Erotica Hindi sex stories

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I will post some short stories here...


please read and support and also give your valuable comment.....


Thanks
 
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चूत दोगी तो मै पैसे दूंगा

मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से हूं मेरे माता पिता ने मुझे कभी भी कोई कमी नहीं की परंतु उसके बावजूद भी मेरे सपने बहुत बड़े थे मैं हमेशा चाहती थी कि मेरी जिस से भी शादी हो उसके पास बड़ी सी गाड़ी और बड़ा सा बंगला हो। मैं हमेशा सपने में ही जिया करती थी लेकिन हकीकत में तो जिंदगी कुछ और ही थी जब मेरी शादी आकाश के साथ हुई तो मैं बिल्कुल भी खुश नहीं थी क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि मैं आकाश से शादी करूं। आकाश हालांकि दिल के बहुत अच्छे हैं लेकिन मैं आकाश के साथ शादी नहीं करना चाहती थी क्योंकि वह भी मध्यमवर्गीय परिवार से ही हैं मैंने अपनी मम्मी से कहा था कि मुझे अभी शादी नहीं करनी लेकिन मेरा कॉलेज खत्म होने के बाद ही उन्होंने मेरी शादी आकाश के साथ तय कर दी। जब मेरी सगाई हो गई तो उस वक्त मैं बहुत ज्यादा परेशान थी और उस बात से मैं बिल्कुल खुश नहीं थी मैंने अपनी मम्मी से उस वक्त भी कहा कि मुझे आकाश के साथ शादी नहीं करनी।

आकाश और मैंने अपनी सगाई के बाद बात ही नहीं की थी हम दोनों एक दूसरे से बात नहीं किया करते थे मेरी सगाई आकाश के साथ हो चुकी थी लेकिन उसके बाद भी मैंने आकाश से काफी समय तक बात नहीं की। कुछ समय बाद मुझे एहसास हुआ कि इसमें आकाश की क्या गलती है इसलिए मैंने अब इन सब चीजों को अपने दिमाग से निकाल दिया मैंने सोचा जो मेरे जीवन में होना होगा वह हो जाएगा। मैंने अपनी किस्मत पर सब कुछ छोड़ दिया कुछ समय बाद मेरी शादी आकाश के साथ हो गई मेरे पिताजी से जितना हो सकता था उन्होंने मेरी शादी में उतना किया मेरी शादी आकाश से हो गई थी आकाश के परिवार में उसके पापा मम्मी और उसकी एक बहन है। हालांकि शादी के बाद आकाश ने मेरा बहुत ध्यान रखा हम दोनों एक दूसरे का साथ दिया करते मैं अपने सपनों को भूल चुकी थी क्योंकि उन सब चीज का कोई मोल नहीं था। मेरी शादी हो चुकी थी शादी के एक वर्ष बाद ही हमें एक लड़का हुआ और उसके बाद भी हमें एक और लड़का हुआ शादी को कब 10 वर्ष हो गए कुछ पता ही नहीं चला समय इतना तेजी से निकला कि मुझे तो कुछ मालूम ही नहीं चला।

अब हम दोनों के ऊपर बहुत जिम्मेदारियां आ चुकी थी आकाश की बहन की शादी हो चुकी थी और अब सारा दारोमदार आकाश के ऊपर ही था जैसे जैसे हम लोगों का परिवार बढ़ता जा रहा था तो वैसे ही हम दोनों के खर्चे भी बढ़ने लगे थे और परिवार की आर्थिक स्थिति भी कमजोर होने लगी। आकाश के पिताजी का भी देहांत हो चुका था आकाश के ऊपर ही घर की सारी जिम्मेदारियां थी मेरी सासू मां की भी तबीयत ठीक नहीं रहती थी और वह अक्सर बीमारी रहती थी। मैं बहुत ज्यादा परेशान रहने लगी थी आकाश और मेरे बीच में कभी भी झगड़े नहीं हुए आकाश ने हमेशा मुझे प्यार किया और इसी बात से आकाश का साथ हमेशा दिया करती थी। हम दोनों के बीच बहुत अच्छी बॉन्डिंग थी और हम दोनों एक दूसरे को हमेशा समझते लेकिन थे। आकाश के ऊपर घर की जिम्मेदारियों का ज्यादा ही बोझ होने लगा तो मुझे भी लगा कि मुझे कुछ करना चाहिए तभी मैंने भी बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने की सोची और मैं घर में ही बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगी। हमारे आस पड़ोस के बच्चे मेरे पास ट्यूशन पढ़ने आया करते थे और मुझे जो भी पैसे मिलते मैं वह आकाश को दे दिया करती जिससे कि हमारे घर का खर्चा अच्छे से चल जाया करता था। आकाश और मेरे बीच बहुत प्यार है हम दोनों अपने बच्चों का बहुत ध्यान रखते हैं हम अपने बच्चों को कोई भी कमी नहीं होने देते हम लोगों ने काफी मेहनत की और अब हम लोग अपने बच्चों को एक अच्छे स्कूल में पढ़ने के लिए भेजने लगे थे। हम लोगों ने अपना पुराना घर बेच दिया था और हम लोगों ने एक नई कॉलोनी में घर खरीद लिया था वहां पर सारे ही अच्छे लोग रहा करते थे। हम लोग नई सोसाइटी में आकर बहुत खुश थे मैंने आकाश से कहा हम दोनों ऐसे ही मेहनत करते रहेंगे और अपने परिवार को आगे बढ़ाएंगे हमारे आस पड़ोस में काफ़ी अच्छे लोग रहा करते थे।



