Incest ससुर कमीना और बहू नगीना:- 2(completed)

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घर पहुँचकर राजीव सबको कोल्ड ड्रिंक दिया। फिर शादी की बातें होने लगीं। तभी सरला ने सबको हैरान कर दिया। वो बोली: आपने ये सब बातें करने को बुलाया था मुझे? ये सब बातें तो फ़ोन पर भी हो जातीं।

श्याम हैरान होकर: सरला तुम्हें क्या हो गया है? चुदाई के लिए ऐसा उतावलापन तो मैंने कभी तुममें देखा ही नहीं। उसे क्या पता था कि बस में तीन लोगों को झाड़ कर वो ख़ुद भी बहुत गरम हो चुकी थी।

राजीव: अरे सही है यार , बुलाया तो चुदाई के लिए है और फ़ालतू की बातें कर रहें हैं हम लोग। ये कहते हुए वह उठकर सरला के पास आकर बैठ गया और उसकी साड़ी का पल्लू गिरा दिया । अब ब्लाउस में से उसकी बड़ी सी अधनंगी चूचियाँ उन दोनों के सामने थीं। राजीव झुका और उसकी चूचियों के नंगे हिस्से को चूमने लगा। श्याम भी अपने जूते उतारा और अपनी क़मीज़ उतारने लगा। अब वह पैंट उतार कर सिर्फ़ चड्डी में था और उसका फूला हुआ लौड़ा उसमें से साफ़ दिखाई पड़ रहा था।

राजीव भी खड़ा हुआ और अपनी चड्डी में आ गया। अब दोनों अपने अपने लौड़े को उसके सामने रख कर खड़े थे।
चड्डी के सामने हिस्से में उनका प्रीकम साफ़ दिख रहा था। सरला ने हाथ बढ़ाकर दोनों के लौड़े पकड़े और फिर आगे झुक कर उसने उनके प्रीकम को बारी बारी से चड्डी पर जीभ लगकर चाटी। अब वह बारी बारी से उनकी चड्डी उतारी और उनके खड़े हुए लौड़ों को सहलाने लगी। फिर वह झुकी और राजीव के लौड़े को चाटने लगी। सुपाडे से लेकर नीचे बॉल्ज़ तक चाटी और फिर श्याम के लौड़े के साथ भी वही की। फिर दोनों बारी बारी से उसके मुँह को चोदने लगे। वह भी अब उनको डीप थ्रोट देने लगी। उनके हाथ उसकी चूचियों को ब्लाउस के ऊपर से दबा रहे थे।

अब राजीव और श्याम ने मिलकर उसका ब्लाउस और ब्रा उतार दी। अब वो उसकी चूचियाँ मसलने लगे। फिर श्याम बोला: चलो यार बिस्तर पर अब रहा नहीं जा रहा है।

राजीव ने कहा: हाँ सरला चलो अब सच में मस्त चुदाई करेंगे। फिर तीनों बेडरूम में पहुँचे और वहाँ सरला के पेटिकोट का नाड़ा श्याम ने खोला और राजीव उसकी पैंटी निकाल दिया। अब वह पूरी नंगी खड़ी थी और उसकी बुर में मानो आग सी लगी हुई थी। राजीव ने उसे बिस्तर पर लिटाया और श्याम और राजीव साइड में लेटकर उसकी एक एक चूचि चूसने लगे। राजीव का हाथ अब उसकी जाँघों और उसके बीच बुर में चला गया। श्याम भी उसके पेट को सहला रहा था। सरला उनके लौड़े को अपने हाथ में लेकर दबा रही थी। अब राजीव नीचे जाकर उसकी बुर को चाटने लगा। सरला की उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽ कहकर चीख़ निकल गई। श्याम उसकी चूचि चूस भी रहा था और दबा भी रहा था।

राजीव: श्याम, बुर चोदोगे या गाँड़ मारोगे?

श्याम: आप जो चाहोगे वैसा ही करेंगे।

राजीव : मैं तो बुर चोदूंग़ा। बाद में गाँड़ भी मारूँगा। चलो अब सैंडविच चुदाई करते हैं। मैं और श्याम ब्रेड की तरह बाहर रहेंगे , तुम बीच में सब्ज़ी की तरह अंदर रहना। सब हंस पड़े।

अब राजीव ने उसे अपने बग़ल में लिटा लिया और सरला ने अपनी एक टाँगउठा दी। राजीव ने अपना लौड़ा उसकी बुर के छेद में डाला और फिर एक झटके में पूरा लौड़ा अंदर कर दिया । सरला आऽऽऽँहह कर उठी। फिर उसकी दूसरी तरफ़ से श्याम भी अपने लौड़े पर क्रीम लगाया। उसने उसकी गाँड़ के अंदर २ ऊँगली डाली क्रीम लगाकर और फिर अपना लौड़ा उसकी गाँड में अंदर करने लगा। जल्दी ही दोनों के लौड़े उसकी दोनों छेदों में घुस चुके थे। अब भरपूर चुदाई शुरू हुई।अब सरला भी उई उई ऊँननन उन्न्न्न्न्न और हाऽऽऽयययय फ़ाआऽऽऽड़ो आऽऽऽऽऽहहहह आऽऽऽऽऽऽऽ मरीइइइइइइइ चोओओओओओओओदो चिल्लाए जा रही थी। उसकी कमर आगे पीछे हुई जा रही थी। फिर वह उन्न्न्न्न्न्न्न्न्न कहकर झड़ने लगी। राजीव और श्याम भी अपना अपना वीर्य उसके अंदर डालकर शांत हो गए।

बाद में फ़्रेश होकर सरला आइ और कपड़े की तरफ़ हाथ बधाई।, राजीव ने उसका हाथ पकड़कर उसे नंगी ही बिस्तर पर गिरा गया और और बोला: मेरी जान अभी तो और राउंड करेंगे अभी से कपड़ा कैसे पहनोगी? फिर वह उसे अपने बग़ल में लिटाकर उसके होंठ चूसने लगा। श्याम भी उसके शरीर पर हाथ फेरने लगा।

राजीव: सरला, तुम बता रही थीं कि तुम शादी के पहले चुदवा चुकी हो, बताओ ना किसने तुम्हें चोदा था? और कैसे हुआ ये सब?

सरला: बहुत पुरानी बात है, छोड़िए ना ये सब । ये कहते हुए वह एक हाथ से राजीव का और दूसरे हाथ से श्याम का लौड़ा सहलाने लगी।

श्याम: हाँ जानू सुनाओ ना, कैसे चुदीं तुम पहली बार? बताओ ना प्लीज़।

सरला: अच्छा चलिए बतातीं हूँ।

सरला कहने लगी अपनी पहली चुदाई की कहानी:-------

मैं एक किसान परिवार से हूँ और एक गाँव में ही पली बड़ी हूँ। मेरे घर में बाबा और माँ के अलावा मेरा एक छोटा भाई भी था। जीवन आराम से कट रहा था। पास के गाँव में एक स्कूल में हम पढ़ते थे। जब मेरे शरीर में जवानी के लक्षण उभरने लगे तो माँ ने सब कुछ बताया और पिरीयड्ज़ का भी बताया। गाँव में अब आदमियों की नज़र मुझे बदली हुई सी लगने लगीं। लड़कों ने तो मेरे साथ छेड़ छाड़ भी शुरू कर दी थी। हमारे गाँव के पास एक नदी बहती थी। एक बार शाम को मैं और मेरा भाई पास के गाँव में सगाई के कार्यक्रम के लिए गए । वापसी में हमें देर हो गयी। जब हम नदी के पास पहुँचे तो उस समय क़रीब शाम के ८ बजे थे।

हम वहाँ खड़े होकर नदी का बहाव देख रहे थे। तभी वहाँ जंगल से कुछ आवाज़ें आयीं। हम भाई बहन डर गए। तभी किसी के हँसने की आवाज़ आयी। हे भगवान! ये तो काली की आवाज़ है। काली मेरे से २ साल बड़ी थी और ११ वीं में पढ़तीं थीं। तभी वो भागते हुए सामने आयी और उसके पीछे दो लड़के भागते आए और उसको पकड़ लिए और उसे चूमने लगे।मुझे याद आया कि मेरा छोटा भाई भी ये सब देख रहा है। तभी वो हमको देख लिए। काली मेरे पास आइ और बोली: अरे तुम यहाँ क्या कर रही हो?

मैं: बग़ल के गाँव में सगाई थी वहीं से आ रही हूँ।

काली: अपने भाई को भेज दो घर , हम दोनों थोड़ी देर में आ जाएँगी। फिर मेरे भाई से बोली: तुम जाओ , हम अभी आते हैं।

भाई के जाने के बाद काली उन लड़कों से बोली: अब हम भी दो हैं। अब मुझे अकेली को तंग नहीं कर सकते? वो हँसने लगे। मैं उन दोनों को जानती थी । वो दोनों पढ़ाई छोड़ कर खेतों में काम करते थे और हमसे काफ़ी बड़े थे। वो दोनों कई बार मुझे छेड़ चुके थे। अब एक लड़का कबीर मेरे पास आया और मुझे बोला: तुम तो अब मस्त जवान हो गयी हो, मज़ा लिया की नहीं अपनी जवानी का? वो मेरे संतरों को घूरते हुए बोला।


काली: अरे एकदम भोली है मेरी सहेली। अभी कहाँ लिया है मज़ा । तभी दूसरे लड़के मोहन ने काली को पीछे से पकड़ा और उसके गाल चूमते हुए उसकी बड़ी बड़ी छातियों को दबाने लगा। वह घाघरा चोली में थी। और आऽऽऽह करने लगी। तभी कबीर ने मुझे पकड़कर अपनी बाहों में ले लिया और मुझे चूमने लगा। मुझे झटका लगा। तभी काली बोली: देख कबीर आराम से करना वो ये सब अभी तक करी नहीं है।
WOW NICE THREESOME WITH SEXY FLASHBACK
 
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तभी मोहन ने काली की चोली उठा दी और उसकी बड़ी छातियाँ ब्रा से दिख रहीं थीं। वह अब उनकी काफ़ी बेहरमी से दबा रहा था। वह अब सीइइइइइइ कर उठी। मेरी आँखें भी भारी होने लगी थी ये सब देखकर। तभी कबीर के हाथ भी मेरी छातियों पर आ गए थे। अब मुझे भी अच्छा लग रहा था। फिर वह मुझे भी चूमने लगा। मैं भी काली की तरफ़ देख रही थी। तभी मोहन ने अपनी धोती निकाल दी और उसकी नाड़े वाली चड्डी के एक साइड से उसका बड़ा सा लिंग निकला हुआ दिख रहा था। तभी काली ने उसके लिंग को पकड़ लिया और दबाने लगी। मेरी अब सांसें फूलने लगी थीं। तभी कबीर मेरी फ़्रोक़ उठा कर मेरी चूचियाँ दबाने लगा। अब मैं भी मज़े से भरने लगी। अचानक मोहन ने काली की चूचिया ब्रा से निकाली और उनको चूसने लगा। तभी कबीर ने भी अपनी लूँगी और चड्डी खोल दी और उसका बड़ा सा लिंग मेरी आँखों के सामने थी। उसने मेरे हाथ को खींचकर अपना लिंग मेरे हाथ में दे दिया। उसका गरम और कड़ा लिंग मुझे बेक़रार कर दिया। तभी मैंने देखा कि मोहन ने काली को पेड़ के सहारे झुका दिया और उसके घाघरे को उठाकर उसकी चड्डी नीचे किया और अपना कड़ा लिंग उसकी बुर में डालकर मज़े से चोदने लगा। मेरी आँखें फैल गयीं थीं। मैं पहली बार किसी की चुदाई देख रही थी। मेरी बुर भी गीली हो चुकी थी।

तभी कबीर ने मेरी चड्डी में हाथ डालकर मेरी बुर को पकड़ लिया और दबाने लगा। मेरी तो मस्ती से हालत ख़राब हो रही थी। तभी मुझे समझ में आ गया कि मैं अब चुदने वाली हूँ। मैंने अपना हाथ छुड़ाया और वहाँ से दौड़कर भाग गयी। उस रात भर मुझे काली की चुदाई याद आती रही। और कबीर और मोहन के लिंग मेरी आँखों के सामने झूलते रहे।

श्याम: अरे तो उस दिन तुम्हारी बुर का उद्घाटन नहीं हुआ? वो अब सरला की चूचि दबा रहा था।

राजीव ने भी उसकी चूचि चूसते हुए कहा: फिर तुमको पहली बार किसने चोदा?

सरला आगे बताने लगी: -------

अब मैं अक्सर चुदाई के बारे में सोचती रहती थी। एक दिन माँ ने कहा कि जाओ मंदिर में पुजारी के पास जाओ और उनको ये लड्डू दे दो भगवान को चढ़ाने को। मैं जब मंदिर पहुँची तो पुजारी वहाँ नहीं थे और मंदिर बंद था। वहीं एक औरत मंदिर की सफ़ाई कर रही थी।

मैं: पुजारी जी कहाँ हैं ?

औरत: वह उधर अपने घर ने हैं । अभी मंदिर खुलने में समय है।

मैं उनके घर की तरफ़ गयी, पुजारी जी की पत्नी को मैं अच्छी तरह से जानती थी, वो मेरे माँ की अच्छी सहेली भी थी।

मैं उनके घर पहुँचकर दरवाज़ा खटखटाई और बोली: मौसी , मैं सरला हूँ ज़रा दरवाज़ा खोलिए। तभी मैंने दरवाजे को धक्का दिया और मेरे सामने पुजारी जी थे जो सिर्फ़ चड्डी पहने आँगन में नहा रहे थे। मैं उनका बालों से भरा सीना और पुष्ट शरीर देखकर थोड़ा सा सकपका गयी। तभी वो खड़े हुए और उनकी गीली चड्डी में से लम्बा लिंग साफ़ दिखाई दे रहा था। मैं शर्म से दोहरीहो गयी। वो बोले: बेटी , आ जाओ अंदर,तुम कैसी हो?

मैं: जी ठीक हूँ। फिर मैं मौसी से मिलने अंदर चली गयी। वहाँ कोई नहीं था। तभी पुजारी जी बदन पोछते हुए आए। अब वह एक तौलिए में थे। उनका लिंग तौलिए से साफ़ उभरा हुआ दिख रहा था।

मैं: मौसी कहाँ हैं?

पुजारी: वो तो मायक़े गयी है। बैठो ना बेटी , बोलो कैसे आना हुआ?

