Incest बस में चाची की चुदाई

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मेरा नाम रमन है। मैं हिमाचल प्रदेश का रहने वाला हूँ। में कॉलेज में पढता हूँ और मेरी उम्र २१ साल है। आपको ये जान कर अजीब लगेगा कि आज के जमाने में भी में शायद अकेला ऐसा था जिसने आज तक किसी लड़की की चुदाई नहीं की। ऐसा नहीं है कि मैं दिखने में बुरा हूँ बस लड़की को कैसे पटाना है कैसे बात करनी है ये सब मुझे नहीं आता। इसी लिए मैं बस लड़किया चोदने के सपने लेकर मुठ मरता रहता था।

पर मुझे नहीं पता था कि बहुत जल्दी मेरी किस्मत बदलने वाली है। एक दिन मेरी माता जी ने मुझे बताया कि दिल्ली से मेरे चाचा चाची और उनका बेटा आ रहे हैं। उन्हें बस स्टॉप तक लेने जाना है। मैं भी कॉलेज से वापिस आकर फ्री ही बैठा था तो मैंने भी मना नहीं किया और चला गया। चाचा जी तो यहाँ पहले रहते थे पर चाची शादी के बाद पहली बार हिमाचल आ रही थी। उनकी शादी को ९ साल हो गए थे। उनका ४ साल का एक बेटा भी था। मेरे बस स्टॉप पर पहुंचने से पहले ही वो लोग आ चुके थे। आज मैंने पहली बार अपनी चाची को देखा और देखता ही रह गया। उस समय मुझे मेरे एक दोस्त की बात याद आ गयी। कि जब औरत ३० से ४० की उम्र के बीच होती है उसकी सुंदरता का मुकाबला कोई जवान लड़की नहीं कर सकती। मेरी चाची तो सूंदर होने के साथ साथ सेक्सी भी थी। न बहुत पतली न बहुत मोटी , पर एक आदमी का लण्ड खड़ा करवाने के लिए जितना मॉस चाहिए शरीर पर उतना था। एक लाइन में बताना हो तो डर्टी पिक्चर की विद्या बालन।

किसी तरह मैंने अपने अरमानो पर काबू किया और उनसे जाकर मिला। मैंने सबको नमस्ते बोला और उनका सामान उठाया और हम सभी घर की तरफ चले गए। घर जाकर मेरे माता पिता से मिलने का बाद सब ने चाय पी और मेरी माता जी ने उन सबको बोला कि जाकर नहा धो लो फिर खाना खाते हैं। वो लोग सब मेरी बहन के रूम में चले गए। मेरी बहन हॉस्टल में रहती है और वही से कॉलेज की पढ़ाई कर रही। मैं भी अपने रूम में चला गया और उस रात मुझे चाची के नाम की मुठ मारनी थी। मेरे दिमाग से अभी तक उनका गदरीला बदन उतर ही नहीं रहा था। मैं अभी यही सब सोच रहा था कि माता जी ने मुझे बुलाया और बोला कि चाचा के रूम में तौलिया दे आ। मैं चला गया और वह पर जो हुआ फिर से मेरी आँखे खुली मुँह खुला पर जुबान बंद। वह मैंने देखा कि चाचा तो बाथरूम में नहा रहे है पर चाची अभी नहा कर निकली है और कपडे पहन रही। जब उन्होंने दरवाजा खोला तो वो सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थी। एक तो उनके पर्वत जैसे मम्मे थे और ऊपर से इतनी टाइट ब्लाउज। आधे से ज्यादा चूचिया ब्लाउज के बहार थी। कमर के निचे पेटीकोट बंधा था तो चुच्चियो से लेकर कमर तक नंगी। इस बार भी मेरा लण्ड तन गया और निक्कर में से साफ़ दिखने लगा। चाची ने बोला क्या हुआ रमन। मैंने हिचकिचाते हुए बोला चाची तौलिया। उसकी नजर मेरे खड़े लण्ड पर गयी और हसने लगी।

