Adultery प्यासी चूत

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तारीख 25 दिसम्बर समय शाम के 7 बजे मैं अपने दोस्त विशाल के साथ एक पार्टी में जा रहा था.

रास्ते में एक पेट्रोल पंप पर मैंने अपनी बाइक रोकी और 200 रूपये का पेट्रोल डालने को कहा.

सेल्समैन ने क्या हेराफेरी की, यह तो मैं नहीं समझ पाया लेकिन इतना कन्फर्म था कि मेरी बाइक में 200 रूपये का पेट्रोल नहीं डाला गया.

मेरे आपत्ति दर्ज कराने पर पंप के कर्मचारी एकत्र होकर मुझे समझाने लगे.
मैंने पंप मैनेजर से कहा- मैं माप तौल विभाग और पुलिस को सूचना दूँगा और उनके आने पर मेरी बाइक का पेट्रोल नापा जायेगा. यदि 200 रूपये का पेट्रोल नहीं निकला तो आप जवाब दीजियेगा.
मेरे जेब से मोबाइल निकालते ही मैनेजर ने कहा- सर, दस मिनट का समय दे दीजिये, मैं अपने मालिक को बुला लेता हूँ.
“बुला लो, मुझे कोई जल्दी नहीं है.”

दस मिनट में ही एक लम्बी सी मर्सिडीज कार में पंप मालिक सुधीर आ गये और बोले- मैं अपनी वाइफ के साथ एक पार्टी में जा रहा था. मैनेजर का फोन आया तो मैंने गाड़ी इधर मोड़ दी, बताइये क्या दिक्कत है?

मेरे द्वारा मामला बताने पर उन्होंने अपने कर्मचारियों का बचाव करने का प्रयास किया तो मैंने कहा- ऐसा लगता है कि इस हेराफेरी में आप भी शामिल हैं.

इस पर बातचीत में गर्मागर्मी बढ़ गई.
तभी मालिक की पत्नी कार से निकल कर आई, पूरी बात सुनी और पंप मैनेजर से कहा- साहब की बाइक में तेल कम डाला गया है या ज्यादा, भूल जाओ. 200 रूपये का तेल और डालो, साहब का जो टाइम तुमने खराब किया, उसके लिए मैं सॉरी कहती हूँ.

उस महिला का व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि मैं कुछ बोल ही नहीं पाया, बस उसे देखता रह गया.
मुझे अपना नम्बर देते हुए मालिक की पत्नी बोलीं- भविष्य में किसी भी पेट्रोल पंप पर कोई दिक्कत हो तो आप मुझे कॉल करियेगा. मेरा नाम चित्रा है. इस पंप का लाइसेंस मेरे नाम से है और मैं जयपुर पंप एसोसिएशन की सेक्रेटरी हूँ.
मैडम ने मेरा नम्बर अपने फोन में सेव कर लिया.

बाइक आगे बढ़ाते ही विशाल बोला- मैडम बहुत तेज और समझदार हैं. वो जानती थीं कि अगर माप तौल विभाग व पुलिस के लोग आये तो लाख पचास हजार से कम चूना नहीं लगेगा.

इसके 6 दिन एक जनवरी को नया साल आ गया.
दोपहर का समय था, मिसेज चित्रा का फोन आया- विजय जी, गुड ऑफ्टरनून. मैं चित्रा बोल रही हूँ, आपको नववर्ष की बहुत बहुत बधाई.

“आपको भी नये साल की शुभकामनाएं. मैं आभारी हूँ कि आपने बधाई देने के लिए मुझे कॉल किया.”
“मैंने आपको कॉल तो इसलिये किया है कि आपका एड्रेस जान लूँ ताकि आपको नये साल की डायरी, कैलेण्डर आदि भेज सकूँ.”

मेरे एड्रेस बताने पर बोलीं- आप तो पड़ोसी निकले, हम भी अशोक नगर में ही रहते हैं, गाँधी स्कूल के पास.

कुछ देर की बातचीत के बाद कॉल समाप्त हो गई.

शाम को उनका एक कर्मचारी डायरी, कैलेण्डर व चाकलेट का डिब्बा दे गया.
मैंने धन्यवाद कहने के लिए फोन किया तो बोलीं- किस बात का धन्यवाद, विजय साहब. जीवन में सम्बन्ध ऐसे ही बनते हैं, उस दिन अगर आप पुलिस बुलाने की जिद पर अड़ जाते तो हमारे लिए मुसीबत हो जाती. लेकिन आपने गुड ब्वॉय की तरह मेरी बात मान ली, ऐसे में मेरा भी कुछ फर्ज बनता है. बाई द वे आप करते क्या हैं?

“मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव हूँ!”
“अरे वाह. तब तो आप बड़े काम के आदमी हैं. हमको पतला होने की कोई दवा दे दीजिये.”

“आप ठीक तो हैं, मोटी कहाँ हैं?
“हा हा हा. मैं मोटी नहीं हूँ. आप भी अच्छा मजाक करते हैं.”

