Incest anjane mein kya kar diya maine

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मेरे साथ ये सब करके अब तो तुम अपनी अम्मी और बहनों को छोड़कर नहीं जाओगे ना?"

मैंने भी अम्मी की तरफ करवट ली और अम्मी के सीने से लग गया और बोला-

"नहीं अम्मी, जिस तरह आप मुझे प्यार करती हो मैं आपको छोड़कर जाने का सोच भी नहीं सकता कभी।

वो तो मैं बस मजाक कर रहा था बस..."

और इतना बोलते हुये अम्मी से बुरी तरह चिमेट गया और किस करने लगा।

अम्मी भी मुझे किस का जवाब किस से देती रही और फिर मेरे सीने पे हाथ रखकर मुझे अलग कर दिया और बोली- "बस सन्नी बेटा, अब और कुछ नहीं। आज के लिए इतना ही बहुत है। अब सो जाओ..."

और खुद उठकर अपने कपड़े लेकर बाथरूम में जा घुस गई।

मैं अम्मी के बेड पे नंगा ही पड़ा रह गया और सोचने लगा कि क्या मैंने अपनी अम्मी के साथ ये सब जो किया है,

क्या ठीक है? तो मेरे अंदर से जवाब आया कि हाँ जिस तरह तुम्हें और फरी बाजी को चुदाई की जरूरत है,उसी तरह अम्मी भी लण्ड की प्यासी हैं और उन्हें भी पूरा हक है कि अपनी लाइफ एंजाय करें।

ये सोच आते ही में मुतमइन हो गया और अपनी आँखें बंद करके सोने की कोशिश करने लगा।

मुझे अपनी आँखें बंद किए अभी कुछ ही देर हुई थी के अम्मी रूम में आ गई और खामोशी से मेरे साथ बेड पे लेट गई, लेकिन कुछ बोली नहीं और खामोशी से लेटी रही।

मैं भी चुपचाप लेटा रहा, क्योंकी मैं समझ रहा था कि अम्मी को ये सब जो अम्मी और मेरे बीच हुआ है उसे हजम करना मुश्किल हो रहा होगा।

जिस वजह से । मैंने भी अम्मी से कोई बात नहीं की और आँखें बंद किए सोता बना रहा,

जिससे कब मेरी आँख लगी मुझे पता ही नहीं चला।

सुबह जब मेरी आँख खुली तो 9:00 से ऊपर का टाइम हो रहा था लेकिन मैं अभी भी नंगा ही अम्मी के बेड पे लेटा हुआ था,

लेकिन अब मेरे ऊपर अम्मी ने चादर डाल दी थी।

मैं जल्दी से उठा और अपने कपड़े उठाकर बाथरूम में जा घुसा और नहाकर कपड़े पहनकर बाहर निकला तो देखा कि बाजी फरी बाहर बैठी टीवी देख रही थी।

लेकिन अम्मी और निदा कहीं भी नजर नहीं आ रही थीं।
 
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फरी मुझे देखकर मुश्कुराने लगी और टीवी बंद करते हुये बोली-

"क्यों भाई क्या हाल है आपका? लगता है रात नींद ठीक से नहीं आई मेरे भाई को..."

मैं भी हँस दिया और बोला-

"हाँ यार नई जगह थी ना इसलिए.."

और फरी के करीब ही बैठ गया और बोला"अच्छा ये अम्मी और निदा नजर नहीं आ रहे, कहाँ हैं दोनों?"

फरी ने कहा- "भाई अम्मी और निदा जरा सफदर अंकल की तरफ गई हैं, अभी आ जायेंगी।

आप बैठो मैं नाश्ता लाती हूँ आपके लिए।

लगता है काफी भूख लग रही है आपको?"

फरी की बात समझते हुये मैं भी हँस दिया और बोला-

"नहीं यार, अब ऐसी भी कोई बात नहीं। बस थोड़ा थका हुआ हूँ घूमने फिरने से ठीक हो जाऊँगा।

बाकी तुम बैठो मैं खुद ही नाश्ता ले लेता हूँ। तुम्हारा पांव ठीक नहीं है...

"फरी ने कहा- "नहीं तुम बैठो। अब काफी बेहतर है, हल्की सी मोच थी अब आराम है। मैं लाती हूँ नाश्ता.."

