Erotica DESI SEX KAHANIYA

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आंटी बोली क्या आप मेरी बेटी को चोद कर माँ बना देंगे प्लीज


दोस्तों आज मैं आपको अपनी एक सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हु। मैं २८ साल का हु, मेरी पिछले साल ही शादी हुई है, मैं अपने पत्नी के साथ दिल्ली के रहता हु, ये कहानी मेरी कामवाली की बेटी गुडिया के बारे में है।
गुड़िया की उम्र बीस साल है देखने में श्यामली है, पर नैन नक्स बहुत ही सुन्दर है, बॉडी गजब की है, चूचियां गजब की टाइट टाइट, गांड ना तो ज्यादा चौड़ी ना तो पतली, गजब की सेक्सी चूतड़ है। हमेशा मुस्कराहट चेहरे पर रहती है। कभी कभार वो मेरे यहाँ काम करने आती है, पर उसकी मम्मी हमेशा आती है, जब कभी उसके मम्मी का तबियत खराब होता है तभी वो आती है, जब भी आती है मैं खुश हो जाता हु, क्यों की उसकी चाल और पोछे लगते समय चूचियां दिखना ओह्ह्ह्ह क्या बताऊँ ऐसा लगता था पकड़ कर अपना लंड उसके चूत में पेल दू, और चूचियां अपने मुँह में लेकर चाभने लगूँ।

ये मेरा सपना जल्द ही हकीकत में बदल गया कैसे आइये आपको बताते हैं

मेरी पत्नी गाँव चली गई थी क्यों की वो प्रेग्नेंट थी, मैं दिल्ली में अकेले ही था, काम वाली आंटी आकर काम कर के चली जाती, खाना बाहर खाने लगा, क्यों की मैं बना नहीं सकता था, मुझे खाना बनाना नहीं आता है, मैंने आंटी को बोला की आंटी तुम खाना भी बना दो, बाहर का खाना खाने के बाद ठीक नहीं लगता है, मैं इसके बदले तुम्हे और पैसे दे दूंगा, वो तैयार हो गई, वो सुबह का शाम का खाना बनाने लगी।

एक दिन वो बहुत परेशान थी, मैंने आंटी से परेशानी का कारण पूछा, वो बोलने लगी क्या बताऊँ बेटा, मैं बहुत परेशान हु आजकल, मेरी बेटी पूजा के लिए, शादी कर दी, एक साल हो गए पर कोई बच्चा नहीं हो रहा है, मुझे तो लगता है आदमी में ही ख्रराबी है, क्यों की पूजा बोलती है है की वो सही से मेरे साथ कर ही नहीं पाता है, इसलिए पूजा अपने ससुराल जाती भी नहीं, और जवान बेटी को शादी के बाद भी घर में रखना अच्छी बात नहीं, अगर उसका कोई बच्चा होता तो बात अलग होती, लोगो की भी गलत नजर मेरी बेटी पर रहती है। और इसलिए मैं चाहती हु की पूजा को एक बच्चा हो जाये।

तो मैंने कहा तो भेजो उसको ससुराल तब तो बच्चा होगा जब पति पत्नी साथ रहेंगे तभी तो होगा? वो आंटी बोली, वह जाकर भी क्या करेगी, मैंने बताया ना आपको की सो सही से कर भी नहीं सकता, और ससुराल काफी धनी है, बहुत जमीन है, पैसे बाला है एक बूढ़ा है वो तो आज ना कल मर ही जाएगा, और मेरा दामाद भी वैसे ही ही, मैं तो सोचती हु की थोड़ा दिन कट जाये और पूजा को एक बच्चा हो जाये, तो आने वाले समय में सारे प्रॉपर्टी मेरी ही हो जाएगी, मेरी बेटी भी खुशहाल ज़िंदगी जियेगी, हमलोग तो २ जनम में भी इतनी प्रोपेर्टी कर नहीं सकते।

तो मैंने कहा की फिर मैं क्या कर सकता हु? तो वो बोली मैं चाहती हु की पूजा को एक बच्चा आप ही दे दो, मैं आपका एहसान नहीं भूलूंगी आप मेरी मदद कर दो। मैंने कहा आंटी ये क्या कह रही हो? मेरी बीवी है बच्चा भी होने वाला है। मैं अपनी बीवी से बहुत प्यार करता हु मैं धोखा कैसे दे सकता? तो वो बोली मैं थोड़ी ना कह रही हु की आप पूजा को बीवी बना लो, मैं तो बस इतना कहती हु, की आप पूजा का गोद भर दो. मैं थोड़े देर तक शांत रहा और वो भी भी। फिर मैंने कहा की ये बात उसके पति को नहीं पता चलेगा? तो वो बोली मैं संभाल लुंगी, थोड़े दिन के लिए मैं पूजा को वह भेज दूंगी जब वो प्रेग्नेंट हो जाएगी तब, और फिर उस बच्चे के बात का नाम दामाद पर ही डाल दूंगी? पूजा कह देगी की तुम्हारा ही बच्चा है। मैं समझ गया सारा मामला, मुझे ये सौदा बड़ा ही सेक्सी और मजेदार लगा मुझे तो चूत चोदने को मिल रहा था। बाकी मेरे को क्या लेना देना ऐसे ही मेरी बीवी गाँव गई थी तो मेरा लौड़ा बार बार तम्बू गाड़ रहा था।

वो बोली की मैं पूजा से पहले ही बात कर ली की आज मैं बात करुँगी। मैं हैरान हो गया, मैं पूछा की आपने मेरे बारे में पूजा को बताया तो वो बोली हां, तो मैं बोला की वो तैयार है तो वो बोली हां। फिर मैंने पूछा की आपने मेरे से पूछे बिना उससे बात कर लिया? तो वो बोली मुझे पता है मर्द तो तैयार हो ही जाता है और हसने लगी। मैं समझ गया की ये भी यही समझ रही है की मर्द तो कुत्ता होगा है चूत मिले की चाटने लगता है। मैंने बोला ठीक है। दोपहर का बर्तन धो कर वो बोली अब शाम को खाना बनाने पूजा ही आएगी और फिर रात में यही रूक जाएगी, किसी को पता भी नहीं चलेगा मैंने कहा ठीक है और वो घर चली गई।

शाम को करीब सात बजे पूजा आ गई वो बेल बजाई मैं उठकर दरवाजा खोला वो साडी में थी बन ठन कर आई थी, गजब की लग रही थी। सुन्दर तो पहले से ही थी पर आज कुछ और भी लग रही थी देखते ही मेरा लौड़ा खड़ा हो गया। दरवाजा खोलते ही सर को झुकाये अंदर आ गई। वो सीधे किचन में चली गई और बोली मैं चाय बनाती हु आपके लिए पहले मैंने कहा ठीक है और मैं बैडरूम में चला गया और वो चाय बनाने लगी पर मेरा मन नहीं मान रहा था मैं फिर से किचेन में चला गया और उसको पीछे से पकड़ लिए। वो पहले सकपकाई फिर नार्मल हो गई और बोली अभी जल्दी क्या है ? मैंने कहा तुमको देखकर इन्तजार नहीं कर पा रहा हु। वो बोली अच्छा जी, और मैं उसके गांड में अपना लंड सटा कर हाथ आगे कर के दोनों चूचियों को पकड़ लिया. उसके मुँह से आवाज आइए आई मा जोर से क्या दबा रहे हो? मैंने कहा क्या करूँ पूजा मुझे तुमने पागल कर दिया और मैंने अपने तरफ घुमा लिया और होठ पर किश करने लगा, और चूचियां दबाने लगा। तभी चाय खुलकर बाहर गिरने लगा और वो झट से गैस बंद करने लगी मैं खड़ा हो गया। वो चाय को छानते हुए बोली आज तो पूरी रात अपने पास है तो मैंने कहा पूरा रात नहीं अभी तीन महीने ही अपने पास जब तक मेरी पत्नी नहीं आ जाती तुम अब यहीं रहोगी तो वो बोली ठीक है बाबा मैं यही रहूंगी। दोनों फिर चाय पिने लगे। चाय ख़तम जैसे ही हुआ वो दोनों कप लेकर किचेन में चली गई और तो तुरंत हो वापस आ गई। उसके आते ही मैंने उसको गोद में उठा लिया और बैडरूम ले ले गया और पलंग पर पटक दिया।

मैं उसके होठ को चूसते हुए उसके चूचियों को दबाने लगा, तभी वो बोली दरवाजा बंद कर दो बाहर का भी और इस कमरे का भी. मैंने कहा अरे बाहर का पहले ही बंद कर चुका हु और उठकर मैंने बैडरूम का भी दरवाजा बंद कर दिया। उसके बाद तो क्या बताऊँ दोस्तों ब्लाउज का हुक खोल तुरंत भी ब्रा खोल दिया। ओह्ह्ह्ह गजब करीब ३४ साइज की चूचियां मेरे सामने पिरमिन्ड की तरह थी, छोटे छोटे निप्पल वो ही काले काले ओह्ह्ह्ह गजब लग रहा था और चूचिया बहुत ही ज्यादा टाइट थी, बहुत ही हॉट कह नहीं सकता दोस्तों मैंने बहुत लड़कियों को अपने बीवी को कॉल गर्ल को चोदा पर आज तक ऐसी चूची नहीं देखि ओह्ह्ह मैं तो निहाल हो गया।

मैंने तुरंत ही उसका साडी निकाल फेंका और फिर पेटीकोट ही खोल दिया लगे हाथ उसका पेंटी भी उतार दिया पर वो शर्मा गई और अपने हाथ से अपनी चूत को छिपा ली, मैंने कहा क्यों मेरी रानी शर्म आ रही है तो वो बोली हां, और मैं उसका हाथ हटा दिया और दोनों पैरो के बिच में बैठकर उसका चूत चाटने लगा वो ाः आह आह आह आह आह आह उफ़ आउच ओह ओह आ आ आह औ औ करने लगी, मैं चूत चाट रहा था और वो सिसकारियां भर रही थी, उसके चूत से पानी निकल रहा था और मैं साफ़ कर रहा था उसकी नमकीन पानी बहुत ही मजेदार लग रहा था। वो मेरे बाल को अपने हाथ से पकड़ रही थी और अपने चूत में सटा रही थी और मैं चाटे जा रहा था करीब दस मिनट तक उसके चूत को चाटता ही रहा तब तक वो दो बार पानी छोड़ चुकी थी।

उसके बाद मैं ऊपर गया और चूचिओं को जोर जोर से पिने लगा और फिर उसके होठ को और फिर गाल पर गर्दन पर वो भी मुझे अपने बाहों में भर ली और फिर क्या था करीब १० मिनट तक उसके जिस्मो से खेलते रहा और फिर चूत में ऊँगली किया वो आह कर उठी, दोस्तों पूजा की चूत काफी गरम हो चुकी थी, और फिसलन भी हो गया था। मैंने उसके टांगो को अलग अलग किया और अपना लौड़ा उसके चूत पर सेट किया और जोर से पेल दिया। वो दर्द से कराह उठी और कहने लगी निकालो बहुत दर्द हो रहा है, आपका लौड़ा बहुत मोटा है। मेरे पति का तो ऊँगली के इतना पतला है वो भी तुरंत निकल जाता है उसका वीर्य भी तुरंत निकल जाता है। मैंने फिर से जोर से धक्का दिया वो फिर से बोली ओह्ह मर जाउंगी जोर से मत चोदो। और फिर धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा और वो अब मजे लेने लगी।

