Incest पापा की दुलारी जवान बेटियाँ

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बंसल - अरे बेटी बोलो तो क्या है वो।। अभी कार स्टार्ट करने से जरुरी कुछ नहीं है। नहीं तो हमे रात भर इसी जंगल में रहना पडेगा।

शालु - वो पापा मैंने ब्लाउज के अंदर कप वाली ब्रा पहनी है वो शायद काम आ जाए।

बंसल - तुम्हारी ब्रा?

शालु - हाँ (शालू अपनी ब्लाउज के सारे बटन खोल देति है और अपनी ब्रा दिखाते हुए कहती है)

शालु - देखिये न पापा। क्या इस से हो जायेगा?

बंसल नजदीक जाकर शालु के ब्लाउज हटा कर सिर्फ ब्रा में ढकी हुई उसकी चूचि को देखता है। फिर ब्रा के ऊपर हाथ फेरते हुए कहता है।


बंसल - हाँ बेटी इससे हो जाएगा।। तुम अपनी ब्रा उतार के मुझे दे दो।

(शालू पापा की बात मान कर पीछे मुड कर अपनी ब्रा खोल देती है, अपनी बेटी की नंगी पीठ देखकर बंसल का लंड खड़ा हो जाता है। वो अपनी उत्तेजना छिपाते हुए शालु के हाथ से उसकी ब्रा लेता है। शालु एक हाथ से अपनी चूचियां ढंकने की कोशिश कर रही होती है)

बानसाल - ब्रा को इधर उधर देखते हुए। हो जाएगा।। तुम इसमे पेशाब करो। (बंसल ब्रा को जमीन पर रख देता है)
(शालू अपनी साड़ी उठा कर अपने दोनों हाथो से पापा के सामने ही अपनी पेंटी घुटने तक सरकाती है और बैठ कर ब्रा के कप में पेशाब करने लगती है)

शालु - ओह पापा ये तो इधर इधर जा रही है।। पकड़िये न।। (बंसल तुरंत जमीन पे बैठ जाता है और ब्रा की कप को हाथ में उठाये शालू की पेशाब को ब्रा के कप में में लेता है। ऐसा करते हुए कई बार शालू की पेशाब उसके पापा के हाथो पे गिरती है। बंसल अपनी बेटी को पेशाब करता देख उत्तेजना से भर उठता है। उधर शालू भी शर्म से लाल हो जाती है, उसे अपने शरीर में कुछ अजीब सी अनुभूति होती है। उसे शर्म भी आ रही थी और थोड़ी उत्तेजित भी हो रही थी।
 
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बंसल ब्रा के कप भरते ही दौड कर गाडी की बोनट के अंदर डालता है। फिर तुरंत शालू की साड़ी ऊपर उठा कर कप अंदर लगा देता है। ऐसा करते हुए उसे अपनी बेटी की बुर की दर्शन हो जाती है। शालु को भी पता चल जाता है की पापा ने उसकी बुर को देख लिया है। पेशाब करने के बाद बंसल सारा पेशाब गाडी में डाल देता है उसके हाथ और सीने उसकी बेटी के पिशाब से गीले हो गए थे। पेशाब की महक आ रही थी।

बंसल और शालू गाडी में आकर बैठते हैं बंसल अपनी बेटी की चुत देख अपने होश खो बैठा था। वो अपने खड़े लंड को मसल रहा था। वो नहीं चाहता था की गाडी स्टार्ट हो और वो इतना अच्छा मौके को हाथ से गवाँ दे। लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था की वो अपनी बेटी को कैसे सेक्स के लिए राजी करे? बंसल ने सोचा शालु को कार के बारे में कुछ पता नहीं है तो क्यों न इस बात का फ़ायदा उठाया जाए। उसके शैतान दिमाग में सेक्स की भूख अपनी चरम सीमा पे पहुच गई थी। वो गाडी को स्टार्ट करने की झूठी कोशिश करने लगा।

शालु - अब क्या हुआ पापा ?

बंसल - पता नहीं बेटी, लगता है कार में कुछ और ही प्रॉब्लम है। शायद यहाँ चाभी लगाने वाली जगह में कुछ प्रॉब्लम हो गई है।

शालु - कैसी प्रॉब्लम पापा?

बंसल - शायद इसमे अंदर के तरफ जंग लग गई है। क्या तुम्हारे पास वेसलिन या कोई तेल है?

