Incest ससुर कमीना और बहू नगीना:- 2(completed)

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अब रानी भी अपनी कमर हिलाके उसका साथ देने लगी। राजीव भी मज़े से धक्के लगाने लगा। कमरे में चुदाई का मानो तूफ़ान आया हुआ था। फ़च फ़च की आवाज़ गूँज रही थी। साथ ही रानी की सिसकारियाँ भी आऽऽऽहहह और चोओओओओओओओओओदो बाअअअअअअअअउउउउउजीइइइइइइइइइ । फ़ाड़ दोओओओओओओओओ मेरीइइइइइइइइइइइ फुद्दीइइइइइइइइइ। राजीव उसके चूतरोंको दबाके उसकी ज़बरदस्त चुदाई कर रहा था और उसकी एक ऊँगली उसकी गाँड़ जे छेद में भी हलचल मचा रही थी।
अब रानी से नहीं रहा गया और वह ज़ोर से चिल्लाई: हाऽऽऽऽऽय्यय मैं गईइइइइइइइइइइइइ आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह्ह कितना अच्छा लग रहा है और ज़ोर से चोदोओओओओओओओप्प बाऊजीइइइइइइइइइइइइ। उइइइइइइइइइ मैं गईइइइइइइइ। ये कहकर उसने अपनी जाँघों को दबाकर उसके लौंडे को जकड़ लिया और अपने ऑर्गैज़म के चरम आनंद में डूबने लगी। राजीव भी अब मज़े से उसकी बुर में अपना रस गिराने लगा। उसने पूरा लौड़ा दबाकर रस को अंदर तक छोड़ दिया । रानी को महसूस हुआ कि उसकी बच्चादानी के मुँह पर ही उसका वीर्य गिर रहा था।
वह आनंद से भर कर अपनी आँख बंद कर ली और चरम आनंद में डूब गई। अब राजीव भी बहुत मस्त होकर उसको चूमा और उसके साइड में लेट गया। अब दोनों नंगे अग़ल बग़ल लेटे हुए थे।
राजीव: मज़ा आया रानी?
रानी उससे लिपट कर बोली: सच बोलूँ ? मुझे तो आज ही पता चला कि असली चुदाई क्या होती है। आह सच में बहुत मज़ा आया बाऊजी । मैं आज बहुत ख़ुश हूँ।
फिर वह उसके लौड़े को पकड़कर प्यार से सहलाते हुए बोली: आज मुझे विश्वास हो गया है कि आप मुझे भी माँ बना ही देंगे जैसे अपने उन तीन लड़कियों को बनाया है। मुझे आप उन लड़कियों की कहानी कब सुनाएँगे?
राजीव उसके चूतरों को दबाकर बोला: ज़रूर बताऊँगा पर आज नहीं।
तभी उसका फ़ोन बजा उसने फ़ोन उठाया ।
राजीव: हेलो , अरे रमेश तुम? बोलो क्या बात है?
रमेश जो उसका दोस्त है: अरे तुमको अपने बेटे की शादी नहीं करनी है क्या?
राजीव: अरे करनी है ना , कोई है क्या तुम्हारी नज़र में?
रमेश : हाँ एक लड़की है मेरे एक दोस्त की ही बेटी है। अच्छी सुंदर और सुशील है और पढ़ी लिखी भी है।
राजीव: अरे तो फिर देर किस बात की है। बात आगे बढ़ाओ।
रमेश: ठीक है मैं फिर तुमको बताऊँगा उन लोगों से बात करके । ठीक है ना?
राजीव : बिलकुल ठीक है। मैं इंतज़ार करूँगा। बाई।
राजीव को ख़ुश देख कर रानी उसके बॉल्ज़ को सहला कर बोली: आप शिवा भय्या की शादी तय कर रहे हैं?
राजीव उसकी चूचि दबाके बोला: हाँ लड़की खोज रहा हूँ। देखो कब मिलती है?
फिर दोनों एक दूसरे से लिपट गए और राजीव उसको दूसरे राउंड की चुदाई के लिए तय्यार करने लगा।
रानी उसके बॉल्ज़ को सहलाते हुए बोली: मुझे तो लगता है कि आपने इतना रस मेरे अंदर छोड़ा है मैं शायद आज ही गर्भ से हो गयी हों गई होऊँगी।
राजीव हँसते हुए: शायद नहीं ,पक्का गर्भ ठहर ही गया होगा। मेरे लौड़ा तुम्हारी बच्चे दानी के ऊपर ठोकरें मार रहा था। वैसे मुझे एक बार तुमको फिर से चोदना है। सच क्या टाइट बुर है तुम्हारी।
रानी उठकर बैठी और बोली: मुझे ज़रा बाथरूम जाना है।
राजीव : चलो मुझे भी जाना है।
दोनों बाथरूम में जाकर मूते और राजीव झुककर हैंड शॉवर से उसकी बुर को धोया और फिर रानी ने भी उसके लौड़े को धोया। फिर वो दोनों बाहर आकर बिस्तर पर लेटे और एक दूसरे को चूमने लगे। जल्दी ही दोनों गरम हो गए। राजीव उसके ऊपर ६९ की पोजीशन में आ गया और उसकी बुर को चूमने और चाटने लगा। उधर उसका लौड़ा रानी के मुँह के सामने था। उसने कभी लौड़ा नहीं चूसा था। मगर उसने कुछ फ़ोटो देखीं थीं उसके सहेलियों की मोबाइल में जिनमे अंग्रेज़ औरतें आदमियों का लौड़ा चूस रहीं थीं। उसकी कुछ सहेलियाँ भी उसको बतायी थी कि वो अपने पति के लौड़े चूसती हैं।
उसने भी हिम्मत की और उसके लौड़ेको सहलाते हुए अपने मुँह के पास लायी और उसके सुपाडे को सूँघा। उसका पूरा शरीर मस्ती से भरने लगा। उधर उसकी बुर पर राजीव की जीभ तांडव कर रही थी और वह बुरी तरह से पानी छोड़ रही थी। तभी उसने सुपाडे को चूम लिया और फिर वह जीभ से उसे चाटने लगी। उधर राजीव ने भी उसके मुँह में लौड़े का दबाव बढ़ाया और रानी के मुँह में उसका लौड़ा जैसे घुसता चला गया। अब राजीव उसके मुँह की चुदाई करने लगा। साथ ही बुर की रगड़ाई भी जीभ से किए जा रहा था। अब रानी मस्ती से लौड़ा चूसे जा रही थी। फिर राजीव उठा और उसने रानी को पेट के बल लिटाया और फिर उसको चूतर उठाने को बोला। अब उसकी बुर और गाँड़ उसकी आँखों के सामने थे। उसने गाँड़ की सुराख़ पर ऊँगली फेरी और फिर मस्ती से उसकी बुर मसलने लगा और फिर अपने लौड़े को उसकी बुर में लगाकर उसके अंदर अपना लौड़ा ठेल दिया और फिर उसकी नीचे को लटकी हुईं चूचियाँ दबाकर उसकी मस्त चुदाई करने लगा।
वह भी मज़े से अपनी गाँड़ पीछे करके चुदवाने लगी। कमरा एक बार फिर से फ़च फ़च की आवाज़ों से गूँजने लगा। जल्दी ही दोनों चिल्लाकर झड़ने लगे। राजीव ने उसकी बुर में अपना वीर्य अंदर तक छोड़ दिया।
फिर वो दोनों एक साथ लिपट कर सो गए।
अगले कुछ दिन ऐसे ही चला रोज़ शिवा के जाने के बाद वो चुदाई करते और राजीव उसको विश्वास दिला रहा था कि वह जल्दी ही गर्भ से हो जाएगी।
उस दिन भी वो दोनों चुदाई के बाद आराम कर रहे थे रानी उसके लौड़े को हल्के से सहला रही थी। तभी उसके दोस्त रमेश का फ़ोन आया और वह बोला: यार क्या तुम और शिवा कल यहाँ आ सकते हो? मैं चाहता हूँ कि कल तुम मेरे दोस्त श्याम की भतीजी को देख लो। बहुत प्यारी बच्ची है तुम लोगों को ज़रूर पसंद आएगी।
राजीव ने रानी की गाँड़ सहलाते हुए कहा: अच्छा ये तो बहुत अच्छी बात है। कौन कौन है उसके घर में?
रमेश: यार बेचारी के पिता का तो बचपन में ही देहांत हो गया था वह अपनी माँ के साथ मेरे दोस्त के यहाँ पली है जो कि उसका ताया है । यानी वह श्याम की भतीजी है। बी कॉम किया है और दिखने में भी बहुत सुंदर है।
राजीव: ओह चलो हम कल का प्लान बनाते हैं। तुमको ख़बर कर के कल शाम को आएँगे । तुम्हारा शहर सिर्फ़ दो घण्टे की ही दूर पर तो है। हम वहाँ पाँच बजे तक तो पहुँच ही जाएँगे।
फिर इधर उधर की बात करके उसने फ़ोन रख दिया। फिर राजीव ने उसकी गाँड़ में एक ऊँगली डाल दी और रानी आऽऽंह कर उठी ।
राजीव: अरे एक ऊँगली नहीं ले पा रही है तो मेरा लौड़ा कैसे अंदर लेगी?
रानी: मुझे नहीं लेना आपका लौड़ा यहाँ। बुर को जितना चाहिए चोदिए। पर गाँड़ नहीं मरवाऊँगी।
राजीव: अरे जब तुम गर्भ से हो जाओगी तो गाँड़ से ही काम चलाउंगा ना। डॉक्टर बोल देगी तीन चार महीने बाद कि बुर को चोदना बंद करो।
रानी हँसते हुए बोली: तब की तब देखी जाएगी। अच्छा तो कल आप बहु देखने जा रहे हैं।
राजीव : हाँ हम जाएँगे। देखें क्या होता है वहाँ?

