बैलगाड़ी

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यह उस समय की कहानी है जब यातायात के लिए मोटर गाड़ियां ना के बराबर थी उस समय केवल तांगे या बेल गाड़ियां चला करती थी,,,,,,,, यातायात के लिए यही एक रोजगारी का साधन था,,,। और यही एक जरिया भी था एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने का,,,।

बेल के पैरों में बंधे घुंघरू और गले में बजी घंटी की आवाज से पूरी सड़क गूंज रही थी,,, हरिया अपने बेल को जोर से हंकारते हुए रेलवे स्टेशन की तरफ ले जा रहा था,,,, क्योंकि स्टेशन पर गाड़ी आने वाली थी और समय पर पहुंच जाने पर सवारियां मिल जाया करती थी जिससे उसका गुजर-बसर हो जाता था,,,, लेकिन आज थोड़ी देर हो चुकी थी इसलिए समय पर पहुंचने के लिए हरिया बेल को जोर-जोर से हंकार रहा था लेकिन उस पर चाबुक बिल्कुल भी नहीं चला रहा था,,,, क्योंकि हरिया के लिए बेल उसकी रोजी-रोटी थी जिसकी बदौलत वह अपने बच्चों का पेट भर रहा था,,,,।


चल बेटा मोती आज बहुत देर हो गई है अगर समय पर हम स्टेशन नहीं पहुंचेंगे तो हमें सवारी नहीं मिलेगी ,,, सवारी नहीं मिली तो पैसे नहीं मिलेंगे पर पैसे नहीं मिले तो तू तो अच्छी तरह से जानता है,,,,, लाला के पैसे चुकाने,, बड़ी बेटी की शादी के लिए जो पैसे दिए थे उसके एवज में, जमीन गिरवी पड़ी है और तुझे भी तो लाला से पैसे उधार लेकर ही खरीद कर लाया हुं,,, और अगर पैसे नहीं कमाऊंगा तो लाला को क्या चुकाऊंगा,,,,
(इतना सुनते ही हरिया का बेल जान लगा कर दौड़ने लगा ,,,)

शाबाश बेटा,,,, एक तेरा ही तो सहारा है ,,,, ऊपर भगवान और नीचे तु,,,, शाबाश मोती यह हुई ना बात,,,, शाबाश बेटा,,,,
(और थोड़ी ही देर में हरिया की बेल गाड़ी स्टेशन के बाहर खड़ी हो गई और हरिया खुद बैलगाड़ी से नीचे उतर कर,,, सवारी लेने के लिए आगे बढ़ चला गाड़ी आ चुकी थी और धीरे-धीरे सवारी स्टेशन से बाहर निकल रही थी,,,, हरिया की किस्मत अच्छी थी जल्द ही उसे सवारी भी मिल गई,,, और सवारी को उसके गंतव्य स्थान पर ले जाने के लिए 8 आना किराया तय किया गया,,,, खुशी-खुशी हरिया उस सवारी का सामान लेकर बैलगाड़ी में रखने लगा,,,)


अरे वाह हरिया तुझे तो सवारी भी मिल गई मुझे तो लगा था कि आज तु नहीं आएगा,,,,,,,(दूसरा बैलगाड़ी वाला जो कि काफी समय से वहीं बैठा था उसे सवारी नहीं मिली थी वह बोला)


अरे कैसे नहीं आता यही तो हमारी रोजी-रोटी है ,,अगर नहीं आएंगे तो फिर काम कैसे चलेगा और तू चिंता मत कर तुझे भी सवारी मिल जाएगी,,,,(उस सवारी के आखिरी सामान को भी बैलगाड़ी में रखते हुए हरीया बोला,,,,, सवारी भी बेल गाड़ी में बैठ गया था,,, और वह बोला,,)


अरे भाई जल्दी चलो देर हो रही है,,,।



हां हां साहब चल रहा हूं,,,(इतना कहने के साथ ही हरिया बेल गाड़ी पर बैठ गया और बैल को हांकने लगा,,,, एक तरफ कोयले का इंजन सीटी बजाता हुआ और काला काला धुआं उगलता हुआ आगे बढ़ने लगा और दूसरी तरफ हरिया का बेल कच्ची सड़क पर अपने पैरों में बंधे घुंघरू को बजाने लगा,,,,,, सवारी और गाड़ीवान का वैसे तो किसी भी तरह से रिश्ता नहीं होता लेकिन फिर भी दोनों के बीच औपचारिक रूप से बातचीत होती रहती है उसी तरह सेहरिया और सवारी के बीच भी औपचारिक रूप से बातचीत हो रही थी ताकि समय जल्दी से कट जाए और अपने गंतव्य स्थान पर जल्द से जल्द पहुंचा जा सके,,,,। हरिया उस सवारी को लेकर उसे गंतव्य स्थान पर पहुंच चुका था और अपने हाथों से उसका सारा सामान उतार कर उसके घर के आंगन में भी रख दिया था और उस से किराया लेकर,,, मुस्कुराते हुए वापस फिर गाड़ी पर बैठ गया और उसे अपने घर की तरफ हांक दिया,,, घर पर पहुंचते-पहुंचते रात हो चुकी थी,,, वैसे तो हरिया को कोई भी बुरी लत नहीं थी केवल बीड़ी पीता था जिसकी वजह से उसे खांसी की भी शिकायत थी,,, 42 वर्षीय हरिया बेहद चुस्त पुस्ट तो नहीं था फिर भी गठीला बदन का जरूर था,,,,,,,

बैलगाड़ी को खड़ी करके उसमें से बेल को अलग करके उसे छोटी सी झोपड़ी में जो की बेल के लिए ही बनाया था उसने काम किया और उसके आगे चारा रख दिया और एक बाल्टी पानी भी,,,।


का बेटा और आराम कर,,,,
(इतना कहकर वह अपने घर के आंगन में खटिया गिरा कर बैठ गया और बीडी निकालकर दिया सलाई से उसे जला लिया और पीना शुरू कर दिया,,,, और अपनी बीवी को आवाज लगाया,,,,)

मधु ओ मधु,,,,, कहां हो एक गिलास पानी लेते आना तो,,,
(इतना कहकर बीड़ी फूंकने लगा,,,, मधु उसकी बीवी का नाम था जो कि 3 बच्चों की मां थी और बड़ी बेटी की शादी भी कर दी थी एक बच्चा 5 साल का था और एक जवान हो रहा था,,,, अपने पति की आवाज सुनते ही रसोई बना रही मधु,,, अपनी ननद गुलाबी को आवाज देते हुए बोली,,, जो की सूखी लकड़ियां लेने के लिए बगल वाले इंधन घर में गई हुई थी,,, मधु की आवाज सुनते ही सूखी लकड़ियों को दोनों हाथों में उठा कर बोली,,,)

आई भाभी,,,(और ईतना कहते ही वह जल्दी से सूखी लकड़ी के पास पहुंच गई और उसे नीचे रखते हुए बोली,,)

लो भाभी आ गई,,,।


अरे आ नहीं गई,,, देख तेरे भैया आए हैं और पानी मांग रहे हैं,,जा जरा एक गिलास पानी दे देना तो,,,,,,


ठीक है भाभी,,,,( और इतना कहने के साथ ही वह एक गिलास पानी लेकर अपने बड़े भाई हरिया के पास आ गई और बोली,,)


लो भैया पानी,,,,


अरे गुलाबी तू,,,,,(इतना कहने के साथ ही बची हुई बीडी को बुझा कर फेंकते हुए पानी का गिलास थाम लिया और बोला,,) मुन्ना कहां है,,,?


वह तो सो रहा है,,,,


और राजु
 
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राजू हरिया का बड़ा लड़का था जो कि जवान हो रहा था,,, लेकिन एकदम भोला भला,,,,,, दिनभर यहां वहां घूमता ही रहता था घर में उसके पैर कम ही टिकते थे,,,,, इसीलिए तो अंधेरा हो चुका था लेकिन अभी तक घर पर नहीं आया था,,,। राजू की चिंता हरिया को हमेशा रहती थी,,, क्योंकि वह जानता था कि उसकी माली हालत इतनी अच्छी नहीं थी कि वह अपने बच्चों की अच्छे से परवरिश कर सके उन्हें पढ़ा लिखा सके लेकिन फिर भी वह उन्हें अच्छा इंसान बनना चाहता था लेकिन इसके विपरीत राजू दिन भर घूमता फिरता रहता था कभी यहां कभी वहां,,,,,, घर का कोई काम भी नहीं करता था,,,, ऐसा नहीं था कि वह अपने मां-बाप की बात नहीं मानता था,,, बस थोड़ा सा लापरवाह जो कि इस उम्र में लगभग सभी लड़के होते हैं,,, पानी का गिलास मुंह से लगाने से पहले हरिया बोला,,,।


गुलाबी तू ही बता क्या करूं इस लड़के का,,,,,,(इतना कहकर वह पानी पीने लगा,,, पानी पीकर पानी का गिलास नीचे रख दिया जिसे गुलाबी नीचे झुककर उठाते हुए बोली,,,)

सब सही हो जाएगा भैया अभी लड़का है खेलने खाने के दिन है,,,


यह तो ठीक है गुलाबी लेकिन अब उसे मेरा हाथ बढ़ाना चाहिए,,,, मेरे साथ रेलवे स्टेशन पर आना चाहिए सवारियां ढोना चाहिए,,, कुछ सीखना चाहिए कल को अगर मैं नारहा तो क्या होगा अगर कुछ सीखा रहेगा तभी तो इस घर की बागडोर संभाल पाएगा,,,,।


ना ,,,,ना,,,, भैया भगवान के लिए ऐसा मत कहो तुमको कुछ नहीं होगा,,,,,,,,
(अपने बड़े भाई की बात सुनकर गुलाबी चिंतित हो गई थी,, उसकी चिंता भरे मुखड़े को देखकर हरिया मुस्कुराता हुआ बोला,,,)


चल पकड़ी इस दुनिया में जो आया है वह तो जाएगा इसमें चिंता करने वाली कौन सी बात है और जा जरा उसे ढूंढ कर तो लिया ना जाने कहां खेल रहा है रात को भी ईसे चैन नही
है,,,,


