Erotica दो कुंवारी बहनों को मस्त चोदा

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मैं स्कूल चलाता था. एक बार एक लड़की ने टीचर की पोस्ट के लिए आवेदन किया तो उसकी फोटो देख कर मैं उसका दीवाना हो गया. मैंने कैसे उसे अपने जाल में फंसाया?

दोस्तो, मैं अन्तर्वासना की सेक्स कहानी अक्सर पढ़ता रहता हूं. इन मदमस्त कहानियों को पढ़ते रहने के बाद एक दिन मेरे मन में भी आया कि मैं भी आपको अपनी सेक्स कहानी सुनाऊं.

ये मेरी पहली मौलिक रचना है. आशा है आपको पसन्द आएगी.

मेरा नाम प्रणय है, मैं 30 वर्ष की उम्र में प्रापर्टी व्यवसाय के क्षेत्र में कदम रखते ही कामयाबी की ओर अग्रसर होने लगा था … या यूं कहिये मेरा धन्धा चल पड़ा था.

मैंने 35 वर्ष की उम्र में अपनी एक प्रिंटिंग प्रेस और एक स्कूल भी खोल लिया था. उसी स्कूल में टीचर के पद पर कार्य करने के लिए शीनू ने आवेदन किया था. आवेदन पत्र पर शीनू के फोटो को देखकर मैं उसका दीवाना हो गया था. आवेदन पत्र में उसकी आयु मात्र 21 वर्ष थी. उसे पढ़ाने का घरेलू ट्यूशन वाला अनुभव था. उसके फार्म से ही पता चला कि उसके घर में 7 सदस्य थे. माता पिता, वो खुद और उसकी चार छोटी बहनें थीं.

मैंने मन ही मन निर्णय कर लिया कि मैं उससे मिलूंगा. मैंने उसके फार्म में उसके द्वारा दिए हुए नंबर पर कॉल की.

उधर से एक मधुर और बहुत ही कमसिन सी आवाज में हैलो की आवाज़ सुनाई दी. मैंने पूछा- क्या मेरी बात शीनू से हो रही है?
तो उधर से हां के स्वर के साथ एक प्रश्न भी आया- आप कौन?
मैंने अपना परिचय दिया.

परिचय पाते ही वो उत्सुकतावश बोली- जी सर कहिए … मैंने आपके स्कूल में टीचर के पद के लिए आवेदन किया है.
मैं हंसते हुए बोला- हां हां … मैं जानता हूं आपने आवेदन किया है … क्या आप इन्टरव्यू के लिए कल दोपहर 2 बजे स्कूल आ सकती हैं?
ऐसा लग रहा था कि वो खुश हो रही थी. वो उसी मधुर आवाज में बोली- जी सर, मैं कल आ सकती हूँ.

मैंने उसको उसके शैक्षिक सर्टिफिकेट भी साथ लाने को कह कर फोन काट दिया. मैंने उसे जानबूझ कर 2 बजे बुलाया था क्योंकि उस वक्त तक स्कूल की छुट्टी हो चुकी होती थी.

अगले दिन मैं ऑफिस में बैठा उसका इंतजार कर रहा था. तभी बाहर का दरवाज़ा किसी ने खोला. वो 15 मिनट पहले ही आ गई, मैं अपने ऑफिस से बाहर आया और दरवाज़े की ओर देखा. ये शीनू ही थी.

मैंने मुस्कुराते हुए उसे ऑफिस की ओर आने का इशारा किया. वो सीधे मेरी ओर चली आई. मेरे पास आकर रूमाल से माथे का पसीना पौंछते हुए और मुझे ऊपर से नीचे तक एक बार देखा.

इसके बाद वो बोली- सर, क्या आपने ही कल फोन किया था?
मैंने उसे ऑफिस के अन्दर चलने का इशारा करते हुए कहा- हां.

जब वो ऑफिस में जाने के लिए आगे बढ़ी, तो मैं उसके पीछे से उसका ऊपर से नीचे तक जायज़ा लेने लगा. शीनू फोटो वाली शीनू से ज़्यादा खूबसूरत और गदराई हुई थी.

हंसते हुए उसके गाल पर गड्डे पड़ते थे, जो उसकी खूबसूरत जवानी में और भी ज्यादा मस्त लग रहे थे. फिटिंग सूट में उसके उठे हुए नितम्ब और सुडौल छोटे परन्तु गोल उरोज साफ झलक रहे थे. कमरे में आते ही उसने राहत की सांस ली … क्योंकि कमरे का एसी कमरे को पूरा ठंडा कर चुका था.

