Incest SINFUL FAMILY

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पापी परिवार--7

बाथरूम मे पहुच कर तनवी ने अपने कपड़े उतारने शुरू किए ..वैसे तो उसे याद नही कि जीत कब उसे हॉल से उठा कर कमरे मे लाया और कब उसके नंगे बदन को कपड़ो से कवर किया ..लेकिन कपड़े बिल्कुल सॉफ्ट और कॉटन के थे ..वाइट छोटा सा टॉप और मॅचिंग कॉटन शॉर्ट कॅप्री ..तनवी ने सबसे पहले कॅप्री को अपने चुतडो से नीचे खीचा

" उफफफफफफ्फ़...... "

दर्द का एहसास होते ही उसने गर्दन पीछे घुमा कर चोटिल चूतडो पर हल्के हाथ का स्पर्श दिया ..नज़रें लाल निशान देखते ही फिर से छलक उठी

कितना प्यार करती थी तनवी जीत से लेकिन किस बुरी तरह से उसके बाप ने उस पर अपना कहर ढाया

अब तनवी ने फ्रेश को कर टॉप भी उतार दिया ..गीजर से पानी हल्का सा वॉर्म हो चुका था ..जैसे तैसे वो शवर के नीचे ख़िड़ी हुई ..भर - भर करता कुनकुना पानी अपने शरीर पर महसूस कर तनवी को बहुत रिलॅक्स फील हुआ ..उसे अब भी लग रहा था जैसे उसकी टाँगो मे जान ही ना बची हो ..जैसे तैसे उसने शवर के टॅप को मज़बूती से पकड़ कर खुद को नीचे गिरने से रोका हुआ था

बालो से बह कर नीचे आता पानी जब उसके चूदडो से हो कर गुज़रता तो चिन्मीनाहट के मारे उसकी आह निकल जाती ..उसने आज सोप का कोई यूज़ नही किया और लगभग 30 मीं. तक शवर के नीचे सेम सिचुयेशन मे खड़ी रही ..या यूँ कह लीजिए कि उसकी हिम्मत नही हुई कि पानी से बाहर निकल सके

" मुझे लेट हो रहा है "

सुबह सोची बात दिमाग़ मे आते ही उसने शवर टॅप बंद कर दिया ..हॅंगर पर टंगा टवल उतार कर धीरे - धीरे हल्के हाथो से अपना गीला बदन सुखाया और सर के गीले बालो पर टवल बाँध ही रही थी कि सामने लगे मिरर मे उसे जीत का चेहरा दिखाई दिया

जीत की नज़रे नीचे झुकी हुई थी लेकिन वो बाथरूम के गेट पर खड़ा था ..तनवी ने होश मे आ कर तुरंत अपने बालो से टवल को खोला और उतनी ही तेज़ी से अपने नंगे बदन पर लपेट लिया

उसकी इस हरकत को जीत ने फ्लोर पर बहते पानी मे देखा ..शायद तनवी ने उसके रात के वहशीपन के चलते अपने बदन पर टवल लपेटा होगा ..ऐसा सोच कर उसे खुद पर लज्जा आई और वो वहाँ से हटने लगा लेकिन वो बाथ रूम के गेट से पलट पाता इससे पहले ही तनवी ने अपने शरीर पर लपेटा टवल वापस खोल कर नीचे गिरा दिया

[ तनवी बचपन से बहुत गोरी ..सुंदर और छर्हरे बदन की लड़की थी ..कभी - कभी तो खुद रश्मि को भी अपनी बेटी के बढ़ते यौवन से जलन होती ..अक्सर पार्टियों मे जीत से मिलने वाले दोस्तों के मूँह से तनवी की तारीफ़ ज़्यादा और रश्मि की कम सुनाई देती ..वैसे लेज़्बीयन होने के अलावा तनवी मे और कोई खोट नही था ..शायद हमेशा खुश रहने के स्वाभाव ने उसके यौवन को वक़्त से पहले ही निखार दिया था ..लंबे बाल ..36सी के बूब्स सुडोल गोलाई के चूतड़ और लगभग 3 - साढ़े 3" की उभरी चूत ..तनवी ने शुरू से ही अपने आप को बिल्कुल नीट &; क्लीन रखा था ..जवानी के बालो को वो ज़रा भी सहेन नही कर पाती और 4 - 5 दिनो के अंतराल से हमेशा उन्हे सॉफ कर लेती ..अभी कल ही उसने अपनी आर्म-पिट ..चूत और आस होल को खूब चमकाया था लेकिन बेचारी को क्या पता था कि कल उसका बाप ही उसकी कुवारि इज़्ज़त को लूटने पर आम्दा हो जाएगा ..आज भी नहाने के बाद उसका जिस्म मार्बल की तरह शाइन कर रहा था ]

