नमस्कार दोस्तों| मैं अमित आप का स्वागत करता हूँ| आप लोगो का बहुत बहुत शुक्रिया मेरी कहानी को इतना पसन्द करने के लिए| जैसा की मैंने आप लोगो को बताया की कैसे मैंने बड़ी माँ और मेरे पापा की चुदाई देखी| उस साल की छुटिया खत्म हो गई और मैं गावं से अपने शहर आ गया पुरे परिवार के साथ| मैं गाउन को बहुत मिस कर रहा था और उस से भी ज्यादा अपनी दीदी को मिस कर रहा था|( मेरी बड़ी माँ की लड़की ) हम फिर से अपने पुराने रूटीन पर आ गए थे| स्कूल जाओ घर आओ फिर थोड़ा सा खेल लो फिर सो जाओ और फिर सुबह में स्कूल जाओ हमारे घर में ३ बेडरूम है| माँ- पापा का| भाई का और मेरा| एक रात मैं अपने रूम में सोया था और कोई डरावनी सपना देख लिया| मैं उठ गया और पूरा रूम अँधेरा था तो मैं रोने लगा| उस वक़्त मेरी उम्र सिर्फ ८ साल थी| शायद कोई भी उस उम्र का बच्चा डर जाता| मेरे रोने की आवाज़ सुन कर माँ तुरंत दौड़ी आई और मुझे गले लगा लिया और पूछने लगी क्या होगा|
loading…
पापा भी आ गये वो भी मुझे चुप करने लगे| माँ मुझे अपने बेडरूम में लेकर गयी और अपने साथ सुला लिया|पापा बोल रहे थे माँ को बिच में सोने के लिए लेकिन मैंने मन कर दिया मैं बोला की मैं सोऊंगा बिच में फिर पापा कुछ नही बोले और मैं सो गया| सुबह उठा तो देखा मैं किनारे में सो रहा हु और माँ के तरफ पापा सो रहे थे|मुझे लगा शायद शबह में उठे होंगे तो उधर जा कर सोगये|अब मैं रोज माँ के साथ ही सोता था और रोज मैं सोता था बिच में लेकिन सुबह में जब नींद खुल तो किनारे पर सोया होता था| मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था आखिर कैसे मैं किनारे पर आ जा रहा हूँ|मैंने एक दिन माँ से पूछ लिया की क्यों मैं सुबह में किनारे में आ जाता हूँ|माँ ने बोला की अपने पापा से पूछ लो वही तुम्हे किनारे करते है|मैंने पापा से पूछा तो वो बोले बीटा तुम्हरी माँ को भी रत में डर लगता है इसी लिए मैं उनके पास चला जाता हूँ सोने के लिए|माँ उनकी ये बात सुन के पापा को देख कर मुस्कुराने लगी|माँ बोली की हां बेटा मुझे डर लगता है रात में|
इसलिए पापा मेरे पास आ जाते है और मुझे पकड़ कर मेरी साडी डर को दूर कर देते है|मुझे कुछ नही समझ में आ रहा था की ये लोग क्या बोल रहे थे एक दुसरे के आँखों में देख कर रात में मुझे सोते ही लगा जैसे मुझे कोई उठा कर साइड में कर रहा है|मुझे लगा की पापा ही होंगे|मेरी नींद टूट गयी थी फिर भी मैं वैसे ही सोता रहा| मेरे चेहरा माँ इ तरफ था लेकिन मेरी आंखे बंद थी| पापा और माँ धीरे धीरे बात कर रहे थे तो मेरी नींद पूरी तरह से टूट चुकी थी| मैं अपने आँखों को थोडा सा खोल के देखा तो माके नाईटी में पापा का एक हाथ घुसा था और वो माँ की एक चूची को दबा रहे थे| खिड़की से चाँद की रौशनी आ रही थी तो मुझे सब कुछ साफ दिखाई दे रहा था| पापा ने तो सिर्फ लुंगी पहना हुआ था| माँ के होंठो को पापा चूस रहे थे| मैं ये सब देख रहा था बड़े शांत होकर क्युकी गाँव में तो पापा को ऐसा सब कुछ बड़ी माँ के साथ देख चूका था|माँ के होंठो को करीब 5 मिनट तक चूसने के बाद पापा उनकी नाईटी उतर दिए|मेरी माँ बिकुल नंगी थी अंडर उन्होंने कुछ भी नही पहना था| पापा माँ के चूची को चुकने लगे और अपने अंगूठा माँ के मुंह में डाल दिया जिसे माँ भी चूस रही थी| पापा ने बरी-बरी माँ की दोनों चुचियो को खूब चूसा|माँ भी अपने दोनों हाथो से पापा के सर को अपने चुचियो पर दबा रही थी| पापा अब धीरे धीरे निचे जाने लगे| पापा अब माँ के गोर चिकने पेट को चूम और चाट रहे थे लेकिन उनके दोनों हाथ माँ की चुचियो को मसल रहे थे|
पापा की जीभ माँ के नाभि के चारो तरफ घूम रही थी और फिर पापा माँ की नाभि को चूमने लगे वो नाभि में अपना जीभ भी घुसा रहे थे|माँ सिस्करिया ले रही थी| दोनों की सांसे भी तेज़ हो गयी थी| जब भी माँ साँस लेती थी तो उनकी चुचियो किसी पहाड़ सी ऊपर उठ जाती थी साँस छोडती ही थोडा निचे.. फिर ऊपर- निचे ऊपर – निचे ऐसे ही उनकी चुचिया उठती रही.पापा अब थोडा और निचे चले गये और माँ ने अपने पैरो को फैला दिया| पापा का मुंह माँ के छुट पर था और दोनों हाथ माके कमर पर| माँ की चूत एकदम चिकनी थी| उनकी चाँद की रौशनी में और भी सुन्दर लग रही थी| और उस सुन्दर सी चूत जिससे की मैं निकला था पापा उसी चूत को मेरे सामने ही चाट रहे थे| ऐसा लग रहा था की वो अपनी जीभ को छुट में घुसा देंगे| कुछ देर ऐसे ही अपनी चूत चटवाने के बाद माँ पापा के सर को अपने हाथो से चूत पर दबाने लगी.माँ अपनी कमर धीरे धीरे उठा रही थी|जैसे वो चाहती है की पापा उनकी चूत को खा जाये| और कुछ ही देर में माँ शांत पड़ गयी शायद वो एक बार झड गयी थी लेकिन पापा अभी भी उनकी चूत चाट रहे थे|फिर माँ उठ कर बेड पर बैठ गयी और पापा की लुंगी को उतर दिया|
loading…
पापा भी आ गये वो भी मुझे चुप करने लगे| माँ मुझे अपने बेडरूम में लेकर गयी और अपने साथ सुला लिया|पापा बोल रहे थे माँ को बिच में सोने के लिए लेकिन मैंने मन कर दिया मैं बोला की मैं सोऊंगा बिच में फिर पापा कुछ नही बोले और मैं सो गया| सुबह उठा तो देखा मैं किनारे में सो रहा हु और माँ के तरफ पापा सो रहे थे|मुझे लगा शायद शबह में उठे होंगे तो उधर जा कर सोगये|अब मैं रोज माँ के साथ ही सोता था और रोज मैं सोता था बिच में लेकिन सुबह में जब नींद खुल तो किनारे पर सोया होता था| मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था आखिर कैसे मैं किनारे पर आ जा रहा हूँ|मैंने एक दिन माँ से पूछ लिया की क्यों मैं सुबह में किनारे में आ जाता हूँ|माँ ने बोला की अपने पापा से पूछ लो वही तुम्हे किनारे करते है|मैंने पापा से पूछा तो वो बोले बीटा तुम्हरी माँ को भी रत में डर लगता है इसी लिए मैं उनके पास चला जाता हूँ सोने के लिए|माँ उनकी ये बात सुन के पापा को देख कर मुस्कुराने लगी|माँ बोली की हां बेटा मुझे डर लगता है रात में|
