Incest चूत शृंगार (completed)

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यह कहानी है भाई बहन के बीच हुए सेक्स की… बहन गर्भवती थी कि पति की मृत्यु हो गयी… फिर बच्चा हुआ तो मरा हुआ… वो अपने भाई के साथ रहती थी.
 
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Update 1
जाने क्या सोच कर मेरे माता-पिता ने मेरा नाम कमला रख़ दिया था, यों तो कमला लक्ष्मी का नाम है, पर मुझे सदा धन की कमी रही है, भाग्य ने कभी साथ नहीं दिया, गर्भ में बच्चा आते ही पति का देहान्त हो गया और बच्चा पैदा हुआ तो मरा हुआ! जिस औरत का न पति हो, न बच्चा और जो भाई के टुकड़ों पर पल रही हो, उसे आप अभागिन नहीं तो और क्या कहेंगे?

भाई के डर से ऐसे कपड़े पहनती थी कि कोई अंग ना दिखाई दे। बस शरीर बन्द-गोभी बन कर रह गया था।

यह जीवन भी कोई जीवन है! उस औरत के जीवन को आप क्या कहेंगे जिसका बदन कोई मर्द ना देखे और वो खुद ही को शीशे में देखे और खुद ही अपने बदन को सहलाए। दिन भर कोई मर्द दिखाई नहीं देता था, तो किसको याद कर चूत में उंगली लेती, अपने मम्मे खुद दबाती और खुद अपनी उंगली अपनी चूत में डालती और सिसकती।

यह सब कितने दिन चलता? आखिर दिल ने हार मान ली।

काम वाली बाई ने कहा- बहन, मेरे दूध से मेरे बेटे का पेट नहीं भरता।

तो मैंने तुरन्त कहा- मैं पिला देती हूँ।
छोटे से बच्चे से अपने मम्मे चुसवाने में कोई ममता नहीं थी, वो तो मेरी हवस बोल रही थी।
बात यहीं खत्म नहीं हुई।

बाई का दूसरा बेटा आया था, तो मैंने उसको भी कहा ‘दूध पीयेगा?’ उसकी माँ की तरफ देखा तो उसने कहा- बहन बहुत शरारती है, देखना कहीं मम्मे न काट ले!

माँ ने मन्जूरी दे दी, तब क्या था! मैं तो मम्मे कटवाने को तरस रही थी! आप इसे पागलपन कहो तो कहो, मैं अपनी फड़कती चूत को देखूँ या आपके तानों के बारे में सोचूँ!

रोज चुसवाने लगी मैं अपने दूध, धीरे-धीरे खुलने लगी पहले ब्लाउज से मम्मा निकाल कर चुसवाती थी, अब ब्लाउज खोल कर पूरे मम्मे निकाल के चुसवाने लगी। बस मुझसे यही गलती हुई और एक दिन पकड़ी गई।

कमल भैया ने रंगे हाथों पकड़ लिया। मैं सारे कपड़े उतार कर और बड़े-बड़े मम्मे सजा कर बच्चे से चुसवा रही थी और ‘सी सी’ कर के मजा ले रही थी कि अचानक मेरा भाई कमल आ टपका।

मैंने तन ढकने के लिए इधर-उधर देखा तो कोई कपड़ा दिखाई नहीं दिया। जाने मम्मे चुसवाने में मैं कब इतनी मस्त हो गई कि मुझे पता ही नहीं चला कि मैं मम्मे चुसवाते-चुसवाते अपने कपड़े दूसरे कमरे में छोड़ आई।

कमल को देखते ही मैं झट से खड़ी हो गई और इधर-उधर अपने कपड़े ढूंढने लगी। इधर-उधर नहीं मिला तो झुक कर पलंग के नीचे देखा। वहाँ भी नहीं मिला तो भाग कर दूसरे कमरे में गई।

कमल भैया ने तो उस दिन खूब मम्मे देखे होंगे, बैठी थी तो चूसते हुए मम्मे देखे, खड़ी थी तो भरे-भरे मम्मे देखे, इधर-उधर देखा, तो हिलते हुए मम्मे देखे, झुकी तो लटके हुए मम्मे देखे, भागी तो उछलते हुए मम्मे देखे।

ऐसे हर तरह से मम्मे देख कर भैया चले गए। वो अपने दफ्तर की एक फाइल भूल गए थे। जल्दी में थे सो बिना कुछ कहे लौट गए। मैं मन ही मन डरती रही कि भैया क्या सोच रहे होंगे मेरे बारे में। साथ ही मन ही मन सफाई देने के बहाने ढूंढती रही और शाम को भैया के घर आने से पहले मैंने एक अच्छा सा बहाना ढूंढ ही लिया।

शाम को जब भैया घर आए तो कहने लगे- तुमसे कुछ बात करनी है।

मेरी तो जान ही निकल गई, मैंने तुरंत टोका और कहा- मुझे भी कुछ कहना है, पहले मेरी बात सुनो। मैंने अपनी मनघड़न्त कहानी सुनाई।

मैंने कहा- मेरा बच्चा तो मरा हुआ पैदा हुआ, पर मेरा दूध उतर आया था। अब जब छाती दूध से भर जाती है तो बहुत दर्द करती है। इसलिए छोटे बच्चे को दूध पिला कर हल्का कर लेती हूँ।

भैया ने पूछा- डाक्टर से दवा क्यों नहीं लेती?

तो फ़ौरन जो सूझा, कह दिया- मुझे किसी ने बताया था कि डाक्टर की दवा से दूध तो सूख ही जाएगा, पर मम्मों की नाड़ियाँ भी सूख जाएँगी।

भैया ने घबरा कर बोला- ना बाबा, ऐसी दवा तो बिल्कुल न लेना।

उसका जवाब सुन कर मैंने चैन की साँस ली कि चलो अब बात खत्म हुई। अब तो मैं बेधड़क होकर चुसवाऊँगी!
फ़िर भैया बोले- बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ।

मैंने सोचा कि अब क्या मुसीबत है यार! मामला तो सुलझ गया था, फिर भी प्यार से बोली- बोलो ना भैया, क्या बात है?

भैया बोले- तेरा जिस्म इतना सुन्दर है तो तू इस तरह के कपड़े पहन कर इसको ऐसे क्यों छुपाती है? जैसे कोई अपनी बुराई को छुपाता है।

मैं तो हैरान रह गई, भाई के मुँह से यह बात सुन कर। अरे इस साले का तो खड़ा हो गया मेरी चूचियाँ देख कर! वाह री कमला, तेरी चूचियों ने तो कमाल कर दिया।

फिर मैं थोड़ा शर्मा कर बोली- भैया, मुझे लगा आपको अच्छा नहीं लगेगा। विधवा जो ठहरी।
‘हट पगली!’ भैया बोले- तू सुन्दर लगेगी तो, मुझे बुरा लगेगा? तूने यह सोच भी कैसे लिया। चल तुझे अच्छे से ब्लाउज सिलवा कर देता हूँ।

मैंने कहा- भैया मेरे पास हैं।
तो भैया ने कहा- जा पहन कर आ।

मैंने एक खुले गले का ब्लाउज पहना और भैया के सामने आई।
भैया ने कहा- देख, कितनी सुन्दर लग रही है। ऐसे ही अपने शरीर को खराब कर रखा है।

फिर भैया मुझे बाज़ार लेकर गए और दो ब्लाउज सिलवा कर दिए। ब्लाउज क्या, ब्रा से भी छोटे। मम्मे तो क्या चूची का भी थोड़ा सा काला भाग दिखाई दे रहा था।

साला खुद मम्मे देखने के चक्कर में मुझे सबके सामने तो नंगा नहीं कर रहा। खैर, वो ब्लाउज पहन कर मुझे भी लगा कि मैं बहुत सैक्सी हूँ। काश कोई मुझे आज चोद लेता।

रात को सोते समय रोज की तरह मैंने अपने मम्मे दबाए तो भैय्या की बातें याद आईं, ‘तेरा जिस्म बहुत सुन्दर है।

बार-बार ऐसे लगे कि वो मेरे मम्मे देख रहे हैं। आँखें बन्द करूँ तो लगे वो मेरे मम्मे चूस रहा है।

बहुत समय से उसके अलावा कोई मर्द भी तो आँखों के सामने नहीं आया था। मैं सारे बंधन भूल गई और ख्यालों में उसी से चुदने लगी।

चूत में ऊँगली डाल कर सिसकारियाँ भरने लगी, “भैया चोद ले मुझे, मार ले मेरी!” और उसी को याद कर-कर के रात को अपने जिस्म की आग को ठंडा किया।

अगले दिन भैया ने कहा- खाना न बनाना, आज बाहर होटल में खायेंगे।

अरे वाह किस्मत खुल गई! पहले तो कभी नहीं कहा। एक बार मम्मे क्या देख लिए मेरी तो लाटरी निकल आई। मैंने भी दिल को मना लिया अब मुझे और तो कोई मिलेगा नहीं, अगर यह लाइन मारता है तो इसी से मरवा लूंगी, रिश्तेदारी गई माँ चुदाने। अपनी चूत का ख्याल करूँ या दुनियादारी का।

फिर लगा शायद मैं ही ज्यादा सोच रही हूँ वो तो शायद सिर्फ मेरा ख्याल रख रहा है।

खैर मैंने भैया की दिलाई हुई ब्लाउज पहनी। पहनी क्या, लगभग नंगी लग रही थी।

पीठ पर दो डोर थीं, कोई हाथ फेरे तो ऊपर गरदन से लेकर नीचे नितम्बों तक सहला सकता था।

सामने गला इतना खुला था कि थोड़ा झटका लगे तो चूची उछल कर बाहर आ जाए। नीचे से ब्लाउज इतना कम कि पूरी कमर दोनों हाथों से सहला लो।
कोई भी दमदार मर्द मुझे देख कर गर्म हो जाता। खैर, मुझे क्या मैं तो खुद मर्द की नजरों को तरसी पड़ी थी।

‘कोई कहे चुम्मा दे दे तो मैं कहूँ चोद ले यार।’

भैया एक होटल में खाना खिलाने को ले गए। मैंने भैया के दिलाए हुए कपड़े तो पहने। अधनंगे बदन को मैंने पल्लू से ढक लिया।

भैया ने कहा- इतना सुन्दर ब्लाउज पहनने का क्या फायदा! अगर उसको ढक कर ही रखना है!

