Fantasy झट पट शादी और सुहागरात

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ये कहानी झट पट शादी और सुहागरात का ही अगला भाग है


दीपक कुमार के जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ पहले सम्भोग की कहानी हैंl कहानी में उसके सुन्दर सेक्स जीवन का एक विवरण पेश करने की कोशिश की गयी हैंl पढ़िए, उसकी कहानी उसी की जुबानी।



दोस्तों मैं दीपक कुमार, मैं अठारह साल की उम्र तक पढ़ाई में ही डूबा रहाl मैं हमेशा पढ़ने लिखने में होशियार, एक मेधावी छात्र थाl उस समय तक पढाई में ही डूबे रहने के कारण मेरे कोई ख़ास दोस्त भी नहीं थे और मैं स्कूल में भी अपने अध्यापकों के ही साथ अपनी पढ़ाई में ही लगा रहता थाl

मैं अपने माँ बाप की एकलौती संतान हूँl अठारह साल की उम्र तक मेरी देखभाल करने वाले भी पुरुष नौकर ही थेl हालाँकि, मेरे पिताजी की एक से अधिक पत्निया रही है और मेरी कुछ सौतेली बहने भी हैं, पर मुझे हमेशा उनसे दूर ही रखा गया थाl यहाँ तक की मेरी अपनी माँ के अतिरिक्त किसी महिला से कोई ख़ास बातचीत भी नहीं होती थीl
मेरा स्कूल भी सिर्फ लड़कों का ही था जिसमे कोई महिला टीयर भी नहीं थीl मुझे कभी भी लड़कियों की संगत करने की अनुमति नहीं थी, गर्लफ्रेंड तो बहुत दूर की कौड़ी थीl

स्कूल ख़त्म करने के बाद और फाइनल पेपर देने के बाद, मैं अपनी उपरोक्त परवरिश और स्वभाव के कारण, मैं अपने जीवन की नीरस दिनचर्या से बहुत विचलित हो गया थाl मुझे यक़ीन होने लगा था कि इस तरह मैं अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकताl मुझे दिनचर्या में बदलाव की बहुत सख्त ज़रूरत महसूस हो रही थीl

जब मेरे सब पेपर ख़त्म हो गए तो मैंने अपनी सभी किताबों को एक कोने में रख कर, अपने पहली मंजिल पर स्तिथ अपने कमरे से निकल कर, घर से बाहर घूमने जाने के लिए फटाफट नीचे उतरा, तो दरवाजे पर मुझे मेरे पिता जी मिल गएl

उनके साथ मेरे फूफा रोज़र अपने दो बेटों, रोबोट (बॉब) और टॉम मिलेl दोनों मेरी ही उम्र के थेl उन्हें आया देख, मैं बहुत खुश हुआl मुझे लगा अब इनके साथ मैं अपनी दिनचर्या को बदल कर, खूब खेलूंगा, मस्ती करूंगा. और अपनी बोरियत दूर कर सकूंगाl

उसी दिन, मेरे पिता ने मुझे बताया कि वह और मेरी माँ वह कुछ दिन के लिए कुछ जरूरी काम के सिलसिले में विदेश (इंग्लैण्ड) जा रहे हैं, और उनकी अनुपस्थिति में, मुझे अपने फूफा के साथ यहीं रहना था और एक या दो सप्ताह के लिए हमारे पास यहाँ रहने के बाद मेरे फूफा और फूफेरे भाई गाँव में जाएंगेl

अगले दिन मेरे पिता ने विदेश जाने से पहले, मुझे कुछ जरूरी परामर्श दिए और किन-किन चीजों का ख़्याल रखना हैं, उनके पीछे से क्या करना हैं, क्या नहीं करना हैं, कैसे करना हैं, सब समझायाl मुझे प्यार और आशीर्वाद देने के बाद, मेरे पिता और माँ लंदन रवाना हो गएl

मेरे फूफेरे भाई, रोबोट (बॉब) और टॉम, से मेरी अच्छी बनती थीl मेरे फूफा, रोबोट (बॉब) और टॉम अंग्रेज थेl रोबोट (बॉब) और टॉम दोनों, लगभग हर साल कुछ दिन के लिए हमारे पास रहने लन्दन से आते थे और मुझे उनके साथ खूब मज़ा आता थाl परन्तु बॉब और टॉम की बहने भी, जब हमारे घर आती थी मुझे उनसे दूर ही रखा जाता थाl
बॉब और टॉम दोनों पहले जब भी मिलते थे. तो दोनों बहुत सीधे और सरल लड़के लगते थे, लेकिन इस बार दोनों बहुत शैतान या यूँ कहिये बदमाश हो गए थेl

मुझे अब वह दोनों, दो ऐसे जंगली घोड़ों जैसे लगते थे, जिन्हे सीधे सादे निवासियों पर खुला छोड़ दिए गया होl शैतानी करने के बाद पकड़े जाने पर, सब बात मुझ पर डाल कर, दोनों ख़ुद साफ़ बच निकलते थेl दोनों सभी प्रकार के कुचक्रों बनाने में बहुत निपुण और विद्वान साबित होते थेl

बॉब और टॉम को एक तरह से पूरी छुट मिली हुई थी, क्योंकि मेरे फूफा, जिन्हें कुछ व्यावसायिक और अन्य व्यस्तता के कारण, हमारे आचरण की देखभाल निगरानी करने का समय नहीं था, इसलिए वह दोनों दिन भर उछल कूद मचाते रहते थेl उनकी शरारते देख कर मैं भी मजे लेता रहता था और कभी-कभी उनके साथ मैं भी धमा चौकड़ी मचा लेता थाl

फिर दो दिन बाद फूफाजी, हम तीनो को साथ लेकर गाँव में हमारे पुरानी पुश्तैनी महल नुमा घर चले गएl वहाँ पर भी बॉब और टॉम की उछल कूद जारी रही, क्योंकि फूफा ज़मीन जायदाद के सारे मसले देखने में ही व्यस्त रहते थेl मैं भी उनमें जाने अनजाने शामिल रहता था, इसलिए कोई भी नौकर चाकर डर के मारे बॉब और टॉम की शिकायत नहीं करता थाl अगले दिन फूफा किसी काम से पास के गाँव में अपने किसी मित्र से मिलने चले गए और हमें पता चला वह आज रात वापिस नहीं आएंगेl

हालांकि, पिछले तीन दिनों के दौरान जब मेरे फूफेरे भाई मेरे साथ थे, उन्होंने भद्दे-भद्दे चुटकुले और असभ्य बातचीत करके, लड़कियो के पवित्र होने की जिस अवधारणा के साथ मेरी माँ ने मुझे पाला था, मेरी
सभी उन पूर्वधारणाओं को उखाड़ फेंका थाl

हमारे पुरानी पुश्तैनी महल नुमा घर में हम सब के ठहरने के लिए अलग-अलग, बड़े-बड़े आलीशान कमरे थेl शाम को मैं बॉब की तलाश में मेरे फूफेरे भाई बॉब के कमरे में गया, दरवाज़ा खोलने पर, मैंने जो कुछ देखा, उस पर मैं पूरी तरह से चकित रह गयाl वहाँ बिस्तर पर टॉम लगभग नंगा एक बेहद खूबसूरत भगवान की बनाई हुई लाजवाब मूर्ति के जैसी, गोरी, गुलाबी गालों वाली कमसिन लड़की की बाँहों में खोया हुआ था, जिसके कपड़े हमारी नौकरानियों जैसे थेl

जब मैंने कमरे में प्रवेश किया तो वहाँ बॉब उस खूबसूरत कन्या के ऊपर एक तंग अंतरंग आलिंगन में जकड़ा हुआ लेटा हुआ था l लड़की की लम्बी खूबसूरत सफेद टाँगों का एक जोड़ा उसकी पीठ के ऊपर से पार हो गया थाl उनके शरीर की थिरकन, हिलने और स्पीड को देखकर मुझे लगा कि वे दोनों असीम आनंद ले रहे हैं, जो उनके लिए पूरी तरह से संतोषजनक थाl दोनों उस आनंद दायक क्रिया में इस तरह से डूबे हुए थे, कि उन्हें मेरे आने का कुछ पता नहीं चला, यहाँ तक के ये भी नहीं मालूम हुआ कि कब मैंने उस कमरे में प्रवेश किया हैl

कहानी जारी रहेगीl
आगे क्या हुआ रोज़ी और रूबी का क्या चक्कर है पढ़िए अंतरंग हमसफ़र में जो की इसी कहानी के आगे के भाग हैं
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अंतरंग हमसफ़र

आपका दीपक l
 
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झट पट शादी और सुहागरात-1

झट पट शादी और सुहागरात मेरे दोस्त दीपक कुमार की कहानी है

पढ़िए उसकी कहानी उसी की जुबानी

मेरा नाम दीपक है. मेरा कद छह फुट है, गोरा रंग है और मजबूत काठी वाला शरीर है.

मैं एक कॉलेज में प्रोफेसर हूँ. मेरे कॉलेज में कई महिला प्रोफेसर भी हैं, जो कि काफी खूबसूरत भी हैं. लेकिन मैं किसी से ज्यादा बात नहीं करता था. सिर्फ अपनी क्लास लेना और खाली समय में लाइब्रेरी में बुक्स पढ़ता रहता था.

मेरे कॉलेज में एक प्रोफेसर प्रीति भी हैं, जो मुझ से काफी बातचीत करने का प्रयास करती थीं और मेरे आस पास मंडराती रहती थीं. मुझे लगता था कि वो मुझे चाहती थीं, लेकिन कभी कह नहीं पाती थीं.

एक बार कॉलेज में पेपर शुरू होने वाले थे. एग्जाम के पहले छुट्टियां चल रही थीं. कॉलेज शहर में बाहर है, मेरा घर कॉलेज के पास ही है. मेरा घर काफी बड़ा है. उन दिनों मेरे माता पिता शहर में दूसरे घर में रहने गए हुए थे. एक दिन मैं सारे कपड़े निकाल कर नहाने जा ही रहा था कि घर के दरवाजे की घंटी बजी.

मैंने तौलिया लपेट कर दरवाजा खोला, तो देखा गेट पर गोरी चिट्टी प्रीति लाल रंग की साड़ी और ब्लाउज में खड़ी हुई थीं. उनके होंठों पर लाल लिपिस्टिक और बालों में लाल गुलाब लगा हुआ था. प्रीति मेम बिल्कुल लाल परी लग रही थीं. उनके हाथ में एक बड़ा सा लेडीज बैग था. सच में आज मुझे वो गजब की सुन्दर लग रही थीं.

उन्हें लाल रंग की साड़ी में देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और तौलिया तन गया. मैं उसे देखता ही रह गया. मेरे मुँह से बेसाख्ता निकल गया.

'वो आए घर में हमारे,

खुदा की कुदरत है.

कभी हम उनको,

कभी अपने घर को देखते हैं.'

प्रीति मेम शरमाते हुए बोलीं- अन्दर आने को नहीं बोलोगे?

मैंने कहा- सॉरी मेम अन्दर आ जाइए. आज तक आप मुझे इतनी सुन्दर नहीं लगीं. मैं तो बस आपको देखता ही रह गया.

वो खिलखिला कर हंस दीं.

मेम जैसे ही अन्दर आने लगीं, उनके सैंडल की एड़ी मुड़ गयी, उनका पल्लू गिर गया और वह गिरने लगीं.

मैंने लपक कर उन्हें पकड़ा और उन्होंने भी संभलने के लिए मुझे पकड़ लिया. इस पकड़ा पकड़ी में मेरा तौलिया खुल कर नीचे गिर गया और मेरा हाथ कुछ ऐसे पड़ा कि उनके ब्लाउज की डोरियां खुलती चली गईं. प्रीति मेम का ब्लाउज एकदम से नीचे गिर गया. उन्होंने नीचे ब्रा नहीं पहन रखी थी, जिस वजह से उनके गोरे गोरे सुडौल बड़े बड़े मम्मे मेरे सामने फुदकने लगे थे.

हम दोनों एक दूसरे के ऊपर पड़े थे. मैं भी उनके सामने नंगा खड़ा था. मैं नीचे पड़ा था, वह मेरे ऊपर थीं. उनके मम्मे मेरे छाती से लगे हुए थे.

मैंने उन्हें उठाना चाहा, तो वह शर्मा कर मुझसे लिपट गईं.

उन्हें उठाने के लिए मैंने उनकी साड़ी को पकड़ा, तो वह भी खुल गयी. अब वह सिर्फ पेटीकोट में हो गईं.

मैंने उन्हें प्यार से उठाया और साड़ी उठा कर ओढ़ा दी. उन्होंने भी मुझे और मेरे खड़े लंड को देखा और शर्मा कर मुझसे दुबारा लिपट गईं. उनकी इस अदा से मुझसे रहा नहीं गया. मैंने उन्हें किस कर दिया.

वह मुझसे थोड़ा दूर हो गईं.

