Erotica मेरी चार ममिया

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ठंडी ठंडी हवा मेरे चेहरे को छू कर बह रही थी. मेने जब

अपनी नानी के घर मे कदम रखा तो मेरा मन मचल रहा था. में

कई सालों के बाद अपनी नानी के घर आ रहा था. मेरी नानी पंजाब

एक छोटे गाओं मे रहती थी.

मेरा नाम राज है, उमरा 20 साल लंबाई 5'9इंच है. मेने हाल ही मे

अपना ग्रॅजुयेशन पूरा किया और छुट्टियाँ बिताने मेरी नानी के घर

पहुँच गया.

मेरे पाँच मामा है. मेरे चार मामा साथ मे ही अपने परिवार के साथ

नानी के घर मे रहते है और मेरे पाँचवे मामा जिनकी अभी अभी

शादी हुई है दूसरे सहर मे रहते है.

मारी चारों ममियाँ इतनी सुंदर तो नही है पर फिर भी काफ़ी अच्छी

लगती है. मेरी चारों ममिया उम्र मे काफ़ी पुरानी नही है. सभी की शादी

एक साल के अंतराल मे अभी अभी हुई है. सबसे बड़ी मामी 25 साल की

है मुझसे ठीक 5 साल बड़ी, और सबसे छोटी मामी मुझसे एक साल

बड़ी है.

में आपको मेरी सभी मामी से परिचय करवा दूं. सबसे बड़ी अनिता

25 साल की, कंगन 24 साल, तीसरी सिमरन 22 साल की और सबसे छोटी

मोना 21 साल की.

सभी मामा के अपने अपने मकान थे. उन सभी के घर पास पास थे.

में 5 साल के बाद अपनी नानी के गाओं जा रहा था, इसलिए में उनके

लिए नया था. चारों ममिया अपने अपने तरीके से मुझे खुश रखने

की कोशिस करती रही. में दो दिन किसी के यहाँ रहता तो दो दिन किसी

के यहाँ. सुबकुछ ठीक चल रहा था.

एक दिन की बात है जब में कंगन मामी के यहाँ ठहरा हुआ था

सुबह में थोड़ी देर से सोकर उठा. ममाजी काम पर चले गये थे

और उनकी तीन साल की लड़की सो रही थी. मामी को जिस अवस्था में

मेने देखा वो देख कर मेरे शरीर मे सरसरी सी दौड़ गयी. वैसे

गाओं की औरतें घर के काम करते वक़्त अपनी सारी को उपर कर बाँध

लेती है ताकि वो गीली या गंदी ना हो. कंगन मामी ने भी अपनी

सारी को घूटनो के उपर कर रखी थी और उनकी आधी जंघे सॉफ

दीखाई दे रही थी. वो झुक कर कमरे मे झाड़ू लगा रही थी. उनके

ढीले ढाले ब्लाउस से उनकी चुचियाँ सॉफ फुदक्ति नज़र आ रही

थी.

"गुड मॉर्निंग, राज कितना सोते हो? घड़ी देखी टाइम क्या टाइम हुआ है.

अब जल्दी से जाकर नहा लो नाश्ता तय्यार है." ममीज़ी ने कहा.

"ममाजी कहाँ है?" मेने पूछा.

"वो तो सुबह ही काम पर चले गये थे. और वो तो रात को लेट आने

की कह गये है." मामी के शब्दों मे थोड़ी खिज थी मामा के देर

से आने की.

मेने बाथरूम मे जाकर स्नान किया और फिर नाश्ता करने के बाद सोफे

पर बैठ टी.वी पर ह्बो देखने लगा. कंगन मामी किचन की सफाई कर

रही ती. तभी मामीजी ने मुझे आवाज़ डी.

में किचन मे आया तो देखा कि मामीजी उपर की शेल्फ से कुछ

उतारने की कोशिश कर रही है. उनका पूरा शरीर पसीने से भीगा

हुआ था. चेहरे पर भी पसीने की बूंदे सॉफ दीख रही थी.

पहले में आपको कंगन मामी के बारे मे बता दूं. मामी का रंग

काफ़ी गोरा है पर लंबाई मुझसे काफ़ी कम है. मेरी हाइट जहाँ 5'9

है वहीं उनकी 5'4 है. उनका शरीर एकदम दूधिया रंग का है काफ़ी

चिकना और बालों रहित.

जब पहली बार मुझे मामी कह कर उनसे मिलाया गया था तो में चौंक

पड़ा था. मामी मामा के मुक़ाबले पतली और छोटी थी. गोल चेहरा,

नीली आँखे और पतले पतले गुलाबी होंठ. उनकी चुचियाँ काफ़ी बड़ी

तो नही पर भारी भारी है. उनके ब्लाउस मे वो पूरी नही समाती और

जब भी वो अपने हाथ उठती तो ऐसा लगता कि अभी उछल कर बाहर को

आ जाएँगी.

"क्या तुम मुझे थोड़ा उप्पर को उठा दोगे ताकि में ये आटे का डिब्बा

उतार सकूँ." कंगन मामी ने कहा.

कंगन मामी की बात सुनकर में चौंक पड़ा. हमारी भारतिया

सभ्यता मे कोई भी औरत किसी पराए मर्द को अपने बदन को हाथ तक

लगाने नही देती और यहाँ मेरी मामी मुझे उसे अपनी गोद मे उठाने

को कह रही है.

"राज.....क्या सोच रहे हो? जल्दी से मुझे कमर से पकड़ कर उठाओ,

पर मेरा वजन तो संभाल लोगे ने." मामी ने कहा.

"वैसा कितना वजन है आपका?" मेने मुस्कुराते हुए पूछा.

"डरो मत 50 किलो से ज़्यादा नही है." मामी ने भी मुस्कुराते हुए

जवाब दिया.

"तब ठीक है, संभाल लूँगा." इतना कहकर मेने उनकी सारी

से धकि जाँघो से पकड़ा और और उन्हे उपर उठा लिया. 'हे भगवान'

उनके बदन से उठती महक पा तो मेरे हाथ काँपने लगे.

अचानक मेरे हाथ काँपे और फिसल गये लेकिन मेने अपने आपको

तूरंत संभाला और फिर उन्हे पकड़ लिया किंतु जाँघो से नही बल्कि

मेरा हाथ उनकी जाँघो के बीच था.

जैसे ही मेर
 
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ा हाथ उनकी चूत पर उनकी जाँघो के बीच छुआ मामी ने

घबरा कर आटे का डिब्बा छोड़ दिया. डिब्बे का ढक्कन खुल गया और

सारा आटा मेरे और मामीजी के उपर गिर गया. हम दोनो तो आटे

से नहा गये. मेने मामीजी को छोड़ दिया और वो अपने पावं पर ज़मीन

पर खड़ी हो गयी.

जब हम दोनो ने एक दूसरे को इस हालात मे देखा तो दोनो ही हँसने

लगे.

"प्लीज़ माफ़ कर देना राज मेने जान बुझ कर नही किया." मामी

मुझसे कह रही थी. "ये सब मेरी ही ग़लती है, लाओ में खुद

तुम्हे सॉफ कर देती हूँ."

इसके पहले कि में कुछ कहता कंगन मामी मेरा हाथ पकड़ मुझे

बाथरूम मे ले गयी. मामी ने पानी की नल खोल दी और मेरी टी-शर्ट

मेरे सर से उपर कर उतार दी. फिर जैसे ही वो मेरी शॉर्ट्स उतारने

लगी में थोड़ा पीछे को खिसक गया.

"अरे....इसमे शरमाने की क्या बात है आख़िर में तुम्हारी मामी

हूँ." कहकर मामी ने मेरा हाथ हटाते हुए मेरी शॉर्ट्स नीचे

खिसका दी. में मामी के सामने सिर्फ़ अंडरवेर पहने खड़ा था.

"अब नहा कर अपने बदन को सॉफ कर लो." मामी ने शवर चालू करते

हुए कहा.

में अपने बदन को पानी से सॉफ कर ही रहा था कि मामी ने

वो किया जो में कभी सोच भी नही सकता. मेरे सामने ही बाथरूम मे

मामी अपने कपड़े उतारने लगी.

मामी ने पहले तो आटे से भरी अपनी सारी झड़काई, फिर अपनी कमर

से निकाल कर उतार दी. लाल रंग के ब्लाउस के नीचे काली ब्रा मे

क़ैद उनकी चुचियाँ मुझे सॉफ दीखाई दे रही थी.

कंगन मामी ने एक कत्थई रंग का पेटिकोट पहन रखा था. मामी ने

एक ही झटके मे पेटिकोट का नाडा खींचा और उसे अपने पैरों मे गिर

जाने दिया. उनकी पॅंटी इतनी टाइट थी कि चूत का बाहरी हिस्सा

दीखाई दे रहा था. फिर उन्होने अपने ब्लाउस के बटन खोल कर

उतार दिया और फिर अपनी ब्रा का हुक खोल उसे भी उतार दिया. अब

उनको दोनो भारी भारी चुचियाँ आज़ाद थी.

