Adultery चौदहवे दिन मस्त पंजाबन को चोद कर औलाद दी

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ये कहानी लगभग डेढ़-दो साल पुराणी है.

मेरा नाम मोंटू, दिल्ली का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 27 साल है और मैं शादीशुदा हूँ.

मेरी शादी पांच साल पहले हुई थी और अब दो बच्चे भी हैं. मैं एक कंपनी में कार्यरत हूँ. इस कंपनी के कई शहरों में दफ्तर हैं. और मेरी बदली होती रहती है.

चूंकि मेरे बच्चे अभी स्कूल नहीं जाते तो बीवी बच्चों के साथ मैं कई शहरों में घूमता रहता हूँ. आजकल बंगलौर में मेरी पोस्टिंग है. मेरा खुद का घर दिल्ली में ही है.

कुछ समय पहले मैं ऑफिस के किसी काम से दिल्ली आया हुआ था, तो जाहिर तौर पर अपने घर पर ही ठहरा था.

मेरे बगल वाले घर में एक पंजाबी परिवार रहता है. उनके घर में अंकल आंटी रहते थे. मगर अंकल का कोई 15 साल पहले बीमारी से स्वर्गवास हो चुका है.

आंटी के दो बच्चे हैं. बड़ी लड़की का नाम प्रीति है ( ये नाम बदला हुआ है) प्रीति मुझसे पांच साल छोटी है. और छोटा बेटा बबलू (बदला हुआ नाम) है, जो प्रीति से 2 साल छोटा है. प्रीति की शादी हो चुकी है और मेरे दफ्तर के पास ही उसका घर (ससुराल) है. प्रीति की शादी हुए लगभग तीन साल हो चुके थे.

प्रीति शादी से पहले नौकरी करती थी, जो मैंने ही लगवाई थी. उसकी शादी अच्छे घर में हुई थी तो उसने शादी के बाद नौकरी छोड़ दी. प्रीति के ससुर का भी स्वर्गवास हो चुका था.

जब बबलू ने भी ग्रेजुएशन पूरी कर ली तो उसकी नौकरी भी मैंने अपने परिचित के यहां लगने में उसकी मदद कर दी. बबलू की नौकरी सेल्स विभाग में थी इसलिए वह टूर के लिए बाहर जाता रहता था और कई बार काफी दिन बाहर रहता था.

चूंकि मेरा भी तबादला होता रहता था, इसलिए उनसे मिलना कम ही हो पाता था. जब मैं दिल्ली आता था, तभी आंटी से मिलना हो पाता था.
आंटी मेरा बहुत मान करती थीं और हर छोटे बड़े काम के लिए मुझ पर ही निर्भर रहती थीं.

मेरी भी प्रीति से बचपन की दोस्ती थी. दोनों एक दूसरे के बेस्ट फ्रेंड्स थे और इससे ज्यादा कभी मैंने प्रीति के बारे में कभी कुछ नहीं सोचा था. हम दोनों एक दूसरे से खुल कर सब बातें कर लेते थे.

करवाचौथ से लगभग तीन दिन पहले शुक्रवार को जब मैं शाम को घर आ रहा था, तो आंटी घर के गेट पर ही मिल गईं.

आंटी बोलीं- मोंटू मुझे तुझसे कुछ जरूरी काम है. जरा मेरे साथ घर चल.
मैं बिना कुछ ज्यादा पूछे, उनके घर चला गया.

आंटी ने अन्दर आकर बोला- तुम बैठो, मैं चाय लेकर आती हूँ.
मैंने पूछा- आंटी, प्रीति बबलू कैसे हैं?
आंटी बोलीं- दोनों ठीक है.

फिर वो चाय ले कर आईं और हम दोनों चाय पीते हुए बातें करने लगे.

आंटी बोलीं- मोंटू इस बार तुम दिल्ली कितने दिन रुकोगे?
मैंने कहा- बस आंटी एक दो दिन और हूँ. वैसे तो ऑफिस वाले कुछ और दिन का काम बता रहे हैं, पर वो करवाचौथ आ रही है तो मुझे आपकी बहू के पास जाना पड़ेगा. नहीं तो बेकार हल्ला करेगी. इसलिए करवा चौथ वाले दिन सोच रहा हूँ एक चक्कर बंगलौर लगा कर एक दो दिन में वापिस आ जाऊंगा.

तो आंटी बोलीं- बबलू कुछ दिन के लिए ऑफिस के काम से टूर पर गया हुआ है. कल वो फोन पर बोल रहा था कि अभी उसे वापिस आने में पांच छह दिन और लगेंगे. तुम्हें तो मालूम ही है करवाचौथ आ रहा है. तो मुझे रस्म अनुसार प्रीति को कुछ सामान भेजना है. मुझे मालूम है, तू बहुत बिजी रहता है, लेकिन बेटा मना मत करना. वो तुम्हारे ऑफिस के पास ही रहती है, तो तुम कल ये सामान प्रीति के घर देते हुए अपने ऑफिस चले जाना.

मैंने कहा- ठीक है आंटी … मैं सुबह आ कर सामान ले लूँगा और प्रीति को दे आऊंगा. बहुत दिनों से उससे मिला भी नहीं हूँ तो इसी बहाने उससे मिल भी लूँगा. कल मेरी भी मीटिंग दोपहर के बाद की है. कोई दिक्कत नहीं आंटी, आप चिंता मत करो, ये काम कल ही कर दूंगा.

अगले दिन ऑफिस में मेरी मीटिंग का नंबर दोपहर के बाद ही था, तो मैंने ऑफिस फ़ोन किया कि शायद मुझे देर हो सकती है. कुछ काम आ गया है तो मेरी मीटिंग का समय शाम चार बजे का हो गया.

कुछ देर आंटी के घर रुकने के बाद मैं अपने घर आ गया.

अगले दिन सुबह सामान लेकर दस बजे के आसपास मैं प्रीति के घर आ गया. मैंने घंटी बजाई, तो कुछ देर बाद प्रीति ने दरवाजा खोला. मुझे उसे देख कर लगा कि जैसे वह अभी नहा कर निकली हो. उसके बाल गीले थे. उसने गाउन पहन रखा था और बड़ी सेक्सी लग रही थी.

अब यहां प्रीति के बारे में बता देना ठीक होगा. उसकी उम्र 22 साल, गोरा रंग, पूरे साढ़े पांच फिट हाईट की पंजाबन कुड़ी. और 36-28-38 का मादक फिगर. सुन्दर नैन नक्श और मीठी सी सुरीली आवाज.

वो मुझे देख कर मानो खिल गई. किलक कर मेरे गले से लग गई और बोली- आज तुम मेरे घर का रास्ता कैसे भूल गए?

मैंने उसे अपनी बांहों में कसते हुए कहा- अरे यार, तुम्हारा भाई बबलू बाहर गया हुआ है. मैं दिल्ली आया हुआ था तो आंटी ने कूरियर ब्वॉय की मेरी ड्यूटी लगा दी है. मैं तेरी करवा चौथ की सरगी लाया हूँ. ऑफिस की मीटिंग दोपहर के बाद थी, तो मैंने सोचा इसी बहाने तुमसे भी मिलना हो जाएगा. जबसे तुम्हारी शादी हुई है, तुमसे मिलना ही नहीं हुआ. क्योंकि मैं भी दिल्ली में नहीं था और तुम बताओ कैसी हो?

वह मुझसे अलग होकर बोली- बहुत जल्दी में हो क्या? बाहर से ही भागना है क्या? अन्दर आओ, इतने दिनों बाद मिले हो. आराम से ढेर सारी बातें होंगी.
फिर वह बोली- तुम बैठो, मैं आती हूँ.

मुझे बिठा कर वह कुछ देर बाद चाय नाश्ता ले आयी. उसने मेरे बीवी बच्चों सोनू मोनू का हाल चाल पूछा.

सब कुशल मंगल के बाद मैंने कहा- और सुना तेरा मियां कहां है, कैसा है?
तो वह बोली- मियां जी ठीक हैं. अभी दो दिन के टूर पर गए हैं. सासू माँ मुझे जली कटी सुना कर अपने भाई के घर गयी हैं. अब कल शाम को ही दोनों वापिस आएंगे. मैं सोच रही थी मां के पास चली जाऊं, पर घर भी तो अकेला नहीं छोड़ सकती.

