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मस्त मेनका पार्ट--1
आज राजपुरा गाओं के राजा यशवीर सिंग का महल दुल्हन की तरह सज़ा हुई है & क्यू ना सजता, आज राजा साहब का बेटा विश्वजीत शादी करने के बाद अपनी नयी-नवेली दुल्हन को लेकर आया था.राजा साहब के घर मे अरसे बाद खुशियों ने कदम रखा था वरना पिच्छले दो सालों मे तो उन्हे बस दुख ही देखने को मिले थे.
मेहमानों की भीड़ हवेली के बड़े से बाग मे दूल्हा-दुल्हन को बधाई दे रही थी & पार्टी का लुत्फ़ उठा रही थी.राजा साहब ने मेहमानों की खातिर मे कोई कसर नही छ्चोड़ी थी.
जब तक राजा साहब मेहमानों की खातिर करते हैं,आइए तब तक हम उनके बारे मे तफ़सील से जान लेते हैं.राजा साहब अपने पिता की एकलौती औलाद थे.उनके पिता पूरे राजपुरा के मलिक थे.उन्होने राजा साहब को विदेश मे तालीम दिलवाई पर हुमेशा से 1 बात उन्होने यशवीर सिंग के दिमाग़ मे डाली कि चाहे कुच्छ भी हो जाए रहना उन्हे राजपुरा मे अपनी जनता के बीच मे ही रहना होगा.पर फिर रजवाड़ों का चलन ख़तम हो गया तो बाप-बेटे ने बड़ी होशियारी से अपने को बिज़्नेस्मेन मे तब्दील कर लिया.जहा कई राजाओं की हालत आम आदमियो से भी बदतर हो गई वोही राजा साहब & उनके पिता ने अपनी पोज़िशन और भी मज़बूत कर ली.
गाओं मे गन्ने की खेती होती थी तो राजा साहब ने शुगर मिल लगा दी & गाओं वालों को उसमे रोज़गार दे दिया.उनकी ज़मीन पे बड़े जंगल थे तो 1 पेपर मिल भी स्टार्ट कर दी,वाहा भी गाओं वाले ही काम करते थे.खेतों मे तो वो पहले से ही लगे हुए थे.
इस तरह पिता की मौत के बाद राजा यशवीर राजपुरा के बेताज बादशाह बन गये.लोकल एमलए & एंपी भी उनके आगे हाथ जोड़े खड़े रहते थे.वक़्त के साथ-2 राजा साहब करीब 15 मिल्स के मलिक बन गये.
राजा साहब का विवाह 1 बड़ी ही धर्म परायण महिला सरिता देवी से हुआ.राजा साहब व्यभिचारी तो नही थे फिर भी आम मर्दों की तरह सेक्स मे काफ़ी दिलचस्पी रखते थे,पर पत्नी के लिए चुदाई बस वंश बढ़ने का ज़रिया था और कुच्छ नही.इसलिए राजा साहब अपने शौक शहर मे पूरे करते थे.पर उन्होने अपनी पत्नी को कभी इसकी भनक भी नही लगने दी ना ही उन शहरी रांडों से कोई बहुत गहरा संबंध बनाया.वो तो बस उनके कुच्छ शौक पूरे करती थी जो उनकी पत्नी नही करती थी.अगर रानी साहिबा राजा साहब की इच्छायें पूरी करती तो राजा साहब कभी किसी और औरत के पास नही जाते.राजा साहेब अपने गाओं के किसी औरत को भी गंदी दृष्टि से नही देखते थे.
पर इस अच्छे इंसान को पहला बड़ा झटका उपरवाले ने आज से 2 साल पहले दिया.राजा साहब का बड़ा बेटा यूधवीर 1 कार आक्सिडेंट मे मारा गया.लोग कहते हैं कि वो आक्सिडेंट नही बलकी मर्डर था-किसी ने यूधवीर की कार के साथ च्छेदखानी की थी.खैर इस बारे मे हम कहानी मे आयेज बात करेंगे.बेटे की मौत का सदमा रानी सरिता देवी सह नही पाई और उसका नाम ले-2 कर भगवान को प्यारी हो गयी.यह सब 1 साल के भीतर-2 घटनाए घट गई.उस समय विश्वजीत विदेश से पढ़ाई करके लौटा था & आते ही उसे पिता का सहारा बनना पड़ा.
ऐसा नही है कि राजपुरा मे राजा साहब का एकच्छात्रा राज्य है.जब्बार सिंग नाम का एक ठाकुर बहुत दिनों से उनसे उलझता आ रहा है.लोग तो कहते हैं केयूधवीर की मौत मे उसी का हाथ था.जब्बार राजा साहब के दबाव को ख़तम कर खुद राजपुरा का बेताज बादशाह बनाना चाहता है.पर राजा साहब ने अभी तक उसके मन की होने नही दी है.
