Incest बहु हो तो ऐसी

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दोस्तो मैं यहा पहली बार इस फोरम पर स्टोरी पोस्ट कर रही हु...कुछ दिनों पहले ऐसीही मैन अपनी ही एक स्टोरी देखी जो किसीने कॉपी किया था...फिर मुझे भी लगा चलो कुछ नया लिखते है...उम्मीद है आपको पसंद आयेगी...और अपडेट जल्दी जल्दी नही आएंगे...3 4 दिन के गैप से आएंगे...

पात्र:-

1)नेहा:- उम्र 28 साल गदरायी सेक्सी सुंदर और स्वभाव से बहोत कामुक...गोरी बड़ी 36 की चुचिया 32 की कमर और 36 कि गांड....चुदाई का चश्का इसे बहोत पहले ही लग चुका था।और शादी के पहले उसने बहोत से लंड अपनी चुत में लिए थे। लेकिन शादी के बाद वो एकदम से पतिव्रता बन गयी थी।

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राजीव:- नेहा का पति...सॉफ्टवेयर इंजीनियर ...उम्र 31साल

बहोत हैंडसम तगड़ा मर्द लेकिन नेहा के स्वभाव के विपरीत ये सेक्स को बस एक ड्यूटी मानता है...नेहा को हमेशा संतृष्ट करता है पर बस फ़र्ज़ समझ के।

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प्रताप सिंग:- नेहा का ससुर उम्र 52 साल गांव में रहने वाला पुराने जमाने का पहलवान...अभी भी किसी जवान लड़के को धोबिपछाड दे दे...गांव में बहोत इज्जत है क्यों कि अमीर है पर हमेशा सब की मदद करते है। स्वभाव से थोड़े रंगीन मिजाज है पर इनके रंगरलिया के बारे में किसी को नही पता सब इनको बेहद शरीफ इंसान समझते है। अपने 10 इंच लंबे और 3 इंच मोठे लंड से कई चुत और गांड को ठंडा कर चुके है।


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प्रमिला: - नेहा की सास ये बेहद धार्मिक किस्म की औरत है जो हमेशा सिर्फ पूजा में लगी रहती है उम्र 48 साल लेकिन देखने वाला कहेगा कि 60 की है...इनका इस कहानी में ज्यादा कुछ रोल है ही नही।

और भी किरदार है जो कहानी में आएंगे तब बताउंगी....अभी कहानी सुरु करती हूं।



नेहा और राजीव मुम्बई के एक आलीशान कॉलोनी में एक बंगले जैसे घर मे रहते है...दोनो की दो साल पहले शादी हुई है....दोनो एकदूसरे के साथ बहोत खुश है...दोनो एकदूसरे से बहोत प्यार करने लगे है...नेहा शादी के पहले जो भी थी अब राजीव के प्यार ने उसे वो सब भुला दिया था। वो एक पतिव्रता औरत बन गयी थी और हो भी क्यों ना...राजीव उसे हर तरह का सुख देता था। लेकिन शायद नियति को कुछ और ही मंजूर था...तो दोस्ती कहानी सुरु होती है उस रात से जब नेहा और राजीव एकदूसरे में समाए थे....

नेहा:- आहहहहहहहह उफ़्फ़फ़फ़ राजीव और फ़ास्ट उफ़्फ़फ़फ़फ़ चोदो एससस एससस बस होने वाला है मममममम

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राजीव ने तेज तेज धक्के लगाने लगा और नेहा को उस्की चरम सीमा तक पहोंचा दिया....

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नेहा ने राजीव को कस के गले लगा लिया और अपनी सासे ठीक करने लगी....राजीव ने अपना लंड नेहा की चूत से निकाला और साइड में लेट गया....नेहा नार्मल हुई और राजीव का लंड पकड़ के सहलाने लगी... और अपना सर राजीव के छाती पे रख दिया।

नेहा:- उफ्फ्फ राजीव आप ने अपना काम पूरा क्यों नही किया.. आप हमेशा ऐसेही करते हो...मेरा हो जाता है और आप बिना अपना पानी निकाले सो जाते हो...

राजीव:-(नेहा को अपनी बाहों में खिंचता है) कोई बात नही कल कर लूंगा...चलो अभी सो जाते है...कल हमारे सीईओ आनेवाले है उनको कुछ जरूरी अनोउंसमेन्ट करनी है...

नेहा:- ओक बेबी गुड नाईट...माधवी उसके गालो को चूमती है वैसेही सो जाती है।

सुबह राजीव के आफिस जाने के बाद नेहा कुछ सामान लेने कॉलोनी के एक दुकान में जाति है....उस दुकान का मालिक एक 50 साल का आदमी....राजेश पांडे....बहोत ही ठरकी किस्म का आदमी है...कॉलोनी की 16साल की लड़कियों से लेके 45 साल की औरतों को हमेशा बुरी नजर से देखता है। नेहा पे उसकी खास नजर है नेहा की मदमस्त जवानी को देख के बुड्ढा पागल सा हो जाता है...नेहा की मटकती गांड को देख हमेशा अपना लंड मसलता रहता है...न जाने कितनी बार नेहा के नाम की मुठ मार चुका है।

राजेश नेहा को देख के खुश हो जाता है।

राजेश:- अरे नेहा बेटी ...आओ आओ...क्या चाहिए? तुम खुद क्यों आ गयी एक फ़ोन कर दिया होता...मैं खुद सामान देने आ जाता....नेहा की जवानी को ऊपर से नीचे तक अपनी प्यासी नजरो से देखते हुए कहा।

नेहा ने उस वक़्त टाइट जीन्स और टॉप पहना हुआ था।

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नेहा के हर एक अंग उस जीन्स टॉप में उभर के आ रहा था। राजेश का लंड हर बार की तरह हरकत में आने लगा ...

नेहा :- कोई बात नही...अगली बार कुछ रहा तो कॉल कर दूंगी।

राजेश:- है बेटी..हैम तो हमेशा तुम्हारी सेवा में हाजिर है...बस हुक्म कर दिया करो...तुम्हारी सेवा करके हैम खुद को धन्य समझेंगे...बस मौका तो दो कभी....राजेश नेहा के टॉप में कसे हुए बूब्स को घूरते हुए कहता है।

नेहा:- जी अंकल जरूर...अब आ गयी हु तो खुद ही ले लेती हूं....और ऐसा बोल के नेहा एक एक करके सामान लेने लगी....राजेश काउंटर पे बैठ कर उसकी जीन्स में फसी गांड को देख के अपना लंड को मसलने लगा...


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राजेश:-उफ़्फ़फ़फ़ क्या माल है साली...क्या मटकती गांड है इसकी...बस एक बार मिल जाय.. मजा आ जायेगा...

नेहा समान लेती रही और राजेश अपना लंड सहलाता रहा।

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नेहा घर वापस आयी...और अपना काम निओटाने लगी।

रात को राजीव घर थोड़ा लेटे ही आया। नेहा ने हमेशा की तरह उसका स्वागत किया....पर वो थोड़ा टेंशन में था।

नेहा:- क्या हुआ राज...इतने टेंशन में क्यों हो??

