Incest मस्त सानिया

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UPDATE 01

मैं हूँ बाबू, उम्र 43 साल, अविवाहित पर सेक्स का मजा लेने में खूब उस्ताद। मेरी इस कहानी में जो लड़की है उसका नाम है- सानिया खान। वो मेरे एक दोस्त प्रोफ़ेसर जमील अहमद खान की बेटी है। सानिया के पिता और मैं दोनों कॉलेज के दिनों से दोस्त हैं। उनकी शादी एम०ए० करते समय हीं हो गई। मेरी भाभी यानि उनकी बेगम रिश्ते में मौसेरी बहन थी। खैर मैं तो सानिया के बारे में कहने वाला हूँ उसके माँ-बाप में तो शायद ही आप-लोगों को रुचि हो।

सानिया 18 साल की बी कॉम प्रथम वर्ष की छात्रा है, बहुत सुन्दर चेहरे की मालकिन है। एकदम गोरी, 5’5" लम्बी, पतली छरहरी काया, लहराती-बलखाती जब वो सामने से चलती तो मेरे दिल में एक हूक सी उठती। मेरे जैसे चूतखोर मर्द के लिए उसका बदन एक पहेली था, कैसी लगेगी बिना कपड़ों के सानिया ?

तब मैं भूल जाता कि वो मेरे गोद में खेली है, उसके बदन को जवान होते मैंने देखा है। उसकी चूची नींबू से छोटे सेब, संतरा, अनार होते देखा है, महसूस किया है। सोच-सोच कर मैंने पचासों बार अपना लंड झाड़ा होगा।पर उसका मुझे चाचा कहना, मुझे रोक देता था कुछ भी करने से। उसके दिल की बात मुझे पता नहीं थी न। वैसे सानिया का चक्कर दो-तीन लड़कों से चला था, घर पर उसे खूब डाँट भी पड़ी थी, पर उन लोगों ने हद पार की थी या नहीं मुझे पता न चल पाया।

और जब भी मेरे दोस्त और भाभी जी ने इस बात की चर्चा की, तब उनके भाषा से मुझे कुछ समझ नहीं आया।

और एक बार...भगवान की दया से कुछ ऐसा हुआ कि...

हुआ यह कि सानिया के नाना की तबियत खराब होने की खबर आई और सानिया के अम्मी-अब्बा को उसके ननिहाल मेरठ जाना पड़ा। सानिया की पढ़ाई चलते रहने की वजह से वो उसको नहीं ले जा सके। उनके घर में नीचे के हिस्से में जो किरायेदार थे वो भी अपने गाँव गए हुए थे, सो सानिया को अकेला वहाँ न छोड़, उन लोगों ने उसको एक सप्ताह मेरे साथ रहने को कहा। असल में यह प्रस्ताव मैंने ही उन लोगों को परेशान देख कर दिया था। वो तुरंत मान गए।

मेरे दोस्त ने तब कहा भी कि यार मैं भी यही सोच रहा था पर तुम अकेले रहते हो, लगा कहीं तुम्हें कोई परेशानी ना हो।

बातचीत करते हुए जमील ने हल्की आवाज में बताया कि एक बार पहले भी वो सानिया को अकेले तीन दिन के लिए छोड़े थे तो आने पर किरायेदार से पता चला कि दो दिन लगातार सानिया के साथ कोई लड़का रहा था, जो उसके साथ स्कूल में पढ़ता था, अब कहीं इंजीनियरिंग पढ़ रहा है। वो अपनी परेशानी मुझे बता रहा था और मैं सोच रहा था कि जब सानिया अपने घर पर एक लड़के को माँ-बाप के नहीं रहने पर रख सकती
है, तो घर के बाहर तो वो जरूर ही चुदवाती होगी।

खैर ! अगले दिन सुबह कोई 7 बजे वो लोग सानिया को मेरे अपार्ट्मेंट पर छोड़ने आए, चाय पी और मेरठ चले गये। सानिया तब अपने स्लीपिंग ड्रेस में ही थी- एक ढ़ीली सा कैप्री और काला गोल गले का टी-शर्ट।
उसको को नौ बजे कॉलेज जाना था, दो घंटे के लिए।

मेरी नौकरानी नाश्ता बना रही थी, जब सानिया किचन में जाकर उससे पूछने लगी- साबुन कहाँ है?

असल में अकेले रहने के कारण मेरे कमरे के बाथरूम में तो सब था पर दूसरे कमरे, जिसमें सानिया का सामान रखा गया था, वह बाथरूम कपड़े धोने के लिए ही इस्तेमाल होता था।

मैंने तभी कहा- सानिया, तुम मेरे कमरे का बाथरूम प्रयोग कर लो, मुझे नहाने में अभी समय है।

और सानिया अपन कपड़े लेकर मुस्कुराते हुए चली गई। मैं बाहर वाले कमरे में अखबार पढ़ रहा था, जब सानिया तैयार हो, नाश्ता करके आई, बोली- चाचा, मैं करीब बारह बजे लौटूँगी, तब तो घर बंद रहेगा?

मैंने उसके भीगे बालों से घिरे सुन्दर से चेहरे को देखते हुए कहा- परेशान होने की कोई बात नहीं है, तुम एक चाबी रख लो !

