Incest नई दुल्हन by deeply

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हम घुमंतु जाति से सम्बन्ध रखते है नाम है मेरा कविता, रंग गोरा , छाती वापू ने मीज मीज कर बडी की है मगर आज तक कुवारी रही शायद मै जादा बाहर ना निकली अनपढ रही और कोई जीजा के पाले ना पढी वरना हमारे समाज मे जीजा देवर का पहला हक होता है और पति का बाद, हमारे समाज मे एक लोकयुक्ति प्रसिद्ध भी है और हर माँ अपनी बेटी को कहती भी है कि " अगाडी पति जीजा पिछाडी का मजा मारे देवर ससुर" वरहाल आज मेरा पहला दिन है ससुराल मे,
पति का नाम ढेला दिखने मे भी ढेला से है एकदम दुबल पतले फूंक मारो उड़ जाये मगर रंग साफ है मगर लम्बाई 6 फुट से ऊपर ही होगी ससुराल मे एक देवर एक छोटी नंद वा सास-ससुर है कच्ची मट्टी का घर जिसकी छत छप्पर (घास-फूस) की बनी,हमारा समाज के गरीब भले हो मगर दिल बड़ा रखते है वा एक दूसरे के प्रति लगाव जो तेरा है वो मेरा जो मेरा है वो तेरा जैसे सिद्धांत रखने वाला है हमारा समाज, हमारे समाज मे कपड़े के नाम पर मात्र साडी पेटीकोट वा छोटी हो तो फ्रांक पहनते है हम ब्रॉ पेन्टी ना जानते है ना ही पहनते है मै भी आज लाल रंग की साड़ी पहनी थी जिससे मेरे दूध साफ छलक रहे है जो एकदम कडे हो चुके थे और भरे रंग की घुन्डीया साफ नजर आ रही थी,
 
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साड़ी मे मेरा पहना सुर्ख लाल रंग का पेटीकोट साफ नजर आ रहा था, मेरा हाथ ढेला पकड़े था मेरे चारों तरफ सास नंद देवर घेरे हुये थे आस पड़ोस के कई देवर तो मेरे पीछे पीछे मेरी भारी भरकम कुवांरी गांड का मजा आँखो से ही ले रहे थे कई तो खुसर फुसर कर रहे थे क्या मस्त गांड है मारने मे मजा आ जायेगा तो एक बोला बड़ी टाईट लग रही है तो दूसरा बोला देवर है इसके पटक के फाडेंगे, मै सुन सुन के शर्म से लाल हो रही है तभी एक भाभी बोली हाटो कुत्तो रंगनोई( होली) मे अपनी बारी का इंतजार करना इससे पहले नही, तभी एक देवर हॉ हाँ जानते है जानते है तुम्हारी भी तो रंगनोई मे फाड़ी थी, तभी हाये कितने बेशर्म हो गये हो तुम लोग देखते नही मेरी सास- पति भी यही है, भागो नई दुलहन के पीछे से, कुछ लोग इनकी नोक झोक का मजा ले हॅस भी रहे थे तभी मेरी सास ने कहाँ घर के अंदर कदम रखने से पहले बहू चौखट पर रखे रंग भरी थाली मे पैर रखो फिर बडो मैने येसा ही किया तभी सास बोली आज से बहू तुम इस घर की हुई और इस घर के लोग तुम्हारे सब को खुश रखना तुम्हारा फर्ज वा इस घर के सम्मान बनाये रखना, तभी एक बुढी औरत बोली बहुरिया बडो के सामने हमेशा घुघट करना, भले गाड दिखे मगर चहेरा ना दिखे समझी, मै बोली जी मां जी तभी सामने देखा एक बडा खुला बरमदा था कोने मे नल गडा था सामने दो पक्के कमरे थे आस पास की पड़ोस की छत पर कुछ ऑरते आदमी जमा थे नई बहु को देखने के लिए तभी सास ने कहा बहु सामने तुम्हारे ससुर वा घर के मालिक खडे है पहले घुटने के बल झुककर इन्हे दूर से प्रणाम करो फिर पास जाकर पैर झुकर अर्शीवाद लो मै घुटन के बल जैसे ही झुकी थी किसी ने मेरी गांड सहलाकर मेरी गांड मे उंगली कर दी मै चुहक पड़ी उई माँ और एक हाथ से गांड सहलाने लगी तभी किसी औरत ने कहाँ क्या हुआ बहु तभी दूसरी औरत बोल पड़ी कुछ नही लगाता है इतनी मस्त गांड देखकर किसी देवर को सब्र नही हुआ होगा उसने थोड़ा मजा ले लिया और यह सुनकर सब जोर से हंस पड़े
 
