Incest रक्षा बंधन

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मीनू एक बहुत ही खूबसूरत और ऊंचे ऊंचे सपने देखने वाली लड़की थी। एक गरीब परिवार में पैदा हुई और अपनी मर्जी से घर वालो के खिलाफ जाकर एक पैसे वाले लड़के से प्रेम विवाह कर लिया। मीनू की शादी हुए अभी दो साल ही बीते थे कि उसके पति के साथ उसकी अनबन शुरू हो गई। वैसे तो दोनो ने परिवार और समाज के खिलाफ जाकर प्रेम विवाह किया था लेकिन कुछ महीने बाद ही उनके बीच दूरियां आने लगी।

उसकी सबसे बड़ी वजह उसका पति राकेश खुद था जिसे जो अपने व्यापार में हुए नुकसान को बर्दाश्त नहीं कर पाया और नशे की तरफ झुकता चला गया। मीनू ने उसको संभालने की हर संभव कोशिश करी लेकिन कामयाब नहीं हो पाई। नतीजा उसकी ज़िन्दगी पूरी तरह से दुखो से भर गई और उसे अपने फैसले पर पछतावा हो रहा था लेकिन अब कर ही क्या सकती थी।

अपने पूरे परिवार से तो उसके सम्बन्ध पूरी तरह से खराब हो गए थे उसके परिवार ने कभी उससे कोई बात नहीं करी। एक उसका भाई ही था जिसे उस पर खुद से ज्यादा भरोसा था लेकिन कभी उसने भी बात नहीं करी।

राकेश में दारू पीने की वजह से दूसरी कमियां भी आने लगी और वो अब मीनू को बुरा भला बोलता और बात इतनी आगे बढ़ गई थी कि कभी कभी हाथ भी उठा देता था। मीनू को कभी देवता जैसा लगने वाला अपना पति अब किसी जंगली राक्षस के समान नजर आने लगा था। लेकिन बेचारी अपनी बेबसी पर आंसू बहाने से अलग और क्या कर भी क्या सकती थी।

वैसे तो मीनू एक भरे हुए जिस्म की मादक औरत थी और उसका अंग अंग सांचे में ढला हुए और शरीर के कटाव बेहद जानलेवा थे लेकिन उसके पति को जैसे अब अब सेक्स से कोई मतलब नहीं रह गया था। मीनू भी अपनी इच्छाएं भूल गई थी और अपनी मौत से बदतर ज़िन्दगी को जैसे तैसे काट रही थी।

एक दिन राकेश शाम को आया तो हाथ में एक नई साड़ी का डिब्बा और कुछ कपडे थे। सबसे बड़ी बात उसने दारू भी नहीं पी थी ये सब देखकर उसे बड़ी हैरानी हुई।

मीनू समझ नहीं रही थी उसके पति में इतना बदलाव कहां से अा गया। राकेश ने आज काफी महीनों में बाद मीनू को अपनी बांहों में भर लिया और बोला:"

" मीनू मैंने पिछले कुछ दिनों में तुम्हारा बहुत दिल दुखाया हैं और मैं वादा करता हूं आज के बाद दारू पीना बंद और तुम्हे बिल्कुल भी परेशान नहीं करूंगा क्योंकि तुम मेरे लिए ही तो अपना घर परिवार सब कुछ छोड़कर अाई हो मेरी जान।

मीनू राकेश की बात सुनकर खुशियों से भर उठी और उसने भी अपने पति को माफ करते हुए गले लगा लिया।

राकेश:" देखो मैं तुम्हारे लिए नई साड़ी लाया हूं और जाओ खाना बनाकर इसे पहना लेना।

मीनू ने अपने पति का गाल चूम लिया और खुशी खुशी अंदर चली गई। अब भी गर्मी के दिन थे और उसने खाना बनाना शुरू किया और आज उसने सारी चीज़े अपने पति की पसंद से बनाई।

गर्मी की वजह से उसे पसीना अा गया था इसीलिए खाना बनाकर नहाने के लिए घुस गई। उसने आइने में अपने जिस्म को देखा तो उसे खुद पर अभिमान हुआ। उसकी नारियल के आकार की बड़ी बड़ी चूचियां, थोड़ा हल्का सा चर्बी से भरा हुआ पेट और मस्त मोटी मोटी चिकनी जांघें, उसकी बाहर को निकली हुई। उसकी जांघो के बीच में उगा हुआ बालो का गुच्छा उसके असली अनमोल खजाने को छुपाए हुए था। मीनू आइने में खुद को निहारते हुए पलट गई और उसकी नजर अपनी सुंदर मछली के आकार की कमर, और उसके ठीक नीचे भारी भरकम गांड़ पर पर पड़ी तो उसकी आंखे लाल सुर्ख हो गई और उसने मन ही मन स्माइल करते हुए एक वीट क्रीम उठाई और अपने बाल साफ़ करने लगी। बालो के हटते ही उसकी जांघों को चार चांद लग गए और उसकी चूत जो पहले बालो के पीछे छिप गई थी अब खुलकर अपनी कामुक और मन मोहक छटा बिखेरता रही थी।

नहाने के बाद उसने अपने कपड़े पहन लिए और बाहर अा गई। उसके जिस्म में आज काफी दोनो के बीच एक उत्साह एक रोमांच था और कहीं का कहीं ये सब उत्तेजना को जन्म दे रहा था।

उसने अपने आपको शीशे में देखा और खुद को सजाना शुरू कर दिया। लाल रंग की साड़ी में वो किसी दुल्हन की तरह खूबसूरत लग रही थी और आज की रात उसके लिए सुहागरात से कम नहीं थी क्योंकि आज साल भर के बाद उसने अपने पति में बदलाव देखा तो उसका रोम रोम खुशी से भर गया था।

मीनू जैसे ही बाहर अाई तो उसको देखते ही राकेश के होंठो पर स्माइल अा गई और बोला:"

" अरे भाई ये अमावास की रात को चांद कहां से निकल आया ?

मीनू अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गई और उसके बाद दोनो पति पत्नी ने साथ में खाना खाया और फिर सोने के लिए बेड पर चले गए। मीनू का अंग अंग आज काम वासना से तप रहा रहा था इसलिए उसने बेड पर जाते ही खुद ही अपने होंठ अपने पति के होंठो पर रख दिए और चूसने लगी। राकेश भी अपनी पत्नी का साथ देने लगा और देखते ही देखते दोनो के जिस्म नंगे हो गए और बेताब मीनू ने राकेश को अपने उपर खींच लिया। राकेश ने अपने दोनो हाथों में उसकी चूचियां पकड़ ली तो मीनू ने उसकी आंखो में देखते हुए अपनी टांगो को पूरा खोल दिया और राकेश ने जोश में आकर धक्का मारा लेकिन लंड उसकी चूत के मुंह पर ही जवाब दे गया और राकेश सिसकियां लेता हुए कटे हुए पेड़ की तरह भरभरा कर उसके उपर गिर पड़ा। मीनू के सारे सपने अरमान सब धरे के धरे रह गए।

धीरे धीरे ऐसा रोज का ही काम हो गया और पिछले दो महीने से ऐसा ही हो रहा था। मीनू की चुदाई तो दूर की बात राकेश उसकी चूत के अंदर नहीं घुस पाया था। मीनू के जिस्म की आग बढ़ती जा रही थी लेकिन वो किसी तरह उसे दबाए हुए थी कि उसका पति सुधर गया है और सेक्स भी हो ही जाएगा आज नहीं तो कल।

एक दिन राकेश घर आया तो उसके हाथ में कुछ कागज थे। मीनू को उसने बताया कि उसने अपना और मीनू का पांच पांच करोड़ का लॉन किया है ताकि आगे कल जब उनके बच्चे हो तो कोई दिक्कत ना आए।

मीनू अपनी पति की ऐसी सोच से बहुत खुश हुई और उसने खुशी खुशी पेपर पर साइन कर दिया। राकेश आज बहुत खुश था क्योंकि मीनू बेचारी उसके जाल में फंस गई थी। ये सब उसकी सोची समझी साजिश थी और मीनू उसकी चाल को समझ ही नहीं पाई।

अभी एक महीना और ऐसे ही निकल गया और राकेश में फिर से जो बदलाव आए थे गायब होते चले गए। उसका जीवन फिर से नरक से बदतर होता चला गया।

एक दिन उसकी सहेली पायल का फोन आया और उसने हाल चाल पूछे तो मीनू का दिल भर आया और वो फोन पर ही रों पड़ी। पायल ने इसे तसल्ली दी तो मीनू के दिल का गुब्बार आज फट पड़ा और उसने अपनी सारी कहानी पायल को बताई तो पायल ने इसे धैर्य से काम लेने के लिए कहा। फोन कटने के बाद पायल ने सीधे समीर को फोन किया जो कि मीनू का सगा भाई था। उसे जैसे ही अपनी बहन के हालात का पता चला तो उसकी आंखो से आंसू निकल पड़े और उसने अपनी बहन से मिलने का निर्णय किया। वो जानता था कि उसके मम्मी पापा कभी उसका साथ देंगे इसलिए उसने उन्हें बताया नहीं और अभी कल ही तो रक्षा बंधन है। मेरी बहन मेरी इसी कलाई पर तो राखी बांधती थी और मैंने हमेशा उसे उसकी रक्षा का वचन दिया। आज जब मेरी बहन की मेरी जरूरत है तो मुझे अपनी राखी की कसम निभानी चाहिए।

समीर यहीं चेन्नई में तो रहता था और उसकी बहन भी यही रहती हैं तो उसने अपने मन में अंतिम निर्णय किया कि वो कल जरूर अपनी बहन से मिलेगा। उसने गलती करी है ये अलग बात है लेकिन मुश्किल समय में वो अपनी बहन का साथ जरूर देगा।

समीर एक युवा नौजवान था आए अपनी पढ़ाई पूरी करके पिछले साल से नौकरी कर रहा था।

उधर राकेश को उसकी योजना कामयाब होती नजर आ रही थी। बस उसे इंतजार था तो कल सुबह का जहां उसने मीनू को मौत के हवाले करना था। उसने घर के दोनो नौकरों को पैसे का लालच देकर अपनी तरफ मिला लिया था। बस उसने मीनू की सीढ़ियों से धक्का देना था ताकि वो नीचे गिरकर मर जाए।

अगले दिन सुबह हुई और मीनू अभी सोकर उठी भी नहीं थी कि उसका पति उसके कमरे में चाय लेकर अा गया और बोला:"

" मेरी प्यारी जानेमन लो मेरे हाथ से बनी चाय पीजिए।

मीनू ने अपने पति की तरफ देखा और उसके हाथ से चाय ले ली और बोली:"

" क्या बात है? आज सुबह सुबह इतना प्यार ?

राकेश ने मीनू का हाथ अपने हाथ में थाम लिया और बोला:"

" प्यार में तो तुमसे बहुत करता हूं। हर रोज करता हूं बस की कभी जताना ही नहीं आया।

मीनू ने चाय का एक घूंट भरा और राजेश से बोली:" देखिए ना आज रक्षा बंधन है। आज भी मेरे घर से कोई नहीं आएगा, मेरा भाई पूरा परिवार सब कुछ मैने आपके पीछे छोड़ दिया।

राकेश:" तुम परेशान मत हो। आज के बाद तुम्हारी सभी समस्याएं हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।

मीनू ने खुशी और हैरानी से अपने पति की तरफ देखा और बोली:"

" क्यों आज ऐसा क्या हो जाएगा? कोई जादू कर दोगे क्या ?

राकेश ने उसके गाल पर एक किस किया और बोला:" ऐसा ही कुछ समझ लो। वादा करता हूं आज के बाद तुम्हे कोई दिक्कत कोई तकलीफ नहीं होगी।

इतना कहकर राजेश बाहर की तरफ निकल गया और मीनू नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। वो नहा धोकर बाहर अाई तो करीब 9 बज गए थे। जैसे ही वो सीढ़ियों के पास से गुजरी तो उसे किसी ने पीछे से पकड़ कर जोर से नीचे की तरफ धक्का दिया और वो सीढ़ियों से नीचे की तरफ गिरने लगीं। उसने पीछे की तरफ देखा तो ये उसका पति राकेश ही था जिसने उसे धक्का दिया था।


तभी बाहर का दरवाजा खुला और समीर अंदर दाखिल हुआ और अपनी अपनी बहन को गिरते हुए देखकर फुर्ती से उछल पड़ा और मीनू को बीच में ही पकड़ लिया।

घबराई हुई मीनू ने खुद को अपने भाई की बांहों में पाया तो उसके जान में जान अा गई। वहीं उपर खड़ा हुआ राकेश डर के मारे कांप उठा। मीनू सीधी खड़ी हुई और चलते हुए उपर गई। उसकी आंखो से अंगारे निकल रहे थे और उसने राकेश को एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया और जोर से चींखी:"

" हरामजादे मुझे मारना चाहता था तू। देख मेरा भाई अा गया मुझे बचाने के लिए लेकिन तुझे अब मेरे भाई से कौन बचाएगा कुत्ते हरामजादे।