हमारे पड़ोस में भी मेरी अच्छी बातचीत होने लगी थी मैंने अपने घर में ही एक छोटा सा ट्यूशन सेंटर खोल लिया था हमारे आस पड़ोस के बच्चे मेरे पास आया करते थे मैं अच्छी सोसाइटी में रहती थी इसलिए बच्चों की फीस भी ठीक थी जिससे कि मेरा खर्चा निकल जाया करता था। आकाश का भी प्रमोशन हो चुका था आकाश की भी सैलरी बढ़ने लगी थी मैं हमेशा ही आकाश से कहती कि हम लोग एक गाड़ी खरीदेंगे। मैं कार खरीदना चाहती थी हमारे पास कार थी लेकिन मुझे बड़ी कार चाहिए थी और मेरा यह सपना बचपन से ही था लेकिन हम लोग इतना पैसा नहीं जमा कर पा रहे थे। मुझे अब ऐसा लगने लगा था कि मुझे अपने सपनों को सच करने के लिए खुद ही कुछ करना पड़ेगा अब मैं सिर्फ बच्चों को ट्यूशन ही नहीं पढ़ाई करती थी उसके अलावा मैंने एक प्राइवेट स्कूल भी ज्वाइन कर लिया था परन्तु उसमें से भी हमारे सपने
 
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सच होने वाले नहीं थे। मेरा सपना था कि हमारा एक बड़ा सा बंगला हो और बड़ी सी गाड़ी हो और हमारे पास अच्छा खासा बैंक बैलेंस हो लेकिन इतनी मेहनत करने के बावजूद भी हम लोग उस तक कभी पहुंच ही नहीं पाए। मैं हमेशा ही सोचती रहती कि कब हमारे सपने सच होंगे। जब भी आकाश फ्री होते तो हम दोनों इस बारे में जरूर बात किया करते थे, आकाश मुझे कहते कि हमेशा जीवन में धैर्य रखना चाहिए सब कुछ ठीक हो जाएगा। पहले भी तो हम लोग एक छोटे घर में रहते थे और अब हम लोगों ने बड़ा घर ले लिया है समय के साथ साथ हमारी आर्थिक स्थिति में भी सुधार होता रहेगा।

मैंने आकाश से कहा मेरे भी कुछ सपने हैं मैंने भी बचपन से कुछ सपने देखे थे जो कि मैं सच करना चाहती हूं लेकिन मेरे सपने तो जैसे सच होने का नाम ही नहीं ले रहे हम दोनों इतनी मेहनत करते हैं उसके बावजूद भी हम दोनों अपनी जिंदगी नही जी पा रहे हैं। आकाश कहने लगा तुम बिल्कुल सही कह रही हो क्या हम लोग इस बीच कहीं घूमने के लिए चलें। आकाश ने संडे के दिन घूमने का प्लान बना लिया पहले हम लोग बच्चों को मूवी दिखाने के लिए ले गये काफी समय बाद आकाश और मैं साथ में मूवी देख रहे थे मैं आकाश की तरफ देख रही थी और आकाश बड़े मजे से मूवी का आनंद ले रहे थे। उसके बाद हम लोग वहां से हमारे शहर के पार्क में चले गए वहां पर काफी भीड़ थी दोपहर का लंच हम लोगों ने वहीं पर किया। बच्चे पार्क में झूला झूल रहे थे और हम दोनों आपस में बात कर रहे थे मैं बच्चों की तरफ देख रही थी क्योंकि मुझे डर था कि बच्चे कहीं इधर-उधर ना चले जाएं इसलिए मेरा ध्यान सिर्फ बच्चों की तरफ था। हालांकि आकाश मुझसे बात कर रहे थे मैं उनकी बातों का जवाब भी दे रही थी लेकिन मेरा ध्यान बच्चों की तरफ ज्यादा था। हम लोग सब शाम को घर लौटे तो आकाश मुझे कहने लगे आज अच्छा रहा? मैंने आकाश से कहा हां आज तो सब कुछ अच्छा रहा और मुझे बहुत ही अच्छा लगा। इतने समय बाद हम दोनों एक दूसरे के साथ में समय बिता रहे थे तो हम दोनों को ही बहुत अच्छा लग रहा था हम दोनो वहां से घर लौट आए थे। हम लोग काफी थक चुके थे इसलिए आकाश ने उस दिन खाना बाहर से ही ऑर्डर करवा लिया हम लोगों ने खाना खाया और हम सो गए।

