मेरे प्यारे दोस्तो, मेरा नाम तेजस्व है. मैं इलाहाबाद उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 21 साल है.. रंग गोरा, सुंदर गठीला बदन है.
यह मेरी रियल सेक्स स्टोरी तब की है जब मैं अपनी पढ़ाई भी कर रहा था. मैंने सोचा साथ में कोई जॉब कर लूँ तो अच्छा रहेगा. इसलिए एक स्कूल में पढ़ाने लगा.
वो स्कूल सिर्फ आठवीं तक था और स्कूल में कुल मिला कर दस टीचर थे, जिन में से तीन महिला टीचर भी थीं. तीनों की अभी शादी नहीं हुई थी. उसमें से एक टीचर का नाम अर्चना था.
वैसे न जाने मेरे अन्दर क्या खूबी है कि मेरे साथ लड़कियां ज्यादा आकर्षित होती हैं.
कुछ दिन ऐसे ही बीते. मैं अधिकतर समय छात्रों को पढ़ाता रहता था. मैं सभी टीचरों के साथ बड़ा खुल कर रहता था. मुझे क्या पता कोई मुझे चुपके से देखता रहता है.
एक दिन मैं क्लास में पढ़ा रहा था तो मैंने देखा कि सामने वाली क्लास से अर्चना मुझे देखे जा रही थी. मेरे उसकी ओर देखते ही उसने नजरें हटा लीं. ये महसूस करके मुझे बड़ा अजीब लगा. इसके बाद मैंने भी गौर किया तो पाया कि अर्चना अक्सर मुझे लगातार देखती रहती थी.
एक दिन मैंने उससे बात की और दोस्ती कर ली. और अब खाली समय मिलने पर हम एक साथ बैठ कर बात किया करते थे. धीमे-धीमे हम एक-दूसरे को अच्छी तरह से जानने लगे थे और खुलकर हंसी-मजाक करने लगे थे. जब भी लंच होता, हम दोनों अन्य टीचरों से अलग रूम में लंच करते थे. पर मैं उसके लिए कुछ गलत नहीं सोचता था.
पर एक दिन जब बच्चों की परीक्षा चल रही थी तो मैं उसके पास पेपर लेने गया. उसने पेपर हाथ में देकर कुछ बताने के बहाने मेरा हाथ पकड़ लिया और दबा दिया. उसकी इस हरकत से मेरे शरीर में अजीब सी हलचल हो गई. मुझे लगा कुछ तो गड़बड़ है.
अब मेरा उसे देखने का नजरिया बदल गया था. जब सब लोग आफिस में थे तो हम दोनों हर दिन की तरह अलग बैठे हुए थे. आज मुझे लगा कि वो कितने गजब की आइटम है. रंग गोरा लंबाई 5.2 थी. मध्यम आकार के चूचे और सुंदर चेहरा. आज मैं उसे लगातार देखे जा रहा था.
अचानक उसने कहा- क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- यही सोच रहा था कि तुमने मेरा हाथ क्यों दबाया था.
वो शर्म से गड़ गई. मैंने उसके हाथ को चूम लिया. उस दिन बस इतना ही हो पाया. अब मैं रोज कन्डोम लेकर जाने लगा था कि न जाने कब मौका मिल जाए.
एक दिन शाम को स्कूल में एक कार्यक्रम था. आज अर्चना बहुत सजधज के आई थी, वो एकदम परी सी लग रही थी. मैंने देखा कि सब कार्यक्रम देख रहे थे. वो बाथरूम की तरफ जाने लगी तो मैं भी पीछे हो लिया.
मुझे बाथरूम में देख कर वो घबरा गई पर मैंने उसे पकड़ कर किस करना शुरू कर दिया. पहले तो वो विरोध करती रही पर बाद में साथ देने लगी. मैं उसकी चूची को दबाने लगा तो वो सिसकारी भरने लगी. मैं उसकी चूचियों को जोर-जोर से दबा रहा था और किस किए जा रहा था.
अब मैं उसे लेकर एक ऐसे रूम में आ गया जहां किसी के आने का अन्देशा नहीं था. वहां पुराना सामान भरा हुआ था. वहां पर एक पुराना सोफा भी था. मैंने उस सोफे की धूल झाड़ कर साफ़ किया और अर्चना को उस पर बिठाया. अब मैं उसके पूरे शरीर को सहला रहा था. वो मदहोश हो रही थी. मैंने धीमे-धीमे उसके सारे कपड़े उतार दिए. वो सिर्फ सफेद पैंटी और ब्रा में रह गई थी. मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतार दिए. मेरा लंड देख कर उसका मुँह खुला का खुला रह गया. मैंने उसकी ब्रा को खोलकर चूचियों को आजाद कर दिया. उसके मम्मे कितने प्यारे लग रहे थे.. एकदम गोरे-गोरे.