इसलिए पापा मेरे पास आ जाते है और मुझे पकड़ कर मेरी साडी डर को दूर कर देते है|मुझे कुछ नही समझ में आ रहा था की ये लोग क्या बोल रहे थे एक दुसरे के आँखों में देख कर रात में मुझे सोते ही लगा जैसे मुझे कोई उठा कर साइड में कर रहा है|मुझे लगा की पापा ही होंगे|मेरी नींद टूट गयी थी फिर भी मैं वैसे ही सोता रहा| मेरे चेहरा माँ इ तरफ था लेकिन मेरी आंखे बंद थी| पापा और माँ धीरे धीरे बात कर रहे थे तो मेरी नींद पूरी तरह से टूट चुकी थी| मैं अपने आँखों को थोडा सा खोल के देखा तो माके नाईटी में पापा का एक हाथ घुसा था और वो माँ की एक चूची को दबा रहे थे| खिड़की से चाँद की रौशनी आ रही थी तो मुझे सब कुछ साफ दिखाई दे रहा था| पापा ने तो सिर्फ लुंगी पहना हुआ था| माँ के होंठो को पापा चूस रहे थे| मैं ये सब देख रहा था बड़े शांत होकर क्युकी गाँव में तो पापा को ऐसा सब कुछ बड़ी माँ के साथ देख चूका था|माँ के होंठो को करीब 5 मिनट तक चूसने के बाद पापा उनकी नाईटी उतर दिए|मेरी माँ बिकुल नंगी थी अंडर उन्होंने कुछ भी नही पहना था| पापा माँ के चूची को चुकने लगे और अपने अंगूठा माँ के मुंह में डाल दिया जिसे माँ भी चूस रही थी| पापा ने बरी-बरी माँ की दोनों चुचियो को खूब चूसा|माँ भी अपने दोनों हाथो से पापा के सर को अपने चुचियो पर दबा रही थी| पापा अब धीरे धीरे निचे जाने लगे| पापा अब माँ के गोर चिकने पेट को चूम और चाट रहे थे लेकिन उनके दोनों हाथ माँ की चुचियो को मसल रहे थे|
पापा की जीभ माँ के नाभि के चारो तरफ घूम रही थी और फिर पापा माँ की नाभि को चूमने लगे वो नाभि में अपना जीभ भी घुसा रहे थे|माँ सिस्करिया ले रही थी| दोनों की सांसे भी तेज़ हो गयी थी| जब भी माँ साँस लेती थी तो उनकी चुचियो किसी पहाड़ सी ऊपर उठ जाती थी साँस छोडती ही थोडा निचे.. फिर ऊपर- निचे ऊपर – निचे ऐसे ही उनकी चुचिया उठती रही.पापा अब थोडा और निचे चले गये और माँ ने अपने पैरो को फैला दिया| पापा का मुंह माँ के छुट पर था और दोनों हाथ माके कमर पर| माँ की चूत एकदम चिकनी थी| उनकी चाँद की रौशनी में और भी सुन्दर लग रही थी| और उस सुन्दर सी चूत जिससे की मैं निकला था पापा उसी चूत को मेरे सामने ही चाट रहे थे| ऐसा लग रहा था की वो अपनी जीभ को छुट में घुसा देंगे| कुछ देर ऐसे ही अपनी चूत चटवाने के बाद माँ पापा के सर को अपने हाथो से चूत पर दबाने लगी.माँ अपनी कमर धीरे धीरे उठा रही थी|जैसे वो चाहती है की पापा उनकी चूत को खा जाये| और कुछ ही देर में माँ शांत पड़ गयी शायद वो एक बार झड गयी थी लेकिन पापा अभी भी उनकी चूत चाट रहे थे|फिर माँ उठ कर बेड पर बैठ गयी और पापा की लुंगी को उतर दिया|