Ik ladki pagli si

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UPDATE 1


अपने कमरे मे एकांत में बैठी वो सपनो के समंदर में टायर रही थी. आँखे खुली रहें या वो रहें बंद, उसके सपनो की आवा जाहि कभी बंद नही हुआ कराती थी. थी तो वो अब 25 की, शादी नही हुई थी, और ना ही अभी होने की कोई उमीद थी. पेशे से वो केमिस्ट्री टीचर थी पास के हाइ स्कूल में. नौकरी का उसका कोई शौक नही था, और ना ही उसे कोई ज़रूरात थी. पर आख़िर इतने बड़े घर में अकेले वो कराती क्या, इस लिए वो हाइ स्कूल में पढ़ाया कराती थी. ऐसे तो वो हर सब्जेक्ट्स पढ़ा सकती थी, पर केमिस्ट्री ही चुना उसने पढ़ने के लिए, वो क्लास 11 और 12 में केमिस्ट्री पढ़ाया कराती थी. इस लड़की का नाम था प्रिया. पूरा नाम प्रिया स्रिवास्तवा. इसके पापा का नाम था महेश स्रिवास्तवा, जो की अभी 50 साल के थे, और अपने बहुत बड़े बिज़्नेस को सम्हलने में रात दिन बिज़ी रहा करते थे. प्रिया की मा थी सुनंदा. सुनंदा स्रिवास्तवा अपने पाती के बिज़्नेस को सम्हलने में मदद कराती थी. पैसे की कोई कमी नही थी, और जैसा मैने कहा की सिर्फ़ आपने अकेलेपन को दूर करने के लिए ही प्रिया पढ़ाया कराती थी.

प्रिया के पापा बहुत स्ट्रिक्ट थे इस मामले में की घर में डिसिप्लिन बना रहे. उन्होने अपनी पूरी ज़िंदगी बहुत ही डिसिप्लिंड ढंग से बिठाई, और शायद यही कारण भी था की आज वो बहुत बड़े सक्सेस्फुल बिज़्नेसमॅन थे. उनको घर की प्रातिष्ठा, खानदान की मन सम्मान की बहुत चिंता रहती थी. वो ऐसा कोई काम ना खुद करते ना घर में अपने परिवार में किसी को करने देते जिससे की उनके और परिवार के मन सम्मान पे कोई दाग लगे. उनका अनुशण और कारक मिज़ाज़ घर में नौकरो चाकरो से लेकर खुद की बीवी और बछीोन पे बना रहता था. हर कोई उनसे डराते थे. उनके गरम और स्ट्रिक्क स्वाभाव से डराते थे. महेश स्रिवास्तवा अपनी बड़ी बेटी प्रिया की शादी खुद के कॅस्ट के किसी अमीर लड़के, जो की उनके हसियत में आए, वैसे लड़के से शादी करवाना चाहते थे. ऐसे लड़के पर जल्डो मिलते कहाँ हैं, थोड़ा वक़्त तो लग ही जाता है. और इसी लिए प्रिया 25 की हो गयी थी, वैसे उसे पढ़ाई अपनी 23 की उमर में ही कंप्लीट कर ली थी. 24 साल की हुई तो उसने कॉलेज में पढ़ने का काम शुरू कर दिया था. प्रिया ग्रॅजुयेट थी, सिटी कॉलेज से. महेश स्रिवास्तवा की छोटी बेटी थी शालिनी, जो की अभी 19 की थी और वो सिटी कॉलेज में ही पढ़ाई कर रही थी.

प्रिया रोज़ की तरह अपने कमरे के बाहर के चाट पे बैठी थी चेर पे. उसका कमरा सबसे उपर के माले पे था. उसको अकेलापन पसंद था और इसी लिए वो सबसे उपर के कमरे में रहती थी. उसके कमरे के बाहर खुला चाट था, जिसपे घर के नौकर चाकर कपड़े सूखने के लिए आते थे. और इसके अलावा कोई नही आता था. शालिनी उपर आती अगर उसको प्रिया से कोई अर्जेंट काम है तो, नही तो वो भी नही आती थी उसके कमरे में. सुनंदा, प्रिया की मा, वो तो जैसे उपर कभी जाना चाहती ही ना थी. उसका समय कहा होता था घर में ध्यान देने को, वो तो ज़्यादा तार समय बिज़्नेस में हाथ बतने में ही गुज़र देती थी. शालिनी की पढ़ाई चल रही थी तो वो ज़्यादातर पढ़ाई में, अपने कॉलेज में, और अपने कॉलेज के दोस्तो में बिज़ी रहती थी. प्रिया के पास सिर्फ़ स्कूल में पढ़ना, और बाकी का समय घर में रहना, यही थी उसकी दिनचर्या. कहीं बाहर घूमने जाना, दोस्तो से मिलना, ऐसा नही था उसके साथ. उसके पापा के स्वाभाव के चलते उसके बहुत कम ही दोस्त बने थे, लड़के तो बिल्कुल भी नही. महेश को ये बिल्कुल पसंद ना था की प्रिया किसी भी लड़के से मिले जुले, घर की बड़ी बेटी थी वो. शालिनी के लिए भी यही रूल्स थे पर शालिनी प्रिया के जैसी अग्यकारी नही थी. मस्ती से भारी, चुलबुली लड़की थी.

घर में काफ़ी नौकर चाकर थे. एक था ड्राइवर, जिसका नाम भोला था. उमर उसकी लगभग 35 के आस पास होगी. दूसरे थे रामू काका, जो घर में खाना बनाते थे. इनकी उमर 58 साल थी. विमला घर में झारू फटके का काम कराती थी. विमला शादी शुदा थी, और उसका एक बच्चा भी था 5 साल का. वो पास के महोल्ले में रहती थी. हर दिन सुबह सुबह वो घर आती थी और सारा काम दोपहर तक निपटा के किसी और के घर काम करने चली जाती थी. बस इतने लोगो से ही घिरी होती थी प्रिया. रामू काका का काम खास कर ये भी था की वो प्रिया का धान रखे. प्रिया थी तो बहुत शांत स्वाभाव की, पर कभी कभी हाइपर हो जाती थी. मानो जैसे की कोई दौरा परा है. थोड़ी देर चीखती चिल्लती, गुस्सा दिखती लोगो पे, पर अगले ही पल शांत हो जाती, फिरसे नॉर्मल हो जाती. चिंता की कोई बात नही है, ऐसा बताया था डॉक्टर ने. दे तो दे लाइफ की स्ट्रेस में ऐसा हो जाता है ये बोलके बस खुश रहना ही दवा है प्रिया की, ऐसा बोलके डॉक्टर ने सुनंदा और उसके पाती को राई दी थी. महेश तो यही सोचा कराता था की प्रिया अब कॉलेज में पढ़ने लगी है तो उसका मॅन लगा रहता होगा. शादी करनी बाकी है उसकी, वो हो ही जाएगी जैसे ही उनके पसंद का लड़का मिल जाता है तो. पर प्रिया के अंदर क्या चल रहा था शायद कोई नही जनता था.

