Incest रासलीला

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मेरा नाम गगन है, हम राजस्थानी है। लेकिन हमारे दादा जी लखनउ उत्तरप्रदेश में किराना दुकान चलाते थे। उसके साथ ही हमारे पिताजी थोक व्यापारी का धंधा शुरू कर दिया धीरे धीरे व्यापार चल गया और दादा जी वही घर बना कर पूरे परिवार के साथ लखनऊ में रहने लगे।
वैसे हमारा परिवार ज्यादा बड़ा नहीं है। महिपाल यानी महेंद्र दादाजी,
और उनके दो बेटे धर्मपाल यानी धर्मेंद्र मेरे पिताजी और शिशुपाल यानी सुरेंद्र मेरे चाचा। मेरे दादा जी के दो लड़कियां भी थी जो मेरे पापा से छोटी थी दोनों बहन की शादी दिल्ली में रहने वाले हमारे ही सहर यानी राजस्थान के एक रईश परिवार में एक ही घर में दोनों का ब्याह हुआ था
107736945-167792

मेरी मां सरला

मेरी दोनो बुआ
107919827-101769

मेरी चाची
107733728-274058

मेरी बड़ी बहन अभी ब्याह हो गया है
100007900849-4733
 
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समय बर्बाद ना करते हुए कहानी पर चलते है। आगे जो भी कैरेक्टर आएगा उसका परिचय साथ में करा दूंगा।
बात उस समय की है जब मै और मेरी बहन संजना स्कूल में थे। हमलोग क्लास अलग अलग था लेकिन स्कूल एक ही था। मेरे साथ रोज किसी ना किसी के साथ झगड़ा हो जाता। बात होती कि कोई मेरी बहन संजना के बारे में गलत बाते बोल देता तो मेरा दोस्त मुझे बता देते और मै उस लड़के के साथ झगड़ा कर लेता। सिकायत स्कूल से घर तक आता। एक दिन मेरे पिताजी ने मुझे हॉस्टल भेजने के लिए कहा और मै थोड़ा नानुकुर करने के बाद तैयार हो गया।
मै हॉस्टल से दस दिन के अंदर ही भाग आया घर आने पर मेरी बहुत पिटाई हुई। पिताजी को मेरे से ज्यादा उनके पैसे प्यारे थे। उन्होंने मुझे घर से निकाल दिया और बोला कि या तो तुम चुप चाप हॉस्टल चले जाओ और नहीं पढ़ना चाहते हो तो मै तुम्हारे ऊपर जितना पैसा खर्च किया हूं उतना ब्याज के साथ वापस करो। मै मरता क्या न करता। और वापस दादाजी के साथ हॉस्टल चला गया। दादाजी हॉस्टल के प्रधानाध्यापक से मिल का मुझे काफी समझाया और मुझे वापस हॉस्टल में रख कर चले आए। उसके बाद मै साल में दो चार दिन के लिए ही वापस आता। मै स्कूल खत्म कर के कॉलेज सुरु कर दिया।
कॉलेज में मै कुछ ज्यादा बिगड़ गया, हॉस्टल में शराब सिगरेट पीने लगा हॉस्टल के लड़के मुझे मूठ मारना सिखा दिया। कुल मिला कर मै सब गंदी आदते सीख चुका था। मेरा कॉलेज में दूसरा साल चल रहा था। उस समय बुआ की सादी का दिन निकल गया तब मुझे घर जाना पड़ा। पहले भी कई बार हम घर गए हुए थे लेकिन इस बार हमारे घर पहली सादी थी यानी हमारे लखनऊ वाले घर पर पहली सादी होनी थी। मै भी पूरे एक महीने तक का छुट्टी डालकर
दस दिन पहले घर आगया। मै शाम को घर पहुंचा किसी को मालूम नहीं था कि मै जल्दी आने वाला हूं। मुझे देख कर सभी लोग चौक गए क्योंकि मै दस साल में दस महीने भी घर पर नहीं रहा था। पिताजी घर पर नहीं थे क्योंकि उनका व्यापार ज्यादा बढ़ गया था और वो ज्यादा घर से बाहर ही रहते थे। शाम को मै दादाजी के साथ बाहर चला गया देर रात को घर आया तो आते ही दीदी मुझे खाने के लिए बोला। मै दादा जी के साथ ही खाना खाया और उनके ही रूम में सोने के लिए लेट गया। मुझे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि मुझे खाना खाने के बाद सिगरेट पीने की लत लगी थी और इस समय मुझे सिगरेट की तलब लगी थी। मैअपने हेंड बैग से सिगरेट और लाइटर निकाल कर छत को तरफ चल दिया। क्योंकि मै पहले भी मै छत पर पानी टंकी के पास छुपकर सिगरेट पीता था, तो मै अपना पुराना जगह पर बैठ कर सिगरेट जलाया और एक लंबा कस मारा तब मेरे दिल को सुकून मिला। अभी आधा ही सिगरेट जलाया था तभी छत पर किसी की आने की आहट सुनाई दी। मै अच्छे से टंकी के पीछे छुप गया। सीढ़ी पर एक लोहा का दरवाजा लगा था उसका बंद होने कि आवाज सुनाई दिया,उसके बाद छत पर एक कमरा बना हुआ था जिसमें दुकान का एक्स्ट्रा समान रखा रहता था। एक तरह से छोटा गोदाम था। उसका दरवाजा खुलने और बंद होने कि आवाज सुनाई दिया। मुझे कुछ समझ मै नहीं आया मै जल्दी से सिगरेट खत्म करने लगा। मुझे दर था कि कोई चोर तो नहीं आगया। मै सिगरेट खत्म करके दबे पांव स्टोर रूम के पास आया अंदर लाइट जल रही थी। पायल और चूड़ियों कि खनकने की आवाजे आ रही थी। मुझे दाल में काला नजर आया मै रेलिंग पर चढ़ कर भिंडिलेटर से देखने लगा,अंदर का सीन देख कर मै स्तब्ध रह गया। मेरी मां और चाचा बंद कमरे में चाचा मम्मी का ब्लाउज खोल रहे हैं और मम्मी साड़ी निकाल रही है। चाचा पूरी तरह से जन्मजात नंगे है। मुझे अपने मम्मी पर बहुत गुस्सा आया और मै रेलिंग से नीचे उतर गया
 