मैंने उसे सोफे पर बैठने को कहा. वो मुझे धन्यवाद कहती हुई सोफे पर बैठ गई. मैं उसके लिए कमरे से जुड़े किचन से एक ग्लास में कोल्ड ड्रिंक ले आया और उसे पीने के लिए देकर उसके सामने वाले सोफे पर बैठ गया. बैठते हुए ही मैंने बातचीत का क्रम भी शुरू कर दिया.

मैंने उससे पूछा- तुम नौकरी क्यों करना चाहती हो?
वो बोली- मेरे पिता दिल्ली की एक निजी फैक्टरी में काम करते हैं. वो जो कुछ भी घर भेजते हैं, उसमें घर का खर्चा चला पाना मुश्किल होता है. मां भी कभी कभी अपने स्तर का कोई काम कर लेती हैं … लेकिन फिर भी घर चलाना मुश्किल ही होता है. वैसे मैं दसवीं तक के बच्चों को ट्यूशन पढ़ा लेती हूं. अपनी बहनों को भी मैं ही पढ़ाती हूं. आपके स्कूल में भी मैं बच्चों को पढ़ा लूंगी.
वो एक सांस में सब कुछ बता देना चाहती थी.

मैंने उसकी बात को बीच में रोकते हुए कहा- तुम तो अभी 21 साल की हुई हो. तुमको नौकरी कैसे मिल सकती है. तुम्हारे पास तो कोई अनुभव भी नहीं है.
वो बोली- मेरी उम्र की ही मेरी एक सहेली रीना पास ही के एक प्रॉपर्टी डीलर के यहां रिशेप्शनिस्ट के पद पर 5 महीने से कार्य कर रही है. शुरू में उसे 5000/- मिलते थे और अब उसे 8000/- मिलते हैं.
वो एक सांस में कह गई.

मैंने उससे पूछा- कौन सा प्रॉपर्टी डीलर?
वो बोली- वो जिग्नेश सर के ऑफिस में काम करती है.

मैं जिग्नेश को अच्छे से जानता था, वो मेरा व्यवसायिक मित्र था. साला एक नंबर का अय्याश था. तभी मुझे बीती रात जिग्नेश से हुई बात याद आई, वो नशे में था और कह रहा था कि यार कच्ची कली को चोदने का मज़ा कुछ और ही है. मैंने उस समय उसकी बात पर कुछ विशेष ध्यान नहीं दिया था. लेकिन आज शीनू की बात सुनकर मुझे सारा माजरा समझ आ गया था.

मैंने शीनू से कहा- तुम चाहो तो मेरे इसी कार्यालय में रिशेप्शनिस्ट का कार्य कर सकती हो … लेकिन स्कूल में टीचर के लिए तुम अभी अहर्ता नहीं रखती हो. मैं भी तुम्हें 5000 दे दिया करूंगा.
उसकी आंखें खुशी से चमक उठीं. उसने मुझसे पूछा- मुझे कब से आना होगा?

मैंने उससे कहा- आज से ही तुम अपने आपको ड्यूटी पर समझो. तुम्हें सारी ऑफिस फाइलों का रखरखाव, साफ सफाई, आने जाने वाले लोगों का लेखा जोखा, टेलीफोन कॉल्स किचन का सामान और मेरे ऑफिस से जुड़े रेस्ट रूम आदि का ख्याल रखना होगा.

वो बोली- जी सर … क्या मैं ऑफिस, किचन और आपका रेस्टरूम देख लूं?
मैंने कहा- वैरी गुड … तुम तो बहुत होशियार हो चलो. चलो मैं तुमको तुम्हारा वर्किंग एरिया दिखाता दूं.

मैंने उसे सबसे पहले अपना ऑफिस रूम दिखाया. सारी फाइलें दिखाईं, फाइलों का काम समझाया. फिर उसे किचन और आखिर में उसे अपना रेस्ट रूम दिखाया. रेस्ट रूम … क्या वो मेरा फुल्ली फर्निश्ड बेडरूम था.

शीनू ने शायद ऐसा खूबसूरत बेडरूम पहली बार देखा था. वो देखते ही बोली- वॉओ सर … बिल्कुल फिल्मों जैसा सुन्दर है ये!
मैंने तुरन्त कहा- अब से तुम्हारा ही है.

