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सुबह मालिनी उठी और हमेशा की तरह चाय बनाकर राजीव को आवाज़ दी। चाय पीते हुए आज फिर राजीव पूछा: रात को चुदाई हुई क्या?
मालिनी: आपको बस यही जानना होता है ना। हाँ हुई और ज़ोरदार हुई।
राजीव:बेटा तुम कब मेरे साथ रात को सोओगी?
मालिनी: दिन भर तो चिपके रहते हैं और अब रात को भी चिपका कर रखना है क्या?
राजीव: अरे रात की चुदाई का अपना ही मज़ा है।
मालिनी: ठीक है ये कभी सामान ख़रीदने मुंबई जाएँगे तो रात को भी अपने साथ ही सुला लीजिएगा।
राजीव को उसकी बात सुनकर उस पर प्यार आया और वो उसको चूमा और उसकी चूचियों पर हाथ फेरकर बोला: बेटा वैसे ये अब बड़ी हो रहीं हैं ना?
मालिनी: बाप बेटा दोनों दबाएँगे और चूसेंगे तो बड़ी तो होना ही है। पर आयशा की तो ज़्यादा ही बड़ी हैं ना?
राजीव: अरे वो तो असलम के दोस्तों ने खींच कर बड़ी कर दी होंगी। हा हा ।
मालिनी खड़ी हुई और बोली: चलो आप तय्यार हो जाओ। मैं भी शिवा को उठाती हूँ।
शिवा के जाने के बाद जब बाई भी चली गयी तो राजीव बोला: बेटा गाँड़ में कब लण्ड डलवाओगी? आज सेकंड नम्बर का डालेंगे।
मालिनी: पापा अगर आप वहाँ मुँह नहीं डालने का वादा करो तो अभी डलवा लूँगी। वरना नहा कर आती हूँ और डलवाती हूँ।
राजीव: चलो वादा किया की वहाँ मुँह नहीं डालूँगा। चलो अब मेरे कमरे में।
मालनी पसीना पोंछकर उसके पीछे आयी और अपनी नायटी को पेट तक उठाकर पेट के बल लेट गयी। राजीव ने उसके पेट के नीचे तकिया रखा और उसकी गाँड़ ऊँची हो गयी। वो उसके चूतर सहलाया और बोला: उफफफफ बेटा क्या मस्त चूतर हैं और अब ये भी भर रहे है!। जितना चुदवाओगी उतना ही ये और कामुक हो जाएँगे। फिर वो उसके चूतरों को अलग किया और उसकी भूरि गाँड़ में ऊँगली फिराया और वहाँ नाक ले जाकर सूँघा और बोला: आऽऽऽह बेटा क्या मस्त मादक गंध है। जानती हो इसमे से तुम्हारे पसीने और सेक्स की मिली जुली गंध आ रही है। जब तुम उसे धोकर आती हो तो सिर्फ़ साबुन की गंध आती है।
मालिनी: अगर आप उसे चूमे तो मैं फिर कभी बिना धोए आपके पास नहीं आऊँगी।
राजीव: आऽऽह मन तो बहुत कर रहा है इसे चूमने का। पर चलो नहीं चूमते। तुमको नाराज़ भी तो नहीं कर सकते।
अब वो उसकी गाँड़ में जेल डाला और जेल लगाकर कल वाला लंड ही डाला। मालिनी : आऽऽऽऽह पापा अब भी थोड़ा सा जल रहा है।
राजीव: बस बेटा अभी अच्छा लगेगा। वो क़रीब १० मिनट तक उसको अंदर बाहर किया। फिर वो उसे निकाला और सेकंड नम्बर का थोड़ा मोटा लंड ख़ूब सारा जेल लगाकर अंदर डाला मालिनी: आऽऽऽह पापा । ये तो और मोटा है । उफ़्ग्फ़्फ़्फ़्फ़ ।