फिर वह किचन ने चली गयी और वह भी आराम करने लगा।
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रानी खाना बना कर चली गयी और शिवा दुकान बंद कर घर आया तो राजीव ने उसे अगले दिन लड़की देखने की बात बताई। शिवा ने ठीक है कहा और दोनों खाना खाते हुए दुकान की बात करने लगे। खाना खाकर थोड़ी देर TV देखकर वो सोने चले गए।
रात को सोते हुए राजीव सोचने लगा कि बहु के आने के बाद उसकी और रानी की चुदाई मुश्किल में पड़ जाएगी। उसे कोई रास्ता निकालना ही होगा ताकि वो रानी को बिना किसी अड़चन के चोद सके। वैसे भी उसकी आँखों में रानी की कुँवारी गाँड़ घूम रही थी और वह यह सोचकर गरम हो गया कि उसकी गाँड़ मारने में क्या मज़ा आएगा। फिर वह अपने खड़े लौड़े को दबाकर सो गया।
अगले दिन शिवा को जल्दी वापस आने के लिए बोल कर राजीव ख़ुद भी तय्यार होकर बाज़ार गया और वहाँ से मिठाई और फल ख़रीदे। बाज़ार से वापस आकर उसने रानी की एक राउंड चुदाई भी की और फिर शाम को शिवा और वह पास के शहर में रमेश से मिलने पहुँचे।
रमेश उनको लेकर अपने दोस्त श्याम के यहाँ पहुँचा । श्याम और उसकी पत्नी ने उनका बहुत स्वागत किया और फिर उनको सरला से मिलवाया,जो कि श्याम के स्वर्गीय भाई की पत्नी और मालिनी की माँ थी। मालिनी ही वह लड़की थी जिसे देखने वह दोनों आए थे।
राजीव ने फल और मिठाई सरला को दी। उसने देखा कि सरला बला की ख़ूबसूरत महिला थी। बहुत गोरी और अपने उम्र के हिसाब से थोड़ी भरी हुई भी थी। बड़े बड़े दूध और उभरे हुए चूतर बहुत ही मादक थे। बहुत दिन बाद राजीव के लौड़े ने एक नज़र देखकर ही एक औरत के लिए झटका मारा था। राजीव उसकी गाँड़ के उभार को देखकर मस्ती से भर गया। फिर उसने अपने आप को याद दिलाया कि वह उसकी समधन हो जाएगी अगर ये रिश्ता हो जाता है।
उसने अपने आप को क़ाबू में किया और बोला: भाभी जी आप जब इतनी सुंदर हो तो आपकी बेटी भी यक़ीनन बहुत प्यारी होगी।
सरला: अरे आपका बेटा भी तो बहुत प्यारा है। भाई सांब इन दोनों की जोड़ी बहुत जमेगी।
राजीव हँसते हुए बोला: भाभी जी आपकी बेटी देख तो लें फिर शायद आपको बात से हम भी सहमत हो जाएँगे।
तभी श्याम आकर सरला को बोला: सरला आओ मालिनी को ले आते हैं। वो दोनों अंदर चले गए। राजीव ने नोटिस किया कि श्याम अपनी बीवी की तरफ़ ज़्यादा ध्यान नहीं दे रहा था। वैसे उसकी बीवी काफ़ी दुबली पतली थी और बीमार सी दिखती थी।
राजीव ने एक नौकर से कहा: मुँझे बाथरूम जाना है।
वह उसके साथ बाथरूम की ओर चल पड़ा। नौकर उसको एक कमरे में बाथरूम दिखाकर वापस चला गया। वह बाथरूम जाकर जब बाहर आया तभी उसको कुछ आवाज़ सी आयी। वह कमरे से बाहर आते हुए रुक गया और दरवाज़े के पास आकर थोड़ा सा दरवाज़ा खोलकर झाँका।
वहाँ सामने कोई नहीं था। वह बाहर आया और तभी उसको दबे स्वर में हँसने की आवाज़ आयी और वह पता नहीं क्यों उस कमरे के सामने पहुँचकर चुपचाप बातें सुनने लगा। अंदर आदमी बोल रहा था: अब यह शादी हो जाए तो हम खुलकर मस्ती कर सकेंगे । फिर चुम्बन की आवाज़ आइ । अब धीरे से वह अंदर झाँका। वहाँ का दृश्य बड़े ही हैरान करने वाला था। श्याम अपने भाई की बीवी के साथ लिपटा हुआ था और उसे चूमे जा रहा था। वह भी उससे मज़े से चिपकी हुई थी। श्याम के हाथ उसके बड़े बड़े चूतरों को दबा रहे थे।
सरला: अच्छा अब छोड़िए। मालिनी तय्यार हो गयी होगी।
श्याम: हाँ यार जितनी जल्दी उसकी शादी हो जाए हम मज़े से चुदाई कर सकेंगे।
सरला: हाँ जी आपको भाभी तो मज़ा नहीं देती इसलिए मुझे ही रगड़ोगे आप तो। चलो अब जल्दी से वरना कोई देख लेगा। वो दोनों अलग हुए तो वह अपनी साड़ी का पल्लू ठीक करते हुए बोली: देखिए पूरा ब्लाउस छाती के ऊपर कैसा मसल दिया है आपने ।कोई भी समझ लेगा कि क्या हुआ है मेरे साथ।
श्याम: अरे तुम्हारी चूचियाँ हैं इतनी मस्त कि साला हाथ अपने आप ही उन पर चला जाता है। वह यह कहते हुए अपने लौड़े को पैंट में अजस्ट करने लगा।
फिर दोनों बाहर आने लगे। राजीव जल्दी से वहाँ से हट कर छुप गया। उनके जाने के बाद वह वापस बाहर आ गया। शिवा वहीं बैठकर श्याम की बीवी से बातें कर रहा था।
थोड़ी देर बाद वो दोनों आए और साथ में मालिनी भी आयी। उसने साड़ी पहनी हुई थी। वह माँ जैसी ही गोरी चिट्टि और थोड़े भरे बदन की नाटे क़द की लड़की थी। शिवा तो उसे एकटक देखता ही रह गया। मालिनी ने भी भरपूर नज़र से शिवा को देखा और वह भी उसको बहुत पसंद आ गया।
राजीव ने भी मालिनी को देखा और वह सच में अपनी माँ का ही प्रतिरूप थी। भरे बदन के कारण वह बहुत सेक्सी भी दिख रही थी। साड़ी से उसकी चूचियों के उभार बहुत ही ग़ज़ब ढा रहे थे। और जब वह उसको नमस्ते करके उसकी बग़ल से आकर साइड के सोफ़े में बैठी तो उसके चूतरों का उभार उसको मस्त कर गया। तभी उसे याद आया कि वह उसकी होने वाली बहु है। उसे अपने आप पर बहुत शर्म आयी और उसने अपना सिर झटका जैसे वह गंदे ख़याल अपने दिमाग़ से बाहर निकाल रहा हो।
श्याम: ये है हमारी बिटिया रानी सरला। और सरला ये है शिवा और ये हैं इनके पिता।
सरला ने फिर से सबको नमस्ते किया। वह अपना सिर झुका कर बैठी थी। राजीव ने देखा कि शिवा उसे देखे ही जा रहा था। वह मन ही मन मुस्कुराया और बोला: शिवा मैं चाहता हूँ कि तुम और मालिनी अकेले में थोड़ी देर बातें कर लो और एक दूसरे को समझ लो। श्याम जी आपको कोई ऐतराज़ तो नहीं?
श्याम: अरे नहीं हमें क्यों ऐतराज़ होगा अच्छा ही है वो दोनों एक दूसरे को समझ लें।
सरला उठी और मालिनी और शिवा को लेज़ाकर एक कमरे में बिठा आयी।
जब वो वापस आइ तो राजीव उसको भरपूर नज़रों से देखा, उसको उसकी और श्याम की मस्ती याद आ गयी।
सरला: भाई सांब लगता है दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे हैं।
राजीव: हाँ बड़ी ही प्यारी बच्ची है , मुझे भी लगता है कि दोनों एक दूसरे को पसंद आ गए हैं।
उधर मालिनी और शिवा एक दूसरे से बातें किए जा रहे थे। शिवा उसको अपने बिज़नेस वग़ैरह के बारे ने बताया और मालिनी अपनी पढ़ाई और अपने खाना बनाने के शौक़ के बारे में बतायी। जल्दी ही उन दोनों को समझ में आ गया कि वह एक दूसरे को पसंद करने लगे हैं।
थोड़ी देर बाद शिवा बोला: आप मुझे पसंद हो, अब आप बताओ कि मैं आपको पसंद हूँ या नहीं?
मालिनी ने सिर झुका कर कहा: आप भी मुझे पसंद हो।
फिर दोनों उठकर बाहर आए और राजीव ने पूछा: हाँ अब बताओ कि क्या इरादा है?
शिवा: पापा मेरी तो हाँ है।
श्याम: और बेटी तुम्हारी?
मालिनी ने शर्माकर अपना सिर हाँ में हिला दिया।
अब राजीव ख़ुशी से खड़ा हुआ और श्याम भी खड़े होकर उसके गले मिला। और उन्होंने एक दूसरे को बधाइयाँ दी। सरला ने भी राजीव को बधाई दी। फिर शिवा और मालिनी ने सबके पैर छुएँ। श्याम ने सबको मिठाई खिलाई।
अब राजीव भी कार से मिठाई और एक अँगूठी निकाल लाया। सरला भी एक अँगूठी लायी। अब शिवा और मालिनी ने एक दूसरे को अँगूठी पहनायी। सबने उनको बधाइयाँ दी।बहुत से फ़ोटो खिंचे गए। फिर सबने नाश्ता किया और बाद में शिवा और राजीव वापस अपने घर आ गए।
रास्ते में राजीव बोला: बेटा पहली बार में ही लड़की पसंद आ गई ?
शिवा: जी पापा वो बहुत ही समझदार लड़की है और अपनी ज़िम्मेदारी भी समझती है।
राजीव हँसते हुए बोला :और सुंदर भी है । है ना?
शिवा: जी पापा सुंदर तो है ही ।
राजीव: तुम दोनों की जोड़ी ख़ूब जँचेगी। मुझे ख़ुशी है कि पहली बार में ही इतना बढ़िया रिश्ता मिल गया।