और मैंने नौकरानी से चाबी ले कर उसको दे दी। (मैंने एक चाबी उसको इसलिए दी थी कि वो शाम को आ कर काम कर जाए और मेरा खाना पका जाए) साथ ही नौकरानी को शाम की छुट्टी कर दी कि शाम को हम लोग होटल में खाना खा लेंगे। थोड़ी देर में नकरानी भी काम निपटा कर चली गई, और मैं तैयार होने बाथरूम में आया।

और.. बाथरूम में सानिया की कैप्री और टी-शर्ट खूँटी से टंगी थी और नीचे गीली जमीन पर सानिया की ब्रा-पैन्टी पड़ी थी। ऐसा लग रहा था कि उसने उन्हें धोया तो है, पर सूखने के लिए डालना भूल गई। मेरे लन्ड में सुरसुरी जगने लगी थी।

मैंने उसके अन्तर्वस्त्र उठा लिए और उनका मुआयना शुरु कर दिया। सफ़ेद ब्रा का टैग देखा-लवेबल 32 बी। सोचिए, 5’5" की सानिया कितनी दुबली-पतली है।

मैंने अब उसकी पैन्टी को सीधा फ़ैला दिया। वो एक पुरानी पन्टी थी-रुपा सॉफ़्ट्लाईन 32 नम्बर। इतनी पुरानी थी कि उसके किनारे पर लगे लेस उघड़ने लगे थे और वो बीच से हल्का-हल्का घिस कर फ़टना शुरु कर चुकी थी। मैंने उसे सूँघा, पर उसमें से साबुन की ही खुशबू आई। फ़िर भी मैंने ऐसे तो कई बार उसके नाम की मुठ मारी थी, पर आज उसकी पैन्टी से लन्ड रगड़-रगड़ कर मुठ मारी और अपना माल उसके पैन्टी के घिसे हुए हिस्से पर निकाला और फ़िर बिना धोये ही पैन्टी-ब्रा को सूखने के लिए डाल दिया।

मेरे दिमाग में अब ख्याल आने लगा कि एक बार कोशिश कर के देख लूँ, शायद सानिया पट जाए। पर मुझे अब देर हो रही थी सो मैं जल्दी-जल्दी तैयार हो कर निकल गया।

शाम को करीब सात बजे मैं घर आया, सानिया बैठ कर टीवी देख रही थी। उसने ही मुझे चाय बना कर दी।

हम दोनों साथ चाय पी रहे थे, जब मैंने कहा- तैयार हो जाओ सानिया, आज बाहर ही खाएंगे !

खुशी उसके चेहरे पर झलक गई और मैं उसके उस सलोने से चेहरे से नजर हटा न पाया। हम लोग इधर-उधर की बात कर रहे थे, तभी उसे ख्याल आया, बोली- सॉरी चाचा, आज आपके बाथरूम में गलती से मेरे कपड़े रह गए। असल में मेरे जाने के बाद अम्मी जब सारे घर को ठीक करती है, तो वो यह सब भी कर देती है। कल से ऐसा नहीं होगा।

उसके चेहरे पे सारी दुनिया की मासूमियत थी।

मैंने भी प्यार से कहा- अरे, कोई बात नहीं बेटा, मुझे कोई परेशानी नहीं हुई। तुम तो धो कर गई ही थी, मैंने तो सिर्फ़ सुखने के लिए तार पर डाल दिया।

फ़िर थोड़ी शरारत मन में आई तो कह दिया- वैसे भी तुम तो खुद दस किलो की हो, तो तुम्हारी ब्रा-पैन्टी तो १० ग्राम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए न। उसको सूखने डालने में कोई मेहनत तो करना नहीं पड़ा मुझे।
उसने अपनी बड़ी-बड़ी आँखो को गोल-गोल नचाया-"पूरे 41 किलो हूँ मैं !

मैंने तड़ से जड़ दिया- ठीक है, फ़िर तो मैं सुधार कर देता हूँ, फ़िर ४१ ग्राम होगी ब्रा-पैन्टी?

वो मुस्कुरा कर बोली- मेरा मजाक बना रहे हैं, मैं तैयार होने जा रही हूँ।

और वो अपने कमरे में चली गई, मैं अपने कमरे में।

कोई आधे घण्टे बाद हम घर से निकले। सानिया ने एक गहरे हरे रंग की कैप्री और गुलाबी टॉप पहनी थी। बालों को थोड़ा ऊपर उठा पैनीटेल बनाया था, पैर में बिना मोजा रीबॉक के जूते।

मैं उसकी खूबसूरती पर मुग्ध था।

हम लोग पैदल ही एक घण्टा घूमे और फ़िर करीब नौ बजे एक चाईनीज रेस्तराँ में खाना खाकर दस बजे तक घर आ गए। थोड़ी देर टीवी देखने के बाद करीब 11 बजे सानिया अपने कमरा में और मैं अपने कमरा में सोने चले गए। सानिया के बारे में सोचते सोचते बड़ी देर बाद मुझे नींद आई।

अगले दिन करीब छः बजे सानिया ने मुझे जगाया, वो सामने चाय लेकर खड़ी थी। मेरे दिमाग में पहला ख्याल आया कि आज का दिन अच्छा हो गया, उसकी सलोनी सूरत देख कर।