उम्म्म क्या भारी भारी चुचियाँ थी मामी की. मामी ने अपनी पॅंटी

नही उतारी और बिना मेरी परवाह करते हुए माग्गे मे पानी भर अपने

शरीर पर डालने लगी.

मेरे दिल की धड़कन तेज हो गयी थी. अपनी 24 वर्षीया कंगन

मामी की इस अर्ध नग्न अवस्था मे देख मेरी ज़ुबान सुख रही थी.

उनकी टेन्निस बाल जैसी दोनो चुचियों तन कर खड़ी थी. निपल की

घुंडी एक दम कत्थई रंग थी. पानी उपर से नीचे होते हुए उनकी

जाँघो और टाँगों पर गिर रहा था. मामी की पॅंटी पूरी तरह भीग

चुकी थी और उनकी काली झाँटे दीख रही थी.

मामी ने अपने एक हाथ मे साबुन लिया और एक कातिल मुस्कान के साथ

मेरी छाती पर सबून मलने लगी. जब वो साबुन घस्ती तो साथ साथ

उनकी चुचियाँ भी किसी घड़ी के पेंडुलम की तरह इधर से उधर

डॅन्स करने लगती. ना तो वो कुछ कह रही थी ना में कुछ कह पा

रहा था.

मेरी छाती पर अच्छी तरह साबुन लगाने के बाद मेरे हाथ मे सबून

देते हुए बोली, "राज ज़रा मेरी पीठ पर साबून लगा दो."

मामी मेरी तरफ पीठ कर के खड़ी हो गयी. उनके दूधिया चूतड़

पॅंटी से एक दम चिपक कर जान लेवा नज़ारा पेश कर रहे थे. में

साबून उनकी पीठ पर घसने लगा.

"म्‍म्म्मम" मामी सिसकने लगी और कहने लगी, "राज थोड़ा साबून नीचे

भी घसो ना."


में अपने हाथ नीचे कर साबून उसकी जाँघो पर मसल्ने लगा.

जाँघो से जैसे ही मेने अपना हाथ उनकी जाँघो के बीच मे डालना

चाहा उन्होने मुझे रोक दिया.

"अभी नही राज." कहकर उन्होने पानी से अपने शरीर को धोया

और खूँटि से तोलिया उठा अपने बदन को पौंच्छने लगी. "जल्दी से

नहा कर बाहर आ जाओ." इतना कह मामी ने अपनी गीली पॅंटी उतार दी

और बाथरूम के कौने मे फैंक दी.

उनके नंगे चूतड़ ग़ज़ब ढा रहे थे. मामी अब पूरी नंगी मेरे

सामने खड़ी थी. जैसे कुछ हुआ ही ना हो वो अपने बालों को टवल से

पौन्छ्ते हुए बाथरूम से बाहर चली गयी.

सहरों की तरह गाओं मे अटॅच्ड बाथरूम नही बना हुआ था.

बाथरूम घर के पीछले हिस्से मे था और मामी का कमरा करीब 15

फीट की दूरी पर था. मामी नंगी ही अपने कमरे की ओर बढ़ गयी.

मामी के चूतडो और पीठ पर पानी की बूंदे किसी मोती की तरह

चमक रही थी. मामी अपने बेडरूम मे घूस गयी और मुझे जल्दी से

बाहर आने को कहा.

मामी के मुड़ते ही मेरी नज़र बाथरूम के कौने मे पड़ी कंगन मामी

की पॅंटी पर पड़ी. मेने पॅंटी को उठाया और सूंघने लगा. भीनी

भीनी चूत की खुसबु उस पॅंटी से आ रही औट में मदहोश होकर

और जोरों से सूंघने लगा. मुझे पता नही में कितनी देर तक ऐसे

ही करता रहा.

"तुम ऐसा ही कुछ करोगे मुझे पता था."

मामी की आवाज़ सुनकर में चौंक गया और झेंप कर पॅंटी नीचे

फैंक दी. मामी एक सफेद रंग की ब्रा और हरे रंग की पॅंटी पहन

बाथरूम के दरवाज़े पर खड़ी थी.

बहुत ध्यान से देखने के
 
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बाद मालूम हुआ कि मामी ने इतने पतले

कपड़े की नाइटी पहन रखी थी यही लगता था कि ब्रा और पॅंटी के

उप्पर कुछ नही पहना हुआ.

इतना कहकर मामी वापस घर मे चली गयी. मेने भी टवल से अपने

बदन को पौंच्छा और एक नयी टी-शर्ट और शॉर्ट पहन ली. में अपने

बालों का पानी टवल से पौंच्छ रहा था कि मामी फिर से मेरे पास

आई.

"राज कुछ नाश्ता करोगे?" मामी ने पूछा.

में तो मामी की सुंदरता और उनके गोरे बदन मे इतना खोया हुआ था

कि मेने कोई जवाब नही दिया.

मुझे खामोश देख मामी ने कहा, "क्या बात है राज, इसके पहले किसी

लड़की या औरत को नंगा नही देखा है क्या?"

"नही" मेने धीरे से कहा."

तो इसका मतलब है तुमने अभी तक किसी को चोदा भी नही है." मामी

ने मुस्कुराते हुए पूछा.

"नही मामीजी" मेने शरमाते हुए कहा.

"घबराओ मत चिंता कोई बात नही है, में तुम्हे सब सीखा

दूँगी." कंगन मामी इतना कह हँसने लगी.

"आप भी मामीजी....." में इतना ही कह पाया.

"इसमे शरमाने वाली क्या बात है राज.....आख़िर में तुम्हारी मामी

हूँ. अगर ज़िंदगी की इतनी ज़रूरी बाते अगर में तुम्हे सीखा

दूँगी तो हर्ज़ ही क्या है. में पहले किचिन का काम ख़त्म कर लूँ

फिर तुम्हे बताउन्गि कि ये सब कैसे होता है." कंगन मामी इतना कह

चली गयी.

मामी की बातें सुन मेरी साँसे तेज हो गयी थी साथ ही पूरे बदन

मे एक नया रोमांच सा भर गया था. अगले एक घंटे तक मे ये सोचता

रहा कि पता नही मामी मुझे क्या क्या और किस तरह सिखाएँगी.

जब कंगन मामी ने अपना रसोई का सारा काम ख़त्म कर लिया तो उन्होने

अपने कमरे से मुझे आवाज़ दी. में उनके कमरे मे पहुँचा.

"आ इधर आ मेरे पास बैठ." मामी पलंग पर अपने बगल की जगह

को थपथपाते हुए कहा.

में जाकर उनके बगल मे बैठ गया

गतान्क से आगे...................................

"राज एक काम करो सबसे पहले अपने सारे कपड़े उतार दो?" मामी ने

कहा.

मामी की बात सुनकर में थोड़ा हिचकिचाने लगा. मामी खुद खड़ी

हुई फिर धीरे धीरे मेरे कपड़े खोलने लगी. आख़िर मे उन्होने मेरी

अंडरवेर को भी नीचे खींच मुझे पूरी तरह नंगा कर दिया.

सिर्फ़ इस ख़याल ने कि में अपनी मामी के सामने नंगा खड़ा हूँ मेरा

लंड तनने लगा. मेरे खड़े लंड को देख कर मामी मुस्कुरई.

"राज जिंदगी मे एक बात हमेशा याद रखना, किसी भी लड़की को

सीधे कभी नही चोद्ना चाहिए, बहोत से चीज़ें हैं जो चुदाई

से पहले की जाती है. शुरुआत पहले उसकी चुचियों को धीरे धीरे

मसल्ने से करनी चाहिए. अगर तुमने किसी लड़की की चुचियों को उसके

कपड़ों के उपर से भी मसाला तो वो उत्तेजित हो जाएगी."

"अब ऐसा करो..... मेरी चुचियों को दबाओ और धीरे से मसलो."

कहकर मामी ने मेरा हाथ अपनी नाइटी से धकि चुचियो पर रख

दिया.

पहले तो मेने हल्की से मामी की चुचि को सहलाया और फिर हौले

हौले दबाने लगा. मामी के मुँह से हल्की सी सिसकी निकल पड़ी...

"आह आह" "मेरी नाइटी के बटन खोल इसे उतार दो." मामी ने

कहा.

मेने मामी की नाइटी के बटन खोल दिए.

"राज एक बात ध्यान रखना लड़की को कभी भी अपने कपड़े खुद मत

उतारने देना. बल्कि तुम खुद उसके कपड़े उतारना. तुम्हे नही मालूम

कपड़े उतारते वक़्त जब मर्द की उंगलियाँ लड़की के बदन को छूती हैं

तो वो जादू कर सकती है." मामी मुझे सीखाते हुए कह रही थी.

मेने पहले मामी की नाइटी उनके कंधों से अलग कर उतार दी. फिर

पीठ के पीछे हाथ ले जा उनकी ब्रा के हुक खोल दिए. ब्रा के स्ट्रॅप्स

को कंधों से अलग कर उसे भी उतार दिया. फिर उनकी पॅंटी के

एलास्टिक मे अपनी उंगलियाँ फँसा उनकी पॅंटी को नीचे खिसका उतार

दिया. मामी अब बिल्कुल नंगी मेरे सामने खड़ी थी.