हर शाम के जैसे वो कुर्सी पे बैठी थी, और अपने सपनो के समंदर में टायर रही थी. कुछ बीते हुए दिन याद आते थे, तो कोई ऐसी बातें भी मॅन में आती थी जो पूरी ना हो सकी. दुनिया तो सिर्फ़ बाहर का चेहरा देख के उसके सुंदराता को बयान कराता था, पर उसके अंदर जो आग थी उसकी गर्माहट ना तो वो बाहर आने देती थी और ना कोई भाँप पाया था. एक ने भाँपा था, उसके गर्माहट को महसूस किया था. प्रिया अभी उसके ख़यालो में ही थी. कुर्सी पे बैठे हुए, अपनी एक तंग को मोर के अपनी दूसरी टाँग सामने रखे मेज़ पे टिकाए थी. वो सलवार कमीज़ में थी. अँग्रेज़ी टाइप के कपड़े पहनने के सख़्त खिलाफ थे महेश बाबू. बाल उसके खुले थे और हवाओं के साथ मिल झूम रहे थे. उसके भरे हुए होंठ, जिसपे गुलाबी ग्लॉस की चमक थी, हल्के खुले थे. उसके होंठ उसके चेहरे को अत्यंत कामुक बना देते थे. उसकी आँखें बंद थी, और दिमाग़ उसकी हरकतों में खोया था. कुछ याद आता तो वो अपने चमकते होंठो पे हल्के से अपनी जीभ फेराती. मेज़ पे टीका उसके गड्राए टाँग थोड़ा हुलचल करते, और लाल नैल्पोलिश से सुसजीत उसके पैर के नाखूनओ को वो मेज़ पे रगड़ती. जिसने उसके जवानी को झंझोरा था पहली बार, वो उसको कभी भूल नही सकती थी. पहला नशा यौवन की मस्ती का उसने ही प्रिया को करवाया था. था तो उम्र में उससे छोटा, पर ना भूलने वाली बातें उसके यादों में चोर गया. उसका नाम रवि था.

रवि गाव से इस सहर में आया था ित जी की टायरी के लिए कोचैंग करने. अब वो 18 साल का हो चुका था. फिज़िक्स और मेद्स की टीयूशान तो उसने पाकर ली थी. वो कोचैंग में कई दोस्त बनाया अपने, पर उन दोस्तो में से सबसे ज़्यादा करीब था वो राकेश और चंदन के. राकेश और चंदन भी 18 साल के हो चुके थे. इन दोनो का घर यहीं इसी सहर में था. इनके मदद से ही बाहर से आया रवि एक रूम रेंट पे ले पाया. चंदन और राकेश एक ही फ्लॅट में रहते थे, और रवि उसी गली के अंतिम मकान के सबसे उपर वाले रूम में. पढ़ाई करने के लिए कई लड़के लाकिया सहर आते थे. कोचैंग तूतिओन्स की मानो भीर सी थी इस सहर में. रवि भी एक अस्पाइरिंग लड़का था और अपने खवाबो को पूरा करने के लिए मेहनत करने सहर आ गया था.

हर दिन शाम में तीनो मिलके टहलने निकलते थे. कभी कभी वो साथ में सिनिमा भी हो लेते थे. पर चुकी राकेश और चंदन का घर यही इसी सहर में था, तो उनके मा पिता और बाकी के घर वाले भी तो साथ में रहते थे. इसी कारण से रवि के साथ ज़्यादा देर समय नही दे पाते थे और घर जाना पर जाता था. आख़िर पिताजी से दाँत सुनना किसे पसंद था. फिज़िक्स और मेद्स की कोचैंग तीनो एक जगह ही करते थे, और साथ ही आना जाना होता था इनका. रवि ने अभी तक केमिस्ट्री की कोचैंग नही जाय्न की थी. पर सोच रहा था की ज्प ऑप्षन्स हैं उसके पास वो उनमे से किसे चुने. केमिस्ट्री उसके लिए कठिन विषय रहा है शुरू से.

एक शाम वो तीनो बगीचे में बैठे बात कर रहे थे.
 
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UPDATE 2

रवि- यार मैने अभी तक केमिस्ट्री क्ोआहिंग कहीं जाय्न नही की. समझ नही आ रहा कहाँ पढ़ु. खुद से मेरी केमिस्ट्री की पढ़ाई हो नही पाती.

राकेश- क्या यार हर समय पढ़ाई की बात लेके बैठ जाता है. उधर देख ना कितनी हसीन औरातें आईं हैं.

रवि- हाँ औरातें आईं हैं. लड़किया नही.

राकेश- यार अपने उमर से बड़ी औरातों में जो बात है वो हुमुमर लड़कियो में कहाँ.

रवि-यार चंदन, ये पागल हो गया है क्या.

चंदन- नही यार. बात सही है. बस नज़रिए का अंतर है. तू क्या पसंद कराता है बस उसकी बात है.

रवि- मतलब तू भी बड़ी लड़किया ही पसंद कराता है क्या.

चंदन- हन. एक दूं. हंसते हुए उसने बोला.

रवि- मेरी मकान मालकिन बता रही थी की कोई महेश स्रिवास्तवा रहते हैं अगले कॉलोनी में. उनकी बेटी प्रिया बहुत अच्छा केमिस्ट्री पढ़ती हैं. पर वो स्कूल में पढ़ती हैं. मॅकिन मालकिन ने बताया की मैं एक बार जा के पूछ लू वाहा. सहायद टीयूशान देने के लिए टायर वो जाए. पर मैं जनता नही यार की टीचर कैसी है. आख़िर इतना पैसा लग रहा है. ठीक से पढ़ाई भी….

राकेश उसकी बात तुरंत काट ते हुए बोल पराता है.

राकेश – ओ तेरी. प्रिया माँ! यार वो तो माल है पूरी की पूरी. कसम से भाई एक दम आइटम है.

चंदन- हाँ यार. हमारे स्कूल में ही तो पढ़ने आई थी. साला सिर्फ़ 6 महीना ही पढ़ पाए. वरना कसम से मॅन की मुराद तो पूरी कर ही लेते साल भर में.

रवि – अरे बकवास ना कर. तू बता ना. अच्छा पढ़ती हैं क्या.

राकेश – आबे छूतिए. इतनी मालदार आइटम क्लास में हो और हम पढ़ाई करें, ऐसी भोसरिगिरी हुंसे ना होती थी भाई. यार तू एक बार देखे गा ना तो तू पेंट गीला कर देगा.

रवि – ड्ऱ के मारे?

राकेश- आबे नही भोसरि. तेरा लॉरा खड़ा हो के हुंकारी मरने लगेगा. बहुत सेक्सी हैं यार वो. गड्राया हुआ जिस्म, भगवान ने गोरेपन के मोतियों से सजाया है. माथे से ले के उसके पैर के तलवो तक, हीरा है वो हीरा.

चंदन- आबे वो पढ़ती भी बहुत अच्छा है. मैने उनका एक भी क्लास नही मिस किया था स्कूल में. काश मैं एक बार उसके बदन को मसल पता. अया! उसके जिस्म को याद करके ही मेरा लॉरा ठनक जाता है.

राकेश- आबे चंदन भोसरि, जब वो केमिस्ट्री पढ़ती हैं तो हम दोनो चूतिया कहीं और क्यूँ पढ़ना शुरू कर दिए. तू बेटीचोड़ बता नही सकता था?

चंदन-आबे भर्वे चुप कर. साला खाली मैं ही सारी खबर रखू, और तू बस शीला आंटी का फोटो सब देख देख के मूठ मार.

रवि- यार ये शीला आंटी कौन है?

रखेश- वो सब अभी चोर. तू जा प्रिया से पढ़ने. किसी भी कीमत पे पढ़ वाहा. और उसका जिस्म स्कॅन करके हमे बठाना की कैसी है वो.

रवि – आबे चोर ना. पढ़ना है मुझे बस.

चंदन – सेयेल तू जा के उनको देख तो पहले. फिर तू खुद बताएगा. सेयेल बस झूठ मत बोलिए की नही पसंद आई. वरना मैं लंड काट लूँगा तेरी. वो डार्लिंग है मेरी भाई…..

आहें भराते हुए चंदन बोला. रवि कुछ पल सोचने लगा. वो सोच रहा था की अभी बाकी कोचैंग सेंटर्स में केमिस्ट्री के बॅचस भरे हुए हैं, तो वो और जाए भी तो कहाँ पढ़ाई क लिए. इस लिए वो डिसाइड कराता है की स्रिवास्तवा के घर जा के बात कर लेगा एक बार.

रवि – लेकिन यार अनसर्टंटी हैं यहा. वो स्कूल में पढ़ती हैं. मालूम नही टीयूशान देंगी या नही.

चंदन- छूतिए. उनसेरनतनी प्रिन्सिपल चोर. और लंड की औकाड बढ़ा के जा वहाँ बात करने.

राकेश- हाँ यार रवि. तू जा एक बार उनके यहा बात करने.