चलिए अब वापस चलते हैं महल को.
अरे ये क्या!पार्टी तो ख़तम हो गयी...सारे मेहमान भी चले गये. नौकर-नौकरानी भी महल के कॉंपाउंड मे ही बने अपने कमरों मे चले गये हैं.रात के खाने के बाद महल के अंदर केवल राजा साहब & उनके परिवार एवं खास मेहमानों को ही रहने का हुक्म है.
पर मैं आपको महल के अंदर ले चलता हूँ,सीधे विश्वजीत के कमरे क्यूकी अब मेनका से मिलने का वक़्त आ गया है.
मेनका-विश्वजीत की दुल्हन, नाम के जैसे ही बला की खूबसूरत...गोरा रंग,खड़ी नाक बड़ी-2 काली आँखें, कद 5'5" ...मस्त फिगर की मल्लिका.बड़े लेकिन बिल्कुल टाइट चुचियों & गांद की मालकिन. मेनका 1 बहुत कॉन्फिडेंट लड़की है जो कि अपने मन की बात सॉफ-2 लेकिन शालीनता से कहने मे बिल्कुल नही हिचकति.
मेनका सुहाग सेज पे सजी-धजी बैठी अपने पति का इंतेज़ार कर रही है.ये लीजिए वो भी आ गया.
मेनका & विश्वजीत शादी के पहले कई बार 1 दूसरे से मिले थे सो अजनबी तो नही थे पर अभी इतने करीबी भी नही हुए थे.विश्वा ने 4-5 बार उसके गुलाबी रसीले होठों को चूमा था...उसके नशीले कसे बदन को अपनी बाहों मे भरा था पर इससे ज़्यादा मेनका कुच्छ करने नही देती थी...पर आज तो वो सोच कर आया था कि उसे पूरी तरह से अपनी बना के रहेगा.
विश्वा पलंग पे मेनका के पास आकर बैठ गया.
"शादी मुबारक हो,दुल्हन",कह के उसने मेनका का गाल चूम लिया.
"मुबारकबाद देने का ये कौन सा तरीका है?",मेनका बनावटी नाराज़गी से बोली.
"अरे,मेरी जान.ये तो शुरूआर् है,पूरी मुबारका बाद देने मे तो हम रात निकाल देंगे".कह के उसने मेनका को बाहों मे भर लिया & उसे बेतहाशा चूमने लगा..गालों पे माथे पे .उसकी लंबी सुरहिदार गर्दन पे.उसके होठों को चूमते हुए वो उनपर अपनी जीभ फिराने लगा & उसे उसके मुँह मे डालने की कोशिश करने लगा.
मेनका इतनी जल्दी इतने तेज़ हमले से चौंक & घबरा गई & अपने को उससे अलग करने की कोशिश करने लगी.
"क्या हुआ जान?अब कैसी शरम!चलो अब और मत तद्पाओ",विश्वा उसके होठों को आज़ाद लेकिन बाहो की गिर्सफ़्त और मज़बूत करते हुए बोला.
"इतनी जल्दी क्या है?"
"मैं अब और इंतेज़ार नही कर सकता,मेनका.प्लीज़..."कहके वो फिर अपनी पत्नी को चूमने लगा.
पर इस बार जुंगली की तरह नही बल्कि आराम से थोड़ा धीरे-2.
थोड़ी ही देर मे मेनका ने अपने होठ खोल दिए & विश्वा ने अपनी जीभ उसके मुँह मे दाखिल करा दी और उसे बिस्तर पे लिटा दिया..उसकी बाहें अभी भी मेनका को कसे हुए थी & उसकी जीभ मेनका की जीभ के साथ खेल रही थी.उसका सीना मेनका की चूचियो को दबा रहा था & दाईं टाँग उसकी टाँगों के उपर थी..
थोड़ी देर ऐसे ही चूमने के बाद वो अपने हाथ आगे ले आया और ब्लाउस के उपर से ही अपनी बीवी की चूचिया दबाने लगा ...फिर उसने अपने होत उसके क्लीवेज पर रख दिए...मेनका की साँसें भारी हो गयी..धीरे-2 वो भी गरम हो रही थी.
पर विश्वजीत बहुत बेसबरा था और उसने जल्दी से मेनका का ब्लाउस खोल दिया & फिर रेड ब्रा मे क़ैद उसकी चूचियों पर टूट पड़ा....मेनका की नही-2 का उसके उपर कोई असर नही था.
