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Update 1.
श्रेया अभी ऑफिस पहुंची ही थी कि फोन बजा। उसने देखा तो एलिना का कॉल था। एलिना श्रेया की बैंगलोर में सबसे अच्छी फ्रेंड थी। जब श्रेया की बैंगलोर में जॉब लगी थी तो एलिना ने ही वहां फ्लैट ढूंढने में उसकी मदद की थी। अपना घर मिलने से पहले कुछ महीने श्रेया एलिना के घर ही रही थी।
उसने फ़ोन उठाया और इससे पहले वह कुछ कहती, दूसरी ओर से आवाज़ आयी, "हैलो मैडम। कहां हो आजकल। ज़िंदा तो है ना तू ? ना मिलती है और ना ही कोई फ़ोन। इस दोस्त को भूल ही गई क्या ?"
"अरे नहीं - नहीं एलिना! ऐसा नहीं है। बस टाइम ही नहीं मिलता है। ख़ैर, तू बता कैसी है। आज कैसे याद आ गई अपनी इस दोस्त की ?" श्रेया ने थोड़ा संभलते हुए कहा।
"मैं बिल्कुल ठीक हूं। तू ये बता शादी - वादी करने का प्लान है तेरा या पूरी लाइफ बस काम ही करती रहेगी।" एलिना ने मजाकिया अंदाज़ में पूछा।
"यार एलिना, तू क्या जब देखो शादी के पीछे पड़ जाती है। मुझे सिंगल देखकर जलन हो रही है क्या तुझे ?" श्रेया ने हंसकर बात को टालते हुए कहा।
"अच्छा - अच्छा अब बातें ना बना। तुझसे बातों में कोई नहीं जीत सकता। वैसे मैंने ये बताने के लिए फ़ोन किया था कि अगले महीने की दस तारीख को हमारी एनिवर्सरी है। एक छोटी सी पार्टी रखी है। तुझे आना है। मैं टाइम और वेन्यू तुझे मैसेज कर दूंगी। बस तू काम का बहाना देकर अब मना मत करना।" एलिना ने ज़ोर देते हुए कहा।
"ओके बाबा, मैं ज़रूर आऊंगी।" श्रेया ने मुस्कुराते हुए कहा।
"अच्छा चल फिर मैं रखती हूं। अभी थोड़ा काम है। पार्टी में आना ज़रूर। और इतना भी क्या काम करती रहती है, कभी कभी दोस्तों को भी याद कर लिया कर।"
"ओके मैडम। अब देख तू, कैसे तुझे फ़ोन कर - कर के परेशान करती हूं। वैसे भी तेरे अलावा और है ही कौन इस शहर में जिससे ऐसे बात कर सकूं।" श्रेया ने हंसते हुए कहा।
"हां तो अच्छा ही है ना। जब मन करे कर लिया कर फ़ोन। चल अभी रखती हूं। बाय।"
"ओके बाय।"
फ़ोन रखकर श्रेया अपने काम में लग गई। घर से ऑफिस और ऑफिस से घर बस यही उसकी दुनिया थी। और घर भी क्या, जिसे वह घर कहती थी वह तो बस हजार स्क्वेयर फीट का एक छोटा सा फ़्लैट था जहां श्रेया अकेली रहती थी। ऑफिस में सभी लोग श्रेया के काम से खुश थे। और हो भी क्यों ना, श्रेया ने खुद को काम में ही तो व्यस्त कर रखा था बस।
आज श्रेया को एलिना की वेडिंग एनिवर्सरी की पार्टी में जाना था। पार्टी पांच बजे से शुरू होने वाली थी। श्रेया ऑफिस से ही पार्टी के लिए रेडी होकर निकल पड़ी। गोल्डन बॉर्डर वाली नीले रंग की सिल्क की साड़ी में श्रेया बहुत ही सुन्दर लग रही थी। उसके कंधे से थोड़े नीचे तक फैले रेशमी बालों की लटें बेहद खूबसूरत लग रहीं थी।