भैया की बात सुन कर मैंने पल्लू हटा लिया। मम्मों के दर्शन कर वो बोला- वाह, क्या रूप निखर कर आया है।

साथ वाली लाइन के आखिर में एक मर्द बैठा भी मुझ को ताड़ रहा था। मेरे देखने पर भी उसने ताड़ना बंद नहीं किया।

भैया ने ब्लाउज खुला रखने को कहा था इसलिए मैंने पल्लू से भी पूरी तरह नहीं ढका। मेरी समझ में यह नहीं आ रहा था कि मुझे कौन ज्यादा ताड़ रहा है, भाई या वो मर्द।

वो मर्द मुझे ज्यादा भाने लगा। सोचा, उसको आँखों में बसा लेती हूँ रात को उसी को याद करके उंगली लूंगी और चुदने का मजा लूँगी।

मैं यह सोच ही रही थी कि उसने मुझे आँख मारी।

कहानी जारी रहेगी।
 
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Update 2
भैया ने ब्लाउज खुला रखने को कहा था इसलिए मैंने पल्लू से भी पूरी तरह नहीं ढका। मेरी समझ में यह नहीं आ रहा था कि मुझे कौन ज्यादा ताड़ रहा है, भाई या वो मर्द। वो मर्द मुझे ज्यादा भाने लगा, सोचा उसको आँखों में बसा लेती हूँ रात को उसी को याद कर के उंगली लूंगी और चुदने का मजा लूँगी।

मैं यह सोच ही रही थी कि उसने मुझे आँख मारी। मैं कुछ समझ ही नहीं पाई कि यह अचानक क्या हुआ। भैया की पीठ उसकी तरफ थी इसलिए भैया को कुछ पता नहीं लगा। भाई की आँखें तो मेरे मम्मों पर टिकी ही थीं। वो आदमी भी ऐसे देख रहा था, जैसे मुझे चोदने का हक है उसे। मैं कभी भाई को देखती और कभी उसको और समझ न पाती कि कौन मुझे चोदने को ज्यादा उतावला है। जहाँ तक मेरा सवाल है, मैं तो कब से तड़प रही थी कि कोई मेरी चूत को लंड से खोद डाले।

थोड़ी देर बाद उस मर्द ने फिर मुझे आँख मारी। घबराहट में मैंने पल्लू समेटा। समेटा क्या, घबराहट में कुछ ऐसा कर बैठी कि मम्मे और उभर कर दिखने लगे। उस मर्द को जरूर लगा होगा कि मैं खुल कर अपने मम्मे उसे दिखा रही हूँ। मैंने भी सोचा, लगता है तो लगे, कुछ ज्यादा इशारे करेगा तो उसे याद करके उंगली लेने में रात को और मजा आएगा।

मैंने सोच लिया कि अब आँख मारेगा तो और खुल कर दिखाऊँगी।
थोड़ी देर बीती, तो उसने फिर आँख मारी। मैंने जैसे सोचा था, वैसे ही किया, मैंने ब्लाउज में हाथ डाल कर मम्मों को थोड़ा सा ऊपर किया मानो कह रही हूँ, ले चूस ले।

इसका असर उस पर तो पता नहीं क्या हुआ? भैया पर असर जरूर हुआ जो उसकी जुबान पर आया।
भैया बोले- हाय राम, तेरे से सुन्दर तो कोई हो ही नहीं सकता।

साफ लग रहा था कि इसके हाथ तो मेरे मम्मे मसलने के लिए तिलमिला रहे हैं। भैया के चेहरे से साफ दिखाई दे रहा था कि अगर मैं उसकी बहन न होती तो मुझे यहीं चोद डालता। मेरा तो हाल उससे भी बुरा था। मेरी चूत तो इतनी तरस रही थी कि भाई तो क्या कोई कुत्ता भी चोदे तो मैं मना न करूँ।

दो मर्द मस्त होकर मेरे मम्मों के दर्शन कर रहे थे। एक मेरा भाई जो मुझे इस लिए नहीं चोद सकता कि वो भाई है, दूसरा वो जो सामने से ताड़ रहा था जो मुझे इसलिए नहीं चोद सकता कि वो बिल्कुल अजनबी है। फिर भी मैं उनको मस्त करना चाहती थी कि रात को चूत में उंगली करने को कुछ यादें रह जाएँ।

मैंने उनको मस्त करने का एक उपाय सोचा। मैंने ब्लाउज में हाथ डाल कर अपना मम्मा थोड़ा ऊपर को किया। भाई की तो मानो साँस ही रुक गई। मुझे समझ आ गया यह तरीका मस्त है। मैंने फिर दूसरा मम्मा थोड़ा ऊपर किया, असर नजर आ रहा था, मैं थोड़ी-थोड़ी देर में मम्मों में हाथ डाल कर उन्हें थोड़ा थोड़ा ऊपर-नीचे इधर-उधर करने लगी।

जादू चल रहा था। कभी मैं भाई को देखती, कभी उस अजनबी को ! बहुत मजा आ रहा था।

ऐसा करते-करते एक बार हाथों से थोड़ी सब्जी मम्मों पर लग गई। मैंने रूमाल से साफ की और भैया से कहा- अरे सामने बैठे हो, बता तो देते यहाँ सब्जी लगी है।

भैया ने कहा- सॉरी यार, अब ऐसा कुछ होगा तो बता दूँगा।
मेरे हिसाब से यह बहुत बड़ी बात थी, भैया ने एक तरह से मान लिया कि वो मेरे मम्मे देख रहे हैं। उनको यह भी स्पष्ट हो गया कि मुझे पता है कि वो मेरे मम्मे देख रहे हैं और इसमें मुझे कोई आपत्ति नहीं है। फिर उसने इस बार मुझे दीदी नहीं, यार कह कर बुलाया। यानि अब हम चोद भले ही न सकें कम से कम मम्मों की तो बात खुल कर, कर ही सकते हैं।

थोड़ी देर यही सिलसिला चलता रहा। सामने वाला आँख मारता तो मैं मम्मे में हाथ डालती। फिर भैया का चेहरा देखती ओर हम दोनों एक-दूसरे को देख कर मुस्कराते। यह मुस्कराहट बिना मुँह खोले बहुत कुछ कह जाती। मानो मैं कह रही हूँ भैया तेरे लिए ही मम्मे हिला रही हूँ और वो कह रहा हो, इसी तरह हिलाती रह, बड़ा मजा आ रहा है, लण्ड खड़ा हो रहा है और हिला अपने मम्मे।

फिर मैंने अपने मन में उठ रहे ख्यालों की सच्चाई परखने के लिए एक उंगली पर थोड़ी सब्जी लगा कर मम्मों को ऊपर-नीचे किया, मम्मों पर सब्जी लग गई, भैया ने एक सेकंड नहीं लगाया और कहा- साफ कर ले।

मैंने मुँह साफ करके पूछा- ठीक है?
भैया ने कहा- मुँह नहीं यार, अपना मम्मा साफ कर !
‘अरे वाह भैया तो यार बन के मेरे मम्मों की बात कर रहा है !’ मजा आ गया ! मैंने अच्छी तरह रगड़-रगड़ कर घुमा-घुमा के मम्मा साफ किया और भैया को पूरा मजा दिया।

हद तो तब हुई जब भैया ने कहा- दूसरा मम्मा भी साफ कर ले।
अरे उस पर तो कुछ लगा ही नहीं था। मैं समझ गई भैया और मजा लेना चाहता है और क्यों नहीं ले, इसमें गलत क्या है?अगर बहन खुशी से मम्मे दिखा रही है, तो भाई को मजा लेने में क्या बुराई है?

‘बहन भाई राजी तो माँ चुदाए काजी।’
तो भैया ने जब कहा- दूसरा मम्मा साफ कर।

तो मैं उनकी नीयत समझ गई और मैंने पूरा मजा देने की ठान ली। मैंने एक हाथ से ब्लाउज पकड़ा और दूसरे हाथ से मम्मा पकड़ कर अच्छी तरह मसला। मैं भैया के मुँह की तरफ देख रही थी, क्या आनन्द लेकर देख रहा था, मेरे मम्मों को।

जब मैंने देखा कि उसकी आँखें गड़ी हुई हैं तो मैंने अपनी चूची पर उंगली रख कर दबाई और उसे ब्लाउज से बाहर निकाल लिया।
भैया एकदम घबरा कर बोले- अरे इसे अन्दर कर।
मैंने कहा- क्या हुआ यार? इतना गुस्सा क्यों?

भैया ने कहा- गुस्सा नहीं कर रहा, यहाँ चूची दिखाना गैरकानूनी है।
मैंने कहा- सच बताना भैया, मेरे मम्मे तो तुम्हें अच्छे लगते हैं, यह मैं जानती हूँ, पर मुझे लगता है मेरी चूची तुम्हें अच्छी नहीं लगती।

‘पगली !’ भैया बोले- मैंने तेरी चूची सिर्फ एक बार देखी है और मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि तेरी चूची दुनिया की सबसे सुंदर चूची है। यहाँ चूची दिखाना गैरकानूनी नहीं होता तो मैं तुझे मना भी नहीं करता।

तो मैंने कहा- अच्छा भैया बताओ कहाँ तक ठीक है?

और मैंने अपनी चूची पर उंगली रख कर मम्मे को ऊपर उठाना शुरू किया।
भैया बोले- थोड़ा और ! थोड़ा और ! बस बस इतना नहीं ! थोड़ा कम कर ! हाँ बस बस ! अब बिल्कुल ठीक है।

और मैं वहाँ जितना ज्यादा मम्मा दिखा सकती थी उतना भैया ने खुलवा लिया। मैं भी सोच लिया अब तो खुल कर बात होनी शुरू हो गई है, अब तो मैं खुल कर दिखा दूँगी। यहाँ नहीं तो घर पर ही सही।

भैया को अपने मम्मे दिखा दिखा कर खुश करने के चक्कर में मैं तो भूल ही गई थी कि एक और मजनूं भी तो मेरे मम्मे ताड़ रहा था। उधर देखा तो वो चुम्मा पे चुम्मा फेंक रहा था, जो उड़न तश्तरी की तरह मेरे मम्मों पर वार कर रहे थे।

मैं उसे देख कर मुस्करा दी। वो कहते हैं ना मुस्कराई तो जेब में आई और हँसी तो फँसी। फँस तो मैं गई ही थी, सोचा इस मजनूँ की भी खबर लेनी ही चाहिये। देखा तो उसकी सीट के पीछे दीवार थी, जिस पर शौचालय लिखा था।

सुसु का बहाना कर मैं भाई के पास से उठी और उसकी तरफ बढ़ी। शौचालय जाते-जाते उसके पास से निकली तो उसने मेरी नंगी कमर पर हाथ फेर दिया। मैं रुकी नहीं आगे बढ़ गई। वो पीछे-पीछे आ गया और उस दीवार के पीछे मिला।

मैंने कहा- बहुत हिम्मत बढ़ गई है तुम्हारी?

वो बोला- दिल आ गया है, अब जान भी जाए तो तेरी लेकर ही मरूँगा।
मैं फिर बोली- बड़ी हिम्मत हो रही है?
उसने मेरी कमर पकड़ ली, बोला- कब देगी?
मैं बोली- यह क्या बात हुई? जान ना पहचान, मैं तेरा मेहमान !
वो बोला- तेरे दिल की कसम, दिल आ गया है और उसने अपना हाथ मेरे मम्मों के नंगे भाग पर रख दिया।

मैं बोली- तुम क्या सोचते हो, मैं यहाँ अकेली हूँ?
वो बोला- जानता हूँ, तू अपने पति के साथ है पर मुझे पता है, तेरा दिल भी मेरे साथ है। बोल कब देगी?
मैंने कहा- क्या बकवास है, सड़क पर लेगा क्या? सड़क पर तो कुत्ते चोदते हैं।
वो बोला- तेरे लिए तो कुत्ता भी बन जाऊँगा। बोल कहाँ चुदेगी?

मैंने कहा- मेरी छाती से हाथ हटा !
तो वो बोला- हिम्मत है तो झटक दे।
मैंने कहा- हटा ले ना यार ! कोई देख लेगा।
वो बोला- पहले वादा कर।

मैंने कहा- हाँ, मौका देख कर चुदूँगी।
उसने मेरा मम्मा दबा कर छोड़ दिया।
मैंने कहा- अगर सचमुच मुझे चोदना है तो मेरे उससे दोस्ती कर ले।

वो समझ रहा था कि कमल मेरा पति है, मैंने भी नहीं बताया कि वो मेरा भाई है।
मैंने उससे पूछा- तेरा नाम क्या है?
उसने कहा- चोदू !