मैं तो उन प्यारे मम्मों पर पर टूट पड़ा. काफी देर तक चूचियों को चूसता रहा. उसकी चूचियों पर मैंने कई जगह दाँत भी गड़ा दिए.
अब मैं उसके नंगे बदन पर चुंबनों की बारिश करता हुआ नीचे की ओर आ गया और कुछ देर गहरी नाभि से खेलता रहा. फिर आराम से उसकी पैंटी को उसके बदन से अलग कर दिया. अब वो पूरी तरह नंगी थी. उसकी बुर को देख कर मेरा लंड उछाल मार रहा था. मैंने उसकी बुर पर अपनी जीभ टिका दी और चाटने लगा.
उसकी बुर कुछ ही पलों में हल्का-हल्का पानी छोड़ने लगी थी. मैंने देर ना करते हुए अपने खड़े लंड पर कंडोम चढ़ा लिया.. और उसकी बुर के छेद पर रख कर हल्का सा धक्का दे मारा.
मेरा लंड थोड़ा अन्दर घुस गया और उसकी चीख बाहर आ गई. मैंने उसके मुँह पर अपना मुँह रख दिया.
एक झटका और मारा तो लंड आधा अन्दर चला गया.. पर इस बार चीख बाहर ना आ सकी. फिर एक झटका और मारा तो लंड पूरा अन्दर चला गया.. और वो बुरी तरह से छटपटाने लगी. उसके नाखून मेरे पीठ में गड़ रहे थे. उसकी आँखों से आंसू निकल आए थे. कुछ देर बाद जब वो शांत हुई तो मैं लंड को आगे-पीछे करने लगा. अब उसे कम दर्द हो रहा था और वो मजा ले रही थी. तकरीबन दस मिनट तक चोदने के बाद हम दोनों झड़ गए. मैं उसे काफी देर तक प्यार करता रहा. फिर हम दोनों फ्रेश होकर बाहर चले आए.. और कार्यक्रम देखने लगे.
यह मेरी रियल सेक्स स्टोरी तब की है जब मैं अपनी पढ़ाई भी कर रहा था. मैंने सोचा साथ में कोई जॉब कर लूँ तो अच्छा रहेगा. इसलिए एक स्कूल में पढ़ाने लगा.
वो स्कूल सिर्फ आठवीं तक था और स्कूल में कुल मिला कर दस टीचर थे, जिन में से तीन महिला टीचर भी थीं. तीनों की अभी शादी नहीं हुई थी. उसमें से एक टीचर का नाम अर्चना था.
वैसे न जाने मेरे अन्दर क्या खूबी है कि मेरे साथ लड़कियां ज्यादा आकर्षित होती हैं.
कुछ दिन ऐसे ही बीते. मैं अधिकतर समय छात्रों को पढ़ाता रहता था. मैं सभी टीचरों के साथ बड़ा खुल कर रहता था. मुझे क्या पता कोई मुझे चुपके से देखता रहता है.
एक दिन मैं क्लास में पढ़ा रहा था तो मैंने देखा कि सामने वाली क्लास से अर्चना मुझे देखे जा रही थी. मेरे उसकी ओर देखते ही उसने नजरें हटा लीं. ये महसूस करके मुझे बड़ा अजीब लगा. इसके बाद मैंने भी गौर किया तो पाया कि अर्चना अक्सर मुझे लगातार देखती रहती थी.
एक दिन मैंने उससे बात की और दोस्ती कर ली. और अब खाली समय मिलने पर हम एक साथ बैठ कर बात किया करते थे. धीमे-धीमे हम एक-दूसरे को अच्छी तरह से जानने लगे थे और खुलकर हंसी-मजाक करने लगे थे. जब भी लंच होता, हम दोनों अन्य टीचरों से अलग रूम में लंच करते थे. पर मैं उसके लिए कुछ गलत नहीं सोचता था.
पर एक दिन जब बच्चों की परीक्षा चल रही थी तो मैं उसके पास पेपर लेने गया. उसने पेपर हाथ में देकर कुछ बताने के बहाने मेरा हाथ पकड़ लिया और दबा दिया. उसकी इस हरकत से मेरे शरीर में अजीब सी हलचल हो गई. मुझे लगा कुछ तो गड़बड़ है.