क़रीब १० मिनट तक वो इसको अब अंदर बाहर किया। अब मालिनी: आऽऽऽह पापा बहुत अच्छाआऽऽऽऽऽऽ लग रहाआऽऽऽऽऽऽ है। मेरी बुर गरम हो गयी है। उइइइइइइइइ पापा अब चोओओओओओओओदो।
राजीव ने उसकी गाँड़ उठाई और उसकी बुर में ३ उँगलियाँ डाली और देखा कि बुर पूरी तरह से पनियायी हुई है। वो अपने लौड़े पर भी जेल लगाया और उसकी बुर में अपना लौड़ा पीछे से पेलने लगा। नक़ली लण्ड अब भी उसकी गाँड़ में फंसा हुआ था। चुदाई शुरू होते ही मालिनी आऽऽऽऽह पपाऽऽऽऽऽऽ कहकर अपनी गाँड़ पीछे करके उसका पूरा लण्ड निगल कर चुदवाने लगी। वो भी अब मस्ती से भर कर उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ और जोओओओओओर से चोओओओओओदो पाआऽऽऽऽऽऽऽऽपा चिल्लाने लगी। वह उसकी क़ुर्ती के ऊपर से ही उसके दूध दबा रहा था। क़रीब २० मिनट की रगड़ाई के बाद दोनों हाऽऽऽय्य कहकर झड़ने लगे।
अब मालिनी पेट के बल गिर गयी। राजीव भी उसकी गाँड़ से नक़ली लण्ड निकाला और देखा कि उसकी गाँड़ का छेद अब भी खुला हुआ था। वो समझ गया था कि जल्दी ही इसकी गाँड़ का उद्घाटन का समय आने वाला है। वो मुस्कुराया और बोला: बेटा अब तो तुम्हारी गाँड़ ढीली पड़ रही है। जल्दी ही इसे मारूँगा। ठीक है ना?
मालिनी: पापा जब चाहो मार लो। मैंने तो अपना बदन आपको सौंप दिया है।
राजीव उसकी बात से ख़ुश हो कर उसे चूमने लगा।
उधर शिवा को शाम होने का इंतज़ार था । वो आयशा को फ़ोन लगाया : हेलो क्या हाल है?
आयशा: मैं तो ठीक हूँ। आप बड़े बेचैन लग रहे हो?
शिवा: वो क्या है ना, आज मालिनी तुमसे मिलेगी तो तुम्हारी क्या बात होती है क्या मैं सुन सकता हूँ?
आयशा: हाँ सुन तो सकते हो पर फ़ीस लगेगी।
शिवा: बोलो क्या फ़ीस लोगी?
आयशा: मालिनी के जाने के बाद आकर मुझे चोद देना एक बार।
शिवा: इतनी हसीन फ़ीस? ज़रूर मेरी जाँ । पर तुम्हारी बातें कैसे सुनूँगा?
आयशा: बहुत पुरानी ट्रिक है। मैं मालिनी के आने से पहले अपना लैंड लाइन आपके मोबाइल से कनेक्ट कर दूँगी। और उसको ऐसी जगह छिपाऊँगी कि वो मालिनी को नहीं दिखेगी। मगर आप पूरी बात सुन पाओगे।
शिवा: wow ये तो बढ़िया हो जाएगा। ठीक है मैं तुम्हारे फ़ोन का इंतज़ार करूँगा।
आयशा: ठीक है। बाई।
राजीव को खाना खिलाकर मालिनी बोली: पापा मैं थोड़ा आराम करके आयशा के घर जाऊँगी।
राजीव: बेटा मैं तुमको छोड़ आऊँगा।
मालिनी: पापा मैं चली जाऊँगी। मैं ऑटो कर लूँगी।
राजीव ने भी ज़िद नहीं की।
मालिनी तय्यार होकर सलवार कुर्ते में आयशा के घर गयी। वहाँ उसने बेल बजायी। तभी आयशा ने सोफ़े के सामने एक गुलदस्ते के पीछे कॉर्ड्लेस फ़ोन को शिवा के फ़ोन से कनेक्ट की और बोली: वो आ गयी है। ठीक है?