“नहीं, मैडम. मैं मजाक नहीं कर रहा. आपकी बॉडी परफेक्ट है. फिर भी आप कुछ कम करना चाहें तो मैं दवा दे दूँगा.”
“दे दीजियेगा, मैं पाँच सात किलो कम करना चाहती हूँ.”

अब अक्सर बातचीत और व्हाट्सएप पर चैटिंग होने लगी.

तभी एक दिन चित्रा ने कहा- आपने मुझे दवा नहीं दी?
“सॉरी, मैं भूल गया था. आप किसी को कल मेरे घर भेज दीजिये, मैं दे दूँगा.”
“किसी को आपके घर भेज दूँ? आपका हमारे घर आना वर्जित है क्या? हा हा हा…”

“नहीं, ऐसी बात नहीं है. मुझे लगा कि मेरा आपके घर आना सुधीर साहब को अच्छा लगेगा या नहीं?”
“क्यों? सुधीर को इसमें क्या आपत्ति हो सकती है? वैसे सुबह 9 बजे सुधीर दोनों बेटियों बरखा और बहार को लेकर निकल जाते हैं, उनको स्कूल ड्राप करके दस बजे तक शोरूम पहुंच जाते हैं.”

“आपकी दो बेटियां हैं? और ये शोरूम क्या है?”
“बरखा, बहार हमारी जुड़वां बेटियां हैं. बरखा 5 मिनट बड़ी है. और मॉल रोड पर हमारा ज्वैलरी का काफी बड़ा शोरूम है.”

“ठीक है, मैं अमूमन दस बजे घर से निकलता हूँ, कल आपके घर की तरफ से होते हुए अपने ऑफिस निकल जाऊँगा.”
“हमारे साथ एक कप चाय पीनी पड़ेगी, इतना समय लेकर आइयेगा.”

दूसरे दिन मैं उनके घर पहुंचा तो आलीशान कोठी देखकर दंग रह गया.
मैंने चित्रा को दवा दी, डाइट प्लान बताया.

इतने में उनकी नौकरानी चाय ले आई.

चित्रा ने नौकरानी से कहा- तुझे जाना हो तो चली जा, शाम को जल्दी आ जाना.

चाय पीते पीते मैंने उसकी कोठी की तारीफ की तो बोली- आप चाय पी लीजिये, फिर आपको ऊपर तक दिखाती हूँ.

तो चाय पीने के बाद कोठी का एक एक कोना दिखाते हुए अंत में वो अपने बेडरूम में पहुंची.
शानदार कमरा, आलीशान फर्नीचर.
मैंने कहा- मैडम, आपका बेडरूम तो जन्नत से भी सुन्दर है.

“है, विजय. माना मेरा बेडरूम जन्नत से भी सुन्दर है लेकिन तुम्हारे जैसे फरिश्ते के बिना अधूरा है. मैं तुम्हें साफ साफ बताऊँ कि सुधीर के साथ मेरा जिस्मानी रिश्ता पिछले चार पाँच साल से न के बराबर है. और मेरी किटी पार्टी की सभी फ्रेंड्स की पर्सनल लाइफ लगभग ऐसी ही है. इस उम्र में आकर पति पैसे के पीछे भागते रहते हैं और औरतें घर में तड़पती हैं. सुधीर अक्सर देर से लौटते हैं, ड्रिंक करके, डिनर करके आते हैं और आते ही सो जाते हैं. मेरी फ्रेंड्स ने तो अपने घरेलू नौकरों को सेट कर रखा है. तमाम बार इच्छा होने के बावजूद मैं ऐसा नहीं कर सकी. उस दिन पेट्रोल पंप पर तुम्हें देखा तो मुझे लगा कि मेरे सपनों के राजकुमार तुम हो. मैंने ईश्वर से प्रार्थना की कि तुम्हारे दिल में मेरे लिए जगह बनाये.”

इतना कहकर चित्रा ने अलमारी खोली और लगभग 50 ग्राम वजन की सोने की चेन मेरे गले में डालते हुए बोली- विजय मेरे प्यार का यह उपहार स्वीकार करो.

ढाई, तीन लाख रुपये की चेन गले में और जीवन में पहली बार किसी औरत की चुदाई का मौका मैं कैसे छोड़ सकता था.
मैंने चित्रा का हाथ चूमकर कहा- चित्रा, मैं तुम्हारी हर जरूरत पूरी करने की कोशिश करूंगा.

चित्रा मेरे गले लग गई और मुझे बेतहाशा चूमने लगी. चित्रा ने एक बार फिर से अलमाँरी खोली और खाकी रंग का एक लिफाफा मुझे देते हुए कहा- यह मैं कल ही लेकर आई हूँ.
मैंने खोलकर देखा तो उसमें 20 कॉण्डोम का पैक था.