हमने साथ चाय पी। वो तब मेरे बिस्तर पे बैठी थी। उसने एक नाईटी पहनी हुई थी जो उसके घुटने से थोड़ा नीचे तक थी। रेडीमेड होने के कारण थोड़ा लूज थी, और उसके ब्रा के स्टैप्स दिख रहे थे। आज उसे साढ़े आठ बजे निकलना था, सो वो बोली-"आप बाथरूम से हो लीजिए, तब मैं भी नहा लूँगी, आज थोड़ा पहले जाना है।

मैं जब बाथरूम से बाहर आया तो देखा कि उसने मेरा बिस्तर ठीक कर दिया है और अपने कपड़े हाथ में लेकर मेरे बेड पर बैठी है।

जब वो बाथरूम की तरफ़ जाने लगी तब मैंने छेड़ते हुए कहा- आज भी अपना 41 ग्राम छोड़ देना।

वो यह सुन जोर से बोली- छीः ! और हल्के से हँसते हुए बाथरूम का दरवाजा बन्द कर लिया।

मैं बाहर बैठ पेपर पढ़ रहा था, जब वो बोली-"मैं जा रही हूँ चाचू, करीब एक बजे लौटूँगी, मेरा लंच बनवा दीजिएगा, नस्ता मै कैंटीन में कर लूँगी।

मैं उसको कसे पीले सलवार कुर्ते में जाते देखता रहा, जब तक वो दिखती रही। उसकी सुन्दर सी गांड हल्के हल्के मटक रही थी।

थोड़ी देर में मेरी नौकरानी मैरी आ गई और अपना काम करने लगी, मैं भी तैयार होने बाथरूम में आ गाया। मुझे थोड़ा शक था कि आज शायद मुझे ब्रा-पैन्टी ना दिखे, पर मेरी खुशी का ठिकाना न रहा जब मैंने देखा कि आज फ़िर उसने अपनी ब्रा-पैन्टी धो कर कल की तरह ही जमीन पर छोड़ दी है। कल शायद उससे गलती से छूट गया था, पर आज के लिए मैं पक्का था कि उसने जान-बूझ कर छोड़ा है। मुझे लगने लगा कि यह साली पट सकती है। मैंने आज फ़िर उसकी पैन्टी लंड पे लपेट मूठ मारी और माल उसके पैन्टी में डाल दिया। यह वाली पैन्टी कल वाली से भी पुरानी थी, और उसमें भी दो-एक छोटे छेद थे। पर मुझे मजा आया।

मैंने अपने माल से लिपटी पैन्टी को ब्रा के साथ सूखने को डाल दिया।

शाम को मुझे आने में थोड़ी देर हो गई, मैरी हम दोनों का खाना बना कर जा चुकी थी। मैं जब आया तो सानिया ने चाय बनाई और हम दोनों गपशप करते हुए चाय पीने लगे।

सानिया ने ही बात छेड़ दी- आज फ़िर आपको मजा आया मेरी सेवा करके?

मैं समझ न सका तो उसने कहा- वही 41 ग्राम, सुबह ! और मुस्कुराई।

मैंने भी कहा- हाँ, मजा तो खूब आया पर सानिया, इतने पुराने कपड़े मत पहना करो, फ़टे कपड़े पहनना शुभ नहीं माना जाता।

वो समझ गई, बोली- "ठीक है चाचू, आगे से ख्याल रखूँगी।

मैंने देखा कि बात सही दिशा में है तो आगे कहा- अच्छा सानिया, थोड़ा अपने निजी जीवन के बारे में बताओ। जमील कह रहा था कि तुम्हारा किसी लड़के के साथ चक्कर था। अगर न बताना चाहो तो मना कर दो।

वो थोड़ी देर चुप रही, फ़िर उसने रेहान के बारे में कहा, जो उसके साथ स्कूल में 5 साल पढ़ा था, दोनों अच्छे दोस्त थे पर ऐसा कुछ नहीं किया कि उसको इतना डाँटा जाए, रेहान तो फ़िर उस डाँट के बाद कभी मिला भी नहीं। अब तो वो उसको अपना पहला क्रश मानती थी।

मैंने तब साफ़ पूछ लिया- क्यों, क्या सेक्स-वेक्स नहीं किया उसके साथ?

वो अपने गोल-गोल आँख घुमा कर बोली- छीः, क्या मैं आपको इतनी गन्दी लड़की लगती हूँ, रेहान मेरा पहला प्यार था, अब कुछ नहीं है !

मैंने मूड को हलका करने के लिए कहा- अरे नहीं बेटी तुम और गन्दी, कभी नहीं, हाँ थोड़ी शरारती जरूर हो, बदमाश जो अपनी ब्रा-पैन्टी अपने चाचू से साफ़ करवाती हो।

वो बोली- गलत चाचू ! साफ़ तो खुद करती हूँ, आप तो सिर्फ़ सूखने को डालते हो।

हम दोनों हँसने लगे।

फ़िर खाना खा कर टहलने निकल गए। बातों बातों में वो अपने कॉलेज के बारे में तरह तरह की बात बता रही थी और मैं उसके साथ का मजा ले रहा था।

तीसरे दिन भी सुबह सानिया के चेहरे पर नजर डाल कर ही शुरु हुई। उस दिन मैरी थोड़ा सवेरे आ गई थी, सानिया का नाश्ता बना रही थी। मैं भी अपने औफ़िस के काम में थोड़ा व्यस्त था कि सानिया तैयार हो कर आई।