शिवा : हाँ मैं सुन रहा हूँ। बाई ।
आयशा जाकर दरवाज़ा खोली और बोली: सॉरी मैं वाश रूम में थी। तुमको इंतज़ार करवाया।
मालिनी: अरे कोई बात नहीं। आयशा उसे लेकर गुलदस्ते के पास वाले सोफ़े पर बैठ गयी। दोनों कुछ देर इधर उधर की बातें कीं और आख़िरी में मालिनी बोली: वो तुम बोलीं थीं ना कि मुझे वो बताओगी कि तुमने स्वेपिंग़ कैसे और क्यों शुरू की?
आयशा: सॉरी यार मैंने अपना इरादा बदल लिया है। असल में वो बहुत व्यक्तिगत बात है। और मैं तुमको नहीं बताना चाहती। क्या है ना बात फैलते देर नहीं लगती।
मालिनी ने थोड़ा निराश होकर कहा: अरे मुझ पर तुम विश्वास कर सकती हो। मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी।
आयशा: शिवा से भी नहीं?
मालिनी: अगर तुम चाहोगी तो उससे भी नहीं। बस? अब बताओ।
आयशा : ठीक है मैं बताती हूँ, पर ये हमारे बीच ही रहेगा। उसने कहना शुरू किया-------------------
मैं एक मध्यम वर्ग परिवार से हूँ। घर में मेरे अब्बा अम्माँ और मेरा बड़ा भाई ही था । हमारे घर में रिश्तेदार बहुत आते जाते रहते थे । अब्बा की बहने , उनके पति और बच्चे और अम्मी के भी भाई और उनके भी परिवार के सदस्य ।उन सबमे मेरी बड़े मामू से बहुत पटती थी। वो मेरे लिए बहुत सी चोकलेट्स और ड्रेस लेकर आते थे ।एक फूफा भी मुझे बहुत लाड़ करते थे। ये दोनों मर्द क़रीब ४५ के आसपास थे। वो दोनों जब भी आते ( अलग अलग ) मुझे बहुत प्यार करते थे। मुझे भी अब अटेन्शन अच्छा लगता था मानो मैं कोई VIP हूँ। वो दोनों मुझे गोद में बिठाकर प्यार करते और मेरी बाहों को सहलाते। कभी कभी मेरे दूध भी सहला देते जैसे ग़लती से हाथ लग गया हो। जब भी मैं उनकी गोद में बैठा करती मुझे नीचे खूँटा सा गड़ने लगता। मैं अब सेक्स के बारे में समझने लगी थी।
अब मैं ११ वीं में पढ़ती थी, और जवान हो गयी थी। एक दिन अम्मी को नानी के घर जाना पड़ा क्योंकि नाना की तबियत ख़राब हो गयी थी। मेरा भाई भी उनके साथ चला गया। मैं उस समय सलवार कुर्ता में थी और मैं घर में चुन्नी नहीं लेती थी। सिर्फ़ बाहर वालों के सामने ही लेती थी।
(मालिनी सोचने लगी कि ये मुझे इतने विस्तार से कहानी क्यों सुना रही है। ये चाहती तो सिर्फ़ इतना कह सकती थी कि मेरे मामा या फूफा ने मेरी चूत ली थी। पर वो ये सब सुनकर उत्तेजित हो रही थी।
उधर शिवा जानता था कि आयशा का प्लान है उसे इन सब चीज़ों से उत्तेजित किया जाए ताकि वो इन सबमे इंट्रेस्ट ले। और हक़ीक़त तो ये है की वो ख़ुद भी आयशा की कहानी से उत्तेजित होकर अपना लंड दबा रहा था। )
आयशा ने बोलना जारी रखा-------
रात को अब्बा आए और बोले: नाना की कोई ख़बर आयी?