वो अचानक से मुड़ी. उसके चेहरे पर अचम्भे के भाव थे. मैंने उसको समझाते हुए कहा- मेरा मतलब अब इसकी जिम्मेदारी के साथ साथ, तुम जब कभी रिलैक्स होना चाहो … तो यहां आराम कर सकती हो.
वो कुछ सोचते हुए सिर्फ ‘ओह …’ कह कर रह गई.

मैंने अपना पर्स खोला और उसकी ओर 2000 रूपये बढ़ाते हुए कहा कि ले ये रख लो. अपनी फ्रेंड रीना की तरह अपने लिए कुछ ड्रेस खरीद लेना.
वो बोली- क्या आपने रीना को देखा है?
मैंने कहा- हां. बहुत अच्छी लड़की है और समझदार भी … वो भविष्य में तरक्की करेगी.
मेरी बात को समझे बिना वो बीच में ही बोल पड़ी- सर, मैं भी तरक्की करना चाहती हूं.
मैंने कहा- रीना क्या तुमसे सब बातें शेयर करती है?
वो अचम्भित होकर बोली- हां …

मैं मुस्कुरा दिया. मैंने उसे रीना से काम के टिप्स लेने की राय दे डाली. वो भी हामी भरकर मुझे थैंक्स कर कल आने को कह कर चली गई. जब वो गई तो 4 बज चुके थे.

मैंने जिग्नेश को फोन किया और उससे मज़ाक मज़ाक में रीना और उसकी प्रेम लीला की कोई फोटो या वीडियो क्लिप मांग ली. वो तो था ही एक नंबर का चालू, उसने मुझे तुरन्त ही एक वीडियो क्लिप भेज दी. जिसे देख मेरा मन व्याकुल हो उठा.

रीना, शीनू की तरह ही मासूम थी, लेकिन अब मासूमियत केवल चेहरे की थी.

यूं तो मैं शादीशुदा था, लेकिन कहते हैं न कुछ दिन बाद घर की मुर्गी दाल बराबर हो जाती है. बस मेरे दिल का बुझा हुआ अरमान. अब नई अंगड़ाइयां लेने लगा था.

शीनू समय पर आ जाती और जब तक मैं जाने की नहीं कहता, वो नहीं जाती थी. धीरे धीरे दो ढाई महीने में वो मुझसे बहुत ज्यादा घुल-मिल गई. अक्सर बात करते करते वो हाथ पकड़ लेती, या हाथ की धौल मारकर बातें करती. मुझे भी उसकी नज़दीकी अच्छी लगती थी.
मैं अक्सर उससे दो-अर्थी बातें कर लिया करता था. कुछ वो समझती, कुछ उसके सिर के ऊपर से गुजर जातीं.

मैं उसे 5000 महीना के अलावा शॉपिंग भी करा दिया करता था. उसने मुझे अपनी मां और बहनों से भी मिलवाया. जब उसके घर गया, तो सबके लिए कुछ न कुछ सामान ले कर गया. छोटी बहनों के लिए कपड़ों के अलावा चॉकलेट्स आदि भी ले गया.

सभी बहनें सुन्दर थीं. कहते हैं न गरीब के घर सुन्दरता जन्म लेती है. उससे एक साल छोटी बहन निम्मी और सिम्मी तो कम उम्र में ही बड़ी खूबसूरत और उभरती हुई लग रही थीं. उसकी मां ने मेरा आभार प्रकट किया और सम्मान भी किया. मैं कभी कभी जब मौका लगता, तो अपनी गाड़ी से उन सभी को घुमा-फिरा लाया करता. अपने ऑफिस के सामने की मार्किट से निम्मी को कभी कोई ड्रेस आदि दिला देता और अपने ऑफिस के रेस्टरूम में ही उन कपड़ों का उसे ट्रायल दिला दिया करता.

इस ट्रायल से मैंने निम्मी को पूरी तरह से समझ लिया था. इस बात का अर्थ आपको आगे समझ आ जाएगा. खैर … कुल मिलाकर मैं उनके घर का सदस्य जैसा बन गया था.

कुछ हफ्तों बाद की बात है. उस दिन शीनू ने टॉप और स्कर्ट पहना हुआ था. मैंने उसे ऑफिस का … और स्कूल का ढेर सारा काम थमा दिया, जिसमें बच्चों की कॉपी जांच करने का काम भी था. मैं खुद बाहर किसी अन्य काम से चला गया. बाहर जाने से पहले मैंने शीनू को उसकी फेवरेट कॉफी बनाकर दे दी. जब उसने कॉफ़ी खुद बनाने की बात कही, तो मैंने यह कहते हुए उसे कॉफ़ी दी कि ये इसलिए है कि कहीं तुम थक न जाओ.