उसे पहले एक अच्छा सा गिफ्ट लेना था और फिर टाइम से पार्टी में पहुंचना था। उसने ऑफिस के नीचे से रिकशा ली और कमला गिफ्ट सेन्टर पहुंची। वहां से एक एक्सक्लूज़िव सा शो पीस गिफ्ट रैप कराया और फिर वहीं से दी ओबेरॉय होटल के लिए कैब बुक की। शाम के पांच ही बज रहे थे। कैब भी टाइम से मिल गई थी। पंद्रह मिनट में श्रेया पार्टी में पहुंच गई थी। पार्टी शुरू हो चुकी थी। ऊपर से नीचे तक दुल्हन की तरह सजी धजि एलिना अपने पति के साथ सभी गेस्ट का स्वागत कर रही थी। दूसरी तरफ एलिना का दस वर्षीय बेटा अपने कुछ फ्रेंड्स के साथ पार्टी एन्जॉय कर रहा था।
उसने जाकर एलिना को गले मिलते हुए विश किया, " हैप्पी वेडिंग एनिवर्सरी!" फिर उसने उसके पति, विनीत, को हाथ मिलाते हुए विश किया और गिफ्ट दे दिया। अभी वह एलिना और उसके पति से बातें कर ही रही थी कि पीछे से किसी ने आवाज़ दी।
"श्रेया!!"
उसने पलटकर देखा तो देखती ही रह गई। ब्ल्यू शर्ट और ब्लैक कोट में पांच फीट नौ इंच का एक आकर्षक व्यक्तित्व वाला युवक उसके सामने खड़ा था। उसे ऐसा लगा जैसे वह कोई सपना देख रही हो। वह मन ही मन बुदबुदाने लगी, "क्या तुम सचमुच मेरे सामने खड़े हो ? या यह केवल मेरा वहम है ?" उसके मुंह में शब्द मानो जम से गए थे। "तुम!!.....तुम.....यहां ?" उसने मुश्किल से संभलते हुए कहा।
वह कुछ देर के लिए मूक बना रहा और एकटक श्रेया को देखता रहा। उसे जैसे अब भी यकीन नहीं हो रहा था कि उसके सामने जो लड़की खड़ी है, वह श्रेया है। फिर थोड़ा संभलते हुए कहा, "हां....विनीत.. मेरा फ्रेंड है। अभी कुछ दिनों के लिए काम से बैंगलोर आया हुआ था तो विनीत ने इन्वाइट कर लिया।"
"ओह, ओके। मैं और एलिना भी दोस्त हैं। तो इसलिए....।" बस इतना ही बोल पाई श्रेया।
दरअसल, शेखर और श्रेया एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। यहां मैं आपको बता दूं, शेखर और श्रेया का प्यार बिल्कुल अलग था। उन दोनों ने एक दूसरे को सिर्फ फोटो में ही देखा था। वे एक - दूसरे से कभी मिले नहीं थे। यही तो खास बात थी उनके प्यार की, कि बिना मिले ही वे दोनों एक दूसरे के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े हुए थे। बातें भी रोज़ - रोज़ कहां हो पाती थी। बस हफ़्ते में एक या दो बार ही बातें होती थी और वह दिन श्रेया के लिए पूरे हफ़्ते का सबसे खूबसूरत दिन होता था। वे दोनों सोशल मीडिया के जरिए मिले थे। आजकल सोशल मीडिया के जरिए बहुत गुनाह हो रहे हैं। पर शेखर और श्रेया के रिश्ते में ऐसी कोई बात नहीं थी। वे दोनों तो गुनाह की सोच से भी परे थे। यह उन दिनों की बात है जब श्रेया कोलकाता में अपने पैरेंट्स के साथ रहती थी और सी.ए. के एग्जाम्स की तैयारी कर रही थी। शेखर भी चंडीगढ़ के एक हॉस्टल में रहकर अपनी मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था।
श्रेया अभी ऑफिस पहुंची ही थी कि फोन बजा। उसने देखा तो एलिना का कॉल था। एलिना श्रेया की बैंगलोर में सबसे अच्छी फ्रेंड थी। जब श्रेया की बैंगलोर में जॉब लगी थी तो एलिना ने ही वहां फ्लैट ढूंढने में उसकी मदद की थी। अपना घर मिलने से पहले कुछ महीने श्रेया एलिना के घर ही रही थी।
उसने फ़ोन उठाया और इससे पहले वह कुछ कहती, दूसरी ओर से आवाज़ आयी, "हैलो मैडम। कहां हो आजकल। ज़िंदा तो है ना तू ? ना मिलती है और ना ही कोई फ़ोन। इस दोस्त को भूल ही गई क्या ?"