मैं: नहीं अब्बा कोई ख़बर नहीं आयी।
अब्बा: अच्छा चलो कोई बात नहीं। तू मेरे लिए एक गिलास पानी ला और बर्फ़ निकाल कर ला। थोड़ा सा नमकीन भी ला देना।
वो अपने कपड़े बदलने चले गए। वो थोड़ी देर बाद लूँगी और बनियान में आए।
मैं समझ गयी कि आज अब्बा दारू पिएँगे। वो कभी कभी पीते थे। मैंने सब इंतज़ाम कर दिया। अब वो टी वी देखते हुए पीने लगे। मैं भी वहीं बैठकर अपना होम वर्क करने लगी।
उस समय मैंने देखा कि बोतल का पानी ख़त्म हो गया था। मैंने पूछा: अब्बा और पानी लाऊँ क्या?
अब्बा की अब आँखें लाल हो रही थीं । वो बोले: हाँ बेटा लाओ।
मैं पानी लायी और उनके गिलास में डालने लगी। तभी मुझे अहसास हुआ कि वो मेरे बदन को घूर रहे हैं। उनकी नज़र मेरी जवान होती चूचियों पर थीं। मुझे बड़ा अजीब सा लगा।
अब अब्बा ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा: आओ बेटा मेरे पास बैठो। ये कहकर वो मुझे अपनी गोद में खींच लिए। मैं उनकी लाल आँखों से डर रही थी।
वो मुस्कुराकर बोले: अरे डर क्यों रही है? मैं तो तुमको प्यार करना चाहता हूँ। तुम तो अपने मामू और फूफा की गोद में भी बैठती हो ना? तो अब्बा की गोद में कैसा डर?
मैं: वो अब्बा ऐसा नहीं है । मैं भला आपसे क्यों डरूँगी।
तभी मैंने देखा कि वो मेरी कुर्ते के अंदर झाँक रहे थे। वो बोले: अरे बेटा, तुम तो ब्रा भी पहनती हो। मैं तो तुमको बच्ची समझता था। पर तुम तो जवान हो गयी हो। वो मेरी नंगी बाहों को सहलाकर बोले। तभी मैंने महसूस किया कि अब्बा का भी खूँटा मुझे वैसे ही चुभने लगा था जैसे मामू या फूफा का चुभता था।
मैं: अब्बा मैंने तो तीन साल से ब्रा पहनती हूँ।
अब्बा : बेटा मैंने कभी ध्यान ही नहीं दिया। पर अब तो तुम मस्त जवान हो गयी हो।
अब उनकी आँखें और ज़्यादा लाल हो गयीं थीं।
वो: बेटी मामू या फूफा ने कभी इनको सहलाया क्या? वो मेरी चूचियों पर हाथ रख कर बोले।
मैं सिहर उठी और बोली: जी अब्बा कभी कभी सहलाते थे जब कोई आस पास नहीं होता था।
वो: बेटी तुमको अच्छा लगता था ना?
मैं: जी लगता था। फिर वो दबाते हुए बोले: और अभी कैसा लग रहा है?
मैं: अब्बा आप ऐसे क्यों कर रहे हो? आप तो मेरे अब्बा हो ना?
वो: अरे बेटी पहला हक़ तो मेरा ही है। मामू और फूफा को तो बाद में करना चाहिए था । अच्छा ये बता कि वो तेरी चड्डी में भी हाथ डाले थे क्या?
मैं शर्मा कर: हाँ कभी कभी डालते थे। पर मैं उनको मना करती थी।
अब उनका खूँटा मेरी गाँड़ में बहुत चुभने लगा था।
वो: क्या उन्होंने तुमको अपना ये भी पकड़ाया था ? वो अपने लण्ड को मेरी गाँड़ में दबाकर बोले।
मैं: नहीं अब्बा ।
फिर वो मेरी चूचियाँ दबाकर बोले: तो अब तक तुम कुँवारी हो? किसी ने तुम्हारी चुदाई नहीं की है अब तक?
मैं: छी कैसी गंदी बात करते हैं । मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ ।
फिर अचानक मुझे प्यार करते हुए बोले: बेटा, तुम मुझसे स्कुटी माँग रही थी ना, स्कूल जाने के लिए।
मैं मुँह बिसूर कर: आप तो मना कर दिए थे।
अब्बा: अरे बेटा मैं तो समझा था कि तुम बच्ची हो। पर तुम तो जवान हो गयी हो। अब मैं तुमको कल ही स्कुटी ले दूँगा।
मालिनी: आपको बस यही जानना होता है ना। हाँ हुई और ज़ोरदार हुई।
राजीव:बेटा तुम कब मेरे साथ रात को सोओगी?
