Incest ससुर कमीना और बहू नगीना:- 2(completed)

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अब उसने मालिनी को बिस्तर पर लिटाया और उसकी साड़ी और पेटीकोट ऊपर करके उसकी पैंटी के ऊपर से बुर को दबाने लगा। मालिनी हाऽऽऽय्यय करके अपनी कमर ऊपर उठायी। फिर उसने उसकी पैंटी उतार दी और उसकी बुर में अपना मुँह घुसेड़ दिया । अब तो मालिनी की घुटी हुई सिसकियाँ निकलने लगीं। उसकी लम्बी जीभ उसकी बुर को मस्ती से भर रही थी। फिर उसने अपना लौड़ा उसकी बुर के छेद पर रखा और एक धक्के में आधा लौड़ा पेल दिया। वह चिल्ला उठी आऽऽऽऽऽह जीइइइइइइ । फिर वह उसके दूध दबाकर उसके होंठ चूसते हुए एक और धक्का मारा और पूरा लौड़ा उसकी बुर में समा गया। अब वह अपनी कमर दबाकर उसकी चुदाई करने लगा। मालिनी भी अपनी गाँड़ उछालकर चुदवाने लगी। कमरे में जैसे तूफ़ान सा आ गया। दो प्यासे अपनी अपनी प्यास बुझाने में लगे थे। पलंग चूँ चूँ करने लगा। कमरा आऽऽऽऽहहह उइइइइइइ हम्म और उन्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाज़ों से भरने लगा। क़रीब दस मिनट की चुदाई के बाद दोनों झड़ने लगे और एक दूसरे से बुरी तरह चिपट गए।

थोड़ी देर चिपके रहने के बाद वो अलग हुए और मालिनी शिवा को चूमते हुए बोली: थैंक्स , सच मुझे इसकी बहुत ज़रूरत थी।

शिवा शरारत से : किसकी ज़रूरत थी?

मालिनी शर्मा कर उसके गीले लौड़े को दबाकर बोली: इसकी ।

शिवा: इसका कोई नाम है?

मालिनी पास आकर उसके कान में फुसफ़सायी: आपके लौड़े की। ओ के ?

शिवा हँसकर: हाँ अब ठीक है। फिर उसकी बुर को सहला कर बोला: मुझे भी तुम्हारी बुर की बड़ी याद आ रही थी। दोनों फिर से लिपट गए। मालिनी बोली: चलो अब डिनर करते हैं। पापा सोच रहे होंगे कि ये दोनों क्या कर रहे है अंदर कमरे में?

शिवा हँसक : पापा को पता है कि नई शादी का जोड़ा कमरे में क्या करता है। हा हा ।

फिर दोनों फ़्रेश होकर बाहर आए। डिनर सामान्य था। बाद में राजीव सोने चला गया और ये जोड़ा रात में दो बार और चुदाई करके सो गया । आज मालिनी ने भी जी भर के उसका लौड़ा चूसा और उन्होंने बहुत देर तक ६९ भी किया । पूरी तरह तृप्त होकर दोनों गहरी नींद सो गए।

दिन इसी तरह गुज़रते गए। राजीव दिन में एक बार रानी से मज़ा ले लेता था और शिवा और मालिनी की चुदाई रात में ही हो पाती थी। सिवाय इतवार के, जब वो दिन में भी मज़े कर लेते थे। अब मालिनी की भी शर्म कम होने लगी थी। अब वह घर में सुबह गाउन पहनकर भी रहती थी और राजीव पूरी कोशिश करता कि वह उसके मस्त उभारो को वासना की दृष्टि से ना देखे। वह जब फ्रिज से सामान निकालने के लिए झुकती तो उसकी मस्त गाँड़ राजीव के लौड़े को हिला देती। पर फिर भी वह पूरी कोशिश कर रहा था कि किसी तरह वह इस सबसे बच सके और अपने कमीनेपन को क़ाबू में रख सके। और अब तक वो इसमे कामयाब भी था।

एक दिन उसने मालिनी की माँ सरला को श्याम के साथ बुलाया और एक होटेल के कमरे में उसकी ज़बरदस्त चुदाई की। शाम को श्याम और सरला मालिनी से मिलने आए। मालिनी बहुत ख़ुश थी। राजीव ने ऐसा दिखाया जैसे वह भी अभी उनसे मिल रह रहा हो। जबकि वो सब होटेल में दिन भर साथ साथ थे।

