Incest सास बनी दामाद के बच्चों की मां

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अपडेट—27
तृप्ति कमरे से बाहर निकल जाती है। लेकिन अविनाश के कान में कहती हुई जाती हैं आज रात तुम्हारी सुहागरात हैं और आज रात दीप्ति के पूर्व पति जीवन पर भी भारी पडने वाली है। मैं उसे उसकी औकात याद करा दूंगी।
तृप्ति के जाते ही अविनाश दीप्ति के पास आता है तो दीप्ति खडी हो जाती है। दीप्ति अविनाश के पैर छूती है लेकिन अविनाश उसे बीच में रोकते हुए कहता है कि उसकी जगह पैरों में नहीं बल्कि दिल में हैं। अविनाश दीप्ति के चेहरे से घूंघट हटाता है और फिर उसे पंलग पर बैठा देता है।


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फिर अपनी जेब से एक गोल्ड की अंगूठी निकलता है। और दीप्ति की उंगूली में पहना देता है और दीप्ति केे हाथों के लेकर चूम लेता है तभी उसकी नजर दीप्ति के हाथों पर रची मेहंदी और उसमें लिखे अपने नाम पर जाती है तो वो दीप्ति के हाथ फिर से चूम लेता है दीप्ति भी समझ जाती है और वो शरमा कर अपनी नजरें झुका लेती है। दीप्ति अब मन से अविनाश को अपना पति मान चुकी थी। अविनाश एक बार फिर से दीप्ति के चेहरे को अपने हाथों से पकडकर उठाता है और हल्की सी किस उसके होठों पर लेते हुए कहता है कि मेरी आंखों में देखो जान।
दीप्ति अविनाश की आंखों में देखते हुए शरमाने लगती है लेकिन इस बार वो अपना चेहरा नीचे नहीं करती। अविनाश अपनी बाहें दीप्ति के गले में डाल देता है और कहता है कि क्या तुम मुझे प्यार नहीं करती। तुम अभी भी दूर दूर भाग रहीं हैं। अविनाश की बात सुनकर दीप्ति भी अपनी बाहें उसके गले में डाल देती है और कहती है कौन कहता है कि मैं आपसे प्यार नहीं करती। लेकिन दीप्ति के मन में अभी भी घबराहट थी। अविनाश दीप्ति को देखकर मुस्कुराता है तो दीप्ति भी मुस्कुराने लगती हैं।


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फिर अविनाश दीप्ति से पूछता है जान थक तो नहीं गई। तृप्ति बता रही थी कि तुम रात को भी सो नहीं पाई हो। यदि ऐसी बात हैं तो हम लोग सुहागरात आज की जगह कल मना लेंगे। क्योंकि मेरे लिए तुम सबसे ज्यादा जरूरी हो सुहागरात तो हम रोज ही मना सकते हैं। अविनाश की बात सुनकर दीप्ति कहती हैं।
दीप्ति : नहीं सुबह तीन घंटे सो ली थी। इसलिए अभी इतनी जल्दी नहीं हैं सोने की। लेकिन अपनेआज दिन भर भागदोड की है यदि आपको थकान हो तो बता दें।
अविनाश : जब तेरी जैसी खूबसूरत बीबी सुहगरात पर मेरी बाहों में हो तो थकान कहां होगी। तेरा चेहरा देखते ही सारी थमान दूर हो गई है। और ये कहते हुए अविनाश दीप्ति को आंख मार देता है। जिससे दीप्ति शरमा जाती है।
दीप्ति : आप भी ना कुछ भी कहते हैं। और दीप्ति अविनाश की आंखों में देखने लगती है। जहां आज उसे अपने लिए सिर्फ प्यार ही दिखाई दे रहा था। अविनाश दीप्ति के सिर के पीछे हाथ रखता है और उसे अपनी ओर खींचता है दीप्ति इसके लिए पहले से ही तैयार थी और वो अविनाश के और करीब हो जाती है अब दोनों के चेहरे एक दूसरे के सामने थे। अविनाश अपने होठा दीप्ति के होठों पर रख देता है और उसे चूसने लगता है थोडी ही देर में दीप्ति भी अविनाश के होठ चूसते हुए उसका पूरा साथ देने लगती हैं।


अविनाश अपनी जभी दीप्ति के मुंह में डाल देता है जिसका स्वागत दीप्ति करती हैं और अपनी जीभ अविनाश की जीभ को चाटने लगती है दोनों के मुंह की लार एक दूसरे के मुंह में जाने लगती हैं। पांच मिनिट तक दोनों किसिंगकरते रहते हैं। जब उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगती हैं तो वो वो किस तोडते हैं।
अविनाश : जान तू तो बहुत जबरदस्त किसर हैं आज तक ऐसी किसी मेरी किसी ने नहीं ली।
दीप्ति : पहले शरमाती है और फिर अविनाश को चिढाने के अंदाज में कहती है अब से पहले कितने लोगों ने ली है इस तरह की किस।
अविनाश : दो लोगों ने तुम तीसरी हो। पहली तुम्हारी बेटी और मेरी होने वाली पत्नी अनुष्का, दूसरी तुम्हारी बहू और मेरी होने वाली रखैल तृप्ति और तीसरे मेरी बीबी और मेरी होने वाली सास दीप्ति मेरी जान की।
अविनाश की बात सुनकर दीप्ति शरमा जाती है और अविनाश से पूछती है कि पहले ये बताइए आप अनुष्का से शादी कब करेंगे।
अविनाश : यहां से जाते ही सबसे पहले मैं अनुष्का से कोर्ट में शादी करूंगा ताकि आप लोगों को भी भरोसा हो कि मैं झूठ नहीं बोल रहा।
दीप्ति : आपसे ये किसने कहन कि आप झूठ बोल रहें। एक बात पूछनी थी कि अनुष्का से शादी के बाद आप मुझे अपनी पत्नी बनाकर रखेंगे या फिर सास
अविनाश : जाहिर सी बात है तुम मेरी सास होगी।
अविनाश की बात सुनकर दीप्ति का चेहरा उतर जाता है। तो अविनाश उसके चेहरे को उपर उठता है और देखता है कि दीप्ति की आंखों में नमी आ गई थी। जिसे देख अविनाश कहता है दुनिया की नजर में तो तू मेरी सांस ही होगी। लेकिन जब घर के अंदर होगी तो तू मेरी बीबी होगी। और रात को मेरी ये सास मुझे अपने विस्तर पर चाहिए वो भी नंगी। क्योंक अपनी बीबी को चोदे बिना मैं भले ही रह सकता हूं लेकिन अपनी सास को चोदे बिना तो मैं एक भी दिन रहूंगा नहीं। और वैसे भी मेरी सास होगी तो मेरी बीबी ही। अब ये उसके उपर है सभी के सामने उसे खुद को मेरी बीबी बताना है तो ये फैसला भी में मान लूंगा।
अविनाश की बातें सुनकर दीप्ति का चेहरा एक बार फिर खिल उठता है लेकिन वो कहती है कितनी गंदी बातें करते हैं आप। और आप मुझे सिऊर् घरवालों के सामने अपनी बीबी माने मैं बस ये ही चाहती हूं।
अविनाश : ये तो पूरे घर वालों को पता है इसे बताने की क्या जरूरत है।
 
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अविनाश : दीप्ति मैने सोचा नहीं था कि इस जन्म में मुझे तुम बीबी के रूप में मिलोगी।
दीप्ति : सच में आप मुझे इतना चाहते थे।
अविनाश : हां और इसी लिए अनुष्का से शादी को तैयार हुआ हूं।
दीप्ति : ये मेरी खुशकिस्मती है कि आपने मुझे अपनी पत्नी बनाया है। आज हमारी सुहागरात है और आप की जो इच्छा हो। वो मैं पूरी करूंगा।
अविनाश : मुस्कुराते हुए। जान आप वादे से पीछे तो नहीं हट जाएंगी।
दीप्ति: मैं तुम्हारी बीबी हूं। और तुम्हारी बीबी ये वादा करती है कि वो तुम्हारी हर ख्वाहिन्श पूरी करेगी। तुम बस हुकुम करो।
अविनाश : ठीक है तो आज रात को ही देख लेते हैं। आज तुम्हें मेरी हर इच्छा पूरी करनी है।
दीप्ति: ठीक है आप देख लीजिएगा आप चाहें जितना दर्द दे मुझे मैं आपसे मना नहीं करूंगी।
अविनाश : देखों मुझे कोई शौक नहीं है कि तुम्हें दर्द दूं मैं तुम्हें सिर्फ मजा दूंगा हां इस मजे के लिए थोडा दर्द भी सहन करना होगा।
दीप्ति : मैं इसके लिए तैयार हूं।
अविनाश : तो ठीक है मेरी जान आज तू अपने हुस्न का जाम मुझे पिला ही दे। जिसने मुझे इतने दिनों से पागल कर रखा है।
अविनाश की बातें सुनकर दीप्ति शरमा जाती है। क्योंकि कुछ ही देर में अविनाश उसके सारे कपडे उतार कर उसे नंगा कर चोदने वाला था। अविनाश दीप्ति के चेहरे को एकटक देखता रहता है उसे दीप्ति पर बहुत प्यार आ रहा था। अविनाश को ऐसे अपनी तरफ देख दीप्ति अपनी आंखें झुका लेती है।
अविनाश को ऐसे अपनी तरफ देख दीप्ति अपनी आंखें झुका लेती है। अविनाश उसके चेहरे को थाम कर उसे उपर उठने लगता है। और दीप्ति उसे आंखें खोलने को कहता है अब दोनों की आंखें टकरा रही थी। दीप्ति को अविनाश की नजरों में सिर्फ प्यार ही दिख रहा था। अविनाश भी दीप्ति की आंखों में खो जाता है। इसके बाद अविनाश अपना एक हाथ दीप्ति के सिर के पीछे ले जाता है और दीप्ति के चेहरे को अपनी ओर खींचता है अब दोनों के होठ करीब आते जा रहे हैं दीप्ति के लाल लाल होठों को देखते हुए अविनाश पागल सा हुआ जा रहा था। और वो धीरे से अपने होठ दीप्ति के होठों पर रख देता है। दीप्ति इसके लिए पहले ही तैयारी थी इसलिए जैसे ही दोनों के होठ मिलते हैं दीप्ति अपने होठ खेलकर अविनाश का स्वागत करती है और दोनों एक दूसरे के होठों को चूसने लगते हैं।


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दीप्ति मदहोशी में डूबने लगी थी अविनाश अब अपने दोनों हाथों को दीप्ति की कमर के पीछे ले जाता है और उसे अपनी ओर खींचकर अपनी गोद में बैठा लेता है। दीप्ति भी अविनाश की मदद करती है और वो उसकी गोद में बैठ जाती है। अब अविनाश आसानी से दीप्ति के होठ चूस रहा था। अचानक अविनाश अपनी जीभी दीप्ति के मुंह के अंदर डालना शुरू करता है अविनाश की मंशा समझते हुए दीप्ति अपना मुंह खोलकर जीभ को अंदर आने देती है और अब दोनो एक दूसरे की जीभ चूसने में लगे हुए थे। दीप्ति खुलकर अविनाश का साथ दे रही थी। वो अब अपने आप को सिर्फ अविनाश की बीबी मान रही थी।
अविनाश लगातार दीप्ति के होठ चूस रहा थाँ । दीप्ति पर मदहोशी छाने लगती है और वो भी अविनाश के होठ चूसने में पूरा साथ देती है। दीप्ति की चूडियां की खन खन की आवाजें कमरे के बाहर पहुंच रहीं थी। अब अविनाश का लंड टाइट होने लगता है। जिससे दीप्ति की चूत में भी हलचल मचने लगती है। दोनों एक दूसरे के होठ छोडने को तैयार नहीं थे। दीप्ति का चुबन जीवन ने कभी भी इस तरह से नहीं लिया था। जैसा आज अविनाश ले रहा था। दीप्ति के होठों की पूरी लिपिस्टक हट चुकी थी। अब अविनाश अपनी किस तोडता है। फिर अविनाश दीप्ति को विस्तर पर लिटा देता है दीप्ति अविनाश को पास आने का इशारा करती है और अविनाश दीप्त के बगल में लेटकर अपना चेहरा दीप्ति के चेहरे के करीब ले जाता है।