मालिनी: दिन भर तो चिपके रहते हैं और अब रात को भी चिपका कर रखना है क्या?
राजीव: अरे रात की चुदाई का अपना ही मज़ा है।
मालिनी: ठीक है ये कभी सामान ख़रीदने मुंबई जाएँगे तो रात को भी अपने साथ ही सुला लीजिएगा।
राजीव को उसकी बात सुनकर उस पर प्यार आया और वो उसको चूमा और उसकी चूचियों पर हाथ फेरकर बोला: बेटा वैसे ये अब बड़ी हो रहीं हैं ना?
मालिनी: बाप बेटा दोनों दबाएँगे और चूसेंगे तो बड़ी तो होना ही है। पर आयशा की तो ज़्यादा ही बड़ी हैं ना?
राजीव: अरे वो तो असलम के दोस्तों ने खींच कर बड़ी कर दी होंगी। हा हा ।
मालिनी खड़ी हुई और बोली: चलो आप तय्यार हो जाओ। मैं भी शिवा को उठाती हूँ।
शिवा के जाने के बाद जब बाई भी चली गयी तो राजीव बोला: बेटा गाँड़ में कब लण्ड डलवाओगी? आज सेकंड नम्बर का डालेंगे।
मालिनी: पापा अगर आप वहाँ मुँह नहीं डालने का वादा करो तो अभी डलवा लूँगी। वरना नहा कर आती हूँ और डलवाती हूँ।
राजीव: चलो वादा किया की वहाँ मुँह नहीं डालूँगा। चलो अब मेरे कमरे में।
मालनी पसीना पोंछकर उसके पीछे आयी और अपनी नायटी को पेट तक उठाकर पेट के बल लेट गयी। राजीव ने उसके पेट के नीचे तकिया रखा और उसकी गाँड़ ऊँची हो गयी। वो उसके चूतर सहलाया और बोला: उफफफफ बेटा क्या मस्त चूतर हैं और अब ये भी भर रहे है!। जितना चुदवाओगी उतना ही ये और कामुक हो जाएँगे। फिर वो उसके चूतरों को अलग किया और उसकी भूरि गाँड़ में ऊँगली फिराया और वहाँ नाक ले जाकर सूँघा और बोला: आऽऽऽह बेटा क्या मस्त मादक गंध है। जानती हो इसमे से तुम्हारे पसीने और सेक्स की मिली जुली गंध आ रही है। जब तुम उसे धोकर आती हो तो सिर्फ़ साबुन की गंध आती है।
मालिनी: अगर आप उसे चूमे तो मैं फिर कभी बिना धोए आपके पास नहीं आऊँगी।
राजीव: आऽऽह मन तो बहुत कर रहा है इसे चूमने का। पर चलो नहीं चूमते। तुमको नाराज़ भी तो नहीं कर सकते।
अब वो उसकी गाँड़ में जेल डाला और जेल लगाकर कल वाला लंड ही डाला। मालिनी : आऽऽऽऽह पापा अब भी थोड़ा सा जल रहा है।
राजीव: बस बेटा अभी अच्छा लगेगा। वो क़रीब १० मिनट तक उसको अंदर बाहर किया। फिर वो उसे निकाला और सेकंड नम्बर का थोड़ा मोटा लंड ख़ूब सारा जेल लगाकर अंदर डाला मालिनी: आऽऽऽह पापा । ये तो और मोटा है । उफ़्ग्फ़्फ़्फ़्फ़ ।
क़रीब १० मिनट तक वो इसको अब अंदर बाहर किया। अब मालिनी: आऽऽऽह पापा बहुत अच्छाआऽऽऽऽऽऽ लग रहाआऽऽऽऽऽऽ है। मेरी बुर गरम हो गयी है। उइइइइइइइइ पापा अब चोओओओओओओओदो।