मैं: वो लड्डू लायी थी चढ़ावे के लिए। माँ ने भेजा है। मेरी नज़र बार बार तौलिए के उभार पर जा रही थी।
पुजारी जी फ़्रोक़ में से मेरे संतरों को घूरे और बोले: बेटी ठीक है अभी चलते हैं। आज मैंने पहली बार तुम्हें ध्यान से देखा है, बेटी तुम अब मस्त जवान हो गयी हो और बहुत सुंदर भी। वो अभी भी मेरे संतरों को घूरे जा रहे थे। मैंने देखा कि अब उनका तौलिया ऊपर की ओर उठने लगा , मैं समझ गयी कि उनका लिंग वैसे ही खड़ा हो रहा है जैसे उस दिन मोहन और कबीर का खड़ा था। मेरी बुर गीली होने लगी।

तभी पुजारी मेरे पास आए और मेरे कंधों पर हाथ रखकर बोले: बेटी क्या खाओगी? चलो तुमको मिठाई खिलाते हैं। फिर वो मुझे मिठाई दिए और मेरे कंधों और हाथों को सहलाने लगा। फिर वो वहाँ रखे एक कुर्सी पर बैठे और मुझे बोले: बेटी आओ मेरी गोद में बैठो । आज तुम पर बहुत प्यार आ रहा है।

मैं: नहीं पुजारी जी मुझे जाना है।

वो: बेटी क्यों घबरा रही हो? अब तुम बच्ची नहीं हो मस्त जवान हो गयी ही। डरो मत मज़ा लो अपनी जवानी का। ये कहते हुए उसने मुझे अपनी गोद में खिंचा और मेरे चूतर उसके लौड़े पर टिक गए ।मैं उई करके उठी और उसने मेरी फ़्रोक़ ऊपर करके मुझे फिर से अपनी गोद में बिठा लिया। अब मेरी चड्डी में उनके खड़े लिंग का अहसास मुझे हो रहा था। अब वो मुझे चूमने लगे। मैं भी मज़े से आँख बंद कर ली। फिर जब उन्होंने मेरे संतरों को दबाया तो बस मैं बहक गयी। नीचे से लौड़े की चुभन और ऊपर से उनके हाथ मेरे निप्पल को दबाकर मुझे मस्ती से भर दिए थे। अब वो मुझे चूमे जा रहे थे।

फिर वो मेरी फ़्रोक़ को निकालकर मेरी ब्रा में क़ैद संतरों को चूमने लगे और मसलने लगे। फिर उन्होंने मेरी ब्रा भी खोल दी और मेरे संतरों को निचोड़ना शुरू किया। मेरी हाऽऽऽय्य निकल गयी। तभी उनका एक हाथ मेरे पेट को सहलाते हुए मेरी चड्डी पर घूमने लगा। मेरी गीली चड्डी देखकर बोले: बेटी, पिशाब कर दिया क्या? चड्डी गीली हो गई है?

मैं शर्माकर: नहीं, पर पता नहीं कैसे गीली हो गयी।

वो: बेटी, देखूँ अंदर सब ठीक है ना? ये कहकर उन्होंने अपने हाथ मेरी चड्डी में डाला और मेरी बुर और उसके आसपास के रोये जैसे नरम बालों को सहलाने लगे। मेरी अब सिस्कारी निकल गयी।

वो बोले: बेटी अच्छा लग रहा है ना?

मैं: जी बहुत अच्छा लग रहा है। वो मेरी बुर में ऊँगली डालकर उसे छेड़ने लगे और बोले: बेटी कभी किसी से चुदवाई है क्या?

मैं: : जी नहीं कभी नहीं किया।

वो :बेटी तभी तुम्हारी बुर बड़ी टाइट है , मैं तुम्हारी सील तोड़ूँगा। तुमको पहले थोड़ा सा दर्द बर्दाश्त करना होगा। फिर उसके बाद मज़े ही मज़े। ठीक है ना?

मैं: जी ठीक है। मेरी बुर पनिया चुकी थी और अब मैं चुदवाने को मरी जा रही थी।

वो: ठीक है बेटी फिर उठो और नीचे ज़मीन पर बने बिस्तर को दिखा कर बोले: चलो यहाँ लेट जाओ।

मैं वहीं लेट गयी । अभी मैंने सिर्फ़ चड्डी पहनी थी। उन्होंने भी अपना तौलिया खोलकर निकाला और उनका लौड़ा देखकर मेरे प्राण निकल गए कि इतना बड़ा मूसल मेरे अंदर जाएगा कैसे?( उनका आपके जितना ही बड़ा था, वो श्याम से बोली। )

तभी उन्होंने किचन से तेल लाकर मेरी बुर में डाला और ऊँगली से मेरी बुर को फैलाकर उसमें दो उँगलियाँ डाली और फिर अपने लौड़े पर भी तेल मला। फिर मेरी टाँगे घुटनों से मोड़कर पूरा फैलाया और बीच में बैठकर अपना लौड़ा मेरी बुर के मुँहाने में लगाया और धीरे धीरे से दबाने लगा। मेरी तो जैसे जान ही निकल गयी। मुझे लगा कि मेरे अंदर जैसे कोई कील गड़े रहा है। मैंने उनसे अलग होने की कोशिश की जो नाकयाब साबित हुई। अब मेरे रोने का उनपर कोई असर नहीं हो रहा था। वो अपना पूरा लौड़ा अंदर करके मेरे होंठ और मेरी चूचि चूसने लगे। जल्द ही मेरा दर्द कम होने लगा। फिर वो पूछे: बेटी अब दर्द कम हुआ?

मैं: जी दर्द अब कम हुआ है।

वो: तो फिर चुदाई शुरू करूँ?

मैं शर्माकर बोली: जी करिए।

वो मुस्कुराकर मेरे संतरों को दबाकर चूसे और फिर अपनी क़मर हिलाकर मेरी चुदाई शुरू किए। मेरी टाइट बुर में उनका लौड़ा फँस कर अंदर बाहर हो रहा था । अब मुझे फिर से दर्द भी हो रहा थ और मज़ा भी आ रहा था। मैं उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ करके चिल्ला रही थी। पर अब वो पूरी तरह से चुदाई में लग गए थे और मेरी बुर की धज्जियाँ उड़ रही थी। आधा घंटा चुदाई के बाद वो झड़कर मेरे ऊपर से उठे। मैं भी दो बार झड़ी थी। मैं चुदाई के बाद एक लाश की तरह चुपचाप पड़ी थी। मेरी बुर में बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा था। वो उठकर एक गीला तौलिया लाए और बड़े प्यार से मेरी बुर को साफ़ किए और बोले: देखो बेटी, कितना ख़ून निकला है , पहली बार ऐसा होता है। अब तुम्हारी बुर मस्त खुल गयी है , अब आराम से चुदवा सकती हो। ठीक है ना? आज तुमको चलने में थोड़ी तकलीफ़ होगी, घर में बोल देना की पैर में मोच आ गयी है। ठीक है ना बेटी?

मैं: जी पुजारी जी।

जब मैं वापस आने लगी तो वो प्यार करते हुए बोले: बेटी जब चुदवाने की मर्ज़ी हो तो आ जाना। ऐसा कहते हुए उन्होंने मेरे संतरे दबा दिए और मेरे चूतरों पर हाथ भी फेर दिया।
मैं कई बार उनसे चुदवाई थी शादी के पहले। मेरे पति चुदाई के मामले में ज़्यादा मज़ा नहीं दिए पर मैं उनके साथ गुज़रा करती रही। बाद में उनकी मृत्यु के बाद श्याम जी ने मुझे संतुष्ट किया। और अब आप दोनों मुझे सुख दे रहे हो। यही मेरी कहानी है।

सरला की कहानी सुनकर दोनों गरम हो चुके थे । राजीव तो उसकी बुर में मुँह घुसाकर उसकी बुर चाटने लगा था। अब श्याम नीचे लेटा और सरला अपनी बुर में उसका लौड़ा घुसेड़ ली। फिर पीछे से राजीव ने उसकी गाँड़ में क्रीम लगाकर उसकी गाँड़ में अपना लौड़ा पेल दिया। अब सरला की फिर से डबल चुदाई चालू हुई। सरला चिल्लाने लगी। उन्न्न्न्न्न्न्न्न उइइइइइइ और फ़च फ़च और ठप्प ठप्प की आवाज़ें कमरे में भर गयीं थीं।

राजीव उसकी चूचियाँ भी मसल रहा था और सरला के कान में बोला: आऽऽऽह क्या मस्त गाँड़ है तुम्हारी । क्या टाइट है जानू। फिर वो उसके चूतरों को दबाकर उसपर थप्पड़ मारने लगा। वह चिल्ला कर अपनी गरमी को व्यक्त कर रही थी। अब चुदाई पूरी जवानी पर थी। पलंग भी चूँ चूँ कर रहा था। तभी सरला जो श्याम के लौड़े पर उछल उछल के चुदवा रही थी, बड़बड़ाने लगी : आऽऽऽह मज़ाआऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽ है। मैं गईइइइइइइइइ कहते हुए झड़ने लगी। उधर श्याम और राजीव भी झड़ गए। सब अग़ल बग़ल लेटकर सब एक दूसरे का बदन सहलाने लगे। राजीव सरला के भरे हुए बदन पर हाथ फेरते हुए बोला: बहुत मज़ा आया जानू , क्या भरा बदन है तुम्हारा। एकदम मख़मल सा बदन है । वह उसके बड़े चूतरों को सहलाते हुए बोला: म्म्न्म्म्म मज़ा आ जाता है इनपर हाथ फेरने में। फिर उसके पेट से लेकर उसकी छाती सहलाकर बोला: ये दूध कितने रसभरे हैं। सरला हँसने लगी।

उस दिन और कुछ ख़ास नहीं हुआ। सरला और श्याम वापस अपने शहर आ गए।
अगले दिन शादी को सिर्फ़ सात दिन रहे थे। दोनों बाप बेटा बड़े ख़ुश थे क्योंकि आज महक अमेरिका से आने वाली थी। शिवा को दीदी और राजीव की इकलौती लाड़ली बेटी। शिवा और राजीव एयरपोर्ट पहुँचे उसे लेने के लिए।
महक जब एयरपोर्ट से बाहर आइ तो शिवा की आँखें ख़ुशी से चमक उठी। उसकी प्यारी दीदी जो आयी थी वो भी काफ़ी दिनों के बाद। वो उससे जाकर लिपट गया और वह भी उसे गले लगाकर प्यार करने लगी। राजीव भी बहुत ख़ुश हुआ इतने दिनों कि बाद अपनी बेटी को देखकर। पर उसकी आँखें उसकी टॉप पर भी थी जिसमें से उसकी मस्त गदराइ हुई छातियाँ बिलकुल मादक लग रही थी। उसकी टॉप से झाँकती हुई अधनग्न छातियाँ उसे और भी सेक्सी बना रही थी। उसकी हिप हगिंग जींस भी बहुत कामुक दृश्य प्रस्तुत कर रही थी। उसके चुतरों के उभार और भी सेक्सी लग रहे थे । जब वह शिवा से लिपटी और उसके बाद वह अपना समान लेने के लिए झुकी , उसकी जींस नीचे खिसकी और उसकी गाँड़ की दरार सबके सामने थी। आते जाते लोग भी उसकी मस्त गोरी गाँड़ की दरार देख रहे थे और अपना लौंडा अपने पैंट में अजस्ट कर रहे थे। उसे अपने लौंडे में भी हरकत सी महसूस हुई। अब वो आकर पापाआऽऽऽऽ कहकर राजीव से लिपट गई। उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ राजीव के चौड़े सीने से टकरा कर राजीव के पैंट में और ज़ोर से हलचल मचा दीं।उसका हाथ महक की कमर पर पड़ा और वहाँ के चिकनी त्वचा को सहला कर राजीव के लौंडे को पूरा खड़ा कर बैठा। सरला अब राजीव के गाल को चूम रही थी और बोली: पापा कैसे हैं आप?


राजीव के हाथ उसकी कमर से खिसक कर उसकी चुतरों पर पहुँच गया, क्योंकि वह उछल कर उसकी गर्दन से चिपक गयी थी। राजीव अपने हाथ को उसके चुतरों से हटा कर बोला: बेटी मैं बिलकुल मज़े में हूँ। हम सब तुमको बहुत मिस करते हैं।वह उसके गाल चूमते हुए बोला और उसके बालों पर भी प्यार से हाथ फेरा। इसके साथ ही वह ख़ुद अपना निचला हिस्सा पीछे किया ताकि महक को उसके लौंडे की हालत का पता नहीं चले।
WOW NICE UPDATE PUJARI BABA KA PREM
 
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फिर महक अलग होकर अपना समान उठाने लगी और फिर से उसकी आधी छातियाँ उसके सामने झूल गयी थीं साथ ही उसकी गाँड़ की दरार भी फिर से उसकी आँखों के सामने थी। इस बार तो शिवा की भी आँखें उसके जवान बदन पर थीं।

फिर सब बाहर आए और शिवा ने कार में सामान डाला और कार चलाकर घर की ओर चल पड़ा। राजीव और महक पीछे की सीट पर बैठे थे। महक ने राजीव का हाथ अपने हाथ ने ले लिया और बोली: पापा। आप माँ को बहुत मिस करते होगे ना?

राजीव की आँखों के आगे सरला और रानी का नंगा बदन आ गया। वो सोचने लगा कि मेरे जैसा कमीना उसको क्या मिस करेगा? पर वह बोला: हाँ बहुत याद आती है उसकी। एकदम से मुझे अकेला छोड़ गयी वह।

महक: पापा , मुझे भी मॉ की बहुत याद आती है। ये कहते हुए उसकी आँख भर आइ और वो अपना सिर राजीव के कंधे पर रखी । अब उसकी एक छाती राजीव की बाँह से सट गयी थी। राजीव के बदन में उसकी मस्त और नरम छाती का अहसास उसे फ़िर से उत्तेजित करने लगा। महक के बदन से आती गन्ध भी उसे पागल करने लगी। उसने देखा कि महक की आँखें बन्द थीं और राजीव ने उसका फ़ायदा उठाते हुए अपनी पैंट में लौंडे को ऐडजस्ट किया। अब वह अपनी बाँह उसके कंधे पर ले गया और उसे शान्त करने लगा। उसका हाथ उसकी छाती के बहुत क़रीब था। तभी वह अपनी आँख खोली और शिवा को बोली: और मेरे भय्या का क्या हाल है। शादी के लिए रेडी हो गए हो ना? ये कहते हुए वह आगे को झुकी और राजीव का हाथ उसकी छाती से टकराया। राजीव ने अपना हाथ नहीं हटाया और महक ने भी ऐसा दिखाया जैसे उसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।

थोड़ी देर तक वो शिवा और राजीव से अब तक की तय्यारियों का अपडेट ली और बोली: बाप रे, अभी बहुत काम बाक़ी है। चलो अब मैं आ गयी हूँ , अब सब ठीक कर दूँगी। कहते हुए वह राजीव का हाथ जो उसकी छाती को छू रहा था , उसे अपने हाथ में लेकर वह उसे चूम ली और बोली: पापा आइ लव यू।

राजीव ने भी उसे अपने से सटाकर कहा: बेबी आइ लव यू टू।

शिवा: दीदी मेरा क्या? मुझसे कोई प्यार नहीं करता क्या?

दोनों हँसने लगे और बोले: वी लव यू टू ।

तभी वह सब घर पहुँच गए।

घर पहुँचने पर रानी ने सबको नाश्ता कराया और सब चाय पीते हुए बातें करने लगे। शादी की तय्यारियाँ बहुत डिटेल में डिस्कस हुई। फिर महक बोली: मैं अभी सोऊँगी बहुत थक गयीं हूँ। शाम को हम होटेल जाकर मिनु फ़ाइनल करेंगे।

शिवा: और खाना भी वहीं खा लेंगे। ठीक है ना पापा?

राजीव: बिलकुल ठीक है, महक के आने का सेलब्रेशन भी हो जाएगा।

महक: पापा मेरा कमरा ठीक है ना?

रानी: जी आपका कमरा बिलकुल साफ़ और तय्यार है।

फिर महक उठी और एक बार उसकी गाँड़ की दरार राजीव और शिवा की आँखों के सामने थीं। इस बार राजीव से रहा नहीं गया और वह बोला: बेटी, इस तरह की पैंट क्यों पहनती हो? पीछे से पूरी नंगी हो रही हो।

वो हँसकर बोली: पापा आपने तो मुझे पूरा नंगा देखा है, आपको क्या फ़र्क़ पड़ता है। पर अब मैं इंडिया में ऐसे कपड़े नहीं पहनूँगी। ठीक है ना?

राजीव ने उसकी कमर सहला कर कहा: ठीक है बेटी, जाओ अब आराम कर लो। वह रानी के साथ चली गयी।

थोड़ी देर में शिवा भी दुकान चला गया। क़रीब आधे घंटे के बाद रानी राजीव के कमरे में आइ और मुस्कुरा कर बोली: आपको शर्म नहीं आती , अपनी बेटी की गाँड़ को घूरते हुए।

राजीव बेशर्मी से बोला: वह भी तो अपनी गाँड़ दिखाए जा रही थी। मेरी क्या ग़लती है? उसने अपना लौंडा दबाकर बोला: देखो इस बेचारे की क्या हालत ही गयी है ?