चाची ने मुझसे तौलिया ले लिया और बोली , कुछ और चाहिए क्या रमन ? मेरी जुबान बंद थी मैंने बस ना बोला और वह से भाग गया। अपने रूम में आते ही मैंने दरवाजा भी बंद नहीं किया और बेड पर लेट कर मुठ मरने लगा। उसकी आधे नंगे बदन ने मुझे मदहोश कर दिया और मैं बिना किसी डर के अपने रूम में मुठ मार रहा था। मुझे पता नहीं चला कब चाही आ गयी मेरे रूम में और मुझे मुठ मरते हुए देखने लगी। वो मेरे झड़ने का इंतज़ार कर रही थी खड़े होकर और झड़ते ही बोली रमन अगर हो गया हो तो चलो खाना खा लेते हैं। उन्हें अपने रूम में देख कर मेरे पसीने छूटने लगे। वो मेरे पास आयी और बोली तेरी गलती नहीं है रमन इस उम्र में सबके साथ होता है ऐसा। पर बढीया होगा कि तू अपना रस बर्बाद न कर, किसी की चूत में डाल । यहाँ पर भी मैं डरता रहा और कुछ नहीं बोल पाया। चाची समझ गयी मैं डर रहा हूँ तो मेरे बालों में हाथ फेर कर बोली चल बाकि बातें बाद में करेंगे खाना खा लेते हैं।

में खाना खाने तो चला गया पर मेरे मुँह से एक शब्द नहीं निकला। इतने में चाचा जी ने बोला कि सुनीता को धर्मशाला घूमने जाना है। सुनीता मेरी चाची का नाम है। चाचा जी ने बोला कि कल रात को हम निकलेंगे और २ दिन में घूम कर वापिस आ जायेंगे। इतने में चाची बोल पड़ी रमन तू भी चल हमारे साथ। मैं हिचखीचने लगा पर कुछ बोला नहीं। उन्होंने मेरे माता पिता से बोला तो उन्होंने भी मुझे बोला कि चले जा तू। इन लोगो को यहाँ के बारे में पता नहीं है , तू साथ रहेगा तो ये लोग भी अच्छे से घूम लेंगे। चाचा जी ने अगले दिन शाम ८ बजे की स्लीपर बस की टिकट बुक करवा दी और हम खाना खाने के बाद अपने अपने रूम में चले गए।

अगले दिन हम सब जाने की तैयारी में लग गए। पता ही नहीं चला कब शाम हो गयी। हम चारो बस स्टॉप पर पहुंच गए। बस में चढ़ने के बाद पहले तो हम निचे वाली सीट पर बैठे रहे और बातें करते रहे। ८ बजे बस एक ढाबे पर रुकी और हम सब ने वह खाना खाया और वापिस बस में आ गए। अब हम सब ने सोचा कि सो जाते हैं , सुबह ५ बजे तक बस धर्मशाला पहुंचेगी। चाचा और उनका बेटा एक केबिन में सोने चले गए। चाची भी निचे वाले ही दूसरे केबिन में सो गयी और में ऊपर वाली सीट पर सोने चला गया। १२ बज गए पर मुझे नीद नहीं आयी। बस एक बार फिर ढाबे पर रुकी पर इस बार मैं बस से उतरा नहीं और अपने केबिन में सोया रहा।