“यह कितने दिन में खत्म करना है?”
“मैं तो चाहती हूँ कि इसे खत्म करने से पहले तुम इस बेडरूम से बाहर न जाओ.”
और हम दोनों मुस्कुरा दिये.

हालांकि घर में हम दोनों के सिवाय कोई नहीं था फिर भी मैंने बेडरूम का दरवाजा बंद किया और चित्रा को गोद में उठा लिया.

लगभग 35-36 साल की उम्र, 5 फीट 4 इंच कद, गोरा रंग, तीखे नैन नक्श, 38 साइज की चूचियां और 42 इंची चूतड़.
कुल मिलाकर चोदने लायक सामान था और फिर इतना गजब का भुगतान कर रही थी.

उसे बेड पर लिटाया तो बोली- तुमने तो ऐसे उठा लिया जैसे रबर की गुड़िया हो, सुधीर तो तब भी नहीं उठा पाये थे, जब मैं इससे आधी थी.

अपनी पैन्ट, शर्ट व बनियान उतार कर चड्डी के ऊपर से ही मैंने अपना लण्ड सहलाया और बेड पर आ गया.
जीवन में पहली बार मैं किसी को चोदने वाला था लेकिन ब्लू फिल्म्स देखकर बहुत तजुर्बा हासिल कर चुका था.

चित्रा की चूचियां सहलाते हुए मैं उसके होंठ चूसने लगा.

कुछ देर बाद चित्रा ने खुद ही अपना ब्लाउज व ब्रा खोलकर अपनी चूचियां मेरे सामने कर दीं.
मैं समझ गया, वो बहुत जल्दी में थी, बरसों से चुदासी थी.

मैंने उसकी साड़ी, पेटीकोट और पैन्टी उतारी और उसकी चिकनी चूत देखकर बावला हो गया.
मैं 69 की पोजीशन में आकर चित्रा की चूत चाटने लगा तो उसने मेरी चड्डी उतार दी और मेरा लण्ड पकड़कर चूसने लगी.

चित्रा तो चुदासी थी ही, मेरा लण्ड भी अभी तक हस्तमैथुन से शांत होने का आदी था इसलिये पहली बार चूत में जाने के लिए उतावला हो रहा था.

मैंने अपने लण्ड पर कॉण्डोम चढ़ाया और चित्रा के चूतड़ उचकाकर एक तकिया रख दिया. अपने लण्ड का सुपारा चित्रा की चूत के मुखद्वार पर रखकर उसकी टाँगें फैला दीं. एक ठोकर मारकर लण्ड का सुपारा चित्रा की चूत में डाला और उसकी कमर पकड़कर पूरा लण्ड गुफा के अन्दर कर दिया.

“विजय, तुम्हारा लण्ड है या मूसल? मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसा भी लण्ड हो सकता है.”
“क्यों, बहुत तगड़ा है क्या?”

“हाँ विजय. तुमने ने मेरी जिन्दगी बदल दी. 18 साल हो गये चुदवाते हुए लेकिन ऐसा लग रहा है कि आज पहली बार चुदवा रही हूँ.”
“आपकी शादी को 18 साल हो गये?”
“नहीं, शादी को तो 16 साल हुए हैं.”

“मतलब शादी से पहले कोई आशिक था?”
“नहीं, आशिक नहीं था. हमारे कोच थे.”

चित्रा पूरी बात बताने लगी:

दरअसल जब मैं कक्षा 12 में पढ़ती थी तो अपने स्कूल की तरफ से खोखो खेलती थी. एक बार हमारी टीम मैच खेलने के लिए नैनीताल गई. वहाँ का मौसम इतना ठण्डा था कि चार पाँच लड़कियों को सर्दी लग गई. मैं भी उनमें से एक थी.

सुबह मैच होना था, रात को हमारे कोच अमन सर मेरे कमरे में आये, मेरा हाल चाल पूछा, मेरा मस्तक और कलाई पकड़कर मेरा तापमान देखा और बोले- तुम्हें बुखार तो नहीं है.

“थकावट और कमजोरी फील कर रही हूँ.”
“तुम्हारी थकावट और कमजोरी दूर हो जाये तो खेलने को तैयार हो?”
“हाँ, सर. इतनी दूर खेलने ही तो आये हैं.”
“ठीक है, तुम्हारे लिए बढ़िया मौका है, सुबह खेलो और ट्राफी जीतो. मैं अभी आता हूँ, तुम्हारी थकावट और कमजोरी की दवा लेकर.”

अमन सर कई साल से हमारे कोच थे. लगभग 45 साल की उम्र, साधारण कद काठी लेकिन चीते की तरह फुर्तीले.

थोड़ी देर बाद सर आये.
उनके हाथ में दो गिलास और गर्म पानी की केतली थी.

गिलास और केतली टेबल पर रखकर सर ने कमरे का दरवाजा बोल्ट कर दिया, मुझे थोड़ा सा अजीब तो लगा लेकिन कुछ खास नहीं.

