कायदा सेक्स कथा माझ्या मराठी बहीण
शाम के 6.30 बजे थे, मैने नामिता भाभी की डोर बेल बजाई, 2 मिनिट
के बाद दरवाजा खुला, दरवाजे मे भाभी खड़ी थी, मई तो उनको देखते
ही रहे गया, हल्के आसमानी कलर की सिफ्फ़ों की सारी पहेनी थी, उसपे
मॅचिंग लो कट ब्लाउस था, पल्लू तोड़ा साइड मे था. उनकी क्लीवेज लाइन
सफ़फ़ सफ़फ़ दिख रही थी. और दो बड़े बड़े पहाड़ सीधे खड़े थे, दोनो
पहाड़ो मे बिचवाली खाई बहुत ज़्यादा गहेरी थी, क्यो की उनके पहाड़
अम्म औरतो के मुक़ाबले कुछ ज़्यादा ही सामने उभरे हुए थे. (यह
उनका स्टाइल है, हुमेशा घर मे सारी का पल्लू शोल्डर पे क्लीवेज लाइन
से हटा के ही रखती है) मई तो पहेली ही नज़र मे घायल हो गया.
"अरे संजय तुम, आओ आओ, सुनीता ने (मेरी भाभी, गाओं वाली जो मेरी
नेबर है) बताया था की तुम आने वेल हो, मई तुम्हारा ही इंतजार कर
रही थी." भाभी ने मुझे अंदर बुलाया और मुझे अपने दोनो हतह से
पकड़ा और मेरे माथे को चूम लिया. भाभी की ये अदा मुझे बहुत आची
लगी. उंगी जिस्म की गर्माहत की खुसभू से तो मेरे टन बदन मे
ज़ुर्ज़हुरी सी दौड़ गयी.
भाभी ने मुझे पानी ला के दिया. और बोली, "मई भी अभी अभी बॅंक से
आई हून. अक्चा हुवा तुम जल्दी नही आए वरना इंतेजर करना पड़ता
मेरा. तुम थोड़ी देर बैठो तब तक मई चेंज करके आती हून, अगर
तुम्हे भी फ्रेश होना हो तो हो जाओ." भाभी ने मुझे बातरूम दिखाया.
उनके बेडरूम के बगल मे ही बातरूम था, एक डोर उनके बेडरूम मे
खुलता ता और एक हॉल मे. मई फ्रेश होके आया. बहभही चेंज करके आई
थी और हॉल मे ज़्ादू लगा रही थी. मई तो देखते ही रहे गया. बिल्कुल
फ्रीज़ हो गया. भाभी ने बहुत ही पतली पिंक कलर की निघट्य पहनी थी और
अंडर से ब्रा नही पहनी थी. वो ज़ुक के ज़्ादू लगा रही थी और उनके
मदमस्त चूंचियों का निघट्य के खुले गले से पूरा दर्शन मुझे हो
रहा था. मेरे लंड ने तो सलामी देना भी शुरू कर दिया. मेरा उनके घर
मे पहेला ही दिन था. और पहेली ही दिन मुझे इतनी खूबसूरती का दर्शन हो
गया. मई आज तक जिन औरतों को छोड़ा उन्हे याद करने लगा. नामिता
भाभी उन सभी मे बीस थी. भाभी ने मेरे तरफ देखा लेकिन मई तो होश
मे था ही नही, मेरी नज़र तो उनके चूंचियों पे ही टिकी थी. उन्होने मेरी
नज़र का पीछा किया तो पता चला की मई उनका सेकरीट पार्ट देख रहा हून.
तब उनके ध्यान मे आया की उन्होने तो हमेशा की तरहा ब्रा पहनी ही नही
है, अकटुली वो घर मे अकेली रहा करती थी तो गर्मी के दिन होने के कारण
घर मे ब्रा नही पहनती थी, और रोज की तरह अभी भी उन्होने ब्रा नही
पहनी, जब उनके ध्यान मे आया तो ज़्ादू छ्चोड़ के सीधी खड़ी हो गयी,
और मेरी और उनकी नज़र एक हो गयी. मई शर्मा गया और उन्होने एक
मुस्कुरहत दी और जल्दी से बेडरूम मे चली गयी. थोड़ी देर बाद वो
वापस आई तो मैने देखा की उन्होने ब्रा पहेनी हुवी थी. मैने फिर से
उनके बूब्स के तरफ देखा और मुस्कुरा दिया मेरी नज़र और मुस्कुरहत
का मतल्ब वो समझ गयी और वो भी मुस्कुरा दिया.
भाभी ने खाना बनाया, मई हॉल मे टीवी देख रहा था. भाभी मेरे
पास आई फिर हुँने थोड़ी देर तक बाते की, फिर ओन्ोने कहा "संजय तुम टीवी
देखो तब तक मैं नहा के आती हू. मुझे शँको खाने से पहले
नहाने की आदत है". भाभी ने कपबोर्ड से अपने कपड़े निकले और
सेंटर टेबल पे रख दिए फिर उन्होने सोप निकाला और नहाने चली गयी.
