Incest सास बनी दामाद के बच्चों की मां

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अपडेट-36
दूसरी ओर तृप्ति एक बार फिर जीवन को कमरे में ले जाती है और दो बार उसका पानी निकलवा देती है साथ ही अपनी चूत भी चटवा कर दो बार उसे अपनी चूत का भी पानी पिला देती हैं। जीवन को भी आज वर्षों बाद इतना मजा आया था।
तृप्ति : तो पापाजी सच में बताइए आज आपको अपनी बीबी की चुदाई देखकर कैसा लगा।
जीवन : शरमाते हुए रहने दे बहू
तृप्ति : अरे मुझसे क्यों शरमाना अभी तो आप मेरी चूत चाट रहे थे। वो तो आपका लंड खडा नहीं हुआ नहीं तो आप मेरी चूत मार रहे होते अभी तक तो।
तृप्ति की बाद से जीवन को शर्मिदगी महसूस होती है। और तृप्ति चाहती भी ये ही थी। इसके लिए वो आगे कहती है। अरे पापा जी आप क्यों दिल पर ले रहे हैं। आप चाहते थे कि मम्मी खुश रहे। और आज देख भी रहे थे कि कैसे चुदवाते हुए मम्मी अविनाश को जान जान कह रही थीं। उनकी सिसकियां अभी भी मेरे कानों में गूंज रही हैं। वैसे भी मम्मी तो अविनाश को अपना पति स्वीकार कर चुकी है। इसलिए अब अविनाश उनकी चुदाई तो रोज करेगा ही। वैसे सच बताइए आपको अच्छा लगा था ना।
जीवन : अचानक रात की घटना याद करने लगता है कि किस तरह से अविनाश दीप्ति की चुदाई कर रहा था।


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तृप्ति : कहां खो गए पापा जी जवाब दीजिए
जीवन : हां बहू जब अविनाश दीप्ति को चोद रहा था तो दीप्ति के चेहरे पर जो खुशी दिख रही थी उससे मुझे भी अच्छा लगा। ऐसी खुशी मैंने दीप्ति के चेहरे पर कभी नहीं देखी। वर्षों से तो खुशी देखने को ही तरह गया था। तुम लोगों में ही वो खुशी ढूढ रही थी। लेकिन एक औरत के लिए जो जरूरी खुशी है वो उसे मिल ही नहीं रही थी।
तृप्ति : हां और एक बात बताइए आपने मेरी चूत चाटी और मेरे आपके लंड का पानी निकाला उसमें आपको खुशी मिली कि नहीं।
जीवन : बहू सच कहता हूं कि मुझे बहुत खुशी मिली।
तृप्ति : क्या आप चाहते हैं कि आपको ये खुशी आगे भी मिलती रहे।
जीवन : हां बहू बिल्कुल में चाहता हूं कि मुझे ये खुशी हमेशा मिलती रहे।
तृप्ति : ठीक है आपकी ये इच्छा में जरूर पूरी करूंगी लेकिन आप मुझे बहू नहीं बोलेंगे
जीवन : तो क्या बोलू
तृप्ति : आप मुझे मेरे नाम से बुलाएंगे तृप्ति
जीवन : लेकन बाकी लोग क्या बोलेंगे बहू
तृप्ति : इसीलिए बोला है कि सिर्फ तृप्ति बोलिए, मैं ये नहीं कह रही कि आप मुझे तृप्ति जान, डार्लिंग बोलेंगे तृप्ति तो बोल ही सकते हैं।
जीवन : ठीक है बहू नहीं तृप्ति
तृप्ति : हंसते हुए ठीक है, तृप्ति मन ही मन सोचती है कि अभी तो ये शुरूआत है मैं देख रही थी कि आप मेरी कितनी बात मानते हैं। बहुत जल्दी आपको दीप्ति की चूत भी चाटने को मिलेगी लेकिन वो तब जब अविनाश दीप्ति की चुदाई करने के बाद उसकी चूत में अपना पानी छोड चुका हो। और आप दीप्ति की चूत चाटकर साफ करेंगे।
इसके बाद तृप्ति जीवन के पास से उठकर अनुष्का के रूम में चली जाती है।
अनुष्का : अरे तू कहां चली गई थी। अविनाश ने तो मां की फाड़ कर रख दी।
तृप्ति : हां मुझे मालूम हैं। तेरी मां की चीखें जिसने भी सुनी होगी उसे समझ में आ गया होगा कोई बड़े लंड वाला किसी लड़की को चोद रहा है तेरी मां किसी कमसिन लडकी की तरह ही चीख रही थी।
अनुष्का : तूने नहीं देखा अविनाश का लंड कितना बडा है मेरे तो मुंह में समाता ही नहीं है।
तृप्ति : मालूम है जो लंड आज दीप्ति की चूत में गया है वो ही हमारी चूत फाडने वाला है इसलिए दीप्ति का ज्यादा मजाक मत बना अपना भी नम्बर आने वाला है जल्दी।
अनुष्का : मुंझे तो ये सोचकर ही डर लग रहा है। अविनाश मेरी आगे और पीछे दोनों ओर से मारेगा। मैं तो उससे वादा ले लूंगी कि पीछे से नहीं लूगी।
तृप्ति : तू क्या सोच रही है तू उससे कहेगी कि वो तेरी गांड न मारे और वो मान जाएगा। देखना सुहागरात पर ही तेरी फाड़ देगा।
अनुष्का : मेरी फटने से पहले तेरी फटनी है। पहले तू अपने बारे में तो सोच ले।
तृप्ति : सोचना क्या है जब गांड फटनी है तो फटेगी ही। दर्द होगा लेकिन एक दो दिन में चला जाएगा। क्योंकि मुझे मालूम है इसके बाद जो मजा मिलना है वो इससे कई गुना ज्यादा होगा। इसलिए एक दिन का दर्द झेल जाना। जैसे दीप्ति ने झेला है उसकी चूत भी एक तरह से वर्जिन ही थी गांड तो खैर उसका तो आज बाजा ही बज गया।
अनुष्का : हां चलो अब सुबह तो हम सभी लोगों को वापस जाना है।
तृप्ति : सभी लोगों को नहीं, अविनाश और दीप्ति को छोडकर बाकी लोगों को वापस जाना है।
अनुष्का : क्या ये दोनों क्यो नहीं जाएंगे।
तृप्ति : यार आज उनकी शादी हुई है, सुहागरात मना रहे हैं। हनीमून भी नहीं मनाने देगी क्या। इतनी अच्छी जगह है ये घर है ही। खाने पीने के लिए शहर पांच किलोमीटर दूर है। आराम से वहां जा सकते हैं। नई नई शादी है उन्हें मौज करने दो। 8-10 दिन बाद वापस आ जाएंगे। वैसे भी वहां दीप्ति और अविनाश आ जाएंगी तो क्या कर लेगी। बेचारों की मजे में खलल ही पडेगा। दूसरा अविनाश इतने दिनों में दीप्ति को पूरी तरह से खोल भी देगा।
सोच यहां दोनों अकेले रहेंगे तो अविनाश दीप्ति की कैसे कैसे चुदाई करेगा।
अनुष्का सोचने लगती है कि अविनाश सच में मां की जबरदस्त चुदाई करेगा। मां को भी खुशी मिलेगी


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अनुष्का : हां तेरी बात तो सही है।
तृप्ति : सिर्फ कहने से काम नहीं चलेगा। सुबह इस काम में तुझे मेरा साथ भी देना है।
अनुष्का : देख अब में तेरी हर बात में वैसे ही साथ देती हूं। तेरे कारण ही अविनाश मुझे मिल रहा है। नहीं तो मैंने ये सोच लिया था कि किसी से शादी नहीं करूंगी। किसी की भी रखैल बनकर जीवन बिता दूंगी।
तृप्ति : देख फालतू बात मत कर। और अविनाश ने तेरी ये बकवास सुन ली तो सोच ले तेरी क्या हालत होने वाली है।
अनुष्का : सॉरी यार गलती से निकल गया किसी को बताना मत। वैसे ये बता तू इतने आइडिया लाती कहां से है दिमाग में ये मुझे मालूम है मम्मी को अविनाश से चुदवाने और मम्मी की शादी अविनाश से कराने का आईडिया तेरा ही था।
तृप्ति : नहीं अविनाश दीप्ति को चोदना चाहता था। मैंने सिर्फ उसकी मदद की। हां शादी का आइडिया जरूर मेरा था जो अविनाश को बहुत पसंद आया था। और मैं तो शादी छोटी मोटी कराना चाहती थी लेकिन अविनाश ने ही इसे असली शादी का रूप दे दिया।
 
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अपडेट 37
अनुष्का : चलो जो भी हुआ अच्छा हुआ मम्मी भी खुश है इस शादी से नहीं तो जब तूने कहा था कि अविनाश मम्मी से बच्चे पैदा करना चाहता है तो देखा वो कैसे भडक उठी थीं।
तृप्ति : हां मालूम हैं। इसलिए तो शादी जरूरी थी। ताकि तेरी मां के पर पूरी तरह से काट दिए जाएं। वो फडफडा भी ना सके।
अनुष्का : लेकिन लगता नहीं है मां फडफडाने की कोशिश कर रही है।
तृप्ति: हां दीप्ति अपनी शादी को इंज्वैय कर रही है। और वो अविनाश को अपना असली पति मान रही है।
अनुष्का : तो क्या शादी झूठी थी।
तृप्ति : नहीं शादी पूरे रीति रिवाज से हुई है। इसलिए देखा जाए तो दीप्ति अविनाश की पत्नी ही हुई।
अनुष्का : चलो अब हम लोग सो जाते हैं। ये लोग तो पता नहीं कब सोएंगे। और फिर अनुष्का और तृप्ति सो जाते हैं। जीवन तो पहले ही सो चुका था। इधर रूम में दीप्ति की चीख सनते ही अविनाश एक दम से उसे पकड लेता है।
अविनाश : क्या हुआ जान, तुम इतनी जोर से चीखी क्यों
दीप्ति : वो बहुत दर्द हो रहा है कमर में बहुत तेज दर्द की लहर उठ रही है। बैठा भी नहीं जा रहा है।
अविनाश : तो खड़ा होने के लिए बोला किसने था। मुझसे भी तो कह सकती थी। रूको पहले मुझे कुछ देखने दो। और अविनाश बैग में से पैन किलर निकला है और फिर दीप्ति को खाने को देता है।
दीप्ति : ये आप कब लाए थे।
अविनाश : सुबह ही खरीदी थी मुझे मालूम था इसकी जरूरत पडेगी। अब चुपचाप पहले इसे खा ले इसके बाद बात कर लेना और दीप्ति अविनाश से पैन किलर लेकर खा लेती है।
दीप्ति : मुझे वॉशरूम जाना है। लेकिन कमर में बहुत दर्द हो रहा है।
अविनाश : ठीक है और अविनाश दीप्ति को अपनी गोद में उठा लेता है। दीप्ति भी अपनी बाहें अविनाश के गले में डाल देती हैं। दोनों इस समय पूरी तरह से नंगे थे। और अविनाश दीप्ति को लेकर वॉशरूम में पहुंचता है और दीप्ति को शॉवर के नीचे खडा कर शॉवर चालू कर देता है। शरीर पर ठंडा ठंडा पानी पडती ही दीप्ति को भी राहत मिलने लगती हैं अविनाश भी दीप्ति के साथ नहा रहा था और बीच बीच में वो दीप्ति को अपने से चिपका लेता था और उसे चूमने लगता था।


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अविनाश दीप्ति को दीवाल के सहारे खडा करता है और मुझसे चिपक जाता है मैं भी चूमा चाटी में अविनाश का पूरा साथ दे रही थी। तभी मुझे अपनी टांगों में कुछ चुभता दिखता हैं मैं समझ जाती हूं कि ये अविनाश का लंड है जो एक बार फिर खडा हो गया है। अविनाश का लंड इस समय मुझे डरा रहा था। क्योंकि अब मुझमें इतनी ताकत नहीं था कि अविनाश का लंड एक बार फिर अपनी चूत या फिर गांड में ले सकूं। मैं धीरे से अविनाश का लंड पकडती हूं और उससे कहती हूं