सर ने दोनों गिलासों में आधा आधा गिलास गर्म पानी भरा और अपनी जेब से एक शीशी निकाली जिसपर थ्री एक्स रम लिखा था. सर ने आधी आधी शीशी दोनों गिलासों में खाली कर दी और एक गिलास मुझे देते हुए बोले- आँखें बंद करके पी जाओ.

मैंने एक घूँट पिया और बोली- बहुत कड़वा है.
“दवा मीठी भी होती है क्या? एक सांस में पी जाओ.”

मैंने एक सांस में गिलास खाली कर दिया.
सर धीरे धीरे सिप कर रहे थे.

गिलास खाली करने के बाद सर ने पूछा- अब ठण्ड लग रही है?
“नहीं, सर.”

मुझे तो गर्मी लगने लगी. इतना कहकर सर ने अपना कोट और ट्राउजर निकाल दिया.

अब वो टीशर्ट और चड्डी में थे.

मेरे कम्बल में घुसते हुए सर बोले- अब तुम्हारी थकावट का इलाज कर दें.
सर ने मेरी चूत पर हाथ रखा और मसलने लगे. मुझे सुरसरी हो रही थी.

तभी सर ने मेरी टीशर्ट और ब्रा निकालकर मेरी चूचियां खोल दीं और चूसने लगे.
मैं मदहोश होकर लेटी हुई थी.
सर ने अपनी चड्डी उतारी और मेरी टाँगें घुटनों से मोड़कर फैला दीं.

फिर सर ने अपने हाथ पर थूका और उसे अपने लण्ड पर चुपड़ दिया. मेरी चूत के लब खोलकर सर ने अपना लण्ड रखा, बहुत गर्म और चिकना लग रहा था.

थोड़ी देर की धक्का मुक्की के बाद सर का लण्ड मेरी चूत के अन्दर हो गया.
सर ने धक्के मारने शुरू किये तो मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.

उस दिन से लेकर मेरी शादी वाले दिन तक सर मुझे लगातार चोदते रहे.
फिर सुधीर के घर आ गई और साल भर में ही बरखा, बहार पैदा हो गईं.

चित्रा की बातें सुनते सुनते मैंने उसकी चूत का भुर्ता बना दिया था. चूतड़ उचका उचकाकर उफ उफ करते हुए चित्रा ने मेरे लण्ड का पानी निकलवा दिया.
अब चुदाई का ये प्रोग्राम यदाकदा बनने लगा.
 
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पहले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे पेट्रोल पम्प पर मेरी बहस हो गयी तो पम्प की मालकिन ने आकर मामला सुलटाया.
उसके बाद मैडम के साथ मेरी दोस्ती हो गयी और उन्होंने मुझे अपने घर बुलाकर मेरे साथ जिस्मानी रिश्ते कायम कर लिये थे.
अब आगे :
चित्रा के घर जाते हुए मुझे करीब दो साल बीत चुके थे.
उसके घर में मुझे फिजियो तथा योगा इन्स्ट्रक्टर के रूप में जाना जाता था.

चित्रा की चूत की सारी गर्मी दो साल में निकल गई थी, उसकी चुदास खत्म हो गई थी.

तभी बरखा, बहार का जन्मदिन आ गया, दोनों 18 साल की हो गई थीं. दोनों की जवानी खिलकर निखरी थी, दोनों एक दूसरे की फोटोकॉपी थीं.
पाँच फीट छह इंच कद, 36 साइज की चूचियां, 40 इंच के चूतड़.
ऐसा लगता था कि सुधीर साहब ने सफेद हाथियों का जोड़ा पाल रखा हो.

जन्मदिन पर दोनों के लिए एक जैसी लाल फ्राक आई. दोनों परियां लग रही थीं.

पार्टी में बहुत चुनिंदा मेहमान थे. देर रात पार्टी खत्म हुई और मैं अपने घर चला गया.

दो तीन बाद चित्रा के घर गया तो पता चला कि बरखा का एक्सीडेंट हो गया था और दाहिना पैर टूट गया था जिस पर तीन महीने का प्लास्टर चढ़ा है, डॉक्टर ने कहा है कि फिजियोथेरेपी कराते रहिये.

मैंने उसी दिन से उसकी फिजियोथेरेपी शुरू कर दी.
फिजियोथेरेपी क्या, ज्वाइंट्स का मूवमेंट कराना होता था.

घुटनों का मूवमेंट कराने के दौरान कई बार उसकी गोरी गोरी जांघें दिख जातीं, एकाध बार तो उसकी पैन्टी भी दिख गई.

तभी बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा, चित्रा की माँ का देहांत हो गया.

यह खबर सुनकर चित्रा और सुधीर देहरादून चले गए.

अगले दिन सुबह दस बजे मैं चित्रा के घर पहुंचा तो बहार कालेज जा चुकी थी.