"अब देख क्या रहे हो खेलो मेरी चुचियों से." कंगन मामी कह

उठी.

में अपने दोनो हाथ उनकी चुचियों पर रखने मसल्ने लगा. फिर

मेरे मन मे क्या आया मेने अपनी गर्दन थोड़ी नीचे झुकाई और उनके

निपल के चारों और अपनी जीभ फिराने लगा. जीभ फिराते फिराते

मेने अपने होठों मे उनके तने हुए निपल लिए और चूसने लगा.

मामी सिसक रही थी, "हां ऐसे ही चूसो उन्हो हाआँ ओह और

ज़ोर से दाँतों मे भींच चूसो ओह हाआँ."

में और जोरों से उनकी चुचियों को चूसने लगा.

"हां ऐसे ही ओह ज़ोर से काटो मेरे निपल को ओह हाआँ मुझे दर्द

होना चाहियों काट डालो मेरी चुचियों को"

मामी की उत्तेजना भरी बाते सुन मेरा लंड तंन कर पूरा खड़ा हो

गया था.

मामी ने मेरे लंड को अपने हाथों मे लिया और मसल्ने लगी. मामी

पीठ के बगल पलंग पर लेटी थी और में में उनके बगल मे लेटा

उनकी चुचियों को चूस रहा था. मामी फिर उठी और उन्होने मुझ
 
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पलंग पर धक्का दे सुला दिया. मामी ने पैरो को फैला खुद बीच

मे आ गयी और झुक कर मेरे खड़े लंड को अपने मुँह मे ले लिया.

मामी अपनी जीभ मेरे लंड पर उपर से नीचे तक फिराती फिर लंड

के सूपदे को अपने मुँह मे ले किसी लॉली पोप की तरह चुस्ती.

थोड़ी देर मेरा लंड चूसने के बाद मामी फिर बिस्तर पर पीठ के

बल लेट गयी और उसने मुझे अपनी टाँगो के बीच आने को कहा.

"राज अब मेरी टाँगो को अपने कंधो पर रख दो."

मेने उनकी टाँगो को उठा अपने कंधो पर टीका दिया. मामी ने अपना

हाथ नीचे कर मेरे लंड को अपनी चूत के मुँह पर रख दिया. में

पहली बार मामी की चूत को इतने करीब से देख रहा था. चूत

काली काली झांतो से घिरी हुई थी.

उनकी चूत की पंखुड़ी काफ़ी फूली और गुलाबी रंग की थी. मामी ने

अपनी दोनो उंगली से चूत की फांको को फैलाया और मेरे लंड को ठीक

बीच मे रखती हुई बोली.

"अब धीरे धीरे अपने लंड को अंदर घुसेडो."

मेने अपने लंड को थोड़ा अंदर घुसाया तो मुझे ऐसा लगा कि किसी

गरम सुराख मे अपना लंड मेने डाल दिया. मामी की चूत काफ़ी गरम

और रसीली थी अंदर से.

"ज़रा ज़ोर से अंदर डालो राज" मामी कराहते हुए बोली.

मेने एक ज़ोर का धक्का लगाया और मेरा लंड मामी की चूत की जड़

तक चला गया.

"ओह आआआ......ओह" मामी सिसक पड़ी. "हां ऐसे ही अब अपने

लंड को जोरों से अंदर बाहर करो." मामी ने मुझे सिखाते हुए

कहा.

में अपने लंड के ज़ोर ज़ोर धक्के मारने लगा. मामी भी अपने चुतताड

उछाल मेरा साथ दे रही थी.

"ऑश हेयेयन ऐसे ही जोरों से चोदो ओह रुकना मत और ज़ोर से

चोदो ऑश राज कितना अछा लंड है तुम्हारा" मामी जोरों से बड़बड़ा

रही थी.

में भी अब मामी की चुचियों को भींचते हुए जोरों से धक्के मार

रहा था. ये मेरा पहला अनुभव था चुदाई का. कमरे मे पंखा चल

रहा था इसके बावजूद मेरा बदन पसीने से भीग गया था.

मामी भी अपने चूतड़ जोरों से उछाल मेरे लंड को और अंदर ले रही

थी.

"ओह राज्ज्जज्ज हाआँ चोदो तुम तो कितनी जल्दी सीख गये हां और

ज़ोर से मारो ओह.मामी ने सिसकते हुए मेरे लंड को अपनी चूत मे और

जाकड़ लिया और फिर ज़ोर से अपने चूतड़ उपर को कर बोली,' राज मेरा

तो छूटने वाला है और ज़ोर से चोदो फाड़ दो मेरी चूत को

ओह"

मेरा भी लंड पानी छोड़ने को तय्यार था मेने ज़ोर का धक्का मारा और

अपने वीर्य की बारिश मामी की चूत मे कर दी. मामी ने भी जोरों से

मुझे बाहों जकड़ते हुए पानी छोड़ दिया. उनका रस और मेरा वीर्य उनकी

चूत से बह कर जांघों तक आ गया था.

मामी ने अपनी बाहों को मेरे गले मे डाली और पहली बार अपने होंठ

मेरे होठों पर रख चूसने लगी. फिर मामी मेरी जीब को अपनी

जीब से मिला चुलबुलाने लगी.

इसी तरह बाहों मे पड़े पड़े कब हम दोनो को नींद आ गयी.

करीब दो घंटे बाद मामी ने मुझे जगाया. मामी बिल्कुल नंगी मेरे

बगल मे लेटी हुई मुझसे चिपकी पड़ी थी. तब पहली बार मुझे अहसास

हुआ कि जो कुछ भी हुआ वो सच्चाई थी सपना नही. मामी बिस्तर से उठी

और नंगी ही किचन की ओर चली गयी. काफ़ी देर तक मुझे किचन

से बर्तन की आवाज़े आती रही.

"राज आओ खाना ख़ालो." मामी ने आवाज़ दी.


मेने बिस्तर के चारों तरफ निगाह घूमाई पर मेरे कपड़े वहाँ नही

थे. में एक टवल अपनी कमर पर लपेट बाहर आ गया.

मेने देखा कि मामी ज़मीन पर बैठ कर खाना लगा रही

थी. मामी इस समय भी बिल्कुल नंगी थी.

"टवल पहनने की क्या ज़रूरत थी." मामी ने कहा.

"मामी आप भी ना......" में शर्मा गया.घर मे नंगे रहने की

आदत डालो, इससे तुम्हारी शरम चली जाएगी. और हां आज के बाद

मुझे मामी मत बुलाना बल्कि कंगन कह कर बुलाना." इतना कहकर

मामी ने मेरा टवल खींच लिया.

में बिल्कुल नंगा मामी के सामने खड़ा था. मामी ने मेरा हाथ पकड़

मुझे नीचे बिठाया और खाना परोसने लगी.

थोड़ी देर मे हम दोनो खाना ख़तम किया. तभी मामी बोल पड़ी, "राज

तुम्हारे ममाजी के आने से पहले क्यों ना एक और राउंड हो जाए."

मामी मेरा हाथ पकड़ मुझे अपने कमरे मे ले गयी. कमरे मे

पहुँचते ही मामी ने मुझे बिस्तर पर धकेला और खुद मुझ पर

चढ़ गयी. मेरी टाँगो के बीच बैठते हुए मामी ने मेरे लंड को

पकड़ा और अपने चूत के मुँह पर लगा मुझ पर बैठती चली गयी.

मेरी टाँगो पर बैठ मामी अपनी चूत मे घुसे मेरे लंड को अड्जस्ट

करने लगी. जब मेरा लंड पूरी तरह उनकी चूत मे समा गया तो वो

उछल उछल कर मुझे चोद्ने लगी.

मामी मुझ पर थोड़ा झुकते हुए बोली, "राज मेरी चुचियों को मस्लो

और अपनी कमर उठा नीचे से धक्को लगाओ."

में मामी की दोनो चुचियों को अपनी मुट्ठी मे भर मसल्ने लगा

साथ ही अपनी कमर को नीचे से उठा अपने लंड को और अंदर तक डाल

देता.

थोड़ी
 
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ही देर मे हमारी ताल से ताल मिलने लगी. मामी जब उपर को उठती

तो में नीचे से अपने लंड को अंदर पेलता और जब मेरी कमर नीचे

को होती तो मामी उपर से नीचे आते हुए मेरे लंड को अपनी चूत के

अंदर तक ले लेती.

थोड़ी ही देर मे हम दोनो ने पानी छोड़ दिया. कंगन मामी मेरे होठों

को चूमते हुए बोली, "तुम बड़ी जल्दी सब कुछ सीख गये राज"

"हां कंगन मामी आपने सिखाया जो इतनी अच्छी तरह से, आपकी चुदाई

करते करते मेरी कल्पनाए तो और बढ़ गयी है."

"मुझे बताओ मैं तुम्हारी हर कल्पना पूरी करूँगी." मामी मेरी छाती

पर हाथ फेरते हुए बोली.

"मेरा तो दिल करता है कि में अपनी चारों मामी को एक साथ चोदु

अगर आप मेरी मदद करें तो." मेने उनकी चुचि को मसल्ते हुए

कहा.