अब प्रीति मेम बोलीं- दीपक ... जब से मैंने तुम्हें देखा है, मैं तुम्हें चाहने लगी हूँ. मैंने कई बार तुम्हें बताना चाहा, पर हिम्मत नहीं हो पायी. मेरे पेरेंट्स मेरी शादी किसी और से करना चाहते हैं, पर मैं तुम्हें बहुत चाहती हूँ, तुमसे प्यार करती हूँ और तुमसे शादी करना चाहती हूँ. आज हिम्मत कर तुम्हें अपने दिल के बात कहने आयी हूँ.

मैं उन्हें देखता रह गया और उनके हाथ को पकड़ कर उनको अपनी ओर खींच लिया. मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ लगा दिए और उन्हें किस करने लगा.

मैं बोला- आप भी मुझे अच्छी तो लगती हो ... पर आज तक मैंने आपको इस नज़र से नहीं देखा था. आप बहुत सुन्दर हो और प्यारी भी हो.

प्रीति मेम मेरे होंठों पर उंगली रखते हुए बोलीं- मुझे आप नहीं तुम कह कर बुलाओ.

मैंने प्रीति को अपनी गोदी में उठा लिया और किस करने लगा.

प्रीति मेम बोलीं- प्लीज जरा रुको.

उन्हें मैंने अन्दर सोफे पर बिठा दिया.

मैंने कहा- प्रीति, तुम बहुत सुन्दर हो ... अब जब मैंने तुम्हें आधी नंगी देख ही लिया है, तो अब तुम शर्म छोड़ कर मुझे प्यार करने दो.

प्रीति मेम बोलीं- मैं शादी से पहले ये सब नहीं करना चाहती. मैं पहला सेक्स सिर्फ अपने पति से करना चाहती हूँ. हालांकि मैं मन ही मन तुम्हें अपना पति मान चुकी हूँ. आज मैंने सिर्फ मर्द के तौर पर तुम्हें नंगा देखा है और तुमने मुझे नंगी देखा है, अगर तुम मुझसे शादी नहीं कर सकते, तो मैं उम्र भर कुंवारी रहूंगी.

मैंने उन्हें चूमा और बोला- मैं भी तुमसे प्यार करता हूँ और तुमसे अभी शादी कर लेता हूँ.

कमरे में से मैंने चाकू उठाया और अपनी उंगली काट कर अपने खून से उनकी मांग भर दी.

मैंने कहा- अब तुम मेरी बीवी हो.

वो मुझे प्यार से देखने लगी. मैंने मेम को पकड़ कर गले लगा लिया. प्रीति मेम मुझसे लिपट गईं और मैं उनके होंठ चूसने लगा. वह भी मेरा साथ देने लगीं.

वो मुझे चूमते हुए बोलीं- आज हमारा पहला मिलन है ... हमारी सुहागरात है.

मैंने कहा- आज का दिन और रात हमारी सुहागदिन और सुहागरात हैं.

इस पल को यादगार बनने के लिए मैं उन्हें कमरे में ले गया, जहां मेरी माँ ने मेरी होने वाली दुल्हन के लिए सब सामान संजो कर रखा हुआ था. दुल्हन का जोड़ा, गहने मेकअप का सामान ... सब कुछ रखा था.

प्रीति मेम से मैंने कहा- तुम भी तैयार हो जाओ ... तब तक मैं कमरा तैयार करता हूँ.

मैं उन्हें अपना कमरा दिखाया.

प्रीति मेम बोलीं- पहले तुम कुछ फूल ला दो, फिर नहा लेना और कमरा मैं तैयार कर दूँगी.

फिर मैं प्रीति मेम को वहीं छोड़ कर कपड़े बदल कर बाजार गया. कुछ फूल, फूल-माला, खाने का सामान और कुछ और चीजें ले आया.

घर आकर मैंने प्रीति मेम को आवाज़ दी, तो वो बोलीं- फूल कमरे में रख दो और नहा कर तैयार हो जाओ. आधे घंटे बाद कमरे में आ जाना.

मैं नहा लिया और अपने नीचे बगलों आदि के सब बाल साफ़ कर लिए. एक माला और गुलाब लेकर आधे घंटे के बाद मैंने कमरे का दरवाजा खोला, तो अन्दर का नज़ारा बदला हुआ था.

अब वो कमरा गुलाब के फूलों से सज़ा था और सेज़ पर प्रीति मेम दुल्हन के लिबास में बैठी थीं. प्रीति ने गुलाबी रंग का लहंगा और ब्लाउज पहना हुआ था. वो पूरी तरह से गहनों से लदी हुई थीं.

मुझे देख प्रीति मेम खड़ी हो गईं. उन्होंने बड़ा सा घूंघट कर रखा था. मैंने प्रीति मेम के सामने होकर अपनी माला प्रीति के गले में डाल दी. प्रीति ने भी अपने हाथ की वरमाला मेरे गले में डाल दी और फिर मेरे पैर छुए.

प्रीति को मैंने उठा कर कहा- प्रीति तुम्हारी जगह मेरे दिल में है.

मैंने उन्हें गले से लगा लिया.

ओए होए ... क्या बताऊं ... प्रीति मेम जो की 23 साल की बला की ख़ूबसूरत थीं. आज मेरी बांहों में थीं. उन्हें देख मेरा लंड बेकाबू हो गया था.

प्रीति मेम का रंग दूध से भी गोरा था, इतना गोरा कि छूने से मैली हो जाए. बड़ी बड़ी काली मदमस्त आंखें, गुलाबी होंठ हल्के भूरे रंग के लम्बे बाल, बड़े बड़े गोल गोल चूचे. नरम चूतड़, पतली कमर, सपाट पेट, पतला छरहरा बदन और फिगर 36-24-36 का था.

उनका कद पांच फुट पांच इंच था. मेम दिखने में एकदम माधुरी दीक्षित जैसी थीं. उनकी आवाज़ मीठी कोयल जैसी. वो सुहाग की सेज पर सजी धजी गहनों और फूलों पर बैठी थीं.

आज प्रीति मेम किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थीं. उन्होंने गुलाबी रंग का लहंगा और ब्लाउज पहना हुआ था और ऊपर लम्बी सी ओढ़नी का घूँघट किया हुआ था. इस रूप में अगर कोई 70 साल का बूढ़ा भी उन्हें देख लेता ... तो उसका भी लंड खड़ा हो जाता.

मेरा 7 इंच का हथियार अपने शिकार के लिए तैयार होने लगा. मैं थोड़ा सा आगे होकर बिस्तर पर बैठ गया और उनके हाथ पर अपना हाथ रख दिया. उनका नरम मुलायम मखमल जैसा था. प्रीति मेम का गर्म हाथ पकड़ते ही मेरा लंड फुफंकार मारने लगा और सनसनाता हुआ पूरा 7 इंच बड़ा हो गया.

प्रीति के दूधिया रंग और उनके गुलाबी कपड़ों के कारण पूरा कमरा तक गुलाबी लगने लगा था. उनकी चमड़ी इतनी नरम मुलायम, नाजुक और मक्खन सी चिकनी थी कि उनकी फूली हुई नसें भी मुझे साफ़ नज़र आ रही थीं.

मैंने एक गुलाब उठा कर उनके हाथों को छू दिया, वो कांप कर सिमटने लगीं.

मैंने कहा- मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ और आपको पाना चाहता हूँ.

उन्होंने मेरी तरफ एक बार देखा और लाज से अपनी नजरें झुका लीं.

मैंने अपनी जेब से निकाल कर एक हार उनको अपनी शादीशुदा जिंदगी के पहले नज़राने के तौर पर दिया.

वो बोलीं- आप ही पहना दीजिए.

इस जरा सी थिरकन से उनके गहने खड़कने लगे ... उनकी झंकार से कमरे में मदहोशी छाने लगी.

मैंने उन्हें हार पहनाया, फिर धीरे से उनका घूंघट उठा दिया. मेरी बीवी बन चुकी प्रीति मेम दूध जैसी गोरी चिट्टी लाल गुलाबी होंठ वाली हूर थीं. उनकी नाक पर बड़ी सी नथ एक गजब का खुमार जगा रही थी. मांग में टीका (बिंदिया), बालों में गजरा, उनका मासूम सा चेहरा नीचे को झुका हुआ था. ढेर सारे गहनों से और फूलों से लदीं प्रीति मेम अप्सरा सी लग रही थीं.

उनको इतनी सुन्दर दुल्हन के रूप में देख कर मेरे मुँह से निकल गया- वाह ... तुम तो बला की क़यामत हो मेरी जान.

मैंने धीरे से उनके चेहरे को ऊपर किया. प्रीति की आंखें लाज से बंद थीं. उन्होंने आंखें खोलीं और हल्के से मुस्करा दीं.

इधर मुझे लगता है कि प्रीति मेम, जिनका मैं सम्मान करता था और उन्हें सम्मानसूचक शब्दों से ही सम्बोधित कर रहा था, अब मेरी बीवी बन कर मेरे साथ सुहागरात मना रही थीं. इसलिए अब मुझे उन्हें अपनी भार्या यानि पत्नी के रूप में ही सम्बोधित करना चाहिए.

मैंने बड़े प्यार से प्रीति से पूछा- क्या मैं तुम्हें किस कर सकता हूँ?

प्रीति को शर्म आने लगी.

मैंने उसके होंठों पर एक नर्म सा चुम्बन ले लिया और प्रीति के चेहरे को अपने हाथों में लेकर उसके गाल पर किस कर दिया.

प्रीति लजाते हुए बोली- मैं जब से जवान हुई थी, इस दिन का तब से इंतज़ार कर रही थी.

वो ये कह कर शर्माते हुए सिमट कर मुझसे लिपट गयी.

मैंने प्रीति को अपने गले से लगा लिया और उसकी पीठ पर हाथ फिराने लगा. उसकी पीठ बहुत नरम मुलायम और चिकनी थी. उसने बैकलेस चोली पहनी हुई थी, जो सिर्फ दो डोरियों से बंधी हुई थी. पहले की तरह उसने अभी भी ब्रा नहीं पहनी हुई थी. मेरे हाथ उसकी पीठ से फिसल कर कमर तक पहुँच गए थे. उसकी नंगी कमर एकदम रेशम सी चिकनी, नरम और नाजुक कमर थी.

अब मैंने उसकी ओढ़नी को उसके सीने से हटा दिया और उसे मदमस्त निगाहों से निहारने लगा. मेरे इस तरह से देखने से प्रीति को शर्म आने लगी और वो पलट गयी. उसने अपनी पीठ मेरी तरफ कर दी.

मैं आगे बढ़ गया और उसे अपनी मजबूत फौलाद जैसी बांहों में कस कर जकड़ लिया. मैंने अपने होंठ प्रीति की गर्दन पर रखे और उस पर किस करने लगा. उसके शरीर से पसीने और लेडीज परफ्यूम की महक आ रही थी, जो मुझे मदहोश कर रही थी.

मैंने प्रीति के गले पर किस करते हुए अपना मुँह प्रीति के कान के पास किया और कान में कहा- आय लव यू जान ... तू बहुत अच्छी लग रही है ... आज मैं अपनी दुल्हन को प्यार करूंगा और तेरी सील तोड़ दूँगा.

मेरी ऐसी बातों से प्रीति पागल हो गयी, उसकी गर्म बांहों में मेरा शरीर जल रहा था.

मैंने प्रीति को अपनी तरफ किया और अपने होंठों को प्रीति के होंठ पर रख दिए और उन्हें चूसने लगा. मैं बहुत जोश में था और प्रीति के होंठों पर ही टूट पड़ा.

प्रीति के सफ़ेद बड़े-बड़े खरबूजे देख कर मेरी तो जुबान रुक गई. प्रीति ने गहरे गले का चोलीनुमा ब्लाउज पहना हुआ था, इसमें से उसकी आधी चुचियां और क्लीवेज झाँक रही थी.

जैसे ही उसकी ओढ़नी सरकी, मैं प्रीति की आधी नंगी चूची को देख कर मस्त होने लगा. मेरा लंड टाइट हो गया.

मैं प्रीति की जांघें और नंगी चूची को टच करने की कोशिश करने लगा. प्रीति को भी एक्साइटमेंट होने लगा. प्रीति भी मेरे सामने ढीली पड़ने लगी.

मैं उसे अपने सीने में चिपका कर उसकी गांड को सहलाने लगा. साथ ही मैंने प्रीति की चोली के अन्दर हाथ डाल दिया और बारी बारी से उसकी दोनों मस्त चूचियों को दबा दिया. प्रीति की मदभरी सीत्कार निकल गई.

मैंने बिना कुछ कहे प्रीति को उठा कर अपनी गोद में घसीटा और उसके लिपस्टिक से रंगे होंठ बिना लिपस्टिक के कर दिए.

