UPDATE 2
रवि- यार मैने अभी तक केमिस्ट्री क्ोआहिंग कहीं जाय्न नही की. समझ नही आ रहा कहाँ पढ़ु. खुद से मेरी केमिस्ट्री की पढ़ाई हो नही पाती.
राकेश- क्या यार हर समय पढ़ाई की बात लेके बैठ जाता है. उधर देख ना कितनी हसीन औरातें आईं हैं.
रवि- हाँ औरातें आईं हैं. लड़किया नही.
राकेश- यार अपने उमर से बड़ी औरातों में जो बात है वो हुमुमर लड़कियो में कहाँ.
रवि-यार चंदन, ये पागल हो गया है क्या.
चंदन- नही यार. बात सही है. बस नज़रिए का अंतर है. तू क्या पसंद कराता है बस उसकी बात है.
रवि- मतलब तू भी बड़ी लड़किया ही पसंद कराता है क्या.
चंदन- हन. एक दूं. हंसते हुए उसने बोला.
रवि- मेरी मकान मालकिन बता रही थी की कोई महेश स्रिवास्तवा रहते हैं अगले कॉलोनी में. उनकी बेटी प्रिया बहुत अच्छा केमिस्ट्री पढ़ती हैं. पर वो स्कूल में पढ़ती हैं. मॅकिन मालकिन ने बताया की मैं एक बार जा के पूछ लू वाहा. सहायद टीयूशान देने के लिए टायर वो जाए. पर मैं जनता नही यार की टीचर कैसी है. आख़िर इतना पैसा लग रहा है. ठीक से पढ़ाई भी….
राकेश उसकी बात तुरंत काट ते हुए बोल पराता है.
राकेश – ओ तेरी. प्रिया माँ! यार वो तो माल है पूरी की पूरी. कसम से भाई एक दम आइटम है.
चंदन- हाँ यार. हमारे स्कूल में ही तो पढ़ने आई थी. साला सिर्फ़ 6 महीना ही पढ़ पाए. वरना कसम से मॅन की मुराद तो पूरी कर ही लेते साल भर में.
रवि – अरे बकवास ना कर. तू बता ना. अच्छा पढ़ती हैं क्या.
राकेश – आबे छूतिए. इतनी मालदार आइटम क्लास में हो और हम पढ़ाई करें, ऐसी भोसरिगिरी हुंसे ना होती थी भाई. यार तू एक बार देखे गा ना तो तू पेंट गीला कर देगा.
रवि – ड्ऱ के मारे?
राकेश- आबे नही भोसरि. तेरा लॉरा खड़ा हो के हुंकारी मरने लगेगा. बहुत सेक्सी हैं यार वो. गड्राया हुआ जिस्म, भगवान ने गोरेपन के मोतियों से सजाया है. माथे से ले के उसके पैर के तलवो तक, हीरा है वो हीरा.
चंदन- आबे वो पढ़ती भी बहुत अच्छा है. मैने उनका एक भी क्लास नही मिस किया था स्कूल में. काश मैं एक बार उसके बदन को मसल पता. अया! उसके जिस्म को याद करके ही मेरा लॉरा ठनक जाता है.
राकेश- आबे चंदन भोसरि, जब वो केमिस्ट्री पढ़ती हैं तो हम दोनो चूतिया कहीं और क्यूँ पढ़ना शुरू कर दिए. तू बेटीचोड़ बता नही सकता था?
चंदन-आबे भर्वे चुप कर. साला खाली मैं ही सारी खबर रखू, और तू बस शीला आंटी का फोटो सब देख देख के मूठ मार.
रवि- यार ये शीला आंटी कौन है?
रखेश- वो सब अभी चोर. तू जा प्रिया से पढ़ने. किसी भी कीमत पे पढ़ वाहा. और उसका जिस्म स्कॅन करके हमे बठाना की कैसी है वो.
रवि – आबे चोर ना. पढ़ना है मुझे बस.
चंदन – सेयेल तू जा के उनको देख तो पहले. फिर तू खुद बताएगा. सेयेल बस झूठ मत बोलिए की नही पसंद आई. वरना मैं लंड काट लूँगा तेरी. वो डार्लिंग है मेरी भाई…..