"वाह वाह..... बड़े शैतान हो गये हो, खैर में देखती हूँ में

क्या कर सकती हूँ." मामी ने कहा.

"ओह मामी आप कितनी अच्छी है." मैं मामी को अपनी बाहों मे भर

चूमने लगा.

"चलो तुम्हे प्यार करना का एक और गुर सिखाती हूँ." इतना कहकर

मामी ने अपनी पोज़िशन बदली और अपनी टाँगे मेरे चेहरे की ओर कर

दी. "राज अब मेरी चूत को चूसो और अपनी जीभ को मेरी चूत मे इस

तरह अंदर बाहर करो जैसे कि लंड को करते हो." इतना कहकर

कंगन ने मेरे लंड को अपने मुँह मे ले चूसने लगी.

मेने मामी की चूत को थोड़ा फैलाया और अपनी मुँह मे भर चूसने

लगा. में अपनी जीभ को नुकीली कर उनकी चूत के अंदर घूमाने

लगा.

"हां ऐसी ही चूसो ओह हां और होर से चूसो." कंगन

सिसकते हुए अपनी चूत को और मेरे मुँह पर दबा रही थी.

मेरे लंड को मामी जोरों से चूस रही थी. "राज मेरा छूटने वाला

है, अपना मुँह मत हटाना बल्कि मेरे रस को पी जाना."

मामी मेरे लंड को जोरों से चूसने लगी. मेरी नसों मे तनाव बढ़ने

लगा मेने अपनी कमर थोड़ा उँचा कर अपने लंड को मामी के गले तक

अंदर कर अपना पानी छोड़ दिया. साथ ही मामी के चूत ने भी पानी

छोड़ा और में उनके रस को पीने लगा.

पूरा दिन कंगन मामी के साथ की चुदाई ने मुझे थका डाला था.

में गहरी नींद सो गया और रात को खाने के समय ही उठा.

मामाजी काम पर से आ चुके थे. में ममाजी के साथ खाना खाने

बैठा तो मामी चंचल मुस्कुराहट से मुझे देखती रही थी.

देर रात को सोने से पहले मुझे जोरों से पेशाब लगी तो में घर के

आँगन मे पेशाब करने गया तो देखा कि कंगन मामी वहाँ नाल के पास

बैठी बर्तन धो रही थी.

कंगन ने जब मुझे आते देखा तो अपनी सारी को उपर तक चढ़ा ली

जिससे उनके चूतड़ और चूत दोनो मुझे दिखाई देने लगी. मामी को इस

तरह नंगा देख मेरा लंड फिर से तन कर खड़ा हो गया.

में अपने लंड को पॅंट के बाहर निकाल मसल्ने लगा. मुझे लंड

मसल्ते देख मामी धीरे से बोली, "राज अपने कीमती वीर्य को ज़मीन

पर मत गिराना बल्कि मेरे चेहरे को इससे नहला दो."

मामी के करीब आया और उनके चेहरे के सामने लंड को जोरों से

मसल्ने लगा. जैसे ही मेरा पानी छूटा मामी ने अपना मुँह खोल मेरे

लंड की पिचकारी अपने मुँह मे ले ली. में उनके चेहरे पर वीर्य की

धार छोड़ रहा था और मामी मज़े लेकर उसे चाट रही थी.

में वापस अपने कमरे मे आया और सोचने लगा कि मामी वाकई मे बड़ी

चुदास है. अपनी मामियों के बारे मे सोचते सोचते कब मुझे नींद

आ गयी पता नही.

दो औरतों के बात करने की आवाज़ ने मुझे जगाया. एक कंगन मामी की

आवाज़ थी और दूसरी मेरी बड़ी मामी अनिता थी. अनिता मामी अपनी

तीन महीने की बच्ची के साथ कंगन मामी के घर आई थी. मेने

देखा कि अनिता मामी की चुचियों दूध की वजह से काफ़ी भर भारी

थी और डेलिवरी के बाद उनका पूरा बदन काफ़ी गुलाबी हो गया था.

मेने नहा कर नाश्ता किया और जब हॉल मे आया तो देखा कि कंगन

मामी अनिता मामी से कुछ कह रही है और वो इनकार कर रही थी.

"कंगन मामी क्या कह रही हो अनिता मामी से?" मेने पूछा.

"कुछ नही......" कहकर कंगन ने मुझे आँख मार दी.

फिर भी मेने कंगन मामी को अनिता मामी के कान मे फुसफुसाते सुन

लिया, "अगर तुम करना चाहती हो...... तो डरो मत और आगे बढ़ो."

अनिता मामी उठी और अपनी बच्ची को अपनी गोद मे लीटा लिया. कंगन

मामी ने मुझे इशारे से चुपचाप देखने को कहा.

मेने देखा कि अनिता मामी ने अपनी सारी का पल्लू हटाया और फिर

अपने गुलाबी रंग के ब्लाउस के दो बटन खोल दिए. फिर अपनी एक

चुचि को बाहर निकाल उसके निपल को अपनी बेटी के मुँह से लगा दिया.

मेने देखा कि मामी ने अंदर ब्रा नही पहनी थी. मामी शरम के

मारे मुझसे आँख नही मिला रही थी. वो अपनी बाईं चुचि को भी

बाहर निकाल उसके निपल को मसल्ने लगी.

मामी की भारी भारी चुचियाँ और कत्थई निपल देख मेरा लंड खड़ा

हो गया. मेने अपना हाथ अपने लंड पर रखा और उसे अपनी शॉर्ट्स के

उपर से मसल्ने लगा. कंगन मामी तिर्छि आँख से मुझे देख रही

थी.

क्रमशः........................
 
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गतान्क से आगे...................................

कंगन अनिता के पास आई और इतनी ज़ोर से बोली कि हम तीनो को सुनाई

पड़ सके, "दीदी आप क्यों परेशान हो रही है, आराम से रहो हम

तीन ही तो है यहाँ." कहकर उसने अनिता की सारी का पल्लू हटा दिया

और उनके कंधों की मालिश करने लगी.

अनिता मामी के मुँह से हल्की कराह निकल गयी. कंगन ने उनकी

सारी को हटा दिया और ज़मीन पर गिर जाने दिया. अनिता मामी की दोनो

चुचियों मुझे सॉफ दीखाई दे रही थी. उनकी फूली फूली चूची

देख मन कर रहा था कि में भी उनके निपल को मुँह मे ले बच्ची

की तरह दूध पीने लगूँ.

कंगन मामी ने अनिता मामी के बाई माममे को अपने हाथ मे लिया और

मसल्ने लगी. अनिता मामी सिसक रही थी, "ओह्ह्ह्ह कंगन ओह्ह्ह प्लीज़

ऐसा मत करो......"

"क्यों दीदी क्या आपको अच्छा नही लग रहा....आप नही चाहती कि में

ऐसा करूँ." कंगन ने निपल को मसल्ते हुए पूछा.

"अच्छा तो बहोत लग रहा है कंगन....." अनिता धीरे से बोली.

"तो फिर हम सब दिल मे जो आएगा करेंगे...तुम्हे बहोत मज़ा आएगा

दीदी..." कंगन ने जोरों से निपल को मसल्ते हुए कहा.

कंगन मामी के शब्द सुनकर मैं चौंक उठा. हम का मतलब

था कि में भी. मेरे बदन मे सरसरी सी दौड़ गयी और मेरा लंड

शॉर्ट मे तंबू बनकर तन गया.

"राज थोड़ी मदद करो तो..." कंगन मामी ने बच्ची को अनिता की गोद से

उठाते हुए कहा.

मेने देखा कि बच्ची सो चुकी थी, मेने उसे कंगन के हाथों से

लिया और पालने मे सुला दिया.

अनिता ने मामी खड़ी होकर अपने ब्लाउस के बटन बंद किए और अपनी

सारी ठीक करने लगी.

"ऐसा करो तुम दोनो मेरे बेडरूम मे चलो में आती हूँ." कंगन ने

कहा.

हम दोनो उनके बेडरूम मे आए और कंगन हमारे पीछे आकर दरवाज़ा

अंदर से बंद कर दिया. कंगन अनिता के पास आई और उनकी सारी के

पल्लू को फिर ज़मीन पर गिरा दिया.

"कंगन क्या हमे ये सब करना चाहिए? मुझे तो बड़ी शरम आ रही

है."अनिता ने कहा.

"दीदी अब क्या हुआ.... आप ही कह रही थी कि आप राज के मजबूत

हाथों को अपने शरीर पर महसूस करना चाहती हो..." कंगन ने कहा.

"अनिता मामी क्या ये सच है." मेने सीधे अनिता को देखते हुए

पूछा.

"बोलो दीदी..... शरमाओ मत....आख़िर हम तीन ही तो हैं यहाँ

पर..." कंगन ने कहा.

"हां चाहती हूँ..... लेकिन...." अनिता ने शरम के मारे अपना

चेहरा हाथो मे छुपा लिया.

"फिर ठीक है.... डरो मत." कहकर कंगन अनिता के ब्लाउस के बटन

खोलने लगी. मेने भी अनिता के करीब आया और उनकी कमर को सहलाने

लगा. उनकी मुलायम और चिकनी त्वचा को छूते ही अनिता का बदन कांप

उठा.