रानी हँसती हुई बोली: ये और बेचारा? इसका बस चले तो यह महक की गाँड़ में भी समा जाता।

राजीव ने अपनी पैंट उतारी और चड्डी भी उतारा और रानी को लौड़ा चूसने का इशारा किया। रानी उसके लौंडे को सहलाकर बोली: आपको पता है महक ने अपनी पैंट और टॉप उतार दिया है और सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में सो रही है। देखना है क्या?

राजीव के लौंडे ने ये सुनकर झटका मारा और राजीव बोला: सच में ? मगर उसने चद्दर ओढ़ी होगी ना? दिखेगा थोड़ी?

रानी उसके लौंडेको चूसते हुए बोली: उसे बहुत गरमी लगती है इसलिए उसने कुछ भी नहीं ओढ़ा है।

राजीव उठते हुए बोला: चलो वहीं चलते हैं, उसे देखते हैं की जवान होकर वह अब कैसी दिखती है?

वो दोनों उसके कमरे की खिड़की के पास आकर पर्दा हटाकर झाँके और आऽऽऽह सामने महक ब्रा और पैंटी में करवट लेकर सोयी हुई थी। ब्रा से उसकी बड़ी छातियाँ आधी बाहर दिखाई दे रही थीं। उसका नंगा गोरा पेट और उसकी गदराइ जाँघें भी बहुत मादक दिख रही थीं। उसका मुँह खिड़की की तरफ़ था। रानी धीरे से बोली: मज़ा आ रहा है ना? राजीव ने उसकी गर्दन पकड़ी और उसको अपने घुटनों पर झुका दिया और वह उसके लौंडे को चूसने लगी। राजीव महक को देखते हुए रानी के मुँह को चोदने लगा। उसकी कमर हिले जा रही थी और अब रानी ने भी डीप थ्रोट से चूसना शुरू कर दिया था। वह अपनी जीभ से उसके मोटे सुपाडे को भी रगड़ रही थी। उसके बॉल्ज़ को भी चाटे जा रही थी।

तभी अचानक राजीव की नज़र ड्रेसिंग टेबल के शीशे पर पड़ी और वहाँ उसे शीशे में महक की मोटी मोटी गाँड़ दिखाई दे गयी। आऽऽऽऽऽऽह क्या मस्त गदराइ हुई गाँड़ थीं। दोनों चूतर मस्त गोरे और नरम से दिख रहे थे और उनके बीच में एक छोटी सी पट्टी नुमा रस्सी थी जो गाँड़ की दरार में गुम सी हो गयी थी। क्या दृश्य था और राजीव अब ह्म्म्म्म्म्म करके रानी के मुँह में झड़ने लगा। रानी ने उसका पूरा रस पी लिया।

अब राजीव वहाँ से हटा और अपने कमरे में आ गया। अब जब उसकी वासना का ज्वार शान्त हो चला था तो उसे अपने आप पर शर्म आयी और वह सोचने कहा कि कितनी गंदी बात है, वो अपनी प्यारी सी शादीशुदा बेटी के बारे में कितना गंदा सोच रहा है। उसने अपने सिर को झटका और फ़ैसला किया कि ऐसे गंदे विचार अब अपने दिमाग़ में नहीं आने देगा आख़िर वो उसकी इकलौती बेटी है। अब उसे थोड़ा अच्छा महसूस हुआ और वो शादी के बजट वग़ैरह की योजना बनाने में लग गया। तभी रानी आइ और बोली: तो कब चोदोगे अपनी बेटी को?

राजीव: देखो रानी, आज जो हुआ सो हुआ । अब हम इसकी बात भी नहीं करेंगे। वो मेरी बेटी है और मैं उसे कैसे चोद सकता हूँ? ठीक है ?

रानी हैरान होकर: ठीक है साहब जैसा आप चाहें।
अब राजीव अपने काम में लग गया।
शिवा ने दुकान से मालिनी को फ़ोन किया: कैसी हो मेरी जान।

मालिनी: ठीक हूँ। आज बड़े सबेरे फ़ोन किया सब ख़ैरियत?

शिवा: सब बढ़िया है। आज दीदी भी आ गयीं हैं। अब शादी की रौनक़ लगेगी घर पर। और तुम्हारे यहाँ क्या चल रहा है?

मालिनी: सब ठीक है, मम्मी और ताऊजी टेन्शन में हैं शादी की।

शिवा: अरे सब बढ़िया होगा। मैं मम्मी को फ़ोन कर देता हूँ कि टेन्शन ना लें।

मालिनी: प्लीज़ कर देना उनको अच्छा लगेगा। अरे हाँ मेरी सहेलियाँ पूछ रहीं थीं कि हनीमून पर कहाँ जा रही हूँ? क्या बोलूँ?

शिवा: बोलो कहाँ जाना है?

मालिनी: आप बताओ मुझे क्या पता?

शिवा : मुझे तो शिमला जाने का मन है या फिर गोवा चलते हैं। तुम बताओ कहाँ जाना है?

मालिनी: गोवा चलते हैं। वैसे मेरी एक सहेली बोली की कहीं भी जाओ , एक ही चीज़ देखोगी और कुछ देखने को तो मिलेगा नहीं। मैंने पूछा कि क्या देखने को मिलेगा? तो वो जानते हो क्या बोली?

शिवा: क्या बोली?

मालिनी: वो बोली कि होटेल के कमरे का पंखा देखोगी और कुछ नहीं।

शिवा हैरानी से: क्या मतलब ? होटल का पंखा?

मालिनी हँसने लगी और बोली: आप भी बहुत भोले हैं जी। मतलब मैं बिस्तर में पड़ी रहूँगी और आप मेरे ऊपर रहोगे और मैं सिर्फ़ पंखा ही देखूँगी।

अब बात शिवा को समझ में आइ और वो हँसने लगा और बोला: हा हा , क्या सोचा है। कोई इतना भी तो नहीं लगा रहता है दिन रात इस काम में। हा हा गुड जोक।
वैसे मुझे भी लगता है कि शायद तुम पंखा ही देखोगी। ठीक है ना?

मालिनी हंस कर: मैं तो जाऊँगी ही नहीं अगर सिर्फ़ पंखा ही दिखाना है। वैसे भी पार्क में जो उस दिन आपका बड़ा सा देखा था, वह अभी भी सपने में आता है और मेरी नींद खुल जाती है उस दर्द का सोचकर जो आप मुझे सुहाग रात में देने वाले हो।

शिवा हँसकर: मैं कोई दर्द नहीं देने वाला हूँ। तुम भी बेकार में ही डरी जा रही हो। वैसे हम सुहाग रात में करेंगे क्या? मुझे तो कोई अनुभव ही नहीं है। चलो कुछ दोस्तों से पूछता हूँ कि कैसे और क्या करना होगा?

मालिनी: हाँ ये भी पूछ लेना कि बिना दर्द के ये काम कैसे होता है।

शिवा: क्या तुम भी ? बस एक दर्द का ही क़िस्सा लेकर बैठी हो। एक बात बोलूँ, दीदी से पूछ लूँ क्या?

मालिनी: छी वो तो एक लड़की हैं , उनसे कैसे पूछोगे? वैसे आपने बताया था कि आपने ब्लू फ़िल्मे देखीं हैं तो वहीं से सीख लो ना।

शिवा: अरे उसमें तो सब उलटा सीधा दिखाते हैं, एक बात बोलूँ मैं दीदी से बात करता हूँ और तुमको भी फ़ोन पर ले लेता हूँ। चलेगा?

मालिनी: छी कुछ भी बोलते हो? बिलकुल नहीं, मैं तो मारे शर्म के मर ही जाऊँगी। आप अपने दोस्तों से ही पूछ लो।

शिवा: चलो दोस्तों से ही पूछता हूँ। तो फिर गोवा पक्का ना, बुकिंग करा लूँ।

मालिनी: हाँ करवा लीजिए। पर कमरे में पंखा नहीं होना चाहिए सिर्फ़ एसी होना चाहिए। हा हा ।
दोनों हँसे और फ़ोन रख दिया।

शिवा ने सुहाग रात की डिटेल जानने के लिए अपने दोस्त अशोक को फ़ोन किया। उसकी पास ही अनाज की दुकान थी और उसकी शादी को १ साल हो चुका था।

अशोक: वाह आज इतने दिन बाद कैसे याद आइ?

शिवा: बस ऐसे ही , अगर बहुत व्यस्त ना हो तो चलो कॉफ़ी पीते हैं।

फिर वो और अशोक कॉफ़ी हाउस में मिले और कुछ इधर उधर की बातें करने के बाद शिवा बोला: यार अगले हफ़्ते मेरी शादी है, और मुझे सच में सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं आता। थोड़े टिप्स दे देना यार।

अशोक हँसते हुए: तू भी इतना बड़ा हो गया है और बच्चों के जैसी बातें करता है।अरे ब्लू फ़िल्म तो देखा होगा ना अगर चुदाई नहीं की है तो। देख भाई मैंने तो शादी के पहले ही तीन लड़कियाँ चोद रखीं थीं सो मुझे कोई परेशानी नहीं हुई। तू भी किसी को चोद ले आजकल में और फिर मना सुहागरत मज़े से ।

शिवा : नहीं ये मैं कभी भी नहीं करूँगा। यार तू बता ना कि कैसे शुरू करते हैं ?

अशोक: मैं तो प्रेक्टिकल करके बता सकता हूँ अगर तू चाहे तो। मेरी एक गर्ल फ़्रेंड है उसे बोल दूँगा वो रोल प्ले कर देगी मेरी दुल्हन का। बोल इंतज़ाम करूँ?

शिवा: पर मैं कैसे देखूँगा? मतलब तुम दोनों को शर्म नहीं आएगी? और फिर तुम अपनी पत्नी को धोका भी तो दोगे?

अशोक: बाप रे इतने सवाल !! तुम उसी कमरे में कुर्सी में बैठ कर देखोगे। हमको कोई शर्म नहीं आएगी। और हाँ शादी के बाद थोड़ा बहुत ये सब चलता है। ये लड़की पिंकी मुझसे हफ़्ते में एक बार तो चुदवाती ही है।

शिवा हैरान होकर: उसी कमरे में ? क्या यार मुझे शर्म आएगी।

अशोक: मैं शर्त लगाता हूँ कि तुम भी मज़े में आकर मेरे सामने उसे चोदोगे। तो बताओ कब का प्रोग्राम रखें?

शिवा: कल दोपहर का रख लो।

अशोक: चलो उसको पूछता हूँ, वो भी फ़्री होनी चाहिए। उसने पिंकी को फ़ोन लगाया और स्पीकर मोड में डाल दिया। अशोक: कैसी हो मेरी जान?

पिंकी: बस ठीक हूँ , आज कैसे मेरी याद आइ?

अशोक: यार तुमको मेरे एक दोस्त की मदद करनी है। वो शादी कर रहा है। तुम्हें उसके सामने मेरी बीवी बनकर मेरे साथ सुहाग रात मनानी होगी। बोलो ये रोल प्ले करोगी?

पिंकी: याने कि वह ये सब देखेगा?

अशोक: और क्या ? उसके लिए ही तो कर रहे हैं।

पिंकी: फिर तो उसे मुझे कोई महँगी गिफ़्ट देनी पड़ेगी।

अशोक: कैसी गिफ़्ट?

पिंकी: उसको फ़ैसला करने दो ओर मेरा दिल Oppo के फ़ोन पर आया हुआ है।

अशोक ने प्रश्न सूचक निगाहों से शिवा को देखा तो वो हाँ में सिर हिला दिया। अशोक: ठीक है ले लेना। तो फिर कल १२ बजे मिलें तुम्हारे घर पर?

पिंकी: ठीक है आ जाओ। यह कहकर उसने फ़ोन काट दिया।

फिर वो दोनों कल मिलने का तय करके वापस अपने दुकान आ गए।

शिवा ने मालिनी को फ़ोन किया: देखो तुम्हारे साथ सुहाग रात कितनी महोंगी पड़ी अभी से । वो लड़की जो सुहागरत में दुल्हन की ऐक्टिंग करेगी मेरे दोस्त के साथ उसे एक स्मार्ट फ़ोन ख़रीद कर देना पड़ेगा।

मालिनी: ओह तो आपने इंतज़ाम कर ही लिया? मुझे तो लगता है कि कल आपका भी उस लड़की के साथ सब कुछ हो ही जाएगा।

शिवा: सवाल ही नहीं पैदा होता। मैंने अपने कुँवारेपन को तुम्हारे लिए बचा के रखा है मेरी जान। सुहागरात में हम दोनों कुँवारे ही होंगे। ठीक है?

मालिनी: देखते है कल के बाद आप कुँवारे रहते भी हो या नहीं।


शिवा: देख लेना। फिर दोनों ने फ़ोन रख दिया।
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शाम को शिवा ज़रा जल्दी घर आ गया और फिर महक और राजीव के साथ सब उस होटेल गए जहाँ शादी होनी थी। महक ने मिनु फ़ाइनल किया और सजावट की भी बातें मैनेजर को समझाईं। फिर वो सब वहाँ डिनर किए। सबने ख़ूब बातें की और राजीव ने पारिवारिक सुख का बहुत दिन बाद आनंद लिया। महक भी सलवार कुर्ते में बहुत प्यारी लग रही थी। शिवा भी काफ़ी हैंडसम था और राजीव को अपने बच्चों के ऊपर घमंड सा हो आया। शिवा महक को जिजु की बातें करके छेड़ रहा था। सब हंस रहे थे और मज़े से खाना खा रहे थे। घर आकर सब सोने चले गए।

अगले दिन दोपहर को अशोक का फ़ोन आया और उसने शिवा को एक पते पर आने को कहा। जब वो उस फ़्लैट में पहुँचा तो अशोक और पिंकी वहाँ पहले से पहुँचे हुए थे। पिंकी ने लाल साड़ी पहनी थी वो क़रीब २६/२७ साल की लड़की थी और शरीर से थोड़ी मोटी थी। पता नहीं अशोक ने उसमें क्या देखा जो अपनी बीवी छोड़कर इसके पीछे फ़िदा है- शिवा ने सोचा। यह तो उस बाद में पता चलने वाला था कि पिंकी में क्या ख़ास है। शिवा ने पिंकी को हेलो कहा और उसका गिफ़्ट स्मार्ट फ़ोन उसे दे दिया। वह ख़ुश होकर शिवा के गाल चूम ली। शिवा शर्मा गया।

अशोक बोला: चल पिंकी ज़्यादा समय नहीं है, हमें दुकान वापस भी जाना है। चल सुहागरत का डेमो दे देते हैं इसको। वह हँसने लगी और सब बेडरूम में चले गए। शिवा वहाँ बेड के पास रखी एक कुर्सी पर बैठ गया। पिंकी अपना घूँघट निकालकर बिस्तर पर बैठ गयी। अशोक बाहर से अंदर आने का अभिनय किया और आकर बिस्तर के पास आकर उसके पास बैठ गया। फिर उसने शिवा की गिफ़्ट को पिंकी के हाथ में देकर कहा: जानेमन, ये लो मेरी ओर से सुहाग रात की गिफ़्ट। फिर उसने उसका घूँघट उठाया और उसके हुस्न की तारीफ़ करने लगा। वह अब उसके पास आके उसके हाथ को चूमा और फिर उसके हाथ को चूमते हुए उसकी गरदन के पास जाकर उसके गाल चूमा। पिंकी शर्मायी सी बैठी थी। फिर वह उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिया और उसे चूमने लगा। फिर उसने अपनी जीभ उसके मुँह में डाली और उसके निचले होंठ को चूसने लगा। शिवा ग़ौर से ये सब देख रहा था और उसके लौड़े ने अँगडाइयाँ लेनी शुरू कर दी थी।

