और फीमेल हैं और दोनों मुझसे चैट तो कर रहे हैं लेकिन वेब कैम में नहीं आ रहे है। इनका कहना है कि अगर तुम्हारा कोई फीमेल पार्टनर हो तो ही वो दोनों वेब कैम में सामने आयेंगे। अगर तुम मेरी पार्टनर बन जाओ तो मजा आयेगा। फिर जैसा मैं बोलूँगा, वो दोनों करेंगे और फिर जो वो दोनों बोलेंगे हम दोनों को करना पड़ेगा।

मैंने थोड़ा सा मुंह बनाते हुए बोला- इसलिये तुम नंगे बैठे हो और चाहते हो कि मैं भी नंगी हो जाऊँ?
उसने मुस्कुराते हुये हाँ में सिर हिलाया।

उसकी इस बात से मेरी आँखों में आँसू आ गये।
मेरी आँखों में आँसू आने के कारण वो मेरे आँसू को पौंछते हुए बोला- आकांक्षा, तुम परेशान मत हो… नहीं करना है तो मत करो। पर मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और समेसटर ओवर होने के बाद जैसे ही मुझे जॉब मिलेगी मेरी जीवन संगिनी तुम ही रहोगी। चाहे तुम इस समय मेरे साथ हो या न हो।

उसकी इस बात को सुन कर पता नहीं मुझे कैसे उस पर विश्वास हो गया और बिना कुछ बोले मैं उसके साथ वेब कैम पर उसके सामने बैठ गई।
थोड़ा मुझे संकोच तो हो रहा था, फिर भी मुझे पता नहीं क्यों रितेश पर अपने से ज्यादा भरोसा होने लगा।

वेब कैम की रिक्वेस्ट रितेश ने भेजी जो दूसरी ओर से तुरन्त ही एक्सेप्ट कर ली गई।

दूसरी तरफ भी एक यंग कपल था।
उसने सबसे पहले ऑफर भेजा कि तुम अपनी पार्टनर के कुर्ते के अन्दर हाथ डालो।

रितेश ने वैसे ही किया पर मेरा हाथ ने उसके हाथ को बीच में ही रोक लिया।
तभी सामने से कमेन्ट आया कि तुम्हारी पार्टनर तो तैयार ही नहीं है।

इस पर रितेश को मेरे ऊपर हल्का सा गुस्सा आया और वो अपनी चैटिंग बन्द करने वाला ही था, पता नहीं मुझे क्या हुआ कि अचानक मैंने रितेश का हाथ पकड़ा और अपनी छाती पर रख दिया।
know-when-to-avoid-sex-to-not-get-pregnant-also-know-how-to-get-pregnant_730X365.jpg


रितेश मेरे उरोजों को सामने से आते हुए कमेंट के अनुसार दबाता और बीच में मेरे उरोजों के दानों को दबाता।
रितेश के ऐसा करते रहने से मेरे ऊपर एक बार फिर से उत्तेजना हावी होने लगी।

फिर रितेश ने उनसे भी वैसा ही करने को कहा, तो दूसरे कपल ने भी वैसा ही किया।
इस तरह दो चार-छोटी हरकत करवाने के बाद उसने लिखा- अब हम दोनों पूरी तरह सहमत हैं और अब जो चाहो वो ऑन कैम हम लोग गेम खेल सकते हैं।

दूसरा कपल जिसका नाम टोनी और मीना था,
4a74457a70a64d82affaea67d56dcbd1.2.jpg
दोनों नोएडा के रहने वाले थे।
उसमें से मीना चैट करने लगी और रितेश से बोली- आकांक्षा को अपनी गोदी में बैठाओ।
320x320.50.1.webp


अब मेरी भी झिझक खत्म हो चुकी थी इसलिये रितेश के कहने से मैं उसके ऊपर बैठ गई।
तभी पता नहीं रितेश को क्या याद आया, वो तुरन्त उठा और नेकर पहन कर नीचे गया और थोड़ी देर बाद ऊपर आया।

मैंने उससे पूछा तो बताया कि नीचे माँ को देखने गया था, वो अब सो रही है।
कहकर उसने अपनी नेकर उतारी और फिर नंगा होकर बैठ गया और मुझे अपनी गोदी में बैठा लिया।
इस समय रितेश के लिंग सिकुड़ा हुआ सा था।

मैं कालेज की एक लड़की हूँ, फिर भी मुझे थोड़ा संकोच था कि मैं चूची, बुर, चूत, लंड, लौड़ा, गांड ऐसे शब्दों का यूज करूँ।
यहाँ तक कि मेरी सहेलियाँ भी मुझे ओल्ड फैशन्ड कहती थी और वो खुले आम जब भी कोई लड़का मूतता था तो बोलती थी- देख क्या लंड है उसका!

लेकिन मेरे सेक्स की दुनिया रितेश के घर बिताये हुए उस दोपहर के पल ने बदल दी।
खैर! तभी टोनी ने लिखा कि आकांक्षा को अपने ऊपर इस तरह खड़ा करो कि उसकी गांड तुम्हारे मुँह के पास हो और उसकी सलवार उतार कर मुझे उसकी चूत को दिखाओ।

रितेश ने मेरी तरफ देखा और बोला- टोनी, तुम्हारी चूत देखना चाहता है।
meena-5.jpg


मुझे ये शब्द बड़ा अजीब सा लगा लेकिन मुझमे खुमारी भी बढ़ती जा रही था और मजा भी आ रहा था इसलिये मैं बिना कुछ बोले अपनी जगह पर खड़ी हुई।
उसी समय रितेश ने कैम को ऐसा सेट किया कि उसका केवल दूसरी तरफ मुँह दिखे।

दूसरी तरफ से ओ॰के॰ आने पर रितेश वापस चेयर पर बैठ गया और मैं उसकी जांघों पर खड़ी हो गई। मेरा चूतड़ सॉरी मेरी गांड ठीक रितेश के मुँह पर थी।

टोनी ने जैसा कहा, रितेश ने मेरी सलवार का नाड़ा खोल कर सलवार को मुझसे अलग कर दिया।
मेरे हाथ अपने आप ही मेरी योनि एक बार फिर से सॉरी चूत पर चले गये और दोनों टांगें आपस में सिकोड़ने लगी।

तभी टोनी का फिर मैसेज आया- चड्डी उतारो।
पर इस बार रितेश थोड़ा रूक गया और मैसेज टाईप करने लगा जिसमे उसने टोनी से कहा- मीना भी अपने पूरे कपड़े उतारे।
320x320.50.9.webp


मैसेज डिलिवर होते ही मीना ने एक झटके में अपने पूरे कपड़े उतार दिए।
मीना की चूची काफी बड़ी-बड़ी थी और उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था।

मीना ने एक कदम आगे बढ़ते हुए अपने हाथ से अपनी चूत को फैलाया, फिर अपने हाथ से ही अपनी चूची को दबाती और अपने निप्पल को अपनी जीभ से चाटती।

अब रितेश की बारी थी उसने भी मेरी चड्डी को मेरे से अलग कर दिया और मेरी गांड में अपने हाथ फेरते हुए बोला- आकांक्षा, तुम्हारी गांड तो बहुत ही चिकनी है!
कहकर दो-तीन किस उसने मेरी गांड पर कर दिए।

मैं अचकचा सी गई।
मेरी भी उलझन बढ़ती जा रही थी और मेरी चूत के एक अजीब सी खुजली सी हो रही थी।

तभी टोनी का मैसेज आया- तुम इसकी चूत चिकनी नहीं रखते हो क्या?
526x298.7.webp

रितेश क्या बोलता।

उसने टोनी से कहा कि वो अपना लंड मीना से चुसवाये।
preview.jpg

रितेश के कहने पर टोनी खड़ा हुआ तो उसका लंड तना हुआ था और काफी लम्बा नजर आ रहा था।

टोनी के लंड को मीना अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
मीना को ऐसा करते देख कर मेरी आँखें फटी की फटी रह गई।

मीना बड़े प्यार से टोनी का लंड चूस रही थी, कभी वो टोनी के पूरे लंड को अपने मुँह के अन्दर डालती तो कभी उसके लंड के अग्र भाग को अपनी जीभ से चाटती।
%E0%A4%B8%E0%A4%97%E0%A5%80-%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%AE-%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%AA%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%B2%E0%A4%82%E0%A4%A1-%E0%A4%9C%E0%A5%82%E0%A4%B8-%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B8-%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A5%80-3.jpg


काफी देर ऐसा करने के बाद जब मीना ने टोनी के लंड को अपने मुँह से निकाला तो टोनी का लंड सिकुड़ गया और उसी समय मीना ने अपने मुँह को कैमरे के सामने खोल दिया उसके मुँह में कुछ सफेद सा था।
321_--.jpg


तो मेरी जिज्ञासा बढ़ गई तो इस बार मैंने मैसेज लिखा- टोनी, तुम्हारा लंड तो टाईट था अब सिकुड़ क्यों गया और मीना के मुँह में ये सफेद-सफेद क्या है?

मेरे मैसेज को पढ़ते ही दोनों हँसने लगे।
फिर मीना उधर से मैसेज टाईप करने लगी और मुझसे पूछा- सही बताना, आज तक चुदी हो या नहीं? या सेक्स के बारे में नहीं जानती हो क्या?

मेरे 'नहीं' लिखने पर फिर वो बताने लगी कि मेरे मुँह जो सफेद सा पदार्थ देखा था वो टोनी का वीर्य था। और टोनी का जब वीर्य निकल गया तो उसका लंड सिकुड़ कर छोटा हो गया। तुम भी रितेश का लंड चूसो और उसका वीर्य अपने मुंह में लो, बड़ा मजा आयेगा।

मीना जल्दी जल्दी मैसेज टाईप कर रही थी, उसने रितेश को खड़ा होने के लिये बोला, जैसे ही रितेश खड़ा हुआ और मेरी नजर उसके लंड पर गई तो मेरा हाथ अपने आप मेरे होंठ से चिपक गया।

हालाँकि मैंने पूरी तरीके से किसी मर्द का लंड नहीं देखा था फिर भी रितेश का लंड काफी बड़ा नजर आ रहा था।

तभी मीना ने फिर से टाईप किया और बोली- जैसे मैंने टोनी के लंड को चूसा था, वैसे तुम रितेश के लंड को चूसो।
411_Sammy_same_dick.jpg

मेरे सिर पर उत्तेजना हावी होती जा रही थी और संकोच भी खत्म हो गया था तो मैंने रितेश का लंड अपने मुँह में लिया और जिस तरह मीना टोनी के लंड की चुसाई कर रही थी, ठीक वैसे ही मैं भी रितेश का लंड चूस रही थी।
(m=eafT8f)(mh=mCWQhFRhyDiBx1Ws)5.jpg


जैसे-जैसे मैं रितेश का लंड चूस रही थी वैसे-वैसे मेरे शरीर में भी एक अजीब सी उत्तेजना में वृद्धि हो रही थी और रितेश के मुँह से अजीब सी आवाज आ रही थी और वो मेरे सिर को बड़े ही ताकत के साथ अपने लंड के और करीब लाता जिससे उसका लंड मेरे हल्क तक चला जाता जिसके कारण मुझे घुटन सी होती।
ilklgidekhh61.gif


अचानक रितेश को पता नहीं क्या हुआ, वो मेरे सिर को पकड़ कर अपने लंड से मुझको अलग करने लगा और बोलने लगा- आकांक्षा, मेरा निकलने वाला है, तुम अपना मुँह हटा लो।

उधर टोनी और मीना हम दोनों को एकटक देख रहे थे और रितेश की हरकत से मीना समझ गई कि वो मुझे अपने से अलग करना चाहता है।
इसलिये उसने फिर मैसेज लिखा- अपनी कुतिया के मुँह में उल्टी कर!
मैंने मैसेज तो पढ़ लिया लेकिन रितेश मैसेज नहीं पढ़ रहा था और वो कोशिश कर रहा था कि वो अपना लंड मेरे मुंह से निकाल ले।
मैं उसके लंड को निकाल कर खड़ी हुई और उससे चिपकते हुए बोली- रितेश, मैं समझ गई कि तुम अपना वीर्य मेरे मुँह में क्यों नहीं आने देना चाहते हो। पर तुम मेरा प्यार हो और तुम्हारे लिये मैं कुछ भी कर सकती हूँ। कभी भी तुमसे नहीं बोलूँगी कि ये गलत है या था। हाँ… तुमको अगर पसन्द होगा तो! और जब तुम अपने लंड का पानी खुद चख सकते हो तो मैं क्यो नही।

जितनी देर मैं रितेश से चिपकी रही उतनी देर वो मेरी गांड को सहलाता रहा।
फिर मैं नीचे बैठी और उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
8966327e9a4cb5b77a5b0b0fe0ecf436.mp4-6b.jpg


रितेश की सिसकारियाँ बढ़ने लगी वो बड़बड़ाये जा रहा था- जानू, तुम मेरा माल अपने मुँह में ले लो पर गटकना नहीं!
कहकर वो झड़ने लगा और उसका वीर्य से मेरा मुँह भर गया और कुछ हिस्सा मेरे मुँह से बाहर आ गया।
%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%B9-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%9A%E0%A5%82%E0%A4%A4-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%B5%E0%A5%80%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF-16-%E0%A4%94%E0%A4%B0-pulsating-%E0%A4%A7%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A5%87-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A5%87-%E0%A4%97%E0%A4%B2%E0%A5%87-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%82%E0%A4%B9.jpg


रितेश ने मुझे उठाया और अपने मुँह को मेरे पास करते हुए बोला- आधा तुम मेरे मुँह में डाल दो।

मैंने ऐसा ही किया आधा मैं पी गई और आधा रितेश पी गया।

थोड़ा सा कसैला और बदबूदार लगा था मुझे पहली बार फिर भी रितेश के लिये मैं पी गई।

रितेश का बाकी का माल जो मेरी कुर्ती पर गिर गया था वो उसको चाटने लगा।
और फिर मेरी कुर्ती और शमीज उतार कर मुझे भी पूरी तरह नंगी कर दिया।

तभी टोनी का मैसेज फिर आया उसमें लिखा था कि क्या तुमने (रितेश) ने उसको (मुझे) कभी चोदा है?