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अविनाश खींचकर एक बार फिर दीप्ति को अपने से चिपका लेता है। दीप्ति के चेहरे पर अभी भी शर्म के भाव थे। अविनाश को पता था कि ये कुछ देर बाद गायब हो जाएगे। अब अविनाश दीप्ति के गाल, माथा आंखों को चूमते हुए नीचे आने लगता है। और उसकी छातियों को ब्लाउज के उपर से चूमने लगता है। फिर अविनाश दीप्ति की गर्दन चूमता है और दीप्ति अपना हाथ अविनाश के सिर पर रख कर सहलाने लगती है। फर अविनाश ब्लाउज के उपर से ही दीप्ति की चूचियों को चूसने लगता है जिससे दीप्ति की सिसिकियां निकलने लगते हैं। वो बोलती है आह जान ऐसे ही ऐसी करते रहो। मैं बहुत प्यासी हूं जान, आज मेरी पूरी प्यास बुझा देना। दीप्ति की चूत भी अब गीली होने लगी थी। अविनाश अपनी जुबान दीप्ति के पूरे शरीर पर फेर रहा था जिसका आनंद दीप्ति को भी मिल रहा था। अविनाश एक बार फिर उपर की ओर आता है और जैसे ही उसके चेहरे के पास पहुंचता है दीप्ति अविनाश का सिर पकडकर अपने होठों पर रख देती है और होठ चूसने लगती है। दीप्ति की शरम अब पूरी तरह से हटने लगी थी। दोनों की जीभ एक दूसरे के मुंह के अंदर जा रही थी। दोनों एक दूसरे में खोए हुए थे। आधा घांटा हो चुका था और दोनों में से किसी के बदन से अभी तक एक भी कपडा नहीं उतरा था। दोनों प्यार में डूबे हुए थे। थोडी देर बाद अविनाश फिर दीप्ति को चूमते हुए नीचे की ओर आता है और उसकी नाभी को चूमने लगता है जिससे दीप्ति की सिसिकियां फिर गूंजने लगती है। अब दीप्ति की चूत से धीरे धीरे पानी छूटने लगा था। अविनाश अब दीप्ति की टांगों के पास पहुंचता है और उसे चूमता है फिर धीरे धीरे दीप्ति की साडी को उपर उठाता चला जाता है। फिर अविनाश न जाने क्या सोचता है और अचानक खडा हो जाता है ये देख दीप्ति चौक जाती है और सवालियां नजरों से अविनाश को देखती हैं। अविनाश दीप्ति को अपना हाथ देता है और उसे खडा कर देती है और फिर दीप्ति का पल्लू हाटकर उसकी साडी खोलने लगता है। थोडी देर में दीप्ति की साडी उसके बदल से अलग हो जाती है।


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दीप्ति अब ब्लाउज और पेटीकोट में थी। फिर अविनाश दीप्ति को फिर लिटा देता है और उसके निप्पल को ब्लाउज के उपर से चूमता है और इसके बाद दीप्ति के ब्लाउज के बटन खोलने लगता है। थोडी देर में ब्लाउज भी दीप्ति के शरीर का साथ छाड चुकी थी। ब्लाउज के उरते ही दीप्ति की लाल रंग की ब्रा सामने आ जाती है। ब्रा जारीदार थी जिसमें से दीप्ति के ब्राउन निप्पल अभी अविनाश को साफ साऊ दिखाई दे रहे थे। अविनाश ब्रा के उपर से ही निप्पल को पकड लेता है और जोर से दबा देता है जिससे दीप्ति की हल्की सी चींख निकल जाती है। अविनाश समझ जाता है कि कुछ ज्यादा जोर के दबा दिया।

अविनाश : सॉरी जान वो सब्र नहीं हुआ।
दीप्ति : कोई बात नहीं सॉरी बोलने की जरूरत नहीं ये निप्पल तुम्हारे ही है इन्हें थोडा आराम से दबाओ दर्द होता है जोर से दबाने से।
अविनाश : जान अब आराम से ही दबाउंगा। और अविनाश ब्रा के उपर ही अपना मुंह रख देता है और निप्पल को चाटने लगता है जिससे दीप्ति की आह निकल जाती है।
अविनाश अब एक बर फिर दीप्ति को चूमना शुरू कर देता है और फिर अपना एक हाथ दीप्ति के पेटीकोट के नाडे पर ले जाता है और उसे खींच देता है। फिर पेटीकोट की डोर दोनों ओर से पकडकर नीचेकी ओर खींचने लगता है। दीप्ति भी अपने गांड उठाकर पेटीकोट को बाहर करने में अविनाश की मदद करती । पेटीकोट भी दीप्ति के बदन से अलग हो जाता है। अब दीप्ति ब्रा और पेंटी में थी।
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अपडेट—29
दीप्ति इस समय केवल ब्रॉ पेंटी में थी उसका पूरा शरीर दूध की तरह चमक रहा था। दीप्ति को देखकर कोई नहीं कह सकता था कि वो 25 साल से ज्यादा की होगी। अविनाश दीप्ति के पूरे शरीर को देखता है और उसे चूमने लगता है।
अविनाश : दीप्ति तुझे देखकर अच्छी से अच्छी हीरोइनें पानी भरती हैं। तुम्हें पाक तो मेरी किस्मत खुल गई है। अविनाश की बातें सुनकर दीप्ति शरमा जाती है। वैसे भी इस समय वो ब्रा पेंटी में थी और दीप्ति को ये भी पता था कि थेाडी देर बाद ये कपडे भी उसके शरीर पर नहीं होगे। थोडी देर में अविनाश दीप्ति की ब्रा की हुक को खोल देता है और फिर आगे से ब्रा को खोलकर उसके शरीर से अलग कर देता है।


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अविनाश : जान मेरे कपडे कौन उतारेगा।
दीप्ति : आप ही उतार दीजिए मुझे शरम आ रही है।
अविनाश : किससे शरमा रही है। और क्यो शरमा रही है और ये कहते हुए अविनाश दीप्ति की चूचियों को अपने मुंह में दबाकर उन्हें पीने लगता है।


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दीप्ति : आह उ उ उ उ उज्ज्अअअअअ आआआआ सी सी सी सी.. ऊँ ऊँऊँ.. आअहह आअह.. आअहह हमम्म्म.. की आवाजे निकालने लगती हैं। अविनाश अब अपना एक हाथ दीप्ति की पेंटी के अंदर धुसा देता है और दीप्ति की चूत को रगडने लगता है। जिससे दीप्ति पागल होने लगती है। उ उ उ उ उज्ज्अअअअअ आआआआ सी सी सी सी.. ऊँ ऊँऊँ.. आअहह आअह.. जान ऐसे ही जान ऐसे ही बहुत मजा आ रहा है। आअहह हमम्म्म.. ह्म्म्म्म .. बहुत मज़ा आ रहा है.. आह.. और करो अविनाश समझ जाता है कि यदि थोडी देर और चला तो दीप्ति झड जाएगी इसलिए अविनाश अपना हाथ दीप्ति की पेंटी से निकाल लेता है और फिर खुद अपने पूरे कपडे उतार कर नंगा हो जाता है। और फिर दीप्ति की पेंटी भी उतार देता है। अब कमरे में दोनों लोग नंगे थे।


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अविनाश दीप्ति के उपर एक बार फिर आता है और उसके शरीर को चूमना और चाटना शुरू कर देता है। दीप्ति भी अविनाश का पूरा साथ दे रही थी। वो अविनाश से पीछे नहीं रहना चाहती है। फिर अविनाश दीप्ति को चूमते हुंए नीचे की ओर बढता है पहले चिन को फिर गर्दन को चूमने के बाद अविनाश दीप्ति की दोनों चूचियों को बारी बारी से चूमता है और फिर नीचे की ओर आता है और दीप्ति की नाभी में अपनी जीभ घुसा देता है। दीप्ति एक बार फिर उ उ उ उ उज्ज्अअअअअ आआआआ सी सी सी सी.. ऊँ ऊँऊँ.. आअहह आअह.. की आवाजे निकालने लगती हैं। और फिर अविनाश और नीचे की ओर बढ जाता है। और दीप्ति की की चूत पर अपना मुंह टिका देता है।


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दीप्ति : देखिए वहां नहीं वो गंदी जगह हैं।
अविनाश : देख जान सेक्स में कुछ भी गंदा नहीं होता। क्या जीवन ने कभी तेरन्ी चूत चाटी नहीं
दीप्ति : नहीं वहां से मैं सू सू करती हूं प्लीज आप मेरी बात तो मानिए
अविनाश : आज सिर्फ तुम मेरे बात मानेगी। कल से मेरी सरकार का जो हुकुम होगा वो मैं मानूंगा। इसलिए आज तुम सिर्फ वो करो जो मैं चाहता हूं। और अविनाश एक बार फिर दीप्ति की चूत पर अपना मुंह रख देता है और अपनी जीभ से दीप्ति की चूत चाटना शुरू कर देता है। दीप्ति को ये पता ही नहीं था कि चूत चटाई में कितना मजा मिलता है। और वो एक बार फिर से सिसकारियों भरने लगती है उ उ उ उ उज्ज्अअअअअ आआआआ सी सी सी सी.. ऊँ ऊँऊँ.. आअहह आअह.. जान मर गई। जान मैं जान मैं छूटने वाली हूं। आप अपना मुंह हटा लीजिए। लेकिन अविनाश अपना मुंह नहीं हटाता और दीप्ति की चूत चाटता रहन है।
दीप्ति को इतना मजा जिंदगी में पहली बार मिला था। नहीं तो जीवन आता था और थोडा बहुत किस लेने के बाद सीधा चुदाई शुरू कर देता था। इधर अविनाश द्वारा दीप्ति की चूत पर किए जा रहे लगातार हमलों से दीप्ति का शरीर अकडने लगता है और वो पानी छोडने लगती है अविनाश दीप्ति की चूत का पूरा पानी पी जाता है और उसे चाटकर साफ कर देता है। थोडी देर में दीप्ति को भी होश सा आने लगता है।
दीप्ति : ये मैंने क्या कर दिया।
अविनाश : क्या हुआ जान।
दीप्ति : मैंने आपको आपना पानी पिला दिया। अब मैं भगवान को क्या जबाव दूंगी।
अविनाश : किसी को कोई जवाब देने की जरूरत नहीं है। और तुम ये समझ लो सेक्स में कुछ भी गलत नहीं होता। सेक्स में मजे लो। बाकी समय तो हन्म दुनियादारी केबारे में सोचते ही हैं। लेकिन जब सेक्स करें तो सिर्फ सेक्स केबारे में सोचे और मुझे तो अभी तेरा पानी और पीना है। और इस बार तू न बोलेगी ना रोकेगी। वैसे ये बता तेरे को मजा आया कि नहीं।
दीप्ति : मजा तो इतना आया कि पूछा मत। आज तक इतना मजा कभी नही आया।
अविनाश : तो ठीक है अब तुम वो ही मजा मुझे दो। और मेरे लंड को अपने मुंंह में लोग और जैसे मैंने तुम्हारी चूत चूसी वैसे ही तुम भी मेरा लंड चूसो।
दीप्ति : क्या, लेकिन वो तो बहुत गंदा होता है। उसे भी कोई चूसता है।
अविनाशा : किसने कहा गंदा होता है। सभी लोग उसे प्यार करते हैं। फिल्मों में नहीं देखती।
दीप्ति : फिल्मों की बात अलग होती है लेकिन वैसे कोई नहीं चुसता।
अविनाश : अच्छा यदि मैं साबित कर दूं कि तुम्हारे परिवार की औरतें ही इसे चूसती हैं तो
दीप्ति : मैं ये मानने को तैयार नहीं हंू।
अविनाश : मैंने कहा यदि मैं साबित कर दूं तो तुम क्या करोगी
दीप्ति : तो फिर जो तुम कहोगे मैं करूंगी।
अविनाश : तुम्हें मेरा लंड चूसना होगा वो भी तब तक जब तक मेरी इच्छा हो।
दीप्ति : ठीक है लेकिन पहले इसे साबित तो करो, दीप्ति को लग रहा था कि यहां कौन आएगा जिससे अविनाश साबित कर सके।
अविनाश अपना फोन निकलता है और लवर पार्क में तृप्ति ने उसका लंड चूसते समय जो वीडियो बनाई थी उसे प्ले करके दीप्ति के हाथ में फोन रख देता है। जिसे देखकर दीप्ति की आंखें चौडी हो जाती है। वीडियो छोटा सा था तृप्ति का चेहरा अविनाश का लंड चूसते हुए साफ साफ दिखाई दे रहा था। वीडियो समाप्त होते ही अविनाश दीप्ति से फोन लेकर साइड में रख देता है और कहता है अब बताओ क्या कहना है।
दीप्ति : लेकिन मैं ये कैसे कर पाउंगी।
अविनाश : सब कर लोगों धीरे धीरे करेंगे और फि अविनाश खडा होता है और अपना लंड दीप्ति के चेहरे सामने रख ले आता है। दीप्ति की नजर जैसे ही लंड पर पडती है उसकी आंखों चौडी हो जाती है क्योंकि पहली बार वो सही तरीके से अविनाश का लंड देख रही थी नहीं तो अभी तक वो शर्म के कारण अविनाश के लंड की तरफ आंखें नहीं कर रही थी। लेकिन अब लंड उसकी आंखों के सामने ही था।
दीप्ति: हे राम इतना बडा
अविनाश : क्यों इतना बडा देखा नहीं है, जीवन का कितना बडा है।
दीप्ति : उनका तो पांच इंच का था ये उससे दोगुना लग रहा है और मोटा भी बहुत है।
अविनाश : तभी तो तुझे मजा आएगा। अब बातें बाद में पहले उसे प्यार करना शुरू करो।
दीप्ति अविनाश का लंड हाथ में ले लेती है और सोचती है इतने मोटे लंड से तो मेरी चूत ही फट जाएगी। लेकिन मजा भी बहुत आएगा। मैं सोचती थी कि जीवन का लंड थोडा बडा होना चाहिए लेकिन अविनाश का लंड तो मेरी सोच से भी बड़ा हैँ दीप्ति आज तो तेरी फटेगी। और फिर दीप्ति अविनाश के लंड पर अपनी जीभ चलाने लगती है थोडी देर तक दीप्ति अविनाश के लंड को चाटती है और धीरे धीरे उसे दो इंच मुंह के अंदर कर लेती है।