जीत को हैरानी हुई क्यों कि अब तनवी न्यूड उसके करीब चलती आ रही थी ..जैसे - जैसे उसकी बेटी के कदम उसकी तरफ बढ़ते हर कदम पर जीत का दिल बुरी तरह धड़क उठ ता ..जब तनवी और जीत मे सिर्फ़ 1/2फीट का फासला रह गया तब तनवी अपने घुटनो पर नीचे बैठ गयी

" डॅड प्लीज़ मुझे मारना मत ..मैं बिना कहे आप का जी भर के चूसुन्गि "

तनवी ने फफकते हुए रुआसी आवाज़ मे कहा और अपने हाथो को ऊपर उठा कर जीत की जीन्स का बटन अनलॉक करने लगी

एक तो तनवी का बुरी तरह से सिसकारियो के साथ रोना और दूसरा जीत के सामने ऐसी बात कहना ..जीत को लगा जैसे अभी ज़मीन फॅट पड़े और वो उसमे समा कर अपने गुनाह से मुक्त हो जाए ..उसका शरीर थर - थर कापने लगा ..हाथ जाम गये ..वो तुरंत वहाँ से हट जाना चाहता था लेकिन दिमाग़ था जो बिल्कुल सो चुका था

तनवी ने जीन्स का बटन अनलॉक कर दिया था और कमर मे हाथ डाल उसे नीचे खीचने लगी ..रात को पहने कपड़ो मे जीत ने ब्रीफ नही डाली थी ..जीन्स उतार कर उसके घुटनो तक आ गयी ..लंड पर निगाह जाते ही तनवी ने अपना चेहरा आगे किया लेकिन एक बात जो उसने महसूस की वो थी लंड मे तनाव ना के बराबर होना ..जबकि जीत पिच्छले 5 मीं से बाथरूम मे तनवी को नंगा देख रहा था ..उसे जीत की कल वाली बात भी याद आई जब उसने बोला था की ' तेरी आँखें खुली रहनी चाहिए '

तनवी ने अब लंड से नज़र हटा कर ऊपर उठानी शुरू की साथ ही लंड पर अपने हाथ का पहला स्पर्श दिया ..जैसे ही उसकी आँखे अपने डॅड की आँखों से टकराई ..जीत की आँखों से पहला आँसू निकल कर उसकी बेटी के गाल पर गिरा ..उसने पूरी ताक़त से तनवी को ऊपर उठाया और किसी फूल की तरह अपने सीने से चिपका लिया

" आइ'म सॉरी "

बस इतना कह कर उसने बुरी तरह से तनवी को चूमना शुरू कर दिया ..उसके गाल ..माथे पर हज़ारों चुंबनो की वर्षा कर दी ..तनवी का सर अब उसकी छाती मे छुपा हुआ था और वो काफ़ी देर तक रोते हुए उसकी पीठ पर अपना हाथ फेरता रहा ..तनवी भी खुद को रोने से नही रोक पाई ..उसने जीत के पाश्‍चाप को स्वीकारा और अपने हाथ उसके गले मे डाल कर किसी गुड़िया की तरह चिपक गयी

जब बाप बेटी पूरी तरह से एक दूसरे को माफ़ कर चुके तब जीत बाथ रूम मे लगे बाथ टब पर बैठ गया ..तनवी अब भी उसकी मजबूत बाहों मे थी ..जीत ने उसे पेट के बल घुमाया और कल रात जिस तरह उसकी पैंटी को उसके शरीर से उतारा था सेम उसी पोज़िशन मे ले आया ..तनवी बड़े गौर से उसकी हर्कतो को नोट रही थी और दोनो के होंठ कुछ ना कहने की स्थिति ने पूर्ण रूप से बंद थे