रात को सोते हुए राजीव सरला के बारे में सोच कर गरम होने लगा। क्या दूध हैं उसके। फिर अचानक उसको मालिनी के भी साड़ी से उभरे हुए दूध याद आ गए और उसका लौड़ा खड़ा हो गया। फिर उसे शर्म आइ और वह अपने आप को कोसा और सोने की कोशिश करने लगा।
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सुबह उसने रानी के लिए दरवाज़ा खोला और आकर सोफ़े पर बैठ गया। रानी भी आकर उसकी गोद में बैठ गयी और बोली: तो क्या हुआ कल ? बहू पसंद आयी या नहीं?
राजीव: बहुत पसंद आयी और हमने तो रोका भी कर दिया। अब सगाई की तारीख़ निकालेंगे।
रानी: कैसी है दिखने में?
राजीव: बहुत प्यारी और सुंदर। तुमको फ़ोटो दिखाता हूँ। यह कहकर उसने रानी को मोबाइल पर कल की फ़ोटो दिखाई।
रानी: हाँ बहुत सुंदर है। भय्या बहुत लकी है। वैसे भरी हुई है जैसी आपको अच्छी लगती हैं वैसे ही है।
राजीव: बिलकुल खाते पीते घर की है, तुम्हारे जैसी सूखी और सुक़ड़ी सी नहीं है। यह कहते हुए वह हँसा और उसको चूम लिया। फिर उसकी छाती पर हाथ फेरने लगा।
रानी हँसते हुए बोली: आपकी बहू की छाती तो इतनी बड़ी है कि मेरी दोनों छातियाँ उसकी एक के बराबर होंगी।
राजीव: अरे नहीं इतनी भी बड़ी नहीं हैं पर हाँ तुम्हारी छाती से काफ़ी बड़ी हैं।
रानी हँसते हुए: काफ़ी ध्यान से देखा है बहू की छातियों को? इरादा नेक है ना?
राजीव: अरे तुम भी क्या फ़ालतू बात कर रही हो। ऐसी कोई बात नहीं है। वैसे इसकी माँ की चूचियाँ तुम्हारी से दुगुनी होंगी, ये देखो । ये कहकर उसने सरला की फ़ोटो में उसकी छाती को ज़ूम करके दिखाया।
रानी: हाँ सच में इनकी बहुत बड़ी हैं। ये आपकी होने वाली समधन हैं क्या?
राजीव: हाँ ये सरला है मस्त माल है। और चालू भी है। ये कहते हुए उसका लौड़ा अकड़ने लगा और रानी को गाँड़ में चुभने लगा।
रानी गाँड़ को उचका कर बोली: आह इसे क्यों खड़ा कर लिए? समधन का जादू है क्या? आपने उसे चालू क्यों बोला?
राजीव ने उसे श्याम और सरला की मस्ती के बारे में बताया कि कैसे वो एक दूसरे से लिपट कर मज़ा कर रहे थे और मालिनी की शादी का इंतज़ार कर रहे थे ताकि खुल कर मज़े ले सकें।
राजीव: मुझे लगता है कि मालिनी के कारण वो ज़्यादा मज़ा नहीं ले पाते होंगे। वैसे भी श्याम की बीवी तो बहुत बीमार दिख रही थी। वो क्या इनके मज़े में ख़लल डाल पाएगी?
रानी: तब तो मालिनी को भी इसका अंदाज़ा तो होगा ही कि उसकी माँ उसके ताया जी के साथ फँसी हुई है। और वो चुदाई के बारे में सब जानती होगी। वैसे भी उसका भरा हुआ बदन देखकर लगता है कि वो शायद चुदवा चुकी होगी।
राजीव: क्या फ़ालतू बात कर रही हो? वो एक बच्ची की तरह मासूम है। बहुत नादान है वो बिलकुल एक नगीना यानी कि हीरा है।
रानी हँसते हुए बोली: उस बिचारि नगीना को क्या पता कि उसका ससुर कितना कमीना है?
राजीव झूठा ग़ुस्सा दिखाकर बोला: मैंने क्या कमीनी हरकत की है?
रानी हँसते हुए बोली: अपनी बहू के दूध देखना और उसको मेरे दूध से तुलना करना क्या कमीनापन नहीं है? अच्छा ये बताइए उसकी गाँड़ कैसी है? आपको तो बड़े चूतर अच्छे लगते हैं ना? बहू के कैसे हैं? वैसे इस फ़ोटो में तो बड़े मस्त गोल गोल दिख रहे हैं। !
राजीव का लौड़ा अब पूरा खड़ा हो कर उसकी गाँड़ में ठोकर मार रहा था। वह बोला: साली कमिनी , ख़ुद मेरी बहू के बारे में गंदी बात कर रही है और मुझे कमीना बोल रही है। चल अभी तेरी गाँड़ मारता हूँ मादरचोद।
ये कहकर वह उसको अपनी गोद में उठाकर बेडरूम में ले जाकर बिस्तर पर पटका और उसकी साड़ी ऊपर करके उसकी बुर में दो ऊँगली डाल दिया। इस अचानक हमले से रानी हाय्य्यय कर उठी पर वह उसकी बुर में उँगलियाँ अंदर बाहर करने लगा । जल्दी ही बुर गीली हो गई और उसने अपना लोअर और चड्डी उतारा और फनफना रहे लौड़े को उसकी बुर में एक झटके में पेल दिया। फिर उसके ऊपर आकर उसके ब्लाउस और ब्रा को ऊपर किया और चूचियाँ मसलते हुए उसकी बेरहमी से चुदाई करने लगा।
रानी भी आऽऽऽहहह हाय्य्य्य्य कहकर मस्ती से कमर उछालने लगी और बोली: सच में बोलो ना बहू भी अपनी माँ की तरह माल है ना?
राजीव: आऽऽहहह मादरचोओओओओओओओद फिर वही। कहा ना माँ साली रँडीइइइइइइइ है। बहू तो अभी बच्चीइइइइइइइइ है।
रानी: फिर भी उसके चूतर और चूची तो मस्त है ना? वैसी है जैसे आपको अच्छी लगती है । है नाआऽऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽह बोओओओओओओलो ना।
राजीव ज़ोर ज़ोर से धक्का मारते हुए बोला: आऽऽऽहहह ह्म्म्म्म्म्म हाँआऽऽऽऽ सालीइइइइइइ बहू भी मस्त माआऽऽऽऽऽऽऽल है। मालिनी की भी मस्त गोओओओओओओओल गाँड़ है आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह मैं गयाआऽऽऽऽऽऽ । साली क़ुतियाआऽऽऽऽऽऽ लेeeee मेराआऽऽऽऽ माआऽऽऽऽलल्ल अपनी बुर में। ह्म्म्म्म्म्न कहते हुए वह झड़ गया।
फिर जब वो सफ़ाई करके लेटे हुए थे, तब राजीव बोला: सच में मालिनी बहुत मासूम सी बच्ची है। मुझे उसके बारे में ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए।
रानी: पर मुझे तो लगता है कि आप उसकी भी ले लोगे।
राजीव ग़ुस्से से : क्या बकवास कर रही हो? वो मेरे बेटे की बीवी होगी। उसके बारे में ऐसा कैसे कर सकता हूँ। हाँ उसकी माँ की बुर ज़रूर रगड़ूँगा। साली सिर्फ़ श्याम को क्यों मज़ा दे ? हम साले मर गए हैं क्या?
रानी उठती हुई बोली: एक बात बताइए कि हमारा मिलन कैसे होगा बहु के आने के बाद?
राजीव: ये चिंता तो मुझे भी है देखो कोई रास्ता निकालेंगे। ये कहकर वह फिर से उसको अपनी बाँहों में खींच लिया और बोला: तुम्हारा महवारी याने पिरीयड कब आता है?
रानी: अभी दस दिन हैं। क्यों पूछ रहे हैं आप?
राजीव: अरे इसीलिए कि इस बार नहीं आएगा। तुमको गर्भ से जो कर चुका हूँ।
रानी: आप इतने यक़ीन से कैसे कह सकते हैं?
राजीव: मैंने तुमको बताया था ना कि मैं पहले भी तीन लड़कियों को गर्भवती कर चुका हूँ और तीनों एक महीने की ही चुदाई में माँ बनने के रास्ते पर चल पड़ीं थीं।
रानी: मैं तो आपको कितनी ही बार पूछ चुकी हूँ पर आप अभी तक एक के बारे में भी नहीं बतायें हैं।
राजीव: चलो अभी चाय पिलाओ और बाद में शिवा के दुकान जाने के बाद मैं तुमको बताऊँगा कि कैसे मैंने जुली को गर्भवती किया। वही पहली लड़की थी जिसे मैंने करीब पाँच साल पहले चोद के माँ बनाया था।
रानी: ठीक है बताइएगा आज जुली के बारे में। ये कहकर वह किचन मे चली गयी।
बाद में शिवा उठकर आया और चाय पीते हुए बाप बेटा बातें करने लगे।
राजीव: फिर बरखुरदार, रात को नींद आयी या नहीं? कहीं रात भर शादी के सपने तो नहीं देखते रहे?
शिवा: क्या पापा आप भी ना ? छेड़ रहे हैं मुझे?
राजीव हँसते हुए बोला: अरे बहु का सेल नम्बर लिया था कि नहीं?
शिवा शर्माकर: कहाँ ले पाया? सब कुछ इतनी जल्दी में हो गया।
राजीव : अच्छा चल मैं ही जुगाड़ करता हूँ तेरे लिए। ये कहकर उसने श्याम को फ़ोन लगाया।
उधर से सरला ने फ़ोन उठाया और बोली: हेलो कौन बोल रहे हैं?
राजीव: मैं राजीव बोल रहा हूँ भाभीजी । आप कैसी हैं?
सरला: नमस्ते भाई सांब । मैं ठीक हूँ। आप लोग कल अच्छे से पहुँच गए थे ना?
राजीव: हाँ जी सब बढ़िया है। मैंने इसलिए फ़ोन किया कि मुझे मालिनी का नम्बर चाहिए ,शिवा माँग रहा है। वो दोनों बातें करेंगे तो एक दूसरे को समझेंगे ना।
सरला: जी बिलकुल ठीक कहा आपने। मैं अभी आपको sms करती हूँ। शिवा है क्या बात करवाइए ना?
शिवा ने फ़ोन लेकर कहा: नमस्ते मम्मी जी।
सरला: नमस्ते बेटा , कैसे हो? मालिनी को हम लोग बहुत छेड़ रहे हैं तुम्हारा नाम लेकर।
शिवा: मम्मी आप लोग भी ना बेचारी को क्यों तंग कर रहे हो?
सरला: लो अभी से उसकी तरफ़ से बोलने लगे? वाह जी वाह।
शिवा: मम्मी मेरी आप खिंचाई तो मत करो।

फिर कुछ देर इधर उधर की बातें करके वह फ़ोन राजीव को दे दिया।
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राजीव: तो भाभीजी आप हमारे घर कब आ रही हैं? आपने तो हमारा घर भी नहीं देखा है।

सरला: भाई सांब जल्दी ही आएँगे। आपने सगाई का कुछ सोचा?

राजीव: आज पंडित जी से बात करूँगा मुहूर्त के लिए। मालिनी की कुंडली भी भेज दीजिएगा। शिवा की कुंडली से मिलवा लेंगे।

सरला: भाई सांब सगाई कहाँ करेंगे?

राजीव : आप जहाँ बोलेंगी वहाँ करेंगे। अजी हम तो आपके हुक्म के ग़ुलाम हैं।

सरला: कैसी बात कर रहे हैं, हम लड़की वाले हैं हम झुक कर रहेंगे।

(तभी शिवा का फ़ोन बजा और वह अपने बेडरूम में चला गया। )

राजीव: अरे भाभीजी आप जैसी सुंदर महिला की ग़ुलामी करने का मज़ा ही कुछ और है।

सरला: भाई सांब आप भी अब मुझे खींच रहे हैं ।

राजीव: अरे भाभी जी मेरी क्या औक़ात है आपकी खींचने की? मैं तो ख़ुद ही खिंचा जा रहा हीं आपकी तरफ़।

सरला: भाई सांब आपको बातों ने जीतना बहुत मुश्किल है।

राजीव: भाभीजी बातों में जीत सकती है पर हमें एक बार सेवा का मौक़ा दीजिए। सच कहता हूँ आप भी क्या याद करेंगी।

इस बार राजीव ने द्वीयर्थी डायलॉग बोल ही दिया।वह अपने लौड़े को हल्के से दबाया जो अपना सिर उठा रहा था।

सरला एक मिनट के लिए तो चुप सी हो गयी फिर बोली: चलिए सगाई आपके यहाँ ही रखते हैं , देखते हैं कितनी सेवा करते हैं आप?

राजीव ख़ुश होकर बोला: ये हुई ना बात ।भाभीजी ऐसी सेवा करूँगा आप भी याद रखोगी। बस एक मौक़ा तो दीजिए। और हाँ अपना नम्बर भी दे दीजिए। श्याम के नम्बर पर आपको बार बार फ़ोन नहीं कर सकता।

सरला: भाई सांब रखती हूँ । भय्या आ रहे हैं। मैं आपको sms करती हूँ अपना और मालिनी का नम्बर।

फिर फ़ोन कट गया। राजीव अभी भी लौड़ा दबाये जा रहा था। तभी रानी आयी और मुस्कुरा कर बोली: क्या हो रहा है? मैं दबा दूँ? समधन को पटा रहे थे? मैं सब सुन रही थी।

राजीव: शिवा को दुकान जाने दो फिर जो करना है कर लेना। समधन तो साली रँडी है उसे तो शादी के पहले ही चोद दूँगा।

तभी शिवा के आने की आवाज़ आइ और रानी वहाँ से बाहर चली गई। तभी सरला का sms भी आ गया। उसने मालिनी का नम्बर शिवा को फ़ॉर्वर्ड कर दिया और अपने फ़ोन में भी बहू के नाम से सेव कर लिया। और सरला का नम्बर भी सेव कर लिया।

अब शिवा भी अपने समय पर दुकान को चला गया।

उसके जाने के बाद रानी आकर राजीव के पास आकर बैठी और राजीव ने उसे अपनी गोद में खींच लिया और उसको चूमने लगा। वो सरला से बात करके उत्तेजित हो चुका था ।

तभी रानी बोली: आज आप मुझे जुली के माँ बनने की कहानी सुनाएँगे।याद है ना?

राजीव उसकी बुर को साड़ी के ऊपर से दबाकर बोला: ज़रूर मेरी जान, बिलकुल सुनाएँगे।

रानी की बुर साड़ी के ऊपर से दबाकर वह बोला: चलो चुदाई करते हैं।

रानी: अभी नहीं पहले जुली के बारे में बताइए की उसको कैसे गर्भ वती किया आपने?

राजीव: अच्छा पीछे पड़ गयी हो , ठीक है सुनो। फिर उसने अपनी बात बोलनी शुरू की------------------
-------------
क़रीब पाँच साल पहले की बात है, जब मैं दुकान पर ही बैठता था क्योंकि शिवा का फ़ाइनल साल था कॉलेज का। उस दिन मैं अकेला बैठा था क्योंकि नौकर सामने के होटेल में खाना खाने गए थे। मैंने वहीं अपना डिब्बा खा लिया था। मैं ऊँघ रहा था क्योंकि इस वक़्त कोई भी ग्राहक नहीं था।

तभी काँच का दरवाज़ा खुला और उसमें से एक बहुत ही गोरी सुंदर थोड़ी भारी बदन की क़रीब मेरे ही उम्र की महिला अंदर आइ और साथ ही तेज़ सेंट की ख़ुशबू दुकान में फैल गयी। मेरी नींद उड़ गयी और मैं उठकर उसके पास आया और बोला: आइए मैडम जी, बैठिए।
वो मुस्कुरा कर बोली: मुझे कुछ नई साड़ियाँ दिखाइए।

मैं उसे नई डिजाइन की साड़ियाँ दिखाने लगा। वह हर साड़ी को अपने ऊपर रखती और शीशे में देखती थी। ये करते हुए उसका पल्लू खिसक जाता था और मुझे उसकी बड़ी बड़ी चुचीयो की और उनके बीच की घाटी के दर्शन हो जाते थे। ऐसा करते हुए आख़िर उसने दो साड़ियाँ पसंद कीं। मेरा लौड़ा गरमाने लगा था। वह जब शीशे के सामने खड़ी होती तो उसके मस्त चूतरों के उभार तो जैसे मुझे दीवाना कर रहे थे।

फिर वह बोली: आपके यहाँ कोई सेल्ज़ गर्ल नहीं है क्या?

मैं: है ना मगर सब अभी सामने होटेल में खाना खाने गए हैं क्योंकि उंनमें से एक का आज जन्म दिन है। आपको कुछ चाहिए तो आप मुझे बताइए ना?