मैंने सोचा कि यह कैसा नाम है।

कहानी जारी रहेगी।
 
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Update 3
वो समझ रहा था कि कमल मेरा पति है, मैंने भी नहीं बताया कि वो मेरा भाई है।
मैंने उससे पूछा- तेरा नाम क्या है?
उसने कहा- चोदू।

मैंने सोचा यह कैसा नाम है। शायद वो अपना नाम नहीं बताना चाहता। जो अपना नाम नहीं बताना चाहता, वो क्या चोदेगा? ऐसे ही हिम्मत दिखा रहा था।
मैं आकर भैया के पास अपनी जगह पर बैठ गई।

थोड़ी देर में पता लगा कि चोदू तो सचमुच बड़ी हिम्मत वाला चोदू है। थोड़ी देर में ही वो चोदू भैया के पास आया और कहने लगा- मैं एक होटल चलाता हूँ और आप अपनी पत्नी के साथ हमारे होटल में आइए। यह मेरा कार्ड है, आप इसको दिखा देना तो आपको रियायत भी मिलेगी।
भैया ने पूछा- इस मेहरबानी की वजह?
तो वो बोला- मेहरबानी तो आप करेंगे हमारे होटल में आकर ! आप जैसे अच्छे लोगों के आने से हमारे होटल का नाम बढ़ेगा।

भैया से अपने होटल आने की जिद करके और आने का वादा लेकर वो चला गया। मैं भी सोचने लगी बड़ा दिलेर है, यार बड़ा मजा आएगा इससे चुदने में। फिर दिल ने कहा ‘कमला अपनी हद में रह। मुश्किल से तू अपने घर से बाहर निकली है ज्यादा सपने मत देख।’
मैंने भैया से पूछा- इसका नाम क्या है?
भैया ने कार्ड देख कर बताया- इसका नाम चंदू है।

ओह तो मेरे ही कान बज रहे थे। जब उसने अपना नाम चंदू बताया तो मुझे ‘चोदू’ सुनाई दिया। चुदने के लिए तरस गई थी, शायद इसीलिए मुझे चोदू सुनाई दिया। खाना खाकर हम घर लौट आए। अरे भई, मैं और मेरे भैया, वो चोदू नहीं।
घर आकर भैया ने कहा- यार, एक काफी मिल जाती तो मजा आ जाता।

यह भैया का नया रूप था, जो दीदी की जगह ‘यार’ कह कर बात कर रहा था। मुझे तो भैया का यह अवतार बहुत अच्छा लगा। मैंने तो दिल से उसे ‘यार’ मान ही लिया।
मैंने भी उसी लहजे में जवाब दिया- पिलाती हूँ यार, जरा कपड़े बदल लूँ।
भैया ने हाथ थाम कर कहा- अभी से क्यों बदल रही हो? सोते समय बदल लेना।

भाई के उतावलेपन को मैंने उसकी आँखों में देखा तो समझ आया कि जनाब का दिल अभी मेरा जिस्म देख कर भरा नहीं है।
मैंने अपने दिल से कहा इसे शीशे में उतार ले ! लोहा गर्म है, मार दे हथौड़ा या अपनी भाषा में कहूँ तो चूत गर्म है, चूस ले लौड़ा।
मैंने कहा- भैया ठीक है, चूल्हे पर साड़ी परेशान करती है तो सिर्फ़ साड़ी उतार देती हूँ।
अंधा क्या माँगे दो आँखें। या लौड़ क्या मांगे दो जांघें !

भैया की खुशी तो उछल कर बाहर आ रही थी, उसकी तो पूरी बांछें खिल गईं। मैंने भैया को इतना खुश कभी नहीं देखा।
मैंने सोचा कि इसकी खुशी को और बढ़ाया जाए। मैंने भीतर जा कर साड़ी उतारी और पेटीकोट को नाभि से बहुत नीचे बाँधा, बिल्कुल हड्डी के ऊपर जिससे चूत का उभार थोड़ा सा नजर आए और हड्डी और चूत के उभार के बीच की जगह खाली गढ्ढे की तरह नजर आए। बस नंगी सी ही नजर आ रही थी। थोड़ी सी ही कसर रह गई थी नंगी होने में।

मर्द अपने दिल की बात कह लेता है पर औरत को हिचकिचाहट होती है। इसीलिए भगवान ने औरत को मम्मे और चूत नाम के दो अस्त्र दिए हैं। वही दो अस्त्र लेकर मैं भैया को रिझाने जा रही थी।
कपड़ों के बीच से मम्मों को और चूत के उभार को जितना ज्यादा दिखा सकती थी, उतना खोल कर गई और भैया के पास जाकर बैठ गई।
बोली- भैया, बिना साड़ी के बुरी तो नहीं लग रही हूँ।
भैया ने मेरे कन्धों पर अपने हाथ रख कर कहा- अरे तू तो साड़ी से भी ज्यादा सुन्दर लग रही हो।

मैंने ब्लाउज तो पहना था मगर मेरे कन्धे तो नंगे थे और भाई का हाथ मेरे नंगे कंधों पर पड़ते ही मेरे जिस्म में कंपकपी सी दौड़ गई। बड़े समय के बाद मेरे नंगे जिस्म पर किसी मर्द के हाथ पड़े थे। मेरी तो साँसें फूल गईं। साँसों के फूलने का असर मम्मों पर साफ दिखाई दे रहा था। मम्मे हर साँस के साथ फूल कर उभरते और फिर वापिस जाते।

भैया मुझसे बात कर रहे थे और मुझे यह डर खा रहा था कि कही वो अपना हाथ मेरे नंगे कंधों से हाथ न हटा ले। मैंने अपना हाथ भैया के हाथों पर रख दिया और उसके हाथों को अपने कंधों पर दबा लिया।
मैंने कहा- भैया मैं बहुत डरा करती थी कि मैं तुम पर बोझ बन गई हूँ, कहीं तुम मुझे घर से ही ना निकाल दो।
भैय्य्या ने जोर से मेरा कंधा दबाया और कहा- हट पगली तूने ये कैसे सोच लिया?

भैया को कंधे दबाने में मजा आने लगा। वो बात बात पर मेरा कंधा दबाने लगे। मेरी साँसें और भी फूलने लगीं। मेरे कंधों में ‘कप’ तरह की एक गहरार्इ है। कंधे पर हाथ रखे-रखे भैया की एक उंगली उस ‘कप’ में हिलने लगी। उससे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया, मेरी साँसें और तेज हो गईं, मेरे उरोज श्वास की गति के साथ और फूलने लगे।

अगर भाई इस तरह फूलते हुए मम्मों को देख ले तो जरूर मुझे चोद लेगा, पर भाई तो मेरी आँखों में आँखें डाल कर बात कर रहा था। वो तो मेरे मम्मे देख ही नहीं रहा था। कमला कुछ कर जिससे वो तेरे मम्मों की तरफ देखे।
मैंने कहा- भाई सच सच बताना, मैं तुम्हें सुन्दर नहीं लगती थी ना?
भाई ने कहा- नहीं, पहले मैंने कभी तुझे गौर से ही नहीं देखा। उस दिन तुम्हें बच्चे को मम्मे चुसवाते देखा तो अन्दाजा हुआ कि तू कितनी सुन्दर है।

मम्मों का नाम लेते ही भाई ने मम्मे देखे तो देखता ही रह गया। वो मम्मों पर से नजर ही नहीं हटा सका। उसकी आँखें मम्मों पर गड़ी की गड़ी ही रह गईं।
मैंने भी साँसें और गहरी भरनी शुरू कर दीं, जिससे मम्मे और ज्यदा उभरने लगे। मानो भैया से कह रहे हों- आओ, हमें चूस लो।
मैंने भैया से पूछा- अब तो अच्छी लगती हूँ ना?
भैया ने मम्मों से नजर उठाए बिना ही बोला- हाँ।
भैया की साँसें फूल रही थीं। फूलते हुए मम्मों का असर उनकी साँसों में साफ दिखाई दे रहा था।

मैंने पूछा- भैया मेरे मम्मे तो अच्छे हैं ना?
भैया ने मम्मों पर आँखें गड़ाए हुए ‘हाँ’ बोला।
मैंने कहा- ऐसे नहीं भैया, सच बताओ खाओ मेरी कसम !
जवाब मिला- तेरी कसम !
पर मम्मों से नजर नहीं हिली।

मैंने सोचा सही मौका है, मैंने भैया से कहा- ऐसे नहीं भैया, मेरे दिल की कसम खाओ।
और मैंने भैया का हाथ पकड़ कर अपने मम्मों पर रख लिया।
भैया ने कहा- सच, तेरे दिल की कसम।
और उसके यह कहते ही मैंने उसका हाथ जोर से अपने मम्मों पर दबा कर आँखें बन्द कर लीं और कहा- थैंक यू भैया।
मैंने अपना हाथ हटा लिया पर भाई ने अपना हाथ मेरे मम्मों से नहीं हटाया।

फिर मैंने पूछा- आज होटल की बात से लग रहा था, तुझे मेरी चूची अच्छी नहीं लगी।
‘अरे नहीं बाबा ! वो मम्मे दबा कर बोला- तेरी चूची बहुत सुन्दर है। तेरे दिल की कसम तेरे दिल की कसम तेरे दिल की कसम।
भैया ने तीन बार कसम खाई और तीनों बार मेरा मम्मा दबाया। भाई को यह दिल की कसम का आइडिया बहुत पसंद आया और अब वो हर बात पर कहता ‘तेरे दिल की कसम’ और मेरा मम्मा दबा लेता।
मुझे भी बहुत मजा आ रहा था। छोटी-छोटी बात पर कसम खाने को कहती और वो मेरा मम्मा दबा कर कहता- तेरे दिल की कसम !

