Incest जिम्मेदारी (कुछ नयी कुछ पुरानी)

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अध्याय 10

जब दोनों घर पहुचे तब तक सभी देविया तैयार होकर अपने भाइयो का वेट कर रही थी,सोनल और रानी ने सामान्य सा टी शर्ट और जीन्स पहना हुआ था पर निधि कही दिख नहीं रही थी,
“निधि कहा है ,”अजय ने पहला प्रश्न किया
“वो तैयार हो रही है ,”सोनल ने चिढ़ते हुए कहा ,उसकी बात सुन कर अजय को समझ आ गया था की जरुर निधि इन दोनों को परेशान कर दि होगी ,
“कैसे अभी तक तैयार नहीं हुई ”
“अरे भईया महारानी जी को कोई भी कपडा पसंद ही कहा आता है ,मेरे और रानी के सभी कपडे देख लिए बड़े मुस्किल से एक स्कर्ट उसे पसंद आया है ,प्लीज् आज उसके लिए उसकी पसंद के बहुत सारे कपडे ले दीजियेगा नहीं तो वह जाकर हमें परेशां करेगी,”सोनल थके हुए आवाज में बोली ,जिसपर अजय हस पड़ा

“हा ठीक है उसे जो भी पसंद आएगा सब ले लेना और तुम लोग भी अपने लिए अच्छे कपडे ले लेना ,और हा मैं तो भूल ही गया था ,तुम सब अपने लिए डिसाईंनर लहंगा भी ले लेना और रेणुका के लिए भी तो लेना है कपडे ,और सबके लिए 2-3 लेना नहीं तो वहा जाकर झगड़ोगी “सोनल और रानी का चहरा खिल गया ,ऐसे तो वो अजय से कुछ मांगने में हिचकिचाते थे पर निधि हो तो उन्हें कोई गम नहीं ,निधि को आगे करके अजय से अपनी हर मांग पूरी कर लेते थे ,लहगे का आईडिया भी सोनल ने निधि के दिमाग में डाला था,दोनों खुस थे की आज तो जी भर के शोपिंग करेंगे ….तभी निधि बहार निकली और सब उसे बस देखते ही रह गए वो इतनी प्यारी लग रही थी उस ब्लैक स्कर्ट में,उसका दुधिया गोरा मासूम सा चहरा जो अपनी जवानी के उत्कर्ष में था ,काले रंग में और भी खिल के आ रहा था,चहरे की लाली और कौमार्य का तेज, सादगी का श्रृंगार उसकी खूबसूरती को चार चाँद लगा रही थी ,सभी बस उसे आँखे फाडे यु देख रहे थे की निधि भी शर्मा गयी ,उसका शर्माना अजय और विजय के आँखों में पानी ला गया ,अपनी सबसे प्यारी बहन को उन्होंने पहली बार यु बड़े होने के अहसास में देखा था ,निधि हमेशा ही झल्ली जैसे रहा करती थी जिससे उसकी सुन्दरता और उसका यौवन निखरकर बाहर नहीं आता था ,दोनों भाई अनायास ही उसके पास गए और उसके एक एक गालो को चूम लिया ,निधि और भी शर्मा गयी ,अजय और विजय ने उसकी कमर के पीछे से अपने हाथ मिलाये और मुठठी बढ़ कर एक झूले सा तैयार कर दिया वो दोनों निचे बैठ गए ,ये किसी नाटक जैसा हो रहा था निधि को भी समझ नहीं आ रहा था की उसके भाई कर क्या रहे है ,अजय ने उसे इशारा किया की इसपर बैठ जा वो उनके हाथो से बने झूले पर बैठ गयी और उनके कंधो को पकड़ लिया उन्होंने अपनी गुडिया को उठा लिया ,और सोनल और रानी के पास पहुचे अब तक ये सब देखकर दोनों के आँखों में भी आंसू आ चुके थे ,वही निधि अपने भाइयो का अपने लिए प्यार देखकर अपने को रोक नहीं पायी और उसकी आँखों ने सब्र का बांध तोड़ दिया ,वो निचे उतरी और अपने छोटे से हाथो से अपने विशालकाय भाइयो को लपेट लिया ,दोनों उससे लिपट कर उसके सर पर एक किस किया ,सोनल अपने आंसुओ को पोछती हुई बोली,
“अगर ये इमोशनल ड्रामा हो गया हो तो चले बहुत देर हो रही है ,और आप लोग को और भी तो समान खरीदना है ना,हमें तो कपड़ो में और लेडिस के itams में ही रात हो जायेगी ,”सब अलग हुए और अजय ने भी अपने आंसू पोछे जिसे देख कर सोनल और रानी हस पड़े ,उन्हें हसता देख अजय अपने को थोडा सम्हाला और विजय की तरफ देखा जो दबी सी हसी हस रहा था,अजय थोडा असहज होते हुए
“अब तुझे क्या हुआ ”