जीत ने देखा कल की अपेक्षा आज घाव ज़्यादा बढ़ गया है ..तनवी के चूतड़ पहले के मुक़ाबले सूजे हुए हैं ..जीत जानता था कि ये ग़लत है जो आज फिर तनवी उसकी बाहों मे नंगी लेटी है पर उसे खुशी थी कि कम से कम उसकी बेटी ने उसे माफ़ तो किया ..उसने अपने हाथ का हल्का स्पर्श उसके चूतड़ पर दिया और तनवी के मूँह से चीख निकल गयी ..जीत ने पास रखी आंटिसेपटिक लिक्विड की बॉटल उठा कर उसके कुछ ड्रॉप्स घाव पर गिराए और बिल्कुल सॉफ्ट हाथ से घाव को सॉफ करने लगा

लोशन ने पूरे चूतडो पर झाग बना दिया ..जीत अपनी ग़लती सुधारने मे खोया था और तनवी अपनी सोच मे ..जीत की जीन्स नीचे सर्की होने की वजह से उसका लंड तनवी के पेट से चिपका था और तनवी के बड़े - बड़े बूब्स उसकी जाँघ से ..यहाँ कोई और मर्द होता तो ना जाने कब का लंड तनवी की कुँवारी चूत ने पेल देता लेकिन जीत ने आज खुद के जज़्बातो को कंट्रोल मे रखा था कि जो न्यूड जिस्म उसकी नज़रो के सामने है वो किसी और का नही अपनी खुद की बेटी का है

सब कुछ ऐसे ही चल रहा कि जीत के हाथ चूतडो की दरार को खोलने लगे ..ऐसा उसने अन्द्रूनि घाव को चेक करने के लिए किया लेकिन चूत का उभर क्लियर होते ही जीत के लंड ने अपनी पहली ठुमकि मारी जिसे तनवी ने अपने पेट पर महसूस किया और वो बुरी तरह शर्मा गयी

" डॅड बाकी मैं कर लूँगी "

जीत समझ गया कि तनवी को उसके लंड के खड़े होने का एहसाह खुद के पेट पर होने लगा है लेकिन वो खुद कैसे घाव की सफाई करेगी ये सोच कर जीत ने खुद को कंट्रोल करने की बहुत कोशिश की लेकिन एक बार किसी मर्द का लंड चूत की झलक देख ले फिर कहाँ उसे चैन मिलता है ..यहाँ पर तो चूत वर्जिन थी वो भी किसी डबल पाव की तरह

जीत ने देखा कि अब उसकी कंट्रोलिंग पवर घटेगी नही सिर्फ़ बढ़ेगी ही तो उसने जल्दी से बाथ टब का पानी लेकर घाव को धोया और बाथ - रूम के हॅंगर पर किसी सॉफ कपड़े की तलाश मे नज़रें घुमाने लगा ..मन मुताबिक वहाँ कोई कपड़ा मौजूद ना होता देख जीत ने वापस तनवी को गोद मे उठाया लेकिन उसके कदम आगे बढ़ते इस से पहले ही उसकी अनलॉक जीन्स पूरी तरह उतर कर फ्लोर पर गिर पड़ी ..माजरा देख तनवी के मूँह से हसी तो छूटी लेकिन तुरंत ही उसने खुद पर काबू भी कर लिया ..अब जो होना था सो हो गया

जीत ने जीन्स को अपनी टाँगो की मदद से वहीं बाथ - रूम मे छोड़ा और तनवी को ले कर उसके कमरे मे आ गया ..गोद मे उल्टी लेटी तनवी दूसरी बार जीत का खड़ा लंड इतने नज़दीक से देख रही थी ..जीत ने जिस ताक़त के साथ उसे थामा ..तनवी को इस उमर मे उसकी ऐसी पार्सनालटी की उम्मीद कतयि नही थी

" स्ट्रॉंग मॅन "

तनवी के मन ने उसकी बात का पूरा साथ दिया


बेड पर अपनी बेटी को इस तरह लिटाया जाए ये सोचने मे जीत को अपना मूँह खोलना ही पड़ा

" कैसे ? "

