Incest ससुर कमीना और बहू नगीना:- 2(completed)

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राजीव के लिए मालिनी की दिन भर की उपस्थिति का पहला दिन था। उसे बड़ा अजीब लग रहा था कि शायद वह अब रानी के साथ जब चाहे तब पुराने तरह से मज़े नहीं कर पाएगा।

मालिनी भी दिन भर ससुर को घर में देखकर सहज नहीं हो पा रही थी। उसके साथ बात करने को एक रानी ही थी।

रानी जल्दी ही मालिनी से घुल मिल गयी और पूछी: भाभी जी हनीमून कैसा रहा? भय्या ने ज़्यादा तंग तो नहीं किया? ये कहकर वो खी खी करके हँसने लगी।

तभी राजीव पानी लेने आया और उनकी बात सुनकर ठिठक गया और छुपकर उनकी बातें सुनने लगा।

मालिनी शर्मा कर: नहीं, वो तो बहुत अच्छें हैं, मेरा पूरा ख़याल रखते हैं, वो मुझे क्यों तंग करेंगे?

रानी: मेरा मतलब बहुत ज़्यादा दर्द तो नहीं दिया आपको ?ये कहते हुए उसने आँख मार दी।

मालिनी शर्मा कर बोली: धत्त , कुछ भी बोलती हो। वो मुझे बहुत प्यार करते हैं , वो मुझे तकलीफ़ में नहीं देख सकते।

रानी: तो क्या आप अभी तक कुँवारी हो? उन्होंने आपको चो-- मतलब किया नहीं क्या?

मालिनी: धत्त , कुछ भी बोलती हो, सब हुआ हमारे बीच, पर उन्होंने बड़े आराम से किया और थोड़ा सा ही दर्द हुआ।

रानी: ओह फिर ठीक है। मैं जब पहली बार चु- मतलब करवाई थी ना तब बहुत दुखा था। उन्होंने बड़ी बेरहमी से किया था।

मालिनी: इसका मतलब आपके पति आपको प्यार नहीं करते तभी तो इतना दुःख दिया था आपको।

रानी: अरे भाभी, मेरा पति क्या दुखाएगा? उसका हथियार है ही पतला सा । मेरी सील तो जब मैं दसवीं में थी तभी स्कूल के एक टीचर ने मुझे फँसाकर तोड़ दी थी। मैं तो दो दिन तक चल भी नहीं पा रही थी।

मालिनी: ओह ये तो बहुत ख़राब बात है। आपने उसकी पुलिस में नहीं पकड़वा दिया?

रानी: अरे मैं तो अपनी मर्ज़ी से ही चु- मतलब करवाई थी तो पुलिस को क्यों बुलाती।

मालिनी: ओह अब मैं क्या बोलूँ इस बारे में। तो फिर आप उनसे एक बार ही करवाई थी या बाद में भी करवाई थी?

रानी: आठ दस बार तो करवाई ही होंगी। बाद में बहुत मज़ा आता था उनसे करवाने में।

मालिनी: ओह, ऐसा क्या?

रानी: उनके हथियार की याद आती है तो मेरी बुर खुजाने लगती है। ये कहते हुए उसने अपनी साड़ी के ऊपर से अपनी बुर खुजा दी।

मालिनी हैरानी से देखने लगी कि वो क्या कर रही है।

मालिनी के लिए ये सब नया और अजीब सा था।
फिर वह बोली: अच्छा चलो ,अब खाना बन गया ना, मैं अपने कमरे में जाती हूँ।

राजीव उनकी सेक्सी बातें सुनकर अपने खड़े लौड़े को दबाकर मस्ती से भर उठा। और इसके पहले कि मालिनी बाहर आती वह वहाँ से निकल गया।

मालिनी अपने कमरे में आकर सोचने लगी कि रानी के साथ उसने क्यों इतनी सेक्सी बातें कीं । वह इस तरह की बातें कभी भी वह किसी से नहीं करती थी। तभी शिवा का फ़ोन आया: कैसी हो मेरी जान? बहुत याद आ रही है तुम्हारी?

मालिनी: ठीक हूँ मुझे भी आपकी याद आ रही है। आ जाओ ना अभी घर। मालिनी का हाथ अपनी बुर पर चला गया और वह भी रानी की तरह अपनी बुर को साड़ी के ऊपर से खुजाने लगी।

शिवा: जान, बहुत ग्राहक हैं आज , शायद ही समय मिले आने के लिए। जानती हो ऐसा मन कर रहा है कितुमको अपने से चिपका लूँ और सब कुछ कर लूँ। वह अपना मोटा लौड़ा दबाकर बोला।

मालिनी: मुझे भी आपसे चिपटने की इच्छा हो रही है। चलिए कोई बात नहीं आप अपना काम करिए । बाई ।

फिर वह टी वी देखने लगी।

उधर रानी घर जाने के पहले राजीव के कमरे में गयी तो वह उसे पकड़कर चूमा और बोला: क्या बातें कर रही थीं बहू के साथ?

