Incest मम्मी मेरी जान

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ये कॉल उस की बेस्ट फ्रेंड सपना का है. जो उस से मिन्नत कर रही है की ऑफिस के बाद वो उसके साथ बाहर शॉपिंग पे चले उसे एक पार्टी में पहन ने के लिए एक ड्रेस खरीद नी है.
सानिया उसकी बात फ़ौरन मान लेती है. वो ये जानती है की जब सतीश घर पे आयेगा उस वक़्त वो घर से बाहर हो गि.
ओर जब वो शॉपिंग कर के वापिस आएगी सतीश अपने कमरे में सो रहा होगा.
सानिया को ये समझ में नहीं आ रहा है की आज सुबह जो हुआ उसके बाद वो अपने बेटे को कैसे फेस करेगि.
सतीश भी इसी बात से परेशान था. शाम को जब वो घर वापिस आया तो मम्मी को घर पे न पा कर उसे थोड़ी राहत हुई. उसे ये समझ में नहीं आ रहा था की अगर उसकी मम्मी ने उस से सुबह किचन में हुये इंसिडेंट के बारे में पुछा तो वो क्या करेंगा.
लेकिन जो किस्मत में लिखा है वो ही होता है. वो सोफ़े पे बैठ गया और उसने टीवी ऑन किया, उसकी फेव मूवी आ रही थी जिसे देखने के लिए वो कब से वेट कर रहा था.
मूवी का टाइम था ९:०० से १२:०० तक्. वो सोफ़े पे बैठ के मूवी देखने लगा.
सतीश इत्मीनान से बैठा मूवी देख रहा था. जब मूवी ख़तम हो ने आई तो घर का दरवाज़ा खुला और सानिया अपनी सेक्सी स्तन और मदमस्त गांड मटकाती हुई घर के अंदर आई.
सतीश अपनी मम्मी से नज़रें नहीं मिला पा रहा था.
सानिया : हेलो माय स्वीट सन...
सतीश : हेलो मम्मी..
सानिया : बेटा तुम घर कब आये...?
सतीश : हा, वो में आज ९:०० बजे आ गया था. और हाँ मम्मी डैड का फ़ोन आया था उन्होंने ज़्यादा बात नहीं की.. वो थके हुए थे तो जल्दी से फ़ोन कट कर के सो गये.
सानिया : सोने के अलावा उन्हें आता ही क्या है?
ये कह के सानिया आगे बढ़ी और टीवी और सतीश के बीच में जा के खड़ी हो गयी.
सानिया : "तुम सुबह सुबह किचन में जो खेल खेलते हो, तुम इस बात का ख़याल रखना की कहीं सपना तुम्हे वो खेल खेलते हुए न पकड़ ले."
सानिया को खुद पे हैरानी हो रही थी की उसने ऐसा क्यों कहा. ये वो बात नहीं थी जो वो अपने बेटे से कहना चाहती थी.
सतीश : हा, में ख़याल रखुंगा.
सानिया : नहीं बेटे. मेरे कहने का मतलब वो नहीं था.
सतीश : तो फिर.....?
सानिया : मेरा मतलब है की "तुम वो चीज़ लेने से पहले ये तय कर लो की तुम्हे क्या चहिये."
अपनी मम्मी की बात सुन के सतीश ने फ़ौरन अपनी मम्मी की तरफ देखा.
सतीश : क्या....?
सानिया : मेरे ख्याल से जो मैंने कहा वो तुम ने सुना. तो जो भी करना अच्छे से और सोच समझ के करना. और ये लो में तुम्हारे लिए ये गिफ्ट लायी हु.
सानिया वो पैकेट सतीश को दे कर अपने रूम में चलि गयी.
सतीश ने टीवी बंद किया और अपनी मम्मी की कही हुई बातों के बारे में सोचने लगा.
ओ एक उल्झन में था वो सोच रहा था की क्या वो फिर से अपनी मम्मी के सेक्सी चुत्तड़ को मेहसुस करे की नहीं? क्या वो अपनी मम्मी के सेक्सी चुत्तड़ पे अपने लंड को घिसे की नही.
ओ ये करना भी चाह रहा था और नहीं भी. उसे ये समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या करे? उसकी मम्मी आखिर चाहती क्या है?