प्रीति भी वासना में पागल सी हो गई थी. वो अपने हाथ मेरी गर्दन पर फिराने लगी. मैंने प्रीति की ढलकी हुई ओढ़नी को पूरी तरह से हटा दिया और चोली की डोरियों की खींच कर तोड़ ही डाला.

वह मुझे पागलों की तरह किस करने लगी और मैं भी उसका पूरा पूरा साथ देने लगा था. मैं उसके बड़े बड़े सफ़ेद मम्मे देख कर पागल हो गया था. उसके मम्मे उत्तेजना से एकदम लाल होने लगे थे. मम्मों के ऊपर घमंड से अकड़े हुए उसके चूचुक गुलाबी रंग के थे.

मैंने एक हाथ से उसका एक दूध पकड़ कर जोर से दबा दिया. वह सिसकार उठी- अहहह अम्म्म ऊऊऊ मम्मम ...

प्रीति कहने लगी कि आह ... सनम और जोर से दबाओ.

मैंने उसकी इस बात को सुनकर चोली की टूटी पड़ी डोरियों को खींच कर अलग किया और उसका लहंगा भी उतार डाला.

एक एक करके उसके सारे जेवर जल्दी जल्दी उतार डाले. हम दोनों को पता भी नहीं चला कि मैंने कब प्रीति को नंगी कर दिया. मैंने उसकी सिर्फ नथ रहने दी ... नथ मुझे उकसाने लगती है. सिर्फ नथ में प्रीति बहुत सेक्सी लग रही थी.

फिर मैं उसके होंठों को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी. मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी. मैंने भी उसकी जीभ को चूसा. मैं प्रीति को बेकरारी से चूमने लगा. चूमते हुए हमारे मुँह पूरे खुले हुए थे, जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थीं. हमारे मुँह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था.

कम से कम 15 मिनट तक मैं उसका लिप किस लेता रहा. मुझे इस वक्त उसके तन पर किसी अन्य अंग को छूने या सहलाने का होश ही नहीं था.

फिर अचानक प्रीति ने मेरा हाथ पकड़ा. मैंने अपना हाथ न जाने कौन सी अदृश्य ताकत से उठा दिया और उसके मम्मों को दबाने लगा. इस हरकत से मुझे महसूस हुआ कि जबकि मेरा हाथ उसके मम्मों की तरफ जरा भी ध्यान नहीं दे रहा था, तो अचानक प्रीति के हाथ के स्पर्श मात्र से मैं कैसे उसके मन की बात समझ कर उसके मम्मों को मसलने लगा. शायद ये ही प्यार होता है.

मैं उसके चूचों को बड़ी नजाकत से मसल रहा था. वो भी मेरा साथ देने लगी. मेरी जीभ अब भी उसकी जीभ से मिली हुई थी. अचानक उसका शरीर सिहरने लगा और वह झड़ने लगी.

प्रीति तो मेरे होंठों में ही गुम थी कि अचानक से एक 'चटाक..' से प्रीति के चूतड़ों में एक चपत सी महसूस हुई.

प्रीति ने बिलबिला कर मेरे होंठ छोड़ दिए और मेरी तरफ सवालिया निगाहों से देखा.

मैं मुस्कराते हुए बोला- माफ़ कर देना ... तुम्हें देख कर मुझे कुछ भी होश नहीं रहता.

प्रीति भी मुस्कुरा उठी और कहा- कोई बात नहीं ... मैं सब सहन कर लूँगी.

मुझे आशा है कि आज मेरी बीवी के साथ मेरी इस सुहागमिलन की घड़ी में आपको मजा आ रहा होगा. ये मेरी सच्ची चुदाई की कहानी है,

कहानी जारी रहेगी
HOT AND EROTIC UPDATE
 
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झट पट शादी और सुहागरात-2



अब तक दीपक कुमार की इस सुहागरात सेक्स कहानी के पहले भाग झट पट शादी और सुहागरात- 01 में आपने पढ़ा कि प्रीति मेरे साथ सुहाग की सेज पर थी और मैं उसके साथ चुम्बन के साथ मर्दन और कुंचन का खेल खेल रहा था.


अब आगे:

मुझे पता था कि आगे जो होगा ... वो सहन कर पाना सबके बस की बात नहीं है.

मैंने प्रीति पर ध्यान दिया, तो पता चला कि वो मेरे ऊपर नंगी बैठी थी. उसने अपने हाथ मेरे सीने पर टिका रखे थे.

प्रीति पूरी नंगी ... अपने पति की गोद में किसी बच्चे की तरह बैठी हुई थी. मैंने कुरता-पायजामा अभी तक पहन रखा था. मेरे कसरती बदन की मजबूती बाहर से ही महसूस हो रही थी. प्रीति का बदन बेहद मुलायम चिकना नर्म और कमसिन था.

मैंने धीरे धीरे प्रीति को पीछे खिसकाया और बिस्तर पर गिरा दिया और खुद प्रीति के ऊपर आ गया. मेरे शरीर का पूरा भार प्रीति पर था. प्रीति ने मेरी लोहे जैसी बाजुओं को पकड़ा और मुझे अपने पर से हटाना चाहा, पर नाकामयाब रही. बल्कि जितना वो मुझे हटाती थी, मैं उतना ही प्रीति पर लदे जा रहा था.

अंत में उसने हार मान ली और अपने आपको मुझे सौंप दिया. मैं प्रीति के होंठों को चबा रहा था और प्रीति के निप्पल को अपने मजबूत हाथों से नोंच रहा था. प्रीति ज़ोर ज़ोर से सिसकारियां भर रही थी, जिससे मुझे और जोश आ रहा था.

कुछ देर हम यूँ ही करते रहे. थोड़ी देर बाद मैं प्रीति पर से हट गया, तो प्रीति ने एक लम्बी सी सांस ली.

फिर मैंने अपना लाया हुआ गिफ्ट प्रीति को दिया और उसे खोला. उसमें चॉकलेट्स थीं.

प्रीति बहुत खुश हो गयी, क्योंकि उसे चॉकलेट्स बहुत पसंद थीं.

मैंने एक चॉकलेट का पैकेट फाड़ा, चॉकलेट को अपने मुँह में रखा और अपने मुँह को प्रीति के मुँह के पास लाया. चॉकलेट देख प्रीति के मुँह में पानी आ गया और प्रीति आगे बढ़ कर मेरे मुँह से चॉकलेट खाने लगी.

अब मैंने मुँह से सारी चॉकलेट अपने और प्रीति के मुँह पर लगा दी. मैं प्रीति के मुँह पर लगी चॉकलेट खाने लगा, प्रीति भी मेरे मुँह पर लगी चॉकलेट चाटने लगी, हमने चाट चाट कर एक दूसरे का मुँह साफ किया.

पहले तो मैंने प्रीति के गले पर बेतहाशा किस किया और काट कर निशान सा बना दिया. फिर उसके कंधों पर किस किया और चूस चूस कर दांत लगा दिए.

वह कराह उठी- आआह्ह धीरे ... मुझको प्लीज काटो मत ... निशान पड़ जाएंगे.

पर मैं कहां रुकने वाला था. मैंने उसके दोनों कंधों पर काट लिया और वहां लव बाईट्स के निशान पड़ गए. फिर मैं उसके गालों पर टूट पड़ा. उसके गाल बहुत नर्म मुलायम सॉफ्ट और स्वाद में मीठे थे. वहां भी मैंने दांतों से काटा. वह कराहने लगी- आअह्ह आई ... ऊह्ह मर गयी ... मार डालाअअअ प्लीज प्यार से करो ... काटो मत ... दर्द होता है.

उसकी कराह से मेरा जोश और बढ़ जाता.

मैं पूरा सेक्स में डूब चुका था, मैं अपने हाथ उसके पीछे ले गया और उसकी मुलायम नर्म पीठ को कस कर पकड़ लिया. कुछ देर बाद मैंने उसे थोड़ा ऊपर किया और प्रीति की एक चुची पर जानवरों की तरह टूट पड़ा. उसके जैसे निप्पलों को आज तक किसी ने नहीं काटा होगा. अब मैं उसके दाएं निप्पल को चूस रहा था और काट रहा था. जब मैं प्रीति के बाएं निप्पल को चूस और काट रहा था, तब मैं उसकी दाएं तरफ वाली चूची को हाथ से दबोच रहा था. उसकी चूची बहुत फूल चुकी थी.

मैंने बोला- प्रीति ... तू बहुत मीठी है ... मैं तुझे खा जाऊंगा.

प्रीति बोली- अगर खा जाओगे तो कल किसे प्यार करोगे?

मेरा सर पकड़ कर प्रीति ने मुझे हटाना चाहा, लेकिन मैं टस से मस नहीं हुआ और दोनों चुची को एक साथ चूसने और काटने लगा.

प्रीति बहुत चीख रही थी- आआहह ... ओमम्म्म ... चाटो ना जोर से ... सस्स्सस्स हहा ...

वो और भी ज्यादा मचलने लगी और अपनी गांड को इधर उधर घुमाने लगी. अब उसकी मादक सिसकारियां निकलने लगी थीं. वो मेरे लगातार चूसे जाने से तेज स्वर में 'उम्म्ह... अहह... हय... याह...' कर रही थी.

उसके ऐसा करने से मेरे लंड में भी सनसनी होने लगी थी.

प्रीति की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी. लेकिन उसकी मदद को आने वाला वहां कोई नहीं था. मीठे दर्द के मारे प्रीति के आंसू निकल आए थे, पर मैं इसकी परवाह किए बिना लगा रहा.

फिर थोड़ी देर के बाद उसका शरीर अकड़ गया और फिर वो झड़ गयी.

कुछ देर बाद मैं वहां से हटा. मैंने ध्यान से देखा कि प्रीति की चुचियां फूल गई थीं और उसके नर्म मुलायम स्तन एकदम टाइट हो गए थे. उसके दोनों चूचे सुर्ख लाल हो गए थे. उन पर मेरे दांत के निशान पड़े हुए थे.

जब मैंने उसे रोते हुए देखा, तो मैंने उसे अपनी बांहों में ले लिया और किस करने लगा.

मैंने प्रीति के कान में कहा- जानेमन, रोती क्यों है, मैं तुझे कुछ नहीं होने दूंगा.

यह कह कर मैं प्रीति की चुची को सहलाने लगा. मैंने प्रीति के नमकीन आंसू पी लिए और उठ कर अपने कपड़े उतार दिए. अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था. मैं प्रीति के करीब आ गया. मैं उसके मुँह के पास अपनी अंडरवियर लाया और उसे नीचे कर दिया.

प्रीति ने अपना चेहरे को ऊपर किया, मेरा लंड 7 इंच लम्बा और तीन इंच मोटा था. वो मेरा मूसल लंड देख कर एकदम से डर गयी. वह बोली- उई माँ ... यह तो बहुत तगड़ा है ... मुझे तो मार देगा.

मैं बोला- नहीं मेरी रानी, यह तुम्हें पूरे मजे देगा ... बस आज थोड़ा दर्द होगा, फिर तो तुम इसे छोड़ोगी नहीं.

मैंने अपने हाथों से प्रीति का मुँह खोला और अपना लंड प्रीति के मुँह में दे दिया. उसके मुँह में मेरा लंड बहुत मुश्किल से गया.

वह लंड निकाल कर सुपारा चाटते हुए बोली- जब मुँह में इतनी मुश्किल से जा रहा है ... तो चूत में कैसे जाएगा?

प्रीति को काफी डर लग रहा था क्योंकि लंड काफी लम्बा और मोटा था.

मैं बोला- मेरी रानी फ़िक्र न करो तुम्हें लंड बहुत मजे देगा.

अपना लंड मैं उसके मुँह में में आगे पीछे करने लगा, उसके मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं.

मैं भी अब लंड चुसाई का मजा लेने लगा. चूसने से लंड बिल्कुल लोहे की रॉड की तरह कड़क हो गया था.

मैंने अब प्रीति की पेंटी नीचे सरका दी, उसकी चूत बिल्कुल नर्म चिकनी और साफ़ थी, कोई बाल भी नहीं था.

मैंने उसकी चूत को सहलाया तो प्रीति बोली- अभी ही तुम्हारे लिए साफ़ की है.

मैंने अपनी उंगली पर थूक लगाया और उंगली चूत के छेद पर रख दी. मैं चूत को गीली करने लगा. मैंने उसको उठाकर उसकी चूत में अपनी एक उंगली पूरी डाल दी. उसकी सिसकारी निकल गई. फिर मैंने एक जोर का झटका दिया, अब मेरी दो उंगलियां उसकी चूत में जा चुकी थीं.

फिर जब मैंने उसकी चूत में अपनी उंगली आगे पीछे की, तो वो मेरे लंड को ज़ोर से आगे पीछे करने लगी और ज़ोर से सीत्कार करने लगी.

वो ज़ोर से चिल्लाई- उम्म्ह ... अहह ... हय ... याह ... आहह अब लंड डाल दो ... अब और इंतज़ार नहीं होता ... आह प्लीज जल्दी करो ना ... प्लीज आहहह.