आज राजपुरा गाओं के राजा यशवीर सिंग का महल दुल्हन की तरह सज़ा हुई है & क्यू ना सजता, आज राजा साहब का बेटा विश्वजीत शादी करने के बाद अपनी नयी-नवेली दुल्हन को लेकर आया था.राजा साहब के घर मे अरसे बाद खुशियों ने कदम रखा था वरना पिच्छले दो सालों मे तो उन्हे बस दुख ही देखने को मिले थे.
मेहमानों की भीड़ हवेली के बड़े से बाग मे दूल्हा-दुल्हन को बधाई दे रही थी & पार्टी का लुत्फ़ उठा रही थी.राजा साहब ने मेहमानों की खातिर मे कोई कसर नही छ्चोड़ी थी.
जब तक राजा साहब मेहमानों की खातिर करते हैं,आइए तब तक हम उनके बारे मे तफ़सील से जान लेते हैं.राजा साहब अपने पिता की एकलौती औलाद थे.उनके पिता पूरे राजपुरा के मलिक थे.उन्होने राजा साहब को विदेश मे तालीम दिलवाई पर हुमेशा से 1 बात उन्होने यशवीर सिंग के दिमाग़ मे डाली कि चाहे कुच्छ भी हो जाए रहना उन्हे राजपुरा मे अपनी जनता के बीच मे ही रहना होगा.पर फिर रजवाड़ों का चलन ख़तम हो गया तो बाप-बेटे ने बड़ी होशियारी से अपने को बिज़्नेस्मेन मे तब्दील कर लिया.जहा कई राजाओं की हालत आम आदमियो से भी बदतर हो गई वोही राजा साहब & उनके पिता ने अपनी पोज़िशन और भी मज़बूत कर ली.
गाओं मे गन्ने की खेती होती थी तो राजा साहब ने शुगर मिल लगा दी & गाओं वालों को उसमे रोज़गार दे दिया.उनकी ज़मीन पे बड़े जंगल थे तो 1 पेपर मिल भी स्टार्ट कर दी,वाहा भी गाओं वाले ही काम करते थे.खेतों मे तो वो पहले से ही लगे हुए थे.
इस तरह पिता की मौत के बाद राजा यशवीर राजपुरा के बेताज बादशाह बन गये.लोकल एमलए & एंपी भी उनके आगे हाथ जोड़े खड़े रहते थे.वक़्त के साथ-2 राजा साहब करीब 15 मिल्स के मलिक बन गये.
राजा साहब का विवाह 1 बड़ी ही धर्म परायण महिला सरिता देवी से हुआ.राजा साहब व्यभिचारी तो नही थे फिर भी आम मर्दों की तरह सेक्स मे काफ़ी दिलचस्पी रखते थे,पर पत्नी के लिए चुदाई बस वंश बढ़ने का ज़रिया था और कुच्छ नही.इसलिए राजा साहब अपने शौक शहर मे पूरे करते थे.पर उन्होने अपनी पत्नी को कभी इसकी भनक भी नही लगने दी ना ही उन शहरी रांडों से कोई बहुत गहरा संबंध बनाया.वो तो बस उनके कुच्छ शौक पूरे करती थी जो उनकी पत्नी नही करती थी.अगर रानी साहिबा राजा साहब की इच्छायें पूरी करती तो राजा साहब कभी किसी और औरत के पास नही जाते.राजा साहेब अपने गाओं के किसी औरत को भी गंदी दृष्टि से नही देखते थे.
पर इस अच्छे इंसान को पहला बड़ा झटका उपरवाले ने आज से 2 साल पहले दिया.राजा साहब का बड़ा बेटा यूधवीर 1 कार आक्सिडेंट मे मारा गया.लोग कहते हैं कि वो आक्सिडेंट नही बलकी मर्डर था-किसी ने यूधवीर की कार के साथ च्छेदखानी की थी.खैर इस बारे मे हम कहानी मे आयेज बात करेंगे.बेटे की मौत का सदमा रानी सरिता देवी सह नही पाई और उसका नाम ले-2 कर भगवान को प्यारी हो गयी.यह सब 1 साल के भीतर-2 घटनाए घट गई.उस समय विश्वजीत विदेश से पढ़ाई करके लौटा था & आते ही उसे पिता का सहारा बनना पड़ा.
ऐसा नही है कि राजपुरा मे राजा साहब का एकच्छात्रा राज्य है.जब्बार सिंग नाम का एक ठाकुर बहुत दिनों से उनसे उलझता आ रहा है.लोग तो कहते हैं केयूधवीर की मौत मे उसी का हाथ था.जब्बार राजा साहब के दबाव को ख़तम कर खुद राजपुरा का बेताज बादशाह बनाना चाहता है.पर राजा साहब ने अभी तक उसके मन की होने नही दी है.