ओ ये सोच ही रहा था की तभी उसकी नज़र उस गिफ्ट पे गई जो उसकी मम्मी ने उसे दिया था.
सतीश गिफ्ट को खोलने लगा. उसे खोलते ही वो चोंक गया उसकी आँखें बड़ी हो गई और लंड खड़ा हो गया.
उस बॉक्स में एक पेन्टी थी.
मा ने मुझे पेन्टी क्यों गिफ्ट में दी?
मै तो पेन्टी नहीं पहनता.
सतीश ने जैसे ही पेन्टी को अपने हाथ में लिया उसे एक ज़ोर का झटका लगा....
सतीश : ये पेन्टी गिली है, मगर ये गिली क्यों है? कहीं ये वो पेन्टी तो नहीं जो मम्मी ने आज पहनी थी? अगर ये वो ही पेन्टी है तो फिर ये गिली क्यों है? कहीं इस में मम्मी की रसीली चुत का वीर्य तो नहीं? ये सोच के सतीश उस पेन्टी को अपने नाक के पास ले जा के सूंघने लगा. पेन्टी से आ रही मम्मी की चुत की खुश्बु उसे मदहोश कर रही थी. उसका लंड पैंट में हलचल मचने लगा. उसने पेन्टी को खूब जी भर के सुंघा फिर चुत वाली जगह को अपनी जुबां से चाटा बड़ा मज़ा आया वाह क्या मस्त टेस्ट हैं. मम्मी... उस से रहा न गया फ़ौरन उठा और अपने बैडरूम में चला गया वहां जा के उसने अपना लंड बाहर निकला मम्मी की पेन्टी को मुह में दाल के चूसते हुए मुठ मार्ने लगा. आज उसके लंड से वीर्य का सैलाब सा निकल गया.
फिर सतीश ये सोचते सोचते सो गया की उसकी मम्मी ने आखिर अपनी कम से भीगी पेन्टी क्यों तोहफे में दी?
 
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रोज़ की तरहा आज सुबह भी वो जल्दी उठ गया. वो बाथरूम में जा के फ्रेश हुआ और अपनी मम्मी की पेन्टी को सूँघ के उसने अपने लंड को खड़ा किया. फिर बिना अंदरवियर के ट्रैक पहन के जोश और मस्ती में किचन की तरफ चला गया.
लेकिन वहां किचन के बाहर सपना को देख के उसका खड़ा टाइट लंड थोड़ा लूज हो गया. उसे मजबूरन वहां रुकना पडा, वो ये नहीं चाहता था की अपनी मम्मी के पास नरम लंड लेकर जाए. वो चाहता था की उसका लंड इतना कड़क हो की आराम से मम्मी के सेक्सी चुत्तड़ के बीच में जा सके. इस लिए वो अपनी मम्मी के सेक्सी चुत्तड़ को याद कर के अपने लंड के टाइट हो ने का इंतज़ार करने लगा.
फिर कुछ ही देर में जैसे ही उसका लंड खड़ा हुआ वो फ़ौरन किचन में चला गया. उसकी मम्मी किचन टेबल के पास से उठ के बाहर की तरफ जा रही थी लेकिन सतीश को देख के वो रुक गयी.
सानिया : "गुड मोर्निंग, हनी, आज तुम जल्दी उठ गये"
सतीश : हाँ मम्मी वो रात को ठीक से नहीं सो पाया था, "मैंने सोचा क्यों न में आज से ही वो काम शुरू करु."
सानिया : क्या में तुझे कॉर्न फ्लेक्स दु.
सतीश : नहीं मा, मैं चाहता हूँ की अपना कुछ ख़ास काम में खुद करु. (अपनी मम्मी की गांड और चुत की तरफ इशारा करके सतीश ने कहा)
चाहे वो नाश्ता हो या फिर टेस्टी खाना.
ये कह के सतीश मुस्कुराने लगा.
अपणे बेटे की बात सुन के सानिया शर्मा गई और टेबल पे से बर्तन उठा के सिंक की तरफ चलि गयी. सिंक के पास पहुँच कर वो आगे की तरफ झुकि और उसने पानी का नाल चालु कर दिया. फिर वो और थोड़ा झुकि और उसने अपने सेक्सी गोल मटोल चुत्तड़ बाहर की तरफ निकाले फिर पीछे मुड के अपने बेटे को एक सेक्सी स्माइल पास कर के बर्तन धोने लगी.
