आर्मी नर्सों की चुदाई
Update 06
खैर हमने एक बहुत अच्छा दिन होक्स-बे पर गुज़ार कर शाम को वापसी की। अहमद ने ड्राइविंग मुझे दी और वापसी पर मैं ड्राइविंग करता हुआ कार लेकर आया। वापसी पर शाज़िया मेरे साथ आगे की सीट पर थी जबकि फौज़िया अहमद के साथ पीछे सीट पर थी। हमने पूरे रास्ते बहुत इंजॉय किया मगर शाज़िया ने या फौज़िया ने ये नहीं शो किया कि दोनों अपनी चूत फिरवा कर आ रही हैं।
उसके बाद हम चारों का एक अच्छा ग्रुप बन गया। चूँकि अहमद काफी अमीर लड़का था और अकेला फ़्लैट में रहता था, तो मेरी निसबत उसके पास पैसा काफी था। वैसे भी आर्मी में तनखा काफी कम होती है और मैं वैसे भी काफी खर्चा नहीं करता था। मगर अहमद हर डेट पर हम चारों का खर्च बर्दाश्त करता था।
उसके बाद मैं कईं दफा शाज़िया को अहमद के फ़्लैट पर लेकर गया और शाज़िया की चूत की आग बुझाता रहा। इधर शाज़िया और फौज़िया तो अच्छी फ्रैंड्स थी ही और आपस में भी चुदाई करती थीं। उन्होंने एक दूसरे को हमारे साथ चुदाई की कहानी भी बता दी थी। अभी तक हम चारों ने ग्रुप सैक्स नहीं किया था और उसकी वजह या तो शरम थी या अभी तक मौका ही नहीं मिला था। अक्सर शाज़िया की ड्यूटी होती तो फौज़िया फ़्री होती, या फौज़िया की ड्यूटी होती तो शाज़िया फ़्री होती। आखिरकार २३ नवंबर को अहमद की सालगिरह थी और उसने मुझे पहले ही से दावत दे रखी थी और उन दोनों को भी कहा कि उन्होंने भी पार्टी में आना है।
यहाँ मैं एक बात वाज़िया कर दूँ कि नर्सों को होस्टल से बाहर रात गुज़ारने की इज़ाजत नहीं थी। इसलिये हम लोग या तो दिन में मिलते या रात दस बजे तक वापिस आ जाया करते थे, क्योंकि उनकी रोज़ाना रात को हाज़री होती थी और रोज़ाना उनकी रिपोर्ट उनकी हेड नर्स को जाती थी। जब से मैं कराची वापस आया था, मैंने दोबारा शाज़िया के साथ रात नहीं गुज़ारी थी और न कभी मौका मिला था। बरहाल मैंने शाज़िया को अहमद की सालगिरह और सैक्स प्रोग्राम का बताया। उसका भी दिल किया कि काफी इंजॉय किया जाये, सो उन दोनो ने अपनी हेड नर्स को इल्तज़ा की कि उनकी रिश्तेदारी में शादी है और उनको रात बाहर रहना पड़ेगा।
उनकी दरख्वास्त मंज़ूर हो गयी। मैं और अहमद २३ नवंबर को शाम के वक्त शाज़िया और फौज़िया के होस्टल उन दोनों को लेने अये। वो रात भी मेरी ज़िंदगी की ना भूलने वाली रात थी। शाम को हम चारों अहमद की कार में तारीक रोड गये और मैंने और दोनों लड़कियों ने अहमद के लिये कुछ गिफ़्ट पैक करवाये। उसके बाद अहमद के फ़्लैट पर चारों पहुँच गये।
अहमाद ने बताया कि अभी रात का खाना उसकी तरफ़ से बाहर रेस्तोरां में होगा। फिर वापस अकर केक काटेंगे। खैर हम चारों डिफेंस के एक खूबसूरत रेस्तोरां सिल्वर स्पून में गये और वहाँ ज़बरदस्त डिनर किया और डिनर के दौरान बहुत गपशप लगायी और काफी इंजॉय किया। उसके बाद वापस आकर फ़्लैट पर हमने बाकी प्रोग्राम को तरतीब दिया। ये पहली बार है कि शाज़िया और फौज़िया एक साथ उस फ़्लैट पर थीं, वर्ना तो मैं जब शाज़िया को ले कर जाता था तो वो अकेली होती थी, और अहमद जब फौज़िया को लेकर जाता तो वो भी अकेली होती थी।