ठीक है भैया मैं अभी बुला कर लाती हूं,,,,
(इतना कहकर गुलाबी घर से बाहर राजू को ढूंढने के लिए चली गई और हरिया खटिया से उठकर रसोई घर मैं आ गया जहां पर उसकी बीवी मधु खाना बना रही थी,,, हरिया रसोई घर में खड़ा था और मधु चूल्हे के सामने बैठकर रोटियां पका रही थी,,,, गर्मी का मौसम ऊपर से चूल्हे की आंच से मधु का बदन पसीने से तरबतर हो चुका था,,, उसका ब्लाउज पसीने में भीगा हुआ था जिसकी वजह से उसकी गोलाकार चुचियों की निप्पल भीगे हुए ब्लाउज में से बाहर झांक रही थी गर्मी की वजह से मधु भी,,, अपनी साड़ी के पल्लू को कंधे से नीचे गिरा दी थी जिससे उसकी भारी भरकम छातियां एकदम साफ नजर आ रही थी,,, खरबूजे जैसी बड़ी बड़ी गोल चुचियों के बीच की पतली दरार बेहद गहरी और किसी नदी की भांति लंबी नजर आ रही थी,, जिसे देखकर हरिया के मुंह में पानी आ रहा था वैसे तो वह संभोग का आदि बिल्कुल भी नहीं था,,, नहीं किसी के औरत को देखना उसे पसंद था लेकिन अपनी बीवी मधु की खूबसूरती देखते ही उसके तन बदन में हलचल सी होने लगती थी,,,, मधु खाना बनाते समय कपड़ों के मामले में एकदम लापरवाह हो जाती थी,,, वह घुटना मोड़ के नीचे जमीन पर सटाकर और एक पैर को घुटने से मोड़कर बैठी हुई थी जिसकी वजह से उसकी साड़ी घुटनों से ऊपर चढ़ चुकी थी इसलिए उसकी गोरी गोरी मांसल पिंडलिया नजर आ रही थी और अपनी बीवी की गोरी गोरी चिकनी मांसल टांगों को देखकर हरिया के मुंह के साथ-साथ,, उसके लंड में भी पानी आ रहा था जिसकी वजह से उसकी धोती में हलचल होना शुरु हो गया था,,, पसीने की बूंदें उसके माथे से होते हुएकिसी मोती के दाने की तरह उसके गोरे गोरे भरे हुए गाल को छेड़ते हुए उसकी गर्दन से होकर उसकी चुचियों के उभार पर फिसलते हुए ब्लाउज की धारी को भिगो रही थी बालों की लट उलझी हुई थी जिसे वह बार-बार आटा ऊंगलियों से सुलझाने की कोशिश कर रही थी,,, बेहद खूबसूरत और अद्भुत नजारा था इसे देखकर हरिया के दिन भर की थकान दूर हो रही थी,,,। रोटी को बेल कर उसे गर्म तवे पर रखते हुए मधु बोली,,,।


आप यहां क्या कर रहे हैं जी,,,, अभी खाना बनने में थोड़ा समय लगेगा,,, अब खटिया पर बैठ कर इंतजार करिए मैं खाना तैयार कर लेकर आती हूं,,,,।


क्या करती हो सुधा,,,,, दिन भर पैसे कमाने के चक्कर में घर से बाहर रहता हूं तुमसे दूर रहता हूं और यही तो मौका मिलता है तुम्हें जी भर के देखने का वह भी मुझसे छीन ना चाहती हो,,,(ऐसा कहते हुए हरिया वही नीचे बैठ गया और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) दिन भर की थकान तुम्हारा खूबसूरत चेहरा देखते ही दूर हो जाती है,,,

(अपने पति की बातें सुनकर सुधा को शर्म आ रही थी,,, वह शर्मा रही थी और अपने चेहरे को छुपाने की कोशिश कर रही थी,,,, लेकिन हरियाअपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर जैसे किसी गुलाब के फूल को अपनी हथेली में लेता हो इस तरह से अपनी बीवी की खूबसूरत चेहरे को अपने हथेली में लेते हुए बोला,,,)

क्या मधु तीन तीन बच्चों की मां हो गई हो फिर भी मुझसे शर्मारही हो,,,,,,


छोड़ो जी क्या करते हो,,, बच्चे आ जाएंगे,,,,(मधु अपने चेहरे को दूसरी तरफ घुमाते हुए बोली,,,)


अरे कोई नहीं आएगा,,,,(इतना कहते ही जैसे ही वह अपनी बीवी मधु के ब्लाउज पर हाथ रखकर उसकी चूची को दबाया ही था कि आंगन से गुलाबी की आवाज सुनाई दी और वह तुरंत उठ कर खड़ा हो गया,,,।)


देखो भैया राजु आ गया,,,,
(एकाएक गुलाबी की आवाज सुनते ही हरिया सकपका गया था,,, और यही हाल मधु का भी था,,, वह एकदम से शरमा गई थी,,, गनीमत यही थी कि,, गुलाबी ने कुछ देखी नहीं थी,,,, हरिया तुरंत आंगन में आ गया,,,,, और अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर,,,, थोड़ा शांत होता होता हुआ बोला,,,।)

क्या राजू,,,,, यह सब क्या हो रहा है,,,,,,,


कककक,,, कुछ नहीं पिताजी,,,,(राजू घबराते हुए बोला,,,,, राजू अपने पिताजी की बहुत इज्जत करता था और उनसे डरता भी था,,,)


कुछ नहीं क्या दिन भर आवारा लड़कों की तरह घूमते रहते हो,,,, तुम बड़े हो गए हैं तुम्हें तो घर की जिम्मेदारी संभालना चाहिए,,, घर के काम में हाथ बंटाना चाहिए,,,।
( अपने पिताजी की बातों को सुनकर राजू कुछ बोला नहीं बस अपनी नजरों को नीचे झुकाए खड़ा रहा,,,)

देख रही हो गुलाबी अब ये कुछ बोलेगा भी नहीं,,,,


रहने दो भैया समय के साथ सब सीख जाएगा,,,,(गुलाबी राजू का बीच बचाव करते हुए बोली,,,) अभी तो इसके भी खेलने खाने के ही दिन है,,,(राजू के कंधों पर अपने दोनों हाथ रखते हुए उसके पीछे आकर बोली) ,,,,,,,


जाओ जाकर हाथ मुंह धो कर जल्दी से आओ खाना तैयार हो रहा है,,,,।


ठीक है पिताजी,,,(इतना कहकर राजु खुश होता हुआ,, बाहर हाथ मुंह धोने के लिए चला गया,,, तभी मधु खाना बनाकर अपने कपड़ों को ठीक करते हुए बाहर आंगन में आ गई और अपनी साड़ी के पल्लू से अपने माथे के पसीने को पोछते हुए बोली,,,)



आप तो ठीक से डांटते ही नही है,,, तभी तो आवारा की तरह घूमता रहता है,,,।


अब राजू मेरे बराबर हो गया है इस तरह से डांट ना ठीक नहीं है वैसे भी आज नहीं तो कल सब कुछ सीख ही जाएगा,,,,,,


भाभी भैया ठीक कह रहे हैं,,,


हां तुम तो अपने भैया का ही पक्ष लोगी,,,,,
(मधु की बात से गुलाबी मुस्कुराने लगी और उसे मुस्कुराता हुआ देखकर मधु बोली,,,)

चलो जल्दी से खाना परोसने में मेरी मदद करो,,,।



तुम रहने दो भाभी में सबके लिए खाना परोस कर लेकर आती हूं,,,,,, आप भी भैया के साथ बैठ जाओ खाना खाने,,,,
(इतना कहकर गुलाबी रसोई घर में चली गई और मधु मुस्कुराते हुए अपने पति हरिया के पास बैठ गई,,,, हरिया अपनी छोटी बहन गुलाबी को जाते हुए देख रहा था,,, और बोला,,,)


कोई अच्छा सा लड़का देखकर गुलाबी के भी हाथ पीले कर दु तो समझ लो गंगा नहा लिया,,,,,


आप सही कह रहे हो मुन्ना के बाबु,,,,(मधु अपने पति की बातों में सुर मिलाते हुए बोली,,)


वैसे तो मुझे सबसे पहले गुलाबी की शादी करनी चाहिए थी लेकिन हालात ही कुछ ऐसे बन गए थे कि मुझे अपनी बड़ी बेटी की शादी करना पड़ा,,,, उसके विवाह के लिए लिया हुआ कर्ज अभी तक चुका रहा हूं कल लाला को उसके ब्याज के पैसे भी देने जाने हैं,,, लाला का करते चुकाऊ तो गुलाबी के विवाह के लिए पैसे ले लु और वैसे भी बैलगाड़ी का भी कर्जा चुकाना है,,,,(हरिया आंगन में से आसमान को देखते हुए बोली,,,)


तुम चिंता मत करो मुन्ना के बाबू,,, राम सब कुछ पूरा करेंगे,,,,
(इतने में राजू भी आकर वहीं बैठ गया और गुलाबी एक-एक करके सबके आगे थाली रखने लगी,,, और मधु अपने साड़ी के पल्लू को ठीक करने लगी क्योंकि चुचीया कुछ ज्यादा बड़ी होने की वजह से ब्लाउज में से चूचियों के बीच की लकीर कुछ ज्यादा ही बड़ी नजर आती थी,,,, और यही हरिया को बेहद पसंद थी,,,, सब लोग खाना खाने लगे,,और, खाना खाने के बाद सोने की तैयारी करने लगे,,, राजू अपनी बुआ गुलाबी के साथ सोता था और हरिया उसकी बीवी मधु और छोटा लड़का मुन्ना एक साथ सोते थे,,,,,,, गुलाबी जब राजू को लेकर बगल वाले कमरे में जाने लगी तो मधु गुलाबी को आवाज देते हुए बोली,,,)

अरे गुलाबी,,,


क्या हुआ भाभी,,,?