सतीश अपनी मम्मी का इशारा समझ गया. उसने एक आखरी बार सपना को मुड के देखा... वो अभी भी टीवी देखने में बिजी है.
फिर सतीश पूरे जोश और मस्ती में आगे बढा अपनी मम्मी के सामने वाले कपबोर्ड से कॉर्नफ़्लेक्स का डिब्बा निकलने और अपना नौ इंच का लंड अपनी मम्मी के चुत्तड़ के बीच में डालने के लिये. कुछ ही देर में वो अपनी मम्मी के सेक्सी चुत्तड़ के ठीक पीछे पहुच गया.
लेकिन वो वहां पहुँच कर रुक गया. उसके अंदर एक कश्मक़श चल रही है की क्या में आगे बढूं या नही. क्यूँ की सामने जो औरत है वो कोई और नहीं उसकी अपनी मम्मी है. एक बेटा अपनी सगी मम्मी के साथ ऐसा कैसे कर सकता है. उसके जिस्म के साथ कैसे खेल सकता है. उसका दिमाग उसे रोक रहा है मगर उसका दिल और नौ इंच का लंड उसे ये करने के लिए मजबूर कर रहा है.
दीमाग कह रहा है की रुक जा मत कर ऐसा मगर लंड है की मानता ही नही. वो कहता है की बेटा चाहे जो हो आज गाड दे झंडा अपनी मम्मी की गांड मे. कर ले इस बेहद सेक्सी किले को फतेह.
आखीर कार दिमाग हार गया और जीत लंड की हुई.
ओर सतीश अपना खड़ा लंड अपनी मम्मी के चुत्तड़ के बीच में सेट करके आगे की तरफ झुका. जैसे ही उसका लंड मम्मी के चुत्तड़ को टच हुआ उसकी मम्मी के मुह से मस्ती भरी सिसकारी निकल गयी.
मेरा लंड अपनी मम्मी के सेक्सी चुत्तड़ को फ़ैलाते हुये ठीक बीचो बीच आगे बढ़ रहा है.
इस वक़्त दोनों माँ बेटे को ये पता है की क्या हो रहा है. ये जो हो रहा है दोनों की सहमति से हो रहा है. अगर उसकी मम्मी चाहे तो वो सतीश को ऐसा करने से रोक सकती है मगर वो अपने बेटे को नहीं रोक रहि. वो ये जानती है की उसका बेटा अभी जो कर रहा है वो कोई एक्सीडेंट नहीं है बल्कि वो ये सब जान बूज के कर रहा है.
जैसे ही मेरा हाथ कॉर्न फ्लेक्स के डिब्बे को टच होता है सतीश अपनी मम्मी के सेक्सी चुत्तड़ के बेच में अपने कड़क लंड को ऊपर से निचे तक घीसने लगता है.
 
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सतीश बहुत बड़ा रिस्क ले के ये सब कर रहा है. वो इस वक़्त अपने दिमाग से नहीं बल्कि अपने लंड से सोच रहा है. वो ये अच्छी तरहा जानता है की अगर उसके डैड इस वक़्त यहाँ होते तो वो सतीश को उनकी बीवी के चुत्तड़ में लंड घुसाते हुए देख लेते तो वो उसका लंड काट देते और उसे जान से मार देते.
लेकिन सतीश तो अपने लंड की वजह से मजबूर है. वो चाह कर भी खुद को अपनी मम्मी के चुत्तड़ में लंड घुसाने से नहीं रोक पा रहा है. सतीश की मम्मी भी इस वक़्त अपनी चुत की वजह से मजबूर है. वो मस्ती में आके अपने सर को झुकाए हुए अपने हाथ रोक के अपने चुत्तड़ को बाहर निकले सिसकारी लेते हुए खड़ी है.
तभी एक पल के लिए सतीश को ऐसा मेहसुस होता है उसकी मम्मी अपने चुत्तड़ उसके खड़े लंड की तरफ धकेल रही है. सतीश की मस्ती और बढ़ जाती है और वो और भी ज़्यादा तेज़ी से अपनी मम्मी के चुत्तड़ के बीच में अपने लंड को घीसने लगता है.