जैसे ही वो मम्मा दबाता, उसका हाथ फिसल कर थोड़ा नीचे खिसक जाता। ऐसा करते-करते उसका हाथ ब्लाउज के अन्दर जाने लगा। थोड़ी ही देर में उसकी एक उंगली मेरी चुचूक को छू गई, मेरे सारे शरीर में सनसनी छा गई।
मुझे जाने क्या हो गया, सोचने की शक्ति जाती रही। सोच-सोच कर कसमें खिला रही थी और मम्मे दबवा रही थी। अब कुछ नहीं सूझ रहा था कि किस बात की कसम खिलाऊँ।
बिना किसी बात के मैं बोली- खा कसम।

भैया ने भी बिना किसी बात के कहा- तेरे दिल की कसम ! और जोर से मेरा मम्मा दबाया।
शायद भैया का भी वही हाल था जो मेरा था। दोनों की बातें खत्म हो गईं। बस कसमें चलती रहीं और वो मेरा मम्मा दबाता रहा। थोड़ी देर में मैंने ये कहना भी बन्द कर दिया कि खा कसम। बस हम एक-दूसरे की आँख में आँख डाल कर देखते और वो मेरा मम्मा दबाता और हम दोनों मजा लेते रहे।

फिर अचानक जैसे नींद से उठे हों। हम दोनों एक साथ बोले- ‘काफी’
हम भूल ही गए थे कि मैंने साड़ी काफी बनाने के लिए उतारी थी ना कि मम्मे दबवाने के लिए और मैं काफी बनाने चली गई।
काफी बनाते-बनाते मैं सोच रही थी, लड़का तो पट गया है, मम्मे तो खूब दबा गया, अब चूत मरवाना मुश्किल नहीं होगा।
कहानी जारी रहेगी।
 
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Update 4
हम भूल ही गए थे कि मैंने साड़ी कॉफी बनाने के लिए उतारी थी ना कि मम्मे दबवाने के लिए और मैं कॉफी बनाने चली गई।

कॉफी बनाते-बनाते मैं सोच रही थी, लड़का तो पट गया है, मम्मे तो खूब दबा गया, अब चूत मरवाना मुश्किल नहीं होगा। सोच कमला सोच, जैसे मम्मे दबवाए हैं वैसे ही चूत मरवाने का कोई तरीका सोच।

इतना आसान नहीं है, मम्मे तो उसने खुद खुलवा दिए नए ब्लाउज सिलवा कर अब चूत कैसे खोलेगी। कुछ तो करना पड़ेगा।

काफी बना कर मैं भाई के पास गई और काफी मेज पर रख दी और उसके सामने खड़ी हो गई। वो सोफे पर बैठा था और मैं उस के सामने खड़ी थी जिससे मेरी चूत का उभार ठीक उसके मुँह के सामने था। नंगी कमर भी खुल के उसके सामने थी। वहाँ खड़े रहने के लिए मैंने बात करनी शुरू की।

मैंने उसके कंधों पर हाथ रख कर कहा- भैया काफी बहुत गर्म है, जरा संभल कर पीना।

‘अरे यह क्या ! कल की कॉफी का कप तो यहीं पड़ा है।’ भैया पीछे मुड़ कर कप उठाने लगे तो मैंने कहा- रुको मैं उठा लेती हूँ।

और मैं भैया के पीछे पड़े कप को उठाने के लिए जैसे ही झुकी मेरी चूत भैया के मुँह पर दब गई।

अरे यह तो मैंने सोचा ही नहीं था, बिना सोचे ही रास्ता निकल आया। मैंने चूत को उसके मुँह पर अच्छी तरह दबाया और कप उठाया।

भैया ने अजीब सा मुँह बनाया तो मैंने कहा- इतनी भी भारी और खुरदरी नहीं हूँ, देखो नर्म सी हूँ और मैंने दोनों हाथों से पकड़ कर भैया का मुँह अच्छी तरह से अपनी चूत पर रगड़ लिया।

भैया मुस्कराए और बोले- वैसे तो तू पतली है पर जहाँ जहाँ मांस होना चाहिए वहाँ वहाँ है।

शायद भैया कहना चाहते थे कि मेरी चूत बहुत गद्देदार है, पर शरमा रहे थे। यह कहानी आप lustyweb.live पर पढ़ रहे हैं !

मैंने पूछा- सच कह रहे हो?

तो उसने मेरे चूतड़ों पर हाथ रख कर जोर से अपने मुँह को मेरी चूत पर रगड़ा। मेरा पेटीकोट चूत से चिपक गया और पेटीकोट में से चूत का आकार साफ दिखाई देने लगा। ऐसे ही खड़े-खड़े मैं बहुत देर तक बातें करती रही।

बीच-बीच में भैया कुछ कसम खाना चाहते तो इशारा समझ कर मैं झुक जाती और वो मम्मा दबा कर कहते ‘तेरे दिल की कसम।’

धीरे-धीरे भैया की हिम्मत बढ़ी और अब वो ब्लाउज के अंदर हाथ डाल कर पूरा मम्मा दबाते और कहते ‘तेरे दिल की कसम !’

ऐसे बात करते-करते कॉफी खत्म हो गई और हम अपने-अपने कमरे में सोने को चले गए।

अपने कमरे में जाकर मैं खुद को कोसने लगी। सारा दिन मेहनत से उसको गर्म किया और अब उसे सोने को जाने दिया- कोई बहाना करके रोकती’ यह सोचते-सोचते मैंने अपना ब्लाउज उतारना शुरू किया। ब्लाउज दो डोरियों से बंधा था।

मैंने ऊपर की रस्सी तो खोल ली, पर नीचे की रस्सी खोलने की बजाय उसमें दो गांठें और बांध दीं और सोचा भैया को कहूँगी खुल नहीं रही हैं। भैया के कमरे में जाने लगी तो देखा भैया तो खुद ही मेरे कमरे की ओर आ रहे हैं।

भैया बोले- अरे, मैं पूछने आया था कि वो तुम कह रही थी ना तुम्हारे मम्मों में दूध भर जाता है और दर्द होता है।
मैं बोली- हाँ भैया, बहुत दर्द हो रहा है, आज तो वो बाई भी नहीं आई।
भैया बोले- तो क्या अब उसे बुला कर लाऊँ?
‘क्या बात कर रहे हो भैया?’ मैं बोली- रात के 12 बजे हैं।
भैया बोले- तो क्या रात भर दर्द में रहोगी?
मैं मुस्करा कर बोली- भाई, एक और बच्चा है, जो इस वक्त मेरी चूची चूस सकता है, पर पता नहीं वो मानेगा नहीं !
भैया बोले- अरे तू उसकी चिन्ता न कर मुझे बता, मैं उस को मना लूंगा। तू मुझे बता वो है कौन?
मैंने पूछा- सच में उसे मना लोगे?

भैया बोले- हाँ तेरे दिल की कसम !
और उसने मेरा मम्मा दबा दिया।

ब्लाउज की ऊपर की रस्सी तो खुली ही थी पूरा मम्मा उछल के भाई के हाथ में आ गया। भाई कन्ट्रोल नहीं कर पाया और उसने मम्मे दबाते-दबाते मेरा मुँह चूम लिया। यही तो मैं चाहती थी कि भाई अपने आप पर काबू ना रख सके और कभी इसी तरह बेकाबू हो कर मेरी चूत ही मार ले।

भैया ने चुम्मा लेते ही कहा- सॉरी गलती हो गई, बुरा तो नहीं माना?
मैंने कहा- हाँ गलती की, तुमने जो सॉरी बोला। पागल तू प्यार करेगा तो मैं बुरा मानूंगी क्या? और अगर यह गलती है तो यह गलती रोज करना। करेगा ना? खा कसम !
और भैया ने मेरे दोनों मम्मे, जो इस समय पूरे नंगे थे, जोर-जोर से दबा कर कहा- तेरे दिल की कसम।

और मुझे बहुत चूमा। चूमते-चूमते भैया ने मेरे होंठ चूस लिए। फिर अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल कर मेरा पूरा मुँह अन्दर से चाट लिया और साथ साथ मेरे मम्मे दबाता रहा। बहुत मजा आ रहा था जैसे मुँह की चुदाई हो गई हो।

फिर भैया ने कहा- बता ना वो लड़का कौन है जो इस समय तेरे मम्मे चूस सकता है।

मैंने कहा- पहले मेरे ब्लाउज की डोरी तो खोलो। पता नहीं कैसे इतनी कस गई है।

भाई ने रस्सी देखी तो बोला- अरे तुम्हारे शरीर पर तो रस्सी के निशान पड़ गए हैं। दर्द नहीं हो रहा?

मैंने बताया- मुझे अक्सर ये निशान पड़ जाते हैं फिर खुद ही ठीक हो जाते हैं। परवाह मत करो।’
‘अरे परवाह क्यों नहीं होगी? भाई ने कहा- दवा लगा दूं?
मैंने कहा- नहीं जरूरत नहीं।

भाई ने वहाँ चाट लिया। शरीर में एक सनसनी सी हुई।
भाई ने पूछा- कुछ ठीक लगा?
मैंने कहा- बहुत अच्छा लगा।
उसने पूछा- और करूँ?

मैंने ‘हाँ’ कही और उसने चाटना शुरू कर दिया।
मैंने कहा- भैया मैं लेट जाऊँ, रस्सी खोलना आसान हो जाएगा।

और मैं बिस्तर पर उल्टी लेट गई। भैया भी बिस्तर पर बैठ कर मेरी कमर निहारने लगे। कमर पर हाथ फेरते और कहते- अरे यहाँ भी कुछ है।’ और वहाँ चाट लेते। इस तरह उसने मेरी सारी कमर पर हाथ फेरा और जगह-जगह चाटा बहुत मजा आ रहा था।

वो बस करने लगे तो मैंने कहा- यहाँ भी बहुत रस्सी चुभी थी और मैंने पेटीकोट के नाड़े की तरफ इशारा किया।

‘अरे बाप रे ! ये तो बहुत ज्यादा है इतना कस कर क्यों बांधा?’ भैया बोले- नाड़ा थोड़ा ढीला करो तो कुछ करूँ।’

मैंने नाड़ा ढीला किया और पेटीकोट को थोड़ा नीचे किया। थोड़े से चूतड़ भी बाहर को आ गए। भैया ने कमर पर चूमा-चाटी की और बीच-बीच में चूतड़ों को भी सहला लेते।

फिर उसने कहा- ये घाव तो चारों तरफ होगा, आगे की तरफ भी होगा। जरा घूमो तो।

और मैं झट से घूमी, मैंने ये परवाह नहीं की कि पेटीकोट का नाड़ा खुला है। मेरे पलटते ही पेटीकोट सरका और दोनों टांगों के बीच चूत का उभार खुल के बाहर आ गया।

भाई ने मेरी कमर दोनों हाथों से पकड़ी और और कमर को हर तरफ से चाटने लगा। रस्सी का घाव तो एक बहाना था, असली मकसद तो चूत के आस पास चटवाना था।

भाई ने जैसे ही चूत के उभार को चाटा मैं उछल सी गई।
भैया ने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं।

कैसे बताती के तेरे दांत छूने से चूत में करंट दौड़ गया था। भाई ने कस कर चूतड़ों को पकड़ा और दबा-दबा कर चूत के उभार को चूस डाला। मुझे चूमने चटवाने में इतना मजा कभी नहीं आया।

मेरे बदन को चूमने चाटने के बाद भाई ने पूछा- अरे तूने बताया नहीं, इस समय वो कौन सा बच्चा है जो तेरी चूची चूस लेगा?

मैं घबरा सी गई। मैं तो इसी से चुसवाने की बात सोच रही थी। अब तक सारी चुम्मा-चाटी किसी बहाने से हो रही थी। अब साफ कहने में डर सा लग रहा था। कहीं सारा बना बनाया खेल ही न बिगड़ जाए।

मैंने कहा- छोड़ो अगर उसने मना कर दिया तो मन खराब हो जाएगा।
भैया बोले- अरे मैंने कहा था ना मैं उसे मना लूंगा। बोल न कौन है वो।
मैंने फिर कहा- छोड़ो।
तो भैया ने कहा- ऐसे कैसे छोड़ दें यार, तेरे मम्मों पर हाथ रख कर कसम खाई है, हम उसे मना लेंगे।
मैंने कहा- सिर्फ हाथ रख कर कसम खाई है ना ! कोई जुबान रख कर तो कसम नहीं खाई।
भैया ने कहा- क्या मतलब?
तो मैं भैया के गले से चिपक गई और बोली- तू चूस ले।
भैया बोले- सच में मुझ से चुसवाएगी।

कहानी जारी रहेगी।
 
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Update 5
मैंने कहा- सिर्फ हाथ रख कर कसम खाई है ना ! कोई जुबान रख कर तो कसम नहीं खाई।
भैया ने कहा- क्या मतलब?
तो मैं भैया के गले से चिपक गई और बोली- तू चूस ले।
भैया बोले- सच में मुझसे चुसवाएगी?
वो तो जैसे इन्तजार ही कर रहा था कि मैं कहूँ और वो चूची चूसे। मेरे कहते ही वो मेरे मम्मों से चिपक गया और मम्मे दबा-दबा कर चूसने लगा। पहले बैठ कर चूस रहा था, फिर मुझे गोद में बिठा कर एक हाथ कंधे में डाला और दूसरा कमर पर रख के मम्मों पर जोर से मुँह दबा कर चूसता रहा। फिर मम्मे चूसते-चूसते कमर सहलाने लगा।
बहुत मजा आ रहा था। ज्यादा मजा इसलिए भी आ रहा था कि पहली बार साफ-साफ कह कर मम्मे चुसवा रही थी। पहले किसी न किसी बहाने से कुछ करवाती थी। दिल की कसम के बहाने मम्मे दबवाए, नाड़े के निशान के बहाने कमर चटवाई। पहली बार साफ-साफ कह कर मम्मे चुसवा रही थी।
मैंने मन में कहा ‘कमला तूने तो मैदान मार लिया, अब पूरा फायदा उठा’ और ये सोच कर मैं भैया को साथ लेकर लेट गई और उसका मुँह पकड़ कर अपने मम्मे पर दबा लिया।

मैं बोलती रही,
“मेरा मम्मा चूस ले यार,
दबा दबा के चूस,
हाय मेरे मम्मों का मजा ले ले,
और चूस,
दबा के चूस,
दूसरा भी चूस,
मजा ले ले,
मजे ले के चूस,
हाय,
चूस ले न!
मत छोड़ मेरे मम्मे,
दबा-दबा के चूस !”