अहमद ने बहुत इंतज़ाम किया था। उसने बड़ा सा केक मंगवाया था। उसके साथ बाहर के मुल्क से लायी महंगी शराब थी। खैर हमने फिर केक काटा और सब ने अहमद को हैप्पी बर्थडे कहा। उस वक्त मैंने अहमद के गालों पर एक किस की तो वो दोनो लड़कियाँ मुस्कुराने लगीं और कहने लगीं, देखो एक लड़का दूसरे लड़के को किस कर रहा है! मैंने जवाब दिया कि एक लड़की जब दूसरी लड़की को किस कर सकती है तो क्या मैं दूसरे लड़के को किस नहीं कर सकता? इस पर शाज़िया समझ गयी और ज़ोर- ज़ोर से हंसने लगी।
उसके बाद हम चारो ड्रिंक्स पीने लगे और गपशप लगाने लगे। दोनों लड़कियाँ पूरे जोश में वो महंगी शराब पी रही थीं और उन पर नशा जल्दी छाने लगा था। फिर फौज़िया ऊँची ऐड़ी की सैंडल में लड़खड़ाती सी किचन की तरफ बढ़ी तो अहमद भी उसके पीछे हो लिया। मैं शाज़िया को सहारा देकर बेडरूम में लाया और किसिंग करने लगा। मैंने शाज़िया को कहा कि ग्रुप सैक्स करते हैं मगर उसने कहा कि फौज़िया राज़ी नहीं होगी। खैर हमने कुछ देर बेडरूम में चुदाई की और इस दौरान अहमद ने भी फौज़िया को नहीं छोड़ा क्योंकि जब मैंने बेडरूम खोला तो बाहर हॉल में फौज़िया अपने कपड़े ठीक कर रही थी। दरसल अभी तक हम में कुछ शरम थी और मैंने कभी भी अहमद के साथ मिलकर कोई चुदाई-ईवेंट नहीं किया था। इसके अलावा मैं फौज़िया की चूत मारना तो चाहता था मगर शाज़िया से कभी इज़हार नहीं कर सका था। इसलिये हम लोगों ने और ड्रिंक्स लीं और काफी देर बातें करते रहे।
उसके बाद हमने मूवी लगायी और उस में कुछ सैक्सी सीन थे। इन तमाम हालात को देख कर शाज़िया का बहुत दिल चाहा मगर अभी तक वो अहमद से खुली नहीं थी। इसलिये उसने मुझे आँख मारी और सबसे कहा कि उसने बहुत ड्रिंक कर ली है और उसको नींद आ रही है और उसने सोना है। वो उठ कर नशे में लड़खड़ाती एक कमरे में चली गयी। शाज़िया के चले जाने के बाद फौज़िया ने भी सोना चाहा और वो भी नशे में लड़खड़ाती शाज़िया के रूम मैं जाने लगी तो मैंने कहा, फौज़िया साहिबा, आपका दूसरा रूम है। इस पर कुछ शर्मा गयी मगर मुस्कुरा कर दूसरे कमरे में चली गयी।
मेरा और अहमद का दिल तो कर रहा था कि गर्ल फ्रैंड्स को चेंज और शेयर करें लेकिन शायद अभी तक हम में कोई बात थी कि हिम्मत नहीं हो रही थी और फिर हम दोनो कुछ देर गपशप लगा कर अपने अपने कमरे में चले गये।
मेरे रूम में शाज़िया मेरा इंतज़ार कर रही थी और दूसरे रूम में फौज़िया अहमद का इंतज़ार कर रही थी। उसका हाल तो मुझे मालूम ना हो सका लेकिन शाज़िया चुदाई के लिये बेकरार थी। वो पहले ही अपने कपड़े उतार चुकी थी और नशे में बिस्तर पर सिर्फ सैंडल पहने नंगी पड़ी अपनी चूत सहला रही थी। मैंने शाज़िया को बहुत ज़बरदस्त तरीके से छः दफ़ा चोदा और सुबह तक हम लोग मुखतलिफ़ तरीके से एक दूसरे के साथ चुदाई करते रहे।
सुबह होने से कुछ देर पहले मैं उठ कर किचन में पानी पीने आया तो उस दौरान फौज़िया भी किचन में थी और मैंने उसको छेड़ते हुए पूछा कि रात कैसी गुज़री? वो मुस्कुरायी और मुझसे मेरी रात का पूछा। मैंने पहली बार फौज़िया को अपने साथ काफी फ़्री देखा और उसे देख कर ज़ाहिर था कि वो भी शाज़िया की तरह नशे में थी। मैंने उसको बाँहों में लिया और कहा कि मैं तुम्हें भी चोदना चाहता हूँ!