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अविनाश के लंड का प्रीकम का स्वाद दीप्ति को अजीब सा लग रहा था वो लंड निकलना चाहती थी लेकिन जैसे ही वो अविनाश की शक्ल को देखती है जो आनंद के सागर में डूबा हुआ था तो दीप्ति अपना फैसला बदल देती है और लंड को धीरे धीरे चाटना जारी रखेगी है। थोडी देर में दीप्ति को भी मजा आने लगता है तो वो अविनाश के लंड को तेजी से अंदर बाहर करके चाटने लगती हैं। तभी अविनाश का हाथ भी दीप्ति के सिर के पीछे जाता है और अविनाश दीप्ति का सिर पकडकर एक जोरदार धक्का दीप्ति के मुंंह में मारता है और लंड 6 इंच तक दीप्ति के मुंह में घुस जाता है दीप्ति की हालत खराब होने लगती है अविनाश लंड को फिर थोडा पीछे लेता है और फिर एक और धक्का मारता है अब लंड सात इंच अंदर घुस चुका था अविनाश इसके बाद लगातार दीप्ति के मुंह को चोदना शुरू कर देता है। दीप्ति की हालत खराब होने लगती है वो हाथ पैर चलाने लगती है जिसे देख अविनाश को होश आता है और वो एक दम से अपना लंड दीप्ति के मुंह से खींच लेता है। मुंह से लंड बाहर निकलते ही दीप्ति विस्तर पर गिर पडती है उसके मुंह से लार बहने लगती है साथ ही वो खांसने भी लगती है। दीप्ति की हालत देख अविनाश उसके सिर पर हाथ रखकर सहलाने लगता है।


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थोडी देर में दीप्ति नॉर्मल हो जाती है और अविनाश की ओर देखते हुए कहती है कि आप बहुत गंदे हैं यदि थेाडी देर और इसी तरह से करते तो मेरी सांस रूक जाती है और.... लेकिन दीप्ति अपनी बात पूरी करती उससे पहले ही अविनाश उसका मुंह पर अपना हाथ रखते हुए कहता है कि नहीं तुझे में कुछ नहीं होने दूंगा। तुम्हारी लंड चुसाई के कारण मैं अपने होश में नहीं रहा था सॉरी यार माफ कर देना तुझे तकलीफ देना मेरा मकसद नहीं था।
दीप्ति : मुझे मालूम है आप मुझे जानबूझकर तकलीफ नहीं पहुंचाएगे।
अविनाश : दीप्ति के होठों को और माथे को चूसता है और फिर उसकी चूचियों को चूतना शुरू कर देता हैं। फिर अविनाश एक बार फिर दीप्ति की चूत को चूसना शुरू करता है थोडी देर बाद दोनो 69 पोजीशन में आ जाता है अविनाश केकुछ भी कहने से पहले दीप्ति उसका लंड चूसना शुरू कर देती हैं। पांच मिनिट तक लगातार दोनों एक दूसरे का लंड और चूत चूसते रहते हैं।


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दीप्ति का पानी फिर निकल जाता है। जिसकेबाद दीप्ति अविनाश का लंड चूसना बंद कर देती हैं। और लम्बी लम्बी सांसे भरने लगती है। लेकिन अविनाश दीप्ति की चूत चूसता रहता है। थोडी देर में दीप्ति फिर गरम होने लगती है और अपनी चूत उठाकर अविनाश के मुंह के अंदर तक घुसाने की कोशिश करने लगती हैं। अविनाश समझ जाता है कि दीप्ति फिर गरम हो गई है। समय आ गया था दीप्ति की चुदाई का।
 
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अपडेट—30
अब अविनाश एक बार फिर उपर आया ओर थोडी देर मुझे चूमने चाटने के बाद मेरे कान में धीरे से बोला. जान अब तुम चुदने को तैयार हो. मैं शरमा गई लेकिन फिर जब दुबारा अविनाश ने बोला जान बोलो ना क्या तुम चुदने को तैयार हो। तो मैंने कहा कि हां मुझे अब सब्र नहीं हो रहा है प्लीज अब अपना डाल दो।
अविनाश : क्या और कहां डाल दूं।
दीप्ति : प्लीज आप समझ रहे हैं ना
अविनाश अपना लंड दीप्ति की चूत पर घिसना शुरू कर देता है जिससे दीप्ति की हालत खराब होने लगती है।
अविनाश : जान जब इतना सब हो चुका है तुम मेरी बीबी बन चुकी हो फिर भी इतना क्यो शरमा रही है। अपने पति से इतना शरमाओं की तो कैसे काम चलेगा। अब अच्छी बीबी की तरह बताओ क्यो और कहां डाल दूं।


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दीप्ति : प्लीज.. लेकिन जब दीप्ति देखती है कि अविनाश क्या सुनना चाहता है अविनाश के चूत पर लंड घिसने से वैसे भी मैं अपने आप को कंट्रोल में नहीं रख पा रही थी इसलिए धीरे से बोलती है जान आपना लंड मेरी चूत में डाल दो। मेरी बात सुनकर अविनाश अपना लंड मेरी चूत पर सेट करता है।
अविनाश : जान तुम बहुत दिनों से चुदी नहीं हो और जीवन का लंड भी मेरे लंड से आधा है इसलिए तुम्हें थोडा दर्द हो सकता है। वैसे मेरा इरादा तुम्हें दर्द देने का नहीं है।


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दीप्ति : जान तुम मेरे दर्द की चिंता मत करो। मुझे मालूम हैं ये दर्द कुछ ही देर का होगा उसके बाद ये गायब हो जाएगा। अब मैंने भी अपनी दोनों टांगो को उनके बदन की चारो तरफ लोक कर दिया। मैं अविनाश के नीचे दबी हुई थी। अविनाश के लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के ढक्कन को टच कर रहा था। मैं अभी कुछ सोच ही रही थी कि उपर से अविनाश से एक हल्का सा धक्का लगाया और लंड का टोपा मेरी चूत के अंदर घुस गया। अविनाश का लंड मेरी चूत में घुसते ही मुझे हल्का सा दर्द होता है। लंड जीवन के लंड से डबल मोटा था और मेरी चुदाई थी कई सालों से नहीं हुई थी इसलिए चूत किसी क्वारी लडकी की तरह थी।


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अविनाश : जान कोई नहीं कह सकता कि तुम दो बच्चों की मां हो। तुम्हारी चूत किसी क्वारी लडकी के जैसे कसा हुई है। और इसके साथ अविनाश एक तेज धक्का दीप्ति की चूत में मारता है जिससे उसका लंड करीब तीन इंच मेरी चूत में घुस जाता है। इसके साथ ही मेरी चीख निकल जाता है। ईईईईई अह्ह्ह्हह्ह ऊऊऊउ ईईईईइ.... ईईईईई अह्ह्ह्हह्ह ऊऊऊउ ईईईईइ.... ईईईईई अह्ह्ह्हह्ह ऊऊऊउ ईईईईइ.... चीख काफी तेज थी क्योंकि बहुंत तेज दर्द उठा था। अविनाश तुरंत ही दीप्ति के एक चूचियों को अपने मुंह में ले लेता है और उसे चूसने लगता हैं और दूसरे चूची को हल्के हल्के दबाने लगता है। इधर दीप्ति को बहुत दर्द हो रहा था।
दीप्ति : जान बहुत दर्द हो रहा है।
अविनाश : बस थोडा सा सहन कर लो और फिर अविनाश थोडी देर में देखता है कि दीप्ति अब सहज है तो वो एक और तेज धक्का मरता है और लंड पांच इंच तक दीप्ति की चूत में चला जाता है। लेकिन इस बार दीप्ति की चीख पहले से काफी तेज थी। आह्ह्ह्ह मर गेई बाप रीईईईईई अह्ह्ह्हह्ह ऊऊऊउ ईईईईइ....ईईईईई अह्ह्ह्हह्ह ऊऊऊउ ईईईईइ....ईईईईई अह्ह्ह्हह्ह ऊऊऊउ ईईईईइ.... चीख पूरे घर में गूज उठी थी।


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जो अपने अपने कमरों में बैठे तृप्ति, अनुष्का और जीवन ने सुनी। जीवन का मन पहले से ही बैचेन हो रहा था। इसलिए वो खडा होता है और टहलने लगता है। इधर तृप्ति जान लगता है कि तेरी मां और मेरी सासू मां की चूत की सील अविनाश ने खोली दी है।
अनुष्का : पागल हो गई हो मां की सील तो पहले से ही खुली हुई है और में और तुम्हारा पति दोनों उसी चूत के रास्ते से बाहर आए हैं।
तृप्ति : अनुष्का देख तूने अविनाश का लंड देखा है मैंने अविनाश का लंड देखा है। जबकि तेरे पापा का लंड उसका आधा भी नहीं होगा ये मैं शर्त लगा सकती हूं;
अनुष्का : ये तुम कैसे कह सकती हो
तृप्ति : क्योंकि यदि ये दोनों इतनी देर से कमरे में बंद हैं. इसका मतलब है अविनाश ने पहले दीप्ति को पूरी तरह से गरम किया हो। दीप्ति की चूत पानी छोड रही होगी। और फिर भी दीप्ति इतना चीख रही हैं तो ये मानकर चलो उसकी चूत में बडा लंड गया ही नहीं है। मैं तुझे दिखा भी सकती हूं तेरे बाप का लंड कितना बडा है।
अनुष्का : पागल है यदि पापा ने देख लिया तो लेने के देने हो जाएंगे।
तृप्ति : अरे तू देखने की बात कर रही है मैं तो पकडने की बात कर रही हूं।
अनुष्का : केसे
तृप्ति : तू बस देखती जा अब दीप्ति की चीखें शुरू हुई है और तेरा बाप अब बाहर आएंगा।
इस बीच अविनाश एक और धक्का दीप्ति की चूत में मारता है और लंड डेढ इंच और अंदर सरकार जाता है। जिसके बाद दीप्ति की जोरदार चीख गूंज उठती हैं आह्ह्ह्ह मर गेई बाप रीईईईईई अह्ह्ह्हह्ह ऊऊऊउ ईईईईइ, अब दीप्ति का दर्ज बहुत ज्यादा बढ़ चुका था।
दीप्ति : प्लीज जान निकाल लो बहुत दर्द हो रहा है।