मैंने बरखा की फिजियोथेरेपी शुरू की. पहले हाथों, बाहों और फिर घुटनों की.
घुटनों की एक्सरसाइज कराते हुए मैंने उसकी मिडी जाँघों तक उठा दी. घुटनों और जाँघों की मसाज करते हुए मेरी ऊँगलियाँ बरखा की बुर को छू देतीं.

कुछ देर में बरखा ने अपनी आँखें बंद कर लीं तो मैं उसकी बुर सहलाने लगा.

बुर पर ऊँगलियाँ फेरने से बुर ने पानी छोड़ दिया जिसके निशान पैन्टी पर दिखने लगे.

अपने एक हाथ में बरखा की चूची समेटकर मैं उसके होंठ चूसने लगा.
थोड़ी ही देर में बरखा भी मेरे होंठ चूसने लगी.

मामला गर्म देखकर मैंने उसकी टीशर्ट और ब्रा ऊपर उठा दी और गोरे गोरे मोटे मोटे चूचे चूसने लगा.
बरखा मेरे बाल सहला रही थी.

तभी मैंने उसकी पैन्टी नीचे खिसका कर अपनी तर्जनी उसकी बुर में डाल दी.
बरखा की बुर अपनी गर्मी के चरम पर थी.

चूंकि उसके पैर में चोट थी इसलिये उसे ज्यादा हिलाना डुलाना ठीक नहीं था.

मैंने बरखा के ड्रेसिंग टेबल से कोल्ड क्रीम की शीशी निकाली और अपने सारे कपड़े उतार कर बेड पर आ गया.

मैं बरखा की पैन्टी पूरी उतारकर उसकी बुर सहलाने लगा.
बरखा की बुर के लब खोलकर गुलाबी महल के रास्ते पर नजर डाली और अपना लण्ड क्रीम की शीशी में डाल दिया.

क्रीम से सना लण्ड बरखा की बुर पर रखकर मैं बरखा के ऊपर लेट गया.

घने बालों से भरी अपनी छाती बरखा की चूचियों से रगड़ते हुए मैंने अपने लण्ड को अन्दर का रास्ता दिखा दिया.

कुछ तो बुर से रिसता चिकना जेल ओर कुछ लण्ड पर चुपड़ी क्रीम की चिकनाई, इन दोनों की मदद से मेरा लण्ड बरखा की बुर में समाने लगा.

बुर की झिल्ली ने रास्ता रोकना चाहा तो मेरे लण्ड के सुपारे ने ठोकर मारकर झिल्ली फाड़ दी.

बरखा की चूचियां और होंठ चूसते हुए मैं अपने लण्ड से बरखा की बुर की आंतरिक मसाज कर रहा था.
बरखा भी मुझे चूमकर और अपनी चूचियों से रगड़कर उत्तेजित कर रही थी.

दिल चाहता था कि यह पल कभी समाप्त न हो.

बरखा की बुर ने पानी छोड़ा तो फच्च फच्च की आवाज की आवाज़ से माहौल संगीतमय हो गया.

38 साल की बुढ़िया चोदने के बाद 18 साल की छमिया चोदकर मेरा लण्ड निहाल हो गया और बरखा की बुर में वीर्य छोड़ दिया.
मैंने बरखा को कपड़े पहनाये और उसे चाय बनाकर पिलाई.

अगले दिन चित्रा व सुधीर लौट आये.

अब मैं बरखा के कमरे तक तो जाता था लेकिन चोदने का मौका नहीं मिल रहा था.

तभी एक दिन चित्रा ने अपने कमरे में बुलाया और मुझे लेकर बाथरूम में घुस गई.
वहाँ वह घोड़ी बनकर खड़ी हो गई और मेरा लण्ड पकड़कर अपनी चूत पर रख दिया.

तीन महीने बाद बरखा का प्लास्टर कट गया और डॉक्टर ने एक महीना बेडरेस्ट के लिए कहा.

तभी एक दिन उसे उल्टी हुई. चित्रा ने देखा, समझा तो पता चला कि बरखा प्रेगनेंट है.

चित्रा के पूछने पर बरखा ने सब कुछ बता दिया.
तो चित्रा ने तमतमा कर मुझे फोन करके बुलाया और अपने कमरे में ले जाकर बोली- तुम बहुत अजीब आदमी हो, मुझे भी चोदते रहे और बरखा को भी चोद दिया. अगर बरखा को चोदना ही था तो कॉण्डोम लगा लिया होता. अब उसकी स्थिति देखकर एबार्शन भी नहीं हो सकता. अब एक ही रास्ता है कि बरखा से तुम्हारी शादी करा दें.

सुधीर और चित्रा ने आपस में बात की और आनन फानन में बरखा से मेरी शादी करा दी.

शादी के एक हफ्ते बाद हमें अपने दिल्ली वाले फ्लैट में भेज दिया और यहाँ सबको बता दिया कि विजय और बरखा यूके गये हैं.

बरखा के साथ दिल्ली में मेरी लाइफ मजे से चल रही थी, खर्चे पानी की कोई परेशानी नहीं थी क्योंकि महीने में एक बार चित्रा आती थी और लाख, दो लाख दे जाती थी.