फिर क्या था दोस्तों वो तो गरम हो गई और जोर जोर से अपने चूतड़ को उठा उठा कर चुदवाने लगी। मैं उसके चूचियों को मसलते हुए जोर जोर से चोदने लगा और होठ को चूसने लगा करीब दस मिनट तक ऐसे चोदा और उसको कुतिया बना कर कुत्ते की तरह चोदने लगा और आह आह आह कर मजे ले रही थी फिर उसके पैर को अपने कंधे पर लेके उसके चूत में लंड पेलने लगा। करीब एक घंटे तक चोदने के बाद मैं जहहद गया। फिर उसके चूचिओं को सहलाता रहा और फिर उतर दोनों ने कपडे पहने। फिर खाना मंगवाया होटल से खाना खाकर फिर दोनों सोने चले गए। रात भर मैं उसको चोदा। फिर क्या था आज दो महीने हो गए है उसको रोज चोदता हु। और अपने बीवी के तरह रखता हु, और उम्मीद है की इस महीने उसको प्रेग्नेंट भी कर दूंगा।
 
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घर के दरवाजे खुले हैं


मेरी इलेक्ट्रॉनिक आइटम की एक दुकान है मेरे दुकान में दो लोग काम करते हैं और मुझे अपनी दुकान को खोले हुए 5 वर्ष हो चुके हैं। मैं एक दिन अपनी दुकान से वापस लौट रहा था उस दिन मुझे कुछ काम था तो मैंने सोचा मैं जल्दी ही घर लौट जाता हूं। मैं घर जल्दी आया तो मैंने देखा मीना कहीं दौड़ती हुई जा रही थी मैंने मीना को आवाज देकर रोकने की कोशिश की लेकिन उसने कुछ सुना ही नहीं और वह चली गई मेरी समझ में नहीं आया की वह इतनी तेजी से दौड़ती हुई कहां जा रही थी। मैं जब घर पहुंचा तो मैंने अपनी पत्नी सुरभि से पूछा आज मैंने मीना को देखा वह ना जाने कहां इतनी तेजी से दौड़ती हुई जा रही थी उसने मेरी तरफ देखा तक नहीं। सुरभि कहने लगी बेचारी की तो किस्मत ही ठीक नहीं है पहले उसके पति ने उसे छोड़ दिया और अब उसका लड़का भी उसे परेशान करने पर तुला हुआ है।
मैंने सुरभि से कहा तुम क्या बात कर रही हो तो सुरभी कहने लगी हां मैंने सुना है कि उसका लड़का गलत संगत में पड़ गया है और वह बहुत ज्यादा नशा करता है जिसकी वजह से वह बहुत ज्यादा परेशान रहने लगी है। मीना को हम लोग काफी पहले से जानते हैं उसके पति और मेरे बीच में अच्छी दोस्ती थी लेकिन ना जाने ऐसा क्या हुआ कि वह उन्हें छोड़कर चला गया। सुरेश ने किसी और से शादी करली है और मीना अब अकेली है उस पर उसके लड़के की जिम्मेदारी भी है उसके लड़के की उम्र ** वर्ष की है लेकिन वह गलत संगत में पड़ चुका है जिस वजह से मीना टेंशन में रहने लगी है। मैंने सुरभि से कहा तुम कभी मीना से इस बारे में बात करना यदि तुम उससे बात करोगी तो उसे अच्छा लगेगा सुरभि कहने लगी हां मैं मीना से मिलती हूं। मेरी पत्नी सुरभि बहुत ही समझदार है, वह अगले दिन मीना से मिली जब वह अगले दिन मीना से मिली तो उसने मीना को समझाया लेकिन मीना अपने दुखों से बहुत ज्यादा परेशान थी वह कहने लगी कि जब से सुरेश ने मुझे छोड़ा है तब से तो मेरी जिंदगी जैसे बद से बदतर होती चली जा रही है। आकाश भी अब हाथ से निकल चुका है और वह ना जाने किसके संगत में है वह बहुत नशा करने लगा है और मैं बहुत परेशान भी हो गई हूं अभी उसकी उम्र भी इतनी नहीं है कि वह कुछ समझ सके लेकिन मैं जो चाहती थी शायद वह कभी पूरा नहीं हो पाएगा।
मैं चाहती थी कि आकाश पढ़ लिख कर एक बड़ा आदमी बने और वह अपने जीवन में कुछ अच्छा करे लेकिन वह तो हमें ही मुसीबत में डालता जा रहा है। जब यह बात मुझे सुरभि ने बताई तो मैंने सुरभि से कहा तुम चिंता मत करो मैं इस बारे में सुरेश से बात करता हूं, सुरेश से अभी भी मेरी बात होती है लेकिन वह दूसरी जगह रहता है। मैंने सुरेश को एक दिन फोन किया और उसे कहा मुझे तुमसे मिलना था सुरेश मुझे कहने लगा ठीक है मैं तुमसे मिलने के लिए आता हूं सुरेश मुझसे मिलने के लिए आया। जब वह मुझसे मिलने के लिए मेरी शॉप में आया तो मैंने सुरेश को कहा देखो सुरेश तुमने जो मीना के साथ किया वह तुम्हारा आपसी मामला था लेकिन उसके चलते आकाश तुम दोनों के बीच में पिस रहा है तुम्हें आकाश का ध्यान देना चाहिए तुम्हें मालूम भी है की आकाश गलत संगत में पड़ चुका है। ना जाने वह कैसे कैसे लड़कों के साथ रहता है मीना बहुत ज्यादा परेशान रहती है तुम्हें उसका साथ देना चाहिए। सुरेश को भी मेरी बातों का थोड़ा बहुत असर हुआ और वह कहने लगा तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो मुझे ही आकाश से बात करनी पड़ेगी, थोड़ी देर बाद सुरेश मेरी शॉप से चला गया। अगले दिन सुरेश ने मुझे फोन किया और कहा अमित क्या तुम मेरे साथ चल सकते हो मैंने सुरेश से कहा क्यों नहीं हम दोनों आकाश के स्कूल में चले गए। आकाश के लंच के वक्त जब सुरेश और मैं आकाश से मिले तो आकाश सुरेश को देखते ही वहां से बचने की कोशिश करने लगा और वह वहां से अपनी क्लास की तरफ जाने लगा लेकिन मैंने उसे आवाज देते हुए कहा कि बेटा मुझे तुमसे कुछ काम था। आकाश रुक गया क्योंकी वह मेरी बहुत इज्जत करता है, आकाश कहने लगा आप इन्हें कह दीजिये की यहां से चले जाएं मुझे इनकी शक्ल तक नहीं देखनी है और मुझे इनसे कोई बात भी नहीं करनी है।
आकाश के दिल में सुरेश के लिए बहुत ज्यादा नफरत थी और वह सुरेश को बिल्कुल भी पसंद नहीं करता था सुरेश और मीना की गलती आकाश भुगत रहा था लेकिन मैंने उसे समझाया और कहां बेटा देखो बड़ों से ऐसे बात नहीं की जाती हमें तुमसे कुछ बात करनी थी। आकाश मेरी बात मान गया और हम लोग आकाश से बात करने लगे आकाश को जब सुरेश ने कहा कि बेटा मैंने सुना है कि तुम आजकल मम्मी को बहुत ज्यादा परेशान कर रहे हो और तुम्हारी वजह से वह बहुत परेशान रहने लगी है। आकाश कहने लगा आपने तो अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया है और अब आपको मेरे और मां के बीच में बोलने की कोई जरूरत नहीं है। मैंने आकाश को समझाया और कहा देखो बेटा तुम्हारे पिताजी और तुम्हारी मां के बीच में जो भी झगड़े थे वह सब बातें अब तुम भूल जाओ तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो। मैंने उसे समझाया तुम गलत संगत में पड़ रहे हो जिसकी वजह से तुम्हारी मां बहुत परेशान रहने लगी है उसका तुम्हारे सिवा इस दुनिया में आखिर है कौन इसलिए तुम्हें उसकी देखभाल करनी चाहिए और उसकी बातों को मानना चाहिए। शायद मेरी बातों का आकाश पर कुछ असर पड़ रहा था फिर सुरेश ने भी उसे समझाया तो आकाश पर हमारी बातों का थोड़ा बहुत असर तो पड़ा ही था उसके बाद उसने अपने दोस्तों की दोस्ती छोड़ दी और अब वह पढ़ाई पर ध्यान देने लगा था।
मैं एक दिन मीना से मिलने के लिए उसके घर पर गया उस दिन आकाश भी घर पर ही था मैंने आकाश से पूछा बेटा तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है तो वह कहने लगा मेरी पढ़ाई तो ठीक चल रही है और अभी मैं खेलने के लिए जा रहा था। मैंने आकाश से कहा तुम कहां जा रहे हो वह कहने लगा कि हम लोग फुटबॉल खेलने के लिए जा रहे हैं और फिर वह चला गया जब वह गया तो मैंने मीना से पूछा अब तो आकाश ठीक है ना मीना कहने लगी मैं आपका एहसान कैसे चुका सकती हूं। मैंने मीना से कहा इसमें एहसान की क्या बात है आकाश गलत रास्ते पर था तो मैंने उसे समझाया और सुरेश ने भी उसे समझाया, मीना आकाश से भीत प्यार करती थी। मीना ने मुझे कहा आपने हमारी हमेशा ही मदद की है और सुरभि भी मुझे हमेशा समझाती रहती है आप लोग मेरा बहुत बड़ा सहारा हो। मैंने मीना से कहा तुम्हारे ऊपर अब आकाश की जिम्मेदारी है और तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है हमसे जितना हो सकेगा हम लोग आकाश के लिए उतना करेंगे। मीना कहने लगी आपने अपनी दोस्ती का फर्ज बखूबी निभाया है लेकिन सुरेश ने मेरे साथ बहुत बड़ा धोखा किया मैंने मीना से कहा तुम यह सब बातें भूल जाओ और आकाश की पढ़ाई पर ध्यान दो। तुम कोशिश करो कि वह अच्छे से पढ़ाई कर सके ताकि वह अपने जीवन में आगे बढ़ सके, मैंने मीना से कहा मैं अभी चलता हूं और मैं वहां से चला गया। मीना बहुत ज्यादा परेशान रहती थी लेकिन उसे मेरा और सुरभि का बहुत सपोर्ट मिलता था काफी समय हो चुका थे मैं मीना से नहीं मिला था। मैं जब मीना से मिलने के लिए जा रहा था तभी आकाश मुझे दिखा मैंने आकाश से पूछा क्या मम्मी घर पर है तो वह कहने लगे हां मम्मी घर पर ही हैं।
मैं जैसे ही घर के अंदर गया तो मैंने जब घर का नजारा देखा तो मै देखकर दंग रह गया मीना अपनी चूत पर तेल लगा रही थी और वह केले को अपनी चूत में ले रही थी मैं यह देखकर दंग रह गया। मीना ने भी मुझे देख लिया था वह शर्माने लगी लेकिन उसके स्तन और उसकी बड़ी गांड को देख कर मैं अपने आप पर काबू नहीं कर पाया और जैसे ही मैं अंदर गया तो मैंने मीना की चूत मे उंगली डाली तो वह मचलने लगी और उसे बहुत मजा आने लगा। मैंने मीना से कहा तुम्हारी चूत तो बड़ी रसीली है उसने मेरे लंड को बाहर निकाला वह मेरे लंड को देखकर कहने लगी आपका लंड भी तो कम नहीं है। मैंने उसे कहा तुम मेरे लंड को अपनी चूत में लोगी तो वह कहने लगी क्यों नहीं इतने बरसों से मेरी चूत सूनी पड़ी है। उसने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर ले लिया वह उसे चूसने लगी जब वह मेरे लंड को चुसती तो उसे बहुत मजा आता और मुझे भी बहुत आनंद आ रहा था।
मैंने जैसे ही मीना की चूत के अंदर अपने लंड को डाला वह चिल्लाने लगी और मैं बड़ी तेजी से उसे धक्के देने लगा मुझे उसकी चूत मारने में बड़ा मजा आ रहा था। जब मैं उसे धकके देता तो उसे भी बड़ा आनंद आता काफी देर तक मैं उसे धक्के मारता रहा। उसके अंदर की गर्मी को मैंने शांत करने की कोशिश की लेकिन उसके अंदर की गर्मी शांत ही नहीं हो रही थी जैसे ही मैंने अपने लंड पर तेल लगाया और मीना की गांड के अंदर डाला तो वह कहने लगी अब मजा आ रहा है। मुझे उसकी गांड मारने में बड़ा मजा आता मैं तेजी से उसे धक्के दिए जा रहा था मैंने उसकी गांड के मजे बड़े ही अच्छे से लिए जैसे ही उसकी गांड के अंदर मेरा वीर्य गिरा तो वह मुझे कहने लगी मुझे आज मजा आ गया। आपने मेरा कितना साथ दिया है और आज आपने मुझे खुश कर दिया है मैंने उसे कहा मुझे नहीं मालूम था कि तुम इतनी सेक्सी हो और तुम कितना तड़प रही थी यदि तुम मुझे पहले इस बारे में कहती तो मैं तुम्हारी इच्छा कब की पूरी कर चुका होता। मीना कहने लगी आपका जब भी मन हो तो आप आ जाइएगा आपके लिए हमेशा घर के दरवाजे खूले है जब चाहे आप मुझे चोद लीजिएगा।
 