शालु - पापा आप तो जानते हैं मैं कोई भी हेयर आयल नहीं यूज करती, तो साथ में ले कर कैसे चलुंगी।

बंसल - ओह इसमे कुछ तेल या लुब्रीकेंट ग्रीज़ वग़ैरह डालना पडेगा।। अब क्या करूँ मैं।

शालु - पापा कार की चाभी को मुह में ले कर गिला करू मैं? शायद थोड़ा स्पिट से ग्रीसिंग हो जाए।।

बंसल - मुझे नहीं लगता लेकिन फिर भी कोशिश कर के देखो। ( शालु कार के चाभी को मुह में डालकर उसपे थूक लगाकर बंसल को दे दिया। बंसल ने फिर से ट्राइ किया मगर गाडी स्टार्ट नहीं हुई)
 
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बंसल - देखा मैंने कहा था न थूक से काम नहीं चलेगा कुछ लुब्रीकेंट हो तो चलेगा।। (बंसल अपनी शरारत पे मन ही मन हँस रहा था )

बंसल - बेटी क्या तुम इस चाभी को दूसरे तरीके से गिला कर सकती हो?

शालु - कैसा दुसरा तरीक पापा?

बंसल - बेटी।।तुम्हे पता है न एक लड़की में सबसे ज्यादा चिपचिपा पानी कहाँ से आता है?

शालु - (पापा की बात सुनकर शालू ने आँखें झुका ली) पापा।। वो मैं कैसे?।।।। ओहः।।

बंसल - बेटी हम दोनों मजबूर है, कार बस स्टार्ट हो जाये इस जंगल में कुछ भी बुरा हो सकता है हमारे साथ।

शालु - हाँ पापा आप ठीक कहते हैं।
(शालू ने सीट पे बैठे हुए अपनी साड़ी घुटने तक उठायी और हाथ अंदर डाल कर पापा के सामने ही पेंटी नीचे की तरफ खीच के उतार दी। उसने पेंटी उतार कर कार के गियर पे डाल दिया। बंसल ने सपने में नहीं सोचा था की उसकी बेटी इतनी बेशरमी से अपनी कच्छी उतारेगी वो भी अपने पापा के सामने)

बंसल की नज़र लगातार शालु की खुली जाँघो की तरफ थी, शालु ने अपना हाथ अंदर डाला। वो अपनी आँख बंद कर सीट पे मचल रही थी, बंसल को समझ में आ रहा था की उसकी बेटी अपनी ऊँगली को बुर में डाल रही है।

जब उसने हाथ बाहर निकाला तो उसकी दो उँगलियाँ रस में डुबोयी हुई थी। शालु ने चाभी ली उसने दोनों ऊँगली को चाभी पे मल दिया। उसकी चिपचिपी उँगलियाँ और चाभी के बीच बुर का रस नज़र आ रहा था। लार की तरह शालु के बुर का चिपचिपा पानी हल्का हल्का सफ़ेद कलर का था और बंद कार में उसके बुर की महक फ़ैल गई थी।
 
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बंसल ने पहली बार अपनी बेटी की बुर की महक ली थी, उसका दिल कर रहा था की वो लंड बाहर निकाल ले। शालु भी अपने पापा के मूड से अन्जान नहीं थी, पेंट के अंदर उनके उठे हुए लंड को देख कर शालु की उत्तेजना और बढ़ गई। उसने पापा से कहा।।

शालु - पापा मैं ये चाभी ही डाल कर बाहर निकालती हूँ फिर आप कोशिश करियेगा।

(शालू ने इस बार चाभी अंदर डाली और चीनी के चासनी की तरह चिपचिपी चाभी को बाहर निकाला।)

शालु - ये लिजीये पापा।

बंसल ने चाभी हाथ में लिया, वो शालु के बुर की गरम पानी को अपने उँगलियों पे महसूस कर रहा था उसने चाभी को कार का इंजन स्टार्ट करने के लिए अंदर डाला और बहाने से अपनी उँगलियों को सूँघने लगा। शालु ने पापा की इस हरकत को देख लिया था उसके बुर से लगातार पानी निकल रहा था । बिना पेंटी के सीट पे बैठी उसे पता था की पानी अब बाहर सीट पे भी फैल गया है।

बानसाल - बेटी, अभी भी स्टार्ट नहीं हो रही। लगता है तुमने ठीक से इसपे पानी नहीं लगाया।

शालु - लगाई तो थी पापा। आपके सामने ही पूरी चाभी अंदर डाली थी मैं ।

बंसल - इतने से नहीं होगा बेटी, और ज्यादा गिला होना चाहिये।

शालु - अब मैं क्या करूँ पापा, मुझे तो लगा की आज ज्यादा पानी निकल रहा है (शालू शरमाते हुए बोली)