हमारे जीवन में सब कुछ सामान्य चल रहा था लेकिन एक दिन मैं अपने घर से बाहर जा रही थी तो मैंने अपने पड़ोस में देखा कि एक बड़ी सी गाड़ी खड़ी है मैं उसे देखने लगी, गाड़ी में काले शीशे लगे हुए थे अंदर कुछ दिखाई नहीं दे रहा था पर शायद अंदर कोई बैठा हुआ था। जब गाड़ी का दरवाजा खुला तो अंदर से एक नौजवान युवक निकला उसकी उम्र 28, 30 वर्ष के आस पास की रही होगी उसने मुझे कहा भाभी जी आप ऐसे गाड़ी को क्यों देख रही है। मैंने उसे पूरी बात बताई वह मुझे कहने लगी मैं आपको अपनी कार की शैर करवाता हूं पहले तो मुझे बड़ा ही अजीब सा लगा लेकिन फिर मैं कार के अंदर बैठ गई। मैं कार में बैठ गई थी और वह लड़का मुझे काफी आगे तक ले आया था मैंने उसे कहा अब वापस चले तो वह कहने लगा आपके साथ क्या मे सेक्स कर सकता हूं। मै उसकी तरफ देखने लगी उसने जब मेरी जांघ पर हाथ रखा तो मैं समझ गई कि उसे क्या चाहिए मैं दुविधा में थी लेकिन मैंने भी उसके बाद मान लिया। जब उसने मुझसे कहा कि क्या कहीं चले तो मैंने उसे कहा नहीं कार में हम लोग सेक्स करेंगे उसने मेरे होठों को चूमना शुरू किया।

हम लोग पीछे की सीट में चले गए उसने मेरे स्तनों का रसपान भी काफी देर तक किया और उसके बाद उसने जब मेरी योनि को चाटना शुरू किया तो मुझे भी मजा आने लगा मेरी योनि से गिला पदार्थ निकलने लगा। मैं पूरी तरीके से उत्तेजित हो गई थी जैसे ही उसने अपने मोटे लंड को मेरी योनि के अंदर प्रवेश करवाया तो मैं उत्तेजित हो गई और उसका पूरा साथ देने लगी। मुझे बड़ा मजा आ रहा था उसने मेरे दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया और बड़ी तेजी से मुझे धक्के मारता जाता। मैंने भी अपने पैरों को चौड़ा कर लिया और वह मेरा चूत का मजा बड़े अच्छे से ले रहा था काफी देर तक उसने मेरे साथ संभोग किया, जब उसने अपने वीर्य को मेरे मुंह के अंदर गिराया तो मैंने उसे अंदर ही ले लिया वह बहुत ज्यादा खुश था और मुझे भी बहुत खुशी हुई। मैंने उसे कहा अब बताओ तुम मेरे सपनों को कैसे पूरा करोगे उसने अपनी गाड़ी से कुछ पैसे निकाले और मुझे दिए। उसके बाद वह अक्सर मेरे घर के बाहर आ जाता और मुझे चोद कर जाता, मुझे वह कुछ पैसे दे देता। मुझे भी पैसे मिलने लगे थे तो मैंने भी कुछ समय बाद एक गाड़ी खरीद ली और अपने सपनों को मैं पूरा करने लगी।
 
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दहेज की कार में सलहज की चूत सेवा

(Dahej Me Mili Car Me Salhaj Ki Chut Seva)



मेरे प्रिय दोस्तो, अपने मेरी पिछली कहानियों को बहुत सराहा है।
पूरे 38 महिलाओं की चूतसेवा करने के बाद मैं अपने आपको को बहुत खुशनसीब समझता हूँ। शादी-शुदा महिलायें हमेशा मुझमें दिलचस्पी दिखाती रही हैं।

मैं बताना चाहूंगा कि मैं अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता हूँ और सभी महिलाओं की भावनाओं का सम्मान भी करता हूँ।