"अरे नहीं - नहीं एलिना! ऐसा नहीं है। बस टाइम ही नहीं मिलता है। ख़ैर, तू बता कैसी है। आज कैसे याद आ गई अपनी इस दोस्त की ?" श्रेया ने थोड़ा संभलते हुए कहा।
"मैं बिल्कुल ठीक हूं। तू ये बता शादी - वादी करने का प्लान है तेरा या पूरी लाइफ बस काम ही करती रहेगी।" एलिना ने मजाकिया अंदाज़ में पूछा।
"यार एलिना, तू क्या जब देखो शादी के पीछे पड़ जाती है। मुझे सिंगल देखकर जलन हो रही है क्या तुझे ?" श्रेया ने हंसकर बात को टालते हुए कहा।
"अच्छा - अच्छा अब बातें ना बना। तुझसे बातों में कोई नहीं जीत सकता। वैसे मैंने ये बताने के लिए फ़ोन किया था कि अगले महीने की दस तारीख को हमारी एनिवर्सरी है। एक छोटी सी पार्टी रखी है। तुझे आना है। मैं टाइम और वेन्यू तुझे मैसेज कर दूंगी। बस तू काम का बहाना देकर अब मना मत करना।" एलिना ने ज़ोर देते हुए कहा।
"ओके बाबा, मैं ज़रूर आऊंगी।" श्रेया ने मुस्कुराते हुए कहा।
"अच्छा चल फिर मैं रखती हूं। अभी थोड़ा काम है। पार्टी में आना ज़रूर। और इतना भी क्या काम करती रहती है, कभी कभी दोस्तों को भी याद कर लिया कर।"
"ओके मैडम। अब देख तू, कैसे तुझे फ़ोन कर - कर के परेशान करती हूं। वैसे भी तेरे अलावा और है ही कौन इस शहर में जिससे ऐसे बात कर सकूं।" श्रेया ने हंसते हुए कहा।
"हां तो अच्छा ही है ना। जब मन करे कर लिया कर फ़ोन। चल अभी रखती हूं। बाय।"
"ओके बाय।"
फ़ोन रखकर श्रेया अपने काम में लग गई। घर से ऑफिस और ऑफिस से घर बस यही उसकी दुनिया थी। और घर भी क्या, जिसे वह घर कहती थी वह तो बस हजार स्क्वेयर फीट का एक छोटा सा फ़्लैट था जहां श्रेया अकेली रहती थी। ऑफिस में सभी लोग श्रेया के काम से खुश थे। और हो भी क्यों ना, श्रेया ने खुद को काम में ही तो व्यस्त कर रखा था बस।
आज श्रेया को एलिना की वेडिंग एनिवर्सरी की पार्टी में जाना था। पार्टी पांच बजे से शुरू होने वाली थी। श्रेया ऑफिस से ही पार्टी के लिए रेडी होकर निकल पड़ी। गोल्डन बॉर्डर वाली नीले रंग की सिल्क की साड़ी में श्रेया बहुत ही सुन्दर लग रही थी। उसके कंधे से थोड़े नीचे तक फैले रेशमी बालों की लटें बेहद खूबसूरत लग रहीं थी।
उसे पहले एक अच्छा सा गिफ्ट लेना था और फिर टाइम से पार्टी में पहुंचना था। उसने ऑफिस के नीचे से रिकशा ली और कमला गिफ्ट सेन्टर पहुंची। वहां से एक एक्सक्लूज़िव सा शो पीस गिफ्ट रैप कराया और फिर वहीं से दी ओबेरॉय होटल के लिए कैब बुक की। शाम के पांच ही बज रहे थे। कैब भी टाइम से मिल गई थी। पंद्रह मिनट में श्रेया पार्टी में पहुंच गई थी। पार्टी शुरू हो चुकी थी। ऊपर से नीचे तक दुल्हन की तरह सजी धजि एलिना अपने पति के साथ सभी गेस्ट का स्वागत कर रही थी। दूसरी तरफ एलिना का दस वर्षीय बेटा अपने कुछ फ्रेंड्स के साथ पार्टी एन्जॉय कर रहा था।