रितेश ने तुरन्त ही उत्तर दिया- नहीं, यह हम दोनों के लिये पहली बार है जो हम तुम्हारे सामने कैम पर हैं। आज से पहले मैंने आकांक्षा को कभी भी नंगी भी नहीं देखा था।

'इसका मतलब आकांक्षा अभी तक नहीं चुदी है।'
20364768d25ac28299e548f7322e3df028e41510.gif


तभी मैंने लिखा- नहीं, मैं अभी तक नहीं चुदी हूँ और न इसके बारे में जानकारी है।
टोनी ने मैसेज लिखा- चलो, आज तुम दोनों को कैसे चुदने का खेल होता है, ये दिखाता हूँ। बस इतना करो कि अपनी कुर्सी को 90 डिग्री में घुमा लो और आकांक्षा को अपने गोदी में बैठा कर कस कर चिपका लो और फिर हमारा खेल देखो।


कहानी जारी रहेगी।
WONDERFUL UPDATE DEAR MJA AA GYA FIRST POST MEIN HI
 
50
74
18
लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-2
मैं और मेरा क्लासमेट वेब कैम पर सेक्स चैट कर रहे थे।
जब सामने वाले जोड़े को पता चला कि मैं अभी तक बिन चुदी हूँ तो उन्होंने कहा कि वे कैम पर हमें दिखाने के लिए चुदाई करते हैं।
हमने अपनी कुर्सी को 90 डिग्री में घुमा लिया और मैं रितेश के ऊपर चढ़ कर बैठ गई जैसा कि मीना और टोनी ने हमें करके बताया था।
मुझे रितेश ने कस कर पकड़ लिया, मेरी छाती और रितेश की छाती आपस में चिपक गई थी।
मेरे और रितेश के गाल आपस में इस तरह सटे हुए थे कि हम दोनों ही आसानी से उन दोनों के चुदाई के खेल को देख सकते थे।
उधर टोनी और मीना ने अपना खेल प्रारम्भ कर दिया।
टोनी ने कुर्सी पर बैठे ही अपनी दोनों टांगों को हवा में उठा लिया और टोनी अपने घुटने के बल बैठ कर मीना की चूत चाटने लगा।
थोड़ी देर चूत चाटने के बाद टोनी खड़ा हुआ और अपना लंड मीना की चूत में एक झटके से डाल दिया और उसके बाद आगे पीछे होने लगा।
जब टोनी जोर-जोर से मीना की चूत में धक्के मार रहा था तो मीना की चूची बहुत तेज तेज हिल रही थी।
उन दोनों के चुदाई के इस खेल को देखने से मेरे अन्दर भी गर्मी बढ़ती ही जा रही थी और शायद रितेश के जिस्म में भी गर्मी बढ़ती जा रही थी।
रितेश का हाथ कभी मेरी पीठ को सहलाता और कभी मेरी गांड के उभारों को सहलाता और बीच-बीच में अपनी उंगली को मेरे गांड की छेद के अन्दर डालने की असफल कोशिश करता।
उधर थोड़ी देर धक्के लगाने के बाद मीना उठी और अपने दोनों पैरों के घुटने के बल पलंग पर खड़ी हो गई और अपने दोनों हाथ को आगे की ओर टिका कर झुक गई।
मैंने रितेश से पूछा- ये क्या है?
रितेश ने तुरन्त ही वैसा ही प्रश्न टोनी से पूछा।
तो टोनी ने अपने वेब कैम को जूम करते हुए बताया कि ये कुतिया की पोजिशन है। इसमे मैं मीना की चूत में पीछे से लंड डालूँगा और उसकी गांड भी मारूँगा।
टोनी के अपने कैम को जूम करने से मीना की चूत और गांड साफ-साफ दिख रही थी।
उसके बाद टोनी ने एक बार फिर मीना की चूत में अपना लंड डाल दिया और धक्के लगाने लगा।
मीना ने अपनी गर्दन को मेरी तरफ मोड़ा और मुझे आँख मारते हुए अपने एक हाथ से अपने चूतड़ के उभार को सहलाने लगी।
कुछ देर इस तरह करने के बाद टोनी हल्के से एक साईड हुआ और मीना की गांड को थोड़ा सा फैलाते हुए उसकी छेद पर पहले तो थुका और उसके बाद फिर अपनी उंगली से छेद के अन्दर डालने लगा, उसके बाद फिर अपनी जीभ उसके आस पास के क्षेत्र में चलाने लगा और उस छेद को भी चाटने लगा।
उसकी इस हरकत से मेरे शरीर का दम निकला जा रहा था, मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे नीचे से कोई धार फूट रही हो।
रितेश के भी बर्दाश्त से बाहर हो रहा था, वो मेरी गांड के पीछे से अपने हाथ को चलाते हुए मेरी चूत को छू रहा था।
मेरा रस उसके अंगों में और हाथों में लग गया था।
वो मुझसे बोला- तुम्हारा पानी छूट गया है।
मुझे बड़ी शर्म सी लग रही थी लेकिन रितेश से चिपकना मेरी जिंदगी का सबसे हसीन पल भी था। इसलिये उसकी इस बात को सुनकर मैंने हौले से उसके गाल को चूम लिया।
जब टोनी थोड़ी देर तक मीना की गांड चाट चुका तो उसने अपने लंड को मीना की गांड के अन्दर डाल दिया, फिर उसी तरह वो धक्के पे धक्का दिये जा रहा था और बीच-बीच में मीना की चूची को जोर से मसल देता था।
आवाज तो नहीं आ रही थी पर मीना के भाव से लग रहा था कि चूची जोर से मसलने के कारण उसे दर्द हो रहा होगा और इसलिये वो अपने होंठों को अपने दाँतों के बीच दबा रही थी और उसकी आँखें चढ़ी हुई थी।
टोनी भी जोर-जोर से धक्के लगा रहा था, वो कभी अपने लंड को मीना की गांड में डालता तो कभी उसकी चूत में डालता।
फिर थोड़ी देर बाद मीना सीधी बैठ गई और टोनी ने अब अपने लंड को मीना के मुँह में डाल दिया और अपना पूरा माल मीना के मुँह में डाल दिया जिसे मीना ने पूरा चूस लिया।
उसके बाद टोनी नीचे बैठ कर मीना की टांगो को फैलाते हुए उसकी चूत को चाटने लगा।
कुछ देर ऐसा करने के बाद दोनों लोग कम्प्यूटर के सामने आकर बैठ गये और एक दूसरे के होंठ को चूमने लगे।
उसके बाद टोनी ने मैसेज भेजा कि मेरी प्यारी बीवी की चूत और गांड चुदाई कैसी लगी।
रितेश ने तुरन्त ही मैसेज दिया- यार, बड़ा मजा आया। जिन्दगी में पहली बार लाईव चुदाई देख रहा हूँ।
तभी टोनी बोला- चलो, अब तुम आकांक्षा को चोदो।
इतना पढ़ते ही रितेश ने मुझे गोदी उठाया और पलंग पर लेटा दिया और जिस तरह से टोनी ने झटके से मीना की चूत में अपना लंड डाला, उसी तरह से रितेश भी मेरी चूत में अपना लंड डालने की कोशिश कर रहा था पर जा नहीं पा रहा था।
हम दोनों ही सोच में पड़ गये कि ऐसा कैसे है कि टोनी एक झटके में मीना की चूत और गांड में अपना लंड डाल रहा था और रितेश का लंड मेरी चूत में जा ही नहीं रहा था।
काफी देर ऐसा करते रहने पर भी रितेश का लंड मेरी चूत के अन्दर नहीं गया।
तभी मेरी नजर स्क्रीन पर पड़ी तो देखा कि दोनों हँस रहे थे।
तभी टोनी ने अपने हाथ से इशारा करके हम दोनों को कम्प्यूटर के पास बुलाया और मैसेज भेजा कि मीना पहले से चुदी चुदाई है इसलिये उसकी चूत और गांड में मेरा लंड आसानी से चला गया और तुम दोनों का यह पहला मौका है। इसलिये रितेश तुम कोई क्रीम लेकर पहले अपने लंड पर लगाओ और उसकी चूत के अन्दर भी लगाओ। उसके बाद आकांक्षा को बिस्तर पर लेटाओ और उसे कहो कि वो अपने हाथों से अपनी चूत के छेद को खोले और फिर तुम उस छेद के अन्दर अपने लंड को धीरे-धीरे डालना। जब तुम्हारा पूरा लंड तुम्हारे पार्टनर की चूत के अन्दर चला जाये तभी तुम मेरी तरह धक्के लगा सकते हो।
फिर उसने मुझे भी समझाया- तुम पहली बार किसी मर्द का लंड अपनी चूत में लोगी और तुम्हें बहुत दर्द भी होगा पर तुम बर्दाश्त कर लेना। एक बार तुमने लंड का मजा ले लिया तो फिर मीना की तरह आसानी से किसी का भी लंड अपनी चूत में ले सकती हो। और हाँ दोनों चुदाई करते समय हम लोगों की तरफ देखते रहना।
उसके बाद रितेश क्रीम ले आया, पहले अपने लंड पर लगाई, फिर अपनी उंगली से मेरी चूत के अन्दर लगाई और वो अपने लंड को मेरी चूत में डालने लगा।
यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
लेकिन इस बार भी उसका लंड फिसल कर बाहर आ जा रहा था।
हम दोनों लगातार टोनी की तरफ देख रहे थे।
जब इस बार भी लंड मेरी चूत में नहीं गया तो टोनी ने मीना को पलंग पर लेटाया और उसकी कमर के नीचे दो तकिया रख दिए, मीना ने अपनी चूत फैला दी और टोनी एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर धीरे-धीरे उसकी चूत में डालने लगा।
अब रितेश ने भी ऐसा ही किया और मेरी कमर के नीचे उसने दो तकिया लगाए जिससे मेरी कमर का हिस्सा थोड़ा ऊपर उठ गया।
उसके बाद मैंने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को फैला दिया और रितेश ने अपने लंड को पकड़ कर जैसे ही मेरी चूत के अन्दर डाला, मुझे ऐसा लगा कि मेरे अन्दर कुछ बहुत ही गर्म चीज ने प्रवेश कर गया है।
मेरे दोनों हाथ स्वतः ही मेरी चूत से हट गये और मैं झटके से पीछे खिसक गई।
रितेश ने मुझसे पूछा तो मैंने बताया कि तुम्हारा ये (उसके लंड की ओर इशारा करके) बहुत ही जल रहा है।
रितेश बोला- और मुझे लगा कि मेरा लंड किसी गर्म तवे में टच कर गया है।
तभी टोनी का मैसेज आया, उसमें लिखा था- पहली बार ऐसा होता है।
हम दोनों इस खेल में अनाड़ी थे ही, इसलिये कुछ समझ में नहीं आ रहा था, फिर भी हम दोनों ने आँखों ही आँखों में इशारा किया। क्योंकि दोनों को यह बात तो पता थी कि पहली बार कुछ दर्द या अजीब सा होता है और फिर खूब मजा आता है।
टोनी और मीना ने भी हमको यही बताया था।
इसलिये एक बार फिर हम दोनों ने अपनी पोजिशन ली।
इस बार जब रितेश ने अपने लंड को मेरे अन्दर किया तो मैंने अपनी आँखें बन्द कर ली और रितेश ने भी एक जोर से धक्का लगाया तो मुझे लगा कि मेरे अन्दर कुछ कट सा गया है और मैं चीख पड़ी।
रितेश ने मेरे मुँह में हाथ रख दिया, इससे मेरी चीख अन्दर ही घुट कर रह गई।
यह तो अच्छा था कि तो वक्त दोपहर का था और रितेश की मम्मी अपने कमरे में सो रही थी, शायद इसलिये उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की, नहीं तो उनको अब तक रितेश के कमरे में होना चाहिए था।
रितेश मुझे लगभग डाँटते हुए बोला- मरवायेगी क्या? मम्मी ऊपर आ सकती है?
दर्द के मारे मेरे आँख से आँसू निकल रहे थे और लगभग रोते हुये बोली- मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
रितेश मेरे ऊपर झुक गया और मेरी आँखों से निकलते हुये आँसू को पीने लगा और बोला- पगली मुझे भी तो ऐसा लग रहा है कि मेरे लंड का चमड़ा फट गया है और मुझे भी खूब जलन हो रही है। थोड़ी देर और बर्दाश्त करते हैं।
अब हम लोग केवल अपने में ध्यान दे रहे थे।
उसके बाद रितेश ने अपने को थोड़ा पीछे किया और एक बार फिर जिस तरह से टोनी ने बताया था उसी प्रकार से धक्का दिया।
इस बार मुझे ऐसा लगा कि मेरे हलक तक कुछ घुस गया है।
जिस प्रकार उल्टी आने पर मुंह खुलता है ठीक उसी प्रकार मेरा मुँह खुल गया और आँखें ऐसा लग रही थी कि बाहर आ जायेगी।
पता नहीं रितेश को क्या सूझी कि वो मेरे ऊपर गिर गया और मेरे स्तनों को दबाने लगा और मेरे स्तन की घुंडी को अपने मुंह में लॉलीपॉप की तरह चूसने लगा।
उसके थोड़ी देर ऐसा करते रहने से मेरे शरीर के अन्दर एक अजीब सी सिरहन सी उठने लगी और मुझे लगने लगा कि मैं रितेश को अपने अन्दर ले सकती हूँ। और पता नहीं क्या हुआ कि मेरी कमर खुद-ब-खुद ऊपर की ओर उठने लगी मानो कह रही हो 'रितेश, मेरे ऊपर लेटो नहीं, आओ मेरे अन्दर आओ।'
शायद रितेश को भी मेरी कमर उठने का भान हो गया इसलिये वो सीधा हुआ और अपने लंड को एक बार फिर थोड़ा बाहर निकाला और फिर एक जोर से धक्का दिया।
उसके बाद वो धक्के पे धक्का देता रहा और उसके धक्के को मैं अपने अन्दर महसूस करती रही।
हालाँकि उसके इस तरह के धक्के से मुझे तकलीफ हो रही थी और मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी पर पता नहीं कब वो सिसकारी उत्तेजना भरी आवाज में बदल गई।
ठीक यही हालत रितेश की भी हो रही थी, उसके चेहरे से पसीना निकल रहा था और अपनी पूरी ताकत और वेग के साथ मेरे अन्दर आने की कोशिश कर रहा था।
कभी वो तेज धक्के लगाता तो कभी सुस्त पड़ जाता मानो थक गया हो… और फिर तेज धक्के लगाने लगता।
इसी क्रम में मेरा जिस्म भी उसका साथ देता।
मैं कभी उत्तेजनावश उसकी पीठ में नाखून गड़ा देती तो कभी उसकी घुंडी को दोनों उंगलियों के बीच में लेकर मसल देती।
वो भी गुस्से में आकर मेरे गाल में एक चपत लगा देता।
उधर मेरी चुदाई का आनन्द टोनी और मीना भी ले रहे थे।
तभी रितेश का शरीर अकड़ने लगा और फिर ढीला पड़ गया और मुझे लगा कि मेरे अन्दर को लावा फूट गया हो।
रितेश हाँफते हुए मेरे ऊपर गिर गया।
रितेश ने अपने लंड को मेरे भीतर ही पड़े रहने दिया, बाहर निकालने की कोई कोशिश नहीं की।
थोड़ी देर बाद उसका लंड सिकुड़ कर बाहर आ गया और रितेश मुझसे अलग होकर मेरे बगल में लेट गया।
पहली बार मुझे वो आनन्द प्राप्त हुआ जो मैं अपनी सहेलियों से सुनती थी।
हालाँकि मेरे योनि के अन्दर एक जलन सी हो रही थी।
मुझे इस समय रितेश पर बहुत प्यार आ रहा था, मैं उसके बाल सहला रही थी।
फिर रितेश और मैं दोनों अपनी जगह से उठे क्योंकि हम दोनों को ही अपने नीचे कुछ गीला सा लग रहा था।
उसी समय मेरी और रितेश की नजर बिस्तर पर पड़े हुए खून पर गई।
पता नहीं रितेश को क्या हुआ वो एकदम से अलमारी के पास गया और रूई निकाल लाया और मुझे बिस्तर पर बैठा कर मेरी टांगें फैला कर मेरी चूत और उसके आस पास की जगह को साफ किया।
उसके बाद वो मुझसे बोला- आकांक्षा यह मेरे और तुम्हारे मिलन की निशानी है, अब जिन्दगी भर ये मेरे पास रहेगी!
कहकर उसने उसे एक छोटी सी पन्नी के अन्दर रख लिया।
तभी मेरा ध्यान कम्प्यूटर पर गया, अब टोनी और मीना भी एक दूसरे को आगोश में लेकर चूम रहे थे।
रितेश और मैं उठ कर पास आये, टोनी ने विक्टरी का निशान बनाते हुए एक आँख मार दी।