उसने हिचकिचाते हुए कहा: मुझे अंडर गारमेंट्स चाहिए।

मैं: आइए इस काउंटर पर आइए मैं निकालता हूँ।

यह कहकर मैं एक काउंटर जे पीछे पहुँचा और वहाँ रखे ब्रा और पैंटी को दिखाकर बोला: बताइए किस पैटर्न में दिखाऊँ?

वह बोली: आप मुझे सभी दिखायीये मैं पसंद कर लूँगी।

मैंने उसको जानबूझकर पैडेड ब्रा के डिब्बे से ब्रा निकाल कर दिखाया।

वह बोली: मुझे बिना पैडेड वाली ब्रा चाहिए।

मैं मुस्कुराकर उसकी छाती को देखकर बोला: आप सही कह रही हैं , आपको भला पैड की क्या ज़रूरत है?

वो मेरी बात का मतलब समझ कर लाल हो गई पर कुछ नहीं बोली।

फिर मैंने जानबुझकर उसको ३६ साइज़ की लेस वाली ब्रा दिखाई। वह उसको देखकर बोली: हाँ ये पैटर्न तो सही है पर मुझे बड़ी चाहिए।

मैंने पूछा: क्या साइज़ है मैडम?

वो थोड़ा सा हिचकिचाके बोली: ४० की चाहिए।

मैंने ख़ुश होकर कहा: आपकी और मेरी बीवी की साइज़ एक ही है। अच्छा ज़रा रुकिए , मैंने अपनी बीवी के लिए कुछ नई नोट्टि ब्रा लाया था। उसमें से कुछ शायद आपको भी पसंद आ जाएँ। यह कहकर मैंने उसे बहुत सेक्सी ब्रा दिखायीं। उंनमें निपल के छेद बने थे और निप्पल की जगह किसी में नेट लगा था।

वह ये देखकर बोली: आप अपनी बीवी के लिए ऐसे ब्रा ख़रीदे है ? छी मुझे तो बहुत शर्म आ रही है।

मैं: मुझे तो वो इसमें बहुत सेक्सी लगती है। आप भी बहुत सेक्सी लगेंगी।

वो बोली: नहीं नहीं मुझे आप ये सादी वाली ही दे दीजिए। और अब पैंटी दिखा दीजिए।

मैं उसके कमर को देख कर बोला: आपको तो xxl ही आती होगी। मेरी बीवी का भी यही साइज़ है। फिर मैंने उसे सेक्सी जाली वाली पैंटी ही दिखाई। वह उसे देखकर बोली: छी ये पहनने या ना पहनने में क्या फ़र्क़ है भला।

मैं: अरे मैडम ये भी बहुत सेक्सी है आप पर बहुत फबेगी।

वो: नहीं नहीं मैं ऐसे कपड़े नहीं पहन सकती। फिर मैंने उसे सादी पैंटी दिखाई तो वह उसने ले ली। मैं समझ गया था कि वह एक शरीफ़ महिला है। पर क्या करता मेरा आवारा लौड़ा कड़ा होकर मुझे बार बार उसकी ओर खींच रहा था।

मैं: मैडम मैं आपको भाभी जी बोल सकता हूँ?

वो: हाँ हाँ क्यों नहीं? भाई सांब आपके कितने बच्चे हैं?

मैं: दो और आपके? आपके पति का बिज़नेस है क्या?

वो: जी हाँ उनका इक्स्पॉर्ट का काम है । मेरे एक ही बेटा है, उसकी शादी हो चुकी है।

मैं: तो आप दादी भी बन गयी क्या?

वो दुखी होकर बोली: नहीं अभी तक तो नहीं बनी हूँ।

फिर मैं बिल बना रहा था तो मैंने उसका नाम पूछा। उसने अपना नाम सारिका बताया। मैंने उसका मोबाइल नम्बर और पता भी ले लिया। फिर बिल का पैसा देकर वो जाने लगी तो मैं बोला: भाभी जी आते रहिएगा।

सारिका: ठीक है फिर आऊँगी।

अचानक मुझे पता नहीं क्या हुआ कि मैं बोला: भाभी जी , कल शाम को एक कॉफ़ी साथ में पियें क्या?

सारिका हैरानी से बोली: जी? क्या मतलब?

मैं: बस एक कप कॉफ़ी का तो बोला है और क्या? यहाँ पास में एक कॉफ़ी शाप है चौक पर । कल आपका वहाँ शाम को पाँच बजे इंतज़ार करूँग़ा ।

सारिका: पाँच बजे नहीं चार बजे। छह बजे मेरे पति और बेटा घर आ जाते हैं।

मैं: ठीक है चार बजे। वह मुस्कुराकर चली गयी।

और मैं अपना लौड़ा मसलते हुए उसके मस्त गदराये बदन का सोचने लगा।


उस रात मैंने सरिता याने अपनी बीवी को जबदरस्त तरीक़े से चोदा। और ये सोचकर चोदा कि सारिका को चोद रहा हूँ।
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दूसरे दिन शाम को चार बजे मैं कॉफ़ी शॉप में गया तो सारिका वहाँ नहीं थी। थोड़ी देर में वह आयी तो कई मर्दों की निगाहें उस पर थीं। आज उसने सलवार कुर्ता पहना था। वह आइ तो उसकी जानी पहचानी सेंट की ख़ुशबू मेरे नथुनों में घुस गयी और मैं मस्त होने लगा। तभी वह मुस्कुरा कर मेरे सामने आके खड़ी हुई। मैंने उठकर उसकी ओर हाथ बढ़ाया तो उसने मेरे हाथ में अपना हाथ दे दिया और मैंने उसके नरम हाथ को हल्के से दबा दिया।

अब वो मेरे सामने बैठ गई और मेरी आँखें उसकी कुर्ते से बाहर झाँक रही आधी चूचियों पर चली गई। उसने चुन्नी ऊपर रखी थी। आऽऽऽह क्या जलवा था। मेरा लौड़ा झटका मार उठा। उसका हाथ टेबल पर रखा था सो मैंने भी हिम्मत करके उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया और हल्के से दबा दिया। वह मेरी आँखों में देखी पर कुछ नहीं बोली। फिर कॉफ़ी आयी और हम कॉफ़ी पीने लगे।

वह धीरे से बोली: आपके परिवार की फ़ोटो दिखायीये ना। मैंने मोबाइल में बीवी बेटे और बेटी और दामाद की फ़ोटो दिखाई। वो बोली: आपकी बीवी तो बहुत सुंदर है और फ़िगर भी अच्छा है।

मैं: आपसे अच्छा नहीं है। आपका ज़्यादा अच्छा है। मैंने उसकी चूचियों को घूरते हुए कहा। वह शर्मा गयी।

वह: आपको पता है कि मेरी उम्र ५० साल की है और आप मुझसे फ़्लर्ट कर रहे है।

मैं: मैं भी तो ४५ का हूँ। अच्छा आप भी फ़ोटो दिखाइए ना अपने पति की और बच्चों की। फिर उसने भी मोबाइल पर अपने पति बेटे और बहु की फ़ोटो दिखायी।

उसका बेटा और बहु तो सामान्य थे पर उसका पति मोटा और तोंद वाला था और बहुत स्वस्थ भी नहीं दिख रहा था।

मैं: आपके पति तो थोड़े बीमार से दिख रहे हैं।

सारिका: जी हाँ उनको २ महीने पहिले हार्ट अटैक आया था।

मैं: ओह तभी इतने कमज़ोर दिख रहे हैं चेहरे से। एक बात बोलूँ बुरा तो नहीं मानेंगी?

सारिका: नहीं नहीं बोलिए क्या बोलना है?

मैं: आप इतनी मस्त जवान सी रखीं हैं और कहाँ आपके पति कमज़ोर से , आपको संतुष्ट कर लेते हैं?

सारिका का चेहरा लाल हो गया और बोली: आप भी ना? ये कैसा सवाल है?

मैं: मैंने तो कहा था कि आप बुरा नहीं मानोगी।

सारिका: बुरा नहीं मान रही हूँ। ये सच है कि अब हमारे बीच में सेक्स दो महीनों से पूरी तरह बंद है। पर अब ५० की होने के कारण इतनी पागल भी नहीं हो रही हूँ इसके लिए ।

मैंने उसका हाथ दबाया और बोला: देखिए आप मुझे बहुत अच्छी लगती हैं और अगर आप चाहें तो मैं आपसे अपने सबँध को आगे बढ़ाना चाहता हूँ।

सारिका ने मेरी आँखों ने झाँका और बोली: मैंने कभी भी अपने पति को धोका नहीं दिया है। और अब इस उम्र में देना भी नहीं चाहती।

मैं: अच्छा आप कितने विश्वास से यही बात अपने पति के लिए भी कह सकती हो?

सारिका: मुझे पता है कि उनका कई लड़कियों से चक्कर रह चुका है। मैंने तो उनको रंगे हाथों भी पकड़ा है। पर क्या करूँ हर बार उनको माफ़ कर देती थी।

मैं: जब वो बेवफ़ा है तो आपने क्या वफ़ा का ठेका ले रखा है? चलिए ना थोड़ी सी बेवफ़ाई करते हैं हम दोनों।

वो हँसते हुए बोली: क्या बात कही है। अब मैंने अपना हाथ उसके हाथ से हटाकर उसकी जाँघ पर रख दिया और सहलाने लगा। टेबल के नीचे होने से किसी को नहीं दिख रहा था।

सारिका सिहर उठी और बोली: आप मुझे कमज़ोर कर रहे हैं।

मैं: प्लीज़ चलिए ना , वादा करता हूँ कि आपको बहुत ख़ुश करूँगा।

सारिका: कहाँ जाएँगे?

मैं उत्साहित होकर: ये मेरे पास एक फ़्लैट की चाबी है , मेरे दोस्त की वह अभी विदेश में है। यहीं पास में है।

सारिका: पर अब ६ बज रहे हैं। वो दोनों घर आने वाले होंगे , बाप बेटा मेरा मतलब है।

मैं: अरे उनको फ़ोन कर दो कि किसी सहेली के यहाँ हो थोड़ी देर में आ जाओगी।

सारिका :ठीक है आज पहली बार मैं बेवफ़ा बनने जा रही हूँ। फिर उसने अपनी बहू को फ़ोन लगाया और बोली: जूली बेटा अपने पापा को बोलना कि मैं एक सहेली के यहाँ हूँ, एक घंटे में आ जाऊँगी।

फिर वह बोली: एक घंटे में छोड़ दोगे ना?

मैं: ये तो तुम पर सारी आप पर निर्भर करता है कि कितनी ज़्यादा बेवफ़ाई करना चाहती हो?

वो हँसने लगी और बोली: तुम मुझे तुम कह सकते हो। अब हम आख़िर दोस्त तो बनने ही जा रहे हैं ना।

मैं उठते हुए बोला: दोस्त से भी कुछ ज़्यादा । शायद प्रेमी।

हम दोनों हँसते हुए बाहर आए और उसकी कार को वहीं छोड़ कर मेरी कार में हम फ़्लैट की ओर चल पड़े। मेरा हाथ अब उसकी गदराइ जाँघ पर था।

जब हम फ़्लैट में पहुँचे तो मैंने फ्रिज खोलकर एक पानी की बोतल निकाली और ख़ुद पीने के बाद सारिका को भी दिया। वो भी ऊपर से पीने लगी पर उसने काफ़ी पानी अपनी छाती पर गिरा लिया । मैंने इसकी छाती पर पानी गिरा देख कर कहा: पानी भी कितना लकी है आपकी छातियों के मज़े ले रहा है।

वो हँसकर बोली: पानी के बाद अब आप भी तो मज़े लोगे। इस बात पर हम दोनों हँसने लगे। फिर मैंने उसे कहा : बेडरूम उधर है। अब हम दोनों बेडरूम में पहुँचे। मैंने उसकी ओर देखकर बाहें फैलायी और वह मुस्कुराते हुए मेरी बाहों में आ गयी। मैंने इसको अपने से भींचकर उसकी गर्दन चुमी। वह भी मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगी। फिर मैंने उसके चूतरों को दबाते हुए कहा: जान, क्या मस्त गोल और स्पंजी चूतर हैं तुम्हारे?