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मै बहुत गुस्से में आ गया उस समय दिल कर रहा था कि मै उन दोनों को जान से मार दू, मै कभी इस तरह का बात सोचा भी नहीं था। मै फिर एक सिगरेट सुलगाए और कस लगाने लगा, तब दिमाग थोड़ा शांत हुआ। छत पर एक लकड़ी की सीढ़ी रखी हुई थी उसपर मेरी नजर पड़ी, मै आहिस्ता आहिस्ता सीढ़ी झरोखे के पास लगा कर ऊपर चढ़ गया और देखने लगा।अब दोनों पूरे नंगे हो चुके थे। लेकिन मुझे केवल चाचा का पीछे का भाग दिख रहा था। क्योंकि उसने मम्मी को पकड़ कर चूम रहे थे। मै भी शान्ति से अंदर का नजारा देखने लगा। मेरा गुस्सा कम हो रहा था और देखने की लालसा बढ़ती जा रही थी। कॉलेज हॉस्टल में दोस्तो के साथ सेक्स करने कि बाते करते हुए सुना था लेकिन आज अपनी खुली आंखों से देख रहा था वो भी अपनी सगी मां को सगा चाचा से। मुझे कभी कभी गुस्सा भी आ रहा था। और कभी देखने की ललक बढ़ती जा रही थी। अचानक मम्मी चाचा से अलग हुई तो मेरी नजर उसके नंगे बदन को मुआयना करने लगा। उसके मोटे मोटे मासल जांघे बड़े बड़े चूचे और कूल्हे तो देखने के बाद मै सोच में पड़ गया कि कोई चूतड इतना बड़ा भी होता है । उसको नंगा देख कर मेरा अंदर का सैतान जागने लगा। मेरा बदन गर्म होने लगा। चाचा मम्मी के बूब्स को दबाने लगे। मम्मी की सिसकारियां निकलने लगीं तो मेरा भी कान गर्म होने लगा मुझे अपने लन्ड में हरकत होने लगा। मुझे काफी बुरा लगा और मै नीचे उतर कर धीरे से सीढ़ी का दरवाजा खोल कर नीचे आ कर सोफे पर सो गया। आंखो से नींद गायब हो चुका था। करीब आधा घंटा बाद किसी के आने कि आहट सुनाई दी तो मै फौरन सोने का नाटक करने लगा। कुछ ही देर बाद मम्मी और चाचा दोनों मेरे पास आकर देखा तो मम्मी बोली कि ये तो सो रहा हैं। तब चाचा बोले कि मै दुकान पर सोने जा रहा हूं और चले गए। मुझे समझ नहीं आया कि इन लोगो को पता कैसे चला कुछ दर सोचने के बाद याद आया कि मै सीढ़ी वही छोड़ दिया और दरवाजा भी खोल दिया था
शायद इसलिए उन दोनों को शक हुआ कि कोई देख रहा था। इस समय मेरे सिवा कोई और लड़का घर मै नहीं था। रात को बहुत देर से मुझे नींद आया।
सुबह दादाजी मुझे जगाया और साथ में दुकान पर चलने के लिए बोला मै जल्दी फ्रेश होकर दादा जी के साथ दुकान पर चला गया। हम लोगो को दुकान पर जाते ही दादा जी ने चाचा को दुकान का समान का लिस्ट पकड़ा दिया और खुद गाला पर बैठ गए। चाचा दुकान का समान लाने के लिए चले गए। दादाजी और मै दुकान पर ही नस्ता कर लिए उसके बाद दादा जी ने मुझे पुराने बही खाता निकलने के लिए कहा तो मै सीढ़ी लगा कर बहीखाता निकाल कर दादा जी को देने लगा तभी मेरी नजर दो तीन किताबो पर पड़ी जिसको पेपर का जिल्द लगाया गया था। मै उसे भी बही खाता समझ कर उसका साल देखने के लिए खोला तो वो किताब थी मै उस किताब का नाम देखा तो मस्तराम हिंदी कहानीसंग्रह थी वाहा और भी किताबे पड़ी हुई थी लेकिन वो सब पतली पतली थी। मै मस्तराम की किताबों के बारे में सुना था लेकिन देखा नहीं था। मै दादा जी के डर से उसको वही छोड़ दिया और दूसरा बही खाता निकलने लगा। दादा जी को जिस खाते की जरूरत थी वो उन्हें मिल गया और वो दूसरी सारी बही खाते फिर संभाल कर रखदेने के लिए कहा। मै मस्तराम की किताब को साइड में रख कर सारी बही खाते सलीके से रख दिया तभी दादा जी ने मुझे कहा कि मै कुछ देर के लिए बाहर जा रहा हूं तुम आधी दरवाजा खड़ा कर के अंदर बैठो। और वो एक पुराना बही खाता लेकर चले गए। मै दरवाजा खड़ा कर के मस्त राम कि किताब निकाल कर पढ़ने लगा। उसमे पहली कहानी थी साली ने जीजा से चूदवाया उस पहली कहानी को पढ़ा उसमे था कि कैसे साली अपने जीजा को फसा कर उससे सेक्स किया।
 