उसने भी यही कहा कि मैं भी तुम्हारे साथ चुदाई करना चाहती हूँ मगर शाज़िया नहीं मानती क्योंकि वो तुमसे प्यार करती है और वो कहती है कि नोमी सिर्फ़ मेरा है! खैर उधर किचन में मैंने उसके साथ कुछ चूमा-चाटी की और कुछ उसके बूब्स दबाये। उसके बाद मैं अपने रूम में आ गया और शाज़िया के साथ एक और दफा चुदाई की। फिर सुबह हो गयी और मैंने पहले की तरह शाज़िया के साथ मिलकर बाथ लिया और फिर वो दोनो लड़कियाँ तैयार हुईं क्योंकि उन्होंने ड्यूटी पर जाना था।
उसके बाद अहमद की कार में हम चारों उनके होस्टल की तरफ़ आये। वहाँ गेट पर पहुँच कर हमने उनको अलविदा किया तो पहली बार शाज़िया के साथ-साथ फौज़िया ने भी मुझे एक किस किया और इसके जवाब में शाज़िया ने भी पहली बार अहमद को किस किया और हमारा थैंक्स किया और कहा कि बहुत मज़ा आया।
उसके बाद अहमद मुझे यूनिट छोड़ने आया और मैं अपनी ड्यूटी में मसरूफ हो गया। खैर दिन गुज़रते रहे और हम लोग उसी तरह अकेले-अकेले चुदाई में मसरूफ थे। मेरे पास अहमद की फ़्लैट की चाबियाँ थीं और मैं अक्सर शाज़िया को वहाँ लेकर जाता और हम दोनों इंजॉय करते। अहमद भी फौज़िया को लेकर जाता और वो भी चुदाई का मज़ा लेते।
मगर अभी तक फौज़िया के साथ सिवाय किसिंग के कुछ नहीं किया और उसकी अज़ीम वजह शाज़िया थी। वो मुझे शेयर करना नहीं चाहती थी। इसमें कोई शक नहीं कि मैं उसको बहुत अच्छा चोदता था और उसको पूरा मज़ा देता था, मगर मैं भी एक मर्द (बेवफ़ा जात) था और हर वक्त ग्रुप सैक्स या फौज़िया की चूत मारने का सोचता था।
एक दिन मैं शाज़िया को लेकर अहमद के फ़्लैट पर गया था और उसके साथ चुदाई कर रहा था। तभी अचानक डोर खुला और अहमद फौज़िया के साथ अंदर दाखिल हुआ। दरसल मैं शाज़िया को टिवी पर मूवी दिखा कर चोद रहा था और मुझे मालूम था कि अहमद नहीं आयेगा। फौज़िया भी अपने रिश्तेदार के घर गयी हुई थी, इसलिये उसका भी अहमद के साथ आने का कोई चाँस ना था। हम लोग शराब पीकर बेफ़िक्र होकर चुदाई में मसरूफ थे और ये सब इतना अचानक हुआ कि मैं और शाज़िया बिल्कुल संभल न सके।
उस दिन पहली बार मुझे फौज़िया ने और शाज़िया को अहमद ने नंगा देखा। मैं थोड़ा सा बौखलाया मगर अहमद मेरा जिगरी दोस्त था। इसलिये हिम्मत कर के मैंने शाज़िया को चोदना ज़ारी रखा। वो दोनों रूम में चले गये। पहले शाज़िया भी कुछ हिचकिचायी मगर अब तो सब कुछ खुल चुका था और फिर वो नशे में भी थी, इसलिये वो भी बेफ़िक्र हो कर चुदवाती रही। उसके बाद मैंने देखा कि बेडरूम का डोर खुला है और फौज़िया भी अहमद के साथ चुदाई स्टार्ट कर चुकी है।
इस तरह हमारा पर्दा खतम हुआ और मैंने पहली बार फौज़िया को पूरा नंगा देखा और वो भी काफी सैक्सी थी। लेकिन उसके बूब्स शाज़िया से छोटे थे, बाकी सब कुछ बहुत आला था, खासकर उसकी गाँड बहुत ही सैक्सी थी। ऊपर से फौज़िया ने उँची हील के सैंडल पहने हुए थे जिससे उसकी गाँड और भी सैक्सी लग रही थी और मेरे लंड पर कहर ढा रही थी। उसके बाद हम चारों नंगे थे और टीवी पर मूवी देखने लगे। शाज़िया मेरे लंड के साथ और फौज़िया अहमद के लंड के साथ खेल रही थी। मैंने शाज़िया से कहा अगर वो बुरा ना माने तो मैं फौज़िया को थोड़ा प्यार करूँ। शाज़िया का दिल तो नहीं चाह रहा था मगर अभी हम इतने खुल चुके थे कि वो इनकार ना कर सकी।