मुझे लगा कोई मेरे केबिन का दरवाजा खटखटा रहा है। मैंने खोला तो बाहर चाची थी। वो बोली चल बहार चाय पीकर आते हैं। मैं भी मना नहीं कर पाया और हम ढाबे पर चाय पीने चले गए। वहाँ पर चाची ने मुझसे पूछा तेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या। मैंने बोला नहीं चाची पर आप क्यों पूछ रही हैं। उसने जवाब दिया होती तो मुठ मरने की जरुरत नहीं पड़ती और इतना बोल कर हंसने लगी। मैंने भी नजरे निचे कर के बोला जाने भी दो चाची अब मेरा मजाक उड़ाना बंद भी करो। उसने हंसना बंद किया और बोला तो अच्छा तूने आज तक सेक्स नहीं किया। मैंने भी नजरे झुका के ही जवाब दिया कि जब गर्लफ्रेंड नहीं है तो सेक्स किसके साथ करूँगा। इस बार फिर वो बोली कि लड़की ढूंढ कर चूत में डाल अपना रस ऐसे मुठ मरेगा तो कमजोर हो जायेगा। अभी तो तेरा लण्ड जवान है मोटा ताजा है। मुठ मारते मारते वो भी कमजोर हो जायेगा। मैंने चाची को बोला कि आप ऐसी बातें क्यों कर रहे हो। उसने जवाब दिया बहुत दिनों बाद तो किसी से खुल कर बात कर रही हू। और अब तो सिर्फ बातों से ही खुश होना पड़ता है। तेरे चाचा जी को तूने देख ही लिया। १० बजे सो जाते हैं। शादी के ३-४ साल तक हमने बहुत सेक्स किया पर अब तो काम से आकर थक के सो जाते हैं और पिछले कई सालों से मैंने अपनी चुदाई अच्छे से नहीं करवाई। इसलिए तुझसे सेक्सी बातें कर कर के हंसने की कोशिश कर रही हूँ। वो फिर हंसने लगी और बोली अच्छा चल मुझे बाथरूम जाना है उधर बहुत अँधेरा है तो मेरे साथ चल।

मैं भी चला गया और चाची बाथरूम के अंदर चली गयी। बाहर आ कर मैंने बोला अब चले ? तो उसने मुझे पकड़ लिया और मेरे होठो को चूसने लगी। मैंने बोला चाची ये आप क्या कर रही हैं ? उसने जवाब दिया वही जो सोच कर तू कल मुठ मार रहा था। अँधेरे का फायदा उठा ले और अपने लण्ड को शांत कर ले। इतना बोल कर वो मेरे पैजामे में हाथ डाल कर मेरा लण्ड मसलने लगी। और मुझे चूमने लगी। मेरा लण्ड भी खड़ा हो गया और मैंने भी चाची को कस के पकड़ लिया। इतने में कंडक्टर ने आवाज लगाई , सब बस में आकर बैठ जाओ बस चलने वाली है। चाची मुझे छोड़ ही नहीं रही थी और चूमे जा रही थी। मैंने चाची को बोला चाची बस चलने वाली है चलिए चलते हैं। वो बोली अच्छा सुन रमन , इस बार मुठ नहीं मरना , मैं आधे घंटे बाद तेरे केबिन में आ जाउंगी , फिर हम चुदाई करेंगे। इतना बोल कर हम बस में वापिस चले गए। चाचा अभी भी गहरी नींद में थे। बस चल पड़ी और थोड़ी ही देर बाद चाची ने मौका देख कर मुझे मोबाइल पर मैसेज किया। बस में सब सो रहे हैं , दरवाजा खोल मैं आ रही हूँ। मैंने भी दरवाजा खोल कर चाची को अंदर बुला लिया और फिर केबिन बंद कर दिया।

अब हमारी चुदाई की दास्तान शुरू होने लगी। केबिन बंद करते ही चाची मेरे ऊपर चढ़ गयी और मुझे चूमने लगी। वो बोली रमन आज डर गया तो कभी नहीं किसी लड़की की चूत के मजे ले पायेगा। मैंने भी ये सुन कर चाची का साथ देना शुरू किया। अब हम दोनों एक दूसरे को चूस रहे थे। उसके हाथ मेरे बालों में मेरे हाथ उसके बालों में और हम लगातार कभी होठो पर कभी गाल पर कभी गर्दन पर एक दूसरे को चुम रहे थे। मेरा लण्ड तुरंत खड़ा हो गया और चाची की चूत में लगने लगा। चाची हसी और बोली हो गया मेरे भतीजे का लण्ड खड़ा अब मजा आएगा। इतना बोल कर वो मेरे ऊपर से उत्तर गयी और मेरा पजामा उतार कर लण्ड हिलने लगी। हम अभी भी एक दूसरे के होंठो का रस पी रहे थे। चाची ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी साडी के अंदर डाल दिया। मुझे लग गया पता चाची मेरी ऊँगली से चुदना चाहती है। मैंने भी ३ उंगलिया उसकी चूत में डाल और जोर जोर से अंदर बाहर करने लगा। चाची अब मदहोश हो रही थी। उसका साडी का पल्लू तो कब का साइड हो गया था और अब उसने तो ब्लाउज और ब्रा को खोल कर अपनी चूचियां भी आजाद दी। ब्लाउज से बहार आने के बाद उसकी चूचियां हवा में लहराने लगी और उसने अपने हाथ से पकड़ कर एक चूची मेरे मुँह में डाल दी और बोली भतीजे माँ का दूध तो पी लिया आज चाची का पी ले।