मैंन घड़ी देखी- 8:30

सानिया बोली- चाचू आज भी रख दिया है मैंने आपके लिए 41 ग्राम.... और आज धोई भी नहीं हैं।

और वो चली गयी।

मैंने भी अब जल्दी से फ़ाईल समेटी और तैयार होने चला गया। आज बाथरूम में थोड़ी सेक्सी किस्म की ब्रा-पन्टी थी और उससे बड़ी बात कि आज सानिया ने उस पर पानी भी नहीं डाला था। दोनों एक सेट की थी, गुलाबी लेस की। इतनी मुलायम कि दोनों मेरी एक मुट्ठी में बन्द हो जाए। मैंने पैन्टी फ़ैलाई-स्ट्रिन्ग बिकनी स्टाईल की थी। उसके सामने का भाग थोड़ा कम चौड़ा था, करीब 4 इंच और नीचे की तरफ़ पतला होते होते योनि-स्थल पर दो इंच का हो गया था, फ़िर पीछे की तरफ़ थोड़ा चौड़ा हुआ पर 5 इंच का होते होते कमर के इलास्टिक बैंड में जा मिला। साईड की तरफ़ से पुरा खुला हुआ, बस आधा इंच से भी कम की इलस्टिक।
मैंने प्यार से उस गन्दी पैन्टी का मुआयना किया। चुत के पास हल्का सा एक दाग था, जो बड़े गौर से देखने पर पता चलता, मैंने उस धब्बे को सुंघा। हल्की सी खट्टेपन की बू मिली और मेरा लन्ड को सुरूर आने लगा। मैंने प्यार से उसी धब्बे पर अपना लन्ड भिड़ा, पैन्टी को लन्ड पे लपेट मजे से मुठ मारने लगा और सारा माल उसी धब्बे पर निकाला, फ़िर उस पैन्टी-और ब्रा को सिर्फ़ पानी से धो कर सुखने डाल दिया।

शाम साढ़े सात बजे घर आया, साथ चाय पीने बैठे तो मैंने बात छेड़ दी- आज तो सानिया बेटी, तुमने कमाल कर दिया।

वो कुछ नहीं बोली तो मैंने कह दिया- बिना धुली ब्रा-पैन्टी से तुम्हारी खुशबू आ रही थी।

वो शर्माने लगी, तो मैंने कहा- सच्ची बोल रहा हूँ, मैंने सूँघ कर देखा था। तुम्हारे बाप की उम्र का हूँ, पर आज वाली 41 ग्राम की खुशबू ने मेरे दिल में अरमान जगा दिये।

वो थोड़ा असहज दिखी, तो मैंने बात थोड़ा बदला- पर मैंने भी दिल पर काबू कर लिया, तुम परेशान न हो।

वो मुस्कुराई, तब मैंने कहा- पर आज वाली तो बहुत सेक्सी थी, अब कल क्या दिखाओगी मुझे?

कहानी जारी रहेगी, कई भागों में समाप्य
 
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UPDATE 02


शाम साढ़े सात बजे घर आया, साथ चाय पीने बैठे तो मैंने बात छेड़ दी- आज तो सानिया बेटी, तुमने कमाल कर दिया।

वो कुछ नहीं बोली तो मैंने कह दिया- बिना धुली ब्रा-पैन्टी से तुम्हारी खुशबू आ रही थी।

वो शर्माने लगी, तो मैंने कहा- सच्ची बोल रहा हूँ, मैंने सूँघ कर देखा था। तुम्हारे बाप की उम्र का हूँ, पर आज वाली 41 ग्राम की खुशबू ने मेरे दिल में अरमान जगा दिये।

वो थोड़ा असहज दिखी, तो मैंने बात थोड़ा बदला- पर मैंने भी दिल पर काबू कर लिया, तुम परेशान न हो।

वो मुस्कुराई, तब मैंने कहा- पर आज वाली तो बहुत सेक्सी थी, अब कल क्या दिखाओगी मुझे?

वो मुस्कुराई- कल ३० ग्राम मिलेगा।

मै- क्यों?

वो बोली- क्योंकि आज मैंने नीचे पहनी ही नहीं है। वो दोनो पुरानी वाली पहननी नहीं थी और ये वाली तो आज धुली है, कल पहनूँगी।

मैंने कहा- ऐसी बात है तो चल आज ही खरीद कर लाते हैं। मैंने आज तक कभी लेडीज पैन्टी नहीं खरीदी, आज यह भी कर लेते हैं।
वो थोड़ा सकुचाई तो मैंने उसको हाथ पकड़ कर उठा दिया, बोला- जल्दी तैयार हो जाओ।मैं तब जींस और टीशर्ट में था, और वो अपने नाईटी में। वो दो मिनट में चेंज करके आ गई- नीले स्कर्ट और पीले टॉप में वो जान-मारू दिख रही थी।

उसने आते हुए कहा-"स्कर्ट में सुविधा होगी, एक तो वहीं पहन लूँगी, और एक और ले लूंगी।