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दीप्ति : जान ये तो फिर खडा हो गया। अब क्या करोगे।
अविनाश : इसे तो तू ही शांत कर सकती हैं।
दीप्ति : मायूसी से अविनाश की ओर देखते हुए जान बहुत दर्द हो रहा है। मुंह, चूत और गांड तीनों ही दर्द कर रहे हैं। कमर में अलग से दर्द हो रहा है। और दीप्ति की आंखों में आंसू निकलने लगते हैं।
अविनाश : अरे यार मैंने ये तो नहीं कहाकि तू अपने किसी छेद में इसे ले ले। मुझे भी पता है कि मेरी बीबी इस समय तकलीफ में हैं। और मैं उसे और तकलीफ तो दूंगा नहीं। और अविनाश एक बार फिर दीप्ति को चूमने लगता है और मन ही मन सोचता है कि अब तो रात को लंड हिलाना ही पडेगा इसकी तो बैंड बज गई है।
अविनाश थोडी देर तक दीप्ति के साथ नहाता है और फिर शॉवर बंद कर टॉवल से अपना और दीप्ति का बदल पोंछता है। इसके बाद फिर दीप्ति को अपनी गोद में उठाकर विसतर पर ले आता हैं। विस्तर पर पहुंचकर एक बार फिर दीप्ति को वो अपनी बाहों में ले लेता है। दीप्ति के बाल गीले थे जो ठंडक का एहसास करा रहे थे।
अविनाश : जान एक बात पूछू सच सच बताना है।
दीप्ति : हां पूछिए आपको सच ही बताउंगी।
अविनाश : ये बता जब पहली बार तुझसे तृप्ति ने कहा कि मैं तुझे चोदकर बच्चे पैदा करना चाहता हूं तो तू भडक उठी थी। सच हैं ना।
दीप्ति : हां ये सही है मुझे उस समय आप पर इतना गुस्सा आ रहा था कि बता नहीं सकती वो तो अच्छा था कि उस समय आपका फोन नहीं लगा।
अविनाश : हां वो बात तो है लेकिन एक बात बता फिर तू अचानक कैसे बदल गई अब तू ना केवल मेरे बच्चे पैदा करने को तैयार है बल्कि मेरी हर इच्छा पूरी करने के लिए तू ऐसे जुटी हुई है जैसा कोई अपने मालिक को खुश करने की कोशिश करता है।
दीप्ति : क्यों आपको अच्छा नहीं लग रहा मेरा ऐसा करना और दीप्ति अविनाश की आंखों में देखने लगती है।
अविनाश : नहीं ऐसी बात नहीं हैं मैंने सपनों में भी नहीं सोचा था कि मुझे तेरा प्यार भी मिलेगा। मैं तो ये सोच रहा था कि तू मजबूरी में मेरे साथ सेक्स करेगी। और जब तेरा प्यार मिला तो अब सोच रहा हूं कि कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा हूं।
दीप्ति : शरमाते हुए आप भी ना।
अविनाश : अरे तुमने मेरे सवाल का जवाब तो दिया नहीं।
दीप्ति : देखिए मैं बोलू तो आप मुझे बीच में रोकना नहीं।
अविनाश : ठीक है तुम बोलना शुरू करो।


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दीप्ति : देखिए जब तृप्ति ने आपकी शर्त बताई तो गुस्सा आया था लेकिन तृप्ति और अनुष्का की मजबूरी और उनकी बातों के बाद मैंने अपने गुस्से पर कंट्रोल भी कर लिया था। बाद में अनुष्का की हालत मुझसे देखी नहीं गई और मैंने खुद को अपनी बेटी के लिए कुर्बान करने का फैसला कर लिया। मैंने सोचा था कि आप मुझे किसी बाजरू औरत की तरह सेक्स का साधन समझेंगे और मुझसे अपने बच्चे पैदा कर लेंगे। लेकिन आप तो कुछ और ही सोचे बैठे थे। जब आपसे शादी वाली बात तृप्ति ने कही तो मुझे झटका लगा और मैं इसके लिए तैयार नहीं थी लेकिन पूरा घर इसके लिए तैयार हो गया। तो मैंने भी हामी भर दी। लेकिन मुझे सबसे बड़ा झटका तब लगा जब जीवन मेरा कन्यादान करने को तैयार हो गया। जीवन ने एक झटके में ही मुझे अपने जीवन से निकाल दिया। उसी समय मैने फैसला कर लिया था कि अब तुम्हारे उपर है आप मुझे किस रूप में स्वीकार करोगे। आप जिस रूप में मुझे स्वीकार करेंगे मैं उसे ही स्वीकार कर लूंगी। आप यदि कहेंगे कि जीवन से कोई संबंध नहीं रखना है तो नहीं रखूंगी। आपने मुझे अपनी पत्नी का ही दर्जा दिया। जिसकी उम्मीद मुझे बिल्कुल भी नहीं थी। जब आपने मुझे अपनी पत्नी का दर्जा दिया तो मैंने भी फैसला कर लिया था कि एक अच्छी पत्नी बनकर दिखाउंगी। इसलिए आपको मेरे पहले और इस समय वाले रूप में अंतर दिखाई दे रहा है।
अविनाश : दीप्ति को अपनी बाहों में भींच लेता है और कहता है कि तेरा ये पति तुझे जिंदगी भर प्यार करेगा। दीप्ति भी अविनाश से लिपट जाती हैं। और दोनों ऐसे ही सो जाते हैं।


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अपडेट—38
सुबह करीब 9 बजे अविनाश की आंख खुलती है तो वो देखता है कि दीप्ति विस्तर पर नहीं है। अविनाश आंखें खोलता है और देखता है तो दीप्ति हकीकत में वहां नहीं थी। अविनाश उठता है और सीधा फ्रेश होने जाता है। जब वो वॉशरूम से निकलता है तो देखता है कि दीप्ति कमरे में थी।
अविनाश : अरे सुबह सुबह कहां चली गई थी।
दीप्ति : अरे हम औरतों को सुबह बहुत काम होता है। चलिए आप जल्दी से नहा धो लीजिए सभी लोग आपका इंतजार कर रहे हैं नाश्ते पर। मैं कपडे निकाल कर दे देती हूं।
अविनाश : तुम्हें मालूम था कि मैं उठ चुका हूं।
दीप्ति : नहीं वो तो तृप्ति के चक्कर में आ गई सुबह से दिमाग खराब कर दिया है।
अविनाश : क्यो कुछ अल्टा बोल रही थी क्या मुझे बताओं एक बार में ही सही कर दूंगा।
दीप्ति : नहीं वो बात नहीं है।
अविनाश दीप्ति को अपनी बाहो में भर लेता है और उसके होठों पर अपने होठ रख देता हैं दोनों के बीच किस चल रही थी कि अचानक तृप्ति वहां पहुंच जाती हैं और खांसते हुए कुछ तो शर्म कर लो। तृप्ति की आवाज से दोनों अलग हो जाते हैं।
तृप्ति : अरे आपको भेजा था अविनाश को जगाने के लिए लेकिन आप तो यहां किसी और ही काम में बिजी हो गईं। चलो अब अपना काम जल्दी खत्म कर बाहर आ जाना मैं चलती हूं। और तृपि वहां से चली जाती हैं।
दीप्ति: आप भी चलिए जल्दी तैयार होईए मैं भी जाती हूं। और दीप्ति अविनाश की बाहों से निकलकर उसके कपडे बेड पर रखती है और बाहर चली जाती है।
दूसरी ओर तृप्ति दीप्ति की सुबह से ही टांग खींचने में लगी थी।
तृप्ति : अरे दीप्ति (अकेले में तृप्ति दीप्ति को दीप्ति और सबके सामने मम्मी बोलती थी) ये बता रात को अविनाश ने तुझे बुरी तरह से मारा पीटा था क्या।
दीप्ति : क्या बात कर रही है उन्होंने मुझ पर हाथ नहीं उठाया।
तृप्ति : तो फिर तू चींख चींख कर पूरे शहर को क्यो सोने नहीं दे रही थी।
तृप्ति की बात सुनकर दीप्ति शरमा जाती है वो समझ जाती है कि तृप्ति उसकी चुदाई की बात कर रही है।