मैं भी उसकी चूची को मुँह में डाल कर चूसने लगा और दूसरी अपने हाथो से दबाने लगा। चाची पूरी तरह मदहोश हो गयी थी और मेरा लण्ड जोर जोर से हिलायी जा रही थी। काफी देर तक मैं यूँ ही उसकी चूचियों से दूध का स्वाद लेता रहा और उसको मदहोश करता रहा। करीब १० मिनट बाद चाची उठी और इस बार मुझे भी पूरा नंगा कर दिया और खुद भी नंगी हो गयी। अब हम दोनों पुरे नंगे थे और हम ६९ पोजीशन मैं आ गए। उसने अपनी चूत मेरे मुँह पर टिका दी और मेरा लण्ड चूसने लगी। एक ही बार मैं हम दोनों एक दूसरे को तड़पा रहे थे। मैं अपनी जीभ से उसकी गीली चूत साफ़ कर रहा था और वो अपना थूक लगा लगा कर मेरा लण्ड गिला कर रही थी। इतने मैं बस एक टोल नाके पर आ गयी और केबिन के अंदर रौशनी आने लगी। चाची तुरंत उठी और चादर ओढ़ ली। और अभी भी वो चुदाई का मजा छोड़ना नहीं चाहती थी तो उसने चादर के अंदर से ही मेरा मुँह अपनी चूत पर रख दिया और चाटने को बोला। मैं चूत चाटता रहा और चाची आआह्ह्ह्हह ऊऊह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह रमन बहुत अच्छे से चाटता है तू तो यार और चाट मेरे भतीजे मेरी जान मुझे चोदने वाले और चाट आअह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह बोलती रही।

बस जैसे ही टोल नाका पार की और बस मैं फिर से अँधेरा हुआ चाची ने चादर उठायी और बोली आजा मेरे भतीजे अब अपनी चाची को चोद। मैं भी उसके बराबर उसके ऊपर आया और उसने मुझे फिर से किस करना शुरू किया। हम दोनों फिर से एक दूसरे के होंठ का रास पिने लगे , और चाची ने मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत पर टिका दिया और चूमना बंद कर के बोली भतीजे ऐसे ही चूमते चूमते जोर से झटके से लण्ड अंदर डाल देना। इतना बोल कर हम फिर से एक दूसरे को चूमने लगे। और २ मिनट बाद मैंने जोर से झटका दिया और पूरा लण्ड उसकी चूत मैं गाड़ दिया। उसकी मुँह से आवाज निकली आआआहहहहहहह मजा आ गया कितना मोटा है भतीजे तेरा लण्ड। देखने मैं इतना पता नहीं चला पर अब चूत मैं गया तो लगता है कलेजे तक जायेगा तेरा लण्ड। भतीजे अब रुकना नहीं और जितनी तेज मुठ मार रहा था उतनी ही तेज चोद मुझे। उसने मेरी गांड पर हाथ रखा और थपड मार कर बोली चल मेरी धन्नो हो जा शुरू। मैंने भी उसने चोदना शुरू किया और ५० किलोमीटर घंटे की रफ़्तार से अपना लण्ड उसकी चूत मैं अंदर बाहर करने लगा। हम अभी भी एक दूसरे को चुम रहे थे पर अभी भी वो आअह्ह्ह्हह आआह्ह्ह्हह आआआअह्ह्ह्हह ऊऊह्ह्ह रमन ऊऊह्ह्हह्ह और तेज रमन और तेज भतीजे ऊऊओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बोली जा रही थी। उसकी ये कामुक आवाज मुझे उसे और तेजी से चोदने पर मजबूर कर रही थी।