तनवी पेट के बल उसकी गोद मे थी लेकिन उसकी बात का अंदाज़ा लगा लिया

" ऐसे ही लिटा दीजिए "

स्लो वाय्स मे तनवी का जवाब सुन जीत ने उसे सेम पोज़िशन मे बेड पर लिटाया और अगले ही पल तनवी कंट्रोल खोते हुए ज़ोर से हंस दी

वजह थी जीत का खड़ा लंड जो उसकी टी-शर्ट के नीचे अपना सर उठाए खड़ा था ..तनवी को हँसते देख जीत को ख़ुसी हुई ..शायद उसकी बेटी ने उसे कल के लिए पूरी तरह से माफी दे दी थी

" बिल्कुल भी कंट्रोल नही ..छ्हीईई...... "

जीत ने देखा तो तनवी अपने मूह पर हाथ रख कर हौले - हौले हंस रही थी ..जीत की आँखों ने अपनी बेटी की आँखों का पीछा किया तो पाया तनवी के मुस्कुराने की वजह टी-शर्ट के नीचे खड़ा उसका मूसल लंड है

उसने तुरंत ही लंड को टी-शर्ट से कवर किया लेकिन कोई लुल्ली नही थी जो छुप जाता ..ना जाने कैसे जीत के चेहरे पर भी स्माइल आ गयी

" जब नही हो तथा तो क्यों बाचते हो कथा "

तनवी ने फिर से व्यंग मारा ..जीत शर्मा कर कमरे से बाहर जाना चाहता था लेकिन इस बार तनवी ने जान कर दर्द की आह भरी

" वो क्रीम उधर है "

वॉर्डरोब के कपबोर्ड की तरफ इशारा कर तनवी ने उसे कमरे से बाहर जाने से रोक दिया और जीत क्रीम उठाने चल दिया

जीत के पलटने से उसके मांसल चूतड़ देख तनवी की चूत आज पहली बार किसी मर्द के नाम पर गीली हुई ..उसने हाथ से चेक किया तो चूत ने लावा उगलना शुरू कर दिया था ..तनवी ने मन मे कुछ सोचा और तुरंत ही जीत को परखने का आइडिया लगा लिया ..अपनी टांगे चौड़ा कर वो इस पोज़िशन मे लेट गयी ताकि क्रीम लगाते वक़्त डॅड को उसकी वर्जिन चूत के खुल कर दर्शन हो सकें

हालाकी ताली एक हाथ से नही बजती तो उसने दोनो पहलुओ से सोचा ..पहला बाप और दूसरा एक आम मर्द लेकिन चूत मे बढ़ती खुजली उसकी बर्दास्त से अब बाहर थी ..शायद जीत के प्रति उसका ये पहला सेक्षुयल अट्रॅक्षन था और लेज़्बीयन सोच से से मुक्ति ..जो रश्मि भी चाहती थी .

कपबोर्ड से क्रीम निकाल कर जीत पलटा तो उसकी नज़रे बेड पर लेटी तनवी पर गयी ..कमरे मे दिन का काफ़ी उजाला आ चुका था और सब कुछ दूर से भी क्लियर दिखाई देने लगा

जीत ने देखा तनवी के हाथ उसके चूतडो पर घूम रहे है लेकिन उसके हाथ की उंगली खुद की वर्जिन चूत की फांको को कुरेद रही थी ..जीत की लाइफ का ये पहला मौका था जब उसने अपनी बेटी को खुद की गीली चूत से खेलते पाया ..लंड तो पहले से ही इतना तन चुका था कि मानो टूट कर गिर जाएगा ..अपने आप ही उसका हाथ लंड को गिरफ़्त मे लेने के लिए ऊपर उठा और मुट्ठी बना कर हाथ ने लंड की खाल को आगे पीछे करना शुरू कर दिया ..यहाँ शायद बाप बेटी दोनो का मन अपने तंन के हाथो मज़बूर था