तभी उसकी मेड आ गयी. तो उसने मेड को बताया कि मैं उसके मायके से उसके लिए करवाचौथ की सरगी ले कर आया हूँ.

फिर वो मुझसे बोली- मैं अभी इसे काम बता कर आती हूँ. कई सालों बाद मिले हो, बहुत सारी बातें होंगी.

हम दोनों बहुत फ्रैंक थे और सब बातें कर लेते थे. वो मेड को काम समझा कर आयी, तो इधर उधर की बातें होती रहीं. कब आये थे, कब तक रहोगे इत्यादि.

कुछ देर में नौकरानी काम करके बोली- मेम साहब मैं जा रही हूँ और कल नहीं आऊंगी.

वो दरवाजा बंद करके मेरे सामने बैठ गयी और बोली- इन कामवाली बाइयों ने बहुत तंग कर रखा है. इनको रोज किसी न किसी बहाने से छुट्टी चाहिए होती है और हमारा इनके बिना काम भी तो नहीं चलता.

तो मैंने पूछा- तेरी सास को क्या हुआ? क्यों जली कटी सुना रही थी तुझको?

इस पर प्रीति चुप हो गई.. फिर आंखों में आंसू भर कर बोली- कुछ नहीं मोंटू. वही पोता पोती का चक्कर है. कहती है तीन साल हो गए तेरी शादी को. अब तक बच्चा नहीं हुआ है. जरूर तुझमें ही कोई कमी है. अगर ऐसे ही चला, तो अपने बेटे की दूसरी शादी करवानी पड़ेगी मुझको.
मैंने पूछा- टेस्ट करवाए या नहीं?
वह बोली- सब करवाए हैं. सब ठीक है. अब भगवान् की मर्जी के आगे हमारा क्या बस है!

मैं उसके पास जा कर बैठ गया और उसके आंसू पौंछ कर बोला- रो मत पगली, मैं तेरे को रुलाना नहीं चाहता. एक दो डॉक्टर हैं मेरी पहचान के. मैं कुछ मदद करूं?
वो बोली- नहीं, शहर के सभी डॉक्टर को दिखा चुके हैं. सब डॉक्टर कहते हैं दोनों बिल्कुल ठीक हो. अब भगवान् के ऊपर है.
मैंने- फिर तेरा मियां, तुझसे खुश नहीं है क्या? तू है तो सुन्दर सेक्सी भी है, मेहनत नहीं करता क्या तेरे साथ?
वो हंस कर बोली- क्यों नहीं करता अभी कल रात ही तो …

फिर शर्मा कर बोलते बोलते वो रुक गयी.

तो मैंने कहा- अच्छा, बुरा न मानो तो एक बात पूछूं?
वह बोली- पूछ!
तो मैंने कहा- कब मेहनत करती हो?
वह बोली- शुरू शुरू में तो हमने बच्चा जल्दी न हो, इसलिए कंडोम इस्तेमाल किया था. पर अब तो हर हफ्ते में शुक्रवार शनिवार दो दिन तो हो ही जाता है.

मैंने कहा- तुम्हें पता है गर्भधान का सबसे अच्छा समय होता है चौदहवां दिन! उस दिन गर्भ धारण की संभावना सबसे ज्यादा होती है.
वो मेरी तरफ देखते हुए बोली- अच्छा. इसका भी हिसाब रखना होता है.

फिर वह कुछ हिसाब लगाने लगी और चुप हो गयी. उसके होंठ हिले, वो मन में कुछ बड़बड़ाई.

मुझे लगा कि ये अपने मन में बोली है कि आज तो चौदहवां दिन ही है. आज कैसे होगा. मियां जी तो बाहर गए हुए हैं.

तभी उसका फ़ोन बजा.

उसने फोन उठाया और बोली- हां मम्मी, मोंटू को आए लगभग एक घंटा हो गया है.

फिर वह फोन पर बात करते करते दूसरी तरफ चली गयी.

करीब पंद्रह मिनट के बाद वापिस आयी तो बोली- मोंटू, मेरा एक काम कर दो. मम्मी ने मुझे एक आईडिया दिया है.

मैंने कहा- बता क्या काम है.
वह बोली- देख मना मत करना. तेरी दोस्त पर तेरा बड़ा एहसान होगा. मुझे इन रोज रोज के तानों से मुक्ति भी मिल जाएगी.
मैंने कहा- बिंदास बोल न, क्या भूमिका बांध रही है.

फिर वह थोड़ा शर्मायी और बोली- तू पता मुझे गलत मत समझियो, पर इन रोज रोज के सास के तानों से मैं तंग आ गयी हूँ. तू मुझे एक बच्चा दे दे.
मैंने एक पल रुक कर उसे देखा और कहा- प्रीति मुझे तो कोई दिक्कत नहीं है. पर मेरी बीवी नहीं मानेगी.

प्रीति ने मुझे मुक्का मारते हुआ कहा- बुद्धू तेरे सोनू मोनू नहीं, तेरे साथ क्यों न एक बच्चा बना लूं. तेरे में कोई कमी भी नहीं है क्योंकि तूने पहले ही दो कलेण्डर सोनू मोनू छाप रखे हैं. तू मुझे एक बच्चा दे दे.

अब मैं चौक कर उसे देखने लगा, तो वह मेरे पास आयी और मेरे होंठों से अपने होंठ लगा दिए.

मैंने खुद को प्रीति से दूर किया और बोला- ये क्या कर रही है. मैंने कभी तुझ इस नज़र से नहीं देखा.

उसने अपना गाउन खोल दिया और बोली- तो अब देख ले. और बता कैसी लगी मैं तुझे?
फिर घूम कर वो मुझे अपनी अदाएं दिखा कर बोली- क्यों मोंटू हूँ न मैं मस्त माल!

उसने नीचे सेक्सी ब्रा और पैंटी के सिवा कुछ नहीं पहन रखा था.

फिर वो बोली- चल अब ज्यादा सोच मत. देख तूने अभी थोड़ी देर पहले ही कहा था कि बता तेरी क्या मदद करूं.

ये कहते हुए उसने होंठों से अपने होंठ जोड़ दिए.

चूमते चूमते प्रीति ने मेरे कंधों को सहलाना शुरू कर दिया. प्रीति के नरम हाथों का स्पर्श मुझे पसंद सा आने लगा. वो धीरे धीरे मेरे पूरे जिस्म पर हाथ फिराने लगी. जल्दी ही मेरे मन में वासना के भाव पैदा होने लगे. प्रीति के हाथ मेरे पूरे जिस्म पर फिर रहे थे.

उसके बाद प्रीति ने अपना गाउन नीचे गिरा दिया और मेरे हाथ पकड़ कर अपनी चूचियों पर रख दिए.

फिर बोली- मुझे तुम से तुम्हारा और मेरा बच्चा चाहिए.
मैं चुप था.

वो बोली- आज मेरा चौदहवां दिन है. आज मेरा पति यहां नहीं है. उसके करने से तो आज तक कुछ नहीं हुआ. अब तुमने रास्ता दिखाया है, तो तुम ही मेरे साथ एक सन्तान पैदा करो. सास के तानों से मुक्ति के लिए मुझे संतान चाहिये.

मैं अब भी पशोपेश में था.

वह आगे बोली- तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो. तुम से मैं हर बात बेझिझक कर लेती हूँ. तुम से अच्छा साथी मुझे नहीं मिलेगा. ये सब राज ही रहेगा और किसी के साथ करूंगी, तो रिस्क हमेशा बना रहेगा.

इतने में मेरा फ़ोन बजा और ऑफिस से मैसेज आया कि आज की मीटिंग किसी वजह से कैंसिल हो गयी है, अब चार दिन बाद होगी.

उसने पूछा- क्या हुआ?
मैंने बोला- आज मीटिंग के लिए आया था. पर अब मीटिंग कैंसिल हो गयी है. अब चार दिन बाद होगी.
वो बोली- देख ऊपर वाला भी यही चाहता है.