वास्तव में उसमें मैंने नींद की एक विशेष दवाई की हल्की डोज़ थी … ताकि शीनू मस्त होने के साथ सो भी जाए.

शाम 4 बजे जब मैं वापिस लौटा, तो शीनू मेरे अंदाजे के मुताबिक रेस्टरूम में थी. मैं रेस्टरूम की ओर चल दिया अन्दर झांका, तो देखा शीनू बेड पर सोई हुई थी. मैंने कमरे की लाइट ऑन कर दी. शीनू में कोई हलचल नहीं थी. उसकी स्कर्ट ऊपर की ओर सरकी हुई थी. उसकी गोरी और भरी हुई जांघें दूधिया रोशनी में चमक उठी थीं. उसका एक हाथ उसकी चुत पर रखा हुआ था.

मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा था. मैंने धीरे से उसकी स्कर्ट का निचला हिस्सा पकड़ कर स्कर्ट को ऊपर की ओर सरका दिया. स्कर्ट के नीचे पहनी हुई शीनू की गुलाबी पैन्टी और पैन्टी के नीचे छुपी फूली हुई चुत साफ प्रतीत हो रही थी. मैंने अपना हाथ उसकी चुत पर रख कर चुत को सहलाना शुरू कर दिया. शीनू में कोई हलचल नहीं हुई. मेरा लंड अब तक सख्त हो चुका था.

आधे-एक घन्टे बाद मैंने शीनू को जगाया … तो वो जाग गई … मैं उसके सामने ही बैठा था.

मुझे देखकर वो उठ बैठी और बोली- मेरा सिर दर्द कर रहा है और भारीपन महसूस हो रहा है … न जाने क्यों मैं थक गई और सो गई.

मैं बिना कुछ कहे उसके करीब गया और उसका सर सहलाने लगा. उसे अच्छा लगने लगा था. मैंने अनायास ही उसे होंठों पर किस कर लिया.

वो हड़बड़ा उठी … और बोली- सर … ये क्या कर रहे हो आप?
मैंने कहा- प्यार करना चाहता हूं.
वो बुरी तरह से झेंप गई और बोली- सर आप मुझसे… … आप तो शादीशुदा हैं … आपको ये सब शोभा नहीं देता.

मैंने उसकी बात को बीच में ही काटते हुए कहा- देखो ज्यादा मत बनो. मैं अगर चाहता, तो अब तक ये सब कुछ, बहुत पहले ही अपनी मर्जी से कर चुका होता. लेकिन मुझे किसी की मर्जी के बिना उसे चोदना अच्छा नहीं लगता.
वो मेरे मुँह से चोदना शब्द सुनकर हक्की बक्की रह गई और बोली- सर … ये क्या बकवास कर रहे हैं आप! मैं सबको बता दूंगी.

मैंने आगे बढ़कर उसके चेहरे को हाथों में लेकर चूम लिया, फिर मैंने कहा- शीनू एक बात बताओ … क्या तुम मुझ पर विश्वास करती हो?
उसने हां में सिर हिलाया.

मैंने कहा- तो क्या तुम्हें लगता है कि मैं तुमको बदनाम होने दूंगा? मैं जिग्नेश जैसा नहीं हूं, जो विश्वासघात करते हैं.

उसने मेरी आंखों में आंखें डालकर आश्चर्य से देखा. वो कुछ समझ नहीं पाई … तो मैंने उसे पलंग पर अपने बगल में बैठा लिया.

फिर उसे मोबाइल देते हुए कहा- लो देखो अपनी आंखों से देखो.

मैंने जिग्नेश से मांगी हुई जिग्नेश और रीना की सैक्स क्लिप मोबाइल में ऑन कर दी. शीनू वो सब देखकर हैरान हो गई. साथ चुदाई के सीन उसके चेहरे पर कुछ सोचने जैसा दिखाने लगे.
 
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जवान कुंवारी लड़की की चुदाई कहानी के पहले भाग
में आपने पढ़ा कि इक्कीस साल की कुंवारी लड़की शीनू को मैं अपने शीशे में उतार रहा था. मैंने उसे एक चुदाई की क्लिप दिखा दी थी, जिसमें उसकी पक्की सहेली मेरे दोस्त के साथ चुद रही थी.