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गांव की पटाखा भाभी के साथ सेक्स



मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूं मेरे पिताजी चाहते हैं कि मैं उनके साथ उनके कारोबार को संभालू मेरे पिताजी का ज्वेलरी का बिजनेस है और वह चाहते हैं कि मैं उनका बिज़नेस आगे बढ़ाऊँ। मैंने अपने पिताजी को कभी भी मना नहीं किया लेकिन मुझे लगता है कि शायद अभी मैं उनके बिजनेस को संभाल नहीं सकता क्योंकि मैं चाहता हूं कि मैं अपने जीवन को पहले अच्छे से जी लूं उसके बाद तो ना जाने कभी मुझे समय मिल भी पाएगा या नहीं। मैं अपने पापा को हमेशा देखता हूं तो वह बहुत बिजी रहते हैं वह अपने लिए समय भी नहीं निकाल पाते। मुझे कई बार लगता है कि उन्होंने अपने जीवन में बहुत ज्यादा मेहनत की है लेकिन उसके बावजूद भी उन्होंने शायद अपने लिए समय नहीं निकाला जो उन्हें निकालना चाहिए था।
मुझे मेरे दोस्त अक्षय का फोन आया वह कहने लगा यार मैं घूमने का प्लान बना रहा था तो क्या तुम मेरे साथ चलोगे। मैंने उसे कहा लेकिन तुम घूमने का प्लान कहां बना रहे हो वह कहने लगा मैं सोच रहा था कि हम लोग बुलेट से जयपुर जाए और जयपुर जाते वक्त बीच में ही मेरा गांव पड़ता है तो हमें रुकने की भी कोई दिक्कत नहीं होगी। मैंने अक्षय से कहा ठीक है लेकिन हम लोगों को जाना कब है वह कहने लगा हम अगले हफ्ते तक निकलते हैं और जल्दी वापस लौट आएंगे। मैंने उसे कहा लेकिन हम लोग जल्दी वापस आ जाएंगे ना, वह मुझे कहने लगा हम लोग जल्दी वापस लौट आएंगे तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो। हम लोग वहां से जाने की पूरी तैयारी करने लगे मैं और अक्षय मिले थे तो हम दोनों ने पूरी प्लानिंग बना ली कि हम लोग कौन से रूट से जाने वाले हैं और कितने दिनों तक हम लोग वहां रुकने वाले हैं। अक्षय ने मुझे कहा कि हम लोग जाते वक्त मेरे गांव में रुकेंगे और आते वक्त भी उस रास्ते से वापस लौट आएंगे मैंने कहा ठीक है चलो इस बहाने तुम्हारे गांव को भी देख लेंगे। अक्षय और मैं बचपन के दोस्त हैं हम दोनों की दोस्ती बहुत गहरी है अक्षय का परिवार मेरे पूरे परिवार को अच्छे से जानता है अक्षय के पिताजी वकील है।
एक बार मेरे पिताजी की दुकान को लेकर भी कोई दिक्कत हुई थी तो अक्षय के पिताजी ने हीं उसमें मेरे पिताजी की बहुत मदद की थी इस वजह से उसके परिवार और मेरे बीच में काफी घनिष्ठता है। अब हम दोनों ने घूमने का प्लान बना लिया था और हम लोग सुबह ही निकल पड़े सुबह का मौसम बड़ा सुहाना था उस वक्त अहमदाबाद में काफी गर्मी हो रही थी लेकिन सुबह का मौसम बहुत बढ़िया था। हम लोग सुबह के वक्त यहां से जयपुर के लिए निकल पड़े हम लोग अक्षय की बुलेट से ही जयपुर के लिए निकले थे। हम दोनों बात कर रहे थे और रास्ते का मालूम ही नहीं पड़ा कि कब रास्ता निकलता जा रहा है हम लोग सुबह 6:00 बजे घर से निकले थे हम लोगों को चलते हुए करीब 4 घंटे हो चुके थे। मैंने अक्षय से कहा यार बहुत तेज भूख लग रही है कहीं पर कुछ खा लेते हैं अक्षय कहने लगा ठीक है मैं कहीं अच्छी सी जगह देख कर वहां पर बुलेट लगा देता हूं वहां पर हम लोग कुछ खा लेंगे। कुछ दूर चलने के बाद एक ढाबा दिखाई दिया जब वह डाबा दिखाई दिया तो उस वक्त मैंने अक्षय से कहा यहीं पर रोक लो अक्षय ने बाइक को ढाबे के बाहर पर लगा दिया और हम दोनों वहां बैठ गए। हम लोगों ने नाश्ते का ऑर्डर किया और हम लोग नाश्ते का इंतजार करने लगे हम दोनों आपस में बात कर रहे थे तभी अक्षय ने मुझे बताया कि उसके मामा जी के लड़के ने कुछ दिनों पहले अपने स्कूल में टॉप किया है। मैने अक्षय से कहा तुम्हारे मामा जी का लड़का तो पढ़ने में बहुत अच्छा है वह बहुत मेहनती भी है क्योंकि मैं भी उससे एक दो बार मिला हुआ था इसलिए मैं उसे अच्छे से जानता हूं। हम दोनों बात कर रहे थे तब तक नाश्ता भी आ चुका था हम दोनों ने नाश्ता किया हम लोग वहां पर करीब एक घंटे तक रुके। एक घंटे तक रुकने के बाद हम लोगों के अंदर दोबारा से वही एनर्जी आ चुकी थी और हम लोग वहां से निकल पड़े क्योंकि अक्षय भी काफी थक चुका था तो मैंने उससे कहा अब यहां से आगे मैं बुलेट चलाता हूं।
उसके आगे मैं हीं बुलेट चलाने लगा धीरे धीरे सफर कटता जा रहा था और रास्ते में कोई भी परेशानी नहीं हुई परन्तु एक जगह बुलेट में कुछ दिक्कत आ गई थी तो हम लोगों को वहां पर मैकेनिक भी मिल चुका था और उसने वह दिक्कत भी दूर कर दी। हम लोग जब अक्षय के गांव में पहुंचे तो अक्षय मुझे कहने लगा यहां पर हम लोग दो दिन रुकेंगे दो दिन तक हमारा गांव में रुकने का प्लान था क्योंकि अक्षय का जुड़ाओ गांव से बहुत ज्यादा है। मैं अपने गांव कभी नहीं गया मैं बचपन से अहमदाबाद में रहा हूं गांव मैं कभी गया ही नहीं। अक्षय के गांव में उसके चाचा चाची जी अभी भी रहते हैं और हम लोग उनके साथ रुकने वाले थे। अक्षय के चाचा जी गांव में खेती का काम संभालते हैं और उनके बच्चे उन्ही के साथ काम करते हैं मुझे बहुत अच्छा लगा जब अक्षय के गांव में मैं रुका उन लोगों ने हमारी बड़ी खातिरदारी की। अक्षय को वह लोग बहुत प्यार करते हैं अक्षय ने मुझे बताया कि कैसे बचपन में जब वह गांव में आता था तो चाचा चाची उसका ख्याल रखते थे। गांव में मुझे अक्षय ने और भी लोगों से मिलवाया उसके चाचा जी के घर के बगल में ही एक भैया रहते हैं उनका नाम माधव है वह भी बहुत अच्छे हैं उनके परिवार में उनकी पत्नी और उनके दो छोटे बच्चे हैं। उनका भी गुजारा गांव में खेती कर के ही चलता है माधव भैया बहुत ही अच्छे हैं और उनके साथ में समय बिताना हमे बहुत अच्छा लगा।
हम लोग गांव में दो दिन तक रुके और उसके बाद हम लोग वहां से जयपुर चले गए जयपुर पहुंचकर हम लोगों ने आराम किया और जयपुर में हम लोगों के लिए शाम बिताना बड़ा ही मजेदार रहा। हम लोगों ने वहां पर बहुत एंजॉय किया और जमकर मस्ती की सब कुछ बहुत ही अच्छे से रहा जयपुर में अक्षय के कोई रिस्तेदार भी रहते हैं उन से भी हम लोग वहां मिले थे। जब उनसे हमारी मुलाकात हुई तो उन्होंने हमें बताया की उनकी शादी कुछ महीनों बाद है तो वह कहने लगे कि तुम लोगों को मेरी शादी में जरूर आना है। अक्षय ने कहा कि भैया हम लोग आपकी शादी में जरूर आएंगे उसके बाद हम लोग वहां से गांव लौटने के लिए निकल पड़े। जब हम लोग वहां से गांव के लिए निकले तो हमने देखा कि रास्ते टायर में हवा कम है मैंने अक्षय से कहा मुझे लग रहा है कि हवा काफी कम है तो हवा भरवादी जाए। जब हम लोग हवा भरवाने के लिए गए तो वहां मालूम पड़ा कि टायर पंचर हुआ है तो हम लोगों ने टायर का पंचर लगवाया। वहां पर करीब हम लोगों को आधे घंटे तक रुकना पड़ा और आधे घंटे बाद हम लोग वहां से निकल पड़े रास्ते में ही हम लोगों ने कुछ खा लिया था। उसके बाद हम लोग जब अक्षय के गांव पहुंचे तो उस वक्त रात काफी हो चुकी थी उसके चाचा चाची ने हमारे लिए खाना बना दिया था और हम लोग रात का खाना खाने के बाद अपने कमरे में आराम करने के लिए चले गए। अगले दिन सुबह हम लोग उठे तो हम लोग नाश्ता करने लगे उसके बाद माधव भैया जब मिले तो वह पूछता है तुम्हारा जयपुर का सफर कैसा रहा। हम लोगों ने कहा हमारा जयपुर का सफर बड़ा शानदार रहा तभी उनकी पत्नी भी आ गई वह बड़ी प्यासी नजरों से मुझे देख रही थी। वह जब मुझे देखती तो मैं समझ चुका था कि उनके दिल में कुछ तो चल रहा है उस रात आखिरकार मुझे मौका मिल गया।
मैंने जब उनको अपनी बाहों में लिया तो उनके बड़े स्तन बाहर आने के लिए बेताब थी, वह पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगी। मैंने उनकी साड़ी को उठाया और उनके योनि के अंदर उंगली डाल दी मैंने अपनी उंगली को उनकी चूत के अंदर डाला तो वह पूरी तरीके से उत्तेजना मे आने लगी। मैंने उनके ब्लाउज के बटन को खोलते हुए उनके स्तनों को बाहर निकाल लिया और उन्हें बड़े अच्छे से चूसने लगा मुझे बड़ा मजा आ रहा था जिस प्रकार से मै उनके स्तनों का रसपान कर रहा था। हम दोनों के बदन से गर्मी बाहर निकलने लगी वह भी अपने आप पर बिल्कुल काबू ना कर सकी उन्होंने मुझे कहा आपकी चूत में अपने लंड को डाल दूं, मैंने उन्हें घोडी बनाया और उनकी चूत पर अपने लंड को रागडना शुरू किया तो वह मचलने लगी उनकी योनि से पानी बाहर की तरफ निकलने लगा वह पूरी तरीके से जोश में आ गई। मैंने जैसे ही अपने लंड को उनकी योनि के अंदर प्रवेश करवाया तो वह मचलने लगी और मुझे कहने लगी मुझे बड़ा मजा आ रहा है तुम ऐसे ही मुझे धक्के देते रहो।
मैं उनको धक्के मारता तो उनके मुंह से मादक आवज निकलती और वह मेरा पूरा साथ देती। मुझे उनको धक्के मारने में काफी मजा आ रहा था वह आपनी चूतडो को मुझसे मिलाए जा रही थी। उन्होंने मुझे कहा तुम्हारा लंड बहुत ज्यादा मोटा है तुम्हारे अंदर बात है तुमने इससे पहले भी क्या किसी के साथ सेक्स किया है। मैंने उन्हें कहा हां मैंने बहुत लड़कियों के साथ सेक्स किया है लेकिन आपकी चूत के मुकाबले उनकी चूत में दम नहीं था आपके अंदर बड़ी गर्मी है। वह इस बात से खुश हो गई और अपने चूतडो को मुझसे मिलाने लगी काफी देर तक ऐसा ही चलता रहा जैसे ही उनके अंदर की गर्मी बाहर आने लगी तो वह मुझसे कहने लगी अब में झड़ चुकी हूं मेरे बस की बात नहीं है। मैं उन्हें बड़ी तेज गति से धक्के मारता रहा और उनकी इच्छाओं को मैंने बड़े ही अच्छे से पूरा किया जिससे कि वह खुश हो गई थी। वह मुझे कहने लगी मुझे बड़ा मजा आ रहा है मैंने काफी देर तक उनकी चूत से पानी बाहर निकाल कर रख दिया था उनकी इच्छा को पूरी तरीके से शांत कर दिया। हम लोग अहमदाबाद लौट चुके हैं लेकिन भाभी की यादें अब भी मेरे दिल में है।
 