राजीव ने उसकी गाँड़ उठाई और उसकी बुर में ३ उँगलियाँ डाली और देखा कि बुर पूरी तरह से पनियायी हुई है। वो अपने लौड़े पर भी जेल लगाया और उसकी बुर में अपना लौड़ा पीछे से पेलने लगा। नक़ली लण्ड अब भी उसकी गाँड़ में फंसा हुआ था। चुदाई शुरू होते ही मालिनी आऽऽऽऽह पपाऽऽऽऽऽऽ कहकर अपनी गाँड़ पीछे करके उसका पूरा लण्ड निगल कर चुदवाने लगी। वो भी अब मस्ती से भर कर उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ और जोओओओओओर से चोओओओओओदो पाआऽऽऽऽऽऽऽऽपा चिल्लाने लगी। वह उसकी क़ुर्ती के ऊपर से ही उसके दूध दबा रहा था। क़रीब २० मिनट की रगड़ाई के बाद दोनों हाऽऽऽय्य कहकर झड़ने लगे।
अब मालिनी पेट के बल गिर गयी। राजीव भी उसकी गाँड़ से नक़ली लण्ड निकाला और देखा कि उसकी गाँड़ का छेद अब भी खुला हुआ था। वो समझ गया था कि जल्दी ही इसकी गाँड़ का उद्घाटन का समय आने वाला है। वो मुस्कुराया और बोला: बेटा अब तो तुम्हारी गाँड़ ढीली पड़ रही है। जल्दी ही इसे मारूँगा। ठीक है ना?
मालिनी: पापा जब चाहो मार लो। मैंने तो अपना बदन आपको सौंप दिया है।
राजीव उसकी बात से ख़ुश हो कर उसे चूमने लगा।
उधर शिवा को शाम होने का इंतज़ार था । वो आयशा को फ़ोन लगाया : हेलो क्या हाल है?
आयशा: मैं तो ठीक हूँ। आप बड़े बेचैन लग रहे हो?
शिवा: वो क्या है ना, आज मालिनी तुमसे मिलेगी तो तुम्हारी क्या बात होती है क्या मैं सुन सकता हूँ?
आयशा: हाँ सुन तो सकते हो पर फ़ीस लगेगी।
शिवा: बोलो क्या फ़ीस लोगी?
आयशा: मालिनी के जाने के बाद आकर मुझे चोद देना एक बार।
शिवा: इतनी हसीन फ़ीस? ज़रूर मेरी जाँ । पर तुम्हारी बातें कैसे सुनूँगा?
आयशा: बहुत पुरानी ट्रिक है। मैं मालिनी के आने से पहले अपना लैंड लाइन आपके मोबाइल से कनेक्ट कर दूँगी। और उसको ऐसी जगह छिपाऊँगी कि वो मालिनी को नहीं दिखेगी। मगर आप पूरी बात सुन पाओगे।
शिवा: wow ये तो बढ़िया हो जाएगा। ठीक है मैं तुम्हारे फ़ोन का इंतज़ार करूँगा।
आयशा: ठीक है। बाई।
राजीव को खाना खिलाकर मालिनी बोली: पापा मैं थोड़ा आराम करके आयशा के घर जाऊँगी।
राजीव: बेटा मैं तुमको छोड़ आऊँगा।
मालिनी: पापा मैं चली जाऊँगी। मैं ऑटो कर लूँगी।
राजीव ने भी ज़िद नहीं की।
मालिनी तय्यार होकर सलवार कुर्ते में आयशा के घर गयी। वहाँ उसने बेल बजायी। तभी आयशा ने सोफ़े के सामने एक गुलदस्ते के पीछे कॉर्ड्लेस फ़ोन को शिवा के फ़ोन से कनेक्ट की और बोली: वो आ गयी है। ठीक है?