वो: आऽऽहहह मेरे पति भी यही कहते हैं। वो तो कई बार इसको तकिया बना कर सो जाते हैं।

हम दोनों हँसने लगे। फिर मैं उसको अलग किया और अपने कपड़े खोलते हुए बोला: तुम भी उतार दो वरना घर जाने में देर हो जाएगी।

वह चुपचाप कुर्ता निकाल दी और ब्रा में उसके कसे हुए उभार देख कर मैं मस्ती में आने लगा। अब तक मैं चड्डी में आ चुका था और मेरा फूला हुआ लौड़ा चड्डी में समा ही नहीं रहा था और साइड से बाहर झाँक रहा था। अपनी सलवार खोलते हुए उसकी नज़र जैसे मेरी चड्डी से जा चिपकी थी और मैं भी पैंटी से उसकी फूलि हुई बुर और उसकी फाँकें देखकर जैसे मंत्रमुग्ध हो गया था।

वह बड़े ही शालीनता से बिस्तर पर पीठ के
बल लेट गयी। मैं भी उसके ऊपर आकर उसके माथे को चूमा । फिर उसकी आँखें, नाक, कान , गाल और आख़िर में उसके होंठ चूमने लगा। थोड़ी देर तो वह चुपचाप होंठ चूसवाती रही। पर जल्दी ही वह गरम होकर अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मैं उसकी जीभ चूसने लगा। अब मैं उसकी चूची दबाने लगा।वह भी मस्त होकर मेरे पीठ पर हाथ फेरने लगी।

मैंने उसको उठाया और उसकी ब्रा के स्ट्रैप को खोलकर उसकी ब्रा को उतार दिया: गोरे बहुत बड़े नरम से उसके चूचे मेरे सामने थे जिसपर बहुत बड़े काले रंग का निपल पूरा तना हुआ था। मैंने चूचियाँ दबायीं और अपने चड्डी में फँसे लौड़े को उसकी पैंटी पर रगड़ने लगा। वह भी गरम होकर अपनी कमर हिलाकर रगड़ाई का मज़ा लेने लगी।

अब मैं उसकी चूचियाँ चूसने लगा और वह हाय हाय करने लगी। मैं नीचे को खिसक कर उसके गोरे थोड़े मोटे पेट को चूमते हुए उसकी नाभि को चाटते हुए उसकी जाँघों के बीच आया और उसकी पैंटी को नीचे करके उतार दिया । उसने कमर उठाकर मेरी मदद की पैंटी में उतारने में। अब उसकी थोड़े से बालों वाली बुर पूरी फूली हुई मेरे सामने थी। उसकी फाँकें खुली हुई थी और उसकी भारी जाँघों के बीच वह बहुत सुंदर लग रही थी। मैंने उसकी जाँघों को पकड़कर ऊपर उठाया और घुटनो से मोड़कर उसकी छाती पर रख दिया। अब उसकी बुर और उसकी भूरि गाँड़ मेरे सामने थी।

मैंने अपने होंठ उसकी बुर पर रखे और वह हाऽऽऽय्य कर उठी । अब मेरी जीभ उसकी बुर को चोद रही थी और वह अपनी कमर उछाल रही थी। बिलकुल गीली होकर उसकी बुर ने अपनी प्यास दिखाई और मैं अपनी चड्डी उतारकर अपने लौड़े को उसके मुँह के पास लाया और वह बड़े प्यार से उसे चूसने लगी। अब मै भी बहुत गरम हो चुका था । मैंने अपने लौड़े को उसकी बुर में सेट किया और उसकी बुर में पूरा लौड़ा एक झटके में ही पेल दिया। वह आऽऽऽह करके अपनी मस्ती का इजहार करते हुए मेरे चूतरों पर अपनी टाँगे कैंची की तरह रख कर मुझसे चिपक गयी। और किसी रँडी की तरह अपनी गाँड़ उछालकर चुदवाने लगी।

उसकी बुर से फ़च फ़च की आवाज़ आ रही थी। उसकी बुर मेरी बीवी की बुर से ज़्यादा टाइट थी। वह भी बहुत मज़े ले ले कर चुदवा रही थी। मैंने उसकी चूचियाँ दबाते हुए पूछा: क्यों जान मज़ा आ रहा है?

वो: आऽऽह मत पूछिए कितना अच्छा लग रहा है। बहुत प्यासी हूँ मैं। हाऽऽऽऽऽय्यय और चोओओओओओओओदो ।

मैं: ह्म्म्म्म्म्म मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है जान। हाय क्या टाइट बुर है तुम्हारी। आऽऽहहह क्या मस्त चूचे हैं। यह कहकर मैं चूचियाँ चूसने लगा।


वह: आऽऽहहहह मैं गईइइइइइइइइइइ उइइइइइइइइइ कहकर जल्दी जल्दी कमर उछालने लगी।
OH RAJIV NE SARIKA KO BHI PTA KE CHOD DIYA
 
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मैं भी अब जल्दी जल्दी धक्के मारने लगा और उसकी बुर में अपना वीर्य डालने लगा। वह भी हाय्यय कहकर झड़ गई और हाँफने लगी।
अब हम दोनों अग़ल बग़ल लेट गए। वो बोली: आपको एक बात बोलूँगी कि आज जो मज़ा आपने दिया वो मुझे आजतक कभी नहीं मिला। सच में आप पूरे मर्द हो।
मैं: हमने कोई प्रटेक्शन नहीं उपयोग किया कहीं तुम माँ ना बन जाओ।
वह: हा हा वो फ़िकर तो है ही नहीं क्योंकि मैं दूसरे बच्चे के जन्म के बाद ही अपना ऑपरेशन करवा ली थी।
मैं: चलो ये ठीक है फिर कोई ख़तरा नहीं है।अच्छा ये तो बताओ कि तुम्हारी डिलिव्री नोर्मल थी या सिजेरीयन थी।
वह: दोनों सिजेरीयन थीं।
मैं : तभी तुम्हारी बुर अभी भी मस्त है। सरिता की तो ढीली हो चली है क्योंकि उसकी बुर से ही बच्चे निकले थे।
यह कहते हुए मैंने दिर से उसकी बुर पर हाथ फेरा और बोला: जान सच में तुम इस उम्र में भी मस्त माल हो। फिर मैंने उसको करवट लिटाया और उसके मोटे चूतरों को दबाने लगा और उसकी गाँड़ में एक ऊँगली डाला और बोला: जान अब तो इसमें भी डालने का मन कर रहा है। लगता है कि तुम यहाँ भी चुदवाती हो।
अब तक मेरी दो ऊँगलियाँ आराम से घुस गयीं थीं। वह बोली: आऽऽह हाँ वो पहले तो हमेशा गाँड़ भी मारते थे। पर अब पिछले तीन महीने से ये भी प्यासी है।
मैं ख़ुश होकर बोला: आऽऽह क्या मस्त गाँड़ है अभी डालता हूँ मेरी जान अपना लौड़ा ।
फिर मैंने क्रीम लेकर उसकी गाँड़ और अपने लौड़े पर लगाया और उसकी गाँड़ के पीछे आकार उसके चूतरोंको दबाते हुए फैलाया और उसकी गाँड़ की सुराख़ में अपना लौड़ा धीरे से दबाने लगा। मूसल उसकी टाइट गाँड़ में धँसता ही चला गया । अब मैंने उसकी गाँड़ की ठुकाई चालू की। वह भी अपनी गाँड़ को मेरे लौड़े पर दबा दबा के चुदवाने लगी। सामने हाथ लाकर मैं उसकी चूचियाँ भी मसल रहा था।
हम दोनों मज़े से भरकर चुदाई के आनंद में डूबे जा रहे थे। फिर मैंने ज़ोरों की चुदाई चालू की और वह भी हाऽऽऽय्य चिल्लाने लगी। अब मैंने उसकी बुर की clit को मसलना शुरू किया और वह उओइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी और मैंने भी अपना गरम माल उसकी गाँड़ में छोड़ दिया।
अब हम दोनों शांत हो चुके थे। फिर हम तय्यार हुए और फ़्लैट से बाहर आए और उसकी कार के पास उसको अपनी कार से उतारकर मैं दुकान में वापस आ गया।
रात को जब सविता बाथरूम गयी ,मैंने उसको SMS किया : कैसी हो?
वो: ठीक हूँ, थैंक्स , बहुत मज़ा आया। दोनों शांत हैं।
मैं: दोनों कौन? मैंने तो सिर्फ़ तुमको शांत किया है।
वो: मेरा मतलब है दोनों छेद।
मैं:हा हा ।गुड नाइट।
वो: आज बीवी को करेंगे क्या?
मैं : नहीं। ताक़त ही नहीं है।
वो: अगर वो माँगेगी तो?
मैं: आह फिर तो करना ही पड़ेगा।
वो: बहुत लकी है वो जिसको आपके जैसा मर्द मिला है। चलो गुड नाइट।
मैं: गुड नाइट, कल मिलोगी?
वो: पूरी कोशिश करूँगी। बाई ।

फिर मैं भी सो गया। सविता भी आइ और सो गयी।
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मैंने रानी को अपने से चिपटा कर कहा: आगे भी सुनना है क्या?

रानी: हाँ जुली की तो अभी बात ही नहीं हुई।

मैं: हाँ जुली की भी कहानी आगे बताता हूँ, पर कुछ मज़ा तो दे अभी। ये कहते हुए मैंने अपना लौड़ा बाहर निकाला और उसको चूसने का इशारा किया। वह बड़े प्यार से मेरे लौड़े के सुपाडे को चूसने लगी और बोली: अच्छा मैं धीरे धीरे आपका चूसती हूँ आप आगे क्या हुआ बताते जाओ।

मैंने मुस्कुराकर उसकी बात मान ली और बताने लगा: ------------

अगले दिन सुबह सारिका का गुड मोर्निंग आया हुआ था और वह कई स्माइली भी भेजी थी। मैंने भी उसका जवाब दिया।फिर मैं दुकान चला गया। वहाँ भी उसके SMS आते रहे। जल्दी ही हम सेक्स की बातें करने लगे और दोपहर होते तक वह और मैं बहुत गरम हो गए। अब मैंने उसको लिखा कि चलो आओ ना फ़्लैट में चुदाई के लिए। वह लिखी:: मैं तो अभी आ जाऊँ पर क्या आपको फ़ुर्सत है?

मैं : हाँ आज मेरे बेटे की छुट्टी है तो वो अभी आएगा , तुम बोलो तो हम एक घंटे में मिलते हैं।

वो: ठीक है मैं आती हूँ।

फिर हम दोनों उस दिन भी फ़्लैट में मिले और इस बार तो वह पहले से भी ज़्यादा फ़्री थी। उसने खुलकर मेरा साथ दिया और हमने कई आसनों में चुदाई का मज़ा लिया। अब वह चुदाई में मेरा वैसे ही साथ दे रही थी जैसी मेरी बीवी देती थी।

हमारा ये सिलसिला क़रीब एक महीने तक चला। फिर शायद हम दोनों ही थोड़े एक दूसरे से बोर होने लगे। फिर हमारी मुलाक़ात कम होने लगी , कभी हफ़्ते में एक बार और आख़री में तो एक महीने में एक बार। मुझे भी तबतक एक दूसरी फुलझड़ी मिल चुकी थी। वह २०/२१ साल की एक कॉलेज की लड़की थी और मैंने उसको अपनी दुकान से ही पटाया था और पैसे की ज़रूरत को पूरा करने के लिए वह मुझे मज़ा दे रही थी। उसे कपड़े और cosmetics वग़ैरह ख़रीदने का बहुत शौक़ था और उसका यह शौक़ पूरा करने के लिए वह चुदाई के लिए तय्यार थी। मैं भी उसकी यह ज़रूरत पूरी कर रहा था और वह मेरी टाइट बुर की ज़रूरत पूरी कर रही थी। इस आपाधापी में सारिका को जैसे भूल ही गया था।

क़रीब एक महीने के बाद वो लड़की मुझे बताई कि उसका महीना नहीं हुआ। मैं थोड़ा परेशान हो गया और उसको उसको अपने एक दोस्त डॉक्टर के पास भेजा। वहाँ पता चला कि वो गर्भ से है। मैंने डॉक्टर को कहकर उसका गर्भपात करा दिया। अब मैंने उस लड़की से भी किनारा कर लिया और क़िस्मत से अगले महीने ही वह लड़की भी अपनी पढ़ाई पूरी करके दूसरे शहर चली गयी । और मैं फिर से अकेला हो गया था। सरिता तो थी पर उसे मैं घर की मुर्ग़ी ही समझता था और उसकी बुर अब ढीली भी हो चुकी थी। इस बीच सारिका से एक दो बार मिला उसकी चुदाई की और उसको उस लड़की के गर्भवती और फिर गर्भपात के बारे में भी बताया। इस तरह दिन कट रहे थे।

तभी एक दिन मैं दुकान में आइ हुई एक कमसिंन लड़की की स्कर्ट से झाँकती गदराइहुई जाँघों को देख रहा था और अपना लौड़ा मसल रहा था। जब वह एक नीचे के शेल्फ़ में एक कपड़ा देखने के लिए झुकी तो उसकी गुलाबी पैंटी में फँसी हुई उसकी बुर अचानक मेरी आँखों के सामने थी। क्या मस्त माल है मैंने सोचा कि तभी सारिका का फ़ोन आया। मैंने फ़ोन उठाया और हेलो बोला।

सारिका: हाय कैसे हो आप?