खूब चुसवा कर मैंने पूछा- मजा आया ना? मैंने कोई जबरदस्ती तो नहीं की।
उसने कहा- मैंने जब से उस बच्चे को तेरे मम्मे चूसते हुए देखा है, मेरा दिल कर रहा था मैं तेरे मम्मे चूस लूँ, पर डरता था तू बुरा ना मान जाए।
मैंने कहा- आगे से जब भी दिल करे बेझिझक चूस लेना। मुझे भी मजा आएगा।
भैया ने कहा- फिर तो मैं यहीं सो जाता हूँ और तू ऐसे ही नंगी सोना रात में जब नींद खुलेगी तो चूस लूँगा।
“हाय कितना प्यारा यार भाई है तू मेरा !” यह कह कर मैंने भैया को चूमा और हम दोनों बाहों में बाहें डाल कर सो गए। मेरे पेटीकोट का नाड़ा तो बहुत पहले ही खुल गया था और इधर-उधर पलटते हुए पेटीकोट भी काफी नीचे हो गया था। अब मैं पूरी तरह से नंगी थी।
बहुत समय के बाद इस तरह नंगी होकर एक मर्द की बाहों में सोने का सुख मिल रहा था। आज चाहे मैं चुदी नहीं थी पर बड़ा सकून था कि इसी तरह चलता रहा तो जल्द ही चूत की प्यास बुझा पाऊँगी।
मुझे तो सारे दिन जो हुआ, वो सोच-सोच कर नींद ही नहीं आ रही थी। इतना कुछ बदल गया था एक ही दिन में। कहाँ खुद चूत में उंगली लेना और कहाँ ये मम्मे दबवाना, ये चुम्मा-चाटी और वो एक साथ बिस्तर में लेट कर मम्मे दबा-दबा कर चुसवाना। मेरी तो तकदीर ही बदल गई थी, मैं आँखें बंद कर के पड़ी थी।
भैया ने सोचा ‘सो रही है’ और वो उठ कर मेरा नंगा बदन निहारने लगा। थोड़ा सा पेटीकोट ऊपर था, वो भी उतार दिया और पांव से सर तक पूरे बदन पर हाथ फेरा।
मैं सोने का बहाना करके पड़ी रही। सोचा, देखूँ, इसके अंदर मेरे लिए कितनी हवस है।
सारे बदन को सहला कर भैया ने मेरे बदन को चाटना शुरू किया। पहला चुम्मा चूत को ही नसीब हुआ। चूत पर दांत गड़ते ही मैं कांप गई। मैंने बड़ी मुश्किल से अपने बदन की कपकंपी को रोका। कहीं भैया को पता ना लग जाए कि मैं जाग रही हूँ।
फिर भैया ने मेरे पेट को सहलाया और साथ ही मेरी नाभि को अपनी जीभ से चाटने लगा, मेरी माँस पेशियाँ खिचने लगीं। मैंने बहुत मुश्किल से अपने आप को संभाला हुआ था। मन ही मन मैं चुदी जा रही थी, जी तो कर रहा था कि उठ कर भाई को जोर से पकड़ कर जबरन उस से चूत मरवा लूँ ! पर क्या करूँ, सब्र कर लिया कि जितना मिल रहा है वही बहुत है।
भाई ने नाभि को खूब चाटा। उत्तेजना से मेरी चूत भी गीली हो गई। भाई ने फिर मम्मे चाटे, ऊपर से नीचे से दोनों तरफ से सामने से हर तरफ से। चूची पर तो जैसे थूक की बौछार हो गई, मेरी चूची एकदम गीली हो गई।
फिर भाई मेरे ऊपर लेट गया और मेरा मुँह चूमने लगा। मुझे लगा अब तो चोद लेगा पर वो थोड़ी देर में उतर गया और फिर से मेरी चूत को सहलाने लगा। चूत बहुत गीली थी उसकी उंगली फिसल कर मेरी चूत के अंदर गई और मैं तिलमिला उठी।
इतनी उत्तेजना हुई कि मैं अपने आप को रोक नहीं सकी और उछल कर खड़ी हो गई। भाई कुछ सफाई दे, उससे पहले ही मैं उससे चिपक कर बोली- कितना प्यारा है यार तू ! आई लव यू ! हाय मेरे डार्लिंग भाई ! तू रोज मेरे साथ सोया कर, बड़ा मजा आ गया यार !
और भाई भी मुझे चिपक कर मेरा मुँह चूमने लगा। लिपटा-लिपटी और चुम्मा-चाटी में रात गुजर गई।
सवेरे उठ कर भैया नहाने गए और मैंने नाश्ता बनाने के लिए अपने पुराने कपड़े पहन लिए जिसमें से शरीर का कोई अंग दिखाई नहीं देता था।
भैया नहा कर आए तो बोले- छी छी ! ये क्या पहना है। तुमने कसम खाई थी सुन्दर बन कर रहोगी।
मैंने कहा- शाम को तुम्हारे आने पर नई ब्लाउज पहनूँगी। दो ही तो नए ब्लाउज हैं।
भैया ने कहा- शाम को और खरीद लेना, अभी ये उतारो।
मैंने वो पोशाक उतार दी और सिर्फ छोटी सी ब्रा और पतली सी कच्छी में उसके सामने खड़ी हो गई और पूछा- अब ठीक है?
भैया ने कहा- हाँ, घर में ऐसे ही रहा करो।
मैंने पूछा- सच कह रहे हो?
तो वो बोले- तेरे दिल की कसम और झट से पास आकर मेरा मम्मा दबा दिया।
फिर ब्रा में हाथ डाल कर पूरा मम्मा दबाया और बोले- तेरे मम्मे की कसम।
फिर चूची को मसल कर बोले- तेरी चूची की कसम।
और चूचियाँ बाहर निकाल कर मेरी चूचियां चूसने लगे।
भैया दफ़्तर चले गए और मैं उसी ब्रा और कच्छी में घर का काम करने लगी। काम वाली बाई के आने का समय हुआ तो भी मैं इसी ब्रा और कच्छी में थी। काम वाली बाई आई तो मैंने सोचा इससे क्या शरमाना, रोज तो पूरे मम्मे खोल के इसके सामने इसके बेटे से चुसवाती हूँ। मैंने इसी तरह उसके लिए दरवाजा खोल दिया, पर ये क्या वो अकेली नहीं थी। उसके साथ एक जवान लड़का खड़ा मेरे जिस्म को ताड़ रहा था।
वो बोली- बहनजी, मेरी बहन आई हुई है, मुझे उसको डाक्टर के पास ले जाना है इसलिए अपने बड़े बेटे को साथ लेकर आई हूँ। यह घर का सारा काम कर देगा।
अपने बच्चे को बोली- तू आँटी के पास रहना, इसका दूध पी लेना और आँटी को तंग नहीं करना।
बाप रे ! इसने तो अपने सारे परिवार को बताया हुआ है कि मैं इसके बच्चे से चुसवाती हूँ। वो दोनों लड़कों को छोड़ कर यह कह कर चली गई कि अस्पताल से लौटते हुए वो बच्चों को ले जाएगी।
बड़ा लड़का कुछ देर मेरे मम्मों को घूरता रहा। मैंने कहा- ऐसे क्या देख रहा है? पहले कोई मेमसाब नहीं देखी क्या? काम करेगा या मम्मे देखता रहेगा?
वो बोला- मेमसाब तो बहुत देखी और मम्मे भी बहुत देखे, पर इतने बड़े और इतने नुकीले नहीं देखे।
एक लड़के के मुँह से ये सब सुन कर मैं हक्की बक्की रह गई।
मैंने कहा- क्यों? तेरी माँ के भी तो बड़े-बड़े हैं।
“अरे !” वो बोला- उसके कौन देखेगा, साली के झूल गए हैं। ब्रा उतारती है तो लटक के नाभि तक आ जाते हैं।
मैं चौंकी- क्या तूने अपनी माँ को नंगी देखा है?
मुँह सा बना कर बोला- क्या मेमसाब एक कमरे की खोली है, उसमें 10 जन, कब तक कोई छुपेगा, वहीं नहाना, वहीं सोना, वहीं चोदना, कहाँ जाएगी वो?
मैंने पूछा- तो क्या तूने उसे चुदते भी देखा है?
“हाँ, मेमसाब रोज देखता हूँ।”
“कौन चोदता है उसको?”

“अरे मेमसाब, कौन चोदेगा उस बुढ़िया को? मेरा बाप ही चोदता है।”
“तेरी बहन भी देखती है, जब तेरी माँ चुदती है?”
“क्या मालूम मेमसाब सोती है कि देखती है। वैसे देखती जरूर होगी। जब कोई कमरे में चिल्ला-चिल्ला कर चुदे, तो नींद किसको आता होगा। जरूर देखी होंगी। मैं तो रोज नाइट शो देखता हूँ।”

“तेरा दिल नहीं करता चोदने को, जब तू माँ को चुदते देखता है?”
“अरे मेमसाब अपना अपना 4-4 गर्ल फ्रैंड है। अपन उनकी चूत ठोकता है।”
“तेरी बहन भी चुदती है?”
“चुदती होंयगी, क्या मालूम?

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Update 6
“क्या मालूम मेमसाब सोती है कि देखती है। वैसे देखती जरूर होगी। जब कोई कमरे में चिल्ला-चिल्ला कर चुदे तो नींद किसको आता होगा। जरूर देखी होंयेगी। मैं तो रोज नाइट शो देखता हूँ।”
“तेरा दिल नहीं करता चोदने को, जब तू माँ को चुदते देखता है?”
“अरे मेमसाब अपना अपना 4-4 गर्ल फ्रैंड है। अपन उनकी चूत ठोकता है।”

“तेरी बहन भी चुदती है?”
“चुदती होंयेगी क्या मालूम? चुदे बिना कौन लड़की रहती है, जरूर चुदती होगी। बड़ी वाली का तो मुझे पक्का पता है, वो तो पक्का चुदती है।”
“तुझे कैसे पता?”
“अरे मेमसाब अपन ही तो उसके लिए कस्टमर ले कर आया था एक बार।”
“क्या धन्धा करती है?”

