सानिया : हा... ये सच है की में और तुम्हारे डैड १४ साल से साथ रह के भी एक दूसरे के साथ नहीं है...
सतीश : "१४ साल" से...? क्या कहा १४ साल से तुम तड़प रही हो...?
सानिया : हा... और में कर ही क्या सकती हु... जब मेरी किस्मत में तडपना ही लिखा है तो में क्या कर सकती हु... और वैसे भी किस्मत के लिखे को कौन बदल सका है...
अपणी माँ की बात सुन के सतीश की आँखें चमक उठि.
सतीश : अगर ऐसी बात है तो... तुम्.... तुम मुझे क्यों नहीं ट्राय करने देती...? मुझे पता है.... नहीं मुझे यकीन है की में तुम्हारे अधुरेपन को दूर कर लुंगा... सही में में तुम्हे शीकायत का कोई मौका नहीं दूँगा... मैं तुम्हे वो हर सुख दूंगा जिसके लिए तुम १४ साल से तड़प रही हो...
अपने बेटे की बात सुन के सानिया हंसने लगी. वो दोनों एक दूसरे के बहुत पास एक दूसरे के चेहरे के सामने खड़े है. सानिया के हाथ अपने बेटे के कंधे पे है...
सानिया : "होल्ड इट, मिस्टर. तुम्हे ये पता है की में और तुम वो नहीं कर सकते... जो तुम कह रहे हो और जो तुम चाह रहे हो वो नहीं हो सकता...
सतीश : क्यों मा...? हम वो क्यों नहीं कर सकते...? और डैड को ये कभी पता नहीं चलेगा... तुम्हे उन से इस बारे में कुछ कहने की ज़रुरत ही क्या है... ये हमारा सीक्रेट रहेगा...
अपने बेटे की बात सुन के सानिया ज़ोर ज़ोर से हंसने लागी....
सानिया : "सतीश, तुम्हे पता भी है की तुम मुझसे क्या करने को कह रहे हो...?
सतीश : "मा में जो कह रहा हूँ उस बात में पॉइंट है... क्यों नहीं है क्या...? मेरी बात सही है... तुम डैड को धोका दिए बिना... फिर से वो सुख पा सकती हो...
सानिया : सतीश... लेकिन इस तरहा भी तो में आपने पति को धोका ही दे रही हू...
सतीश : "हा.... लेकिन फिर भी अगर कुछ गलत करने से आपको सुख मिलता है तो उस में बुराई क्या है... जो सुख तुम्हे डैड नहीं दे सकते वो सुख तुम्हे में दे सकता हु...मैं, मैं प्रॉमिस करता हूँ की हमारे बारे
मे किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा....
प्लीज माँ प्लीज.....
सानिया : "स्वीटी, तुम जो कह रहे हो हम वो नहीं कर सकते..."
सतीश : "क्यूं? माँ हम वो क्यों नहीं कर सकते...? तुम्हे जो सुख चाहिए वो तुम्हे में दे रहा हूँ फिर क्यों नहि...?
सानिया : "सतीश, ये बात मेरे सुख पाने की नहीं है ये बात है मेरी तुम्हारे साथ... अपने बेटे के साथ सेक्स करने की है..
सानिया : अपनी शादी के इन 20 सालों में एक बार भी मैंने उन्हें धोका नहीं दिया है... और अब भी में उनको धोखा दे के उनका विश्वाश नहीं तोडना चाहती...
अपनी माँ की बात सुन के सतीश अपना सर झुका लेता है... लेकिन फिर एक पल के बाद वो अपनी माँ को देखता है..
सतीश समझ जाता है कि थोड़ी ट्राय की तो माँ को चोदा जा सकता है उसके लिए माँ को बहोत सिड्यूस करना होगा ताकि वह खुद चोदने को तैयार हो जाये यही एक रास्ता है बहोत सालो से माँ चुदी नही है उसे सिर्फ सिड्यूस करना है बाकी अपने आप हो जायेगा.
आज जिस तरह दोनो माँ बेटे के बिच खुला पन है कुछ समय पहले नही था इसकी शुरुवात सतीश ने की थी
सतीश पिछले साल में खूब बदल गया था, मगर लम्बाई में नहीं बल्कि सतीश का जिस्म खूब भर गया था. उसकी छाती, कन्धे, जांघे अब वयस्क मर्द की तरह चौड़ी हो गयी थी मगर वह अब भी अपने डैड जैसा लंबा, चौढा मर्द नहीं बन सका था इसीलिए तब उसे जबरदस्त झटका लगा था जब सतिशने देखा था के उनके इतने लम्बे-चौड़े शरीर के बावजूद उनका लंड कितना छोटा सा था. एक बार डैड और उनके दोस्तोँ ने एक पार्टी रखी थी जहा डैड उसे भी साथ लेकर गए थे. डैड उस समय बाथरूम में खड़े पेशाब कर रहे थे जब वह बाथरूम में गया था. वो पेशाब करने के बाद अपना लंड हिलाकर उसे झाढ़ रहे थे और सतीश उनके अगले यूरीनल पर खड़ा हो गया क्योंके बाकि सब पहले से बिजी थे.
जब सतिशने कनखियों से देखा तो वो पेशाब कर अपना लंड हिला रहे थे. सतिशने बचपन के बाद आज पहली बार उनका लंड देखा था. बचपन में सतिशने तब उनका लंड देखा था जब उन्होनो उसे अपना लंड दिखाते हुए समझाया था के कुदरति तौर पर मर्द पेशाब कैसे करते है. उस समय उसे उनका लंड बहुत बढा लगा था. डैड के लंड को देखने पर लगा वो झटका उसके गर्व के एहसास में बदलता जा रहा था और फिर वो गर्व का एहसास अभिमान में बदलने लगा. सतीश अपने लंड को बाहर निकालने वाला था मगर फिर वह डैड को शर्मिंदा नहीं करना चाहता था इस्लिये वापस जिपर बंद करने लगा.
विशाल:-"शरमाओ मत्त"
डैड हंस पढ़े थे.
विशाल:- "मुझे पूरा यकीन हैं तुम्हे इस मामले में शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है" वो सिंक की और मूडते हुये मेरी पीठ थपथपा कर बोले. सतीश अब भी अपनी जिपर से उलझा हुआ था जब वो हाथ सुखाने के बाद हँसते हुए बाहर चले गये. अगर वह उसे भूल जाता तो शायद बात वहीँ ख़तम हो जाती और सबकुच ठीक ठाक हो जाता. मगर वह चाहकार भी उसे भुला न पाया. डैड की हँसी जैसे उसके दिमाग में घर कर गयी थी और बार बार उसे उसके कानो में वो अपमानजनक हँसी गूँजती सुनायी देती. डैड की वो अपमानजनक हँसी बार बार उसके दिल में किसी शूल की तरह चुभती थी. 'मुझे उस समय उन्हें अपना लंड दीखाना चाहिए था' वह सोचता. 'उसके लंड पर नज़र पढते ही उनका मुंह बंद हो जाता. उन्हें मालूम चल जाता के असली मर्द का लंड कैसा होता है, कम से कम उनके मुकाबले में. अगर उनका लंड ऊँगली के समान था तो सतीश का कलायी के समान'
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