मैं: मस्त हूँ, तुम सुनाओ क्या हाल है?

सारिका की थोड़ी गम्भीर सी आवाज़ आयी, बोली: मिलना है आपसे कब फ़्री हो?

मैं: क्या हुआ आज बहुत दिन बाद खुजली हुई क्या? बहुत दिन बाद मिलने को कह रही हो।

वो: मुझे आपसे कुछ ख़ास बात करनी है। हम कॉफ़ी हाउस में भी मिल सकते हैं।

मैं: नहीं वहाँ नहीं। फ़्लैट ही में मिलते हैं।

फिर हम तय समय पर फ़्लैट में मिले। आज वह सलवार कुर्ते में थी। थोड़ी उदास दिख रही थी।

मैंने उसको अपनी बाहों में लिया और चूमते हुए बोला: क्या बात है कुछ परेशान लग रही हो?

वो: हाँ थोड़ा परेशान हूँ। आप बैठो ना बताती हूँ।
फिर हम सोफ़े पर बैठे और उसने कहना शुरू किया। वो बोली: आपको मैंने बताया था ना की मेरा एक बेटा है और बहु भी है। दरसल कल बहु ने बताया कि मेरे बेटे के स्पर्म में कुछ समस्या है और वह कभी बाप नहीं बन सकता। लेकिन यह बात वह मेरे बेटे को नहीं बताना चाहती ताकि वह दुखी ना होए।

मैं: अरे इलाज कराओ ना उसका।

वो: डॉक्टर ने कहा है कि ये लाइलाज है। कल बहु रो रही थी और बोली: माँ बताइए ना क्या करूँ? उनको बताती हूँ तो वो दुखी होंगे। मैं उनको बोल दूँगी कि कमी मुझमें है। तब मैं बोली: इतना त्याग मत करो। कुछ और रास्ता खोजते हैं। तब मेरे मन में ये ख़याल आया कि उसको मेरे पति से ही बच्चा करवा दूँ। पर फिर सोचा कि आजकल तो इनका खड़ा ही नहीं होता तो क्या मर्दानगी बची होगी जो कि एक बच्चा ही पैदा कर सकें?

मैं: ओह फिर क्या सोचा?

वो: फिर आपका ख़याल आया। आपने अभी एक लड़की को एक महीने की चुदाई में गर्भवती कर दिया था तो क्यों नहीं आप मेरी बहु को भी माँ बना सकते?

मैं तो जैसे आसमान से गिरा और बोला: क्या कह रही हो? क्या तुम अपनी बहु को मुझसे चुदवाओगी ?

वो : हाँ यही तो आपसे कहने आयी हूँ।

मैं: और तुम्हारी बहु मान जाएगी? मेरा लौड़ा खड़ा होने लगा २३ साल की मस्त जवानी का सोचके। मैं उसको मसल दिया।

वो: हाँ वह तय्यार है तभी तो आयी हूँ। देखो आपका तो सुनकर ही खड़ा हो गया । यह कहकर उसने मेरे खड़े लौड़े को पैंट के ऊपर से पकड़ लिया।

मैं: नाम क्या है बहु का? कोई फ़ोटो है?

वो: जूली नाम है और ये उसकी फ़ोटो देखो मेरे मोबाइल में।

मैंने उसकी फ़ोटो देखा और मस्ती से बोला: यार मस्त माल है जूली। बहुत मज़ा आएगा उसे चोदने में। मैंने फ़ोटो के ऊपर ही उसकी उठी और तनी हुई चूचियों को सहलाया और बोला: आह क्या मस्त चूचियाँ हैं। जब वह माँ बनेगी तो इसका दूध पिलाना होगा।

वो: पक्का पिलवाऊँगी। बस उसको माँ बना दो।

मैं: अरे ज़रूर से बना दूँगा। पर अभी तुम ही चुदवा लो उसकी जगह। यह कहकर मैंने उसकी चूचियाँ दबा दीं।

वो हँसते हुए बोली: मैंने कभी मना किया है क्या? फिर वो भी मेरे लौड़े को पैंट से बाहर निकाली और सुपाडे को नंगा किया और थोड़ा सहलाने के बाद मुँह में ले ली। मैंने मज़े से आँखें बन्द कर ली और उसके मुँह को चोदने लगा। और बोला: कब लाओगी जूली को?

वो: कल ही लाऊँगी। फिर मैंने उसकी ज़बरदस्त चुदाई की और वह अगले दिन जूली के साथ आने का कहकर चली गयी।

राजीव अपनी बात आगे बढ़ाया:----
उस दिन सारिका के जाने के बाद मैं रात को सारिका को SMS किया: कैसी हो? क्या कर रही हो?

वह लिखी: ठीक हूँ अभी खाना खाया है। आप क्या कर रहे हो?

मैं:: अरे अपना लौड़ा दबा रहा हूँ जुली की बुर के बारे में सोच कर।

वो : कल दिलवा तो रही हूँ।

मैं: तुम्हारा हबी क्या कर रहा है?

वो: यहाँ नहीं है , एक हफ़्ते के टूर पर हैं दोनों बाप बेटा।

मैं: ओह तो फिर मैं वहीं आ जाता हूँ और अभी चोद देता हूँ तुम दोनों को।

वो: नहीं हमारे साथ नौकर भी है। और हमारी सास भी रहती है। कल ही मिलेंगे।

मैं: अरे तो फ़ोन पर बात तो कर सकते हैं। जुली और तुम्हारे साथ।

वो: नहीं मेरी सास कभी भी आ जाती है। वो ८२ साल की है पर बहुत तेज़ है। फिर आपकी वाइफ़ भी तो होगी वहाँ ना?

मैं: अरे मैं छत पर जाकर बात कर सकता हूँ।

वो: नहीं हम बात नहीं कर पाएँगे। मैं उसको लेकर कल आ तो रही हूँ।


मैं : चलो अब क्या हो सकता है, कल का इंतज़ार करते हैं। बाई । और फ़ोन काट दिया।
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अब वो दोनों अंदर आयीं। जुली ने मुझे नमस्ते की और सारिका को मैंने अपने से लिपटा लिया। सारिका मुझे बता चुकी थी कि जूली हमारे रिश्ते के बारे में जानती है। अब मैं सोफ़े पर बैठा और वो भी सामने वाले सोफ़े पर बैठ गयीं।
सारिका: तो ये जुली है मेरी बहू। और आपके बारे में मैं इसे बता ही चुकी हूँ। जूली अपना सिर झुकाए बैठी थी। उसके गाल शर्म से लाल हो रहे लगे।
मैं: अरे बेटी, इतना क्यों शर्मा रही हो। तुम तो पाँच साल से शादीशुदा हो इन सब बातों को समझती हो। है कि नहीं? कोई कुँवारी बच्ची तो हो नहीं? सही कहा ना मैंने?
उसने हाँ में सिर हिलाकर मेरी बात से सहमती व्यक्त की। अब वो सहज होने लगी थी। मैंने सारिका को देखा और कहा: आज तो इस रूप में तुम भी ग़ज़ब ढा रही हो।
सारिका: अरे ये सब इस लड़की का किया धरा है। मुझे अपने जैसे कपड़े पहना कर लाई है। भला अब मेरी उम्र क्या इस तरह के कपड़े पहनने की है? सब तरफ़ माँस बाहर आ रहा है। वो अपने पेट को देखकर बोली।
मैं: अरे नहीं जान, इस ड्रेस में तो तुम्हारा मस्त बदन और क़यामत बरसा रहा है। सच में आज मैं अपनी क़िस्मत पर फूला नहीं समा रहा कि क्या माल मिले हैं आज मुझे वो भी दो दो ।
सारिका: मैं यहाँ नहीं रुकूँगी, बस अभी चली जाऊँगी। आप जूलीके साथ अपना काम कर लो। मैं दो घंटे के बाद उसे लेने आऊँगी।
मैं हँसते हुए बोला: तुम्हारा आना अपनी इच्छा से हुआ पर जाना मेरी इच्छा से होगा। अच्छा आओ जूली बेटा, आओ हमारी गोद में बैठो। चलो तुमसे दोस्ती करते हैं। ये कहते हुए मैंने अपना आधा खड़ा लौड़ा पैंट में अजस्ट किया और जूली को उसपर बैठने का इशारा किया।
जूली झिझक रही थी तो उसकी सास उसे खड़ा की और मेरे पास लाकर मेरी गोद में बैठा दिया। जूली तो मेरे खड़े हो रहे लौड़े पर बैठकर थोड़ा सा चिंहुकी और अपने चूतरों को हिलाकर बैठ गयी। और इधर मैं: अरे नहीं जान, इस ड्रेस में तो तुम्हारा मस्त बदन और क़यामत बरसा रहा है। सच में आज मैं अपनी क़िस्मत पर फूला नहीं समा रहा कि क्या माल मिले हैं आज मुझे वो भी दो दो ।
सारिका: मैं यहाँ नहीं रुकूँगी, बस अभी चली जाऊँगी। आप जूलीके साथ अपना काम कर लो। मैं दो घंटे के बाद उसे लेने आऊँगी।
मैं हँसते हुए बोला: तुम्हारा आना अपनी इच्छा से हुआ पर जाना मेरी इच्छा से होगा। अच्छा आओ जूली बेटा, आओ हमारी गोद में बैठो। चलो तुमसे दोस्ती करते हैं। ये कहते हुए मैंने अपना आधा खड़ा लौड़ा पैंट में अजस्ट किया और जूली को उसपर बैठने का इशारा किया।
अब मैंने सारिका के पेट को सहलाना शुरू किया और उसकी टॉप को उठा कर उसके नंगे पेट को चूमने लगा। उसकी नाभि भी जीभ से कुरेदने लगा। फिर मैंने हाथ बढ़ाकर जूली की बाँह सहलाते हुए उसकी चूचि पकड़ ली। आऽऽह क्या सख़्त अनार सी चूचि थी। साथ ही मैंने अपना एक पंजा सीधा सारिका की बुर के ऊपर उसकी पैंट के ऊपर से रख दिया और उसको मूठ्ठी में लेकर दबाने लगा। एक साथ सास और बहू की आऽऽऽह निकली। दोनों मेरे इस अचानक हमले के लिए तय्यार नहीं थीं।
अब मैं बारी बारी से जूली की चूचि दबा रहा था और सारिका की बुर भी मसल रहा था। सारिका: आऽऽऽह छोड़िए ना। आज नहीं, आज सिर्फ़ जूली से मज़े लो। आऽऽहहहह मुझे जाने दो।
मैं: क्यों मज़ा ख़राब कर रही हो? देखो तुम्हारी बहु कितने मज़े से चूचियाँ दबवा रही है , तुम भी अपनी पैंट खोल दो अभी के अभी। ये कहते मैंने उसकी पैंट की ज़िपर नीचे कर दी और अंदर हाथ डाल दिया। मेरे हाथ उसकी बिलकुल गीली हो चुकी पैंटी पर थे और मैं बोला: देखो तुम्हारी बुर कितना पानी छोड़ रही है। चलो अब खोलो इसे और पहले मैं तुमको चोदूंग़ा और जब जूली की शर्म निकल जाएगी तब उसे भी चोद दूँगा।
अब मैंने जूली का टॉप खोला और वह हाथ उठाकर मुझे टॉप उतारने में मेरी मदद की। अब मैं ब्रा के ऊपर से उसकी बड़े अनारों के चूम रहा था। मैं: आऽऽहब क्या माल है तेरी बहु, आऽऽज बहुत मज़ा आएगा इसे चोदने में।
उधर सारिका बोली: तो चोदो ना उसे पर मुझे जाने दो। मुझे बड़ा अजीब लगेगा इसके सामने चुदवाने में।
जूली: माँ आप ये कैसी भाषा बोल रही हो?
मैं: अरे बेटा, चुदाई को तो चुदाई ही बोलेंगे ना? अब करवाएगी या मज़ा लेगी , इसका कुछ और मतलब भी हो सकता है, पर चुदाई का कुछ और मतलब सम्भव ही नहीं है । अब मेरी दो उँगलियाँ पैंटी के साइड से उसकी बुर में घुस गयीं। सारिका हाय्य्यय कहकर उछल गयी। फिर मैंने उँगलियाँ निकाली और जूली को दिखाकर बोला: देखो तुम्हारी सासु माँ की बुर कितनी चुदासि हो रही है। ये कहते हुए मैंने वो दोनों उँगलियाँ चाट लीं। जूली की आँखें अब मेरे द्वारा किए जा रहे चूचि मर्दन से और मेरी बातों से लाल होने लगी थी और वह चूतर हिलाकर मेरे लौड़े को अपनी गाँड़ पर महसूस करके मस्त हुई जा रही थी।
अब मैंने सारिका का पैंट का बेल्ट खोला और वह मेरे हाथ को हटाकर बोली: आप प्लीज़ मुझे जाने दो ना।
मैं: जूली फ़ैसला करेगी कि तुम जाओगी या नहीं। बोलो जूली क्या तुम चाहती हो कि तुम्हारी सासु माँ प्यासी रहे?
जूली: नहीं मैं ऐसा क्यों चाहूँगी? माँ आप रुक जाओ ना।
सारिका: तू भी इनकी तरफ़ हो गई? अभी तो चुदीं नहीं है तब ये हाल है, चुदाई के बाद तो मेरा साइड छोड़ ही देगी। अब हम तीनों हँसने लगे। अब सारिका ने भी विरोध छोड़ दिया और अपनी पैंट उतार दी।काली पैंटी में उसका गोरा भरा हुआ बदन बहुत कामुक दिख रहा था। मैंने उसकी मोटी जाँघें सहलायीं और फिर पैंटी नीचे कर दिया। उसने पैंटी भी उतार दी। उसकी मोटी फूली हुई बुर मेरी और जूली की आँखों के सामने थी। जूली भी इसे पहली बार देख रही थी। उसको आँखें वहीं चिपक गयीं थीं। अब मैंने सारिका को अपने पास खिंचा और उसकी बुर पर अपना मुँह रख दिया और उसे चूसने और चाटने लगा। जल्दी ही उसकी आऽऽऽहहहह निकल गयी और वह मेरा सिर अपनी बुर पर दबाके अपनी कमर हिलाने लगी। एक हाथ से अभी भी मैं जूली की चूचि दबा रहा था।
अब मैंने अपना मुँह उठाया और फिर मैंने जूली की ब्रा का स्ट्रैप खोला और उसकी नंगी चूचियाँ देखकर मैं जैसे अपने होश खो बैठा और उसकी चूचियाँ चूसने लगा ।अब मेरा हाथ सारिका के बुर में ऊँगली कर रहा था और दूसरा हाथ उसकी एक चूचि दबा रहा था और मेरे मुँह में उसकी दूसरी चूचि थी।
अब वो दोनों आऽऽऽहहह कर रही थीं और अब जूली खूल्लम ख़ूल्ला मेरे लौड़े पर अपनी बुर पैंट के ऊपर से रगड़ रही थी और उसकी कमर हिले जा रही थी। अब मैं बोला: चलो बिस्तर पर चलते हैं। वो दोनों मुस्करायीं और सारिका बोली: चलो आपने मुझे इतना गरम कर दिया है कि अब बिना चुदवाने मुझे चैन नहीं आने वाला।