अपनी दिल्ली विजिट के दौरान चित्रा की चूत रगड़ाई भी हो जाती थी.

जब बरखा की डिलीवरी का समय नजदीक आया तो चित्रा और बहार दोनों आ गईं.

जिस दिन सुबह सुबह मैं बरखा को हास्पिटल लेकर गया, चित्रा हमारे साथ थी जबकि बहार घर पर रूकी थी.

डिलीवरी के बाद जब बरखा रूम में आ गई तो चित्रा ने कहा- विजय, तुम अब घर जाओ. नहाकर, खाना खाकर आ जाओ, फिर तुम रूकना तो मैं चली जाऊँगी. अब तीन चार दिन ऐसे ही एडजस्ट करना पड़ेगा.

मैंने अपने बेटे करन, यह नाम हमने पहले ही सोच लिया था, को किस किया और घर के लिए चल पड़ा.

घर पहुंचा तो बहार उसी समय नहाकर निकली थी, मुझे देखते ही उछलकर गले लग गई और बोली- मुबारक हो, जीजू. आप पापा बन गये.
“तुमको भी बधाई, तुम भी मौसी बन गई हो.”

“जीजू, मेरा गिफ्ट? क्या मिलेगा, मुझे?”
“जो तुम कहो.”
“चलिये, पहले आप नहा लीजिये, कुछ खा पी लीजिये.”

मैं नहाने के लिए चल पड़ा, मैंने देखा कि बहार ने बहुत छोटी सी फ्राक पहनी हुई थी, जिसमें से उसकी गोरी गोरी मांसल जाँघें ढक नहीं पा रही थीं.

अपने बेडरूम से अटैच टॉयलेट से मैं नहाकर निकला तो बहार जूस का गिलास पकड़े खड़ी थी.
जूस का गिलास मुझे पकड़ाते हुए बहार बोली- जीजू, आप जब से दिल्ली आये हो, मैं आपसे गिफ्ट पाने का इन्तजार कर रही हूँ, अब आप मना न करना.

“नहीं करूंगा, साली साहिबा. आप माँगिये तो सही.”
नशीली अदाओं के साथ बहार मेरी तरफ बढ़ी और मुझसे करीब करीब चिपकते हुए मेरा टॉवल खींचकर मेरे लण्ड पर हाथ दिया.

“जीजू, मुझे गिफ्ट में यह चाहिए. छह महीने से तड़प रही हूँ, इन्टरनेट पर ब्लू फिल्म्स देख देखकर आपके इन्तजार में यह तंदूर की तरह तप रही है.” इतना कहकर बहार ने मेरा हाथ अपनी बुर पर रख दिया.

उसने पैन्टी नहीं पहनी थी और आज ही अपनी बुर चमकाई थी.
इतने समय में मेरा लण्ड टनटना गया था.

बहार ने अपना एक पैर बेड पर रखा और मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी बुर के लबों पर रगड़ने लगी.

अब बहार की फ्राक उतारकर मैंने उसके कबूतर आजाद कर दिये. बहार की चूची दबोचकर मैं उसके होंठ चूसने लगा जबकि बहार पूरी शिद्दत से मेरे लण्ड से अपनी बुर के मुखद्वार की मालिश कर रही थी.

मेरा लण्ड बहार की बुर में जाने को तैयार था लेकिन मैं बहार की पहल पर आश्रित रहना चाहता था.

बहार जबरदस्त चुदासी हो रही थी.
मैं खुद पर नियंत्रण रखकर उसे और गर्म करना चाहता था.
मेरे लण्ड का सुपारा अपनी बुर के लबों पर रगड़ते हुए बहार पंजों के बल उचककर बुर के अन्दर लेना चाहती थी.

मैंने बहार के दोनों हाथ बेड पर टिकाकर उसे घोड़ी बना दिया.
बहार के पीछे आकर उसकी डबलरोटी की तरह फूली हुई बुर के लब फैलाकर मैंने अपनी जीभ फेरना शुरू किया, मेरे हाथ बहार के निप्पल्स मरोड़ रहे थे.

बुर पर जीभ फेरने से बहार गनगना गई और बोली- अब देर न करो, मेरी बुर तुम्हारा लण्ड माँग रही है.

मैंने अपना ड्रेसिंग टेबल खोलकर नारियल का तेल लिया और अपने लण्ड पर चुपड़कर घोड़ी बनी बहार के पीछे आ गया.
अपने लण्ड की खाल को चार बार आगे पीछे करके बहार की बुर के लब खोले और अपना सुपारा रख कर बहार से कहा- बहार, अपना गिफ्ट सम्भालो.

बहार के ऊपर झुकते हुए मैंने उसकी चूचियां पकड़ लीं और ठोकर मारकर लण्ड को उसकी बुर के अन्दर धकेला.