कंगन ने अनिता का ब्लाउस खोल कर उतारा तो उनकी दोनो भारी भारी

चुचिया उछल कर बाहर को आ गयी. निपल मे दूध भरा होने के

कारण वो फूली फूली लग रही थी. दूध की बूंदे अभी निपल पर

दीखाई दे रही थी. कंगन ने एक निपल को ज़ोर से मसला तो दूध की

धार बाहर को निकल पड़ी.

बिना एक शब्द कहे कंगन ने झुक कर अपना मुँह अनिता की चुचि से

लगाया और दूध को पीने लगी. वो एक हाथ से एक चुचि को पकड़

चूस रही थी और दूसरे हाथ से दूसरी चुचि को मसल रही थी.

अनिता मामी के मुँह से सिसकारियाँ फूट रही थी...उन्हे भी मज़ा

आने लगा था.

अपनी दोनो ममियों को इस हालत मे देख, एक बिस्तर पर अध नंगी और

दूसरी उनकी चूची चूस रही थे... को देख मेरे लंड मे तनाव

बढ़ने लगा. कंगन को अनिता की चुचि चूस्ते देख मेरे गला

सूखने लगा, मेने झट से एक थूक का गोला अपने गले के नीचे

उतारा अपनी सूखे होठों पर अपनी जीब फिराने लगा. मुझसे रहा

नही गया और में अनिता के पास गयाऔर अपना हाथ उनके कंधो पर रख

दिया. अनिता ने मेरा हाथ कंधों पर से हटा अपनी बाई चुचि पर

रखा.

में उनकी चुचि को मसल्ने लगा. कंगन ने मुस्कुरा कर मेरी ओर

देखा और अनिता की चुचि को चूस्ति रही. अनिता मामी ने मुझे सामने

की तरफ खींचा और अपनी दूसरी चुचि चूसने का इशारा किया.

में भी उनके बगल मे बैठ उनकी चुचि चूसने लगा. अब में और

कंगन अनिता की चुचियों को इस तरह चूस रहे थे जैसे कि दो

पिल्ले किसी कुतिया के स्तनो को चूस्ते है.

गरम दूध की बूँदों से मेरा मुँह भर गया. वैसे तो बेस्वाद था

लेकिन जवानी मस्ती से भरपूर. करीब दस मिनिट तक में और कंगन

अनिता की चुचियों को चूस्ते रहे. थोड़ी देर मे दूध आना बंद हो

गया.

"दीदी क्या बात है आज दूध जल्दी ख़तम हो गया? लगता है कल

रात किसी और ने भी इन्हे चूसा है..." कंगन ने अनिता ने पूछा.

"तुम्हारे जेठ जी के अलावा किसी ने नही...." अनिता ने कहा.

कंगन अब अनिता की सारी और पेटिकोट को नीचे खिसकने लगी.

अनिता मामी हल्का सा विरोध करते बोली, "नही कंगन मत करो मुझे

बहोत शरम आ रही है."

लेकिन कंगन ने उनकी एक ना सुनी और उनकी सारी और पेटिकोट नीचे

खिसका उनके प
 
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ैरों से अलग कर दिया. ओह्ह क्या गोरी और चिकनी टाँगे

थी अनिता की. टाँगो की बीच छुपा था प्यार का ख़ज़ाना हल्के बालों

से घिरा हुआ. कमरा एक अजीब मस्ती की महक से भर उठा.

कंगन ने अनिता की जाँघो को फैलाया और मुझे उनकी चूत के दर्शन

कराए. शरम के मारे अनिता ने अपनी आँखे बंद कर ली और अपना हाथ

आँखों पर रख दिया, उसी वक्त एक झटके मे कंगन ने मेरी शॉर्ट्स

नीचे कर उतार दी.

मेरे खड़े लंड को देख कंगन मुस्करा दी, "शैतान कहीं का."

वीर्य की बूँद शबनम के मोती की तरह मेरे लंड के सूपदे पर

जगमगा रही थी. कंगन ने मेरे लंड को पकड़ा और उसकी चमड़ी को

तोड़ा पीछे कर मसालने लगी. तभी अनिता मामी ने अपनी आँखे खोली

और मेरे खड़े लंड को देख सिसकारी भरने लगी. वो मस्ती में अपने

हाथों से अपनी चुचियाँ मसल रही थी.

"दीदी आप तय्यार हो ना...." कंगन ने पूछा.

"समझ मे नही आ रहा क्या कहूँ.... मुझे डर भी लग रहा है

फिर भी में ये सब करना चाहती हूँ.....देखो ना मेरे दिल की

धड़कन कितनी तेज हो गयी है..." अनिता ने कहा.

"ओह्ह्ह्ह... दीदी अब हिम्मत करके इसकी मदद करो....ये भी नया है इस

खेल मे...." कंगन ने अनिता को उकसाया.

"ठीक है..." अनिता ने कहा.

कंगन पलंग से हटकर साइड मे इस तरह खड़ी हो गयी कि हमारी

चुदाई को देख सके.

मेने देखा कि अनिता मामी की आँखो से डर गायब हो चुका था और

अब उन्माद की मस्ती भरी थी आँखों मे. वो खड़ी हुई और अपने परों

मे फँसी सारी और पेटिकोट को उतार दिया. अब मामी बिल्कुल नंगी मेरे

सामने खड़ी थी. मामी पलंग पर लेट गई और मुझे अपने पास बुलाया.

मेरे हाथो को अपनी चुचियों पर रख बोली, "चूसो राज और इन्हे

ज़ोर ज़ोर से मस्लो."

मेने आनी जीब उनकी चुचि पर रखी और अपने हाथों से मसल्ने

लगा. में अपनी जीब को उनकी निपल पर फिराता तो वो सिसक

पड़ती..."ऑश राज चूसो इन्हे ऐसे ही.... ओह हाआँ ....मस्लो और

ज़ोर से......"

अनिता मेरे होठों को चूस्ते हुए सिसक पड़ी, "मुझे प्यार करो राज"

मेने पहले अनिता के होठों को चूसा, फिर नीचे होते हुए उनकी

चुचियों को चूसा फिर उनके पेट को चूमते हुए अपनी जीब उनकी नाभि

मे घूमाने लगा तो वो सिसक पड़ी, "ऑश राज गुदगुदी होती है ना."

नीचे खिसकते हुए मेने उनकी कमर को चूमा और फिर उनकी प्यारी

चूत को चूमते हुए उनकी जांघों को चूमने लगा. जांघों के

अन्द्रुनि हिस्सों पर अपनी ज़ुबान घूमाते हुए में और नीचे खिसक

उनके पावं को चूमने लगा.

अनिता ने मुझे खींच कर अपने उपर लीटा लिया. मुझे जोरों से बाहों

मे भर उन्होने अपनी चुचियाँ मेरी छाती से मसल दी. में भी इस

तरह लेटा था कि मेरा खड़ा लंड उनकी चूत के मुँह पर ठोकर मार

रहा था.

अनिता ने अपनी टाँगो को थोड़ा फैलाया और मेरे चूताडो को भींचने

लगी. में अपने लंड को पकड़ उसकी चूत पर घिसने लगा.

अनिता ने मेरे लंड को पकड़ अपनी चूत की पंखुरियों को फैलाते हुए

लगा दिया, "अब सहन नही होता राज चोदो मुझे....घुसा दो अपने

लंड को इस मे..."

मेने एक ज़ोर का धक्का मारा तो मेरा लंड अनिता की चूत की दीवारों

को चीरता हुआ पूरा का पूरा अंदर घुस गया.

"ओह............" एक कराह सी निकल पड़ी उसके मुँह से.

अब में अपनी कमर हिला धक्के मार रहा था. अनिता भी नीचे से

चूतड़ उछाल साथ दे रही थी. मामी की कराह और बड़बड़हत सुन

मुझे भी जोश आ रहा था.

"ओह अनिता मामी आपकी चूत तो काफ़ी गरम है ओह आअज फाड़

दूँगा में इस चूत को."

"हां राज ऐसे ही चोदो जब से कंगन तुम्हारे लंड की तारीफ़ की

थी में तरस रही थी इसके लिए....ऑश हाआँ फाड़ दो मेरे राजा

ऑश चोदो."

में अनिता मामी की चुचियों को कस कस मसल्ते हुए अपने लंड को

उनकी चूत के अंदर बाहर कर रहा था.

मेने अपनी नज़र कंगन मामी पर डाली तो देखा कि वो अपनी आँख

बंद किए हुए थी. उन्होने अपनी सारी कमर तक उठा रखी थी. अपनी

चुचि को ब्लाउस से बाहर निकाल वो एक हाथ से मसल रही थी और

दूसरे हाथ से अपनी चूत मे तीन उंगली डाल अंदर बाहर कर रही

थी. हमारी दुनिया से दूर मामी अपनी सपनो की दुनिया मे खोई अपनी

मस्त गरम चूत को उंगलियों से चोद रही थी.

हम दोनो के बदन पसीने से लत पथ थे, में धक्के पर धक्के

मार रहा था और अनिता बड़बड़ा रही थी.