“भाई आपको रोता देखा तो हसी आ गयी ,कल की बात अलग थी पर आज भी ,ही ही ही “रानी हस पड़ी अजय भी मुस्कुरा दिया
“तुम लोग क्या मुझे पत्थर समझते हो ,मैं भी इन्सान हु,मेरा भी दिल है,हा पहले की बात अलग थी ,पहले मैं बड़ा था और तुम सब छोटे थे ,लेकिन अब तो मेरी सबसे छोटी बहन भी बड़ी हो गयी है ,अब बड़ा भाई नहीं तुम्हारा दोस्त बनकर रहने का समय आ गया है ,तो अब तक मैं हमेशा अपने जस्बातो को दबाता रहा पर अब ना तुम्हे मुझसे डरने की जरुरत है और ना ही मुझे ,अब मैं भी तुम्हारे साथ हसूंगा तुम्हारे साथ रोया करूँगा ,”अजय का इतना बोलना था की तीनो लडकिय दौड़कर उसके गले लग गई वही विजय दूर से उन्हें देख रहा था ,जब सब उसे छोड़ी तो उसने विजय को देखा वो ऐसे जैसे देख रहा था जैसे वो भी उसके गले लगाना चाहता हो पर कोई तमीज उसे रोके हुई थी ,अजय ने उसे देखा उसकी ओर मुड़ा और अपनी बांहे फैला दि ,विजय की आँखों में आंसुओ की नदी बह गयी वो दौड़ के आया और अजय को ऐसे कस के जकड लिया जैसे कभी छोड़ेगा नहीं ,ये जिंदगी में पहली बार हुआ था जब अजय और विजय गले मिल रहे थे ,अभी तक तो बड़े भाई का मान उनके प्यार पर भरी पड़ जाता था पर आज क्या हुआ था,अजय के मन में वो बाते चल रही थी
अजय मन में :-“आज मेरे भाई बहन मेरे दोस्त बन गए ,जो जिम्मेदारी मैं एक बड़ा और जिम्मेदार भाई बनकर नहीं निभा पाउँगा वो शायद मैं इनके करीब आकर इनका दोस्त बन कर निभा पाऊ,डॉ ने कहा है की मेरे परिवार पर खतरा है कैसा खतरा ,मेरे परिवार में किसी को आंच नहीं आना चाहिए ,मुझे इनका दोस्त बनना है पर अपनी मर्यादा को भी नहीं भूलना है,मैं आज भी इनका वही बड़ा भाई हु बस थोडा सा खुला हुआ ……”
बहनों को माल में छोड़ अजय ने उन्हें कपड़ो की लिस्ट पकड़ा दि और अपना कार्ड देने लगा ,
“अरे भईया आप लोग आ जाओ ना फिर पेमेंट कर देना ,आप लोगो के लिए भी तो कपडे लेने है ना “सोनल ने टाइम देखते हुए कहा
“नहीं बेटा हमें देर हो जाएगी शादी का पूरा समान लेना है ,जो जो गाँव में नहीं मिलेगा ,और फिर उसे अपनी किसी गाड़ी में भरकर भिजवा देंगे फिर आयेंगे,”ठाकुरों का अपनी ट्रेवल एजेंसी थी ,ठाकुर ट्रेवल्स जिसे वीर बाली ने शुरू किया था और अजय विजय ने बढाया था,आज इनके बसे कई जगह चलती थी ,और एक ही कॉम्पिटिटर था जी हा तिवारी ट्रेवल्स ..
“पर भईया हमें और भी देर लगेगी आप चिंता मत करो “निधि हस्ते हुए बोली अजय ने उसे आँखे दिखाई और फिर मुस्कुराता हुआ ओके कहकर वह से निकल गया उसने पीछे अपने साथ आये पहलवानों और बाकि लोगो को वही छोड़ दिया ताकि उन्हें कोई प्राब्लम ना हो ,उन्होंने पूरा समान खरीद कर लोड करा 3-4 घंटे में भेज भी दिया…जब वो माल पहुचे तो शाम के 5 बजे हुए थे , अजय और विजय खुस थे क्योकि वो अब रात तक गाव भी जा सकते थे पर माल पहुचने पर उनके आशा पर पूरी तरह से पानी फिर गया ….
मॉल में घुसते ही उसने देखा की उनके पहलवान किसी आदमी के चारो और हाथ बांधे खड़े है साथ में एक इंस्पेक्टर भी बैठा है वो शख्स अपने सर पर हाथ रखे हुए है ,इंस्पेक्टर ने अजय को पहचान लिया
“अरे ठाकुर साहब बढ़िया हुआ आप आ गए अब मुझे छुट्टी दीजिये “इंस्पेक्टर को देख अजय और विजय घबरा गए,
“अरे सिंग साहब आप ,क्या हुआ कुछ प्रोब्लम तो नहीं है “इंस्पेक्टर सिंग पहले अजय के ही इलाके में पोस्टेड था और ठाकुरों को अच्छे से जनता था,अजय से ही सिफारिश करा कर उसे पैसे वाले जगह में (शहर में )अपनी पोस्टिंग करायी थी ,अजय आगे बढ़ कर उससे हाथ मिलाता है ,