आहें भराते हुए चंदन बोला. रवि कुछ पल सोचने लगा. वो सोच रहा था की अभी बाकी कोचैंग सेंटर्स में केमिस्ट्री के बॅचस भरे हुए हैं, तो वो और जाए भी तो कहाँ पढ़ाई क लिए. इस लिए वो डिसाइड कराता है की स्रिवास्तवा के घर जा के बात कर लेगा एक बार.
रवि – लेकिन यार अनसर्टंटी हैं यहा. वो स्कूल में पढ़ती हैं. मालूम नही टीयूशान देंगी या नही.
चंदन- छूतिए. उनसेरनतनी प्रिन्सिपल चोर. और लंड की औकाड बढ़ा के जा वहाँ बात करने.
राकेश- हाँ यार रवि. तू जा एक बार उनके यहा बात करने.
रवि – ठीक है भाई. ज़ाऊगा बात करने.
सनडे को सुबह सुबह रवि अपने रूम से निकल पराता है. सोच रहा था की आंटी ने बताया था की स्रिवास्तवा का घर बहुत बरा है. बहुत पैसे वाले लोग हैं. कहीं बहुत ज़्यादा पैसे की डिमॅंड ना करें. पर ट्राइ करके देखने में क्या हर्ज़ है. ये सब सोचते हुए वो पैदल चहलकदमी करते हुए स्रिवास्तवा के घर पहुँच गया. मैं गाते पे वॉचमन ने पूछा की क्या काम है किससे मिलना है, तो रवि ने सहजता से बोला की वो केमिस्ट्री के क्लासस के लिए बात करने आया है.
वॉचमन – वो स्कूल में पढ़ती हैं. कोई टीयूशान नही लेती.
रवि- पर आप मुझे एक बार बात तो करने दीजिए.
वॉचमन – भाई बात करके होगा ही कुछ नही. मैं बता रहा हू ना की वो नही पढ़ती टीयूशान. अब निकलो जाओ.
रवि बस मुरके जाने वाला ही था और जाने से पहले वॉचमन को फिर बोला, ‘मैं पीछे के कॉलोनी में रात्ना आंटी के आया रहता हू. उन्होने ने ही बोला था स्रिवास्तवा अंकल से बात करने के लिए. ठीक है आप बस उनको इनफॉर्म कर दीजिएगा की रात्ना आंटी के यहा से कोई आया था.‚
इतना बोलना था की गाते के पास से ही आवाज़ आई.
‘बहादुर, आने दो अंदर.‚
वॉचमन ने गाते खोला और रवि अंदर आ जाता है.
रवि चेहरे से बहुत ही मासूम लगता था. लंबाई 5 फीट 6 इंच थी. और शारी से फिट था. बॉडी षोदी नही थी उसकी, पर फिट था वो.
जिन्होने अंदर आने को बोला था वो स्रिवास्तवा साहब थे, महेश स्रिवास्तवा, प्रिया के पापा.
महेश – बोलो जी. क्या काम है.
रवि – सिर मैं रात्ना आंटी के यहा रहता हू. यहा सहर पढ़ने आया हू. पर केमिस्ट्री के लिए आंटी ने मुझे बाते की प्रिया माँ से अच्छा कोई नही पढ़ा सकता. तो मैं सोचा क्यू ना मैं पूछ लू. केमिस्ट्री बहुत वीक है मेरी. पर ित के लिए इंपॉर्टेंट होता है हर सब्जेक्ट पे कमॅंड होना. प्लीज़ अगर आप मेरी हेल्प कर पाते तो…
महेश – बेटा तुम पढ़ने आए हो बहुत अच्छी बात है. पर मेरी बेटी तूतिओन्स नही लेती. वो तो बस स्कूल में पढ़ती है. 11-12 को.
रवि थोड़ा निराश हो जाता है. थोड़ी देर शांत रहने के बाद महेश बोल पड़ते हैं:
‘वैसे एक काम करो, आओ आओ अंदर आओ. यहा बैठो. बेटी आती है तो एक बार उससे बात कर लेना. शायद राज़ी हो जाए.‚ और मुस्कुराते हुए वो अंदर बेटी को बुलाने चले जाते हैं.