यह कहानी मेरी शादी के समय की है। बात उस दिन की है.. जिस दिन मेरा तिलक था।
मेरी ससुराल से बहुत लोग आए थे, मेरी सालियाँ और साले की बीवियाँ भी आई थीं।

मेरे साथ नाचने-गाने व डिनर करने के बाद सभी रिश्तेदार घर जाने लगे थे।
मेरे एक साले की पत्नी जिसका नाम कविता था.. अकेले आई थी। वो हमारे शहर लखनऊ की थी, साले साहब शहर के बाहर थे।
सभी लोगों को घर छोड़ने के बाद मुझे उन्हें घर छोड़ने जाना था।

तो ससुराल से मिली कार से ही उन्हें छोड़ने चला गया।
भाभी जी की उम्र 34 साल की थी.. लेकिन देखने में वो 27 की लगती थीं।
वो एक प्रोफ़ेशनल कॉलेज की अध्यापिका थीं।

मेरा साला एक एमएनसी में मैंनेजर है.. और ज्यादातर घर से बाहर ही रहता था।

कार में बैठते ही मुझे एक बार उनकी आँखों में एक शरारत सी नजर आई.. उनके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी।
कार में मैंने उनसे पूछा- बहुत खुश दिख रही हो भाभी.. क्या कोई ख़ास बात है?
भाभी- खुश क्यों नहीं होऊँगी.. जब तुम्हारे जैसा इन्सान मेरे साथ हो।

मैं थोड़ा सोच में पड़ गया कि ये क्या कहना चाहती हैं।
मैंने पूछा- आपका क्या मतलब है.. मैं समझ नहीं पाया।
भाभी- हाँ जी.. तुमने क्या सोचा कि मेरी कुछ समझ में नहीं आएगा कि तुम क्या हो.. जो लड़का कई औरतों का चहेता हो.. वो तो कुछ खास ही होगा।

मैंने अनजान बन कर पूछा- मैं समझा नहीं.. आप क्या कह रही हो?
भाभी ने अपना हाथ मेरे उस हाथ पर रखा जिससे मैंने गेयर पकड़ा हुआ था। उनके छूते ही मैंने कहा- आपका हाथ कितना गर्म है।
उन्होंने कहा- तुम्हारी भाभी भी तो गर्म है।

मैं समझ चुका था कि ये अपनी सेवा कराना चाहती है।
तब तक हम उनके अपार्टमेन्ट के बेसमेंट में बनी कार पर्किग में पहुँच गए थे।

कार को बन्द करके.. उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए.. मैंने अपना दूसरा हाथ उनके हाथ पर रख दिया।

वो मेरी तरफ़ बढ़ी.. तो मैंने भी उनका स्वागत खुली बाँहों से किया, उन्होंने भी बहुत कस कर अपनी बाँहों में मुझे बांध लिया।

उनकी जुल्फों से एक अजीब सी मदहोश कर देने वाली खुशबू आ रही थी। मैंने अपना हाथ भाभी की चिकनी कमर में डाला और प्यार से सहलाने लगा।
वो मेरे कान को अपनी जीभ से सहलाने लगी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

फ़िर अचानक उनका चेहरा मेरे चेहरे के सामने आ गया और हम दोनों एक-दूसरे के होंठों को चूमने लगे। उनके रस से भरे अधर मेरे लबों से चूसने लगे, साथ ही मैं उनके कपड़ों के ऊपर से ही उनके पूरे शरीर को भी टटोल चुका था।

मैंने कहा- भाभी बस..
तो वो बोलीं- ताव दिला कर कहा जा रहे हो राजा?
मेरा लण्ड उसे सलामी देने लगा।

कार में आगे हमें दिक्कत हो रही थी.. तो हम दोनों पीछे की सीट पर आ गए, सीट पर उन्हें लिटा कर मैं उनके ऊपर लेट गया और उनके मस्त दो कबूतरों को पिंजड़े से आजाद करके चूसने लगा, दूसरा हाथ उनके लहंगे में डाल कर उनकी चूत को सहलाने लगा।
इतनी सर्दी में भी उनकी चूत किसी भट्टी से कम नहीं थी।

उन्होंने मेरे लण्ड को अपनी मुठ्ठी में पकड़ लिया था। मैंने भी बिना समय गंवाए अपने लण्ड को बाहर निकाल उनके होंठों पर रख दिया।

उन्होंने भी मेरी भावनाओं को समझा और दस मिनट तक उसे चूसा, फ़िर मेरी गोद में बैठ कर मेरे लण्ड को अपनी रसीली चूत में ले लिया।
एक जंगली बिल्ली की तरह वो मेरे चूहे से खेल रही थी।