अब आगे..

मैंने शीनू से पूछा- क्या रीना ने कभी तुम्हें कुछ नहीं बताया?
वो बोली- नहीं … पर मुझे कुछ शक तो था.
मैं बोला- हां … यही बात है, इसी लिए उसकी तनख्वाह तुमसे ज्यादा है और अभी और बढ़ने वाली है.
वो मेरी और झटके से मुड़ी और बोली- और बढ़ने वाली है?? क्यों? कैसे??
मैंने कहा- वो सब तुमको मैं बाद में बताऊंगा. जीवन में आगे बढ़ने के लिए समझौते करने पड़ते हैं … और ये अवसर हर किसी को प्राप्त नहीं होते.

वो मेरी बात को अच्छी तरह से सुन और समझ रही थी.

मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और कहा- तुम एक समझदार लड़की हो, तुम्हारे सामने घर की कई जिम्मेदारियां हैं. मेरी बात पर गंभीरता से विचार करना. वैसे भी आज नहीं तो कल तुम्हें ये सब तो करना ही है. आज तुम्हारे पास इन सबके बदले अपने और अपनी बहनों के भविष्य को उज्जवल बनाने का मौका है. कल शायद ये मौका न हो.

वो सर झुका कर चुपचाप मेरी बात सुन रही थी … मेरे शब्दों के चक्रव्यूह में वो उलझती जा रही थी. मैंने उसको बांहों में भर कर कई किस किए. वो आंख बंद कर चुम्बनों को महसूस कर रही थी.

मैंने खुद पर संयम रखते हुए उसे अपने से अलग कर घर जाने की अनुमति दी और कहा कि आज वो खूब विचार कर लेना और कल ऑफिस में छुट्टी है, किसी के यहां आने की सम्भावना नहीं है. इसलिए कल सुबह 9 बजे ही आ जाना.

मैंने चलते समय उसे 1000 रुपये उसके हाथ में रख दिए. उसने कुछ सोचते हुए मेरी ओर देखा और रुपये को हथेली में ही दबाकर ऑफिस से बाहर चली गयी.

अगले दिन सुबह में घर पर ऑफिस की मीटिंग के सिलसिले में बाहर जाने की बात कह कर घर से जल्दी निकल आया. मुझे पूरा यकीन था कि शीनू जरूर आएगी. मैंने ऑफिस आकर सब इंतज़ाम किए और शीनू के आने की प्रतीक्षा करने लगा. शीनू पौने 9 पर ही आ गई.

मैंने शीनू को बांहों में भर लिया और उसे चूमते हुए बोला- मुझे मालूम था … तुम ज़रूर आओगी.

वो थोड़ा घबरा रही थी. उसके हाथ भी ठंडे हो रहे थे. वैसे आज मौसम भी बारिश जैसा होने के कारण ठंडा हो रहा था. मैंने शीनू को सोफे पर बैठाया और उसके लिए जूस में थोड़ी वोडका डाल कर ले आया. मैं पहले ही दो पैग ले चुका था.

शीनू ने पहला घूंट मारा, तो उसे कुछ अजीब सा लगा. मैंने उसे इशारे में पीते रहने को कहा. वो एक ही झटके से पूरा पी गई. अब मैं उठा और उसके लिए एक और पैग बना लाया. पैग उसके हाथों में देकर मैंने उसे लेने का इशारा किया.

वो बोली- सर इसमें क्या है??
मैंने मुस्कुराते हुए कहा- इसमें तुम्हारी घबराहट और शर्म को दूर करने की दवाई है … पी लो और ये कुछ फ्राईड आइटम भी खा लो, तुमको अच्छा लगेगा.

थोड़ी देर बातें करते रहने के बाद मैंने उसे तीसरा पैग भी बना कर दिया. इस बार उसने वो ग्लास भी तेज़ी से गटक लिया और थोड़ा नमकीन भी खा लिया.

शीनू ने आज व्हाइट टॉप और ब्लैक प्लाजो पहना हुआ था. शीनू बहुत सैक्सी लग रही थी.

मैंने शीनू से कहा- आओ रेस्टरूम में चलते हैं.
वो चलने के लिए खड़ी हुई और थोड़ा लड़खड़ा गई. मैंने उसे सहारा दिया और उसे बेडरूम में ले आया. शायद खाली पेट होने के कारण या पहली बार पीने के कारण वोडका का सुरूर चढ़ने लगा था.