रवि – ठीक है भाई. ज़ाऊगा बात करने.

सनडे को सुबह सुबह रवि अपने रूम से निकल पराता है. सोच रहा था की आंटी ने बताया था की स्रिवास्तवा का घर बहुत बरा है. बहुत पैसे वाले लोग हैं. कहीं बहुत ज़्यादा पैसे की डिमॅंड ना करें. पर ट्राइ करके देखने में क्या हर्ज़ है. ये सब सोचते हुए वो पैदल चहलकदमी करते हुए स्रिवास्तवा के घर पहुँच गया. मैं गाते पे वॉचमन ने पूछा की क्या काम है किससे मिलना है, तो रवि ने सहजता से बोला की वो केमिस्ट्री के क्लासस के लिए बात करने आया है.

वॉचमन – वो स्कूल में पढ़ती हैं. कोई टीयूशान नही लेती.

रवि- पर आप मुझे एक बार बात तो करने दीजिए.

वॉचमन – भाई बात करके होगा ही कुछ नही. मैं बता रहा हू ना की वो नही पढ़ती टीयूशान. अब निकलो जाओ.

रवि बस मुरके जाने वाला ही था और जाने से पहले वॉचमन को फिर बोला, ‘मैं पीछे के कॉलोनी में रात्ना आंटी के आया रहता हू. उन्होने ने ही बोला था स्रिवास्तवा अंकल से बात करने के लिए. ठीक है आप बस उनको इनफॉर्म कर दीजिएगा की रात्ना आंटी के यहा से कोई आया था.‚

इतना बोलना था की गाते के पास से ही आवाज़ आई.

‘बहादुर, आने दो अंदर.‚

वॉचमन ने गाते खोला और रवि अंदर आ जाता है.

रवि चेहरे से बहुत ही मासूम लगता था. लंबाई 5 फीट 6 इंच थी. और शारी से फिट था. बॉडी षोदी नही थी उसकी, पर फिट था वो.

जिन्होने अंदर आने को बोला था वो स्रिवास्तवा साहब थे, महेश स्रिवास्तवा, प्रिया के पापा.

महेश – बोलो जी. क्या काम है.

रवि – सिर मैं रात्ना आंटी के यहा रहता हू. यहा सहर पढ़ने आया हू. पर केमिस्ट्री के लिए आंटी ने मुझे बाते की प्रिया माँ से अच्छा कोई नही पढ़ा सकता. तो मैं सोचा क्यू ना मैं पूछ लू. केमिस्ट्री बहुत वीक है मेरी. पर ित के लिए इंपॉर्टेंट होता है हर सब्जेक्ट पे कमॅंड होना. प्लीज़ अगर आप मेरी हेल्प कर पाते तो…

महेश – बेटा तुम पढ़ने आए हो बहुत अच्छी बात है. पर मेरी बेटी तूतिओन्स नही लेती. वो तो बस स्कूल में पढ़ती है. 11-12 को.

रवि थोड़ा निराश हो जाता है. थोड़ी देर शांत रहने के बाद महेश बोल पड़ते हैं:

‘वैसे एक काम करो, आओ आओ अंदर आओ. यहा बैठो. बेटी आती है तो एक बार उससे बात कर लेना. शायद राज़ी हो जाए.‚ और मुस्कुराते हुए वो अंदर बेटी को बुलाने चले जाते हैं.

रवि बस प्रठना कर रहा था अंदर से की प्रिया माँ राज़ी हो जाए. वो वरॅंडा में बैठा था. घर काफ़ी बरा है, पैसा बहुत है इनलोगो के पास, ये सब बातें चल रही थी उसके दिमाग़ में. इधर उधर देख रहा था, कभी बगीचे में, तो कभी वरॅंडा के सीलिंग को. पर तभी पीछे से मीठी पर कॉन्फिडेंट सी आवाज़ आई….

‘नाम क्या बताया तुमने अपना?‚

रवि- जी मेरा नाम रवि है. मैं रात्ना आंटी के यहा रहता हू. उन्होने….

प्रिया- अरे बस बस. जानती हू मैं.

हंसते हुए प्रिया ने बोला. वो रवि के सामने परे कुर्सी पे बैठ जाती है.

प्रिया – तो तुम जी की प्रेपरेशन कर रहे हो. फेवोवरिट सब्जेक्ट्स क्या हैं तुम्हारी.

रवि – माँ फिज़िक्स मेरी फअवट है. मेद्स में भी इंटेरेस्ट है. पर माँ मैं केमिस्ट्री में बहुत वीक हू.

निराश होते हुए रवि ने बोला.

प्रिया – अरे ये तो बहुत अच्छी बात है की तुम्हारी फी और मेद्स अच्छी है. रूको. मैं छोटा सा टेस्ट लेती हू.

ये बोलके प्रिया अंदर चली गयी. रवि ड्ऱ रहा था की उसने इधर ज़्यादा रिवाइज़ नही किया पोर्षन. पता नही जवाब दे पाएगा के नही. थोड़ी ही देर में प्रिया वापस आ जाती है.

प्रिया – मैं तुम्हे एक फी का क्वेस्चन दे रही हू. और टाइम है 15 मीं. ये क्वेस्चन वैसे 10 मीं में सॉल्व किया जा सकता है पर मैं तुमेह 15 मिनिट दे रही हू. ये लो.

रवि कॉपी पाकरते हुए क्वेस्चन को पड़ता है. प्रिया उसे इशारो में बताती है मुस्कुराते हुए की घारी में समय शुरू हो चुका है. रवि अपना सिर नीचे कर अपना पूरा ध्यान क्वेस्चन पे लगा देता है.

प्रिया एक मॅगज़ीन उठा के पन्ने पलतने लगती है. रवि क्वेस्चन सॉल्व करने में लगा था. उसने शायद 7 मिनिट ही लिए होंगे, और क्वेस्चन सॉल्व हो गई. पर जैसे ही वो बोलने वाला था की उसने सॉल्व कर लिया है तो उसने देखा की प्रिया बड़े धान से मॅगज़ीन में खोई है. रवि ने अभी तक प्रिया को ठीक से देखा भी नही था. उसकी नज़रे अब प्रिया को स्कॅन करने लग जाती हैं. सिर से लेके पैरो के तलवे तक घूर के उसे देख रहा था वो. प्रिया ने गुलाबी सूट पहना था. लेगैंग्स टाइट थी, और मांसल सही उभर वाले टॅंगो को आलिंगन में लिए हुए थे. प्रिया के दाहिने पैर में एक पतली से पायल थी. प्रिया ने गुलाबी रंग की नाइल पोलिश भी लगा न्यू एअर थी. प्रिया गोरी थी. स्लीव्ले पहने होने के कारण रवि उसके चमकते गोरी बाहों को देख पा रहा था. मॅगज़ीन सामने होने से वो उसकी छाती नही देख पाया. वो वापस प्रिया की नशीली टॅंगो पे अपनी नज़र ले आता है. मादक अंदाज़ में वो अपने दाहिने पावं को हिला रही थी.

इन सबका असर रवि का लंड प्रदर्शित करना शुरू कर दिया था. पर तभी प्रिया मॅगज़ीन से मुँह उठा के रवि की ओर देखती है. रवि सिर झुकाए उसके पैरो की और देख रहा था.

प्रिया – अरे. क्या देख रहे हो. सवाल समझ नही आया क्या.

रवि घबराता हुआ बोलता है, ‘ मैने सॉल्व कर लिया माँ‚

प्रिया – अरे तो बठाना चाहिए था ना. तुमने तो 10 मिनिट में ही सॉल्व कर दिया लगता है. बताया क्यू नही. (मुस्कुराते हुए प्रिया ने कहा)
 
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UPDATE 3
रवि – जी माँ वो मैं कहीं खो गया था.(फिर सम्हलते हुए प्रिया से बोला). माँ देखिए ठीक सॉल्व हुआ है के नही.