ले आज मुन्ना को अपने पास सुला ले,,, रात को बहुत परेशान करता है और तुम्हारे भैया सो नहीं पाते,,,,


ठीक है भाभी लाइए मुन्ना को मुझे दो,,,(इतना कहते हुए गुलाबी मुन्ना को अपनी भाभी की गोद में से अपनी गोद में ले ली,,, और कमरे में चली गई राजू को नींद आ रही थी इसलिए चारपाई पर पडते ही वह सो गया,,, गुलाबी को नींद नहीं आ रही थी,,,, क्योंकि वह मुन्ना को अपने पास सुलाने का मतलब अच्छी तरह से जानती थी,,,,

दूसरी तरफ हरिया मधु से बोला,,,,)


बड़ी सफाई से बहाना करके तमन्ना को गुलाबी के पास सोने के लिए भेज देती हो,,,


तो क्या मुन्ना को गुलाबी के पास ना भेजु तो और क्या करूं,,,


चलो ठीक है लेकिन जिस काम के लिए मुन्ना को उसकी बुआ के पास भेजी हो वह काम शुरु तो करो,,,,(हरिया चारपाई पर लेटता हुआ बोला,,,)

मुझे शर्म आती है जी,,,,(मधु शर्म के मारे अपने हाथों से अपने चेहरे को ढंकते हुए बोली,,,)

अरे मुझसे क्या शर्माना,,, चलो जल्दी करो कपड़े उतारो,,,,


आप कहते हो तो उतारती हूं वरना तो मुझे तो नींद आ रही थी,,,,(इतना कहने के साथ ही है मधु अपने हाथों से अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,,, उत्तेजना के मारे उसकी सांसे भारी हो चली थी,,,,, उसका खुद का मन चुदवाने के लिए कर रहा था क्योंकि रसोई में हरिया ने अपनी हरकत की वजह से उसको उत्तेजित कर दिया था,,, देखते ही देखते मधु अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अपने ब्लाउज को उतार फेंकी,,,हरिया की नजर जेसे ही अपनी बीवी के भारी भरकम गोल गोल खरबूजे जैसे चुचियों पर पड़ी उसके मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ गया और वह अपनी धोती खोलने लगा,,,, मधु को अपने पति का खड़ा लंड देखने की इच्छा हो रही थी अच्छी तरह से जानती थी कि ईतनी देर में उसके पति का लंड खड़ा हो गया होगा,,,


वह जल्दी जल्दी अपनी साड़ी भी उतार कर नीचे फेंक दी,,, अब वह अपने पति की आंखों के सामने केवल पेटीकोट में खड़ी थी,,, हरिया पूरी तरह से मस्त हो चुका था वह अपनी धोती खोल चुका था उसका लंड आसमान की तरफ मुंह उठाए खड़ा था,,, हरिया अपना एक हाथ आगे बढ़ाते अपनी बीवी के पेटीकोट की डोरी को खींच दिया जिससे मधु को बिल्कुल भी संभलने का मौका नहीं मिला और उसकी पेटीकोट उसकी कमर से नीचे उसके पैरों में जाकर गिर गई,,, हरिया के साथ-साथ मधु की पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी तीन तीन बच्चों की मां होने के बावजूद भी मधु एकदम खूबसूरत और गठीला बदन की मालकिन थी क्योंकि अभी भी वह खेतों में सारा काम अकेले ही करती थी,,,, मधु के नंगे बदन को देख कर हरिया के मुंह में पानी आ रहा था उससे रहा नहीं गया और वह खुद अपने हाथों को आगे बढ़ाकर मधु के कमर को थाम लिया और उसे अपने ऊपर चारपाई पर खींच लिया,,, मधु का मखमली खूबसूरत बदन उत्तेजना से तप रहा था,,, हरिया तुरंत उसे अपनी बाहों में भर लिया जैसे कि कहीं वह भागी जा रही हो,,, मधु भी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी वह भी अपनी पती को अपनी बाहों में लेकर चूमना शुरु कर दी,,,।
हरिया अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हुए असली बीवी मधु को तुरंत अपनी बाहों में लिए हुए ही पलटी मार दिया और उसे नीचे और खुद ऊपर आ गया,,,,,, दोनों की सांसें बड़ी तेजी से चल रही थी,,,,,, पल भर में ही मौसम की गर्मी और बदन की तपन से मधु पसीने से तरबतर हो गई,,,, पसीने में तर बतर मधु का खूबसूरत बदन और भी ज्यादा मादक और उत्तेजक लग रहा था,,,,,,,, हरिया पूरी तरह से बाजी अपने हाथों में ले लिया था,,, वैसे भी बिस्तर पर मर्दों की अगुवाई ही ज्यादा मायने रखती है,,,,,,

दिन भर की थकान वह अपनी बीवी की चुदाई करके मिटाना चाहता था,,,, पसीने से तरबतर चुचीया हरिया के हाथों में ठीक से समा नहीं पा रही थी,,। बार-बार उसकी हथेली फिसल जा रही थी मानो किसी टेकरी को पकड़ रहा हो,,,, फिर भी हरिया बड़े जोर लगाकर मधु की चूचियों को दबा रहा था और मधु को बहुत मजा आ रहा था,,।
मधु के लिए यही एक पल होता था जब वह पूरी तरह से खुल जाती है और अपनी जिंदगी का भरपूर आनंद लुटती थी,,, हरिया पागलों की तरह अपनी बीवी की चुचियों को मुंह में भर कर पी रहा था मधु की सिसकारी कमरे में गूंजने लगी थी,,,, हरिया का खड़ा लंड बार-बार मधु की जांघों के लिए रगड़ खा जा रहा था,,। जिससे मधु की आनंद और तड़प दोनों बढ़ जा रही थी,,।
अब दोनों से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था इसलिए हरिया अपनी बीवी की दोनों टांगों को फैला कर अपनी खड़े लंड को उसकी बुर में डाल दिया और अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया मधु चुदाई से पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,, वह भी गर्म सिसकारी के साथ अपने पति का पूरा साथ दे रही थी,,, हरिया कमर हिलाता हुआ अपनी बीवी को चोद रहा था,,,। मधु के मुंह से उसकी गरम सिसकारी बड़ी तेजी से निकल रही थी,,,मधु इस बात से पूरी तरह से बेखबर थी कि उसके बाजू वाले कमरे में उसकी ननद गुलाबी उसकी गरम सिसकारियां को सुन रही है राजु और मुन्ना दोनों सो चुके थे,,,लेकिन गुलाबी अच्छी तरह से जानती थी कि आज रात क्या होने वाला है इसलिए उसकी आंखों में नींद नहीं थी,,, यह उसके लिए पहली बार नहीं था,,। आए दिन उसे उसके भैया भाभी की गरम आवाजें सुनाई देती थी जिसे सुनकर वह गर्म हो जाती थी क्योंकि उसकी भी शादी की उम्र हो चुकी थी जवान हो चुकी थी उसके तन बदन में भी भावनाएं जोर मारने लगी थी उसकी जवानी बदन में चीकोटी काटने लगी थी,,,। इसलिए तो अपनी भाभी की चुदाई की गरमा गरम आवाज सुनकर उसने भी अपनी सलवार की दूरी को खोल कर उसने अपना हाथ डाल दी थी और अपनी उंगली को अपनी गुलाबी बुर की छेंद में डालकर उसे छेड़ रही थी,,,,

दूसरी तरफ हरिया पूरा जोर लगा दिया था अपनी बीवी को चोदने में,,, और थोड़ी देर बाद दोनों हांफने लगे,,,, दूसरी तरफ गुलाबी का भी पानी निकल गया,,, हरिया और मधु नग्न अवस्था में ही एक दूसरे की बाहों में चारपाई मैं गहरी नींद मे सो गए,,,
 
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सुबह जब हरिया कि नींद खुली तो उसकी बीवी उसकी बाहों में थी एकदम नंगी,,,,,,, उसकी बड़ी बड़ी दूध से भरी हुई चूचियां उसकी चौड़ी छाती में अठखेलियां कर रही थी,,,,, मधु की खूबसूरत मासूम चेहरे को देखकर हरिया को उस पर बहुत प्यार आ रहा था और वह उसके माथे को चूम लिया,,, सुबह का समय था पक्षियों के कलरव की आवाज से पूरा शमा गूंज रहा था,,,,,,प्राकृतिक रूप से सुबह का समय होने की वजह से और बाहों में खूबसूरत बीवी के खूबसूरत नंगे बदन की गर्मी के कारण हरिया का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,,,,,,, एक बार फिर से हरिया का ईमान डोल गया था हालांकि वह सुबह सुबह कभी भी इस तरह की हरकत करता नहीं था लेकिन,,,आज उसके ऊपर मधु के खूबसूरत जिस्म का नशा सवार हो चुका था,,,,, वह अपने सीने में चुप रहे अपनी बीवी की खूबसूरत बड़ी-बड़ी चूचियां की निप्पल को थोड़ा सा नीचे झुककर अपने मुंह में भर लिया उसे चूसना शुरू कर दिया,,,,, ,,,मधु अभी भी पूरी तरह से गहरी नींद में थी इसलिए उसे ऐसा एहसास हो रहा था कि उसका छोटा बेटा उसका दूध पी रहा है इसलिए बोला आराम से लेटी रही,,,, और हरिया अपनी बीवी की चूची पीने में पूरी तरह से मस्त हो चुका था,,,,यही एक पल ऐसा होता था जब हरिया अपने सारे दुख-दर्द लाचारी बेबसी को भूल जाता था और इस पल को पूरी तरह से जीने में जुट जाता था,,,,,,,,, और यही हकीकत है दुनिया के हर मर्द का यही हाल होता है चाहे कितना भी दुख सर पर हो लेकिन बिस्तर में वह सब दर्द दुख भूल जाते हैं जब उनकी बाहों में उनकी खूबसूरत बीवी या कोई खूबसूरत औरत होती है,,, अगर बिस्तर में भी मर्द संभोग के लिए लालायित ना हो तो समझ लो वास्तव में वह इंसान कुछ ज्यादा ही परेशान हैं या तो उसमें संभोग करने की शक्ति नहीं है,,,,,,।