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एक रात के पति बन जाओ


मेरे और मेरे पति मोहन के बीच में हमारे गृहस्थ जीवन और हम दोनों के आपसी सहयोग से हमारा परिवार खुश था। हर रोज सुबह मैं अपने घर के छोटे से बगीचे में पानी डाला करती और मेरे पति मोहन अखबार पढ़ा करते थे हमारे आसपास का माहौल बड़ा ही शांत था। कुछ समय पहले हमारे पड़ोस में रहने के लिए एक नवविवाहित जोड़ा आया उन लोगों से हमारी ज्यादा बातचीत तो नहीं थी लेकिन उन्हें एक दो बार मैंने आते जाते देखा था। मेरे पति मोहन तो आस पड़ोस में किसी से भी ज्यादा बातचीत नहीं किया करते थे क्योंकि इनका स्वभाव बिल्कुल भी ऐसा नहीं है और वह काफी कम बात किया करते हैं। इसी बीच हमारे पड़ोस में रहने वाले नवविवाहित जोड़ा जो कि काफी मॉडर्न था उनके घर में सुबह से ही बड़ा शोर खराब होता रहता था जिस वजह से हमारे आसपास के सब लोग परेशान हो जाया करते थे।
मैं काफी दिन तक तो यह सब सुनती रही लेकिन एक दिन जब मैं उनके घर पर गई तो मैंने उनकी घर की डोर बेल बजाई जब दरवाजा खुला तो सामने से एक लड़की आई वह मुझे कहने लगी हां दीदी कहिये। मैंने उन्हें कहा मेरा नाम अंकिता है मैं यही पड़ोस में रहती हूं तो वह कहने लगी कि हां दीदी मैंने आपको कई बार देखा है आइए ना आप अंदर बैठिये। मैं उनके घर के अंदर चली गई और मैं सलूजा से बात करने लगी सलूजा मुझे कहने लगी दीदी आप चाय लेंगे क्या मैंने उन्हें कहा नहीं चाय रहने दीजिए। मैं सलूजा से बात कर ही रही थी कि तभी उसके पति बाथरूम से बाहर निकले उन्होंने सलूजा से कहा सलूजा मेरे लिए नाश्ता लगा देना मुझे ऑफिस निकलना है। सलूजा मुझे कहने लगी दीदी बस अभी आई आप 10 मिनट बैठिये सलूजा रसोई में चली गई और उसने अपने पति के लिए नाश्ता लगाया उसके बाद उसके पति भी ऑफिस चले गए। सलूजा के पति का नाम रजत है मैंने सलूजा से कहा की सलूजा देखो हमें तुम लोगों के यहां रहने से कोई परेशानी नहीं है लेकिन सुबह के वक्त जो तुम्हारे घर से शोर शराबे की आवाज आती है उससे सब लोग काफी परेशान हो जाया करते हैं।
सलूजा ने मुझे मुस्कुराते हुए जवाब दिया और कहा दीदी दरअसल मैं एक डांस एकेडमी चलाती हूं और उसके लिए मैं हर सुबह अपने घर पर प्रैक्टिस करती हूं हो सकता है कि आप लोगों को उसकी वजह से परेशानी होती हो इसलिए मैं कल से ऐसा नहीं करूंगी। सलूजा बड़ी ही समझदार और अच्छी महिला हैं मैंने सलूजा से कहा तो वह एक बार में ही समझ गई और मुझे कहने लगी दीदी आप कुछ लेंगे। मैंने सलूजा से कहा नहीं अभी तो मैं तुमसे चलती हूँ फिर कभी तुमसे मुलाकात करूंगी यह कहते हुए मैं अपने घर चली आई। मैं जब अपने घर आई तो घर की साफ-सफाई का काम मैंने अधूरा ही छोड़ दिया था तो मैं घर की साफ सफाई का काम करने लगी। काफी दिनों से मेरे दो तीन गमले टूटे हुए थे तो मैं सोचने लगी कि मैं गमले ले आती हूं उस दिन मैं अपनी स्कूटी से गमले लेने के लिए चली गई। हमारे घर से कुछ दूरी पर ही एक गमले वाला रहता है उसके पास से मैं हमेशा ही गमले लेते रहती हूं मैंने उससे कहा कि भैया गमले कितने के है तो वह कहने लगा मैम साहब सौ का एक गमला मिलेगा। मैंने उसे कहा पिछली बार तो मैं तुम से अस्सी रुपए में ले गई थी अभी तुमने बीस रुपये बढ़ा दिए यह तो बिल्कुल भी ठीक नहीं है। वह गमले वाला मेरी तरफ देख कर कहने लगा मेम साहब अब महंगाई भी तो हो गई है और इतनी कड़कती हुई धूप में भी तो मैं खड़ा रहता हूं कम से कम आप उसका तो लिहाज कीजिए। मुझे भी गमले वाले को देखकर दया आई और मैंने उसे कहा ठीक है तुम मुझे दो गमले देदो मैंने दो गमले उससे ले लिए उसने मेरी स्कूटी के आगे पर वह गमले रखे और मैं उन्हें लेकर घर चली आई। मैंने देखा कि दो बजने वाले थे और मेरे बच्चों की भी छुट्टी होने वाली थी वह लोग भी स्कूल से आने ही वाले थे तो मैंने उन लोगों के लिए दोपहर का खाना तैयार कर दिया और उसके बाद वह लोग भी आ गए। अब मैं खाना बना चुकी थी तो मैंने अपने बच्चों को खाना खिलाया और उसके बाद वह कुछ देर के लिए सो गए शाम के 5:00 बजे ही वह लोग खेलने के लिए चले गए।
मैं घर पर ही थी तभी हमारे पड़ोस में रहने वाली भाभी हमारे घर पर आ गई वह मुझसे कहने लगी अंकिता तुम तो काफी दिनों से हमारे घर पर नहीं आई हो। मैंने भाभी से कहा हां भाभी दरअसल आजकल समय ही नहीं मिल पाता है इसलिए मैं कहीं भी नहीं जा पाती हूं वह कहने लगी कम से कम तुम हमारे घर पर तो आ ही सकती हो। मैंने उन्हें कहा मैं सोच तो रही थी कि आप से मिलने आऊं लेकिन समय ही नहीं मिल पाता है। वह मुझसे इधर-उधर की बातें करने लगी तभी उन्होंने मुझसे सलूजा की बात की वह कहने लगी की सलूजा तो बड़े मॉडर्न ख्यालातों की है और वह कपड़े भी बड़े मॉडर्न पहनती है कुछ दिनों से उसके घर से सुबह बड़ी तेज आवाज आ रही है। मैंने भाभी को बताया और कहा हां भाभी मुझे भी इस बात से परेशानी रहती थी तो मैंने एक दिन सलूजा से इस बारे में बात की थी उसने मुझे कहा की अब आगे से ऐसा नहीं होगा। मैंने जब भाभी को बताया कि वह अपना डांस एकेडमी चलाती है तो भाभी कहने लगे अच्छा वह डांस अकैडमी चलाती है। उन्हें जैसे यह बात सुनकर कोई सा तमाचा लगा हो वह इस बात से काफी चौक गयी और कहने लगी कि अभी मैं चलती हूं मैं तुमसे मिलने के लिए आऊंगी। भाभी चली गई थी और मेरा बेटा मेरे पास आया और कहने लगा मम्मी मुझे डांस सीखना है मेरे बेटे की उम्र यही कोई 10 वर्ष के आसपास है मैंने उसे कहा ठीक है मैं तुम्हारे पापा से इस बारे में बात करूंगी।
वह मुझसे जिद करने लगा और कहने लगा स्कूल में मेरे दोस्त भी डांस क्लास जाते हैं तो क्या आप मुझे नहीं भेज सकती। मैं अपने बेटे को मना ना कर सकी तभी मुझे उस वक्त सलूजा का ध्यान आया मैं अपने बेटे को लेकर सलूजा के पास गई मैंने सलूजा से इस बारे में पूछा क्या तुम मेरे बेटे को डांस सिखा सकती हो। वह कहने लगी दीदी क्यों नहीं आप इसे मेरे एकेडमी में भेज दिया कीजिए लेकिन मैंने सलूजा से कहा कि क्या तुम उसे घर पर डांस नहीं सिखा सकती हो। वह कहने लगी दीदी मैं देखती हूं मैं इस बारे में कुछ कह नहीं सकती लेकिन मैं कोशिश करूंगी। आखिरकार सलूजा मेरे बेटे को घर पर डांस सिखाने के लिए तैयार हो गई और वह घर पर ही उसे डांस सिखाया करती थी। मेरी सलूजा के साथ अब काफी अच्छी दोस्ती हो चुकी थी और उसका नेचर भी काफी अच्छा था। सलूजा और मेरी अच्छी दोस्ती हो चुकी थी लेकिन सलूजा के पति रजत की नियत मुझे कुछ ठीक नहीं लगती थी वह कई बार मुझ पर गंदी नजर मारता। मुझे बिल्कुल भी पता नहीं था कि सलूजा के पति के हमारे ही मोहल्ले में और भी महिलाओं से संबंध है। जब मुझे इस बारे में पता चला तो मैं पूरी तरीके से चौक गई लेकिन रजत के अंदर कोई तो बात थी जिसके लिए उसके और हमारे मोहल्ले की औरतें रजत के पीछे पागल थी। मैं चाहती थी राजत के साथ में एक रात बताऊ मैंने रजत पर डोरे डालने शुरू कर दिए। मैं जब भी सलूजा के पास जाती तो मेरी मुलाकात रजत से हो ही जाती थी और रजत भी मेरी तरफ ध्यान से देखा करते। मैंने रजत को अपना मोबाइल नंबर दे दिया एक दिन रजत और मेरी बात फोन पर हो रही थी उस वक्त सलूजा आ गई इसलिए हम दोनों ने मैसेज के माध्यम से बात की लेकिन अगले ही दिन मैंने रजत को अपने घर पर बुला लिया।
रजत घर पर आया तो उस दिन घर पर कोई भी नहीं था मुझे बहुत अच्छा मौका मिल चुका था मैंने भी रजत के साथ सेक्स संबंध स्थापित करने के बारे में पूरा मन बना लिया था और आखिरकार हम दोनों के बीच सेक्स संबंध बन ही गए। रजत ने जब मेरी साड़ी को उतारकर मेरे पेटिकोट को उतार दिया तो वह मुझे कहने लगा भाभी आपकी जालीदार पैंटी तो बड़ी सेक्सी है। मैंने उसको कहा यह मेरे पति ने मुझे गिफ्ट दिया है रजत ने मेरी पैंटी फाडते हुए मुझे कहा मैं आपको नई ला कर दे दूंगा। मै अंदर ही अंदर बहुत खुश थी रजत ने मेरी योनि के अंदर अपनी उंगली को प्रवेश करवा दिया। रजत अपनी उंगली को मेरी योनि के अंदर बाहर करता जा रहा था जब रजत ने मेरे स्तनों को दबाना शुरू किया तो उसने मेरे ब्लाउज को खोलते हुए मेरी ब्रा उतार दी। रजत ने मेरे स्तनों का रसपान करना शुरू कर दिया था जिससे कि मेरे अंदर की गर्मी और भी अधिक होने लगी थी मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगी थी।
मेरी उत्तेजना की सीमा बढ़ने लगी जैसे ही उसने अपने मोटे लंड को बाहर निकाला तो मैंने भी उसके लंड को चूस चूस कर उसका पानी बाहर निकाल दिया। मैंने रजत को कोई कमी महसूस नहीं होने दी रजत पूरी तरीके से खुश हो चुका था जैसे ही रजत ने मेरी योनि के अंदर अपने मोटे लंड को प्रवेश करवाया तो मैंने कहा तुम्हारा लंड बड़ा ही मोटा है मैं चाहती थी कि तुम्हारे साथ एक रात बिताऊ और आखिरकार तुम्हारे साथ एक रात बिताने का मुझे मौका मिल ही गया। रजत ने मेरे दोनों पैरों को खोल कर मुझे बहुत देर तक धक्के दिए लेकिन जैसे ही रजत ने अपने वीर्य को मेरी चूत पर गिराया तो उसके बाद रजत ने मेरी गांड के अंदर भी अपने लंड को प्रवेश करवा दिया। पहली बार ही किसने मेरी गांड मारी थी लेकिन उस दिन मुझे बड़ा मजा आया और एनल सेक्स का अनुभव मैंने पहली बार ही लिया। मेरे लिए एक अद्भुत फिलिंग थी जिस प्रकार से मैंने एनल सेक्स का मजा लिया उससे मुझे एनल सेक्स करने की आदत हो गई हालांकि उसके बाद रजत के साथ मेरे शारीरिक संबंध कभी नहीं बने लेकिन अब मुझे अपनी गांड मरवाने का शौक हो चुका है।
 