“नहीं मेमसाब, बस एक बार किया था अपन को पैसे की जरूरत थी।”
“ओह ! तो क्या तुम भी चोदने के पैसे लेते हो?”
“क्या बात करता है मेमसाब, मर्द को कौन पैसे देता है।”
“मैं पैसे दूँ, तो मुझे चोदेगा?”

“क्या मेमसाब आप तो मस्त चीज हो आपको चुदना है, तो बोलो कस्टमर की लाइन लगा दूँगा। अपना कमीशन 10 टका।”
“चल चल बकवास बंद कर और काम कर।”

उसको काम पर लगा कर मैंने ब्रा उतारी और छोटे बच्चे को अपने मम्मे चुसवा कर दूध पिलाने लगी। मम्मे चूसते-चूसते छोटा तो सो गया। मुझे आज उससे चुसवाने में उतना मजा नहीं आया। शायद भाई से चुसवाने के बाद अब मुझे उसकी जरूरत नहीं थी। मैं तो बाई के बड़े बेटे की बातें सुन के हैरान हो रही थी। मैं भी 18 साल की थी, जब पहली बार चुदी थी, पर ये तो भाई तौबा-तौबा।

काम खत्म कर के वो बोला- मैं जा रहा हूँ।
मैंने कहा- रूक, क्या नाम है तेरा?
उसने कहा- किस्सना।
मैंने कहा- तेरा नाम किस्स–ना क्यों है? क्या तू किस्स नहीं कर सकता?
वो मेरे मजाक को समझ नहीं पाया।
मैंने कहा- तेरी माँ ने तो कहा था, वो तुझे लेने आएगी।

उसने कहा- मुझे नहीं, इस छोटे को।
मैंने कहा- रुक जा माँ के आने तक।
“क्या करूँ रुक के? कोई काम तो है नहीं।”
“है ना, आ मेरी मालिश कर दे।”
“ठीक है। तेल कहाँ पड़ा है?”
“तेल नहीं क्रीम से कर। वो पड़ी है, वहाँ अलमारी में।”

वो क्रीम उठा कर लाया और मैंने क्रीम अपने मम्मों पर लगा कर कहा- ले मालिश कर, यहाँ मम्मों की।
“इसके लिए तो तुम्हारे पीछे से आना पड़ेगा और मेरे सारे कपड़े सन जाएंगे।”
“तो आ ना पीछे से और अपने कपड़े उतार ले।”

उसने कमीज पजामा दोनों उतार लिए नीचे कुछ भी नहीं था। लंड लटकाए बो बिल्कुल नंगा बिस्तर पर चढ़ गया और मेरी कमर से अपनी छाती सटा कर मेरे मम्मों की मालिश करने लगा। वो एक मम्मे को दोनों हाथों से पकड़ता और क्रीम से उसका हाथ फिसल जाता वो और जोर से मम्मा दबा के मसलता हाथ फिर फिसल जाता।

थोड़ी देर में मम्मों ने सारा क्रीम चूस लिया। मम्मे चमकने लगे और हाथ भी मम्मों पर अच्छी तरह से दबाने लगा। मुझे मजा आने लगा और वो भी मजे लेकर दबा रहा था। उसका लंड खड़ा होने लगा और खड़ा लंड मेरी कमर से टकराने लगा।
जैसे ही वो मम्मा दबा कर मम्मा आगे की ओर खींचता, उसका लंड मेरी कमर में धक्का मारता।

मम्मे खूब दबाने के बाद जब उसका लंड बहुत तन कर खड़ा हो गया तो वो बिस्तर से उतर कर बोला- अब मैं चलूँ?
उसका लंड देख कर मैं हैरान थी। इस उमर में इतना मोटा और इतना तनाव। मैंने लंड की और इशारा कर के कहा- इसका क्या करेगा?
वो बोला- मुट्ठ मारूँगा। यहीं मार लूँ?
मैंने कहा- कर ले, मुझे क्या?

और वो मुट्ठ मारने लगा। मैंने थोड़ी देर उसे देखा फिर मैं उठ कर जाने लगी तो बोला- बैठी रहो, मुझे लड़की देख कर मुट्ठ मारने की आदत है।
मैं बैठ गई। मैंने पूछा- घर में किसको देख कर मुट्ठ मारता है?
वो बोला- बहन को।

मैंने उसे गले से लगा लिया। कोई तो मेरे जैसा है। वो मुट्ठ मारता रहा और मैं सैक्स की बातें करती रही जिससे उसे और मजा आ रहा था। कई बातें जो वो पहले छुपा रहा था अब खुल कर बोला।
मैंने पूछा- घर में कब मुट्ठ मारता है?
“जब माँ चुदती है।”

“उस वक्त बहन के मम्मे कैसे देखता है?”
“बहन भी माँ की चुदाई देख कर कमीज उठा कर मम्मे दबा रही होती है।”
“वो तुझे अपने मम्मे दिखा देती है?”
“हाँ।”

“उसे पता है तू उसके मम्मे देख रहा है?”
“हाँ।”
“तूने उसे अपना लंड दिखाया?”
“मुट्ठ मारता हूँ, तो वो देख रही होती है।”
“तूने कभी उस के मम्मे दबाए?”
“हाँ, अभी तेरे मम्मे दबा लूँ? मुट्ठ मारने में बड़ा मजा आएगा।”
“दबा ले, चूस ले।”

मैं भी बड़ी उत्तेजित हो गई। मैंने उसका लंड पकड़ लिया और उसने दोनों हाथों से मेरे मम्मे पकड़ लिए। वो मेरे मम्मे दबा रहा था और मैं उसकी मुट्ठ मार रही थी। क्रीम बाले हाथों से लंड रगड़-रगड़ कर चमकने लगा।

उसके चमकते हुए लंड को देख कर मैं बिल्कुल भूल गई कि वो नौकरानी का बेटा है और मैंने उसका लड़ मुँह में ले लिया और मजे से चूसने लगी।

मुझे लंड चूसता देख उसने मेरा मुँह अपने दोनों हाथों में थाम लिया और लंड के ऊपर ऐसे घुमाने लगा, जैसे ये मुँह नहीं चूत हो और वो चूत मार रहा हो।

फिर मुँह में से लंड निकाल कर जोर-जोर से मेरा मुँह चूमने लगा और लम्बी साँसें खींच कर बोलने लगा, “हाय मेरी डार्लिंग! मेरे लंड की रानी ! मेरा लंड चूस ले !”
वो मेरे मम्मे दबाता जा रहा था, मुझे चूमता जा रहा था और मैं उसके लंड से अपना मुँह चुदवा रही थी।

फिर मैंने जोर-जोर से उसके लंड की मुट्ठ मारनी शुरू की। बहुत देर तक यह सिलसिला चलता रहा। कभी मैं मुँह में लेती और कभी मुट्ठ मारती।

थोड़ी देर बाद वो ‘सी-सी’ करने लगा। मैं समझ गई कि वो झड़ने वाला है। वो मेरे मम्मे और जोर से दबाने लगा और मैं भी जोर-जोर से मुट्ठ मारने लगी। फिर उसने मेरा मुँह पकड़ कर अपने होंठ मेरे होंठों पर जोर से दबाए और वो झड़ गया।
उसके लंड से जो मक्खन निकला, वो मेरे मम्मों पर और मेरे पेट पर। उसने वो सारा मेरे मम्मों पर मल दिया।

मैंने कहा- यह क्या किया?
वो बोला- मम्मों की मालिश की। माँ तो रोज इसी से मालिश करती है और इतना मक्खन कहाँ से आएगा।
“हट मैं नहाने जा रही हूँ।” ये कहते हुए मैंने अपनी कच्छी उतारी। मेरी टांगों के बीच ठीक चूत के ऊपर जोर से थप्पड़ मार कर वो बोला- क्या गद्देदार चूत है !

न जाने क्यों मैं उसे ऐसा करने से रोक नहीं रही थी। वो मेरी चूत को थप्पड़ मारता जा रहा था और मैं टांगें फैला कर उसको अपनी चूत पर थप्पड़ पे थप्पड़ मारने दे रही थी।

फिर उसने मुझे धक्का देकर बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी चूत में जीभ डाल कर चाटने लगा। पहली बार चूत चटवा रही थी। कुछ अजीब सा लग रहा था। कैसे कोई पहली मुलाकात में किसी की चूत में मुँह डाल सकता है। पर वो तो मजे से कुत्ते की तरह मेरी चूत चाट रहा था।

थोड़ी देर में मेरी साँसें फूलने लगीं, साँसों के साथ मेरे मम्मे भी फूलने लगे। मैं अपने मम्मे दबाने लगी और वो मेरी मेरी टांगों के बीच बैठा मेरी चूत में जीभ लपलपा रहा था। चाटते-चाटते जब चूत ज्यादा गीली हो जाती तो वो चूत में उंगली डाल के अच्छी तरह घुमाता और चूत का पानी इकट्ठा कर के पी लेता। इसी तरह वो चाटता रहा और ऊँगली डाल डाल कर चूत को गर्म करता रहा। जैसे जैसे वो चाटता गया मजा और बढ़ता गया।मैं सिसकने लगी।
“आ…ए… आआँए… आआ…आँ… ऊऊऊँ… हाय…”

चूत में उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी। मेरी साँसें भी और मेरे मम्मों के फुलाव भी। अब दिल कर रहा था चूत झड़े तो शान्ति हो, पर चूत थी कि झड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। लंड से चुद रही होती तो कब की झड़ गई होती, पर इसमें तो उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी, मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
मैंने कहा- किस्सना… आआह…आ… जोर जोर से मार उंगली से मार।

उसने एक उंगली डाली, मैंने कहा- उंगली डाल जोर से मार और जोर से 2 उंगली डाल जोर से मार और जोर से और तेजी से हाय जोर से मार ना मर जाऊँगी ! मैं जोर से और जोर से आह… अह… आआह…आअ… अई… आईई… उईईई… हाय… ऊऊऊ…”
बस झड़ गई। चुदी सी का एहसास हो रहा था। मैं किस्सना को अपने मम्मों में दबा कर लेटी रही तो चैन मिला।

मैंने पूछा- चोदने के लिए बुलाऊँ तो आकर चोदेगा?
कहानी जारी रहेगी।
 
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Update 7
मैं किस्सना को अपने मम्मों में दबा कर लेटी रही तो चैन मिला।
मैंने पूछा- चोदने के लिए बुलाऊँ तो आकर चोदेगा?
“हाँ !” वो बोला- मस्त चोदूंगा। कब चुदेगी?
मैं बोली- बुलाऊँगी ! जरूर चुदूँगी तेरे से !