हम बेडरूम में पहुँचे और वहाँ सारिका मेरे कपड़े उतारने लगी और मैंने उसका टॉप उतार दिया। फिर उसके ब्रा को खोलकर उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ नंगी हो गयी। उसने भी मुझे नंगा किया और मेरी चड्डी उतारकर मेरे लौड़े को पकड़कर जूली को दिखाकर बोली: ये है इनका मस्त लौड़ा जो तुमको माँ बनाएगा। देखो इनके बालस कितने बड़े हैं और मस्त मर्दाना स्पर्म से भरे हुए हैं जो तुमको जल्दी ही क्या पता आज ही माँ बना देंगे।
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जूली मेरे लौड़े को और बॉल्ज़ को देखती रही।तब तक सारिका नीचे बैठ गयी और मेरा लौड़ा चूसने लगी।और फिर वह जुली को दिखाकर मेरे बालस चूसने लगी। अब मैं भी गरम हो गया था और मैंने जूली की पैंट उतारी और उसकी पैंटी को देखकर मस्त हो गया जो की सामने से पूरी गीली थी। मैं समझ गया कि वह बहुत गरम है और बड़े मज़े से चुदवाएगी । उसकी पैंटी नीचे करके मैंने उसकी बुर को देखा और बिना झाँट के बुर को देखकर मेरे लौड़े ने सारिका के मुँह में झटका मारा।
वह अब बहुत गरम थी और मैंने सारिका को नीचे लिटाया और उसके ऊपर आकर उसे पागलों की तरह चोदने लगा। वह भी कमर उठकर मज़ा देने लगी। मैंने देखा कि जूली भी बग़ल में आकर लेट गयी और अपनी बुर में ऊँगली डाल रही थी और हमारी चुदाई को ध्यान से देख रही थी। कमरा फ़च फ़च की आवाज़ों से गूँज रहा था और वह ध्यान से मेरे धक्कों को देख रही थी मानो वो भी कोई नया अजूबा देख रही हो।

मैं बोला: क्या बात है जूली , क्या देख रही हो? तुम्हारा पति भी तो ऐसे ही चोदता होगा ना तुमको रोज़ ?

जूली: मेरे पति मुझे बहुत प्यार करते हैं और बड़े आराम से करते हैं। आपके जैसे जंगली की तरह नहीं करते।

तभी सारिका हाय्य्य्य्य्य्य्य्य और ज़ोर से चोओओओओओदो चिल्लायी और जूली हैरानी से अपनी सास को देखने लगी। वह अब ज़ोर ज़ोर से अपनी कमर उछालकर हाय्य्यय आऽऽह करके झड़ने लगी। अब उसके झड़ने के बाद मैंने अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया और अब जूली के ऊपर आ गया। मेरा लौड़ा अभी भी पूरा खड़ा था और सारिका की बुर के रस से गीला होकर चमक रहा था।
अपने लौड़े को जूली की आँखों के सामने लाकर उसको झुलाते हुए मैं बोला: जूली बेटा मर्दाना चुदायी ऐसी होटी है। क्या तुम्हारा पति भी ऐसे ही धमासान चुदाई करता है? देखो तुम्हारी सासु माँ क्या मस्ती से चुदायी। अभी मैं तुमको ऐसे ही चोदूँगा। तुम कभी नहीं भूलोगी और मेरे पास बार बार आओगी चुदवाने जैसे तुम्हारी सास आती है।

जूली: अंकल आपको पता है कि मैं आपके पास सिर्फ़ इस लिए आयी हूँ कि मुझे माँ बनना है । वैसे आपको बता दूँ कि मेरे पति भी मुझे बहुत अच्छी तरह से संतुष्ट करते है और उनका भी आपके जैसे ही बहुत बड़ा है। बस पता नहीं स्पर्म कैसे कम हो गए । इसीलिए आपके पास आयी हूँ। मैं उनसे बहुत प्यार करती हूँ। पर हाँ वो ऐसे ज़ोर ज़ोर से नहीं करते जैसे आप किए थे अभी माँ को!
मैं: अरे उसी जबदरस्त चुदाई में ही तो मज़ा है बेटा। अभी देखना कैसे तुमको मस्त करता हूँ। बेटी लड़की एक से ज़्यादा मर्द से भी तो प्यार कर सकती है। जैसे तुम्हारी सास अब मुझे भी प्यार करने लगी है। वैसे ही तुम भी बहुत जल्दी मुझे भी प्यार करने लगोगी। मैं भी तो अपनी बीवी से भी प्यार करता हूँ।

जूली: आपकी सोच मेरे से अलग है।

मैं: अब तुम दोनों सुनो मेरी सोच तो यह है कि जब तुम्हारे पति का लौड़ा बहुत मस्त है तो सारिका को बाहर आकर मुझसे चुदवाने की क्या ज़रूरत है वो तो अपने बेटे से भी चुदवा सकती है ना।

जूली: क्या बकवास कर रहे हैं आप? भला ऐसा भी कहीं होता है? वो माँ बेटा हैं।
मैं: क्यों सारिका, तुम्हारे बेटे का लौड़ा मस्त है और अगर जूली को कोई ऐतराज़ ना हो तो क्या तुम अपने बेटे से चुदवा नहीं सकती?

सारिका: छी कैसी बातें कर रहे है आप? छोड़िए ये सब बकवास और जूली को चोदिए अब।

जूली: एक बात पूँछुँ अंकल? आपकी बेटी को भी आप चोदना चाहोगे क्या?

मैं: सच बताऊँ, अगर सविता नहीं होती तो सच में मैं अपनी बेटी को चोद देता। बस उसके डर से नहीं चोदा। वरना जब वह जवान हो रही थी तो कई बार मन में आया कि मेरी जवान बेटी किसी दूसरे से क्यों चुदवाए वो भी मेरे जैसे चुदक्कड के होते हुए।

जूली हैरानी से मुझे देख रही थी और मैंने अब अपने दोनों हाथ उसकी चूचियों पर रखे और उसके होंठ चूसने लगा। अब मैं जूली को चोद्ने की तय्यारी करने लगा। मैंने देखा कि सारिका बाथरूम से वापस आ गयी थी और हमारी टांगों की तरफ़ आकर बैठ गयी थी। अब वह मेरे बॉल्ज़ का मसाज़ करने लगी। मैं अब बहुत मस्त हो कर उसे चोदने की तय्यारी करने लगा।
राजीव रुका और रानी को अपना लौड़ा चूसते देखकर उसकी चूचि दबाकर बोला: मज़ा आ रहा है चूसने में?

रानी: चूसने में तो आ ही रहा है पर आपकी बात में ज़्यादा मज़ा आ रहा है। आगे क्या हुआ ?

राजीव आगे बोलता चला गया: -------

अब जूली की बुर में मैंने दो उँगलियाँ डालकर उसकी बुर और clit रगड़ने लगा और एक चूचि मुँह में और एक हाथ में लेकर उसके निप्पल्स को दबाने लगा। सारिका मेरे बॉल्ज़ चाटने लगी। फिर मैं नीचे आया और जूली की मस्त पूरी तरह से पनियाई हुई बुर को देखकर मस्ती से उसे चूम उठा। वह बहुत गरम होकर अपनी बुर को मेरे मुँह में अपने कमर उछालकर दबाने लगी।

अब सारिका बोली: क्यों तड़पा रहे हो बच्ची को , अब डाल भी दो ना। ये कहते हुए वह मेरे अकड़ा हुआ लौड़ा मसल दी। मैंने अब जूली की दोनों टाँगें पूरी तरह से फैलायी और उसके बीच में आकर अपना लौड़ा उसकी बुर के ऊपर सेट करके अपने लौड़े के सुपाडे से उसकी बुर के पूरे छेद और clit को लम्बाई में रगड़ने लगा। वह उइइइइइइइइ माँआऽऽ कर उठी।
मैं: जूली बेटा, बोलो चोदूँ? बोलो ना।

जूली: आऽऽहहह हाँ अंकल हाँ।

मैं : हाँ क्या? बोलो चोदूँ ?

जूली: हाऽऽयय्यय क्यों तड़पा रहे हैं अंकल । चोदिए ना प्लीज़ आऽऽऽऽऽऽऽहहह

मैं: ठीक है तो डाल दूँ ना अब अंदर अपना लौड़ा ?

जूली: हाय्य्य्य्य्य डालिए नाआऽऽऽऽ।

मैं: क्या डालूँ?