बहुत मस्त लौन्डिया थी वो। मेरे जैसे मर्द को टीज करना खूब जानती थी।

जब भी मैं ये सोचता कि साली नंगी चूत ले कर बाजार में है, मेरे दिल से एक हूक सी निकल जाती। हम एक लेडीज अंडरगार्मेंट्स स्टोर में गए। मेरे लिए यह पहला अनुभव था। दो-तीन और लेडीज ग्राहक थीं। हमारे पास एक करीब 28-30 साल की एक सेल्सगर्ल आई तो मैंने उसे एक ब्र-पैन्टी सेट दिखाने को कहा।

क्या साईज? और कोई खास स्टाईल? कहते हुए उसने एक कैटेलॉग हमें थमा दिया।

एक से एक मस्त माल की फ़ोटो थी, तरह तरह की ब्रा-पैन्टी में। मैं फ़ोटो देखने में व्यस्त हो चुका था कि सानिया बोली- सिर्फ़ पैन्टी लेते हैं ना।

मैंने नजर कैटेलग पर ही रखते हुए कहा- एक इसमें से ले लो, फ़िर दो-तीन पैन्टी ले लेना।

सेल्सगर्ल ने पूछा-"दीदी के लिए लेना है या मैडम के लिए? मैंने सानिया की तरफ़ इशारा किया।

वो मुस्कुराते हुए बोली- किस टाईप का दूँ, थोड़ी सेक्सी, हॉट या सॉबर?

मैंने जब उसे थोड़ा सेक्सी टाईप दिखाने को बोला तो वो मुस्कुराई। वो समझ रही थी कि मैं उस हूर के साथ लंपटगिरी कर रहा हूँ।

उसने कुछ बहुत ही मस्त सेट निकल दिए। एक तो बस सिर्फ़ पैन्टी के नाम पर 2" का सफ़ेद पारदर्शी जाली थी ब्रा भी ऐसा कि जितना छुपाती नहीं उतना दिखाती। मुझ वो ही खरीदने का मन हुआ, पर सानिया ने एक दूसरा पसंद किया।

जब मैंने कहा कि एक वह सेक्सी टाईप ले कर देखे, तो वो बोली- नहीं, पर अगर आपका मन है तो सिर्फ़ पैन्टी में ऐसा कुछ देख लेंगे, पैसा भी कम लगेगा।सानिया की पसंद की पैन्टी उसकी सेक्सी पैन्टी से थोड़ी और छोटी थी। चूतड़ तो लगभग 90% बाहर ही रहता, पर योनि ठीक ठाक से ढक जाती। उसने उसका चटख लाल रंग पसंद किया। फ़िर उसने हेन्स की स्ट्रींग बिकनी पैन्टी माँगी, तो सेल्सगर्ल ने एक 3 का सेट दिया। अब मैंने उस सेक्सी पैन्टी के बारे में कहा और जोर दे कर एक सफ़ेद और एक काली पैन्टी खरीद ली। सानिया ने हेन्स की

एक पैन्टी पैक से निकाली और ट्रायल कमरा में चली गई और पहन ली।

सामान पैक करते समय सेल्सगर्ल ने सानिया से उसकी पुरानी पैन्टी के बारे में पूछा तो सानिया ने कहा- इट्स ओ के ! आई हैडन्ट बीन वीयरिन्ग एनी !
(सब ठीक है, मैंने नहीं पहना हुआ था)

सेल्सगर्ल ने भी चुटकी ली- आजकल के बच्चे भी ना...? इस तरह बिना चड्डी बाजार में निकल लेते हैं।

दुकान पर मौजूद तीनों सेल्सगर्ल और मैं भी हँस दिया और सानिया झेंप गई।

अगले दिन सुबह चाय पीते हुए मैंने कहा- सानिया, अब आज का दिन मेरा कैसे अच्छा बीतेगा, आज तो 30 ग्राम ही मुझे मिलेगा।

वो मुस्कुराई और बोली- सब ठीक हो जायेगा, फ़िक्र नॉट।

जब वो जाने लगी तो मुझे बोली- चाचू, जरा अपने कमरे में चलिए, एक बात है।

मुझे लगा कि वह शायद कुछ कहेगी पर वो कमरे में मुझे लाई और मुझे बिस्तर पर बिठा दिया, फ़िर एक झटके में अपनी जीन्स के बटन खोल कर उसे घुटने तक नीचे कर दिया, बोली- देख कर आज का दिन ठीक कर लीजिए।

उसके बदन पर वही सेक्सी वाली सफ़ेद पैन्टी थी, उसकी त्रिभुजाकार सफ़ेद पट्टी से उसकी बुर एकदम से ढकी हुई थी, पर सिर्फ़ बुर ही, बाकी उस पैन्टी में कुछ था ही नहीं सिवाय डोरी के ! उसकी जाँघ, चूतड़ सब बिल्कुल अनावृत थे एकदम साफ़ गोरे, दमकते हुए, झाँट की झलक तक नहीं थी।

मेरा गला सूख रहा था। वो २०-२५ सेकेन्ड वैसे रही फ़िर अपना जीन्स उपर कर ली, और मुस्कुराते हुए बाय कह बाहर निकल गई।

मैंने वहीं बिस्तर पर बैठे-बैठे मुठ मारी, यह भी भूल गया कि मैरी घर में है।

उस दिन बाथरूम में मुझे पता चला कि आज मेरे ही रेजर से सानिया झाँट साफ़ की थी, और अपने झाँट के बालों को वाश बेसिन पर ही रख छोड़ा है। दो इन्च की उसकी झाँट के काफ़ी बाल मुझे मिल गये, जिन्हें मैंने कागज में समेट कर रख लिया। मैंने फ़िर मुठ मारी।

शाम की चाय पीते हुए मैंने बात शुरु किया- बेटा, आज मेरे लिए पैन्टी नहीं थी तो तुमने मेरे लिए रेजर साफ़ करने का काम छोड़ दिया !

