- 156
- 234
- 43
अपडेट-36
दूसरी ओर तृप्ति एक बार फिर जीवन को कमरे में ले जाती है और दो बार उसका पानी निकलवा देती है साथ ही अपनी चूत भी चटवा कर दो बार उसे अपनी चूत का भी पानी पिला देती हैं। जीवन को भी आज वर्षों बाद इतना मजा आया था।
तृप्ति : तो पापाजी सच में बताइए आज आपको अपनी बीबी की चुदाई देखकर कैसा लगा।
जीवन : शरमाते हुए रहने दे बहू
तृप्ति : अरे मुझसे क्यों शरमाना अभी तो आप मेरी चूत चाट रहे थे। वो तो आपका लंड खडा नहीं हुआ नहीं तो आप मेरी चूत मार रहे होते अभी तक तो।
तृप्ति की बाद से जीवन को शर्मिदगी महसूस होती है। और तृप्ति चाहती भी ये ही थी। इसके लिए वो आगे कहती है। अरे पापा जी आप क्यों दिल पर ले रहे हैं। आप चाहते थे कि मम्मी खुश रहे। और आज देख भी रहे थे कि कैसे चुदवाते हुए मम्मी अविनाश को जान जान कह रही थीं। उनकी सिसकियां अभी भी मेरे कानों में गूंज रही हैं। वैसे भी मम्मी तो अविनाश को अपना पति स्वीकार कर चुकी है। इसलिए अब अविनाश उनकी चुदाई तो रोज करेगा ही। वैसे सच बताइए आपको अच्छा लगा था ना।
जीवन : अचानक रात की घटना याद करने लगता है कि किस तरह से अविनाश दीप्ति की चुदाई कर रहा था।
तृप्ति : कहां खो गए पापा जी जवाब दीजिए
जीवन : हां बहू जब अविनाश दीप्ति को चोद रहा था तो दीप्ति के चेहरे पर जो खुशी दिख रही थी उससे मुझे भी अच्छा लगा। ऐसी खुशी मैंने दीप्ति के चेहरे पर कभी नहीं देखी। वर्षों से तो खुशी देखने को ही तरह गया था। तुम लोगों में ही वो खुशी ढूढ रही थी। लेकिन एक औरत के लिए जो जरूरी खुशी है वो उसे मिल ही नहीं रही थी।
तृप्ति : हां और एक बात बताइए आपने मेरी चूत चाटी और मेरे आपके लंड का पानी निकाला उसमें आपको खुशी मिली कि नहीं।
जीवन : बहू सच कहता हूं कि मुझे बहुत खुशी मिली।
तृप्ति : क्या आप चाहते हैं कि आपको ये खुशी आगे भी मिलती रहे।
जीवन : हां बहू बिल्कुल में चाहता हूं कि मुझे ये खुशी हमेशा मिलती रहे।
तृप्ति : ठीक है आपकी ये इच्छा में जरूर पूरी करूंगी लेकिन आप मुझे बहू नहीं बोलेंगे
जीवन : तो क्या बोलू
तृप्ति : आप मुझे मेरे नाम से बुलाएंगे तृप्ति
जीवन : लेकन बाकी लोग क्या बोलेंगे बहू
तृप्ति : इसीलिए बोला है कि सिर्फ तृप्ति बोलिए, मैं ये नहीं कह रही कि आप मुझे तृप्ति जान, डार्लिंग बोलेंगे तृप्ति तो बोल ही सकते हैं।
जीवन : ठीक है बहू नहीं तृप्ति
तृप्ति : हंसते हुए ठीक है, तृप्ति मन ही मन सोचती है कि अभी तो ये शुरूआत है मैं देख रही थी कि आप मेरी कितनी बात मानते हैं। बहुत जल्दी आपको दीप्ति की चूत भी चाटने को मिलेगी लेकिन वो तब जब अविनाश दीप्ति की चुदाई करने के बाद उसकी चूत में अपना पानी छोड चुका हो। और आप दीप्ति की चूत चाटकर साफ करेंगे।
इसके बाद तृप्ति जीवन के पास से उठकर अनुष्का के रूम में चली जाती है।
अनुष्का : अरे तू कहां चली गई थी। अविनाश ने तो मां की फाड़ कर रख दी।
तृप्ति : हां मुझे मालूम हैं। तेरी मां की चीखें जिसने भी सुनी होगी उसे समझ में आ गया होगा कोई बड़े लंड वाला किसी लड़की को चोद रहा है तेरी मां किसी कमसिन लडकी की तरह ही चीख रही थी।