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तृप्ति : अरे तुमने जवाब नहीं दिया मेरे सवालों का।
दीप्ति : तू ना मेरे हाथों मार खाएंगी।
तृप्ति : लो सवाल पूछ लो तो मैडम मारने की बात करने लगती हैं। चलो मैं अविनाश से ही पूछ लूंगी।
दीप्ति : पागल हो गई है क्या तू, तुझे पता नहीं है रात को क्या हुआ था।
तृप्ति : अब तुम बताओगी नहीं तो कैसे पता चलेगा।
तभी अनुष्का वहां आ जाती है और कहती है भाभी आप क्यो मम्मी को परेशान कर रही है।
तृप्ति : अरे मैं क्यो परेशान कर रही हूूं और अनुष्का को आंख मारते हुए, मैं तो सिर्फ ये पूछ रही थी कि क्या रात को अविनाश ने मारपीटा था जो कमरे से चींखने चिल्लाने की आवाजें आ रहीं थी।
अनुष्का : हां मम्मी मैंने भी सुनी थीं। पहले तो एक दो बार आई फिर करीब एक डेढ घंटे बाद बहुत जोर जोर की चींखने की आवाजें आई थीं।
दीप्ति समझ जाती है अनुष्का उसकी गांड चुदाई की बात कर रही है।
दीप्ति : तुम लोग मेरे हाथों से मार खाओगे तभी रोहित की आवाज आती है अरे नाश्ते में कितना समय है।
तृप्ति : बस दस मिनिट अविनाश और आ जाए।
रोहित : लो अविनाश भी आ गया चलो जल्दी नाश्ता तैयार कर लो।
तृप्ति : ठीक है और दीप्ति से कहती है कि मैडम हम लोग दो ढाई घंटे बाद निकल रहे हैं। आप तो रात को अविनाश के साथ सुहागरात मना रहीं थी इसलिए आपका बैग हमने पैक कर दिया हैं। आपकी शादी वाला लहंगा भी हमने रख लिया है।
दीप्ति : क्या लेकिन बात तो रात को चलने की थी।
तृप्ति : हां लेकिन प्रोग्राम चेंज हो गया। क्योंकि रात को निकलेंगे तो सभी की नींद खराब हो जाएगी गाडी में कोई सो भी नहीं पाएंगे। इसलिए सुबह निकलने रहे हैं। जिससे शाम को पहुंच जाएंगे। और पापाजी कल आराम से आफिस चले जाएंगे।
दीप्ति : ठीक है और उसका चेहरा लटक जाता है। और कहती है मैं फिर अविनाश का बैग पैक कर देती हूं।
तृप्ति : अरे उसकी जरूरत नहीं है।
दीप्ति क्या तुमने उसका बैग भी पैक कर दिया।
तृप्ति : नहीं उसका बैग पैक करने की जरूरत नहीं है क्योंकि अविनाश हमारे साथ नहीं जा रहा है।
दीप्ति : क्या तुम लोग उन्हें साथ नहीं ले जा रही तो मैं भी नहीं जाउंगी।
तृप्ति : ठीक है तुम भी मत चलो, लेकिन तुम्हारे कपडे मैं ले जा रही हूं।
दीप्ति : ऐसे कैसे मेरा बैग ले जाओगी।
तृप्ति : इसलिए क्योंकि आपके कपडे मैंने पापा के बैग में लगा दिए हैं। अब आप उनके बैग से अपने कपडे निकाल लीजिए।
दीप्ति : तृप्ति को गुस्से से देखती है लेकिन तृप्ति उसे नजर अंदाज करते हुए नाश्ता टेबिल पर लगाना शुरू कर देती हैं। फिर सभी लोग अपनी अपनी कुर्सियों पर आकर बैठ जाते हैं। अविनाश के एक ओर अनुष्का और दूसरी ओर तृप्ति बैठ जाती हैं। अविनाश भी दोनों को घूर कर देखता है लेकिन दोनों कुर्सी से उठती नहीं हैं। दीप्ति जब आती है तो अविनाश के दाएं बाएं की कुर्सी भरी देखती हैं तो मजबूरन वो अविनाश के सामने वाली कुर्सी पर बैठ जाती हैं। लेकिन उसकी कोशिश होती है कि वो जीवन से दूर ही रहे इसलिए वो रोहित के बगल में बैठ जाती हैं। दीप्ति नाश्ता करते हुए लगातार तृप्ति को गुस्से से देख रही थी। जैसे कह रही हो अकेले में मिल तब तेरी खबर लेती हूं। उधर तृप्ति मन ही मन मुस्कुरा रही थी। तभी तृप्ति बोलना शुरू करती हैं।
तृप्ति : पापा जी हम लोग दो घंटे बाद निकल रहे हैं।
जीवन : हां तृप्ति हम लोग जल्दी निकलेंगे जिससे शाम तक पहुंच जाएं।
अविनाश जब ये सुनता है और तृप्ति की ओर देखता है तो तृप्ति अपना एक हाथ उसकी जांघ पर रखकर दबा देती हैं उसका इशारा था कि अविनाश शांत रहे। दूसरी ओर किसी ने अभी ये नोट नहीं किया था कि जीवन ने तृप्ति को बहू की जगह तृप्ति बोला है। सिर्फ अनुष्का ने इसे नोट कर लिया था।
तृप्ति : पापा जी एक बात बोलू
जीवन : हां बोलो
तृप्ति : पापा जी इन लोगों की कल ही शादी हुई है सुहागरात भी हो गई।
सुहागरात का नाम सुनकर दीप्ति शरमा जाती है और तृप्ति की ओर आंखे बडी कर गुस्से से देखने लगती है। लेकिन तृप्ति रुकती नहीं हैं।
तृप्ति : लेकिन पापा जी ये लोग हनीमून पर तो गए हैं। हम लोग यहां है ये जगह बहुत अच्छी है और आपने कहा था ये मकान हम लोगों के पास पूरे एक महीने के लिए हैं। जगह हैं रहना का ठिकाना भी हैं। बात सिर्फ खाने पीने की है तो शहर पास में ही हैं वहां जाकर आराम से खा पीकर आदमी आ सकता हैं। इसलिए मैं कह रही थी इन दोनों के हनीमून के लिए ये जगह बेस्ट रहेगी। तू क्या बोलती है अनुष्का
अनुष्का : बिल्कुल भाभी सच कहूं तो आपने मेरे मुंह की बात छीन ली। मम्मी और अविनाश एक दूसरे को अच्छी तरह से समझ भी लेंगे। वैसे भी सिर्फ उन्हें एक दूसरे को समझने के लिए रात ही मिली हैं।
तृप्ति : अविनाश तुम अपना विचार बताओ, तुम यहां अपनी बीबी के साथ रहना चाहोगे या कहीं और का प्रोग्राम हैं।
अविनाश : नहीं ये जगह बहुत खूबसूरत हैं मैं तो यहां कुछ दिन रहना चाहता था लेकिन जब आप लोगों ने कहा कि चलना है तो मैंने मना नहीं किया।
तृप्ति : तो ठीक है हम लोग जा रहे हैं तुम अपनी बीबी के साथ यहंा कुछ दिन मौज करो। और तृप्ति जीवन की ओर देखते हुए आंखों से इशारा कर देती हैं कि यदि उसे चूत चूसनी हैं तो वो भी हां कर दे।
जीवन तृप्ति का इशारा समझ जाता है और बोलता है। हां अविनाश तृप्ति सही कह रही है तुम लोग 8-10 दिन यहां रह सकते हैं। उसके बाद जब वापस आना हो मैं गाडी भेज दूंगा।
अविनाश : नहीं अंकल जी गाडी की जरूरत नहीं है मेरे पास बाइक हैं। और यहां कही भी जाना हो तो बाइक ही सबसे अच्छा साधन रहेगी।
जीवन : ठीक है तो तुम लोग बाद में आ जाना।
जैसे ही ये बात फायनल हुई कि दीप्ति अविनाश रूक रहे हैं दीप्ति का खुशी के मारे उछलने का मन करने लगा। वो तृप्ति को मन ही मन दुआएं दे रही थी। थोडी देर में सभी लोग नाश्ता कर लेते हैं। तृप्ति और दीप्ति सामान समेटने में लग जाती हैं। किचिन में पहुंचकर दीप्ति तृप्ति को अपने गले लगा लेती हैं। और उसकी आंखों में आंसू आ जाते हैं।
तृप्ति : अरे दीप्ति क्यो रो रही हैं।
दीप्ति : यार मैं जब भी तुझे गलत समझती हूं तो तू मेरे लिए इतना बडा काम कर जाती है कि समझ नहीं पाती कि तू मेरी नजरों में अपनी छवि बुरी क्यो बनाना चाहती है जब कि तू इतनी अच्छी है।
तृप्ति : अच्छा तो मैडम के साथ मैने कब और क्या बुरा किया। इतना अच्छा लडका दिया। अब हनीमून भी बनावा रही हूं। सुहगरात मनवा चुकी हूं। फिर भी मेरी छवि खराब बन रही है आपकी नजरों में। इससे अच्छा तो आपके लिए कुछ करूं ही नहीं। और मुंह घुमा कर खडी हो जाती है।
दीप्ति : यार गुस्सा मत हो, देख तुम जैसे अविनाश के बगल में बैठ गई थी उससे गुस्सा तो आना ही चाहिए था। लेकिन मुझे ये नहीं पता था कि तुम इतना बडा सरप्राइज तैयार किए बैठी हो। यार सॉरी माफ नहीं करेगी अपनी दोस्त को।
तृप्ति : एक शर्त पर
दीप्ति : क्या
तृप्ति : जिंदगी भर दोस्त बनकर रहोगी।
दीप्ति तृप्ति के गले मिलते हैं। प्रॉमिस
तृप्ति : चल अब मुझे जल्दी जल्दी काम पूरा करने दो तुम्हें तो यहां रूकना है लेकिन हमें तो निकलना है।
दीप्ति : लेकिन तुमने मेरे कपडे क्यो जीवन के बैग में रखवा दिए।
तृप्ति : वो इसलिए क्योंकि आपके पति का आदेश था।
दीप्ति : क्या इनका या तू जीवन की बात कर रही है।
तृप्ति : जी हां इनका की बात कर रही हूं, जीवन की नहीं।
दीप्ति : देख तू फिर मार खाएगी। सच सच बता क्या बात है।
तृप्ति : देख तुम घर से साडी बगैरह लाई हो और अविनाश ने कहा कि वो तुम्हें मॉर्डन कपडों में देखना चाहता है।
दीप्ति : लेकिन वो कपडे तो घर पर हैं बहुत रखे हैं ये कहेंगे तो घर पर वो कपडे ही पहनूंगी लेकिन यहां के लिए तो कुछ चाहिए।
तृप्ति : इसलिए तो अरे अविनाश तुम्हें शॉपिंग कराने ले जाएगा। वो तुम्हें जो कपडे दिलवाएगा तुम्हें तो अब वो ही पकडे पहनने होंगे। और दूसरा इस घर के अंदर की बात तो मैडम जी ये समझ लो कि आपको दस इस दिन घर के अंदर नंगी ही रहना है मुझे नहीं लगता अविनाश तुम्हें कपडे पहनने देगा।
दीप्ति तृप्ति को आंखे दिखाते हुए तू बहुत बोलने लगी है। और फिर तृप्ति अपने कमरे में चली जाती है। और दीप्ति भी अपने रूम में पहुंच जाती हैं। और अविनाश से लिपट जाती है।
दीप्ति : जान तुमने बताया नहीं कि हमारा यहां रूकने का प्रोग्राम है क्योंकि तृप्ति की बातों से तो लग रहा था कि तुम्हें पता था।
अविनाश : मेरे गाल पर एक किस लेते हुए। हां पता था लेकिन मैं तुम्हें सरप्राइज देना चाहता था। पहले सोचा कि मैं ये बात बोलू लेकिन फिर लगा कि यदि मैं बोलूंगा तो तुम कहोंगी कैसा बेशर्म पति मिला है जो उसके घरवालों के सामने कह रहा है कि मुझे अपानी बीबी के साथ हनीमून मनाना है। और दीप्ति अविनाश से लिपट जाती हैं। तभी कमरे में एक बार फिर तृप्ति आ जाती है।
तृप्ति : अरे कुछ तो शरम कर लो, हम लोगों को निकल जाने तो फिर कुछ भी करते रहना। और मम्मी जी अपनी बेटी से भी मिल लो। फिर दस दिन बाद मिलेगो। पति तो साथ में ही रहेगा।
दीप्ति : शरमते हुए अविनाश से कहती है कि मैं अनुष्का से मिलकर आती हूं। दीप्ति जैसे ही बाहर निकलती है तृप्ति अपना कुर्ता उतार देती है। वो कुर्ते के नीचे पूरी नंगी थी।
अविनाश : तेरे में बहुत खुजली मची रहती हैं।
तृप्ति : हां अविनाश मैं बहुत प्यासी हूं। प्लीज कुछ करो।
अविनाश : ठीक है यहां से लौटने के बाद दूसरे ही दिन तेरी मुुराद पूरी कर दूूंगा। अभी तो चाटकर ही काम चलना होगा। वैसे दूसरे काम का क्या हुआ।
तृप्ति वो भी हो जाएगा। जीवन अब मेरी मुठ्ठी में हैं। उसे अपनी चूत का पानी भी पिला चुकी हैं वो भी डायेक्ट।
अविनाश : साली तो भागती बहुत तेज है।
तृप्ति : अब तुम दीप्ति को जल्दी से प्रेगनेंट कर दो ताकि अनुष्का से तुम्हारी शादी जल्दी हो सके।
अविनाश : कोशिश तो करूंगा ही। अविनाश अविनाश तृप्ति को विस्तर पर पटक देता है और 69 पोजीशन में आ जाता है।


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तृप्ति : अविनाश का लंड निकालकर चूसते हुए एक जीवन का लंड है जिसे पकडो वैसे ही पिचकारी छोड देता है और एक तेरा लंड है आज तक मैं इसकी पिचकारी नहीं निकाल पाई।
अविनाश : तृप्ति की चूत चाटते हुए। चिंता मत कर बहुत जल्दी तेरी चूत, गांड और मुंह तीनों में इसकी पिचकारी छूटेगी।
तृप्ति : क्या गांड भी मारोगे। दीप्ति की मारी थी तो उसकी चींख पूरे शहर में गू रही थी मेरा क्या हाल होगा।
अविनाश : तीन दिन विस्तर से नहीं उठेगी और क्या लेकिन तेरी गांड जरूर मारूंगा।
तृप्ति : ठीक है मार लेना, वैसे मैं तो तेरी होने वाली ही हूं मेरी ओर से तो सिग्नल क्लीयर है तू ही मुझे कली से फूल नहीं बना रहा।
अविनाश : चिंता मत कर यहां से घर पहुंचने दे दूसरे दिन ही ये कली फूल बन जाएगी।
तृप्ति : ठीक है मुझे इंतजार रहेगा। और तभी तृप्ति की एक चीख निकलती है और वो झड जाती है।
तृप्ति फिर कपडे पहती है और अपने कमरे में चली जाती हैं। थोडी देर में सभी लोग जाने के लिए तैयार खडे थे। अनुष्का अपनी मम्मी यानी मुझसे लिपट कर रो रही थी। पहली बार वो अपनी मम्मी से दूर हो रही थी।
अनुष्का : मम्मी अपना ख्याल रखना और फोन करती रहना।
दीप्ति : बिल्कुल बेटा और तू भी अपना ख्याल रखना। और दीप्ति तृप्ति से कहती है कि अनुष्का में अभी बचपना है तू समझदार है तू इसका ध्यान जरूर रखना।
तृप्ति : ये भी कोई कहने वाली बात है अनुष्का तो मेरी छोटी बहन हैं। उसका ख्याल नहीं रखूंगी तो किसका रखूंगी। और फिर सभी लोग गाडी में बैठ जाते हैं और निकल जाते हैं। उन लोगों के निकलते ही अविनाश घर का दरवाजा अंदर से बंद करता है और दीप्ति को अपनी गोद में उठा लेता है और कमरे की ओर चल देता है। दीप्ति समझ गई थी कि उसकी चुदाई होने वाली है और वो इसके लिए तैयार भी थी।
 