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तभी एक बुढी सास बोली अरे देवर भौजी का तो नोक झोक का रिस्ता है बहुरिया गाड जादा मत सहला वरना जितना सहलाईगी रंगनोई मे उतने ही चढेगे, बडे हरामी मर्द है इस गांव के सब के सब एक से बढ़कर एक साड मै तो अब तक झेल रही हूँ मुओ को तभी सब हंस पडे, तभी सास बोली चल ढेला बहू को बापू से आर्शीवाद दिला
 
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नई दुल्हन
मुँह दिखाई या बुर दिखाई
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नई दुल्हन
मुँह दिखाई या बुर दिखाई

निरूझू नाम था मेरे ससुर का उम्र 60 साल रंग संवला हट्टा कट्टा कसरती बदन शरीर पर केवल धोती रहती थी वो भी ऐसा पहनते थे कि जब कभी पलथी मार के बैठते थे तो उनका 8 इंची काले लंड का आधा भाग बाहर झांकने लगता , लंड की मोटाई इतनी की नई नवेली बहुये देख कर ही मूत मारती
इस समय ससुर सामने काले भूत के समान एक धोती मे लिपटे खडे थे, ढेला हाथ थामे मुझे उनके सामने ले गया , मै लंबा घुघट किये घुटने के बल उनके पैरो को अपना माथा रख कहा बाबूजी आर्शिवाद दे, तभी एक बूढी औरत बोल पड़ी सुखे आर्शिवाद देगा निरूझू, बडी मस्त बहू पाया है जो जो चढेगा वो जानेगा इसकी असली कीमत समझा, तभी ससुर ने मेरी दोनो चुची को पकड़ते हुये उठाया और कहा सुख पाओ सुख दो सदा सुखी रहो बहु, चुची पर ससुर के हाथ पड़ते ही मेरा रोया रोया गनगना गया और चौकी मगर किसी ने इस ओर ध्यान ना दिया तो मै भी कुछ ना बोल सकी, तभी ससुर ने एक संदूक से कमर पेटी( कमर मे पहनने वाला आभूषण) निकाल कहा ले बहू पहन ले, तभी सास बोल पड़ी तुम्ही पहना दो ना, तभी ससुर मेरी कमर पकड़ नाभी से साड़ी हटा दी , नाभी की गहराई उन्हे मदहोश सी करने लगी , मैने साडी भी इतने नीचे बाँधी थी कि ससुर उसे थोड़ा सा भी नीचे कर दे तो सफाचट की गई बुर साफ झलकने लगे मगर वो कमरबंध बाँधने की सुध खो चुके थे बस वो सुराहीदार कमर मे इस प्रकार खो चुके थे की उन्हे कोई सुध बुध ना रही हो तभी बूढी काकी ने डपटा निरूझू तेरे घर का माल है इतना भी बेसब्र ना हो कि बहू की नथ उतराई से पहले तु गोता लगा ले कुछ तो शर्म कर यह सुनते ही उन्हे होश आया जैसे उन्होने झट से कमरबंध मे गांठ बाँधते ही उठ खडे हुये, तभी पास खडे ससुर के दोस्त चुटकाईल हलके से बोल पडे माल तो करारा खोज लाया है बेटे के लिए यह तो अभी से लंड से पानी गिरा रही है तेरे तो भाग्य खुल गये , पास होने के कारण मेरे को भी यह शब्द सुनाई दे गये और मे शर्म से पानी पानी हो गई