मैं थोड़ा सा शरमा गई जबकि रितेश के चेहरे पर एक मुस्कान थी।
कहानी जारी रहेगी।
MAST STORY DEAR KEEP IT UP
 
50
74
18
लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-3

हमारी पहली चूत चुदाई के बाद टोनी ने एक मैसेज भेजा, जिसमें रितेश के लिये लिखा था- तुम मेरी मीना को चोद लो और मैं आकांक्षा को।
tumblrnjffjgkeprevzto-1501004339lp8c4.gif

रितेश ने मेरी तरफ देखा तो मैंने मना कर दिया।
जिस पर रितेश ने भी मना कर दिया।
उसके बाद टोनी ने कहा- जब कभी भी तुम दोनों के मन में अदला बदली का ख्याल आये तो हमें कॉल करना।
कह कर हम दोनों ने एक दूसरे से विदा ली।
उसके बाद मैंने भी अपने कपड़े पहने और घर चली आई।
मैं लगभग एक महीने तक रितेश के घर नहीं गई और न ही रितेश ने मुझे कभी फोर्स किया।
हाँ, अब कॉलेज में मैं और रितेश खूब समय बिताते और रितेश अब मेरी हर छोटी छोटी बातों का ध्यान रखता।
लेकिन अब एक बार जो आग लग चुकी थी उसे मैं चाह करके भी काबू में नहीं कर पा रही थी और न ही रितेश को बता पा रही थी।
पर एक दिन उसने मुझसे कहा कि उसका मन एक बार फिर मुझमें समाने के लिये कर रहा है।
मन में मेरे भी आग लगी थी, मैंने भी मौन स्वीकृति दे दी।
उसने सबकी नजरों को बचाते हुए मेरे गालों की पप्पी ली और मेरे स्तन को दबा दिया।
मुझे या शायद किसी को भी नहीं पता होता कि कल क्या होने वाला होगा लेकिन रितेश जैसा जीवन साथी मिलना बहुत ही नसीब की बात होती है।
दो दिन बाद रितेश ने मुझे बताया कि आने वाले रविवार को उसके घर में कोई नहीं होगा और अगर मैं चाहूँ तो…
कहकर उसने अपनी बात को बीच में ही रोक लिया, जिसको मुझे पूरा समझने में कोई परेशानी नहीं हुई।
मैंने उसे एक बार फिर अपनी स्वीकृति दे दी।
मैं यह नहीं समझ पा रही थी कि रितेश मुझसे जो कहता जा रहा था, मैं उसकी किसी बात को नहीं काट पा रही थी।
लेकिन अब एक बार जब सीमांए टूट गई तो अब उस सीमा को फिर से वापस बांधना मुश्किल सा था।
खैर मैंने रितेश से पूछा कि मैं उसके पास कैसे कपड़े पहन कर आऊँ तो वो बोला- देख, हम लोग जो करेंगे, नंगे होकर ही करेंगे, इसलिये तुम्हें कोई सेक्सी कपड़े पहन कर आने की जरूरत नहीं है, और वैसे भी तुम मेरे लिये हर कपड़े में सेक्सी ही हो।
मेरे लिये एक बहुत बड़ी समस्या खतम हुई क्योंकि अगर मैं घर से कुछ खास कपड़े पहन कर निकलती तो घर वालों से काफी झूठ बोलना पड़ता।
खैर रविवार का दिन आया और मैंने घर वालों से प्रोजेक्ट का बहाना बनाया और अपने रितेश के पास पहुँच गई।
रितेश ने दरवाजा खोला, वो नंगा था और उसका लंड बिल्कुल डण्डे के समान तना हुआ था।
घर के अन्दर घुसते ही रितेश ने मुझे दबोच लिया, अपने जिस्म से चिपका लिया और मेरे गालों, होंठों, गर्दन जहां पर उसने चाहा, चुम्मे की झड़ी लगा दी।
मुझे भी वहीं नंगी कर दिया और गोदी में उठा कर अन्दर ले आया।
जब मैं उसकी गोदी में थी तो मैंने भी रितेश को चूमना शुरू किया।
फिर उसने मुझे सोफे पर बैठाया और मेरी टांगें चौड़ी करके मेरे योनि, अरे… योनि नहीं… चूत के अग्र भाग को फैलाते हुए उसमे उंगली करने लगा और उसके बाद उसमें अपनी जीभ लगा दी।
थोड़ी देर तक अपनी जीभ से मेरी चूत की मालिश करने के बाद रितेश खड़ा हुआ।
तब मैंने पहली बार उसके लंड को साफ साफ देखा जो एकदम से तना हुआ था और उसके लंड के हिस्से वाला भाग बाल रहित था जबकि अभी भी मेरी चूत में बालों की भरमार थी।
मैं रितेश से बोली- यार, तेरे इस जगह बाल क्यों नहीं हैं?
तो वो मुस्कुराते हुए बोला- मैं इसे बनाकर रखता हूँ।
'तो मेरे भी बना दो…' मैंने उसकी ओर खुमारी भरी नजर से देखा।
वह तुरन्त मुड़ा, पहली बार मैंने नंगे रितेश को चलते हुए देखा उसके पीछे का हिस्सा ऊपर नीचे हो रहा था और उसकी गांड के बीचोंबीच एक लकीर सी खिंची हुई थी जो मेरे लिये बड़ा ही अनोखा था।
दो मिनट बाद ही वो एक क्रीम, कैंची, काटन और एक लोटा पानी ले आया।
मुझे थोड़ा सा अपनी तरफ खींचा जिससे मेरे कमर के नीचे का हिस्सा सोफे से बाहर हो गया और बाकी मैं सोफे पर पसर गई।
उसके बाद रितेश बड़े प्यार से मेरी चूत के बड़े हुए बालों को कैची से काट-काट कर छोटा कर रहा था और बीच-बीच में जांघ, चूतड़ के उभार आदि जगह को चाट लेता था, मेरी उठी हुई चूची को दबा देता और बीच-बीच में अपने लंड को उंगली से मसलता और फिर उस उंगली को चाट लेता।
जब वो मेरी जांघ को चूमता या चाटता तो मुझे एक गुदगुदी से होती।
जब उसने मेरी चूत के बालों को कैची से ट्रिम कर दिया तो उसके बाद उसने क्रीम वाली ट्यूब उठाई और मेरी चूत के आस पास अच्छे से लगा दिया और मेरे बगल में बैठ कर मेरे चूचों को चूसने लगा और मेरे हाथों को उठाकर मेरे बगल को भी चाटता।
उसके लिये मेरा जिस्म मक्खन की तरह था और मेरे जिस्म का कोई ऐसा हिस्सा नहीं था जिसे वो चाट नहीं रहा था।
करीब दस मिनट तक ऐसा करने के बाद उसने रूई को गीला किया और जहाँ जहाँ क्रीम लगाई थी, उसको साफ करने लगा।
फिर रितेश ने मुझे शीशे के सामने खड़ा कर दिया।
अभी तक मेरी चूत जो बालों से घिरी हुई थी अब वो बिल्कुल सफाचट हो गई थी और गुलाबी जैसी पाव रोटी लग रही थी।
मेरे हाथ स्वतः ही मेरी चूत पर चले गये… क्या मखमली चूत थी मेरी!
तभी रितेश ने मुझे पीछे से जकड़ लिया और मेरे कंधे को चूमते हुए मेरी एक टांग को उठा कर टेबल पर रख दिया और मेरी चूत को सहलाते हुए वो मेरी चूत में उंगली करने लगा।
मेरे हाथों की माला ने रितेश को जकड़ लिया और आंख बन्द करके जो वो कर रहा था, उसका आनन्द लेने लगी।
कुछ देर में मेरी चूत के अन्दर का पानी बाहर निकलने लगा और रितेश की उंगली गीली होने लगी, उसने अपनी उंगली निकाल कर मेरे मुँह में घुसेड़ दी।
खारी नमकीन सी उसकी उंगली मेरे मुंह के अन्दर थी और रितेश के बोल मेरे कान के अन्दर थे, वो कह रहे थे- लो, अपना पानी चखो! बड़ा स्वादिष्ट है।
मैं उसकी तरफ घूमी और उससे पूछा- तुम्हें कैसे मालूम?
तो बोला- जान, तेरे को स्वाद दिलाने से पहले मैंने इसका स्वाद लिया है और अब मैं इसका पूरा स्वाद लूंगा।
कहकर मुझे उसने थोड़ा नीचे किया, इस प्रकार झुकाया कि मेरी चूत और गांड के छेद उसे साफ-साफ नजर आने लगे।
फिर वो बैठ कर मेरी चूत से निकले पानी को चूसने लगा और बीच-बीच में मेरी गांड को भी चाटने लगा।
उधर मैं भी शीशे से अपने आप को देख रही थी।
मेरी उठी हुई चूची रितेश के हाथ में कैद थी और जैसा रितेश चाहता वैसा ही मेरी नाजुक चूचियों के साथ करता।
कुछ देर ऐसा करने के बाद वो उठा और पीछे से मेरी चूत रूपी गुफा में अपने लंड को प्रवेश कराने लगा।
उसका लंड मेरी गुफा के अन्दर जा ही नहीं रहा था।
कई बार कोशिश करने के बाद भी जब नहीं हुआ तो उसने मेरे कूल्हों पर कस कर तीन चार चपत लगाई जिससे मैं बिलबिला गई।
मुझे भी कुछ नहीं समझ में आ रहा था तो जाकर बिस्तर पर लेट गई और अपनी टांगें फैला कर उसे निमन्त्रण देने लगी।
रितेश को कुछ समझ में नहीं आ रहा था, वो मेरे पास आया और फिर जिस तरह उसने पहली बार मेरी चुदाई की थी, उसी तरह अपने लंड को मेरी चूत में प्रवेश करा दिया।
19456666.gif

इस बार भी एक दो प्रयास के बाद उसका लंड मेरे अन्दर प्रवेश कर गया और इस बार थोड़ा दर्द तो हुआ पर उस जैसा न तो दर्द था और न ही जलन जैसा पहली बार जब रितेश के लंड ने मेरी चूत रूपी गुफा के द्वार को खोला था।
लेकिन मजा बहुत आ रहा था।
वो बहुत तेज-तेज धक्के लगा रहा था, जैसे शायद वो बहुत गुस्से में हो।
इस बीच में मैं पानी छोड़ चुकी थी पर रितेश अभी भी धक्का लगाये जा रहा था।
कुछ ही पल बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और फिर कटे हुए पेड़ की तरह मेरे ऊपर गिर गया।
इस समय में उसके लावे को अपने अन्दर महसूस कर सकती थी।
थोड़ी देर बाद जब उसके शरीर की शिथिलता खत्म हुई तो वो खड़ा हुआ और कम्प्यूटर पर एक ब्लू फिल्म लगा दी जिसमें लड़का लड़की को कुतिया बना कर पीछे से चोद रहा था।
1579107601_6546500-3.gif

फिल्म लगाने के बाद रितेश मेरे पास आया और बोला मैं तुम्हें ऐसे ही चोदना चाहता हूँ।
मैंने उसके लंड को पकड़ा और बोली- लो, मैं इस तरह झुक जाती हूं, तुम एक बार फिर कोशिश कर लो।
कहकर मैं भी उस फिल्म की लड़की की तरह झुक गई।
रितेश हंसा और बोला- पगली, पहले मेरा लंड तो चूस कर खड़ा तो कर! जब तक यह खड़ा नहीं होगा तो जायेगा कैसे।
इन दो चुदाई में इतनी तो बात समझ में आ गई थी कि लंड की पूरी ताकत उसके टाईट होने पर है, अगर ढीला है तो फिर वो किसी काम का नहीं।
रितेश अपने हाथ में अपने सिकुड़े हुए लंड को लिये था और हंस रहा था।
मैं पलटी और घुटने के बल बैठ कर उसके लंड को अपने मुंह में ले लिया।
b7130514b3dd8866e870d9b945272a65.10.jpg

जैसे ही मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लिया तो मेरे और उसके मिलन का जो रस था, उसका स्वाद मेरे मुंह में था।
मैं उसके लंड को चूस रही थी।
तभी रितेश ने अपने लंड को मेरे मुंह से बाहर निकाला और उसके खाल को पीछे करते हुए लंड के टोपे को दिखाते हुए मुझे उस हिस्से पर अपनी जीभ फिराने के लिये बोला।
images

रितेश जैसे जैसे बोलता गया, मैं उसके टोपे को चाटती गई और रितेश के मुंह से सी-सी की आवाज आती गई।
कुछ ही देर में उसका लंड खड़ा हो गया।
रितेश ने मुझसे कम्प्यूटर की तरफ मुंह करके झुकने के लिये बोला।
मेरे दिल मैं तो एक ही बात थी कि जो रितेश कहे उसे करते जाओ।
इसलिये मैं कम्प्यूटर की तरफ मुंह करके झुक गई और रितेश मेरी कमर को पकड़ के अपने लंड को मेरी चूत में सेट किया और एक धक्का दिया।
MED_0015905547.gif

इस बार लंड सीधे मेरी चूत के अन्दर था।
अब मैं और उस फिल्म की लड़की एक ही पोजिशन में थे और रितेश उसी तरह धक्के मार रहा था जैसे उस फिल्म का लड़का कर रहा था।
th-1.gif

जिस-जिस पोजिशन में वो लड़का उस लड़की की चुदाई कर रहा था उसी पोजिशन में रितेश मेरी भी चुदाई करता।
उस लड़के ने लड़की को दीवार से सटा कर खड़ा कर दिया और उसकी एक टांग को पकड़ कर हवा में उठाकर उसको चोद रहा था तो रितेश ने भी मुझे उसी तरह की पोज में कर दिया और अपनी कार्यवाही शुरू कर दी।
206389.gif

उसकी नजर भी स्क्रीन पर थी।
फिर चार-पांच धक्के मारने के बाद रितेश ने मुझे डायनिंग टेबल पर बैठाया और अपना लंड मेरी चूत में डालने के बाद मुझे गोदी में उठा कर उछल कूद करने लगा।
word-image-5071-3.gif

अब इस समय मैं अपनी तो कुछ नहीं कह सकती पर रितेश को खूब मजा आ रहा था।
कुछ दस पन्द्रह शॉट लगाने के बाद एक बार फिर रितेश ने मुझे उसी तरह लेकर एक कुर्सी पर बैठ गया।
दूसरे ही पल लगा कि रितेश एक बार फिर अपनी गर्मी को मेरे अन्दर उतार दिया।
ठीक उसी समय उस लड़के ने लड़की को नीचे बैठा कर अपने लंड को उसके मुंह में लगा दिया और कुछ सफेद सा उसके मुंह में डालने लगा जिसको लड़की ने पूरा गटक लिया और फिर मुंह से लड़के का लंड चाट कर उसकी मलाई को साफ कर दिया।
big-dick-amateuer-deepthroat-sexyadultgifs-1400927319n4g8k.gif