बातरूम से गुनगुनाने की आवज़ आ रही थी. भाभी की आवाज़ इतनी अच्छी तो
नही थी लेकिन उनकी आवाज़ मे प्यसस सफ़फ़ ज़ालकती थी. थोड़ी देर बाद शवर
बंद हो गया, 2 मिनिट बाद भाभी सीने से जाँघो के तोड़ा उपर टके क
बड़ा सा टवल लपेटे हुवे हॉल मे आई शायद वो फिर भूल गयी थी की मई
वाहा मौजूद हून, और हॉल मे लगे हुवे बड़े आईने के सामने खड़ी
हो के गाना गाते हुवे अपने अप को निहारने लगी. मेरा तो फ्यूज़ ही उडद गया.
उनके बड़ी बड़ी बाजुओ से पानी की बूंदे नीचे जा रही थी. गार्डेन से और
च्चती के उपरी हिस्से से आती हुवी बूंदे उनके दोनो सीधे खड़े पहाड़ो
के बीच वाली खाई मे समा रही थी. गोरी गोरी मांसल दूधिया जाँघो से
टपकती हुई पानी की बूंदे मानो मुझे इन्वाइट ही कर रही थी. एब्ब भाभी
गुनगुनाते हुवे पलटी, और पलटते हुवे उन्होने टवल का एक कोना हाथ
मे ले लिया और उसको वो नीच छ्चोड़ने ही वाली थी की उनकी नज़र मुझ पे पड़ी.
वो एकदम से रुक गयी. हतह मे टवल के दो कोने थे. ढीला हो जाने
के कारण एक साइड से टवल तोड़ा नीचे आ गया था, और उनकी यूयेसेस साइड की
चूंची 80% दिख रही थी, यहा तक की निपल के अप्पर वाला ब्राउन हिस्सा भी
नज़र आ रहा था. मेरी तो किस्मत ही खुल गयी थी. भाभी ने मेरी तरफ
देखा और जल्दी जल्दी सेंटर टेबल से कपड़े उठा लिया, मैने देखा की जल्दी
जल्दी मे वो ब्रा और पनटी तो वही छ्चोड़ के गयी है. वो बेडरूम मे
चली गयी. मई उठा और सेंटर टेबल से ब्रा और पनटी उठा ली. ब्रा को सोफे
की चेर के पीछे दल दिया, जिधेर से भाभी बेडरूम मे गयी थी, और
पनटी को बेडरूम के डोर के पास एक कोने मे दल दिया.
कायदा सेक्स कथा माझ्या मराठी बहीण
शाम के 6.30 बजे थे, मैने नामिता भाभी की डोर बेल बजाई, 2 मिनिट
के बाद दरवाजा खुला, दरवाजे मे भाभी खड़ी थी, मई तो उनको देखते
ही रहे गया, हल्के आसमानी कलर की सिफ्फ़ों की सारी पहेनी थी, उसपे
मॅचिंग लो कट ब्लाउस था, पल्लू तोड़ा साइड मे था. उनकी क्लीवेज लाइन
सफ़फ़ सफ़फ़ दिख रही थी. और दो बड़े बड़े पहाड़ सीधे खड़े थे, दोनो
पहाड़ो मे बिचवाली खाई बहुत ज़्यादा गहेरी थी, क्यो की उनके पहाड़
अम्म औरतो के मुक़ाबले कुछ ज़्यादा ही सामने उभरे हुए थे. (यह
उनका स्टाइल है, हुमेशा घर मे सारी का पल्लू शोल्डर पे क्लीवेज लाइन
से हटा के ही रखती है) मई तो पहेली ही नज़र मे घायल हो गया.
"अरे संजय तुम, आओ आओ, सुनीता ने (मेरी भाभी, गाओं वाली जो मेरी
नेबर है) बताया था की तुम आने वेल हो, मई तुम्हारा ही इंतजार कर
रही थी." भाभी ने मुझे अंदर बुलाया और मुझे अपने दोनो हतह से
पकड़ा और मेरे माथे को चूम लिया. भाभी की ये अदा मुझे बहुत आची
लगी. उंगी जिस्म की गर्माहत की खुसभू से तो मेरे टन बदन मे
ज़ुर्ज़हुरी सी दौड़ गयी.
भाभी ने मुझे पानी ला के दिया. और बोली, "मई भी अभी अभी बॅंक से
आई हून. अक्चा हुवा तुम जल्दी नही आए वरना इंतेजर करना पड़ता
मेरा. तुम थोड़ी देर बैठो तब तक मई चेंज करके आती हून, अगर
तुम्हे भी फ्रेश होना हो तो हो जाओ." भाभी ने मुझे बातरूम दिखाया.