“अरे कुछ नहीं वो आपकी तीनो देवियों के कारन यहाँ आना पड़ा ,ये जो बैठा है वो यहाँ का मनैंजर है ,उसने ही हमें बुलाया था,वो क्या है निधि बिटिया को एक कपडा पसंद नहीं आया तो उसने उसे फेक दिया इस बात पर यहाँ की सेल्स गर्ल से उसका झगडा हो गया ,निधि को तो आप जानते है ना उसने दो हाथ उसे लगा दिए और उसने मनेजर और बाउंसर को बुला लिया बाउंसरो बिटिया को बाहर जाने कहा और उसने पहलवानों को बुला लिया ,पहलवानों ने बाउंसरो को तो मारा ही तोड़ फोड़ भी चालू कर दि,तो इसने (मनेजर की तरफ उंगली दिखाते हुए )मुझे बुला लिया ,मैंने निधि को समझा लिया और इसे भी पर निधि ने आप को कुछ ना बताने की कसम दे दि और कहा की जब तक आप ना आओ इसे यही बैठे रहने दो और मुझे भी यही बैठा दिया है ,अब उनकी बात तो नहीं टाल सकता ना तो …”इंस्पेक्टर के चहरे में एक मुस्कान आई वही विजय ने मनेजर को घुर के देखा की उसकी सांसे ही रुक गयी वो कुछ बोलने की हालत में नहीं था,अजय के चहरे पर पहले एक मुस्कान आई फिर उसका चहरा गंभीर हो गया ,
“थैंकस थैंकयु सो मच सिंग साहब ,ये लडकिय ना …”अजय एक गहरी साँस लेता है
“ओके आप को तकलीफ हुई इसके लिए माफ़ करे ,थैंक्स ”
“अरे ठाकुर साहब आप भी क्यों हमें जलील कर रहे है,हम तो आपके सेवक है “अजय इंस्पेक्टर के हाथो को पकड़कर उसे माफ़ी मांगता है और धन्यवाद देता है इंस्पेक्टर के जाने के बाद पहलवानों को इशारे से जाने को कहता है ,और मेनेजर के पास जाकर हाथ जोड़ लेता है जो की विजय को बिलकुल भी पसंद नहीं आता ,
“माफ़ कीजिये सर मेरी बहनों के कारण आपको तकलीफ हुई ,”मनेजर उठ कर लगभग उसके पैर पकड़ने की मुद्रा में बोला ,
“नहीं नहीं सर मुझसे गलती हो गयी की मेडम को परेशानी हुई सॉरी ,मुझे पता नहीं था की वो कौन है ,मैंने उस लड़की को भी निकल दिया है सर काम से “उसने हाथ जोड़ते हुए अजय से कहा विजय उसे ऊपर से निचे तक देखा
“साले तुझे अभी भी नहीं पता की वो कोण है नहीं तो तेरी पैन्र्ट अभी तक गीली हो जाती “अजय ने घूरकर उसे देखा विजय को अपनी गलती का अहसास हुआ और वो चुप हो गया ,
“उस लड़की को बुलाओ जिसको निधि ने मारा था “मेनेजर ने तुरंत ‘जी सर’ कहते हुए फोन घुमाया और 10 मिनट में ही वो लड़की उनके सामने थी,अजय ने उसे धयान से देखा ,माल का ही ड्रेस(लाल रंग की टी शर्ट और जीन्स) पहने वो पतली दुबली सवाली सी लड़की अपने सर को झुकाय खड़ी थी,उसके चहरे से ही आभाव और गरीबी झलक रही थी ,7-8 हजार महीने की तनख्वाह के लिए उसे इतना जलील होना पड़ा था,जितना वो महीने भर में अपने खून पसीने से कमाती थी उतना तो यहाँ आने वाले एक दिन में उड़ा कर चले जाते थे ,फिर भी अपने आत्मसम्मान के लिए उसने झगडा कर लिया पता नहीं अब उसकी नौकरी रहे या ना रहे ,
गरीबो का कोई आत्मसम्मान नहीं होता ये उसकी माँ उसे कहा करती थी ,और सेल्स वालो का तो होता ही नहीं ये उसका मनेजर,, फिर भी उसने झगडा किया ,
अजय के पास आते ही उसकी पर्सनाल्टी और रौब देखकर उसे ये तो समझ आ चूका था की किसी बड़े आदमी से पंगा हो गया है,वो कपने लगी जिसे देखकर अजय को बहुत ही बुरा लगा ,उसने अपने हाथ बढ़ाते हुए उसके कंधो पर रखा वो सिहर उठी थी,
“तुम्हारा क्या नाम है बहन “बहन उस लड़की ने अपना चहरा उठाया अजय की आँखों में उसके लिए गुस्सा नहीं दया और प्रेम दिखाई दिया इतने देर से मन में चल रही शंकाओ का एक प्यार भरे शब्द ने निराकरण कर दिया था ,जो शख्स एक अदन सी लड़की को इतने प्यार से बहन पुकार सकता है वो गलत तो नहीं हो सकता ना ही क्रूर उसका मुरझाया चहरा खिला तो अजय को भी थोडा शकुन आया …
“जी सर वो सुमन “अजय ने उसे देखा पता नहीं क्यों वो लड़की उसके दिल को कही छू गयी थी ,अजय बहुत ही संवेदनशील था जो उसकी कमजोरी और ताकत दोनों थी,
“अच्छा चलो मेरे साथ ,और आप भी “अजय ने मनेजर को कहा सभी वह चलने लगे जहा तीनो देविया खरीदी कर रही थी ,वो एक बड़ा सा किसी डिजायनर ब्रांड का शाप था,पुरे माल में इन तीनो की दहशत सी हो गयी थी वो जहा भी जाती उस शॉप का मनेजर खुद आ कर उन्हें अटेंड करता ,अपने भाइयो को आता देख निधि दौड़कर आई और अजय के गले लग गयी उसके हाथो में एक लहंगा था ,जो बहुत ही महंगा लग रहा रहा था ,निधि जब उस लहंगे को घसीटते हुए भागी तो सभी कर्मचारियों के दिल से एक चीख निकली लेकिन दिल में ही दब गयी ,
“भईया देखो ये कैसा है “अजय ने उसे अपने से दूर किया