प्रिया उसके जवाब को चेक करने लग जाती है. और रवि अबकी बार उसके सिने के उभरो को देखने लगता है. कुर्ते से क्लीवेज तो नही दिख रही थी पर गोरी गर्दन, और उसके नीचे फुटबॉल जैसी उभारों के होने का एहसास हो जा रहा था.

प्रिया – वेरी गुड! तुमने बिल्कुल सही सॉल्व किया है. तुम्हारी फी और मेद्स दोनो अच्छी है. तुम बस केम ठीक कर लो तो जी में क्वालिफाइ कर जाओगे तुम. (उस्कुराते हुए प्रिया ने बोला)

रवि – अगर आप पढ़ाए तो मैं केमिस्ट्री में भी अच्छा हो ज़ाऊगा. (मुस्कुराते हुए)

प्रिया – तुम कल से आ जाओ पढ़ने. शाम को 4.30 में आ पाओगे ना?

रवि – बिल्कुल माँ. (खुशी से झूम उठता है)

प्रिया – ठीक है चलो फिर. कल से हुमलोग पढ़ाई शुरू करते हैं. (मुस्कुराते हुए)

रवि – जी माँ, वो आपकी फीस कितनी देनी होगी. (धीमी आवाज़ में)

प्रिया – कुछ भी नही. मैं तुमसे फीस नही लूँगी. तुम क्वालिफाइ कर के दिखाओ ित, वो ही मेरी फीस होगी. (हंस कर प्रिया ने बोला और हाथ मिलने क लिए अपना हाथ बढ़ाया)

रवि हाथ मिलता है. और उसके कोमल हाथो का एहसास पता है.

आजरावि के खुशियो का ठिकाना नही था. वो खुशी से अपने रूम की आयार चल देता है. शाम में उसके दोस्त लोग भी मिलने वाले थे. ये सब सोचता हुआ वो चलता जाता है घर की आयार.

दोपहर के 4 बजे रवि के सेल पे कॉल आया. कॉल राकेश ने किया था.

राकेश – क्या रे. कैसा है. बात किया था माल से आज?

रवि – माल से?

राकेश – आबे तेरी केमिस्ट्री टीचर के बड़े में पूछ रहा हू सेयेल.

रवि – हाँ रे. हुआ बात.

राकेश – तो क्या बोला उसने.

रवि – मन गयी. पढ़ने के लिए मन गयी है.

राकेश – ओ तेरी. सेयेल पार्टी दे. भोसरि के अभी मिल और पार्टी दे.

रवि – आबे पागल. पार्टी किस बात की.

राकेश – आबे चूतिया मत बना. अभी के अभी मिल और पार्टी दे.

रवि – अच्छा अच्छा. पर कहाँ पे मिलूं?

राकेश – अभी तू टायर हो के रूम से निकल. मैं तेरे तरफ ही आता हू बाएक लेके.

रवि फोन रख देता है. वो टायर होने लग जाता है. आख़िर लाते करके उसे राकेश की और गल्लां गाली नही सुन्नी थी. वो रीड कलर की टशहिर्त और जीन्स पहनता है. रूम से निकल के वो नीचे जाने लगता है. तभी नीचले टल्ले पे रात्ना आंटी मिल जाती हैं.

रात्ना – अरे रवि. बात हुआ था स्रिवास्तवे जी के यहा? क्या बोले वो?

रवि – आंटी प्रिया माँ टायर हो गई हैं पढ़ने के लिए. कल से मुझे जाना है उनके यहा पढ़ाई करने.

रात्ना – अरे वा. ये तो बहुत अछी बात हुई. बस अब मॅन लगा के पढ़ाई करना. फीस के लिए कितना बोला है उन्होने.

रवि – जी वो फीस नही लेंगी. (हंसते हुए…)

रात्ना – ये तो और भी बढ़िया. मॅन लगा के पढ़ना बेटा. (मुस्कुराते हुए बोलती है…)

रवि मुस्कुरा कर एज बढ़ने लगता है. तभी रात्ना ने एक बार फिर से टोका.

रात्ना – इस टशहिर्त में तो बहुत हॅंडसम लग रहे हो. कूल एक दूं. (ज़ोर से हंसते हुए..)

रवि – थॅंक यू आंटी. (और वो तेज़ी से बाहर निकल जाता है)

बाहर निकलते ही रवि की नज़र राकेश पे पार्टी है. राकेश अपनी पुल्सर लेकर वाहा इंतेज़ार कर रहा था.

राकेश – भर्वे इतना लाते क्यू कराता है.

रवि – अरे वो रात्ना आंटी ने रोक लिया था. वो कुछ बात करने लगी थी.

राकेश – रात्ना ने. क्या बोल रही थी वो. वो भी आइटम है. लेकिन सिर्फ़ कमर के उपर.

रवि – बोल रही थी की मैं इस टशहिर्त में बहुत हॅंडसम लग रहा हू. (मुस्कुराते हुए…)

राकेश – आबे तो तूने बोला क्यू नही की हॅंडसम लग रहा हू तो एक चुम्मा दे दीजिए ना. (ज़ोर से हंसते हुए)

रवि – चल बकवास मत कर. (बाएक पे बैठे हुए राकेश के पीछे)

राकेश – सेयेल तुझे हर बात मज़ाक लगती है क्या. ऐसी छोटी छोटी बात बोलता रहेगा तो ही इनका रणदीपना निखार के बाहर आएगा. वरना माल्टा रह जाएगा अपना सुपरा और कुछ मज़ा नही आएगा. समझे के नही…(बाएक की बढ़ता बढ़ते हुए राकेश बोलता है)

राकेश और रवि एक छोटे से ओपन रेस्तूरंत जैसे शॉप पे पहुँचते हैं. वाहा चंदन पहले से ही उनका इंतेज़ार कर रहा था.

चंदन – कोनग्रथस रवि. तूने बाज़ी मार ली यार. एक नंबर माल के यहा पढ़ने का मौका मिल रहा है तुझे. सच में बहुत लकी है तू.

रवि – भाई मैं सिर्फ़ पढ़ाई करने जाने वाला हू. इतना भी क्या तूल रहे हो तुम दोनो.

राकेश टीन आइस करीम लाने के लिए बोलता है वेटर को. एक माँगो स्टिक, एक स्ट्रॉ बेरी और एक… राकेश बोलने ही वाला था की रवि बीच में बात काट देता है उसका.

रवि – आबे राकेश. तू अपने लिए स्टिक वाली आइस करीम ले ना. मैं कप वाला ख़ौँगा.

राकेश – चुप साले. आज स्टिक खा.

राकेश टीन अलग अलग फ्लेवर में आइस करीम लाने को बोल देता है. तीनो आपस में बात करना शुरू कर देते हैं. इनकी बातें फिर से वही औरातों, रंडियो और उनका फ़ायदा कैसे उठाया जाए इस्पे चलने लगता है. इसी बीच टीन आइस करीम आ जाती है.

राकेश – लाओ मुझे स्ट्रॉबेरी दो. चंदन तू माँगो ले ले.

रवि – मेरे लिए पाइनॅपल बची. वो ही दे दे.

तीनो बात फिर से अपना अपना कंटिन्यू करते हैं. रवि गाव से आया एक सीधा साधा लड़का था. था तो बहुत सुंदर, पर कभी किसी लड़की के चक्कर में आया नही था. भोला मासूम सा चेहरा, एक दम बच्चे जैसा. अपनी उमर के हिसाहब से उसका भोलापन काफ़ी बचो जैसा था. गोरा चेहरा, गुलाबी होंठ, और प्यार भारी मुस्कान. उसके इसी ख़ासियत से लोग बहुत जल्दी आकर्षित हो जाते थे. इधर ये राकेश और चंदन सहर के बिगड़े हुए लड़के थे. उनकी बातों का असर धीरे धीरे रवि के उपर भी होना शुरू हो गया था. वो अब औरातों पे थोड़ा ध्यान देने लगा था. और जी तरह वो आज सुबह प्रिया को देख रहा था, ये सब इन दोनो लड़को का ही असर के चलते तो था.