शिवा : हाँ मैं सुन रहा हूँ। बाई ।
आयशा जाकर दरवाज़ा खोली और बोली: सॉरी मैं वाश रूम में थी। तुमको इंतज़ार करवाया।
मालिनी: अरे कोई बात नहीं। आयशा उसे लेकर गुलदस्ते के पास वाले सोफ़े पर बैठ गयी। दोनों कुछ देर इधर उधर की बातें कीं और आख़िरी में मालिनी बोली: वो तुम बोलीं थीं ना कि मुझे वो बताओगी कि तुमने स्वेपिंग़ कैसे और क्यों शुरू की?
आयशा: सॉरी यार मैंने अपना इरादा बदल लिया है। असल में वो बहुत व्यक्तिगत बात है। और मैं तुमको नहीं बताना चाहती। क्या है ना बात फैलते देर नहीं लगती।
मालिनी ने थोड़ा निराश होकर कहा: अरे मुझ पर तुम विश्वास कर सकती हो। मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी।
आयशा: शिवा से भी नहीं?
मालिनी: अगर तुम चाहोगी तो उससे भी नहीं। बस? अब बताओ।
आयशा : ठीक है मैं बताती हूँ, पर ये हमारे बीच ही रहेगा। उसने कहना शुरू किया-------------------
मैं एक मध्यम वर्ग परिवार से हूँ। घर में मेरे अब्बा अम्माँ और मेरा बड़ा भाई ही था । हमारे घर में रिश्तेदार बहुत आते जाते रहते थे । अब्बा की बहने , उनके पति और बच्चे और अम्मी के भी भाई और उनके भी परिवार के सदस्य ।उन सबमे मेरी बड़े मामू से बहुत पटती थी। वो मेरे लिए बहुत सी चोकलेट्स और ड्रेस लेकर आते थे ।एक फूफा भी मुझे बहुत लाड़ करते थे। ये दोनों मर्द क़रीब ४५ के आसपास थे। वो दोनों जब भी आते ( अलग अलग ) मुझे बहुत प्यार करते थे। मुझे भी अब अटेन्शन अच्छा लगता था मानो मैं कोई VIP हूँ। वो दोनों मुझे गोद में बिठाकर प्यार करते और मेरी बाहों को सहलाते। कभी कभी मेरे दूध भी सहला देते जैसे ग़लती से हाथ लग गया हो। जब भी मैं उनकी गोद में बैठा करती मुझे नीचे खूँटा सा गड़ने लगता। मैं अब सेक्स के बारे में समझने लगी थी।
अब मैं ११ वीं में पढ़ती थी, और जवान हो गयी थी। एक दिन अम्मी को नानी के घर जाना पड़ा क्योंकि नाना की तबियत ख़राब हो गयी थी। मेरा भाई भी उनके साथ चला गया। मैं उस समय सलवार कुर्ता में थी और मैं घर में चुन्नी नहीं लेती थी। सिर्फ़ बाहर वालों के सामने ही लेती थी।
(मालिनी सोचने लगी कि ये मुझे इतने विस्तार से कहानी क्यों सुना रही है। ये चाहती तो सिर्फ़ इतना कह सकती थी कि मेरे मामा या फूफा ने मेरी चूत ली थी। पर वो ये सब सुनकर उत्तेजित हो रही थी।
उधर शिवा जानता था कि आयशा का प्लान है उसे इन सब चीज़ों से उत्तेजित किया जाए ताकि वो इन सबमे इंट्रेस्ट ले। और हक़ीक़त तो ये है की वो ख़ुद भी आयशा की कहानी से उत्तेजित होकर अपना लंड दबा रहा था। )
आयशा ने बोलना जारी रखा-------
रात को अब्बा आए और बोले: नाना की कोई ख़बर आयी?
मैं: नहीं अब्बा कोई ख़बर नहीं आयी।
अब्बा: अच्छा चलो कोई बात नहीं। तू मेरे लिए एक गिलास पानी ला और बर्फ़ निकाल कर ला। थोड़ा सा नमकीन भी ला देना।
वो अपने कपड़े बदलने चले गए। वो थोड़ी देर बाद लूँगी और बनियान में आए।
मैं समझ गयी कि आज अब्बा दारू पिएँगे। वो कभी कभी पीते थे। मैंने सब इंतज़ाम कर दिया। अब वो टी वी देखते हुए पीने लगे। मैं भी वहीं बैठकर अपना होम वर्क करने लगी।
उस समय मैंने देखा कि बोतल का पानी ख़त्म हो गया था। मैंने पूछा: अब्बा और पानी लाऊँ क्या?