राजीव ने नेहा को हाथ पकड़ के अपने पास बिठाया और...

राजीव:- नेहा क्या बताऊँ कुछ समझ नही आ रहा...आज मीटिंग थी उसमें मुझे प्रमोट कर दिया है...पर....

नेहा:- वाओ ये तो खुशी की बात है...इसमे टेंशन किंकया बात है...??

राजीव:- पूरी बात तो सुनो...पर अगले प्रोजेक्ट के लिए मुझे पूरा एक साल थोड़े थोड़े दिन ऑस्ट्रेलिया अमेरिका और जर्मनी में रहना होगा...

नेहा:- सच मे...ये तो और अच्छा है ना...आप काम करना मैं घुमुंगी... नेहा राजीव की गोद मे जा बैठी...उसे बहोत खुशी हो रही थी कि वो अब अब्रॉड घूमने मिलेगा....

राजीव:- वही तो प्रॉब्लम है जान की मैं तुम्हे साथ नही ले जा पाऊंगा...क्यों कि प्रोजेक्ट इतना बड़ा है और काम इतना ज्यादा की मुझे हमेशा ट्रैवेल करते रहना पड़ेगा...मैं कभी भी एक जगह 10 दिन से ज्यादा नही राह पाऊंगा ऐसे में तुम्हे साथ ले जाना मुश्किल होगा....इसलिए मैंने सोचा है कि ये प्रमोशन मैं एक्सेप्ट नही करूँगा...

नेहा:- ओह्ह ये ऐसा कैसा प्रमोशन है? हा मत लो प्रमोशन मैं आपके बगैर नही रह सकती...नेहा राजीव से लिपट गयी...

राजीव:- हा जान मैं भी नही...कोई बात नही कोई जूनियर को प्रोमोट कर देने को कहूंगा...और फिर अगले 2 3 साल में मेरा भिंप्रोमोशन हो ही जायेगा...

नेहा:- क्या??? अगले 2 3 साल में?? ऐसा क्यों? और आप अपने जूनियर के नीचे काम करोगे?

राजीव:- तो क्या हुआ?? चलता है आजकल...लेकिन मैं तुमसे दूर रहने की बात सोच भी नही सकता...

नेहा:- नो...नेवर...ऐसा कुछ नही होगा...मैं आपको आपके जूनियर के नीचे काम करते हुए नही देख सकती...आप..आप...आप प्रमोशन ले लो...हम थोड़े दिन एडजस्ट कर लेंगे....

दोनो में थोड़ी बहस होने लगती है...मन तो दोनों का नही करता एकदूसरे से दूर रहने का लेकिन आखरी में ये डिसाइड होता है कि राजीव प्रमोशन लेगा और नेहा यही रहेगी और अपनी अधूरी पढ़ाई पूरी करेगी। लेकिन वो इतने दिन अकेले नही राह सकती इसलिए राजीव अपने माँ बाप को शहर बुला लेगा....राजीव को एक हफ्ते के अंदर ऑस्ट्रेलिया के लिए निकलना था इसलिए वो अगले दिन से ही तैयारी में लग गया...उसके ऑस्ट्रेलिया जाने के दो दिन पहले प्रताप सिंग और प्रमिला गांव से शहर आ गए...नेहा ने भी ओपन यूनिवर्सिटी में एग्जाम का फॉर्म भर दिया और उनकी कॉलोनी से थोड़ी दूर एक क्लास जॉइन कर लिया जो दोपहर में 2 से 4 रहता है। सब सेट हो चुका था...राजीव के जाने का दिन आ गया...दोनो ने भारी मन से एकदूसरे से विदा लिया....राजीव ने नेहा से वादा किया कि उसे जब भी मौका मिलेगा वो इंडिया आ जायेगा...।

सुरु के कुछ दिन ऐसेही बीते... नेहा राजीव रोज फ़ोन पे बात करते मगर टाइम के डिफरन्स की वजह से ठीक से बात नही हो पाती.. फिर धीरे धीरे सब सेटल होने लगे प्रताप सिंग और प्रमिला भी शहर की आबोहवा में एडजस्ट होने लगे थे...प्रताप सिंग बेहद ख्शमिजाज इंसान थे उन्होंने कॉलोनी में कुछ दोस्त बन लिया थे जिनके साथ उनका अच्छा timepas हो जाता राजेश पांडे तो प्रताप सिंग का खास दोस्त बन गया था। राजेश प्रताप सिंग के साथ दोस्ती बढ़ाने लगा था।प्रमिला हमेशा किं तरह यहां भी पूजापाठ में लग गयी ...नेहा ने अपनी हेल्प के लिए एक नोकरानी रख ली थी....बबिता...वो भी कुछ ही दिनों में सबसे घुलमिल गयी थी।



सब सही चल रहा था...लेकिन एक घटना ऐसी घटने वाली थी जिससे सब बदलने वाला था।
 
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बहु हो तो ऐसी....!!! भाग 2
प्रताप सिंग का शहर में एक रूटीन बन गया था। सुबह जल्दी उठना और सैरसपाटे के लिए जाना फिर थोड़ी देर गार्डन में बैठ के दोस्तो के साथ गप्पे लड़ाना और फिर घर आना।

वैसेही एक दिन प्रताप घर लौटा और नहाने के लिए अपने कमरे में गया...लेकिन उसके कमरे का गीज़र काम नही कर रहा था और ठंड बहोत ज्यादा थी तो ठंडे पानी से नहाने के बारे में कोई सोच भी नही सकता था। वो बाहर आया और सामने के गेस्ट रूम में जाने लगा...लेकिन वो रूम नेहा ने लॉक करके रखा था .. इसलिए प्रतापसिंग नीचे आया...उसने देखा कि प्रमिला भगवान के सामने बैठ के पाठ कर रही थी...बबिता अभी तक आयी नही थी और नेहा भी जिम से लौटी नही थी...

प्रतापसिंग:- अब क्या करूँ??? बहु अभीतक जिम से नही आई है...चलो उसके ही बाथरूम में नहा लेता हूं।

प्रताप सिंग नेहा के कमरे में गया और उसके बाथरूम में गीज़र ओन करके अपने कपड़े उतारकर नहाने लगा...नेहा हमेशा की तरह जिम से लौटी और अपने कमरे में आ कर अपने सारे कपड़े उतार दिए...उसे कोई अंदाजा नही था कि प्रतापसिंग बाथरूम में है...नेहा अपने ही धुन में थी...प्रतापसिंग भी बाथरूम में नहाते हुए अपनी ही धुन में था इस बात से अनजान की बाथरूम का दरवाजा खुला ही है। वो मजे से अपने लंड को साफ कर रहा था...इस बात से अनजान की नेहा बाथरूम की तरफ बढ़ रही है....नेहा ने बाथरूम का दरवाजा धकेला.. और अंदर का सीन देख के वो एक पल के लिए पुतला सा बन गयी...प्रतापसिंग अपने आधे खड़े लंड को साबुन लगा के धो रहा था...नेहा की नजर पहले प्रतापसिंग पे गयी और फिर उसके लंड पे...10 इंच आधा खड़ा लंड देख के उसका मुह खुला का खुला रह गया...उसे समझ ही नही आया कि उसे क्या करना चाहिये....लंड को देख के उसने एक नजर प्रतापसिंग पे डाली और दुबारा उसके लंड को देखने लगी....प्रतापसिंग भी इस अचानक हुई घटना से थोड़ा हड़बड़ा गया....उसे भी समझ नही आया कि वो क्या करे...वो अपना लंड हाथ मे लिए वैसा ही खड़ा रहा....