तकरीबन पच्चीस मिनट में वो मेरे लण्ड पर चार बार झड़ गई।
अब मेरी बारी थी.. उसने मना किया कि अन्दर नहीं करना.. और मेरे वीर्य को अपने मुँह में ले लिया। सारा वीर्य चूसने के बाद उसने कार से बाहर थूक दिया।

फ़िर कपड़े पहन कर वो अपने घर चली गई।

उसके बाद कई बार मैंने उनकी चुदाई उनके घर पर की और एक बार गाण्ड भी मारी।

मुझे लगता है दोस्तो, कि महिलाएँ भी खुल कर मस्ती करना चाहती हैं.. पर एक भरोसेमन्द साथी की तलाश की कमी रह जाती है।
 
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बहन की ननद की गांड मे दर्द


मैं जब भी अपनी बहन के बारे में सोचता हूं तो मुझे बहुत तकलीफ होती है मेरी बहन का जीवन बर्बाद हो चुका है, उसका पति राजीव बिल्कुल भी अच्छा इंसान नहीं है। हम लोगों ने उन्हें दहेज के लिए कोई भी कमी नहीं की हमसे जितना बन सकता था हमने उससे अधिक उन्हें पैसे दिए लेकिन उन्होंने तो बिल्कुल हद ही कर दी, मेरी बहन को उन्होंने बहुत परेशान किया और जब एक दिन मैं घर से बाहर जा रहा था तो मैंने राजीव को एक लड़की के साथ देखा वह दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़ कर घूम रहे थे, जब मैंने यह सब देखा तो मेरा पारा एकदम से चढ़ गया और मैं इतने गुस्से में हो गया कि मैंने राजीव को जाकर थप्पड़ भी मार दिया हालांकि राजीव मुझसे छोटा है लेकिन वह बड़ा ही बत्तमीज किस्म का व्यक्ति है, वह मुझे कहने लगा मैं तुम्हारी बहन को भी नहीं छोड़ने वाला, उसकी जिंदगी मैं पूरी तरीके से बर्बाद कर दूंगा, मैंने उससे उस वक्त हाथ जोड़कर माफी मांगी और कहा कि मुझसे गलती हो गई लेकिन मैं भी उसे छोड़ने वाला नहीं था इसीलिए मैं अब उसको सबके सामने बदनाम करना चाहता था, उसके लिए मैंने उसकी बहन का सहारा लिया।

मैंने भी उसके साथ वैसा ही किया जैसे वह मेरे साथ कर रहा था उसकी बहन का नाम मनीषा है, उसे मैं पहले ही से ही जानता हूं लेकिन उसका भी कैरेक्टर कुछ अच्छा नहीं है उसका नाम भी मैंने कई लड़कों के साथ सुना है और वह बड़ी बदनाम लड़की है। मैंने सोचा कि मुझे अब उसका ही सहारा लेना पड़ेगा और उसके लिए मैंने उससे बात करनी शुरू कर दी, मैंने उसे पैसे का लालच भी दिया वह बहुत ही लालची किस्म की लड़की है, वह अब मुझसे बात करने लगी थी और मैं पल पल की खबर उससे निकलवाता था, वह मुझे सब कुछ बताने लगी, राजीव किस वक्त घर से बाहर जाता है और उसका किस महिला के साथ चक्कर चल रहा है। राजीव का दो तीन महिलाओं के साथ चक्कर चल रहा था और उसने तो जैसे मेरी बहन की जिंदगी बर्बाद कर दी थी, वह बड़ा ही बेकार व्यक्ति है और उनका पूरा परिवार एक जैसा है, वह लोग काफी बदनाम है लेकिन हमें यह सब पहले नहीं पता चल पाया और हमारी जल्दी बाजी की वजह से हमने मोनिका का रिश्ता उस घर में कर दिया।