अब अशोक ने उसकी साड़ी का पल्लू नीचे किया और पिंकी की भारी छातियाँ ब्लाउस से बाहर झाँकने लगीं। अब उसने ब्लाउस के ऊपर से उसके दूध को दबाया और पिंकी ने झूठ मूठ में हाऽऽऽय करके अपना भोलापन दिखाया। अब पिंकी की भी सांसें तेज़ चलने लगीं थीं। फिर अशोक ने अपनी क़मीज़ उतार दी और अब पिंकी को बिस्तर पर लिटा दिया और उससे चिपक कर उसके होंठ चूसते हुए उसके बदन पर हाथ फिराने लगा। फिर बड़ी देर तक चुम्बन लेने के बाद वह उसके ब्लाउस के हुक खोला और उसको उतार दिया । अब ब्रा में क़ैद उसके मोटे मम्मों को दबाकर उसने पिंकी की हाऽऽऽय निकाल दी। फिर उसने साड़ी उतारी और पेटिकोट का नाड़ा भी खोला और पिंकी अब सिर्फ़ ब्रा और पैंटी ने थी। उसका थोड़ा मोटापा लिया हुआ बदन सेक्सी लग रहा था। बस पेट और जाँघों पर एक्स्ट्रा चरबी थी। अशोक अब उसके बदन को सहलाने लगा। पिंकी शर्माने की ऐक्टिंग कर रही थी। फिर अशोक ने अपने पूरे कपड़े खोले और उसका सामान्य साइज़ का लौड़ा शिवा के सामने था। उसने पिंकी के हाथ में लौड़ा देने की कोशिश की पर पिंकी थोड़ी देर बाद उसे छोड़ दी। अब अशोक ने ब्रा का हुक खोला और उसकी मोटी छातियाँ अशोक और शिवा के सामने थीं। पिंकी उनको अपने हाथ से छुपाने की ऐक्टिंग कर रही थी। अब अशोक ने उसका हाथ हटाया और उसकी छातियाँ दबाने लगा और फिर मुँह में लेकर चूसने भी लगा। अब पिंकी की हाऽऽऽऽऽऽऽयह उइइइइइइइइइ निकलने लगी।

अब शिवा का लौड़ा बहुत टाइट हो गया था और वह उसे सहलाने लगा। उधर अशोक नीचे आकर उसकी पैंटी निकाला और उसकी जाँघें फैलाकर उसने ऊँगली डालकर हिलाने लगा। अब पिंकी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्ग कर उठी। फिर उसने पिंकी की गाँड़ के नीचे तकिया रखा और उसकी टाँगें मोड़कर अपना लौड़ा उसके छेद में लगाकर धक्का दिया और लौड़ा उसकी बुर में घुस गया। फिर वह उसके ऊपर आकर उसकी चुदाई करने लगा। शिवा को लगा कि ये सब देखना बेकार ही हो गया क्योंकि सभी ब्लू फ़िल्म में भी कुछ ऐसा ही होता है। अब वह अपने लौड़े को मसल रहा था।

थोड़ी देर बाद दोनों चिल्लाकर झड़ने लगे। शिवा ये सब देख कर बहुत उत्तेजित हो चुका था। अब अशोक पिंकी के ऊपर से हटकर बग़ल में लेट गया। पिंकी की फैली जाँघों के बीच में सफ़ेद वीर्य चमक रहा था। उसने एक कपड़े से अपनी बुर को पोंछा। फिर शिवा के पैंट के उभार को देख कर बोली: कुछ सीखा आपने? ऐसे होती है चुदाई। आओ अपना भी डाल दो मेरी बुर में। एकदम रेडी है चुदवाने के लिए। ये कहकर उसने अपनी बुर में दो उँगलियाँ डाली और शिवा को आँख मारी।

अशोक भी हँसकर बोला: हाँ यार आज तू भी प्रैक्टिकल कर ले। वह भी अपना सुकडा हुआ लौड़ा कपड़े से पोंछने लगा।

शिवा: नहीं मुझे नहीं करना। मैंने जो देखना था देख लिया है। अब मैं चलता हूँ।

अशोक: अरे यार अभी तूने पिंकी का नक़ली रूप देखा है, अब तू इसका असली रूप देख ले फिर चले जाना। फिर वह पिंकी से बोला: चल अब अपना असली रूप दिखा जिसने मुझे दीवाना बना दिया है।

पिंकी हँसकर उठी और बोली: देखो राजा , मज़ा कैसे लेते हैं चुदाई का।

फिर पिंकी ने अशोक का लौड़ा ऊपर से नीचे तक चाटा और फिर उसे चूसने लगी। अब उसका लौड़ा उसके मुँह में बड़ा होता चला गया। फिर उसने क़रीब १५ मिनट उसे चूसा और चाटा। फिर वह आकर उसके लौड़े पर बैठी और उसे अपनी बुर में अंदर करके उछल कर चुदवाने लगी। फ़च फ़च और ठप्प ठप्प की आवाज़ के साथ पलंग भी चूँ चूँ कर उठा। फिर वह ६९ की पोजीशन में आकर अपनी बुर चटवाते हुए उसका लौड़ा चूसने लगी। फिर अशोक ने उसे पलटा और वह उसके ऊपर आकर उसे चोदने लगा। वह भी अपनी गाँड़ उठाकर उसका साथ देनी लगी। फिर आख़िर में उसने उसको कुतिया बनाकर पीछे से चोदा और उसके अंदर झड़ गया।

हाँफते हुए उसके बग़ल ने लेटकर अशोक बोला: देखा साली कैसी रँडी के माफ़िक़ चुदवाती है? मेरी बीवी को साली अभी तक मुझसे शर्म आती है। ना वो कमर उछालती है और ना ही मुँह में लेती है। इस तरह मेरे ऊपर आकर चोदना तो बहुत दूर की बात है। समझा, मैं क्यों इसके पास आता हूँ? जो बीवी से नहीं मिलता वो ये देती है।

शिवा अपना लौड़ा पैंट में ऐडजस्ट किया और बोला: मैं समझ गया। अब चलता हूँ। ये कहकर वो बाहर आया और सोचने लगा कि अगर अशोक की बीवी उसका ठीक तरह से साथ देती तो शायद वो पिंकी के चक्कर में नहीं पड़ता।

दुकान में आकर वह बाथरूम में गया और मूठ्ठ मारा और अपने काम में लग गया। शाम को मालिनी का फ़ोन आया: कैसे हो?

शिवा: मज़े में हूँ।

मालिनी: वो तो होंगे ही, मज़ा जो करके आ रहे है । कैसा रहा प्रैक्टिकल अनुभव ?

शिवा: सिर्फ़ देखा, किया कुछ नहीं।

मालिनी: क्या पता ? वैसे हुआ क्या ये तो बताइए ?

शिवा: मेरा दोस्त अपनी गर्ल फ़्रेंड के पास ले गया था। वहीं पर उन्होंने मुझे सेक्स करके दिखाया और क्या?

मालिनी: फिर आपका मन नहीं किया?

शिवा: मेरा मन तो सिर्फ़ तुम्हारे साथ करने का है। वो बोली थी पर मैंने मना कर दिया।

मालिनी: आप सच में बहुत अच्छे हो। बहुत प्यारे। ये कहते हुए उसने पहली बार उसे फ़ोन पर किस्स किया मुआआऽऽऽऽ बोलके।

शिवा: ओह थैंक्स ड़ीयर । मुआआऽऽऽऽ ।

मालिनी: चलो अब रखती हूँ। उसने फ़ोन काट दिया।
रात को सब एक साथ खाना खा रहे थे और हँसी मज़ाक़ चल रहा था। राजीव सोच रहा था कि महक के आने से घर में कितनी चहल पहल हो गयी थी। अभी वह नायटी में थी और जब वो हँसती थी तो उसके बड़े बड़े दूध ब्रा में उछलते थे जो शिवा और राजीव की आँखों को अपनी ओर आकर्षित कर ही लेते थे। फिर वह दोनों वहाँ से आँखें हटा लेते थे और मन में ग्लानि के भाव से भर उठते थे।
राजीव खाने के बाद थोड़ी देर बाद सोने चला गया। शिवा और महक अमेरिका की बातें करने लगे।

अचानक शिवा बोला: दीदी एक बात बोलूँ, आप नाराज़ मत होना।

महक: अरे बोल ना? क्या बात है?

शिवा: वो क्या है ना दीदी , मैंने कभी सेक्स किया नहीं है और मुझे सुहाग रात का सोचकर थोड़ा नरवसनेस हो रही है। पता नहीं कैसे होगा?

महक हँसते हुए: अरे मेरे बुध्धू भाई , इसमे नर्वस होने वाली क्या बात है।

शिवा: फिर भी दीदी , पता नहीं क्यों मैं बहुत सहज नहीं हो पा रहा हूँ।

महक: अच्छा चल पूछ क्या जानना है?

शिवा: यही कि शुरुआत कैसे करेंगे? मतलब अब आपसे कैसे कहूँ ?

महक: ओह बस इतनी सी बात है, चल अभी समझा देती हूँ, टेन्शन मत ले। सुन, सुहागरत में जितना तू डरा होगा उससे ज़्यादा तो मालिनी डरी होगी। तुझे सबसे पहले उसे सहज करना होगा। अंदर जाकर तुझे उसे सबसे पहले गिफ़्ट देनी होगी। फिर घूँघट हटा कर उसकी सुंदरता की बहुत तारीफ़ करनी होगी। समझा कि नहीं?

शिवा: जी दीदी समझ रहा हूँ, फिर?

महक: फिर उससे ख़ूब सारी बातें करना और फिर ख़ुद लेट जाना और उसे भी लेटने को बोलना। अब दोनों लेट कर बातें करना और अपना हाथ उसके हाथ में लेकर उसे चूमना और फिर उसके गाल वगेरह को चूम कर अपना प्यार प्रदर्शित करना। फिर उसके लिप्स को भी चूमना। जब वो नोर्मल हो जाए तो फिर उसके बदन पर हाथ फिराना। किसी भी लड़की के होंठ और उसके बूब्ज़ उसके शरीर के ऐसे अंग हैं जिनको छूने , चूमने और चूसने से वो गरम हो जाती है। तुम्हें यही करना होगा। प्यार से उसके ब्लाउस को और बाद में ब्रा भी निकालना होगा और होंठ और बूब्ज़ को चूस कर उसे गरम करना होगा। नीचे का हिस्सा आख़िर में नंगा करना होगा। फिर उसकी पुसी में ऊँगली से उसे और भी गरम करना होगा। जब वह वहाँ पर गीली हो जाए तब उसको सेक्स की अवस्था में लाकर उसकी पुसी में अपना हथियार डालना होगा।

एक बात बता दूँ, ये काम बहुत धीरे से और धैर्य से करना होगा। जब उसे दर्द हो तब रुकना भी होगा। और फिर से अंदर डालना होगा। फिर उसके साथ सेक्स करना। हमेशा याद करते हुए की तुम उसे सुख दे रहे हो। सिर्फ़ अपने मज़े के लिए मत करना। कोशिश हो कि वह पहले शांत हो और तुम उसके बाद ।

हाँ एक बात और सेक्स के बाद जो लोग मुँह फेर के सो जाते हैं, लड़की उनको पसंद नहीं करती। वह सेक्स के बाद ख़ूब सारा प्यार और दुलार चाहती है। बहुत सारी बातें करो और उसे बताओ के तुम्हें क्या अच्छा लगा और उससे पूछो कि उसे क्या अच्छा या बुर लगा। बस इतना ही मैं बता सकती हूँ।

शिवा: ओह दीदी , आपने बहुत अच्छी तरह से समझा दिया, थैंक्स । बस एक बात और ओरल सेक्स के बारे में बताओ प्लीज़।

महक: देखो यह सेक्स लड़के और लड़की की मर्ज़ी पर निर्भर करता है। तुम इसके लिए किसी पर दबाव नहीं डाल सकते। और इसके लिए दोनों के अंगों का साफ़ होना बहुत ज़रूरी है। ये तो धीरे धीरे सेक्स करते हुए अपने आप अच्छा या बुरा लगने लगता है।

शिवा: और दीदी वो जो कई आसन होते है ? उनका क्या?

महक हंस कर: अरे जैसे जैसे समय बीतेगा, तुम दोनों सब सीख जाओगे।

शिवा भी हँसने लगा। फिर दोनों गुड नाइट करके सोने के लिए अपने अपने कमरे में चले गए।

शिवा सोने के समय सोचने कहा कि दीदी ने कितने अच्छी तरह से समझाया और एक बार भी उसका लौंडा खड़ा नहीं हुआ। सच में दीदी कितनी परिपक्व है। फिर उसके आँखों के सामने दीदी के दूध आए,जो कि उसके हँसने से उछल रहे थे । अब उसके लौड़े में हरकत हुई और वह शर्मिंदा होकर अपना सिर झटक कर सो गया।

जब शिवा दीदी से सुहागरत की ट्रेनिंग ले रहा था तभी मालिनी किचन में पानी पीकर किचन बंद करके सोने के लिए जाने लगी। तभी उसको एक कमरे के सामने से फुसफुसहाट सुनाई दी। वह रुक कर सुनने की कोशिश की। श्याम: अरे जान आज बहुत इच्छा हो रही है, रात को साथ सोते हैं। मैं उसको नींद की दवाई खिला देता हूँ और फिर रात को मज़े करते हैं। ठीक है?

सरला: आऽऽह धीरे से दबाओ ना। अच्छा चलो एक घंटे में आती हूँ। तब तक भाभी सो जाएगी ना?