फिर वो मेरे लंड पर पैंट के ऊपर से हाथ फेरते हुए बोली- सोचो, अगर कल को मेरी सास ने मेरे पति की दूसरी शादी कर दी, तो फिर मुझे इस घर से निकलना होगा. फिर मेरा क्या होगा? इसलिए बेहतर है कि तुम मेरा साथ दो और मेरी गोद में सारी खुशियां डाल दो. कुदरत ने हमें ऐसा मौका दिया है. कुदरत भी चाहती है कि तुम मुझे बच्चा दो. मेरा पति बाहर गया हुआ है और सास भी अपने भाई के घर गयी हुई है. उसने मुझे आज ताने दिए और फिर तुम आ गए. दोनों कल ही वापिस आएंगे. नौकरानी भी कल की छुट्टी बोल कर गयी है तुम्हारी भी छुट्टी है. तब तक तुम मेरी जी भर के चुदाई करो. अब ऊपर वाले के रास्ते में रुकावट मत बनो.

ये सब सुनकर मेरा लंड भी अंगड़ाई लेने लगा. इतनी सुन्दर पंजाबन को देख लंड जोश खा गया और मैं उसे पकड़ कर चूमने लगा.


मेरा जोश देख कर वो भी शिद्दत के साथ मुझे चूमने लगी.

प्रीति ने मुझे अपने तर्कों से चुप करवा दिया था. अब मेरे हाथ उसके वक्षों को ब्रा के ऊपर से सहला रहे थे. मुझे भी अच्छा लगने लगा था.

मैंने कहा- ठीक है. तू ऐसा चाहती है तो मैं तुम्हारी मदद कर देता हूँ.

वो खुश हो गई और मुझे चूमने लगी.

मैंने कहा- ठीक है प्रीति. ये बात तेरी मां को भी पता नहीं चलनी चाहिए. मैं उन्हें फ़ोन कर बोल देता हूँ मैंने सामान दे दिया है, अब मैं जा रहा हूँ.

इस पर प्रीति बोली- हां ये ठीक रहेगा. ये बात हम दोनों में ही रहनी चाहिए.

मैंने प्रीति की मम्मी को फ़ोन कर बोला- आंटी, मैंने सामान प्रीति को मिल कर दे दिया है. ऑफिस स फ़ोन आया था इसलिए निकल रहा हूँ.

उसकी कुछ देर बाद प्रीति ने भी मम्मी को फ़ोन कर बता दिया कि मैं चला गया हूँ. उसका ऑफिस से फ़ोन आ गया था और वो अचानक चला गया और कुछ भी नहीं हुआ.

फोन बंद करके प्रीति मुझे किस करने लगी और मेरे हाथ पकड़ कर अपने चुचों पर रख दिए. मैंने प्रीति की चूचियों को दबा कर देखा. उसकी चूचियां बिल्कुल गोल और सुडौल थीं. मेरे छूने से उसके निप्पल कड़े होने लगे. अब मेरे अन्दर भी सेक्स भरने लगा था और हमारी चुम्मियां भी गहरी होती चली गईं.

मैंने प्रीति के स्तनों को जोर से दबाना शुरू कर दिया और उसके मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह … उह.

मैंने प्रीति को सोफे पर लिटा दिया और मैं उसके ऊपर आ गया. मैं उसके बदन को चूमने लगा. वो भी मदहोश सी होने लगी और मेरे शरीर की सहलाने लगी. उसका स्पर्श मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. वो अपने होंठों से कभी मेरे गालों पर चुम्बन कर रही थी, तो मैं भी कभी उसकी गर्दन पर, कभी चूचियों को चूम रहा था, तो कभी उसके पेट पर चूमने लगता था.

प्रीति मदहोश होती जा रही थी. फिर मैं प्रीति के बदन पर लेट गया और उसके होंठों को चूसने लगा और वह भी मुझे बहुत प्यार से चूमने लगी. मैं प्रीति के होंठों में जैसे खो गया था. हम दोनों एक दूसरे के होंठों को पीने लगे.

उसके बाद मैंने प्रीति के शरीर के हर एक अंग को चूमने लगा. प्रीति मेरे चुम्बनों से और ज्यादा मदहोश होती जा रही थी.

मैंने प्रीति को अपने आगोश में ले लिया और एक बार फिर से उसके होंठों का रस पीने लगा. वो भी मेरे होंठों को पीने लगी. मेरी जीभ उसके मुँह में चली गयी और उसने मेरी जीभ चूसी, तो फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में दे दी और मैंने उसकी जीभ चूसी.

फिर मैंने उसकी चूचियों पर मुँह रख दिया. मैं उसकी चूचियों की घाटी को चाटने लगा. वो मेरी गर्म जीभ से और ज्यादा मादक अनुभव लेने लगी.

उसके बाद मैंने उसकी ब्रा को खोल दिया और उसकी चूचियां नंगी हो गयीं. मैं उसके दूधों को अपने मुँह में लेकर पीने लगा.

उसने मुझे अपनी बांहों में कस लिया और अपनी चूचियों को बारी बारी से पिलाने लगी. वो पूरी मस्त हो गयी थी.

पांच सात मिनट तक मैंने चूचियों को पिया और उनको चूस चूस कर लाल कर दिया. चूची चूसने से उसके निप्पल तन गए थे, तो मैंने दांतो के निप्पलों को धीरे धीरे से कुतरा.

वह सीत्कार भरते हुए बोली- प्लीज काटना मत … निशान पड़ जाएंगे, बेकार की मुश्किल होगी.

उसके बाद उसके पेट को चूमते हुए नाभि से होकर उसकी चूत की ओर बढ़ा उसकी पैंटी को आहिस्ता से उतार दिया और चूत को नग्न कर दिया.


उसकी चूत एकदम गर्म और चिकनी थी. चूत पर झांटों का नामोनिशां नहीं था और उसकी चूत गीली हो चुकी थी. पहले मैंने चूत को उंगली से छेड़ा. उंगली उसके दाने के पास पहुंची, तो उसको भी छेड़ा और फिर मैं चूत में जीभ देकर चाटने लगा. बस वो पागल होने लगी और मेरे सर पर हाथ रख कर मेरे मुँह को अपनी चूत की ओर धकेलने लगी. मेरी जीभ उसे पागल किए जा रही थी.

कुछ देर तक मेरी चूत को चाटने के बाद प्रीति में मुझे ऊपर खींचा और किस करने लगी. वो बोली- तुम भी तो अपने कपड़े निकालो.

तो मैंने कहा- ये शुभ काम भी तुम अपने हाथों से ही करो.

उसने मेरी कमीज में हाथ डाल कर मेरी छाती पर हाथ फेरा और मेरी कमीज को उतार डाला. फिर मेरी पैंट को भी अंडरवियर समेत उतार कर मुझे पूरा नंगा कर डाला.

मेरा लंड पूरे नब्बे डिग्री पर फन उठाये फुंफकार रहा था.

मेरा लंड पकड़ कर वो बोली- तुम्हारा लंड तो मेरे मियां से काफी मोटा और लम्बा तगड़ा है.

फिर उंगली से नाप कर बोली- सात आठ इंच तो होगा.

मैंने कहा- हां, साढ़े सात इंच का है.

फिर वो बोली- इसका सुपारा भी एकदम से गुलाबी है. तुम्हारी बीवी की तो मौज रहती होगी. मेरे मियां का तो इसके मुक़ाबले आधा ही होगा.

प्रीति ने मेरे लंड को अपनी चूत पर रख कर उसको चूत पर रगड़ा. एक दो बार मैंने भी उसकी चूत को अपने लंड से सहलाया, तो वो अपनी चूत में लंड लेने के लिए मचल उठी. फिर अपने लंड के सुपारे को उसकी चिकनी चूत में धकेल दिया.

हालाँकि वो तीन साल से शादीशुदा थी और अपने पति से खूब चुदती भी थी. फिर भी उसकी चूत में मेरा मोटा लंड आसानी से नहीं गया.

तो मैंने उंगलियों से चूत की फांकों को अलग किया और छेद पर लग कर धक्का दिया.