इधर मैं प्रीति को उंगली से लगातार चोदे जा रहा था और वो ज़ोर से सीत्कार कर रही थी- ये तूने क्या कर दिया ... आह अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है ... जल्दी से चोद दो ... मेरी चूत में आग लग रही है.

वो ज़ोर-जोर से हांफ रही थी और 'आहह ... एम्म ... ओह ... डालो ना अन्दर..' जैसी आवाजें निकाल रही थी.

मैंने उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगाया और फिर से उंगली से जोर जोर से चोदने लगा. कोई 5 मिनट तक तो मैं ऐसे ही उंगली से चोदता रहा. फ़िर जब चूत ढीली हो गई तो मुझे लगा कि अब इसका छेद मेरे लंड को झेल लेगा.

अब तक वो भी अब बहुत गर्म हो गई थी और बार-बार बोल रही थी कि अब डाल दो ... रहा नहीं जाता.

मैंने अपना लंड उसकी चिकनी चुत में डालना चाहा ... मेरा लंड फिसल कर बाहर ही रह गया. मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और चूत के छेद पर सैट करके और उसके दोनों पैरों को फैला दिया. फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया.

जैसे ही मैंने लंड फंसाया, उसी वक्त मैंने प्रीति की कमर पकड़ कर एक जोरदार धक्का दे मारा. वो एकदम से उछल पड़ी. मगर तब तक मेरे लंड का टोपा चूत में फंस चुका था. मैंने अगले ही पल एक और एक जोरदार धक्का दे मारा.

पूरा कमरा प्रीति की चीख से भर गया. मैंने रुक कर प्रीति की चुची को दबाना चालू कर दिया. मैंने प्रीति के दर्द की परवाह किए बगैर दूसरा झटका दे दिया. इस बार मैंने अपना दो इंच लंड चूत में घुसेड़ दिया था.

इस बार प्रीति पहले से ज्यादा तेज़ चिल्ला उठी थी. प्रीति के आंसू निकल आए थे.

मेरे रुकने से उसने एक राहत की सांस ली, पर मैं अभी भी कहां मानने वाला था. मैंने फिर एक और जोर से धक्का मारा. इस बार करीब 3 इंच लंड अन्दर घुस गया था.

जैसे ही लंड घुसा ... वो बहुत जोर से चिल्लाने लगी- आह ... मेरी फट गई ... आहह आआअहह ... प्लीज़ इसे बाहर निकालो ... मैं मर जाऊंगी ... उफ़फ्फ़ आहह आआहह...

उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे थे, लेकिन मैं नहीं रुका. मुझे लगा मेरा लंड उसकी झिल्ली से टकरा गया था. मैंने अवरोध भी महसूस किया था. मैंने हल्का ज़ोर लगाया, लेकिन लंड अन्दर नहीं जा रहा था.

इधर प्रीति चीखने चिल्लाने में लगी थी.

मैं प्रीति के अन्दर उस गहरायी में हो रहे उस अनुभव को लेकर बहुत आश्चर्यकित था. वो मेरे लिंग को अपनी योनि की दीवारों पर महसूस कर रही थी. एक बार फिर मैं थोड़ा सा पीछे हटा और फिर अन्दर की ओर दवाब दिया. मैंने थोड़ा सा लंड पीछे किया उठा और फिर से धक्का दिया. ज्यादा गहरायी तक नहीं, पर लगभग आधा लंड अन्दर चला गया था. मुझे महसूस हुआ कि मेरे लिंग को प्रीति ने अपनी योनि रस ने भिगो दिया था, जिसकी वजह से लिंग आसानी से अन्दर और बाहर हो पा रहा था.

अगली बार के धक्के में मैंने थोड़ा दबाव बढ़ा दिया. मेरी सांसें जल्दी जल्दी आ जा रही थीं. प्रीति ने अपनी टांगें मेरे चूतड़ों से ... और बाहें मेरे कंधे पर लपेट दी थीं. उसने अपने नितम्बों को ऊपर की ओर उठा दिया था. मुझे अन्दर अवरोध महसूस होने लगा था. लंड झिल्ली तक पहुँच चुका था. मेरा लंड उसकी हायमन से टकरा रहा था.

जब मेरे लंड ने उसे भेदकर आगे बढ़ना चाहा, तो प्रीति चिल्लाने लगी कि दर्द के मारे मैं मर जाऊँगी.

मैंने पूरी ताकत के एक धक्का लगा दिया. प्रीति की टांगों ने भी मेरे चूतड़ों को नीचे की ओर कस लिया.

प्रीति के मुँह से निकला- ओह मम्मी ... मर गई..

प्रीति के स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर में ऐंठन आ गई. जैसे ही मेरा 7 इंची गर्म ... आकार में बड़ा लिंग पूरी तरह से गीली हो चुकी योनि में अन्दर घुस गया. फिर अन्दर ... और अन्दर वो चलता चला गया ... प्रीति की चूत की फांकों को पूरी तरह से चीरते हुए, उसके क्लिटोरिस को छूते हुए मेरा पूरा 7 इंच का लंड अन्दर जड़ तक घुसता चला गया था.

प्रीति की योनि मेरे लिंग के सम्पूर्ण स्पर्श को पाकर व्याकुलता से पगला गयी थी. उधर मेरे चूतड़ भी कड़े होकर दवाब दे रहे थे. मेरा लंड अन्दर तक जा चुका था.

प्रीति भी दर्द के मारे चिल्लाने लगी थी. वो छटपटा रही थी- आहहहह आई ... उउउइइइ ... ओह्ह्ह्ह बहुत दर्द हो रहा है ... प्लीज इसे बाहर निकाल लो ... मुझे नहीं चुदना तुमसे ... तुम बहुत जालिम हो ... यह क्या लोहे की गर्म रॉड घुसा डाली है तुमने मुझमें ... आह निकालो इसे ... प्लीज बहुत दर्द हो रहा है ... मैं दर्द से मर जाऊंगी ... प्लीज निकालो इसे ...

उसकी आंखों से आंसू की धारा बह निकली. मैं उन आंसुओं को पी गया. मैं उसे चूमते हुए बोला- मेरी रानी बस इस बार बर्दाश्त कर लो ... आगे से मजा ही मजा है.

प्रीति की चूत बहुत टाइट थी. मुझे खुद से लगा कि मेरा लंड उसमें जैसे फंस सा गया हो, छिल गया हो. मेरी भी चीख निकल गयी थी.

हम दोनों एक साथ चिल्ला रहे थे 'ऊह्ह्हह्ह मर गए..'

मैंने एक बार फिर पूरी ताकत लगा कर पीठ उठा कर लंड को बाहर खींचने की कोशिश की, लेकिन लंड टस से मस नहीं हुआ. प्रीति की चूत ने मेरा लंड जकड़ लिया था. मैंने बहुत आगे पीछे होने की कोशिश की, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा.

फिर मैंने पूरी ताकत से एक और धक्का लगाया और लंड पूरा अन्दर समां गया और हम दोनों झड़ गए.


मैं प्रीति के ऊपर गिर गया. फिर मैं कुछ देर के लिए उसके ऊपर ही पड़ा रहा. कुछ देर के बाद वो शांत हुई.

मेरा लंड प्रीति की चूत के अन्दर ही था. मैंने चूत पर हाथ लगाया, तो वह सूज चुकी थी. उसकी चूत एकदम सुर्ख लाल हो गयी थी.

प्रीति दर्द से कहने लगी- क्या हुआ?

मैंने कहा- झड़ने के बाद भी लंड बाहर नहीं निकल रहा है.

प्रीति की चूत ने मेरे लंड को जैसे जकड़ लिया था.

प्रीति रोने लगी- उह्ह ... मर गयी ... मेरी चूत फाड़ डाली और लंड फंसा डाला ... जालिम ने मुझे बर्बाद कर दिया ... अब तो मैं मर ही जाऊंगी ... अब मैं क्या करूंगी.

कुछ देर बाद जब मुझे लगा झड़ने के बाद भी मेरा लंड खड़ा है ... और प्रीति सुबक रही थी. मैंने उसके होंठों से अपने होंठ सटा कर एक जोरदार धक्का मारा और मेरा लंबा और मोटा लंड पूरा अन्दर चला गया. इस बार के झटके से उसकी चीख उसके गले में ही रह गई और उसकी आंखों से तेजी से आंसू बहने लगे. उसने चेहरे से ही लग रहा था कि उसे बहुत दर्द हो रहा है. मैंने प्रीति को धीरे धीरे चूमना सहलाना और पुचकारना शुरू कर दिया.

मैं बोला- मेरी रानी डर मत कुछ नहीं होगा ... थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगा.

मैंने उसे लिप किस किया. मैं उसे लिप किस करता ही रहा. वह भी कभी मेरा ऊपर का लिप चूसती, तो कभी नीचे का लिप चूसती रही. मैंने उसके लिप्स पर काटा, तो उसने मेरे लिप्स को काट कर जवाब दिया. वो इस वक्त इस चूमाचाटी में अपना दर्द भूल चुकी थी.

फिर मैं उसके होंठों को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी. मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी. मैंने भी उसकी जीभ को चूसा. प्रीति मुझे बेकरारी से चूमने चाटने लगी और चूमते चूमते हमारे मुँह खुले हुए थे, जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थीं और हमारे मुँह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था.

फिर मैंने उसकी चूची सहलानी और दबानी शुरू कर दी. वह सिसकारियां ले मजे लेने लगी. मैंने धीरे धीरे उसकी चूत पर अपने दूसरी उंगली से से उसके क्लाइटोरिस तो सहलाना शुरू कर दिया प्रीति गर्म होने लगी. धीरे धीरे चूत ढीली और गीली होनी शुरू हो गयी.

मेरे लंड पर चूत की कसावट भी कुछ ढीली पड़ गयी. एक मिनट रुकने के बाद मैंने धक्का लगाना शुरू किया.

फिर कुछ देर में ही वो भी मेरा साथ देने लगी. अब उसकी चुदाई में मुझे जैसे जन्नत का मज़ा आ रहा था. तभी प्रीति ने ढेर सारा पानी मेरे लंड पर छोड़ दिया. चूत अन्दर से रसीली हो गई थी.

लंड को आने जाने में सहूलियत होने लगी थी.

कुछ ही देर में प्रीति ने फिर से स्पीड पकड़ ली थी. वो फिर से जोश में आ गई थी.

अब वो मजे से चिल्लाने लगी थी- अहाआअ ... राआजा ... मर गई ... आईसीई ... और जोर से ... और जोर से चोदो ... आज मेरी चूत को फाड़ दो ... आज कुछ भी हो जाए, लेकिन मेरी चूत फाड़े बगैर मत झड़ना ... आआआआ और ज़ोर से ... उउउईईईई माँ ... आहहहां..

उसकी इन आवाजों ने मुझे जैसे जान दे दी हो. मैं पूरी ताकत से प्रीति को चोदने में लग गया. कुछ ही मिनट बाद हम दोनों फिर से चरम पर आ गए थे. मैंने उसकी चूत में ही अपना रस छोड़ दिया.

वो भी एकदम से झड़ कर मुझसे लिपट गई थी.

मैं झड़ने के बाद भी उसे किस करता रहा. करीब 30 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों ही साथ में झड़ चुके थे. दो-तीन झटकों बाद मैंने लंड निकाल लिया.

कुछ देर बाद जब हम लोग उठे और चादर को देखा, तो उस पर खून लगा हुआ था. वो मुस्कुराने लगी और मुझसे चिपक गई.

प्रीति मेरी सुहागन बन चुकी थी.


कहानी जारी रहेगी

आपका दीपक
WOW NICE SUHAGRAAT SEEN
 
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Update- झट पट शादी और सुहागरात 03

आपने मेरी कहानी झट पट शादी और सुहागरात पढ़ी.

अब आप आगे की कहानी पढ़ें कि कैसे झटपट शादी और सुहागरात के बाद हमने अपना हनीमून मनाया.
हमारी सुहागरात और पहली चुदाई झटपट हो गयी थी. तो मैंने प्रीति से कहा- कॉलेज की छुट्टियाँ चल रही हैं और मैं चाहता हूँ जब तक छुट्टियाँ हैं, तुम यहीं पर रहो, तुम अब मेरे से एक पल भी जुदा न होना!

तो प्रीति भी बोली- मैं भी तुम से जुदा नहीं होना चाहती. पर अपने घर वालों के लिए हमें उनसे रजामंदी लेकर शादी करनी होगी ... मेरे घर वाले तो मेरी पसंद से मेरी शादी कर देंगे गर तुम किसी कारण से मुझसे समाज के आगे शादी नहीं कर सकते तो भी कोई बात नहीं, मैं तुम्हारी रखैल बन कर भी रह लूंगी.