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मकानमालिक की जवान बीवी- 1


आंटी लव एंड सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि मैं किराये के फ्लैट में रहता था. मकानमालिक की बीवी जवान थी. उसने मेरे साथ दोस्ती कैसे की और वो कैसे मेरे पास आयी?

Lustyweb के पाठकों के लिए एक मेरी सच्ची आंटी लव एंड सेक्स स्टोरी पेश है.

प्रिय पाठकों, मेरा नाम अमित है. मैं दिल्ली में रह कर पढ़ाई और नौकरी कर रहा हूँ. कृपया आंटी लव स्टोरी की गलतियों को नजरअंदाज करते हुए मजा लें.

मैं छब्बीस वर्ष का पुरुष हूँ. मेरी लम्बाई 6 फुट 5 इंच है, मेरा शरीर मांसल है, मैं नियमित रूप से दौड़ लगाना और वज़न उठाने वाले व्यायाम करता हूँ.

एक दिन मैं अपनी कुर्सी पर बैठा झूल रहा था, तभी मेज़ पर रखा फ़ोन एक बार बजा. शायद कोई नोटिफिकेशन आया था.
देखा तो स्क्रीन पर ‘One new message.’ लिखा हुआ आया.

मैंने फ़ोन उठा कर उसको अनलॉक किया और देखा कि मेरे मकान मालिक का मैसेज है. उसमें अंग्रेजी में लिखा था, जिसको मैं हिंदी में लिख रहा हूँ. मैसेज था कि कृपया मार्च 2020 का किराया मेरे बैंक खाते में आज शाम तक डिपोजिट कर देवें.

मुझे इस मैसेज को पढ़ कर एकदम से गुस्सा आया और दिमाग में चलने के साथ ही मैं बुदबुदाने लगा कि इस भोसड़ीवाले का अलग रंडी रोना है.

मैंने फ़ोन लॉक करके अपनी जेब में रखा और कंप्यूटर शटडाउन कर दिया. अब मैं अपना बैग और हेलमेट उठा कर चल दिया.

‘अमित, तुम्हारा प्रपोजल लेट होता जा रहा है, ऐसे नहीं चलेगा.’
पीछे से सहारन सर की आवाज़ आयी.

इस आवाज को सुनकर मैं फिर मन में ही खुद से बोला- अबे यार … ये साला घर से बाहर निकलते टाइम क्यों टोकता है.

मैं अपनी मुट्ठियां भींचता हुआ रुक गया.

‘सर, प्रपोजल ऑलमोस्ट रेडी है, मैं कल शाम 4 बजे तक आपको दिखाता हूँ.’ मैं सहारन सर की तरफ देख कर बोला.

‘ठीक है, देखते हैं … कल शाम को क्या बना कर लाते हो तुम!’
‘यस सर … गुड इवनिंग सर.’ मैं अपनी चूतिया सी शक्ल बना कर वहां से चल दिया.

मुझे इंटर्नशिप करते हुए चार महीने हो चुके थे और अब आखिरी महीने से पहले मुझे अपनी रिपोर्ट और प्रपोजल सबमिट करना था.

मेरा मैसेज वाला काम वीकेंड तक सिमट कर रह गया था, जो कि काफी था. लेकिन अब कोरोना वायरस के शुरू होते ही उस काम पर भी लात लग गई थी. और होना भी चाहिए … आखिरकार मोदी जी ने बोला ही था कि सभी देशवासियों को जनता कर्फ्यू का पालन करना ही होगा.

मैंने पंच आउट किया और लिफ्ट से निकल कर पार्किंग में पहुंचा. अपना हेलमेट पहन कर बाइक स्टार्ट की और अपने फ्लैट की तरफ चल दिया.

मुझे बाइक चलाने का बहुत शौक है. मेरे पास फिलहाल दो बाइक हैं. एक अपाचे 200 और दूसरी पल्सर 220.

मैं सोसाइटी में घुसा तो गार्ड चिल्लाया- ग्लव्स पहन कर रखो अमित भाई, वायरस लग जाएगा आपको.’
‘जी डॉक्टर साहब.’ मैंने मज़ाक के मूड में बोला और बिल्डिंग की तरफ बढ़ गया.

बाइक को फ्लैट की पार्किंग में लगा कर मैं फिर से लिफ्ट में चढ़ा और 5 नंबर प्रेस किया.

‘इसका पेमेंट करता हूँ पहले, बाकी काम होता रहेगा.’ मैंने अपने आपसे बोला.

मैंने उसके फ्लैट की घंटी बजाई और वेट किया. दरवाज़ा एक 20-21 साल की लड़की ने खोला.
वो देखने में अच्छी थी, पर मैंने ध्यान नहीं दिया क्योंकि मैं भी काफी थका हुआ महसूस कर रहा था.

‘परीक्षित जी अन्दर हैं क्या, मैं 11 / 8 में रहता हूँ.’ मैंने मोहतरमा को बोला.
‘पापा, आपसे मिलने आया है कोई!’ वो चिल्लाई और दरवाज़ा खुला छोड़ कर अन्दर चली गई.

‘अरे अमित बेटा, क्या हुआ?’ परीक्षित जी मुस्कुराते हुए बोले.
‘अंकल वो पेमेंट करना है, कैश नहीं है, आप गूगल पे के थ्रू ले लो प्लीज.’ मैंने परीक्षित जी से बोला.

‘बेटा … मैं तो ये पे-वे नहीं चलाता, एक काम करो कल ATM से निकाल कर दे देना.’ अंकल जी ने हल्का सा किलसते हुए बोला.
‘अंकल आप अरेंज कर लो प्लीज, मेरी जॉब के चक्कर में मेरे पास टाइम नहीं मिलता है … और ऊपर से लाइन में लगना आजकल रिस्की सा मैटर है.’ मैं भी झल्लाते हुए बोला.

‘देख लो बेटा कैसे देना है, एक-दो दिन में कैश आएगा, तो दे देना. ये फ़ोन में पैसे का पंगा नहीं समझ आता मुझे.’ अंकल जी भी तनिक गुस्से से बोले.
‘ठीक है अंकल, मैं पेमेंट कल करता हूँ.’ मैंने भी तिड़क के जवाब दिया और वापस लिफ्ट की तरफ चल दिया.

अपने फ्लैट में पहुंच कर मैंने सबसे पहले नहा-धो कर चेंज किया, फ्रिज में से बियर निकली, बालकनी में खड़े हो कर तीन- चार घूंट भरी और सोचने लगा.

‘अब इसे कैश ही चाहिए … गांडू बहनचोद.’

मैं बालकनी में खड़ा खड़ा दो बियर पी चुका था. इस बीच मैं चार-पांच फ़ोन किए. घर पर, दोस्तों से बात की और फिर रिलैक्स होने के लिए हैडफ़ोन लगा कर अमेज़न प्राइम पर हॉस्टल डेज देखने लगा.

तभी घंटी बजी.

मैंने फटाफट भाग कर दरवाज़ा खोला, तो परीक्षित की वाइफ निर्मला जी खड़ी थीं.

कुछ नमस्ते-वमस्ते हुई और हाल-चाल पूछने के बाद आंटी बोलीं- अमित, मेरे फ़ोन में है गूगल पे, तुम उसमें पेमेंट कर दो. इन्हें तो आदत है … बेकार में बात बढ़ाने की. सब मालूम है कि आजकल सब कितना रिस्की हो गया है, तुम लाइन में कैसे लगोगे.

‘ठीक है आंटी.’
मैंने उन्हें सोलह हज़ार ट्रांसफर करे.