तनवी ने अपनी आँखें खोली और जीत की आँखों मे देखा लेकिन एक पल के लिए भी उसने अपनी उंगली चूत के मूँह से हटाने की कोई कोशिश नही की ..यही हाल जीत का था उसके हाथ लगातार लंड को हिलाए जा रहे थे ..कुछ वक़्त तक दोनो की नज़रे मिली रही और तनवी ने शर्मा कर आँखें फिर से बंद कर ली ..जीत ने सोचा उसका इस तरह से अपनी बेटी के कमरे मे नंगा रहना बिल्कुल भी वाजिब नही ..अगर उसके लंड को तुरंत रिलॅक्स नही मिला तो शायद आज कुछ ऐसा हो जाएगा कि बाप - बेटी कभी एक दूसरे से आँख मिलाने लायक नही रहेंगे

" डॅड दवाई लगने से क्या घाव सही हो जाएगा ? "

तनवी की बात कान मे सुनाई पड़ते ही जीत को फिर से वही मंज़र दिखाई दिया जब उसने वहशी पन के चलते बेल्ट मारते हुए तनवी के चूतडो पर खून उखेड़ा था ..शायद तनवी की बात का अर्थ ये था कि उसके तंन के घाव तो सही हो जाएँगे लेकिन मन के घावों का क्या ..जो उसके सगे बाप ने बड़ी बहरामी से अपनी बेटी के दिल पर बनाए थे ..जीत ने कोई जवाब नही दिया बस उसके कदम बेड की तरफ बढ़ गये ..सोच मे खोने का नतीजा ये हुआ कि कमरे से बाहर जाने की बात भी उसके दिमाग़ से पूरी तरह निकल गयी

बेड पर जीत के बैठने की जगह बनाने के लिए तनवी ने खुद को बेड के सेंटर मे खिसकाया और जीत उसके बगल मे अपने घुटने मोड़ कर बैठ गया ..खड़ा लंड सर उठाए बहुत ही भयानक दिखाई दे रहा था जिसे तनवी अपनी कनखियों से जीत की नज़र बचा कर देखने लगी

" आहह...... "

जीत ने ट्यूब से क्रीम निकाल कर उसके चूतडो पर हल्की उंगली से लगाई तो तनवी की आह निकल गयी ..उसने उकड़ू बैठने की कोशिश की तो

जीत ने उसकी कमर पर अपनी कोहनी का दवाब डाल कर मना कर दिया

" डॅड मुझे बहुत पेन हो रहा है ..रहने दो "

वाकई मे तनवी दर्द से तड़प रही थी

" बस थोड़ी देर और "

जीत ने बस इतना सा जवाब दिया और अपना चेहरा चूतडो के पास कर नीचे झुका लिया ..घाव देखने मे आसानी की वजह से उसने ऐसा किया लेकिन तनवी की लगातार बहती चूत की खुश्बू से उसका रहा सहा सबर भी खोने लगा

" उफफफफफ्फ़ .....खुजली "

तनवी ठीक टाइम पर पंच मारती हुई अपना हाथ पीछे ले जा कर चूत की फाँक को सहलाने लगी..खुद के रस से सन कर उसकी उंगलियाँ चिप - चिपि हो गयी ..चेहरा नीचे झुके होने से जीत इस व्यू को बड़े गौर से देख रहा था और उसके खड़े लंड से प्री कम की बूंदे सुपाडे पर छलक आई

" डॅड आप को भी खुजली हो रही है क्या ? "

तनवी ने उसके गीले सुपाडे को देख कर कहा तो जीत की बॉडी मे बहता पूरा खून रुक गया उसने अपने हाथ से लंड छुआ ही था कि तनवी ने तेज़ी दिखाते हुए अपनी उंगली उसके गीले सुपाडे पर टिका दी

" तनवी..... "

जीत बुरी तरह से चीख पड़ा

" डॅड आप मेरे उधर खुजा दो मैं आपके यहाँ खुजली कर देती हूँ "

तनवी जो भी कर रही थी फुल कॉन्फिडेन्स और फुर्ती से ..जीत उसकी तेज़ी के मुक़ाबले आधा भी नही था ..तनवी ने बात को पूरा करते हुए जीत का फ्री हाथ अपनी फूली कुँवारी चूत पर दबा दिया और दोनो इस मस्ती भरे एहसास से बुरी तरह काँप उठे

" डॅड खुजाओ ना ..मुझसे रहा नही जाता "