श्याम: बिलकुल मेरी जान। आ जाना।

सरला: हाऽऽऽऽय क्या कर रहे हो अभी, उसी समय कर लेना ना ये सब । आऽऽऽह छोड़ो।


मालिनी ने धीरे से झाँक कर देखा । सरला को श्याम पीछे से पकड़ा हुआ था और उसके दोनों बूब्ज़ उसके पंजों में थे और शायद वह उनको ज़ोर से दबा रहा था तभी सरला की आऽऽऽह निकल रही थी। जब श्याम ने सरला को छोड़ा तो उसके लूँगी का तंबू साफ़ दिख रहा था। वह शायद उसे सरला के चूतरों पर रगड़ रहा था। अब सरला ने बड़ी बेशर्मी से उस तंबू को दबाकर कहा: थोड़ी देर और धीरज रखो फिर शांत हो जाओगे। और यह कहकर हँसती हुई वहाँ से अपने कमरे में चली गयी। श्याम के जाने के बाद मालिनी भी चली आयी।
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मालिनी को नींद नहीं आ रही थी। बार बार उसके कान में ये बात गूँज रही थी कि माँ अभी थोड़ी देर में श्याम ताऊजी से चुदेगी। आज तक जब भी वह उनको साथ देखी थी तब जल्दी से शर्माकर हट जाती थी। आज उसका मन कर रहा था कि पूरा खेल देखे। ये सोचकर वह उठी और माँ जे कमरे में झाँकी। मम्मी वहाँ नहीं थीं। वो अब श्याम के कमरे की ओर गयी। खिड़की के परदे को हटाया और अंदर का दृश्य उसकी आँखों के सामने था।

ताई सोयी हुई थी। और ताऊ जी बिस्तर पर बैठे थे और मम्मी नीचे में ज़मीन पर गद्दा बिछा रही थी। फिर वह वहीं लेट गयीं। नायटी में उनकी विशाल छातियाँ ऊपर नीचे हो रही थीं। अब वह श्याम को देख कर मुस्कुराई। श्याम आकर उसके साथ लेट गया। अब सरला ने अपनीं बाहें उसकी गरदन में डाली और उससे लिपट गयी। वह। ही उसको अपने आप से चिपका लिया। अब उनके होंठ एक दूसरे से मानो चिपक से गए थे। श्याम की जीभ सरला के मुँह में थी और श्याम के हाथ उसकी पीठ और कमर सहला रहे थे।

श्याम के हाथ इसकी नायटी को उठाए जा रहे थे और जल्दी ही सरला नीचे से नंगी हो गयी। उसके बड़े चूतरों को वो दबाने लगा। और उसकी दरार में हाथ डालकर वह उसकी बुर और गाँड़ सहलाने लगा। सरला भी उसकी लूँगी निकाल दी और उसके लौड़े को मसलने लगी। ताऊजी का लौड़ा उसे शिवा के लौड़े से थोड़ा छोटा ही लगा। अब सरला उठी और अपनी नायटी उतार दी। वह नीचे पैंटी और ब्रा नहीं पहनी थी। ताऊजी भी चड्डी नहीं पहने थे। शायद ये उनका पहले से तय रहता है कि चुदाई के समय ये सब नहीं पहनेंगे।

मालिनी की हालत ख़राब होने लगी और उसका हाथ अपनी चूचियों पर चला गया और वह उनको दबाने लगी। तभी सरला नीचे को झुकी और अपनी चूचि अपने हाथ में लेकर श्याम के मुँह में डाल दी। वह उसको चूसने लगा और दूसरी चूचि को दबाने लगा। अब सरला आऽऽहहह कर उठी। फिर सरला उसके लौड़े को सहलाने लगी। फिर वह झुकी और उसके लौंडे को चाटी जीभ फिराके, और फिर उसे चूसने लगी। श्याम भी मज़े से उसके मुँह को चोदे जा रहा था। फिर सरला उसके ऊपर आ गयी और अपनी बुर को उसके मुँह पर रखी और अब ६९ की चुसाइ चालू हो गयी।

मालिनी की आँखें वहाँ जैसे चिपक सी गयी थीं। अब वह अपनी नायटी उठाकर पैंटी के अंदर उँगली डालकर अपनी बुर सहलाने लगी। उसकी बुर पूरी गीली हो गयी थी।

अब सरला उठी और उसके लौड़े पर बैठी और उसे अंदर लेकर चुदाई में लग गयी। श्याम उसके लटके हुए आमों को दबा और चूस रहा था। वह भी नीचे से धक्का मार रहा था। मालिनी को उसका लौड़ा मम्मी की बुर में अंदर बाहर होते हुए साफ़ दिख रहा था । फिर सरला उसको कुछ बोली। वह उसको अपने से चिपकाए हुए ही पलट गया और अब ऊपर आकर उसकी मम्मी को ज़बरदस्त तरीक़े से चोदने लगा। सरला अब उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽऽऽहहह और जोओओओओओओओओओर से चोओओओओओओओदो चिल्ला रही थी। अब सरला के चूतर भी नीचे से ज़ोर ज़ोर से उछल रहे थे। दोनों पसीने पसीने हो चुके थे । फिर वह दोनों चिल्लाकर झड़ने लगे। ऊपर ताई जी इन सबसे बेख़बर सोई हुई थी। फिर दोनों चिपक बातें करने लगे । सरला अब उसके सुकड़े पड़े लौड़े को सहलाने लगी थी और वह भी फिर से चूची चूसने लगा था। मालिनी समझ गयी कि अगले राउंड की तैयरियाँ करने लगे हैं। अब उसकी बुर पूरी तरह गीली हो चुकी थी। वह कमरे में आयी और नायटी उठाकर अपनी बुर में ऊँगली करने लगी। और फिर clit को सहलाकर झड़ने लगी। वह अब शांत हो चुकी थी, पर उसे बड़ी शर्म आइ कि वह अपनी मम्मी और ताऊ की चुदाई देखी। फिर वह सो गयी।
अगले दिन सुबह रानी आइ , हमेशा की तरह दरवाज़ा राजीव ने खोला और फिर वह किचन में जाकर चाय बनाई। राजीव फ़्रेश होकर बिस्तर पर बैठा था, तभी वह चाय लेकर आयी। राजीव ने उससे चाय ली और बग़ल के टेबल पर रख दी और उसको अपनी गोद में खींच लिया और उसको चूमने लगा। वह भी उससे लिपट गयी और उसको चूमने लगी। अब वह चाय पीते हुए उसकी चूचि दबाकर बोला: डॉक्टर के पास जाती रहती हो ना?

रानी: जी हाँ, बराबर जा रही हूँ । वो बोली कि सब ठीक ठाक है।

राजीव उसकी जाँघ सहलाकर बोला: लड़का होगा देखना?

रानी: जो भी हो मुझे तो बस एक बच्चा चाहिए बस।

राजीव उसकी जाँघ से हाथ ले जाकर उसकी बुर सहलाकर बोला: हाँ जान बच्चा तो निकलेगा ही यहाँ से ।

रानी: आज सुबह सुबह गरम हो रहें हैं, क्या बात है? वह उसके लौड़े को लूँगी के ऊपर से सहला कर बोली।

राजीव: अरे तुम माल ही इतना बढ़िया हो जो लौड़े को खड़ा कर दे। चलो आज सुबह सुबह ही चुदाई कर लेते हैं। बाद में बच्चे उठ जाएँगे फिर मौक़ा नहीं मिलेगा।

रानी हँसती हुई खड़ी हुई तो उसने उसके चूतरों को दबोच लिया और ज़ोर से दबाने लगा। वह भी मस्ती में आकर चुपचाप खड़ी रही और मज़े लेती रही।

फिर दोनों बेडरूम की ओर चल दिए।

लगभग इसी समय महक की नींद खुली , उसे ज़ोर की पेशाब लगी थी। वह बाथरूम से निपटकर बाहर आइ और फिर उसे प्यास लगी तो वह किचन में जाकर पानी पीकर अपने कमरे में जाने लगी तब अचानक उसे एक औरत के हँसने की आवाज़ आइ । वह रुकी और पलट कर वापस अपने पापा के कमरे की ओर गयी । तभी उसे अंदर से उइइइइइइइ की आवाज़ आयी तो वह हैरान होकर खिड़की से अंदर झाँकी। उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं। अंदर उनकी नौकरानी रानी पूरी नंगी बिस्तर पर घोड़ी बनी हुई थी और उसके पीछे उसके पापा ज़मीन में खड़े होकर उसकी बुर में अपना मोटा और लम्बा लौड़ा डालकर उसे बुरी तरह से चोद रहे थे और उसकी लटकी हुई चूचियाँ मसल रहे थे।

महक की आँखें पापा के लौड़े से, जो कि रानी की बुर के अंदर बाहर हो रहा था, हट ही नहीं पा रही थी। पापा का लंड पूरा गीला सा होकर चमक रहा था। रानी की घुटी हुई चीख़ें गूँज
रही थीं। उइइइइइइइ आऽऽऽऽह और जोओओओओओओओर से चोओओओओओओओओदो । मैं गईइइइइइइइइइइ। ।अब राजीव भी ह्म्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा और जब वह अपना लौड़ा वहाँ से निकाला तो महक की जैसे साँस ही रुक गयी। क्या मस्त लौड़ा था और पूरा काम रस से भीगा हुआ और अभी भी पूरी तरह खड़ा था। मोटे सुपाडे पर अभी भी गीली बूँदें चमक रही थीं। तभी रानी उठी और उसके लौड़े को चाटकर साफ़ करने लगी। जैसे आख़िरी बूँद भी निचोड़ कर पी जाएगी।

महक की बुर पूरी गीली हो चुकी थी और उसका हाथ अपने आप ही अपनी बुर को दबाने लगा। जब रानी ने मुँह हटाया तो उसके पापा का लौड़ा अब मुरझाने लगा था। इस अवस्था में भी बहुत सेक्सी लग रहा था। कितना मोटा और लम्बा सा लटका हुआ और नीचे बड़े बड़े बॉल्ज़ भी बहुत ही कामुक लग रहे थे। महक की आँखें अपने पापा के लौड़े से जैसे हटने का नाम ही नहीं ले रही थी। अब अचानक राजीव की नज़र खिड़की पर पड़ी और उसकी आँखें महक की आँखों से टकरा गयीं। महक को तो काटो ख़ून नहीं, वह वहाँ से भागकर अपने कमरे में आ गयी। उसकी छाती ऊपर नीचे हो रही थीं। उसकी बुर में भी जैसे आग लगी हुई थी। उसकी आँख के सामने बार बार पापा का मदमस्त लौड़ा आ रहा था और फिर उसे अपने पापा की आँखें याद आयीं जिन्होंने उसको झाँकते हुए देख लिया था। वह अपनी बुर में ऊँगली करने लगी।

उधर राजीव भी महक को उनकी चुदाई देखते हुए देखकर हड़बड़ा गया। उसे बड़ी शर्म आयी कि महक ने उसे रानी के साथ इस अवस्था में देख लिया। पर उसे एक बात की हैरानी थी कि वह उसके लौड़े को इतनी प्यासी निगाहों से क्यों देख रही थी। आख़िर वो शादी शुदा थी और उसके पति का लौड़ा उसे मज़ा देता ही होगा। वो थोड़ी सी उलझन में पड़ गया था। पता नहीं अपनी बेटी से नज़रें कैसे मिलूँगा, वह सोचा। रानी भी थोड़ी परेशान थी। राजीव ने कहा: रानी मैं सम्भाल लूँगा , तुम परेशान मत हो।

रानी सिर हिलाकर किचन में जाकर अपने काम में लग गयी।क़रीब एक घंटे के बाद राजीव ड्रॉइंग रूम में सोफ़े पर बैठा और चाय माँगा। तभी शिवा बाहर आया और चाय माँगा। दोनो बाप बेटे चाय पी रहे थे। शिवा: पापा , दीदी अभी तक नहीं उठी? मैं उसे उठाता हूँ।

राजीव: ठीक है जाओ उठा दो।

शिवा महक के कमरे में जाकर सोई हुई दीदी को उठाने अंदर पहुँचा। महक अपनी बुर झाड़कर फिर से सो गयी थी। वो करवट में सो रही थी और उसकी बड़ी सी गाँड़ देखकर शिवा के लौड़े में हलचल होने लगी। वह सामने से आकर बोला: दीदी, उठो ना सुबह हो गयी है। महक ने एक क़ातिल अंगड़ाई ली और उसके बड़े बड़े बूब्ज़ जैसे नायटी से बाहर आने को मचल से गए। अब उसके आधे नंगे बूब्ज़ नायटी से बाहर आकर राजीव को पागल कर दिए। उसका लौड़ा पूरा खड़ा हो गया। वह अपने लौड़े को छुपाकर बोला: चलिए अब उठिए, पापा इंतज़ार कर रहे हैं।

महक: आऽऽऽऽह अच्छा आती हूँ। तू चल।

शिवा अपने लौड़े को छुपाकर जैसे तैसे बाहर आया और सोफ़े में बैठकर चाय पीने लगा। उसे अपने आप पर ग्लानि हो रही थी कि वह अपनी दीदी के बदन को ऐसी नज़र से देखा । तभी महक आयी और रानी उसे भी चाय दे गयी। रानी महक से आँखें नहीं मिला पा रही थी। राजीव ने भी महक को देखा और बोला: (झेंप कर) गुड मॉर्निंग बेटा ।

महक ने ऐसा दिखाया जैसे कुछ हुआ ही नहीं, और बोली: गुड मोर्निंग पापा।

फिर सब चाय पीने लगे और शादी की डिटेल्ज़ डिस्कस करने लगे। फिर शिवा तय्यार होकर दुकान चला गया। रानी भी खाना बना कर चली गयी।

राजीव: बेटी, ज़ेवरों को आज सुनार के यहाँ पोलिश करने देना है। चलो ज़ेवर पसंद कर लो, जो तुम पहनोगी।

महक पापा के साथ उनके कमरे में पहुँची और राजीव ने तिजोरी खोलकर गहने निकाले और महक उनमें से कुछ पसंद की और अपनी मम्मी को याद करके रोने लगी। राजीव ने उसके कंधे पर हाथ रखा और उसे चुप कराने लगा।

महक: पापा इन गहनों को देखकर मम्मी की याद आ गयी। पापा, आपको उनकी याद नहीं आती?

राजीव: ऐसा क्यों बोल रही हो बेटी, उसकी याद तो हमेशा आती है।

महक: इसलिए आज आप रानी के साथ वो सब कर रहे थे?

राजीव थोड़ा परेशान होकर बोला: बेटी, तुम्हारी मम्मी को याद करता हूँ, मिस भी करता हूँ। पर बेटी, ये शरीर भी तो बहुत कुछ माँगता है , उसका क्या करूँ ?

महक: पर पापा, वो एक नौकरानी है, आपको बीमारी दे सकती है, पता नहीं किस किस के साथ करवाती होगी?

राजीव: नहीं बेटी, रानी बहुत अच्छी लड़की है, वो मेरे सिवाय सिर अपने पति से ही चुद-- मतलब करवाती है। इस शरीर की प्यास बुझाने के लिए मैं रँडी के पास तो नहीं गया।

महक: आपको कैसे पता? हो सकता है वो झूठ बोल रही हो।

राजीव: बेटी, अब तुमसे क्या छुपाना? दरअसल उसका पति उसको माँ नहीं बना पा रहा था तो मैंने उसे वादा किया कि मैं उसे एक महीने में ही गारण्टी से मॉ बना दूँगा। इसीलिए वो मेरे साथ करवाने के लिए राज़ी हुई।

महक: ओह, तो क्या वो प्रेगनेंट हो गयी?

राजीव: हाँ बेटी, वादे के अनुसार एक महीने में ही वो प्रेगनेंट हो गयी। वो अब जल्दी ही माँ बनेगी।

महक की आँखों के सामने पापा का बड़ा सा लौड़ा और बड़े बड़े बॉल्ज़ घूम गए। वह सोचने लगी कि इतना मर्दाना हथियार और ऐसे बड़े बॉल्ज़ की चुदाई से बच्चा तो होगा ही।
महक: ओह, पर उसके मर्द को तो शक नहीं होगा ना?

राजीव : उसे कैसे शक होगा क्योंकि वह तो उसको हफ़्ते में एक दो बार चो- मतलब कर ही रहा था ना। वो तो यही सोचेगा ना कि उसकी चुदा- मतलब उसका ही बच्चा है वो।

महक देख रही थी कि पापा चुदायी और चोदने जैसे शब्द का उपयोग करने की कोशिश कर रहे थे। वह अब उत्तेजित होने लगी थी।


तभी राजीव ने एक अजीब बात बोली: एक बात और रानी के पति का हथियार बहुत छोटा और कमज़ोर है और वह उसे बिस्तर पर संतुष्ट भी नहीं कर पाता।
WOW EK BETI NE MAA KI CHUDAI DEKHI, TO DUSRI BETI NE PAPA KO CHODTE HUE DEKHA MAST UPDATE
 
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महक की बुर अब गीली होने लगी थी। बातें अब अश्लीलता की हद पार कर रहीं थीं। वह बोली: ओह । और शर्म से लाल हो गयी। उसकी आँख अब अचानक पापा की लूँगी पर गयी तो वहाँ एक तंबू देखकर वह बहुत हैरान रह गयी। वह समझ गयी कि पापा भी उत्तेजित हो चले हैं। उसे बड़ा अजीब लग रहा था कि बाप बेटी की बातें अब इतनी बेशर्म हो गयीं थीं कि वह दोनों उत्तेजित हो चुके थे।

महक ने बात बदलने का सोचा और बोली: ओह अच्छा चलिए मैं ये ज़ेवर पहनूँगी , इसे ही पोलिश करवा लेती हूँ।

राजीव : ठीक है बेटी। पर तुम मुझसे नाराज़ तो नहीं हो? मेरे और रानी के बारे में जान कर।

महक : पापा आप बड़े हैं और अपना अच्छा बुरा समझ सकते हैं। इसलिए आपको जो सही लगता है वह करो। पर एक बात है मालिनी के इस घर में आने के बाद यह सब कैसे करेंगे रानी के साथ?