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मै एक कहानी पढ़ कर बाकी उसको उलट पलट कर रहा था तभी आधी दरवाजा लगा था कि उसके बाद भी एक आठरह बीस साल का एक हेंडसम लड़का अंदर आ गया और समान निकालने लगा क्योंकि हमारे दुकान पर ग्राहक खुद समान निकलते है। उस लड़के के आने से मै हड़बड़ा गया मै समझा की कोई पहचान का है तो मै खड़ा हुआ और मेरे हाथ से किताब नीचे गिर गया उस लड़के ने तुरंत किताब को उठाया और माथे से लगा कर मुझे देने लगा तभी उसका ध्यान किताब की तरफ गया और वो किताब को वापस खींच कर उसके पन्ने पलट कर देखने लगा। उस लड़के ने एक नजर मेरे मुझपर डाल कर मुस्कुराया और पूछा तुम भी पढ़ते हो मै थोड़ा डरते हुए कहा नहीं मुझे यह किताब यही मिली और मै यह कई सालो के बाद आया हूं। तभी दरवाजा खुलने से हम दोनों का नजर दादाजी पर पड़ी उस लड़के ने तुरंत बिना समय गवाए उस किताब को पेपर से लपेट कर रख लिया। तभी दादाजी ने उसे पूछा और अमन कैसे आना हुआ सुबह सुबह। उस लड़के का नाम अमन था उसने दादा जी के तरफ घूम कर नमस्कार किया और बोला कोलगेट खत्म है गया था चाचा। ठीक है ये मेरा पोता है कल ही दिल्ली से आया ये वही पढ़ता है। उसने अपना हाथ मेरे तरफ बढ़ाया और मुझसे हाथ मिला कर धीरे से बोला ये किताब मै पढ़ कर बाद मै वापस करता हूं। तभी दादाजी टोकते हुए बोले क्या बाते हो रही है भाई। उसने बोला मै बोल रहा हूं कि कभी मेरे घर चलो दादा जी बोले हाहा लेकर जाओ अपनी मम्मी से मिलवा दो वो इसे देखने के लिए बोल रही है कई महीनों से। लेकिन अभी नही मुझे इसको घर भेजना है क्योंकि बही खाता लेकर आना और छोटना समान लाने गया है दादाजी चाचा को छोटन बोलते थे। अमन ठीक है बोल कर चला गया। दादा जी ने कहा जाकर रीना बुआ से बोलना की पिछले साल का बड़ा बही खाता दो और लेकर जल्दी आ जाओ। दुकान से घर की दूरी एक किलोमीटर है फिर भी मै रिक्शा पकड़ लिया और घर पहुंच गया रीना बुआ के पास। मुझे जल्दी जल्दी जाते देख मम्मी ने मुझे बड़ी ध्यान से देख रही थी पर कुछ बोली नहीं। बुआ मैक्सी यानी नाईट गाऊन पहन रखी थी मै उसके बदन को ध्यान से देखा पतली लंबी टांगे नंगे थे उसके गोरे बदन पर सफ़ेद कुर्ता बहुत सेक्सी लग रहा था।