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अविनाश ने मुझे गोद में उठा रखा था। मेरी बाहें अविनाश के गले में लिपटी हुईं थी और मेरे होठ अविनाश के होठों से चिपके हुए थे। अब हमें किसी का डर नहीं था। क्योंकि पूरे घर सिर्फ हम दो लोग थे। अविनाश मुझे लेकर धीरे धीरे उसी कमरे में बढ रहा था जिसमें मेरे साथ अविनाश यानी मेरे पति ने सुहागरात मनाई थी। मुझे मालूम था कि अब मेरी फिर से चुदाई होने वाली हैं। और सच बोलूं तो मेरा भी मन था कि अविनाश मेरी जमकर चुदाई करे। लेकिन मुझे गांड में अभी भी दर्द हो रहा था। थोडी देर में अविनाश मुझे लेकर कमरे में पहुंच जाता है। अविनाश के आगे मेरा शरीर किसी फूल की तरह था जो मुझे बडे आराम से अपनी बाहों में उठाए हुए था। अविनाश विस्तर पर पहुंचकर मुझे धीरे से विस्तर पर लिटा देता है।


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अविनाश : दीप्ति तुझे डर तो नहीं लग रहा अकेले मेरे साथ रहने में।
दीप्ति : डर किस बात का मेरा पति मेरे साथ है। जब आप मेरे साथ है तो मुझे किसी बता का डर नहीं हैं। अब आप मुझे ऐसे ही प्यार करते रहिए।
अविनाश : हां प्यार तो तुझे करूंगा ही। और अब दस दिन तक तू घर में नंगी ही रहेगी। तूझे कपउे नहीं पहनने दूंगा।
दीप्ति : हंसते हुए, वो तो वैसे भी रहना पडेगा। क्योंकि मेरे सारे कपडे तो तृप्ति अपने साथ ले गई है। जो कपडे पहने हुए हूं उसके अलावा एक जोडी कपडा और है। ब्रा पेंटी तो सिर्फ इस समय पहने हुई हूं वो ही हैं। ऐसे में तो अब नंगी ही रहना है। वैसे ये तृप्ति भी मुझे बहुत परेशान करती है। लेकिन मेरा ख्याल भी बहुत रखती है। उसे के कारण आज मुझे इतना मजा मिल रहा है। लेकिन तृप्ति कह रही थी कि आपने ही उससे कहा था कि मेरे सारे कपडे ले जाने के लिए।
अविनाश : मेरे होठों को चूसते हुए, हां मैंने ही कहा था


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दीप्ति : क्यो क्या अपने से ही मुझे पूरे दस दिन नंगी रखना का प्लान बना लिया था। आपकी इच्छा है तो आप पहले ही कह देते। मैं खुद ही नंगी रहने को तैयार हूं।
अविनाश : नहीं मेरी जान बात वो नहीं है। बात ये है कि तू सिर्फ साडियां लेकर आई थी। और अपने हनीमून पर मैं चाहता हूं कि तु मुझे रिझाए और इतने छोटे कपडे पहनकर मेरे साथ बाजार चले कि तुझे लोगबाग कोई बाजारू रंडी समझे।
दीप्ति : क्या आप मुझे लोगों के सामने रंडी बनाओगे।
अविनाश : नहीं मैंने कहा कि बाजारू रंडी समझे लेकिन ये रंडी बाजारू नहीं बल्कि पर्सनल होगी। मेरी जान सिर्फ मेरी हैं।
दीप्ति : मुस्कुराते हुए आपके लिए तो मैं कुछ भी बनने को तैयार हूं। लेकिन अब पहनने के लिए कपडे.
अविनाश : अरे जान अभी थोडी देर बाद चलेंगे बाजार फिर तुझे मैं अपनी पसंद के कपडे दिलाउंगा।
दीप्ति : मुस्कुराते हुए ठीक है। लेकिन एक बात और मैं जो नाइटी लाई थी वो तो आपकी मतलब की ही थी। उसमें तो मैं नंगी ही दिखती थी आपने उसे भी वापस भेज दिया।
अविनाश : यार नाइटी की क्या जरूरत, घर के अंदर तुझे कौन से कपडे पहनने हैं। और पहनों की तो दिन में रात को भी क्या कपडे पहनने की जरूरत है।
दीप्ति : वैसे तो दिन में भी नहीं है, यदि घर में हैं तो और रात को तो मुझे सिर्फ तुम्हारा प्यार चाहिए और बीच में कोई दीवार नहीं चाहिए। इस बीच अविनाश मेरी साडी उतार चुका था और अब उसका हाथ मेरे ब्लाउज के हुकों को खोल रहा था। एक के बाद एक मेरी ब्लाउज के हुक खुलते चले गए और जब सभी हुक खुल गए तो मैंने खुद अपनी ब्लाउज को अपने शरीर से अलग कर दिया। थोडी ही देर में मैं अविनाश के सामने पूरी नंगी पडी हुई थी।
अविनाश : जान तेरी गांड का दर्द अब कैसे हैं।


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दीप्ति : अब बहुत राहत हैं, लेकिन जान अभी गांड मत मारना नहीं तो दर्द फिर बढ जाएगा। तुम चाहों तो रात को मेरी गांड एक बार मार लेना। प्लीज मेरी बात मानोगे।
अविनाश : जान इसमें ऐसा कौन सी बात है जो नहीं मानी जाए। दर्द हो रहा है तो तुझे तकलीफ थोडे ही दूंगा हां आज रात के बाद मुझे जब भी जरूरत होगी तब तू अपनी गांड खोलकर मेरे लंड का स्वागत करेगी।
दीप्ति : मेरी जान आप मेरे इस जिस्म के मालिक हैं आपकी जो इच्छा हो मैं उसे पूरी करूंगी बस अभी के लिए गांड को छोड दो बाकी आप जो चाहें वो कर सकते हैं। और इसके साथ मैं अविनाश को चूमने लगती हूं। अविनाश भी मेरा पूरा साथ दे रहा था फिर अविनाश मुझसे अलग होता है और अपने पूरे कपडे उतारकर नंगा हो जाता है। और मेरे उपर आ जाता है अविनाश अबा मेरे होठ चूस रहा था साथ ही साथ मेरे मम्मे ब्रा के उपर से दबा रहा था। फिर अविनाश मुझे थोडा उपर उठता है और अपना हाथ पीछे ले जाकर मेरी ब्रा की स्टेप खोल देता है ब्रा मेरे कंधो पर लटक जाती है जिसे अविनाश आगे से खींचकर उतार देता है। अब अविनाश मेरी गर्दन को चूमते हुए मेरी चूचियों तक पहुंचता है और उन्हें चूसने लगता है जिससे मेरे मुंह से सिसकियां निकलना शुरू हो जाती है।


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अविनाश फिर मेरे चूचियों को छोडकर नीचे की ओर जाता है और मेरे पेट को चूमता है फिर नाभी को चूसने लगता है वो नाभी में अपनी जीभ डालकर उसे चाटने लगता है। जिससे मैं बहुत गरम हो जाती हूं और आहह हहहह आहहह ओह्ह ओह्ह! आहह हहहह आहहह ओह्ह ओह्ह! आहह हहहह आहहह ओह्ह ओह्ह! करने लगती हूं। लेकिन आज अविनाश को कोई जल्दी नहीं थी। क्योंकि उसे पता था कि अब मैं पूरी तरह से उसकी हो चुकी हूं। तन से भी और मन से भी। और समय तो उसके पास था ही।


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कोई रोक टोक भी नहीं थी। अब अविनाश मुझसे चूमते हुए नीचे पहुंचा और मेरे पेटीकोट के नाडे को एक झटके से खोल दिया। मैंने तुरंत ही अपनी गांड को उपर उठाया जिससे अविनाश ने आसानी से मेरे पेटीकोट को मेरी टांगों से निकाल दिया और विस्तर के एक कौने पर रख दिया। अब मैं सिर्फ पेंटी में थी। और अविनाश पेंटी के उपर से ही मेरी चूत चाट रहा था। मैंरी सिसकियां पूरी कमरे में गूंज रही थी। उ उ उ उ उज्ज्अअअअअ आआआआ सी सी सी सी.. ऊँ ऊँऊँ.. उ उ उ उ उज्ज्अअअअअ आआआआ सी सी सी सी.. ऊँ ऊँऊँ.. उ उ उ उ उज्ज्अअअअअ आआआआ सी सी सी सी.. ऊँ ऊँऊँ.. मेरी सिसकियां सुनकर यदि कोई घर में होता तो वो समझ जाता कि मैं अविनाश से चुद रही हूं। लेकिन घर में कोई नहीं था इसलिए मैं पूरा मजा लेने के मूढ में थी। और फिर अविनाश ने अपने दोनों हाथ से मेरी पेंटी के दो छोर पकडे और उसे खींचना शुरू कर दिया। मैंने भी अविनाश का साथ दिया ओर एक बार फिर मेरी गांड हवा में उठ गई जिससे अविनाश को पेंटी उतारे में आसानी हुई।


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और अविनाश ने अपना मुंह मेरी चूत के उपर रख दिया। जिससे मेरी सिसकी फिर से निकलने लगी उ उ उ उ उज्ज्अअअअअ आआआआ सी सी सी सी.. ऊँ ऊँऊँ.. उ उ उ उ उज्ज्अअअअअ आआआआ सी सी सी सी.. ऊँ ऊँऊँ.. उ उ उ उ उज्ज्अअअअअ आआआआ सी सी सी सी.. ऊँ ऊँऊँ.. हां जान ऐसे ही चूसते रहो ऐसी हैं मैं हवा में उड रही थी। मुझे कोई चिंता नहीं थी। उ उ उ उ उज्ज्अअअअअ आआआआ सी सी सी सी.. ऊँ ऊँऊँ.. उ उ उ उ उज्ज्अअअअअ आआआआ सी सी सी सी.. ऊँ ऊँऊँ.. बहुत मजा आ रहा है। इतना मजा जिंदगी में कभी नहीं मिला जान उ उ उ उ उज्ज्अअअअअ आआआआ सी सी सी सी.. ऊँ ऊँऊँ.. अविनाश भी पूरी मन से मेरी चूत चाटने में जुटा हुआ था मेरा हाथ अपनी आप ही अविनाश के सिर के उपर पहुंचकर गया और में अविनाश का सिर पकडकर अपनी चूत पर दबाने लगी और अपनी चूत भी उठाकर अविनाश के मुंह के अंदर धकलने लगती हूं।