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अविनाश : जान बस थोडी देर और लंड लगभग पूरा अंदर चला गया हैं, अविनाश ने जब नीचे देखा तो दो इंच लंड बाहर था और दीप्ति की चूत से हल्का हल्का खून निकल रहा था। जिसे देख अविनाश सोचता है चूत टाइट ही नहीं ये तो वर्जिन जैसा एहसास करा रही है। और अविनाश फिर धीरे धीरे दीप्ति को चोदना शुरू कर देता है। इध्रर जीवन उसके कमरे के बाहर ही टहल रहा था जिसमें उसकी बीबी की सुहागरात मनाई जा रही थी। उधर तृप्ति भी जीवन को टहलते हुए देखती हैं। तो अनुष्का को बताती है बस अब तेरे पिता जी किसी तरह खिडकी के पास पहुंच जाएं फिर देखना बाकी का काम तो मैं कर दूंगी।
अनुष्का : तू अपना काम कर मैं तो मम्मी की चुदाई देखने जा रही हूं। वैसे पीछे की खिडकी से देखने की व्यवस्था तो तूने बना दी थी ना
तृप्ति : बिल्कुल पीछे तेरे लिए और आगे तेरे बाप के लिए। लेकिन अनुष्का तृप्ति की पूरी बात भी नहीं सुनती और वहां से चली जाती है। इस बीच अविनाश धीरे धीरे दीप्ति की चूत में धक्के लगा रहा था और दीप्ति की सिसकियां निकल रही थी। उईईइइइइइइ मां आइइइइइइइइ बहुत मजा आ रहा हैं अविनाश समझ जाता है कि दीप्ति अब नार्मल हो चुकी है तो वो फिर पूरी ताकत से धक्का लगता है और अविनाश् का पूरा लंड दीप्ति की चूत में समा जाता हैंं। और दीप्ति तिमिला जाती है और उसकी बहुत तेज चींख निकल जाती है आह्ह्ह्ह मर गेई बाप रीईईईईई अह्ह्ह्हह्ह ऊऊऊउ ईईईईइ जान अब सहन नहीं हो रहा है प्लीज अब निकाल लो नहीं तो मैं मर जाउंगी। रीईईईईई अह्ह्ह्हह्ह ऊऊऊउ ईईईईइ रीईईईईई अह्ह्ह्हह्ह ऊऊऊउ ईईईईइ रीईईईईई अह्ह्ह्हह्ह ऊऊऊउ ईईईईइ
अविनाश : जांन पूरा अंदर जा चुका है जितना दर्द होना था हो चुका अब बस माज लेने का समय हैं तुम मजा लो और अविनाश दीप्ति के निप्पलों को धीरे धीरे दबाने लगता है और उसके होठों को भी चूसने लगता है थोडी देर में दीप्ति का दर्द थोडा कम होता है तो अविनाश धीरे धीरे दीप्ति की चूत में धक्के लगाना शुरू कर देता है। इस बीच जीवन भी कपरे के पास बनी खिडकी पर पहुंच जाता है उसका मन नहीं लग रहा था। जिस तरह से दीप्ति की चीखें निकल रही थी उसने जीवन को डरा दिया था। जीवन थोडी देर तक खिडकी के पास खडा रहता है लेकिन अब कमरे के अंदर से कोई चीख की आवाज नहीं आ रही थी हां सिसकियों की आवाजें जरूर आ रही थी ऊऊऊउ ईईईईइ रीईईईईई ऊऊऊउ ईईईईइ रीईईईईई ऊऊऊउ ईईईईइ रीईईईईई जीवन को समझ में नहीं आ रहा था कि अंदर क्या हो रहा है तभी उसकी नजर खिडकी में बने एक छेद पर जाती है जीवन चारों ओर देखता है और जब उसे लगता है कि कोई नहीं देख रहा तो वो उस छेद पर अपनी आंख टिका देता है और जब वो अंदर का नजारा देखता है तो उसके होश उड जातें हैं
 
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नोट : स्टोरी में दीप्ति अविनाश की बीबी के साथ उसकी प्रमिका के रोल में आ चुकी हैं। दीप्ति ये बात मान चुकी थी कि अविनाश के साथ उसकी शादी हकीमत में हुई है और जीवन ने कन्यादान करके उसका परित्याग कर दिया है। इसलिए अब दीप्ति अविनाश की बीबी के साथ उसकी प्रेमिका भी बन चुकी हैं। और कहानी उसी ट्रैक पर आगे बढ़ा रही हूं
अविनाश का लंड दीप्ति की चूत में पूरा घुस चुका था। थोडी देर तक अविनाश उसी पोजीशन में रहता है और दीप्ति की चूचियों को हल्के हल्के से दबाता है और उसके होठ और गालों को चूमता रहता है। अविनाश के हाथ दीप्ति के शरीर को सहला रहे थे। दीप्ति का दर्द अब धीरे धीरे कम होने लगता है। तो अविनाश पूछता है।
अविनाश : जान अब ज्यादा तकलीफ तो नहीं हो रही।
दीप्ति : नहीं लेकिन बहुत दर्द हुआ था।
अविनाश : अब मजा लो और अविनाश धीरे धीरे दीप्ति की चूत में धक्के मारने लगता है। दीप्ति को अभी भी हल्का हल्का दर्द हो रहा था। कई सालों से न चुदने के कारण उसकी चूत बहुत टाइट हो चुकी थी। उपर से अविनाश का लंड भी जीवन से दोगुना मोटा और बडा था। अविनाश थोडी देर तक दीप्ति को धीरे धीरे ही चोदता रहता है। जिससे दीप्ति की चूत गीली हो चुकी थी जिससे लंड कसा हुआ तो जा रहा था लेकिन उसे कोई तकलीफ अविनाश को नहीं हो रही थी। वो धीरे धीरे धक्के लगा रहा था। जिससे थोडी देर में दीप्ति को भी मजा आने लगा और वो भी अब धीरे धीरे अपनी कमर उठा कर अविनाश का साथ देने लगी। दीप्ति का साथ देकर अविनाश अपने धक्कों की स्पीड थोडा तेज कर देता है और दीप्ति के होठों और चूचियों को चूसता रहता है। जिससे दीप्ति और गरम हो जाती है।


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दीप्ति : मजे के साथ हां ऐसे ही और तेजी से धक्के लगाओ, उईईईईईई मां, आहहहहहह आहहहहहह उम्म्म्म्म्म और तेज इतना मजा आज तक कभी नहीं आया।
अविनाश : हां जान तुझे मैं आज रात बहुत मजा दूंगा और अविनाश अपने धक्कों की स्पीड बढा देता है। और उस समय जीवन अपनी आंखों खिडकी के छेद पर टिकाता है। और जब वो देखता है कि दीप्ति नंगी अविनाश के नीचे लेटी हुई है और अविनाश तेजी से उसकी चूत में धक्के मार रहा है। और दीप्ति भी अपनी कमर उछाल उछाल कर अविनाश का साथ देने की कोशिश कर रही हैं तो जीवन को भी मजा आने लगता है। जीवन का लंड खड़ा होने लगता है। लेकिन उसमें पूरी तरह से तनाव नहीं आ पा रहा था। जीवन का एक हाथ अपने लेअर में चला जाता है और वो लंड को हिलाना शुरू कर देता है। जीवन तेजी से अपने लंड को हिसाता है लेकिन लंड हल्का सा ही हार्ड होता है। वो इतना हार्ड नहीं हो पाता कि किसी लडकी या औरत को चोद सके।




दूसरी ओर अंदर अविनाश के धक्कों की स्पीड अब और तेज हो चुकी थी। दिल्ली की सिसिकियां भी तेज हो गई थी। आहहहहहह आहहहहहह उम्म्म्म्म्म आहहहहहह आहहहहहह उम्म्म्म्म्म आहहहहहह आहहहहहह उम्म्म्म्म्म ऐसे ही जान ऐसे ही। बहुत मजा आ रहा है ऐसा लग रहा है जैसे हवा में उड रही हूं। जिंदगी में पहली बार इतना मजा मिला है।
अविनाश : जान तुझे मैं जिंदंगी भर ऐसे ही मजा दूंगा।
दीप्ति : आहहहहहह आहहहहहह उम्म्म्म्म्म आईई और जोर से जान, तुम सच बोल रहे हो। जिंदगी भर मुझे ऐसे ही प्यार करोगे ना। तुम जैसे भी मुझे रखों में तुम्हारे साथ रह लूंगी। आहहहहहह आहहहहहह उम्म्म्म्म्म बस ऐसे ही प्यार करते रहना। आहहहहहह आहहहहहह ऐसे ही और दीप्ति अविनाश को सिर के पीछे हाथ ले जाकर उसे अपनी ओर खींचती है और अविनाश के होठों को चूसने लगती है।
दीप्ति का ये रूप जब जीवन देखता है तो उसे भी आश्चर्य होता है क्योंक उसने आज तक कभी भी उसके साथ ऐसा नहीं किया था। जब वो दीप्ति की चुदाई करता था उस समय भी नहीं। शायद दीप्ति बहुत दिनों से चुदी नहीं है इसलिए इस तरह की बातें कर रही है। हकीकत तें अभी तक जीवन ने अविनाश का लंड देखा ही नहीं था। इसलिए वो ऐसा सोच रहा था।


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दीप्ति अविनाश के होठों को पागल बिल्ली की तरह चूम रही थी। और बार बार कह रही थी। जान अब तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह पाउंगी। तुम मुझे चाहे जैसा रख लो। तुम मुझे बेशर्म बनाना चाहते हो बना देना। मैं तुम्हारे लिए बेशर्म बन जाउंगी। तुम मुझे अपनी रखैल बनाना चाहो तो मैं तुम्हारी रखैल भी बन जाउंगी। आहहहहहह आहहहहहह आहहहहहह आहहहहहह तुम जो चाहों वो बना लेना। मैं हर हाल में तुम्हारे साथ खुश रह लूंगी।
अविनाश : जान तुझे में कुछ नहीं बनाउंगा तू यदि ये सोच रही है कि तुझे रंडी या अपनी रखैल बनाउंगा तो तू ये भूल जा ना तो तू मेरी रंडी है और ना बनेगी और ना ही तुझे मैं अपनी रखैल ही बनांउंगा। जब तक मेरी अनुष्का से शादी नहीं हो रही हे तब तक तू मेरी बीबी ही रहेगी और उसके बाद मेरी सास लेकिन सास को भी में अपनी बीबी की तरह ही प्यार करूंगा। आज के बाद यदि तूने मुझे अपनी रंडी या रखैल माना भी तो सोच लेना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा
 
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दीप्ति : जान मैं तो तुम्हारे प्यार में पागल हूं इसलिए ये सब मुंह से निकल गया। और तुम रूक क्यो गए। प्लीज रूको मत और तेजी से धक्के लगाओ।
अविनाश : तेरी बातों के चक्कर में रूक गया था। और अब ये बता धक्के किसके लगाउं।
दीप्ति : अरे आप समझो जो काम अभी कर रहे थे उसी के बारे में बोल रही हूं।
अविनााश : अभी तो बोल रही थी कि बेशर्म बना दो और अब मुंह से बोल भी नहीं पा रही किसके धक्के लगाई।
दीप्ति समझ जाती है कि अविनाश क्या सुनना चाहता है इसलिए वो कहती है जान तुम्हारा लंड जो मेरी चूत के अंदर है उसे अंदर बाहर कर जोर जोर से धक्के लगाओ और मेरी चुदाई करो।
दीप्ति की बात पूरी होने के साथ ही अविनाश एक बार फिर से दीप्ति की चूत में अपना लंड तेजी से अंदर बाहर करने लग जाता है जिससे दीप्ति एक बार फिर सिसकियां लेना शुरू कर देती है आहहहहहह आहहहहहह आहहहहहह आहहहहहह अविनाश ने दीप्ति की चुदाई इसलिए रोकी थी कि उसे लग गया था कि यदि उसने दस बारह धक्के और लगाए तो दीप्ति झड जाएगी। और अविनाश दीप्ति को इतनी जल्दी झाडना नहीं चाहता था। लेकिन दीप्ति इतना ज्यादा गरम हो चुकी थी उसका ज्यादा देर रुकना बेहद मुश्किल था। अविनाश एक बार फिर दीप्ति की चुदाई की स्पीड बढ़ा देता है। और एक बार फिर दीप्ति का शरीर अकडने लगता है। दीप्ति का शरीर अकडते देख अविनाश एक बार फिर रूक जाता है।
दीप्ति: आहहहहहह आहहहहहह प्लीज जान रूको मत क्यो तड़पा रहे हो। प्लीज मैं पागल हो जाउंगीँ रूको मत तुम्हें मेरी कसम प्लीज
अविनाश : दीप्ति को गुस्से में देखते हुए, क्या कहा तूने।
दीप्ति : कुछ गलत कह गई प्लीज यदि मेरी बात का बुरा लगा तो माफ कर देना।