रवि बस प्रठना कर रहा था अंदर से की प्रिया माँ राज़ी हो जाए. वो वरॅंडा में बैठा था. घर काफ़ी बरा है, पैसा बहुत है इनलोगो के पास, ये सब बातें चल रही थी उसके दिमाग़ में. इधर उधर देख रहा था, कभी बगीचे में, तो कभी वरॅंडा के सीलिंग को. पर तभी पीछे से मीठी पर कॉन्फिडेंट सी आवाज़ आई….
‘नाम क्या बताया तुमने अपना?‚
रवि- जी मेरा नाम रवि है. मैं रात्ना आंटी के यहा रहता हू. उन्होने….
प्रिया- अरे बस बस. जानती हू मैं.
हंसते हुए प्रिया ने बोला. वो रवि के सामने परे कुर्सी पे बैठ जाती है.
प्रिया – तो तुम जी की प्रेपरेशन कर रहे हो. फेवोवरिट सब्जेक्ट्स क्या हैं तुम्हारी.
रवि – माँ फिज़िक्स मेरी फअवट है. मेद्स में भी इंटेरेस्ट है. पर माँ मैं केमिस्ट्री में बहुत वीक हू.
निराश होते हुए रवि ने बोला.
प्रिया – अरे ये तो बहुत अच्छी बात है की तुम्हारी फी और मेद्स अच्छी है. रूको. मैं छोटा सा टेस्ट लेती हू.
ये बोलके प्रिया अंदर चली गयी. रवि ड्ऱ रहा था की उसने इधर ज़्यादा रिवाइज़ नही किया पोर्षन. पता नही जवाब दे पाएगा के नही. थोड़ी ही देर में प्रिया वापस आ जाती है.
प्रिया – मैं तुम्हे एक फी का क्वेस्चन दे रही हू. और टाइम है 15 मीं. ये क्वेस्चन वैसे 10 मीं में सॉल्व किया जा सकता है पर मैं तुमेह 15 मिनिट दे रही हू. ये लो.
रवि कॉपी पाकरते हुए क्वेस्चन को पड़ता है. प्रिया उसे इशारो में बताती है मुस्कुराते हुए की घारी में समय शुरू हो चुका है. रवि अपना सिर नीचे कर अपना पूरा ध्यान क्वेस्चन पे लगा देता है.
प्रिया एक मॅगज़ीन उठा के पन्ने पलतने लगती है. रवि क्वेस्चन सॉल्व करने में लगा था. उसने शायद 7 मिनिट ही लिए होंगे, और क्वेस्चन सॉल्व हो गई. पर जैसे ही वो बोलने वाला था की उसने सॉल्व कर लिया है तो उसने देखा की प्रिया बड़े धान से मॅगज़ीन में खोई है. रवि ने अभी तक प्रिया को ठीक से देखा भी नही था. उसकी नज़रे अब प्रिया को स्कॅन करने लग जाती हैं. सिर से लेके पैरो के तलवे तक घूर के उसे देख रहा था वो. प्रिया ने गुलाबी सूट पहना था. लेगैंग्स टाइट थी, और मांसल सही उभर वाले टॅंगो को आलिंगन में लिए हुए थे. प्रिया के दाहिने पैर में एक पतली से पायल थी. प्रिया ने गुलाबी रंग की नाइल पोलिश भी लगा न्यू एअर थी. प्रिया गोरी थी. स्लीव्ले पहने होने के कारण रवि उसके चमकते गोरी बाहों को देख पा रहा था. मॅगज़ीन सामने होने से वो उसकी छाती नही देख पाया. वो वापस प्रिया की नशीली टॅंगो पे अपनी नज़र ले आता है. मादक अंदाज़ में वो अपने दाहिने पावं को हिला रही थी.
इन सबका असर रवि का लंड प्रदर्शित करना शुरू कर दिया था. पर तभी प्रिया मॅगज़ीन से मुँह उठा के रवि की ओर देखती है. रवि सिर झुकाए उसके पैरो की और देख रहा था.
प्रिया – अरे. क्या देख रहे हो. सवाल समझ नही आया क्या.
रवि घबराता हुआ बोलता है, ‘ मैने सॉल्व कर लिया माँ‚
प्रिया – अरे तो बठाना चाहिए था ना. तुमने तो 10 मिनिट में ही सॉल्व कर दिया लगता है. बताया क्यू नही. (मुस्कुराते हुए प्रिया ने कहा)