तो मैंने प्रीति को चूमते हुए कहा- मेरी जान, तुम अब मेरी भार्या हो ... मेरे घर वाले भी मेरी पसंद को ही अपना लेंगे ... मेरी माँ भी कई बार कह चुकी है अपनी पसंद की लड़की ले आ, उसे ही अपनी बहू मान लेंगे. जब तुम कहोगी, मेरे घर वाले तुम्हारे घर आ जाएंगे शगुन लेकर और फिर सारे समाज के आगे सात फेरे भी ले लेंगे.

मेरी यह बात सुन कर प्रीति मुझे पागलों की तरह चूमने लगी और बोली- ठीक है, जब तक तुम कहोगे, तब तक मैं अब तुम्हारे साथ ही रहूंगी. पर मुझे इजाजत दो तो अपने कुछ कपड़े और सामान ले आऊं!

मैंने कहा- वैसे तो मेरी माँ ने मेरी दुल्हन के लिए बहुत सारा सामन इकट्ठा कर रखा है, वो सब अब तुम्हारा ही है. जो मर्जी पसंद आये, वह पहन लेना. फिर भी तुम चाहती हो तो ठीक है, कल चलेंगे सामान लेने! अभी कौन सा हम दोनों को कुछ पहनना है.

तो प्रीति शरमा कर मुझ से चिपट गयी और हम दोनों लिप किश करने लग गए.

उसके बाद प्रीति बोली मुझे बाथरूम जाना है तो मैं बोला दोनों साथ चलते हैं.

मैं प्रीति को बाथरूम में ले गया और उसकी चूत और अपने लंड को धोया.

एक कातिलाना मुस्कान मैंने दी ... जिसका जवाब मुझे उसकी कातिलाना मुस्कान से मिला और वो अपने होंठों को दबाने लगी। उसे अपनी ओर खींचते हुए मैंने उसके स्तनों को कस के पकड़ा और उसके गले पर अपने होंठों की मुहर लगा दी. उसकी सिसकारी सी छूट गई और वो मुझसे लिपटने की कोशिश करने लगी।

फिर मैंने उसके होंठों को अपना निशाना बनाया और वहां भी एक सील लगा दी। मैंने प्रीति को वहीं पर किश करना शुरू कर दिया. प्रीति भी वापिस मुझे किस करने लगी. मैं प्रीति के बूब्स सहलाने और दबाने लगा. वह ओह आह ओह्ह करने लगी.

फिर मैंने शावर चला दिया और चलते शावर में दोनों एक दूसरे को चूमने में लग गए.

मुझे ध्यान ही नहीं कि कब मेरा एक हाथ उसकी कमर के चारों ओर पहुँच कर लिपट चुका था और दूसरा हाथ उसकी पीठ पर था। उसके उन्नत वक्ष ... भरे हुए नितंब और सुडौल शरीर ... पूर्ण यौवन ... जिसका हर अंग मदन-राग गा रहा था।

उसके ऊपर से भीगा बदन पानी में आग लगा रहा था. पर इस वक्त मेरा दिमाग़ तो पूरी तरह से प्रीति के उठे हुए मम्मों की नोकों पर था ... जो हर बार मेरी छाती से रगड़ खा रहे थे और रगड़ने से और नुकीले व कठोर होते जा रहे थे।

मेरा लण्ड अपने पूर्ण स्वरूप में आ चुका था ... मैं अब सेक्स में डूब चुका था. मैंने महसूस किया कि उसका हाथ कभी मेरी भरी हुई टाँगों को नाप रहा था ... तो कभी मेरी पीठ को सहला सा रहा था।

मैं समझ गया कि अब यह भी यौवन की अग्नि में डूब चुकी है।

मैंने उसको देखा ... लेकिन प्रीति मेरा हाथ सहलाने लगी थी ... तो कुछ नहीं सूझा ... मैं बस एक काम-आतुर की तरह उसके सम्मोहन में गिरफ्तार हुआ उसके होंठ चूसने लग गया.

अब उसका खुद की साँसों पर कोई कण्ट्रोल नहीं रह गया था ... मैंने उसके मम्मों में अपना सिर घुसा दिया मैं उसके गले पर चुम्बन करता रहा और अपने एक हाथ को नीचे ले जाते हुए उसकी जाँघों के अन्दर डाल दिया।

हमारे ऊपर शावर का पानी लगातार गिर रहा था और कामाग्नि में घी का काम कर रहा था.

लेकिन मैंने अभी उसकी चूत को नहीं छुआ था ... शनै: शनै: वो टूटने सी लगी और कामाग्नि में पूरी तरह डूब कर मेरे वशीभूत हो चुकी थी। उसके बालों से गिरता पानी उसको और ज़्यादा कामुक बना रहा था। उसके कंधे पर बालों से पानी गिर रहा था ... मैंने अपने पूरे होंठों को खोल कर उसके कंधे पर हौले से काट लिया ... वो सिहर कर रह गई.

वो अजन्ता की एक नग्न मूरत सी मेरे सामने खड़ी थी।

मेरी उंगलियां उसकी कमर से लेकर स्तनों तक लगातार चल रही थीं।

वो पूरी तरह से कामातुर हो चुकी थी ... हम दोनों इस वक्त पूर्ण प्राकर्तिक सौंदर्य यानि की नग्न अवस्था में एक-दूसरे को देख रहे थे। उसकी आँखें आधी ही खुली थीं ... क्यूंकि वो मस्त हो चुकी थी.

मैंने अपनी ऊँगली उसके रस से भीगे होंठों पर घुमाई तो उसने लपक कर उसको मुँह में ले लिया और चूसने लगी ... धीरे से उसने ऊँगली को काट भी लिया.

फिर मैं उसके गीले बदन से बहता पानी चाट चाट कर उसे सुखाने लगा मैंने उसके बदन पर पड़ी पानी की एक एक बूँद अपने होंठों से पी डाली. प्रीति ने भी जवाब में वैसे ही मेरे शरीर को चाट चाट कर सुखा दिया.

आप सोचते होंगे चाट चाट कर कैसे सुखाया जा सकता है?

खुद करके देखिएगा, बहुत मजा आता है.

कमसिन पूर्ण यौवना प्रीति को मैंने अपनी गोद में उठाया और कमरे में पड़े सोफे पर पटक दिया और उसके ऊपर लेट गया। मेरी जीभ उसके मुँह के अन्दर थी और वो उसको बेहद कामुकता से चूसने लगी। मेरा लंड उसकी चूत पर ही रखा हुआ था ... दोनों को एक गर्म अहसास होने लगा था।
उसके बदन से खेलता-खेलता मैं 69 में पलट गया और उसकी चूत को चाटने लगा ... मेरे बिना कुछ कहे ही उसने मेरा लंड अपने मुँह में जड़ तक ले लिया ... मेरी तो उम्म्ह... अहह... हय... याह... सिसकारी ही छूट गई थी।

हम दोनों एक-दूसरे के अंगों को चूस और चाट रहे थे।

थोड़ी ही देर में वो झड़ गयी और मैंने उसकी चूत का रस पूरा चाट लिया।

लेकिन अभी हमारी हवस का अंत नहीं हुआ था ... चूसने की वजह से उसके होंठ और भी ज्यादा गुलाबी हो गए थे।

मैंने बिना मौका गंवाए उसके होंठों को मुँह में भर लिया और चूसने लगा।

हमारे बीच में एक संवादहीनता थी ... बस हम दोनों उन पलों का भोग कर रहे थे।

मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी जिससे वो मचल उठी और मुझे कस कर पकड़ लिया। मेरा लंड भी अब दुबारा अपनी जवानी पर आ रहा था।

फिर मैंने उसकी चूत में एक और उंगली घुसेड़ दी और उसके होंठों को चबाता रहा ... उसकी सिसकारी निकल नहीं पा रही थी ... वो पूरी तरह बेचैन थी ... मैंने उसके होंठों को छोड़ा तो उसकी मादक सीत्कारें मेरे जोश को और अधिक बढ़ाने लगी।

उसकी जीभ ... मेरे होंठों में दबी थी और मैं पूरी ढीठता से उसकी जीभ को अपने होंठों से चबा रहा था।

तभी उसने अपने मम्मों को मसलना शुरू कर दिया और मेरा ध्यान उसके मस्त मम्मों को चूसने का हुआ। शायद वो मुझे यही इंगित करना चाह रही थी कि मेरे इन यौवन कलशों को भी अपने अधरों से निहाल कर दो.

सच में उसके गोल स्तन ... जिन पर छोटे मुनक्का के दाने के बराबर उसके चूचुक एकदम कड़क होकर मुझे चचोरने के लिए आमंत्रित कर रहे थे।
मैंने अपने होंठों को उसके मदन-मोदकों की परिक्रमा में लगा दिया और जीभ से उसके उरोजों के बीच की संवेदनशील छाती पर फेरना आरम्भ कर दिया।

प्रीति एकदम से सिहर उठी और उसने मेरे सर को पकड़ कर अपने चूचुकों को चूसने के लिए लगा दिया। अब मेरे मुँह में उसके अंगूर के आकार के लम्बे चूचुक आ चुके थे ... मैं पूरी मस्ती से उनका मर्दन कर रहा था।

इधर मेरे मुँह में उसके चूचुक थे और उधर मेरा मूसल लण्ड ... पूर्ण रूप से तन कर उसकी चूत के दरवाजे पर अठखेलियाँ कर रहा था। वो अधीर हो अपना सर इधर उधर करने लगी, बोली- क्यों तड़पा रहे हो?

उससे भी अब रहा नहीं जा रहा था, उसने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मेरे लौड़े पर लगाया और अगले ही पल मेरा लवड़ा उसकी चूत में पेवस्त होता चला गया।

ज्यों ही मेरा लवड़ा उसकी गुफा में घुसा, उसकी एक मस्त 'आह्ह ...' निकल गई।

ऊपर से मैंने भी जोर लगाया और उसने अपनी टांगें फैला दीं ... मेरा लण्ड उसकी चूत की जड़ तक पहुँच गया।

मैंने उसे लिप किस किया. मैं उसे लिप किस करता ही रहा. वह भी कभी मेरा ऊपर का लिप चूसती, तो कभी नीचे का लिप चूसती रही. मैंने उसके लिप्स पर काटा, तो उसने मेरे लिप्स को काट कर जवाब दिया. वो इस वक्त इस चूमाचाटी में अपना दर्द भूल चुकी थी.

फिर मैं उसके होंठों को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी. मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी. मैंने भी उसकी जीभ को चूसा. प्रीति मुझे बेकरारी से चूमने चाटने लगी और चूमते चूमते हमारे मुँह खुले हुए थे, जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थीं और हमारे मुँह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था.

मैंने अपना चेहरा उठा कर उसकी आँखों में देखा ... वो किसी तृप्त बिल्ली जो मलाई चाट चुकी हो ... के जैसी अपनी आँखें बंद करके पड़ी थी और मेरे लण्ड को अपनी चूत में पूरा घुसा हुआ महसूस कर रही थी।

मैंने मुस्कुरा कर उसके माथे पर एक चुम्बन लिया और फिर उसकी चूत पर अपने लण्ड के प्रहारों को करना आरम्भ कर दिया।
आरम्भ में वो कुछ सिसयाई पर जल्द ही उसके चूतड़ों ने भी मेरे लौड़े की धुन पर नाचना शुरू कर दिया।

मैं अपनी कमर ऊंची उठाता ... वो भी अपनी कमर को नीचे कर लेती और ज्यों ही मैं अपना भरपूर प्रहार उसकी चूत पर करता ... वो भी मेरे लण्ड को लीलने के लिए अपने चूतड़ों को मेरी तरफ ऊपर को उठा देती।

फिर कुछ देर में ही वो भी मेरा साथ देने लगी. अब उसकी चुदाई में मुझे जैसे जन्नत का मज़ा आ रहा था. चूत अन्दर से रसीली थी तो लंड को आने जाने में सहूलियत होने लगी थी.

कुछ ही देर में प्रीति ने स्पीड पकड़ ली थी. वो जोश में आ गई थी.
अब वो मजे से चिल्लाने लगी थी- अहाआअ ... राआजा ... मर गई ... आईसीई ... और जोर से ... और जोर से चोदो!

इस सुर-ताल से हम दोनों का पूरा जिस्म पसीने से तरबतर हो गया था ... पर चूंकि एक बार मैं झड़ चुका था ... इसलिए मेरे स्खलन का फिलहाल कोई अहसास मुझे नहीं था और मैं पूरे वेग से उसकी चूत को रौंदने में लगा था।

अचानक प्रीति अकड़ने लगी और उसने एक तेज 'आह्ह ... कम ऑन ... फ़ास्ट आई एम् कमिंग ... आह्ह ... ऊह्ह ...' सीत्कार की ... और उसने मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गड़ा कर मुझे इस बात का संकेत दे दिया कि वो तृप्त हो चुकी थी।

उसके रस से चूत में मेरे लौड़े के प्रहारों से अब 'फच ... फच ...' की मधुर ध्वनि गूँज रही थी।

कुछ ही पलों में मैं भी उसके ऊपर ढेर होता चला गया और मैं निचेष्ट होकर एकदम से बेसुध हो गया ... मुझे सिर्फ इतना याद रहा कि उसने मेरे बालों में दुलार भरे अपने हाथ फिराए.