चलिए अब वापस चलते हैं महल को.
अरे ये क्या!पार्टी तो ख़तम हो गयी...सारे मेहमान भी चले गये. नौकर-नौकरानी भी महल के कॉंपाउंड मे ही बने अपने कमरों मे चले गये हैं.रात के खाने के बाद महल के अंदर केवल राजा साहब & उनके परिवार एवं खास मेहमानों को ही रहने का हुक्म है.
पर मैं आपको महल के अंदर ले चलता हूँ,सीधे विश्वजीत के कमरे क्यूकी अब मेनका से मिलने का वक़्त आ गया है.
मेनका-विश्वजीत की दुल्हन, नाम के जैसे ही बला की खूबसूरत...गोरा रंग,खड़ी नाक बड़ी-2 काली आँखें, कद 5'5" ...मस्त फिगर की मल्लिका.बड़े लेकिन बिल्कुल टाइट चुचियों & गांद की मालकिन. मेनका 1 बहुत कॉन्फिडेंट लड़की है जो कि अपने मन की बात सॉफ-2 लेकिन शालीनता से कहने मे बिल्कुल नही हिचकति.
मेनका सुहाग सेज पे सजी-धजी बैठी अपने पति का इंतेज़ार कर रही है.ये लीजिए वो भी आ गया.
मेनका & विश्वजीत शादी के पहले कई बार 1 दूसरे से मिले थे सो अजनबी तो नही थे पर अभी इतने करीबी भी नही हुए थे.विश्वा ने 4-5 बार उसके गुलाबी रसीले होठों को चूमा था...उसके नशीले कसे बदन को अपनी बाहों मे भरा था पर इससे ज़्यादा मेनका कुच्छ करने नही देती थी...पर आज तो वो सोच कर आया था कि उसे पूरी तरह से अपनी बना के रहेगा.
विश्वा पलंग पे मेनका के पास आकर बैठ गया.
"शादी मुबारक हो,दुल्हन",कह के उसने मेनका का गाल चूम लिया.
"मुबारकबाद देने का ये कौन सा तरीका है?",मेनका बनावटी नाराज़गी से बोली.
"अरे,मेरी जान.ये तो शुरूआर् है,पूरी मुबारका बाद देने मे तो हम रात निकाल देंगे".कह के उसने मेनका को बाहों मे भर लिया & उसे बेतहाशा चूमने लगा..गालों पे माथे पे .उसकी लंबी सुरहिदार गर्दन पे.उसके होठों को चूमते हुए वो उनपर अपनी जीभ फिराने लगा & उसे उसके मुँह मे डालने की कोशिश करने लगा.
मेनका इतनी जल्दी इतने तेज़ हमले से चौंक & घबरा गई & अपने को उससे अलग करने की कोशिश करने लगी.
"क्या हुआ जान?अब कैसी शरम!चलो अब और मत तद्पाओ",विश्वा उसके होठों को आज़ाद लेकिन बाहो की गिर्सफ़्त और मज़बूत करते हुए बोला.
"इतनी जल्दी क्या है?"
"मैं अब और इंतेज़ार नही कर सकता,मेनका.प्लीज़..."कहके वो फिर अपनी पत्नी को चूमने लगा.
पर इस बार जुंगली की तरह नही बल्कि आराम से थोड़ा धीरे-2.
थोड़ी ही देर मे मेनका ने अपने होठ खोल दिए & विश्वा ने अपनी जीभ उसके मुँह मे दाखिल करा दी और उसे बिस्तर पे लिटा दिया..उसकी बाहें अभी भी मेनका को कसे हुए थी & उसकी जीभ मेनका की जीभ के साथ खेल रही थी.उसका सीना मेनका की चूचियो को दबा रहा था & दाईं टाँग उसकी टाँगों के उपर थी..
थोड़ी देर ऐसे ही चूमने के बाद वो अपने हाथ आगे ले आया और ब्लाउस के उपर से ही अपनी बीवी की चूचिया दबाने लगा ...फिर उसने अपने होत उसके क्लीवेज पर रख दिए...मेनका की साँसें भारी हो गयी..धीरे-2 वो भी गरम हो रही थी.
पर विश्वजीत बहुत बेसबरा था और उसने जल्दी से मेनका का ब्लाउस खोल दिया & फिर रेड ब्रा मे क़ैद उसकी चूचियों पर टूट पड़ा....मेनका की नही-2 का उसके उपर कोई असर नही था.