100008000479-8535
मै रीना बुआ के तरफ मुखातिब होते हुए दादाजी के बात कही रीना बुआ कुछ सोचते हुए बोली ठीक है चलो मेरे साथ और मुझे लेकर ऊपर स्टोर रूम में गई और उसने मुझे छज्जे पर इशारे से बोली इसके ऊपर है। बुआ ने मुझे सीढ़ी लाने को बोली मै बोला कि सीढ़ी बड़ी है अंदर लगाने में मुश्किल होगा तो उसने एक टेबल खीच कर उसके ऊपर चढ़ गई और मुझे टेबल पकड़ने के लिए बोली मै टेबल पकड़ लिया और बुआ की पिछवाड़ा देखने लगा पतली कमर सफ़ेद कुर्ते मै साफ झलक रहा था। उसकी पिछवाड़ा का लंबाई चौड़ाई नापने लगा। तभी टेबल हिल गया और बुआ डर कर बैठ गई उसके बैठते वक्त उसका चूतड मेरे चेहरे के करीब से गुजरे तो उसके गान्ड की सोंधी गंध मेरे नथनो में समा गया मै कुछ सेकेंड के लिए उस खुस्बू में खो गया मेरी तंद्रा तब टूटी जब बुआ मुझे अच्छे से पकड़ने के लिए बोला। मै टेबल सही से पकड़ लिया। मुझे भी मजाक सूझा जब उसे डायरी मिली तब मै टेबल को जोर से हिला दिया तब बुआ कर फिर बैठ गई और मै अपना चेहरा आगे कर दिया उस नसिली गंध सूंघने केलिए मै बुआ के गान्ड की दरार में अपना नाक लगा कर जितना खुसबू अपने अंदर खींच सकता था उतना खीच लिया बुआ ने मुझे शॉरी बोल कर बोली चोट तो नहीं लगी। मै उस अनजान गंध को पहचानने कि कोशिश करते हुए कहा नहीं नहीं चोट नहीं लगा।चोट तो उसको लगी थी मेरे नाक से उसकी कोमल चूतड़ों पर।
 

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