टप्प की आवाज हुई और सुपारा उसकी बुर के मुखद्वार में फँस गया.
तेल की चिकनाई के सहारे आधा लण्ड बहार की बुर में चला गया.

मेरे काफी जोर लगाने पर भी लण्ड आगे नहीं गया तो मैंने बहार की चूचियां छोड़ दीं और सीधे खड़े होकर उसकी कमर पकड़ ली और धीरे धीरे धक्के मारने लगा.

“आह जीजू, आह. धीरे जीजू, धीरे.’
“अब खड़ी रहो और मजे लो!”
कहते हुए मैंने एक जोर का धक्का मारा तो बहार की बुर की झिल्ली फट गई, मेरा लण्ड खून से सन गया.

लेकिन मैं रूका नहीं. तभी बहार की बुर ने पानी छोड़ दिया जिसके कारण लण्ड की ठोकर के समय फच्च फच्च की आवाज आने लगी.

मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और उसे टॉवल से साफ किया.
बहार को सीधा करके गले लगा लिया और हम लोग चूमाचाटी करने लगे.

इसके बाद मैंने बहार को लिटा दिया और उसके चूतड़ों के नीचे तकिया रख दिया.

अपने लण्ड का सुपारा बुर के लबों में फँसा कर मैं बहार के ऊपर लेट गया और उसके होंठ चूसने लगा.

बहार ने अपनी टाँगों से मेरी कमर को जकड़ लिया और चूतड़ उचकाकर पूरा लण्ड अपनी बुर में ले लिया.

मैंने दो ठोकरें मारकर अपना लण्ड जड़ तक धँसा दिया तो बहार चूतड़ उठा उठाकर मुझे चोदने लगी.
अब बहार की बुर ने फिर से पानी छोड़ा तो गीलेपन की वजह से मेरा लण्ड मतवाला हो गया.
मैंने बहार की टाँगें उठाकर अपने कंधों पर रख लीं और अपनी राजधानी एक्सप्रेस चला दी.

“आह जीजू, आह. बस करो, बस करो. मर गई, जीजू.”

मेरी राजधानी एक्सप्रेस जब मंजिल के करीब पहुंचने को हुई तो लण्ड लोहे के मूसल जैसा हो गया.
बहार की टाँगें अपने कंधों से उतारकर मैं बहार के ऊपर झुक गया और अपना सारा प्यार उसकी बुर में उड़ेल दिया.

अब यह हमारा नित्यकर्म हो गया.
चार दिन बाद बरखा घर आ गई और उसके करीब एक हफ्ते बाद चित्रा जयपुर वापस चली गई.

करीब एक महीने बाद चित्रा फिर दिल्ली आई और पन्द्रह दिन रूकने के बाद उसने बहार से भी वापसी की तैयारी करने को कहा.
“मम्मी, अब मैं वापस नहीं जाऊंगी, यहीं रहूंगी.”

“नहीं, नहीं … बहुत हो गया. दो महीने से यहाँ हो, अब चलो!”
“नहीं, मम्मी. अब यही मेरा घर है. बरखा ने मुझे मौसी बनाया है. अब मैं बरखा को मौसी बनाऊँगी. तुम एक बार फिर से नानी बनने वाली हो.”

यह सब सुनकर चित्रा और बरखा चौंक पड़ीं.
दोनों ने मेरी तरफ देखा.

मैं बहार के करीब गया और उसका हाथ पकड़कर कहा- ईश्वर की यही इच्छा है कि दोनों बहनें एक साथ रहें तो इसमें हर्ज क्या है.

समय आने पर बहार ने एक बेटे को जन्म दिया जिसका नाम अर्जुन रखा गया. अब बरखा, बहार और करन, अर्जुन ही मेरी लाइफ लाइन हैं.

बरखा, बहार और करन, अर्जुन के साथ जीवन सुखमय चल रहा था.

तभी एक दिन चित्रा का फोन आया- विजय, वो जो मेरी भतीजी जया की शादी तीन साल पहले हुई थी जिसमें तुम लोग भी गये थे, याद है ना?
“हाँ हाँ … याद है. क्या हो गया उसको?”

“कुछ नहीं, हुआ कुछ नहीं है, वो आजकल बहुत परेशान है. मेरी जया की मम्मी, मेरी भाभी से इस बारे में काफी बात हुई है. इसमें तुम्हारी मदद की जरूरत है.”

“मैं समझा नहीं कि समस्या क्या है और मुझसे क्या मदद चाहिए?”

“बात दरअसल यह है कि जया की शादी को तीन साल हो गये हैं और अभी तक कोई बच्चा न होने के कारण उसकी सास रोज ताने देती है. वह अपने लड़के की कहीं और दूसरी शादी करने की धमकी देती है.”

“मामला गम्भीर है लेकिन इसमेँ मैं क्या मदद कर सकता हूँ?”

“मेरी भाभी से बात हुई है और भाभी चाहती हैं कि जया को तुम्हारे साथ मिलने का मौका दिया जाये, शायद कुछ बात बन जाये. तुम तैयारी करो, मैं और तुम एक हफ्ते के लिए देहरादून जा रहे हैं.”