“वो सब छोड़ पहले ,इससे माफ़ी मांग ,”अजय ने सुमन के तरफ इशारा करते हुए कहा
निधि उसे देख कर नाक मुह सिकोड़ ली पर सामने अजय था ,वो हिली तो नहीं पर कुछ बोली भी नहीं ,अजय ने सुमन को आगे किया सभी की सांसे रुकी हुई थी की क्या होने वाला है ,अजय ने वही खड़े एक सेल्समेन को बुलाया और निधि जिस लहंगे को पकडे थी उसके तरफ इशारा करते हुए कहा ,
“इस लहंगे का रेट कितना है ”
:सर 15 हजार ”
“ओके, निधि मेरी बात धयान से सुनना तुम अपने लिए 15 हजार के कोई 3-4 लहंगे लेने वाली हो जिसे तुम सिर्फ रेणुका की शादी में पहनोगी या शायद उसके बाद कभी कभी “अजय सुमन की तरफ मुड़ता है ,
“तुम्हारी सेलरी कितनी है ,”
“सर 7 हजार ”
“बस या और कुछ ”
“सर इंसेंटिव मिलता है,कुछ बेचने पर महीने का टोटल 10-12 तक पहुच जाता है ”
“कितने लोग है तुम्हारे घर में ”
“सर माँ है और एक छोटा भाई है ”
“क्या करती है माँ और भाई ”
“सर माँ कुछ नहीं करती वो बीमार रहती है ,और भाई अभी पढ़ाई कर रहा है ,”
“तो तुम इतने कम पैसे में ही पुरे घर का खर्च चलती हो ,और अपनी माँ का इलाज और भाई की पढ़ाई भी ”
“जी सर “सुमन की नजरे अभी भी निचे ही थी
“जितना तुम 5 महीने में कमाती हो उतने की मेरी बहन अपने लिए सिर्फ लहंगा ले के जा रही है,फिर भी तुमने इससे लड़ाई क्यों की “सुमन के आँखों में आंसू था पर वो सर झुकाय ही थी
“बोलो जो पूछ रहा हु”अजय ने थोड़ी उची आवाज में कहा
“सर मैंने कोई लड़ाई नहीं की मैंने तो बस मेडम को समझाया की कपडे को ऐसे मत फेके ,सर इतना महंगा कपडा होता है अगर फट जाय तो हमारी सैलरी से कट जाएगा ,उतनी तो हमारी सेलरी भी नहीं होती ,अगर मुझे सेलरी नहीं मिली तो मेरे घर वाले खायेंगे क्या ,लेकिन मेडम गुस्से में आ गयी और मुझे मार दिया ,”सुमन सिसकने लगी अजय ने अपना हाथ बढाया और उसके कंधे पर अपना हाथ रखा ,वो निधि की तरफ घुमा
“निधि तुम इससे माफ़ी मांगना चाहो या नहीं तुम्हारा डिसीजन है,पर तुम्हारे कारन इसे जॉब से भी निकल दिया गया है ,हा ये गरीब है पर इनका भी आत्मसम्मान है ,ये भी इन्सान है और इन्सान को इन्सान की इज्जत करनी चाहिए ,वरना हममे और जानवरों में फर्क ही क्या रह जायेगा ,”निधि की आँखों में पानी आ चूका था ,उसे अपनी गलती का अहसास हो चूका था ,वो आगे बड़ी और सुमन को अपने गले से लगा ली और बच्चो जैसे पुचकारने लगी ,
“सॉरी बहन मुझे माफ़ कर दे ,”वो उसे ऐसे मना रही थी जैसे बच्चे एक दुसरे को मानते है ये देखकर सभी0 के चहरे में स्माइल आ गयी ,मनेजर और कर्मचारियों ने चैन की साँस ली और सुमन भी उसके मानाने और प्यारी बातो से हस पड़ी ,लेकिन निधि ने फिर एक तीर छोड़ दिया
“मनेजर अंकल आप इसे जॉब से नहीं निकालेंगे “मनेजर ने हां में सर हिलाया
“और भईया मुझे ये माल बहुत पसंद आया ,इसे खरीद लो ना ,”सब फिर आँखे फाडे उसे देखने लगे,और निधि सुमन को अपने साथ ले गयी कपडे की चोइस कराने लेकिन अजय और विजय के चहरे पर एक मुस्कान आ गयी ,विजय ने अजय की ओर देखा
“भईया ऐसे भी खरीदने की सोच ही रहे थे गुडिया का दिल भी रख लेते है और अपना काम भी हो जाएगा कोई दूसरा क्यों यही ले लेते है “अजय मेनेजर की तरफ मुड़ता है ,

