चंद लफ्ज :- कुछ हमारे कुछ तुम्हारे

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एक रास्ता ये भी है मंजिलों को पाने का,
सीख लो तुम भी हुनर हाँ में हाँ मिलाने का।
 
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इस जहान में कब किसी का दर्द अपनाते हैं लोग,
रुख हवा का देखकर अक्सर बदल जाते हैं लोग।
 
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आईना फैला रहा है खुदफरेबी का ये मर्ज,
हर किसी से कह रहा है आप सा कोई नहीं।
 

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