सतीश : "आई'एम सोर्री, मम्मी, लेकिन में चाह के भी खुद को रोक नहीं पाया, मुझे तुम मम्मी की तरहा नहीं लगती, तुम तो बेहद खूबसूरत और सेक्सी हो. बिलकुल एक परी की तरहा. तुम्हारे जिस्म का हर एक हिस्सा बेहद हसीन है.
अपने बेटे की बात सुन के सानिया चोंक गयी. जो अभी उसके बेटे ने कहा उसे सुन के उसे गुस्सा आने के बजाये बेहद ख़ुशी हुई. सतीश ने जो भी कहा वो दिल से कहा. जो अभी उसने मेहसुस किया.उसने खुद ही अपने बेटे को सिखाया है की चाहे जो भी हो उसे हमेशा सच ही कहना चाहिए भले उस सच के लिए उसे सजा ही क्यों न मिले.सानिया : लेकिन हनी, शायद तुम ये भूल रहे हो की में तुम्हारी लवर नहीं मम्मी हु. और मम्मी बेटे के बीच में ये सब ठीक नही.
सतीश : लेकिन मा, आप ही ने तो कहा था तुम पहले शुअर हो जाओ की तुम्हे क्या चहिये. तो मम्मी में अब शुअर हूँ की मुझे क्या चहिये
सानिया: सतीश मेरे कहने का मतलब वो नहीं था.
जो तुम सोच रहे हो वो नहीं हो सकता, कभी नही.
सानिया को अचानक ये एहसास होता है की उसकी वीर्य से भीगी हुए सफ़ेद पेन्टी में से उसकी चुत उसके बेटे को साफ़ नज़र आ रही है. वो शरमाते हुए उठि और तेज़ी से घर के अंदर जाने लगी. सतीश भी पीछे पीछे आ गया.
घर में घुसते ही सानिया ने सेक्सी अदा के साथ मुड के अपने बेटे को देखा फिर न जाने क्या सोच कर अपनी स्कर्ट में हाथ दाल के अपनी चुत वीर्य से भीगी पेन्टी उतरि और उसे अपने प्यारे बेटे की तरफ उछाल दि.
सानिया : "लो मज़े करो."
सानिया की पेन्टी उसके बेटे के मुह पे जा गिरि. जिसे सतीश सूँघ के मदहोश होने लगा, वो पेन्टी के चुत वाले हिस्से को अपनी जुबान से चाट्ने लगा.
ये देख के सानिया को बेहद शर्म आने लगी और वो अपने रूम में चलि गयी.
उस रात सतीश ने अपनी मम्मी की चुत वीर्य से भीगी पेन्टी को चाट चाट के चूस चूस के ३ बार मुठ मारी.
इधर सानिया ने भी अपने बेटे के लंड के बारे में सोच सोच के अपनी चुत में ऊँगली कर के जी भरके अपनी गर्मी शांत की. फिर दोनों थक के मस्ती में अपने अपने रूम में सो गये.