फिर वो दोनों वापस चले गए। रात को शिवा , मालिनी और राजीव डिनर करते हुए सरला की बातें किए और शिवा को अच्छा लगा की मालिनी अपनी माँ से मिलकर बहुत ख़ुश थी।

दिन इसी तरह बीतते गए। सब ठीक चल रहा था कि मालिनी के शांत जीवन में एक तूफ़ान आ गया।
उस दिन रोज़ की तरह जब सुबह ७ बजे मालिनी उठी और किचन में गयी तो रानी चाय बना रही थी । मालिनी को देख कर रानी मुस्कुराती हुई बोली : भाभी नींद आयी या भय्या ने आज भी सोने नहीं दिया ?

मालिनी: आप भी बस रोज़ एक ही सवाल पूछतीं हो। सब ठीक है हम दोनों के बीच। हम मज़े भी करते हैं और आराम भी। कहते हुए वह हँसने लगी।

रानी भी मुस्कुराकर चाय का कप लेकर राजीव के कमरे में गयी। राजीव मोर्निंग वॉक से आकर अपने लोअर को उतार रहा था और फिर वह जैसे ही चड्डी निकाला वैसे ही रानी अंदर आयी और मुस्कुराकर बोली: वाह साहब , लटका हुआ भी कितना प्यारा लगता है आपका हथियार। वह चाय रखी और झुक कर उसके लौड़े को चूम लिया। राजीव ने उसको अपने से लिपटा लिया और उसके होंठ चूस लिए। फिर वह लूँगी पहनकर बैठ गया और चाय पीने लगा। उसकी लूँगी में एक छोटा सा तंबू तो बन ही गया था।

रानी: आजकल आप घर में चड्डी क्यों नहीं पहनते?

राजीव : अब घर में चड्डी पहनने की क्या ज़रूरत है। नीचे फंसा सा लगता है। ऐसे लूँगी में फ़्री सा लगता है।

रानी: अगर बहू का पिछवाड़ा देख कर आपका खड़ा हो गया तो बिना चड्डी के तो वो साफ़ ही दिख जाएगा।

राजीव: जान बस करो क्यों मेरी प्यारी सी बहू के बारे में गंदी बातें करती हो? तुम्हारे रहते मेरे लौड़े को किसी और की ज़रूरत है ही नहीं। ये कहते ही उसने उसकी चूतरों को मसल दिया । रानी आऽऽह करके वहाँ से भाग गयी।

मालिनी ने चाय पीकर शिवा को उठाया और वह भी नहाकर नाश्ता करके दुकान चला गया। उसके जाने के बाद मालिनी भी नहाने चली गयी। रानी भी राजीव के कमरे की सफ़ाई के बहाने उसके कमरे में गयी जहाँ दोनों मज़े में लग गए ।
मालिनी नहा कर आइ और तय्यार होकर वह किचन में गयी। वहाँ उसे सब्ज़ी काटने का चाक़ू नहीं मिला। उसने बहुत खोजा पर उसे जब नहीं मिला तो उसने सोचा कि ससुर के कमरे से रानी को बुलाकर पूछ लेती हूँ। वह ससुर के कमरे के पास जाकर आवाज़ लगाने ही वाली थी कि उसे कुछ अजीब सी आवाज़ें सुनाई पड़ी। वह रुक गयी और पास ही आधी खुली खिड़की के पास आकर सुनने की कोशिश की। अंदर से उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ गन्न्न्न्न्न्न्न ह्म्म्म्म्म की आवाज़ आ रही थी। वह धीरे से कांपते हुए हाथ से परदे को हटा कर अंदर को झाँकी। अंदर का दृश्य देखकर वह जैसे पथ्थर ही हो गयी। रानी बिस्तर पर घोड़ी बनी हुई थी और उसकी साड़ी ऊपर तक उठी हुई थी। पीछे उसका ससुर कमर के नीचे पूरा नंगा था और उसकी चुदाई कर रहा था। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ये क्या हो रहा है। क्या कोई अपनी नौकरानी से भी ऐसा करता है भला! इसके पहले कि वह वहाँ से हट पाती राजीव चिल्लाकर ह्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा। जब उसने अपना लौड़ा बाहर निकाला तो उसका मोटा गीला लौड़ा देखकर उसका मुँह खुला रह गया। उसे अपनी बुर में हल्का सा गीलापन सा लगा। वह उसको खुजा कर वहाँ से चुपचाप हट गयी।