आंटी बोलीं- थैंक्यू अमित, कोई प्रॉब्लम हो … तो बताना. मेरा नंबर है ही तुम्हारे पास.
‘जी बिल्कुल आंटी जी, आप ही अपना ख्याल रखिए.’ मैंने बोला और उनके जाने के बाद गेट बंद करके फिर से अमेज़न प्राइम देखने लगा.

रात को करीब ग्यारह बजे टेलीग्राम पर मैसेज आया- थैंक्यू अमित, पेमेंट दिखा दिया तुम्हारे अंकल को. वो बोल रहे हैं कि ठीक है. निर्मला

‘अरे वाह निर्मला जी भी टेलीग्राम चला रही हैं? अब भाई देखो टेलीग्राम ज़्यादातर लोग प्राइवेट चैट्स के लिए यूज करते हैं. मेरी जान पहचान में जितने लोग हैं वो इसीलिए इसे ही यूज करते हैं.

मैंने लिखा- ठीक है आंटी जी, थैंक्यू बताने के लिए.
मैंने रिप्लाई भेजा.

तो निर्मला जी फिर से लिखा- वेलकम अमित … और अभी क्या कर रहे हो?
भैंस की आंख, अब निर्मला जी ये क्यों पूछ रही थीं कि मैं क्या कर रहा हूँ!

मैंने- कुछ नहीं आंटी जी, कल एक प्रपोजल देना है, उसी को बना रहा हूँ. आप बताएं, क्यों पूछा?
निर्मला- ऐसे ही, कुछ ख़ास नहीं … मैं भी बैठी बोर हो रही थी.

मैंने- अच्छा, आप बोर हो रही हैं? आ जाइए ऊपर. मैं आपके लिए चाय बनाता हूँ.
निर्मला- ठीक है, आती हूँ. प्राची ने ब्राउनी बनाई हैं … वो भी लाती हूँ.

मैंने सोचा कि मतलब जिस लड़की ने दरवाज़ा खोला था उसका नाम प्राची होगा, खैर जाने दो.

मैं उठा और रसोई में जा कर चाय बनाने लगा. तभी घंटी बजी और निर्मला जी को मैंने अन्दर आमंत्रित करते हुए सोफे पर बैठने को बोला.

निर्मला जी के बारे में कुछ बताऊंगा; निर्मला जी बयालीस साल की महिला हैं, जो परीक्षित जी की दूसरी पत्नी हैं.
उनकी पहली पत्नी का उनसे तलाक हुआ था, जब वो बहादुरगढ़ रहते थे.

निर्मला जी सुन्दर महिला हैं, वो सोसाइटी के मार्किट में ब्यूटी प्रोडक्ट्स की शॉप चलाती हैं. वे पांच फुट तीन इंच लम्बी है, एकदम छरहरा शरीर है, बड़े और गोल चुचे, भोली सी मुस्कराहट और गोल गांड है. जिन्हें वो काफी अच्छे से मटकाना जानती हैं.

उनके काले घने लम्बे बाल उनकी सुंदरता को और बढ़ा देते हैं. मैं उनके फ्लैट में पिछले एक साल से रह रहा हूँ और उनको याद करके मैंने कई बार मुठ भी मारी है. लेकिन आज से पहले इतनी बात उनसे कभी नहीं हुई थी. कभी कभी उनके कहने पर सब्ज़ी, दूध, पनीर या अन्य घरेलू सामान ला दिया करता था, लेकिन इस तरह से कभी उनको चाय के लिए नहीं बुलाया था … वो भी इतनी रात में.

आज भी मैंने भी मज़ाक ही किया था कि आ जाओ … अब मुझे क्या पता था कि वो आ ही जाएंगी.

खैर … मैंने चाय बना कर उनके सामने रखी और मैं अपनी बियर ले आया. मैं धीरे धीरे करके उनकी लाई हुई आधी से ज़्यादा ब्राउनी खा गया, जो कि सच में बहुत स्वादिष्ट बनी थी.

निर्मला जी से कुछ देर बातें करके ये पता चला कि ये भी निर्मला जी सेकंड मैरिज है … और उनके पहले पति बाइक एक्सीडेंट में गुज़र गए थे.
परीक्षित जी उनके घर के पास सुनार का काम करते थे, उनके घरवालों ने उनसे ब्याह करवा दिया और वो दिल्ली शिफ्ट हो गए जहां अब परीक्षित जी किराया लेते हैं और निर्मला जी दुकान करती हैं. प्राची, परीक्षित जी पहली बीवी की बेटी है, जो बाहर रह कर इंजीनियरिंग कर रही है.

आजकल एक तो बहनचोद, सबको इंजीनियरिंग करनी है, पता नहीं क्या नशा चढ़ा है सबको, इंजीनियरिंग,चार्टर्ड अकांउटेन्ट और डाक्टरी को लेकर.

निर्मला जी बातें चोदे जा रही थीं और मैं बस ‘हां, अच्छा, ठीक है.’ कर रहा था.
जैसे मशहूर कॉमेडियन ज़ाकिर खान जी ने कहा हो. ऊपर से मैं था नशे में, पांच बियर खींचने के बाद मैं निर्मला जी को सुन रहा था और यही सोच रहा था कि क्या किस्मत है परीक्षित की, ऐसी गज़ब शरीर और आवाज़ वाली बीवी पाई है.
पैसा है तो बहनचोद सब मुमकिन है. सलमान भाई रिहा हो गए, तो पैसे की वजह से, भगवान सही में अपने गधों को हलवा खिलाता है.

अभी करीब सवा बारह बज गए थे. मैंने चौंक कर बोला- आंटी जी, आधी रात हो गई है, आपके पति पूछेंगे नहीं कि कहां थीं आप?

निर्मला- नहीं, वो हमारे फ्लोर पर नौ नंबर में मास्टरनी हैं न एक, मलयाली है वो, मिसेज मधुसूधन, मैं रात को उनके पास जाती हूँ … पता है इन्हें, बोल दूंगी वहीं थी.
मैंने- सही है … फिर भी निर्मला जी, आज यहां कैसे आना हुआ!

अब मैंने आंटी जी की जगह निर्मला जी कहना शुरू कर दिया था. बियर के नशे के साथ साथ, उनकी चूचियां भी मुझे मदहोश करने लगी थीं

‘बस अमित, तुमसे मिलने ऐसे ही … ये भी देखने कि मेरा फ्लैट तुमने कैसी कंडीशन में रखा हुआ है.’ निर्मला जी मुस्कुरा कर आंख दबाते बोलीं और हो हो करके हंस दीं.
‘अरे कैसी बात कर दी आपने, आइए न अन्दर से भी देख लीजिए, बिल्कुल सही ढंग से रखा हुआ है.’ मैं खड़ा होते हुए बोला.

निर्मला जी भी खड़ी हुईं और पहले किचन, फिर स्टोर रूम और अंत में बेडरूम का मुयाअना किया.
मैं उनके पीछे पीछे चल रहा था.

बेडरूम में मेरे पलंग के पास मेज़ पर रखे कंडोम के पैकेट को देख कर बोलीं- अच्छा, ये सब भी होता है यहां!

‘निर्मला जी, प्रोटेक्शन तो ज़रूरी है ही. प्रेगनेंसी और बीमारी से बचाव रहता है.’ मैं भी मुस्कुरा कर बिंदास बोला.

‘डुरेक्स एक्सेल, बड़ी किस्मत वाली गर्लफ्रेंड है तुम्हारी.’ निर्मला जी कंडोम के पैकेट को हाथ में ले कर बोलीं.
‘हां निर्मला जी, सुना तो … सुना तो मैंने भी ऐसा ही है.’ मैं आगे बढ़ा और निर्मला जी के बिल्कुल पास जा कर खड़ा हो गया.

फिर जिस हाथ में उन्होंने कंडोम का पैकेट पकड़ा हुआ था, उस हाथ को मैंने पकड़ लिया.
अब जो होगा सो देखा जाएगा, मां की लौड़ी खुद ही कह रही है कि इसे खसम की चिंता नहीं है … अपनी चुत में लंड की आग की चिंता है. ज्यादा कुछ गड़बड़ हुई तो पैर पकड़ लूंगा, या ज्यादा से ज्यादा घर से निकालेगी और क्या करेगी.
 
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मकानमालिक की जवान बीवी- 2



हॉट सेक्सी आंटी चुदाई कहानी में पढ़ें कि मेरी जवान मकानमालकिन देर रात में मेरे पास आ गयी थी. मैं उसकी मंशा जान गया था. सेक्स कैसे शुरू हुआ?

दोस्तो, मैं अमित आपको अपनी मकानमालक की जवान और हॉट माल जैसी दिखने वाली सेक्सी बीवी की चुदाई की कहानी में सुना रहा था.
हॉट सेक्सी आंटी चुदाई कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कि वो आधी रात को मेरे साथ मेरे फ्लैट में मेरे ही बेडरूम में थीं और मेरे कमरे की टेबल पर रखे हुए कंडोम के पैकेट को हाथ में लेकर देख रही थीं.

अब आगे :

मैंने निर्मला जी के हाथ से कंडोम का पैकेट ले लिया और उनके हाथ को पकड़ लिया.

निर्मला जी ने ऊपर सर करके मेरी तरफ देखा और हम एक दूसरे की आंखों में कुछ सेकंड तक चुपचाप देखते रहे.

मेरे दिमाग में पता नहीं क्या आया, मैं एकदम से निर्मला जी के सामने उनसे सटकर खड़ा हो गया और उनके हाथों से कंडोम का पैकेट ले कर टेबल पर रख दिया.

फिर निर्मला जी के गले को अपनी हथेली में हल्के से पकड़ा, एक हथेली से उनकी कमर को पकड़ा और उनके होंठों को चूम लिया.

ताज्जुब इस बात का है कि निर्मला जी ने भी मेरा साथ दिया. उन्होंने भी अपनी बांहों से मुझे पकड़ा और करीब खींच लिया.

हम दोनों बहुत देर तक एक दूसरे को चूमते रहे. मुझे उनके शरीर की गर्माहट महसूस हो रही थी. उनके बालों की सुगंध मुझे और उत्तेजित कर रही थी.

मैंने उनको उठा कर टेबल पर बैठाया और उनकी टांगों को खोल कर उनके बीच खड़ा होकर और जोर से उनको चूमने लगा.

हम दोनों गर्म आहें भर रहे थे और वो मेरी कमर और गांड पर अपने हाथ फिरा रही थीं.
निर्मला जी और मैं दोनों गर्म हो चुके थे.

मैंने उनके गले से हाथ नीचे करके उनके एक बड़े चूचे को जोर से दबा दिया.
निर्मला जी ने आंखें बंद करके सर पीछे किया और सांस खींचते हुए गहरी आह भरी.

उन्होंने दोनों हाथ मेरे लोअर में डाले और मेरी गांड भींच कर मुझे अपनी ओर खींच लिया.
मैंने फिर से निर्मला जी चूचे दबाये और इस बार एक निप्पल भी पकड़ कर मसल दिया.

निर्मला जी के गाल लाल होने शुरू हो गए. उन्होंने आह भरी और बोलीं- आह अमित … और जोर से!

मैं उनकी मचलन को समझते हुए, उनके चूचे जोर जोर से दबाने लगा और उनके गले पर चूमता रहा.

निर्मला जी की गर्म सांसें मेरे सर में महसूस हो रही थीं. वो अपने हाथों को मेरे लंड के आस पास घुमा रही थीं.

मैंने उनके चूचों से अपना हाथ हटाया और उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया.

निर्मला जी एकदम से चुलबुले तरीके से हंसी और मेरे लंड को सहलाने लगीं.

मेरा लंड भी प्यार मिलते ही अपना आकार बदलने लगा और देखते ही देखते वो निर्मला जी की चूत हासिल करने के लिए तैयार हो गया.

