चंद लफ्ज :- कुछ हमारे कुछ तुम्हारे

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शायद कोई तराश कर मेरी किस्मत संवार दे,
यह सोच कर हम उम्र भर पत्थर बने रहे।
 
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दरिया-ए-वतन में हों मौज़े-अमन रवाँ यूँ,
साहिल भी नज़र आए रू-दार मुहब्बत में।।
 
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नाहक़ न पिसे गुर्बत अमीर सोहरतों में,
हर दिल से फ़र्ज़ का हो इकरार मुहब्बत में।।
 
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दो शब्द तसल्ली के नहीं मिलते इस शहर में,
लोग दिल में भी दिमाग लिए फिरते हैं।
 
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आए ग़मों से खुश्बू खुसियों की सदा लेकर,
हर दर्द बने खुशदिल इजहार मुहब्बत में।।
 
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पांवों के लड़खड़ाने पे तो सबकी है नज़र,
सर पे कितना बोझ है कोई देखता नहीं।
 
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बदल जाओ वक्त के साथ
या फिर वक्त बदलना सीखो
मजबूरियों को मत कोसो

हर हाल में चलना सीखो
 
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पसंद आ गए हैं कुछ लोगों को हम,
कुछ लोगों को ये बात पसंद नहीं आयी।
 

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