मेरे चेहरे पर हल्की हँसी थी। वो शरमा गई।

तब मैंने कहा- किस स्टाईल में शेव की है?

उसके चेहरे के भाव बदले, बोली- मतलब?

मैंने आगे कहा- मतलब किस स्टाईल में अपने बाल साफ़ किए हैं?

उसे समझ नहीं आया तो बोली- अब इसमें स्टाईल की क्या बात है, बस साफ़ कर दी।

मैंने अब आँख मारी- पूरी ही साफ़ कर दी?

वो अब थोड़ा बोल्ड बन कर बोली- और नहीं तो क्या, आधा करती? कैसा गन्दा लगता।

मैंने सब समझ गया, कहा- अरे नहीं बाबा, तुम समझ नहीं रही हो, लड़कियाँ अपने इन बालों को कई तरीके से सजा कर साफ़ करती हैं !

उसके लिए यह एक नई बात थी, पूछने लगी- कैसे?

तब मैंने उसको बताया कि झाँटों को कैसे अलग अलग स्टाईल मे बनाया जाता है, जैसे लैंडिन्ग स्ट्रीप, ट्रायन्गल, हिटलर मुश्टैश, बाल्ड, थ्रेड, हार्ट... आदि।

उसके लिए ये सब बातें अजूबा थीं, बोली- मुझे नहीं पता ये सब ! मैं तो जब भी करती हूँ, हमेशा ऐसे ही पूरी ही साफ़ करती रही हूँ। अभी दो महीने बाद किए हैं आज ! इतनी बड़ी-बड़ी हो गई थी। अम्मी को पता चल जाए तो मुझे बहुत डाँटती, वो तो जबरदस्ती बचपन में मेरा 15-18 दिन पर साफ़ कर देती थी। वो तो खुद सप्ताह में दो दिन साफ़ करती हैं अभी भी।
मैंने भी हाँ में हाँ मिलाई- हाँ, सच बहुत बड़ी थी, दो इन्च के तो मैं अपने नहीं होने देता, जबकि मैं मर्द हूँ।

मैं महीने में दो-एक बार काल-गर्ल घर लाता था। इसके लिए मैं एक दलाल राजेन्दर सूरी की मदद लेता। उसके साथ मेरा 5-6 साल पुराना रिश्ता था। वो हमेशा मुझे मेरे पसन्द की लड़की भेज देता। अब तो वो भी मेरी पसन्द जान गया था और जब भी कोई नई लड़की मेरे मतलब की उसे मिलती, वो मुझे बता देता।
ऐसे ही उस दिन शाम को हुआ। सूरी का फ़ोन आया करीब आठ बजे, तब मैं और सानिया खाना खा रहे थे।

सूरी ने बताया कि एक माल आई है नई उसके पास, 18-19 साल की। ज्यादा नहीं गई है, घरेलू टाईप है। आज उसकी ब्लड टेस्ट रिपोर्ट सही आने के बाद वो सुबह मुझे बतायेगा। अगर मैं कहूँ तो वो कल उसकी पहली बुकिंग मेरे साथ कर देगा।

सानिया को हमारी बात ठीक से समझ में नहीं आई, और जब उसने पूछा तो मैंने सोचा कि अब इस लौन्डिया से सब कह देने से शायद मेरा रास्ता खुले, सो मैंने उसको सब कह दिया कि मैं कभी-कभी दलाल के मार्फ़त काल-गर्ल लाता हूँ घर पर ! आज उसी दलाल का फ़ोन आया था, एक नई लड़की के बारे में।

उसका चेहरा लाल हो गया।

कहानी जारी रहेगी,
 
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UPDATE 03


काल-गर्ल के बारे में सुन कर सानिया का चेहरा लाल हो गया।

वो चुप-चाप खाना खाने लगी। फ़िर हम टीवी देखने लगे, वो एक फ़िल्म लगा कर बैठ गई। मुझे लगा कि शायद काल-गर्ल वाली बात उसे अच्छी नहीं लगी। पर मैंने उसे अब नहीं छेड़ा, सोचा देखें अब वो खुद कैसे मुझे मौका देती है।

अगली सुबह फ़िर सूरी का फ़ोन आया। मुझे लगा कि यह शायद ज्यादा हो रहा है, सो मैंने सूरी को मना कर दिया। सानिया फ़ोन पर मेरी जो बात हो रही थी, वो सुन रही थी। मेरे फ़ोन काटने पर उसने सब कुछ ठीक से जानना चाहा।

एक बार फ़िर उसकी इच्छा देख मुझे लगा कि बात फ़िर पटरी पर आने लगी है। मैं चाहता था कि कैसे भी अब आगे का रास्ता खुले जिससे मैं सानिया के मक्खन से बदन का मजा लूँ। पाँच दिन बीत चुके थे और दो-तीन दिन में उसके अम्मी-अब्बू आ जाने वाले थे।