ऐसा देख कर मैंने रितेश से पूछा- तुम अपनी मलाई मेरे अन्दर क्यों डाल देते हो?
वो बोला- मुझे अच्छा लगता है।
तीन चार घंटे बीत चुके थे तो मैंने रितेश को चूम कर बाय किया और अपने घर चली आई।

कहानी जारी रहेगी।
NOT SAYING A SINGLE WORD TO THIS UPDATE
 
Newbie
31
24
6
लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-1

मेरा नाम आकांक्षा है।
Biography-of-Akanksha-Singh.jpg

यह मेरे साथ बीती हुई वो घटना है जिसका जिक्र मैं नहीं कर पा रही थी और अपने मन में नहीं रख पा रही थी।
पर भला हो अन्तर्वासना और शरद जी, जिन्होंने मेरी कहानी को अपने शब्द में मेरी इस घटना को पिरोया है, जिसकी वजह से मैं अपनी यह घटना आप लोगों तक पहुँचा पा रही हूँ।

कहानी शुरू करने से पहले मैं आप सभी से माफी इसलिये मांगती हूँ क्योंकि मैंने इस कहानी में खूब खुल कर जिस्म के अंगों के नाम लिये हैं ताकि आप लोग जब कहानी पढ़ें तो कहानी का मजा खुल कर लें।

मेरी कहानी मेरी कॉलेज लाईफ से शुरू हो जाती है।
मेरा Boy Friend जिसका नाम रितेश है,
ritesh_deshmukh_1497629710.jpg
जो बाद में मेरे जीवन का हमसफर भी बना।

शुरू शुरू में जब हमने कॉलेज ज्वाईन किया तो केवल हम दोनों क्लास मेट ही थे।

वो पढ़ने में भी बहुत अच्छा था इसलिये मेरी उससे दोस्ती भी हो गई।
हमने पढ़ाई में ही तीन समेस्टर निकाल दिये।

वो मेरी बहुत हेल्प करता, लेकिन कॉलेज टाईम में ही… न तो उसने कभी मेरे घर आने की कोशिश की और न ही उसने मुझे अपने घर बुलाया।

हाँ… उसमें एक अजीब आदत थी, वो यह कि जब कभी भी ममैं उसके पास किसी प्रॉब्लम को लेकर जाती तो वो मेरी प्रॉब्लम सोल्व तो करता लेकिन बीच-बीच में मेरे उरोजों में झाँकने की कोशिश जरूर करता और मेरे उरोजों की गहराइयों को मापने की कोशिश करता।
शुरू में तो मुझे बड़ा अजीब से लगता पर बाद में उसकी इस हरकत का असर होना ही बंद हो गया।
हम दोनों लोकल ही थे।

अरे हाँ… मैं तो अपना पूरा परिचय देना तो भूल ही गई।
मेरा नाम आकांक्षा है, मैं लखनऊ की रहने वाली हूँ, पाँच फुट पाँच इंच लम्बी हूँ। मेरे यौवन के दिनों का फिगर 28-30-28 था। न तो मेरी छाती ही ठीक से विकसित हुई थी और न ही मेरे शरीर का दूसरा अंग।

मैं बहुत दुबली पतली थी फिर भी कॉलेज के लड़के मुझे लाईन मारने से नहीं चूकते थे।
कामेन्ट तो ये होते थे कि एक बार मिल जाये तो इसकी चूची दबा-दबा कर बड़ी कर दूँ तो ये और मस्त माल लगेगी।

शुरू में मुझे बहुत बुरा लगता था और रोना भी आता था।
लेकिन धीरे-धीरे आदत होती गई और कभी-कभी लड़को की कमेन्ट सुनकर जब मैं घर पहुँचती थी तो शीशे के सामने नंगी खड़ी हो जाती थी और अपने छोटे छोटे लटके हुए अपने उरोजों को निहारती और अपने हाथों से दबाने की कोशिश करती।

खैर अब मैं तो शादीशुदा हूँ और मेरे उरोज भी काफी बड़े, सुडौल और आकर्षक हो गये हैं।
बात चौथे समेस्टर की है, एक प्रोजेक्ट मिला था, वो मुझसे पूरा नहीं हो पा रहा था और रितेश कॉलेज से समय नहीं दे पा रहा था।
कई दिन टल जाने के बाद एक दिन मैंने मन में ठान लिया कि रितेश के घर पर ही प्रोजेक्ट पूरा करूँगी।
ऐसा सोचते ही मैं एक दिन रितेश के घर दोपहर में पहुँची तो उसकी माँ ने दरवाजा खोला।

नमस्ते करने के बाद उन्होंने मुझे दूर से ही रितेश का कमरा दिखा दिया।
उस समय शायद रितेश की माँ के अतिरिक्त घर में कोई नहीं था।

मैं सीढ़ियों से चढ़कर रितेश के कमरे की तरफ बढ़ रही थी, कमरे के पास पहुँच कर मैं ठिठकी।
रितेश के कमरे का परदा हिल रहा था और उस परदे के हिलने से बीच-बीच में अन्दर क्या हो रहा है, दिखाई पड़ रहा था।

उसी बीच मैंने देखा कि रितेश कान में ईयर फोन लगा कर बिल्कुल नंगा बैठा है और अपने अंगूठे से अपने लंड के अग्र भाग के ऊपर चलाता और फिर उंगली को अपनी जीभ से चाटता।

मैं एकदम शॉक्ड हो गई रितेश का यह रूप देख कर…
मैं थोड़ी देर खड़ी रही और रितेश को देखती रही।

रितेश की हरकत और नंगा बदन देख कर मेरे शरीर में हल्की से अकड़न होने लगी और मुझे लगा कि मेरे शरीर से कुछ निकल रहा है। स्वत: ही मेरे हाथ मेरे नाजुक अंग पर चले गये और मुझे कुछ गीलापन सा लगा।

उस समय मैंने सलवार सूट पहना हुआ था तो सलवार के ऊपर से ही उस नाजुक स्थान को साफ करने लगी।

मेरा दिमाग में अब रितेश को नंगा देखने का खुमार चढ़ चुका था।
मैंने थोड़े से परदे को हटाते हुए उसको आवाज लगाई और ऐसे कमरे में प्रवेश किया जैसे मैंने कुछ देखा ही नहीं हो।

इस तरह अचानक मेरे अन्दर आने से रितेश हड़बड़ा गया और पास पड़ी हुई टॉवल को अपने नीचे के नंगे अंगों को छुपा लिया।
'ओह… I am sorry… बोल कर मैं वापस जाने लगी तो रितेश मुझे रोकते हुये बोला- कोई बात नहीं, अब अन्दर आ ही गई हो तो बैठो।
मैंने बैठते हुए पूछा- तुम नंगे बैठे हो कोई ऊपर नहीं आता क्या?
वह तौलिये को लपटते हुए खड़ा हुआ और दरवाजे को अन्दर से बन्द करते हुये बोला- शायद आज मैं दरवाजा बन्द करना भूल गया। तुम बताओ कैसे आना हुआ?

'वही प्रोजेक्ट में तुम मेरी मदद करो।'
वो बोला- ओह…

फिर मेरे कंधे पर हाथ रखते हुये बोला- तुम्हें भी मेरी मदद करनी होगी।
मैंने बिना कुछ सोचे उसे हाँ बोल दिया और पूछा- कैसी हेल्प करनी है?
तो उसने मुझसे पक्का वादा लेते हुए कहा- तुम इंकार नहीं करोगी?

मैं इन तीन समेस्टर में उसके इतने करीब आ चुकी थी कि मुझे उससे प्यार हो गया था और उसके लिये मैं सब कुछ कर सकती थी जो भी वो मुझसे चाहता इसलिये मेरे हाँ कहते ही वो मुझसे बोला- तुम मुझसे प्यार करती हो?

मैं अचकचा गई और हकलाते हुए मैंने उससे हाँ बोल दिया।
तो उसने खुश होते हुए मुझे कस कर अपनी बाँहों में जकड़ लिया।

यह मेरे जीवन का पहला क्षण था कि जब मैं किसी मर्द के बाँहो में इस तरह से जकड़ी हुई थी।

थोड़ी देर वो मुझे अपनी बाँहों में जकड़ा रहा, फिर मुझे अपने से अलग करता हुआ मुझे कम्प्यूटर के पास बैठाया और एक चैट डॉयलॉग बाक्स को दिखाते हुए बोला- जिससे मैं चैटिंग कर रहा हूँ, ये एक मेल और फीमेल हैं और दोनों मुझसे चैट तो कर रहे हैं लेकिन वेब कैम में नहीं आ रहे है। इनका कहना है कि अगर तुम्हारा कोई फीमेल पार्टनर हो तो ही वो दोनों वेब कैम में सामने आयेंगे। अगर तुम मेरी पार्टनर बन जाओ तो मजा आयेगा। फिर जैसा मैं बोलूँगा, वो दोनों करेंगे और फिर जो वो दोनों बोलेंगे हम दोनों को करना पड़ेगा।

मैंने थोड़ा सा मुंह बनाते हुए बोला- इसलिये तुम नंगे बैठे हो और चाहते हो कि मैं भी नंगी हो जाऊँ?
उसने मुस्कुराते हुये हाँ में सिर हिलाया।

उसकी इस बात से मेरी आँखों में आँसू आ गये।
मेरी आँखों में आँसू आने के कारण वो मेरे आँसू को पौंछते हुए बोला- आकांक्षा, तुम परेशान मत हो… नहीं करना है तो मत करो। पर मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और समेसटर ओवर होने के बाद जैसे ही मुझे जॉब मिलेगी मेरी जीवन संगिनी तुम ही रहोगी। चाहे तुम इस समय मेरे साथ हो या न हो।

उसकी इस बात को सुन कर पता नहीं मुझे कैसे उस पर विश्वास हो गया और बिना कुछ बोले मैं उसके साथ वेब कैम पर उसके सामने बैठ गई।
थोड़ा मुझे संकोच तो हो रहा था, फिर भी मुझे पता नहीं क्यों रितेश पर अपने से ज्यादा भरोसा होने लगा।

वेब कैम की रिक्वेस्ट रितेश ने भेजी जो दूसरी ओर से तुरन्त ही एक्सेप्ट कर ली गई।

दूसरी तरफ भी एक यंग कपल था।
उसने सबसे पहले ऑफर भेजा कि तुम अपनी पार्टनर के कुर्ते के अन्दर हाथ डालो।

रितेश ने वैसे ही किया पर मेरा हाथ ने उसके हाथ को बीच में ही रोक लिया।
तभी सामने से कमेन्ट आया कि तुम्हारी पार्टनर तो तैयार ही नहीं है।

इस पर रितेश को मेरे ऊपर हल्का सा गुस्सा आया और वो अपनी चैटिंग बन्द करने वाला ही था, पता नहीं मुझे क्या हुआ कि अचानक मैंने रितेश का हाथ पकड़ा और अपनी छाती पर रख दिया।
know-when-to-avoid-sex-to-not-get-pregnant-also-know-how-to-get-pregnant_730X365.jpg


रितेश मेरे उरोजों को सामने से आते हुए कमेंट के अनुसार दबाता और बीच में मेरे उरोजों के दानों को दबाता।
रितेश के ऐसा करते रहने से मेरे ऊपर एक बार फिर से उत्तेजना हावी होने लगी।

फिर रितेश ने उनसे भी वैसा ही करने को कहा, तो दूसरे कपल ने भी वैसा ही किया।
इस तरह दो चार-छोटी हरकत करवाने के बाद उसने लिखा- अब हम दोनों पूरी तरह सहमत हैं और अब जो चाहो वो ऑन कैम हम लोग गेम खेल सकते हैं।

दूसरा कपल जिसका नाम टोनी और मीना था,
4a74457a70a64d82affaea67d56dcbd1.2.jpg
दोनों नोएडा के रहने वाले थे।
उसमें से मीना चैट करने लगी और रितेश से बोली- आकांक्षा को अपनी गोदी में बैठाओ।
320x320.50.1.webp


अब मेरी भी झिझक खत्म हो चुकी थी इसलिये रितेश के कहने से मैं उसके ऊपर बैठ गई।
तभी पता नहीं रितेश को क्या याद आया, वो तुरन्त उठा और नेकर पहन कर नीचे गया और थोड़ी देर बाद ऊपर आया।

मैंने उससे पूछा तो बताया कि नीचे माँ को देखने गया था, वो अब सो रही है।
कहकर उसने अपनी नेकर उतारी और फिर नंगा होकर बैठ गया और मुझे अपनी गोदी में बैठा लिया।
इस समय रितेश के लिंग सिकुड़ा हुआ सा था।

मैं कालेज की एक लड़की हूँ, फिर भी मुझे थोड़ा संकोच था कि मैं चूची, बुर, चूत, लंड, लौड़ा, गांड ऐसे शब्दों का यूज करूँ।
यहाँ तक कि मेरी सहेलियाँ भी मुझे ओल्ड फैशन्ड कहती थी और वो खुले आम जब भी कोई लड़का मूतता था तो बोलती थी- देख क्या लंड है उसका!

लेकिन मेरे सेक्स की दुनिया रितेश के घर बिताये हुए उस दोपहर के पल ने बदल दी।
खैर! तभी टोनी ने लिखा कि आकांक्षा को अपने ऊपर इस तरह खड़ा करो कि उसकी गांड तुम्हारे मुँह के पास हो और उसकी सलवार उतार कर मुझे उसकी चूत को दिखाओ।

रितेश ने मेरी तरफ देखा और बोला- टोनी, तुम्हारी चूत देखना चाहता है।
meena-5.jpg


मुझे ये शब्द बड़ा अजीब सा लगा लेकिन मुझमे खुमारी भी बढ़ती जा रही था और मजा भी आ रहा था इसलिये मैं बिना कुछ बोले अपनी जगह पर खड़ी हुई।
उसी समय रितेश ने कैम को ऐसा सेट किया कि उसका केवल दूसरी तरफ मुँह दिखे।

दूसरी तरफ से ओ॰के॰ आने पर रितेश वापस चेयर पर बैठ गया और मैं उसकी जांघों पर खड़ी हो गई। मेरा चूतड़ सॉरी मेरी गांड ठीक रितेश के मुँह पर थी।

टोनी ने जैसा कहा, रितेश ने मेरी सलवार का नाड़ा खोल कर सलवार को मुझसे अलग कर दिया।
मेरे हाथ अपने आप ही मेरी योनि एक बार फिर से सॉरी चूत पर चले गये और दोनों टांगें आपस में सिकोड़ने लगी।

तभी टोनी का फिर मैसेज आया- चड्डी उतारो।
पर इस बार रितेश थोड़ा रूक गया और मैसेज टाईप करने लगा जिसमे उसने टोनी से कहा- मीना भी अपने पूरे कपड़े उतारे।
320x320.50.9.webp


मैसेज डिलिवर होते ही मीना ने एक झटके में अपने पूरे कपड़े उतार दिए।
मीना की चूची काफी बड़ी-बड़ी थी और उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था।

मीना ने एक कदम आगे बढ़ते हुए अपने हाथ से अपनी चूत को फैलाया, फिर अपने हाथ से ही अपनी चूची को दबाती और अपने निप्पल को अपनी जीभ से चाटती।

अब रितेश की बारी थी उसने भी मेरी चड्डी को मेरे से अलग कर दिया और मेरी गांड में अपने हाथ फेरते हुए बोला- आकांक्षा, तुम्हारी गांड तो बहुत ही चिकनी है!
कहकर दो-तीन किस उसने मेरी गांड पर कर दिए।

मैं अचकचा सी गई।
मेरी भी उलझन बढ़ती जा रही थी और मेरी चूत के एक अजीब सी खुजली सी हो रही थी।

तभी टोनी का मैसेज आया- तुम इसकी चूत चिकनी नहीं रखते हो क्या?
526x298.7.webp

रितेश क्या बोलता।

उसने टोनी से कहा कि वो अपना लंड मीना से चुसवाये।
preview.jpg

रितेश के कहने पर टोनी खड़ा हुआ तो उसका लंड तना हुआ था और काफी लम्बा नजर आ रहा था।

टोनी के लंड को मीना अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
मीना को ऐसा करते देख कर मेरी आँखें फटी की फटी रह गई।

मीना बड़े प्यार से टोनी का लंड चूस रही थी, कभी वो टोनी के पूरे लंड को अपने मुँह के अन्दर डालती तो कभी उसके लंड के अग्र भाग को अपनी जीभ से चाटती।
%E0%A4%B8%E0%A4%97%E0%A5%80-%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%AE-%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%AA%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%B2%E0%A4%82%E0%A4%A1-%E0%A4%9C%E0%A5%82%E0%A4%B8-%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B8-%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A5%80-3.jpg


काफी देर ऐसा करने के बाद जब मीना ने टोनी के लंड को अपने मुँह से निकाला तो टोनी का लंड सिकुड़ गया और उसी समय मीना ने अपने मुँह को कैमरे के सामने खोल दिया उसके मुँह में कुछ सफेद सा था।
321_--.jpg


तो मेरी जिज्ञासा बढ़ गई तो इस बार मैंने मैसेज लिखा- टोनी, तुम्हारा लंड तो टाईट था अब सिकुड़ क्यों गया और मीना के मुँह में ये सफेद-सफेद क्या है?