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अविनाश : बुरा लगने वाली तो बात ही है अपनी कसम देने की क्या जरूरत है तुझे आगे से कभी भी ये काम मत करना और अविनाश एक बार फिर तेजी से दीप्ति की चुदाई शुरू कर देता है इधर ये सब देखकर जीवन अपने लंड को हिलाने लगता है ओर उसका पानी छूट जाता है जिससे उसका लोअर गीला हो जाता है। जीवन अपना लोअर नीचे सरका देता है। जीवन उपर कुछ भी नहीं पहन था। लोअर घुटने तक करने से जीवन अब घुटने से उपर पूरी तरह से नंगा हो जाता है। और उसकेे मुंंह से भी अपनी बीबी की चुदाई को देखते हुए सिसिकियां निकल रही थीं। जीवन को होश नहीं था कि तृप्ति इस समय उसके पीछे ही खडी हैं।
तृप्ति मन ही मन सोचती है साला इसकी बीबी अंदर चुद रही है और ये यहां अपना लंड हिला कर मजे ले रहा है। अब लगता है इसे भी कुछ मजे दे दिए जाएं। त़प्ति इस समय सिर्फ एक टॉवल लपेटे हुई थी। और टॉवल के नीचे वो पूरी तरह से नंगी होकर आई थी। तृप्तिे धीरे धीरे जीवन के पास पहुंचती है। और फिर जीवन के पीठ पर धीरे से हाथ रख देती है। तृप्ति को पता था कि जीवन उसके साथ ज्यादा कुछ नहीं कर पाएगा। चुदाई तो उसके वश की है ही नहीं। तृप्ति का हाथ जैसे ही जीवन की पीठ पर पडता है वो एकदम से चौंक जता है।
तृप्ति : अरे पापा जी आप यहां क्या कर रहे हैं और अंदर क्या देख रहे थे मैं बहुत देर से देख रही हूं आप अंदर कुछ देख रहे हैं।
जीवन : घबराते हुए कुछ नहीं बहू, जीवन एक दम से तृप्ति के वहां आ जाने से घबरा जाता है। उसे ये भी ध्यान नहीं था कि इस समय वो नंगा खडा था। और उसका लंड सिकुड कर ढाई इंच का हो गया था।
तृप्ति : में भी तो देखूं कि आप क्या देख रहे थे।
जीवन : नहीं बहू मैं कुछ नहीं देख रहा था।
तृप्ति : अरे मैं आपको बहुत देर से देख रही थी आप अंदर कुछ देख रहे थे और तृप्ति खिडकी के छेद से अंदर देखने लगती है। अंदर तूफान आया हुआ था। दीप्ति एक बार झड चुकी थी लेकिन अविनाश के लगातार धक्कों से वो फिर से गरम हो जाती है। अविनाश जैसे ही देखता कि दीप्ति गरम हो गई तो वो अचानक अपना लंड निकाल लेता है।
 
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दीप्ति अविनाश की ओर देखते हुए जान निकाल क्या लिया कितना मजा आ रहा थ।
अविनाश : वो तो है मजा तो मुझे भी आ रहा था लेकिन अब एक काम करो तुम अब मेरे उपर आ कर बैठ जाओ। और अविनाश के कहने पर दीप्ति खडी होती है और अविनाश की कमर के दोनों ओर पैर करती है फिर अविनाश के लंड के सामने अपनी चूत को लाती है अविनाश का लंड दीप्ति अपने हाथ से पकडती है और उसे चूत पर सेट कर धीरे धीरे कर बैठ जाती है। और धीरे धीरे उछलने लगती है। जैसे जैसे दीप्ति की र$फतार बढत रही थी वैसे वैसे अविनाश भी नीचे से धक्के लगाना शुरू कर देता है। दीप्ति की सिसकियां एक बार फिर तेज हो जाती है। आहहहहहह आहहहहहह आहहहहहह आहहहहहह ये सीन देखकर तृप्ति भी गरम होने लगती है। लेकिन तभी उसे ध्यान आता है कि अभी उसे जीवन को संभालना है।


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तृप्ति : अरे पिताजी आप मम्मी की चुदाई देख रहे थे। कोई बात नहीं आप को घबराने की जरूरत नहीं है। मैं ये बात किसी से नही कहूंगी। वैसे एक छेद उपर भी है। आप उसमें से अंदर का नजारा देख सकते हैं।
जीवन : अरे नहीं बहू मैं तो वैसे ही
तृप्ति : अरे कुछ नहीं मैं भी तो देख रही हूं। ये बात हम दोनों के बीच ही रहने वाली हैं। बहुत ही कम लोगों को लाइव ब्लू फिल्म देखने को मिलती है। मन जीवन का भी हो रहा था। इसलिए वो त़प्ति की बात को टालता नहीं है। तृप्ति जीवन के आगे खडी थी और जीवन उसके पीछे दोनों अंदर का नजारा देख रहे थे।


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अंदर अब दीप्ति अविनाश दीप्ति को गोद में उठा लेता है और अपने लंड पर दीप्ति को उछालने लगता है। थोडी देर बाद वो फिर दीप्ति को विस्तर पर ले आता है और दीप्ति अविनाश के लंड के उपर उछलने लगती है लेकिन अब वो थकने लगी थी. दीप्ति की मुंह से लगातार सिसकियां निकल रही थीं। आहहहहहह आहहहहहह आहहहहहह आहहहहहह जान इस तरह चुदाई होती है ये तो मैंने कभी जाना ही नहीं था। जीवन के साथ सिर्फ एक बार मुश्किल से पानी निकलता था और आपके साथ दो बार निकल चुका है। जान आहहहहहह आहहहहहह आहहहहहह आहहहहहह आहहहहहह आहहहहहह अब और नहीं मेरे में अब ताकत नहीं बची और दीप्ति अविनाश की छाती पर लेट जाती है। अविनाश दीप्ति के होठों को चूसने लगता है और कुछ देर तक नीचे से धक्के लगाता है लेकिन जब उसे लगता है कि दीप्ति की ओर से ज्यादा सहयोग नहीं मिल रहा तो वो दीप्ति को साइड में करते हुए कहता है कि जान अब तूम एक काम करो डॉगी स्टाइल में आ जाओ मैं पीछे से तुम्ळारी चुदाई करूंगा। इधर तृप्ति और जीवन दोनों ही अंदर का नजारा देख रहे थे। जीवन के हाथ तृप्ति की पीठ पर घूम रहे थे जिसे तृप्ति ने महसूस किया और उसने धीरे से अपनी टॉवल को खोल दिया और धीरे-धीरे उसे खींचकर जमीन पर गिरा दिया। अब तृप्ति पूरी तरह से जीवन के आगे खडी हुई थी। और जीवन का हाथ अब उसके पूरे शरीर पर घूम रहा था जीवन अब धीरे धीरे तृप्ति की गांड भी सहला रहा था तृप्ति भी बहुत प्यासी थी क्योंकि चुदाई तो अभी तक उसकी भी नहीं हुई थी। और अंदर इतना गरमा गरम खेल चल रहा था। तृप्ति जीवन का हाथ पकड लेती है और उसे अपनी नंगी चूचियों पर रख देती है। तृप्ति की नंगी चूचियों पर हाथ पकडते जीवन को भी मजा आने लगता है और वो अंदर का नजारा देखने के साथ साथ तृप्ति की चूचियों को भी दबाने लगता हैं। इधर तृप्ति भी अपना हाथ जीवन के लोअर के अंदर डाल देती है और उसके लंड को सहलाने लगती हैं। लंड पूरी तरह से खडा नहीं हो रहा था। तृप्ति समझ जाती है जीवन का लंड भी रोहित के लंड जैसा ही है। यानी ये भी किसी काम का नहीं है।
 
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दूसरी ओर अंदर अविनाश दीप्ति को डॉगी स्टाइल में जबरदस्त तरीके से चोद रहा था।
दीप्ति : जान इतना मजा कभी नहीं आया जान आई लव यू, काश तुम पहले मिले होते तो मैं इतने सालों तक प्यासी नही रहती।


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अविनाश : जान मैं तुम्हें प्यार तो बहुत पहले से करता था लेकिन कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। अविनाश लगातार दीप्ति की चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था। और दीप्ति की पीट को चाट रहा था। अविनाश के हाथ दीप्ति की चूचियों को दबा रहे थे। जिससे दीप्ति अपने होश खोती जा रही थी। दीप्ति दो बार पहले ही झड चुकी थी इसलिए अभी वो जल्दी नहीं झड रही थी। दूसरी कमरे के बारह तृप्ति अचानक जीवन की ओर मुडती है और नीचे बैठ जाती है। दीप्ति की बातें जीवन के पुरुषार्थ पर चोट कर रहीं थी दूसरी ओर तृप्ति जीवन का लोअर नीचे खिसका देती है और जीवन का मुरझाया सा लंड अपने हाथों से सहलाती है और फिर उसे मुंह में ले लेती है। तृप्ति पांच मिनिट तक जीवन के लंड को चूसती है लेकिन लंड खडा होने का नाम नहीं ले रहा था।
तृप्ति : पापा जी लगता है आपका लंड मम्मी को किसी और की बाहों में नहीं देख पा रहा है। तृप्ति अब जीवन को यहां से हटाना चाहती थी क्योंकि उसे भी मालूम था कि एक घंटा हो चुका है और अविनाश अब कभी भी झड सकता है। तृप्ति जीवन को उसके कमरे में ले जाती है। तृप्ति इस समय पूरी नंगी थी और जीवन कमरे की रोशनी में पहली बार तृप्ति को नंगा देखता है। वैसे नंगा थे जीवन भी था क्योंकि कमरे में आने से पहले तृप्ति ने उसका लोअर उतार दिया था। तृप्ति और जीवन विस्तर पर गुत्थम गुत्था होते हैं। तृप्ति एक बार फिर जीवन का लंड चूसना शुरू करती है लंड में हल्का सा तनाव आता है और वो पानी छोड देता है। तृप्ति मन ही मन में जीवन को गाली देती हैं। और फिर कहती है कोई बात नहीं पापा जी।
जीवन : बहू सॉरी क्या करूं एक्सीडेंट के बाद
तृप्ति : कोई बात नहीं बस आप मेरा एक काम कर दीजिए।
जीवन : बोलो बहू।
तृप्ति : प्लीज मुझे शांत कर दीजिए
जीवन : वो केसे
तृप्ति खडी होती है और अपनी चूत जीवन के मुंह पर रख देती हैं। और कहती है कि इसे चाटकर इसका पानी निकाल दीजिए।
जीवन ने कभी भी दीप्ति की चूत नहीं चाटीथी लेकिन अभी जिस तरह से तृप्ति ने उसका लंड चूसा था तो जीवन तृप्ति से मना नहीं कर पाया और अपनी जीभ से तृप्ति की चूत को चाटने लगता है। तृप्ति मन हन्ी मन कहती है कि पापाजी अभी तो मेरी चूत चाट रहे हैं। कुछ दिनों बाद आप मेरी चूत को चाटेंगे लेकिन तब अंदर इतना होगा कि मैं अविनाश से चुदवाउंगी और उसका और अपना पानी दोनों आप से चटवाउंगी। वैसे दीप्ति की चूत जिसमें अविनाश का पानी भरा होगा वो आप बहुत जल्दी ही चाटने वाले हैं। 20 मिनिट तक जीवन तृप्ति की चूत चाटता है और तृप्ति जीवन के मुंह में ही पानी छोड देती है। दूसरी ओर अविनाश के धक्के अभी भी दीप्ति की चूत में लग रहे थे और दीप्ति तीसरी बार झडने लगती है अविनाश में फिर 10-12 तेज धक्के दीप्ति की चूत में लगता है और उसका पानी भी निकल जाता है। दीप्ति वैसी ही विस्तर पर लेट जाती है और अविनाश भी दीप्ति के उपर पसर जाता है। पांच मिनिट बाद अविनाश दीप्ति के उपर से हटता है और उसके बगल में लेट जाता है। थोडी देर तक दोनों लोग अपनी सांसों में नियंत्रण करते हैं।