मेरी सुहागरात और उसके बाद हनीमून की कहानी जारी रहेगी जिसमें आप पढ़ेंगे कि कैसे हमने एक दूसरे को तृप्त कर दिया.
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झट पट शादी और सुहागरात पार्ट 4


दोस्तों में दीपक आपने मेरी कहानिया "झट पट शादी और सुहागरात 1, 2, 3" में पढ़ा कैसे मेरी सहयोगी एक दिन मेरे रूम में आ गयी शादी का जोड़ा लेकर। उसने अपने दिल की बात मुझसे कही और दुल्हन बन कर सुहागरात मनाने को तैयार हो गयी।

अभी तक आपने झट पट शादी और सुहागरात पार्ट 3 में पढ़ा।

अचानक प्रीति अकड़ने लगी और उसने एक तेज आह्ह... कम ऑन... फ़ास्ट आई एम् कमिंग...आह्ह...ऊह्ह ... सीत्कार की... और उसने मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गड़ा कर मुझे इस बात का संकेत दे दिया कि वह तृप्त हो चुकी थी।

उसके रस से चूत में मेरे लौड़े के प्रहारों से अब फच-फच की मधुर आवाज़ गूँज रही थी।

कुछ ही पलों में मैं भी उसके ऊपर ढेर होता चला गया और मैं निचेष्ट होकर एकदम से बेसुध हो गया... मुझे सिर्फ़ इतना याद रहा कि उसने मेरे बालों में दुलार भरे अपने हाथ फिराए।

अब आगे


हम दोनों कुछ देर तक यही बेसुध होकर एक दुसरे की बाहो में लेटे रहे और कब सो गए कुछ पता नहीं चला। आँख खुली तो ज़ोर जोर से घर की घंटी बज रही थी। तो प्रीती अलसाई हुई अंगड़ाई ले कर बोली "कौन आया होगा दीपक?" तो मैंने कहा "ज़रूर रोज़ी होगी।" तो प्रीती ने मेरी और हैरानी से देखा और उसकी आँखे पूछ रही थी "कौन रोजी?"

मैंने ही कहा "मेरे घर की देखभाल करने वाली रोजी, तुम रुको मैं दरवाज़ा खोल कर आता हूँ।" मैंने तौलिए लपेटा और दरवाज़ा खोलने चल दिया तो प्रीती बोली "कुछ पहन कर जाओ और मेरे कपडे देते जाओ मुझेऐसे देख वह क्या सोचेगी?"

मैं बोला "तुम चिंता न करो वह कुछ नहीं सोचेगी, मेरे विश्वास की है उससे मेरे कुछ नहीं छुपा।"

मैंने दरवाज़ा खोला तो बाहर रोज़ी के साथ उसकी बहन रूबी भी थी। रोज़ी वैसे तो आप उसे घर की देखभाल करने वाली कह सकते हैं पर मेरे पूरे विश्वास की थी। रोज़ी कुछ दिन की छुट्टी लेकर अपने गाँव गयी थी और अब वापिस आयी थी। उसकी बहन रूबी भी मेरे पास आती जाती रहती थी।

रोजी अंदर आयी तो सीधी मेरे कमरे में चली आयी और अंदर प्रीती और सजा हुआ कमरा देख कर बोली "अच्छा इतनी देर से घंटिया बजा रही थी तो ये कारण है देर से दरवाज़ा खुलने का मैं कुछ दिन गाँव क्या गयी आप एक नयी दुल्हन ले आये।" तो मैंने प्रीती का परिचय रोज़ी और रूबी से करवाया और उन्हें किस तरह से मेरी शादी प्रीती से हुई संक्षेप में कह सुनाई।

प्रीती तब तक शर्मा कर एक चादर में घुस चुकी थी। रोज़ी फिर प्रीती को देख मुझे से लिपट कर मुझे चुम कर मुझे बधाई देते हुए बोली बहुत सुन्दर दुल्हन है आपकी शादी की बहुत बधाई। रूबी ने भी आकर मुझे चुम कर बधाई दी फिर रोज़ी और रूबी प्रीती से लिपट कर उसे भी बधाई दी और बोली हमारे राजा जी का ख़्याल रखना दुल्हन।

फिर रोज़ी बोली "आप दोनों तेयार होकर बहार आ जाओ तब तक मैं खाना बनाती हूँ" और दोनों बाहर चली गयी।

प्रीती बोली "ये दोनों तो आप से बहुत खुली हुई हैं, इनका क्या चक्कर है आपसे, मुझे पूरी बात बताओ।" तो मैंने प्रीती को पकड़ कर लिप किश किया और कहा "जब तक खाना बनता है पहले फटफट एक राउंड हो जाए फिर खाना फिर कहानी सुन लेना।"

फिर हम दोनों एक दूसरे पर टूट पड़े एक दूसरे के होंठ काटने और चूसने लगे करीब 15 मिनट की ख़ूब चूमा-चाटी के बाद मैंने उसके मम्मे दबाने चालू कर दिये।

वो भी थोड़ा विरोध करते हुए मज़ा लेने लगी मैंने उसके एक मम्मे को अपने मुँह में ले कर काटने और चूसने लगा और दूसरे मम्मे को अपने मर्दाना हाथ से मसलने लगा।

मैं कभी एक मम्मा चूसता और दूसरा दबाता, तो कभी दूसरा चूसता, तो पहला दबाता वह मेरे जिस्म पर बहुत प्यारे और मीठे चुम्बन से मेरे चेहरे को चूमती रही।

करीब बीस मिनट मैंने उसका स्तनपान किया और मम्मों को ख़ूब निचोड़ा, तो उसे दर्द होने लगा था।

फिर मैं उसकी सफाचट चुत से खेलने लगा मैं उसकी चूत को हाथों से खोल कर सहलाने लगा उसने मेरे लौड़े को दबाया मेरा लम्बा मोटा लंड उसके सामने था वह मेरे लौड़े को मुठ्ठी में पकड़ कर हिलाने लगी उसने नीचे बैठ कर लंड को एक किस किया और टोपे पर जीभ घुमायी।

तभी मैंने उसका मुँह पकड़ कर अपनी लंड को उसके मुँह में घुसा दिया और थोड़ी देर ऐसे ही मुँह चोदने लगा, मैंने उसे बेड पर लेटा कर उसकी टांगें खोल दीं, उसकी चूत को थोड़ा सहलाया और अपना लंड डालने लगा टोपा अन्दर डालते ही प्रीती तिलमिला उठी और "आह आह" करने लगी। उसने एक जोरदार धक्का लगा कर आधा लंड अन्दर डाल दिया।

प्रीती दर्द से चिल्ला पड़ी, उम्म्ह... और मैं धीरे-धीरे चोदने लगा।

मैं बोला "सॉरी डार्लिंग, बस कुछ देर फिर पूरे मजे लोगी यू विल एन्जॉय ऐ लोट।" ( You will enjoy a Lot)

मैं उसके बोबे मसलने लगा, तो उसे दर्द कम हो गया अब उसे मज़ा आने लगा था। उसकी गांड हिलने लगी थी ये देखते ही मैंने और ज़ोर से धक्के लगा के अपना पूरा लंड प्रीती की चुत में पेल दिया। वह बोली "प्लीज धीरे करो दर्द होता है।" मैंने कहा "आदत डाल लो इस दर्द भरे मजे की" , वह दर्द से रोने जैसी हो गयी।

यह देख कर मैं प्रीती के होंठों को चूसते हुए धकापेल चोदने लगा। थोड़ी देर में मुझे फिर से जो मज़ा आना शुरू हुआ, वह मैं कह नहीं सकता। प्रीती को भी मज़ा आने लगा और वह मेरा पूरा साथ देने लगी।

वह मस्ती में बड़बड़ाने लगी "माय बेबी, फक मी हार्ड, आई एम कमिंग।"

( My baby, fuck me hard, I am cumming)

मैं भी बड़बड़ाने लगा "यस माय लव, आई फक यू हार्ड।" ( Yes my love, I fuck you hard)

मैं काफ़ी स्पीड से बिना रुके उसे चोद रहा था, उसे जन्नत का सुख मेरे लौड़े से मिल रहा था। दस मिनट धक्कम पेल के बाद मैंने उसे ऊपर लिया और वह ऊपर से चुदने लगी।

मैं उसके मम्मों को दबाता रहा। अचानक ही मैंने पलट के प्रीती की अपने नीचे लिया और ख़ूब ज़ोर से चोदने लगा।

पांच मिनट की जोशीली चुदाई के बाद मैं उसकी चुत में झड़ने लगा और प्रीती भी मेरे साथ ही झड़ गयी और लगभग बेहोश-सी हो गयी थी, पसीने से लथपथ मैं उसके ऊपर ही पड़ा रहा।


आगे क्या हुआ रोज़ी और रूबी का क्या चक्कर है पढ़िए अंतरंग हमसफ़र में जो की इसी कहानी के आगे के भाग हैं
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अंतरंग हमसफ़र
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ये कहानी झट पट शादी और सुहागरात का ही अगला भाग है


दीपक कुमार के जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ पहले सम्भोग की कहानी हैंl कहानी में उसके सुन्दर सेक्स जीवन का एक विवरण पेश करने की कोशिश की गयी हैंl पढ़िए, उसकी कहानी उसी की जुबानी।


दोस्तों मैं दीपक कुमार, मैं अठारह साल की उम्र तक पढ़ाई में ही डूबा रहाl मैं हमेशा पढ़ने लिखने में होशियार, एक मेधावी छात्र थाl उस समय तक पढाई में ही डूबे रहने के कारण मेरे कोई ख़ास दोस्त भी नहीं थे और मैं स्कूल में भी अपने अध्यापकों के ही साथ अपनी पढ़ाई में ही लगा रहता थाl

मैं अपने माँ बाप की एकलौती संतान हूँl अठारह साल की उम्र तक मेरी देखभाल करने वाले भी पुरुष नौकर ही थेl हालाँकि, मेरे पिताजी की एक से अधिक पत्निया रही है और मेरी कुछ सौतेली बहने भी हैं, पर मुझे हमेशा उनसे दूर ही रखा गया थाl यहाँ तक की मेरी अपनी माँ के अतिरिक्त किसी महिला से कोई ख़ास बातचीत भी नहीं होती थीl
मेरा स्कूल भी सिर्फ लड़कों का ही था जिसमे कोई महिला टीयर भी नहीं थीl मुझे कभी भी लड़कियों की संगत करने की अनुमति नहीं थी, गर्लफ्रेंड तो बहुत दूर की कौड़ी थीl

स्कूल ख़त्म करने के बाद और फाइनल पेपर देने के बाद, मैं अपनी उपरोक्त परवरिश और स्वभाव के कारण, मैं अपने जीवन की नीरस दिनचर्या से बहुत विचलित हो गया थाl मुझे यक़ीन होने लगा था कि इस तरह मैं अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकताl मुझे दिनचर्या में बदलाव की बहुत सख्त ज़रूरत महसूस हो रही थीl

जब मेरे सब पेपर ख़त्म हो गए तो मैंने अपनी सभी किताबों को एक कोने में रख कर, अपने पहली मंजिल पर स्तिथ अपने कमरे से निकल कर, घर से बाहर घूमने जाने के लिए फटाफट नीचे उतरा, तो दरवाजे पर मुझे मेरे पिता जी मिल गएl

उनके साथ मेरे फूफा रोज़र अपने दो बेटों, रोबोट (बॉब) और टॉम मिलेl दोनों मेरी ही उम्र के थेl उन्हें आया देख, मैं बहुत खुश हुआl मुझे लगा अब इनके साथ मैं अपनी दिनचर्या को बदल कर, खूब खेलूंगा, मस्ती करूंगा. और अपनी बोरियत दूर कर सकूंगाl

उसी दिन, मेरे पिता ने मुझे बताया कि वह और मेरी माँ वह कुछ दिन के लिए कुछ जरूरी काम के सिलसिले में विदेश (इंग्लैण्ड) जा रहे हैं, और उनकी अनुपस्थिति में, मुझे अपने फूफा के साथ यहीं रहना था और एक या दो सप्ताह के लिए हमारे पास यहाँ रहने के बाद मेरे फूफा और फूफेरे भाई गाँव में जाएंगेl

अगले दिन मेरे पिता ने विदेश जाने से पहले, मुझे कुछ जरूरी परामर्श दिए और किन-किन चीजों का ख़्याल रखना हैं, उनके पीछे से क्या करना हैं, क्या नहीं करना हैं, कैसे करना हैं, सब समझायाl मुझे प्यार और आशीर्वाद देने के बाद, मेरे पिता और माँ लंदन रवाना हो गएl