हालांकि पैग न ज्यादा स्ट्रांग थे और न ज्यादा लाइट थे … ताकि शीनू कमफर्ट फील कर सके. कमरे में पहुंच कर मैंने सभी लाइटें ऑन कर दीं. … और शीनू को बांहों में भर कर बेतहाशा चूमने और उसके रसीले होंठों को चूसने लगा.

शीनू की आंखें बन्द हो गई थीं और वो वोडका के सुरूर के कारण मदहोश होने लगी.

तभी मैंने महसूस किया कि शीनू भी मेरे होंठों को समूच देने लगी थी. मुझे तो बस यही चाहिए था कि शीनू की मर्ज़ी मेरे साथ मजा करने की हो.

मैंने एक हाथ शीनू की टाइट चूची पर रखा और ज़ोर से मसल दिया. वो चिहुंक उठी और मेरा हाथ पकड़ कर बोली- दर्द होता है … आराम से करो सर.

ये सुन कर मैंने उसका टॉप कमर में हाथ डालकर ऊपर खींच कर निकाल दिया. उसने व्हाइट स्पोर्ट ब्रा पहनी हुई थी, जिसे ढकने के लिए उसने अपनी हथेलियों का सहारा लिया, लेकिन मैंने जरा देर किए बिना उसकी ब्रा को भी खींच कर उतार डाला.

मेरी पहली निगाह उसकी संतरे जैसी गोरी चूचियों और उस पर निकले गुलाबी छोटे निप्पलों पर पड़ी, जिसे उसने फिर से अपनी हथेलियों में छुपाना चाहा.

मैंने उसे हाथ नीचे करने को कहा, जिसे उसने अच्छे बच्चे की तरह मान लिया. मैंने उसकी चुचियों को बारी बारी चूसना शुरू किया. उसकी चुचियां इतनी रसीली थीं कि मेरा उन्हें छोड़ने का मन नहीं हो रहा था.

मैंने उन्हें इतना चूमा, चूसा, रगड़ा और दबाया कि वो गुलाबी से लाल हो गईं.

मैं किसी भूखे शेर की तरह उस पर टूट पड़ा था … लेकिन स्वयं पर काबू रखा हुआ था. मैंने उसे कई जगह लव बाइट भी दिए थे.

अब मैं उसके मुलायम चिकने पेट पर चुम्बन अंकित करते हुए अपनी मंजिल की ओर बढ़ने लगा. शीनू मदहोश हुई जा रही थी और उसका खुद पर से कंट्रोल भी खत्म होता जा रहा था. मैंने इसी बात का फायदा उठाते हुए उसकी कमर पर अटके उसके प्लाजो को नीचे सरका कर उतार दिया. मैं अब उसकी टांगों को चूमता हुआ उसकी कदली जांघों के बीच पहुंच गया. मेरी चाहत अभी उसकी पैंटी में कैद थी. मैं उसकी फूली हुई चिकनी चूत को चाटने के लिए लालायित हो रहा था. उसकी चूत से खुशबू आ रही थी.

मैंने जैसे ही चुत को पैंटी पर से ही चूमा, शीनू को एक करंट सा महसूस हुआ. इससे पहले कोई उसके इतना करीब नहीं आया था. मैंने अपने होंठ उसकी कली पर रख दिए और उसे चूमने चाटने लगा.

शीनू चिहुंक उठी, उसे मेरे होंठों का स्पर्श अच्छा लग रहा था. अतः मैंने उसकी पैंटी में उंगली फंसा कर पैंटी को भी उसके कमर से खींच कर अलग कर दिया. फिर बिना कोई समय गंवाए अपने होंठ उसकी फूल सी कमसिन चूत पर रख दिए और तीव्रता से उसका रसपान करना शुरू कर दिया.

शीनू को इससे पहले कभी ये अनुभव प्राप्त नहीं हुआ था. मैंने जैसे ही उसकी नंगी अनछुई कमसिन चूत पर अपनी जीभ से नीचे से ऊपर की तरफ चाटा, तो मानो शीनू के अन्दर एक बिजली सी कौंध गई.