मीनू इतना कहकर अपने भाई की तरफ पलटी और बोली:"

" भाई इस आदमी ने मेरी ज़िन्दगी को मौत से बदतर कर दिया। आज रक्षा बंधन पर तुझे मेरी राखी की कसम। आज इस राक्षस से अपनी बहन पर किए गए हर ज़ुल्म का हिसाब कर।

समीर की आंखो से अंगारे निकल रहे थे और आंखे लाल सुर्ख होकर दहक रही थी। वो आगे बढ़ा और उसने राकेश को मारना शुरू कर दिया। देखते ही देखते घर के दोनो नौकर अपने मालिक के साथ हो गए। समीर भी मार खा रहा था लेकिन इसके अंदर एक तूफान आया हुआ था और वो भूखे शेर की तरह उन्हें मार रहा था। देखते ही देखते तीनो फर्श पर पड़े हुए थे।

राकेश की टांग टूट गई थी और उसके अंदर खड़ा होने की हिम्मत नहीं रह गई थी। वो बार बार दोनों हाथ जोड़कर मीनू से माफी मांग रहा था लेकिन मीनू गुस्से से उसकी तरफ देख रही थी और समीर उसके पेट में लात मार रहा था जिससे उसकी हालत और खराब होती जा रही थी।

राकेश:" मुझे माफ़ कर दो मीनू, मैं मर जाऊंगा।

मीनू ने गुस्से से कहा:" बेहतर होगा तुम मर ही जाए।



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इतना कहकर गुस्से से मीनू पलटी और एक झटके के साथ अपने भाई का हाथ पकड़ कर बाहर निकल गई और जाते जाते बोल गई कि आज के बाद उससे सभी रिश्ते ख़त्म।

राकेश अपने नौकरों के साथ फर्श पर पड़ा हुआ तड़पता रह गया और मीनू अपने साथ के साथ उसकी गाड़ी में बैठकर चल पड़ी।


समीर:" दीदी मुझे दुख हुआ ये सब देख कर। आपको एक बार मुझे बताना चाहिए था। अगर मैं आज समय पर नहीं आता तो

मीनू:" क्या होता भाई। ज्यादा से ज्यादा मैं मर ही जाती। वैसे ही मैंने आपका और मम्मी पापा का दिल दुखाया है तो मुझे इसकी सजा तो मिलनी ही थी।

अजय ने अपनी बहन के होंठो पर अपना हाथ रख दिया और बोला:" मरे तुम्हारे दुश्मन। गलती इंसान से ही होती है। मुझे आपसे कोई नाराजगी नहीं है।

मीनू अपने भाई की बात सुनकर इससे लिपट गई और समीर ने भी अपनी बहन को गले लगाया लिया। गाड़ी अपनी रफ़्तार से चलती हुई समीर के फ्लैट के सामने रुक गई और दोनो भाई बहन अंदर चले गए।

फ्लैट बहुत ही सुन्दर और उसके अंदर सब कुछ विदेशो से आया हुआ महंगा सामान था। चाहे बेड हो, सोफे, फ्रिज, एसी सब एक से बढ़कर एक। साधारण परिवार में पली बढ़ी मीनू ने अपने भाई के पास ये सब ऐशो आराम की चीज़े देखी तो वो बहुत खुश हुई और बोली:"

" भाई ये सब तुमहरा अपना हैं या किराए पर लिया है ?

समीर ने अपनी दीदी को हल्की सी स्माइल दी और बोला:"

" दीदी ये सब आपका ही है। आपका भाई अब पैसे कमाता है इसलिए सब कुछ अपना खरीद लिया ये फ्लैट भी।

मीनू बहुत खुश हुई और बोली:" सच में भाई तूने तो कमाल कर दिया, कहां तो हमे एक टाइम की रोटी नसीब नहीं होती थी और कहां आज तुम महलों के राजकुमार बन गए हो। तुम करते क्या हो भाई ?

समीर:" सब किस्मत का खेल हैं दीदी। पढ़ाई के बाद मैंने एक सॉफ्टवेयर बनाया और 2.5 करोड़ का बिक गया। बस सब उसका ही कमाल हैं।

मीनू इतने पैसे सुनते ही हैरान हो गई और साथ ही साथ उसे बेहद खुशी भी हुई। समीर अपनी दीदी को खुश देखकर अंदर ही अंदर खुश था क्योंकि वो दीदी को बहुत प्यार करता था।

समीर:" दीदी आप अब आराम से मेरे साथ रहिए। आपको उस कुत्ते राकेश के पास जाने की कोई जरूरत नहीं। मैं मौका देखकर पापा को भी मना लूंगा।

मीनू:" ओह भाई तुम कितने अच्छे हो। आज रक्षा बंधन के तुमने मुझे एक नया जीवन दिया।

समीर:" आप एक काम करो, जल्दी से नहाकर तैयार हो जाओ। फिर मै आपको घुमाने ले जाऊंगा कहीं।

मीनू घूमने की बात सुनकर खुश हो गई लेकिन उसके पास तो दूसरे कपडे नहीं थे। नहाकर वो क्या पहनेगी ये सोच कर रुक गई तो समीर बोला:"

" क्या हुआ दीदी , किस सोच में डूब गई आप ?

मीनू:" भाई मै ये कह रही थी कि मेरे पास तो, क्या कहूं अच्छा सुनो ना मेरे पास दूसरे कपडे ही नही है। बताओ क्या करू ? कैसे नहा सकती हूं।

समीर:" दीदी बस इतनी सी बात है, आप एक काम कीजिए। थोड़ी देर के लिए मेरे साथ नीचे चलिए और आपको आपकी पसंद से कपडे दिलवा देता हूं।

मीनू खुशी खुशी अपने भाई के साथ नीचे अा गई और समीर ने उसको एक से एक बनारसी सिल्क की साड़ियां, महंगे सूट, मैक्सी और कुछ नाइट गाउन खरीद कर दिए तो मीनू अपने भाई को प्यार और इज्जत के साथ देख रही थी।


समीर ने कपड़ों का बिल दिया जो करीब छह लाख रुपए था। मीनू अपने भाई द्वारा इतने कीमती कपडे दिए जाने पर खुशी से फूली नहीं समा रही थी और उसकी खुशी उसके चेहरे पर साफ दमक रही थी।

समीर ने अपनी को सुंदर चमड़े से बने बैग, बेहद खूबसूरत और महंगे सैंडल और फिर मेक अप की विदेशी किट और ढेर सारा सामान दिलवा दिया।