अनुष्का : तूने नहीं देखा अविनाश का लंड कितना बडा है मेरे तो मुंह में समाता ही नहीं है।
तृप्ति : मालूम है जो लंड आज दीप्ति की चूत में गया है वो ही हमारी चूत फाडने वाला है इसलिए दीप्ति का ज्यादा मजाक मत बना अपना भी नम्बर आने वाला है जल्दी।
अनुष्का : मुंझे तो ये सोचकर ही डर लग रहा है। अविनाश मेरी आगे और पीछे दोनों ओर से मारेगा। मैं तो उससे वादा ले लूंगी कि पीछे से नहीं लूगी।
तृप्ति : तू क्या सोच रही है तू उससे कहेगी कि वो तेरी गांड न मारे और वो मान जाएगा। देखना सुहागरात पर ही तेरी फाड़ देगा।
अनुष्का : मेरी फटने से पहले तेरी फटनी है। पहले तू अपने बारे में तो सोच ले।
तृप्ति : सोचना क्या है जब गांड फटनी है तो फटेगी ही। दर्द होगा लेकिन एक दो दिन में चला जाएगा। क्योंकि मुझे मालूम है इसके बाद जो मजा मिलना है वो इससे कई गुना ज्यादा होगा। इसलिए एक दिन का दर्द झेल जाना। जैसे दीप्ति ने झेला है उसकी चूत भी एक तरह से वर्जिन ही थी गांड तो खैर उसका तो आज बाजा ही बज गया।
अनुष्का : हां चलो अब सुबह तो हम सभी लोगों को वापस जाना है।
तृप्ति : सभी लोगों को नहीं, अविनाश और दीप्ति को छोडकर बाकी लोगों को वापस जाना है।
अनुष्का : क्या ये दोनों क्यो नहीं जाएंगे।
तृप्ति : यार आज उनकी शादी हुई है, सुहागरात मना रहे हैं। हनीमून भी नहीं मनाने देगी क्या। इतनी अच्छी जगह है ये घर है ही। खाने पीने के लिए शहर पांच किलोमीटर दूर है। आराम से वहां जा सकते हैं। नई नई शादी है उन्हें मौज करने दो। 8-10 दिन बाद वापस आ जाएंगे। वैसे भी वहां दीप्ति और अविनाश आ जाएंगी तो क्या कर लेगी। बेचारों की मजे में खलल ही पडेगा। दूसरा अविनाश इतने दिनों में दीप्ति को पूरी तरह से खोल भी देगा।
सोच यहां दोनों अकेले रहेंगे तो अविनाश दीप्ति की कैसे कैसे चुदाई करेगा।
अनुष्का सोचने लगती है कि अविनाश सच में मां की जबरदस्त चुदाई करेगा। मां को भी खुशी मिलेगी
अनुष्का : हां तेरी बात तो सही है।
तृप्ति : सिर्फ कहने से काम नहीं चलेगा। सुबह इस काम में तुझे मेरा साथ भी देना है।
अनुष्का : देख अब में तेरी हर बात में वैसे ही साथ देती हूं। तेरे कारण ही अविनाश मुझे मिल रहा है। नहीं तो मैंने ये सोच लिया था कि किसी से शादी नहीं करूंगी। किसी की भी रखैल बनकर जीवन बिता दूंगी।
तृप्ति : देख फालतू बात मत कर। और अविनाश ने तेरी ये बकवास सुन ली तो सोच ले तेरी क्या हालत होने वाली है।
अनुष्का : सॉरी यार गलती से निकल गया किसी को बताना मत। वैसे ये बता तू इतने आइडिया लाती कहां से है दिमाग में ये मुझे मालूम है मम्मी को अविनाश से चुदवाने और मम्मी की शादी अविनाश से कराने का आईडिया तेरा ही था।
तृप्ति : नहीं अविनाश दीप्ति को चोदना चाहता था। मैंने सिर्फ उसकी मदद की। हां शादी का आइडिया जरूर मेरा था जो अविनाश को बहुत पसंद आया था। और मैं तो शादी छोटी मोटी कराना चाहती थी लेकिन अविनाश ने ही इसे असली शादी का रूप दे दिया।