मेरे मैसेज को पढ़ते ही दोनों हँसने लगे।
फिर मीना उधर से मैसेज टाईप करने लगी और मुझसे पूछा- सही बताना, आज तक चुदी हो या नहीं? या सेक्स के बारे में नहीं जानती हो क्या?

मेरे 'नहीं' लिखने पर फिर वो बताने लगी कि मेरे मुँह जो सफेद सा पदार्थ देखा था वो टोनी का वीर्य था। और टोनी का जब वीर्य निकल गया तो उसका लंड सिकुड़ कर छोटा हो गया। तुम भी रितेश का लंड चूसो और उसका वीर्य अपने मुंह में लो, बड़ा मजा आयेगा।

मीना जल्दी जल्दी मैसेज टाईप कर रही थी, उसने रितेश को खड़ा होने के लिये बोला, जैसे ही रितेश खड़ा हुआ और मेरी नजर उसके लंड पर गई तो मेरा हाथ अपने आप मेरे होंठ से चिपक गया।

हालाँकि मैंने पूरी तरीके से किसी मर्द का लंड नहीं देखा था फिर भी रितेश का लंड काफी बड़ा नजर आ रहा था।

तभी मीना ने फिर से टाईप किया और बोली- जैसे मैंने टोनी के लंड को चूसा था, वैसे तुम रितेश के लंड को चूसो।
411_Sammy_same_dick.jpg

मेरे सिर पर उत्तेजना हावी होती जा रही थी और संकोच भी खत्म हो गया था तो मैंने रितेश का लंड अपने मुँह में लिया और जिस तरह मीना टोनी के लंड की चुसाई कर रही थी, ठीक वैसे ही मैं भी रितेश का लंड चूस रही थी।
(m=eafT8f)(mh=mCWQhFRhyDiBx1Ws)5.jpg


जैसे-जैसे मैं रितेश का लंड चूस रही थी वैसे-वैसे मेरे शरीर में भी एक अजीब सी उत्तेजना में वृद्धि हो रही थी और रितेश के मुँह से अजीब सी आवाज आ रही थी और वो मेरे सिर को बड़े ही ताकत के साथ अपने लंड के और करीब लाता जिससे उसका लंड मेरे हल्क तक चला जाता जिसके कारण मुझे घुटन सी होती।
ilklgidekhh61.gif


अचानक रितेश को पता नहीं क्या हुआ, वो मेरे सिर को पकड़ कर अपने लंड से मुझको अलग करने लगा और बोलने लगा- आकांक्षा, मेरा निकलने वाला है, तुम अपना मुँह हटा लो।

उधर टोनी और मीना हम दोनों को एकटक देख रहे थे और रितेश की हरकत से मीना समझ गई कि वो मुझे अपने से अलग करना चाहता है।
इसलिये उसने फिर मैसेज लिखा- अपनी कुतिया के मुँह में उल्टी कर!
मैंने मैसेज तो पढ़ लिया लेकिन रितेश मैसेज नहीं पढ़ रहा था और वो कोशिश कर रहा था कि वो अपना लंड मेरे मुंह से निकाल ले।
मैं उसके लंड को निकाल कर खड़ी हुई और उससे चिपकते हुए बोली- रितेश, मैं समझ गई कि तुम अपना वीर्य मेरे मुँह में क्यों नहीं आने देना चाहते हो। पर तुम मेरा प्यार हो और तुम्हारे लिये मैं कुछ भी कर सकती हूँ। कभी भी तुमसे नहीं बोलूँगी कि ये गलत है या था। हाँ… तुमको अगर पसन्द होगा तो! और जब तुम अपने लंड का पानी खुद चख सकते हो तो मैं क्यो नही।

जितनी देर मैं रितेश से चिपकी रही उतनी देर वो मेरी गांड को सहलाता रहा।
फिर मैं नीचे बैठी और उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
8966327e9a4cb5b77a5b0b0fe0ecf436.mp4-6b.jpg


रितेश की सिसकारियाँ बढ़ने लगी वो बड़बड़ाये जा रहा था- जानू, तुम मेरा माल अपने मुँह में ले लो पर गटकना नहीं!
कहकर वो झड़ने लगा और उसका वीर्य से मेरा मुँह भर गया और कुछ हिस्सा मेरे मुँह से बाहर आ गया।
%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%B9-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%9A%E0%A5%82%E0%A4%A4-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%B5%E0%A5%80%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF-16-%E0%A4%94%E0%A4%B0-pulsating-%E0%A4%A7%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A5%87-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A5%87-%E0%A4%97%E0%A4%B2%E0%A5%87-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%82%E0%A4%B9.jpg


रितेश ने मुझे उठाया और अपने मुँह को मेरे पास करते हुए बोला- आधा तुम मेरे मुँह में डाल दो।

मैंने ऐसा ही किया आधा मैं पी गई और आधा रितेश पी गया।

थोड़ा सा कसैला और बदबूदार लगा था मुझे पहली बार फिर भी रितेश के लिये मैं पी गई।

रितेश का बाकी का माल जो मेरी कुर्ती पर गिर गया था वो उसको चाटने लगा।
और फिर मेरी कुर्ती और शमीज उतार कर मुझे भी पूरी तरह नंगी कर दिया।

तभी टोनी का मैसेज फिर आया उसमें लिखा था कि क्या तुमने (रितेश) ने उसको (मुझे) कभी चोदा है?

रितेश ने तुरन्त ही उत्तर दिया- नहीं, यह हम दोनों के लिये पहली बार है जो हम तुम्हारे सामने कैम पर हैं। आज से पहले मैंने आकांक्षा को कभी भी नंगी भी नहीं देखा था।

'इसका मतलब आकांक्षा अभी तक नहीं चुदी है।'
20364768d25ac28299e548f7322e3df028e41510.gif


तभी मैंने लिखा- नहीं, मैं अभी तक नहीं चुदी हूँ और न इसके बारे में जानकारी है।
टोनी ने मैसेज लिखा- चलो, आज तुम दोनों को कैसे चुदने का खेल होता है, ये दिखाता हूँ। बस इतना करो कि अपनी कुर्सी को 90 डिग्री में घुमा लो और आकांक्षा को अपने गोदी में बैठा कर कस कर चिपका लो और फिर हमारा खेल देखो।