लगभग शाम होने को आई गॉव मे बिजली बहुत कम रहती थी खासकर रात को , मुह दिखाई की रशम चल रही थी एक छोटे कमरे मे मट्टी के तेल का दीपक जल रहा था मैं लाल साड़ी मे बैठी थी और कमरे मे नंदे सासे थी पड़ोसी का औरत आती और 11 या 21 रुपये दे मुहँ देख कहती यह तो आग लगा देगी गॉव मे गजब की सुंदर है सरबती( मेरी सास का नाम) तेरी बहुरीया, शाम के 6 बज चुके थे बैठे-बैठे तभी रानू पड़ोसी देवर आया इस समय केवल नंदे ही बैठी थी तभी बोला भौजी मुहं दिखाई कितने की है तभी मेरी नंद सवित्रा बोल उठी 21 रुपये है पहले निकाल फिर दिखाईगी मुँह भौजी, रानू बोल पड़ा भौजी 21 रुपये मुंह दिखाई तो बुर दिखाई कितने मे करोगी भौजी,51 रुपये तपाक से बोल पड़ी मेरी नंद हिम्मत है निठल्ले देने की, जबान से मत फिरना रानू बोला, सवित्रा बोल पड़ी पहले 51 रुपये निकाल तो निठल्ले, रानू 51 रुपये हाथ मे देते हुये सवित्रा से बोला तो दिखा बुरचोदी , सवित्रा हैरान रह गई तभी और नंदे बोल पड़ी अब तो जवान हारी है भौजी की बुर तो खुलेगी ही, तभी पीछे से मेरा देवर भी आ चुका था वो बोल पड़ा भौजी उठा के कमर पर चढाओ वचन हारी हो, मै बोल पड़ी हाये भैया मेरा पहला दिन है ससुराल मे यह गजब ना करो मै ना दिखाऊँगी, तभी नंद बोली भौजी थोड़ी देर की बात है दिखा दो एक झलक बात रह जायेगी , मै बोल पड़ी येसा गजब ना करो आज छोड दो कभी और सब लोग है बाहर मजमा लगा है, तभी रानू की माँ भी कमरे मे आ चुकी थी उन्हे यह माजरा समझते देर ना लगी, उन्होने प्यार से मेरे सर पर हाथ फैरा और बोली बेटी तेरा देवर ही तो है दिखा दे, कल के तेरा मर्द कमाने चला जायेगा दिल्ली तब तेरी बुर का यही तो रखेगे देवरो से कैसी शर्म, चल सवित्रा इसकी साड़ी उठा बुर दिखा रानू को, देखा कैसी रसदार बुर लाई है गाँव के देवरो मर्दो के लिए तभी सवित्रा ने मेरी साडी घुटनो के ऊपर चढा मेरी दोनो टाँगे फैला दी तभी मैने शर्म से रानू के माँ के सीने मे अपना चेहरा छुपा लिया, दीपक की रोशनी मे मेरी झॉटे साफ की हुई बुर चमक उठी मेरे देवर और रानू दोनो का मुँह खुला का खुला रह गया चिकनी बुर से लासा जैसा पानी टपक रहा था, तभी छोटी वा कसी बुर की दरार से एक बूंद धरती पर गिर पड़ी जो दीये की रोशनी मे चमक सी रही थी तभी एक नंद बोल पड़ी बडी कसी जान पड़ती है इसमें तो कईयो के पसीने लगेगे तब जाकर कुछ चुदी जान पड़ेगी, तभी सास बोल पड़ी अरे गाँव मे देवर चचीया ससुर कम थोडे है कम पड़े तो इसकी बडी नंद के घर खुंटे से बाँधवा देगे जब तक गभिन ना हो उधर मे शर्म से लाल हुई जा रही थी तभी गजब ढा गया तेजी से सिसकारी मारते हुई ऊई माँ मैने नजर डाली तो पाया रानू मेरी बुर चाट रहा है , और मेरा देवर मेरी दोनो टाँगे कसकर फैलाये है, हाय देवर राजा अब छोड दो तभी रानू ने मुंह हटा कर मेरे देवर से बोला तु भी अमृत पान कर ले बडा मस्त पानी है तभी रानू ने टाँगे पकड ली और मेरा देवर मेरी बुर चाटने लगा, मेरी सिसकारी कमरे मे छुटने लगी और औरते मुहँ पर