और मैं उठ कर नहाने चली गई। जब मैं नहा रही थी तो बाई आई और अपने बच्चों को लेकर चली गई।
शाम को जब भैया आए तो मैं सिर्फ़ ब्रा और कच्छी में उसका इन्तजार कर रही थी।

भैया तो देखते ही उत्तेजित हो गए बोले- हाय, मेरे लिए मम्मे खोल कर बैठी है।
और भैया ने दोनों हाथों से मेरे दोनों मम्मे पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और मुझे अच्छी तरह दबोच कर मुझे खूब चूमा और मेरा मुँह और गला चाट चाट कर मेरा मुँह, गला, कंधे और मम्मे सब गीले कर दिए।

फिर मेरे मम्मे दबा कर मेरे मुँह में जीभ डाल कर मेरे मुँह को अपनी जीभ से खूब चोदा। और ऐसा करते-करते भैया ने मेरे मुँह में हल्का सा थूक दिया। भैया ने मुँह में थूक ठीक ऐसे ही डाला जैसे जीभ नहीं लंड हो और चोदते-चोदते उसका रस निकल गया हो।
प्यार से मुँह में चोदा हुआ थूक मैं प्यार से खा गई।

मैंने भैया से पूछा- तुमने मेरे मुँह में थूका क्यों?
वो बोला- पगली, यह थूक नहीं प्रेम-रस है।
“वो तो मुझे मालूम है !” मैंने कहा- पापा भी मम्मी के मुँह में थूका करते थे और जब वो थूक खा जाती मतलब उस रात खूब चुदेगी वो पापा से।
भैया हैरान हो कर बोले- अच्छा तूने देखा है? मम्मी को चुदते हुए देखा है?
“तो और क्या ऐसे ही कह रही हूँ !” मैं बोली- तुम तो हमेशा हॉस्टल में रहे, तुम्हें क्या पता घर में क्या क्या होता था?
“बता, बता न, कैसे-कैसे क्या-क्या देखा?” भैया बड़े उत्तेजित हो कर पूछने लगे।
मैंने कहा- सब बताऊँगी, पहले मेरा मजा तो ले ले।

भैया ने इन्कार नहीं किया कि प्रेमी की थूक चाटने से उनका मतलब चोदना है। मुझे लगा आज तो ये चोदेगा।
मैंने पक्का करने के लिए कहा- मेरे मुँह में अपना थूक दे ना।
उसने मम्मे दबा कर मेरे होंठ चूसे और मेरे मुँह में फिर थूका और मैं चाट गई।
और मैंने कहा- मम्मी जितना ज्यादा थूक चाटती थी, मतलब उतनी ज्यादा लम्बी चुदेगी।

भैया ने और मम्मे दबाए और चूमा और मेरे मुँह में कई बार थूक दिया। मुझे यकीन हो गया कि आज रात तो ये मुझे जी भर के चोदेगा।
मेरे पति मुझे चोदने से पहले मेरी चूत को खूब सजाते थे। आज मैं फिर से चुदने वाली थी तो मैंने भी सोचा क्यों न चूत को सजाया जाए।

मैं गुसलखाने में जाने लगी तो भैया भी पीछे-पीछे हो लिए। मैंने भैया से ही चूत का श्रृंगार करवाया। मैं टांगें फैला कर बैठ गई और भैया ने अपनी शेव करने वाली क्रीम मेरी चूत के चारों और लगाई। फिर भैया ने रेज़र से चूत की अच्छी सी शेव की। चूत खूब चिकनी हो गई। तब भैया ने चूत को अच्छी तरह धो कर पोंछा और चूत के चारों ओर क्रीम लगाई और उस क्रीम से चूत की खूब मालिश की।
चूत चिकनी और चमकदार हो गई। फिर मेरे कहने पर भैया ने मेरी चूत पर लिपस्टिक लगाई, ठीक उसी तरह जैसे होंठों पर लगाते हैं। उसके बाद भैया ने चूत के ऊपर सिन्दूर से टीका लगाया।

चूत एक नई-नवेली दुल्हन की तरह सज गई और अपनी चूत में अपने लंड के गृह-प्रवेश कराने को तैयार हो गई। मैं भैया के साथ बिस्तर में गई। आज मैं बिल्कुल नंगी थी, खुले मम्मे खुली चूत, पूरी तरह से चुदने को तैयार।
मैंने भैया से कहा- मुझे कल की तरह चूमो-चाटो।

भैया ने मुझे पिछले रोज की तरह चूत से लेकर मुँह तक खूब चूमा और चाटा। पिछली रात तो मैं सोने का बहाना कर रही थी, इसलिए अपनी साँसों को दबा रही थी, पर आज मैं खुल कर मजा ले रही थी। लंबी-लंबी साँसें ले रही थी, मीठी-मीठी ‘आँहें’ भर रही थी और ‘आह… उह… हाय…’ वगैरह बोल कर अपनी खुशी भी जाहिर कर रही थी। चाट-चाट कर भाई ने मुझे खूब गर्म कर दिया।
मैं बोली- चोद ले, चोद मुझे, नहीं तो मर जाऊँगी।

पर ये क्या ! चुदने को मेरी जान निकली जा रही है और वो मेरी चूत में लंड ही नहीं दे रहा। बार-बार मिन्नत की, मेरी चूत मार ले, चोद ले मुझे, लंड दे दे ! पर उसने चूत नहीं मारी।
बोला- तेरी चूत में लंड कैसे दे दूँ? तू तो मेरी बहन है।

मैं बोली- और यह जो इतनी चुम्मा-चाटी कर के मुझे चूत मरवाने के लिए गर्म किया तब भी तो मैं तेरी बहन थी?
उसने कहा- देख, शरीर को छूना अलग बात है और चूत में देना अलग बात है। मैं बाहर से सब मजा दूँगा पर चूत मरवाने पर जोर मत दे।
मैं समझ गई कि यह चूत नहीं मारेगा, सोचा, कमला बाहर से ही मजा ले ले।
मैंने कहा- अच्छा लंड तो दिखा दे।

उसने पजामे में से लंड निकाला। बहुत सुन्दर था मैं देखती ही रह गई। मैंने मुँह में लेकर चूसा और चूसती ही रह गई। भैया सिसकारियाँ लेकर मजा ले रहे थे।
मैंने कहा- भैया, तूने तो बहन को चोद लिया।
भैया हड़बड़ाए, “क्या ! क्या ! क्या बोली तू?”
मैंने कहा- तूने अपने लंड से मेरा मुँह चोद लिया।

भैया बोले- अब मैं तेरे मम्मे भी चोदूँगा। भाई ने अपना तना हुआ लंड मेरी चूची पर रख कर दबा दिया। चूची के दबते ही मम्मे चारों तरफ से उभर आए, जैसे लंड को चारों ओर से कैद कर रहे हों। लंड को अच्छी तरह से दबा कर, उसने मम्मों के बीच घुमाया। मम्मों के मांस को लंड के चारों तरफ नाचते देख भाई को बहुत मजा आया।

उसने पूछा- कैसा लग रहा है मम्मे चुदवा कर?
मैंने कहा- बहुत अच्छा लग रहा है। ऐसे लग रहा है, मैं उड़ जाऊँगी। तुम मुझे थाम लो। मेरे ऊपर लेट जाओ और मुझे जोर से दबा लो।
भैया ने लंड पजामे में डाला और मेरे ऊपर लेट गया और मुझे चूमने लगा।

मैंने कहा- मुझे चोद ले प्लीज़।
वो बोला- हम चोद तो नहीं सकते, पर जब तू कहती है चोद ले तो बहुत प्यारी लगती है।
मैंने कहा- अच्छा चोद मत पर चोदने का नाटक तो कर सकता है। लंड को पजामे में छुपा रहने दे और धक्के मार।

भैया ने एक धक्का मारा तो खड़े लंड से चूत पर ठोकर लगी। पजामे से ही सही पर लंड ने चूत से बात तो की। मुझे तो तसल्ली सी हुई। चूत का श्रृंगार बेकार नहीं गया। मुझे मजा आया।
मैंने कहा- और चोद।

उसने और धक्के मारे, कभी धक्का ऐसे भी लगता कि लंड चूत के द्वार पर ठोकता मानो पजामे से निकल कर चूत के अंदर घुसने की कोशिश कर रहा हो।
मैं बोलती गई और वो लंड को ठोकता गया।
“चोद और चोद ! चोद मुझे, मेरी चूत ठोक दे, जोर से और जोर से मार, जोर से मार, बहुत जोर से !” और मैं ‘आधी-चुदी’ सी इतने में ही खुश होती रही।

अगले दिन मैंने सोचा अब यह तो मेरी चूत के अंदर अपना लंड देगा नहीं और कौन है जो मुझे चोद लेगा। मेरी निगाह में दो जने थे– एक तो काम वाली बाई का बेटा किस्सना और दूसरा होटल का मालिक चंदू या दिल से कहूँ तो मेरा चोदू।

मैंने भाई से कहा- चंदू ने हमें अपने होटल आने का न्योता दिया था, आज चलें?
भाई ने कहा- ठीक है, तुम फ़ोन पर उससे बात कर लेना और डिस्काउंट की भी बात कर लेना। जरूर चलेंगे।

भैया दफ़तर चले गए तो मैंने चंदू को फ़ोन किया, मैंने पूछा- पहचाना या याद दिलाऊँ?
“अरे तेरे मम्मों में मेरी जान है ! पहचानूँगा कैसे नहीं !”
“उस दिन जब तुमने मुझे अपना नाम बताया तो मैंने गलती से तुम्हारा नाम ‘चोदू’ समझा था ।
“तुमने गलत नहीं समझा, मैंने चोदू ही बताया था। मैं दुनिया के लिए चन्दू हूँ, तेरे लिए चोदू।”
“सच कब चोदेगा?”
‘अभी आ जा।”

“ऐसे कैसे आऊँ, उसके साथ ही आऊँगी।”
“कब आएगी?”
“आज शाम को, खाने पे, कितना डिस्काउंट देगा?”
“खाना फ़्री।”
“मैं उसके साथ होऊँगी, चोदेगा कैसे?”
“अपना होटल है। कोई रास्ता निकल ही आएगा।”
“ठीक ! पर मुझे चोदना जरूर। मैं खाना खाने नहीं आ रही, सिर्फ चुदने आ रही हूँ।”
“फ़िक्र ना कर ठोक-ठोक कर चोदूँगा, तेरी चूत फाड़ कर रख दूँगा।”
 
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Update 8
“तुमने गलत नहीं समझा, मैंने चोदू ही बताया था। मैं दुनिया के लिए चन्दू हूँ, तेरे लिए चोदू।”
“सच कब चोदेगा?”
“अभी आ जा।”
“ऐसे कैसे आऊँ, उसके साथ ही आऊँगी।”

“कब आएगी?”
“आज शाम को, खाने पे, कितना डिस्काउंट देगा?”
“खाना फ़्री।”
“मैं उसके साथ होऊँगी, चोदेगा कैसे?”