और उठकर किचेन की तरफ चल दी।मेरा नाश्ता, जो कि पहले से ही तैयार था, बाजी जल्दी से ले आई और आते ही मेरे सामने नाश्ता रखते हुये बोली-

"तो क्या रहा भाई? कहाँ तक बात पहुँची रात को?"मैंने नाश्ते की तरफ हाथ बढ़ते हुये कहा-

"यार जो तुम चाहती थी वो सब हो गया है। अब अम्मी हमारे हाथ में हैं और अब हमें कोई मसला नहीं है...

"बाजी खुशी से मुझे लिपट गई।मैंने बाजी को पीछे हटते हुये कहा- यार नाश्ता तो आराम से कर लेने दो मुझे।

बाजी ने मुझे छोड़ दिया और बोली- "भाई अब मजा आएगा अम्मी भी हमारा साथ देंगी।

और निदा को कोई मसला ही नहीं है हमसे...

"मैंने कहा- "हाँ यार ये तो है। अब तुम बताओ क्या प्रोग्राम है तुम्हारा?

क्योंकी अभी तुम बाहर तो जा नहीं सकती, क्योंकी तुम्हारा एक पैर खराब है...
 
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"बाजी ने कहा- "भाई मेरा खयाल है अम्मी अंकल को सब बता चुकी होंगी अब तक और अभी जब अम्मी और निदा बाहर जायेंगी घूमने तो आप सफदर अंकल के पास चले जाना और उनसे बात करके यहाँ ले आना फिर मैं तुम और अंकल सफदर मिलकर मजा करेंगे।

क्या ख्याल है?"मैं नाश्ता खतम करते हुये बोला-

मैं नाश्ता खतम करते हुये बोला- "लगता है तुम ये चेक करना चाहती हो कि आखिरकार अंकल सफदर में ऐसी क्या बात है जो अम्मी उनपे फिदा हो गई हैं?

लेकिन देखना कि कहीं मेरा ही पत्ता ना काट जाए

बाजी मेरी बात सुनकर हँस दी और बोली-

"नहीं मेरी जान, दुनियां इधर की उधर हो सकती है लेकिन आपकी जगह मेरे दिल से खतम नहीं हो सकती।

समझे आप? बाकी बस मजे के लिए हैं ओके..

"मैंने बाजी की बात पे हँसते हुये हाँ में सिर हिला दिया।

लेकिन अभी कुछ बोला नहीं था। तभी बाहर से अम्मी।

और निदा आ गईं और निदा ने आते ही बाहर के लिए प्रोग्राम बनाना शुरू कर दिया।

लेकिन मैंने साथ चलने से ये बोलकर माना कर दिया कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है।

तब अम्मी और निदा खुद ही तैयार होकर बाहर को चल दिये।

और मैं घर से निकलकर सीधा सफदर अंकल की तरफ चल दिया।

लेकिन जैसे ही मैं सफदर अंकल के घर के पास पहुँचा तो तभी सफदर अंकल भी घर से निकल आए और मुझे अपने घर की तरफ आता देखकर खुश हो गये और बोले-

"अच्छा हुआ सन्नी, तुम खुद ही मेरी तरफ आ गये, नहीं तो मैं अभी तुम्हारी तरफ ही आ रहा था.

"मैं सफदर अंकल के पास पहुँचकर बोला- "क्यों अंकल, कोई खास बात करनी थी जो आप मेरी तरफ ही आ रहे। थे?"अंकल ने कहा- "हाँ मेरे शेर बात तो खास ही करनी थी तुम्हारे साथ।

लेकिन तुम ऐसा करो पहले अंदर तो आओ बैठकर बात करते हैं..." और मेरा हाथ पकड़कर मुझे अंदर ले गये। दरवाजा लाक करके अंकल मुझे उसी रूम में ।
 
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ले गये जहाँ मैंने अम्मी को अंकल से चुदवाते हुये देखा था।

अंकल ने मुझे रूम में बिठा दिया और बोले-

"सन्नी मेरा खयाल है कि ये रूम हम सबके लिए लकी है क्योंकी यहाँ हमारे बीच कई पर्दे गिर गये हैं..

"मैं अंकल की बात को अच्छी तरह समझ गया लेकिन भोला बनते हुये बोला-

"क्या मतलब अंकल? मैं समझा नहीं कि आप किन पर्यों की बात कर रहे हैं?