इस बार में उसकी चूत में लंड आधा घुस गया. मुझे मजा सा आया क्योंकि उसकी चूत टाइट सी लगी.


लेकिन प्रीति को दर्द होने लगा.

वो चिल्ला उठी- आआआह ओह्ह्ह्ह मार डाल.. फाड़ दी मेरी चूत.

मैं रुक कर उसे चूमने लगा.

दो पल बाद वो बोली- मेरे पति के लंड में मुझे वो मजा कभी नहीं मिला. जो आज मैं अपनी चूत में तुम्हारे लंड से महसूस कर रही हूँ. इतना दर्द तो मुझे सुहागरात को भी नहीं हुआ था. आज तो ऐसा लग रहा है मेरी सील आज ही टूटी है.

मैंने दूसरा धक्का दिया और चूत को चीरते हुए मेरा लंड प्रीति की चूत की जड़ में उतर गया और चूत के अन्दर उसकी बच्चेदानी की चुम्मी लेने लगा.

वह दर्द से कराहते हुए बोली- प्लीज इसे बाहर निकालो. बहुत मोटा है तुम्हारा. एकदम गर्म लोहे की रॉड है. तुम्हारे लंड से तो ऐसा लगता है कि मेरी चूत फट गयी है.

मैंने कहा- तुमने ही ये रास्ता चुना है. अब मैं रुक नहीं सकता.

वो बोली- मुझे रोकना भी नहीं है. बस अभी कुछ देर हिलना मत. जब मैं चूतड़ उछाल कर इशारा करूं, तब धीरे धीरे करना.

मैंने कहा- अभी कह रही हो आहिस्ता करना. कुछ देर बाद मजे ले ले कर बोलोगी कि और जोर से … और जोर से.

तो उसने मेरे चूतड़ों पर एक चपत मारी और बोली- तुम इतने बदमाश हो मुझे नहीं पता था. अगर पता होता तुम्हारा इतना तगड़ा लंड है, तो तुमसे ही चक्कर चला कर शादी कर लेती. अब तक तुम्हारे साथ क्रिकेट की आधी टीम तो बना ही चुकी होती.

हम दोनों हंस दिए.

उसके बाद दोनों लिप करने लग गए और मेरे हाथ उसके स्तनों को सहलाने दबाने और निप्पलों को मसलने लग गए.

कुछ देर लंड को चूत में उतार कर मैं उसके ऊपर लेटा रहा और दोनों लिप किस करते रहे. उसके हाथ मेरी पीठ और मेरे चूतड़ों को दबाते सहलाते रहे. कुछ देर बाद उसका दर्द उड़ गया और तब तक लंड चूत में एडजस्ट हो गया. अब उसकी चूत ने मेरे लंड से दोस्ती कर ली थी.

उसने मेरे नितम्बों को नीचे की ओर दबाया और अपने चूतड़ों को ऊपर उठा कर इशारा किया, तो मैंने अपने नितम्बों को उसकी चूत पर धीरे धीरे से पहले और दबाया. लंड पूरा अन्दर जाकर अपनी हाज़िरी लगा आया. फिर चूत में लंड अन्दर बाहर धीरे धीरे करना शुरू कर दिया.

मेरा लंड चूत की दीवारों को रगड़ता हुआ चूत में घर्षण करने लगा. प्रीति को बहुत मजा आने लगा. कुछ ही देर में मुझे भी चुदाई का नशा सा होने लगा.

वो खुद ही अपनी चूत को मेरी ओर धकेलते हुए मेरा लंड अन्दर लेने लगी. मैं भी पूरे जोश में चोदने लगा. जब मैं लंड बाहर निकालता, तो वह भी चूतड़ पीछे कर लेती. फिर जब मैं धक्का देता, तो वह भी अपने चूतड़ मेरी और धकेल देती. जब मेरे अंडकोष उसकी चूत से टकराते थे, तो फट फट की आवाज़ आने लगती. उसके मुँह से आह ओह निकलने लगी थी.

फिर कुछ देर बाद उसने मेरे चूतड़ों पर हाथ रख कर कहा- आंह और जोर से और जोर से!

तो मैं उसे चूम कर बोला- मजा आ रहा है?

वह बोली- हां बहुत मजा आ रहा है बस लगे रहो … रुकना मत.

दस मिनट के चोदन के बाद ही प्रीति का स्खलन हो गया. वो झड़ गयी, मगर अभी भी मेरा नहीं हुआ था और मैं उसकी चूत में लंड पेल रहा था.

पांच सात मिनट के बाद मैं पूरे जोर से धक्के देने लगा और लंड वीर्य की गर्म पिचकारी उसकी चूत में बह गयी. मैंने उसकी पूरी चूत को अपने वीर्य से भर दिया और उसके ऊपर गिर गया. हम दोनों एक दूसरे को चूमने सहलाने लगे.

प्रीति बोली- मजा आ गया.

कुछ देर में प्रीति दुबारा गर्म हो गयी और बोली- चलो बेड पर चलते हैं.

वो मेरे लंड को पकड़ कर मुझे बेड पर ले गयी और मुझे चित लिटा कर मेरे ऊपर आ गयी. अब उसने अपनी चूत को मेरे लंड पर रगड़ना शुरू कर दिया.

मैंने उसके स्तनों को चूसना शुरू कर दिया और दस मिनट तक उसके स्तनों को पीता रहा. इस दौरान मेरे लंड में फिर से तनाव आने लगा. मैंने उठ कर उसके मुँह में अपना लंड दे दिया.

मेरे वीर्य और उसके चुतरस में सना लंड वो अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.

फिर अपनी चूत में घुसा कर बोली- तुम्हारा वीर्य काफी गाढ़ा है. तुम्हें कितने दिन हो गए अपनी बीवी को चोदे हुए?

तो मैंने कहा- अभी हफ्ते से टूर पर ही हूँ और उससे पहले मानसून (बीवी को माहवारी) आया हुआ था, इसलिए लगभग 20 दिन हो गए.

वो बोली- अच्छा है. मेरे चांस बढ़ गए.

दो मिनट में ही मेरा लंड एक बार फिर से सख्त हो गया. उसके बाद मैंने फिर से प्रीति को घोड़ी बना कर पीछे से डाला डाला और धड़ाधड़ उसकी चूत को चोदने लग गया. फिर 20 मिनट तक की चुदाई में प्रीति दो बार झड़ गयी और उसके बाद उसकी चूत में अपना सारा वीर्य एक बार फिर से छोड़ दिया.

इसके बाद प्रीति बोली- अब थोड़ा आराम कर लो. रात को भी तुम्हें यही रहना है. घर में कोई भी नहीं है, हम दोनों ही हैं. खूब मजे करेंगे.

मैंने घर में फ़ोन कर बता दिया कि मीटिंग कैंसिल हो गयी है. मैं अपने दोस्त के घर जा रहा हूँ और फिर कल वहीं से वापिस बंगलौर चला जाऊंगा.

उसके बाद रात भर मैं प्रीति के पास रहा और दिन दोपहर, पूरी रात उसको चार बार कस-कस कर, आसन बदल बदल कर उसे चोदा. कभी मैं ऊपर, कभी वह ऊपर, कभी घोड़ी, कभी खड़ी करके चोदा और मैंने उसकी चूत का भोसड़ा बना दिया.

अगले दिन दोपहर तक मैं उसके साथ रहा, नहाया नहलाया और बाथरूम में, किचन में, सब जगह उसको चोद कर उसकी चूत को हर बार अपने वीर्य से पूरा भर दिया.

अगले दिन जाने से पहले मैंने प्रीति को कहा- आज अपने पति से जरूर चुद लेना ताकि उसे लगे बच्चा उसका ही है.

वह भी बोली- तुमने वैसे तो पूरी तसल्ली करवा दी है. मेरी हिम्मत तो नहीं है, फिर भी पति से जरूर चुदूँगी.

अगली रात उसने अपनी चूत में पति का लंड भी लिया.

फिर अगले महीने उसने फ़ोन पर मुझे खुशखबरी दी. बताया कि वो, उसकी सास, पति और मां बहुत खुश हैं.