सतीश को ये साफ़ दिख रहा है की उसकी मम्मी इस वक़्त बेहद मस्ती में है.
कुछ कहे बिना दोनों इस पल का मज़ा ले रहे है.
धीरे धीरे सानिया की मस्ती बढ्ने लगी और वो झड़ने के करीब पहुच गयी. उसका जिस्म मस्ती में काम्पने लगा. और मस्ती की एक सिसकारी आह.....के साथ वो अपनी पेन्टी में झड गयी. फिर अपनी मम्मी के झड़ने के बाद सतीश ने अपना खड़ा लंड अपनी मम्मी के चुत्तड़ के बीच में कस के अंदर तक दबाया और अपनी मम्मी की गर्दन पे एक गहरा किस कर के अपने लंड को निकाल के कॉर्न फ्लेक्स का डिब्बा ले के बाहर चला गया.
सानिया ने अपने बेटे को मुड के एक सेक्सी स्माइल दी और फिर वो वापिस गंदे बर्तन धोने लगी.
सतीश ने फ़टाफ़ट अपना नाश्ता ख़तम किया और अपने खड़े लंड को अपनी पैंट में दबा के सपना भाभी को बाई बोल के किचन में गया और उस ने सिंक में कटोरि रखि. फिर उसने अपनी मम्मी के गाल पे किस कर के कहा.
सतीश : वाओ मम्मी आज का नाश्ता तो बहुत यमी.... खुश्बूदार, गीला, नरम गरम और मस्त था. सच में मम्मी मुझे बड़ा मज़ा आया.
अपणे बेटे की बात सुन के सानिया शर्मा गयी... उसने अपना सर झुका के धीरे से कहा.
सानिया : मुझे भी......
फिर जैसे ही सानिया ने सतीश की तरफ देखा... सतीश ने वो किया जिसकी उसे उम्मीद नहीं थी.
सतीश ने अपनी मम्मी के सेक्सी होठो को चूमा और एक आँख मार के उसे कहा.
सतीश : "बाय मॉम, रात को मिलते है."
जैसे ही सतीश ने अपनी मम्मी को किस किया सानिया के मुह से मस्ती भरी सिसकारी निकल गयी.
सानिया : बाई बेटे, जल्दी घर आना में तुम्हारा इंतज़ार करुँगी.
ईस वक़्त सानिया की आखों में मस्ती भरी हुई है. सतीश अपनी मम्मी की बातों का मतलब समझ नहीं पाया की वो क्या कह रही है.
सतीश ये सोच रहा है की जब रात को वो घर लौटेगा तो उसकी मम्मी कहीं उसे कोई लेक्चर न सुनाये. फिर वो फ़ौरन घर से बाहर चला गया.
ईधार सानिया अभी कुछ देर पहले हुये सेक्सी हरकत के बारे में सोच रही है. वो चाहती तो वहां से हट जाती या कॉर्न फ्लेक्स के डिब्बे की जगह बदल देती.
लेकिन उसने ऐसा नहीं किया..
लेकिन उसने ऐसा नहीं किया उसने वहां खड़े खड़े अपने बेटे को मौका दिया की वो अपना नौ इंच का खड़ा लंड उसके चुत्तड़ के बीच में दाल सके. उसे शर्म आणि चाहिए इस गन्दी हरकत में अपने बेटे का साथ देणे के लिये. उसे खुद पे बेहद शर्म आ रही है. वो ऐसा कैसे कर सकती है. ये क्या हो रहा हो रहा है उसे.
ओ क्यों जानबूछ के इस इन्सेस्ट रिलेशन को एक नयी हवा दे रही है. वो क्यों अपने दिमाग की बात को अनसुनि कर के अपनी चुत से सोच रही है. जब भी उसका बेटा उसके सामने आता है उसकी चुत मस्त हो के वीर्य चुदने लगती है.
खैर जो भी हो उसे खुद को क़ाबू में रखना ही पडेगा.
ओ अपने बेटे के साथ इन्सेस्ट रिलेशन को आगे नहीं बढा सकती. वो ये सोच ही रही थी की तभी उसकी नज़र घडी पे पडी.
सानिया : ओ गोड़, आज तो बहुत देर हो गयी.
सानिया ने फ़ौरन बर्तन धोये और ऑफिस निकल गयी.