एक दिन मुझे राजीव का फोन आया और राजीव कहने लगा भैया जरा हमारी पैसों से मदद कर देते तो कितना अच्छा रहता, मैंने उसे साफ तौर पर मना कर दिया और उससे कहा की तुम्हें लगता है पैसों की आदत हो चुकी है क्या हम ही तुम्हें पैसा देकर पालते रहे तुम कभी कुछ नहीं करोगे, वह कहने लगा आपको पैसे तो देने ही पढ़ेंगे आपकी बहन अब मेरी पत्नी है और उसकी भलाई इसी में है। राजीव ने तो जैसे मुझे अंदर तक तोड़ दिया था और मेरे परिवार के सारे सदस्य बहुत परेशान भी थे, मेरे पिताजी का स्वास्थ्य खराब रहने लगा और उसका दोषी सिर्फ राजीव था मैं राजीव को कभी माफ नहीं करने वाला था इसलिए मैंने मनीषा से नजदकिया बढ़ाई और उससे मैं बात करने लगा, मैं जब मनीषा से सारी चीज पूछने लगा तो उसने मुझे राजीव के बारे में बहुत सारी चीजें बताइ और मुझे उसने यह भी कहा कि कैसे उसने आपकी बहन को परेशान किया है और वह उसे हर रोज परेशान करता है, मैंने सोचा कि मैं एक दिन अपनी बहन से मिल आता हूं मैं उस दिन मोनिका से मिलने के लिए चला गया, मैंने जब मोनिका को देखा तो वह बहुत ही उदास थी और कमरे में ही लेटी हुई थी उसका चेहरा भी मुरझाया सा लग रहा था और वह बहुत दुबली पतली हो गई थी। मैंने मोनिका से कहा तुम कुछ दिनों के लिए हमारे साथ चलो, मोनिका मुझे कहने लगी भैया मैं आपके साथ नहीं आ सकती, मैं बहुत ही ज्यादा परेशान हो चुकी हूं, मैंने उसे कहा कि तुम्हें मेरे साथ तो चलना ही होगा क्या तुम अपने भाई की बात नहीं मानोगी, वह कहने लगी ठीक है भैया मैं आपके साथ चलती हूं, वह मेरे साथ ही घर आ गई, जब मैं उसे घर लाया तो मम्मी पापा उसे देख कर बहुत दुखी हो गए और कहने लगे राजीव ने तुम्हारा क्या हाल कर दिया है।

मेरी मां तो बहुत जोरों से रोने भी लगी, मैंने सोचा कि मैं अब राजीव को बिल्कुल भी छोड़ने वाला नहीं हूं मेरे अंदर उसको लेकर बहुत गुस्सा भरा हुआ था और मैं उसे दिखाना चाहता था कि किसी इंसान की पीड़ा क्या होती है, मेरे अंदर बदले की भावना आ चुकी थी, राजीव बिल्कुल भी बात करने लायक नहीं था परंतु मेरी बहन के साथ उसका नाम जुड़ा हुआ था इसलिए हम लोग शांति से इस बारे में सोचना चाहते थे कि क्या किया जाए। मैंने तो अपने मम्मी से कह दिया कि मोनिका हमारे पास ही रहेगी और हम लोग राजीव के परिवार से कोई भी संबंध नहीं रखना चाहते, मेरी मम्मी कहने लगी बेटा ऐसा संभव नहीं है तुम्हे क्या यह सब इतना आसान लगता है हमारे सारे रिश्तेदार क्या कहेंगे कि बेटी को घर पर ही बैठा लिया, शायद बेटी का ही कोई दोष होगा। जब मेरी मम्मी ने यह बात कही तो मुझे भी लगा कि यह तो वाकई में बिल्कुल गलत है,

ऐसा नहीं हो सकता, मेरी तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था लेकिन मेरे लिए अच्छी बात यह थी कि मोनिका हमारे साथ रह रही थी और वह अपने आप को पहले से बेहतर महसूस कर रही थी हम लोग उसका बड़ा ध्यान रख रहे थे।