लेकिन हरिया ऐसे मर्दों ने से बिल्कुल भी नहीं था दिन भर वह एक बेहद अच्छा इंसान बना रहता था लेकिन रात को बिस्तर में अपनी बीवी के साथ एक असली मर्द का रुप धारण कर लेता था,,, और उसकी बीवी भी बिस्तर में उससे इसी तरह की उम्मीद रखती थी जिस पर वह पूरी तरह से खरा उतरता था और यही कारण था कि मधु गांव की और गांव के चारों तरफ के पास पड़ोस वाले गांव की औरतों में सबसे ज्यादा खूबसूरत और मादक बदन वाली औरत थी ,,, जिसके पीछे गांव के सारे मर्द लार टपकाए घूमते रहते थे लेकिन मधु ने आज तक किसी गैर मर्द की तरफ आंख उठाकर नहीं देखी थी और ना ही किसी मर्द को अपने पास भी भटकने दी थी,,, वह पूरी तरह से अपने पति की वफादार थी एकदम पतिव्रता,,,,,,,,, दूसरे मर्दों का नाम लेना भी उसके लिए पाप था,,,,,,।

इसीलिए तो हरिया अपनी बीवी को भरपूर सुख देते हुए उसकी लाजवाब खरबूजे जैसी गोल गोल चुचियों को बारी-बारी से मुंह में भर कर पी रहा था,,,,,,,, हरिया भी जैसा रात को सोया था वैसा ही था एकदम नंगा,,वह, एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर धीरे धीरे सहला रहा था एक तरह से वह अपनी बीवी की बुर में लंड डालने के लिए अपने लंड को तैयार कर रहा था जो कि पहले से ही तैयार खड़ा था,,,,,,,

गर्मी के मौसम में सुबह की चलती शीतल हवा से बदन में ठंडक में भर देती थी लेकिन हरिया के साथ ऐसा बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि खटिया में वह अपनी खूबसूरत बीवी के साथ था और वह भी एक दम नंगा,,, जिसकी गर्म जवानी की तपन से सुबह के ठंडक में भी उसके माथे से पसीने छूटने लगे थे,,,,,, सुबह की पहली किरण धरती पर अपनी आभा बिखेरे इससे पहले हरिया अपनी जगह बना लेना चाहता था इसलिए अपने हाथों से निद्राधीन मधु को सरका कर पीठ के बल लेटाते हुए तुरंत उसकी मोटी मोटी जांघों के बीच आ गया,,,मधु पूरी तरह से नींद में थी लेकिन फिर भी हरिया की कामुक हरकत की वजह से उसकी गुलाबी बुर से ओस की बूंदे टपकना शुरू हो गई थी,,,, हरिया अपनी जगह बना चुका था वह एक नजर अपनी बीवी के खूबसूरत चेहरे की तरह डाला वह अभी भी पूरी तरह से नींद में थी उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह छातियों पर लोट रही थी,,,,,, उसकी गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियां हल्की सी अपनी पंखुड़ियों को खोले हुए थी,,, जिसके बीच मधु का गहरा छेद नजर आ रहा था और ऐसा लग रहा था कि मानो जैसे वह खुद हीअपने पति के मोटे लंबे लंड को अपने अंदर आने के लिए आमंत्रित कर रही हो,,,,,,

अपनी बीवी की रसीली बुर को देखकर हरिया के मुंह में पानी आ रहा था,,, और वह ढेर सारा थूक अपने लंड के सुपाड़े पर लगाकर उसे अपनी बीवी के बुर के गुलाबी छेद पर जैसे ही लगाया वैसे ही मधु की नींद खुल गई,,,, पहले तो वह एकदम से घबरा गई कि कौन उसके ऊपर चढ़ा हुआ है,,, जैसे ही उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसका पति उसे चोदने जा रहा है तो वह उसे रोकते हुए बोली ,,,।


हाय दैया यह क्या कर रहे हो जी,,,,


देख नहीं रही हो रानी मैं तुम्हें चोदने जा रहा हूं,,,,(हल्का सा मुस्कुराता हुआ हरिया बोला,,,,)


नहीं नहीं ये कोई समय है देख नहीं रहे हो सुबह हो रही है,,,


तो क्या हुआ मेरी रानी,,,, क्या सुबह-सुबह औरत को चोदा नहीं जाता,,,



अरे सब के उठने का समय हो गया है यह समय ठीक नहीं है यह सब काम के लिए,,, आप उठ जाइए और मुझे भी उठने दीजिए कपड़े भी नहीं पहने हैं,,,।


यह सब काम के लिए कपड़े पहनना जरूरी नहीं होता उसे उतारना जरुरी होता है,,,,


नहीं नहीं मैं कुछ सुनना नहीं चाहती आप उठिए,,,,।



पागल हो गई हो मेरी रानी,,, मयखाने में आकर शराब ना पिया जाए ऐसा कभी हो सकता है,,,।


अरे मैं तुम्हारी बीवी हूं कोई शराब की दुकान नहीं,,,


शराब की दुकान ही हो,,, रानी तुम्हारे बदन के कोने कोने में शराब का नशा है जिसे पी लेने के बाद और कोई नशे की जरूरत नहीं होती,,,।


बातें बनाना तो कोई आपसे सीखे,,अब, बस करिए मुझे उतनी दीजिए,,,, बहुत काम पड़ा है,,,।


कर लेना मुन्ना कि मां,,,,(इतना कहते ही हरिया ने अपनी कमर को जोर से झटका दिया,,, और उसका मोटा तगड़ा लंड गच्च आवाज के साथ पूरा का पूरा मधु की बुर में समा गया,,, मधु ईसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी,,, इसलिए वह दर्द से चिल्ला उठी,,,)

हाय दैया मर गई रे,,,,,आहहहहह,,,, दुखने लगा है जी,,,


अरे धीरे से नहीं तो राजु और गुलाबी जाग जाएंगे,,, प्रतिदिन बच्चों की मां हो गई है लेकिन फिर भी अभी भी दुखता है,,,।


तो क्या इतनी जोर से डालोगे तो दुखेगा नही,,,, जल्दी करो नहीं तो गुलाबी जाग जाएगी,,,


जब तक तुम्हें चोद नही लेता तब तक कोई जागेगा नही,,,
( और इतना कहने के साथ ही हरिया अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,, हरिया को बहुत मजा आ रहा था तीन तीन बच्चों की मां होने के बावजूद भी मधु की बुर ढीली नहीं पड़ी थी,,, इसीलिए तो हरिया पूरी तरह से अपनी बीवी पर बावला चुका था मधु भी,,, चुदाई का मजा ले रही थी,,, अपनी नजरों को उठाकर अपनी दोनों टांगों के बीच देख रही थी क्योंकि उसे भी बहुत ताज्जुब होता था जब उसके पति का मौका लंबा लंड बड़े आराम से उसकी बुर के छोटे से छेद में पूरा का पूरा घुस जाता था,,,,हरिया दोनों हाथों से अपनी बीवी के बड़े-बड़े चुचियों को पकड़कर दशहरी आम की तरह दबा दबा कर चोद रहा था,,,, पूरी तरह से अपने आप पर काबू करने के बावजूद भी उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फूट पड़ रही थी,,,,, थोड़ी देर बाद ही हरिया उसके ऊपर ढेर हो गया,,,, दोनों जल्दी से खटिया पर से उठे और अपने अपने कपड़े पहन कर अपने काम में लग गए,,, मधु घर के बाहर जाते जाते गुलाबी के कमरे की सिटकनी खटका कर उसे आवाज देकर चली गई,,, दरवाजे पर सिटकनी की आवाज सुनते ही गुलाबी की नींद एकदम से खुल गई,,,, और जब वह अपने हालात पर गौर की तो एकदम शर्म से पानी पानी हो गई,,,रात को अपने भैया और भाभी की गरमा गरम चुदाई की आवाज सुनकर वह अपनी सलवार की डोरी को खोलकर अपने हाथ से,, उंगली से अपनी बदन की गर्मी को शांत की थी लेकिन वापस सलवार की डोरी को उठा देना भूल गई थी और वह गहरी नींद में सो गई थी जो कि उसकी सलवार उसके घुटनों के नीचे चली गई थी और वह कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी,,,,,, और वह खुद अपने भतीजे राजू को अपनी बाहों में कस के दबा कर सोई हुई थी जिसकी वजह से उसे अपनी दोनों टांगों के बीच कुछ चुभता हुआ महसूस हो रहा था,,, थोड़ा सा उठकर अपनी नजरों को नीचे की तरफ की तो हैरान रह गई क्योंकि उसकी दोनों टांगों के बीच चुभने वाली चीज कुछ और नहीं बल्कि,,,, राजू का लंड था जो कि पजामे में फुल कर तंबू बना हुआ था,,,, पल भर में ही गुलाबी की सांसे तेज हो गई और ऐसा होना लाजिमी था क्योंकि वह पूरी तरह से जवान हो गई थी,,, उसके अंगों का मादक उभार उसकी भरपूर जवानी की गवाही दे रहा था,,,।