“किसका है ये माल और कहा रहता है “मनेजर भी उन्हें आँखे फाडे देख रहा था
“सर ये सिंघानिया साहब का है ,मुंबई में रहते है ”
“विवेक सिंघानिया ”
“जी सर उन्ही का ”
“ठीक है विवेक सर तो हमारे खास आदमी है ,उनसे मैं बात कर लूँगा “मनेजर हाथ जोड़ कर खड़ा रहता है उसके दिमाग में विजय की बात गुज रही थी (“साले तुझे अभी भी नहीं पता की वो कोण है नहीं तो तेरी पैन्र्ट अभी तक गीली हो जाती “)…………………
 
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अध्याय 11
शहर के कमरे के का र्रूम अजय आज अपनी सोच में डूबा था और खाना खा कर सीधे रूम में आ गया ,निधि और रानी अपने कमरे में ख़रीदे हुए कपड़ो में बीजी थे वही सोनल विजय के साथ हाल के एक कोने में रखे सोफे पर लेती थी ,वो विजय के गोद में अपना सर रख कर लेटी हुई थी और विजय उसके बालो को सहला रहा था ,

”यार आज डॉ चुतिया के पास गए थे ने क्या हुआ वहा,”
क्लिनिक की बारे में सोचकर उसे मेरी की याद आ जाती है,और उसके चहरे पर एक मुस्कान खिल जाती है,जिसे सोनल भाप जाती है,क्या हुआ मेरे हीरो क्यों मुस्कुरा रहा है ,
“अरे यार क्या बताऊ,उसकी सेकेटरी मेरी वाह “सोनल ने उसे आश्चर्य से देखा
“क्या वाह कर रहा है,तेरे जैसे कमीने सिर्फ एक चीज के लिए लडकियों को देखते है,”विजय सोनल को घुर के देखता है जो हलके हलके मुस्कुरा रही थी,

“बहुत बात करने लगी है तू,(थोड़ी देर रूककर )ऐसे सच भी है,लेकीन आज तो मजा ही आ गया ,”विजय एक अगड़ाई लेते हुए कहा ,सोनल को समझ तो आ गया था की उसका कमीना भाई क्यों कुछ तो कर के आया होगा ,उसने आँखों से इशारा किया क्या हुआ
विजय हसता हुआ उसे सारी बाते बताता गया और सोनल मुह खोल के उसकी करतूत सुनती रही ,जब उसे पता चला की विजय के साथ KLPD हो गया तो वो जोर जोर से हसने लगी की उसका पेट दुखने लगा,वो सोफे एस गिरते गिरते बची वही विजय बुरा सा मुह बनाया हुआ था ,जब सोनल का हसना थोडा कम हुआ तो उसने विजय के मुह को अपने हाथो से दबाया ,
“कोई बात नहीं भाई उसकी भी ले लेना ,ऐसे उसने तुझसे वादा किया है तो निभाएगी ही ना,ऐसे उसका नाम सुनकर तेरा शेरखान बिलकुल तन गया है ,”सोनल फिर से हसने लगी ,विजय का डंडा खड़ा होकर सोनल के सर को चुभ रहा था,विजय थोडा असहज हो गया पर सोनल के हसने पर उसे थोड़ी रहत मिली ,उसने सोनल के गालो पर एक चपत मारी
“अपने भाई से ऐसा मजाक करती है,”सोनल उसे घूरती है
“भाई ,वाह रे मेरे भाई,तुझे बताने में और करने में तो शर्म नहीं आई अब तू भाई बन रहा है साले”विजय और सोनल दोनों मुस्कुरा पड़े ,विजय सोनल को धयन से देखता है,माथे पर लगा छोटा सा टिका जो उसके गोरे मुखड़े को प्यारा बना रहा था,वो एक ढ़ीले से टी शर्ट और बोक्सर में थी जो उसके घुटनों के ऊपर था ,कपड़ो के ढीले पण के बावजूद उसके कटाव साफ़ दिख रहे थे,उसके छातिके उन्नत पहाड़ विजय की कोहनी से हलके रगड़ खा रहे थे ,जिसका आभास दोनों को ही नहीं था ,वासना का कोई नामो निशान उनके बीच नहीं था ,पर विजय उसकी सुन्दरता में खो गया था और सोनल भी अपने भाई की मर्दाना छाती में उगे बालो को अपने हाथो से सहला रही थी ,उसे तो सिर्फ उसके भाई ही मर्द लगते थे बाकी लडको में वो ,वो वाली बात ही नहीं पाती थी ,
“क्या देख रहा है भाई,”सोनल धीरे से कह पायी
“बस देख रहा हु मेरी बहन कितनी सुन्दर है,”
“झुटा कही का ,तेरी itams से जादा सुंदर थोड़ी होंगी तेरी बहने “विजय उसे अपने बाजुओ में भरकर अपने सर को निचे उसके चहरे के पास लाता है ,
“दुनिया में कोई ऐसी लड़की नहीं है जो मेरी बहनों से सुंदर हो ,” विजय सोनल के गालो पर अपने होठो को रख देता है ,लेकिन हटाता नहीं और अपनी थूक से उसे गिला कर देता है,सोनल के चहरे पर एक मुस्कान खिल जाती है और वो अपनी बाजुओ को विजय के गले में डाल लेती है और अपनी ओर खिचती है ,विजय उठाकर उसे देखता है ,सोनल की प्यारी मुस्कराहट में वो खो जाता है ,
“भाई आई रेली लव यु ,तू हमेशा मुझे ऐसे ही प्यार करेगा ना ,”विजय सोनल के नाक से अपनी नाक रगड़ता है ,