कपड़ा रख हँसने लगी, तभी देवर जी ने अपने हाथो से मेरी कमसीन बुर के होठो को जबरदस्ती कस कर फैला कर चाटने लगा मै रानू की माँ के सीने मे मुँह छुपाती बोली ऊई माँ अम्मा देवर जी को रोक लो मेरी बुर बिना चोदे फाड रहे है तभी रानू की माँ बोली बेटा बहुओ की बुर तो फटने के लिए ही होती है वो कल फटे या आज क्या फर्क पड़ता है वैसे भी जो चाट रहा है उसका हक बनता है कि नही बता, शर्म से मैने कहा जी मॉ जी बनता है चाटने का भी और फाड़ने का भी, इतने मै मैने पानी भी छोड दिया और मेरा देवर उसे मजे से चाटने लगा
 
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नई दुल्हन
ससुर की गंदी नजर

हॅसी का माहौल था लगभग बाहर के सभी लोग जा चुके थे तभी वो मेरे पति कमरे मे आये तभी सास बोली चलो बच्चो दूसरे कमरे मे ससुर देवर बरामदे मे सोते थे नंद सास दूसरे कमरे मे, यह कमरा मेरे लिये था, बरामदे मे ही टिन रख कर नीचे चुल्हा रखा था तो बरामदे के एक कोने मे नल गडा था तथा पानी निकासी के लिए नाली बनी थी घर की औरते उसी नाली मे पेशाब करती थी, लेट्रीन के लिए गॉव मे लोग खेत मे जाया करते थे, तभी अचानक प्रकाश की रोशनी मे घर जगमगा गया लाईट आ गई, सास बोल पड़ी मुई लाईन दोपहर को गई अब देर रात आ रही है ना जाने कब तक ठहरे गी कोई भरोसा नही इसका सवित्रा मोबाइल चार्जिग पर लगा दे, तभी मैंने सास से कहा माँ पेशाब लग रही है सास बोली जा बरामदे मे नल के पास नाली है वहाँ कर आ, पर माँ वहाँ बाबूजी बैठे है, सासू बोल पड़ी तो क्या हुआ तेरे बाबूजी है कोई पराये तो नही, और सुन हमारे यहाँ औरते रात मे साड़ी खोल देती है केवल दिन मे पहनती है वरना जल्दी गंदी हो जायेगी वा फट जायेगी, ढेला जी कमरे के कोने मे बिछे बिस्तर पर लेट चुके थे, वो केवल बनियान वा कच्छा पहने थे, सासू मॉ केवल एक पेटिकोट मे थी, पेटिकोट बाँधने वाली जगह सिलाई दूर तक उघड़ी थी जिसमे उनकी फटी बुर की दरार साफ नजर आ जाती थी, मैने भी साडी ऊतार दी, अब मात्र मे पेटीकोट मे थी, जा बहु बेटा इंतजार कर रहा है पेशाब कर इसकी इच्छा पूरी कर, जी मॉ जी कहकर कर मे चल दी कमरे से बाहर निकलते ही बाबूजी अपनी तख्त पर बैठे मिले उन्होने देखते ही बोला क्या हुआ बहु इधर आओ, इतना सुनते ही मै उनके पास पहुंची जी बाबूजी कुछ नही उन्होने सर से पाँव तक मुझे देखा मेरे कडे बडे दूध ध्यान से देखा फिर अपना हाथ मेरे चुतड़ो पर रखा पेटीकोट के उपर से सहलाने लगे, चुँकी ससुर थे इसलिए मैने एक डुप्पटे से घुंघट कर रखा था मगर उनकी हरकत से पुरे बदन मे सनसनी दौड़ पड़ी, अभी कुछ समय पहले देवर जी ने बुर चाट कर झाड दिया था मगर पेटीकोट के अंदर बुर फिर से लसलसा चुकी थी, तभी ससुर ने कहा की बेटा कोई परेशानी तो नही है, तभी सासू माँ कमरे से निकलते हुये कहा तु यही खडी है अभी तक चल जा मूत ले ढेला इंतजार कर रहा है और यह कहते हुये दूसरे कमरे मे चली गई, तभी ससुरे ने मेरे चुतड़ो को कस के दबा दिया, मै सिसकी मार दी