उसके बाद दोनो भाई बहन अपने फ्लैट पर अा गए। दोनो ने नहाया और समीर ने खाना ऑर्डर कर दिया था तो थोड़ी देर बाद ही खाना अा गया और दोनो भाई ने खाना खाया और उसके बाद दोनो आराम से बेड पर लेट गए। बेड पर पड़े गद्दे की लचक, उसका मुलायम एहसास मीनू के लिए पूरी तरह से अनूठा था और देखते ही देखते दोनो नींद के आगोश में चले गए।

शाम को करीब सात बजे समीर की आंखे खुल गई तो उसने ऑर्डर करके एक राखी, मिठाई और आरती की थाली के साथ अपनी बहन को गिफ्ट देने के लिए एक बहुत ही सुन्दर गले का हार सोने से बना और चार जोड़ी सोने के कंगन के साथ नाक के लिए सुनहरी पतली सी बाली भी मंगवा ली।

मीनू उठी और उसे अपनी बदन में एक नई ऊर्जा का संचार महसूस हुआ। ये शायद उस महंगे बेड के आरामदायक गद्दे का कमाल था या अपनी ज़ालिम पति से छुटकारा मिलने की खुशी थी।

मीनू ने देखा कि सामने ही टेबल पर एक खूबसूरत राखी और मिठाई का डिब्बा और आरती का सभी सामान रखा हुआ था तो याद अा गया कि आज तो रक्षा बंधन था और मैं कितनी बद्धू हूं जो तैयारी मुझे करनी चाहिए थी वो सब मेरे भाई ने कर दी। मीनू के दिल और नजरो में अपने भाई के लिए इज्जत और प्यार और ज्यादा बढ़ गया।

मीनू उठी और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। बाथरूम में इतना बड़ा शीशा लगा हुआ था जिसमें उसे पूरा नंगा बदन नजर आ रहा था। मीनू बिल्कुल नंगी थी और उसके हाथ अपने आप ही अपनी चूचियों पर अा गए तो उसके मुंह से एक आह निकल पड़ी। उसने अपने सिर पर पानी डाला और नहाने लगी। तभी उसकी नजर बाथरूम में रखी हुई क्रीम पर पड़ी जिसमे से तेज मादक खुशबू अा रही थी तो लालची नेहा ने उसे उठा लिया और अपने पूरे बदन पर लपेट किया। थोड़ी देर बाद उसने अपने बदन को पानी से धो दिया तो खुद को शीशे में देखा तो उसकी आंखे खुली की खुली रह गई। उसके बदन पर कहीं भी बाल का नामो निशान बाकी नहीं था। एक दम बिल्कुल साफ, मक्खन की तरह चिकना हो गया था। बगल के बाल हट जाने से उसकी बगले सुंदर और कामुक हो गई थी। उफ्फ उसने एक नजर अपनी चूत को देखा तो उसके मुंह से खुद ही आह निकल पड़ी। पता नहीं इस क्रीम में ऐसा क्या था कि उसकी चूत गुलाबी हो गई थी और उसकी नशे खींचती हुई महसूस हो रही थी। उसके पूरे बदन में से एक कामुक गंध अा रही थी और मीनू अपने आपको भाग्यशाली समझ रही थी कि उसने ऐसी क्रीम का इस्तेमाल किया।

नहा कर उसने एक लाल रंग का पेटीकोट और लाल रंग की ही साडी पहनी और खुद को शीशे में देखते हुए सजाने लगीं। उसने अपने मुंह पर अच्छे से मेक अप किया और फिर आंखो में काले गहरे रंग का काजल लगाया और उसने फिर गहरी लाल, बिल्कुल लाल सुर्ख लिपस्टिक को अपने होठों पर लगाया और खुद को शीशे में देखा तो उसकी खुशी की कोई सीमा नहीं थी। इतनी सुन्दर तो अपनी सुहागरात को भी नहीं लगी थी। उसकी काजल लगी हुई बड़ी बड़ी बोलती आंखे, रस से भीगे हुए लाल सुर्ख होठ।

हाथ में आरती की थाली और और राखी लिए हुए वो बेडरूम में अाई तो समीर अपनी बहन के इस अवतार को देखकर ठगा सा रह गया। ऐसा नहीं कि उसकी बहन सुंदर नहीं थी लेकिन मेकअप किए हुए आज पहली बार देख रहा था। बिल्कुल किसी अप्सरा की तरह, मानो मीनू नहीं बल्कि साक्षात रती उसके सामने अा गई हो।

मीनू उसे ऐसे देखते पाकर खुश हो गई क्योंकि औरत हमेशा पुरुष से अपनी तारीफ और अपने हुस्न के लिए तारीफ भरी आंखे देखना पसंद करती हैं फिर चाहे तो उसका अपना सगा भाई ही क्यों ना हो। मीनू बोली:"

" भाई क्या हुआ जो इतनी गौर से देख रहे हो मुझे आप ?

समीर के उपकार तले दबी हुई मीनू ने उसकी आंखो में देखते उसके लिए तुम की बजाय आप शब्द का प्रयोग करते हुए प्रेम पूर्वक पूछा तो समीर ने उसकी तरफ देखते हुए कहा:"

" देख रहा हूं मेरी बहन किसी सुन्दर हैं। दुनिया की सबसे लड़की हैं मेरी बहन। किसी की नजर ना लग जाए।

" किसी का पता तो नहीं लेकिन अगर आप ऐसे ही देखते रहोगे तो आपकी नजर जरूर लग जाएगी। लाओ चलो अपना हाथ आगे करो मुझे रखी बांधने दो।

समीर ने स्माइल करते हुए अपना हाथ आगे कर दिया और मीनू ने सबसे पहले थाली उठाकर अपने भाई की आरती उतारी और थाली को एक तरफ रख दिया और फिर वो हल्दी और चावल का टीका बनाने के लिए थाली में झुकी तो उसके कंधे पर पड़ी हुई साडी नीचे का पल्लू नीचे सरक गया और उसने जल्दबाजी में उसे अपनी कोहनी से पीछे की तरफ कर दिया क्योंकि हल्दी में सने हुए हाथ से उसकी साड़ी खराब होने का खतरा था। पल्लू के हटते ही उसकी चूचियों का उभार समीर की नजरो के सामने अा गया और उसकी नजरे अपने आप उन पर टिक गई। मीनू को इसका जरा भी अंदाजा नहीं था और वो आराम से मुंह नीचे लिए अपने भाई के लिए तिलक बना रही थी। जैसे ही उसने तिलक बनाया और अंगूठे से उसे लेने के लिए नीचे की तरफ हुई तो उसकी चूचियां का उभार आधे से ज्यादा ब्लाउस के चौड़े गले से बाहर अा गया और समीर के जिस्म में हलचल सी मच गई। मीनू जैसे ही सीधी हुई तो उसे अपने भाई की नजरो का एहसास हुआ और उसे अपने अंदर एक अजीब सा रोमांच महसूस हुआ कि उसका सगा भाई कैसे उसकी गोलाईयों के उभार को देख रहा है। मीनू ने अपना हाथ आगे करते हुए उसके माथे पर टीका लगाया और फिर उसकी मजबूत कलाई में राखी बांध दी।

उसके बाद मीनू ने एक बर्फी का टुकड़ा उठाया और अपने भाई का मुंह मीठा किया और बाकी बचा हुआ टुकड़ा खुद खा गई और अपनी आंखे नाचते हुए बोली:"

" लो जी भैया जी राखी तो बांध दी, मेरा गिफ्ट कहां हैं ?