राजीव : बेटी सब मैनिज हो जाएगा। तब की तब देखेंगे।

तभी कॉल बेल बजी। महक ने दरवाज़ा खोला । सामने रानी खड़ी थी।

महक: अरे तुम वापस आ गयी? क्या हुआ?

रानी: दीदी मेरा मोबाइल यहीं रह गया है।

महक: ओह ठीक है ले लो। वह अब सोफ़े पर बैठ गयी।

रानी किचन में जाकर मोबाइल खोजी पर उसे नहीं मिला। उसने महक से कहा: दीदी आप मिस्ड कॉल दो ना । फिर उसने नम्बर बोला।

महक ने कॉल किया और घंटी पापा के कमरे में बजी। रानी थोड़ा सा डरकर राजीव के कमरे में पहुँची।

महक दौड़कर दरवाज़े के पीछे खड़ी होकर उनकी बातें सुनने लगी।

राजीव: अरे रानी क्या हुआ? तुम्हारे फ़ोन की घंटी यहाँ बजी अभी।

रानी: मेरा फ़ोन यहाँ आपके कमरे में ही गिर गया है। फिर वह बिस्तर में खोजी तो उसे तकिए के नीचे मिल गया।

रानी: दीदी ने कुछ कहा क्या आपसे हमारी चुदाई के बारे में? और ये आपका फिर से खड़ा क्यों है? वह लूँगी के तंबू को देखकर बोली।

राजीव अपने लौड़े को मसल कर बोला: वो महक से तुम्हारी चुदाई की बातें कर रहा था तो खड़ा हो गया।

रानी: अपनी बेटी से हमारी चुदाई की बातें कर रहे थे? हे भगवान, कितने कमीने आदमी हो आप?

राजीव: अरे वो भी तो बड़े मज़े से सब पूछ रही थी।

रानी: तो अब क्या हमारी चुदाई बंद?

राजीव: अरे नहीं मेरी जान, उसे कोई इतराज नहीं है। चल अब तू आइ है तो मेरा लौड़ा चूस दे अभी।

रानी हँसती हुई नीचे बैठी और उसकी लूँगी हटाई और उसके मोटे लौड़े पर नाक लगाकर सूंघी और बोली: आऽऽह क्या मस्त गंध है आपकी। फिर वह अपनी जीभ से उसके सुपाडे को चाटने लगी और बोली: म्म्म्म्म्म्म क्या स्वाद है। म्म्म्म्म।

अब महक से रहा नहीं गया और वह फिर से खिड़की से झाँकने लगी। अंदर का दृश्य देखकर उसकी बुर गीली होने लगी। रानी की जीभ अभी भी उसके सुपाडे पर थी। फिर वह उसके बॉल्ज़ को सूँघने लगी और फिर चाटी। महक को लगा कि वह अभी झड़ जाएगी। फिर रानी ने ज़ोर ज़ोर से उसके लौड़े को चूसना शुरू किया। महक ने देखा कि वह डीप थ्रोट दे रही थी। लगता है पापा ने उसे मस्त ट्रेन कर दिया है। क़रीब दस मिनट की चुसाई के बाद वह उसके मुँह में झड़ने लगा। उसके मुँह के साइड से गाढ़ा सा सफ़ेद रस गिर रहा था। महक की ऊँगली अपने बुर पर चली गयी और वह अपने पापा के लौड़े को एकटक देखती रही जो अब उसके मुँह से बाहर आ कर अभी भी हवा में झूल रहा था।

अब महक अपने कमरे में आकर अपनी नायटी उठायी और तीन ऊँगली डालकर अपनी बुर को रगड़ने लगी और जल्दी ही उओओइइइइइइइ कहकर झड़ गयी।

रानी के जाने के बाद राजीव तय्यार होकर महक से बोला: बेटी, चलो सुनार के यहाँ चलते हैं और एक बार होटेल का चक्कर भी मार लेते हैं। देखें मैनेजर को अभी भी कुछ समझना तो नहीं है।

महक: ठीक है पापा , मैं अभी तययर होकर आती हूँ। महक ने सोचा कि उसके सेक्सी पापा को आज अपना सेक्सी रूप दिखा ही देती हूँ। वह जब तय्यार होकर आयी तो राजीव की आँखें जैसे फटी सी ही रह गयीं। महक ने एक छोटा सा पारदर्शी टॉप पहना था जिसमें से उसकी ब्रा भी नज़र आ रही थी। उसके आधे बूब्ज़ नंगे ही थे। उसके पेट और कमर का हिस्सा बहुत गोरा और चिकना सा नज़र आ रहा था। नीचे उसने एक मिनी स्कर्ट पहनी थी जिसमें से उसकी गदराई हुई गोल गोल चिकनी जाँघें घुटनो से भी काफ़ी ऊपर तक नज़र आ रही थीं।

राजीव: बेटी, आज लगता है अमेरिकन कपड़े पहन ली हो।

महक: जी पापा, सोचा आज कुछ नया पहनूँ। कैसी लग रही हूँ?

राजीव को अपना गला सूखता सा महसूस हुआ। वह बोला: बहुत प्यारी लग रही हो।

महक हँसते हुए: सिर्फ़ प्यारी सेक्सी नहीं?

राजीव: अरे हाँ सेक्सी भी लग रही हो। अब चलें।

महक: चलिए । कहकर आगे चलने लगी। पीछे से राजीव उसके उभारों को देखकर अपने खड़े होते लौड़े को ऐडजस्ट करते हुए चल पड़ा।

राजीव कार लेकर गरॉज़ से बाहर लाया और जब महक उसकी बग़ल की सीट में बैठने के लिए अपना एक पैर उठाकर अंदर की तब राजीव को अपनी प्यारी बेटी की गुलाबी क़च्छी नज़र आ गयी। उसकी छोटी सी क़च्छी बस उसकी बुर को ही ढाँक रही थी। अब तो उसका लौड़ा जैसे क़ाबू के बाहर ही होने लगा। उसकी क़च्छी से उसकी बुर की फाँकें भी साफ़ दिखाई दी। अपने लौड़े को दबाके वह कार आगे बढ़ाया। महक भी अपने पापा के पैंट के उभार को देखकर बिलकुल मस्त होकर सोची कि पापा को आख़िर उसने अपने जाल में फँसाने की तय्यारी शुरू कर ही दी। वह सफल भी हो रही थी। वैसे उसकी भी पैंटी थोड़ी गीली हो चली थी, पापा का तंबू देखकर।

सुनार के यहाँ काम ख़त्म करके वो दोनों होटेल में पहुँचे जहाँ शादी की पूरी फ़ंक्शन होने वाली थी। होटेल में सब लोग ख़ूबसूरत औरत को देखे जा रहे थे। राजीव ने ध्यान से देखा कि क्या जवान क्या अधेड़ सभी उसको वासना भरी निगाहों से देखे जा रहे थे। अब वो दोनों रेस्तराँ के एक कोने में बैठे और मैनेजर को बुलाया । अब वो सब फ़ाइनल तय्यारियों के बारे में डिस्कस करने लगे। राजीव ने देखा कि मैनेजर भी महक की छातियों को घूरे जा रहा था। राजीव को अचानक जलन सी होने लगी। फिर राजीव का हाथ मोबाइल से टकराया और वह नीचे गिर गया। वह झुक कर उसे उठाने लगा तभी उसकी नज़र टेबल के नीचे से महक की फैली हुई जाँघों पर पड़ीं। वहाँ उसे उसकी क़च्छी दिखाई दी जो कि एक तरफ़ खिसक गयी थी और उसकी बुर एक साइड से दिख रही थी। बुर की एक फाँक दिख रही थी। वहाँ थोड़े से काले बाल भी दिखाई दे रहे थे। उसकी इच्छा हुई कि उस सुंदर सी बुर की पप्पी ले ले। पर अपने को संभाल कर वो उठा।

महक ने शैतानी मुस्कुराहट से पूछा: पापा कुछ दिखा?

राजीव सकपका कर बोला: हाँ मोबाइल मिल गया। वो गिर गया था ना।

महक मुस्कुराई: अच्छा दिख गया ना ? फिर वह उठी और बोली: चलो पापा चलते हैं।

अब वो दोनों घर की ओर चले गए।

महक मन ही मन मुस्कुरा रही थी। राजीव की आँखों के सामने महक की बुर की एक फाँक आ रही थी।
दोनों अपने अपने ख़यालों में गुम से थे।
शादी में अब ३ दिन बचे थे। रिश्तेदार भी आने शुरू हो गए थे। दूर और पास के भाई चचेरा, ममेरा और मौसी और ना जाने कौन कौन आए थे। अब तो किसी को भी फ़ुर्सत नहीं थी। शिवा, महक, रानी और राजीव सभी बहुत व्यस्त हो गए थे ।किसी को चुदाई की याद भी नहीं आ रही थी। शाम तक सभी बहुत थक जाते थे और सो जाते थे। यही हाल सरला , श्याम और मालिनी का भी था। घर मेहमानो से पट गया था।

ख़ैर शादी का दिन भी आ ही गया। सरला अपने परिवार के साथ होटेल में शिफ़्ट हो चुकी थी। वह सब तय्यार होकर दूल्हे और बारात के आने का इंतज़ार करने लगे। मालिनी भी आज बहुत सुंदर लग रही थी,शादी के लाल जोड़े में।

उधर बारात नाचते हुए होटेल के पास आइ और शिवा के दोस्त और रिश्तेदार भी बहुत ज़ोर से नाचने लगे। शिवा फूलों से लदी कार में बैठा था । उसके सामने सभी नाच रहे थे। राजीव सिक्के बरसा रहा था। महक भी भारी साड़ी में मस्ती से नाच रही थी। उसकी चिकनी बग़लें मर्दों को बहुत आकर्षित कर रही थीं। बार बार उसका पल्लू खिसक जाती थी और उसकी भारी छातियाँ देखकर मर्द लौड़े मसल रहे थे। कई लोग नाचने के बहाने उसकी गाँड़ पर हाथ भी फेर चुके थे।

जब बारात बिलकुल होटेल के सामने पहुँची तो सब ज़ोर से नाचने लगे। अब राजीव भी नाचने लगा क्योंकि महक उसको खींच लायी थी । महक पसीने से भीगी हुई थी। उसकी बग़ल की ख़ुशबू राजीव के नथुनों में घुसी और साथ ही उसके बड़े दूध जो नाचने से हिल रहे थे , उसे मस्त कर गए थे। फिर उसे याद आया कि उसे और भी काम हैं, तो वह आगे बढ़कर दुल्हन के परिवार से मिला। उसने सरला को देखा तो देखता ही रह गया। क्या जँच रही थी वह आज। फिर शादी हो गयी और रात भर चली । सुबह के ५ बजे फेरे ख़त्म हुए। और शिवा रोती हुई दुल्हन लेकर अपने घर आ गया।

कई मेहमान तो उसी दिन चले गए। दिन भर महक ने मालिनी का बहुत ख़याल रखा और मालिनी ने दिन में महक के कमरे में ही आराम किया। शाम तक सभी मेहमान चले गए थे। राजीव और महक ने चैन की साँस ली। शिवा और मालिनी दोपहर में आराम किए थे सो फ़्रेश थे।

महक ने एक फ़ोन लगाया और होटेल से एक आदमी आया और शिवा के कमरे को फूलों और मोमबतीयों से सजाया । सुहाग की सेज तय्यार थी और महक ने ख़ुद उसे सजवाया था अपने भाई और भाभी के लिए। रात को खाना खाकर राजीव ने शिवा को एक हीरे की अँगूठी दी और बोला: बेटा , ये अँगूठी बहू को मुँह दिखाई में दे देना। फिर वह अपने कमरे में चले गया। महक मालिनी को लेकर शिवा के कमरे में ले गयी और मालिनी ये सजावट देखकर बहुत शर्मा गयी । महक: चलो भाभी अब मेरे भाई के साथ सुहाग रात मनाओ। ख़ूब मज़े करो। मैं चलती हूँ, ये दूध रखा है पी लेना दोनों। ठीक है ना?

मालिनी ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली: दीदी रुकिए ना, मुझे डर लग रहा है।

महक: अरे पगली , इसमें काहे का डरना। आज की रात तो मज़े की रात है। आज तुम दोनों एक हो जाओगे। ख़ूब प्यार करो एक दूसरे को। अब जाऊँ?

मालिनी शर्माकर हाँ में सिर हिला दी। अब महक बाहर आइ और शिवा को बोली: जाओ अपनी दुल्हन से मिलो और दोनों एक दूसरे के हो जाओ। बेस्ट ओफ़ लक। मेरी बात याद है कि नहीं?

शिवा: जी दीदी याद है। कोशिश करूँगा कि नर्वस ना होऊँ। थोड़ा अजीब तो लग रहा है।

महक ने उसकी पीठ पर एक धौल मारी और बोली: अरे सब बढ़िया होगा, भाई मेरे,अब जाओ। और हँसती हुई अपने कमरे में चली गयी।

शिवा अब अपने कमरे में गया और वहाँ की सजावट देखकर वह भी दंग रह गया। बहुत ही रोमांटिक माहोल बना रखा था दीदी ने । उसने देखा कि मालिनी बिस्तर पर बैठी उसका इंतज़ार कर रही थी। उसने साड़ी के पल्लू से घूँघट सा भी बना रखा था। बिलकुल फ़िल्मी अन्दाज़ में ।

वह बिस्तर पर बैठा और जेब से वो हीरे की अँगूठी निकाली और फिर प्यार से बोला: मालिनी, मेरी जान मुखड़ा तो दिखाओ। ये कहते हुए उसने घूँघट उठा दिया और उसके सामने मालिनी का गोरा चाँद सा मुखड़ा था। वो उसे मंत्रमुग्ध सा देखता रह गया और फिर उसने उसे अँगूठी पहनाई। वह बहुत ख़ुश हुई और थैंक्स बोली।

शिवा: अब तुम बताओ तुम मुझे क्या गिफ़्ट दोगी ?

मालिनी: मैंने आपका घूँघट थोड़े उठाया है जो मैं आपको गिफ़्ट दूँ। यह कहकर वह मुस्कुराई । शिवा भी हँसने लगा।
अब शिवा उसे देखते हुए बोला: मालिनी, वैसे एक गिफ़्ट तो दे ही सकती हो?

मालिनी: वो क्या?

शिवा ने अपने होंठों पर ऊँगली रखी और बोला: एक पप्पी अपने कोमल होठों की।

मालिनी शरारत से मुस्कुराकर बोली: पहली बात कि आपको कैसे पता कि मेरे होंठ कोमल हैं? और फिर क्या सिर्फ़ एक पप्पी लेंगे? वो भी सुहाग रात में?