उत्तेजना के मारे गुलाबी का गला सूखने लगा था उसकी जिंदगी का यह पहला मौका था जब उसकी दोनों टांगों के बीच किसी मर्दाना अंग का स्पर्श हो रहा था,,,,,,, अपने भतीजे को लेकर गुलाबी के मन में कभी गलत भावना नहीं आ रही थी लेकिन इस समय ना जाने क्यों उसका मन बावरा हुआ जा रहा था,,,, पजामे में बना तंबू,,, राजू के बलिष्ठ अंग को और ज्यादा उभार दे रहा था जिस पर नजर पड़ते ही और उसका रगड़ अपनी दोनों टांगों के बीच महसूस करते ही गुलाबी कि बुर अपने आप गीली होने लगी,,,। सब कुछ जानते हुए भी गुलाबी राजू को अपनी बाहों से आजाद नहीं की थी क्योंकि उसके मर्दाना अंग का रगड़ उसके मखमली अंग पर हलचल पैदा कर रहा था,,,, ना चाहते हुए भी ना जाने क्यों उसके मन में यह खयाल आया किकाश राजू का लंड उसके पजामा से बाहर होता तो वह अपनी खुद की आंखों से उस के नंगे लंड को देख पाते क्योंकि अब तक उसने अपनी जिंदगी में एक जवान लंड को देखी भी नहीं थी,,,,,,, वह ना चाहते हुए भी अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर पजामे के ऊपर से ही राजु के लंड को पकड़ना चाहती थीं उसे छूना चाहती थी लेकिन तभी उसके मन में ख्याल आया कि,,,, कहीं राजु जाति नहीं रहा है और जानबूझकर यह नाटक कर रहा हो,,, जानबूझकर अपने लंड़ को उसकी दोनों टांगों के बीच सटाया हो,,, यह ख्याल आते ही गुलाबी घबरा गई,,, क्योंकि राजू अभी भी उसकी बाहों में था,,, वह बड़े गौर से राजू के चेहरे की तरफ देखने लगी,,,, लेकिन यह उसे ज्ञात हो चुका था कि राजू पूरी तरह से नींद में था,,,,,, और जो कुछ भी हो रहा था उसमें राजू की कोई भी गलती नहीं थी,,, यह शायद उसकी बुर की ही गर्मी की ताकत है कि राजू के लंड को खड़ा कर दी थी,,, ख्याल मन में आते ही गुलाबी के होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,,राजू के पूरी तरह से गहरी नींद में होने की वजह से गुलाबी इस मौके का फायदा उठा लेना चाहती थी वह उसके लंड को छूकर देखना चाहती थीं ,,, और इसीलिए वह अपना हाथ आगे बढ़ा भी चुकी थी लेकिन तभी उसके अंतरात्मा से जैसे कोई आवाज आई हो अपने हाथ को वही रोक ली,,, क्योंकि अच्छी तरह से जानती थी कि जो कुछ भी हो करने जा रही थी वह बिल्कुल गलत था उसके संस्कार के खिलाफ था,,,। इसलिए वहां तुरंत अपने हाथ पीछे ले ली,,, धीरे से राजू को अपने से अलग करके खटिया पर से उठी और अपने सलवार की डोरी को बांधने लगी,,,, उसके बाद राजू को उठाने लगी मुन्ना भी उसके पास में सोया था उसे गोद में उठाकर,,, राजू को उठाई तो वह भी आंखों को मलते हुए उठ गया,,, और गुलाबी मुन्ना को बाहर ले कर चली गई,,,।
 
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हरिया की सुबह बेहद कामुकता भरी थी,,, अपनी प्यास बुझाने के लिए उसके पास खुदका कुंवा था जिसमें से हरदम मधुर रस झरता रहता था उस रस को पाकर हरिया पूरी तरह से तृप्त हो चुका था,,, मधु को लेकर हरिया को अपनी किस्मत पर गर्व भी होता था क्योंकि,,, मधु एकदम रूपवती थी खूबसूरती में उसका मुकाबला कोई नहीं कर सकता था,,,,,,,,, और ऐसी नारी को पत्नी के रूप में पाकर और उसे भोगकर हरिया अपनी किस्मत पर फूला नहीं समा रहा था,,, रात को चांदनी में भीगी हुई बीती ही थी लेकिन सुबह सुबह ही उसकी बीवी ने चुदाई का सुख देकर चार चांद लगा दी थी,,,।
सुबह-सुबह मधु नित्य क्रिया से निपट कर रसोई में जुट गई थी और गुलाबी पूरे घर की सफाई कर रही थी,,,,,, और आंगन में हरिया खटिया पर बैठा हुआ नीम का दातुन अपने दांतो पर घीस रहा था,,, उसके ठीक सामने नीचे झुक कर गुलाबी झाड़ू लगा रही थी जिसकी वजह से ,,, जिससे उसके दोनों नारंगीया,,, कुर्ती में से बाहर की तरफ झलक रहे थे अनजाने में ही हरिया की नजर अपनी बहन के कुर्ती के अंदर तक पहुंच गई,,,, हरिया अपनी बहन की चूची को देखते ही एक दम दंग रह गया,,, गुलाबी की चुचियों का आकार नारंगी जितना ही था जिसकी वजह से उसकी चूचियों के दोनों निप्पल छुहारे की तरह नजर आ रहे थे हरिया के लिए यह पहला मौका था जब वह पहली बार अपनी बहन गुलाबी की चुचियों को देख रहा था,,। पल भर में ही उत्तेजना से गनगना गया,,,,,,,गुलाबी इस बात से पूरी तरह से बेखबर कि उसके भाई की नजर उसके कुर्ती के अंदर है वह उसी तरह से अपने में मगन होकर झाड़ू लगा रही थी,,। लेकिन हरिया अपने आप को संभाल लिया वह जानता था कि अपनी बहन की चुचियों को देखकर उसके मन में जिस तरह की भावना पैदा हो रही है वह बिल्कुल गलत है इसलिए वह अपनी नजरों को दूसरी तरफ घुमा लिया,,,,,,,,,, वाह अपना सारा ध्यान दातुन करने में लगाने लगा लेकिन नजरों के आगे बेबस होकर एक बार फिर उसकी नजर इसी तरह चली गई जहां पर उसकी बहन झाड़ू लगा रही थी और इस बार-बार झुकी हुई थी जिसकी वजह से उसकी गोलाकार गांड भरकर सलवार के बाहर नजर आ रही थी,,,,,,गुलाबी की उभरी हुई गांड गुलाबी की गदराई जवानी की निशानी थी,,, ,,, यह नजारा हरिया के होश उड़ा रहा था गुलाबी की मदहोश कर देने वाली जवानी को देख कर हरिया समझ गया था कि उसकी बहन पुरी तरह से जवान हो चुकी है,,,। शादी की उम्र निकली जा रही है ऐसे में उसे भी एक मोटे तगड़े लंड की जरूरत है जो उसकी गदराई जवानी को पूरी तरह से अपने हाथों में समेट सके उसे भरपूर प्यार दे सके उसकी जवानी को तृप्त कर सके और,,,, यह सोचकर ही हरिया का लंड खड़ा होने लगा था,,और अपने खड़े होते लंड पर गौर करते ही उसके होश उड़ गए और जैसे अपने ही बात को काटते हुए अपने मन में बोला,,,।


नहीं नहीं यह क्या सोच रहा है यह बिल्कुल गलत है,,, ऐसा सोचना भी पाप है,,,छी,,,,, ऐसी गंदी बात उसके दिमाग में आई कैसे,,,,,,,
(इस तरह की गंदी बात को सोचकर हरिया का होश उड़ गया था वह कभी सपने में भी अपनी बहन के लिए इतने गंदे विचार अपने मन में नहीं आया था लेकिन आज उसे क्या हो गया था,,,इस तरह के विचार भी अपने मन में लाने के लिए उसके संस्कार उसे गवाही नहीं दे रहे थे,,,, अपनी नजरों को कोसने लगा और तुरंत वहां से उठ कर चला गया,,,, वह हाथ में धोकर खाने के लिए भी नहीं रुका और बैलगाड़ी को लेकर सवारी ढूंढने के लिए निकल गया,,, मधु उसे रोकने की कोशिश भी की लेकिन वह जल्दबाजी में होने का बहाना करके निकल गया,,,,,।


दूसरी तरफ झाड़ू मारते समय गुलाबी के मन में भी अजीब अजीब से ख्याल आ रहे थे रात को जिस तरह की आवाज उसके कानों में पड़ती है उसके बारे में सोच कर गुलाबी की दोनों टांगों के बीच हलचल सी हो रही थी और उसे खुद अपनी बुर में से रिसाव होता हुआ महसूस हो रहा था,,,।
झाड़ू लगाते समय अपनी भाभी की तरफ देख रही थी जो कि रोटियां बेल रही थी,,,, अपनी भाभी का भोला और मासूम चेहरे को देखकर गुलाबी सोचने लगी कि,,,, क्या यह वही औरत है जो रात को अपने आप पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पाती और गरमा गरम सिसकारी की आवाज निकालती है,,,,गुलाबी अपने मन में यही सोच रही थी कि उसकी भाभी के भोले भाले मुखड़े को देखकर रात में वह कैसी होगी ,,,, बिस्तर पर क्या गुल खिलाती है,,,,इसका अंदाजा नहीं लगा सकता,,,, गुलाबी को अपनी भाभी की गरमा गरम सिसकारी की आवाज बेचैन कर देती थी,,,उसे एक तरह से अपनी बातें कि इस तरह की कर्मा कर्म से शिकारियों की आवाज सुनने में मजा भी आने लगा था और वह अपने मन में ही अपनी भैया और भाभी को लेकर ना जाने कैसे-कैसे कल्पना ओ को एक नया ढांचा देती रहती थी,,,, वैसे तो उसे अपने भाई को देख कर भी ऐसा कभी नहीं लगा था कि,,, बिस्तर पर उसका भाई उसकी भाभी की चीखें निकाल देगा,,, क्योंकि उसका भाई बेहद भोला भाला और शरीफ इंसान था जो कभी भी किसी और को गलत नजरों से कभी नहीं देखा लेकिन उसकी भाभी की गरमा गरम सिसकारी और उसकी आह की आवाज गुलाबी की सोच को बदल कर रख दिया था,,,,उसे पूरा यकीन हो गया था कि उसका भाई बिस्तर पर उसकी भाभी की जवानी को नीचोड़ कर रख देता है,,,। झाड़ू लगाते हुए वह अपने मन में यह सोचने लगी कि उसके भाई का लंड कैसा होगा,,,कितना बड़ा होगा कितना मोटा होगा इस बात का अंदाजा लगाना गुलाबी के लिए बेहद मुश्किल काम था क्योंकि अब तक उसने एक जवान मर्दाना लंड को अपनी आंखों से देखी भी नहीं थी,,,, बस केवल आज ही सुबह सुबह उसकी चुभन को अपनी दोनों जांघों के बीच महसूस की थी,,, और अभी अपने भतीजे के,,,,, उस समय राजू कैलेंडर को देखने की कामना उसके मन में प्रज्वलित तो हुई थी लेकिन वह अपने आप को संभाल ले गई थी,,,,,, लेकिन इस समय उसके मन में मन मंथन सा चल रहा है वह अपने भाई की मांग को लेकर दुविधा में थे उसके आकार को उसकी लंबाई को उसकी मोटाई को लेकर पूरी तरह से दुविधा में थी,,,,,अपने मन में यही सोच रही थी कि उसके भाई का लैंड कुछ ज्यादा ही मोटा तगड़ा लंबा होगा तभी तो उसकी भाभी की चीख निकल जाती थी,,,,,,लेकिन गुलाबी यह सोच कर हैरान थी कि उसकी भाभी को मजा आता भी होगा या नहीं क्योंकि इस बात को वह बिल्कुल भी समझ नहीं पा रही थी कि उसकी भाभी की तो चीख निकल जाती थी सिसकारी की आवाज अलग से इसी आवाज को लेकर दुविधा में थी,,,और यह सवाल और किसी से पूछ भी नहीं सकती कि अपनी भाभी से भी नहीं क्योंकि उसे बहुत शर्म आती थी,,,। वह उसी तरह से झाड़ू लगाती रही,,,,।