उनके बेडरूम के बगल मे ही बातरूम था, एक डोर उनके बेडरूम मे
खुलता ता और एक हॉल मे. मई फ्रेश होके आया. बहभही चेंज करके आई
थी और हॉल मे ज़्ादू लगा रही थी. मई तो देखते ही रहे गया. बिल्कुल
फ्रीज़ हो गया. भाभी ने बहुत ही पतली पिंक कलर की निघट्य पहनी थी और
अंडर से ब्रा नही पहनी थी. वो ज़ुक के ज़्ादू लगा रही थी और उनके
मदमस्त चूंचियों का निघट्य के खुले गले से पूरा दर्शन मुझे हो
रहा था. मेरे लंड ने तो सलामी देना भी शुरू कर दिया. मेरा उनके घर
मे पहेला ही दिन था. और पहेली ही दिन मुझे इतनी खूबसूरती का दर्शन हो
गया. मई आज तक जिन औरतों को छोड़ा उन्हे याद करने लगा. नामिता
भाभी उन सभी मे बीस थी. भाभी ने मेरे तरफ देखा लेकिन मई तो होश
मे था ही नही, मेरी नज़र तो उनके चूंचियों पे ही टिकी थी. उन्होने मेरी
नज़र का पीछा किया तो पता चला की मई उनका सेकरीट पार्ट देख रहा हून.
तब उनके ध्यान मे आया की उन्होने तो हमेशा की तरहा ब्रा पहनी ही नही
है, अकटुली वो घर मे अकेली रहा करती थी तो गर्मी के दिन होने के कारण
घर मे ब्रा नही पहनती थी, और रोज की तरह अभी भी उन्होने ब्रा नही
पहनी, जब उनके ध्यान मे आया तो ज़्ादू छ्चोड़ के सीधी खड़ी हो गयी,
और मेरी और उनकी नज़र एक हो गयी. मई शर्मा गया और उन्होने एक
मुस्कुरहत दी और जल्दी से बेडरूम मे चली गयी. थोड़ी देर बाद वो
वापस आई तो मैने देखा की उन्होने ब्रा पहेनी हुवी थी. मैने फिर से
उनके बूब्स के तरफ देखा और मुस्कुरा दिया मेरी नज़र और मुस्कुरहत
का मतल्ब वो समझ गयी और वो भी मुस्कुरा दिया.
भाभी ने खाना बनाया, मई हॉल मे टीवी देख रहा था. भाभी मेरे
पास आई फिर हुँने थोड़ी देर तक बाते की, फिर ओन्ोने कहा "संजय तुम टीवी
देखो तब तक मैं नहा के आती हू. मुझे शँको खाने से पहले
नहाने की आदत है". भाभी ने कपबोर्ड से अपने कपड़े निकले और
सेंटर टेबल पे रख दिए फिर उन्होने सोप निकाला और नहाने चली गयी.
बातरूम से गुनगुनाने की आवज़ आ रही थी. भाभी की आवाज़ इतनी अच्छी तो
नही थी लेकिन उनकी आवाज़ मे प्यसस सफ़फ़ ज़ालकती थी. थोड़ी देर बाद शवर
बंद हो गया, 2 मिनिट बाद भाभी सीने से जाँघो के तोड़ा उपर टके क
बड़ा सा टवल लपेटे हुवे हॉल मे आई शायद वो फिर भूल गयी थी की मई
वाहा मौजूद हून, और हॉल मे लगे हुवे बड़े आईने के सामने खड़ी
हो के गाना गाते हुवे अपने अप को निहारने लगी. मेरा तो फ्यूज़ ही उडद गया.
उनके बड़ी बड़ी बाजुओ से पानी की बूंदे नीचे जा रही थी. गार्डेन से और
च्चती के उपरी हिस्से से आती हुवी बूंदे उनके दोनो सीधे खड़े पहाड़ो
के बीच वाली खाई मे समा रही थी. गोरी गोरी मांसल दूधिया जाँघो से
टपकती हुई पानी की बूंदे मानो मुझे इन्वाइट ही कर रही थी. एब्ब भाभी
गुनगुनाते हुवे पलटी, और पलटते हुवे उन्होने टवल का एक कोना हाथ
मे ले लिया और उसको वो नीच छ्चोड़ने ही वाली थी की उनकी नज़र मुझ पे पड़ी.
वो एकदम से रुक गयी. हतह मे टवल के दो कोने थे. ढीला हो जाने
के कारण एक साइड से टवल तोड़ा नीचे आ गया था, और उनकी यूयेसेस साइड की
चूंची 80% दिख रही थी, यहा तक की निपल के अप्पर वाला ब्राउन हिस्सा भी
नज़र आ रहा था. मेरी तो किस्मत ही खुल गयी थी. भाभी ने मेरी तरफ
देखा और जल्दी जल्दी सेंटर टेबल से कपड़े उठा लिया, मैने देखा की जल्दी
जल्दी मे वो ब्रा और पनटी तो वही छ्चोड़ के गयी है. वो बेडरूम मे
चली गयी. मई उठा और सेंटर टेबल से ब्रा और पनटी उठा ली. ब्रा को सोफे
की चेर के पीछे दल दिया, जिधेर से भाभी बेडरूम मे गयी थी, और
पनटी को बेडरूम के डोर के पास एक कोने मे दल दिया.
कायदा सेक्स कथा माझ्या मराठी बहीण