दोनों ज़ोर से हँसने लगे। अब शिवा ने मालिनी को पकड़ा और ख़ुद बिस्तर पर लुढ़क गया और साथ में उसे भी अपने ऊपर लिटा लिया। अब दोनों के होंठ आमने सामने थे।
NICE AND VERY HOT UPDATE
 
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अब शिवा ने मालिनी के होंठ का एक हल्के से चुम्बन लिया। मालिनी हँसकर बोली: चलो हो गया आज का कोटा और मेरी रिटर्न गिफ़्ट भी आपको मिल गयी। यह कहकर वह पलटी और उसके बग़ल में लेट गयी। अब शिवा ने उसको अपनी बाहों में भरा और उसको अपने से चिपका लिया।

फिर दोनों ने ख़ूब सारी बातें की। स्कूल , कॉलेज , दोस्तों और रिश्तेदारों के बारे में भी एक दूसरे से बहुत कुछ शेयर किया। इस बीच में दोनों एक दूसरे के बदन पर हाथ भी फेर रहे थे। शिवा के हाथ उसकी नरम कलाइयों और पीठ पर थे। मालिनी के हाथ शिवा की बाहों की मछलियों पर और उसकी छाती पर थे।

बातें करते हुए ११ बज गए और मालिनी ने एक उबासी ली। शिवा: नींद आ रही है जानू?

मालिनी: आ रही है तो क्या सोने दोगे?

शिवा: सोना चाहोगी तो ज़रूर सोने दूँगा।

मालिनी: और सुबह सब पूछेंगे कि सुहागरत कैसी रही तो क्या बोलेंगे?

शिवा : कह देंगे मस्त रही और क्या?

मालिनी: याने कि झूठ बोलेंगे?

शिवा: इसमें झूठ क्या है। मुझे तो तुमसे बात करके बहुत मज़ा आया। तुम्हारी तुम जानो।

मालिनी: मुझे भी बहुत अच्छा लगा। फिर वह आँखें मटका कर के बोली: वैसे अभी नींद नहीं आ रही है। आप चाहो तो कल आपको झूठ नहीं बोलना पड़ेगा।

शिवा हंस पड़ा और उसको अपनी बाहों में भर कर उसके गाल चूम लिया। वह भी अब मज़े के मूड में आ चुकी थी सो उसने भी उसके गाल चूम लिए। अब शिवा उसके गाल, आँखें, और नाक भी चूमा। फिर उसने अपने होंठ उसके होंठ पर रखे और चूमने लगा। जल्दी ही दोनों गरम होने लगे। अब उसने मालिनी की गरदन भी चुमी और नीचे आकर उसके पल्लू को हटाया और ब्लाउस में कसे उसके कबूतरों के बाहर निकले हुए हिस्से को चूमने लगा।

मालिनी भी मस्ती से उसके गरदन को चूम रही थी। अब उसे अपनी जाँघ पर उसका डंडा गड़ रहा था। उसकी बुर गीली होने लगी और ब्रा के अंदर उसके निपल तन कर खड़े हो गए। वह अब उससे ज़ोर से चिपकने लगी। अब शिवा बोला: जानू, ब्लाउस उतार दूँ।

मालिनी हँसकर: अगर नहीं कहूँगी तो नहीं उतारेंगे?

शिवा हँसते हुए उसके ब्लाउस का हुक खोला। और अब ब्रा में कसे हुए दूध उसके सामने थे । वह उनको चूमता चला गया। उधर मालिनी उसकी क़मीज़ के बटन खोल रही थी। अब उसके हाथ उसकी बालों से भारी मर्दानी छाती को सहला रहे थे। शिवा उठा और अपनी क़मीज़ उतार दिया। फिर वह उसकी साड़ी को पेट के पास से ढीला किया और मालिनी ने अपनी कमर उठाकर उसको साड़ी निकालने में मदद की। अब वह सिर्फ़ पेटिकोट और ब्रा में थी। उसका दूधिया गोरा जवान बदन हल्की रौशनी में चमक रहा था। अब शिवा उसके पेट को चूमने हुए उसकी कमर तक आया और फिर उसने उसके पेटिकोट का भी नाड़ा खोल दिया।अब फिर से मालिनी ने अपनी कमर उठाई और पेटिकोट भी उतर गया। अब मालिनी की गोरी गदराई हुई मस्त गोल भरी हुई जाँघें उसकी आँखों के सामने थे। उफ़ क्या चिकनी जाँघें थीं। उनके बीच में पतली सी गुलाबी पैंटी जैसे ग़ज़ब ढा रही थी। पैंटी में से उसकी फूली हुई बुर बहुत मस्त नज़र आ रही थी। अब शिवा बिस्तर से उठकर नीचे आया और अपनी पैंट भी उतार दिया। चड्डी में उसका फूला हुआ लौड़ा बहुत ही बड़ा और एक तरफ़ को डंडे की तरह अकड़ा हुआ दिख रहा था। मालिनी अब उसे देखकर डर भी गयी थी और उत्तेजित भी हो रही थी।

शिवा अब फिर से उसके ऊपर आया और उसके होंठ चूमने लगा। तभी उसे याद आया कि अशोक कैसे पिंकी के मुँह में अपनी जीभ डाल रहा था। उसने भी अपनी जीभ मालिनी के मुँह में डाली और मालिनी को भी अपनी मम्मी की याद आयी कि कैसे वो ताऊजी की जीभ चूस रही थीं। वह भी वैसे ही शिवा की जीभ चूसने लगी। अब शिवा ने अपना मुँह खोला। मालिनी समझ गई कि वह उसकी जीभ माँग रहा है। उसने थोड़ा सा झिझकते हुए अपनी जीभ उसके मुँह में दे दी और शिवा उसकी जीभ चूसने लगा। उफफफफ क्या फ़ीलिंग़स थी। मालिनी पूरी गीली हो चुकी थी।

अब शिवा ने उसकी ब्रा खोलने की कोशिश की, पर खोल नहीं पाया। वह बोला: ये कैसे खुलता है? मुझसे तो खुल ही नहीं रहा है।

मालिनी मुस्कुराती हुई बोली: सीख जाएँगे आप जल्दी ही। चलिए मैं खोल देती हूँ। फिर वह अपना हाथ पीछे लेज़ाकर ब्रा खोली और लेट गयी। अभी भी ब्रा उसकी छातियों पर ही थीं। शिवा बे ब्रा हटाया और उसकी चूचियों की सुंदरता देखकर जैसे मुग्ध सा रह गया। आऽऽऽहहह क्या चूचियाँ थीं। बिलकुल बड़े अनारों की तरह सख़्त और नरम भी। निपल्ज़ एकदम तने हुए। एकदम गोरे बड़े बड़े तने हुए दूध उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़।

शिवा उनको पंजों में दबाकर बोला: उफफफफ जानू क्या मस्त चूचियाँ हैं। आऽऽऽह क्या बड़ी बड़ी हैं।

मालिनी हँसकर बोली: आऽऽऽह बस आपके लिए ही इतने दिन सम्भाल के रखे हैं और इतने बड़े किए हैं।

शिवा मुस्कुराकर: थैंक्स जानू, आह क्या मस्त चूचियाँ हैं। मज़ा आ रहा है दबाने में। अब चूसने का मन कर रहा है।

मालिनी: आऽऽऽह चूसिए ना , आपका माल है, जो करना है करिए। हाऽऽय्यय मस्त लग रहा है जी।

अब शिवा एक चूची दबा रहा था और एक मुँह में लेकर चूस रहा था। मालिनी अब खुलकर आऽऽह चिल्ला रही थी।
शिवा भी मस्ती से बारी बारी से चूचि चूसे जा रहा था। अब वो अपना लौड़ा चड्डी के ऊपर से उसकी जाँघ से रगड़ रहा था। मालिनी के हाथ उसकी पीठ पर थे। अब शिवा उसके पेट को चूमते हुए उसकी गहरी नाभि में जीभ घुमाने लगा। फिर नीचे जाकर उसकी पैंटी को धीरे से नीचे खिसकाने लगा। मालिनी की चिकनी फूली हुई बुर उसके सामने थी और अब मालिनी ने भी अपनी कमर उठाकर शिवा को पैंटी निकालने में सहायता की। शिवा बुर को पास से देखते हुए वहाँ हथेली रखकर सहलाने लगा। बुर पनियायी हुई थी। यह उसकी ज़िन्दगी की पहली बुर थी जिसे वो सहला रहा था।

शिवा ने उसकी फाँकों को अलग किया और अंदर की गुलाबी बुर देखकर मस्त हो गया और बोला : आऽऽह क्या मस्त बुर है जानू तुम्हारी। फिर वह झुककर एक पप्पी ले लिया उसके बुर की। मालिनी सिहर उठी।वह नीचे झुक कर शिवा को देखी जो उसकी बुर को चूम रहा था। अब शिवा ने उसकी बुर में ऊँगली डाली और मालिनी का पूरा बदन सिहर उठा। वह उइइइइइइ कर उठी। अब शिवा उठा और अपनी चड्डी भी उतारकर अपना लौड़ा सहलाया। मालिनी की आँखें उसको देखकर फट सी गयीं थीं। बाप रे कितना मोटा और लम्बा है -वो सोची। अब शिवा ने उसका हाथ पकड़ा और अपना लौड़ा उसके हाथ में दे दिया। मालिनी चुपचाप उसको पकड़कर सहलाने लगी। उफफफ कितना गरम और कड़ा था वो- उसने सोचा। मालिनी ने अपनी ज़िन्दगी में पहली बार लौड़ा पकड़ा था। उसे बहुत अच्छा लगा। शिवा भी अब उसे लिटा कर उसकी जाँघें फैलाकर उनके बीच में आकर बैठा और अपना लौड़ा उसकी बुर में दबाने लगा। वह उइइइइइइ माँआऽऽऽ कह उठी। वह लौड़े को हाथ में लेकर उसकी बुर के ऊपर रगड़ने लगा। वह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कर उठी। अब शिवा ने उसकी फाँकों को फैलाया और उसने अपना मोटा सुपाड़ा फंसा दिया और अब हल्के से एक धक्का मारा। लौड़ा उसकी बुर की झिल्ली फाड़ता हुआ अंदर धँस गया।

मालिनी चीख़ उठी: हाय्य्य्य्य मरीइइइइइइइ।

शिवा ने फिर से धक्का मारा और अबके आधे से भी ज़्यादा लौड़ा अंदर चला गया। अब मालिनी चिल्लाई: हाऽऽऽऽऽय निकाआऽऽऽऽऽऽलो प्लीज़ निकाऽऽऽऽऽऽलो।

शिवा उसके ऊपर आकर उसके होंठ चूसने लगा और उसकी चूचियाँ भी दबाने लगा। अभी वो रुका हुआ था और उसका थोड़ा सा ही लौड़ा बाहर था बाक़ी अंदर जा चुका था। जब मालिनी थोड़ा शांत हुई और मज़े में आने लगी। तब शिवा ने आख़री धक्के से अपना पूरा लौड़ा पेल दिया। मालिनी फिर से चिहूंक उठी: उइइइइइइइइ आऽऽहहह।
शिवा अब हल्के हल्के धक्के मारने लगा जैसा उसने अशोक को करते हुए देखा था पिंकी के साथ। जल्दी ही मालिनी भी मस्ती में आ गयी और उन्न्न्न्न्न्न्न उन्न्न्न्न करके अपनी ख़ुशी का इजहार करने लगी। शिवा अभी भी उसके निपल और दूध को प्यार किए जा रहा था।

अब मालिनी भी अपनी टाँगे उठाकर शिवा के चूतरों के ऊपर रख दी और पूरे मज़े से चुदाई का आनंद लेने लगी। क़रीब आधे घंटे की चुदाई के बाद मालिनी चिल्लाई: उइइइइइइइ मैं तोओओओओओओओओ गयीइइइइइइइइइ। अब शिवा भी ह्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा। दोनों अब भी एक दूसरे से चिपके हुए थे। शिवा अभी भी मालिनी को चूमे जा रहा था। वह भी उसके चुम्बन का बराबरी से जवाब दे रही थी। फिर मालिनी उठी और अपनी बुर को ध्यान से देखकर बोली: देखिए फाड़ ही दी आपने मेरी।

शिवा उठकर उसकी बुर का मुआयना किया और बोला: मेरी जान, थोड़ा सा ही ख़ून निकला है। अभी ठीक हो जाएगा। चलो बाथरूम में ,में साफ़ कर देता हूँ।

मालिनी: वाह पहले फाड़ेंगे, फिर इलाज करेंगे। मैं ख़ुद साफ़ कर लूँगी। यह कह कर वो बाथरूम गयी और सफ़ाई करके वापस आ गयी। फिर शिवा भी फ़्रेश होकर आया और मालिनी ने उसके लटके हुए लौड़े को पकड़कर कहा: बाप रे कितना बड़ा है। पूरी फाड़ दी इसने तो मेरी।

शिवा: बेचारे ने तुम्हारी इतनी सेवा की और तुम इसे प्यार ही नहीं कर रही हो।

मालिनी को याद आया कि उसकी मम्मी कैसे ताऊजी का लौड़ा चूस रही थीं। वो शिवा के लौड़े को देखी और झुककर उसकी एक पप्पी ले ली। फिर उसने उसके सुपाडे को भी चूम लिया। शिवा का पूरा बदन जैसे सिहर उठा। आह क्या मस्त लगा था। उसे दीदी की कही हुई बात याद आ गयी कि ओरल सेक्स तो लड़का और लड़की की मर्ज़ी पर निर्भर करता है। यहाँ तो लगता है कि इसमें कोई दिक़्क़त नहीं होगी। थोड़ी देर आराम करने के बाद वो दोनों एक दूसरे से नंगे ही चिपके रहे। मालिनी ने शर्म के मारे चद्दर ढाक ली थी। शिवा के हाथ अब उसके चूतरों पर फिर रहे थे।
वह बोला: आह कितने मस्त चिकने चूतर हैं तुम्हारे? दबाने में बहुत मज़ा आ रहा है।

मालिनी: आप उनको दबा रहे हो या आटा गूंद रहे हो? वो हँसने लगी।

शिवा: आह कितने बड़े हैं और मस्त चिकने हैं। उसकी उँगलियाँ अब चूतरों के दरार में जाने लगीं। अब शिवा उसकी गाँड़ और बुर के छेद को सहलाए जा रहा था। वह भी आऽऽहहह कहे जा रही थी । अब वह भी उसका लौड़ा सहलाने लगी। उसका लौड़ा उसके हाथ में बड़ा ही हुए जा रहा था। अब वह अपने अंगूठे से उसके चिकने सुपाडे को सहला कर मस्ती से भर उठी। शिवा का मुँह अब उसकी चूचियों को चूसने में व्यस्त थे। शीघ्र ही वह फिर से उसके ऊपर आकर उसके बुर में अपना लौड़ा डालकर उसकी चुदाई करने लगा। अब मालिनी की भी शर्म थोड़ी सी कम हो गयी थी। वह भी अब मज़े से उउउउउम्मम उम्म्म्म्म्म करके चुदवाने लगी।

शिवा: जानू, फ़िल्मों में लड़कियाँ अपनी कमर उठाकर चुदवाती है। तुम भी नीचे से उठाकर धक्का मारो ना।

मालिनी मस्त होकर अपनी गाँड़ उचकाइ और बोली: ऐसे?

शिवा: हाँ जानू ऐसे ही। लगातार उछालो ना।

मालिनी ने अब अपनी कमर उछाल कर चुदवाना शुरू किया। शिवा: मज़ा आ रहा है जानू?

मालिनी: हाँ जी बहुत मज़ा आ रहा है। और ज़ोर से करिए।

शिवा: क्या करूँ? बोलो ना?

मालिनी हँसकर: वही जो कर रहे हो।

शिवा: बोलो ना ज़ोर से चोदो।

मालिनी: मुझसे गंदी बात क्यों बुलवा रहे हैं आप?

शिवा: इसमें गंदा क्या है? चुदाई को चुदाई ही तो कहेंगे ना?