...........................!! समाप्त !!............................
 
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मेरा नाम मोंटू, दिल्ली का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 27 साल है और मैं शादीशुदा हूँ.

मेरी शादी पांच साल पहले हुई थी और अब दो बच्चे भी हैं. मैं एक कंपनी में कार्यरत हूँ. इस कंपनी के कई शहरों में दफ्तर हैं. और मेरी बदली होती रहती है.

चूंकि मेरे बच्चे अभी स्कूल नहीं जाते तो बीवी बच्चों के साथ मैं कई शहरों में घूमता रहता हूँ. आजकल बंगलौर में मेरी पोस्टिंग है. मेरा खुद का घर दिल्ली में ही है.

कुछ समय पहले मैं ऑफिस के किसी काम से दिल्ली आया हुआ था, तो जाहिर तौर पर अपने घर पर ही ठहरा था.

मेरे बगल वाले घर में एक पंजाबी परिवार रहता है. उनके घर में अंकल आंटी रहते थे. मगर अंकल का कोई 15 साल पहले बीमारी से स्वर्गवास हो चुका है.

आंटी के दो बच्चे हैं. बड़ी लड़की का नाम प्रीति है ( ये नाम बदला हुआ है) प्रीति मुझसे पांच साल छोटी है. और छोटा बेटा बबलू (बदला हुआ नाम) है, जो प्रीति से 2 साल छोटा है. प्रीति की शादी हो चुकी है और मेरे दफ्तर के पास ही उसका घर (ससुराल) है. प्रीति की शादी हुए लगभग तीन साल हो चुके थे.

प्रीति शादी से पहले नौकरी करती थी, जो मैंने ही लगवाई थी. उसकी शादी अच्छे घर में हुई थी तो उसने शादी के बाद नौकरी छोड़ दी. प्रीति के ससुर का भी स्वर्गवास हो चुका था.

जब बबलू ने भी ग्रेजुएशन पूरी कर ली तो उसकी नौकरी भी मैंने अपने परिचित के यहां लगने में उसकी मदद कर दी. बबलू की नौकरी सेल्स विभाग में थी इसलिए वह टूर के लिए बाहर जाता रहता था और कई बार काफी दिन बाहर रहता था.

चूंकि मेरा भी तबादला होता रहता था, इसलिए उनसे मिलना कम ही हो पाता था. जब मैं दिल्ली आता था, तभी आंटी से मिलना हो पाता था.
आंटी मेरा बहुत मान करती थीं और हर छोटे बड़े काम के लिए मुझ पर ही निर्भर रहती थीं.

मेरी भी प्रीति से बचपन की दोस्ती थी. दोनों एक दूसरे के बेस्ट फ्रेंड्स थे और इससे ज्यादा कभी मैंने प्रीति के बारे में कभी कुछ नहीं सोचा था. हम दोनों एक दूसरे से खुल कर सब बातें कर लेते थे.

करवाचौथ से लगभग तीन दिन पहले शुक्रवार को जब मैं शाम को घर आ रहा था, तो आंटी घर के गेट पर ही मिल गईं.

आंटी बोलीं- मोंटू मुझे तुझसे कुछ जरूरी काम है. जरा मेरे साथ घर चल.
मैं बिना कुछ ज्यादा पूछे, उनके घर चला गया.

आंटी ने अन्दर आकर बोला- तुम बैठो, मैं चाय लेकर आती हूँ.
मैंने पूछा- आंटी, प्रीति बबलू कैसे हैं?
आंटी बोलीं- दोनों ठीक है.

फिर वो चाय ले कर आईं और हम दोनों चाय पीते हुए बातें करने लगे.

आंटी बोलीं- मोंटू इस बार तुम दिल्ली कितने दिन रुकोगे?
मैंने कहा- बस आंटी एक दो दिन और हूँ. वैसे तो ऑफिस वाले कुछ और दिन का काम बता रहे हैं, पर वो करवाचौथ आ रही है तो मुझे आपकी बहू के पास जाना पड़ेगा. नहीं तो बेकार हल्ला करेगी. इसलिए करवा चौथ वाले दिन सोच रहा हूँ एक चक्कर बंगलौर लगा कर एक दो दिन में वापिस आ जाऊंगा.

तो आंटी बोलीं- बबलू कुछ दिन के लिए ऑफिस के काम से टूर पर गया हुआ है. कल वो फोन पर बोल रहा था कि अभी उसे वापिस आने में पांच छह दिन और लगेंगे. तुम्हें तो मालूम ही है करवाचौथ आ रहा है. तो मुझे रस्म अनुसार प्रीति को कुछ सामान भेजना है. मुझे मालूम है, तू बहुत बिजी रहता है, लेकिन बेटा मना मत करना. वो तुम्हारे ऑफिस के पास ही रहती है, तो तुम कल ये सामान प्रीति के घर देते हुए अपने ऑफिस चले जाना.

मैंने कहा- ठीक है आंटी … मैं सुबह आ कर सामान ले लूँगा और प्रीति को दे आऊंगा. बहुत दिनों से उससे मिला भी नहीं हूँ तो इसी बहाने उससे मिल भी लूँगा. कल मेरी भी मीटिंग दोपहर के बाद की है. कोई दिक्कत नहीं आंटी, आप चिंता मत करो, ये काम कल ही कर दूंगा.

अगले दिन ऑफिस में मेरी मीटिंग का नंबर दोपहर के बाद ही था, तो मैंने ऑफिस फ़ोन किया कि शायद मुझे देर हो सकती है. कुछ काम आ गया है तो मेरी मीटिंग का समय शाम चार बजे का हो गया.

कुछ देर आंटी के घर रुकने के बाद मैं अपने घर आ गया.

अगले दिन सुबह सामान लेकर दस बजे के आसपास मैं प्रीति के घर आ गया. मैंने घंटी बजाई, तो कुछ देर बाद प्रीति ने दरवाजा खोला. मुझे उसे देख कर लगा कि जैसे वह अभी नहा कर निकली हो. उसके बाल गीले थे. उसने गाउन पहन रखा था और बड़ी सेक्सी लग रही थी.

अब यहां प्रीति के बारे में बता देना ठीक होगा. उसकी उम्र 22 साल, गोरा रंग, पूरे साढ़े पांच फिट हाईट की पंजाबन कुड़ी. और 36-28-38 का मादक फिगर. सुन्दर नैन नक्श और मीठी सी सुरीली आवाज.

वो मुझे देख कर मानो खिल गई. किलक कर मेरे गले से लग गई और बोली- आज तुम मेरे घर का रास्ता कैसे भूल गए?

मैंने उसे अपनी बांहों में कसते हुए कहा- अरे यार, तुम्हारा भाई बबलू बाहर गया हुआ है. मैं दिल्ली आया हुआ था तो आंटी ने कूरियर ब्वॉय की मेरी ड्यूटी लगा दी है. मैं तेरी करवा चौथ की सरगी लाया हूँ. ऑफिस की मीटिंग दोपहर के बाद थी, तो मैंने सोचा इसी बहाने तुमसे भी मिलना हो जाएगा. जबसे तुम्हारी शादी हुई है, तुमसे मिलना ही नहीं हुआ. क्योंकि मैं भी दिल्ली में नहीं था और तुम बताओ कैसी हो?

वह मुझसे अलग होकर बोली- बहुत जल्दी में हो क्या? बाहर से ही भागना है क्या? अन्दर आओ, इतने दिनों बाद मिले हो. आराम से ढेर सारी बातें होंगी.
फिर वह बोली- तुम बैठो, मैं आती हूँ.

मुझे बिठा कर वह कुछ देर बाद चाय नाश्ता ले आयी. उसने मेरे बीवी बच्चों सोनू मोनू का हाल चाल पूछा.

सब कुशल मंगल के बाद मैंने कहा- और सुना तेरा मियां कहां है, कैसा है?
तो वह बोली- मियां जी ठीक हैं. अभी दो दिन के टूर पर गए हैं. सासू माँ मुझे जली कटी सुना कर अपने भाई के घर गयी हैं. अब कल शाम को ही दोनों वापिस आएंगे. मैं सोच रही थी मां के पास चली जाऊं, पर घर भी तो अकेला नहीं छोड़ सकती.