रवि – यार आइस करीम स्टिक तो बहुत टेस्टी है. स्ट्रॉबेरी आइस करीम ही कहूँगा अब से मैं.

राकेश – भोसरि काश ये आइस करीम स्टिक प्रिया माँ के होंठो से लगी होती. उनकी जूती आइस करीम से स्वीट दुनिया में कुछ नही हो सकता यार.

चंदन – सही कहा बे. क्लास में जब हो पास आ कर बोलती थी, तो मैं उनके हिलते होंठ ही देखता रहता था. मॅन तो कर ता था की झपट के चूस लूँ. पर सला औकाड नही हुआ.

राकेश – रे बहुत नसीब वाला होगा वो प्रिया के रस भरे होंठो को चुसेगा. सपने में ही सही, काश भगवान एक बार मैं उसके होंठो को जम के चूस पौन. (आहें भराते हुए राकेश बोलता है.)

रवि – तुमने कभी किसी को किस किया है क्या राकेश? (धीमे स्वर में थोड़ा डराते डराते पूचेटा है)

राकेश – हाँ बे. किया हूँ. लेकिन प्रिया का चुम्मा लेना सबसे अलग बात है यार. उससे बरा सुख किसी का चुम्मा लेने में नही होगा.

चंदन – भोसरि के. कल तो बोल रहा था की शीला आंटी के होंठ भी बहुत मज़ा देंगे तुझे. साला हर दिन दुनिया के सबसे अच्छे होंठ तय कराता फिराता है.

राकेश – तुम बेटीचोड़ हो और बेटीचोड़ ही रहोगे. शीला सेक्सी औरात है. पूरी की पूरी मालदार औरात है, पर यार प्रिया तो जन्नत की हूर है. साला याद नही प्रिया का गड्राया जिस्म. 6 फीट लंबी, और उभरी छाती. टाँग तो मेरे फेवोवरिट थे यार उसके.

चंदन – हन. एक दम सेक्सी टांगे हैं उसकी.

रवि – तुमलोग चुप करो ना. राकेश तू बता ना. किसको किस किया था.

राकेश – अरे स्कूल में थी एक लड़की. एक बार घर गया उसके. उसके घर पे कोई नही था. बस मैं सेनटी मार मार के पहले उसे गले लगाया, और तुम बहुत खूबसूरात हो ऐसा बोलते बोलते चूस लिए उसके होंठ. (गर्व के साथ बोलता है..)

रवि – और चंदन तुम?

चंदन – नही भाई. इस ठरकी जैसा मैं लकी नही. पर चुमूंगा रे. शीला को चुमूंगा.

रवि – उम्म… लिप्स पे?

चंदन – हा बे. तो और कहाँ. उसके चुत पे? उसके रस बहरे होंठो को किस करूँगा. (मुस्कुराते हुए बोलता है)

राकेश – भाग भोसरि. चुम्मा सबसे पहले उसका मैं ही लूँगा. देख लियो. सेट्टिंग बिठा लिया हूँ काफ़ी हद तक में इसके लिए.

रवि – अरे ये शीला आंटी है कौन. मुझे भी तो बताओ ना.

चंदन – शीला हमारे अपार्टमेंट में ही रहती है. डाइवोर्स है. 35 की है. पर आइटम है भाई. छोटे छोटे कपड़े पहनती है घर में. लंड खड़ा करवा देती है. मस्त फिगर वाली मस्त आंटी है. एक दम बोल्ड. एक्सपोज़ बहुत कराती है हमारे सामने.

रवि – टुंदोनो लेकिन इतना क्लोज़ कैसे हो गये उससे.

चंदन – वो क्या है की वो घर में अकेली रहती है. तो उसको कोई काम होता है तो या तो इस ठरकी को बोलती है (राकेश की तरफ आइस करीम का खाली स्टिक फेकटे हुए..) या फिर मुझे बोलती है. बस ऐसे ही दोस्ती हुई है.

राकेश – मैने पूरा गोटी सेट कर दिया है. अब बस दो टीन दिन में ही शीला खुद मुझे गले लगाएगी और मुझे किस करेगी. (गर्व के साथ बोलता है…)

चंदन – जा बे छक्के. तुझसे नही होगा. किस तो पहले उसे मैं ही करूँगा. देख लेना

रवि – आबे सालों. लाते हो रही है बहुत. चल अब चलते हैं. मुझे पढ़ना भी है. पढ़ के ज़ाऊगा कल टीयूशान.

राकेश – आबे लौदू. कल कितने बजे फ्री होगा तू.

रवि – साढ़े पाँच या 6 बजे तक.

राकेश – ठीक है. कॉल करूँगा मैं.

इसके बाद राकेश बाएक पे दोनो को बैठा के घर पहुँचा देता है. रवि अपना रूम के पास उतार जाता है बाएक पे से. राकेश और चंदन तो एक ही फ्लॅट में रहते थे. रवि उनको जाता देख रहा था बाएक पे से उतरने के बाद और वो सुन पा रहा था की वो दोनो अभी भी शीला आंटी के बड़े में बात कर रहे थे. कैसी है ये शीला. इतना पागल है ये दोनो उनके पीछे. राकेश और चंदन की बातें घर कर गई रवि के दिमाग़ में. हवस की हुंकारी गुज़्ने लगी थी अब उसके दिमाग़ में. रूम में पहुँचते ही लेट गया बेड पर रवि. प्रिया के बड़े में जो भी बोल रहा था राकेश और चंदन, वो सब फिर से दोहराने लगा उसका दिमाग़. रवि ने अपने लंड का उभर महसूस किया. क्या राकेश और चंदन सच में शीला को किस करेंगे? ये सोचते सोचते थोड़ी देर के लिए उसने अपनी आँखे बंद कर ली और अपना हाथ अपने लिंग पे रख लिया….
 
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UPDATE 4
अगले दिन, सुबह के 10 बजे:

राकेश दूर बेल बजा रहा था. साहबरा नही हो रहा हो जैसे उससे, हर 10 सेकेंड पे एक बार फिर बजा डालता. करीब 2 मिनिट इंतेज़ार किया उसने और फिर दूर खुलता है.

राकेश – क्या आंटी मैं कब से यहा…..(बोलते बोलते वो अश्कार्या से भर जाता है, और एक तक देखता रहता है)

शीला – अरे. क्या हुआ. बोलो भी. (मुस्कुराते हुए)

राकेश – वो. वो वो… मा मा . मैं यहा घंटी बजा रहा था… (राकेश बस शीला को देखता रह जाता है और उसकी बोली लड़खरने लगती है)

शीला – अंदर आओ. सॉरी मैने थोड़ा लाते से खोला दरवाज़ा. मैं नहा रही थी… आओ बैठो. मैं बस आती हू अभी चेंज कर के.

राकेश सोफा पे बैठ जाता है. पर उसकी निगाहें लगातार शीला के जिस्म पे टिकी थी. शीला दर असल सिर्फ़ एक टवल में थी. छाती के उपर से उसके घुतनो तक, सिर्फ़ एक टोलिए में. शीला को कभी ऐसी हालत में नही देखा था उसने. बाल खुले हुए, और उनमे से शॅमपू की खुश्बू आ रही थी. उसकी मखमली टाँगे भीगी हुई होने के कारण चमक रही थी. हक्का बक्का सा राकेश शीला को बेडरूम के तरफ जाता देखता रह गया. लंड पूरे उबाल पे आ चुका था उसका. पर वो पूरा कंट्रोल किए था.

10 मिनिट में शीला आ जाती है ड्रॉयिंग रूम में राकेश के पास. उसने एक वाय्लेट कलर का गाउन पहना था. सिल्क से बना हो जैसे, गाउन की चमक से लग रहा था. बाल अभी भी खुले थे. और होंठो पे एक हल्की सी ग्लॉस की चमक दिख रही थी.

शीला आती है और बगल वाले सोफे पे बैठ जाती है. राकेश की निगाहें फिर से स्कॅनिंग मोड पे आ जाती हैं.