अब मेरा उसे देखने का नजरिया बदल गया था. जब सब लोग आफिस में थे तो हम दोनों हर दिन की तरह अलग बैठे हुए थे. आज मुझे लगा कि वो कितने गजब की आइटम है. रंग गोरा लंबाई 5.2 थी. मध्यम आकार के चूचे और सुंदर चेहरा. आज मैं उसे लगातार देखे जा रहा था.
अचानक उसने कहा- क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- यही सोच रहा था कि तुमने मेरा हाथ क्यों दबाया था.
वो शर्म से गड़ गई. मैंने उसके हाथ को चूम लिया. उस दिन बस इतना ही हो पाया. अब मैं रोज कन्डोम लेकर जाने लगा था कि न जाने कब मौका मिल जाए.
एक दिन शाम को स्कूल में एक कार्यक्रम था. आज अर्चना बहुत सजधज के आई थी, वो एकदम परी सी लग रही थी. मैंने देखा कि सब कार्यक्रम देख रहे थे. वो बाथरूम की तरफ जाने लगी तो मैं भी पीछे हो लिया.
मुझे बाथरूम में देख कर वो घबरा गई पर मैंने उसे पकड़ कर किस करना शुरू कर दिया. पहले तो वो विरोध करती रही पर बाद में साथ देने लगी. मैं उसकी चूची को दबाने लगा तो वो सिसकारी भरने लगी. मैं उसकी चूचियों को जोर-जोर से दबा रहा था और किस किए जा रहा था.
अब मैं उसे लेकर एक ऐसे रूम में आ गया जहां किसी के आने का अन्देशा नहीं था. वहां पुराना सामान भरा हुआ था. वहां पर एक पुराना सोफा भी था. मैंने उस सोफे की धूल झाड़ कर साफ़ किया और अर्चना को उस पर बिठाया. अब मैं उसके पूरे शरीर को सहला रहा था. वो मदहोश हो रही थी. मैंने धीमे-धीमे उसके सारे कपड़े उतार दिए. वो सिर्फ सफेद पैंटी और ब्रा में रह गई थी. मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतार दिए. मेरा लंड देख कर उसका मुँह खुला का खुला रह गया. मैंने उसकी ब्रा को खोलकर चूचियों को आजाद कर दिया. उसके मम्मे कितने प्यारे लग रहे थे.. एकदम गोरे-गोरे.
मैं तो उन प्यारे मम्मों पर पर टूट पड़ा. काफी देर तक चूचियों को चूसता रहा. उसकी चूचियों पर मैंने कई जगह दाँत भी गड़ा दिए.
अब मैं उसके नंगे बदन पर चुंबनों की बारिश करता हुआ नीचे की ओर आ गया और कुछ देर गहरी नाभि से खेलता रहा. फिर आराम से उसकी पैंटी को उसके बदन से अलग कर दिया. अब वो पूरी तरह नंगी थी. उसकी बुर को देख कर मेरा लंड उछाल मार रहा था. मैंने उसकी बुर पर अपनी जीभ टिका दी और चाटने लगा.
उसकी बुर कुछ ही पलों में हल्का-हल्का पानी छोड़ने लगी थी. मैंने देर ना करते हुए अपने खड़े लंड पर कंडोम चढ़ा लिया.. और उसकी बुर के छेद पर रख कर हल्का सा धक्का दे मारा.
मेरा लंड थोड़ा अन्दर घुस गया और उसकी चीख बाहर आ गई. मैंने उसके मुँह पर अपना मुँह रख दिया.
एक झटका और मारा तो लंड आधा अन्दर चला गया.. पर इस बार चीख बाहर ना आ सकी. फिर एक झटका और मारा तो लंड पूरा अन्दर चला गया.. और वो बुरी तरह से छटपटाने लगी. उसके नाखून मेरे पीठ में गड़ रहे थे. उसकी आँखों से आंसू निकल आए थे. कुछ देर बाद जब वो शांत हुई तो मैं लंड को आगे-पीछे करने लगा. अब उसे कम दर्द हो रहा था और वो मजा ले रही थी. तकरीबन दस मिनट तक चोदने के बाद हम दोनों झड़ गए. मैं उसे काफी देर तक प्यार करता रहा. फिर हम दोनों फ्रेश होकर बाहर चले आए.. और कार्यक्रम देखने लगे.