समीर ने अपने बेड से गले का सेट, सोने के कंगन और उसके लिए प्यारी की नाक की बाली निकाली और ये सब देखकर मीनू की आंखे खुशी और लालच से भर उठी। समीर ने एक बर्फी का टुकड़ा लिया और अपनी बहन के मुंह के आगे किया तो मीनू ने आधा पीस खा लिया। बाकी बचा हुआ आधा टुकड़ा मीनू ने अपने हाथ में लिया जिस पर उसकी लिपस्टिक लग गई थी और उसे सीधे उसने समीर के मुंह आगे किया और समीर ने खुशी खुशी मुंह खोलते हुए उसे खा लिया। ये टुकड़ा उसे पहले वाले से ज्यादा मीठा लगा और समीर अपने लिप्स पर जीभ फेरते हुए बोला:"

" दीदी आपके हाथ की बात ही कुछ और हैं। देखो ना आपने मिठाई खिलाई तो पहले वाले से अच्छी मीठी लगी।

अपने भाई की बात सुनकर वो एक पल के लिए झेंप सी गई और समीर ने अपने बहन के लिए लाए हुए गिफ्ट उसके हाथ में दे दिए तो मीनू अपने भाई की आंखो में देखते हुए बोली:"

" भाई आपने मुझे आज एक नई ज़िन्दगी दी और अभी इतने कीमती गिफ्ट दे रहे हो। मैं चाहती हूं कि आप खुद ही अपने हाथो से मुझे ये सब पहना दीजिए।

इतना कहकर उसने अपना नाजुक, नरम मुलायम हाथ आगे कर दिया और समीर ने देर ना करते हुए कंगन को हाथ में लिया और उसकी नर्म मुलायम कलाई को पकड़ लिया। एक अनूठे एहसास से वो गदगद हो गया और उसने धीरे से उसकी उंगलियों को उपर की तरफ मोड़ते हुए कंगन को हाथ में पहनाने लगा। कंगन हाथ में आने से मीनू को हल्के से दर्द का एहसास हुआ और उसने आंखे बंद करके अपने होंठो पर जीभ फिराई तो समीर उसकी इस अदा पर मर मिटा और उसने उसके उंगलियों को जोर से दबाते हुए कंगन को एक झटके से हाथ में पहना दिया। मीनू के होंठो से एक हल्की सी दर्द भरी आह निकल पड़ी और उसने शिकायती नजरो से अपने भाई की तरफ देखा तो समीर ने स्माइल करते हुए दूसरे हाथ के लिए कंगन उठा लिए और उसके दूसरे हाथ में पहनाने लगा। समीर ने जैसे ही जोर लगाया तो मीनू ने जोर से सांस ली और जैसे ही सांस छोड़ी तो उसकी चूचियां बाहर को निकलती हुई बाहर अाई तो समीर को अपने कच्छे में कुछ बगावत सी महसूस हुई।

अपनी बहन को कंगन पहनाने के बहाने से समीर ने जी भर कर उसकी नाजुक नरम मुलायम कलाई को छुआ और उसने सोने के सेट को हाथ में लिया और फिर अपनी बहन के पीछे खड़ा हो गया। मीनू सामने लगे शीशे में खुद को निहार रही थी और पीछे उसकी बैकलेस साडी की वजह से नंगी कमर को समीर ललचाई नज़रों से देख रहा था। जैसे ही मानो ने अपने भाई को देखा तो उसे यकीन नहीं हो रहा था। कभी ये मेरे सीने के उभार को देख रहा था और अभी मेरी कमर को देख रहा है। बेचारा मेरा सीधा भाई।

मीनू:" भाई अब पहना भी दो, इसके लिए मुहूर्त निकलेगा क्या ?


अपनी बहन की बात सुनकर वो एक पल के लिए कांप उठा और उसने हड़बड़ा कर जल्दी से हाथ आगे करते हुए उसके गले में सेट को पहना दिया और इसी बहाने उसने एक बार उसकी गर्दन पर हाथ भी फेर दिया। मीनू अपने भाई की इस हरकत पर अंदर ही अंदर मुस्कुरा उठी।

समीर सामने अा गया और उसने अपने हाथ में सोने की पतली सी बाली उठा ली और उसे लेकर अपनी बहन के करीब हो गया। मीनू वहीं बेड पर बैठ गई और समीर उसके पास ही बैठ गया और उसने धीरे से अपने हाथ करते हुए अपनी बाहें की ठोड़ी को उपर की तरफ उठाया और उसके मुंह की नरम त्वचा को छूते ही मदहोश सा हो गया। हाथ में बाली लिए वो बिल्कुल अपनी बहन के चेहरे के सामने अा गया और अब मीनू की गर्म गर्म सांसे उसके चेहरे पर पड़ रही थी जिससे समीर पूरी तरह से अपने होश खोता जा रहा था।

उसने एक हाथ से बाली को आगे किया और दूसरे हाथ से अपनी बहन की सुंदर पतली सी नाक को पकड़ा और जैसे ही मीनू ने अपनी सांसे छोड़ी समीर के हाथ कांप उठे और बाली उसके हाथ से छूटकर मीनू के ब्लाउस में गिर गई। समीर को जहां निराशा हुई वहीं मीनू अपने भाई की इस नादानी पर स्माइल करते हुए बोली:"

" क्या भाई एक बाली का वजन नहीं थाम पाए, कल जब शादी होगी तो घरवाली को कैसे संभाल लोगे?