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नेहा उसके सामने पूरी तरह से नंगी खड़ी थी...उसके 36 की चुचिया

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उसका सपाट पेट गहरी नाभि...और थोड़ा नीचे एकदम गोरी बिना बालो वाली चिकनी चुत का ऊपरी हिस्सा.....

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प्रतापसिंग किसी बूत की तरह खड़ा अपनी बहू नेहा को ऊपर से नीचे तक देखने लगा....10 सेकंड में ही उसकी आँखों का कनेक्शन उसके लवड़े से जुड़ गया और तुरंत ही उसमे हलचल होने लगी...उसका लंड एकदम से ही अपनी असली औकात में आ गया....और आये भी क्यों नही...उसके सामने सुंदरता और कामुकता का परफेक्ट मिश्रण निर्वस्त्र खड़ी थी....प्रतापसिंग के लवड़े का रूप बदलना नेहा की नजरों से छिप नही सका...और वही पल नेहा होश में आई और तुरंत पलट गई....लेकिन उसका पलटना भी प्रतापसिंग के लिए किसी वरदान से कम नही था....क्यों कि नेहा की नंगी सुडौल गांड उसके नजरो के सामने थी....

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औरत भारी भरकम गांड हमेशा से ही प्रतापसिंग कि कमजोरी रही थी.....और जब नेहा जल्दी जल्दी वहां से जा रही थी तब उसकी नंगी गांड की फाके ऊपर नीचे होती हुई प्रतापसिंग देखे जा रहा था.

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....उसे होश टैब आया जब नेहा उसकी आँखों से ओझल हुई....उसने दरवाजा बंद किया...और अपनर लंड को देखा जो पूरा खड़ा हो चुका था.....हल्के हल्के हिचकोले खा रहा था।

प्रताप सिंग जल्दी नहाया और और अपने कपड़े पहन के रूम से बाहर आया...उसने देखा नेहा वही डाइनिंग टेबल के पास अपना सर नीचे झुकाये शर्माते हुए अपने सर पे हाथ लगाए खड़ी थी...रूम खुलने की आवाज़ आयी उसने एक नजर उसतर्फ देखा और न चाहते हुए उसकी नजर प्रतापसिंग के लंड पे गयी जो अभी भी तना हुआ था टॉवल में लंड का उभार साफ नजर आ रहा था और प्रतापसिंग उसे छुपाने की नाकाम कोशिश कर रहा था...नेहा शर्म से लाल हो गई और पलट के दूसरी और देखने लगी...प्रतापसिंग किसी अपराधी की तरह उसे देखे जा रहा था लेकिन जैसी ही वो पलटी उसकी नजरें नेहा की गांड पे चली गयी जो जिम सूट में और भी आकर्षक लग रही थी...कुछ ही टाइम पहले उसने वो नंगी देखी थी...प्रतापसिंग का लंड जो बैठने का नाम ही नही ले रहा था उसे मानो कुछ खुराक और मिल गयी...प्रतापसिंग जल्दी से वहां से निकल गया।

अपने कमरे में पहोच कर प्रताप सिंग अभी हुई घटना के बारे में सोचने लगा...."उफ्फ बहु क्या सोच रही होगी मेरे बारे में?? ये सब नही होना चाहिए था...उससे नजरे मिलने की हिम्मत नही हो रही...और वो भी तो नंगी थी....""

नेहा का नंगा जिस्म फिर से उसकी आँखों के सामने नाचने लगा....उसकी थिरकती मटकती गांड की याद ने उसका लंड और टाइट हो गया....अनायास ही उसका हाथ लंड पे चला गया और उसे दबाने लगा..

"उफ़्फ़फ़फ़ क्या गांड है बहु की...और इनसाब को देखो बहु की गांड का सोच के कैसे फन उठा रहा है...बिचारा उठाये भी क ना...न जाने कितने दिन हो गए चुत और गांड की गहराई नापे""

प्रताप सिंग ने टॉवल निकाला और लंड को मुठियाने लगा..."आहहहहहह सच मे क्या जवानी है बहु की उफ़्फ़फ़फ़फ़ बड़ा किस्मत वाला है बेटा मेरा जो रोज ऐसी जवानी का लुफ्त उठता है...क्या मजा देती होगी बिस्तर में"

प्रतापसिंग उनदोनो की कामक्रीड़ा के खयालो में खोया लंड हिलाने लगा और कुछ ही पल में उसके लंड से पच पच करके पिचकारी निकलने लगी जो वही फर्श पर गिर गयी....

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तभी उसका फ़ोन बजा और उसे होश आया....वो जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहने और फ़ोन पे बात करने लगा...फ़ोन कॉलोनी में से किसीका था क्यों कि कही जाने का प्लान बना था...वो फ़ोन पे बात करते हुए नीचे आया...उसने देखा कि बहु वहां नही थी...उसने बबिता से जल्दी से नाश्ता देने को कहा...

"""जब प्रतापसिंग अपने कमरे में मुठ मार रहा था उस दौरान""



नेहा ने देखा प्रतापसिंग ऊपर चला गया तो वो अपने कमरे में गयी और दरवाजा बंद किया...और कपड़े उतारने लगी...लेकिन मानो उसे लग रहा था प्रतापसिंग अभी भी उसे देखे जा रहा है...उसने इधर उधर देखा..."कोई नही नेहा बाबूजी चले गए..." और खुद की बेवकूफी पे हँसने लगी।

""हे भगवान आज क्या हो गया...बाबूजी ने मुझे पूरा नंगा देख लिया...मैन भी तो उनको नंगा देख लिया...उफ्फ्फ क्या कर रहे थे बाबूजी अपने लंड के साथ...शायद मुठ मार रहे होंगे...कितना बड़ा है उनका लंड हाय... ऐसा तगड़ा लंड आजतक नही देखा रियल में....उफ़्फ़फ़फ़""

नेहा सोचते हुए बाथरूम में आ गयी..."" बाबूजी पक्का मुठ ही मार रहे थे..." तभी उसकी नजर अपनी पैंटी पे गयी जो वह लटक रही थी..."उफ्फ तो क्या बाबूजी मेरी पैंटी को देख के मुठ मार रहे थे...मतलब वो मेरे बारे में सोच के...नही नही बाबूजी ऐसे नही है...अरे नेहा इंसान सब अच्छे होते है बस उनका लंड उनके बस में नही होता...और बाबूजी का तो कितना मस्त है यार...""नेहा का हाथ अपनेआप चुत पे चला जाता है...""अहहहहहहहह कितना मजा आयेगा ऐसे लंड से चुड़वाने में उफ़्फ़फ़फ़फ़ माजी बड़ी किस्मत वाली है उफ़्फ़फ़फ़ कैसे पेलते होंगे ना बाबूजी माँ जी को हाय रे..."" नेहा भी उनदोनो की चुदाई के बारे में सोचने लगी और चुत सहलाने लगी...उसका उत्तेजित होना लाजमी था क्यों कि 30 दिन हो गए थे उसे बिना लंड के...इतने दिन वो बिना छुड़वाए कभी नही रही।

दोनो की चुदाई के बारे में सोचते सोचते नेहा कब खुद को प्रमिला के स्थान पर खुद को इमेजिन करने लगी उसे पता ही नही चला..."