उसने जाकर एलिना को गले मिलते हुए विश किया, " हैप्पी वेडिंग एनिवर्सरी!" फिर उसने उसके पति, विनीत, को हाथ मिलाते हुए विश किया और गिफ्ट दे दिया। अभी वह एलिना और उसके पति से बातें कर ही रही थी कि पीछे से किसी ने आवाज़ दी।
"श्रेया!!"
उसने पलटकर देखा तो देखती ही रह गई। ब्ल्यू शर्ट और ब्लैक कोट में पांच फीट नौ इंच का एक आकर्षक व्यक्तित्व वाला युवक उसके सामने खड़ा था। उसे ऐसा लगा जैसे वह कोई सपना देख रही हो। वह मन ही मन बुदबुदाने लगी, "क्या तुम सचमुच मेरे सामने खड़े हो ? या यह केवल मेरा वहम है ?" उसके मुंह में शब्द मानो जम से गए थे। "तुम!!.....तुम.....यहां ?" उसने मुश्किल से संभलते हुए कहा।
वह कुछ देर के लिए मूक बना रहा और एकटक श्रेया को देखता रहा। उसे जैसे अब भी यकीन नहीं हो रहा था कि उसके सामने जो लड़की खड़ी है, वह श्रेया है। फिर थोड़ा संभलते हुए कहा, "हां....विनीत.. मेरा फ्रेंड है। अभी कुछ दिनों के लिए काम से बैंगलोर आया हुआ था तो विनीत ने इन्वाइट कर लिया।"
"ओह, ओके। मैं और एलिना भी दोस्त हैं। तो इसलिए....।" बस इतना ही बोल पाई श्रेया।
दरअसल, शेखर और श्रेया एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। यहां मैं आपको बता दूं, शेखर और श्रेया का प्यार बिल्कुल अलग था। उन दोनों ने एक दूसरे को सिर्फ फोटो में ही देखा था। वे एक - दूसरे से कभी मिले नहीं थे। यही तो खास बात थी उनके प्यार की, कि बिना मिले ही वे दोनों एक दूसरे के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े हुए थे। बातें भी रोज़ - रोज़ कहां हो पाती थी। बस हफ़्ते में एक या दो बार ही बातें होती थी और वह दिन श्रेया के लिए पूरे हफ़्ते का सबसे खूबसूरत दिन होता था। वे दोनों सोशल मीडिया के जरिए मिले थे। आजकल सोशल मीडिया के जरिए बहुत गुनाह हो रहे हैं। पर शेखर और श्रेया के रिश्ते में ऐसी कोई बात नहीं थी। वे दोनों तो गुनाह की सोच से भी परे थे। यह उन दिनों की बात है जब श्रेया कोलकाता में अपने पैरेंट्स के साथ रहती थी और सी.ए. के एग्जाम्स की तैयारी कर रही थी। शेखर भी चंडीगढ़ के एक हॉस्टल में रहकर अपनी मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था।