मैंने अपने दोनों अंगूठों की सहायता से शीनू की चूत के द्वार को फैलाकर अपनी जीभ उसके बीचों बीच ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर फिराई … तो शीनू पूरी तरह गनगना उठी. उसने अपनी दोनों जांघों को फैलाते हुए अपने गोल गोल नर्म चूतड़ ऊपर उठा दिए, जिस कारण उसकी चूत मेरे मुँह में घुसने लगी और मेरी जीभ ज्यादा अन्दर तक जाने लगी.

ये मेरे लिए उसका क्लियर सिगनल था कि वो अब मस्त हो चुकी है और अब आगे के कार्यक्रम के लिए तैयार है.

मैं अपने बनाए हुए प्लान में कामयाबी के बेहद करीब था. अतः मैं अब और समय गंवाना नहीं चाहता था.

मैंने थोड़ी और तत्परता से उसकी कली का रसपान किया. जब मुझे लगा कि शीनू अब किसी भी वक्त झड़ने वाली है, तो मैंने पलंग से नीचे उतर कर अपनी शर्ट और पैन्ट उतार दी. मेरा लंड अन्डरवियर से बाहर निकलने को तड़प रहा था. अतः मैंने उसे भी कैद से आजाद कर दिया. अब मैं भी पूरी तरह नग्न अवस्था में था.

मैं बिना कोई समय गंवाए शीनू के बगल में लेट गया. शीनू मदहोशी में आंखें बन्द किए लेटी हुई थी. मैंने शीनू को आंखें खोलने को कहा और उसे थोड़ा उठाते हुए अपनी छाती से चिपका लिया.

शीनू की नज़र मेरे मूसल लंड पर पड़ी, तो वो भयभीत हो गई. मेरा लंड वास्तव में साढ़े सात इंच लम्बा और ढाई इंच चौड़ा है.

स्कूल टाइम में मैं पतला दुबला था, मेरे दोस्त जिन्होंने कभी साथ में लघु शंका करते हुए मेरे लंड को देखा था, वो अक्सर मेरा मज़ाक उड़ाया करते थे कि तेरे शरीर का सारा मांस तेरे लंड को लग गया लगता है.

शीनू को मैंने उसकी बालों की बनी हुई पोनीटेल से उसे पकड़कर अपने लंड की ओर खींच लिया. उसका चेहरा मेरे लंड के सामने था … मेरा लंड मेरे पेट पर मस्ती से लोटा हुआ था.

मैंने शीनू को लंड चूसने के लिए कहा तो उसने मेरे मूसल लंड को अपने हाथ में लेकर भय से देखा. मैंने इस बार उसे दुबारा मुँह में लेने के लिए कहते हुए उसके सिर को लंड की ओर धकेल दिया. उसने मेरे लंड का सुपारा होंठों से टच किया और होंठ खोलकर लंड को मुँह में लेने की कोशिश की.

लंड मोटा होने के कारण सिर्फ लंड का सुपारे का अगला हिस्सा ही उसके मुँह में जा सका … या यूं कहिए कि उसका मुँह छोटा होने के कारण ऐसा लौड़ा लेने में असमर्थ था.

फिर भी मैंने उसको दस ग्यारह स्ट्रोक मुँह में धक्के दिए. मेरा लौड़ा पूरी तरह सख्त हो गया था. मैंने शीनू को बिना समय गंवाए बिस्तर पर वापिस धकेल दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गया. उसकी दोनों कलाइयों को सिर के ऊपर ले जाते हुए तथा उसे चूमते चाटते हुए अपना लौड़ा उसकी कमसिन चुत की दरार पर सटाकर एक जोरदार धक्का लगा दिया. लौड़ा उसके मुँह से लगे थूक की चिकनाहट के कारण लंड के सुपारे तक उसकी चूत में फीट हो गया.

सुपारे की चोट से शीनू की आंखें फट गईं और उसकी सांस अन्दर की अन्दर … और बाहर की बाहर रह गई. शीनू ने पूरा दम लगाकर हाथ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन सफल न हो सकी. यदि उसके हाथ आजाद होते, तो शायद वो मुझे धक्का देकर हटा देती … लेकिन मैं इस खेल का पुराना खिलाड़ी था और वो एक नई कली थी.

मैंने उसे रिलैक्स होने को कहा, मगर वो जलबिन मछली की तरह आजाद होने के लिए छटपटा रही थी.

अब मैंने उसकी हरकत को नजरअंदाज करते हुए हल्का सा अपने लौड़े को पीछे कर एक सटीक और जोरदार धक्का लगाया, परिणाम ये हुआ कि लंड उसकी कमसिन चुत की दरार को चीरता हुआ जड़ तक उसकी कुंवारी चूत में समा गया.