ऊई, ससुर बोले जा मूत ले कोने मे, मै नाली की ओर चल दी, नाली से मुश्किल से दो मीटर दूर ही ससुर ने खटिया डाल रखी थी, पेटीकोट को उपर उठाते नाली पर बैठ गयी मगर संकोच वश मूत निकल ही नही रहा था, पीछे नजर डाली तो शर्म से पानी हो गई, ससुर जी धोती से अपना आठ इंची लंड निकाले मुठिया रहे थे, उनकी नजर मेरे गोल भारी चुतड़ो पर ही थी, यह देख मेरी करमजली बुरीया ने पानी फेक दिया, उधर बल्ब की रोशनी भी दुश्मन बन जैसे सीधे मेरे चुतडो पर पड़ रही थी, तभी मैने मूत निकालने के लिए हल्का जोर लगाया और चुतड थोडे ऊपर उठ गये जिससे मेरी गोरी गाँड का भूरा छेद उन्हे साफ नजर आने लगा, ससुर के मुँह से जोर से एक आह निकली क्या कसी गांड है बहु तेरी और उनके लंड से पानी निकलने लगा वो खडे होकर आगे बढ गये जिससे वीर्य का गर्म गर्म अहसास मेरे चुतड़ो को भी हो गया, ससुर के गर्म वीर्य गॉड पर पड़ते ही तेजी से बुर भी मूतने लगी, शायद जितने देर मूती होगी उतनी देर तक ससुर की पिचकारी मेरे चुतड़ो पर रह रह बरसती रही जैसे वो आज मेरे गोरे चुतड़ो से होली खेल रहे हो और इसे पूरा भिगा देने पर तुले हो
 
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नई दुल्हन
हाय रे तेरी शर्म

कमरे मे जाते ही मैने देखा ढेरा जी बेसब्री से मेरा इंतजार कर रहे है बोले कहा रह गई इतनी देर मैने कहा वो नल के पास मूत रही थी तो फिसल गई पेटिकोट गंदा हो गया बदल लू इसे, तभी बोले रहने दे उसे, वैसे भी तुझे नंगा होना ही है, खामखाह गंदा करेगी, चल उतार कर इधर बैठ दैखू तो पूरे गाँव मे जिसने कहर ढाया है वो है कैसी, रानू बता रहा था तेरी नमकीन बुर का स्वाद बडा लाजवाब है, तभी मैने पेटीकोट की डोर खोल दी और मेरा जिस्म बल्ब की रोशनी मे नहा गया, गोरा बदन पतली कमर और भारी चुतड देख ढेला का मुंह खुला रह गया , बोल पड़ा सच कहते है लोग बडा जानमारू माल ले आया, क्या मस्त हुस्न है तेरा, इतने भारी गद्याये चुतड़ो मे फॅसी गाड कौन अभागा नही मारना चाहेगा, रानू सच कहता था पूरा गाँव मिलकर भी तेरी मदमस्त गॉड मे पानी नही भर पायेगा, मै शर्म से लाल थी हटो जी पूरा गाँव क्यो भरेगा मेरी गाँड मे पानी वो तो तुम्हारी छिनाल बहनियाँ शर्त हारी और चटवाना मुझे पड़ा अपनी बुर, तभी बैठे बैठे मैने अपनी दोनो टाँगे खोल दी, देखो जी कैसे उस हरामी और तुम्हारे हरामी भाई ने बेदर्दी से चाटा है, मेरी बिना झांटो की बुर खुलकर उसके सामने थी, बुर की दोनो फाँके आपस मे एकदम सटी थी छेद देखकर तो ऐसा लगता था की कैसे मूतती होगी इतने छोटे छेद से, लंड जाना तो दूर, ढेला पर जैसे लाखो बिजलियाँ सी गिर गई, उसने होश जैसे खो दिये वो एकटक बुर को देखता रहा, आपके भाई ने इस बेचारी को जबरदस्ती चियार चियार के चाटा है, तभी उन्हे होश आया उन्होने कहा तुम्हारा छोटा देवर है बच्चा है, मै तपाक से बोली बच्चा है वो सांड ये देखो मैंने बुर के होठो का फैलाया तो बुर खिल कर ढेला के सामने आ गई बुर की घुंडी और गुलाबी