अपने कमरे में आकर वह लेट गयी और उसकी आँखों के सामने बार बार रानी की चुदाई का दृश्य और पापा का मोटा लौड़ा आ रहा था। वह सोची कि बाप बेटे के लौड़े एकदम एक जैसे हैं, मोटे और लम्बे। पर शिवा का लौड़ा थोड़ा ज़्यादा गोरा है पापा के लौड़े से। उसे अपने आप पर शर्म आयी कि छि वो पापा के लौड़े के बारे में सोच ही क्यों रही है !!

फिर उसका ध्यान रानी पर गया और वह ग़ुस्से से भर गयी। ज़रूर उसने पापा के अकेलेपन का फ़ायदा उठाया होगा और उनको अपने जाल में फँसा लिया होगा। पापा कितने सीधे हैं, वो इस कमीनी के चक्कर में फँस गए बेचारे, वो सोचने लगी।

भला उसको क्या पता था कि हक़ीक़त इसके बिपरीत थी और असल में राजीव ने ही रानी को फ़ांसा थ।

वह सोची कि क्या शिवा को फ़ोन करके बता दूँ । फिर सोची कि नहीं वह अपने पापा को बहुत प्यार करते हैं और उनके बारे में ये जानकार वह दुःखी होगा। उसे अभी नहीं बताना चाहिए, हाँ समय आने पर वह उसे बता देगी। क़रीब आधे घंटे तक सोचने के बाद वह इस निश्चय पर पहुँची कि रानी को काम से निकालना ही इस समस्या का हल है। वो बाहर आइ तो देखा कि राजीव बाहर जाने के लिए तय्यार था। ना चाहते हुए भी उसकी आँख राजीव के पैंट के अगले भाग पर चली गयी। पैंट के ऊपर से भी वहाँ एक उभार सा था। जैसे पैंट उसके बड़े से हथियार को छुपा ना पा रही हो। वह अपने पे ग़ुस्सा हुई और बोली: पापा जी कहीं जा रहे हैं क्या?

राजीव: हाँ बहू , बैंक जा रहा हूँ। और भी कुछ काम है १ घंटा लग जाएगा। वो कहकर चला गया।

अब मालिनी ने गहरी साँस ली और रानी को आवाज़ दी। रानी आइ तो थोड़ी थकी हुई दिख रही थी।

मालिनी: देखो रानी आज तुमने मुझे बहुत दुःखी किया है।

रानी: जी, मैंने आपको दुःखी किया है? मैं समझी नहीं।

मालिनी: आज मैंने तुमको पापा के साथ देख लिया है। आजतक मैं सोचती थी कि तुम इतनी देर पापा के कमरे में क्या करती हो? आज मुझे इसका जवाब मिल गया है। छि तुम अपने पति को धोका कैसे दे सकती हो। पापा को फँसा कर तुमने उनका भी उपयोग किया है। अब तुम्हारे लिए इस घर में कोई ज़रूरत नहीं है। तुम्हारा मैंने हिसाब कर दिया है। लो अपने पैसे और दूसरा घर ढूँढ लो।

रानी रोने लगी और बोली: एक बार माफ़ कर दो भाभी।

मालिनी: देखो ये नहीं हो सकता। अब तुम जाओ और अब काम पर नहीं आना।

ये कहकर वो वहाँ से हट गयी। रानी रोती हुई बाहर चली गयी।

राजीव वापस आया तो थोड़ा सा परेशान था। वो बोला: बहू , रानी का फ़ोन आया था कि तुमने उसे निकाल दिया काम से?