अब्बा की अब आँखें लाल हो रही थीं । वो बोले: हाँ बेटा लाओ।
मैं पानी लायी और उनके गिलास में डालने लगी। तभी मुझे अहसास हुआ कि वो मेरे बदन को घूर रहे हैं। उनकी नज़र मेरी जवान होती चूचियों पर थीं। मुझे बड़ा अजीब सा लगा।
अब अब्बा ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा: आओ बेटा मेरे पास बैठो। ये कहकर वो मुझे अपनी गोद में खींच लिए। मैं उनकी लाल आँखों से डर रही थी।
वो मुस्कुराकर बोले: अरे डर क्यों रही है? मैं तो तुमको प्यार करना चाहता हूँ। तुम तो अपने मामू और फूफा की गोद में भी बैठती हो ना? तो अब्बा की गोद में कैसा डर?
मैं: वो अब्बा ऐसा नहीं है । मैं भला आपसे क्यों डरूँगी।
तभी मैंने देखा कि वो मेरी कुर्ते के अंदर झाँक रहे थे। वो बोले: अरे बेटा, तुम तो ब्रा भी पहनती हो। मैं तो तुमको बच्ची समझता था। पर तुम तो जवान हो गयी हो। वो मेरी नंगी बाहों को सहलाकर बोले। तभी मैंने महसूस किया कि अब्बा का भी खूँटा मुझे वैसे ही चुभने लगा था जैसे मामू या फूफा का चुभता था।
मैं: अब्बा मैंने तो तीन साल से ब्रा पहनती हूँ।
अब्बा : बेटा मैंने कभी ध्यान ही नहीं दिया। पर अब तो तुम मस्त जवान हो गयी हो।
अब उनकी आँखें और ज़्यादा लाल हो गयीं थीं।
वो: बेटी मामू या फूफा ने कभी इनको सहलाया क्या? वो मेरी चूचियों पर हाथ रख कर बोले।
मैं सिहर उठी और बोली: जी अब्बा कभी कभी सहलाते थे जब कोई आस पास नहीं होता था।
वो: बेटी तुमको अच्छा लगता था ना?
मैं: जी लगता था। फिर वो दबाते हुए बोले: और अभी कैसा लग रहा है?
मैं: अब्बा आप ऐसे क्यों कर रहे हो? आप तो मेरे अब्बा हो ना?
वो: अरे बेटी पहला हक़ तो मेरा ही है। मामू और फूफा को तो बाद में करना चाहिए था । अच्छा ये बता कि वो तेरी चड्डी में भी हाथ डाले थे क्या?
मैं शर्मा कर: हाँ कभी कभी डालते थे। पर मैं उनको मना करती थी।
अब उनका खूँटा मेरी गाँड़ में बहुत चुभने लगा था।
वो: क्या उन्होंने तुमको अपना ये भी पकड़ाया था ? वो अपने लण्ड को मेरी गाँड़ में दबाकर बोले।
मैं: नहीं अब्बा ।
फिर वो मेरी चूचियाँ दबाकर बोले: तो अब तक तुम कुँवारी हो? किसी ने तुम्हारी चुदाई नहीं की है अब तक?
मैं: छी कैसी गंदी बात करते हैं । मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ ।
फिर अचानक मुझे प्यार करते हुए बोले: बेटा, तुम मुझसे स्कुटी माँग रही थी ना, स्कूल जाने के लिए।
मैं मुँह बिसूर कर: आप तो मना कर दिए थे।
अब्बा: अरे बेटा मैं तो समझा था कि तुम बच्ची हो। पर तुम तो जवान हो गयी हो। अब मैं तुमको कल ही स्कुटी ले दूँगा।