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अविनाश : जान तेरी चूत बहुत टेस्टी हैं। और अविनाश एक बार फिर अपने होठ मेरे होठों से चिपका देता है उसके मुंह में अभी भी मेरी चूत का पानी था जिसका स्वाद अब मुझे भी आ रहा था। जान कैसा लगा तुझे अपनी चूत का पानी।
दीप्ति : आप भी ना मुझे पूरा बेशर्म बनाकर छोडोगे।
अविनाश : यदि तू मेरे लिए बेशर्म बन रही है तो मुझे चिंता नहीं है लेकिन और किसी के साथ बेशर्मी करेगी तो।
दीप्ति : अविनाश को आंखों दिखाते हुए, और किसी के सामने से क्या मतलब है आपका, मेरा शरीर सिर्फ आपका है और किसी का नहीं और आगे से ऐसा बोलना भी नहीं।
अविनाश : तू क्या सोचती है कि मैं तुझे अब किसी और की बाहों में देख सकता हूं। कभी नहीं, ऐसा अब कभी नहीं होगा यहां तक कि जीवन भी अब तुझे अपनी बाहों में नहीं ले सकता। हां मेरे करने पर तेरे कपडे उतार सकता है तुझे नंगा कर सकता है और तेरी चूत चाटकर मेरे लंड के लिए तैयार कर सकता है। जब मैं तेरी चुदाई कर लूं तो तेरी चूत चटकर साफ कर सकता है। बस लेकिन इसके आगे जीवन कुछ भी नहीं कर सकता।
दीप्ति : क्या आप मेरी चूत उससे चटवाएंगे और वो भी तब जब आपका माल मेरी चूत के अंदर होगा।
अविनाश : हां ये उसकी सजा होगी। जो उसने मेरी जान को इतने दिन प्यासा रखने की सजा दी है। इसके अलावा जीवन तुझे हाथ भी नहीं लगा पाएगा। और जो कुछ भी जीवन करेगा। वो सब मेरे सामने होगा। मेरे र्पीछे तू उसे अपने पास फटकने भी नहीं देगी।
दीप्ति : मैं तो वैसे ही उसे अब अपने पास नहीं आने दूंगी। लेकिन आपकी जो इच्छा है उसे पूरा करने मेंजरूर आपका साथ दूंगी।
अविनाश : फिलहाल तो मेरी इच्छा कुछ और हो रही है और अविनाश अपना लंड मेरे मुंह के सामने ले ले आता है। मैं समझ जाती हूं कि अविनाश क्या चाहता है और मैं भी अविनाश के लंड को अपने हाथ से पकड लेती हूं। पहले हाथों से उसे सहलाती हूं और फिर धीरे धीरे उस पर अपनी जीभ फिराती हूं और फिर लंड के टोपे को जीभ से चाटने लगती हूं। और लंड धीरे धीरे मुंह के अंदर लेना शुरू कर देती हूं। चार इंच लंड अंदर लेने के बाद मैं उसे अपने मुंह के अंदर बाहर करके चूसने लगती हूं।


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कुछ देर मेरे सुपारे चाटने के बाद मैंने अविनाश का पूरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। जिससे अविनाश की आह निकल गई। मैं समझ गई कि अविनाश को बहुत मजा आ रहा है। अब मैं अविनाश केे लण्ड को अपने हाथों में लेकर हिला-हिला कर चूस रही थी, मानो मुझे बहुत दिनों के बाद लॉलीपॉप मिला हो।
अविनाश बोल रहा था कि 'हाय, बहुत मजा आ रहा है। अविनाश का लंड झटके मार रहा था, उसकेे लण्ड में तूफ़ान मचा हुआ था और मेरी जीभ उसकेे लण्ड को और उत्तेजित कर रही थी। मुझे भी अविनाश का लंड चूसना अब अच्छा लगने लगा था। अविनाश के मुंह से बस ये ही शब्द निकल रहे थे। दीप्ति अब तू और मैं ही इस घर में हैं। और तूने आज पहले ही दिन मुझे खुश कर दिया। तू बहुत अच्छे से मेरा लंड चूस रही हो। अविनाश के ऐसा कहने से मैं उसका लंड और मुंह के अंदर लेकर चूसने लगती हूं।


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करीब 10 मिनट तक में अविनाश के लंड को चाटती रही और मैं उसके बालों को सहलाता रहा। मैं अविनाश के लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसे जा रही थी। मुझे कुछ भी होश नहीं था। आज अविनाश को मेरे मुंह में लंड डालकर धक्के देने की जरूरत नहीं पड रही थी क्योंकि मैं खुद ही उसके लंड को पूरा का पूरा अंदर लेने की कोशिश कर रही थी। अविनाश बस मेरे सिर पर अपना हाथ घुमा रहा था। मेरे द्वारा अविनाश के लंड की चूसाई से लंड एकदम चिकना और चमकदार दिखाई दे रहा था। अविनाश ने एक बार फिर मुझे गोद में उठाया और विस्तर पर पटक लिया। और मेरे उपर आकर मेरे होठों को चूसने लगा।
अविनाश : दीप्ति डार्लिंग तुम नहीं जानती मैं आज कितना खुश हूं। तुमने आज मुझे खुश कर दिया हैं।


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दीप्ति : ये तो मेरा फर्ज है अपने पति को सभी खुशियां देने का।
अब अविनाश मेरे होठ चूस रहा था तो कभी चूचियों को चूसने लगता। मेरी रसभरी चूचियां अविनाश एक हाथ से दबा रहा था तो दूसरे को मुंह में रखकर चूस रहा था। मैंने अविनाश से कहा जान कितना भी चूस लो लेकिन इनमें दूध नहीं आएगा।
अविनाश : जान आएगा जरूर आएगा लेकिन वक्त लगेगा शायद नौ महीने बाद ही इनमें दूध आ जाए। तब तो इन्हें जमकर पियूंगा।


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दीप्ति : क्या इतनी जल्दी मां बना दोगे लेकिन अनुष्का का क्या होगा फिर।
अविनाश : उसकी चिंता तू मत कर,अब वो तेरी नहीं मेरी जिम्मेदारी हैं। उसके बारे में सबकुछ भूल जा। मैं चाहू तो चाहे जब उसकी सील तोड़ सकता हूं लेकिन मैंने कसम खाई है कि उसकी सील शादी के बाद ही तोडूंगा। इसलिए उसके बारे में सोचना बंद कर और मुझे खुश करने के बारे में सोच।
दीप्ति : अरे इसके बारे में क्या सोचना आपको खुश करना तो मेरा काम हैं ही और दीप्ति भी अब मुझे किस करने लग जाती हैं। इधर अविनाश एक बार फिर मेरी चूचियों को पीना शुरू कर देता है। मेरी चूचियों की तारीफ जीवन भी करता था और अब अविनाश भी कर रहा था। एकदम गोल, ना ज्यादा बड़ी, ना छोटी एकदम टाईट ! पता नहीं कितनी हिरोइनों को पीछे छोड़ दे। गोल चूचियाँ एकदम फूली हुई थी और चूचुक एकदम नुकीले हो चुके थे। मैंने अपनी चूचियों को अविनाश के मुंह में देते हुए उसके सिर को पकडकर अपनी चूचियों पर दबा दिया। अविनाश लगातार मेरी एक चूची चूस रहा था और दूसरी दबा रहा था। जिससे मेरी सिसकियां निकल रही थीं। उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ हमारे पैर एक दूसरे में गुत्थे हुए थे। अविनाश मेरी चूचियों को चूसता रहा और मेरे बालों को सहलाता रहा। करीब पांच मिनिट तक ये सिलसिला चलता रहा। हमें कोई जल्दी नहीं थी क्योंकि हमारे पास अब वक्त ही वक्त था। फिर अविनाश मुझे चूमते हुए नीचे की ओर आया और मेरी नाभी को चूसने लगा। और फिर उसने अपना मुंह मेरी चूत पर रख दिया। मेरी चूस क्लीन सेव थी। हल्के से रोए थे जिसे मैंने आज सुबह ही साफ कर लिए थे। क्योंकि सुहागरात के समय मुझे लगा कि अविनाश को मेरी चूत पर उग आए हल्के बाल पसंद नहीं है। और मैं अविनाश को किसी भी हाल में नाराज नहीं करना चाहती थी। अविनाश मेरी क्लीन शेव चूत को देखकर बोला।


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अविनाश : यार तूने ये कब कर लिया। लेकिन जो भी किया दिल खुश कर दिया।
दीप्ति : आज सुबह ही किया था मुझे लग गया था कि आापको क्लीन शेव चूत पसंद हैं। यदि पहले पता होता तो कल ही कर लेती।
अविनाश : कोई बात नहीं अब तो तेरी चूत रोज ही मारनी हैं। और अविनाश मेरी चूत में जीभ डालकर चूसने लगा जिससे मेरे सिसकियां और तेजी से निकलने लगी। उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ
अब अविनाश ने मुझे पलट दिया और मेरी पीट चाटने लगा। मैं सिसकिते हुए उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ जान मैं समझ जाती हूं कि अविनाश का मन मेरी गांड मरने का है। लेकिन गांड में अभी भी दर्द हो रहा था इसलिए मैं अविनाश से कहती हूं प्लीज आज और इंतजार कर लो कल से तुम जितनी मेरी गांड मारना हो मार लेना। अभी दर्द खत्म नहीं हुआ है।
अविनाश : जान गांड नहीं मार रहा। लेकिन प्यार तो करने दें कि प्यार भी ना करूं।
 
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दीप्ति : नहीं जान प्यार करने से तो मैं कभी भी नहीं रोकूंगी। और अविनाश अब मेरी पूरी पीठ को चाटने लगता है। और मेरी सिसकियां फिर तेज हो जाती हैं उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ
अविनाश मुझे चूमते हुए नीचे आता है पहले वो कमर को चूसता है और फिर मेरे निस्तंबों को चूसना शुरू कर देता है। अविनाश मेरे निस्तबों की तारीफ करते हुए। हाय जान कितने सुंदर है तेरे ये निस्तंब, कल तो इनकी तारीफ भी नहीं कर पाया बस तुझे दर्द ही देता रहा। तेरे ये नितम्ब ! कितने गोल हैं ! बिलकुल तेरी चूचियों की तरह उठे हुए हैं। फिर अविनाश मेरी निस्तंबों को चाटने के बाद अपनी जीभी मेरी गांड के छेद पर रख देता है। गांड में पहले ही दर्द था अविनाश की जीभ जैसे ही गांड के छेद पर लगती है तो मुझे कारंट से लगने लगता है और मैं अपने आप में डूबने लगती हूं। उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ अविनाश फिर नीचे की ओर बढता है मेरी जांघों को चूते हुए वो पैरों तक पहुंच जाता है। अविनाश मेरी एड़ियों को चूमता है और फिर मेरे पैरों की उंगुलियों को मुंह में भर लेता है और उन्हें चूसने लगता है। मुझे जिंदगी में पहले कभी भी इतना मजा नहीं मिला था। में एकदम सिहर उठी और पागल सी हो गई और जोर से उउफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ की सिसकारियाँ भरने लगी।


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फिर अविनाश मेरे उपर लेट गया। अविनाश का लंड मेरी गांड के छेद पर था। मुझे अब डर लग रहा था कि कहीं अविनाश मेरी गांड मारना शुरू ना कर दे एक बार उससे बोल चुकी थी इसलिए दुबारा बोलने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी। उधर अविनाश अपना लंड मेरी गांड पर रगड रहा था जिससे मेरी सिसकियां और बढती जा रही थी। उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ अविनाश अपना लंड मेरी गांड पर तो रगड ही रहा था साथ ही मेरी पीठ को भी चूम रहा था। मैं तो अब अविनाश के नीचे दबी हुई अपने आप को उसके हाथों का खिलौना मान रही थी। जिससे वो खेल रहा था और मुझे भी मजे दे रहा था। थोड़ी देर तक अविनाश ने अपना लंड मेरी गांड पर रगडा और फिर मुझे पीठ के बल लिटा दिया। जिसके बाद मुझे भी चैन की सांस मिली।
अविनाश : सच सच बताना तुझे ये तो नहीं लगा कि मैं तेरी गांड मारने वाला हूं। सही बोलना नहीं तो
अविनाश इसकेे आगे बोलता उससे पहले ही मैंने अपने होठो से उसका मुंह बंद कर दिया और थोडी देर बाद जब मैं हटी तो अविनाश ने फिर अपना सवाल दोहरा दिया।
दीप्ति : हां लगा तो रहा था लेकिन मुझे ये भी मालूम था कि आप मुझे तकलीफ नहीं देंगे।