रही सही कसर तनवी ने अपनी बात को कह कर पूरी कर दी और खुद उसके गीले सुपाडे पर अपनी नरम उंगली को फेरते हुए आहें भरने लगी ..जीत ने कुछ भी सोच पाने की स्थिति को खो दिया और अपनी कड़क उंगली का घर्षण चूत की कोमल देह पर देने लगा ..अब बाप बेटी दोनो मस्त थे ..जीत की आँखें बंद थी तो तनवी ने इस वक़्त को ठीक समझा अपने मन की बात जान ने के लिए

" डॅड एक बात पूछु "

तनवी ने लंड को अपनी मुट्ठी मे भर कर कहा ..पूरा हाथ लपेटने पर भी लंड उसकी पकड़ से अधूरा था

" ह्म्‍म्म्म...... "

जीत ने बिना आँखें खोले जवाब दिया

" डॅड आपने कल मुझे सिर्फ़ इस लिए मारा था ना ..क्यों कि मोम के जाने के बाद आपकी सेक्षुयल नीड्स पूरी नही हो पाती "

तनवी लंड को ऊपर - नीचे हिलाते हुए मास्टरबेट करने लगी ..जीत के कानो मे ये बात गयी और उसने झटके से अपनी उंगली चूत के मूँह से हटा दी

" डॅड खुजाते हुए बोलो ना ..अच्छा लग रहा है "

तनवी ने उसकी मनोदशा को ताडा और उसका हाथ फिर से अपनी चूत पर दबा दिया ..जीत काफ़ी देर तक उसके सवाल का जवाब ढूंढता रहा

" रश्मि ने मुझे बताया था कि तू एक नॉर्मल ज़िंदगी से दूर जाने लगी है ..तो मुझे अफ़सोस हुआ "

जीत ने काफ़ी स्लो वाय्स मे जवाब दिया

" डॅड अगर मोम को इस बात से तकलीफ़ थी तो मुझे बात सकती थी ..मैं कभी उनका दिल नही दुखाती ..बट आप ने कल "

तनवी रुआसी हो कर बेड पर बैठी और जीत से सीने से चिपक गयी

" डॅड मैं बिल्कुल अकेली हो गयी हूँ ..मैने मोम को नही मारा ..आप जैसा चाहोगे मैं वैसा ही करूँगी ..लेकिन डॅड मेरे मन से लेज़्बीयन होने वाली बात शायद कभी नही जा पाएगी क्यों कि मुझे लड़को मे कोई इंटेरेस्ट नही "

तनवी सिसकते हुए चुप हो गयी लेकिन जीत ने उसे अपने से अलग नही किया और ना ही उसकी किसी बात का कोई जवाब दिया ..वो किसी गहरी सोच मे डूबा था और उसकी सोच वाकई बहुत गहरी थी ..' तनवी के कहे अनुसार वो लड़को के प्रति कभी अट्रॅक्ट नही हो पाएगी ' बस अब उसकी सिर्फ़ यही बात जीत के कानो मे गूँज रही थी

अचानक से जीत ने तनवी का माथा चूमा और उसे बेड पर बैठा छोड़ खुद फ्लोर पर खड़ा हो गया ..उसने अपने शरीर से टी-शर्ट उतार कर दूर फेक दी

" देख तनवी लड़के ऐसे होते हैं ..किसी तरह के डर की कोई बात नही बस तुझे अपने मन से ये लेज़्बीयन होने का भ्रम मिटाना होगा ..मैने कल रात जो किया उसके लिए बहुत शर्मिंदा हूँ ..हाथ जोड़ कर अपने किए की माफी भी माँगता हूँ ..हो सके तो मुझे माफ़ कर देना बेटी "

इतना कह कर जीत अपना सर झुकाए कमरे से बाहर जाने लगा

" डॅड "

तनवी ने उसे आवाज़ दी तो जीत ने पलट कर उसके चेहरे को देखा

" आप मेरा डर ख़तम करेंगे ..बाहरी दुनिया मे मुझे किसी और पर कोई भरोसा नही ..मैं जानती हूँ हम फादर - डॉटर हैं और ये ग़लत होगा लेकिन अगर मोम होती तो वो भी मेरा साथ देती इस जंग से लड़ने मे ..बोलिए डॅड क्या आप मोम की कमी को पूरा करेंगे ? "