"ओह राजा चोदो ऑश हाआँ मेरा छूटने वाला है ऑश हाँ ज़ोर से

चोदो."

"हाआँ मामी मेरा भी छूटने वाला है ऑश में तो गया." मेने ज़ोर

का धक्का लगाते हुए अपने वीर्य की फौहर उनकी मादक चूत मे छोड़

दी

मामी भी झड़ने के करीब ही थी उन्होने अपनी कमर को उपर तक

उठाया और मेरे लंड को अपनी बच्चेदानि पर लेते हुए पानी छोड़ दिया.

में अनिता मामी के उपर ही लेट गया और हम दोनो अपन

ी उखड़ी सांसो

को काबू मे करने लगे.

तभी मेने देखा कि कंगन भी ओह्ह्ह अयाया करते अपनी उंगलियाँ और

जोरों से अंदर बाहर कर रही थी. उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया

था जो चूत के बाहर बहकर उसकी झटों को गीला कर रहा था.

इतने मे कंगन हमारे पास आई और अनिता की चुचियों को एक बार

फिर चूसने लगी.

"ओह्ह्ह... कंगन प्लीज़ फिर से नही..." अनिता हंसते हुए बोली.

पर कंगन ने उनकी बात सुनी नही और उनकी चुचियों को चूस्ति

रही. ये देख में भी उनकी चुचि को मुँह मे ले चूसने लगा. जब

उनकी चुचियो मे दूध ख़तम हो गया तो कंगन मामी उठ कर

बाथरूम चली गयी और में अनिता मामी से चिपक कर सो गया.

जब मेरी आँख खुली तो देखा कि अनिता और कंगन मेरे बगल मे ही

सोई पड़ी है. मेने धीरे से दोनो जायगा तो दोनो मुझे देख मुस्कुरा

पड़ी. अनिता मामी बाथरूम मे मुँह धोकर वापस आई तो दोनो अपने

अपने कपड़े पहनने लगे.

थोड़ी देर बाद हम सब ने मिलकर खाना खाया. खाना खाने के बात

जब कंगन मामी ने अनिता मामी को बताया कि किस तरह मेरा मन

चारों मामियों को चोद्ने का है तो अनिता मामी हंस पड़ी और बोली.

"राज तुम तो दो दिन मे ही पूरे चुदक्कड बन गये. लेकिन हां अगर

चारों साथ मे चुदवाएँगी तो मज़ा ज़रूर आयगा. दो को तुम चोद ही

चुके हो देखते है बाकी कि दो कैसे तय्यार होती है."

अब में कंगन मामी और अनिता मामी मिलकर प्लान बनाने लगे कि बाकी

दो मामियों को कैसे तय्यार किया जाए. पहले ये तय हुआ कि सिमरन

मामी को तय्यार किया जाए लेकिन उनके रिज़र्व नेचर को देखते हुए ये

तय हुआ कि मोना मामी को ही फँसाया जाय. मोना मामी सबसे छोटी थी.

अगला दिन शनिवार था और मेरे तीनो मामा सहर किसी खास काम से

चले गये. उनकी कोई ज़मीन थी जिसके सिलसिले मे वो किसी वकील से

मिलने गये थे.

कंगन मामी का मकान काफ़ी बड़ा था और उसकी छत भी काफ़ी बड़ी थी.

मोहल्ले का सबसे बड़ा मकान होने से किसी की भी नज़र उस छत पर

नही पड़ सकती थी. अनिता मामी ने सुझाव दिया कि क्यों ना छोटी सी

पार्टी छत पर ही मनाई जाए. शनिवार की रात को हम चारों कंगन

मामी की छत पर इकट्ठा हुआ. मोना मामी को हमारे प्लान के बारे मे

कुछ पता नही था.

हम चारों आपस मे बात करने लगे. पहले अनिता मामी मुझसे सवाल

करती गयी, जैसे कि मेरा कॉलेज कैसा था. में जिंदगी मे क्या

बनना चाहता हूँ, मेरी पसंद क्या क्या का है वग़ैरह वग़ैरह. ये

सब बातें करीब रात के 10 बजे तक चलती गई.

थोड़ी देर बाद बात चीत का विषय प्रेम ओर रोमॅन्स पर आ गया.

"अच्छा राज एक बात तो बताओ कॉलेज मे किसी लड़की को फँसा कि नही?"

कंगन मामी ने अचानक पूछा.

"कहाँ.... मामी... आपके भानजे की शकल कहाँ इतनी सुन्दर है कि

कोई लड़की उसे पसंद करे...." मेने हंसते हुए कहा.

"कौन कहता है कि मेरा प्यारा सा भांजा सुन्दर नही है....अगर में

उन लड़कियों की जगह होती तो कबका तुम्हे पटा चुका होती." कंगन

मामी ने कहा.

"बात तो तुम ठीक कहती हो छोटी..... मोना तुम्हारा क्या खाया है?"

अनिता मामी ने मोना मामी से पूछा.

"आप सही कह रही हैं दीदी..... राज देखने मे वाकई बहोत सुन्दर

और हॅंडसम है." मोना मामी ने कहा.

"अच्छा राज एक बताओ तुम्हारा सेक्स के बारे मे क्या ख़याल है?" अनिता

मामी ने पूछा.

"मामी आप भी ना.... कैसे सवाल करती है." मेने जान बुझ कर

अंजान बनते हुए कहा.

"अरे इसमे शरमाने वाली क्या बात है... बताओ ना अगर तुम्हे सेक्स

करने का मौका मिले तो तुम अपनी कौनसी कल्पना पूरी करना चाहोगे?'

कंगन मामी ने पूछा.

"नही पहले आप सब बताइए उसके बाद मे बताउन्गा.... लेकिन आप

तीनों को मेरे एक सवाल का उत्तर पहले देना होगा... पहले मे मोना

मामी से पूछता हूँ." मेने मोना मामी के तरफ देखते हुए कहा.

थोड़ी देर सोचने के बाद मोना मामी बोली, "ठीक है पूछो."

"मामी झूठ से काम नही चलेगा आप तीनो को सच सच बताना

होगा." मैने कहा.

"ठीक है हम सच सच बताएँगी." मोना मामी ने कहा.

"क्या शादी के पहले आपने सेक्स किया था?" मेने मोना मामी से पूछा.

मेरा प्रश्न सुनकर मामी सोच मे पड़ गयी.

"अरे घबरा क्यों रही है..... ठीक है तू बाद मे बताना मे ही पहले

बता देती हूँ जिससे तेरी शरम खुल जाए." अनिता मामी ने कहा. "भाई

मेने तो किया था.... हमारे घर के नौकर के साथ उसने ही पहली बार

मुझे चुदाई का मज़ा दिया था."

"वह दीदी आप तो बड़ी छुपी रुस्तम निकली....." मोना मामी ने कहा.

"चल अब अपनी भी तो बता....?" कंगन मामी ने पूछा.

"हां दीदी मेने भी किया है..... मेरे साथ कॉलेज मे एक लड़का

पढ़ता था उसके साथ.... में तो उससे शादी भी करना चाहती थी

लेकिन पिताजी ने मेरी शादी इस घर मे कर दी." मोना मामी ने बताया.

"चल कंगन अब तू बता." अनिता मामी ने कहा.

"सच कहूँ तो दीदी शादी के पहले मेने सेक्स का खूब मज़ा लिया

है...मुझे तो सेक्स इतना अच्छा लगता है कि क्या बताउ." कंगन मामी

ने कहा.

"चलो राज अब तुम बताओ कि
 
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तुम्हारी क्या कल्पना है?" अनिता मामी ने

पूछा.

"मामी मेरा तो मन करता है की में सेक्स सिर्फ़ अपने परिवार वालों के

साथ ही करूँ... चाहे वो कोई भी हो. रिश्ते मे कोई भी हो." मेने

कहा.

"वह मेरे राजा तो तुम घर की औरतों को चोद्ने की तमन्ना रखते

हो.... अगर हम मामियाँ तुम्हे चोद्ने दें तो तुम हमारी भी चुदाई

करोगे?" अनिता मामी ने हंसते हुए कहा.

"हां मामी, अंधे को क्या चाहिए दो आँखे वो तो आप दे ही देंगी..."

मेने भी हंसते हुए कहा, "अच्छा चलिए अब आप बताइए कि आपको क्या

पसंद है?' मेने पूछा.

"मेरा तो मन करता है कि में घर मे हर समय नंगी रहूं और जब

भी मौका मिले चुदाई करती रहूं." अनिता ने कहा.

फिर मेने कंगन मामी से पूछा तो उन्होने कहा कि उन्हे खुले आँगन

मे नंगा नहाना अच्छा लगता है. उन्होने बताया कि स्नान करते वक़्त या

चुदाई करते वक़्त अगर मुझे कोई चुप कर देख रहा होता है तो वो

और उत्तेजित हो जाती है.

"चलो मोना मामी अब आपको भी बताना होगा कि आपको क्या पसंद है....

चुप रहने से काम नही चलेगा." मेने कहा.

"मुझे शरम आती है......" मोना मामी ने अपना चेहरा अपने हाथों

से छुपा लिया.