मालिनी: ठीक है आप चाहते हो तो यही सही। अब वह अपनी गाँड़ और ज़ोर से उछालके चुदवाने लगी और बड़बड़ाने लगी: आऽऽऽऽऽहहह और ज़ोर से चोदिए ।हाय्य्य्य्य्य कितना अच्छा लग रहा है उइओइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ । अब वह ज़ोर ज़ोर से बड़बड़ाने लगी: उम्म्म्म्म्म्म मैं गईइइइइइइइ। अब शिवा भी ह्न्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा।

जब दोनों फ़्रेश होकर लेटे थे तब शिवा बोला: जानू तुम्हें प्रेगनैन्सी का तो डर नहीं है? वरना पिल्ज़ वगेरह लेना पड़ेगा।

मालिनी: मुझे बच्चे बहुत पसंद हैं , भगवान अगर देंगे तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी। आपका क्या ख़याल है?

शिवा: जानू जो तुमको पसंद है वो मुझे भी पसंद है। फिर वह उसे चूम लिया।

मालिनी: अब मैं कपड़े पहन लूँ? नींद आ रही है।

शिवा: एक राउंड और नहीं करोगी?

मालिनी: जी नीचे बहुत दुःख रहा है। आज अब रहने दीजिए।

शिवा: मैं दवाई लगा दूँ वहाँ नीचे। वैसे उस जगह को बुर बोलते हैं। और इसे लौड़ा कहते हैं। उसने अपना लौड़ा दिखाकर कहा।

मालिनी: आपका ये बहुत बड़ा है ना, इसीलिए इतना दुखा है मुझे। चलिए अभी सो जाते हैं।


दिर दोनों ने कपड़े पहने और एक दूसरे को किस करके सो गए।
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अगले दिन सुबह महक उठी और रानी के लिए दरवाज़ा खोली। रानी महक के लिए चाय बनाकर लाई और महक चाय पीने लगी। फिर रानी चाय लेकर राजीव के कमरे में गयी। पता नहीं महक को क्या सूझा कि वह खिड़की के पास आकर परदे के पीछे से झाँकने लगी। उसने देखा कि रानी राजीव को उठा रही थी। राजीव करवट लेकर सोया हुआ था। तभी वह सीधा लेटा पीठ के बल और उसका मोर्निंग इरेक्शन रानी और महक के सामने था। उसकी लूँगी का टेण्ट साफ़ दिखाई दे रहा था। अब रानी हँसी और उसके टेण्ट को मूठ्ठी में पकड़ ली और बोली: सपने में किसे चोद रहे थे? जो इतना बड़ा हो गया है यह ?
राजीव: अरे तुम्हारे सिवाय और किसकी बुर का सोचूँगा। तुम्हें सपने में चोद रहा था।
रानी: चलो झूठ मत बोलो। आपको तो सपने में सरला दिखी होंगी और क्या पता महक दीदी को ही चोद रहे होगे।
महक सरला का नाम सुन कर चौकी और फिर अपना नाम सुनकर तो उछल ही पड़ी। उसने नोटिस किया कि पापा ने रानी को उसका नाम लेने पर ग़ुस्सा नहीं किया। तो क्या रानी और पापा अक्सर उसके बारे में ऐसी बातें करते रहते हैं? और क्या पाप सरला आंटी को भी कर चुके हैं? और क्या पापा उसको अपनी सगी बेटी को भी चोदना चाहते हैं? हे भगवान ! वो तो पापा से थोड़ा सा फ़्लर्ट की थी और पापा उसे चोदने का प्लान बना रहे हैं?
तभी उसकी नज़र रानी पर पड़ी। वह अब लूँगी उठाकर उसके लौड़े को नंगा कर दी थी और उसे मूठिया रही थी और फिर अपना सिर झुकाकर उसे चूसने लगी। राजीव बैठे हुए चाय पी रहा था और वह उसके लौड़े को बड़े प्यार से चूस रही थी। महक सोची- उफफफफ क्या पापा भी , सुबह सुबह नौकरानी से लौड़ा चूसवा रहे है । और हे भगवान! कितना मोटा और बड़ा लौड़ा है! उसी समय राजीव ने उसको हटाया और बोला: अभी नहीं बाद में चूस लेना। चलो मैं बाथरूम से फ़्रेश होकर आता हूँ। रानी ने थोड़ी अनिच्छा से लौड़े को मुँह से निकाला और चाय का ख़ाली कप लेकर किचन में चली गयी। महक उसके आने के पहले ही वहाँ से हट गयी। महक को अपनी गीली बुर में खुजली सी महसूस हुई। वैसे भी उसे अपने पति से अलग हुए बहुत दिन हो गए थे और घर के वातावरण में चुदाई का महोल था ही। शिवा भी अपनी बीवी को चोद चुका होगा रात में।
तभी राजीव ड्रॉइंग रूम में आया और महक को नायटी में देखकर प्यार से गुड मोर्निंग बोला: बेटी, नींद आयी? मुझे तो बड़ी अच्छी आइ।
महक़ : जी पापा आइ । अच्छी तरह से सो ली।
राजीव मुस्कुरा कर: शिवा और बहु नहीं उठे अभी?
महक: अभी कहाँ उठे है । और वो हँसने लगी।
राजीव: हाँ भाई सुहागरत के बाद थक गए होंगे। वह भी हँसने लगा।
तभी राजीव का फ़ोन बजा। राजीव: हेलो , अरे कर्नल तुम? कहाँ हो भाई, कल शादी में भी नहीं आए? मैं तुमसे नाराज़ हूँ। कैसे दोस्त हो?
कर्नल: अरे यार KLPD हो गई। हम शादी के लिए ही निकले थे,पर हम नहीं पहुँच पाए। अभी होटेल में चेक इन किए हैं। और अभी सोएँगे। बहुत परेशान हुए हैं। आठ घंटे का सफ़र २४ घंटे में बदल गया क्योंकि नैनीताल के पास पहाड़ियों में रोड पर पहाड़ टूट कर गिर गए थे।
राजीव: ओह, ये तो बहुत बुरा हुआ यार। तुम अकेले हो या बहु भी है?
कर्नल: मैं अमिता के बिना कहीं नहीं जाता। वो भी है साथ में।
राजीव: तो चलो आराम करो। दोपहर को आना और साथ में खाना खाएँगे, और नवविवाहितों को आशीर्वाद दे देना। क्योंकि वो दोनो रात को ही गोवा जा रहे हैं।
कर्नल: हाँ यार ज़रूर आऊँगा। चल बाई।
महक: पापा ये आपके वही बचपन के दोस्त हैं जो आरमी से रेटायअर हुए हैं।
कर्नल: हाँ बेटी, वही है और जिसने अपना जवान बेटा एक ऐक्सिडेंट में खोया है। अब उसकी बहु ही उसका ध्यान रखती है।
महक: वो आपके दोस्त हैं तो यहाँ क्यूँ नहीं आए?
राजीव: बेटा, वो अपने हिसाब से रहता है। वो आया शादी में मेरे लिए यही बड़ी बात है।
तभी शिवा बाहर आया और अपने पापा से गले मिला और आशीर्वाद लिया और महक से भी गले मिला। तभी मालिनी भी बाहर आइ । उसने साड़ी पहनी थी। वह आकर अपने ससुर और अपनी ननद के पर छुए और उनसे आशीर्वाद लिया। फिर मालिनी किचन में चली गयी।
महक: अरे मालिनी, किचन में क्यों जा रही हो?
मालिनी: दीदी आज नाश्ता मैं बनाऊँगी। वो भी अपनी मर्ज़ी से , देखती हूँ आपको पसंद आता है या नहीं?
क़रीब एक घंटे के बाद रानी ने नाश्ते की टेबल सजायी और मालिनी ने उन सबको छोले पूरी और दही और हलवा खिलाया। सब उँगलियाँ चाटते रह गए।
राजीव ने खाने के बाद उसको एक सुंदर सा हार दिया और बोला: बेटी, बहुत स्वाद खाना बनाया तुमने। ये रखो। एक बात और बेटी, मेरा दोस्त और उसकी बहु खाने पर आएँगे आज। तुम और रानी कुछ अच्छा सा बना लेना।
मालिनी: जी पापा जी , हो जाएगा।
महक ने भी उसे एक अँगूठी दी और उसके खाने की बहुत तारीफ़ की।
जब महक और शिवा अकेले बैठे थे तो महक बोली: फिर सब ठीक से हो गया ना? मिस्टर नर्वस मैन ।
शिवा: दीदी आपकी ट्रेनिंग काम आइ और सब बढ़िया से हो गया।
महक: उसको बहुत तंग तो नहीं किया?
शिवा शर्माकर: नहीं दीदी, आप भी ना, मैं ऐसा हूँ क्या?
महक: अरे मैं तो तुझे छेड़ रही थी।
फिर सब अपने कमरे में आराम किए। मालिनी ने रानी को सब्ज़ी वगेरह काटने को बोला। शिवा और वो गोवा जाने की पैकिंग भी करने लगे।
दोपहर को १ बजे कर्नल और उसकी बहु आए जिनको राजीव अंदर लाया। कर्नल की बहु अमिता बहुत सुंदर और सेक्सी लग रही थी। उसने टॉप और स्कर्ट पहना था और कर्नल टी शर्ट और जींस में था। कर्नल आगे था उसके पीछे अमिता उसकी बहु और पीछे राजीव चलकर ड्रॉइंग रूम में आए। राजीव तो उसकी पतली कमर और उठी हुई गाँड़ देखकर ही मस्त होने लगा था
उनको मिलने महक भी बाहर आयी। वह अभी जींस और टॉप में थी। कर्नल उससे गले मिला और बोला: अरे तुम तो बहुत बड़ी हो गयी हो बेटी। तुम्हारी शादी के बाद पहली बार देखा है तुमको। वह उसकी छातियों को घूरते हुए बोला। जब महक अमिता से गले मिल रही थी तो कर्नल की आँखें महक की मस्त गोल गोल जींस में फँसी हुई गाँड़ पर ही थीं। फिर वह चारों बातें करने लगे।
तभी शिवा और मालिनी भी आए और दोनों ने कर्नल के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। कर्नल ने अमिता से एक लिफ़ाफ़ा लिया और उनको उपहार दिया। मालिनी ने सलवार कुर्ता पहना था और उसका बदन पूरा ढका हुआ था अमिता की जाँघें नंगी थी और राजीव की आँखें बार बार वहीं पर जा रहीं थीं। सब खाना खाने बैठे और सबने मालिनी के बनाए भोजन की तारीफ़ की।
फिर अमिता महक के कमरे में चली गयी और राजीव कर्नल को अपने कमरे में ले गया और शिवा और मालिनी अपने कमरे में चले गए। नयी नयी शादी थी तो वह जल्दी ही चूम्मा चाटी करके चुदाई में लग गए। चुदाई उसी तरह से हुई जैसे रात को हुई थी।
महक और अमिता अपनी अपनी शादी की बातें कर रहीं थी। अमिता ने अपने पति के ऐक्सिडेंट का क़िस्सा भी सुनाया।
उधर कर्नल और राजीव भी बातें कर रहे थे।
राजीव: यार तेरे साथ बहुत बुरा हुआ जो जवान लड़का चल बसा। मैंने सोचा था कि अमिता विधवा होकर अपने मॉ बाप के पास चली जाएगी। पर उसने तेरे पास ही रहना पसंद किया। ये बहुत बड़ी बात है।
कर्नल: असल में बेटे की मौत के ग़म ने मुझे बिलकुल तोड़ दिया था। अमिता भी भारी सदमे में थी। तो हम दोनों एक दूसरे का सहारा बने। बाद में जब उसके माँ और बाप ने उसे अपने साथ चलने को कहा तो इसने मना कर दिया। जानते हो क्यों?
राजीव: क्यों मना कर दिया?
कर्नल: वो इसलिए, कि उसके पापा की आर्थिक स्तिथि अच्छी नहीं थी। अमिता को रईसी से जीने की आदत पड़ गयी थी। अच्छा खाना, महँगे कपड़े , पार्टी ,घूमना फिरना और बड़ी कारों का शौक़ था, जोकि उसके मायक़े में था ही नहीं।
राजीव: ओह ये बात है। तो क्या तुम उसकी शादी करने की सोच रहे हो?
कर्नल कुटीलता से मुस्कुराया: देखो यार, जब तक मेरा बेटा ज़िंदा था तबतक वो उसकी बीवी थी। अब उसकी मौत के बाद मैंने देखा किपार्टी में लोग उसको खा जाने की कोशिश करते है। और फिर एक दिन मैंने उसको अपनी बुर में मोमबत्ती डालकर हिलाते देखा।बस तभी मैंने उसको समझाया कि घर के बाहर चुदवा कर मेरी बदनामी करवाने से अच्छा है कि वो मेरी ही बीवी की तरह रहे। मेरी बीवी को मरे तो एक अरसा हो गया था। उसकी प्यास भी बुझ जाएगी और मेरा रँडीयों पर होने वाला ख़र्च भी बच जाएगा। उसको समझ में आ गया कि अगर अमीरी की ज़िंदगी जीनी है तो उसे मेरी बीवी बनकर रहना ही होगा। वो मान गयी, और अब हम पति पत्नी की तरह रहते हैं। और सिर्फ़ दुनिया के सामने वो मुझे पापा कहती है। ये है हमारी कहानी।
राजीव: ओह, मतलब तुम उस हसीन कमसिंन लौंडिया से पूरे मज़े कर रहे हो। यार बड़े क़िस्मत वाले हो।
कर्नल: अरे यार क्या तुम्हारा भी मन है उसे चोदने का? ऐसा है तो बोलो, वो भी हो जाएगा। तुमको समीर याद है?
राजीव: हाँ वो जो अहमदाबाद ने बड़ा व्यापारी है अपना दोस्त था।
कर्नल: वह ३ महीने पहिले नैनिताल आया था हमारे यहाँ। वह भी इस पर लट्टू हो गया। मैंने अमिता को समझाया कि जवानी चार दिन की है, मज़े करो। वो मान गयी और हम लोग पूरे हफ़्ते सामूहिक चुदाई का मज़ा लिए।
राजीव का मुँह खुला रह गया: ओह, तो तुमने और समीर ने मिलकर उसे चोदा, wow।
कर्नल: अरे इसके बाद मेरा एक मिलिटेरी का दोस्त अपने बेटे और बहू को मेरे घर भेजा था छुट्टियाँ मनाने। उन दिनो बहुत बर्फ़ पड़ रही थी। बाहर जा ही नहीं पा रहे थे। मुझे वह चिकना लड़का और उसकी बहू बहुत पसंद आ गए थे। वो लड़का भी बाईसेक्शूअल था मेरे जैसा। मैंने पहले चिकने को पटाया और उसकी ले ली। फिर उसको अपनी बीवी देने के लिए पटाया और तुम विश्वास नहीं करोगे अगले दिन ही हम चारों बिस्तर पर नंगे होकर चुदाई कर रहे थे। उस लड़के ने भी अमिता को चोदा।
राजीव: यार, तुम तो उसको रँडी बना दिए हो। यह कहते हुए वह अपना खड़ा लौड़ा मसलने लगा।
कर्नल: लगता है तुझे भी इसकी बुर चोदने की बहुत हवस हो रही है? वैसे उसकी बुर और गाँड़ दोनों मस्त है। देखोगे?
राजीव: दिखाओ ना फ़ोटो है क्या?
कर्नल: हा हा फ़ोटो क्या देखना है, जब वो ही यहाँ है अपना ख़ज़ाना दिखाने के लिए। पर उसके पहले एक बात बोलूँ, बुरा तो नहीं मानोगे?
राजीव: बोलो ना यार , तुम्हारी बात का क्या बुरा मानूँगा।
कर्नल: मेरा महक पर दिल आ गया है। तुमने उसे चोदा है क्या?
राजीव : अरे नहीं , वो मेरी बेटी है । मैं ऐसा कुछ नहीं किया।

महक भी हैरान रह गयी कि वो दोनों उसकी बात कर रहे हैं। वह कर्नल की सोच पर हैरान रह गयी।
 

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