उधर निर्मला जी भी मेरे लंड से खेलने में व्यस्त हो गईं.

अब मैंने उनकी टांगें फैला दीं और उनके होंठों को फिर से चूमते हुए उनके लोअर में हाथ डाल दिया.

निर्मला जी निआग्रा फाल्स से भी ज़्यादा गीली हो रही थीं, उनकी चूत भट्टी जैसी गर्म और अपना चिपचिपा माल छोड़ रही थी, जो उनकी कच्छी और और उनकी झांटों को भिगो चुका था.

मैंने अपनी बीच की उंगली से निर्मला जी की चुत को ऊपर से नीचे तक सहलाना शुरू किया, मेरी उंगली उनकी चुत की फांकों में ऐसे फिसल रही थी, जैसे मार्बल के फर्श पर बर्फ फिसलती है. उनकी चुत के होंठ फूल कर मोटे मोटे हो गए थे.

मैं धीरे धीरे उनकी चुत सहलाता रहा और वो मेरा लंड सहलाती रहीं.

फिर मैंने उनकी चुत पर हल्का सा दबाव बनाया और बोला- आंख तो खोलो निर्मला जी … इन आंखों का ये नशा हमें भी तो देखने दो.

निर्मला जी ने गर्दन ऊपर करके आंखें खोल दीं और मेरी आंखों में देखा. उनकी आंखें पानी और हवस से भरी हुई थीं.

उसी समय मैंने तुरंत अपनी बीच की उंगली उनकी चूत में सरका दी.
‘अह्ह्ह अमित … उम्म उहह हह … बहनचोद आराम से कर.’ निर्मला जी ने आखें बंद कीं और गाली दे दी.

उनके मुँह से गाली सुन कर मैं और उत्तेजित हो गया. मैंने अपनी उंगली उनकी चुत में अन्दर बाहर करनी शुरू कर दी.

निर्मला जी मेज़ पर बैठी बैठी हिलने लगीं. उन्होंने मेरे लंड पर से हाथ हटाया और दोनों हाथों से मेज़ को पकड़ लिया.

मुझे ऐसा लगा कि जैसे उन्हें कुछ परेशानी हो रही है. मैंने निर्मला जी को खींच कर मेज़ पर लिटा दिया. अब उनके दोनों पैर मेरे कंधों पर थे और वो कमर के बल मेज़ पर लेटी थीं.

मैंने पीछे होकर उनका लोअर और कच्छी उतार कर टांगों से बाहर निकालीं और दूर फेंक दी. फिर उनकी टी-शर्ट ऊपर करके उनकी ब्रा में से चूचे आज़ाद कर दिए.

उनका शरीर एकदम मक्खन जैसा मुलायम, गर्म और कामुक लग रहा था.

फिर से मैंने उनके पैर अपने कंधों पर रखे और इस बार दो उंगलियां उनकी चूत में सरका दीं.

निर्मला जी की जैसे सांस अटक गई. उन्होंने अपनी कमर उठाई, गर्दन पीछे की और अपने दोनों हाथों से अपनी चूची दबा दी- उम्म मर गई आहहह.. अमित … बहुत मज़ा आ रहा है, साले रुकना मत, वर्ना मां चोद दूंगी … भैन के लौड़े.

उन्होंने सड़कछाप शोहदों जैसे गाली दी और अपने पैर की मांसपेशियों को कसते हुए अपनी गंदी जुबान से आवाज दे दी.

मैंने दोनों उंगलियां उनकी चूत में चलानी शुरू कर दीं और दूसरे हाथ से उनकी चूत के ऊपर वाले दाने को (क्लाइटोरिस) को मींजने लगा.

निर्मला जी ने इस हरकत के शुरू होते ही तुरंत अपने दोनों हाथों से मेज़ का कोना पकड़ लिया और गहरी गहरी सांस लेने लगीं- आह और तेज़ अमित … उम्महहह … आअह्ह्ह … करते जा भैनचोद … आह बहुत मज़ा आ रहा है.. आअह्ह्ह.
उन्होंने अपना चोदू राग जारी रखा.

मैंने दोनों उंगलियों को चूत के अन्दर फिक्स किया और दूसरे हाथ से उनकी टी-शर्ट और चूचे पकड़ लिए.

अब मैं अपनी उंगलियों को जोर जोर से चूत में ऊपर नीचे चलाने लगा.
‘आहह, आहह मर गई … अअहह.’ निर्मला जी कांपती हुई आवाज़ में बोलीं.

कुछ ही सेकंड में निर्मला जी का बदन अकड़ उठा. उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरे हाथ को जकड़ा और घुटती हुई आवाज़ में बोलीं- आह रुकना मत, प्लीज और तेज़ … रुकना मत.

उनकी आंखें गोल घूम कर ऊपर को हो गईं. उनकी पलकें कम्पन करके बंद हो गईं.

उन्होंने अपने पैर मेरे कंधे पर से हटाए और मुझे लात से पीछे धकेला. अपने हाथों को अपने चूत के बीच में डाला और बहुत जोर से गहरी सांस खींचते हुए बोलीं- मार दिया भोसड़ी वाले तूने … मेरी तो गांड ही फाड़ दी तूने.

निर्मला जी आधी मेज़ पर और आधी हवा में लटकी सी थीं और कांप रही थीं. उनकी चूत से जैसे झरना बह रहा था.

मैंने उनकी गांड पर थप्पड़ मारा और बोला- अभी तो शुरूआत है, आप चाहेंगी तो आपकी गांड भी मार दूंगा निर्मला जी.

निर्मला जी हल्के हल्के झटके खाते हुई बोलीं- आ हम्म … र..रुक ज..जा हरामीई … स..सांस तो ले लेने दे … आह.
मैं समझ गया कि इस समय निर्मला जी स्खलित होने का आनन्द ले रही हैं.

कुछ देर बाद मैंने उन्हें हाथ से पकड़ा तो वो मेरे हाथ का सहारा लेकर टेबल पर बैठ गईं.
मैंने अगले ही पल उनकी टी-शर्ट को ऊपर उठाते हुए उनके बदन से अलग कर दिया. फिर उन्होंने खुद ही अपनी ब्रा को निकाल कर फेंक दिया.

अब मेरे सामने मेरे मकानमालिक की जवान बीवी एकदम नंगी बैठी थी.
उसने मेरी तरफ देखा और कहा- अब चोद भी दे.

मैंने हंस कर अपने कपड़े उतारे और उनको उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया. हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए और चूमाचाटी करने लगे.

निर्मला जी बोलीं- अमित एक बियर मुझे भी दे.
मैंने पूछा- बियर या व्हिस्की!

वो बोलीं- चल पैग ही बना दे. साथ में सिगरेट भी दे दियो.

मैंने लार्ज पैग बना कर उन्हें दिया और जब तक मैं सिगरेट जलाता तब तक निर्मला जी ने एक ही सांस में पूरा गिलास खाली कर दिया था.
मैं हतप्रभ था कि साली बड़ी वाली रांड है. उसने जल्दी से मेरे हाथ से सिगरेट खींची और लम्बा सा कश खींच कर अपने मुँह का कसैलापन ठीक किया.

अब वो बोलीं- एक और बना.

मैंने झट से दूसरा बना दिया. दूसरे पैग को निर्मला जी ने धीरे धीरे खाली किया. मगर तब भी दो मिनट से ज्यादा नहीं लगा होगा.

इसके बाद सिगरेट मैंने ले ली और चार कश लेकर उसे बुझा दिया. फिर कमरे में से फ्रेश एयर फेन चला कर एसी को सोलह पर कर दिया.

कुछ ही देर में कमरे से धुंआ निकल गया और मैंने फेन बंद करके उनकी तरफ देखा. निर्मला जी को नशा चढ़ गया था और वो अपनी दोनों टांगें खोले चुत पर हाथ फेर रही थीं.

इस समय वो एक मस्त रंडी के जैसे लग रही थीं.

उन्होंने मेरे लंड को पकड़ा और अपनी तरफ खींचा. मैं समझ गया कि कुतिया लंड चूसेगी.

मैं उनके सर के पास आया और लंड उनकी तरफ कर दिया. उन्होंने मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया.

एक मिनट से कम समय में मेरा लंड हिनहिना उठा और मैं बिना कुछ कहे उनके ऊपर चढ़ गया.

निर्मला जी ने अपनी टांगों के बीच मुझे सैट किया और मैंने लंड उनकी झांटों वाली सांवली सी चुत में ठेल दिया.

वो कराह उठीं और शराब के तेज नशे के कारण ज्यादा कुछ नहीं चिल्ला सकीं.

मैंने लंड को दो तीन बार में अन्दर बाहर करके चुत में सैट किया और पूरा अन्दर पेल कर उनकी एक चूची को चूसना शुरू कर दिया.

अब वो भी मस्ती से चुदने लगी थीं.

कुछ ही देर बाद मैं ताबड़तोड़ चुदाई की पोजीशन में आ गया था. इससे निर्मला जी की चुत ने फिर पानी छोड़ दिया और उनके इस बार के स्खलन में मैं भी उनकी चुत में ही झड़ गया.

एक मिनट बाद मुझे होश आया तो मैंने उनसे कहा- मैं अन्दर ही निकल गया.
वो बोलीं- कोई बात नहीं … इससे मैं निपट लूंगी.

मैंने उन्हें चूम लिया और पूछा कि कभी मधुसूदन आंटी के फ्लैट में आपने रात भी गुजारी है.
वो हंस दीं और बोलीं- हां कई बार … तू आज मुझे सारी रात चोद दे … मेरी आग बुझा दे.

मैं समझ गया.

एक बार फिर से मैंने उनकी चुदाई की तैयारी शुरू कर दी.

उस रात मैंने निर्मला जी को तीन बार चोदा और सुबह तीन बजे के करीब वो अपने घर चली गईं.

इसके बाद पूरे लॉकडाउन में मैंने उनकी मस्त चुदाई का मजा लिया. साथ ही मैं उनकी सौतेली लौंडिया को भी चोदने के चक्कर में लगा रहा.
 