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अविनाश : कैसा लगा जान सुहागरात पर अपने पति से चुदवाकर
दीप्ति : बहुत अच्छ इतना अच्छा तो अपनी पहली सुहागरात पर भी नहीं लगा था।
अविनाश दीप्ति को गुस्से से देखते हुए देखों जान जब मैं तुमसे अपने प्यार की बातें करू तो तुम अपने पहले पति को बीच में मत लाया करो। वैसे भी अब तुम पूरी तरह से मेरी हो। तुम्हारा पहला पति तो तुम्हें खुश भी नहीं कर पाता। अब फेसला तुम्हें लेना है कि तुम किसके विस्तर पर रहोगी मेरी या जीवन जी के।
दीप्ति :अरे ये भी कोई पूछने वाली बात हैं। मैं तो अब अपने पति यानी की आपके साथ ही हूं।
अविनाश : तो फिर तुम जीवन को हाथ भी नही लगाने दोगी अपने जिस्म से। जब मैं तुम्हें इजाजत दू और जितनी इजाजत दू तुम जीवन के साथ उतना ही आगे बढोगी।
दीप्ति : अविनाश की ओर थोडी देर देखती है और फिर कहती है जान वादा रहा। तुम्हारी इजाजत के बिना मैं अपने जिस्म से किसी को भी हाथ नहीं लगाने दूंगी।
अविनाश : और में किसी को भी तुम्हें हाथ लगाने की इजाजत नहीं दूंगा। और अविनाश दीप्ति के होठों को चूसने लगता है। दीप्ति भी खुलकर अविनाश का साथ दे रही थी।
दीप्ति : जान मुझे अभी भी ये सपना लग रहा है। मैं सोच रही हूं कि आप मुझसे शादी के लिए तडप रहे थे और मैं इसके लिए तैयार नहीं हो रही थी। वो तो तृप्ति थी जिसने मुझे फंसा कर तुमसे शादी करा दी। नहीं तो इस प्यार से मैं वंचित रह जाती।
अविनाश : यार मेरा प्यार तो तुम्हारे लिए है लेकिन हमारी सुहागरात अधूरी अधूरी से लग रही है।
दीप्ति : अधूरी अधूरी सी मैं समझी नहीं।
अविनाश : देखों सुहागरात पर पति अपनी पत्नी की सील तोडता है और मुझे ये सौभाग्य नहीं मिला। तुम्हारी चूत तो टाइट थी लेकिन सील पैक नहीं थी।
दीप्ति : थोडी गंभीर होते हुए जान में क्या करती मेरी शादी हो चुकी थी और मेरे दो बच्चेे भी हैं तो चूत सीलपैक कैसे बचती।
अविनाश : यदि तुम चाहों तो अपनी एक सील मुझे दे सकती हो।
दीप्ति : कौन सी, यदि मेरे पास होगी तो जरूर दूंगी। ये मेरा वादा है।
अविनाश : पीछे तो नहीं हट जाओगी।
दीप्ति : नहीं मेरा पूरा शरीर अब आपका है मेरा जो भी है वो आप ले सकते हैं। मैं आपसे वादा करती हूं कि पीछे नहीं हटूंगी।
अविनाश : तो ठीक है जान मुझे हमारी सुहागरात यादगार बनाने के लिए तुम्हारी गांड मारनी हैं।
दीप्ति : क्या लेकिन वो जगह सेक्स के लिए नहीं होती।
अविनाश : जान तुमने सेक्स के अभी पूरे मजे लिए ही कहा हैं। इसीलिए कह रहा हूं। मुझे तुम्हारी गांड मारनी हैं।
दीप्ति : ठीक है जान यदि तुम्हें मेरी गांड मारनी है तो मैं मना नहीं करूंगी लेकिन वहां बहुत दर्द होगा। जब चूत चुदी हुई थी तो इतना दर्द हुआ गांड का छेद तो बहुत छोटा है।
अविनाश : हां दर्द तो होगा लेकिन फिर भी मैं बहुत आरम से करूंगा। तुम्हें ज्यादा तकलीफ नहीं होने दूंगा। और फिर अविनाश और दीप्ति एक बार फिर एक दूसरे को किस करने लगते हैं। दीप्ति फिर धीरे धीरे गरम होने लगती है। पहली चुदाई समाप्त हुए पौन घंटा हो चुका था। इसलिए अविनाश में भी अब थोडी एनर्जी आने लगती हैं। वो एक बार फिर दीप्ति की चूत पर अपना लंड टिका देता है।
 
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दूसरी ओर अंदर अविनाश दीप्ति को डॉगी स्टाइल में जबरदस्त तरीके से चोद रहा था।
दीप्ति : जान इतना मजा कभी नहीं आया जान आई लव यू, काश तुम पहले मिले होते तो मैं इतने सालों तक प्यासी नही रहती।


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अविनाश : जान मैं तुम्हें प्यार तो बहुत पहले से करता था लेकिन कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। अविनाश लगातार दीप्ति की चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था। और दीप्ति की पीट को चाट रहा था। अविनाश के हाथ दीप्ति की चूचियों को दबा रहे थे। जिससे दीप्ति अपने होश खोती जा रही थी। दीप्ति दो बार पहले ही झड चुकी थी इसलिए अभी वो जल्दी नहीं झड रही थी। दूसरी कमरे के बारह तृप्ति अचानक जीवन की ओर मुडती है और नीचे बैठ जाती है। दीप्ति की बातें जीवन के पुरुषार्थ पर चोट कर रहीं थी दूसरी ओर तृप्ति जीवन का लोअर नीचे खिसका देती है और जीवन का मुरझाया सा लंड अपने हाथों से सहलाती है और फिर उसे मुंह में ले लेती है। तृप्ति पांच मिनिट तक जीवन के लंड को चूसती है लेकिन लंड खडा होने का नाम नहीं ले रहा था।
तृप्ति : पापा जी लगता है आपका लंड मम्मी को किसी और की बाहों में नहीं देख पा रहा है। तृप्ति अब जीवन को यहां से हटाना चाहती थी क्योंकि उसे भी मालूम था कि एक घंटा हो चुका है और अविनाश अब कभी भी झड सकता है। तृप्ति जीवन को उसके कमरे में ले जाती है। तृप्ति इस समय पूरी नंगी थी और जीवन कमरे की रोशनी में पहली बार तृप्ति को नंगा देखता है। वैसे नंगा थे जीवन भी था क्योंकि कमरे में आने से पहले तृप्ति ने उसका लोअर उतार दिया था। तृप्ति और जीवन विस्तर पर गुत्थम गुत्था होते हैं। तृप्ति एक बार फिर जीवन का लंड चूसना शुरू करती है लंड में हल्का सा तनाव आता है और वो पानी छोड देता है। तृप्ति मन ही मन में जीवन को गाली देती हैं। और फिर कहती है कोई बात नहीं पापा जी।
जीवन : बहू सॉरी क्या करूं एक्सीडेंट के बाद
तृप्ति : कोई बात नहीं बस आप मेरा एक काम कर दीजिए।
जीवन : बोलो बहू।
तृप्ति : प्लीज मुझे शांत कर दीजिए
जीवन : वो केसे
तृप्ति खडी होती है और अपनी चूत जीवन के मुंह पर रख देती हैं। और कहती है कि इसे चाटकर इसका पानी निकाल दीजिए।
जीवन ने कभी भी दीप्ति की चूत नहीं चाटीथी लेकिन अभी जिस तरह से तृप्ति ने उसका लंड चूसा था तो जीवन तृप्ति से मना नहीं कर पाया और अपनी जीभ से तृप्ति की चूत को चाटने लगता है। तृप्ति मन हन्ी मन कहती है कि पापाजी अभी तो मेरी चूत चाट रहे हैं। कुछ दिनों बाद आप मेरी चूत को चाटेंगे लेकिन तब अंदर इतना होगा कि मैं अविनाश से चुदवाउंगी और उसका और अपना पानी दोनों आप से चटवाउंगी। वैसे दीप्ति की चूत जिसमें अविनाश का पानी भरा होगा वो आप बहुत जल्दी ही चाटने वाले हैं। 20 मिनिट तक जीवन तृप्ति की चूत चाटता है और तृप्ति जीवन के मुंह में ही पानी छोड देती है। दूसरी ओर अविनाश के धक्के अभी भी दीप्ति की चूत में लग रहे थे और दीप्ति तीसरी बार झडने लगती है अविनाश में फिर 10-12 तेज धक्के दीप्ति की चूत में लगता है और उसका पानी भी निकल जाता है। दीप्ति वैसी ही विस्तर पर लेट जाती है और अविनाश भी दीप्ति के उपर पसर जाता है। पांच मिनिट बाद अविनाश दीप्ति के उपर से हटता है और उसके बगल में लेट जाता है। थोडी देर तक दोनों लोग अपनी सांसों में नियंत्रण करते हैं।


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अविनाश : कैसा लगा जान सुहागरात पर अपने पति से चुदवाकर
दीप्ति : बहुत अच्छ इतना अच्छा तो अपनी पहली सुहागरात पर भी नहीं लगा था।
अविनाश दीप्ति को गुस्से से देखते हुए देखों जान जब मैं तुमसे अपने प्यार की बातें करू तो तुम अपने पहले पति को बीच में मत लाया करो। वैसे भी अब तुम पूरी तरह से मेरी हो। तुम्हारा पहला पति तो तुम्हें खुश भी नहीं कर पाता। अब फेसला तुम्हें लेना है कि तुम किसके विस्तर पर रहोगी मेरी या जीवन जी के।
दीप्ति :अरे ये भी कोई पूछने वाली बात हैं। मैं तो अब अपने पति यानी की आपके साथ ही हूं।
अविनाश : तो फिर तुम जीवन को हाथ भी नही लगाने दोगी अपने जिस्म से। जब मैं तुम्हें इजाजत दू और जितनी इजाजत दू तुम जीवन के साथ उतना ही आगे बढोगी।
दीप्ति : अविनाश की ओर थोडी देर देखती है और फिर कहती है जान वादा रहा। तुम्हारी इजाजत के बिना मैं अपने जिस्म से किसी को भी हाथ नहीं लगाने दूंगी।
अविनाश : और में किसी को भी तुम्हें हाथ लगाने की इजाजत नहीं दूंगा। और अविनाश दीप्ति के होठों को चूसने लगता है। दीप्ति भी खुलकर अविनाश का साथ दे रही थी।
दीप्ति : जान मुझे अभी भी ये सपना लग रहा है। मैं सोच रही हूं कि आप मुझसे शादी के लिए तडप रहे थे और मैं इसके लिए तैयार नहीं हो रही थी। वो तो तृप्ति थी जिसने मुझे फंसा कर तुमसे शादी करा दी। नहीं तो इस प्यार से मैं वंचित रह जाती।
अविनाश : यार मेरा प्यार तो तुम्हारे लिए है लेकिन हमारी सुहागरात अधूरी अधूरी से लग रही है।
दीप्ति : अधूरी अधूरी सी मैं समझी नहीं।
अविनाश : देखों सुहागरात पर पति अपनी पत्नी की सील तोडता है और मुझे ये सौभाग्य नहीं मिला। तुम्हारी चूत तो टाइट थी लेकिन सील पैक नहीं थी।
दीप्ति : थोडी गंभीर होते हुए जान में क्या करती मेरी शादी हो चुकी थी और मेरे दो बच्चेे भी हैं तो चूत सीलपैक कैसे बचती।
अविनाश : यदि तुम चाहों तो अपनी एक सील मुझे दे सकती हो।
दीप्ति : कौन सी, यदि मेरे पास होगी तो जरूर दूंगी। ये मेरा वादा है।
अविनाश : पीछे तो नहीं हट जाओगी।
दीप्ति : नहीं मेरा पूरा शरीर अब आपका है मेरा जो भी है वो आप ले सकते हैं। मैं आपसे वादा करती हूं कि पीछे नहीं हटूंगी।
अविनाश : तो ठीक है जान मुझे हमारी सुहागरात यादगार बनाने के लिए तुम्हारी गांड मारनी हैं।
दीप्ति : क्या लेकिन वो जगह सेक्स के लिए नहीं होती।
अविनाश : जान तुमने सेक्स के अभी पूरे मजे लिए ही कहा हैं। इसीलिए कह रहा हूं। मुझे तुम्हारी गांड मारनी हैं।
दीप्ति : ठीक है जान यदि तुम्हें मेरी गांड मारनी है तो मैं मना नहीं करूंगी लेकिन वहां बहुत दर्द होगा। जब चूत चुदी हुई थी तो इतना दर्द हुआ गांड का छेद तो बहुत छोटा है।
अविनाश : हां दर्द तो होगा लेकिन फिर भी मैं बहुत आरम से करूंगा। तुम्हें ज्यादा तकलीफ नहीं होने दूंगा। और फिर अविनाश और दीप्ति एक बार फिर एक दूसरे को किस करने लगते हैं। दीप्ति फिर धीरे धीरे गरम होने लगती है। पहली चुदाई समाप्त हुए पौन घंटा हो चुका था। इसलिए अविनाश में भी अब थोडी एनर्जी आने लगती हैं। वो एक बार फिर दीप्ति की चूत पर अपना लंड टिका देता है।
 