जूली: हाऽऽऽऽऽय्यय आऽऽऽऽऽऽपका गरम लौड़ाआऽऽऽऽ आऽऽह और क्या।

सारिका: क्यों तड़पा रहे हो चोदो ना अब उसको। देखो कैसी मरी जा रही है ये चुदवाने के लिए ।
मैंने मुस्कुराते हुए अपना लौड़ा उसकी गीली बुर में पेलना शुरू किया और टाइट जवान बुर मुँह खोलकर मेरा लौड़ा गपकते चली गयी। आऽऽहहह क्या ज़बरदस्त अनुभव था । उसकी बुर पूरे तरह से मेरे लौड़े को अपनी ग्रिप में जकड़ ली और मुझे बरसों के बाद बहुत मज़ा आया। अब मैंने चोदना शुरू किया। पहले धीरे धीरे से उसके होंठ और चूचि चूसते हुए और जल्दी ही ज़ोर से पिलाई करने लगा। वह पागलों की तरह चिल्ला कर आऽऽऽहहह हाय्य्यय और उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽ कहकर अपनी गाँड़ उठाकर चुदवा रही थी।सारिका उसके सिर के पास बैठ कर उसकी छाती सहला रही थी।

अचानक मुझे लगा की वह मुझसे बुरी तरह चिपक रही है और चिल्लाई : उओइइइइओओओओ हाऽऽऽऽऽऽय्य। मुझे लगा कि वह झड़ रही है। पर मैं रुका नहीं और चुदाई चालू रखा। अब मैं भी झड़ने वाला था पर मैं रुका और उसके होंठ चूसते हुए उसकी चूतरों को दबाने लगा। और बोला: जूली मज़ा आ रहा है।
जूली: आऽऽऽह बहुत मजाऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ रहा है। मैं तो एक बार झड़ भी गयी। अब दूसरी बार झड़ूँगी । आऽऽह आप चोदते रहिए। हाय्ययय क्या मस्त चोदते हैं आऽऽप। आऽऽऽहह।

मैं अब ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा। मैंने उसकी टाँगें उठाकर उसकी छाती पर रख दी और पूरी ताक़त से धक्के मारने लगा। पूरा पलंग हिल रहा था और फ़च फ़च के साथ ही हाय्य्य्य्यय मरीइइइइइइइइ की आवाज़ें गूँज रही थीं।

सारिका: थोड़ा धीरे से चोदो ना । क्या लड़की की फाड़ ही डालोगे।

जूली: आऽऽऽऽऽह माँ चोदने दो ऐसे है , हाय्य्य्य्य क्या मजाऽऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ रहाऽऽऽऽऽ है माँआऽऽऽऽऽऽ। सच ऐसे मैं कभी भी नहीं चुदीं। हूँ। उइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ । ये कहकर वो अपनी गाँड़ उठा के मेरे धक्कों का जवाब देने लगी। अब मैंने भी उसके दोनों चूतरों को एक एक हाथ में लिया और ज़बरदस्त धक्के मारने लगा। सारिका अब उसके निप्पल्स दबाने लगी
मेरी एक ऊँगली उसकी गाँड़ के छेद को सहलाती हुई कब उसके छेद में घुस गयी मुझे भी पता नहीं चला। वह अब आऽऽऽहहह कर उठी। शायद उसका यह पहला अनुभव था गाँड़ में ऊँगली करवाने का ।


चुदाई अपने पूरे शबाब पर थी और सारिका की साँसे फिर से फूलने लगी थी हमारी चुदाई देखकर। वह अब अपनी बुर में दो ऊँगली डालके मज़े ले रही थी। जूली की मस्ती से भरी चीख़ें जैसे रुकने का नाम ही नहीं के रही थी। फिर अचानक वह चिल्लाई: आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह मैं गइइइइइओओइओओओ । अब मैं भी झड़ने लगा। मैंने उसकी बुर के अंदर उसकी बच्चेदानी के मुँह पर ही अपना वीर्य छोड़ना शुरू किया। पता नहीं कितनी देर तक हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए अपने अपने ऑर्गैज़म का आनंद लेते रहे। सारिका बोली: अब उठो भी क्या ऐसे ही चिपके पड़े रहोगे?
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मैं धीरे से उसके ऊपर से उठा और उसके बग़ल में लेट गया और बोला: आऽऽहहह आज बहुत दिन बाद असली चुदाई का मज़ा आया। सारिका , जूली तो बनी ही है चुदवाने के लिए। तुम इसे कहाँ छुपा कर रखी थी।
जूली मेरे नरम लौड़े से खेलते हुए बोली: मुझे क्यों ऐतराज़ होगा। उनका बेटा पहले है , मेरा पति तो बाद में बना है।

सारिका उलझन के साथ बोली: जूली क्या तुम भी यही चाहती हो?

जूली: माँ आज की चुदाई के बाद तो मुझे ऐसी चुदाई की ज़रूरत पड़ेगी ही। अब वो आपका बेटा करे तो ठीक नहीं तो अंकल तो हैं ही मेरे लिए। क्यों अंकल आप मुझे ऐसे ही चोदेंगे ना हमेशा? वो मुझसे चिपकते हुए और मेरी छाती को चूमते हुए बोली। उसका हाथ अभी भी मेरे लौड़े को सहला रहा था।

सारिका को सोच में देखकर मैं बोला: सारिका, ज़्यादा सोचो मत । तुम दोनों उसको अच्छी तरह से सिखा दो और फिर मज़े लो घर के घर में।

सारिका: हाँ लगता है आप ठीक ही कह रहे हो। अब बच्चा होने के बाद जूली आपसे हमेशा तो चुदवा नहीं सकती ना।
जूली: अंकल आपका फिर से खड़ा हो रहा है।
मैं: चलो चूसो इसको। सारिका तुम भी आओ और दोनों मिलके चूसो। वह दोनों मिलकर मेरे लौड़े और बॉल्ज़ को चूसने लगीं और मैं आनंद से भर उठा। आऽऽह क्या दृश्य था सास और बहू दोनों मेरे को अद्भुत मज़ा दे रहीं थीं। फिर मैंने सारिका को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी ज़बरदस्त चुदाई की , उसकी लटकी हुई चूचियाँ अब जूली दबा रही थी। सारिका उइइइइइइइइ आऽऽऽऽऽहहह उन्ह्ह्ह्ह्ह करके जल्दी ही झड़ गयी। अब मैंने जूली को घोड़ी बनाया और उसकी भूरि गाँड़ के छेद को देखकर वहाँ जीभ डालके उसे चाटने लगा।वह आऽऽऽह कर उठी। फिर मैंने उसकी बुर में लौड़ा पेला और उसकी गाँड़ में दो ऊँगली डालके उसे ज़बरदस्त तरीक़े से चोदने लगा। क़रीब २० मिनट की घिसाई के बाद हम दोनों झड़ गए।

बाद में सारिका अपने कपड़े पहनते हुए बोली: मुझे तो लागत है कि जूली को आज ही गर्भ ठहर गया होगा। आप ऐसी चुदाई किए हो आज कि मैं भी हिल गयी।
जूली मुझसे लिपट कर बोली: थैंक यू अंकल । इतना मज़ा दिया और अगर माँ भी बन गयी तो सोने पे सुहागा हो जाएगा।

मैं: अगर का क्या मतलब बेटा, माँ तो बनोगी ही। देखना भगवान ने चाहा तो इस महीने तुम्हारा पिरीयड आएगा ही नहीं।

सारिका मेरे लौड़े को पैंट के ऊपर से दबाके बोली: सब इसका कमाल है । आह क्या मस्ताना हथियार है आपका।

हम तीनों हँसने लगे। फिर अगले दिन मिलने का कहकर वो चली गयीं।

रानी ने लौंडे को चूसते हुए पूछा : फिर क्या हुआ ?

मैं: बस इसी तरह चूदाई चलती रही और उसका अगले महीने पिरीयड नहीं आया। फिर दो तीन महीने बाद वह चुदवाना बंद कर दी। बाद में सारिका बताई कि वह भी अपने बेटे से ही चुदावाने लगी थी, और अब जुली और वह दोनों उससे ही अपनी बुर की प्यास बुझवाते थे। समय पर उसके एक बेटा हुआ और वो मुझे उसे दिखाने मेरी दुकान पर आयीं। बहुत सुंदर और प्यारा लड़का था । बस इसके बाद कभी कभी वो दुकान पर आतीं हैं तो मुलाक़ात हो जाती है ,वरना वह अपने घर ख़ुश और मैं अपने घर ख़ुश ।

यही कहानी है जुली के माँ बनने की, अब तुम्हारी बारी है , तुम भी इसी महीने गर्भ से हो जाओगी, देखना?

फिर मैंने उसका सिर अपने लौंडे से हटाया और उसको लिटाकर उसकी ज़बरदस्त चूदाई की। अपना वीर्य मैंने उसकी बच्चेदानी के मुँह पर ही छोड़ा ताकि वो भी जल्दी से माँ बन जाए।
रानी को चोदने के बाद राजीव जैसे बाथरूम से बाहर आया उसका फ़ोन बजा। सरला थी वो बोली: नमस्ते भाई साब , कैसे हैं?

राजीव: नमस्ते भाभी जी बढ़िया हूँ। आपको मिस कर रहा हूँ। आप और मालिनी बिटिया की बड़ी याद आ रही थी।

सरला: मैंने कूरीयर से मालिनी की कुंडली भेज दी है। आप पंडित जी से मिलवा लीजिएगा।

राजीव: अरे अब उन दोनों के दिल मिल गए हैं कुंडली भी मिल ही जाएगी। और शादी के बाद वैसे भी बाक़ी सब का भी मिलन हो ही जाएगा। यह कहते हुए वह कमिनी हँसी हँसा।

सरला: भाई सांब आप भी क्या क्या बोलते हैं । सगाई की कोई तारीख़ का सोचा आपने?

राजीव: अरे आप कल आ जाइए ना फिर हम दोनों पंडित से कुंडली भी मिलवा लेंगे और सगाई की तारीख़ भी तय कर लेंगे। और फिर हम अपनी भी दोस्ती और पक्की कर लेंगे। वह फिर से फूहड़ सी हँसी हँसा। सरला को उसके इरादों में गड़बड़ी दिखाई दी पर वह क्या कर सकती थी।
राजीव भी बाई करके फ़ोन काटा और अपने लौड़े को सहलाते हुए सोचा कि साली क्या माल है, मज़े तो लूँगा ही।

रानी जो उसे ध्यान से देख रही थी बोली: आप समधन को ठोकने का प्लान बना रहे हैं। है ना?

राजीव: साली मस्त माल है और अपने जेठ से ठुकवा रही है। मैं भी लाइन लगा लिया हूँ। यह कहते हुए वह हँसने लगा।
रात को शिवा से बात हुई तो वह बोला: आज मेरी मालिनी से बात हुई । वह बहुत संस्कारी लड़की है।

राजीव : हाँ बहुत प्यारी लड़की है। उसकी माँ एक दो दिन में आएगी और हम पंडित से मिलेंगे तुम्हारी सगाई की तारीख़ के लिए।

शिवा: ठीक है पापा अब मैं सोता हूँ।

राजीव हँसते हुए: क्या मालिनी से रात भर बात करनी है?

शिवा: नहीं पापा वो ऐसे ही, हाँ उसको गुड नाइट तो करूँगा ही। फिर वह हँसते हुए अपने कमरे में चला गया। उसके जाने के बाद वह भी सो गया । अगले दिन सरला का फ़ोन आया : नमस्ते भाई सांब ।

राजीव: नमस्ते जी। क्या प्लान बनाया है आपने?

सरला: जी कल आऊँगी और पंडित जी से सगाई की बात भी कर लेंगे।
राजीव: कौन कौन आएँगे?

सरला: मैं और जेठ जी आएँगे।

राजीव : चलिए बढ़िया है आइए और कल ही प्लान फ़ाइनल करते हैं। बस एक रिक्वेस्ट है?

सरला: कहिए ना , आप आदेश दीजिए। रिक्वेस्ट क्यों कर रहे हैं?

राजीव: आप गुलाबी साड़ी पहन कर आइएगा। आप पर बहुत जँचेगी।

सरला: ओह,आप भी ना, ये कैसी फ़रमाइश है भला? देखती हूँ , मेरे पास है कि नहीं। बाई।


राजीव भी अपना लौड़ा दबाते हुए सोचा कि क्या मस्त लगेगी वह गुलाबी साड़ी में।
WOW MAST SAMDHAN RAJIV KI
 

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