रानी हँसकर बोली: बस मस्ती कर रही थी। पर सच में बहुत सीधी लड़की है आपकी बहू । आपको उसको छोड़ देना चाहिए।

राजीव: मैंने उसको कहाँ पकड़ा है जो छोड़ूँगा ?

रानी: मेरा मतलब है कि इस प्यारी सी लड़की पर आप बुरी नज़र मत डालो।

राजीव: अरे मैंने कहाँ बुरी नज़र डाली है। बहुत फ़ालतू बातें कर रही हो। ख़ुद उससे गंदी बातें कर रही थी और अपनी बुर खुजा रही थी, मैंने सब देखा है।

रानी हँसकर: मैं तो उसे टटोल रही थी कि कैसी लड़की है। सच में बहुत सीधी लड़की है।

राजीव: अच्छा चल अब मेरा लौड़ा चूस दे घर जाने के पहले। ये कहकर वह अपनी लूँगी उतार दिया और बिस्तर पर पलंग के सहारे बैठ गया। उसका लौड़ा अभी आधा ही खड़ा था। रानी मुस्कुराकर झुकी और लौड़े को ऊपर से नीचे तक चाटी और फिर उसको जैसे जैसे चूसने लगी वह पूरा खड़ा हो गया और वह मज़े से उसे चूसने लगी। क़रीब १५ मिनट के बाद राजीव ह्म्म्म्म्म कहकर उसके मुँह में झड़ गया और रानी उसका पूरा रस पी गयी। बाद में उसने लौड़े को जीभ से चाट कर साफ़ कर दिया। फिर थोड़ा सा और चूमा चाटी के बाद वह अपने घर चली गयी।

दोपहर को क़रीब एक बजे मालिनी ने राजीव का दरवाज़ा खड़खड़ाया और बोली: पापा जी खाना लगाऊँ क्या?

राजीव अंदर से ही बोला: हाँ बेटी लगा दो।

मालिनी ने खाना लगा दिया तभी राजीव लूँगी और बनियान में बाहर आया। मालिनी पूरी तरह से साड़ी से ढकी हुई थी। दोनों आमने सामने बैठे और खाना खाने लगे। राजीव उससे इधर उधर की बातें करने लगा और शीघ्र ही वह सहज हो गयी।

राजीव ने खाने की भी तारीफ़ की और फिर दोनों अपने अपने कमरे ने चले गए। इसी तरह शाम की भी चाय साथ ही में पीकर दोनों थोड़ी सी बातें किए। रानी शाम को आकर चाय और डिनर बना कर चली गयी। शिवा दुकान बंद करके आया और मालिनी की आँखें चमक उठीं। शिवा अपने पापा से थोड़ी सी बात किया और अपने कमरे में चला गया। मालिनी भी अंदर पहुँची तब वह बाथरूम में था। जब वह बाथरूम से बाहर आया तो वह पूरा नंगा था उसका लौड़ा पूरा खड़ा होकर उसके पेट को छूने की कोशिश कर रहा था। मालिनी की बुर उसे देखकर रस छोड़ने लगी । वह शर्माकर बोली: ये क्या हो रहा है? ये इतना तना हुआ और ग़ुस्से में क्यों है?

शिवा आकर उसको अपनी बाहों में भर लिया और होंठ चूसते हुए बोला: जान आज तो पागल हो गया हूँ , बस अभी इसे शांत कर दो प्लीज़।

मालिनी: हटिए अभी कोई टाइम है क्या? डिनर कर लीजिए फिर रात को कर लीजिएगा।

शिवा ने उसका हाथ अपने लौड़े पर रख दिया और मालिनी सिहर उठी और उसे मस्ती से सहलाने लगी। उसका रहा सहा विरोध भी समाप्त हो गया। शिवा ने उसके ब्लाउस के हुक खोले और उसके ब्रा में कसे आमों को दबाने लगा। मालिनी आऽऽऽऽह कर उठी। फिर उसने उसकी ब्रा का हुक भी खोला और उसके कप्स को ऊपर करके उसकी नंगी चूचियों पर टूट पड़ा। उनको दबाने के बाद वह उनको खड़े खड़े ही चूसने लगा। मालिनी उइइइइइइइ कर उठी।
 

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