मैंने गंभीर बनने की ऐक्टिंग करते हुए कहा- बुरा मत मानना सानिया ! पर तुम्हें पता है कि मैं अकेला हूँ, इसलिए अपने जिस्म की जरूरत के लिए एक दलाल सेट किया हुआ है, वो हर महीने 5 और 25 तारीख को मुझे फ़ोन पर पूछता है। मेरा जैसा मूड हो मैं उसको बता देता हूँ, वो लड़की भेज देता है। अक्सर जैसी फ़र्माईश की जाती है, वो इन्तज़ाम कर देता है।

वो बोली- प्लीज चाचू, आज बुला लीजिए ना। मैंने कभी काल-गर्ल नहीं देखी।

मैंने कहा- पर मैं तो तुम्हारे बारे में सोच कर मना कर रहा था, तुम क्या समझोगी मुझे अगर मैं घर पर लड़की बुला लूँ तब? ना ! यह ठीक नहीं होगा, तुम्हारे रहते !

पर अब वो जिद कर बैठी। शनिवार का दिन था, बोली- आज कॉलेज नहीं जाउंगी, अगर आपने हाँ नहीं कहा।

करीब एक घण्टे बाद मैंने कह दिया- ठीक है, पर..."

वो तुरन्त मेरा फ़ोन लाई, काल-बैक किया और स्पीकर ऑन कर के सामने बैठ गई।

मैं कह रहा था- हाँ सूरी, भेज देना आज 8 बजे, कोई ठीक-ठाक, घरेलू भेजना, पर नई भेजना, रचना या पल्लवी नहीं।

सूरी बोला- नई वाली सही है सर, रेट थोड़ा ज्यादा लेगी, पर मस्त माल है। आप उसके पहले दस में ही होंगे। मेरे से पहली बार बुक हो रही है। इसी साल +2 किया है और यहाँ पढ़ाई के लिए इस शहर में आई तो हॉस्टल से उसको रोजी मेरे पास लाई। दिखने में टॉप क्लास चीज है सर ! एकदम मस्त सर ! मैंने कभी गलत सप्लाई आपको किया आज तक। 34-23-36 है सर, एक दम टाईट।

मैंने रेट पूछा, तो उसने 6000 कहा, फ़िर 5000 पर बात पक्की हुई।अचानक मुझे थोड़ा मस्ती का मूड हुआ, मैंने कहा- सूरी, कहीं वो छुई-मुई तो नहीं, जरा उससे बात करवा सकोगे पहले?

वो बोला- नहीं सर ! घरेलू है, पर मस्त है, खूब मस्ती करती है, एक बार मैंने भी चखा है उसको, तभी तो आपको कह रहा हूँ। उसको मैं आपका नम्बर दे देता हूँ।

करीब दस मिनट बाद मेरा फ़ोन बजा, तो मैंने स्पीकर ऑन कर के हैलो किया।

उधर से वही लड़की बोली- जी, मेरा नाम रागिनी है, सूरी साहब ने मुझे आपसे बात करने को कहा है।

मैंने गंभीर आवाज में कहा- हाँ रागिनी, आज रात तुम्हारी मेरे साथ ही बुकिंग है। असल में मै तुमसे एक बात जानना चाहता हूँ, तुम तो नई हो। सूरी जो पैसे देगा तुमको वो तो ठीक है, पर क्या तुम्हें ऐतराज होगा, अगर मेरे साथ कोई और भी हो तो। मैं और पैसे दूंगा।

थोड़ी चुप्पी के बाद बोली- दो के साथ कभी किया नहीं सर।

मेरे मन में शैतान घुसा था कि आज जब सानिया साली खुद मुझे रन्डी बुलाने को कह रही है, तब आज उसको दिखाया जाए कि रन्डी चोदी कैसे जाती है।

मैं योजना बना रहा था, कहा- अरे नहीं, वैसा नहीं है, करना तुम्हें मेरे साथ हीं होगा। असल में एक लड़की मेरे साथ होगी, वो देखेगी सब जो तुम करोगी।

मैं यह सब बोलते हुए सानिया की तरफ़ देख रहा था। उसके चेहरे पे सुकून था, जैसे मैंने उसके मन की बात की हो।

रागिनी ने अब थोड़ा सहज होकर पूछा- कोई फ़ोटो-वोटो नहीं होगा ना?

मैंने कहा- बिल्कुल नहीं"

वो राजी हो गई, फ़िर पूछने लगी- सर, आपको कोई खास ड्रेस पसंद हो तो?

मैंने कहा-"नहीं, जो तुम्हें सही लगे। और कुछ याद करके पूछा- रागिनी, बुरा मत मानना, पर तुम्हारी योनि साफ़ है या बाल हैं?