शीला – सॉरी राकेश तुमेह मेरे चलते इतना इंतेज़ार करना परा. (अजीब सा साद फेस बनाए हुए शीला बोलती है)

राकेश – अरे नही शीला आंटी. मैं तो आपके लिए ज़िंदगी भर इंतेज़ार कर सकता हू. (मुस्कुराते हुए बोलता है)

शीला – अफ चल हट. फिरसे मत फ्लर्ट कर. मैं बोला था ना की एक गर्ल फ्रेंड ढूँढ लो.

राकेश – ढूँढ तो लिया ना.

शीला – कौन?

राकेश – आप! (मुस्कुराते हुए, पर कॉन्फिडेन्स में)

शीला – अरे यार. सुधार जेया. तू बच्चा है. और जनता है मेरी एज क्या है?

राकेश – ई आम ऑफ 18 सेंॉरिता, टर्निंग 19 वेरी सून. और आपकी एज भी क्या है, वो ही 25 या 26.

शीला – सो स्वीट ऑफ यू. बट मैं 25-26 की नही.

राकेश – पर मेरी पसंद तो तुम ही होना आंटी, और ये जगह और कोई नही ले सकता(राकेश थोड़ा शीला के सोफे के तरफ सरक के बोलता है)

शीला – अओ! मेरे प्यारे लवर! (शीला भी थोड़ा राकेश की तरफ झुकते हुए बोलती है)

राकेश की नज़रे उभरो की घाटी, शीला की छाती के तरफ बढ़ जाती है.

शीला – क्या मेरा लवर जनता है की मैने उसको यहा क्यू बुलाया था? मेरे किचन में मेरा गॅस स्टोव काम नही कर रहा. कल रात से मैने चाय तक नही पी.

राकेश अपनी नज़रे शीला की क्लीवेज पर से उठा के उसके चेहरे पे ले आता है, और अजीब सा लुक देता है जैसे की कितनी दीस्सापॉइंटमेंट हुई उससे.

ये चीज़ भाँपते हुए शीला हंस पार्टी है.

शीला – क्यूँ लवर. तुमको तो आता है ना गॅस स्टोव बनाना. मेरी हेल्प नही कर दोगे?

राकेश – आपके लिए कुछ भी कर दूँगा शीला आंटी. (थोड़ा और सरकते हुए शीला की तरफ बोलता है)

राकेश – पर मेरी छोटी सी फीस है आंटी. मैने तो बताया था ना. आपको याद तो है ना?

शीला – क्या बताया था. मुझे तो याद नही.

राकेश – अरे मैने बताया था ना. ऐसे मत बोलिए. (थोड़ा और सरकते हुए बोलता है, साद सा फेस बनाते हुए)

शीला – नही याद सच में. बताओ ना फिरसे. याद आ जाएगा शायद.

राकेश – वो मैने बोला था ना…. उम्म्म. किस के लिए…. वो ही फीस (थोड़ा और सरकते हुए बोलता है. इस टाइम तक वो अपने सोफे के एक दम किनारे तक आ जाता है. अब उसके और शीला के बीच सिर्फ़ एक फुट का डिस्टेन्स था.)

शीला – किस. क्या किस? (राकेश की तरफ थोड़ा और झुकती हुई)

राकेश शीला की होंठो की तरफ एक तक देखते हुए. उसके होंठ खुल रहे थे पर कुछ आवाज़ नही निकल रहा था. अपने मुँह से छोटा ‘ओ‚ बनाते हुए…

शीला – बोलो ना.

राकेश – आप किस करोगी मुझे… (हकलाते हुए बोलता है)

शीला अचानक से बिल्कुल करीब आए राकेश का चेहरा अपने बाएँ हाथ से पाकराती है और उसके एक गाल पे किस कर देती है. एक हल्की सी ‘एम्म्म पुचह‚ की आवाज़ आती है और तेज़ी से शीला सोफे पे से उठ जाती है.

शीला – चलो चलो. जल्दी से किचन में आओ. अभी तो ऑफीस भी निकलना है 11 बजे तक. और अभी ये स्टोव ठीक नही हुआ तो मुझे रात का खाना भी बाहर खाना परेगा. (ये सब कहते हुए वो किचन की ओर बढ़ने लगती है.)

राकेश एक दम से उसके गाल पे हुए हमले से शॉक में था. नाज़ुक होंठो का गरम एहसास उसके गालो से अलग हो जाने के बाद भी महसूस कर पा रहा था.

राकेश – पर… पर मैं होंठो पे किस के लिए बोला था.

शीला – उफफफ्फ़. अब आओ भी किचन में मेरे लवर. लाते हो जौंगी मैं ऑफीस के लिए(राकेश की तरफ देखते हुए बोलती है)

राकेश का लंड पूरा खड़ा हो चुका था. बड़ी मुस्किल से छुपाने की नाकाम कोशिश के साथ किचन में आता है. शीला ने नोटीस कर लिया था उसका खड़ा लंड, पर ना हासने का डिसाइड किया.

राकेश बिना कुछ बोले औज़ार लेके रिपेर करने लगता है स्टोव. करीबन 10-15 मिनिट हुए होंगे और स्टोव काम करने लगा. तब जाके राकेश बोलता है, ‘आंटी, काम करने लगा. आप एक बार खुद चेक कर लीजिए.‚ शीला चेक कराती है. सब कुछ ठीक काम कर रहा था. तब तक वॉशबेसिन में राकेश अपना हाथ धो लेता है. वॉश बेसिन में हाथ धो के जैसे ही घूमता है तो देखता है शीला एक दम सात के उससे खड़ी है. चौंक के हल्का पीछे होता है.

शीला थोड़ा और एज बढ़ती है. राकेश अब पूरी तरह से बेसिन से चिपक जाता है. शीला मुस्कुरा रही थी. उसने अपना एक हाथ राकेश के गर्दन के पीछे रखा और दूसरा उसके कंधे पे. राकेश और शीला दोनो एक ही हाइट के थे. दोनो बिल्कुल आमने सामने, राकेश तो बस टकटकी बँधे देखा जा रहा था, ऐसा मानो जैसे की उसकी आँखें पलकें झपकना ही भूल गये थे. धीरे धीरे शीला अपने चेहरे को एज बढ़ती है. राकेश उसकी साँसे फील करना शुरू कर दिया अपने फेस पे.

शीला बची हुई चेहरो के बीच की दूरी हो हटा देती है, और हल्के ज़ोर से अपने बंद होंठ राकेश के होंठ पे जर देती है. वही सुनी सी आवाज़ राकेश के कानो में पहुँचती है, ‘म्म्म्ममममम पुउऊउक्ककचह!!!!‚

शीला के होंठो से राकेश के होंठो पे ‘पुच्छ‚ की आवाज़ इस बार पछले बार के मुक़ाबले थोड़ी लंबी आती है. 5 सेक का ही किस था, पर जिस मादक अंदाज़ से शीला ने किस किया वो राकेश कभी नही भूल सकता था.

होंठ अलग करते हुए शीला राकेश के तरफ से थोड़ी पीछे होती है और अपने हाथ उसपे से हटा लेती है. वो मुस्कुरा रही थी.

राकेश – बाथरूम किस तरफ है आंटी.

शीला – आओ आओ. इधर है. (ज़ोर से हंसते हुए…)

राकेश अपना खड़ा लॉरा हाथ से चुपाता हुआ बाथरूम की तरफ भागता है. शीला अभी भी ज़ोर से हंस रही थी.

शाम के 4 बाज रहे थे. राकेश दिन भर आज सुबह के बड़े में सोच रहा था. शीला के चुममे का एहसास जैसे हो अभी भी ले पा रहा था. लंड तो मानो की ठंडा होने का नाम ना ले रहा हो. सुबह से अब तक में टीन बार मूठ मार चुका था. पर अंदर का उबाल शांत नही हो रहा था. ठीक 4 बजे उसने कॉल करने का सोचा रवि को. पर कॉल क्या करें, चल के खुद ही हाल बयान करने का सोचा.