बानसाल - बेटी ये तो बहुत कम है तुम्हारी मम्मी के वहां से तो और भी पानी निकलता था जब मैं उसे किस करता, या इधर उधर हाथ लगाता।

शालु - पापा मम्मी आपकी पत्नी है, आप जब ऐसा करते होंगे तो उन्हें अच्छा लगता होगा। आपके टच करने से उन्हें ऐसा होता होगा।

बंसल - तो मैं तुम्हे वहां छुऊँ तो ज्यादा गीलापन आएगा? (बंसल ने अपना हाथ शालू की खुली जाँघो पे रख कर कहा)

शालु - (अपनी गर्दन नीचे कर शरमाते हुए) मुझे नहीं पता पापा।

बंसल शालु की जांघ सहलाते हुए ऊपर बढ़ रहा था। शालु को अजीब सा हो रहा था वो न चाहते हुए भी अपनी जांघो को खोले पापा के हाथ को रास्ता दे रही थी। पापा का हाथ बुर पे लगते ही शालु की बुर एकदम गिली हो गई।
बंसल ने शालु को होठ पे किस किया और एक हाथ से बिना ब्रा की उसकी चूचियों को ऊपर से ही मसलने लगा।
 
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शालु पापा की शर्ट को पकड़ कर मसल रही थी की तभी सामने रखे मोबाइल की घण्टी बजती है। शालु का गला सुख जाता है फ़ोन पे शालु की छोटी बहन रीना थी। बंसल अपने हथेली को लगातार शालू के बुर पे रगड रहा था, बंसल अपना हाथ नहीं निकालना चाहता था तो उसने शालु को फ़ोन उठाने का इशारा किया।

शालु (फ़ोन पे) - हेलो छोटी

रीना - हाय दीदी, कैसी हो? फ़ोन नहीं कि कितने दिनों से। आपको मेरी याद नहीं आती।

शालु - नहीं रीना ऐसी बात नहीं है।

रीना - अच्छा आप क्या कर रही हो।

शालु संभल नहीं पा रही थी की वो रीना को क्या बोले, बड़ी मुश्किल से वो अपनी सिसकारियां कण्ट्रोल कर रही थी।

शालु - कुछ नहीं बेड पे लेटी हूँ(शालू ने अपनी टाँगें फैला दी)

रीना - और पापा क्या कर रहे है।

शालु - पापा, आए पापा ग्रीसिंग कर रहे हैं कार की।

रीना - ओके फ़ोन दो पापा को।

शालु - नहीं वो बात नहीं कर पाएँगे उनकी उँगलियों पे बहुत सारा ग्रीस लगा हुआ है। मैं उन्हें बोल दूंगी ग्रीसिंग करने के बाद वो तुम्हे कॉल कर लेंगे।

रीना - ओके दीदी टेक केयर बॉय।

शालु ने फ़ोन रखा और चैन की साँस ली। उसे अपनी बात पे हंसी आ रही थी की पापा ग्रीसिंग कर रहे है।

बंसल - बेटी अब तो ये बहुत गिला हो गया है तुम्हारे रस से, देखो न (बंसल ने अपना हाथ बाहर निकाल कर दिखाया। शालू को शर्म आ रही थी। )
 
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शालु - पापा बस करिये न दर्द होने लगी मेरी। शायद चाभी ड़ालने से स्किन छिल गई है। अब मत करिये पापा बहुत दर्द हो रहा है।

बंसल - बेटी तो फिर कैसे होगा?

शालु - मैं क्या करूँ दर्द हो रही है।

बंसल - तो कहाँ से लुब्रीकेंट लॉऊँ? अगर तुम नहीं दोगी तो? क्या मैं अपना निकालूँ?

शालु - हाँ पापा आप अपना पेशाब क्यों नहीं निकालते?

बंसल - मैं पेशाब की बात नहीं कर रहा, मैं मुट्ठ की बात कर रहा हू। उसमे ज्यादा चिकनाइ होती है।

शालु - छी पापा वो कैसे निकलेगा?