“कोई शक”सोनल हस पड़ती है और उसे अपनी बांहों में भर लेती है ,थोड़ी देर में दोनों उठकर अपने रूम में जाते है वह निधि और रानी अब भी कपड़ो को लेकर ही बाते कर रही होती है निधि अभी भी वही सुबह वाला स्कर्ट पहने बैठी थी ,विजय पीछे से जाकर उसे कस कर पकड़ लेता है,
“क्या मेरी खरगोश तुझे सोना नहीं है क्या,”सब उसे प्यार से खरगोश बुलाया करते थे ,निधि उसकी बांहों में मचल कर अपना सर उठा कर उसके गले को किस कर लेती है,ये देख कर रानी की आँखों में आंसू आ जाता है ,
“क्या हुआ दीदी ”
“मुझे किशन की बहुत याद आ रही है ,हम सब यहाँ साथ है और वो वहा अकेला ,”
“कोई बात नहीं दीदी कल तो जा ही रहे है ना ,”
“हा और तू फिकर मत कर वहा उसका ख्याल रखने के लिए लाली है ना,”सोनल की बात से रानी रोना बंद कर उसे मार देती है वही सोनल और विजय हसने लगते है ,लाली किशन की पर्मनेट वाली जुगाड़ थी ,(जुगाड़ ही कहूँगा क्योकि गर्ल फ्रेंड कहना गलत होगा ),निधि सब को हस्ते हुए देखकर सबका मुह देखने लगी उसे ये बात समझ नहीं आया की लाली दीदी किशन भईया का धयान कैसे रखेंगी ,आखिर उसने विजय से पूछ ही लिया ,,विजय मुस्कुरा कर उसके गालो में किस कर लिया

“कुछ नहीं मेरी खरगोश चल रात हो चुकी है तू सो जा ,कहा सोएगी ”
“अरे ये तो भईया की चमची है वही सोयेगी उनके साथ ”
“मुझे भईया बिना नींद नहीं आती समझी “निधि ने अपना बुरा सा चाहरा बनाते हुए कहा ,जिसपर सभी हस पड़े
“तो शादी के बाद क्या करेगी जब अपने पति के साथ सोना पड़ेगा ”
“भाग जाओ मुझे नहीं करना शादी वादी आप कर लेना ,मैं नहीं छोड़ने वाली अपने भाइयो को”निधि की प्यारी बातो ने सभी के चहरे पर फिर से एक मुस्कान खिला दिया और वो सभी के गालो में किस करके वह से अजय के रूम चली गयी …..

अध्याय 12
सुबह ही सब तैयार होकर चलने को हुए ,सुबह से सुमन भी अपना समान पकड़कर आ चुकी थी,आ उसने एक हलके रंग का सलवार कमीज पहने था,उसके कपड़ो से ही उसके असली आर्थिक हालत का पता चल रहा था,लेकिन निधि को वो बिलकुल भी पसंद नहीं आया उसने तुरंत उसे अपने कमरे में ले जाकर अपने कपडे पहनने को दे दिया ,एक जीन्स और कमीज में अब उसका रूप कुछ खिलने लगा था,सब गाव के लिए निकल पड़े,गाव में उनका स्वागत करने को पूरा घर मौजूद था ,सिवाय उनके चंपा चाची के,निधि में सबको सुमन से मिलवाया ,रानी दौड़कर किशन के गले लग गयी वही सोनल सीधे बाली चाचा के तरफ भागी,अपनी बच्चियों को देखकर बाली भी बहुत खुस था,किशन को रानी छोड़ ही नहीं रही थी,सोनल उसके पास पहुच कर उसके गले से लग गयी,रानी ने भी अपने आशु पोछे और और किशन ने भी ,सोनल ने धीरे से पूछा ,
“और मेरे भाई ,लाली भाभी कैसी है,”किशन का चहरा लाल हो गया,

“क्या दीदी आप भी ना सबके सामने ,वो तो खड़ी है देख लो ना,”रानी और सोनल खिलखिला पड़े और सीता मौसी की तरफ बढे,मौसी ने बड़े ही प्यार से दोनों को दुलारा,और अजय को देखते हुई बोली
“रेणुका की तो शादी कर दिया तूने अब तेरी दोनों जवान बहनों का भी कुछ सोच ,इनके भी हाथ पीले कर दे अगले साल “रानी और सोनल ने बुरा सा मुह बनाया वही मौसी और अजय हस पड़े…
“मौसी इन्हें पड़ने दो जितना पड़ना चाहे फिर तो शादी करना ही है ,हम तो नहीं पढ़ पाए पर अपनी बहनों को तो खूब पढ़ाउंगा ,”दोनों लडकिय अजय से आकर चिपक गयी ,
“देख कही जादा पड़कर वही शादी ना कर ले “मौसी ने दोनों को चिढाते हुए कहा
“इनका भाई अभी मारा नहीं है ,जो इन्हें भाग के शादी करना पड़े ,मेरी बहने जिसे पसंद करेगी इनकी शादी उनसे ही करूँगा,अपने आप को बेच दूंगा पर अपनी बहनों के लिए हर खुसी ला के दूंगा,”अजय जैसे खुद से बात कर रहा था,दोनों उसके चहरे को देखने लगे वही मौसी के चहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान घिर गयी ,और रानी और सोनल की आँखों में अपने भाई का प्यार देखकर पानी आ गया ,उन्होंने अपनी एडी उची की और एक प्यार भरी पप्पी अजय के गालो में दि …