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अहहहहहहह यएसससससससस उफ्फ्फ बाबूजी कितना बड़ा लंड है आपका हाय रे उफ़्फ़फ़फ़फ़ चोदिये और चोदिये मममममम यस यस""

नेहा की उत्तेजना इतनी बढ़ गयी थी कि वो अपने ससुर को चोदने को कह रही थी....

"हहहहह बाबूजी उफ़्फ़फ़फ़फ़ बहोत मजा आ रहा है अहहहहहहहह उम्मम्ममम्म आह आह"

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और अगले ही पल नेहा अपनी चरम सीमा पर थी....नीचे बाथरूम में फर्श पे बैठे बैठ अपना ऑर्गेज़म एन्जॉय कर रही थी।

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जब होश आया तो खुद पे गुस्सा और शर्म दोनो उसकी आँखों मे झलक रही थी।

वो फटाफट नहाई और कपड़े पहने और बाहर आयी। उसने देखा की प्रतापसिंग कही जा रहा था...तभी प्रमिला ने उसे आवाज दी..

प्रमिला:- अरे बहु ..ऊपर कमरे से मेरी दवा तो ले आए...दवाई का टाइम हो गया है...

ये बात प्रतापसिंग ने भी सुनी। उसे एकदम से याद आया की उसने जो मुठ मारी थी वो उसने साफ नही की थी। उसके पैर वही जम गए....सोचने लगा की अगर नेहा ने देख लिया तो क्या होगा?? वो उसे रोकने के लिए पलटा तब तक नेहा ऊपर कमरे में पहोच भी गयी थी..नेहा ने जैसी ही कमरे में कदम रखा उसे बेड के साइड में कुछ चमकता हुआ दिखा...वैसे तो उसकी नजर फर्श पर नही जाती मगर खिड़की से आती सूरज की किरणें उस गाढ़े सफेद वीर्य से रिफ्लेक्ट हो कर सीधा नेहा की आखों में जा रही थी...नेहा ने गौर से देखा फर्श पे कुछ गिरा हुआ था.....उसे लगा शायद कोई क्रीम होगी.. जब पास जा कर देखा तो बहोत सारा वीर्य फर्श पर गिरा हुआ था...और नेहा को कुछ जानिपहचानी खुशबू आ रही थी..."ये तो कोई क्रीम नही है.. इसकी स्मेल....ओह ओमजी ये तो बिल्कुल वीर्य की स्मेल है"...वो नीचे बैठी.. वीर्य अभी सूखा नही था...उसने दो उंगली से वीर्य को फर्श से उठाया...और स्मेल किया..."आह ये यकीनन वीर्य ही है ....ले..लेकिन इतना सारा"...उसने एक नजर फर्श पर बिखरे वीर्य पर दौड़ाई....."नही नही ये वीर्य नही हो सकता...क्यों कि किसी के लंड से इतना वीर्य निकलते मैन नही देखा...और बाबूजी ....हो भी सकता है बाबूजी का लंड भी तो कितना बड़ा है....फिर भी ये बहोत ज्यादा है...शायद कोई क्रीम ही है...टेस्ट कर के पता चल सकता है..." नेहा क्यूरिऑसिटी के मारे धीरे से जुबान निकाल के अपनी उंगली चाटती है...

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थोड़ा सा चख के....फिर से थोड़ा ज्यादा चाटती है....

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और एकदम से अपना हाथ साफ करते हुए उठ खड़ी होती है..."ओमजी ये वीर्य ही है उफ़्फ़फ़फ़फ़ बाबुजी शायद मुठ मार के भूल गए साफ करना...उम्मम्ममम्म कितना सारा है ये उफ्फ्फ सच मे बाबूजी कमाल के है...इस उम्र में भी इतना पानी निकलते है...लेकिन ये अभी कुछ टाइम पहले का लग रहा है...मतलब ....ओमजी मतलब बाबूजी ने मुझे जो नंगा देखा उस वजह से....हाय रे...बाबूजी ने मेरे नाम की मुठ मारी उफ़्फ़फ़फ़फ़"" नेहा शर्म से लाल लाल हो गयी थी..."उफ्फ्फ कितने गंदे है बाबूजी...आपनि बहु के नाम की मुठ मार रहे थे...छी..." सोच कुछ रही थी और एक्सप्रेशन कुछ और ही थे.....उसे अंदर ही अंदर एक अजीब सी खुशी महसूस हो रही थी.....और मुह में वी वीर्य का स्वाद उसे कुछ और ही दुनिया मे ले गया था..."ह्म्म्म बाबूजी गंदे...तो तू क्या है....तू भी तो उनके लंड से चुदवाते झड़ी है थोड़ी देर पहले...." नेहा ये सब मन ही मन सोच रही थी और उसने बाजू में पड़ा एक कपड़ा उठाया और साफ करने लगी....इस बात से अनजान की उसके चेहरे बदलते हावभाव उसका वीर्य को सूंघना चाटना प्रतापसिंग चुपके से देख रहा था.. वो अंदाजा लगाने की कोशिश कर रहा था कि नेहा आखिर क्या सोच रही है...लेकिन मन की बातो का सिर्फ अंदाजा लगा सकते है...पर प्रतापसिंग बहोत शातिर खिलाड़ी था...उसने इस बात का तो अंदाजा लगा ही लिया था कि नेहा शर्मा रही है मतलब वो गुस्सा नही है...और वीर्य की टेस्ट करके जब वो चौकी तो प्रतापसिंग ने देख लिया कि उसे पता चल गया है....की उसने उसके नाम की मुठ मारी है। उसका लंड अपनी बहू को अपने वीर्य को चाटते देख फिर से खड़ा हो गया था...उसके अंदर का शैतान जागने लगा था...प्रतापसिंग बहोत शातिर कमीना था सेक्स के बारे में मगर उसने कभी भी अपनी घर की औरतों को बुरी नजर से नही देखा था...लेकिन आज पहली बार वो नेहा को बस एक औरत ...एक कामुक खूबसूरत प्यासी औरत जैसे देख रहा था...उसके मन मे एक ही पल में न जाने कितने खयाल दौड़ गए....और उसके चेहरे पे एक शैतानी मुस्कान दौड़ गयी....और वो चुपके सीढिया उतरके नीचे आ गया और अपनी चप्पल पहन के बाहर दोस्तो से मिलने चला गया...