तभी उसकी मेड आ गयी. तो उसने मेड को बताया कि मैं उसके मायके से उसके लिए करवाचौथ की सरगी ले कर आया हूँ.

फिर वो मुझसे बोली- मैं अभी इसे काम बता कर आती हूँ. कई सालों बाद मिले हो, बहुत सारी बातें होंगी.

हम दोनों बहुत फ्रैंक थे और सब बातें कर लेते थे. वो मेड को काम समझा कर आयी, तो इधर उधर की बातें होती रहीं. कब आये थे, कब तक रहोगे इत्यादि.

कुछ देर में नौकरानी काम करके बोली- मेम साहब मैं जा रही हूँ और कल नहीं आऊंगी.

वो दरवाजा बंद करके मेरे सामने बैठ गयी और बोली- इन कामवाली बाइयों ने बहुत तंग कर रखा है. इनको रोज किसी न किसी बहाने से छुट्टी चाहिए होती है और हमारा इनके बिना काम भी तो नहीं चलता.

तो मैंने पूछा- तेरी सास को क्या हुआ? क्यों जली कटी सुना रही थी तुझको?

इस पर प्रीति चुप हो गई.. फिर आंखों में आंसू भर कर बोली- कुछ नहीं मोंटू. वही पोता पोती का चक्कर है. कहती है तीन साल हो गए तेरी शादी को. अब तक बच्चा नहीं हुआ है. जरूर तुझमें ही कोई कमी है. अगर ऐसे ही चला, तो अपने बेटे की दूसरी शादी करवानी पड़ेगी मुझको.
मैंने पूछा- टेस्ट करवाए या नहीं?
वह बोली- सब करवाए हैं. सब ठीक है. अब भगवान् की मर्जी के आगे हमारा क्या बस है!

मैं उसके पास जा कर बैठ गया और उसके आंसू पौंछ कर बोला- रो मत पगली, मैं तेरे को रुलाना नहीं चाहता. एक दो डॉक्टर हैं मेरी पहचान के. मैं कुछ मदद करूं?
वो बोली- नहीं, शहर के सभी डॉक्टर को दिखा चुके हैं. सब डॉक्टर कहते हैं दोनों बिल्कुल ठीक हो. अब भगवान् के ऊपर है.
मैंने- फिर तेरा मियां, तुझसे खुश नहीं है क्या? तू है तो सुन्दर सेक्सी भी है, मेहनत नहीं करता क्या तेरे साथ?
वो हंस कर बोली- क्यों नहीं करता अभी कल रात ही तो …

फिर शर्मा कर बोलते बोलते वो रुक गयी.

तो मैंने कहा- अच्छा, बुरा न मानो तो एक बात पूछूं?
वह बोली- पूछ!
तो मैंने कहा- कब मेहनत करती हो?
वह बोली- शुरू शुरू में तो हमने बच्चा जल्दी न हो, इसलिए कंडोम इस्तेमाल किया था. पर अब तो हर हफ्ते में शुक्रवार शनिवार दो दिन तो हो ही जाता है.

मैंने कहा- तुम्हें पता है गर्भधान का सबसे अच्छा समय होता है चौदहवां दिन! उस दिन गर्भ धारण की संभावना सबसे ज्यादा होती है.
वो मेरी तरफ देखते हुए बोली- अच्छा. इसका भी हिसाब रखना होता है.

फिर वह कुछ हिसाब लगाने लगी और चुप हो गयी. उसके होंठ हिले, वो मन में कुछ बड़बड़ाई.

मुझे लगा कि ये अपने मन में बोली है कि आज तो चौदहवां दिन ही है. आज कैसे होगा. मियां जी तो बाहर गए हुए हैं.

तभी उसका फ़ोन बजा.

उसने फोन उठाया और बोली- हां मम्मी, मोंटू को आए लगभग एक घंटा हो गया है.

फिर वह फोन पर बात करते करते दूसरी तरफ चली गयी.

करीब पंद्रह मिनट के बाद वापिस आयी तो बोली- मोंटू, मेरा एक काम कर दो. मम्मी ने मुझे एक आईडिया दिया है.

मैंने कहा- बता क्या काम है.
वह बोली- देख मना मत करना. तेरी दोस्त पर तेरा बड़ा एहसान होगा. मुझे इन रोज रोज के तानों से मुक्ति भी मिल जाएगी.
मैंने कहा- बिंदास बोल न, क्या भूमिका बांध रही है.

फिर वह थोड़ा शर्मायी और बोली- तू पता मुझे गलत मत समझियो, पर इन रोज रोज के सास के तानों से मैं तंग आ गयी हूँ. तू मुझे एक बच्चा दे दे.
मैंने एक पल रुक कर उसे देखा और कहा- प्रीति मुझे तो कोई दिक्कत नहीं है. पर मेरी बीवी नहीं मानेगी.

प्रीति ने मुझे मुक्का मारते हुआ कहा- बुद्धू तेरे सोनू मोनू नहीं, तेरे साथ क्यों न एक बच्चा बना लूं. तेरे में कोई कमी भी नहीं है क्योंकि तूने पहले ही दो कलेण्डर सोनू मोनू छाप रखे हैं. तू मुझे एक बच्चा दे दे.

अब मैं चौक कर उसे देखने लगा, तो वह मेरे पास आयी और मेरे होंठों से अपने होंठ लगा दिए.

मैंने खुद को प्रीति से दूर किया और बोला- ये क्या कर रही है. मैंने कभी तुझ इस नज़र से नहीं देखा.

उसने अपना गाउन खोल दिया और बोली- तो अब देख ले. और बता कैसी लगी मैं तुझे?
फिर घूम कर वो मुझे अपनी अदाएं दिखा कर बोली- क्यों मोंटू हूँ न मैं मस्त माल!

उसने नीचे सेक्सी ब्रा और पैंटी के सिवा कुछ नहीं पहन रखा था.

फिर वो बोली- चल अब ज्यादा सोच मत. देख तूने अभी थोड़ी देर पहले ही कहा था कि बता तेरी क्या मदद करूं.

ये कहते हुए उसने होंठों से अपने होंठ जोड़ दिए.

चूमते चूमते प्रीति ने मेरे कंधों को सहलाना शुरू कर दिया. प्रीति के नरम हाथों का स्पर्श मुझे पसंद सा आने लगा. वो धीरे धीरे मेरे पूरे जिस्म पर हाथ फिराने लगी. जल्दी ही मेरे मन में वासना के भाव पैदा होने लगे. प्रीति के हाथ मेरे पूरे जिस्म पर फिर रहे थे.

उसके बाद प्रीति ने अपना गाउन नीचे गिरा दिया और मेरे हाथ पकड़ कर अपनी चूचियों पर रख दिए.

फिर बोली- मुझे तुम से तुम्हारा और मेरा बच्चा चाहिए.
मैं चुप था.

वो बोली- आज मेरा चौदहवां दिन है. आज मेरा पति यहां नहीं है. उसके करने से तो आज तक कुछ नहीं हुआ. अब तुमने रास्ता दिखाया है, तो तुम ही मेरे साथ एक सन्तान पैदा करो. सास के तानों से मुक्ति के लिए मुझे संतान चाहिये.

मैं अब भी पशोपेश में था.

वह आगे बोली- तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो. तुम से मैं हर बात बेझिझक कर लेती हूँ. तुम से अच्छा साथी मुझे नहीं मिलेगा. ये सब राज ही रहेगा और किसी के साथ करूंगी, तो रिस्क हमेशा बना रहेगा.

इतने में मेरा फ़ोन बजा और ऑफिस से मैसेज आया कि आज की मीटिंग किसी वजह से कैंसिल हो गयी है, अब चार दिन बाद होगी.

उसने पूछा- क्या हुआ?
मैंने बोला- आज मीटिंग के लिए आया था. पर अब मीटिंग कैंसिल हो गयी है. अब चार दिन बाद होगी.
वो बोली- देख ऊपर वाला भी यही चाहता है.