मालिनी: जी पापा जी, वो काम अच्छा नहीं करती थी इसलिए निकाल दिया। मैंने अभी अपने पड़ोसन से बात कर ली है कल से दूसरी कामवाली बाई आ जाएगी।

राजीव को रानी ने सब बता दिया था कि वह क्यों निकाली गयी है, पर बहू उसके सम्मान की रक्षा कर रही थी। जहाँ उसे एक ओर खीझ सी हुई कि उसकी प्यास अब कैसे बुझेगी? वहीं उसको ये संतोष था कि उसकी बहू उसका अपमान नहीं कर रही थी। वह चुपचाप अपने कमरे में चला गया। पर उसकी खीझ अभी भी अपनी जगह थी।

उस दिन शाम की चाय और डिनर भी मालिनी ने ही बनाया था। राजीव मालिनी से आँखें नहीं मिला पा रहा था। डिनर के बाद सब अपने कमरों में चले गए। मालिनी ने शिवा को बताया कि रानी को काम से निकाल दिया है। शिवा ने कहा ठीक है दूसरी रख लो। उसने कोई इंट्रेस्ट नहीं दिखाया और उसकी चूची दबाकर उसे गरम करने लगा।मालिनी ने भी उसका लौड़ा पकड़ा और उसको दबाकर पापा के लौड़े से तुलना करने लगी। शायद दोनों बाप बेटे का एक सा ही था ।जल्दी ही शिवा चुदाई के मूड में आ गया और उसे चोदने लगा। मालिनी ने भी सोचा कि इनको क्यों बताऊँ फ़ालतू में दुःखी होंगे, अपने पापा की करतूत जानकार।

चुदाई के बाद दोनों लिपट कर सो गए। पर मालिनी की आँखों में अभी भी पापा का मस्त लौड़ा घूम रहा था और वह भी सो गयी।

उधर राजीव की आँखों से नींद ग़ायब थीं । वह सोचने लगा कि कहीं बहू ने सब बातें शिवा को बता दी होगी। फिर सोचा नहीं वह नहीं बताएगी। वह चाहेगी कि बाप बेटे में कोई दूरी ना हो। यह सब सोचते हुए वह सो गया।

अब जब राजीव की प्यास बुझाने वाली ही चली गयी तो आगे वो कौन सी कमीनी हरकत करेगा???
 
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अगले दिन मालिनी सुबह उठकर चाय बनाई और राजीव के कमरे का दरवाज़ा खटखटाई और बोली: पापा जी चाय लाऊँ?

राजीव देर तक सोने के कारण आज वॉक पर भी नहीं गया था । वह उठा और उसकी लूँगी में मॉर्निंग इरेक्शन का तंबू बना हुआ था। वह बोला: मैं अभी बाहर आता हूँ वहीं पी लूँगा।

मालिनी ने चाय डाइनिंग टेबल पर रखी और ख़ुद चाय पीने लगी। थोड़ी देर बाद राजीव बाहर आया तो हमेशा की तरह मालिनी ने उसके पैर छुए और गुड मोर्निंग किया। राजीव ने उसे आशीर्वाद दिया और चाय पीने लगा। उसने देखा कि आज भी वह गाउन पहनी थी पर वह अब उसे वह टाइट हो रही थी क्योंकि वह अच्छा खाने और शायद बढ़िया चुदाई के चलते थोड़ी भर रही थी। उसकी चूचियाँ गाउन को दबा रही थी और उसके चूतरों के उभार भी गाउन से मस्त दिखने लग रहे थे।हालाँकि उसने कपड़े सही पहने थे और उसमें से कोई अंग प्रदर्शन नहीं हो रहा था। पर गाउन से भी वह बहुत मादक लग रही थी। राजीव की लूँगी में हलचल शुरू हो गयी। इसलिए वह उठकर वहाँ से चला गया।

राजीव अपने कमरे में आकर मालिनी की जवानी का सोचकर गरम होने लगा । फिर वह सोचा कि उसे अपना ध्यान बटाना होगा ।ये सोचकर वह तय्यार होकर बाहर चला आया और नाश्ता करके घर से बाहर जाने लगा। मालिनी और शिवा अभी नाश्ता कर रहे थे।

मालिनी: पापा जी आज मैं आपके साथ सब्ज़ी वग़ैरह लेने जाना चाहती हूँ , आप ले जाएँगे क्या? वो क्या है ना, मुझे यहाँ का कुछ पता नहीं है ना, इसीलिए आपकी मदद चाहिए। पड़ोसन कह रही थी कि शिवाजी चौक का सब्ज़ी बाज़ार सबसे अच्छा है।