नेहा और प्रतापसिंग दोनो के मन एक छोटीसी चिंगारी जल चुकी थी....और सब जानते है जंगल जलाने के लिये एक चिंगारी ही काफी है।
 
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बहु हो तो ऐसी.....!!! भाग 3
प्रतापसिंग और उसके हमउम्र रिटायर्ड दोस्त मूवी देखने का प्रोग्राम बना रहे थे...सबकुछ तय करके 2 बजे राजेश पांडे की दुकान पे सब मिलेंगे ये तय हुआ।

प्रताप सिंग घर वापस आया लेकिन उसे नेहा नही दिखी वो शायद अपने कमरे में ही थी। वो भी खाना खा कर अपने कमरे में आराम करने चला गया। प्रमिला भी आराम कर रही थी...उसे देख के उसके मन मे आया कि आज इसे ही चोद के थोड़ा लंड को ठंडा कर लूं...पर जैसे ही उसने कोशिश की प्रमिला ने उसे रोका...
प्रमिला:- क्या है जी...सोने दीजिये ना...
प्रतापसिंग:- अरे मेरी भागवान कितने दिन हो गए हमे चुदाई किये...कभी तो उस परमेश्वर को भूल के इस पति परमेश्वर की तरफ ध्यान दो...
प्रमिला:- कैसी बाते करते हो जी आप?? मैने कब आपका ध्यान नही रखा...बस कुछ दिन और मेरा पाठ पूरा हो जाने दीजिए...
प्रतापसिंग:- तुम हमेशा कोई न कोई पाठ करती रहती हो और मैं बस ऐसेही...
प्रमिला:- ठीक है जी बस ये हो जाने दीजिए फिर कोई नया पाठ शुरू नही करूँगी...अब थोड़ा आराम कर लूं...आप भी तो बाहर जा रहे हो न अपने दोस्तों के साथ...
प्रतापसिंग मन ही मन उसे कोसता हुआ उठा और तयार हो कर निकाल गया अभी 2 बजने में वक़्त था तो राजेश पांडे की दुकान पे जा कर बैठ गया...दोनो इधर उधर की बाते करते रहे....तभी नेहा वहा से गुजरते हुए प्रतापसिंग को दिखी....टाइट जीन्स टॉप में वो पैदल ही अपने क्लास की और जा रही थी....नेहा का ध्यान नही था...पर दोनों का ध्यान अब उसपर ही था...सामने से टॉप में ठुसे हुए उसके आम को देख दोनो की हालत खराब होने लगी थी...

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और जब वो थोड़ा आगे निकली तो उसकी मटकती गांड को देख दोनो मचल उठे...


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राजेश तो उसे रोज ही देखता था पर आज उसके साथ प्रतापसिंग भी अपनी आंखें सेक रहा था नेहा की जवानी की आग में...राजेश का ध्यान गया तो उसने देखा कि प्रतापसिंग भी अपनी बहू का पिछवाड़ा देख लार टपका रहा था...उसे देख उसको बड़ा आश्चर्य हुआ और उसे हसि भी आयी... लेकिन वो उसने छुपा ली और कुछ नही बोला।

थोड़ी देर में सब दोएत इक्कठा हुए और मूवी देखने चले गए...मूवी के बाद राजेश प्रतापसिंग को जबरदस्ती एक बार मे ले गया और बाकी दोस्त उन्हें छोड़ के घर वापस आ गए।

राजेश और प्रतापसिंग एक कोने में बैठ गए।
उनके साइड वाले टेबल पे दो लोग शराब पीते हुए बाटे कर रहे थे। उनको थोड़ी ज्यादा ही हो गयी थी।
पहला:- यार अपने शहर की बात हि कुच और थी...बहोत मजा आता था घूमना फिरना खाना पीना लडकिया ताड़ना...बहोत मिस करता हु यार...
दूसरा:- हा यार हम दोस्त तुझे बहोत मिस करते है...
पहला:- यार तुझे पता है मैन पिछले महीने नेहा को देखा उसके पति के साथ...
दूसरा:- कोन नेहा?? अरे वो नेहा...अपने मेहता डिपार्टमेंटल स्टोर वाले मेहता साब की लड़की??
पहला:- हा वही...अभी तो और माल बन गयी है यार..
दूसरा:- हा वो इसी शहर में रहती है...

राजेश और प्रतापसिंग अपनी बातों में बिजी थे पर जैसे ही नेहा का नाम सुना तो दोनों गौर से उनकी बाते सुनने लगे...पहले तो प्रतापसिंग को लगा कोई और होगी पर जब मेहता स्टोर की बात सुनी तो समझ गया कि वह उसकी बहु नेहा की बाते कर रहे थे...
दूसरा:- उसका पति हीं था न?? या कोई उसका पुराना यार??
दोनो हँसने लगे...
पहला:- पता नही भाई यार था या पति...ऐसी लड़कियों का क्या भरोसा...वहां मायके में तो बहोत झंडे गाड़े है उसने...
दूसरा:- गाड़े नही गडवाए है...हा हा हा.. पर कुछ भी कहो यार थी बड़ी मस्त चीज...
पहला:- है यार नसीबवाला है उसका पति जो अब रोज उसको पेलता होगा...
दूसरा:-ह्म्म्म पति भि पेलता होगा और ससुर देवर सब पेलते होंगे भई...
पहला:- हा और वो भी खुशी से लेती होगी सबका...
दूसरा:- चल यार हमे क्या...चल बिल दे और निकलते है...तुझे lलेट हो जाएगा....

दोनो चले गए...राजेश प्रतापसिंग को बड़े गौर से देख रहा था...वो उनदोनो की बाते सुन के बहोत बेचैन से हो गया..
राजेश:- क्या हुआ प्रतापसिंग जी क्या सोच रहे हो??
प्रताओसिंग:- नही...कुछ नही...
राजेश:- ये दो बेवड़े कही आपकी बहु नेहा की तो बात नही कर रहे थे....मतलब वो भी मायके से मेहता है...
प्रतापसिंग:- क्या बकवास कर रहे हो...
राजेश:- अरे प्रतापसिंग जी गुस्सा क्यों कर रहे हो?? वो मैं तो बस पूछ रहा था...वैसे सारि चीजे तो आपकी बहु से मेल खाती है...
प्रतापसिंग कुछ नही बोलता...उससे राजेश की हिम्मत बढ़ जाती है...
राजेश:- नेहा बेटी वैसे सच मे बहोत कमाल की है....उसे देख के खड़ा हो जाता है कसम से...जैसा आपका खड़ा हो गया था तभी दोपहर में...मैन देखा आप कैसे उसका पिछवाड़े को घर रहे थे...उसमे गलती आपकी नही है हमारी कॉलोनी के हर छोड़ा बड़ा मर्द उसके नाम से हिलाता होगा...आप भी हिलाते हो क्या??
दोनो पे शराब के नशे का सुरुर साफ झलक रहा था..
राजेश:- मैं तो हमेशा मुठ मरता हु नेहा बहु के नाम की...आप कैसे कंट्रोल करते हो पता नही...अगर मैं आपकी जगह होता न तो इस मौके का फायदा उठाता.. बेटा घर पे नही...बहु को मर्द की कमी महसूस हो रही होगी ऐसे में उसको पटाना आसान होगा प्रतापसिंग जी....
प्रतापसिंग:- अबे वो पांडे...तुझे समझ नही आता क्या...साले बकवास करेगा तो यही उठा के पटक दूंगा...दुबारा मेरी बहु को देखा बुरी नजर से तो तो तेरी आँखे निकल दूंगा समझा...दो घुट शराब क्या पीली तेरे साथ तू सर पे बैठ रहा है...
राजेश:- अरे..अरे प्रतापसिंग जी माफ् कर दीजिए वो तो मैं बस...ऐसेही...ये नशे में थोड़ा बहक गया...माफ कर दो...दुबारा कुछ नही कहूंगा...