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अविनाश का लंड अब एक बार फिर दीप्ति की चूत में जाने को तैयार था। अविनाश दीप्ति के उपर लेटा हुुआ था और दीप्ति के होठों को चूस रहा था दीप्ति अविनाश का खुलकर साथ दे रही थी। अविनाश अपना लंड दीप्ति की चूत पर घिस रहा था। जिससे दीप्ति की चूत एक बार फिर गीली होने लगती हैं।
दीप्ति : जान एक बार और कर लो फिर पीछे से कर लेना।
अविनाश : यार तुम शरमाती बहुत हो। एक बार तुम्हारी चुदाई कर चुका है हर पोज में तुम्हें चोदा है लेकिन तुम्हारी अभी तक शर्म नहीं जा रही है। जो बोलना है खुलकर बोला।
दीप्ति समझ जाती है अविनाश क्या सुनना चाहता है और वो भी अविनाश को पूरा मजा देने की ठान चुकी थी। इसलिए वो कहती है कि जान एक बार मेरी चूत मारकर उसे ठंडी कर दो फिर गांड मार लेना मैं मना नहीं करूंगी। मेरी चूत बहुत गरम हो रही है। लेकिन आपकी इच्छा मेरी गांड मारने की ही है तो भी मैं मना नहीं करूंगी। लेकिन मेरी इच्छा है कि आप पहले मेरी चूत एक बार और चोदें।
अविनाश : ये हुई ना बात जब मेरी बीबी मुझसे इस तरह से बोलेगी तो मैं कैसे मना कर पाउंगा। अब मेरा लंड अपनी चूत पर सेट कर वैसे अब तो आराम से चला भी जाएगा।
दीप्ति : फिर भी धीरे धीरे डालना, अभी आदत नहीं है। वैसे भी 15 साल से चुदी नहीं हूं। धीरे धीरे तुम्हारा लंड लेने की आदत पड जाएंगी। और दीप्ति अविनाश का लंड पकडकर अपनी चूत पर फिट कर देती हैं।
अविनाश धीरे धीरे दीप्ति की चूत पर अपने लंड पर अपना प्रेशर बढता जाता है जिससे उसका लंड धीरे धीरे दीप्ति की चूत में घुसता जाता है।


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लंड चार इंच तक घुसने के बाद अडने लगता है अविनाश दबाव बनाता है लेकिन लंड आगे की ओर नहीं जाता अविनाश दीप्ति की आंखों में देखते हुए, जान ये आगे क्यो नहीं जा रहा।
दीप्ति : जान आज पहला दिन है शायद इसीलिए, एक काम करो हल्के हल्के धक्के मारना शुरू कर दो लंड अपने आप रास्ता बना लेगा। लेकिन अविनाश दीप्ति की नहीं सुनता और लंड दो इंच खीचंने के बाद एक जोरदार धक्का मारता है और उसका पूरा 8.5 इंच लंड दीप्ति की चूत में समा जाता है।


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दीप्ति की एक बार फिर चीख निकलने वाली थी लेकिन अविनाश ने उसके मुंह पर हाथ रख लिया जिससे वो गूं गूं करके रह गई। अविनाश दीप्ति की आंखों में देखते हुए सॉरी जान सब्र नहीं हुआ तुम्हें दर्द तो नहीं हुआ मैं हाथ हटा रहा हूं। लेकिन प्लीज यार माफ कर देना। और अविनाश दीप्ति के मुंह से हाथ हटा लेता है।
दीप्ति : आपसे कहा था आराम आराम से धक्के लगाने, आपने तो मार ही दिया था।
अविनाश : फिर दीप्ति की और गुस्से से देखता है दीप्ति समझ जाती है और अपने कान पकडते हुए कहती है कि आाइंदा ख्याल रखूंगी मरने मारने वाली बात नहीं करूंगी।
दीप्ति : जान तुम मुझसे इतना प्यार करते हो।
अविनाश : दीप्ति की चूत में हल्के हल्के धक्के लगाते हुए कहता है कि तेरे घर शुरूआत से जाने का मेरा मकसद सिर्फ तुझे देखना होता था। एक बार तुम्हें सच सच बताउं बुरा तो नहीं मानोगी। पहले सोचा था कि ये बात तुम्हें कभी नहीं बताउंगा लेकिन अब लगता है कि तुमसे छिपा नहीं पाउंगा। जब बाद में बताना है तो अभी बता देना ज्यादा अच्छा होगा। नहीं तो तुम्हें दुख होगा। कि मैंने तुसने बात छिपाई।
दीप्ति : सवालिया नजरों से देखते हुए कौन सी बात और साथ ही साथ अविनाश की चुदाई से उसकी सिसकियां भी निकलने लगती हैं। आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ..ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ


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अविनाश : देखों जब मुझे अनुष्का और रोहित के बारे में पता चला तो बहुत बुरा लगा। लेकिन सच बताउं तो मैं तुम्हें हर हाल में हासिल करना चाहता था मैं तुम्हारे लिए पागल था। इसलिए जब अनुष्का की शादी और तृप्ति को मां बनाने की बात आई तो मैंने तुम्हें मजबूर कर दिया। मैं तुम्हें इस तरह से हासिल नहीं करना चाहता था मैं तुम्हें प्यार से जीतना चाहता था। इसलिए तुम जब मजबूर हो गई थी मेरी रखैल बनने के लिए तो मुझे अपने आप पर शरम आ रही थी। और मेरे फैसला कर लिया था कि मैं तुम्हें अपनी रखैल नहीं बल्कि अपनी बीबी बनाकर रखूंगा। तुम्हें मैंने इस काम के लिए मजबूर किया उसके लिए माफी चाहंूगा। क्या तुम मुझे माफ कर दोगी।
दीप्ति : देखिए शुरूआत में तो मुझे बहुत बुरा लगा था जब तृप्ति ने कहा था। लेकिन जब सभी लोगों ने समझाया तो मैं मान गई मानती हूं आपने मुझे मजबूर किया। लेकिन ये देखों तो मेरे लिए अच्छा ही हुआ। मुझे पति का प्यार नहीं मिल पा रहा था और आज मैं अपने पति की बाहों में कितना खुश हूं ये में किसी को बता नहीं सकता। इसलिए आज के बाद कभी भी ये मत सोचना कि आपने मुझे मजबूर किया। हमारा मिलन होना था उसे कोई नहीं रोक सकता था। जान अब तेजी से धक्के लगाओ ऐसे चोदोंगे तो सुबह हो जाएंगी। और तुम्हारा
अविनाश : क्या तुम्हारा
दीप्ति : और तुम्हारा मेरी गांड की सील तोडने का सपना सपना ही रह जाएगा।
दीप्ति की बात सुनकर अविनाश अचानक दीप्ति की चूत में अपनी धक्कों की रफ्तार बढ़ादेता है फिर वो अचानक दीप्ति को लेकर पलटी मार जाता है अब अविनाश नीचे था और दीप्ति उसके उपर आ चुकी थी। दीप्ति अब कमर हिला हिला कर अविनाश का लंड अपनी चूत के अंदर ले रही थी साथ साथ उसके सिसकियां भी निकल रहीं थीं आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ..ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ..ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ उनहूँ उनहूँ ही ही ही ही ही..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह. उ उ उ दीप्ति की चूत पानी छोड रही थी अविनाश दीप्ति की चूत के पास अपना हाथ ले जाता है तो उसकी उंगुलियां गीली हो जाती हैं।


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अविनाश अपना एक उंगली दीप्ति की गांड की ओर ले जाता है और उंगूली को दीप्ति की गांड में धीरे धीरे कर घुसाने लगता हैं। अविनाश बार बार दीप्ति की चूत का पानी लेता है और दीप्ति की गांड में उंगली डालकर एक उंगुली घुसता है अविनाश की उंगुली बहुत मुश्किल से दीप्ति की गांड में जा रही थी। ये सोच अविनाश मन ही मन में कहता है जब उंगूली इतनी मुश्किल से जा रही है तो लंड को कितनी तकलीफ होगा। इधर दीप्ति अब अविनाश के उपर बैठ जाती है और तेजी से अविनाश के लंड पर उछलने लगती है और थोडी देर बाद तेज आवाज करते हुए झड जाती हैं। दीप्ति हांफते हुए अविनाश की छाती पर गिर पडती हैं।
दीप्ति : जान तुमसे जीतना बाकई बहुत मुश्किल हैं। मैं एक बार फिर झड गई और तुम्हारा लंड रॉड की तरह खडा हैं।
अविनाश : चलो अब मेरी बारी हैं।
दीप्ति : जान पहले उसे चिकना कर लो।
अविनाश : इतनी देर से वो ही तो काम कर रहा था।
दीप्ति अविनाश का लंड पकडती है और थोडी देर हिलाने के बाद पहले इसे चिकना कर दूं और धीरे धीरे अविनाश के लंड के पास अपना मुंह लाती है और उसे चाटने लगती हैं। अब दीप्ति को भी अविनाश का लंड चूसने में मजा आने लगा था। थोडी देर तक अविनाश का लंड चूसने के मैं उसे छोड़ देती हैं।


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दीप्ति : मुस्कुराते हुए मुझे मालूम हैं लेकिन उससे चिकनाहट नहीं आती। उसके लिए तेल या क्रीम की जरूरत होती है। और दीप्ति अपने बैग में से एक क्रीम की डिब्बी निकालती हैं और अविनाश को देते हुए कहती है अब इसका कैसे इस्तेमाल करना है ये तुम जानो। और अपना चेहरा अविनाश की छाती में छिपा लेती हैं।
अविनाश दीप्ति के चेहरे को पकडता है और उसकी आंखों में देखते हुए उसके होठ चूसने लगता है। थेाडी देर बाद अविनाश अलग होता है और फिर दीप्ति को उल्टा लिटा देता है दीप्ति की जांघों पर और पेट के नीचे तकिया लगा देता है उससे मेरी गांड अब उपर की ओर उठ गई थी। फिर अचानक अविनाश मेरी चुतडों को मसलने लगता है और फिर उसे चूमने और चाटना शुरू कर देता है फिर अविनाश अचानक मेरी गांड की तरफ आता है और अपनी जीभ मेरी गांड के छेद पर लगा देता है। जिससे मेरे पूरे शरीर में बिजली सी दौड जाती है और मैं अविनाश से कहती हूं नहीं जान वहां नहीं वो गंदी जगह हैं। प्लीज इसे छोड कुछ भी कर लो। लेकिन अविनाश मेरी कोई बात नहीं सुनता और कहता है कि सेक्स में कुछ भी गंदा नहीं होता और वो लगातार मेरी गांड चाटता रहता है और साथ ही अपाने एक हाथ से मेरी चूत में उंगूली करता रहता है। मेरे जीवन में ये इस तरह का पहला अनुभव था। इसलिए मैं ज्यादा देर नहीं टिक पाती और एक बार फिर झड जाती हूं।