फिर वो मेरे लंड पर पैंट के ऊपर से हाथ फेरते हुए बोली- सोचो, अगर कल को मेरी सास ने मेरे पति की दूसरी शादी कर दी, तो फिर मुझे इस घर से निकलना होगा. फिर मेरा क्या होगा? इसलिए बेहतर है कि तुम मेरा साथ दो और मेरी गोद में सारी खुशियां डाल दो. कुदरत ने हमें ऐसा मौका दिया है. कुदरत भी चाहती है कि तुम मुझे बच्चा दो. मेरा पति बाहर गया हुआ है और सास भी अपने भाई के घर गयी हुई है. उसने मुझे आज ताने दिए और फिर तुम आ गए. दोनों कल ही वापिस आएंगे. नौकरानी भी कल की छुट्टी बोल कर गयी है तुम्हारी भी छुट्टी है. तब तक तुम मेरी जी भर के चुदाई करो. अब ऊपर वाले के रास्ते में रुकावट मत बनो.

ये सब सुनकर मेरा लंड भी अंगड़ाई लेने लगा. इतनी सुन्दर पंजाबन को देख लंड जोश खा गया और मैं उसे पकड़ कर चूमने लगा.


मेरा जोश देख कर वो भी शिद्दत के साथ मुझे चूमने लगी.

प्रीति ने मुझे अपने तर्कों से चुप करवा दिया था. अब मेरे हाथ उसके वक्षों को ब्रा के ऊपर से सहला रहे थे. मुझे भी अच्छा लगने लगा था.

मैंने कहा- ठीक है. तू ऐसा चाहती है तो मैं तुम्हारी मदद कर देता हूँ.

वो खुश हो गई और मुझे चूमने लगी.

मैंने कहा- ठीक है प्रीति. ये बात तेरी मां को भी पता नहीं चलनी चाहिए. मैं उन्हें फ़ोन कर बोल देता हूँ मैंने सामान दे दिया है, अब मैं जा रहा हूँ.

इस पर प्रीति बोली- हां ये ठीक रहेगा. ये बात हम दोनों में ही रहनी चाहिए.

मैंने प्रीति की मम्मी को फ़ोन कर बोला- आंटी, मैंने सामान प्रीति को मिल कर दे दिया है. ऑफिस स फ़ोन आया था इसलिए निकल रहा हूँ.

उसकी कुछ देर बाद प्रीति ने भी मम्मी को फ़ोन कर बता दिया कि मैं चला गया हूँ. उसका ऑफिस से फ़ोन आ गया था और वो अचानक चला गया और कुछ भी नहीं हुआ.

फोन बंद करके प्रीति मुझे किस करने लगी और मेरे हाथ पकड़ कर अपने चुचों पर रख दिए. मैंने प्रीति की चूचियों को दबा कर देखा. उसकी चूचियां बिल्कुल गोल और सुडौल थीं. मेरे छूने से उसके निप्पल कड़े होने लगे. अब मेरे अन्दर भी सेक्स भरने लगा था और हमारी चुम्मियां भी गहरी होती चली गईं.

मैंने प्रीति के स्तनों को जोर से दबाना शुरू कर दिया और उसके मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह … उह.

मैंने प्रीति को सोफे पर लिटा दिया और मैं उसके ऊपर आ गया. मैं उसके बदन को चूमने लगा. वो भी मदहोश सी होने लगी और मेरे शरीर की सहलाने लगी. उसका स्पर्श मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. वो अपने होंठों से कभी मेरे गालों पर चुम्बन कर रही थी, तो मैं भी कभी उसकी गर्दन पर, कभी चूचियों को चूम रहा था, तो कभी उसके पेट पर चूमने लगता था.

प्रीति मदहोश होती जा रही थी. फिर मैं प्रीति के बदन पर लेट गया और उसके होंठों को चूसने लगा और वह भी मुझे बहुत प्यार से चूमने लगी. मैं प्रीति के होंठों में जैसे खो गया था. हम दोनों एक दूसरे के होंठों को पीने लगे.

उसके बाद मैंने प्रीति के शरीर के हर एक अंग को चूमने लगा. प्रीति मेरे चुम्बनों से और ज्यादा मदहोश होती जा रही थी.

मैंने प्रीति को अपने आगोश में ले लिया और एक बार फिर से उसके होंठों का रस पीने लगा. वो भी मेरे होंठों को पीने लगी. मेरी जीभ उसके मुँह में चली गयी और उसने मेरी जीभ चूसी, तो फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में दे दी और मैंने उसकी जीभ चूसी.

फिर मैंने उसकी चूचियों पर मुँह रख दिया. मैं उसकी चूचियों की घाटी को चाटने लगा. वो मेरी गर्म जीभ से और ज्यादा मादक अनुभव लेने लगी.

उसके बाद मैंने उसकी ब्रा को खोल दिया और उसकी चूचियां नंगी हो गयीं. मैं उसके दूधों को अपने मुँह में लेकर पीने लगा.

उसने मुझे अपनी बांहों में कस लिया और अपनी चूचियों को बारी बारी से पिलाने लगी. वो पूरी मस्त हो गयी थी.

पांच सात मिनट तक मैंने चूचियों को पिया और उनको चूस चूस कर लाल कर दिया. चूची चूसने से उसके निप्पल तन गए थे, तो मैंने दांतो के निप्पलों को धीरे धीरे से कुतरा.

वह सीत्कार भरते हुए बोली- प्लीज काटना मत … निशान पड़ जाएंगे, बेकार की मुश्किल होगी.

उसके बाद उसके पेट को चूमते हुए नाभि से होकर उसकी चूत की ओर बढ़ा उसकी पैंटी को आहिस्ता से उतार दिया और चूत को नग्न कर दिया.


उसकी चूत एकदम गर्म और चिकनी थी. चूत पर झांटों का नामोनिशां नहीं था और उसकी चूत गीली हो चुकी थी. पहले मैंने चूत को उंगली से छेड़ा. उंगली उसके दाने के पास पहुंची, तो उसको भी छेड़ा और फिर मैं चूत में जीभ देकर चाटने लगा. बस वो पागल होने लगी और मेरे सर पर हाथ रख कर मेरे मुँह को अपनी चूत की ओर धकेलने लगी. मेरी जीभ उसे पागल किए जा रही थी.

कुछ देर तक मेरी चूत को चाटने के बाद प्रीति में मुझे ऊपर खींचा और किस करने लगी. वो बोली- तुम भी तो अपने कपड़े निकालो.

तो मैंने कहा- ये शुभ काम भी तुम अपने हाथों से ही करो.

उसने मेरी कमीज में हाथ डाल कर मेरी छाती पर हाथ फेरा और मेरी कमीज को उतार डाला. फिर मेरी पैंट को भी अंडरवियर समेत उतार कर मुझे पूरा नंगा कर डाला.

मेरा लंड पूरे नब्बे डिग्री पर फन उठाये फुंफकार रहा था.

मेरा लंड पकड़ कर वो बोली- तुम्हारा लंड तो मेरे मियां से काफी मोटा और लम्बा तगड़ा है.

फिर उंगली से नाप कर बोली- सात आठ इंच तो होगा.

मैंने कहा- हां, साढ़े सात इंच का है.

फिर वो बोली- इसका सुपारा भी एकदम से गुलाबी है. तुम्हारी बीवी की तो मौज रहती होगी. मेरे मियां का तो इसके मुक़ाबले आधा ही होगा.

प्रीति ने मेरे लंड को अपनी चूत पर रख कर उसको चूत पर रगड़ा. एक दो बार मैंने भी उसकी चूत को अपने लंड से सहलाया, तो वो अपनी चूत में लंड लेने के लिए मचल उठी. फिर अपने लंड के सुपारे को उसकी चिकनी चूत में धकेल दिया.

हालाँकि वो तीन साल से शादीशुदा थी और अपने पति से खूब चुदती भी थी. फिर भी उसकी चूत में मेरा मोटा लंड आसानी से नहीं गया.

तो मैंने उंगलियों से चूत की फांकों को अलग किया और छेद पर लग कर धक्का दिया.