प्रतापसिंग:- चल हट..नही पीना तेरे साथ...
और प्रतापसिंग गुस्से में वहां से निकल गया...लेकिन रास्तेभर उसके दिमाग मे राजेश और उन दो अनजान लोगों की बाते घूम रही थी.. यकीनन वो दोनों नेहा की ही बात कर रहे थे..तो क्या नेहा सच मे बहोत चुददकड थी?? इतनी चुददकड की वो अपने पति के अलावा ससुर देवर से चुदवा ले?? दोनो की बाते सुन के तो लगता है कि वो बहोत कुछ जानते है नेहा के बारे में...लेकिन एक बात समझ नही आ रही ये सब चीजें आज ही क्यों हो रही है?? ये सिर्फ संयोग है या कोई इशारा? यकीनन ये इशारा ही है।
और पांडे जो बोल रहा था वो भी सही है उसे मर्द की जरूरत है...ऐसे में वो कहि बाहर...नही ..नही इसमे बहोत बदनामी होगी इससे अच्छा की मैं ही....हा कोशिस करने में क्या जाता है...वैसे भी मेरा लंड भी तो प्यासा है कई दिनों से...लेकिन बहु के साथ ये सब...कुछ नही होता राजेश नही बोल रहा था कि अगर वो मेरी जगह होता तो...हा और मैं कोनसा जबर्फ़सती करने वाला हु...सहमति से होगा तो क्या बुरा है??