मुझे मनीषा का फोन आया वह कहने लगी मुझे तुमसे मिलकर बात करनी है। मैंने उसे कहा तुम मेरे घर पर आ जाओ वह कहने लगी तुम्हारे घर का माहौल ठीक नहीं है इसलिए मैं तुम्हारे घर पर नहीं आ सकती। मैंने उसे कहा तो फिर तुम मेरे दोस्त के घर पर आ जाओ वह कहने लगी हां यह ठीक रहेगा। वह मेरे दोस्त के घर पर आ गई जब मनीषा उस दिन आई तो वह मुझे कहने लगी मुझे तुम्हें कुछ बताना है। हम दोनों रूम में बैठे हुए हैं और आपस में बात कर रहे थे उसने राजीव के बारे में एक बहुत बड़ी बात बताई, उसने मुझे कहा राजीव ने हमारी कॉलोनी की एक लड़की को प्रेग्नेंट कर दिया वह लड़की यह चाहती है कि राजीव उससे शादी कर ले। मेरा गुस्सा जैसे सातवें आसमान पर पहुंच चुका था मैंने मनीषा के हाथ को पकड़ा और उसे अपनी गोद में बैठाते हुए कहा मुझे लगता है मुझे तुम्हें प्रेग्नेंट करना पड़ेगा तभी तुम्हारा भाई सुधरेगा। वह मुझे कहने लगी तुम ऐसा क्यों कर रहे हो मैंने उसे पैसे दिए और कहा तुम्हें सिर्फ पैसों से प्यार है तुम यह पैसे पकड़ा। मैंने उसे पैसे पकड़ा दिए और उसके कपड़े खोलने शुरू कर दिए वह पैसे उसने अपने बैग में रख लिए। मैंने उसके कपडे खोले तो उसकी चूत में हल्के भूरे रंग के बाल थे, उसकी चूत से पानी भी निकल रहा था। मैंने जब उसके बड़े स्तनों पर हाथ लगाना शुरू किया तो वह मुझे कहने लगी तुम जल्दी से मेरी चूत मारो। मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवा दिया, मेरा लंड उसकी योनि में प्रवेश हुआ तो उसे बहुत अच्छा महसूस होने लगा। मैं उसे लगातार तेज गति से धक्के देने लगा मैंने उसकी चूत बहुत देर तक मारी जब मेरा वीर्य गिर गया तो मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ और काफी शांति मिली। मैंने जब उसकी गांड में उंगली डाली तो उसने मुझे कहा तुम मेरे गांड मत मारो। मैंने उसे और पैसे दिए मैने उसे कहा मुझे तो तुम्हारी गांड मारनी है। मैंने जैसे ही उसकी गांड में अपने लड को लगाया तो वह कहने लगी मुझे बहुत तेज दर्द हो रहा है। मैं उसकी गांड बड़ी तेजी से मारता रहा जब उसकी गांड कुछ ज्यादा ही दुखने लगी तो मुझे भी एहसास हुआ उसकी गांड में बहुत ज्यादा दर्द होने लगा है लेकिन मेरा उसे छोड़ने का बिल्कुल मन नहीं हो रहा था। मैंने उसे कहा तुम अपनी बडी चूतड़ों को मुझसे मिलाते रहो वह भी अपनी बड़ी चूतडो को मुझसे मिलाती जाती, मैं उसे लगातार तेज गति से धक्के मार रहा था। जब मेरा वीर्य पतन होने वाला था मैंने उससे कहा मेरे वीर्य पतन होने वाला है। उसने मुझे कहा तुम मेरी गांड में ही डाल दो जिससे मेरी गांड की आग बुझा जाए। मैंने अपने वीर्य को उसकी बड़ी गांड के अंदर गिरा दिया उसने जल्दी से कपड़े पहने। मैंने उसे कहा आज के बाद मैं तुम्हे हमेशा चोदूंगा कुछ समय बाद वह प्रेग्नेंट हो गई थी। उसके बाद राजीव की भी गांड फट गई मैंने उसे कहा जब तक तुम मेरी बहन को अच्छे से नहीं रखोगे मैं तुम्हारी जुगाड बहन को भी नहीं छोड़ने वाला।
 
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जहां चाह वहां राह।

जैसा कि आप जानते हैं कि आजकल कोरोना की बीमारी चल रही है.

मैं भी गुड़गांव से अपने घर आया तो मुझे गांव के सरकारी स्कूल में क्वारंटीन सेंटर में रखा गया।
मेरी डॉक्टर से पहचान थी तो एक छोटा रूम अलग से मिल गया जिसमें एक पलंग, टेबल, 2 कुर्सी रखी थी,उसमें मैं अकेला रूका था।

हमें देखने के लिए डॉक्टर और नर्स आते थे।
एक दिन डॉक्टर नहीं आए और रात में एक नर्स की ड्यूटी लगी। उसकी उम्र 32-34 साल होगी। बड़े बड़े बूब्स बाहर निकली बड़ी गांड, रंग हल्का सांवला था।
वो शायद दूसरे गांव के सरकारी अस्पताल में थी और आज उसकी ड्यूटी थी।

रात को सबने 8 बजे खाना खा लिया और कुछ लोग बाहर घूमने लगे, कुछ बिस्तर पर लेट गए।

9 बजे सबका चैकअप शुरू हुआ। मैं अपने रूम में अन्तर्वासना हिंदी सेक्स कहानी साईट खोल कर पढ़ने में लगा था. मैंने एक हाथ अपनी अंडरवियर में डाल रखा था।
मुझे पता ही नहीं चला कि कब नर्स रूम में आ गई और मुझे देख रही थी।

थोड़ी देर बाद आवाज आई- चलो चैकअप के लिए तैयार हो जाओ!
मैं एकदम से हड़बड़ा गया और जल्दी से हाथ बाहर निकाल लिया और तौलिया लपेट लिया।

मेरा लौड़ा खड़ा हो गया था और नर्स ने देख लिया था।

उसने मुझे चैक किया वो बोली- राज शर्मा?
मैंने कहा- हां।
नर्स बोली- आप तो एक दम नोरमल हो!
मैंने कहा- हां, मैं पूरी सेफ्टी से आया हूं।
बो बोली- सही है.