खाना तैयार हो चुका था,,, मुन्ना भी पड़ोस के बच्चों के साथ खेल रहा था,,, और राजू उठने के साथ ही अपने दोस्तों के साथ खेलने के लिए भाग गया था,,,,,,


गुलाबी मैं नदी पर जा रही हूं नहाने और कुछ कपड़े भी धोने है,,, तुम्हारे कपड़े हो तो लाओ मुझे भी दे दो मैं उसे भी धो दूंगी,,,,(एक बाल्टी और लोटा साथ में कपड़ों का ढेर अपने हाथ में लटकाए वह जाने के लिए तैयार थी कि तभी गुलाबी भी बोली,,,)


मुझे भी नहाने चलना है भाभी रुको मैं अभी आती हूं,,,
( और थोड़ी ही देर में गुलाबी भी अपने कपड़ों को लेकर आ गई और दोनों भाभी और ननद नदी की तरफ जाने लगी,,, अक्सर गांव की औरतें नहाने के लिए नदी पर ही जाया करती थी,,,,,, और यही गुलाबी और मधु का भी नीति क्रिया थी,,,,,, मधु को राह में चलते हुए देखना भी एक मादक सुख के बराबर ही था,,, इसीलिए तो जबकि वहां नदी की तरफ जाती थी तो गांव के हर मर्दों का ताता से लग जाता था उसे चलते हुए देखने के लिए क्योंकि जब वह चलती थी तो उस की गदराई गांड की लचक गांव के मर्दों के मन में लालच सी भर देती थी,,, मधु की मटकती गांड को देखकर सब के मुंह में पानी आ जाता था,,,, और तुरंत ही पजामे में तंबू सा बन जाता था,,,गांव के मर्द बिस्तर पर अपनी बीवी के साथ अवस्था में भी उत्तेजना का अनुभव ना करते हो जितना कि मधु को चलते हुए देखकर उसकी गदराई गांड को देखकर उत्तेजित हो जाते थे उसके मांसल चिकनी कमर के कटाव को देखकर जिस तरह से कामोत्तेजना का अनुभव करते थे शायद ही उस तरह की उत्तेजना वह अपनी बीवी के साथ महसूस करते हो,,, क्योंकि मधु की बड़ी-बड़ी गोलाकार गगराई गांड को देखते ही उनके परिजनों में हलचल सी होने लगती थी और उसने तुरंत असंभव भी बन जाता था शायद मधु की चौड़ी गांड में उन्हें अपना मुंह मारने की इच्छा करती थी,,।वह लोग अपने मन में यही कल्पना करते थे कि मधु जब अपने कपड़े उतार कर नंगी होती होगी तो स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लगती होगी,,,, उसके बदन के हर एक अंग के बारे में कल्पना करते रहते थे,,,, हालांकि नजरों के पारखी कमर से बंधी हुई कसी साड़ी में से झांकते हुए उसके नितंबों के उभार को देख कर समझ जाते थे कि साड़ी के अंदर बवाल मचाने वाला सामान है,,, छातियों की चौड़ाई और उसका उभार उसकी मदमस्त कर देने वाली गोलाईयो को अपने आप ही प्रदर्शित करती थी,,, जिसे देखकर हर मर्द की आह निकल जाती थी,,,, साड़ी की किनारी जरा सी बगल में हो जाते ही बेहद आकर्षक नाभि और उसकी गहराई छोटी सी बुर से कम नहीं लगती थी,,,। जिसमे अपनी जीभ डालकर ओस की बूंद के सामान पसीने की बुंदो कि ठंडक को अपने अंदर उतारने को हर किसी का मन ललचता रहता था,,। सब मिलाकर मधु गांव के लिए स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा से कम नहीं थी जैसे भोगने की कल्पना गांव का हर एक मर्द करता रहता था और उसे याद करके उसकी मादक कल्पना में अपने आप को रचाते हुए मुट्ठ मारा करता था,,,।


सड़क पर चलते हुए मधु को भी इस बात का अहसास अच्छी तरह से था कि सभी मर्दों की नजर उस पर ही टिकी रहती थी,,, आते जाते सब की प्यासी नजर उसके अंगों पर ही टिकी रहती थी शुरु शुरु में मधु इन नजरों से बचने की पूरी कोशिश करती थी उसे शर्म महसूस होती कि उसे डर भी लगता था लेकिन धीरे-धीरे आदत सी बन गई थी,,, इसलिए वह अपनी ही मस्ती में आती जाती थी,,,।
देखते ही देखते दोनों भाभी और ननद नदी पर पहुंच गए थे,,,।
 
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मधु और मधु की ननंद गुलाबी दोनों नदी पर पहुंच चुकी थी,,,,,, गांव की नदी बहुत खूबसूरत थी 12 महीने अपनी एक ही लय में बहती रहती थी,,, चारों तरफ फैली हरियाली नदी की सुंदरता को और ज्यादा बढ़ा देती थी,,,,। बड़े बड़े घने पेड़ों पर बसर करती पंछियां अपनी मधुर आवाज से वातावरण को और ज्यादा खूबसूरत बना देती थी,,,। गांव की है नदी केवल खेती और प्यास बुझाने का साधन भर नहीं थी बल्कि,, यह नदी कामुकता के भी दर्शन कराती थी,,, गांव की औरतों का झुंड दोपहर तक इस नदी पर हमेशा बना रहता था यहीं पर औरतें कपड़े धोती थी और नहाती भी थी,,,,,, उनके बदन पर के वस्त्र नहाते समय उनकी खूबसूरती को और ज्यादा निखारते और उभारते थे,, गांव के मर्द उनके बदन के इसी उभार को देखने के लिए लालायित रहते थे और किसी ने किसी बहाने नदी पर पहुंच ही जाते थे,,,औरतों को यह बात अच्छी तरह से मालूम रहती थी लेकिन क्या करें वह लोग भी मजबूर थी कुछ औरतें शर्म महसूस करती थी और कुछ औरतें जानबूझकर अपना सब कुछ दिखाती थी,,,,,,,।


गुलाबी और मधु दोनों नदी पर पहुंचकर एक अच्छी सी जगह ढूंढने लगी और बड़े से पत्थर के पीछे होने चका भी मिल गई वहां पर दूसरी कोई औरत नहीं थी,,,।


चल गुलाबी उस पत्थर के पीछे चलते हैं,,,(मधु उंगली के इशारे से बड़े पत्थर के पीछे इशारा करते हुए बोली,,,)

हां भाभी वह जगह ठीक रहेगी ,,,( गुलाबी भी अपनी भाभी के सुर में सुर मिलाते हुए बोली,,,,,, इतना सुनते ही मधु आगे-आगे बड़े-बड़े पत्थर पर इधर-उधर पैर रखते हैं नीचे उतरने लगी और उसकी इस टेढ़ी-मेढ़ी चाल की वजह से उसकी भारी-भरकम भरावदार गांड पानी भरे गुब्बारे की तरह ऊपर नीचे होने लगी,,, जिसे देखकर मर्दों के मुंह में तो पानी आता ही था लेकिन गुलाबी के भी मन में हलचल सी मच ने लगी,,,, गुलाबी भी अपनी भाभी की बड़ी-बड़ी गांड की दीवानी थीक्योंकि एक औरत होने के नाते वह भी अच्छी तरह से यह बात जानती थी कि औरतों की खूबसूरती में उसकी गोल-गोल बड़ी गांड ही चार चांद लगाती है,,,, जो कि उसकी भाभी के पास भरपूर था,,,, आगे आगे चलती हुई अपने भाभी की मदमस्त चाल के साथ उसकी भारी-भरकम गांड की तुलना अपनी गांड से मन ही मन करने लगी जो कि किसी भी मामले में उसकी भाभी की गांड से बिल्कुल भी जोड़ नहीं मिला पा रही थी,,,,,,,,, इस बात को वह समझ नहीं पा रही थी कि आखिरकार उसकी गांड उसकी भाभी से छोटी क्यो है,,,इसका कारण उसे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था जिसका एक ही कारण था कि वह शादीशुदा नहीं थी और संभोग सुख से एकदम अनजान थी,,,, उसके बदन पर उसके अंगों परउसके मखमली कोमल अंगों के अंदरूनी दीवारों पर मर्दाना अंग की रगड़ अभी तक नहीं हुई थी,,, और अगर गुलाबी भी यह शख्स प्राप्त कर लेती तो शायद उसके बदन में भी भराव आना शुरू हो जाता क्योंकि शादी होने के बाद से ही औरतों के बदन में उनके अंगों में भराव आना शुरू हो जाता है,,,, और इसी बात से अनजान थी,,,,।