कहानी जारी रहेगी।
WOW MAST STORY DEAR
 
Newbie
31
24
6
लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-2
मैं और मेरा क्लासमेट वेब कैम पर सेक्स चैट कर रहे थे।
जब सामने वाले जोड़े को पता चला कि मैं अभी तक बिन चुदी हूँ तो उन्होंने कहा कि वे कैम पर हमें दिखाने के लिए चुदाई करते हैं।
हमने अपनी कुर्सी को 90 डिग्री में घुमा लिया और मैं रितेश के ऊपर चढ़ कर बैठ गई जैसा कि मीना और टोनी ने हमें करके बताया था।
मुझे रितेश ने कस कर पकड़ लिया, मेरी छाती और रितेश की छाती आपस में चिपक गई थी।
मेरे और रितेश के गाल आपस में इस तरह सटे हुए थे कि हम दोनों ही आसानी से उन दोनों के चुदाई के खेल को देख सकते थे।
उधर टोनी और मीना ने अपना खेल प्रारम्भ कर दिया।
टोनी ने कुर्सी पर बैठे ही अपनी दोनों टांगों को हवा में उठा लिया और टोनी अपने घुटने के बल बैठ कर मीना की चूत चाटने लगा।
थोड़ी देर चूत चाटने के बाद टोनी खड़ा हुआ और अपना लंड मीना की चूत में एक झटके से डाल दिया और उसके बाद आगे पीछे होने लगा।
जब टोनी जोर-जोर से मीना की चूत में धक्के मार रहा था तो मीना की चूची बहुत तेज तेज हिल रही थी।
उन दोनों के चुदाई के इस खेल को देखने से मेरे अन्दर भी गर्मी बढ़ती ही जा रही थी और शायद रितेश के जिस्म में भी गर्मी बढ़ती जा रही थी।
रितेश का हाथ कभी मेरी पीठ को सहलाता और कभी मेरी गांड के उभारों को सहलाता और बीच-बीच में अपनी उंगली को मेरे गांड की छेद के अन्दर डालने की असफल कोशिश करता।
उधर थोड़ी देर धक्के लगाने के बाद मीना उठी और अपने दोनों पैरों के घुटने के बल पलंग पर खड़ी हो गई और अपने दोनों हाथ को आगे की ओर टिका कर झुक गई।
मैंने रितेश से पूछा- ये क्या है?
रितेश ने तुरन्त ही वैसा ही प्रश्न टोनी से पूछा।
तो टोनी ने अपने वेब कैम को जूम करते हुए बताया कि ये कुतिया की पोजिशन है। इसमे मैं मीना की चूत में पीछे से लंड डालूँगा और उसकी गांड भी मारूँगा।
टोनी के अपने कैम को जूम करने से मीना की चूत और गांड साफ-साफ दिख रही थी।
उसके बाद टोनी ने एक बार फिर मीना की चूत में अपना लंड डाल दिया और धक्के लगाने लगा।
मीना ने अपनी गर्दन को मेरी तरफ मोड़ा और मुझे आँख मारते हुए अपने एक हाथ से अपने चूतड़ के उभार को सहलाने लगी।
कुछ देर इस तरह करने के बाद टोनी हल्के से एक साईड हुआ और मीना की गांड को थोड़ा सा फैलाते हुए उसकी छेद पर पहले तो थुका और उसके बाद फिर अपनी उंगली से छेद के अन्दर डालने लगा, उसके बाद फिर अपनी जीभ उसके आस पास के क्षेत्र में चलाने लगा और उस छेद को भी चाटने लगा।
उसकी इस हरकत से मेरे शरीर का दम निकला जा रहा था, मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे नीचे से कोई धार फूट रही हो।
रितेश के भी बर्दाश्त से बाहर हो रहा था, वो मेरी गांड के पीछे से अपने हाथ को चलाते हुए मेरी चूत को छू रहा था।
मेरा रस उसके अंगों में और हाथों में लग गया था।
वो मुझसे बोला- तुम्हारा पानी छूट गया है।
मुझे बड़ी शर्म सी लग रही थी लेकिन रितेश से चिपकना मेरी जिंदगी का सबसे हसीन पल भी था। इसलिये उसकी इस बात को सुनकर मैंने हौले से उसके गाल को चूम लिया।
जब टोनी थोड़ी देर तक मीना की गांड चाट चुका तो उसने अपने लंड को मीना की गांड के अन्दर डाल दिया, फिर उसी तरह वो धक्के पे धक्का दिये जा रहा था और बीच-बीच में मीना की चूची को जोर से मसल देता था।
आवाज तो नहीं आ रही थी पर मीना के भाव से लग रहा था कि चूची जोर से मसलने के कारण उसे दर्द हो रहा होगा और इसलिये वो अपने होंठों को अपने दाँतों के बीच दबा रही थी और उसकी आँखें चढ़ी हुई थी।
टोनी भी जोर-जोर से धक्के लगा रहा था, वो कभी अपने लंड को मीना की गांड में डालता तो कभी उसकी चूत में डालता।
फिर थोड़ी देर बाद मीना सीधी बैठ गई और टोनी ने अब अपने लंड को मीना के मुँह में डाल दिया और अपना पूरा माल मीना के मुँह में डाल दिया जिसे मीना ने पूरा चूस लिया।
उसके बाद टोनी नीचे बैठ कर मीना की टांगो को फैलाते हुए उसकी चूत को चाटने लगा।
कुछ देर ऐसा करने के बाद दोनों लोग कम्प्यूटर के सामने आकर बैठ गये और एक दूसरे के होंठ को चूमने लगे।
उसके बाद टोनी ने मैसेज भेजा कि मेरी प्यारी बीवी की चूत और गांड चुदाई कैसी लगी।
रितेश ने तुरन्त ही मैसेज दिया- यार, बड़ा मजा आया। जिन्दगी में पहली बार लाईव चुदाई देख रहा हूँ।
तभी टोनी बोला- चलो, अब तुम आकांक्षा को चोदो।
इतना पढ़ते ही रितेश ने मुझे गोदी उठाया और पलंग पर लेटा दिया और जिस तरह से टोनी ने झटके से मीना की चूत में अपना लंड डाला, उसी तरह से रितेश भी मेरी चूत में अपना लंड डालने की कोशिश कर रहा था पर जा नहीं पा रहा था।
हम दोनों ही सोच में पड़ गये कि ऐसा कैसे है कि टोनी एक झटके में मीना की चूत और गांड में अपना लंड डाल रहा था और रितेश का लंड मेरी चूत में जा ही नहीं रहा था।
काफी देर ऐसा करते रहने पर भी रितेश का लंड मेरी चूत के अन्दर नहीं गया।
तभी मेरी नजर स्क्रीन पर पड़ी तो देखा कि दोनों हँस रहे थे।
तभी टोनी ने अपने हाथ से इशारा करके हम दोनों को कम्प्यूटर के पास बुलाया और मैसेज भेजा कि मीना पहले से चुदी चुदाई है इसलिये उसकी चूत और गांड में मेरा लंड आसानी से चला गया और तुम दोनों का यह पहला मौका है। इसलिये रितेश तुम कोई क्रीम लेकर पहले अपने लंड पर लगाओ और उसकी चूत के अन्दर भी लगाओ। उसके बाद आकांक्षा को बिस्तर पर लेटाओ और उसे कहो कि वो अपने हाथों से अपनी चूत के छेद को खोले और फिर तुम उस छेद के अन्दर अपने लंड को धीरे-धीरे डालना। जब तुम्हारा पूरा लंड तुम्हारे पार्टनर की चूत के अन्दर चला जाये तभी तुम मेरी तरह धक्के लगा सकते हो।
फिर उसने मुझे भी समझाया- तुम पहली बार किसी मर्द का लंड अपनी चूत में लोगी और तुम्हें बहुत दर्द भी होगा पर तुम बर्दाश्त कर लेना। एक बार तुमने लंड का मजा ले लिया तो फिर मीना की तरह आसानी से किसी का भी लंड अपनी चूत में ले सकती हो। और हाँ दोनों चुदाई करते समय हम लोगों की तरफ देखते रहना।
उसके बाद रितेश क्रीम ले आया, पहले अपने लंड पर लगाई, फिर अपनी उंगली से मेरी चूत के अन्दर लगाई और वो अपने लंड को मेरी चूत में डालने लगा।
यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
लेकिन इस बार भी उसका लंड फिसल कर बाहर आ जा रहा था।
हम दोनों लगातार टोनी की तरफ देख रहे थे।
जब इस बार भी लंड मेरी चूत में नहीं गया तो टोनी ने मीना को पलंग पर लेटाया और उसकी कमर के नीचे दो तकिया रख दिए, मीना ने अपनी चूत फैला दी और टोनी एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर धीरे-धीरे उसकी चूत में डालने लगा।
अब रितेश ने भी ऐसा ही किया और मेरी कमर के नीचे उसने दो तकिया लगाए जिससे मेरी कमर का हिस्सा थोड़ा ऊपर उठ गया।
उसके बाद मैंने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को फैला दिया और रितेश ने अपने लंड को पकड़ कर जैसे ही मेरी चूत के अन्दर डाला, मुझे ऐसा लगा कि मेरे अन्दर कुछ बहुत ही गर्म चीज ने प्रवेश कर गया है।
मेरे दोनों हाथ स्वतः ही मेरी चूत से हट गये और मैं झटके से पीछे खिसक गई।
रितेश ने मुझसे पूछा तो मैंने बताया कि तुम्हारा ये (उसके लंड की ओर इशारा करके) बहुत ही जल रहा है।
रितेश बोला- और मुझे लगा कि मेरा लंड किसी गर्म तवे में टच कर गया है।
तभी टोनी का मैसेज आया, उसमें लिखा था- पहली बार ऐसा होता है।
हम दोनों इस खेल में अनाड़ी थे ही, इसलिये कुछ समझ में नहीं आ रहा था, फिर भी हम दोनों ने आँखों ही आँखों में इशारा किया। क्योंकि दोनों को यह बात तो पता थी कि पहली बार कुछ दर्द या अजीब सा होता है और फिर खूब मजा आता है।
टोनी और मीना ने भी हमको यही बताया था।
इसलिये एक बार फिर हम दोनों ने अपनी पोजिशन ली।
इस बार जब रितेश ने अपने लंड को मेरे अन्दर किया तो मैंने अपनी आँखें बन्द कर ली और रितेश ने भी एक जोर से धक्का लगाया तो मुझे लगा कि मेरे अन्दर कुछ कट सा गया है और मैं चीख पड़ी।
रितेश ने मेरे मुँह में हाथ रख दिया, इससे मेरी चीख अन्दर ही घुट कर रह गई।
यह तो अच्छा था कि तो वक्त दोपहर का था और रितेश की मम्मी अपने कमरे में सो रही थी, शायद इसलिये उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की, नहीं तो उनको अब तक रितेश के कमरे में होना चाहिए था।
रितेश मुझे लगभग डाँटते हुए बोला- मरवायेगी क्या? मम्मी ऊपर आ सकती है?
दर्द के मारे मेरे आँख से आँसू निकल रहे थे और लगभग रोते हुये बोली- मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
रितेश मेरे ऊपर झुक गया और मेरी आँखों से निकलते हुये आँसू को पीने लगा और बोला- पगली मुझे भी तो ऐसा लग रहा है कि मेरे लंड का चमड़ा फट गया है और मुझे भी खूब जलन हो रही है। थोड़ी देर और बर्दाश्त करते हैं।
अब हम लोग केवल अपने में ध्यान दे रहे थे।
उसके बाद रितेश ने अपने को थोड़ा पीछे किया और एक बार फिर जिस तरह से टोनी ने बताया था उसी प्रकार से धक्का दिया।
इस बार मुझे ऐसा लगा कि मेरे हलक तक कुछ घुस गया है।
जिस प्रकार उल्टी आने पर मुंह खुलता है ठीक उसी प्रकार मेरा मुँह खुल गया और आँखें ऐसा लग रही थी कि बाहर आ जायेगी।
पता नहीं रितेश को क्या सूझी कि वो मेरे ऊपर गिर गया और मेरे स्तनों को दबाने लगा और मेरे स्तन की घुंडी को अपने मुंह में लॉलीपॉप की तरह चूसने लगा।
उसके थोड़ी देर ऐसा करते रहने से मेरे शरीर के अन्दर एक अजीब सी सिरहन सी उठने लगी और मुझे लगने लगा कि मैं रितेश को अपने अन्दर ले सकती हूँ। और पता नहीं क्या हुआ कि मेरी कमर खुद-ब-खुद ऊपर की ओर उठने लगी मानो कह रही हो 'रितेश, मेरे ऊपर लेटो नहीं, आओ मेरे अन्दर आओ।'
शायद रितेश को भी मेरी कमर उठने का भान हो गया इसलिये वो सीधा हुआ और अपने लंड को एक बार फिर थोड़ा बाहर निकाला और फिर एक जोर से धक्का दिया।
उसके बाद वो धक्के पे धक्का देता रहा और उसके धक्के को मैं अपने अन्दर महसूस करती रही।
हालाँकि उसके इस तरह के धक्के से मुझे तकलीफ हो रही थी और मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी पर पता नहीं कब वो सिसकारी उत्तेजना भरी आवाज में बदल गई।
ठीक यही हालत रितेश की भी हो रही थी, उसके चेहरे से पसीना निकल रहा था और अपनी पूरी ताकत और वेग के साथ मेरे अन्दर आने की कोशिश कर रहा था।
कभी वो तेज धक्के लगाता तो कभी सुस्त पड़ जाता मानो थक गया हो… और फिर तेज धक्के लगाने लगता।
इसी क्रम में मेरा जिस्म भी उसका साथ देता।
मैं कभी उत्तेजनावश उसकी पीठ में नाखून गड़ा देती तो कभी उसकी घुंडी को दोनों उंगलियों के बीच में लेकर मसल देती।
वो भी गुस्से में आकर मेरे गाल में एक चपत लगा देता।
उधर मेरी चुदाई का आनन्द टोनी और मीना भी ले रहे थे।
तभी रितेश का शरीर अकड़ने लगा और फिर ढीला पड़ गया और मुझे लगा कि मेरे अन्दर को लावा फूट गया हो।
रितेश हाँफते हुए मेरे ऊपर गिर गया।
रितेश ने अपने लंड को मेरे भीतर ही पड़े रहने दिया, बाहर निकालने की कोई कोशिश नहीं की।
थोड़ी देर बाद उसका लंड सिकुड़ कर बाहर आ गया और रितेश मुझसे अलग होकर मेरे बगल में लेट गया।
पहली बार मुझे वो आनन्द प्राप्त हुआ जो मैं अपनी सहेलियों से सुनती थी।
हालाँकि मेरे योनि के अन्दर एक जलन सी हो रही थी।
मुझे इस समय रितेश पर बहुत प्यार आ रहा था, मैं उसके बाल सहला रही थी।
फिर रितेश और मैं दोनों अपनी जगह से उठे क्योंकि हम दोनों को ही अपने नीचे कुछ गीला सा लग रहा था।
उसी समय मेरी और रितेश की नजर बिस्तर पर पड़े हुए खून पर गई।
पता नहीं रितेश को क्या हुआ वो एकदम से अलमारी के पास गया और रूई निकाल लाया और मुझे बिस्तर पर बैठा कर मेरी टांगें फैला कर मेरी चूत और उसके आस पास की जगह को साफ किया।
उसके बाद वो मुझसे बोला- आकांक्षा यह मेरे और तुम्हारे मिलन की निशानी है, अब जिन्दगी भर ये मेरे पास रहेगी!
कहकर उसने उसे एक छोटी सी पन्नी के अन्दर रख लिया।
तभी मेरा ध्यान कम्प्यूटर पर गया, अब टोनी और मीना भी एक दूसरे को आगोश में लेकर चूम रहे थे।
रितेश और मैं उठ कर पास आये, टोनी ने विक्टरी का निशान बनाते हुए एक आँख मार दी।

मैं थोड़ा सा शरमा गई जबकि रितेश के चेहरे पर एक मुस्कान थी।
कहानी जारी रहेगी।
WOW SO HOT UPDATE
 
Newbie
31
24
6
लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-3

हमारी पहली चूत चुदाई के बाद टोनी ने एक मैसेज भेजा, जिसमें रितेश के लिये लिखा था- तुम मेरी मीना को चोद लो और मैं आकांक्षा को।
tumblrnjffjgkeprevzto-1501004339lp8c4.gif

रितेश ने मेरी तरफ देखा तो मैंने मना कर दिया।
जिस पर रितेश ने भी मना कर दिया।
उसके बाद टोनी ने कहा- जब कभी भी तुम दोनों के मन में अदला बदली का ख्याल आये तो हमें कॉल करना।
कह कर हम दोनों ने एक दूसरे से विदा ली।
उसके बाद मैंने भी अपने कपड़े पहने और घर चली आई।
मैं लगभग एक महीने तक रितेश के घर नहीं गई और न ही रितेश ने मुझे कभी फोर्स किया।
हाँ, अब कॉलेज में मैं और रितेश खूब समय बिताते और रितेश अब मेरी हर छोटी छोटी बातों का ध्यान रखता।
लेकिन अब एक बार जो आग लग चुकी थी उसे मैं चाह करके भी काबू में नहीं कर पा रही थी और न ही रितेश को बता पा रही थी।
पर एक दिन उसने मुझसे कहा कि उसका मन एक बार फिर मुझमें समाने के लिये कर रहा है।
मन में मेरे भी आग लगी थी, मैंने भी मौन स्वीकृति दे दी।
उसने सबकी नजरों को बचाते हुए मेरे गालों की पप्पी ली और मेरे स्तन को दबा दिया।
मुझे या शायद किसी को भी नहीं पता होता कि कल क्या होने वाला होगा लेकिन रितेश जैसा जीवन साथी मिलना बहुत ही नसीब की बात होती है।
दो दिन बाद रितेश ने मुझे बताया कि आने वाले रविवार को उसके घर में कोई नहीं होगा और अगर मैं चाहूँ तो…
कहकर उसने अपनी बात को बीच में ही रोक लिया, जिसको मुझे पूरा समझने में कोई परेशानी नहीं हुई।
मैंने उसे एक बार फिर अपनी स्वीकृति दे दी।
मैं यह नहीं समझ पा रही थी कि रितेश मुझसे जो कहता जा रहा था, मैं उसकी किसी बात को नहीं काट पा रही थी।
लेकिन अब एक बार जब सीमांए टूट गई तो अब उस सीमा को फिर से वापस बांधना मुश्किल सा था।
खैर मैंने रितेश से पूछा कि मैं उसके पास कैसे कपड़े पहन कर आऊँ तो वो बोला- देख, हम लोग जो करेंगे, नंगे होकर ही करेंगे, इसलिये तुम्हें कोई सेक्सी कपड़े पहन कर आने की जरूरत नहीं है, और वैसे भी तुम मेरे लिये हर कपड़े में सेक्सी ही हो।
मेरे लिये एक बहुत बड़ी समस्या खतम हुई क्योंकि अगर मैं घर से कुछ खास कपड़े पहन कर निकलती तो घर वालों से काफी झूठ बोलना पड़ता।
खैर रविवार का दिन आया और मैंने घर वालों से प्रोजेक्ट का बहाना बनाया और अपने रितेश के पास पहुँच गई।
रितेश ने दरवाजा खोला, वो नंगा था और उसका लंड बिल्कुल डण्डे के समान तना हुआ था।
घर के अन्दर घुसते ही रितेश ने मुझे दबोच लिया, अपने जिस्म से चिपका लिया और मेरे गालों, होंठों, गर्दन जहां पर उसने चाहा, चुम्मे की झड़ी लगा दी।
मुझे भी वहीं नंगी कर दिया और गोदी में उठा कर अन्दर ले आया।
जब मैं उसकी गोदी में थी तो मैंने भी रितेश को चूमना शुरू किया।
फिर उसने मुझे सोफे पर बैठाया और मेरी टांगें चौड़ी करके मेरे योनि, अरे… योनि नहीं… चूत के अग्र भाग को फैलाते हुए उसमे उंगली करने लगा और उसके बाद उसमें अपनी जीभ लगा दी।
थोड़ी देर तक अपनी जीभ से मेरी चूत की मालिश करने के बाद रितेश खड़ा हुआ।
तब मैंने पहली बार उसके लंड को साफ साफ देखा जो एकदम से तना हुआ था और उसके लंड के हिस्से वाला भाग बाल रहित था जबकि अभी भी मेरी चूत में बालों की भरमार थी।
मैं रितेश से बोली- यार, तेरे इस जगह बाल क्यों नहीं हैं?
तो वो मुस्कुराते हुए बोला- मैं इसे बनाकर रखता हूँ।
'तो मेरे भी बना दो…' मैंने उसकी ओर खुमारी भरी नजर से देखा।
वह तुरन्त मुड़ा, पहली बार मैंने नंगे रितेश को चलते हुए देखा उसके पीछे का हिस्सा ऊपर नीचे हो रहा था और उसकी गांड के बीचोंबीच एक लकीर सी खिंची हुई थी जो मेरे लिये बड़ा ही अनोखा था।
दो मिनट बाद ही वो एक क्रीम, कैंची, काटन और एक लोटा पानी ले आया।
मुझे थोड़ा सा अपनी तरफ खींचा जिससे मेरे कमर के नीचे का हिस्सा सोफे से बाहर हो गया और बाकी मैं सोफे पर पसर गई।
उसके बाद रितेश बड़े प्यार से मेरी चूत के बड़े हुए बालों को कैची से काट-काट कर छोटा कर रहा था और बीच-बीच में जांघ, चूतड़ के उभार आदि जगह को चाट लेता था, मेरी उठी हुई चूची को दबा देता और बीच-बीच में अपने लंड को उंगली से मसलता और फिर उस उंगली को चाट लेता।
जब वो मेरी जांघ को चूमता या चाटता तो मुझे एक गुदगुदी से होती।
जब उसने मेरी चूत के बालों को कैची से ट्रिम कर दिया तो उसके बाद उसने क्रीम वाली ट्यूब उठाई और मेरी चूत के आस पास अच्छे से लगा दिया और मेरे बगल में बैठ कर मेरे चूचों को चूसने लगा और मेरे हाथों को उठाकर मेरे बगल को भी चाटता।
उसके लिये मेरा जिस्म मक्खन की तरह था और मेरे जिस्म का कोई ऐसा हिस्सा नहीं था जिसे वो चाट नहीं रहा था।
करीब दस मिनट तक ऐसा करने के बाद उसने रूई को गीला किया और जहाँ जहाँ क्रीम लगाई थी, उसको साफ करने लगा।
फिर रितेश ने मुझे शीशे के सामने खड़ा कर दिया।
अभी तक मेरी चूत जो बालों से घिरी हुई थी अब वो बिल्कुल सफाचट हो गई थी और गुलाबी जैसी पाव रोटी लग रही थी।
मेरे हाथ स्वतः ही मेरी चूत पर चले गये… क्या मखमली चूत थी मेरी!
तभी रितेश ने मुझे पीछे से जकड़ लिया और मेरे कंधे को चूमते हुए मेरी एक टांग को उठा कर टेबल पर रख दिया और मेरी चूत को सहलाते हुए वो मेरी चूत में उंगली करने लगा।
मेरे हाथों की माला ने रितेश को जकड़ लिया और आंख बन्द करके जो वो कर रहा था, उसका आनन्द लेने लगी।
कुछ देर में मेरी चूत के अन्दर का पानी बाहर निकलने लगा और रितेश की उंगली गीली होने लगी, उसने अपनी उंगली निकाल कर मेरे मुँह में घुसेड़ दी।
खारी नमकीन सी उसकी उंगली मेरे मुंह के अन्दर थी और रितेश के बोल मेरे कान के अन्दर थे, वो कह रहे थे- लो, अपना पानी चखो! बड़ा स्वादिष्ट है।
मैं उसकी तरफ घूमी और उससे पूछा- तुम्हें कैसे मालूम?
तो बोला- जान, तेरे को स्वाद दिलाने से पहले मैंने इसका स्वाद लिया है और अब मैं इसका पूरा स्वाद लूंगा।
कहकर मुझे उसने थोड़ा नीचे किया, इस प्रकार झुकाया कि मेरी चूत और गांड के छेद उसे साफ-साफ नजर आने लगे।
फिर वो बैठ कर मेरी चूत से निकले पानी को चूसने लगा और बीच-बीच में मेरी गांड को भी चाटने लगा।
उधर मैं भी शीशे से अपने आप को देख रही थी।
मेरी उठी हुई चूची रितेश के हाथ में कैद थी और जैसा रितेश चाहता वैसा ही मेरी नाजुक चूचियों के साथ करता।
कुछ देर ऐसा करने के बाद वो उठा और पीछे से मेरी चूत रूपी गुफा में अपने लंड को प्रवेश कराने लगा।
उसका लंड मेरी गुफा के अन्दर जा ही नहीं रहा था।
कई बार कोशिश करने के बाद भी जब नहीं हुआ तो उसने मेरे कूल्हों पर कस कर तीन चार चपत लगाई जिससे मैं बिलबिला गई।
मुझे भी कुछ नहीं समझ में आ रहा था तो जाकर बिस्तर पर लेट गई और अपनी टांगें फैला कर उसे निमन्त्रण देने लगी।
रितेश को कुछ समझ में नहीं आ रहा था, वो मेरे पास आया और फिर जिस तरह उसने पहली बार मेरी चुदाई की थी, उसी तरह अपने लंड को मेरी चूत में प्रवेश करा दिया।
19456666.gif