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मेरे झडते ही अविनाश अब डिब्बी से क्रीम निकलता है और मेरी गांड के छेद में डाल देता है और अपनी एक उंगुली गांड के छेद में घुसा देता है पहले उंगुली थोडी मुश्किल में जाती है लेकिन जब क्रीम गांड के अंदर अच्छी तरह से लग जाती है तो अविनाश उंगली खींच लेता है और फिर क्रीम लेता है और गांड पर लगाकर अपनी उंगुली अंदर बाहर करने लगता है थोडी देर में एक उंगुली बडे आराम से मेरी गांड के अंदर बाहर होने लगती हैं। अब मुझे भी मजा आने लगा था। और मैं अपनी गांड उठाकर अविनाश का साथ देने लगती हूं। तभी अविनाश अपनी दो उंगुलियों को मेरी गांड में घुसाना शुरू कर देता है जिससे मुझे फिर से दर्द होने लगता हैं और मेरी हल्की हल्की चींख निकलना शुरू हो जाती है। आईईईईईईई जान आराम से आराम से मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूं।
अविनाश : आराम से ही तो कर रहा हूं। जल्दी करता तो अब तक तेरी गांड फट चुकी होती।
दीप्ति मुस्कुराते हुए ऐसे बोल रहे हो जैसे मेरी गांड फटनी नहीं है।
अविनाश : फटेगी तो है ही लेकिन आराम आराम से लूंगा। थोडा दर्द होगा उसे सहन कर लेना।
दीप्ति : ठीक है कोशिश करूंगी लेकिन मैं कितना भी चीखूं चिल्लाउ आप रूकना मत जब तक आप मेरी गांड नहीं मार लो मेरे उपर रहम मत करना। क्योंकि आज आप मेरी गांड नहीं मार पाए तो फिर उसे भूल जाना।
अविनाश : कैसे भूल जाउंगा। तेरी गांड आज ही मारी जाएगी। और अब अविनाश की दो उंगलियां दीप्ति की गांड में आसानी से अंदर बाहर हो रहीं थी। दीप्ति गांड का छेद काफी चिकना हो चुका था अब अविनाश ने थोडी से क्रीम अपने लंड पर लगाई और फिर दीप्ति के उपर लेट गया। अविनाश ने अपना लंड दीप्ति की गांड के छेद पर सेट कर दिया। और धीरे से उसके कान में बोला। जान तैयार हो जाओ
दीप्ति : हां मैं तैयार हूं लेकिन धीमे धीमे करना
अविनाश : ठीक है और अविनाश एक हल्का स धक्का मारता है लेकिन लंड फिसल जाता है। अविनाश दो तीन बार ट्राई करता है लेकिन हर बार लंड फिसल जाता है। अविनाश एक बार फिर बैठता है और दीप्ति की दोनों टांगों को फैला देता है और अपने हाथों से लंड पकडते हुए दीप्ति की गांड के छेड पर टिका देता है अविनाश एक हाथ से दीप्ति की गर्दन पकडता है और दूसरे हाथ से अपना लंड दीप्ति के छेद पर टिकाए रखता है अविनाश फिर अपनी कमर को थोडा पीछेलेता है और जोर का झटका दीप्ति की गांड में मारता है और लंड डेढ इंच अंदर चला जाता है। जिससे दीप्ति को हल्का सा दर्द होता है। अविनाश ने लगातार 15 मिनिट की मेहनत से दीप्ति की गांड को चिकनाकर दिया था। अविनाश थोडी देर रुकता है और दीप्तिसे कहता है जान दर्द बर्दाश्त कर लेना और अपने शरीर को थोडा सा ढीला छोड देता। दीप्ति कुछ समय पाती कि अविनाश एक और जोरदार धक्का मारन्ता है और लंड करीब तीन इंच मेरी गांड में घुस जाता है और मेरी जोरदार चीख निकल जाती हैं। आईईईईईईईईईईई मम्मी मर गईईईईईईईईईईईईईईईई बहुत दर्द हो रहा है जान। दीप्ति की चींख पूरे घर वालों से सुन ली थी।


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अनुष्का तुरंत ही अपने कमरे से निकलकर फिर अपनी पोजीशन में पहुंच जाती है दूसरी ओर जीवन बेचैन हो जाता है लेकिन तृप्ति उसे रोक लेती है और कहती है कि आज अविनाश अपनी बीबी के साथ सुहागरात मना रहा है। सुहागरात पर बीबी की चीख तो निकलेगी ही अविनाश दीप्ति को चोद रहा है इसलिए दीप्ति चीख रही है। अब तृप्ति जीवन के सामने दीप्ति को मां या मम्मी नहीं सीधे नाम से बुला रही थी साथ ही उसे अविनाश की बीबी भी बोल रही थी। तृप्ति का एक हाथ इस समय जीवन के लंड पर था जो हन्मेशा की तरह सोया हुआ था। दूसरी ओर अविनाश थोडी देर तक रूका रहता है और अपना एक हाथ से दीप्ति की चूचियां और दूसरे से उसकी चूत मसलता रहता है अविनाश दीप्ति की पीठ को चूम भी रहा था जिससे वो गरम होने लगती हैं।
दीप्ति : जान अब एक बार फिर धक्का लगाओ वैसे कितना बचा है।
अविनाश : जान आधे से ज्यादा चला गया है अब थोडा बचा है। तुम तैयार हो ना।
दीप्ति : हां अब तुम धक्का लगाओ।
अविनाश : दीप्ति के साहस को देखकर उसकी तारीफ किए बिना नहीं रहता और अपनी पूरी ताकत बटोरते हुए एक और जोरदार धक्का मारता है और अविनाश का लंड अब दो इंच और आगे सरक जाता है। इस बार दीप्ति की चीख पहले से भी ज्यादा तेज थी। और ऐसा लगा जैसे पूरे शहर ने सुन ली हो। आईईईईईईईईईईई मम्मी मर गईईईईईईईईईईईईईईईई बचाओ, प्लीज जान अब सहन नहीं हो रहा है। मैं मर जाउंगी और दीप्ति की आंखों से आंसू बहना शुरू हो जाते हैं। प्लीज जान फिर कभी मार लेना। मैं सहन नहीं कर पा रही हूं। दीप्ति छटपटाते रहती है लेकिन अविनाश उस पर अपनी पकड को कमजोर नहीं होने देता और अपना लंड उसी पोजीशन में रखता है थोडी देर बाद दीप्ति शांत हो जाती हैं तो अविनाश अपने लंड को धीरे धीरे आगे पीछे कर दीप्ति की गांड मारना शुरू कर देता हैं।


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अविनाश का अभी भी 3.5 इंच लंड बाहर था। पांच सात मिनिट तक अविनाश इसी तरह से दीप्ति की गांड को मारता रहता हैं। वो लगातार एक हाथ से दीप्ति की चूत से खेल रहा था। जिससे दीप्ति एक बार फिर गरम होने लगती हैं और उसकी गांड का दर्द भी कम होने लगता हैं। इधर अविनाश को भी अपना लंड गांड में काफी फंसा फसा सा जाता दिख रहा था। अविनाश समझ गया था कि यदि उसने जल्दी ही अपना पूरा लंड दीप्ति की गांड में नहीं उतारा तो वो झड जाएगा।
अविनाश : जान ज्यादा दर्द तो नहीं हो रहा।
दीप्ति : दर्द तो हो रहा है लेकिन माज भी आ रहा है। हां मजा की तुलना में दर्द का एहसास ज्यादा हैं। अभी कितना और बचा हैं जान।
अविनाश : बस थोडा सा बचा हैं, तुम एक बार और सहन कर लो बस।
दीप्ति: ठीक है मैं कोशिश करूंगी। तुम अपना लंड और अंदर डालने की कोशिश करो। दीप्ति की बात पूरी हो पाती कि अविनाश ने एक और जोरधार धक्का लगाया जो अब तक का सबसे तेज था और अविनाश का लंड दीप्ति की गांड के छल्ले को पार कर गया। दीप्ति की चीख इस बार बहुत ही तेज निकली आईईईईईईईईईईई मम्मी आईईईईईईईईईईई मम्मी मर गई दीप्ति कुछ सोच पाती कि अविनाश ने एक और धक्का मारा और इस बार पूरा लंड दीप्ति की गांड में समा गया। साथ ही दीप्ति की एक और चीख घर में गूंज उठी। उधर खिडकी पर खडी अनुष्का सोचती है कि अविनाश पूरा राक्षस है ये तो मेरी भी ऐसी ही हालत कर देगा। दीप्ति की लगातार चीखें सुनकर जीवन भी तृप्ति को साइड करता है और एक बार फिर बाहर आ जाता है। जैसे ही वो खिडकी में से देखता है तो वो समझ जाता है कि दीप्ति क्यो चीख रहीं थी। दीप्ति नीचे पेट के बल लेटी हुई थी औरअविनाश उसके उपर चढा हुआ था। जीवन समझ जाता है कि अविनाश ने आज दीप्तिकी गांड मार ली हैं। तभी तृप्ति भी आ जाती है और जब वो अंदर देखती है तो उसकी नजर बेड सीट पर पडती है जो लाल हो गई थी। दीप्ति की चूत से तो कम खून निकला था लेकिन उसके गांड से बहुत खून निकला था।
तृप्ति : लगता है अविनाश ने अपनी बीबी की गांड की सील तोड दी है। क्यो पापाजी आपका क्या विचार है, अविनाश ने अपनी बीबी की गाड की सील तोडी है या चूत की।
जीवन के मुंह से निकल जाता है अविनाश ने अपनी बीबी की गांड की ही सील तोडी हेागी चूत की सील तों में पहले ही तोड चुका हूं।
तृप्ति : हां गांड की सील ही तोडी होगी। तभी मम्मी जी इतना चिल्ला रही थी। उधर अंदर दीप्ति थोडा शांत होती है तो अविनाश अपनी कमर हल्के हल्के चलाने लगता हे। दीप्ति की दर्द भरी सिसकियां कमरे में गूजती रहती हैं। वैसे अब उसकी आवाज काफी धीमी थी। आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ..ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ..ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ..ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ आह्ह्ह..आह अहह सी सी सी सी.. हा हा हा ..ऊऊऊ .ऊँ..ऊँ ऊँ


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अविनाश बहुत ही धीरे धीरे धक्के दीप्ति की गांड में मार रहा था दस मिनिट बाद अविनाश धक्कों की स्पीड बढाता है। और थोडी ही देर में वो झडने के करीब पहुंच जाता है और फिर 15-20 धक्के मारकर वो दीप्ति की गांड में ही झड जाता है। अविनाश दीप्ति के बगल में लेटता हैं और दीप्ति को अपनी बाहों में भर लेता है जब अविनाश की नजर दीप्ति के चेहरे पर जाती हैं तो उसके होश उड जाते हैं दीप्ति का चेहरा आंसूओं से भरा हुआ था। अविनाश दीप्ति के चेहरे को चाटने लगता हैं।
दीप्ति : रोते हुए कोई इतनी बेरहमी से भी अपनी जान की गांड मारता है
अविनाश : यार मैंने पहले ही कहा था दर्द सहन करना होगा। पहली बार था इसलिए दर्द हुआ था आगे से नहीं होगा।
दीप्ति : आगे से मैं गांड मरवाउंगी भी नहीं।
अविनाश : इतना जुल्म मत करना। वैसे भी अब दर्द नहीं होगा।
दीप्ति : अभी इतना दर्द हो रहा है उसका क्या मैं हिल भी नहीं पा रही हूं।
अविनाश : अरे उसकी चिंता मत करो तुम्हारा गुलाम हाजिर हैं ना तुम्हारी हर खिदमत करने के लिए।
दीप्ति : अविनाश की बातें सुनकर मुस्कुराने लगती हैं। अच्छा अब मालिक से गुलाम हो गए।
अविनाश : अरे आप मेरी मल्लिका हैतो मैं आपका गुलाम ही हुआ ना।
दीप्ति : बातें बनाने कोई आपसे सीखे। पहले मुझे फंसा लिया, मुझसे शादी कर ली और फिर मेरी गांड मार ली। अब आप हटिएगा मुझे वॉशरूम जाना है और दीप्ति जैसे ही वॉशरूम जाने के लिए खडी होती है चीख मारकर फिर विस्तर पर लेट जाती है।
 

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