वो बोली- जी बाल हैं, करीब महीने भर पहले साफ़ किया था, फ़िर अभी तक काम चल रहा है। सूरी सर ने भी कहा कि जब तक कोई आपत्ति ना करे मैं ऐसे ही रहने दूँ। आप बोलेंगे तो साफ़ करके आऊँगी।

मैंने खुश होकर कहा- नहीं-नहीं, तुम जैसी हो, वैसी आना। जरुरत हुई तो यहाँ कर लेंगे। और फ़ोन बंद कर दिया।

इसके तुरंत बाद जमील का फ़ोन आया कि उन्हें अभी वहाँ दस दिन और रुकना होगा, जब तक ऑपरेशन नहीं हो जाता, सानिया के नाना का।

मेरे लिए यह अच्छा शगुन था। मेरे लिए रागिनी भाग्यदायिनी साबित हुई थी।

मैं देख रहा था कि सानिया भी यह सब सुन खुश हो रही है। सानिया सब चुप-चाप सुन रही थी।

मैंने उसकी जाँघ पर हाथ फ़ेरा और कहा- अब तो खुश हो सानिया ! तुम्हारे मन की ही हो गई।

वो बिना बोले बस मुस्कुरा रही थी।

मैंने कहा- आने दो रागिनी को, आज उसकी लैंडिंग स्ट्रीप स्टाईल में बना कर बताउँगा। वो भी नई है, थोड़ा सीखेगी मेरे एक्स्पीरियेंस से।

सानिया कॉलेज़ चली गई। मैरी आकर घर का सारा काम कर गई। जाते समय मैंने मैरी को शाम को आने को मना कर दिया।

जब सानिया कॉलेज़ से आई तो बहुत खुश दिख रही थी। मैंने सानिया को बता दिया कि मैंने मैरी को शाम को आने के लिए मना कर दिया था।

फ़िर शाम को वो बोली- अब खाना बना लेते हैं, दो घण्टे में तो वो आ जायेगी।

सानिया किचन में गई, मैं टीवी में व्यस्त हो गया। साढ़े सात तक हमने डिनर कर लिया और बैठ कर रागिनी का इंतजार करने लगे।

8:10 पर काल-बेल बजी, तो सानिया तुरंत कूद कर दरवाजे तक पहुँची और उसे खोला।

मैंने देखा कि एक छरहरे बदन की थोड़ी सांवली लगभग सानिया की लम्बाई की ही लड़की सामने थी।

सानिया ने उसका नाम पूछा और भीतर ले आई।

मैंने रागिनी को बैठने को कहा तो वो सामने सोफ़े पर बैठ गई। सानिया अभी भी खड़े होकर उसको घूर ही रही थी।

रागिनी ने चटख पीले रंग का सूती सलवार-सूट पहना हुआ था, जो उसके बदन पर सही फ़िट था। लौन्डिया 18 की ही लग रही थी, 34-26-36 ! मेरी अनुभवी नजरों ने उसका माप ले लिया।

मैं अपनी किस्मत पर खुद हैरान था। मेरे पास दो-दो जवान लौन्डियाँ थी और दोनो बीस बरस से भी कम। रागिनी तो सानिया से भी उमर में छोटी थी, सानिया ने दो साल पहले इंटर किया था जबकि रागिनी ने इसी साल किया। हाँ, उसका बदन थोड़ा सानिया से ज्यादा भरा था। पर फ़र्क सिर्फ़ उन्नीस-बीस का ही था।

मैंने रागिनी से कहा- यह सानिया है, यही हमारे साथ में रहेगी कमरे में और सब देखेगी।

रागिनी ने अब भरपूर नजर से सानिया को घूरा ऊपर से नीचे तक।

मैंने पूछा- डिनर करके आई हो या करोगी?

उसने कहा- नहीं, जिस दिन बुकिंग होती है, रात में नहीं खाती।

रागिनी ने बताया कि वो सिर्फ़ शनिवार को ही सूरी से बुकिंग कराती है, और यह सब थोड़े मजे और थोड़े पैसे के लिए करती है।

बोली- इजी मनी, यू नो।

मैंने उसको 5000 दे दिये और कहा कि ये जो सूरी से बात थी, और फ़िर 2000 उसको देकर कहा- कि ये उसका अलग से हैं मेरी बात मानने के लिए।

वो संतुष्ट थी, बोली- एक बारऽऽ सर ! मैं बाथरूम जाना चाहूँगी।

मैंने कहा- ठीक है ! थोड़ा साफ़ कर लेना साबुन से, आगे-पीछे सब !

और मैंने उसको आँख मारी ताकि पहली बार की झिझक कम हो। मुझे उसके चेहरे से लग रहा था कि वो सही में नई थी। मैंने सानिया को उसे पानी पिलाने को कहा और वो पानी लेने चली गई। पानी पीकर रागिनी ने अपना दुपट्टा सोफ़े पर डाला और सानिया से पूछा- बाथरूम...?

करीब दस मिनट बाद वो आई और कहा- मैं तैयार हूँ, किस कमरे में ऽऽ ?

हम सब मेरे बेडरूम में आ गए, तब रागिनी ने पूछा- मैं खुद कपड़े उतारूँ या आप दोनों में से कोई?

मैं सानिया की तरफ़ देख रहा था कि उसका क्या मिजाज है। उसे लगा कि मैं शायद उसको कह रहा हूँ कि वो कपड़े उतारे, इसलिए वो रागिनी की तरफ़ बढ़ गई।

रागिनी ने उसकी तरफ़ अपनी पीठ कर दी। जब सानिया उसके कुर्ते की जीप नीचे कर रही थी, रागिनी ने सानिया से हल्के से पूछा- ये आपके पापा है?

कहानी जारी रहेगी,
 

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