समीर:" दीदी वो गलती से मेरे हाथ से छूट गई। कभी पहनाई नहीं ना किसी को। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। एक मौका और दो मुझे।

मीनू ने अपने एक हाथ को अपने ब्लाउस के अंदर घुसा दिया तो ये देखकर समीर का लंड पूरी तरह से ज्यादा हो गया। मीनू ने बाली को पकड़ लिया और बाहर की तरफ निकाल दिया तो उसकी चूची का आधे से ज्यादा उभार बाहर की तरफ दिखाई दिया। समीर अपनी दीदी पर पूरी तरह से दीवाना हो गया था।

मीनू ने बाली को उसके हाथ में दिया और फिर से ठीक उसके सामने बैठ गई। अजय ने फिर से हाथ से अपनी बहन के चेहरे को उपर किया और इस बार ध्यानपूर्वक उसने बाली को उसकी नाक में पहना दिया।

मीनू खुश हो गई और उसने होंठो से उसका मुंह चूम लिया और बोली:_ थैंक्स भाई। आपने एक भाई का पूरा फर्ज़ निभाया है। मुझे खुशी है कि आप मेरे भाई हो।

समीर:" दीदी ये तो मेरी खुश किस्मती हैं कि आप जैसी सुन्दर मेरी दीदी हैं।

मीनू उसे छेड़ते हुए बोली:' कितने भोले हो भैया आप। दीदी नहीं बीवी सुंदर होनी चाहिए तभी तो फायदा होता हैं।

समीर:" हान दीदी, फिर मैं भी आपके जैसी सुंदर लड़की से ही शादी करूंगा।

मीनू:" सुंदर लड़की तो आपको मिल ही जाएगी लेकिन मेरे जैसी कहीं नहीं मिलेगी।

समीर:" हान दीदी ये बात तो हैं। आपके जैसी कोई और हो ही नहीं सकती। अच्छा दीदी मुझे भूख लगी हैं चलो आओ खाना खाकर आते हैं।

उसके बाद दोनो भाई बहन पास ही एक शानदार होटल में गए और दोनो ने खाना खाया। वहां सभी लोग मीनू को ललचाई नज़रों से देख रहे थे और मीनू को अपने रूप सौंदर्य पर अभिमान महसूस हो रहा था और वो जानती थी कि ये सब उसके भाई की वजह से ही संभव हुआ है। खाना खाकर दोनो वापिस अा गए और मीनू कपडे बदलने के लिए अंदर चली गई और अपनी ब्रा पेंटी को उतार दिया और रेशम के कपडे की नाइटी पहन कर अपने कपड़े बैग में रखने लगीं।

बाहर समीर बैठा हुआ था और उसने फ्रिज से एक बियर की कैन निकाली और पीने लगा। तभी मीनू बाहर अा गई तो समीर ने उसे देखते ही कैन को छुपा लिया लेकिन उसकी नजर कैन पर पड़ गई तो वो बोली:"

" अच्छा मेरा भाई बियर भी पीने लगा हैं। क्या बात है।

समीर:" दीदी वो कभी कभी पी लेता हूं बस, थोड़ा शरीर दर्द कर रहा था इसलिए।

मीनू:" अच्छा जी, क्या उससे शरीर का दर्द ठीक हो जाता है?
झूठ तो ठीक से बोलो।

समीर:" वो दीदी ठीक तो नहीं होता,लेकिन हल्का सा सुरूर हो तो फिर दर्द महसूस नहीं होता बल्कि अच्छा लगता हैं।

मीनू:" अच्छा जी ऐसा क्या होता गई उसमे ?

समीर:" अब मैं क्या कहूं दीदी। वो तो पीने वाला ही समझ सकता है अच्छे से।

मीनू:" अच्छा ऐसी बात है तो थोड़ी सी मैं भी पीकर देखू क्या ?

समीर;" दीदी आप तो रहने ही दीजिए, आपसे बर्दाश्त नहीं होगी।

मीनू को उसके ये बात अपने आत्म सम्मान पर हमला महसूस हुई और उसने उसके हाथ से कैन ली और एक के बाद एक कई घूंट पी गई और बोली;_

" कितनी ज्यादा कड़वी हैं ये, तुम ही पियो बस। मैं तो चली सोने।


इतना कहकर वो दूसरे कमरे में चली गई और समीर ने कैन को खाली करके एक तरफ रख दिया और उसने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और अभी सिर्फ एक निकर पहने हुए था। उसने एक मशीन शुरू कर दी जो शरीर की मालिश करती थी क्योंकि आज दिन में लड़ते हुए उसके शरीर पर कई वार हुए थे और अभी हलका हलका दर्द हो रहा था।
मीनू आराम से लेट गई और आज जो हुआ उसके बारे में सोच रही थी। किस तरह उसके पति से उसके भाई ने उसे बचाया और कुछ ही घंटो में उसकी ज़िन्दगी बदल दी। जिन मंहगे कपड़ों के वो सिर्फ सपने देखा करती थी उसके भाई ने उन्हें सच कर दिया और एक से बढ़कर एक सोने के आईटम्स। उसे अपने भाई पर गर्व महसूस हुआ और उसे याद अा गया कि किस तरह से उसके हाथ कांप रहे थे और उसका भाई ललचाई नज़रों से उसकी कमर और सीने के उभार को देख रहा था। बेचारा शायद लड़की के प्यार के लिए तरस रहा है। ये सब बाते सोचते सोचते उसके जिस्म में एक अजीब सी उत्तेजना अा गई थी और बदन से निकलती हुई मादक परफ्यूम की तेज महक उसके दिलो दिमाग पर हावी होती जा रही थी।

उसकी आंखे लाल होने लगी और बड़ी होती चली गई। अपने आप ही उसका गाल सूखता चला गया। उसे समझ नहीं अा रहा था कि ये उसके साथ क्या हो रहा है। अपने आप ही उसके होंठों पर स्माइल अा गई और उसके हाथ उसके सीने पर पहुंच गए उसे पता ही नहीं चला। उसे समझ नहीं अा रहा था कि वो क्या करे क्योंकि उसकी जांघो के बीच में उसे अजीब सा महसूस हो रहा था। उसने एक बार खुद ही झड़ने का फैसला किया और वो गेट को बंद करने के लिए उठ गई कि कहीं उसका भाई उसे देखा ना ले ये सब करते हुए। वो गेट पर पहुंची तो उसने गेट बंद करने से पहले एक नजर अपने भाई पर डाली जो सिर्फ एक छोटी सी निकर में लेता हुआ था और उसकी चौड़ी छाती पूरी तरह से बेपर्दा थी। एक मशीन चल रही थी और समीर उसके सामने बार बार करवट बदल रहा था।

मीनू को कुछ समझ में नहीं आया तो अपने भाई के पास गई और समीर उसे देखते ही चौंक गया और बोला:"

" ओह दीदी आप यहां इस वक़्त क्या हुआ ?