"अरे क्यों शरमा रही है... बता ना..." कंगन मामी ने उसके पेट पर

चिकोटी काटते हुए कहा.

"दीदी.... मेरा तो मन करता है कि में खुली जगह पर चुदाई करूँ

जैसे कोई बाग या बगीचा हो या फिर कोई समुन्द्र का किनारा हो..."

मोना मामी ने कहा.

"अगर कोई खुली छत हो तो ....." अनिता मामी ने कहा.

"तब तो दीदी और मज़ा आ जाएगा.... चाँदनी रात और खुले आसमान

के नीचे चुदाई मे तो चार चाँद लग जाएँगे." मोना मामी ने कहा.

"ठीक है जब हम सब अपनी अपनी कल्पना बता ही चुके है तो क्यों ना

आज की रात हम सब अपनी कल्पना को हक़ीक़त का रूप दे दें." कंगन

मामी ने कहा.

"दीदी..... आप कहना क्या चाहती है....?" मोना मामी ने चौंकते हुए

कहा.

"में ये कहना चाहती हूँ क्यों ना हम सब आज अपने मन की तंमना पूरी

कर लें... क्यों राज अगर हम तीनो हन कहें तो क्या तुम हमारी

चुदाई करना चाओगे...?" कंगन मामी ने कहा.

"भला में क्यों ना करूँगा....." मेने मुस्कुराते हुए कहा.

"आप दीदी क्या आप तय्यार है?" कंगन मामी ने अनिता मामी से पूछा.

"हां मैं तो तय्यार हूँ...." अनिता मामी ने कहा.

मेने देखा कि कंगन मामी और अनिता मामी ने ऐसे हालत तय्यार कर

मोना मामी को अपने जाल मे फँसा लिया था..."तुम क्या कहती हो मोना?'

कंगन मामी ने पूछा

गतान्क से आगे...................................

"वो तो ठीक है दीदी पर अपने पति को कहाँ से लाउ इस वक़्त वो तो

बाहर गये हुए है..." मोना मामी ने सोचते हुए कहा.

"एक दम पगली हो तुम भी.... क्या हर कल्पना पति से ही पूरी की

जाती है. ये राज हम चारों के बीच ही रहेगा समझी." अनिता

मामी ने कहा.

"कहती तो तुम सच हो दीदी हम सब बातें अपने पति को तो नही बता

सकते..... पर तुम ये कहना चाहती हो कि राज हम तीनो को चोदेगा?"

मोना ने पूछा.

"हां मेरी जाना...... अच्छा सच सच बताओ क्या तुम नही चाहती कि

कोई इस चाँदनी रात मे छत पर खुले आसमान के नीचे तुम्हे कोई

चोदे?" अनिता ने कहा.

"हां दीदी मन तो बहोट कर रहा है." मोना ने शरमाते हुए कहा.

"ठीक है जब ये तय हो गया है कि राज हम तीनो को चोदेगा तो सवाल

ये है के पहले कौन चुदवाएगा." कंगन मामी ने कहा.

इस बात को लेकर तीनो बहस करने लगी कि पहले तुम, पहले तुम. मोना

अपनी जीद पर आडी रही कि सबसे पहले वो नही चुदवाएगी. लेकिन हम

सभी जीद करने लगे कि नही उसे सबसे पहले चुदवाना होगा.

"आप तीनो मेरे पीछे ही क्यों पड़े है के सबसे पहले में राज से

चुदवाउ." मोना ने कहा.

"क्योंकि पीछले तीन दीनो से हम दोनो राज से चुदवा रहे हैं" अनिता

मामी ने मोना मामी के कान मे फुसफुसाते हुए कहा.

अनिता मामी की बात सुनकर मोना दांग रह गयी. उसने एक शब्द भी नही

कहा. आधे घंटे लग गये कंगन और अनिता को मोना को समझने मे

कि यही सही मौका है अपनी कल्पना को पूरी करने का.

आख़िर मोना तय्यार हो गयी.

"मोना एक काम करो तुम अपने कपड़े उतार दो?" कंगन मामी ने कहा.

"क्या अभी इसी वक़्त?" मोना ने पूछा.

"हां यही तो सही मौका है." कंगन ने कहा, "ठीक है लाओ में

तुम्हारी मदद करती हूँ."

हम चारों खुली छत पर खुले आसमान के नीचे खड़े थे. लालटेन

से आती हल्की रोशनी और चंदा की चाँदनी महॉल को काफ़ी रोमांचकारी

बना रहा था. कंगन मामी मोना के पास गयी और धीरे धीरे उसके

कपड़े उतारने लगी.

मोना मामी ने हल्की नीले रंग की सारी पहन रखी थी. कंगन ने

उसकी सारी खोल कर उतार दी और मेरी प्यारी मोन
 
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ा नामी मेरे सामने

सिर्फ़ पेटिकोट और ब्लाउस पहने खड़ी थी.

थोड़ी ही देर मे कंगन ने उसके ब्लाउस के हुक खोल उसे भी निकाल

दिया.

मोना मामी का गोरा बदन चाँद की रोशनी मे नहा गया. अधनंगी

अवस्था मे सिर्फ़ ब्रा और पेटिकोट मे उनका बदन एक दूधिया रंग का

लग रहा था.

अनिता मामी ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे मोना के पास खड़ा कर दिया.

मेने देखा कि मोना मामी किसी अप्सरा से कम नही लग रही थी. उनके

चेहरा गुलाबी हो रहा था शायद इस ख़याल से कि चाँदनी रात मे

खुली छत पर चुदाई करवाने की ख्वाइश आज पूरी होने वाली थी.

मुझे वहीं मोना के पास छोड़ अनिता और कंगन मामी थोड़ी दूर

दीवार के सहारे खड़ी हो गयी जिससे हमारी चुदाई देख सके.

मोना मामी अभी शरम के मारे अपनी नज़रें ज़मीन पर गड़ाए हुए थी.

जब में उनके और नज़दीक गया तो उन्होने मुझे रोक दिया.

"थोड़ी देर के लिए रुक जाओ राज, में अभी पेटिकोट नही उतारना

चाहती. मैने पेटिकोट पहने पहने ही करवाना चाहती हूँ, और हाँ

में घोड़ी बन जाउन्गि और तुम पीछे से मुझे चोदोगे. अगर तुम

सामने से करोगे तो में शरम के मारे तुमसे आँख नही मिला

पाउन्गि....कोई ऐतराज़ तो नही ना तुम्हे.?" मोना मामी ने कहा.

भला में क्या ऐतराज़ करता. मेरा तो सपना पूरा हो रहा था अपनी मोना

मामी को चोद्ने का चाहे वो आगे से हो या पीछे से. मैने हां मे

अपनी गर्दन हिला दी.

मोना मामी ने आने हाथ पीछे किए और अपनी ब्रा का हुक खोल दिया,

फिर अपने कंधों से ब्रा के स्ट्रॅप हटा कर ब्रा को निकाल दिया. ओह्ह्ह्ह्ब

क्या चुचियाँ थी मोना की. चूतड़ लेकिन गोल और भरे हुए. चाँद की

रोशनी मे ऐसे चमक रहे थे जैसे कि कोई हापुड़ के आम.

मोना मामी घूम कर पीठ कर मेरी तरफ खड़ी हो गयी. फिर एक हाथ

से दीवार का सहारा लेकर झुक गयी और दूसरे हाथ से अपने पेटिकोट को

कमर तक उठा कर टीका दिया. फिर अपनी पॅंटी को नीचे खिसका कर

परों से अलग कर निकाल दिया. क्या चूतड़ थे मामी के गोरे और गोल

गोल.

चाँद की रोशनी ठीक और उनपर पड़ रही थी जिससे उनकी चुचियों की

परछाई छत की ज़मीन पर दीख रही थी. शायद मामी की शरम भी

खुल चुकी थी वो अपनी टाँगो को थोड़ा फैला अपने हाथ से अपनी चूत

को सहला रही थी और शायद मुझे बूला रही थी कि 'आओ राज और

चोदो मुझे."

"राज कब तक खड़े मेरे नंगे बदन को निहारते रहेगो.... क्या अब

चोदोगे नही मुझे." मोना ने मुस्कुराते हुए बोली.

मोना की बात सुन में अपने ख़यालों से बाहर आया. मेने तुरंत अपने

कपड़े खोले और नंगा हो गया. में अपने खड़े लंड को सहलाते हुए

मोना के चेहरे के पास आ गया.

"कितना प्यारा और सुंदर लंड है तुम्हारा...." कहकर मोना ने मेरे

लंड को अपने मुलायम हाथों मे पकड़ लिया. मैने भी अपना हाथ उनके

कंधों से नीचे कर उनकी चुचियों को मसल्ने लगा. मैं मोना मामी

की चुचियों को ठीक उसी तरह मसल रहा था जिस तरह कंगन मामी

ने मुझे सिखाया था.

मोना मामी के मुँह से एक आह सी निकल गयी. पहले तो धीरे मसल्ते

और सहलाता रहा फिर उनकी चुचि को अपनो पंजों मे भीच जोरों से

मसल्ने लगा. मैने उनके निपल को अपने अंगूठे और उंगली से जोरों से

भींच देता.