बंसल ने बिना देर किये अपना लंड पेंट से बाहर निकाल लिया और शालु को दिखाते हुए कहा। बेटी इसको रगडने से निकलेगा।

(शालू पापा का बड़ा सा लंड देख कर घबरा जाती है)

बंसल - बेटी अगर तुम इसे हाथ में लेकर रगड़ो तो जल्दी निकल जायेगा

शालु - मैं नही।।।

बंसल - पकडो बेटी, (कहते हुए बंसल ने शालू का हाथ पकड़ लिया और अपने खड़े लंड पे रख लिया)

शालु - ओह पापा कितना गरम है ये।

बंसल - अब तुम इसकी स्किन खीच कर नीचे खोलो।

(शालू ने वैसा ही किया लंड को पूरा खोल दिया। लंड के स्मेल शालू को पागल कर रही थी। वो लंड पकड़ कर ऊपर नीचे हिलाने लगी)

बंसल - और तेजी से हिलाओ बेटी।। मेरा मुट्ठ निकाल दो।

शालु - ओके पापा, ये लीजिये।
शालु तेजी से लंड हिलाने लगी, और फिर कुछ ही पलों में बंसल का मुट्ठ शालू के हथेली पे निकल गया।

शालु - ओह पापा ये आपने क्या किये मेरे हाथ पे ही निकाल दिया।

बंसल - सॉरी बेटी।

शालु - आपका कितना ज्यादा निकला है पापा। मैं चाभी को इसमे भिगोती हू। शालु चाभी को हाथ में लेकर पापा के मुट्ठ में डूबाने लगती है।

बंसल - अब स्टार्ट कर के देखो बहुत ग्रीसिंग हो गई।

शालु कार स्टार्ट करती है, हाँ पापा ये तो स्टार्ट हो गई। दोनों ने राहत की साँस ली।
 
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शालु - पापा, आपने तो पूरा सीट गन्दा कर दिया।

बंसल - तुमने भी तो गन्दा कर दिया देखो तुम्हारी बुर से कितना पानी निकल रहा है सीट पे।

शालु के लिए पापा के द्वारा बुर शब्द का इस्तेमाल करना बहुत शॉकिंग था।

शालु - लेकिन पापा आपका ज्यादा गिरा है।

बंसल - तुम्हारे हाथो से गिरा है न। तुम्हारी गलती है।

शालु - आपने भी तो मेरा निकाला।

बंसल - तो ठीक है तुम मेरा साफ़ कर दो और मैं तुम्हारा।

शालु - (बंसल आगे बढ़ कर शालू की साड़ी और पेटीकोट उतार देता है। शालू पूरी नंगी होती है। बंसल नीचे झुक कर शालु के मोटी थाइस चाटने लगता है।

शालु - ओह्ह पापा।

बंसल अपनी जीभ से शालु की बुर चाटने लगता है। शालु मदहोश हो जाती है।

बंसल - बेटी क्या किसी ने तुम्हारी बुर चाटी है कभी?

शालु - नहीं पापा।आज तक किसी ने मेरी बुर नहीं चाटी।

बंसल - क्या तुम्हे अच्छा लग रहा है?

शालु - हाँ पापा और चाटिये ।

बंसल अपना लौंडा हाथ में लेता है ..शालू की चूत को दूसरे हाथ की उंगलियों से फैलाता है और अपना सुपाड़ा चूत के मुँह पर रखता है..लौडे के चूत पर छूने के महसूस से शालू सीहर उठती है ...आँखें बंद कर लेती है...
बंसल लौडे पर अपनी चूतड़ का वज़न डालता हुआ एक हल्का झटका मारता है..शालू की चूत इतनी गीली थी की उसका आधे से ज़्यादा लंड उसकी बेटी की शानदार ,रसीली चूत के अंदर फिसलता हुआ चला जाता है..शालू के मुँह से हल्की सिसकारी निकल जाती है ....."आआअहह....हा आह..."
बंसल भी चूत के अंदर की गर्मी , गीलापन और मुलायम सी पकड़ का अपने लौडे पर महसूस कर सिहर उठता है ....और फिर एक ज़ोर का धक्का लगाता है ..उसका पूरा लंड जड़ तक अपनी बेटी की चूत के अंदर दाखिल हो जाता है ..
शालु मज़े में उछल पड़ती है .... " हां ....आह पापा .आह ..आह .... अब रोकिए मत ...प्लीज़ ....बस गो ऑन ..गो ऑन ...फक मी हार्ड ...ज़ोर से ..ज़ोर से पेलो पापा.... .आह आह ....बस ऐसे ही मेरे अच्छे अच्छे पापा ..मेरी जान से प्यारे पापा..चोदिये अपनी बेटी को...मज़े ले ले के चोदिये ......आआआआआआह ..""
बंसल के धक्के ज़ोर पकड़ते जाते और शालू मस्ती की आगोश में कुछ भी बड़बड़ाती जाती ......
" हां बेटी ..मेरी जान ..मेरी रानी बेटी ..मेरी प्यारी बेटी..ले ना..ले ना बेटी मेरा लौंडा ..मेरा लंड ..मेरा सब कुछ ले ले ना ....सब कुछ तेरा ही तो है ना.. आह तेरे अंदर इतना मज़ा है बेटी ..कितना आराम है..कितना शूकून है ....उफफफफ्फ़ ..आह ....ले ले ..यह ले ..." बंसल भी बड़बड़ाता हुआ जोरदार धक्के पे धक्का लगाकर अपनी बेटी की चूत में पेलता जा रहा था ..
उस के नीचे उसकी अपनी बेटी चूतड़ उछाल उछाल कर लंड अंदर ले रही थी...थोड़ा भी लंड बाहर नही छोड़ती ...
 