तनवी ने अपनी बाहें फैला कर कहा तो जीत खुद को रोक नही पाया ..अगले ही पल दोनो वापस आलिंगन मे थे लेकिन इस बार ना तो किसी की आँखें नम थी ना दिल मे मलाल ..था तो सिर्फ़ मुस्कुराता चेहरा

" मंज़ूर है लेकिन एक हद तक ..ना ही हम इंटरकोर्स करेंगे ना ही तू मुझे इस बात के लिए फोर्स करेगी "

जीत ने उसके चेहरे को हाथ से ऊपर उठा कर कहा जो शरमाहट के मारे तनवी ने उसकी चौड़ी छाती मे छुपा लिया था

" ओके सर ..पर ये इंटरकोर्स क्या होता है ? "

उसकी बात सुन जीत आज पूरे 10 दिन बाद खुल कर हसा था

" सब बता दूँगा फिकर मत कर "

जीत ने तनवी के लाल हो चुके गाल को चूम कर जवाब दिया

" लेकिन आप का ये बहुत बड़ा है "

तनवी ने उसके खड़े लंड पर अपने हाथ की मुट्ठी बना कर कहा

" तेरी मोम को बहुत पसंद था "

जीत उसके कोमल हाथ का एहसास फील कर मस्ती मे आ गया

" मुझे भी आएगा डॅड ..यू डोंट वरी "

तनवी लंड को पकड़े हुए बेड पर बैठ गयी ..कल जो डर उसकी आँखों मे था ..आज वो बिल्कुल नही घबरा रही थी ..उसने लंड के सुपाडे को स्किन पीछे खीचते हुए बाहर निकाला और जीत की आँखों मे देखते हुए अपनी जीभ सुपाडे पर गोल घुमा दी ..लंड उसके बड़े - बड़े बूब्स के ठीक ऊपर था

" आहह.....तनवी ..यू आर डॅम हॉट "

जीत के हाथ उसके सर पर पहुच गये लेकिन आज उसने तनवी पर किसी तरह का कोई दवाब नही डाला ..बल्कि बड़े प्यार से वो उसके बालो मे अपनी उंगलियाँ घुमाने लगा

" आज मुझे आप की पर्मिशन की कोई ज़रूरत नही ..ये अब सिर्फ़ मेरा है "

तनवी ने जीत को अपनी आँख मारी और लंड की टिप से चाट ती हुई उसके गोल टट्टो पर पहुच गयी ..टट्टो को मूँह मे भरने के लिए तनवी को पूरी तरह से अपने होंठ खोलने पड़े लेकिन उसने हार ना मानते हुए आख़िरकार दोनो टट्टो को एक साथ अपने मूँह के अंदर समा ही लिया

जब टटटे उसकी थूक से पूरी तरह सन गये तब उसने उन्हे अपने मूँह से बाहर निकाला और जीभ से खुद का थूक चाटने लगी ..चाट - चाट उसने दोनो टटटे एकदम लाल कर दिए

" डॅड अपनी टाँग को बेड पर रख लो आंड डॉन'ट योउ डेअर टू डिस्टर्ब मे "

तनवी ने बोलते हुए खुद ही उसकी एक टाँग बेड पर रख दी और बेड से नीचे खिसकती हुई टट्टो के एंड पॉइंट पर पहुच गयी ..वहाँ उसने पसीने से लथ्पत और बालो से घिरा जीत का आस होल देखा ..दो मिनट तक उसकी खुश्बू सूंघ तनवी की आँखों मे चमक आ गयी और फिर बिना किसी देरी के वो जीभ से गान्ड का छेद चाटने भिड़ गयी ..हलाकी ये उसने अपनी लेज़्बीयन सोच के चलते किया ..क्यों कि अक्सर वो अपनी लेसबो पार्ट्नर'स के आस होल चाटा करती थी

वहीं जीत फटी आँखों से तनवी की हरकतें देख रहा था ..माना रश्मि को भी ये सब पसंद था पर तनवी आज पहली ही बार मे इतना आगे निकल जाएगी जीत को अचंभा हुआ ..उसने तनवी को रोका नही बल्कि मस्ती मे अपनी आँखें मूंद ली ..छेद पर जीभ की छेड़ - छाड आनंद दायक थी