इस बार भी एक दो प्रयास के बाद उसका लंड मेरे अन्दर प्रवेश कर गया और इस बार थोड़ा दर्द तो हुआ पर उस जैसा न तो दर्द था और न ही जलन जैसा पहली बार जब रितेश के लंड ने मेरी चूत रूपी गुफा के द्वार को खोला था।
लेकिन मजा बहुत आ रहा था।
वो बहुत तेज-तेज धक्के लगा रहा था, जैसे शायद वो बहुत गुस्से में हो।
इस बीच में मैं पानी छोड़ चुकी थी पर रितेश अभी भी धक्का लगाये जा रहा था।
कुछ ही पल बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और फिर कटे हुए पेड़ की तरह मेरे ऊपर गिर गया।
इस समय में उसके लावे को अपने अन्दर महसूस कर सकती थी।
थोड़ी देर बाद जब उसके शरीर की शिथिलता खत्म हुई तो वो खड़ा हुआ और कम्प्यूटर पर एक ब्लू फिल्म लगा दी जिसमें लड़का लड़की को कुतिया बना कर पीछे से चोद रहा था।
1579107601_6546500-3.gif

फिल्म लगाने के बाद रितेश मेरे पास आया और बोला मैं तुम्हें ऐसे ही चोदना चाहता हूँ।
मैंने उसके लंड को पकड़ा और बोली- लो, मैं इस तरह झुक जाती हूं, तुम एक बार फिर कोशिश कर लो।
कहकर मैं भी उस फिल्म की लड़की की तरह झुक गई।
रितेश हंसा और बोला- पगली, पहले मेरा लंड तो चूस कर खड़ा तो कर! जब तक यह खड़ा नहीं होगा तो जायेगा कैसे।
इन दो चुदाई में इतनी तो बात समझ में आ गई थी कि लंड की पूरी ताकत उसके टाईट होने पर है, अगर ढीला है तो फिर वो किसी काम का नहीं।
रितेश अपने हाथ में अपने सिकुड़े हुए लंड को लिये था और हंस रहा था।
मैं पलटी और घुटने के बल बैठ कर उसके लंड को अपने मुंह में ले लिया।
b7130514b3dd8866e870d9b945272a65.10.jpg

जैसे ही मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लिया तो मेरे और उसके मिलन का जो रस था, उसका स्वाद मेरे मुंह में था।
मैं उसके लंड को चूस रही थी।
तभी रितेश ने अपने लंड को मेरे मुंह से बाहर निकाला और उसके खाल को पीछे करते हुए लंड के टोपे को दिखाते हुए मुझे उस हिस्से पर अपनी जीभ फिराने के लिये बोला।
images

रितेश जैसे जैसे बोलता गया, मैं उसके टोपे को चाटती गई और रितेश के मुंह से सी-सी की आवाज आती गई।
कुछ ही देर में उसका लंड खड़ा हो गया।
रितेश ने मुझसे कम्प्यूटर की तरफ मुंह करके झुकने के लिये बोला।
मेरे दिल मैं तो एक ही बात थी कि जो रितेश कहे उसे करते जाओ।
इसलिये मैं कम्प्यूटर की तरफ मुंह करके झुक गई और रितेश मेरी कमर को पकड़ के अपने लंड को मेरी चूत में सेट किया और एक धक्का दिया।
MED_0015905547.gif

इस बार लंड सीधे मेरी चूत के अन्दर था।
अब मैं और उस फिल्म की लड़की एक ही पोजिशन में थे और रितेश उसी तरह धक्के मार रहा था जैसे उस फिल्म का लड़का कर रहा था।
th-1.gif

जिस-जिस पोजिशन में वो लड़का उस लड़की की चुदाई कर रहा था उसी पोजिशन में रितेश मेरी भी चुदाई करता।
उस लड़के ने लड़की को दीवार से सटा कर खड़ा कर दिया और उसकी एक टांग को पकड़ कर हवा में उठाकर उसको चोद रहा था तो रितेश ने भी मुझे उसी तरह की पोज में कर दिया और अपनी कार्यवाही शुरू कर दी।
206389.gif

उसकी नजर भी स्क्रीन पर थी।
फिर चार-पांच धक्के मारने के बाद रितेश ने मुझे डायनिंग टेबल पर बैठाया और अपना लंड मेरी चूत में डालने के बाद मुझे गोदी में उठा कर उछल कूद करने लगा।
word-image-5071-3.gif

अब इस समय मैं अपनी तो कुछ नहीं कह सकती पर रितेश को खूब मजा आ रहा था।
कुछ दस पन्द्रह शॉट लगाने के बाद एक बार फिर रितेश ने मुझे उसी तरह लेकर एक कुर्सी पर बैठ गया।
दूसरे ही पल लगा कि रितेश एक बार फिर अपनी गर्मी को मेरे अन्दर उतार दिया।
ठीक उसी समय उस लड़के ने लड़की को नीचे बैठा कर अपने लंड को उसके मुंह में लगा दिया और कुछ सफेद सा उसके मुंह में डालने लगा जिसको लड़की ने पूरा गटक लिया और फिर मुंह से लड़के का लंड चाट कर उसकी मलाई को साफ कर दिया।
big-dick-amateuer-deepthroat-sexyadultgifs-1400927319n4g8k.gif

ऐसा देख कर मैंने रितेश से पूछा- तुम अपनी मलाई मेरे अन्दर क्यों डाल देते हो?
वो बोला- मुझे अच्छा लगता है।
तीन चार घंटे बीत चुके थे तो मैंने रितेश को चूम कर बाय किया और अपने घर चली आई।

कहानी जारी रहेगी।
WOW MAST PICTURE WITH MAST HOT STORY POST
 
Well-known member
2,893
6,190
143
लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-8

मेरे पति रितेश को देहरादून जाना था, मैं उसके जाने के तैयारी करने लगी।
तभी वह मेरे पास आकर बोला- सॉरी यार… मुझे तुम्हें अकेले छोड़कर जाना पड़ रहा है।
'कोई बात नहीं यार… अगर मुझे खुजली होगी तो केले से काम चला लूंगी।'
रितेश मेरे पुट्ठे पर हाथ मारता हुआ बोला- यार, तीन चार जवान केले मेरे घर पर ही हैं। मैं सबकी नजर को अच्छी तरह से देखता हूँ, जिसको भी मौका मिलेगा वो तुम्हारी चूत में गोते तुरन्त ही लगा लेगा। खास कर मेरा जीजा अमित!
रितेश की बात सुनकर मुझे झटका लगा, क्योंकि इन चार-पाँच दिनों में मुझे अमित की बिल्कुल भी याद नहीं रही, पर जैसे ही रितेश ने अमित की बात छेड़ी, मेरे चहेरे पर मुस्कान आ गई और मैंने रितेश को कहा- अमित के केले को ही अपनी चूत में लूँगी क्योंकि मुझे उसे अपनी चूत का मूत पिलाना है।
जैसा कि मेरे और रितेश के बीच कोई परदा नहीं था तो हम दोनों ने तय किया कि एक दूसरे को रोज मोबाईल पर दिन भर की बातें बतायेंगे।
खैर रितेश देहरादून के लिये निकल गया, लेकिन मेरे दिमाग में अमित को रिझाने का तरीका नजर नहीं आ रहा था।
इसी उधेड़ बुन में बैठे हुए रात का निवाला अपने मुँह में डाल रही थी कि अमित ने एक बार फिर फ़िकरा कस दिया, बोलने लगा- अगर रितेश के बिना मन नहीं लग रहा है तो उसे वापिस बुला लेते हैं।
कहकर हँसने लगा।
तभी ससुर जी ने मुझसे बड़े प्यार से कहा- बेटी, अब तुम इस घर की हो और तुम्हें किसी भी प्रकार की पर्दे की जरूरत नहीं है। मुझे और तुम्हारी सास को छोड़कर इस घर में तुमसे बड़ा कोई नहीं है जिससे तुम्हें परदा करना पड़े, इसलिये मैं और तुम्हारी सास का मत यह है कि तुम भी नमिता की तरह गाउन पहन कर घर में रह सकती हो।
मैंने संकोचवश कह दिया- नहीं बाबूजीम ऐसे मैं कमर्फटेबल हूँ।
इस पर मेरी सास बोल उठी- नहीं बेटा, तुम नमिता की तरह गाउन पहन सकती हो।
'ठीक है माँ जी, जब रितेश आ जायेंगे तो मैं उनसे गाऊन मंगवा लूँगी और फिर पहन लिया करूँगी।'
'तभी बड़ी तेजी से नमिता दौड़ते हुए ऊपर गई और एक गाउन लेकर आ गई और बोली- भाभी, मेरी और तुम्हारी कद काठी एक जैसी है, तुम इसे पहनकर आ जाओ, तब तक मैं मां और बाबूजी को खाना खिला देती हूँ और फिर हम लोग साथ में खाना खायेंगे।
मैं गाउन लेकर ऊपर आ गई, लेकिन यह क्या… मेरे पास तो पैन्टी ब्रा भी नहीं थी क्योंकि रितेश की जिद के कारण मैंने काफी दिनों पहले से ही पैन्टी ब्रा पहना छोड़ दी थी।
तभी मेरे दिमाग में एक खुराफ़ात आ गई और मैं बिना पैन्टी ब्रा के ही गाउन पहन कर आ गई।
कमरे में इस समय मैं, नमिता और अमित ही थे।
बाकी के दोनों देवर भी खाना खाकर जा चुके थे और अब मेरे पास वो हथियार था जिससे अमित को मेरे काबू में आना ही था।
मैं नमिता की नजर बचा कर बीच बीच में अपने को झुका लेती और अमित को अपने चूचियों के दर्शन करा देती।
अमित के चेहरे से निकलते हुए पसीने का मतलब समझ कर मुझे खूब मजा आता।
मैं फिर से झुककर बैठ गई और जैसे ही रितेश की नजर मेरे जिस्म के अन्दर पड़ी तो वो अचानक बहुत तेज खांसने लगा और नमिता अमित के लिये पानी लेने बड़े ही तेजी से रसोई की तरफ भागी।
और मुझे एक पल का मौका मिल गया और मैंने अमित से कहा- और अमित जी, कौन सा दूध पीयोगे, मेरा या जो आ रही है उसका?
मैं कह कर शांत हो कर सीधी बैठ गई और खाना खाने लगी।
अमित के पास अब इतना मौका नहीं था कि वो मेरी बात का उत्तर दे सके।
खाना खाने के बाद हम तीनों ऊपर आ गये।
अमित ने सीढ़ियों के दरवाजे को अन्दर से बन्द कर दिया।
उसके बाद मैं नमिता को गुड नाईट विश करके अपने कमरे में आ गई और अमित नमिता अपने कमरे में घुस गये।
रितेश के बिना यह रात मेरी लिये बिल्कुल बेकार थी इसलिये मुझे नींद नहीं आ रही थी।
तो मैं खिड़की के पास जाकर खड़ी हो गई तो देखा कि अमित केवल अंडरवियर में छत पर सिगरेट पी रहा था।
अमित को देखते ही मैंने अपने कमरे में हल्की सी रोशनी कर दी और गाउन के बंधन को खोलकर खिड़की की तरफ मुँह करके लेट गई और खिड़की की तरफ देखने लगी।
कुछ ही देर में मुझे एक साया मेरी खिड़की की तरफ आता हुआ दिखाई दिया।
मैंने झटपट अपनी आँखों को इस तरह से बन्द कर लिया कि मैं हल्का हल्का बाहर की तरफ देख सकूँ।
तभी मेरी नजर खिड़की पर गई जहां पर अमित मुझे देखने की कोशिश कर रहा था।
लेकिन उसे शायद यह लगा कि मैं सो गई हूँ और वो मुड़ कर जाने वाला ही था कि मैं तुरन्त ही सीधी हो गई और एक तेज अंगड़ाई लेते हुए अपने स्तन को खुजलाने लगी।
मेरी इस हरकत से अमित एक बार फिर मेरी खिड़की की तरफ मुड़ा और मुझे देखने की कोशिश करने लगा और मैंने अंगड़ाई लेते हुए गाउन को पूरा खोल दिया एक तरह से पूर्ण रूप से नंगी हो गई थी और स्तन के साथ-साथ में उसकी उत्तेजना को बढ़ाने के लिये अपने जांघ के आस-पास और चूत को भी खुजला रही थी।
मैं थोड़ी देर तक उसी नंगी अवस्था में पड़ी रही और अमित मुझे घूर घूर कर देखे जा रहा था।
अब मुझे और तरसाना था तो मैंने तय किया कि केवल मेरी चूत के दर्शन मेरे जीजाजी को नहीं होना चाहियें, मैं पलट गई और अपने चूतड़ों का भी भरपूर दर्शन अपने जीजाजी को कराने लगी।
कुछ देर बाद मुझे लगा कि कमरे के साये का आकार छोटा और दूर जाता हुआ प्रतीत हो रहा था।
मैं पलटी तो देखा कि अमित अपने कमरे के अन्दर जा चुका था।
अब मेरी बारी थी, मैंने तुरन्त अपना गाऊन पहना और दबे पांव अमित के कमरे की तरफ बढ़ी।
अमित के कमरे से मध्यम रोशनी बाहर आ रही थी।
मैं अन्दर देखने की कोशिश करने लगी, लेकिन मैं ठीक से देख नहीं पा रही थी।
लेकिन बहुत कोशिश करने के बाद मुझे खिड़की के पास एक ऐसी जगह दिखाई पड़ी जहां से मैं बड़े आराम से नमिता के कमरे के अन्दर के हिस्से को देख सकती थी।
अमित मुझे देखने के बाद काफी उत्तेजित हो चुका था इसलिये उसने अपने सब कपड़े उतार लिये थे जबकि नमिता चादर लपेटे हुए थी और अमित उसकी चादर को खींच रहा था।
नमिता थोड़े गुस्से में थी, वो अमित को लगातार झिड़के जा रही थी, जिसका असर अमित पर कुछ नहीं हो रहा था, वो बस एक ही रट लगाये जा रहा था कि मुझे तुमसे प्यार करना है।
काफी बहाने बनाने के बाद जब नमिता की नहीं चली तो वो बोली- मैं चड्डी उतार देती हूँ, तुम अपना अंदर डाल लो।
'नहीं… तुम अपने पूरे कपड़े उतारो।'
नमिता चिल्लाते हुए बोली- मैं तेज तेज शोर मचाऊँगी, कम से कम भाभी तो आ ही जायेगी।
अमित अब शांत पड़ गया था, उसने नमिता की पैन्टी उतारी और अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और कुछ ही धक्के लगाने के बाद अमित ढीला पड़ गया और फिर नंगा ही नमिता के बगल में लेट गया।
नमिता भी करवट बदल कर सो गई।
पता नहीं अमित जल्दी क्यों खलास हो गया लेकिन जिस वजह से मैं अमित के कमरे की खिड़की से झांक रही थी, वो बात पूरी नहीं हुई।
मतलब मेरी चूत ने पानी नहीं छोड़ा था।
मैं आकर अपने कमरे में सो गई।