इस बार में उसकी चूत में लंड आधा घुस गया. मुझे मजा सा आया क्योंकि उसकी चूत टाइट सी लगी.


लेकिन प्रीति को दर्द होने लगा.

वो चिल्ला उठी- आआआह ओह्ह्ह्ह मार डाल.. फाड़ दी मेरी चूत.

मैं रुक कर उसे चूमने लगा.

दो पल बाद वो बोली- मेरे पति के लंड में मुझे वो मजा कभी नहीं मिला. जो आज मैं अपनी चूत में तुम्हारे लंड से महसूस कर रही हूँ. इतना दर्द तो मुझे सुहागरात को भी नहीं हुआ था. आज तो ऐसा लग रहा है मेरी सील आज ही टूटी है.

मैंने दूसरा धक्का दिया और चूत को चीरते हुए मेरा लंड प्रीति की चूत की जड़ में उतर गया और चूत के अन्दर उसकी बच्चेदानी की चुम्मी लेने लगा.

वह दर्द से कराहते हुए बोली- प्लीज इसे बाहर निकालो. बहुत मोटा है तुम्हारा. एकदम गर्म लोहे की रॉड है. तुम्हारे लंड से तो ऐसा लगता है कि मेरी चूत फट गयी है.

मैंने कहा- तुमने ही ये रास्ता चुना है. अब मैं रुक नहीं सकता.

वो बोली- मुझे रोकना भी नहीं है. बस अभी कुछ देर हिलना मत. जब मैं चूतड़ उछाल कर इशारा करूं, तब धीरे धीरे करना.

मैंने कहा- अभी कह रही हो आहिस्ता करना. कुछ देर बाद मजे ले ले कर बोलोगी कि और जोर से … और जोर से.

तो उसने मेरे चूतड़ों पर एक चपत मारी और बोली- तुम इतने बदमाश हो मुझे नहीं पता था. अगर पता होता तुम्हारा इतना तगड़ा लंड है, तो तुमसे ही चक्कर चला कर शादी कर लेती. अब तक तुम्हारे साथ क्रिकेट की आधी टीम तो बना ही चुकी होती.

हम दोनों हंस दिए.

उसके बाद दोनों लिप करने लग गए और मेरे हाथ उसके स्तनों को सहलाने दबाने और निप्पलों को मसलने लग गए.

कुछ देर लंड को चूत में उतार कर मैं उसके ऊपर लेटा रहा और दोनों लिप किस करते रहे. उसके हाथ मेरी पीठ और मेरे चूतड़ों को दबाते सहलाते रहे. कुछ देर बाद उसका दर्द उड़ गया और तब तक लंड चूत में एडजस्ट हो गया. अब उसकी चूत ने मेरे लंड से दोस्ती कर ली थी.

उसने मेरे नितम्बों को नीचे की ओर दबाया और अपने चूतड़ों को ऊपर उठा कर इशारा किया, तो मैंने अपने नितम्बों को उसकी चूत पर धीरे धीरे से पहले और दबाया. लंड पूरा अन्दर जाकर अपनी हाज़िरी लगा आया. फिर चूत में लंड अन्दर बाहर धीरे धीरे करना शुरू कर दिया.

मेरा लंड चूत की दीवारों को रगड़ता हुआ चूत में घर्षण करने लगा. प्रीति को बहुत मजा आने लगा. कुछ ही देर में मुझे भी चुदाई का नशा सा होने लगा.

वो खुद ही अपनी चूत को मेरी ओर धकेलते हुए मेरा लंड अन्दर लेने लगी. मैं भी पूरे जोश में चोदने लगा. जब मैं लंड बाहर निकालता, तो वह भी चूतड़ पीछे कर लेती. फिर जब मैं धक्का देता, तो वह भी अपने चूतड़ मेरी और धकेल देती. जब मेरे अंडकोष उसकी चूत से टकराते थे, तो फट फट की आवाज़ आने लगती. उसके मुँह से आह ओह निकलने लगी थी.

फिर कुछ देर बाद उसने मेरे चूतड़ों पर हाथ रख कर कहा- आंह और जोर से और जोर से!

तो मैं उसे चूम कर बोला- मजा आ रहा है?

वह बोली- हां बहुत मजा आ रहा है बस लगे रहो … रुकना मत.

दस मिनट के चोदन के बाद ही प्रीति का स्खलन हो गया. वो झड़ गयी, मगर अभी भी मेरा नहीं हुआ था और मैं उसकी चूत में लंड पेल रहा था.

पांच सात मिनट के बाद मैं पूरे जोर से धक्के देने लगा और लंड वीर्य की गर्म पिचकारी उसकी चूत में बह गयी. मैंने उसकी पूरी चूत को अपने वीर्य से भर दिया और उसके ऊपर गिर गया. हम दोनों एक दूसरे को चूमने सहलाने लगे.

प्रीति बोली- मजा आ गया.

कुछ देर में प्रीति दुबारा गर्म हो गयी और बोली- चलो बेड पर चलते हैं.

वो मेरे लंड को पकड़ कर मुझे बेड पर ले गयी और मुझे चित लिटा कर मेरे ऊपर आ गयी. अब उसने अपनी चूत को मेरे लंड पर रगड़ना शुरू कर दिया.

मैंने उसके स्तनों को चूसना शुरू कर दिया और दस मिनट तक उसके स्तनों को पीता रहा. इस दौरान मेरे लंड में फिर से तनाव आने लगा. मैंने उठ कर उसके मुँह में अपना लंड दे दिया.

मेरे वीर्य और उसके चुतरस में सना लंड वो अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.

फिर अपनी चूत में घुसा कर बोली- तुम्हारा वीर्य काफी गाढ़ा है. तुम्हें कितने दिन हो गए अपनी बीवी को चोदे हुए?

तो मैंने कहा- अभी हफ्ते से टूर पर ही हूँ और उससे पहले मानसून (बीवी को माहवारी) आया हुआ था, इसलिए लगभग 20 दिन हो गए.

वो बोली- अच्छा है. मेरे चांस बढ़ गए.

दो मिनट में ही मेरा लंड एक बार फिर से सख्त हो गया. उसके बाद मैंने फिर से प्रीति को घोड़ी बना कर पीछे से डाला डाला और धड़ाधड़ उसकी चूत को चोदने लग गया. फिर 20 मिनट तक की चुदाई में प्रीति दो बार झड़ गयी और उसके बाद उसकी चूत में अपना सारा वीर्य एक बार फिर से छोड़ दिया.

इसके बाद प्रीति बोली- अब थोड़ा आराम कर लो. रात को भी तुम्हें यही रहना है. घर में कोई भी नहीं है, हम दोनों ही हैं. खूब मजे करेंगे.

मैंने घर में फ़ोन कर बता दिया कि मीटिंग कैंसिल हो गयी है. मैं अपने दोस्त के घर जा रहा हूँ और फिर कल वहीं से वापिस बंगलौर चला जाऊंगा.

उसके बाद रात भर मैं प्रीति के पास रहा और दिन दोपहर, पूरी रात उसको चार बार कस-कस कर, आसन बदल बदल कर उसे चोदा. कभी मैं ऊपर, कभी वह ऊपर, कभी घोड़ी, कभी खड़ी करके चोदा और मैंने उसकी चूत का भोसड़ा बना दिया.

अगले दिन दोपहर तक मैं उसके साथ रहा, नहाया नहलाया और बाथरूम में, किचन में, सब जगह उसको चोद कर उसकी चूत को हर बार अपने वीर्य से पूरा भर दिया.

अगले दिन जाने से पहले मैंने प्रीति को कहा- आज अपने पति से जरूर चुद लेना ताकि उसे लगे बच्चा उसका ही है.

वह भी बोली- तुमने वैसे तो पूरी तसल्ली करवा दी है. मेरी हिम्मत तो नहीं है, फिर भी पति से जरूर चुदूँगी.

अगली रात उसने अपनी चूत में पति का लंड भी लिया.

फिर अगले महीने उसने फ़ोन पर मुझे खुशखबरी दी. बताया कि वो, उसकी सास, पति और मां बहुत खुश हैं.


...........................!! समाप्त !!............................
Nice Update Bholu :hug:
 

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