ये सब उसके अंदर उथलपुथल मची हुई थी...घर पहोचते पोहचते उसकी शराब का नशा पूरा उत्तर चुका था...और वैसे भी एकबार किसी को जवानी का नशा होने लगे तो दूसरा नशा कहा कुछ असर करता है।
घर पहोचते ही उसकी और नेहा का आमना सामना हो गया...दोनो ने एक नजर एक दूसरे को देखा ...प्रतापसिंग को देख नेहा शर्मा गयी और उसे एकदम से फर्श पर गिरे वीर्य की याद आ गयी... और उसकी हसि निकल गयी...प्रतापसिंग समझ गया कि नेहा क्यों हस रही है....उसने देखा वो अकेली थी....वो वही बैठ गया...."बहु एक ग्लास पानी तो देना"
उसने दोनो के बीच की ऑकवर्ड होती जा रही सिचुएशन को कुछ कम करने की कोशिश की।
नेहा पानी लेके आयी और प्रतापसिंग को दिया।
प्रतापसिंग ने पानी लिया...नेहा पलट के जाने लगी तो...
प्रतापसिंग:- नेहा बेटी सुनो....
नेहा रुक गयी और उसे देखने लगी।
प्रतापसिंग:- बेटी वो सुबह जो भी हुआ.....वो...मतलब...मैं वो...मैं कह रहा था कि...मैं माफी माँगना चाह रहा था...बेटी वो मैं बाथरूम में गया और याद ही नही रह दरवाजा बंद करना...आदत नही है ना...
नेहा:- (शर्माते हुए) कोई बात नही बाबूजी...वो सब तो एक एक्सीडेंट था।
नेहा का सहज जवाब से प्रतापसिंग थोड़ा हल्का फील करने लगा...
प्रतापसिंग:- थैंक यू बेटी...बड़ा अजीब लग रहा था सुबह से...एक पल के लिए भी चैन नही मिल रहा था. ..
नेहा:- क्या हुआ बाबूजी?? आप इतना क्यों सोच रहे हो...हो जाता है...
प्रतापसिंग:- है बेटी पर ऐसे एकदूसरे को देखना...पता नही बहोत अजीब लग रहा है...
नेहा शर्मा के अपना सर नीचे कर लेती है।
प्रतापसिंग:- सुबह से बस उसी के बारे में सोच रहा हु...बस आखो के सामने से सुबह की वो तस्वीर हट ही नही रही है..
नेहा को समझ आ गया कि वो उसकी नंगी तस्वीर की बात कर रहा है....उसका हाल भी वही था...सुबह से उसकी आँखों के सामने प्रतापसिंग का लंड नाच रहा था।
प्रतापसिंग:- क्या सोच रही हो बेटी? यही सोच रही हो ना कि कैसे ससुर है जो बहु से ऐसी बाते कर रहा है? बहु क्या करूँ तुम से अगर उस बारे में बात नही करूँगा तो चैन कैसे मिलेगा? तुम्हे देख के ऐसा लग रहा है जैसे तुम भी सुबह से बेचैन हो...हो क्या?
नेहा ने एकदम से प्रतसिंग की आखों में देखा...उसे उसकी आँखों मे शैतानियत नजर आयी...हवस वासना नजर आयी...वो शर्म के मारे लाल हो गयी।
नेहा:- वो बाबूजी...मैं...हा... मतलब की नही...अजीब तो लग ही रह था...लेकिन क्या कर सकते है...जो होना था वो हो गया।
प्रतापसिंग:-मतलब तुम भी सोच रही थी...और बहू थैंक यू...
नेहा:- थैंक यू??? किस लिए बाबूजी?
नेहा समझ नही पायी..
प्रतापसिंग:- वो सुबह तुमने हमारे कमरे में जो साफ किया उसलिए....और एक नॉटी स्माइल पास की।
नेहा शॉक हो कर उसे देखने लगी।
नेहा:- साफ सफाई? मतलब मैं समझी नही...उसे सब समझ आ गया था पर शर्म के मारे अनजान बनाने की कोशिश कर रही थी।
प्रतापसिंग:- अरे बेटी वो फर्श पर गिर हुआ वो...मतलब मैन देखा सब तुम जो कर रही थी... मैं भूल ही गया था उसके बारे में...और ऐसेही निकल गया था...लेकिन तुमने बचा लिया मुझे ।...तुम्हे तो पता ही है तुम्हारी सास कैसी है उसे थोड़ा भी इधर उधर नही चलता. ...खास कर के जब वो पाठ कर रही होती है।
नेहा शर्म के मारे कुछ नही बोल पा रही थी।
प्रतापसिंग:- वैसे गलती मेरी ही है...मुझे थोड़ा कंट्रोल करना चाहिए था.. .पर नही हुआ...
प्रतापसिंग हर एक कदम फुक फुक के रख रहा था...वो नेहा को देख रहा था कि वो जो बाटे कर रहा है उसपे नेहा को कोई ािाितराज तो नही...लेकिन नेहा का शर्माना उसे होलिम्मत दे रहा था।
प्रतापसिंग:- क्या करता बहु...वो सुबह तुम्हे ऐसे देखा और बस खुद पे काबू ही नही रहा...तुमने भी देखा ना...कैसे एकदम से वो.. मतलब की...
नेहा सब सुन रही थी और शर्म से लाल हुई पड़ी थी...उसका ससुर उसके सामने कबूल कर रहा था कि उसने उसके मन की मुठ मेरी थी।
प्रतापसिंग:- क्या हुआ नेहा बेटी...कुछ गलत बोल दिया क्या? कुछ जवाब तो दो...
नेहा ऊपर देखते हुए..."बाबूजी अब क्या बोलू मैं"
प्रतापसिंग:- देखो बहु जो मेरे मन मे था वो बोल दिया वरना आज नींद नही आती मुझे...तुम भी मन हल्का कर लो...वैसे एक बात पुछु?? तुम फर्श पर गिरे उस पानी को इतना गौर से देख रही थी और तुम्हारी आंखे शॉक से इतनी क्यों बड़ी हो गयी थी?
नेहा:- बाबूजी....वो...मैं...मैं...नही तो...ऐ.. ऐ.. ऐसा कुछ नही...
प्रतापसिंग:- मैन देखा बहु...तुम कुछ सोच रही थी...अब ऐसा तो नही था कि तुमने पहली बार देखा हो....
नेहा:- देखा बाबूजी पर इतना सारा किसीका नही देखा....नेहा हड़बड़ाहट में बोल गयीं।
प्रतापसिंग हँसते हुए:- किसीका??? क्या मतलब किसीका?
नेहा खुद को मन ही मन गाली दे रही थी कि वो क्या बोल गयीं।
अब नेहा को सफाई देने के लिए बोलना ही पड़ रहा था वरना वो वहां से खिसकने के बारे में सोच रही थी।
नेहा:- वो..वो...बाबूजी आपके बेटे का..मेरे कहने का मतलब ये था...
प्रतापसिंग:- अरे बहु इसमे इतना क्यों घबरा रही हो?? जब मर्द बहोत दिनों तक कुछ नही करता तो उसका निकलता है ज़्यादा...पर सच कहु तो मैं भी हैरान था...की मेरा इतना सारा कोसे निकला...शायद तुम्हारी वजह से...प्रतापसिंग ने आखरी लाइन बहोत ही धीरे से और सेंसुअस तरीके से कहि।
नेहा ने एक बार उसकी आँखों मे देखा...वो मुस्कुरा रहा था..और फिर से आँखे नीची कर ली।
प्रतापसिंग:- हा बहु सच कह रहा हु...सुबह जब तुम्हे देखा मैं बहोत ज्यादा उत्तेजित हो गया था...और जब ज्यादा उत्तेजित होता हूं उतना ज्यादा निकलता है...
नेहा:- बाबूजी प्लीज ऐसी बाते मत कीजिये...नेहा वहां से बच के निकलना चाहती थी पर पता नही क्यों निकल ही नही पा रही थी।
प्रतापसिंग:- सॉरी बेटी...पर मैं करता भी क्या...मेरे पास दुआरा रास्ता नही था उसे शांत करने का...पूरी तरह अकड़ गया था...तुमने भी तो देखा था न...
नेहा:- बाबूजी....
प्रतापसिंग:- नेहा सच कहूँ... सिर्फ तभी नही दिनभर से वही हाल है मेरा...
जैसे ही प्रतापसिंग ने ऐसे कहा...नेहा की नजर उसके लंड की और चली गयी...प्रतापसिंग ने वो देख लिया।
प्रतापसिंग:- देखा बहु अभी भी वही हाल है....
नेहा को समझ आ गया कि प्रतापसिंग ने उसे उसके लंड की और देखते हुए देख लिया है वो...
नेहा:- बाबूजी मुझे कुछ काम है मैं जाती ह...बोल के अपने कमरे में भाग गई।
प्रतापसिंग शैतानी हसी हस्ते हुए उसे देखता रहा...
"ह्म्म्म सुरवात तो अछि रही...अगर उसे कुछ बुरा लगता तो मेरी इतनी सारी बाते ऐसे सुनते हुए नही खड़ी रहती चलो अच्छा है धीरे धीरे काम बन जायेगा...बस मुझे कुछ गड़बड़ नही करनी है।"

नेहा अपने कमरे में आयी और दरवाजा बंद करके धड़ाम से बेड पर गिर गयी...
"" छि बाबूजी कितने गंदे है उनको मैं कितना शरीफ समझती थी....लेकिन उनकी क्या गलती है मैं भी तो वही खड़ी उनकी बाते सुन रही थी....और बाते सुन के कुछ कुछ हो भी रहा था...लेकिन उनकी हिम्मत तो देखो...अरे क्यों हिम्मत नही बढ़ेगी जब उन्होंने देखा कि बहु कैसे उनका वीर्य सूंघ रही है चाट रही है तो उनके मन मे ये सब आना लाजमी है...और इतने तजुर्बेकार इंसान है उन्होंने मुझे ऐसे करते देख पहचान लिया होगा की मैं एक नंबर की चुदक्कड़ हु...लेकिन हु तो बहु ही ना....ह्म्म्म मुझे लगता है बाबूजी बहोत प्यासे है इसलिए मुझे आज नंगा देख के उनके सोये अरमान जग गए है...हा माजी तो कुछ करने देती नही होगी...तो बेचारे क्या करंगे? लेकिन क्या वो मुझ पे ट्राय कर रहे थे?? नही नही...बस अपना मन हल्का कर रहे थे...हे भगवान ये सब मेरे साथ ही क्यों होता है?? ये एक्सीडेंट मेरे ही नसीब में लिखे है??"
नेहा अपने पुराने दिनों के बारे में सोचने लगी...लगबग 12 साल पहले की बाते उसे याद आने लगी।
"एक वो दिन था जब मैं सेक्स की दुनिया से इंट्रोड्यूस हुई थी....मुझे याद है....जब मैं बीमार थी और माँ उस रात मेरे साथ सो रही थी....और जब मैं मेरी नींद खुली तो देखा कि माँ के ऊपर पापा चढ़े हुए थे....वो उनकी चुत में अपना लंबा मोटा लंड डाल के खप खप चोद रहे थे....उनको ऐसे देख के मेरी चुत भी कितनी गीली हो गयी थी उफ़्फ़फ़फ़फ़

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पापा और मम्मी की चुदाई कितना देर तक चली और मेरी हालत खराब हो गयी थी
मुझे आज भी याद है मम्मी कितने मजे से चुदवा रही थी पापा से उफ़्फ़फ़फ़फ़