शीनू के मुँह से एकदम से एक हृदय विदारक चीख निकल पड़ी. दर्द के कारण आंख से आंसू की धार चेहरे के दोनों ओर बहने लगी. शीनू रोने लगी और कहने लगी कि सर प्लीज़ मुझे छोड़ दो. … प्लीज़ रहने दो … मुझे बहुत दर्द हो रहा है … उम्म्ह… अहह… हय… याह… मुझे छोड़ दो. … मुझे नहीं चुदना … प्लीज़…
मैंने उसे चूमते हुए कहा- तरक्की नहीं करनी है क्या?
वो बोली- हां करनी है … लेकिन मुझे बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने उसे सहलाते हुए कहा- बस एक बार का दर्द है … इसके बाद तुम खुद मुझसे चुदने के लिए मचलोगी.

तब भी उसे दर्द हो रहा था, इसलिए वो न जाने क्या क्या कह रही थी. लेकिन उसके इन शब्दों को मुझ पर कोई असर नहीं हुआ. मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में ले लिया. एक तरह से उसके होंठों को ताला लगा दिया और अपना ध्यान उसकी चूत पर केन्द्रित करते हुए लंड को उसकी चूत में पेलना शुरू कर दिया.

उसकी चुत मेरे लिए बन्द मुट्ठी की तरह टाइट थी … मुझे बहुत मज़ा आ रहा था उसकी तड़पन मुझे और मज़ा दे रही थी. उसकी सिसकारियों से कमरा गूंज रहा था. मैं बेतहाशा उसे चोदे जा रहा था … कभी लगता कि उसे भी आनन्द की अनूभूति हो रही है, तो कभी लगता कि वो सह नहीं पा रही है. इसी मिली जुली अनूभूति में, मुझे उसे चोदने में बड़ा आनन्द आ रहा था.

मैंने वोडका के नशे में उसकी विनतियों को अनसुना करते हुए करीब बीस से पच्चीस मिनट तक नॉन स्टॉप रगड़ कर चोदा और फिर अचानक मेरा वीर्य उसकी सुपर टाइट चुत में गिरने लगा.

मैं उसके ऊपर ही निढाल हो गया. मुझे असीम आनन्द का एहसास हुआ. वो भी तृप्त दिख रही थी, हम दोनों लम्बी लम्बी सांसें ले रहे थे और पूरा पसीने पसीने हो रहे गए थे. वो तो मुझसे ज्यादा पसीने और आंसू से तर हो रही थी.


पूरी तरह वीर्य उसकी चूत में ही झड़ने के बाद जब मैंने अपना लंड बाहर खींचा, तो उसकी चुत से पहले खून और फिर उसके बाद वीर्य की मानो एक धार सी रिस पड़ी.

शीनू हिम्मत करके उठ कर बैठी और उसने बेड शीट पर नज़र डाली. फिर मुझसे बोली- सर, ये आपने क्या किया.
मैंने उसे अपने से चिपकाकर किस किया और कहा- तुम्हारी आज ओपनिंग हुई है और ओपनिंग में ऐसा ही होता है. इसमें घबराने की ज़रूरत नहीं है.
वो बोली- सर आपने वीर्य अन्दर क्यों डाल दिया?
मैं मुस्कुराया और उसे पास की मेज़ से टेबलेट देते हुए कहा कि रख लो, अब तुम्हें इसकी ज़रूरत पड़ती रहेगी.

वो मेरी ओर देखने लगी.

मैंने उसे वाशरूम में जाकर साफ करने को कहा. वो किसी अच्छी लड़की की तरह वॉशरूम जाने के लिए उठी, परन्तु वह ठीक से चलने में असमर्थ हो रही थी. मैंने सहारा देकर उसे वॉशरूम तक छोड़ा और बेड पर आकर लेट गया और दीवार पर लगे होम थियेटर सिस्टम को ऑन किया. उसमें अभी अभी रिकार्ड की गई शीनू की चुदाई की वीडियो को ऑन करके देखने लगा. ये वीडियो रिकार्डिंग मैंने प्लान के मुताबिक की थी. तभी थोड़ी देर में शीनू वाशरूम से बाहर निकल आई … और अपनी बुर चुदाई का वीडियो देखकर दंग रह गई. उसका नशा काफूर हो गया था.
 

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