“चढ़ा ले इन्हें भी ,एक तेरी छोटी है ,इतना चढ़ा के रखा है,”मौसी ने प्यार से अजय को देखते हुए कहा ,अजय ने निधि की और देखा वो सुमन को घर दिखा रही थी और नौकरों को उसके रूम तैयार करने को कह रही थी ,सुमन बेचारी को अपने भाग्य पर जैसे विश्वास ही नहीं हो रहा था,जो लड़की उसे गलिया देकर मार रही थी उसके कारन उसकी जिन्दगी सवर गयी ,वो निधि को बड़े ही प्यार और सम्मान से देख रही थी,जिसे वो उसके लिए भगवन हो,वही किशन की नजरो को विजय ने पढ़ लिया जो सुमन को देखे जा रहा था,विजय उसके पास जाकर बोला,
“सोचना भी मत साले ,निधि और भईया का हाथ है उसपर,”किशन के चहरे पर एक कातिल मुस्कान खिल गयी ,
“अच्छा इसलिए आप अभी तक पीछे हो “विजय भी हस पड़ा
“अरे यार इतनी तो लडकिय छानी है हमने ,एक नहीं सही ,”
“ह्म्म्म बात तो सही है भईया पर इस लड़की में कुछ तो बात है ,”विजय उसे घूरता है
“क्या बात है बे हवसी ,लाली से जादा खुबसूरत है क्या,बेचारी सवाली सी दुबली पतली है ”
“भईया ये थोड़ी तैयार हो जाए और आँखों में काजल लगा ले ना तो देखना आप भी दीवाने हो जाओगे”विजय हँसाने लगा
“तुझे ही मुबारक हो ऐसी कलि मैं तो खिले हुए फूलो को भी रुला देता हु ये तो मर जायेगी ,”किशन विजय की ओर देखता है ,
“ह्म्म्म तो मैं इसे खाऊंगा ,लेकिन थोडा आराम से रिस्क जादा है निधि को पता चला तो मार डालेगी ..”दोनों हसने लगे..
रानी किशन के पास पहुचती है ,

“भाई माँ कहा है ,”
“होगी अपने कोपभवन में ,इस घर में कुछ ख़ुशी हो तो उन्हें ही सबसे जादा तकलीफ होती है ना “किशन छिड़ते हुए कहता है,रानी के आँखों में आंसू आ जाता है ,
“भाई ऐसा मत बोल ,आपके और मेरे सिवा उनका है ही कोण इस दुनिया में ,”सोनल भी पास आ जाती है ,वो समझ चुकी थी की रानी क्यों दुखी है …
“चल रानी चाची से मिलकर आते है ,”सोनल ने उसके कंधे पर हाथ रखा ,रानी उसके सीने से लग के रोने लगी विजय भी ये सब देख कर उनके पास पहुचता है ,वो रानी के कंधे पर हाथ रखता है ,
“देखो भले ही चची हमारे बारे में जो भी सोचे पर हमारे लिए तो वो माँ जैसी है है ना ,”विजय बोलता चला गया
“पहले इस घर में जो हुआ वो हुआ पर अब हम सबको मिलकर उन्हें फिर से हसना होगा ,हम सब यहाँ खुसिया मनाये और हमारी माँ वह अकेली बैठी रहे ये कैसे हो सकता है,”
“पर भईया आप तो जानते हो माँ की आदत वो इस घर की खुशियों में कभी सरिक नहीं होती ,पापा तो उनसे बात भी नहीं करते वो अकेले ,”किशन बोलते हुए थोडा उदास सा हो गया,
“अब नहीं मेरे भाई हम सब की मिलकर उन्हें मनाना चाहिए ,चाचा उन्हें नहीं माफ कर पाए पर अजय भईया ने उन्हें हमेशा ही अपनी माँ माना है ,और अब चाची को हम फिर से अपने परिवार का हिस्सा बनायेंगे,”सोनल ने चहकते हुए कहा की सभी को उम्मीद की एक किरण दिखने लगी सभी चंपा के कमरे की तरफ जाने लगे ,
रानी और किशन कमरे में जाते है वही सोनल और विजय बाहर ही रुक जाते है ,दोनों को देखकर चंपा उछल पड़ी और दौड़कर रानी को अपने सीने से लगाकर रोने लगी ,
“मेरी बच्ची तू आ गयी ”
“हा माँ और आप निचे क्यों नहीं आई सब लोग थे बस आप नहीं थी “चंपा के आँखों में पानी आ गया और उसका गला भर सा गया था,वो थोड़ी देर तक बस चुप ही रही ,फिर बड़ी मेहनत करके कुछ बोल पायी ,