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वो पहली बार था जब मैंने रियल लंड देखा था पहली बार .....उस वक़्त भी मैन न जाने कितनी बार पापा के लंड को सोच के चुत में उंगली की थी...और तभी से मुझे चुदाई का चश्का लगा था.. लेकिन तब मैं नासमझ थी...और अब मैं शादीशुदा हु...राजीव कितना प्यार करता है मुझसे...अब मैं पुरानी गलतिया नही दोहराउंगी..."" नेहा खुद को मजबूत करने में लगी थी और उधर प्रतापसिंग उसे कमजोर करके अपने लंड की निचे कैसे लाये इसबारे में सोच रहा था।
थोड़ी देर में सब एकसाथ बैठ के खाना खा रहे थे।
प्रमिला:- अरे वाह बहु आज तो कहना बहोत अच्छा बना है...वैसे राजीव का फ़ोन नही आया आज...
नेहा:- आया था मा जी वो सुबह 4 बजे ही आया था...ये सब गड़बड़ ही चलता रहेगा अब ...उनका और हमारा टाइमिंग अलग ही चलता है न...
प्रतापसिंग:- बहु तू दुखी मत हो...हम है ना यहां....मैं तुम्हरा अछेसे खयाल रखूंगा...प्रतापसिंग उसकी आँखों मे देखते हुए उसके हात पे अपना हाथ रख के हल्के से दबाया...तुम्हे राजीव की कमी बिल्कुल महसूस नही होने दूंगा...क्यों प्रमिला सच कहा ना?
प्रमिला:- हा बिल्कुल...ये भी भला कोई कहने की बात है?
प्रतापसिंग:- देखा बहु तुम्हारी माँ जी भी कह रही है..
नेहा ने अपना हाथ खिंचा... उसे सब समझ आ रहा था...
प्रतापसिंग:- बहु खाने के बाद थोड़ा मलाई वाला दूध पिला देना...आज पीने का बहोत मन कर रहा है...वो उसकी आँखों मे और फिर उसकी चुचियो को देलहते हुए कहा....वो आज थोड़ी कमजोरी महसूस हो रही है....नेहा की आखों में देखते हुए...बहु तुम भी पिया करो मलाई वाला दूध...देख रहा हु तुम्हारे चेहरे का नूर कम हो रहा है...शैतानी हसी...और तुम्हे तो पसंद भी है. है ना? सुबह देखा मैन तुम कैसे मलाई चाट रही थी...
नेह शर्म से पानी पानी हो रही थी।
नेहा:- जी बाबूजी...मन मे...उफ्फ ये बाबूजी भी ना यार कहा फस गयी मैं...

सब ने खाना खाया और नेहा प्रतापसिंग के लिए दूध बनाने लगी।
प्रतापसिंग ने देखा प्रमिला ऊपर जा रही है तो वो किचन में नेहा के पास चला गया...
प्रतापसिंग:- बेटी हो गया दूध गरम? उसकी चुचियो को फेखते हुए पूछा।
नेहा समझ गयी कि वो उसकी चुचियो को देख रहा है।
नेहा:- हा बाबूजी आप बैठिये अभी लाती हु...बस थोड़ा ठंडा कर लेती हूं...
प्रतापसिंग:- बहु गरम दूध का अपना ही मजा है...पिलाओगी गरम दूध?
नेहा सब समझ के अनजान बनने की कोशिश कर रही थी।
नेहा:- जैसा आप पीना चाहो...मैं अभी ग्लास में निकाल देती हूं...
प्रतापसिंग:- निकालो जल्दी बहु...अब सब्र नही हो रहा...
नेहा:- ये लीजिये बाबूजी...नेहा ने ग्लास उसकी चेहरे की तरफ उठाते हुए उसे दिया...
प्रतापसिंग:- अरे तुम नही पीओगी??
नेहा:- नही बाबूजी मुझे नही पीना..
प्रतापसिंग:- अरे ऐसे कैसे...लो तुम भी लो..उसने दूसरे ग्लास में दूध दिया ...बहु मलाई नही डालोगी? कहो तो मैं डाल दु?
ऐसा बोल के उसने वो किया जो नेहा बिल्कुल भी एक्सपेक्ट नही कर रही थी...उसने अपने लंड पर से हाथ घुमाया...

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.नेहा एकदम से शर्मा गयी।
नेहा:- नही बाबूजी नही चाहिए...
प्रतापसिंग:- सुबह तो बड़ी चाव से चाट रही थी...
नेहा को कुछ समझ नही आ रहा था...जिस बात पे उसे गुसा आना चाहिए उस बात पे वो शर्मा रही थी। वो जो भी बोल रही थी उसपे ही उल्टा पड़ रहा था और जो वो आगे बोलने वाली थी उससे तो सब कुछ उलटने वाला था...
नेहा:- प्लीज बाबूजी ऐसी बाते मत कीजिये...और खुद की भावनाओ को काबू में रखिये...
प्रतापसिंग:- बेटी कैसे काबू में रखु??? जब से तुम्हे उस रूप में देखा है तब से खुद से काबू छूट गया है...देखो बहु ये सुबह से ऐसा ही है....अब तो दर्द करने लगा है....अपना लंड को पैंट के ऊपर से पकड़ के नेहा को दिखाते हुए कहता है।
नेहा:- बाबूजी मैं बहु हु आपकी आपको शोभा नहींदेत मुझसे ऐसे बात करना...ऐसी हरकतें करना... नेहा की बातों में गुस्सा कम और शर्म ज्यादा थी।
प्रताओसिंग:- जनता हु बहु पर ये हालात भी तुम्हारी वजह से हुई है मेरी...तुम्हारा ठीक है तुम्हे कुछ हो भी रहा होगा तो दिखेगा नही...लेकिन मेरा तो दिखेगा न...नेहा की नजर कभी उसके चेहरे पे जाती तो कभी उसके लंड पे।
"क्या हुआ बहु क्या देख रही हो? सुबह भी बड़े गौर से देख रही थी तुम"
नेहा:- छि बाबूजी...आप कितने गंदे हो...ये बोल के वो वहां से जाना चाहती थी और पता नही क्यों उसके पैर वहां से निकल ही नही पा रहे थे।
प्रतापसिंग बहोत गौर से उसकी हावभाव पे नजर रखे हुए था...उसे समझ आ रहा था कि नेहा को गुस्सा आ रहा है और शर्म भी मतलब वो अभी थोड़ी कंफ्यूज सी है और उसे उसी कंफ्यूज़न का फायदा उठाना है।
प्रतापसिंग:- अरे बेटी क्या करूँ तुम ही बताओ...और तुम्हारे बाबूजी गंदे नही बस हालात के मारे है...कोई बात नही बहु चलो मैं जाता हूं सोने...और ऐसा बोल के वो नेहा को वैसे ही छोड़ के चला गया।
नेहा उसे जाते देख हैरान सी थी.....और खुद पे भी हैरान थी की कैसे वो उसके लंड को उसके सामने ही देख रही थी। जाने अनजाने में नेहा भी आपमे ससुर की और आकर्षित हो रही थी।
 

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