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अविनाश : अच्छा कल जो था कल तकलीफ नहीं हुई थी।
दीप्ति : हुई थी बहुत हुई थी लेकिन उससे बचा नहीं जा सकता था। अब अविनाश का एक हाथ मेरी चूत पर घूम रहा था और उसकी उंगुलियां मेरी चूत के अंदर बाहर हो रही थी मेरी चूत पानी छोड रही थी। मेरी क्लीनशेव चूत अविनाश को रिझा रही थी। उसके मुंह से लार टपक रही थी।
अविनाश : दीप्ति तेरी चूत को देखकर ऐसा लगता है कि बस इसे चूसता ही रहूं।
दीप्ति: तो मना किसने किया है आपकी आमनत है मेरे पास जितना चाहें उतना चूसिएं। ये सिर्फ आपके लिए हैं। अविनाश तेजी से मेरी चूत चाट रहा था। ऐसा करने से मुझे भी मजा आ रहा था और मैं उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ कर रही थी। अविनाश मेरी चूत चाट रहा था साथ ही एक उंगुली भी मेरी चूत में डाल कर अंदर बाहर कर रहा था। जबकि एक हाथ उसने मेरी कमरे के नीचे से लेकर जाकर मेरी कमर को जकड लिया था और वो मेरी कमर को उपर की ओर उठा रहा था। में जोर-जोर से बोल रही थी- उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ जान अब बस करो अब कण्ट्रोल नहीं होता प्लीज अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दो मुझे मत तड़पाओ। लेकिन अविनाश ने मेरी चूत को नहीं छोड़ा वो उसे चाटता ही रहा। और मेरी चूत के दाने को भी रगडता रहा।


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वो मेरी चूत को कुल्फी की तरह चाट रहा था और उसके चूत में अपने जीभ को अन्दर-बाहर कर रहा था। में भी अपने नितम्ब उठा-उठा कर अपनी चूत अविनाश से चटवा रही थी। अब में पूरी तरह से आउट ऑफ़ कंट्रोल हो चुकी थी और आवाजें निकाल रही थी। उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ मैं अपने दोनों पैर पूरी तरह फैला कर अपनी चूत एकदम मजे ले-ले कर चुसवा रही थी और बड़बड़ा रही थी, आय लव यू जान। आज मुझे चूत चटवाने का असली मजा मिला है। तुम बहुत अच्छे से मेरी चूत को चूस रहे हो उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ और थोडी ही देर में मेरा पानी निकली गया। और अविनाश उसे पूरा पी गया।
 
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पानी निकलने के बाद में थोडी सुस्त पड गई लेकिन अविनाश ने मेरी चूत चाटना बंद नहीं किया। थोडी देर बाद मेरे शरीर में फिर ताकत आई और मैंने अविनाश को अपनी बाहों में भर लिया और दोनों के होठ अब एक बार फिर आपस में जुट गए थे। अविनाश की जीभ को मैंने अपने मुंह के अंदर ले लिया और उसे चाटने लगी। और अपने ही चूत के पानी का स्वाद लेने लगी। मैं लगातार अविनाश साथ दे रहा थी वो मेरी चूचियों को मसलता रहा, मैं भी अविनाश के लण्ड को ऊपर-नीचे करती रही।
करीब 5 मिनट के बाद अब हम दोनों फिर से चुदाई के लिए तैयार हो चुके थे, अब मैंने अपने पैरों को थोड़ा फैलाया और अविनाश के लण्ड का सुपारा अपनी गर्म चूत पर रख दिया। और कहा जान अब मत तडपाओ प्लीज मेरी चूत की प्यास बुझा दो। बहुत दिनों से मैं लंड की प्यासी हूं। कल रात को तो दर्द के कारण इसका ज्यादा मजा नहीं ले पाई लेकिन आज मैं इसका पूरा मजा लेना चाहती हूं। प्लीज मेरी प्यास बुझा दो अब बर्दाश्त नहीं होता। लेकिन अविनाश मेरे मजे ले रहा था वो मुझे तडपना चाहता था अविनाश अपना लंड मेरी चूत के सुपाडे पर रगड रहा था और अपने होठों से मेरे होठों को बंद कर रखा था। मुझसे अब सब्र नहीं हो रहा था। अब मैं अविनाश के सामने गिडगिडाने लगी प्लीज जान और मत तडपाओ प्लीज अब डाल भी दो अपना लंड मैं तुमसे कुछ नहीं मांग रही हूं बस अपना लंड मेरी चूत में डाल दो। अविनाश को भी मेरे उपर रहन आ गया और उसने अपना लंड मेरी चूत के अंदर डालना शुरू कर दिया।


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मेरी चूत टाइट थी और अविनाश का लंड लम्बा और मोटा था इसलिए वो धीरे धीरे अंदर जा रहा था। में हां जान ऐसे ही धीरे धीरे डालो अभी भी हल्का हल्का दर्द है। लेकिन लंड कुछ अंदर जाकर अडने लगा। अविनाश ने ताकत लगाई लेकिन वो अंदर नहीं जा रहा था अविनाश ने हल्के हल्के धक्के भी लगाए लेकिन लंड पांच इंच से अगे नहीं बढ रहा था। अविनाश ने मेरी आंखों में देखा जैसे पूछ रहा हो कि क्या जोर का धक्का लगाउं। मुझे भी मालूम था इसकी जरूरत है और मैंने भी अविनाश को इजाजत दे दी। अविनाश ने फिर लंड को तीन इंच बाहर की तरफ खींचता और पूरी ताकत से मेरी चूत में धक्का लगाया जिससे लंड मेरी चूत को चीरता हुआ बच्चेदानी तक पहुंच गया और मेरी चींख निकल गई मर गईईईईईईईई मम्मी मर गईईईईईईईई आईईईईईईईई अविनाश भी अब रूक गया था और मेरे नार्मल होने का इंतजार कर रहा था। मेरी आंखों में आंसू निकल आए थे।


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दीप्ति: जान ये कब तक ऐसे ही दर्द करेगा।
अविनाश : बस एक दो बार की बात और है फिर तुम्हारी चूत इसके लायक हो जाएगी। और अविनाश फिर धीरे धीरे मेरी चूत में धक्के मारने लेगा। जल्दी ही मुझे मजा आने लगा और मैं भी अविनाश का साथ आपनी कमर उछाल उछाल कर देने लगी। हम दोनों लय ताल मिलाकर चुदाई कर रहे थे। मेरी सिसकियां फूट रही थीं। फ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ अब अविनाश ने अपने धक्कों की रफ्तार बढा दी। वो तेज तेज मुझे चोदने लगा। मेरे मुंह से लगातार निकल रहा था आई लव यू डार्लिंग। पूरा कमरा हम दोनों की सिसकारियों से गूंज रहा था। उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ.. उम्म उम्म..उफ्फ..आह्ह्ह उफ्फ उफ..
अविनाश का लंड चिकना हो चुका था और मेरन्ी चूत भी अब उसके लंड के हिसाब से फैल चुकी थी इसलिए लंड बडे आराम से अंदर बाहर हो रहा था। हम दोनों एक दूसरे को चूमने चाटने में लगे हुए थे। फिर अविनाश एक हाथ से मेरे उभार को मसलने लगा। अपने लण्ड को मेरी चूत में अन्दर बाहर तेजी से कर रहा था। मुझे मालूम था अविनाश का पानी जल्दी नहीं निकलता जब तक उसका एक बार पानी निकलता है तब तक मैं तीन बार झड जाती हूं। मुझे बहुत मजा आ रहा था और अचानक मैं तेज चीख के साथ झड जाती हूं।
लेकिन अविनाश नहीं रूकता और वो उसी रफ्तार से मेरी चूत में धक्के मारता रहता है जिससे मैं फिर गरम हो जाती हूं। और मेरे मुंह से निकलने लगता है और जोर से पेलो अपना लण्ड, आज जी भर के मुझे चोदो ताकि यह दिन मैं हमेशा याद रख सकूँ। आह्ह आआह.. उफ्फ तुम बहुत अच्छा चोदते हो जान। काश तुम मेरी जिंदगी में पहले आ जाते तो इतने दिनों तक प्यासी ना रहती। ऐसी चुदाई मेरी जिंदगी में कभी भी नहींह हुई। और जोर से चोदों चूत पानी छोड चुकी थी इसलिए लंड अब बडे आराम से दौड रहा था। अब मेरी चूत में से फच्च फच्च की आवाजें आ रहन्ी थी। करीब पौन घंटे हो चुका था। और ऐसा पहली बार था जब अविनाश मुझे एक ही पोजीशन में चोद रहा था। नहीं तो सुहागरात पर तो वो लगातार पोजीशन बदल रहा था। अविनाश का शरीर भी अब अकडने लगा था। और दस 12 धक्कों केबाद उसके लंड ने पानी छोडना शुरू कर दिया। और इसके साथ मेरा भी पानी निकल गया। थोडी देर तक अविनाश मेरे उपर लेटा रहा फिर मेरे बगल में लेट गया। कुछ देर बाद मेरा हाथ एक बार फिर अविनाश के लण्ड पर पहुंच गया और अविनाश तो मेरी चूचियों से पहले से ही खेल रहा था।
अविनाश : जान एक राउंड और हो जाए।
दीप्ति : नहीं जान अभी नहीं रात को कर लेना। देखों एक बज रहा है। थोडा आराम कर लेते हैं फिर बाजार भी चलना है।
अविनाश : हां तुम ठीक कह रही हो और अविनाश मुझे आपनी बाहों में भरकर आराम करने लगता है।
 
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शाम चार बजे तक अविनाश दीप्ति को बाहों में लिए सोता रहता है। शाम को चार बजे के करीब सबसे पहले दीप्ति की आंख खुलती हैं। वो जब घडी देखती हैं तो चार बज रहे थे। वो धीरे से अविनाश की बाहों को हटाती है और फिर उठकर सबसे पहले वॉशरूम जाती है और फिर चाय बनाकर लाती हैं। दीप्ति ने अभी भी कोई कपडा नहीं पहना था। वो बड़े प्यार से पहले अविनाश के गालों को किस करती है और फिर धीरे से उसे उठाती है।
अविनाश : दीप्ति को अपनी बाहों में भरकर जान अभी थोडा और सोने दो नो।
दीप्ति : अरे अभी रात नहीं दिन चल रहा है और हमें बाजार भी जाना है। साढे चार बज रहे हैं जल्दी उठिए।
अविनाश अपनी आंखों को खालता है और दीप्ति को देखते हुए उसे अपनी ओर खींच लेता है और उसके होंठ चूमने लगता हूं मैं भी अविनाश का पूरा साथ दे रही थी। 3-4 मिनिट तक हम दोनों की किसिंग चलती रहती है लेकिन फिर मैं अलग हो जाती हूं।