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मस्ती के एक अजीब ही आलम में थे दोनों ..मानो हवा में उड़ रहे थे....इस दुनिया से बेख़बर किसी और ही दुनिया में थे ....जहाँ कोई और नही था सिर्फ़ दो थे..और साथ थी थप थप. फच फच..की आवाज़ , बदन से बदन टकराने की आवाज़ ..होंठों से होंठ चूसने की चटखार ....आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ..उउउउउउउउउउह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाईईईईईईईईईईईईई ....की सिसकारियाँ ..

शालू-अब ये आप क्या कर रहे हो पापा।
बंसल-बेटी मैं अपने लंड से तुम्हारी बुर की ग्रीसिंग कर रहा हूँ।

शालू ने अपनी टाँगों से बंसल के चूतड़ जकड़ लिए थे ...और अपनी ओर दबाती जाती ..बंसल के धक्के ज़ोर पकड़ते जाते..ज़ोर ..और ज़ोर ..और ज़ोर ..और ज़ोर .....और फिर शालू की चूतडो ने उछाल मारी .....उसकी चूत ने पापा के लौडे को बूरी तरह जकड़ लिया..मानो पापा के लौडे को चूस लेगी अपनी चूत से ....और फिर एक दम से चूत ढीली पड़ गयी ..टाँगें थरथरा उठी ..बदन कांप उठा ....और वो पापा के नीचे ढीली पड़ गयी..उसकी चूत से रस का सैलाब छूट रहा था ....
बंसल के लौडे ने अपनी बेटी के चूत रस की फुहार की गर्मी महसूस की ...उसका लॉडा और शरीर गनगना उठा ..सीहर उठा और वो भी एक जोरदार धक्का लगाते हुए लंड से अपनी बेटी की चूत में पीचकारी की धार छोड़ दी..लंड झटके पे झटका खा रहा था बेटी की चूत में ...दोनों कुछ देर शांत रहे एक दूसरे को चूसते हुए।

शालू एक हाथ से बंसल का लंड बाहर निकालती है और फिर उसे कस कस के चूसने लगती है।वह अपने जीभ से अपने पापा का लंड ऐसे चाट रही थी की बंसल का लंड फिर से फ़ुफ़कारने लगा।अब बंसल अपनी बेटी के गरम मुँह को ही चोदने लगता है जैसे मुँह न होकर उसकी बेटी की चूत हो। अपनी बेटी के मुह की गर्मी पाकर बंसल एक बार फिर शालु के मुह में ही स्खलित हो जाता है। शालु पापा का मुट्ठ चाट कर साफ़ करती है।
 
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शालु - पापा आपने तो कार के साथ साथ मेरी भी ग्रीसिंग कर दी।

बंसल - हाँ, मैं तो तुम्हारी हर रोज ग्रीसिंग करूंगा। इस शहर में न तुम्हारी मम्मी उर्मिला है न ही मेरी छोटी बेटी है। तो हम दोनों हर रोज सेक्स कर सकते है। क्या तुम्हे अपने पापा के साथ सेक्स करने में ऐतराज़ है।

शालु - नहीं पापा मैं तो आपकी होना चाहती हूँ आपसे चुदने में मुझे बहुत मजा आया। मैं भी आपको अपनी चूत का सुख देना चाहती हूँ।