जैसे ही वो ऑफिस पहुँचि उसकी नज़र अपने केबिन के दरवाज़े के पास खड़े अपने बेटे सतीश पे पडी.
 
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सतीश को देख कर उसकी चुत फड़ फडाने लगी. उसके जिस्म में मस्ती की लहर दौडने लगी. उसकी चुत से वीर्य बहने लगा. वो चाह कर भी खुद की मस्ती को शांत नहीं कर पा रही है. उसकी रसीली चुत का वीर्य उसकी पेन्टी को भिगोते हुए बाहर बह्ते हुये उसकी जाँघों तक पहुँच गया था. कहीं कोई उसको इस हालत में न देख ले ये सोच कर वो फ़ौरन अपने केबिन में चलि गयी.
काबिन में पहुँच के वो अपनी चेयर पे जा के बैठ गयी.
चेअर पे बैठते ही उस ने ये मेहसुस किया की उसके चुत्तड़ के बीच में उसके बेटे का नौ इंच का लंड चुभा वो फ़ौरन उठ के खड़ी हो गई और उस के मुह से अचानक निकल गया "सतीश......".
"क्य हुआ"
आवाज़ सुन के सानिया ने फ़ौरन सामने देखा.
सामने उसे अपना बेटा नज़र आया.
सानिया : सतीश तुम यहाँ क्या कर रहे हो?
सानिया में सतीश नहीं सिमि हूं.
सानिया : ओह तुम्. सॉरी वो मुझे लगा की मेरा बेटा है.
सिमि : सानिया तुम ठीक तो हो?
सानिया : हाँ में ठीक हु. तुम कहो यहाँ कैसे आयी.
सिमि : वो इन पेपर्स पे तुम्हारे सिगनेचर चहिये.
सानिया पेपर्स पे सीने कर देती है. और सिमि वहां से चलि जाती है. सिमि के जाते ही सानिया पलट के अपनी चेयर की तरफ देखति है. वहाँ कुछ नहीं है.
सानिया इस बात से बेहद परेशान है वो खुद से सवाल करती है. आखिर उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है?
क्यों.....?
क्यों उसे हर जगह अपना बेटा नज़र आ रहा है? वो अपने बेटे का क्या करे जो रोज़ सुबह अपना नौ इंच का लंड उसके चुत्तड़ के बीच में दाल के उसकी गांड मारने की कोशिश करता है?
क्यों उसे अपने बेटे की ये हरकत बेहद पसंद है? जब भी उसका बेटा उसके सामने आता है क्यों उसकी चुत में खुजली होने लगती है और क्यों वो बेतहाशा वीर्य चुदने लगती है? क्यूँ वो अपने बेटे की यादों में खोई रहती है? क्यूँ उसे हर जगह अपने बेटे का नौ इंच का लंड नज़र आता है? क्यूँ रोज़ रात को उसे अगली सुबह का बेसब्री से इंतज़ार रहता है? आज कल उसकी चुत हर वक़्त गीली क्यों रहती है? क्यूँ वो न खुद को और न ही अपने बेटे को इस इन्सेस्ट हरकत को करने से रोक नहीं पा रही है?
आज पूरा दिन उसके दिमाग में ये सब ही घूम रहा है.
जितनि बार भी वो अपनी ऑफिस चेयर पे बैठी रही है उसे ऐसा मेहसुस हो रहा है की वो अपने बेटे के नौ इंच के लंड पे बैठि है. उसे अपनी चुत्तड़ के बीच में अपने बेटे का कड़क लंड मेहसुस हो रहा है.
आज का दिन अपने बेटे के लंड की याद में चुत से वीर्य बहा के पेन्टी को भिगोते हुए गुज़र. दिन के आखिर में वो अपनी कार में बैठि और घर की तरफ निकल गयी.
सानिया की कार जैसे ही घर के सामने रुकि सतीश भी उसी वक़्त वहां पहुंचा.
सतीश फ़ौरन अपनी मम्मी की कार के पास गया और उसने कार का दरवाज़ा खोला.