मोना मामी भी गरमा चुकी थी वो अपने हाथों से अपनी चूत को

मसल्ने लगी और सिसकारियाँ भरने लगी, "ऑश अयाया आअहह."

में मोना मामी के पीछे आया और अपने लंड को उसकी चूत पर घिसने

लगा. मामी गरमा चुकी थी और उनकी चूत पानी रिस रही थी. मैने

धीरे से उनकी चूत को फैलाएगा और अपने लंड को चूत के मुँह पर

रख हल्का सा धक्का दिया.

मामी ने हल्की सी सिसकारी भरी और दीवार को जोरों से पकड़ते हुए

अपने चूतड़ पीछे को किए जिससे मेरा पूरा लंड उनकी चूत मे समा

गया. अब में धीमे धीमे धक्को से अपने लंड को अंदर बाहर कर रह

था. मामी भी अपने चूतड़ आगे पीछे कर मेरा साथ दे रही थी.

अचानक मोना ने पीछे मूड कर मेरी तरफ देखा तो में मुस्कुरा दिया.

मामी की शरम गायब हो चुकी थी. वो मेरे आगे से हटी और वहीं

ज़मीन पर बीचे एक गद्दे पर पीठ के बल लेट गयी. उन्होने अपनी

पैरों को फैलाते हुए मुझे बीच मे आने के कहा.

में उनकी टॅंगो के बीच आया तो मामी ने अपने हाथों से मेरे लंड को

पकड़ा और अपनी चूत पर घिसने लगी. थोड़ी देर उपर नीचे घिसने के

बाद उसने दो उंगलियों से अपनी चूत का मुँह खोला और मेरे लंड को

उसपर टीका दिया.

मोना मामी का इशारा पा मेने एक धक्का मारा.

"थोड़ा रूको राज मुझे अपने पैर तुम्हारे कंधों पर रखने दो इससे

हमे और मज़ा आएगा." मोना ने कहा.

मोना ने अपने पावं को उठा कर मेरे कंधों पर रख दिया. ऐसा करने

से में और उनके नज़दीक हो गया. मेरी जंघे उनकी जाँघो से टकरा

रही थी
 
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. मेने थोड़ा सा धक्का मारा तो लंड उनकी गीली चूत मे

घुसता चला गया. क्या चूत थी मोना मामी की, कंगन मामी और अनिता

मामी से भी ज़्यादा कसी हुई.

मोना मामी की चूत इतनी कसी हुई थी कि मेरा आधा लंड ही उनकी चूत

मे घुस पाया था. में थोड़ा और ज़ोर लगाकर अपना लंड उनकी चूत मे

घुसाने की कोशिश करने लगा.

"ओह राज रूको मत मारो धक्के हाआँ और ज़ोर से मारो ऑश हाआँ

और मारो भर दो मेरी चूत को अपने लंड से." मोना मामी सिसक रही

थी.

मोना की सिसकारी सुन अनिता मामी और कंगन मामी हँसने लगी.

"दीदी ये अच्छी बात नही है, क्यों हंस रही है आप दोनो." मोना ने

कहा. मेने फिर एक ज़ोर का धक्का मारा तो फिर मोना मामी सिसक पड़ी

और फिर से दोनो मामियाँ हंस पड़ी.

"दीदी क्यों हंस कर मुझे चिढ़ा रही है. सही मे राज का लंड इतना

अच्छा है कि मुझे मज़ा आ रहा है." मोना इतना कहकर अपने चूतड़

उपर को उठा दिए जिससे मेरा लंड और अंदर तक उसकी चूत मे घूस

गया.

"दीदी आप दोनो भी अपने कपड़े उतार मेरी तरह नंगी क्यों नही हो

जाती. में आप दोनो को नंगा देखना चाहती हूँ." मोना ने कहा.

पहले तो दोनो मानी नही लेकिन जब मोना ने कई बार ज़िद की तो वो दोनो

मान गयी. थोड़ी ही देर मे दोनो ने अपने कपड़े उतार दिए और नंगी हो

गयी. ओह क्या नज़ारा था मेरी तीनो मामियाँ मेरे सामने मदरजात नंगी

थी.

तीनो के नंगे शरीर पर उनके मंगल सुत्र किसी पेंडुलम की तरह

झूल रहे थे, और उनकी सोने की बलिया उनकी नग्नता और सुंदरता को

चार चाँद लगा रही थी.

अपनी तीन मामियों को नंगी देख मेरे लंड मे तनाव बढ़ गया में

मोना मामी की चुचियों को मसल्ते हुए ज़ोर ज़ोर के धक्के मारने लगा.

मामी भी उत्तेजना मे अपने चूतड़ उछालने लगी. में इतनी ज़ोर से

चुदाई करने लगा कि मोना तो थरथरा उठी.

"ओह राज प्लीज़ इतनी ज़ोर से नही ऑश मर गयी. राज थोड़ा

धीरे मेरी चूत फॅट जाएगी बहुत दर्द हो रहा है ओह मर गयी

रे." मोना सिसक रही थी.

मोना की थर थराहट सुनकर मेने धक्को की रफ़्तार को थोड़ा धीमा

कर

दिया. मैने नज़रें घूमा कर देखा कि अनिता मामी और कंगन दीवार

के सहारे लेती अपनी अपनी चूत मे अपनी उंगलियाँ अंदर बाहर कर रही

थी.

मोना मामी का दर्द शायद कम हो गया था अब वो अपने चूतड़ उछाल

मेरे साथ ताल से ताल मिला रही थी.

"क्यों मोना मामी मज़ा आ रहा है ना?" मैने पूछा.

"हां राज बहुत मज़ा रहा है ओह चोदो ज़ोर से चोदो में

नही रोकूंगी तुम्हे ऑश चोदो नाअ मारो ना ज़ोर के धक्के."

में फिर से हुचक हुचक कर मोना मामी की चूत मे अपना लंड पेलने

लगा साथ ही में उनकी चुचियों को भी मसल रहा था. थोड़ी देर मे

मेरे लंड मे उबाल आने लगा और मुझे लगा कि मेरा छूटने वाला है.

'ऑश मामी मेरा तो छूटने वाला है कहाँ छोड़ू अपने पानी को

बाहर या चूत के अंदर, अगर अंदर छोड़ूँगा तो आप प्रेगञेन्ट भी हो

सकती हो." मेने कहा.

"ऑश राज छोड़ दो अपने पानी को मेरी चूत मे में तुम्हारी लंड की

पिचकारी अपनी चूत मे महसूस करना चाहती हूँ, हो जाने दो मुझे

प्रेगञेन्ट ओह राज चोदो अपना पानी में भी छूटने वाली हूँ."

मोना मामी ने सिसकते हुए अपने चूतड़ उठाए और मेरे लंड को अपनी

चूत की जड़ों तक लेते हुए पानी छोड़ दिया.

मैने भी ज़ोर का धकका मार उनकी चूत को अपने वीर्य से भर दिया.

में तब तक धक्के मारता रहा जब तक की मेरे लंड से आखरी बूँद

भी नही निकल गयी.

मेने झुक कर मोना मामी के होठों को चूस लिया और हमारे पसीने

भर शरीर एक हो गये. हम दोनो इतना थक गये थे कि हमे अनिता

मामी की आवाज़ भी सुनाई नही दी.

उन्होने ज़ोर से पुकारा तो हमने अपनी गर्दन उनकी तरफ उठाई.

"तुम दोनो यहीं रहना चाहते हो या नीचे बेडरूम आकर सोना पसंद

करोगे." अनिता मामी ने कहा.

"नही दीदी आप लोग जाइए. हम दोनो इतना थक गये है कि बाद मे आ

जाएँगे." मोना मामी ने मुझे बाहों मे भरते हुए कहा, "राज ये मेरी

जिंदगी की सबसे अच्छी चुदाई थी. इस तरह आज तक मुझे किसी ने

नही

चोदा, तुम एक बार फिर इसी तरह मेरी चुदाई करोगे ना.......प्लीज़."

कहकर मोना मामी ने अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिए.

"ओह मेरी प्यारी मोना मामी आपके लिए तो मैं कुछ भी कर सकता हूँ.

आप कहें अभी शुरू हो जाउ." मेने मोना के होठों को चूस्ते हुए

कहा.

"नही..... नही.... अभी नही. अभी तो बहोत थक गयी. इतनी

भयंकर

रूप से चोदा है कि पूरा शरीर ही दुख रहा है. बाद मे क्सिस और

समय. इस समय तो चलो सो जाते हैं." मामी ने कहा.

में नीचे बेडरूम मे जाने के लिए उठा कर खड़ा हुआ तो मोना मामी

ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे फिर नीचे बिठा दिया, "नही नीचे

बेडरूम मे नही.... हम यहाँ ही सोएंगे नंगे. कोई आने वाला नही

है." इतना कहकर उसने मुझे बाहों मे भर लिया."

"मोना अब तो तुम्हारी तम्मानना पूरी हो गयी." मेने उसके बालों मे

उंगलियाँ फिराते हुए कहा.
 

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