हम लोग देहरादून पहुंचे तो जया वहाँ पहुंच चुकी थी.

करीब पाँच फीट कद, दुबली पतली जया फिल्म जंजीर की जया भादुड़ी जैसी दिख रही थी.

हमें देखते ही जया ने शर्मीली मुस्कान दी.

हम लोग फ्रेश हुए और खाना खाकर मार्केट गये, वहाँ से घूम फिर कर रात को लौटे.

करीब 11 बजे मैं टीवी देख रहा था कि चित्रा और जया की मम्मी आईं और मुझे छुहारे वाला दूध पिलाकर बोलीं- जाओ बेटा, जया अपने बेडरूम में है.
मैं उठा और जया के बेडरूम में जाकर दरवाजा बोल्ट कर दिया.

जया ने मेरी तरफ देखा और बेड से उतर कर मेरे पास आकर बोली- जीजू, आप मेरे लिए भगवान की तरह हैं, अगर आपकी कृपा से मेरी गोद भर गई तो मैं जीवन भर आपकी पूजा करूँगी.
मैंने जया के हाथ पकड़कर उसके माथे पर किस किया और उसे बेड पर ले आया.
उसके गाऊन की डोरी खोलकर मैंने उसके शरीर से अलग किया और अपनी टीशर्ट व लोअर उतार दिया.

जया के बगल में लेटकर मैंने उसे सीने से लगा लिया और हल्के हाथों से उसकी पीठ और चूतड़ सहलाने लगा.

मैंने जया के माथे, गालों को चूमने के बाद उसके होंठों पर होंठ रख दिये. हमारी गर्म सांसें हम दोनों को उत्तेजित कर रही थीं.

जया की पैन्टी नीचे खिसका कर मैंने उसके नंगे चूतड़ों पर हाथ फेरे तो जया हमसे लिपट गई.

मैंने जया के चूतड़ सहलाते सहलाते उसकी चूत पर हाथ रख दिया तो जया चिहुँक गई.

जया की चूत में धीरे धीरे ऊँगली करते हुए मैं उसकी चूचियां चूसने लगा.
चूत में उंगली करने से बुर गीली हो गई तो मैंने उसकी पैन्टी और अपनी चड्डी उतार दी.

जया की एक टाँग उठाकर मैंने अपनी टाँग पर रख दी जिससे जया की चूत मेरे लण्ड के निशाने पर आ गई.
अपने लण्ड का सुपारा जया की बुर में फँसाकर उसे अपने ऊपर खींच लिया.

मैंने अपने चूतड़ उछालकर झटका दिया तो करीब आधा लण्ड जया की बुर के अन्दर हो गया.
जया की कमर पकड़कर मैं उसे अपने लण्ड पर उछालने लगा.

इसके बाद मैंने जया को लिटा दिया और उसके चूतड़ों के नीचे तकिया रखकर उसकी बुर का मुँह आसमान की तरफ कर दिया.
जया की चूत के लब फैला कर लण्ड का सुपारा अन्दर करके धक्का मारा तो आधा लण्ड अन्दर हो गया.

जया की चूत बहुत टाइट थी, एकदम 18 साला बुर की तरह.

दो तीन धक्कों के बावजूद मेरा लण्ड अन्दर नहीं गया तो मैंने अपने लण्ड पर कोल्ड क्रीम लगाकर जया की बुर में पेला और धक्के शुरू किये.
एक धक्का जोर से मारा तो जया चिल्ला पड़ी.

मुझे ताज्जुब हुआ कि जया की बुर की झिल्ली अभी तक नहीं फटी थी.

मेरा लण्ड खून से सन गया लेकिन धक्के जारी रहे.
बुर की झिल्ली फटने से जया चिल्लाई तो थी लेकिन अब हॉट यंग गर्ल सेक्स के मजे ले रही थी.

जया की चूचियों को मसलते हुए मैं उसकी बुर की ठुकाई कर रहा था.

“तुम्हारी बुर की झिल्ली अभी तक क्यों नहीं फटी?”
यह पूछने पर जया ने बताया कि पिछले तीन साल में आकाश ने मेरी चुदाई तो बहुत की है लेकिन तुम्हारे केले के मुकाबले उसकी मूँगफली थी. आज तुम्हारा लण्ड लेने के बाद मुझे महसूस हो गया कि मेरी गोद अभी तक क्यों नहीं भरी.

मेरे डिस्चार्ज का समय हो रहा था, लण्ड का सुपारा फूलकर मोटा हो गया था तभी मेरे लण्ड से पिचकारी छूटी और जया की बुर लबालब भर गई.

एक हफ्ते में 27 बार जया की चुदाई होने से उसकी चाल बदल गई थी. अगले महीने जया की मम्मी ने चित्रा को खुशखबरी सुना दी कि जया के पाँव भारी हैं.
The end
 

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