अनचाहे बाल तनवी की जीभ को परेशान कर रहे थे ..रह - रह कर वो उसके मूँह मे चले जाते और होल की चटाई रुक जाती

" मैं आज ही शेव कर लूँगा "

जीत ने उसकी परेशानी को समझ कर खुद ही बोल दिया

" थ्ट्स माइ डॅड "

तनवी भी उसकी बात का समर्थन करती हुई वापस ऊपर आने लगी ..वापसी मे फिर से टट्टो से होती हुई उसकी जीब सुपाडे पर पहुचि और अगले ही पल पूरा सुपाड़ा तनवी के मूँह मे था

कल की बात ध्यान मे आते ही उसने अपना टूटा आइ कॉंटॅक्ट फिर से जोड़ा और दोगुने जोश से वो जीत को टीस करने लगी ..जीब का घर्षण और होंठो का दबाव इतना ज़्यादा था कि जीत की बॉडी तुरंत ही अकड़ गयी

" उूुुउऊहह तनवी ....सक इट स्लोली बेबी "

उसके गरम मूँह की तेज़ी से जीत जल्दी झाड़ जाता जो उसे कतयि गवारा ना हुआ ..उसने इशारे से तनवी को सकिंग स्पीड कम करने की सलाह दी और अब खुद भी धीरे - धीरे लंड को उसके मूँह मे अंदर - बाहर करने लगा ..नीचे तनवी के दोनो हाथ लगातार उसके टट्टो को मसले जा रहे थे ..शायद ये भी एक वजह थी जीत का बेहतर स्टॅमिना इतने जल्दी क्रॅक होने की

थोड़ी देर बाद तनवी ने अपने हाथो को टट्टो से हटा कर जीत की जाँघो पर रखा और ज़ोर दिखाते हुए लगभग पूरा लंड अपने गले मे उतारने की कोशिश करने लगी

8" का लंड अगर किसी के गले मे फस जाए तो उसकी क्या हालत होगी इस बात से ना तो जीत अछूता था ना ही तनवी ..बड़ी कोशिशों के बाद भी वो खुद को चोक होने से नही रोक पाई ..आँखें बड़ी होने से आँसू छलक कर उसके गालो को गीला करने लगे

" आअहमम्म्ममम .......तनवी लीव इट "

जीत ने मज़े मे भी उसकी तकलीफ़ को पहचान कर उसे टोका लेकिन तनवी नही मानी ..पूरी ताक़त लगा कर उसने अपनी ठोडी जीत के टट्टो से टच करवा ही दी

" आआअहह....... बेटा मैं आया "

जीत चिल्लाया और उसके लंड ने लावा उगलना शुरू कर दिया ..तनवी की सहेन - शक्ति ख़तम होते ही लंड उसके मूँह से आधा बाहर निकल आया लेकिन अभी भी सुपाड़ा मूँह मे वीर्य की पिचकारी पर पिचकारी छोड़े जा रहा था ..आज लगभग 3 महीने बाद जीत झाड़ा था वो भी अपनी बेटी के मूँह मे

जब लंड से स्पर्म निकलना बंद हुआ तब तनवी ने झटके से अपना मूँह खोला और सारा वीर्य उल्टी के ज़रिए जीत के लंड और टाँगो पर बह गया ..तनवी ने जम कर 5 बार मूँह से पानी छोड़ा और थकान से बहाल हो कर बेड पर लेट गयी

" डॅड सॉरी मुझसे नही हुआ ..मैं कमज़ोर पड़ गयी "

तनवी ने अपनी चढ़ि सांसो को कंट्रोल करते हुए कहा

" रिलॅक्स "

जीत बाथ - रूम की तरफ जाते हुए बोला ..उसके चेहरे पर फुल सॅटिस्फॅक्षन महसूस कर तनवी रिलॅक्स होने लगी

वापस आने के बाद जीत ने भी उसे ओरल सेक्स का पूरा प्लेषर लौटाया जो आज भी जारी है लेकिन जो वादा दोनो ने आपस मे किया था वो कभी नही टूटा ' नो इंटरकोर्स ' ....

क्रमशः..............................................
 

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