मीनू:" हुआ तो कुछ नहीं बाथरूम अाई थी तो तुम्हे देखा। तुम ये क्या कर रहे हो भाई इस मशीन में सामने ?

समीर:" ओह दीदी, ये तो गर्म हवा देकर मालिश करने वाली मशीन हैं। शरीर दर्द कर रहा था इसलिए सोचा थोड़ा मालिश ले लू।

मीनू को याद अा गया कि सुबह किस तरह उसका भाई अकेला लड़ा था और थोड़ी मार भी खाई थी। उसे अपने भाई पर बड़ा तरस आया और बोली:"

" भाई मशीन से क्या फायदा होगा, एक काम करती हूं मैं ही मालिश कर देती हूं।

मीनू ने उसकी चौड़ी बालो से भरी हुई छाती को हसरत भरी निगाहों से देखते हुए कहा तो समीर एकदम मान गया और उसने मशीन बंद कर ली। अब कमरे में सिर्फ एक गुलाबी हल्की रोशनी देने वाला बल्ब जल रहा था।
समीर बेड पर लेट गया और मीनू ने उसके एक हाथ को पकड़ लिया और उसकी मालिश करने लगी। मीनू के हाथ की मुलायम स्किन को महसूस करते ही समीर की आंखे बंद हो गई और मीनू उसकी उंगलियों से लेकर कंधे तक मालिश करने लगी।

समीर की आंखे बंद होने से मीनू को खुली छूट मिल गई और उसने उसकी छाती को गौर से देखना शुरू कर दिया। मीनू के हाथ जैसे ही उसके कंधो तक जाते तो वो थोड़ा सा और आगे कर देती और उसकी छाती को हल्का सा छू लेती। समीर के हाथो पर घूमते उसके हाथ समीर की उत्तेजना को बढ़ा रहे थे और चेहरे पर अद्भुत आनंद के भाव उभर रहे थे जिन्हे देखकर मीनू को अच्छा महसूस हो रहा था। मीनू ने एक एक करके उसके दोनो हाथो की अच्छे से क्रीम से मालिश करी।

हाथो की मालिश करने के बाद मीनू ने उसके पैरो की मालिश शुरू कर दी और उसके घुटनो तक हाथ फिराने लगी। समीर का शरीर मीनू के हाथो के एहसास से कांप रहा था और देखते ही देखते उसके लंड में तनाव आने लगा।

अब मीनू ने अपने भाई की दोनो टांगो को विपरीत दिशा में फैला दिया और उसकी जांघो के बीच में अा गई और अपनी मालिश का दायरा बढ़ाने लगी। उसके हाथ समीर की जांघो घूम रहे थे और मीनू के तन बदन में सिरहन सी दौड़ रही थी। उसके हाथ आगे की तरफ जाते और और उसकी जांघो के जोड़ तक जाने लगे। समीर पूरी तरह से मदहोश हो गया और उसके लंड ने बगावत करते हुए अपनी पूरी कठोरता प्राप्त कर ली और समीर के अंडर वियर में उपर की तरफ खड़ा हो गया। मीनू की नजर जैसे ही उस पर पड़ी तो उसकी आंखो में एक अजीब सी मस्ती छा गई और उसने अब मालिश के साथ साथ उसकी उसकी जांघो को सहलाना शुरू कर दिया। मीनू पूरे जोश में उसकी जांघो को सहला रही थी और अजय ने अपनी आंखे खोली तो अपनी बहन को अपने अंडर वियर में झांकते हुए पाया तो उसके लंड ने एक जोरदार अंगड़ाई ली और मीनू के मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी जिसने समीर को सब समझा दिया कि उसकी बहन किस हालात में हैं।

मीनू ने थोड़ी सी क्रीम अपने दोनो हाथों में ली और समीर के पेट की मालिश करने लगी। समीर मस्ती से भर उठा और खड़ा हुआ लंड हिलने की वजह से उसकी बहन के हाथो से बार बार टकरा रहा था जिससे मीनू की चूचियां अकड़ती जा रही थी।

मीनू ने अपने हाथ में थोड़ी क्रीम ली और जैसे ही उसके पेट पर लगाने कहीं तो अपना संतुलन खो बैठी और समीर की छाती पर गिरती चली गई और उसके दोनो हाथ उसकी गर्दन में लिपट गए।

समीर ने मौके का फायदा उठाते हुए अपने दोनो हाथों में उसकी गांड़ को नाइटी के ऊपर से ही भर लिया और मीनू इससे पूरी तरह से मदहोश हो गई और उसने उठते हुए अपने भाई की छाती को चूम लिया।

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अपनी दीदी के गर्म होंठो का एहसास अपनी छाती पर होते ही समीर के मुंह से आह निकल पड़ी। मीनू उसकी छाती को सहलाते हुए उसकी जांघो के बीच फिर से बैठ गई और अपने हाथ में क्रीम निकाल कर मसलने लगी। मीनू उसकी जांघो को सहलाते हुए उसकी छाती से तक हाथ फिराने लगी। समीर के पैर की उंगलियों से मीनू के पैर छू रहे थे और समीर ने अपने पैर से अपनी बहन के पैर को सहलाना शुरू कर दिया। अपनी भाई की तरफ से सहयोग मिलते ही मीनू ने अपने घुटनों को उसकी जांघो पर टिका दिया और हाथ से उसकी छाती तक मालिश करने लगी। उसके हाथ पहले उपर तक जाते और फिर नीचे की तरफ लौट आते जिससे उसके पेट की रगड़ लंड पर पड़ रही थी।

जैसे ही उसके हाथ उपर की तरफ जाते तो उसकी छाती के निप्पल पर कुछ पल के लिए रुकते और हल्का सा मसलते हुए उपर की तरफ चले जाते। बार बार रगड़े जाने से अजय का लन्ड उसके निकर से हॉल से बाहर अा गया। अगली बार जैसे ही वो आगे की तरफ हुई तो लंड ने उसके पेट को थोड़ा जोर से रगड़ा तो उसकी चूत में चींटी सी दौड़ गई और उसने नीचे की तरफ झांका तो उसे अपने भाई का भयंकर लंड दिखाई दिया।उसकी मोटाई और लंबाई को देखते ही मीनू पिघल गई और उसने पूरी लंबाई में हाथ चलाए तो उसकी नाइटी ऊपर की और सरकने लगी।

अब मीनू की टांगे घुटनो तक नंगी हो गई थी और समीर ने अपने दोनो हाथों को उसकी टांगो पर रख दिया और सहलाने लगा। मीनू से बर्दाश्त नहीं हुआ जोर जोर से अपने भाई की छाती को मसल रही थी। निप्पल पर कुछ देर रुकती और दो उंगलियों के बीच मसल रही थी। समीर के हाथ धीरे धीरे उसकी नाइटी को उपर करते जा रहे थे और कुछ ही पल में उसकी नाइटी उसकी गांड़ से उपर चढ़ गई तो उसकी गांड़, जांघें चूत सब नंगी होती चली गई।
जैसे ही समीर ने उसकी नंगी गांड़ को छुआ तो उससे बर्दाश्त नहीं हुआ और समीर के सीने पर एक बार फिर से गिर गई जिससे क्रीम लगने से उसकी नाइटी गीली हो गई। मीनू ने अपनी जीभ को अपनी भाई की गर्दन पर फिरा दिया और सिसकते हुए बोली:"

" ओह भाई, मेरी नाइटी खराब हो जाएगी क्रीम से। क्या करू??