बस का केबिन छोटा था तो हम कोई और पोजीशन से नहीं कर सकते थे चुदायी। उसने अपने पैर बस की छत से जोर से चिपका लिए और पूरी टाँगे खोल कर मेरे लण्ड का मजा लेने लगी। वो चीखती रही और मैं उसे लगातार चोदता रहा। एक ही पोजीशन मैं करीब ३५ मिनट तक मैंने अपनी चाची को चलती बस मैं चोदा। वो ३ बार झड़ चुकी थी और अब उसकी चूत ने पूरा पानी बाहर फेक दिया। उसने बोला बस कर भतीजे रुक जा अब। मेरा लण्ड अभी भी तना खड़ा था और उसने अपने हाथ मैं लेकर उसे धीरे धीरे हिलना शुरू किया। मैं अब निचे लेट गया और और वो मेरे साइड में लेट कर मेरा लण्ड हिलाने लगी। और बोलने लगी रमन आज सालो बाद मेरी चूत की प्यास बुझी है थैंक यू। तूने मुझे बहुत मजा दिया है आज। मैंने उसे बोला नहीं चाची आपको थैंक यू आपकी वजह से आज मैंने पहली बार चुदाई का लुत्फ़ उठाया है। मेरा लण्ड अभी भी नहीं झडा था तो चाची ने बोला रुक तूने मेरा पानी निकाल कर मुझे खुश किया अब मैं तेरा पानी निकलती हूँ। ये बोल कर चाची ने मेरा लण्ड चूसना शुरू किया और इस बार भी पहले की तरह ही पुरे पागलपन से मेरा लण्ड चूसने लगी। गले तक ले जाती फिर लण्ड पर थूक कर हाथ से थूक पुरे लण्ड पर हिला हिला कर लगती और फिर मुँह में डाल कर चूसने लगती। ये सब मेरे साथ पहली बार हो रहा था और मुझे बहुत मजा आ रहा था। आख़िरकार १० मिनट तक वो मेरे लण्ड का पानी निकालने के लिए मेहनत करती रही और मेरे लण्ड ने ने पूरा रस एक झटके में उसकी मुँह में ही फेंक दिया। वो मेरे लण्ड का रस इस तरह चाट रही जैसे आइस क्रीम चाट रही हो। मेरा पूरा लण्ड चाट चाट का साफ़ किया और फिर आ कर मेरे बगल में लेट गयी।

२ बज गए थे और चाची ने बोला अभी ३ घंटे हैं। १ घंटा ऐसे ही नंगे सोते है फिर एक बार चुदाई करेंगे। और फिर हम उसी तरह नंगे एक दूसरे में हाथ और पैर फसा कर लेट गए और कभी एक दूसरे को चूमते कभी वो मेरे लण्ड के साथ खेलती तो कभी मैं उसकी चूत में ऊँगली करता तो कभी उसकी चूचियां दबाता। १ घंटे बाद फिर उसने मेरा लण्ड चूसना शुरू किया और एक बार चुदाई करने के लिए तैयार किया मेरा लण्ड। इस बार भी हम १ घंटे तक एक दूसरे को सेक्स का मजा देते रहे। और करीब सवा चार बजे चाची कपडे पहन कर अपने केबिन में चली गयी।

अगले दिन हम पूरा दिन घूमते रहे और रात में फिर से चाचा के सोने के बाद चाची मेरे रूम में आ गयी और फिर सारी रात मैंने अपनी चाची को चोदा। अगली सुबह हम घर वापिस आने लगे और शाम तक घर पहुंच गए। वो लोग १० दिन तक हमारे घर रहे और ये १० दिन मैं और चाची हर रात एक दूसरे को सेक्स का आनंद देते रहे। अब उनके जाने का टाइम आ गया और हम दोनों के चेहरे पर उदासी साफ़ नजर आ रही थी। चाची ने जाते हुए एक और चाल चली और उनकी ये चाल भी सही निशाने पर लगी। चाची ने पिता जी को बोला कि रमन की पढ़ाई खत्म होने के बाद इसे दिल्ली भेज दीजिये वहाँ पर अपने चाचा जी के साथ नौकरी कर लेगा और घर के खर्चो में भी हाथ बटायेगा।
 

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