फिर से ऐसे सन्देश फारवर्ड हो रहे है, कोरोना का नया वैरियंट बहुत घातक है , मैं पूछता हूं क्या इसके पहले वाला कम घातक था वेन्टीलेटर पर गये हुए 1 प्रतिशत लोग भी वापस नही आये , निष्कर्ष यह निकला कि जिसका ऑक्सीजन लेवल 70 भी था और वह हॉस्पिटल नही गया घर पर इलाज लिया वह ठीक हो गया, आप लोग इस नए वैरिएंट से डरिये,खौफ खाइए, और हिंदुस्तान के सभी निजी अस्पताल तो यही चाहते होंगे कि यह भय की दुकानदारी लगातर बनी रहे, वैरियंट कितना भी घातक हो इस बार यह वायरस आये तो , डरना मत ,जो पॉजिटव हो जाये उसको भरपूर प्यार देना, मैंने बहुत नजदीक से देखा था, की पॉजिटव व्यक्ति अपने आप को असहाय मानता था, मैंने तो यह भी देखा था कि सामने घर मे किसी की मृत्यु हुई तो बाकी लोगो के घर की खिड़कियां बन्द हो गयी थी। मैंने यह भी देखा कि जिनको तुरन्त हॉस्पिटल रेफर करने की सलाह दी गयी और बचने की उम्मीद जिनकी कम थी वह भी परिवार का प्यार पा कर ठीक हुए। मैंने यह भी देखा कि मुक्तिधाम में लकड़ियां खत्म जो जाती थी डेड बॉडी की लाइन लगती थीं , लेकिन सारी बॉडी वेंटीलेटर से आती थी।मैंने एक ही घर मे एक ही दिन में दो दो मृतु देखी,मैंने पाया कि भय की वजह से आत्मविश्वास कम हुआ और इंसान हिम्मत हारा, कृपया अब डर मत फैलाओ , जो जागरूक है वह कोविड नियमो का पालन कर रहा है, और जो जागरूक नही है उसको तालिबानियों से भी डर नही लगता। अब अगर घर पर कोई भी पॉजिटिव आये तो पेशेंट को आवश्यक मेडिसिन घर पर दे कर ही स्वस्थ करना, हॉस्पिटल जाने से लाख गुना बेहतर होगा। मत डरिये नए वैरियंट से, मास्क लगाइए और उचित दूरी अपनाइए। वैसे भी हमने इतनी त्रासदी देखी की कोरोना का भय अब खत्म सा हो गया है।आप खुद मास्क लगा लीजिए फिर आपके पास कोई कोरोना भटकने वाला नही है। दोनो टीका लगवाओ, मास्क पहनो, उचित दूरी का पालन करो। यह तीन दवाई ही कोरोना के बचाव में कारगर है। भय एवम तनाव वाले मेसेज अगर फारवर्ड नही होंगे तो कोरोना भी इतनी तेजी से नही फैलेगा।