4.10 में रवि के कमरे पे राकेश नॉक कराता है.

रवि – अरे राकेश. अभी. अभी कैसे?

राकेश – क्यूँ बे. नही आ सकता क्या (अंदर आ के रवि के बेड पे शान से लेट जाता है.)

रवि- सेयेल चप्पल तो निकल के लेट ना. ग़रीब का बिस्तर क्यूँ खराब कर रहा है.

राकेश – ग़रीब. साले इतनी बड़ी माल के यहा आना जाना शुरू हो गया है. अब तू मालदार हो चुका है भोसड़ी..

राकेश – आ! क्या किस थी यार. मज़ा आ गया.

रवि – किस?

राकेश – हाँ यार. आज किस कर ही लिया मैने शीला को. (गर्व से मुस्कुराते हुए)

रवि – क्या बात कर रहा है बे. तू सच बोल रहा है? (राकेश के पास बैठते हुए बोलता है.)

राकेश आज सुबह की हुई बातें रवि को बतने लगता है. रवि एक तक हो के सब सुनता जा रहा था.

रवि – आबे मुझे विश्वास नही हो रहा भाई.

राकेश – यार कसम से. क्या किस था. अब सोचता हूँ उसके होंठो के एहसास के बड़े में, तो मॅन कराता है की मैने उसे काट क्यू नही लिया. ज़ोर से एक दम चूस के सारा रस क्यू नही निचोर लिया.

रवि – आबे ऐसे किस करते हैं क्या. जानवर है क्या तू.

राकेश – हाँ बे जानवर ही हू. जानवर बना दिया है भाई मुझे शीला ने. (आहें भराते हुए बोलता है)

रवि – अच्छा. कोई फोटो नही शीला की? मतलब मैं देखना चाहता था.

राकेश – तू फ़ेसबुक पे है क्या?

रवि-नही. क्यूँ?

राकेश – शीला मेरे फ़ेसबुक मे आडेड है. तू भी सेयेल अकाउंट बना ले. आज कल माल लोग फ़ेसबुक पे ही पटा ती हैं. समझा क्या? रुक तेरे को मैं शीला का प्रोफाइल पिक दिखता हू.
 
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UPDATE 5
थोड़ी ही देर में राकेश अपने मोबाइल पे शीला का ड्प दिखता है.

रवि – यार तूने इसको किस किया? (रवि ज़ूम कर के शीला के रस भरे होंठो को देखते हुए बोलता है. स्लीव्ले में शीला की गोरी बाहें चमक रही थी. सेक्सी पूरी की पूरी. रवि बस आश्चर्य में था की इतनी बोल्ड जैसी दिखने वाली लड़की को आज राकेश किस किया है)

राकेश – हाँ बे. तेरे को सामने में मिलवौनगा. देखना कितनी बड़ी माल है. देख सला. मेरा लॉरा फिर खड़ा हो गया.

रवि घारी देखते हुए बोलता है. ‘भाग साले. ये ले मोबाइल और तू घर जा अभी. वहीं मुठिया लियो. अभी मुझे पढ़ने जाना है माँ के यहा. अब तू जा चल.‚

राकेश – प्रिया माँ के यहा जा रहा है? जा मज़े कर.

थोड़ी देर में रवि अपनी प्रिया माँ के यहा पहुँचता है.

वरॅंडा में बैठ जाता है और प्रिया का इंतेज़ार करने लगता है.

तभी थोड़ी देर में वॉचमन की अवज़ सुनी उसने. किसी से बात कर रहा था वो.

वॉचमन – कहे रे भूतनी के. आज पगली का ले ही लिया क्या बे.

दूसरा आदमी – नही रे. सिर्फ़ छुआ था. साली को लगता है की दौरा फिर परा था. सुनंदा मेडम से झगरा हुआ. खूब चीख चिल्ला रही थी. मैं गया था शांत करवाने उन दोनो का झगरा. इसी ना किसी बहाने मैने उसी गोरी बाहें छुई यार. मखमल है भाई मखमल. चोदूगा तो में ज़रूर रंडी को.

वॉचमन – अरे हुमरो एक चान्स दिलवओ ना. हम हूँ सॉफ करेंगे अपना हाथ.

तभी प्रिया की अंदर से आवाज़ आती है हल्की सी. और ये सुनके वो डन अलग हो जाते हैं और अपने अपने जगह चले जाते हैं. रवि अभी भी वरॅंडा में बैठा था.

तभी प्रिया वरॅंडा में आती है.

प्रिया – तुम आ गये. चलो उपर चलो. आज से पढ़ाई शुरू करते हैं.

प्रिया उसे अपने रूम में उपर ले जाती है. दोनो चेर पे बैठ जाते हैं. प्रिया चेमिसटी में केमिकल किनेटिक्स पढ़ना शुरू कर देती है. पढ़ाई तो वो पूरी ध्यान से कर रहा था. पर ध्यान सिर्फ़ पढ़ाई पे ही केंद्रित नही था. उसका दिमाग़ अभी भी राकेश के बताई घतनाओ पे घूम रहा था. ध्यान कभी इधर जाए तो कभी उधर. कभी पढ़ाई पे ही केंद्रित रहे तो फिर डगमगाते हुए शीला और राकेश के बताओं पे चली जाए. न्यूमरिकल सॉल्व करते करते वो थोड़ा अपना सिर उपर उठता है प्रिया बुक में कुछ ढूँढ रही थी. वो अपने भौं को सिक्ोरे हुए ध्यान से पढ़ रही थी. छान भर में उसके होंठ ‘ओ‚ के शेप में हो गये. रवि का ध्यान प्रिया के होंठो पे आ जाता है. नर्म, गुलाबी, रस से भरे हल्के उभरे हुए. जब प्रिया अपने होंठ पे जीभ फेराती है तो रवि का लंड ठनक जाता है. उसके दिमाग़ में आता है की काश वो भी अपने जीभ प्रिया के होंठो पे फिर पता. पर तभी…

प्रिया – रवि! क्या हुआ. ध्यान कहाँ है तुम्हारा?

रवि – जी माँ. एम्म माँ वो मैं सोच रहा था कुछ.

प्रिया – क्या सोच रहे थे. बताओ

रवि – ये क्वेस्चन नही सॉल्व हो रा है.

प्रिया – लाओ दिखाओ मुझे.

प्रिया कॉपी देखती है और हैरान रह जाती है. क्वेस्चन तो सॉल्व्ड था.

प्रिया – रवि क्वेस्चन तो तुमने सॉल्व कर लिया है. क्या बात हुआ ये. बताओ सच तुम. क्या सोच रहे थे. (अपनी मधुर आवाज़ में थोड़ा करकपन लेक बोलती है)

रवि – माँ वो…. वो…

प्रिया- क्या वो वो, बताओ

रवि – वो आपके होंठो के पास कुछ लगा हुआ है.

प्रिया हल्की सहम जाती है. अपने दुपट्टे के कोने से होंठो के पास पोचेटी है.

प्रिया – गया क्या?

रवि – नही माँ. थोड़ा और नीचे. (होंठो को घूराते हुए बोलता है)

प्रिया दो टीन बार और कोशिश कराती है फिर पूछती है रवि से. रवि हर बार बोलता है की वाहा अभी भी है.

प्रिया – कहाँ यार? लो हटा दो. (थोड़ा खीजते हुए बोलती है और अपना चेहरा रवि के तरफ एज बढ़ते हुए बोलती है)

रवि अपना रुमाल निकलता है आगे अपना हाथ बढ़ता है. रुमाल से होंठो के ठीक हल्के नीचे पोछने का दिखावा कराता है और प्रिया के होंठो का करीब से दीदार कराता है. लंड तो सरपट मानो वॉल्केनो की तरह अपना माल फेकने तो टायर हो गया. रवि पोछने के बहाने रुमाल के मध्यम से ही, हल्का ज़ोर उसके होंठो पे भी देता है जिससे प्रिया के होंठ हल्के डाबते हैं. रुमाल के मध्यम से होकर वो कोमल एहसास रवि पता है.