आप जरा खुल के बात करो जो भी बात है.

"अंकल- देखो सन्नी बात ये है कि थोड़ी देर पहले तुम्हारी अम्मी यहाँ आई थी और उसने मुझे सब बता दिया है।

कि तुमने कल क्या देखा? और रात को तुमने अपनी माँ के साथ क्या किया?

अब बात ये है कि आगे का क्या इरादा है तुम्हारा?"

मैं- पूरी तरह खुल के बात करते हुये बोला-

"अंकल बात ये है कि अम्मी की भी एक पेरसोनल लाइफ है जिसे जीने का उनको पूरा हक है और मेरे खयाल में उनके इस हक का हमें सम्मान करना चाहिए.."

अंकल मेरी बात से खुश होते हुये बोले-

"हाँ सन्नी बेटा ये बात तो ठीक है तुम्हारी।

और अब जबकी तुम भी अपनी माँ की सेवा में लग गये हो तो मेरा और तुम्हारी अम्मी का खयाल है कि अब हमारे बीच कोई पर्दा नहीं होना चाहिए।

हम जो भी किया करें मिलकर करें.."

मैं- "हाँ अंकल मैं भी आप लोगों की इस बात से सहमत हूँ। लेकिन क्या अम्मी हम दोनों को एक साथ झेल लिया करेंगी?"

अंकल- "अरे यार बस एक हफ्ता तक तो सलमा को ही बर्दाश्त करना पड़ेगा उसके बाद तो इरम भी आ जाएगी हमारे साथ। फिर दोनों मिलकर हमें बर्दाश्त कर लेंगी क्या समझे?"

मैं हैरानी से अंकल की तरफ देखते हुये बोला- "अंकल इरम कौन? कहीं आपकी बेटी तो नहीं?"
 
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ले गये जहाँ मैंने अम्मी को अंकल से चुदवाते हुये देखा था।

अंकल ने मुझे रूम में बिठा दिया और बोले-

"सन्नी मेरा खयाल है कि ये रूम हम सबके लिए लकी है क्योंकी यहाँ हमारे बीच कई पर्दे गिर गये हैं..

"मैं अंकल की बात को अच्छी तरह समझ गया लेकिन भोला बनते हुये बोला-

"क्या मतलब अंकल? मैं समझा नहीं कि आप किन पर्यों की बात कर रहे हैं?

आप जरा खुल के बात करो जो भी बात है.

"अंकल- देखो सन्नी बात ये है कि थोड़ी देर पहले तुम्हारी अम्मी यहाँ आई थी और उसने मुझे सब बता दिया है।

कि तुमने कल क्या देखा? और रात को तुमने अपनी माँ के साथ क्या किया?

अब बात ये है कि आगे का क्या इरादा है तुम्हारा?"

मैं- पूरी तरह खुल के बात करते हुये बोला-

"अंकल बात ये है कि अम्मी की भी एक पेरसोनल लाइफ है जिसे जीने का उनको पूरा हक है और मेरे खयाल में उनके इस हक का हमें सम्मान करना चाहिए.."

अंकल मेरी बात से खुश होते हुये बोले-

"हाँ सन्नी बेटा ये बात तो ठीक है तुम्हारी।

और अब जबकी तुम भी अपनी माँ की सेवा में लग गये हो तो मेरा और तुम्हारी अम्मी का खयाल है कि अब हमारे बीच कोई पर्दा नहीं होना चाहिए।

हम जो भी किया करें मिलकर करें.."

मैं- "हाँ अंकल मैं भी आप लोगों की इस बात से सहमत हूँ। लेकिन क्या अम्मी हम दोनों को एक साथ झेल लिया करेंगी?"

अंकल- "अरे यार बस एक हफ्ता तक तो सलमा को ही बर्दाश्त करना पड़ेगा उसके बाद तो इरम भी आ जाएगी हमारे साथ। फिर दोनों मिलकर हमें बर्दाश्त कर लेंगी क्या समझे?"

मैं हैरानी से अंकल की तरफ देखते हुये बोला- "अंकल इरम कौन? कहीं आपकी बेटी तो नहीं?"
wah banto g lagta ha nay rasty khul rehy hain apny hero k liyay
thanks for update
 

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