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अविनाश : अरे जान क्या हुआ कितना मजा आ रहा था।
दीप्ति : जान पहले चाय पी लो मैं बडे प्यार से तुम्हारे लिए बना कर लाई हूं। ठंडी हो गई तो माज नहीं आएंगा। गरमा गरम चाय पीने में ही मजा आता है।
अविनाश : अरे जिसकी बीबी इतना गरमा गरम हो उसे और किसी में मजा कहां आ सकता है और अविनाश एक बार मुझे फिर अपनी बाहों में खींच लेता है।
दीप्ति : जाान मुझे तुम जिंदगी भर ऐसे ही प्यार करोगे ना।
अविनाश : अरे ये कोई कहने वाली बात है तुझे तो मैं अपनी रानी बनाकर रखूंगी। और एक बारफिर अविनाश मेरे होठ चूसने लगता है लेकिन मैं उसे रोक देती हूं।
दीप्ति : जाान पहले चाय पी लो मैं कहीं भागी नहीं जा रही मुझे जितना प्यार करना हो कर लेना मैं तुम्हें कभी मना नहीं करूंगी। और में अविनाश की बाहों से निकल जाती हूं। अविनाश भी अब मुझे रोकता नहीं हैं। फिर हम दोनों चाय नाश्ता करते हैं। इस बीच 5 बजे का समय हो जाता है।
अविनाश : चलो जान अब एक राउंड कर लेते हैं।
दीप्ति : जान रात को कर लेना अभी हम लोगों को बाजार चलना हैं ना, तुमने ही कहा था कि आज मुझे कपडे दिलाओगे। यदि बाजार नहीं चलना है तो कोई बात नहीं तुम्हारी बीबी तुम्हारे सामने नंगी बैठी है तुम उसे जब चाहें चोद सकते हैं।
अविनाश : दीप्ति को मुस्कुरा कर देखता है और कहता है मुझे मालूम हैं जान मैं तुम्हें जब चाहे चोद सकता हूं। लेकिन तुझे जितना भी चोदू मन नहीं भरता।
दीप्ति : एक बात पूछी बुरा तो नहीं मानेंगे।
अविनाश : हां बोलो।
दीप्ति : मुझ जैसी बुढिया में तुम्हें ऐसा क्या दिखा जो तुम तृप्ति और अनुष्का को छोडकर मुझे हासिल करने में लगे हुए थे। तुम जैसे जवान लडके को तो कोई भी लडकी मिल जाती। मेरी बेटी अनुष्का तो तुम्हारे पीछे पागल थी तुम जब चाहते वो तुमसे चुदने को भी तैयार थी। और तृप्ति की बातों से लगता है कि वो भी तुमसे चुदने में पहले भी मना नहीं करती। अब तो मुझे वो तुम्हारी गुलाम लगती है। जो तुम्हारी खुशी के लिए कुछ भी कर सकती है। आज मेें तुमसे चुदवा रही हूं उसमें भी तृप्ति का ही सबसे बड़ा हाथ है।
अविनाश : देखों जान तुम अपने आप को बुढिया मत कहो। तुम आज भी 22 साल की लडकी को मात कर सकती हूं। हां ये बात तुमने जरूर सही कही कि मैं किसी और लडकी को आसानी से चोद सकता था। तृप्ति पर मेरी नजर थी लेकिन रोहित ने तृप्ति को पहले प्रपोज कर दिया था इसलिए मैं पीछे हट गया था। लेकिन मुझे ये जरूर लगता था कि तृप्ति मुझमें इंटरेस्ट जरूर दिखाती थी लेकिन मैंने उसे रोहित के लिए छोड दिया था क्योंकि मेरी नजर शुरूआत से आपके उपर ही थी। और शायद आपके कारण ही अनुष्का को मैंने उस नजर से नहीं देखा। लेकिन अब अनुष्का हो या तृप्ति ये मेरे विस्तर पर आएंगी ही।
दीप्ति :हां वो तो मालूम हैं। अनुष्का से तो तुम्हें शादी भी करनी है। लेकिन क्या तृप्ति से भी शादी करोगे।
अविनाश : नहीं तृप्ति को मैं अपनी रखैल बनाकर रखूंगा वो जिंदगी भर मेरी रखैल बनकर रहेगी। क्योंकि वो रोहित से प्यार करती हैं। लेकिन रोहित को सजा मैं जरूर दूंगा जो उसने तृप्ति को मुझसे छीना और फिर उसे मजा भी नहीं दिया।
दीप्ति : क्या क्या सजा दोगे रोहित को
अविनाश : अभी ये तय नहीं किया है कि लेकिन रोहित को मैं जो भी सजा दूंगा उसमें तुम लोगों को मजा ही आएगा। उसका कोई नुकसान नहीं होगा। और इसमें साथ दोगी। अनुष्का और तृप्ति को तो मैं तैयार कर लूंगा। तुम अपना बताओ।
दीप्ति : आप कैसे बात कर रहे हैं मुझसे पूछने की क्या जरूरत है आप बस मुझे आदेश दे देना मैं बिना सवाल पूछे आपका काम कर दूंगी। अब आप जल्दी से तैयार हो जाइए हमें चलना है। निकलते निकले छह बज जाएंगे।
अविनाश : ठीक है तब तक तुम कपडे पहनों मैं तैयार होकर आता हूं और फिर अविनाश वॉशरूम जाकर नहाता है और तैयार हो जाता है घर से निकलते निकले साढे छह बज जाते हैं। शहर सिर्फ 6-7 किलोमीटर दूर था इसलिए 15 मिनिट में वो लोग शहर पहुंच जाते हैं और फिर अविनाश लेडिज गारमेंट का एक बडा सा शो रूम देखता है और बाइक उसके सामने लगा देता है और दीप्ति की कमर में हाथ डालकर अपने साथ उसे शो रूम में ले चलता है। और एक सैल्स गर्ल के पास पहुंचता हे।
सैल्सगर्ल : जी सर क्या दिखाउं आपके लिए।
अविनाश : देखिए मेरी बीबी के लिए कुछ हॉट से कपडे दिखाइए।
सैल्सगर्ल दीप्ति और अविनाश की ओर देखती है उसे लगता है कि दीप्ति उम्र में मुझसे बडी है। उसकी नजरों कों मैं पढ लेता हूं और उससे कहता है कि हमारी लव मैरिज हुई है। मेरी बीबी मुझसे 5 साल बडी है। लेकिन प्यार में छोटा बडा नहीं होता आप फाटफट कपडे दिखाइए। इसके बाद सैल्सगर्ल कुछ ड्रेस दिखाती हैं। कपडों को देखकर लगता तो है कि दीप्ति पर ये बहुत अच्छे लगेगे लेकिन उसमें दीप्ति के शरीर का ज्यादातकर हिस्से ढक जाता। इसलिए अविनाश सैल्सगर्ल से कहता है कि मैडम ऐसे कपडे दिखाए जिसमें शरीर दिखा ज्यादा छिपे कम। जांघें दिखाई देनी चाहिए। उपर भी डीप गले के टॉप हो। उसके बाद सेल्सगर्ल कुछ स्कर्ट दिखाई है जिसमें से कुछ को अविनाश पंसद कर लेता है।


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जो कुछ इस तरह की थी। फिर अविनाश उनमें से कुछ ड्रस दीप्ति से ट्राई करने को कहता है। और ड्रेस पैक करने के बाद उनका पैमेंट कर देता है। अविनाश जब पैमेंट करता है तो दीप्ति उसकी ओर देखती हैं जैसे अविनाश से कुछ कहना चाहती हो।
अविनाश : कुछ और चाहिए यदि कोई ड्रेस तुम्हें पसंद हो तो ले सकती हूं।
दीप्ति : अविनाश के कान में धीरे से कहती हूं अंडर गारमेंट तो आपने लिए ही नहीं।
अविनाश : अरे उसकी क्या जरूरत हूं।
दीप्ति : आप देख रहे हैं कितनी शर्ट ड्रेस है यदि मैं बैठूंगी तो मेरी चूत सबको दिखाई देगी। टॉप तो फिर भी चल जाएगा। लेकिन स्कर्ट इसके नीचे तो पेंटी पहनना होगी। लेकिन यदि आप नहीं चाहते तो कोई बात नहीं।
अविनाश को भी दीप्ति की बात सही लगती है अविनाश अपने लिए तो मुझे एकदम हॉल माल बनाना चाहता था लेकिन मेरा प्राइवेट पार्ट कोई और देखा ये उसे भी शायद पसंद नहीं था। इसलिए वो कहता है ठीक है जान कुछ पेंटी ले लेता है और अविनाश सैल्सगर्ल से फिर कुछ टोंगा टाइप की पेंटी दिखाने को कहता है जिसमें मेरी सिर्फ चूत कवर हो रही थी। बाकी वो पूरा डोरी जैसे थी। अविनाश पांच छह पेंटी लेता है और उसका भी पैमेेंट कर देता है। खरीददारी करते हुए कब डेढ घंटा निकल जाता है हमें पता ही नही चलता। अब हमें भूख भी लग रही थी। इसलिए अविनाश मुझे लेकर सीधा एक रेस्टारेंट में जाता है जहां मेरी पंसद का खाना आर्डर करता है और फिर खाना खाकर हम लोग करीब 9.50 बजे घर पहुंच जाते हैं।
 
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घर पहुंचकर अविनाश दीप्ति के हाथ से बैग लेकर अंदर आता है और बैग को अपने कमरे में रख देता है।
दीप्ति : आप दो मिनिट रूके मैं फ्रेश होकर आती हूं।
अविनाश : ठीक है मैं भी आराम कर लेता हूं थोडा थक गया हूं।
दीप्ति : लाइए जरा बैग दे दीजिए जो कपडे आपको पसंद हो वो दे दीजिए आपको वो ही पहनकर दिखाउंगी।
अविनाश : यार घर के अंदर कपडों की कोई जरूरत नहीं है तू वॉशरूम जा रही वहां से जब निकलकर आएगी तो तेरे शरीर पर एक भी कपडा मुझे नहीं चाहिए। ये कपडे तो तब के लिए हैं जब हम बाहर जाएंगे।
दीप्ति : क्या आप मुझे बाहर इन कपडों में लेकर जाएंगे।
अविनाश : हां और जब हम लोग अपने घर पहुंचेगे तो तू ये ही कपडे पहनेगी।
दीप्ति : क्या घर पर जीवन, रोहित, अनुष्का, तृप्ति के सामने ऐसे कपडे मुझे तो शर्म आएगी।
अविनाश : कुछ शर्म नहीं आएगी। तू चिंता मत कर घर पर अनुष्का और तृप्ति भी ऐसी ही कपडे पहनेंगी। जिससे मुझे जब भी तुम तीनों में से किसी को चोदना हो तो आराम से चोद सकूं। कपडे उतारने का झंझट ही नहीं हो।
दीप्ति : वो तो वैसे ही आप किसी से भी कह देंगे वो आपके साथ बेडरूम में चली जाएगी।
अविनाश : और जब मन होगा तो इतना टाइम किसके पास होगा। अब ज्यादा बातें मत कर नहीं तो अभी तुझे पटककर चोद दूंगा।और ये कपडे भी कुछ दिन ही तुम लोगों को पहनने दूंगा। फिर घर में जब मैं अकेला रहूंगा तो तुम तीनों को घर में मेरे सामने नंगा रहना होगा।
दीप्ति : क्या आप हम तीनों को एक साथ नंगा रखेंगे।
अविनाश : हां जिससे तुम लोगों की शरम एक दूसरे के से खत्म हो जाए। क्योंकि मुझे तुम तीनों को एक ही विस्तर पर एक ही साथ चोदना है।
दीप्ति : अरे तो वो काम तो आप वैसे ही कर लेंगे। उसके लिए हम लोगों को नंगा रखने की क्या जरूरत है।
अविनाश: मुझे तुम लोगों को नंगा देखने में मजा आएगा। इसलिए अब उसे छोड तू बता तैयार हो रही है कि अभी ही तेरी चुदाई शुरू कर दूं।
दीप्ति : ठीक है और मैं वॉशरूम में चली जाती हूं और 10 मिनिट बाद जब निकलती हूं तो मेरे शरीर पर एक भी कपडा नहीं था।


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अविनाश मुझे देखकर मुस्कुरा रहा था मैं सीधे विस्तर पर पहुंचती हूं और अविनाश की बाहों में समा जाती हूं और अविनाश के होठों पर टूट पडती हूं। हम दोनों एक दूसरे को होठों को चूस रहे थे।