समीर के लिए तो जैसे ये मन की मुराद पूरी होने वाली बात थी। उसने अपने हाथो का दबाव उसकी गांड़ पर बढ़ाया और बोला:"..

" आह दीदी, उतार दो ना प्लीज़, बहुत महंगी हैं ये।

मीनू अपनी चूचियां उसके सीने पर रगड़ती हुई सिसकी;'

" आह भाई, उतार तो लेकिन मैंने नीचे कुछ नहीं पहना हुआ है। मैं पूरी नंगी हो जाऊंगी।

समीर अपने बहन के मुंह से नंगा शब्द सुनते ही जोश में अा गया और उसकी गांड़ को जोर से मसल दिया और बोला:"

" ओह मेरी सेक्सी दीदी, आप हो जाओ नंगी, मैं आंखे बंद कर लूंगा।

मीनू ने बिना एक पल की देरी किए अपनी नाइटी को नीचे से पकड़ा और उपर की तरफ निकाल दिया। मीनू की ठोस गोल गोल नारियल जैसी चूचियां आजाद होकर हवा में उछल पड़ी। समीर की आंखे बंद थी और इस बार जैसे ही मीनू उसकी छाती पर क्रीम लगाने के लिए आगे को झुकी तो उसे जांघो के बीच समीर का नंगा बिल्कुल नंगा लंड महसूस हुआ तो वो समझ गई कि उसकी भाई ने भी अपना अंडर वियर निकाल दिया है। मीनू आगे को होती और उसकी छाती की मालिश करती तो समीर का लंड उसकी छूट के आस पास छू जाता। मीनू पूरी तरह से बेहाल हो गई थी और उसकी चूत एकदम गीली हो गई थी और रस उसमे से टपक रहा था। एक बार जैसे ही वो आगे को हुई तो समीर ने अपनी गांड़ को उपर की तरफ उछाला और मीनू उसकी छाती पर गिर गई उसकी चूचियों के कड़े निप्पल उसके सीने में घुसते चले गए।

समीर ने अपने दोनो हाथ अपनी दीदी की कमर पर टिका दिए और मीनू उसकी छाती से लेकर गरदन तक चूमने लगी। मीनू की खुली हुई टांगो के बीच समीर का लंड घुस गया और ज्यादा लंबा होने की वजह से उसकी टांगो से बाहर निकल गया और मीनू अपनी कमर आगे पीछे करते हुए अपनी चूत को उसके लंड पर रगड़ रही थी।


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दोनो भाई बहन के मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां निकल रहीं थीं और दोनो एक दूसरे में समाने के लिए तड़प रहे थे। जैसे ही मीनू आगे को हुई तो समीर के लंदन ने उसकी चूत के छेद पर दस्तक दी तो मीनू अपने होशो हवास खो बैठी और अपने दोनो होंठो को अपने भाई के होंठो पर टिका दिया और चूसने लगी। समीर ने भी अपनी बहन के मुंह के अंदर अपनी जीभ घुसा दी और उसकी गर्दन में हाथ डालते हुए खुद से कस लिया। मीनू अब तेजी से उसके लंड पर अपनी चूत रगड़ रही थी। एक बिल्कुल नंगी बहन अपने पूरे नंगे सगे भाई के उपर चढकर उसके लंड को अपनी चूत से रगड़ते उसके होंठ चूस रही थी।



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समीर ने अपना एक हाथ आगे करते हुए मीनू की छाती के नीचे रख दिया और उसकी चूचियों को जोर जोर से हाथ में भर कर मसलने लगा। मीनू से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने अपने भाई की आंखो में देखते अपने हाथ से उसके लंड को पकड़ लिया और अपनी चूत के छेद पर टिका दिया। उसकी चूत पूरी तरह से गीली थी फिर भी उसने मुंह से ढेर सारा थूक निकाल कर लंड को पूरा चुपड़ दिया और उस पर अपनी चूत का दबाव डालने लगी।



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जैसे ही सुपाड़ा उसकी चूत में होंठो को खोलता हुआ अंदर घुसा तो मीनू को तेज दर्द हुआ और वो उसने अपनी चूत को पीछे किया तो समीर ने उसे अपनी बांहों में कसते हुए पलट दिया और उसके ऊपर अा गया। समीर ने पहली बार अपनी बहन की नंगी चूचियों को देखा और एक को हाथ में भर लिया और दूसरी को अपने मुंह में भर लिया तो मीनू की मस्ती भरी सिसकारियां निकल पड़ी और अपनी जांघो को खोल दिया तो समीर ने उसकी चूत पर लंड रखते हुए तेज धक्का मार दिया और एक ही धक्के में पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया। मीनू के मुंह से दर्द भरी आह निकल पड़ी और वो अपने भाई के गले लग गई। समीर ने बिना समय गंवाए उसे चोदना शुरू कर दिया।



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मीनू ने अपनी दोनो टांगो को अपने भाई की कमर पर लपेट दिया और चुदाई में उसका साथ देने लगी। उसकी चूत आज पहली बार असली लंड से चुद रही थी और उसकी सिसकियां समीर को और जोश दिला रही थी।

मीनू को मजा आने लगा और उसकी गांड़ अपने आप लंड पर उछलने लगी। समीर तेज तेज धक्के लगा रहा था और मीनू हर धक्के पर सिसक उठी और। तभी समीर के धक्कों में तेजी अा गई और उसने एक आखिरी जोरदार धक्का अपनी सगी बहन की चूत में लगाया और इसके साथ ही दोनो भाई बहन एक साथ झड़ते चले गए।



समीर ने अपनी बहन के होंठ चूम लिए और बोला:"



" रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएं।।

समाप्त।
 

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