छेद एकदम स्पष्ट हो गये, ढेला ने देखा बुर के किनारे कुछ जादा ही लाल सुर्ख थे, देखो किस तरह उसने तुम्हारी बीबी की बुर चियारी है बेचारी लाल हो गई , ढेला से अब रहा नही गया और चपर चपर कुत्तो की तरह बुर चाटने लगा, सच मर्द कुत्ता होता है जिधर बुर नजर आयी नही लगता है चाटने, ढेला बोल पड़ा मै कुत्ता तु इस घर की कुत्तिया, ढेला जीभ तेजी से चला रहा है मै सिसकारी लेने लगी हाये चाट लो, और तेजी से, जे सच है अब तो मै इस घर की कुत्तिया हूँ, ढेला तब तो यह जानती होगी कातिक मे कुत्तीया का क्या होता है, मै शर्म से लाल होते हुये हॉ जी कुत्तिया पर कुत्ते बारी बारी से चढते है, तो आज क्या होगा जानती है, हाये आज इस कुत्तिया की बुर चोदी जायेगी, चल अब कुत्तिया बन तेरी गांड चाटनी है, तब झट मे कुत्तिया बन गई, वो मेरे पीछे आये और मेरे दोनो चुतड़ो को हाथ से फैलाते हुये मेरी गांड के भूरे छेद का दिदार करने लगे, क्या मस्त गांड है और ऐसा कहते हुये वो बुर से लेकर गांड के छेद तक जीभ से चाटने लगे, कभी कभी वो मेरी गांड का छेद कस कर फैला देते और अपनी जीभ डालने का प्रयास करते तो मेरा रोवा रोवा गनगना उठता, मै उनका अंडरवियर उतार दिया उनका 6 इंची लंड फनफना कर बाहर निकल आया, लंड उनकी तरह ही गोरा था और सुपड़ा एकदम लाल मैंने उसे पकड हिलाया तो घुंघरू सी आवाज आयी मै समझ गई इन्होने आपेरेशन कर लंड के टोपे मे घुंघरू डलवाये है हमारे समाज मे कई लड़के ऐसा करवाते है चुदाई की ठाप के साथ जब घुंघरू बजते है तब एक अलग ही आंनद आता है, मैने झट से वो प्यारा लंड मुँह मे डाल लिया और किसी बच्चे की भाँति उसे चुसने लगी, ढेला बोला बडा मस्त चुसती है कुत्तिया, और चपर चपर मेरी बुर गॉड चाटने लगा तभी उसने अपने दोनो हाथो से मेरे बुर के दोनो होठो जबदस्त तरीके से फैला कर चाटने लगा, मै दर्द से ऊई माँ हाये ऊई छोड दो फट जायेगी हाये , ऐसे ही फैला कर चाट रहा था ना मेरा भाई, जी ऊई माँ, कातिक की कुत्तिया को देखती है उस पर कौन कुत्ता चढ रहा कुत्तिया जानती है , जी नही उसका काम बस चुदवाना है जी, तभी ढेला ने एक दोरदार थप्पड मेरे चुतड़ो पर मारा, मै दर्द से बिलबिला उठी, तब कुत्तिया तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरे भाई की शिकायत करने की, कुत्तिया की तरह तेरी टाँग उठी रहनी चाहिये थी उसके सामने, तु उसकी भौजी है, फिर चाहे बुर फटे या चिथड़ा हो और यह कहते मेरी बुर और फैला दी, मै उई माँ बोल उठी आँखो से ऑसू लूडक आये और बुर से पानी नल की भाँति निकलने लगा वो चपर चपर चाटने लगे, देवर का मतलब समझती है ना, तेरी माँ ने बताया नही, जी देवर माने दूसरा वर मतलब दूसरा पति, पति के बाद औरत पर उसे चढने का हक है, इतना जानती है कुत्तिया तो तेरी टाँग उनके सामने अपने आप क्यों नही खुली, शर्म आ रही थी जी, तभी उन्होने एक जोरदार थप्पड मारा, हरामजादी कुत्तिया हाय रे तेरी शर्म,
 

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