मधु बड़े सहूलियत से और सलीके से एक हाथ में कपड़ों का ढेर लिएऔर दूसरे हाथ में बाल्टी लिए होने के बावजूद भी उसी हाथ से अपनी साड़ी को कमर से पकड़ कर हल्के से उठाए हुए थी,,, जिससे उसके बदन की कामुकता और अंगों की खूबसूरती और ज्यादा पर जा रही थी उसकी गोरी गोरी चिकनी और उसकी मांसल पिंटिया साफ नजर आ रही थी जिसे देखने वाला इस समय उस जगह पर कोई भी नहीं था,,, क्योंकि वह दोनों एक बड़े पत्थर के पीछे की तरफ जा रही थी जहां पर किसी की नजर नहीं पहुंच पाती थी,,, लेकिन गुलाबी अपनी आंखों से देख कर मन ही मन अपनी भाभी से ही ईर्ष्या कर रही थी,,,,,,,,, अपनी भाभी के कदमों का पीछा करते हुए गुलाबी भी जहां जहां पर मधु कदम रख रही थी वहां वहां पर वादी कदम रखकर आगे बढ़ रही थी वह देखते देखते दोनों बड़े से पत्थर के पीछे एक सुरक्षित जगह पर पहुंच गए थे जहां पर आराम से नदी के पानी में नहाया भी जा सकता था और कपड़े भी धोया जा सकता था ,,,,,,,


मधु वहां पहुंचते ही कपड़े के ढेर को बड़े से पत्थर पर रख दी और बाल्टी को भी नीचे रख दी,,, और बोली,,,।


पहले कपड़े धोलु तब नहाऊंगी,,,(और इतना कहने के साथ ही नीचे बैठ गई,,,)



लाओ में भी मदद कर देती हूं,,,(और इतना कहकर वह भी नीचे बैठ गई,,,, दोनों भाभी और ननद गंदे कपड़ों को धोने लगे,,,,,,गुलाबी के मन में ढेर सारे सवाल पैदा हो रहे थे जो कि अपने भाभी से पूछना चाहती थी लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी क्योंकि उसने अभी तक अपनी भाभी से उस तरह के मजाक कभी नहीं की थी,,, लेकिन अब उसका मन करने लगा था कि वह भी अपनी भाभी से गंदे गंदे मजाक करें क्योंकि वह देती थी कि गांव में,,,दूसरी ननदे अपनी भाभियों से गंदे गंदे मजाक करती रहती थी,,। लेकिन शुरू कैसे किया जाए यह उसे समझ में नहीं आ रहा था,,,।,,, दोनों भाभी और ननद अपनी दोनों टांगों को फैला कर उसने अपना सिर डालकर नजरें नीचे झुका कर कपड़ों को धो रही थी जिसकी वजह से मधु की खरबूजे जैसी चूचियां ब्लाउज से बाहर आने के लिए उतावली हो गई थी,,,, जिसे देखकर गुलाबी की भी हालत खराब हो रही थी,,,, गुलाबी कुछ बोलना चाहती थी लेकिन बोल नहीं पा रही थी,,,, मैं तो उसी तरह से कपड़ों को मलमल कर दो रही थी जिसकी वजह से हाथ को आगे पीछे करने की वजह से उसकी गोल-गोल चूचियां आपस में रगड़ खा रही थी,,,,। चुचियों का घेराव कुछ ज्यादा था और क्लाउड छोटा इसे देखकर गुलाबी को थोड़ा डर भी लग रहा था कि जिस तरह से उसकी दोनों चूचियां आपस में रगड़ खाकर इधर-उधर हो रही है कहीं उसकी वजह से ब्लाउज का बटन ना टूट जाए,,,,,,,, यह नजारा गुलाबी के लिए उन्माद पैदा कर रहा था,,,,,

मधु एक-एक करके धीरे-धीरे सारे कपड़ों को मलमल कर दो रही थी जिसमें गुलाबी उसका साथ दे रही थी,,,, गुलाबी की चुचियों का आकार नारंगी जितना था,,,जिसकी वजह से कपड़े धोते समय उसकी चूची के बीच जबरदस्त रगड़ हो ऐसा मुमकिन बिल्कुल भी नहीं था इसलिए उसका मन थोड़ा उदास हो जाता था,,,। और वह अपना मन मसोस कर रह जाती थी,,,,।लेकिन थोड़ी देर बाद उसे वह नजारा नजर आया जिसके बारे में वह कभी सोची भी नहीं थी,,,उसकी भाभी कपड़े धोने में इतनी ज्यादा तकलीफ हो गई थी कि अपनी साड़ी को घुटनों के ऊपर तक चढ़ा दी थी और टांगों को फैलाए होने की वजह से,,, दोपहर की कड़ी धूप की रोशनी सीधे मधु की दोनों टांगों के बीच उसकी साड़ी के अंदर तक पहुंच रही थी और जिसकी वजह से उसकी बालों वाली बुरएकदम साफ नजर आ रही थी जिस पर नजर पड़ते ही गुलाबी की आंखें चोडी हो गई,,, गुलाबी के लिए यह पहला मौका नहीं था जब वह किसी औरत की बुर को देख रही थी इससे पहले भी नहाते समय सौच करते समय अपने साथ की सहेलियों और औरतों की बुर को वह पहले भी देख चुकी है,,,लेकिन यह उसके लिए पहला मौका था जब वह अपनी ही भाभी की बुर को अपनी आंखों से देख रही थी उस पर रेशमी मखमली बालों के झुरमुट को देखकर उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी थी,,,।
गुलाबी के हाथ कपड़ों पर चलते चलते रुक गए थे वह अपनी भाभी की बुर के आकर्षण में पूरी तरह से खो चुकी थी,,,,,, एक औरत का एक औरत के प्रति आकर्षण एक अद्भुत घटना के बराबर होती है क्योंकि एक औरत एक औरत के प्रति तभी आकर्षित होती है जब उसमें कुछ ज्यादा ही खूबसूरती नजर आती हैं जो कि गुलाबी को अपनी भाभी की खूबसूरती में नजर आ रही थी वैसे तो जिस तरह की बुर उसकी भाभी की थी उसी तरह की बुर उसकी भी थी लेकिन उसकी भाभी की बुर में अजीब सा आकर्षण था,,,,।


गुलाबी अपनी भाभी की दिल तोड़ के प्रति जिस तरह से आकर्षित होते हुए अपने आपको महसूस करते हुए अपने मन में सोचने लगी कि जब उसका यह हाल है तो दूसरे मर्द इस हाल में उसकी भाभी को देखले तो उनका क्या होगा,,,, पर उसके बड़े भाई का जो कि उसका तो उसके भाभी पर पूरी तरह से हक था और वह रात में उस की चुदाई भी करता था,,,उसे समझ में आने लगा था कि इसीलिए तो उसके भैया उसकी भाभी की पूरी तरह से दीवाने हो चुके हैं तीन तीन बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसकी अपनी पूरी तरह से सुगठित और खूबसूरत थी ऐसा लगता था कि बच्चों के जन्म के बाद इस उम्र में भी उसकी खूबसूरती बढ़ती जा रही थी,,,,।


मधु का ध्यान अपनी खुली हुई टांगों पर बिल्कुल भी नहीं था और उसमें से चाहत रही उसकी बुराई तो बिल्कुल भी नहीं उसे इस बात का अंदेशा भी नहीं था कि उसका सब कुछ नजर आ रहा है,,,, गुलाबी से रहा नहीं जा रहा था और ना चाहते हुए भी वह अपनी भाभी से बोली,,,।


भाभी तुम्हारी वह नजर आ रही है,,,


क्या,,,?(मधु कपड़े धोने में इतनी तल्लीन हो गई थी कि गुलाबी की बात पर पूरी तरह से ध्यान दिए बिना ही बोली तो इस बार एक औरत होने के नाते दूसरी औरत से शर्म क्या करना इस बारे में सोचकर वह बोली),,,


भाभी तुम्हारी बुर नजर आ रही है,,,,।
(गुलाबी है शब्द एकदम शरमाते हुए बोली थी और गुलाबी के शब्दों को सुनते ही जैसे मधु को तेज झटका लगा हो और मैं तुरंत अपनी दोनों खुली हुई टांगों के बीच नजर डाली तो वास्तव में उसकी बुर साफ नजर आ रही थी वह तुरंत अपनी दोनों टांगों को सिकोड़ ली,,, यह देखकर गुलाबी हंसने लगी उसे हंसता हुआ देखकर मधु बोली,,)


हंस क्या रही हो,,, ऐसा लगता है कि जैसे तुम्हारे पास है ही नहीं,,,,


मेरे पास भी है बाद में एक तुम्हारी जितनी खूबसूरत नहीं है (गुलाबी हंसते हुए बोली,,,)


क्यों मेरे में पंख लगे हुए हैं क्या,,,?(कपड़ों को बाल्टी में डालते हुए बोली)


पंख नहीं लगे हुए हैं लेकिन तुम्हारे झांट के बाल मुझे बहुत खूबसूरत लग रहे हैं,,,,।



धत पागल हो गई है तू ,,,, जैसे मेरी है वैसे तेरी भी है कुछ अलग नहीं है,,,,(मधु मुस्कुराते हुए बोली)


नहीं भाभी तुम्हारी सबसे अलग है,,,


क्यों तू सबकी देखती रहती है क्या,,,?