फिर मैंने कहा- सबका चैक‌‌अप हो गया?
वो बोली- हां।
फिर मैंने उसे बेड पर बैठने को कहा और फिर हम बात करने लगे।

उसकी बात से पता चला कि उसका पति 1 माह से उसके साथ नहीं है।

तभी एकदम से लाइट चली गई मैंने मौके का फायदा उठाकर मोमबत्ती उठाने के बहाने से उसके बूब्स दबा दिए।
वो कुछ नहीं बोली.

तो मेरी हिम्मत बढ़ गई मैंने उसको अपनी बांहों में भर लिया और और उसके होंठों को चूसने लगा। शायद वो भी चुदाई के लिए तरस रही थी तभी उसने मेरी किसी हरकत का नाममात्र भी विरोध नहीं किया.

मैं उसे चूम रहा था और उसके जिस्म पर अपने हाथ फिरा रहा था. मैंने उसके बड़े बड़े स्तन खूब मसले. वो बी मजा लेकर अपनी चूचियां मसली जाने का मजा ले रही थी और हल्की हल्की सिसकारियां भर रही थी.

उसर पूरी तरह से गर्म करके मैंने पहले तो उसकी साड़ी को खोल दिया. फिर उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और उसकी पैन्टी के ऊपर से सहलाने लगा.
वो मुझे कस कर पकड़ ली और मेरी अंडरवियर में हाथ डालकर लंड को सहलाने लगी।

मैंने उसकी पैंटी उसकी जांघों पर कर दी और उसकी चिकनी चूत में उंगली डाल दी।
उसकी सिसकारी निकल पड़ी- उईह्ह आह हां!
अब मैं अपनी उंगली नर्स की चूत के अंदर बाहर करने लगा।

तब मैं उठा और उसके ब्लाउज और ब्रा भी उतार दिया. अब वो नर्स मेरे सामने नंगी हो गई थी।
तभी लाइट आ गई मैं उसे देखकर पागल हो गया।

वो बोली- राज तुम पहले गेट अंदर से बंद कर दो.
मैंने झट से गेट और पर्दे बंद कर दिये।

उसने मेरी बनियान और अंडरवियर उतार दी और मेरे लौड़े को मुंह में लेकर चूसने लगी।
क्या मस्त लौड़ा चूस रही थी मुझे रेखा आंटी की याद आ गई।

मैंने उसके सर को पकड़ कर झटके मारना शुरू कर दिया और उसके मुंह को चोदने लगा।

अब मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया उसकी दोनों टांगों को चौड़ा कर दिया और उसकी चिकनी भूरी चूत में अपनी जीभ घुसा दी और चूसने लगा.
वो आनन्द के मारे उछलने लगी- आह हहहह ऊई ईई ईईई ऊईई ईहहई आहह हहह हह!
ऐसी आवाज निकालने लगी.

मैंने जीभ को उसकी चूत के अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया और चोदने लगा।
उसकी चूत लाल हो गई।

अब मैंने उसकी चूचियों को चूसना शुरु कर दिया और लंड चूत में घिसने लगा।
उसकी बड़ी बड़ी चूचियां टाइट होने लगी।

उसने मेरे लौड़े को अपनी चूत में सेट किया … मैंने जोर का धक्का लगाया और लंड चीरता हुआ अन्दर घुस गया।
वो ‘ऊईई ईईई ईईई ऊईईई ईई आहह ह हहह’ चिल्लाने लगी मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

धीरे धीरे मैं अपने लौड़े को नर्स की चूत में चलाने लगा। अब उसका दर्द कम होने लगा।
वो और भी गरम हो गई और नीचे से अपनी गांड मटकाने लगी.

मैं समझ गया कि अब इसे जोरदार चुदाई की जरूरत है. और मैंने लन्ड की रफ्तार बढ़ा दी।
अब गपागप गपागप मेरा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर होने लगा.

वो नर्स सेक्स के मजे में बोली- राज, तुम मस्त चोदते हो! पहले भी किसी लड़की को चोद चुका है क्या?
मैंने जोर का धक्का लगाया और कहा- मैं चुदाई का दीवाना हूं और बहुत औरतों लड़कियों को चोदा है।

अब तक हम दोनों पसीने में पूरे भीग चुके थे।

मैंने उसे उठाकर टेबल पर लिटा दिया और खड़ा हो कर उसकी चूत में लन्ड घ
 

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