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मेरी सांसे अब गरम हो रही थी। अविनाश मेरे होठों को चूसने के साथ ही मेरी गांड को भी सहला रहा था जिससे में गरम होती जा रही थी। हम दोनों एक दूसरे के मुंह के अंदर जीभ डाल रहे थे। और फिर अविनाश ने मुझे नीचे लिटा दिया और खुद मेरे उपर आ गया। और मेरे होठों को चूसने लगा। मेरे होठों को चूसते हुए अविनाश ने कहा दीप्ति डार्लिंग तेरे होठ कितनी मीठें मन करता है जिंदगी भर इन्हें बस चूसता ही रहूं।


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दीप्ति : तो मना किसने किया है आपके सामने हूं जितना मन कर चूसो मैं अपने पति से कभी भी मना नहीं करूंगी। अब अविनाश ने मेरे होठों को चूसते चसते मेरी चूचियों को भी दबाना शुरू कर दिया। मेरी पूरी चूची अविनाश के हाथ में थी और वो उसे धीरे धीरे दबा रहा था। मुझे भी बहुत मजा आ रहा है। मेरे मुंह से अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ. अअअअ.. .आहा हा हा हा की सिसकारियां निकालने लगती थी। अब अविनाश मेरी चूचियों के निप्पल पर आता है और उन्हें अपने मुंह में भरकर चूसने लगता है। इसके बाद अविनाश नीचे की ओर आया और मेरे पेट और नाभी को चूसने के बाद वो मेरी चूत तक पहुंच गया। और अविनाश ने मेरी चूत की दरारों पर अपना मुंह लगा दिया।


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अविनाश अपनी जीभ से हल्का हल्का मेरी चूत को चाटने लगा। आविनाश द्वारा चूत को चाटने से मैं अब बहुत ज्यादा गरम हो गई थी। अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ. अअअअ.. .आहा हा अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ. अअअअ.. .आहा हा की आवाजें निकल रही थी। अविनाश बहुत अच्छे से मेरी चूत चाट रहा था। पिछले दो दिन से ही मुझे पता चला था कि चूत चटाई में कितना मजा आता है। जीवन ने तो जिंदगी में मेरी चूत चाटी नहीं थी। उसने मेरा जीवन ही बर्वाद कर दिया था। मैं कुछ ऐसा सोचने लगती हूं। और दूसरी ओर अविनाश मेरी चूत के दाने पर अपनी जीभ घुमा रहा था और तेजी से मेरी चूत चाट रहा था जिससे मेरी चूत से हल्का हल्का पानी निकलने लगा। अविनाश मेरी चूत के रस को पीता भी जा रहा था। अविनाश मेरी चूत से निकलने वाला सारा पानी पी गया। अब मैं बहुत गरम हो गई थी मैं अविनाश के सिर को पकडकर अपनी चूत पर दबा रही थी। और लगातार चिल्ला रही थी अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ. अअअअ.. .आहा हा जान ऐसे ही चूसते रहो। जान बहुत मजा आ रहा है अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ. अअअअ.. .आहा हा ऐसे ही जान अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ. अअअअ.. .आहा हा अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ. अअअअ.. .आहा हा अविनाश अब अपनी जीभ को मेरी चूत में अंदर की तरफ डाल रहा था। जिससे मेरी चूत से पानी का फुव्वारा से छूट गया और अविनाश ने मेरा सारा पानी चाटकर साफ कर दिया। अविनाश अब मेरी चूत के दाने को काट रहा था। जिससे मेरी चीख निकल रही और मैं अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ. अअअअ.. .आहा हा अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ. अअअअ.. .आहा हा कर रही थी। अब अविनाश मेरे उपर से हट जाता है और अपना लंड मेरे मुंह के करीब ले आता है मैं समझ गई थी कि मुझे क्या करना है। मैंने अविनाश के लंड को अपने हाथों में पकडा और पहले उसे थोडा आगे पीछे किए और फिर उस पर अपनी जीभ रख थी।


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लंड को थोडा चाटा और फिर उसे अपने मुंह में डालकर चूसना शुरू कर दिया। अविनाश का लंड मेरे मुंह में फूलता जा रहा था। मैं अब पागलों की तरह अविनाश के लंड को चूस रही थी। लप लप लप लप की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। बीच बीच में मैं अविनाश के लंड को मुंह से बाहर निकलती और उसकी लंड की गोटियां चूसना शुरू कर देती और फिर लंड मुंह में डालकर उसे चूसने लगती। अविनाश का लंड अब पूरे फारम में आ चुका था। मैंने अविनाश की ओर देखा और उससे कहा जान अब मेरे चूत बहुत पानी छोड रही है प्लीज इसकी प्यार बुझा दो। मेरी बात सुनते ही अविनाश मेरी चूत पर आया और मेरी दोनो टांगो फैलाकर अपने बेटने की जगह बनाई और मेरी चूत पर अपना लंड रगडने लगा। अविनाश मेरी चूत को मैंने अपने हाथों से मसल रहा था। लंड को चूत पर रगड रहा था लेकिन मेरी चूत में अपना लंड नहीं डाल रहा था। मैंने अविनाश ने कहा कि जान क्यो तरसा रहे हो। प्लीज अपना लंड मेरी चूत में डाल दो। अविनाश : अरे डार्लिंग तुम इतने प्यार से बोलोगी तो कैसे मना कर पाउंगा और अविनाश ने अपने लंड को मेरी चूत पर सेट करके एक जोरदार धक्का मारा जिससे उसका लंड मेरी चूत में पांच इंच तक चला गया। लेकिन इससे मेरी हल्की सी चीख निकल गई।


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अविनाश : डार्लिंग तुम्हें इतना चोद चुका हूं। लेकिन अभी भी तुम्ळारी चीख निकल रही है। मैंने कहा कि अभी दो दिन ही हुए हैं और तुमने तो एक ही धक्के में अपना पूरा लंड घुसाने की कोशिश की है। अब एक सप्ताह हो जाए तो मेरी चूत तुम्हारे लंड के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाएगी। फिर तुम कैसे भी धक्के मार लेना। और अविनाश ने फिर दूसरा धक्का मारा और उसका पूरा लंड अब मेरी चूत में समा गया था मेरी एक और चीख निकली। लेकिन अब अविनाश ने इसकी परहवा नहीं की। अब अविनाश ने मेरी चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिए। अविनाश का लंड तेजी से मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा था। दस मिनिट तक अविनाश ने मुझे मिसनरी पोजीशन में ही चोदा और फिर मुझे घोडी बना दिया और मुझे झुका दिया।


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अब अविनाश पीछे ने मेरी चूत मारने लगता है। उसका लंड सटा सट मेरी चूत में दौड लगा रहा था। मेरी चूत बार बार पानी छोड़ रही थी जिससे अविनाश का लंड आसानी से मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा था। थोडी देर तक अविनाश मुझे घोडी बनाकर चोदता रहा। फिर अपना लंड मेरी चूत से निकालकर मुझे जमीन पर बैठा दिया और अपना लंड मेरे मुंंह में दे दिया और कहा कि लंड को चाट कर साफ कर दो अब तेरी गांड मारूंगा। मैंने भी अविनाश की बात को नहीं टाला और उसका लंड चाट चाट कर साफ कर दिया। अब अविनाश ने मुझे विस्तर पर पेट के बल लिटाया और अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया। अविनाश ने एक हल्का सा धक्का लगाया और उसका लंड डेढ इंच मेरी गांड में चला गया लेकिन मेरी बहुत जोर की चीख निकल गइ उईईईईईईईई उईईईईईईईई उईईईईईईईई मेरी चीख सुनकर अविनाश एकदम से रूक गया।
अविनाश : क्या हुआ जान तुम तो ऐसी चीख रही हो जैसे कि पहली बार तुम्हारी गांड मार रहा हूं।
दीप्ति : जान तुम ये तो देख लो गांड अभी पूरी तरह से सूखी है अब तक तुमने जब भी गांड मारी उसे चिकना करके ही मारा गांड अभी इतनी ढीली नहीं हुई कि तुम्हारा लंड आसानी से ले लें।
अविनाश : सॉरी जान मुझे ये ध्यान ही नहीं रहा। रूको पहले तुम्हारी गांड का इंतजाम करता हूं।
दीप्ति : अरे इसमें सॉरी कहने की क्या बात है ये तो हो जाता है मुझे मालूम है आप मुझे जानबूझकर कभी भी तकलीफ नहीं देंगे। अविनाश पास में से ही जैली उठाता है जो आज ही हम लोगों ने खरीदी थी। और शायद अविनाश ने मेरी गांड मारने के लिए ही इसे लिया था। अविनाश ने मेरी गांड में जैली लगाई जिससे मेरी गांड चिकनी हो गई उसके बाद उसने अपने लंड पर भी थेाडी से जैली लगाई और फिर मेरी गांड पर अपना लंड सेट कर दिया। अब अविनाश ने धक्का मारा तो लंड तीन इंच तक आराम से चला गया। मैंने कहा कि जान तुम ऐसे ही धीरे धीरे धक्के मारकर मुझे चोदों लंड अपने आप गांड में चला जाएगा और अविनाश ने भी धीरे धीरे धक्के मारना शुरू कर दिए हर धक्के के साथ लंड थोडा थोडा अंदर जाता रहा और करीब छह इंच लंड अंदर पहुंचा था तो फिर वहां से आगे नहीं बढ रहा था। अविनाश ने फिर एक जोरदार धक्का मारा और लंड को पूरा मेरी गांड में घुसा दिया।


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मेरे एक बार फिर चीख निकली, अविनाश ने फिर मेरे पूरी पीट को चूमना और चाटना शुरू कर दिया और फिर धीरे धीरे धक्के मारकर मेरी गांड मारना शुरू कर दिया। दस मिनिट तक अविनाश ने मेरी गांड मारी और उसके बार मेरे उपर से हट गया। अब अविनाश नीचे लेट गया और मैं अपनी गांड पर लंड सेट कर अविनाश के उपर बैठ गई लंड को अपनी गांड में अंदर लेने के बाद मैं अविनाश के लंड पर उछलने लगी। पहली बार था कि मैं अविनाश के लंड को अपनी गांड में लेकर उछल रही थी। नहीं तो अभी तक मैं नीचे होती थी और अविनाश उपर आकर मेरी गांड मार रहा होता था। अब मुझे भी गांड मरवाने में मजा आने लगा था।
दीप्ति : आहहह जान पता नहीं था कि गांड मरवाने में इतना मजा आता है।
अविनाश : जान चिंता मत करो में तुम्हारी अब रोज गांड मारूंगा और साथ ही चूत भी मारूंगा चूत मारकर ही तो मुझे तुमसे बच्चा मिलेगा।
दीप्ति : जान कुछ भी मार लेना मेरी चूत और गांड अब तुम्हारी हैं और बच्चे तुम जितने चाहों उतने ले लेना। मैं भी अब चाहती हूं कि तुम जल्दी से जल्दी मुझे अपने बच्चे की मां बना दो। मैं पूरी तरह से तुम्हारी हूं जान तुम जो चाहे मुझे बना तो मैं मना नहीं करूंगी। और अविनाश तेजी से मेरी गांड मारने लगता है वो नीचे से मेरी गांड में धक्के लगा रहा था। बीस मिनिट बाद अविनाश मेरी गांड में ही झड जाता है और हम दोनों एक दूसरे को बाहों में समेटे आराम करने लगते हैं।
अविनाश : जान तुम्हें चोदने में जो मजा है वो किसी भी चीज में नहीं है।
दीप्ति : मुस्कुराते हुए मस्का मार रहे हो ना मुझे
अविनाश : नहीं जान सच कह रहा हूं। रात को 12 बजे के करीब एक बार फिर अविनाश मेरी चुदाई करता हैं और फिर वो लोग सो जाते हैं।
 

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