मेरे फूफेरे भाई, रोबोट (बॉब) और टॉम, से मेरी अच्छी बनती थीl मेरे फूफा, रोबोट (बॉब) और टॉम अंग्रेज थेl रोबोट (बॉब) और टॉम दोनों, लगभग हर साल कुछ दिन के लिए हमारे पास रहने लन्दन से आते थे और मुझे उनके साथ खूब मज़ा आता थाl परन्तु बॉब और टॉम की बहने भी, जब हमारे घर आती थी मुझे उनसे दूर ही रखा जाता थाl
बॉब और टॉम दोनों पहले जब भी मिलते थे. तो दोनों बहुत सीधे और सरल लड़के लगते थे, लेकिन इस बार दोनों बहुत शैतान या यूँ कहिये बदमाश हो गए थेl

मुझे अब वह दोनों, दो ऐसे जंगली घोड़ों जैसे लगते थे, जिन्हे सीधे सादे निवासियों पर खुला छोड़ दिए गया होl शैतानी करने के बाद पकड़े जाने पर, सब बात मुझ पर डाल कर, दोनों ख़ुद साफ़ बच निकलते थेl दोनों सभी प्रकार के कुचक्रों बनाने में बहुत निपुण और विद्वान साबित होते थेl

बॉब और टॉम को एक तरह से पूरी छुट मिली हुई थी, क्योंकि मेरे फूफा, जिन्हें कुछ व्यावसायिक और अन्य व्यस्तता के कारण, हमारे आचरण की देखभाल निगरानी करने का समय नहीं था, इसलिए वह दोनों दिन भर उछल कूद मचाते रहते थेl उनकी शरारते देख कर मैं भी मजे लेता रहता था और कभी-कभी उनके साथ मैं भी धमा चौकड़ी मचा लेता थाl

फिर दो दिन बाद फूफाजी, हम तीनो को साथ लेकर गाँव में हमारे पुरानी पुश्तैनी महल नुमा घर चले गएl वहाँ पर भी बॉब और टॉम की उछल कूद जारी रही, क्योंकि फूफा ज़मीन जायदाद के सारे मसले देखने में ही व्यस्त रहते थेl मैं भी उनमें जाने अनजाने शामिल रहता था, इसलिए कोई भी नौकर चाकर डर के मारे बॉब और टॉम की शिकायत नहीं करता थाl अगले दिन फूफा किसी काम से पास के गाँव में अपने किसी मित्र से मिलने चले गए और हमें पता चला वह आज रात वापिस नहीं आएंगेl

हालांकि, पिछले तीन दिनों के दौरान जब मेरे फूफेरे भाई मेरे साथ थे, उन्होंने भद्दे-भद्दे चुटकुले और असभ्य बातचीत करके, लड़कियो के पवित्र होने की जिस अवधारणा के साथ मेरी माँ ने मुझे पाला था, मेरी
सभी उन पूर्वधारणाओं को उखाड़ फेंका थाl

हमारे पुरानी पुश्तैनी महल नुमा घर में हम सब के ठहरने के लिए अलग-अलग, बड़े-बड़े आलीशान कमरे थेl शाम को मैं बॉब की तलाश में मेरे फूफेरे भाई बॉब के कमरे में गया, दरवाज़ा खोलने पर, मैंने जो कुछ देखा, उस पर मैं पूरी तरह से चकित रह गयाl वहाँ बिस्तर पर टॉम लगभग नंगा एक बेहद खूबसूरत भगवान की बनाई हुई लाजवाब मूर्ति के जैसी, गोरी, गुलाबी गालों वाली कमसिन लड़की की बाँहों में खोया हुआ था, जिसके कपड़े हमारी नौकरानियों जैसे थेl

जब मैंने कमरे में प्रवेश किया तो वहाँ बॉब उस खूबसूरत कन्या के ऊपर एक तंग अंतरंग आलिंगन में जकड़ा हुआ लेटा हुआ था l लड़की की लम्बी खूबसूरत सफेद टाँगों का एक जोड़ा उसकी पीठ के ऊपर से पार हो गया थाl उनके शरीर की थिरकन, हिलने और स्पीड को देखकर मुझे लगा कि वे दोनों असीम आनंद ले रहे हैं, जो उनके लिए पूरी तरह से संतोषजनक थाl दोनों उस आनंद दायक क्रिया में इस तरह से डूबे हुए थे, कि उन्हें मेरे आने का कुछ पता नहीं चला, यहाँ तक के ये भी नहीं मालूम हुआ कि कब मैंने उस कमरे में प्रवेश किया हैl


कहानी जारी रहेगीl
आगे क्या हुआ रोज़ी और रूबी का क्या चक्कर है पढ़िए अंतरंग हमसफ़र में जो की इसी कहानी के आगे के भाग हैं
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झट पट शादी और सुहागरात-1

झट पट शादी और सुहागरात मेरे दोस्त दीपक कुमार की कहानी है

पढ़िए उसकी कहानी उसी की जुबानी

मेरा नाम दीपक है. मेरा कद छह फुट है, गोरा रंग है और मजबूत काठी वाला शरीर है.

मैं एक कॉलेज में प्रोफेसर हूँ. मेरे कॉलेज में कई महिला प्रोफेसर भी हैं, जो कि काफी खूबसूरत भी हैं. लेकिन मैं किसी से ज्यादा बात नहीं करता था. सिर्फ अपनी क्लास लेना और खाली समय में लाइब्रेरी में बुक्स पढ़ता रहता था.

मेरे कॉलेज में एक प्रोफेसर प्रीति भी हैं, जो मुझ से काफी बातचीत करने का प्रयास करती थीं और मेरे आस पास मंडराती रहती थीं. मुझे लगता था कि वो मुझे चाहती थीं, लेकिन कभी कह नहीं पाती थीं.

एक बार कॉलेज में पेपर शुरू होने वाले थे. एग्जाम के पहले छुट्टियां चल रही थीं. कॉलेज शहर में बाहर है, मेरा घर कॉलेज के पास ही है. मेरा घर काफी बड़ा है. उन दिनों मेरे माता पिता शहर में दूसरे घर में रहने गए हुए थे. एक दिन मैं सारे कपड़े निकाल कर नहाने जा ही रहा था कि घर के दरवाजे की घंटी बजी.

मैंने तौलिया लपेट कर दरवाजा खोला, तो देखा गेट पर गोरी चिट्टी प्रीति लाल रंग की साड़ी और ब्लाउज में खड़ी हुई थीं. उनके होंठों पर लाल लिपिस्टिक और बालों में लाल गुलाब लगा हुआ था. प्रीति मेम बिल्कुल लाल परी लग रही थीं. उनके हाथ में एक बड़ा सा लेडीज बैग था. सच में आज मुझे वो गजब की सुन्दर लग रही थीं.

उन्हें लाल रंग की साड़ी में देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और तौलिया तन गया. मैं उसे देखता ही रह गया. मेरे मुँह से बेसाख्ता निकल गया.

'वो आए घर में हमारे,

खुदा की कुदरत है.

कभी हम उनको,

कभी अपने घर को देखते हैं.'

प्रीति मेम शरमाते हुए बोलीं- अन्दर आने को नहीं बोलोगे?

मैंने कहा- सॉरी मेम अन्दर आ जाइए. आज तक आप मुझे इतनी सुन्दर नहीं लगीं. मैं तो बस आपको देखता ही रह गया.

वो खिलखिला कर हंस दीं.

मेम जैसे ही अन्दर आने लगीं, उनके सैंडल की एड़ी मुड़ गयी, उनका पल्लू गिर गया और वह गिरने लगीं.

मैंने लपक कर उन्हें पकड़ा और उन्होंने भी संभलने के लिए मुझे पकड़ लिया. इस पकड़ा पकड़ी में मेरा तौलिया खुल कर नीचे गिर गया और मेरा हाथ कुछ ऐसे पड़ा कि उनके ब्लाउज की डोरियां खुलती चली गईं. प्रीति मेम का ब्लाउज एकदम से नीचे गिर गया. उन्होंने नीचे ब्रा नहीं पहन रखी थी, जिस वजह से उनके गोरे गोरे सुडौल बड़े बड़े मम्मे मेरे सामने फुदकने लगे थे.

हम दोनों एक दूसरे के ऊपर पड़े थे. मैं भी उनके सामने नंगा खड़ा था. मैं नीचे पड़ा था, वह मेरे ऊपर थीं. उनके मम्मे मेरे छाती से लगे हुए थे.

मैंने उन्हें उठाना चाहा, तो वह शर्मा कर मुझसे लिपट गईं.

उन्हें उठाने के लिए मैंने उनकी साड़ी को पकड़ा, तो वह भी खुल गयी. अब वह सिर्फ पेटीकोट में हो गईं.

मैंने उन्हें प्यार से उठाया और साड़ी उठा कर ओढ़ा दी. उन्होंने भी मुझे और मेरे खड़े लंड को देखा और शर्मा कर मुझसे दुबारा लिपट गईं. उनकी इस अदा से मुझसे रहा नहीं गया. मैंने उन्हें किस कर दिया.

वह मुझसे थोड़ा दूर हो गईं.

अब प्रीति मेम बोलीं- दीपक ... जब से मैंने तुम्हें देखा है, मैं तुम्हें चाहने लगी हूँ. मैंने कई बार तुम्हें बताना चाहा, पर हिम्मत नहीं हो पायी. मेरे पेरेंट्स मेरी शादी किसी और से करना चाहते हैं, पर मैं तुम्हें बहुत चाहती हूँ, तुमसे प्यार करती हूँ और तुमसे शादी करना चाहती हूँ. आज हिम्मत कर तुम्हें अपने दिल के बात कहने आयी हूँ.

मैं उन्हें देखता रह गया और उनके हाथ को पकड़ कर उनको अपनी ओर खींच लिया. मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ लगा दिए और उन्हें किस करने लगा.

मैं बोला- आप भी मुझे अच्छी तो लगती हो ... पर आज तक मैंने आपको इस नज़र से नहीं देखा था. आप बहुत सुन्दर हो और प्यारी भी हो.

प्रीति मेम मेरे होंठों पर उंगली रखते हुए बोलीं- मुझे आप नहीं तुम कह कर बुलाओ.

मैंने प्रीति को अपनी गोदी में उठा लिया और किस करने लगा.

प्रीति मेम बोलीं- प्लीज जरा रुको.

उन्हें मैंने अन्दर सोफे पर बिठा दिया.

मैंने कहा- प्रीति, तुम बहुत सुन्दर हो ... अब जब मैंने तुम्हें आधी नंगी देख ही लिया है, तो अब तुम शर्म छोड़ कर मुझे प्यार करने दो.

प्रीति मेम बोलीं- मैं शादी से पहले ये सब नहीं करना चाहती. मैं पहला सेक्स सिर्फ अपने पति से करना चाहती हूँ. हालांकि मैं मन ही मन तुम्हें अपना पति मान चुकी हूँ. आज मैंने सिर्फ मर्द के तौर पर तुम्हें नंगा देखा है और तुमने मुझे नंगी देखा है, अगर तुम मुझसे शादी नहीं कर सकते, तो मैं उम्र भर कुंवारी रहूंगी.

मैंने उन्हें चूमा और बोला- मैं भी तुमसे प्यार करता हूँ और तुमसे अभी शादी कर लेता हूँ.

कमरे में से मैंने चाकू उठाया और अपनी उंगली काट कर अपने खून से उनकी मांग भर दी.

मैंने कहा- अब तुम मेरी बीवी हो.

वो मुझे प्यार से देखने लगी. मैंने मेम को पकड़ कर गले लगा लिया. प्रीति मेम मुझसे लिपट गईं और मैं उनके होंठ चूसने लगा. वह भी मेरा साथ देने लगीं.

वो मुझे चूमते हुए बोलीं- आज हमारा पहला मिलन है ... हमारी सुहागरात है.

मैंने कहा- आज का दिन और रात हमारी सुहागदिन और सुहागरात हैं.

इस पल को यादगार बनने के लिए मैं उन्हें कमरे में ले गया, जहां मेरी माँ ने मेरी होने वाली दुल्हन के लिए सब सामान संजो कर रखा हुआ था. दुल्हन का जोड़ा, गहने मेकअप का सामान ... सब कुछ रखा था.

प्रीति मेम से मैंने कहा- तुम भी तैयार हो जाओ ... तब तक मैं कमरा तैयार करता हूँ.

मैं उन्हें अपना कमरा दिखाया.

प्रीति मेम बोलीं- पहले तुम कुछ फूल ला दो, फिर नहा लेना और कमरा मैं तैयार कर दूँगी.

फिर मैं प्रीति मेम को वहीं छोड़ कर कपड़े बदल कर बाजार गया. कुछ फूल, फूल-माला, खाने का सामान और कुछ और चीजें ले आया.