“बेटी मैं वहा आकर सबकी ख़ुशी ख़राब नहीं करना चाहती थी ,”सोनल और किशन कमरे में आते है ,जिसे देख कर चंपा थोड़ी असहज सी हो जाती है ,
“आपको किसने कहा की आपके आने से किसी को तकलीफ होगी ,बल्कि आपके आने से तो हमें ख़ुशी होती ,आप भी तो हमारी माँ है ना “अब तक सोनल के आँखों में भी पानी आ चूका था,चंपा अपना सर निचे किये थी और कोई भी जवाब नहीं दे रही थी,विजय ने आगे बड़ते हुए चंपा के हाथो को थाम लिया ,
“चाची हम बचपन से ही माँ के प्यार के लिए तरसे है ,बाप का प्यार तो हमें बाली चाचा और अजय भईया ने दिया है ,पर क्या हम आपके बच्चे नहीं है ,सालो पहले जो हुआ वो बस हादसा था,उसकी अपने आपको और हमें इतनी बड़ी सजा मत दीजिये ,आप हमारी माँ है चाची ,”चंपा नज़ारे निचे किये हुए रो रही थी ,जिस परिवार को उसने आजतक इतनी नफरत दि थी वही उसे इतना प्यार करता है चंपा ने कभी सोचा ही नहीं था,जब से अजय ने उसकी जान बचायी थी वो अंदर से पश्चाताप में जल रही थी ,लेकिन वो कभी भी ये किसी से नहीं कह पायी थी ,,बाली आज भी उससे उतनी ही नफरत करता था जीतनी वो पहले किया करता था,इधर सोनल और विजय भी रोने लगे थे किसे पता था की इस विशाल देह में भी एक मासूम सा धडकता दिल है ,चंपा से अब रहा नहीं गया वो मुड़ी और जाने को हुई लेकिन उसी समय किसी ने उसके पैरो को जकड लिया एक सुबकी सी उसके कानो को सुनाई दि ….उसने बिना निचे देखे ही खुद को आगे धकेला पर वो मजबूत हाथ थे जिसके कारन वो हिल भी नहीं पा रही थी ,उसने मजबूर होकर निचे देखा तो उसका मुह खुला का खुला रह गया …अजय उसके पैरो को पकड़ा र्रो रहा था ,चंपा ने कभी इसकी कल्पना भी नहीं की थी ,हुआ ये की अजय ने जब सबको जाते देखा तो वो भी धीरे से उनके पीछे चल दिया उनकी बाते सुनकर उससे रहा नहीं गया और वो अंदर आकर चंपा के पैरो को पकड़ लिया,

“चाची क्या हमसे कोई गलती हुई है जिसके वजह से आप हमसे दूर रहती है ,क्या हमें आपके प्यार पाने का कोई हक़ नहीं है ,”ये चंपा के लिए बहुत ही जादा था उसके सब्र का बांध अब टूट ही गया वो फफक कर रो पड़ी और अजय को उठा कर उसे अपने सीने से लगा लिया ,
“नहीं अजय मैं तुम्हारी गुनाहगार हु,मेरी वजह से ही भईया भाभी की मौत हुई है ,मैंने ही तुम्हारे चाचा को उनके भाई से अलग किया ,पूरी गलती मेरी है मेरे बेटे ,मैं माफ़ी के काबिल नहीं हु,वीर भईया तो भगवान थे जिन्होंने मुझ जैसी लड़की को इस घर की बहु बनाया पर मैंने क्या किया इस घर को तोड़ने की कोशिश की ,अगर मैं ना होती तो शायद भईया भाभी जिन्दा होते और इसपर भी तुमने मेरी जान बचाई ,तुम भी वीर भईया जैसे हो मेरे बेटे और मैं अब तुम्हारी खुशियों में नहीं आना चाहती ,”चंपा अजय को ऐसे गले लगायी थी जैसे जन्म की प्यासी को ,जैसे कई जन्मो से इसी पल का इन्तजार था ,आज वो अपने गुनाहों की माफ़ी मांग रही थी जो वो हमेशा मांगना चाहती थी ,अजय उससे अलग हुआ और उसके चहरे को अपने हाथो में थाम लिया उसने बड़े प्यार से उसे देखा,
“चाची जो भी हुआ वो तो हो चूका है ,अब हम नयी सुरुवात करते है ,आप हमारी माँ है और हमारे खुशियों और दुःख में सरिक कोने का आपको पूरा हक़ है ,हम सब यही चाहते है की आपके चहरे में फिर से एक मुस्कान आ जाय,”चंपा के चहरे में एक मुस्कान फैली वो कोई सामान्य मुस्कान नहीं थी ,बहुत ही दर्द के बाद जेहन से आई थी ,उसमे ममता भी था और पश्चाताप भी ,उसमे दर्द भी थी और खुसी भी ,चंपा ने अजय के माथे को चूम लिया ,उसके नयना अब भी धार बहा रहे थे..बाकि सभी बच्चे भी आकर उनसे लिपट गए ,थोड़े इमोशनल ड्रामे के बाद सब अलग हुए और अपने कमरों में गए ,…
 

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