देखती तो नहीं रहती हो लेकिन जिस तरह से तुम्हारी नजर आ गई है उसी तरह से दूसरों की भी नजर आए जाती है इसलिए कहती हूं कि तुम्हारी सबसे खूबसूरत है,,,



तेरी शादी हो जाएगी ना तो तेरी भी खूबसूरत हो जाएगी,,,(बचे हुए कपड़ों को बाल्टी में डालते हुए मधु बोली उसकी मुस्कुराहट उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे)



क्यों भाभी शादी होने के बाद खूबसूरत क्यों हो जाएगी,,,


अरे ये तो शादी हो जाएगी तभी पता चलेगा,,,,(मधुर बात को टालने की गरज से बोली,,,)


नहीं नहीं भाभी मुझे बताओ शादी हो जाने के बाद ही क्यों खूबसूरत हो जाएगी,,,,


धत्त तु बिल्कुल पागल इतनी बड़ी हो गई लेकिन कुछ पता ही नहीं है चल अब रहने दे मुझे नहाने दे कपड़े धुल गए हैं,,,(इतना कहने के साथ ही मधु खड़ी हो गई और चारों तरफ नजर घुमाकर यह तसल्ली करने लगी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है और पूरी तरह से तसल्ली करने के बाद अपनी साड़ी को कंधों पर से हटा कर उसे कमर से खोलने लगी,,,)



नहीं भाभी पहले बताओ वरना आज मैं नदी में जाने नहीं दूंगी,,,(इतना कहने के साथ ही गुलाबी भी खड़ी हो गई और साड़ी के पल्लू कस के अपने हाथों में पकड़ ली,,,, मैं तो उसके हाथों से अपनी साड़ी के पल्लू को छुडाते हुए बोली,,)


गुलाबी रहने दे मुझे नहाने दे देर हो रही है,,,(मधु अपनी मेहनत के हाथों से साड़ी के पल्लू को छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली)


नहीं भाभी आज तो मैं तुम्हें नहाने नहीं दूंगी जब तक तुम बताओगी नहीं,,,,,
(गुलाबी को इतना अंदाजा तो था कि उसकी भाभी किस बारे में बात करेंगे लेकिन वह अपनी भाभी के मुंह से सुनना चाहती थी इसलिए वह जिद कर रही थी उसकी भाभी भी तैश में आकर बोली,,,)


अच्छा तु नहीं मानेगी,,,


नहीं भाभी बिल्कुल भी नहीं मानूंगी,,,, शादी होने के बाद ही क्यों मेरी वह खूबसूरत हो जाएगी,,,।)


क्योंकि मेरी ननद रानी शादी के बाद जब तेरा आदमी अपना लंड तेरी बुर में डालकर चोदेगा तो खुद ब खुद तुझे समझ में आ जाएगा,,,,
( मधु एकदम खुले शब्दों में अपने ननद से बोल दी और गुलाबी अपनी भाभी की बात सुनते ही एकदम शर्मा गई,,, और उसके साड़ी के पल्लू को छोड़ दी अपनी ननद को इस तरह से शर्माता हुआ देखकर मधु मुस्कुराते हुए बोली,,,)


अब समझ में आया तुझे कि मेरी बुर ईतनी खूबसूरत क्यों हो गई है,,,,(साड़ी को पूरी तरह से खोलकर नीचे पत्थर पर रखते हुए बोली,,, अपनी भाभी की बातें सुनकर गुलाबी को शर्म महसूस हो रही थी लेकिन अपनी भाभी की बात ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर को पैदा कर रही थी उसे अपनी दोनों टांगों के बीच कुछ कुछ होता हुआ महसूस हो रहा था,,,।मधु की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और उसका शर्म थोड़ा-थोड़ा खुलते जा रहा था इसलिए वह भी बोली,,,)

मतलब भैया तुम्हारी बुर में रोज अपना लंड डालते हैं तभी इतनी खूबसूरत हो गई है,,,,(इतना बोलने में गुलाबी शर्म से पानी पानी हो गई थी लेकिन इतना बोलने में जो सुख उसे प्राप्त हुआ था शायद ही कोई बात कोई शब्द बोलने में उसे इतना मजा आया था मधुर भी हैरान थी अपनी ननद के मुंह से इस तरह से खुली बातें सुनकर फिर भी हंसने लगी क्योंकि वह जानती थी गुलाबी शादी लायक हो चुकी है बस शादी करने की देरी है इसलिए उसके मन में भी इस तरह की बातें भावनाएं उमड रही होगी,,,,,इसलिए अपनी मेहनत किस तरह की बातें सुनकर उसका जवाब देते हुए मधु मुस्कुरा कर बोली,,,)


डालेंगे ही ना शादी करके लाए हैं यही तो करने के लिए लाए हैं,,,रोज रात को मेरी बुर में लंड डाल देते है और चोदना शुरू कर देते हैं,,,,(मधु के चेहरे पर यह गंदी बात बोलते हुए शर्म की लाली अपनी लालिमा भी कह रही थी उसका मुखड़ा और खूबसूरत लग रहा था और वह अपना ब्लाउज और पेटीकोट उतारे बिना नदी के पानी में धीरे धीरे उतरने लगी और पीछे पीछे गुलाबी लेकिन वह ना तो अपनी सलवार उतारी थी ना ही कुर्ती ऐसे ही नदी में उतर रही थी,, अपनी भाभी की बात सुनकर गुलाबी बोली,,,)


अच्छा,,,तभी मैं सोचूं कि तुम्हारे कमरे से अजीब अजीब सी आवाजें क्यों आती है भैया तुम्हारी बुर में लंड डालकर चोदते हुए फिर कभी तुम्हारे मुंह से आवाज निकलती है,,,
(इतना कहते हुए गुलाबी के दिल की धड़कन एकदम से बढ़ गई थी और इस तरह की बातों को सुनकर मत हो एकदम से शर्मा गई थी और शरमाते हुए बोली,,,)


तु लगता है यहीं सब आवाज सुनती रहती है,,,,(मधु पूरी तरह से नदी में उतर चुकी थी,,, उसका पेटीकोट पानी की सतह के एग्जाम उत्तर गुब्बारे की तरह फुल कर उड़ने जैसा हो गया था जिसे मधु अपने दोनों हाथों से पकड़ कर नीचे पानी में डालते हुए बोली,,,,)


मैं जानबूझकर तो सुनती नहीं हुं,,, आवाज आती है तो कानो में रुई तो ठुंस नहीं लूंगी,,,,(इतना कहते हुए वह नदी के पानी को अपने हाथों से ही अपने ऊपर डालने लगी,,, और मधु भी अपने उपर पानी डालने लगी,,, देखते ही देखते गुलाबी के साथ-साथ मधु का ब्लाउज भी पूरी तरह से भी गया और उसके बदन से एकदम से चिपक गया जिसकी वजह से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां का आकार एकदम साफ चलकने लगा और उसकी कड़ी कड़ी निप्पल कीसी भाले की नोक की तरह ब्लाउज को फाड़ कर बाहर आने के लिए आतुर होने लगी,,, क्योंकि गुलाबी को साफ नजर आ रहा था अपनी भाभी की विशाल छातियों को देखकर गुलाबी मुंह में पानी लाते हुए बोली,,,।


हाय भाभी तुम्हारी उसने आज तक कितनी बड़ी-बड़ी है मेरी तो कितनी छोटी है तुम्हारी एकदम खरबूजे जैसी है मेरी तो एकदम संतरे की तरह है,,,,,


मैं कह रही हूं चिंता मत कर तेरी शादी जब हो जाएगी ना तो तेरा आदमी जब जोर जोर से दबाएगा उसे मुंह में भरकर पिएगा तो यह भी बड़ी हो जाएगी,,,,
(मधु एक नजर अपनी चुचियों की तरफ डालकर गुलाबी को तसल्ली देते हुए बोली)

धत् भाभी तुम तो हमेशा,,,,


अरे हमेशा क्या सच कह रही हूं मैं भी जब शादी करके आई थी तो,,,मेरी चूचियां भी तेरे जैसी ही थी छोटी छोटी लेकिन तेरा भैया इसे दबा दबा कर एकदम खरबूजे जैसी बड़ी कर दीए है तभी तो इनकी खूबसूरती और ज्यादा बढ़ गई है,,, सच कहूं तो औरतों की खूबसूरती बड़ी-बड़ी चुचीयां और बड़ी-बड़ी गांड से ही होती है,,,,।

(मधु मजाक ही मजाक में गुलाबी को औरतों के बदन की सच्चाई बता रही थी जो कि यह सच भी था,,,, अपनी भाभी की बातें सुनकर गुलाबी बोली,,)

क्या तुम सच कह रही हो भाभी,,,?


हा रे में एक दम सच कह रही हूं देखना जब तेरी शादी हो जाएगी ना तो तेरे बदन में भी भराव आना शुरू हो जाएगा तेरी छोटी छोटी चूचियां बड़ी हो जाएंगी तेरी गांड भी बड़ी हो जाएगी और तेरी बुर भी एकदम खूबसूरत हो जाएगी तब देखना तेरी खूबसूरती में चार चांद लग जाएंगे बस एक बार शादी हो जाने दो,,,,,,,
(शादी वाली बात सुनकर गुलाबी अपनी शादी के बारे में सोचने लगी क्योंकि वह भी यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि शादी के बाद औरतों की जिंदगी बिस्तर पर और ज्यादा खूबसूरत हो जाती है,,,एक मर्द के हाथों में उनका खूबसूरत बदन आकर और भी ज्यादा खिल उठता है,,,, देखते देखते दोनों भाभी और ननद नहा चुके थे और नदी से बाहर आ गए थे,,,,,

मधु बड़े से पत्थर के पीछे खड़ी होकर,,,अपनी ब्लाउज के बटन खोलने लगी और अपने ब्लाउस को पूरी तरह से उतारती है इससे पहले ही पेटीकोट को अपने सर के ऊपर से डालकर अपने बदन को ढकने लगेगा और ढकने के बाद अपने ब्लाउज के साथ-साथ अपने पेटिकोट की डोरी खोल कर उसे भी नीचे अपने पैरों के सहारे से उतार दी,,, पेटिकोट के अंदर वह पूरी तरह से नंगी थी गुलाबी भी इसी तरह से एक एक कर के अपने सारे कपड़े उतारती थी लेकिन पूरे कपड़े उतारने से पहले अपनी कुर्ती पहली थी जो कि उसके कमर के नीचे तक आती थी,,,, लेकिन कुर्ती को अपनी कमर से नीचे करते समय इसकी गोरी गोरी सुडोल चिकनी गांड को देखकर बोली,,,)




गुलाबी तेरी गांड तो अभी से इतनी खूबसूरत है जब तु अपने आदमी से चुदवाएगी और तेरी गांड ओर बड़ी होगी तब तो तू एकदम क़यामत लगेगी,,,।

(अपनी भाभी की बात सुनते ही गुलाबी एकदम से शर्मा गई
तब तक मधु अपने कपड़े बदल चुकी थी,,,, और धुले हुए कपड़े को समेटने लगी थी,,,,,,अपनी भाभी की बात सुनकर गुलाबी कुछ बोले नहीं थी बस मुस्कुराते हुए अपने उतारे हुए कपड़े और अपनी भाभी को उतारे कपड़े को धोने लगी और थोड़ी देर बाद सारे कपड़ों को इकट्ठा करके बाल्टी और लौटे को लेकर घर की तरफ निकल गई,,)
 

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