बंसल और शालु दोनों अपनी पहली चुदाई का बहुत आनन्द लेते है। बंसल अपने पेंट की ज़िप बंद करता है और उधर शालु अपनी साड़ी सवारने में लगी होती है। बंसल ड्राइवर सीट पे बैठा होता है और शालु बगल के सीट पे, जब वो गियर पे रखी अपनी पेंटी को उठाती है तो बंसल उसका हाथ पकड़ लेता है।

बंसल - रहने दो बेटी, साड़ी तो पहन लिया न अंदर कच्छी पहनने की क्या जरुरत है।

शालु - ठीक है पापा, आप कहते हैं तो नहीं पहनती हूँ।

बंसल कार स्टार्ट कर धीरे धीरे सड़क की ओर बढ़ने लगता है। कार की हेडलाइट टूट जाने के कारण उसे काफी दिक्कत होती है। कार की रफ़्तार ३०-४० से कम की होती है। बंसल बड़े ही सावधानी से गाड़ी चला रहा होता है। शालु बगल में बैठी बोर हो रही होती है। उसे थोड़ी शरारत सूझती है और वो अपना हाथ पापा के पेंट के ऊपर सीधा लंड पे रखती है।

शालु - ओह पापा, ये तो कितना छोटा हो गया।

बंसल - बेटी इतना सारा रस निकाल कर अब ये थक गया है। लेकिन तुम इसे छेड़ोगी तो ये दूबारा खड़ा हो जाएगा।

शालु पापा का एक हाथ पकड़ कर अपने घुटने पे रखते हुये साड़ी के साथ ही ऊपर की ओर खिचती है। ऐसा करने से शालु की मोटी जाँघ नंगी हो जाती है और बंसल अपने हाथ शालु की जाँघो पे फेरने लगता है। बंसल को पता है की शालु ने पेंटी नहीं पहनी है वो अपनी हथेली को उसकी गरम चूत के पास ले जाना चाहता है। शालु भी गरम हो जाती है और अपनी जाँघे फैला बंसल के रफ़ हथेली को अपनी नंगी गिली चूत पे रगडने लगती है।
 
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बंसल का लंड अब अपने कण्ट्रोल से बाहर हो चूका था, किसी तडपती मछली की तरह लंड पेंट के अंदर ही फडफडाने लगता है। शालु पेंट का ज़िप खोलती है और लंड को बाहर निकाल कर सहलाने लगती है।

बंसल - आह बेटी।। तुम मुझे पागल कर रही हो।। जोर से अपना हाथ हिलाओँ और मेरे लंड का पानी निकाल दो।


शालु - ओह पापा आप कितनी जल्दी उत्तेजित हो जाते हो। अपना ध्यान गाडी चलाने पे लगाईये मैं तो ऐसे ही आपको टेस्ट कर रही थी। होटल चल कर शांत कर दूंगी आपको अभी नही। (कहते हुए शालु बंसल का हाथ अपने साड़ी के अंदर से निकाल देती है और लंड को भी छोड़ देती है)

बंसल - शालु बेटी तुम बहुत बदमाश हो, मुझे अपनी चूत दिखा के कहती हो की मत चोदीये।। होटल चलो तुम्हारी चूत को मसल मसल कर लाल कर दूंगा।

बंसल अपनी गाडी की रफ़्तार बढा देता है, थोड़ी दूर आगे जाने पे उसे सामने से जीप की हेडलाइट चमकती दिखाइ पड़ती है।

बंसल - ओह।। ये क्या? इस जंगल में चेक पोस्ट?

शालु - क्या हुआ पापा?

बंसल - बेटी लगता है कुछ पुलिस चेकिंग चल रही है। रुको मैं देखता हूँ।

तभी एक पुलिस वाला कार के नज़दीक आकर अपने डण्डे से कार के शीशे पे २ बार चोट मारता है।

पोलिस मैन - चलो चलो कार साइड में लगाओ।।

बंसल - (कार का शीशा खोलते हुए), क्या बात है इंस्पेक्टर साहब?

पोलिस मैन - (बहुत ही बेरहमी से) चल चल बाहर निकल।

बनसल गाडी को साइड में खड़ी कर बाहर निकलता है

पोलिस मैन - (शराब के नशे में चूर) लाइसेंस दिखाओ।। इतनी रात गए कहाँ से आ रहा है तू? और ये लौंडिया कौन है तेरे साथ?

बनसल - देखिये आप तमीज से बात करिये।

पोलिस मैन - साला हमें तमीज सीखाता है बहनचोद। ये डंडा पूरा तेरी गांड में घुसेड दूंगा। अबे तिवारी इधर आ देख साला ये बहनचोद मुझे धमकी देता है।
 

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