सानिया के दोनों पैर फैले हुए थे उसकी स्कर्ट ऊपर खिसकी हुई थी और पेन्टी में छुपी हुई उसकी वीर्य छोड़ती चुत सतीश को साफ़ नज़र आ रही थी. अपनी मम्मी की पेन्टी में छुपी हुई चुत देख के उसका लंड फ़ौरन खड़ा हो गया और उसके ट्रैक में साफ़ नज़र आने लगा.
सानिया पैंट में उभरे अपने बेटे के लंड को घूर रही थी और उसका बेटा उसकी पेन्टी में छुपी चुत को घूर रहा था. दोने एक दूसरे में खो से गए थे. तभी मेरा लंड मस्ती में उछलने लगा. अपने बेटे के लंड की उछल कुद देख के सानिया मस्ती में आ के झड़ने लगी.
उसकी रसीली चुत से जो वीर्य निकला वो उसकी पेन्टी को भिगोते हुए कार के सीट को भी भिगोने लगा.
झडने के बाद सानिया शरमाने लगी.
सतीश : वॉव मम्मी, कितना हसीन नज़ारा? है......
सानिया : "अगर तुम्हे मेरी पेन्टी इतनी ही पसंद है तो जब में इसे उतारूंगी तो तुम्हे ये दे दूँगी. या फिर तुम कुछ और ही देखना चाह रहे हो?"
अपने बेटे के लंड की तरफ देखते हुए सानिया ने सेक्सी अदा के साथ कहा
 
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सतीश : "आई'एम सोर्री, मम्मी, लेकिन में चाह के भी खुद को रोक नहीं पाया, मुझे तुम मम्मी की तरहा नहीं लगती, तुम तो बेहद खूबसूरत और सेक्सी हो. बिलकुल एक परी की तरहा. तुम्हारे जिस्म का हर एक हिस्सा बेहद हसीन है.
अपने बेटे की बात सुन के सानिया चोंक गयी. जो अभी उसके बेटे ने कहा उसे सुन के उसे गुस्सा आने के बजाये बेहद ख़ुशी हुई. सतीश ने जो भी कहा वो दिल से कहा. जो अभी उसने मेहसुस किया.उसने खुद ही अपने बेटे को सिखाया है की चाहे जो भी हो उसे हमेशा सच ही कहना चाहिए भले उस सच के लिए उसे सजा ही क्यों न मिले.सानिया : लेकिन हनी, शायद तुम ये भूल रहे हो की में तुम्हारी लवर नहीं मम्मी हु. और मम्मी बेटे के बीच में ये सब ठीक नही.
सतीश : लेकिन मा, आप ही ने तो कहा था तुम पहले शुअर हो जाओ की तुम्हे क्या चहिये. तो मम्मी में अब शुअर हूँ की मुझे क्या चहिये
सानिया: सतीश मेरे कहने का मतलब वो नहीं था.
जो तुम सोच रहे हो वो नहीं हो सकता, कभी नही.
सानिया को अचानक ये एहसास होता है की उसकी वीर्य से भीगी हुए सफ़ेद पेन्टी में से उसकी चुत उसके बेटे को साफ़ नज़र आ रही है. वो शरमाते हुए उठि और तेज़ी से घर के अंदर जाने लगी. सतीश भी पीछे पीछे आ गया.
घर में घुसते ही सानिया ने सेक्सी अदा के साथ मुड के अपने बेटे को देखा फिर न जाने क्या सोच कर अपनी स्कर्ट में हाथ दाल के अपनी चुत वीर्य से भीगी पेन्टी उतरि और उसे अपने प्यारे बेटे की तरफ उछाल दि.
सानिया : "लो मज़े करो."
सानिया की पेन्टी उसके बेटे के मुह पे जा गिरि. जिसे सतीश सूँघ के मदहोश होने लगा, वो पेन्टी के चुत वाले हिस्से को अपनी जुबान से चाट्ने लगा.
ये देख के सानिया को बेहद शर्म आने लगी और वो अपने रूम में चलि गयी.
उस रात सतीश ने अपनी मम्मी की चुत वीर्य से भीगी पेन्टी को चाट चाट के चूस चूस के ३ बार मुठ मारी.
इधर सानिया ने भी अपने बेटे के लंड के बारे में सोच सोच के अपनी चुत में ऊँगली कर के जी भरके अपनी गर्मी शांत की. फिर दोनों थक के मस्ती में अपने अपने रूम में सो गये.
 

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