कहानी जारी रहेगी।
WOW MAST HOT POST
 
Well-known member
2,893
6,190
143
लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-9
रात में ननदोई जी को अपने नंगे बदन के नजारे दिखा कर सुबह मैं उससे रोज की तरह नार्मल ही मिली, जिससे उसे यह पता नहीं चल पाये कि मैंने जानबूझ कर उसे अपने चूत और गांड के दर्शन कराये हैं।
लेकिन मेरे मन में रह रह कर रात वाली बात खटक रही थी और जिस तरह से नमिता अमित के साथ व्यव्हार कर रही थी वो मुझे अच्छा नहीं लगा और मुझे लगा कि नमिता के लिये सेक्स केवल एक मजबूरी वाला काम है और उसे निबटाना है।
इसलिये मैंने निश्चय कर लिया कि आज कैसे भी मौका देखकर नमिता को कुछ सेक्स ज्ञान दे दूँ नहीं तो दोनों की आगे की जिन्दगी में सब कुछ खत्म हो सकता है।
मैं बाथरूम के पास खड़े होकर विचार कर रही थी कि मेरी नजर अमित पर पड़ी जो कि बाथरूम की ही तरफ बढ़ रहा था लेकिन उसकी नजर मेरे पर नहीं थी।
मैं झटपट अमित को तरसाने और अपने मजे के लिये लेट्रिन में घुस गई और सिटकनी को ऐसे लगाया कि वो एक झटके से खुल जाये।
हुआ भी वैसे ही… अमित एक झटके से दरवाजा खोलकर अन्दर आ गया और अपने लोअर से अपना लंड निकाल चुका था।
मैं हड़बड़ाहट में इस तरह उठ खड़ी हुई कि उसे भी मेरे चूत के दर्शन एक बार फिर हो जाये।
खैर एक नजर से अमित ने मेरी चूत देखते हुए सॉरी बोलकर अपने लंड को लोअर के अन्दर करके बाहर चला गया।
मैंने बड़े ही इत्मेनान से लैट्रिन का दरवाजा बन्द किया और हगने बैठ गई और नमिता को सेक्स का पाठ कैसे पढ़ाया जाये, यह सोचने लगी।
सोचते सोचते एक युक्ति आ ही गई।
फारिग होने पर मैं बाहर निकली तो थोड़ी दूर पर अमित खड़ा था।
उसकी नजर नीची थी, मैंने भी अपनी नजरें झुका ली जैसे कि शर्म के कारण मैं उससे नजर नहीं मिला पा रही हूँ।
अमित मेरे पास तेजी से निकला।
मेरे ससुराल दोनों देवर के कारण सभी को छः बजे उठना ही पड़ता है और एक तरह से सबकी आदत भी है क्योंकि मेरे ससुर एक आर्मी मैन थे तो घर में थोड़ा सा डिस्पिलन मेनटेन था।
दोनों देवर नहा धोकर कॉलेज जाने के लिये तैयार होने लगे।
मैं अपनी सास के साथ रसोई के काम में हाथ बंटाने लगी।
दोनों नाश्ता करने के बाद अपने कॉलेज निकल गये और उधर अमित भी अपनी यूनीफार्म पहन कर जाने के लिये तैयार हुए तो नमिता ने पूछ लिया कि इतनी जल्दी कैसे?
एक बार अमित ने मेरी तरफ देखा और फिर नजर नीचे हुए कहने लगा कि उसको किसी जरूरी केस के लिये जल्दी निकलना है और जल्दी-जल्दी नाश्ता करने के बाद अमित भी निकल गया।
अब घर में मैं, सास, ननद और ससुर जी थे।
मेरे ऑफिस की टाईमिंग दस बजे की थी और मेरे पास लगभग तीन घंटे का समय था तो मैंने नमिता को पाठ पढ़ाने का निर्णय लिया और नमिता के कमरे में अपने कपड़े लेकर पहुँची, उससे बोली- मेरी पीठ में खुजली बहुत हो रही है, मैं नहाने जा रही हूँ तुम आकर मेरी पीठ में साबुन अगर रगड़ दो और मेरी पीठ साफ कर दो तो ये थोड़ी खुजली खत्म हो जायेगी।
नमिता तैयार हो गई और मेरे साथ चलने लगी तो मैंने उससे बोला- तुम भी अपने कपड़े ले लो, मेरे बाद तुम भी नहा लेना फिर दोनों मिलकर साथ नाश्ता कर लेंगी और उसके बाद मैं भी अपने ऑफिस चली जाऊँगी।
नमिता मेरी बात मानते हुए अपने कपड़े लेकर मेरे साथ चल पड़ी।
मैं बाथरूम में पहुँची और तुरन्त गाउन कपड़े उतार दिये, चूंकि मैं अन्दर पैन्टी-ब्रा नहीं पहनी थी, मुझे एकदम से नंगी देखकर नमिता बोली- भाभी, तुम तो बहुत बेशर्म हो।
'क्या हुआ?' मैंने पूछा।
तो नमिता बोली- मैं तुम्हारे साथ हूँ और तुमने अपना गाऊन एकदम से उतार दिया… और अन्दर तुमने ब्रा और पैन्टी भी नहीं पहनी हुई है।
मैंने उसे हल्के से झिड़कते हुए कहा- तुम मर्द नहीं हो जिससे मैं शर्माऊँ। तुम भी तो एक औरत हो तो तुमसे क्या शर्माना? दूसरे… रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी, बहुत बैचेनी हो रही थी तो मैंने अपने सब कपड़े उतार दिये थे और सुबह मैं पहनना भूल गई थी।
अब मैं नमिता को क्या बताती कि मैं ब्रा और पैन्टी का यूज बहुत कम करती हूँ।
तभी नमिता फिर बोली- अरे हम दोनों ऊपर थे, इसका ख्याल तो करना चाहिये था ना? अच्छा हुआ हम लोगों की नींद नहीं खुली।
एक बार फिर मैंने उसके गालों को सहलाते हुए उसे बताया- मैंने अन्दर से अच्छी तरह से सब खिड़की दरवाजा बन्द कर लिए थे। कहते कहते मैंने शॉवर चला दिया, इससे हम दोनों भीगने लग गये।
'भाभी, यह क्या कर रही हो?'
मैंने उसे चुप कराते हुए कहा- चिल्लाओगी तो पापा या मम्मी यहाँ आ सकते हैं। चलो कोई बात नहीं, अब भीग गई हो तो अपने कपड़े उतार लो।
मैं उससे अलग होकर शॉवर के नीचे नहाते हुए बोली।
मैं जानबूझ कर नमिता के सामने अपने अंगों से खेल रही थी लेकिन नमिता अपनी जगह खड़े होकर केवल मुझे निहार रही थी।
उसको इस तरह देखकर मेरा गुस्सा बढ़ने लगा था कि तभी नमिता को न जाने क्या सूझा कि उसने अपनी सलवार और कुर्ते को उतार दिया।
नीचे वो हरे रंग की पैन्टी और ब्रा पहने हुए थी।
पास आते हुए बोली- भाभी, तुम घूमो, मैं तुम्हारी कमर पर साबुन लगा देती हूँ।
मैं घूम गई और नमिता साबुन लगाने लगी।
मेरे बिना कहे उसने मेरी पीठ के साथ-साथ वो मेरी टांगों, मेरे पीछे के उभारों में, आगे मेरी छातियों में और नीचे चूत और जांघ के आस पास नमिता ने सब जगह साबुन लगाया, खासतौर से वो मेरी चिकनी चूत को तो बड़े प्यार से साबुन लगा रही थी।
फिर धीरे से बोली- भाभी, तुम्हारे यहाँ बाल नहीं हैं, क्यों?
मैंने झटपट उत्तर दिया- तुम्हारे भईया को पसंन्द नहीं है।
'उनको इससे क्या लेना देना?'
'क्यों नहीं? मेरी ये जगह (मैंने अंगों के नाम न लेने में भलाई समझी, मैं चाहती थी कि पहले वो अच्छी तरह से मेरी बातों को समझने लगे) उन्ही के लिये तो है। वो बड़े रात में बड़े प्यार से इस जगह को चूमते हैं, इसमें अपनी जीभ फिराते हैं और फिर इसमें अपने लिंग को डालकर मुझे मजा देते हैं।'
'हम लोग इस जगह से पेशाब करते हैं, तो भी वो अपनी जीभ यहाँ चलाते हैं?'
'हाँ, मैं भी तो उनके लिंग को चूसती हूँ।'
'छीःईईई ईईईई!'
'क्या हुआ?' मैं उसे अपने से चिपकाते हुए बोली और फिर मैंने उससे साबुन लेकर उसकी ब्रा के हुक को खोला और साबुन लगाने लगी।
साबुन लगाते हुए मैं जब उसकी जांघ और चूत पर साबुन लगाने के लिए उसकी पैन्टी उतारने लगी तो उसने अपनी दोनों टांगों को सिकोड़ लिया और मुझसे साबुन मांगने लगी।
मुझे एक बार फिर उसे समझाना पड़ा तो फिर वो तैयार हो गई।
जब मैंने उसकी पैन्टी उतारी तो उसकी चूत के बाल काफी घने थे, ऐसा लग रहा था कि जब से वो जवान हुई है तब से उसने अपनी चूत के बालों की सफाई नहीं की है।
मैंने पूछा- ये क्यों?
तो नमिता ने जवाब दिया- मुझे अच्छा नहीं लगता है।
'क्यों, अमित ने नहीं बोला इसे साफ करने को?'
'बोलते तो हैं लेकिन मैं नहीं करती।'
मैंने साबुन लगाते हुए नमिता से कहा- पति पत्नी के सफल जीवन में सेक्स बहुत बड़ा रोल निभाता है, सेक्स से प्यार करो और पति को भी प्यार करो। नहीं तो कब दूसरी सौत आ जायेगी पता ही नहीं चलेगा… और फिर तुम्हारे रोने से कुछ भी नहीं होगा।
बात करते हुए मैं नमिता के पीछे गई और उसके गर्दन को चूमने लगी, साथ ही उसकी चूचियों से खेलने लगी।
'भाभी, ये क्या कर रही हो?'
'कुछ नहीं… चुपचाप केवल जो मैं कर रही हूँ उसको महसूस करो।'
मेरे हाथ धीरे से बढ़ते हुए उसकी चूत से खेलने लगे और नमिता केवल सिकुड़ती जा रही थी और साथ ही सिसकारियाँ भी निकलती जा रही थी।
जब मैंने देखा कि नमिता अब मेरी किसी हरकत का विरोध नहीं करेगी तो मैं नीचे उसके चूत पर अपने होंठों को रख दिया।
उसकी चूत वास्तव में काफी गर्म थी।
मैं नमिता की चूत में अपने जीभ चला रही थी, नमिता बोले जा रही थी- भाभी, मत करो प्लीज, मुझे कुछ हो रहा है!
लेकिन मैंने उसकी बातों को अनसुना कर दिया।
उसकी चूत चूसने के कारण नमिता के पैर कांपने लगे थे और फिर वो भी वक्त आया था कि उसके अन्दर की गर्मी मेरे मुँह के अन्दर थी।
उसके रस के स्वाद को लेने के बाद मैं उठी और नहाने लगी।
नमिता मेरे पीछे आई और मुझे कस कर पकड़ते हुए बोली- भाभी, मैं भी वही करना चाहती हूँ जो आप ने मेरे साथ किया है।
मेरे मुंह से तुरन्त निकला- नीचे बैठो और करो, मैंने कब मना किया है।
नमिता नीचे घुटनों के बल बैठ गई और मेरी चूत पर अपने मुंह को लगा लिया।
चूंकि उसे चूत चाटने का तो कोई अनुभव नहीं था, फिर भी वो चूत चाट रही थी।
मैं नमिता के साथ काफी देर से खेल रही थी तो मेरे अन्दर का माल भी बाहर आने को तैयार था, अगर नमिता मेरी चूत न चाटती तो मैं नहा कर कमरे में जाकर उंगली करके अपने माल को बाहर निकालती।
नमिता मेरी चूत चाटे जा रही थी और एक क्षण ऐसा भी आया कि नमिता के मुंह में मैं खलास हो गई।
जैसे ही मेरा नमकीन पानी नमिता के मुंह में गया, वो मुंह बनाते हुए बोली- ये क्या भाभी, ये क्या किया आपने?
'मैंने क्या किया?'
'मेरे मुंह में आपने पेशाब कर दिया!'
'नहीं, यह पेशाब नहीं है, इसको रज बोलते हैं। मेरे मुंह में भी तुमने यही किया था।'
फिर हम दोनों नंगी नहाने लगी और थोड़ी देर बाद मैं ऑफिस के लिये तैयार होकर आ गई।

कहानी जारी रहेगी।
WOW MAST STORY JA RAHI HAI NANAD BHABHI KE BEECH MEIN LESBO SEEN MJA AA GYA
 

Top