उसके बाद पहली बार मैंने फौज़िया के साथ चुदाई शुरू की। वो भी चुदाई में काफी एक्सपर्ट थी। इसी दौरान अहमद ने भी पहली बार शाज़िया को चूमना शुरू किया। पता नहीं क्यों मुझे अच्छा नहीं लग रहा था जब अहमद उसको किस कर रहा था, लेकिन अभी हम चारों इतने करीब आ गये थे और खुल चुके थे कि और कोई रास्ता नहीं था।
उसके बाद मैं दोबारा गरम हुआ और मैंने फौज़िया को एक ज़बरदस्त तरीके से चोदा। इसके साथ-साथ अहमद ने भी शाज़िया को आला तरीके से चोदा। अहमद का लंड मेरे से कुछ छोटा था, मगर वो भी चोदने में मास्टर था। आखिरकर हमने उस दिन ग्रुप सैक्स कर ही लिया। उस दिन हमने काईं दफा चुदाई की और फिर वापसी की तैयारी करने लगे तो मैंने सबको इकट्ठा करके एक वादा लिया कि हम में कोई बात छुपी नहीं रहेगी और ना कोई दिल में कोई बात रखेगा। जो भी बात होगी वो ओपन करनी होगी, जिसका भी जिसके साथ भी चुदाई करने का दिल चाहेगा वो खुल कर बोलेगा और बगैर किसी जलन के चुदाई करेंगे। मैं जानता था कि अगर ये वादा नहीं लेता तो हमारी दोस्ती और सैक्सी रिलेशन खराब हो सकते थे। मेरी ये बात सुन कर सबने हलफ़ दिया और सब खुश हो गये।
उसके बाद अहमद की कार में हम चारों उनके होस्टल आये, पर फिर अहमद के साथ मैं उसके फ़्लैट आया क्योंकि मेरी मोटर बाइक वहाँ थी। फ्लैट पर आकर मैंने सारी बात साफ़-साफ़ अहमद को बतायी और वादा लिया कि हमारी दोस्ती में कोई फ़रक नहीं आयेगा, और ना हम कोई बात छिपायेंगे। हर बात खोल कर करेंगे।
उसके बाद हमारी ज़िंदगी बहुत ही ज़बरदस्त तरीके से गुज़र रही थी क्योंकि हम चारों बहुत अच्छे और जिगरी दोस्त थे। उसके बाद काफी दफा हमने साथ में ग्रुप सैक्स किया। काफी दफा मैं सिर्फ़ शाज़िया को या सिर्फ़ फौज़िया को फ़्लैट पर लेकर गया। इसी तरह अहमद भी काफी दफा सिर्फ़ शाज़िया को और काफी दफ़ा सिर्फ़ फौज़िया को लेकर फ़्लैट पर गया और हम उन दोनों की चूत की आग बुझाते रहे। अहमद ही शराब और खाने वगैरह का खर्च उठाता था और चूंकि दोनों लड़कियों को रोज़ाना शराब पीने की आदत थी, इसलिये उनकी रोज़ की बोतल भी अहमद ही सपलायी करता था। दिन में या शाम को वो दोनों हमसे चुदवाती थीं और रात में होस्टल में दोनों चुदैलें नशे में चूर होकर लेस्बियन चुदाई करती थीं।
दिसंबर में मेरी यूनिट की एक्सरसाईज़ शुरू हुई और मैं पंद्रह दिनों के लिये बादीन (सिंध) के बोर्डर पर गया, मगर पीछे से अहमद ने बहुत ज़बर्दस्त वक्त उन दोनों चुदैलों को दिया और काफी दफा दोनों को साथ में भी चोदा। मैं एक्सरसाईज़ में उन लोगों को बहुत मिस करता रहा, लेकिन वो लोग मुझे मुसलसल मोबाइल पर फोन करते थे, बल्कि अहमद तो कभी-कभी जब उनकी चूत मारता था तो चुदाई करते-करते मुझे फोन करता और कहता कि ये चुदाई तुम्हारी तरफ़ से हो रही है। अहमद ने बताया कि दोनों लड़कियों के चूत की गर्मी इस हद तक बढ़ गयी है कि कईं बार वो अकेला उनकी तसल्ली नहीं कर पाता था। मैं बेचारा बादीन के रेगिस्तान में अपने टेंट में मुठ मारता था और उन दोनो की चूतों को मिस करता था।
जारी रहेगी