“अपना होटल है। कोई रास्ता निकल ही आएगा।”
“ठीक। पर मुझे चोदना जरूर। मैं खाना खाने नहीं आ रही सिर्फ चुदने आ रही हूँ।”
“फ़िक्र ना कर, ठोक-ठोक कर चोदूँगा, तेरी चूत फाड़ कर रख दूँगा।”

आज तो मैं चुद के रहूँगी, ये सोच कर मैं भैया के साथ शाम को चन्दू के होटल पहुँची। वहाँ हमने चन्दू को बुलाने के लिए संदेश भेजा और रेस्तरां की एक टेबल पर उसका इन्तज़ार करने लगे।

इसी बीच मैं शौचालय गई। वापिस आई तो चंदू भाई के साथ गपशप कर रहा था।
मुझसे बोला- कैसा लगा आपको हमारा होटल?
मैंने कहा- होटल तो अभी देखा नहीं, पर मुझे शौचालय अच्छा नहीं लगा, मैं तो बिना किए ही आ गई।
वो बोला- ओ जी, वैरी सैड जी ! आप उधर गई क्यों जी? आपके लिए तो स्पेशल शौचालय इधर है।
चन्दू भैया से बोला “ओ जी, आप बैठो कुछ नाश्ता आर्डर करो, मैं इनको शौचालय का रास्ता दिखा कर आता हूँ।

और चोदू मुझे अपने कमरे में ले गया। उसके कमरे में एक शौचालय भी था, बहुत ही साफ और पूरी दीवार पर शीशा लगा था।
मेरे मम्मे दबा कर शीशे मे देख कर बोला- क्या जोड़ी है जी हमारी। चलो आप सूसू कर लो फिर बात करते हैं।
मैंने कहा- मैं सूसू करके आई हूँ।
“ओ सच्ची?” वो बोला, “बहुत स्मार्ट हो जी, चुदने को यहाँ आई हो, तो चल नंगी हो जा।”

और उसने मेरी साड़ी खींच ली, मैंने ब्लाउज़ उतारा तो उसने मेरी कच्छी। दो पल में हम दोनों नंगे। उसने मुझे शीशे के सामने झुकाया और पीछे से मेरी चूत में अपना लंड एक धक्के में डाल दिया।
मैं चीखी, “हाय !”
वो बोला- दर्द हुआ?
मैंने कहा- दर्द होता है, तभी तो मजा आता है।
उसने फिर निकाल कर जोर से ठोका।
मैं चिल्लाई, “हाय, मेरी चूत फट गई।”

उसने मेरे मम्मे कस कर दबाए और खींचे मेरे मम्मे में भी दर्द हुआ। मेरे मुँह से ‘सी.ई…’ निकला तो उसने फिर चूत में जोर से धक्का मारा। मुझे दर्द भी हो रहा था और मजा भी आ रहा था। उसका लंड मोटा भी था और लंबा भी। मोटे लंड से तो मैं पहले भी चुद चुकी हूँ, पर यह इतना लंबा था कि मेरी चूत के अंदर बच्चेदानी को भी चोट मार कर दर्द कर रहा था, पर दर्द में चुदने का मजा भी आ रहा था।

वो चोदता जा रहा था और मैं उसे और चोदने को उकसा रही थी।
“चोद ! मेरी चूत ठोक दे !”
“ठोक के मार ! मेरी चूत फाड़ दे !”

वो चोदता जा रहा था और मैं चुद गई। मेरी चूत नदी की तरह बह रही थी। उसका लंड मेरी चूत में झड़ गया। मैं खुश थी कि मैं चुद गई। वो भी मुझे चोद के खुश। मुझे ध्यान आया बहुत देर हो गई, भैया क्या सोच रहे होंगे।
मैंने उसे कहा- मेरे उनको यहीं भेज देना।

वो भाई को मेरा पति समझ रहा था। मैंने भी सोचा गलतफ़हमी बनी ही रहे तो अच्छा है। वो भाई के पास चला गया। मैंने अपनी चूत पर से उसके लंड का मसाला धोया। तब तक भाई आ गया। मैं नंगी थी।
मैंने कहा- टट्टी करते हुए साड़ी उतार दी थी कि खराब न हो जाए। जरा मदद करो।
भाई ने कहा- वो क्या सोचेगा?
मैंने कहा- परवाह मत करो, उसे लगता है तुम मेरे पति हो। बस उसके सामने मुझे दीदी मत कहना।
मैंने भैया को शीशा दिखा कर कहा- देखो इसके सामने चोदने में कितना मजा आता होगा ना।

मैं शीशे के सामने झुक के खड़ी हो गई और भैया चोदने का नाटक करने लगा। वो धक्का मारता तो मम्मे इधर-उधर झूलते। भैया को बड़ा मजा आ रहा था।
वो बोला- तू मेरी बहन नहीं होती तो आज यहाँ तुझे जरूर चोदता।

हम खाना खाकर होटल से घर लौटने के लिए चले तो चन्दू हमें गाड़ी तक छोड़ने आया। बाहर आकर देखा तो गाड़ी खराब। कार चलने का नाम ही ना ले।

चन्दू बोला- आप ही का होटल है, रात यहाँ रुकिए, सवेरा होते ही गाड़ी ठीक करा देंगे। चले जाना जल्दी क्या है?
भैया से नज़र बचा कर चन्दू ने आँख मारी तो मैं समझ गई यह इसी का किया-धरा है। मैं खुश थी कि चन्दू एक बार और चोदने का रास्ता निकाल रहा है।

मैं और भैया होटल के एक कमरे में गए।
भैया ने कहा- रात को पहनने के कपड़े तो हैं नहीं और अगर ये कपड़े पहन कर सोए तो सवेरे इन्हें पहन कर बाहर जाने लायक नहीं रहेंगे।
मैंने कहा- कपड़े पहन कर सोने की क्या ज़रूरत है। तौलिये हैं ना !
भैया नहाने गए और तौलिया बाँध कर आ गए।

फिर मैं नहाने गई। मुझे अपनी चूत पर बड़ा तरस आ रहा था बेचारी का कल श्रृंगार हुआ तो चुदी नहीं और आज चुदी तो बिना श्रृंगार के।
मैंने चूत का श्रृंगार किया। शेव किया क्रीम से नहला कर रगड़ा और उसे खूब चिकना बनाया और नहा कर नंगी ही बिना तौलिये के बाथरूम से बाहर आ गई।

मम्मे और चूत देख कर भाई बोला- क्यों, तौलिया नहीं मिला क्या?
मैंने कहा- तुम्हारी तरह इतना आसान नहीं है। एक ही तौलिया है, मम्मे छुपाऊँ तो चूत नंगी और चूत छुपाऊँ तो मम्मे नंगे। तुम्हारा क्या है, एक लंड है कहीं भी छुपा लो।

और यह कह कर मैंने उसका लंड पकड़ लिया और उसका तौलिया गिर गया।
मैं भागने लगी तो उसने मेरे मम्मे पकड़ते हुए कहा- इतने मोटे मम्मे लेकर कहाँ भाग रही हो?

और हम दोनों नंगे होकर एक दूसरे के जिस्म से खेलने लगे। फिर हम थक कर बिस्तर पर लेट गए और वो मुझे चूमने-चाटने लगा।
अच्छी तरह सारा बदन चटवा कर मैं बोली- चोद ना !
उसने घूर कर देखा तो मैंने कहा- कल रात की तरह ऊपर-ऊपर से ! चोद ना !

और वो धक्के मारने लगा। आज वो भी नंगा था और उसका लंड कभी मेरी टांगों से, कभी मेरे पेट से टकराता। एक-दो बार चूत के आस-पास भी वार हुआ। हम दोनों मस्त होते जा रहे थे।
“और चोद !” मैं बोलती और वो और धक्के मारता। इसी तरह मस्ती करते-करते जब वो धक्के मार रहा था, तो मैंने अपनी टांगें खोलीं और उसका लंड फिसलता हुआ मेरी चूत के अंदर।

मैंने उसे दबोच लिया और धक्का नहीं मारने दिया, मैंने कहा- कसम है तुझे, अब बाहर ना निकालना। यह तूने मेरे अंदर नहीं दिया है, भगवान की मर्ज़ी से हुआ है।
मैं उसे समझा ही रही थी कि उसने एक धक्का मारा, फिर एक और !
फिर बोला- भगवान की मर्ज़ी है तो चुद ले मेरी रानी !
और वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा।

वो मुझे एक सच्चे प्रेमी की तरह चोद रहा था और मैं एक सच्ची प्रेमिका की तरह चुदवा रही थी। हमारे प्रेम-आलाप से होटल के कमरे की दीवारें गूंज रही थीं।
चोद मुझे !
चुद ले मेरी रानी !
मेरी चूत के राजा !
मेरे लंड की रानी !
मेरी चूत मे लंड दे !
ले, और ले, चुद ले !
मेरी चूत का मजा ले !
मेरे लंड का मजा ले !

और मैं चुदती गई। फिर अचानक मेरी चूत की पेशियाँ खिंचने लगी और लंड को कस कर पकड़ने लगीं। लंड का धक्के मारना मुश्किल हुआ तो भैया ने और जोर लगाना शुरू कर दिया। मैं झड़ने वाली थी। मुझसे सहा नहीं जा रहा था।

मैंने चिल्लाना शुरू कर दिया- हाय मैं चुद गई ! हाय मेरा पानी निकल रहा है !
हाय मैं मर जाऊँगी ! मुझे छोड़ मत ! जोर से चोद !
हाय मैं चुद गई ! चुद गई ! चुद गई ! चूऊऊऊद गआआईई !

मेरी चूत नदी की तरह बह रही थी। भैया ने धक्के मारने बन्द कर दिए और मेरे होंठ चूसने लगे। मैं ठंडी हो चुकी थी। जैसे जैसे भैया ने मुझे चूमा-चाटा और मम्मे दबाए मैं फिर से गर्म हो गई।
मैंने फिर भैया को कहा- चोद मेरी चूत को।

भैया ने फिर से मुझे चोदा। मेरी चूत फिर झड़ गई। मैं उस रात 6 बार झड़ी और 6 बार झड़ने के बाद मेरी चूत लगातार झड़ती रही। फिर भैया ने तूफान की तरह लगातार धक्के मार-मार कर चोदा और वो मेरी चूत में झड़ गया। सारी रात वो मेरे मम्मों से चिपका रहा।

सवेरे उठ कर बोला- बाथरूम में वैसा ही शीशा है जो कल तुमने उस शौचालय में दिखाया था। चल शीशे में देख-देख कर चोदते हैं।
मैंने कहा- कल तो तुम्हें शीशा देख कर इतनी उत्सुकता नहीं हो रही थी।
वो बोला- कल तक हम चोद भी नहीं रहे थे।

मैंने पूछा- आज चोदोगे?
“हाँ बहुत चोदूंगा।”
‘चूत के अंदर दोगे?’
‘चूत फाड़ के रख दूंगा।’
‘मालूम है ना मैं बहन हूँ?’
‘हाँ, मालूम है।’

‘अपनी बहन को प्यार से चोदना, ज़िंदगी भर चोदना !’
भैया ने कहा- अब बस कर, पहले नहीं चोदा उसके लिए ‘सॉरी’

और भैया मुझे गोद में उठा कर बाथरूम में ले गया और मुझे शीशे के सामने खड़ा करके पीछे से मेरी चूत में अपना लंड डाल कर उसने मुझे खूब चोदा। जैसे-जैसे वो धक्के मारता मेरे लटके हुए मम्मे हिलते और हिलते हुए मम्मे देख कर उसका लंड और तन जाता और वो और जोर से चोदता।
‘हाय !’ वैसी चुदाई न किसी ने की होगी, ना किसी ने कराई होगी।

मैंने ज़िंदगी में जो चाहा था, वो मुझे आज मिल गया। हम दोनों चिल्ला-चिल्ला कर चुदाई का मजा ले रहे थे:
चोद मुझे !
ले दीदी !
अपनी बहन का मजा ले !
चुद ले दीदी !
लंड दे दे !
ले चुद ले !
जोर से चोद अपनी बहन को !
हाय मेरी प्यारी दीदी भाई का लंड ले !
बहुत अच्छा है, भैया चोद अपनी दीदी को !

अच्छी तरह चोदने के बाद भैया ने मेरी चूत में ऊँगली डाल के चूत साफ़ की, चूत को धोया और पोंछा। फिर मुझे जमीन पर लिटा कर मेरी दोनों टांगों को अपने कंधों पर रख लिया, जिससे चूत बिल्कुल उसकी आँखों के सामने थी।
मैंने पूछा- अब क्या करना चाहते हो?
तो उसने जवाब दिया- ‘चूत श्रृंगार !’
समाप्त
 

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