घर आकर मैंने प्रीति मेम को आवाज़ दी, तो वो बोलीं- फूल कमरे में रख दो और नहा कर तैयार हो जाओ. आधे घंटे बाद कमरे में आ जाना.

मैं नहा लिया और अपने नीचे बगलों आदि के सब बाल साफ़ कर लिए. एक माला और गुलाब लेकर आधे घंटे के बाद मैंने कमरे का दरवाजा खोला, तो अन्दर का नज़ारा बदला हुआ था.

अब वो कमरा गुलाब के फूलों से सज़ा था और सेज़ पर प्रीति मेम दुल्हन के लिबास में बैठी थीं. प्रीति ने गुलाबी रंग का लहंगा और ब्लाउज पहना हुआ था. वो पूरी तरह से गहनों से लदी हुई थीं.

मुझे देख प्रीति मेम खड़ी हो गईं. उन्होंने बड़ा सा घूंघट कर रखा था. मैंने प्रीति मेम के सामने होकर अपनी माला प्रीति के गले में डाल दी. प्रीति ने भी अपने हाथ की वरमाला मेरे गले में डाल दी और फिर मेरे पैर छुए.

प्रीति को मैंने उठा कर कहा- प्रीति तुम्हारी जगह मेरे दिल में है.

मैंने उन्हें गले से लगा लिया.

ओए होए ... क्या बताऊं ... प्रीति मेम जो की 23 साल की बला की ख़ूबसूरत थीं. आज मेरी बांहों में थीं. उन्हें देख मेरा लंड बेकाबू हो गया था.

प्रीति मेम का रंग दूध से भी गोरा था, इतना गोरा कि छूने से मैली हो जाए. बड़ी बड़ी काली मदमस्त आंखें, गुलाबी होंठ हल्के भूरे रंग के लम्बे बाल, बड़े बड़े गोल गोल चूचे. नरम चूतड़, पतली कमर, सपाट पेट, पतला छरहरा बदन और फिगर 36-24-36 का था.

उनका कद पांच फुट पांच इंच था. मेम दिखने में एकदम माधुरी दीक्षित जैसी थीं. उनकी आवाज़ मीठी कोयल जैसी. वो सुहाग की सेज पर सजी धजी गहनों और फूलों पर बैठी थीं.

आज प्रीति मेम किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थीं. उन्होंने गुलाबी रंग का लहंगा और ब्लाउज पहना हुआ था और ऊपर लम्बी सी ओढ़नी का घूँघट किया हुआ था. इस रूप में अगर कोई 70 साल का बूढ़ा भी उन्हें देख लेता ... तो उसका भी लंड खड़ा हो जाता.

मेरा 7 इंच का हथियार अपने शिकार के लिए तैयार होने लगा. मैं थोड़ा सा आगे होकर बिस्तर पर बैठ गया और उनके हाथ पर अपना हाथ रख दिया. उनका नरम मुलायम मखमल जैसा था. प्रीति मेम का गर्म हाथ पकड़ते ही मेरा लंड फुफंकार मारने लगा और सनसनाता हुआ पूरा 7 इंच बड़ा हो गया.

प्रीति के दूधिया रंग और उनके गुलाबी कपड़ों के कारण पूरा कमरा तक गुलाबी लगने लगा था. उनकी चमड़ी इतनी नरम मुलायम, नाजुक और मक्खन सी चिकनी थी कि उनकी फूली हुई नसें भी मुझे साफ़ नज़र आ रही थीं.

मैंने एक गुलाब उठा कर उनके हाथों को छू दिया, वो कांप कर सिमटने लगीं.

मैंने कहा- मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ और आपको पाना चाहता हूँ.

उन्होंने मेरी तरफ एक बार देखा और लाज से अपनी नजरें झुका लीं.

मैंने अपनी जेब से निकाल कर एक हार उनको अपनी शादीशुदा जिंदगी के पहले नज़राने के तौर पर दिया.

वो बोलीं- आप ही पहना दीजिए.

इस जरा सी थिरकन से उनके गहने खड़कने लगे ... उनकी झंकार से कमरे में मदहोशी छाने लगी.

मैंने उन्हें हार पहनाया, फिर धीरे से उनका घूंघट उठा दिया. मेरी बीवी बन चुकी प्रीति मेम दूध जैसी गोरी चिट्टी लाल गुलाबी होंठ वाली हूर थीं. उनकी नाक पर बड़ी सी नथ एक गजब का खुमार जगा रही थी. मांग में टीका (बिंदिया), बालों में गजरा, उनका मासूम सा चेहरा नीचे को झुका हुआ था. ढेर सारे गहनों से और फूलों से लदीं प्रीति मेम अप्सरा सी लग रही थीं.

उनको इतनी सुन्दर दुल्हन के रूप में देख कर मेरे मुँह से निकल गया- वाह ... तुम तो बला की क़यामत हो मेरी जान.

मैंने धीरे से उनके चेहरे को ऊपर किया. प्रीति की आंखें लाज से बंद थीं. उन्होंने आंखें खोलीं और हल्के से मुस्करा दीं.

इधर मुझे लगता है कि प्रीति मेम, जिनका मैं सम्मान करता था और उन्हें सम्मानसूचक शब्दों से ही सम्बोधित कर रहा था, अब मेरी बीवी बन कर मेरे साथ सुहागरात मना रही थीं. इसलिए अब मुझे उन्हें अपनी भार्या यानि पत्नी के रूप में ही सम्बोधित करना चाहिए.

मैंने बड़े प्यार से प्रीति से पूछा- क्या मैं तुम्हें किस कर सकता हूँ?

प्रीति को शर्म आने लगी.

मैंने उसके होंठों पर एक नर्म सा चुम्बन ले लिया और प्रीति के चेहरे को अपने हाथों में लेकर उसके गाल पर किस कर दिया.

प्रीति लजाते हुए बोली- मैं जब से जवान हुई थी, इस दिन का तब से इंतज़ार कर रही थी.

वो ये कह कर शर्माते हुए सिमट कर मुझसे लिपट गयी.

मैंने प्रीति को अपने गले से लगा लिया और उसकी पीठ पर हाथ फिराने लगा. उसकी पीठ बहुत नरम मुलायम और चिकनी थी. उसने बैकलेस चोली पहनी हुई थी, जो सिर्फ दो डोरियों से बंधी हुई थी. पहले की तरह उसने अभी भी ब्रा नहीं पहनी हुई थी. मेरे हाथ उसकी पीठ से फिसल कर कमर तक पहुँच गए थे. उसकी नंगी कमर एकदम रेशम सी चिकनी, नरम और नाजुक कमर थी.

अब मैंने उसकी ओढ़नी को उसके सीने से हटा दिया और उसे मदमस्त निगाहों से निहारने लगा. मेरे इस तरह से देखने से प्रीति को शर्म आने लगी और वो पलट गयी. उसने अपनी पीठ मेरी तरफ कर दी.

मैं आगे बढ़ गया और उसे अपनी मजबूत फौलाद जैसी बांहों में कस कर जकड़ लिया. मैंने अपने होंठ प्रीति की गर्दन पर रखे और उस पर किस करने लगा. उसके शरीर से पसीने और लेडीज परफ्यूम की महक आ रही थी, जो मुझे मदहोश कर रही थी.

मैंने प्रीति के गले पर किस करते हुए अपना मुँह प्रीति के कान के पास किया और कान में कहा- आय लव यू जान ... तू बहुत अच्छी लग रही है ... आज मैं अपनी दुल्हन को प्यार करूंगा और तेरी सील तोड़ दूँगा.

मेरी ऐसी बातों से प्रीति पागल हो गयी, उसकी गर्म बांहों में मेरा शरीर जल रहा था.

मैंने प्रीति को अपनी तरफ किया और अपने होंठों को प्रीति के होंठ पर रख दिए और उन्हें चूसने लगा. मैं बहुत जोश में था और प्रीति के होंठों पर ही टूट पड़ा.

प्रीति के सफ़ेद बड़े-बड़े खरबूजे देख कर मेरी तो जुबान रुक गई. प्रीति ने गहरे गले का चोलीनुमा ब्लाउज पहना हुआ था, इसमें से उसकी आधी चुचियां और क्लीवेज झाँक रही थी.

जैसे ही उसकी ओढ़नी सरकी, मैं प्रीति की आधी नंगी चूची को देख कर मस्त होने लगा. मेरा लंड टाइट हो गया.

मैं प्रीति की जांघें और नंगी चूची को टच करने की कोशिश करने लगा. प्रीति को भी एक्साइटमेंट होने लगा. प्रीति भी मेरे सामने ढीली पड़ने लगी.

मैं उसे अपने सीने में चिपका कर उसकी गांड को सहलाने लगा. साथ ही मैंने प्रीति की चोली के अन्दर हाथ डाल दिया और बारी बारी से उसकी दोनों मस्त चूचियों को दबा दिया. प्रीति की मदभरी सीत्कार निकल गई.

मैंने बिना कुछ कहे प्रीति को उठा कर अपनी गोद में घसीटा और उसके लिपस्टिक से रंगे होंठ बिना लिपस्टिक के कर दिए.

प्रीति भी वासना में पागल सी हो गई थी. वो अपने हाथ मेरी गर्दन पर फिराने लगी. मैंने प्रीति की ढलकी हुई ओढ़नी को पूरी तरह से हटा दिया और चोली की डोरियों की खींच कर तोड़ ही डाला.

वह मुझे पागलों की तरह किस करने लगी और मैं भी उसका पूरा पूरा साथ देने लगा था. मैं उसके बड़े बड़े सफ़ेद मम्मे देख कर पागल हो गया था. उसके मम्मे उत्तेजना से एकदम लाल होने लगे थे. मम्मों के ऊपर घमंड से अकड़े हुए उसके चूचुक गुलाबी रंग के थे.

मैंने एक हाथ से उसका एक दूध पकड़ कर जोर से दबा दिया. वह सिसकार उठी- अहहह अम्म्म ऊऊऊ मम्मम ...

प्रीति कहने लगी कि आह ... सनम और जोर से दबाओ.

मैंने उसकी इस बात को सुनकर चोली की टूटी पड़ी डोरियों को खींच कर अलग किया और उसका लहंगा भी उतार डाला.

एक एक करके उसके सारे जेवर जल्दी जल्दी उतार डाले. हम दोनों को पता भी नहीं चला कि मैंने कब प्रीति को नंगी कर दिया. मैंने उसकी सिर्फ नथ रहने दी ... नथ मुझे उकसाने लगती है. सिर्फ नथ में प्रीति बहुत सेक्सी लग रही थी.

फिर मैं उसके होंठों को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी. मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी. मैंने भी उसकी जीभ को चूसा. मैं प्रीति को बेकरारी से चूमने लगा. चूमते हुए हमारे मुँह पूरे खुले हुए थे, जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थीं. हमारे मुँह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था.

कम से कम 15 मिनट तक मैं उसका लिप किस लेता रहा. मुझे इस वक्त उसके तन पर किसी अन्य अंग को छूने या सहलाने का होश ही नहीं था.

फिर अचानक प्रीति ने मेरा हाथ पकड़ा. मैंने अपना हाथ न जाने कौन सी अदृश्य ताकत से उठा दिया और उसके मम्मों को दबाने लगा. इस हरकत से मुझे महसूस हुआ कि जबकि मेरा हाथ उसके मम्मों की तरफ जरा भी ध्यान नहीं दे रहा था, तो अचानक प्रीति के हाथ के स्पर्श मात्र से मैं कैसे उसके मन की बात समझ कर उसके मम्मों को मसलने लगा. शायद ये ही प्यार होता है.

मैं उसके चूचों को बड़ी नजाकत से मसल रहा था. वो भी मेरा साथ देने लगी. मेरी जीभ अब भी उसकी जीभ से मिली हुई थी. अचानक उसका शरीर सिहरने लगा और वह झड़ने लगी.

प्रीति तो मेरे होंठों में ही गुम थी कि अचानक से एक 'चटाक..' से प्रीति के चूतड़ों में एक चपत सी महसूस हुई.

प्रीति ने बिलबिला कर मेरे होंठ छोड़ दिए और मेरी तरफ सवालिया निगाहों से देखा.

मैं मुस्कराते हुए बोला- माफ़ कर देना ... तुम्हें देख कर मुझे कुछ भी होश नहीं रहता.

प्रीति भी मुस्कुरा उठी और कहा- कोई बात नहीं ... मैं सब सहन कर लूँगी.

मुझे आशा है कि आज मेरी बीवी के साथ मेरी इस सुहागमिलन की घड़ी में आपको मजा आ रहा होगा. ये मेरी सच्ची चुदाई की कहानी है,

कहानी जारी रहेगी
Hasi bhi aai maza bhi aaya or topic bhi pasand aaya. Jaha duniya hawas kisi or me dhudh rahe he vaha romance ke sath husband wife ki kahani wow. Wow nahi great....
 

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