रवि – हो गया. (मुस्कुराते हुए बोलता है और रुमाल अपने पॉकेट में रख लेता है)

प्रिया – थॅंक यू! (मुस्कुराते हुए बोलती है. और फिर दोनो पढ़ाई में लग जाते हैं.)

प्रिया 25 वर्ष की हो गयी थी. इसके पिता बहुत स्ट्रिक्ट थे, इस लिए इसने कभी बॉय फ्रेंड वगेरा नही बनाया. इसके तो दोस्त भी बिल्कुल ना के बराबर थे. अपने पापा के बनाए हदों के अंदर वो घुट रही थी. यूँ तो बाहर से सादगी और उक्च्या संस्कार का लिबास था, पर अंदर ही अंदर वो वासना की आग में जल रही थी. वासना इस कदर बढ़ी हुई थी, की अब तो उसे मानसिक तौर पे बीमार भी बनता जा रहा था. अपने अंदर की खुजली को रोक के रखने के चलते उसका रखत छाप बढ़ा रहता. वो गुस्सैल हो गयी थी. चीर्छिरी सी. कई बार तो घर में काफ़ी झगरा हो जया कराता था उसका बिना बात के. कभी मा के साथ, तो भी अपने छोटी बेहन के साथ. प्रिया के घर के नौकर क्या समझते अंदर की बात. वो तो बस उसे बिना बात अपने मा और बेहन से झगरा करते हुए सुनते थे. घर का वॉचमन और ड्राइवर भोला, ये लोग कई बार प्रिया को पाकर के उसके कमरे में ले जाते और अपनी मालकिन सुनंदा के कहे अनुसार उसे बंद करदेटे कमरे में. वो चिल्लती चीखती रहती. कोस्ती रहती लोगो को. वो जब गुस्से में होती, तो उसकी ज़ोर ज़ोर से उठती गिराती सांसो के चलते उसके छाती में होने वाले पहारों के हिचकोले देख के भोला और वॉचमन का लंड साँप के तरह फंफना उठता था. प्रिया कभी अपने बाबूजी पे नही चीखी. वो उनसे बहुत डराती थी. उँची आवाज़ में बात करने का सोचती भी नही थी. प्रिया के स्वाभाव ऐसा क्यूँ हो गया है इसका कारण कोई समझ नही पाया उसके घर में. प्रिया कभी खुल के अपने अंदर के उठते शोल्न के बड़े में किसी से बोल भी नही पाती थी. उसकी तबीयत एक समय ऐसी भी हो गई थी जब उसकी महिनवरी तक बिगड़ गयी. खून बहुत ज़्यादा आया कराता था. मा बाप ने डॉक्टर से दिखलवाया तो उसने स्ट्रेस ना लेने को कहा प्रिया को. प्रिया जब से कॉलेज में पढ़ना शुरू किया तबसे उसके हालत में कुछ सुधार हुआ. महिनवरी तो ठीक हो गई पर स्वाभाव में चीर्छिरा पं नही गया था.

रवि के इस तरह से उसके होंठ चुने के कारण प्रिया बिल्कुल सहम सी गई थी. कई सारी बातें एक सनसनी जैसे शरीर में फैलती है, वैसे ही दिमाग़ के कोने कोने में दोड गई. एक खुशी का एहसास था अंदर से. मुस्कुराहट तो छुपी थी, पर चेहरा चमकने लगा था.

2 घंटे पढ़ाई चली. प्रिया ने फिर क्लास ओवर करने का सोचा आज के लिए.

प्रिया – चलो आज बहुत पढ़ाई हो गई. अब ख़त्म करते हैं.

रवि – ठीक है माँ. अब कब आऊगा मैं?

प्रिया – अब परसो आना तुम. हम लोग आल्टरनेट करके करेंगे क्लास. ठीक है ना ये ?

रवि – ठीक है माँ. जैसा आपको ठीक लगे. मैं तो रोज़ भी क्लास कर लूँगा अगर ज़रूरात है तो. (मुस्कुराता हुआ बोलता है)

प्रिया – अगर ज़रूरात होगी तो मैं आने बोल दूँगी. पर क्लासस इन जनरल हम आल्टरनेट दे कर के ही करेंगे ताकि तुमेह खुद भी पढ़ने का काफ़ी टाइम मिल सके.

रवि – ठीक है माँ.

रवि अपना बस्ता उठता है और कमरे से निकालने लगता है. प्रिया उसके पीछे आ रही होती है. तभी रवि पीछे मुराता है.

रवि – माँ आपसे पढ़ के मुझे बहुत अच्छा लगा. मुझे केमिस्ट्री में अब इंटेरेस्ट आने लगा है.

प्रिया – मुझे भी तुमेह पढ़ने में बहुत अच्छा लगा. (मुस्कुराहट और एक शर्म की लाली के साथ वो बोलती है).

प्रिया – अपना बाग देखो, चैन खुला है. (ज़ोर से हंसते हुए)

इतने में प्रिया का दुपटा सरक जाता है और रवि की निगाहें दुनिया के सबसे सुंदर, गड्राए उभारों पर टिक जाता है. मखमली दूधिया स्किन गले से होकर स्तन तक खूबसूराती का जम पीला रहे थे. प्रिया को एहसास होता है रवि की निगाहें कहाँ टिकी हैं, और शर्म से सिर नीचा कर दुपट्टा सम्हल लेती है. इतने में रवि चैन बिना बाग की ओर देखे खिच देता है. ऐसा करने में उसकी उंगली काट जाती है. रवि के मुँह से ‘इसस्स्शह!‚ की आवाज़ निकल पार्टी है.

प्रिया घबरा के एज बढ़ती है.

प्रिया – अरे क्या हुआ. दिखाओ मुझे.

रवि के उस उंगली से खून आने लगता है. उसके मुँह से हल्की ‘उफफफ्फ़‚ की आवाज़ आई.

प्रिया – अरे खून आ रा है ये तो.

रवि – सीसी सीसी सीसी .. .कोई बात नही माँ. ठीक है.

पर इतना बोलना ही था रवि का की प्रिया ने वो उंगली अपने मुँह मे ले लेती है. रवि की तो मानो अब ‘अया!‚ निकल जाती है मुँह से.

प्रिया ज़ोर से अपने होंठो में भेंच कर उंगली चूसना शुरू कर देती है. रवि अपने उंगली पर उन कोमल होंठो का चूसना महसूस कर रहा था. बीच बीच में जीभ लटपटा रहे थे उंगली में. कारेबान 10 सेक तक जन्नत रवि के उंगली पर अमृत बरसटा रहा. फिर मुँह से प्रिया धीरे से उंगली निकलती है. प्रिया का मुँह का लार(सलाइवा) का एक तार उसके नीचले होंठो से उंगली तक जुड़ा हुआ धीरे धीरे लमारने लगता है. लमराते लमराते लार का तार टूट जाता है. रवि ये दृश्या तक ताकि लगाए देख रहा था. रवि का लंड मानो अब पेंट फार के बाहर आ जाने वाला था.

रवि तुरंत घूँट जाता हैं अपना उभरा हुआ लंड छुपाने के लिए और थॅंक यू माँ बोलता हुआ कमरे से निकल कर सीढ़ियो से नीचे जाने लगता है. आधी सीढ़ियाँ उतरा ही था की वो रुक जाता है.

रवि अपने उस उंगली को देखता है, उसपे प्रिया का मुँह का लार लगा हुआ था. पूरा गीला था वो उंगली. रवि उस उंगली को अपने मुँह में डाल लेता है और उसकी आँखे बंद हो जाती हैं.

रवि धीरे से फिर आँख खोलता है और बिना उस उंगली को अपने मुँह से बाहर निकले सीढ़िया उतार के नीचे आ जाता है. नीचे के टल्ले से मैं गाते के बाहर वो वैसा ही मुँह में अपनी उंगली डाले चलता चला जाता है तेज़ी में अपने घर की ओर.
 

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