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गाड़ी तो तुमसे ही ठीक करवाऊंगी



मेरा नाम कल्पेश है मैं गुजरात के एक छोटे से गांव का रहने वाला हूं लेकिन अब मैं अहमदाबाद में ही रहता हूं। मैंने अपने बचपन के दिन बहुत ही गरीबी में गुजारे हैं और हमेशा ही मैं यह सोचता कि क्या मैं ऐसे ही दिन काटने वाला हूं मेरे पिताजी मेहनत मजदूरी कर के घर का खर्चा चलाया करते थे और मुझे कई बार लगता कि शायद हम लोग ऐसे ही अपना जीवन गुजारने वाले हैं मेरे पिताजी की तबीयत भी ठीक नहीं रहती थी लेकिन उसके बावजूद भी वह मजदूरी कर के घर का खर्चा चलाया करते, मुझे उन्हें देख कर बहुत ही बुरा लगता इसलिए मैंने अपनी पढ़ाई भी छोड़ दी और मैं काम करने लगा मेरे माता-पिता मुझे कहते कि तुम अभी से काम मत करो लेकिन मुझे उन्हें देख कर बहुत बुरा लगता था और मैं चाहता था कि मैं अब काम करूं जिससे कि घर का थोड़ा बहुत खर्चा निकल जाया करें। हम लोग उस वक्त गांव में ही रहते थे मैं भी काम करने लगा था मैं जब थोड़ा समझदार हो गया तो मुझे लगा मुझे कोई ऐसा काम करना चाहिए जिससे कि मुझे अच्छी आमदनी हो।
हमारे गांव में ही एक चाचा हैं उन्होंने मुझे उस वक्त गाड़ी का काम सिखाया और मैं उनके गैराज में काम किया करता था वह मुझे पैसे तो बहुत कम दिया करते थे लेकिन मैं उनके साथ पूरी तरीके से गाड़ी का काम सीख चुका था जिससे कि मुझे आगे चल कर मदद मिलने वाली थी। हमारे गांव में किसी का भी गैराज नहीं था तो मैंने गाड़ी का गैराज खोल लिया और मेरा काम अच्छा चलने लगा, मेरे पिताजी बहुत बुजुर्ग हो चुके थे तो मैंने उन्हें काम करने से मना कर दिया था और वह ज्यादातर घर में ही रहते थे मेरी बहन की शादी का सारा जिम्मा मेरे सर था और मैंने अपनी बहन की शादी भी बड़े धूमधाम से करवाई, मेरे माता-पिता मुझसे बहुत खुश रहते और एक दिन वह मुझे कहने लगे कल्पेश तुम भी शादी कर लो मैंने उन्हें कहा लेकिन मैं अभी शादी नहीं करना चाहता हूं मुझे थोड़ा और समय चाहिए मैं नहीं चाहता कि मैं अपना जीवन ऐसे ही काटू। मेरे गांव का गैराज बहुत बढ़िया चलने लगा था अब मेरे पास पैसे भी आने लगे थे मैं सोचने लगा कि मुझे कुछ और भी करना चाहिए।
एक दिन मैं अपने गैराज में बैठा हुआ था उस दिन मेरे पास हमारे गांव का एक लड़का आया वह अहमदाबाद में नौकरी करता है वह मुझे कहने लगा और कल्पेश भैया कैसे हो? मैंने उसे कहा मैं तो ठीक हूं तुम सुनाओ तुम्हारी नौकरी कैसी चल रही है, वह मुझे कहने लगा बस मेरी नौकरी भी ठीक ही चल रही है। मैंने उसे कहा तुम काफी समय बाद घर आ रहे हो वह मुझे कहने लगे हां छुट्टी नहीं मिल पाती तो घर आने का समय भी नहीं मिल पाता मैंने उसे कहा और अहमदाबाद में सब कुछ ठीक है तो वह कहने लगा हां वहां पर तो सब कुछ बहुत ही बढ़िया है बातों बातों में उसने मुझसे यह बात कह दी कि आप अपना काम अहमदाबाद में क्यों नहीं खोल लेते, मुझे भी लगा कि वह भी सही कह रहा है मुझे एक बार तो अहमदाबाद में जाकर देखना ही चाहिए और इसी के सिलसिले में मैं एक बार अहमदाबाद चला गया, मैं कुछ दिनों के लिए अहमदाबाद में एक होटल में रुका और वहां पर मुझे एक दुकान किराए पर मिल गई मैंने सोचा कि चलो यहां पर ही मैं अपना काम शुरू कर देता हूं लेकिन मेरे सामने सबसे बड़ी समस्या यह थी कि मेरे गांव का गैराज कौन संभालता? मैंने उस वक्त अपने चाचा के लड़के को कहा वह भी कुछ कर नहीं रहा था तो मैंने उसे कहा तुम यहां का काम संभाल लिया करो वह कहने लगा लेकिन मुझे तो काम आता ही नहीं है मैंने उसे कहा मैं तुम्हें यह काम सिखा दूंगा। मैंने उसे कुछ ही दिनों में सारा काम सिखा दिया अब वह दुकान का सारा काम संभालने लगा और मैंने अहमदाबाद में जो दुकान किराए पर ली थी वहां पर मैंने अपना काम शुरू कर दिया, अहमदाबाद में मुझे काम करते हुए तीन महीने हो चुके थे और मेरा काम भी अच्छा चलने लगा मैं बीच-बीच में अपने गांव भी चले जाया करता गांव का काम भी बहुत अच्छा चल रहा था और मेरे चाचा का लड़का काम बड़ी ईमानदारी से कर रहा था।
एक दिन मैं अपने गांव गया हुआ था तो मेरे पिताजी की तबीयत खराब हो गई और उन्हें मुझे अस्पताल ले जाना पड़ा लेकिन गांव में अच्छी स्वास्थ्य सुविधा ना होने के कारण मुझे उन्हें अपने साथ अहमदाबाद ले जाना पड़ा, मैंने अहमदाबाद में किराए का मकान भी ले लिया था और अब मैं अपने माता पिता के साथ अहमदाबाद में ही रहने लगा उनका इलाज भी अहमदाबाद में ही चल रहा था जिससे कि उन्हें थोड़ा बहुत आराम भी था वह लोग मेरे साथ ही रहने लगे थे मुझे भी अच्छा लगता कि वह लोग मेरे साथ रह रहे हैं मैं इस बात से बहुत ज्यादा खुश भी था और मेरा काम भी अच्छा चल रहा था मैंने दुकान में तीन चार लड़के काम पर रख लिए थे मेरा काम अब बहुत अच्छी तरीके से चलने लगा था। एक दिन मैं दुकान में ही था और उस दिन मुझे मेरी मां का फोन आया और वह कहने लगी तुम्हारे पापा की तबीयत ठीक नहीं है तो क्या तुम उन्हें डॉक्टर के पास ले जाओगे, मैं तुरंत ही घर चला गया और वहां से अपने पापा को डॉक्टर के पास लेकर गया, जब मैं पापा को डॉक्टर के पास ले गया तो उन्होंने कहा इनका ब्लड प्रेशर थोड़ा हाई है आपको उनका ध्यान रखना चाहिए परंतु मुझे क्या पता था कि वह खाने में बिल्कुल भी परहेज नहीं कर रहे हैं जिस वजह से उनका ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा बड़ने लगा है।
मैंने उस दिन अपनी मां से कहा कि आप इन्हें खाने में अब हल्का ही खाना दिया कीजिए उसके बाद पापा की तबीयत ठीक रहने लगेगी लेकिन मुझे हमेशा चिंता सताती रहती और एक दिन मैं गैराज में बैठा हुआ था तो उस दिन मेरे पास एक महिला आई वह मुझे कहने लगी भैया मेरी कार स्टार्ट नहीं हो रही है तो क्या आप मेरे साथ चल सकते हैं? मैंने उन्हें कहा मैडम आपकी कार कहां पर है तो वह कहने लगी यहां से करीब दो किलोमीटर आगे मेरी कार है मैंने उन्हें कहा ठीक है आप मेरे साथ चलिए। मैं उन्हें अपने साथ अपने स्कूटर में लेकर उनकी गाड़ी तक चला गया मै उनकी गाड़ी को खोल कर देखने लगा तो गाड़ी में काफी काम था, मैंने कहा मैडम मैं देखता हूं यदि यह ठीक हो गई तो हम लोग इसे स्टार्ट कर के मेरी दुकान तक ले चलेंगे और वहां पर मै इसका काम करवा देता हूं और यदि यह स्टार्ट नहीं हो पाई तो हमें यहां से किसी गाड़ी से इसे खिंचवा कर ले जाना पड़ेगा, वह कहने लगी ठीक है भैया आप देख लीजिए जैसा आपको ठीक लगता है। मैं उनकी कार को देखने लगा लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि उसमें क्या दिक्कत है परंतु जैसे ही उनकी कार स्टार्ट हो गई तो मुझे लगा चलो अब मैं इसे अपने गैराज तक लेकर चलता हूं मैं जैसे ही कार के अंदर बैठा तो कार दोबारा से बंद हो गई और उसके बाद कार स्टार्ट ही नहीं हुई, मैंने अपनी दुकान में फोन किया और अपनी दुकान में काम करने वाले लड़के से कहा तुम वहां से किसी छोटे ट्रक को भेज देना ताकि हम इस कार को ले जा सके वह कहने लगा मैं कुछ समय बाद भिजवा देता हूं तब तक आप वहीं पर रहिये मैंने उसे कहा कि तुम तब तक दुकान का काम संभाल लो। मैं और वह महिला वहीं खड़े होकर ट्रक का इंतजार करने लगे लेकिन ट्रक अभी तक नहीं आया था। मैंने मैडम से कहा मैडम आप कार मे बैठ जाइए वह कहने लगी नहीं मैं ठीक हूं लेकिन कुछ देर बाद वह कार में बैठ गई। मैं भी कार में जाकर बैठ गया मैंने जब उनसे उनका नाम पूछा तो वह कहने लगी मेरा नाम शिल्पा है, मैंने उन्हें कहा आप कहां रहती हैं तो उन्होंने मुझे अपने घर का पता बता दिया।
हम दोनों बात करने लगे मैंने जब उनकी जांघ पर अपने हाथ को रखा तो शायद उन्हें कुछ अजीब सा महसूस हुआ उन्होंने मेरे लंड को पकड़ लिया और कहने लगी मैंने सुना है जो मैकेनिक होते हैं उनके लंड बड़े ही मोटे होते हैं यह कहते ही उन्होंने मेरे लंड को दबाना शुरू कर दिया, जैसे ही उन्होंने मेरे लंड को पैंट के अंदर से बाहर निकाला तो वह मेरे लंड को अपने मुंह में बड़ी तेजी से लेने लगी और उन्हें बहुत अच्छा लगने लगा। वह काफी देर तक ऐसा ही करती रही मुझे भी बहुत मजा आ रहा था, मैंने भी उनके स्तनों को उनके कपडो से बाहर निकाल लिया और उसे चूसने लगा। मैंने काफी देर तक उनके स्तनों को चूसा उनको बहुत मजा आया जब मैं पूरी तरीके से संतुष्ट हो गया तो मैंने उन्हें घोड़ी बना दिया। मैंने कार के अंदर ही उन्हें घोड़ी बना दिया था, उसके बाद मैंने उन्हें चोदना शुरू किया मैंने काफी देर तक उन्हे बड़े ही अच्छे से धक्के मारे जिससे कि उनका पूरा शरीर गरम हो जाता और उन्हें बहुत मजा आता। जब वह पूरी तरीके से संतुष्ट हो गई तो वह मुझे कहने लगी मुझे तो बहुत मजा आ गया।
मैंने कहा आप मेरे ऊपर बैठ जाइए उन्होंने अपनी मोटी गांड को मेरे लंड पर रखा और वह उसे ऊपर नीचे करने लगी। मुझे भी मजा आने लगा था मैं काफी देर तक उन्हें धक्के मारता रहा उन्होंने भी ऐसा ही किया लेकिन जब अचानक से मेरा लंड उनकी गांड में घुस गया तो वह मुझे कहने लगी तुम्हारा लंड मेरी गांड में चला गया। मैंने कहा कोई बात नहीं आप अपनी चूतड़ों को ऊपर नीचे करते रहिए उन्होंने ऐसा ही किया और बड़ी तेजी से वह अपनी चूतडो को ऊपर नीचे करने लगी जिससे कि उनके शरीर की गर्मी में दोगुनी बढोतरी हो गई और मुझे भी बहुत मजा आने लगा। मैं काफी देर तक उनके साथ ऐसा ही करता लेकिन मेरा वीर्य गिरने वाला था जब मैंने उनसे यह बात कही तो उन्होंने अपने मुंह में मेरे वीर्य को ले लिया। उनके साथ मुझे सेक्स करने में बड़ा मजा आया, उसके बाद ट्रक आ गया ट्रक से हम लोगों ने उनकी गाड़ी को बांध दिया और हमारे गैराज में मैंने उनकी गाड़ी ठीक कर दी उसके बाद वह वहां से चली गई लेकिन अब भी वह मेरे पास गाड़ी ठीक कराने आती है।
 

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