राजीव: हाँ हाँ बेटी क्यों नहीं , मैं थोड़ी देर में आता हूँ तब चलेंगे। पर शिवाजी चौक में तो बेटी बहुत भीड़ होती है।

यह कहकर राजीव अपने एक दोस्त से मिलने निकल गया। उसकी पास ही में एक दुकान थी चश्मों की जिसमें उसका एक पुराना दोस्त पटेल बैठा था। पटेल उसे देखकर बहुत ख़ुश हुआ और बोला: अरे यार आज रास्ता कैसे भूल गए? आओ बैठो।

राजीव उसके पास बैठा और दोनों पुराने दिनों की बातें करने लगे। तभी बातें राजीव की बीवी की मौत की ओर चली गयीं। पटेल बोला: यार , भाभी जी ने तुझे धोका दे दिया। एकदम से चली गयी।

राजीव : हाँ यार एकदम से अकेला हो गया हूँ।

पटेल: यार सच में बहुत मुश्किल है बिना बीवी के रहना। हालाँकि इस उम्र में रोज़ मज़े नहीं करना होता है पर हफ़्ते में एक दो दिन तो मज़े का मूड बन ही जाता है। उसपर बीवी का ना होना सच में मुश्किल होता होगा।

राजीव: क्या तू सच में अभी भी भाभीजी के भरोसे ही है क्या? यहाँ वहाँ मुँह भी तो मारता होगा?

पटेल: अरे अब तुमसे क्या पर्दा भला। तुम्हारी भाभी के साथ तो हफ़्ते में एक बार हो ही जाता है। और मैं सामान लेने हर महीने मुंबई जाता हूँ और कम से कम दो रात वहाँ होटेल में गुज़ारता हूँ। वहाँ मेरी सेटिंग है रात में २०/२२ साल की एक लौड़िया आ जाती है पूरी रात साली के साथ चिपका रहता हूँ। पूरे पैसे वसूल करता हूँ।

राजीव: वाह भाई , तुम तो छिपे रूसतम निकले। वैसे यहाँ भी तो होटलों में लौंडियाँ मिलती होंगी।

पटेल: यहाँ कोई भी जान पहचान का मिल सकता है, वहाँ कौन अपने को जानता है भला?

राजीव: हाँ ये तो रिस्क है यहाँ करने में ।

पटेल: यार तू दूसरी शादी क्यों नहीं कर लेता।

राजीव: अरे अभी तो मेरे बेटे की शादी हुई है अब इस उम्र में मैं क्या शादी करूँगा यार।

पटेल: अरे अपने गाँव साइड में तो हमारी उम्र के बूढ़ों को भी मस्त जवान लौड़िया मिल जाती हैं शादी के लिए बस कुछ पैसा फेंकना पड़ता है और तूने पैसा तो बहुत कमाया है यार।

राजीव : चल छोड़ ये सब बातें। फिर वह वहाँ से वापस आ गया।

जब वह घर पहुँचा तो शिवा दुकान जा चुका था और मालिनी एक नई नौकरानी से काम करवा रही थी। वह कोई ४० के आसपास की काली सी औरत थी और राजीव ने अपनी क़िस्मत को कोसा कि इस बार बहु ने ऐसी औरत चुनी है जिसे देखकर खड़ा लौड़ा भी मुरझा जाए।पर वह बोला: अरे बहु तुम तय्यार नहीं हुई बाज़ार जाना था ना?

मालिनी: बस पापा अभी ५ मिनट में तय्यार होकर आती हूँ। ये नई बाई है कमला। इसे काम समझा रही थी। ये कहकर वह अपने कमरे में चली गयी और १० मिनट में तय्यार होकर आइ। राजीव उसका इंतज़ार सोफ़े में बैठा टी वी देखकर कर रहा था। मालिनी: पापा चलें ?

राजीव ने आँखें उठाईं और मालिनी को देखता ही रह गया। गुलाबी सलवार सूट में वो बहुत प्यारी लग रही थी। ये कपड़े भी अब उसे थोड़े टाइट हो चले थे। पर उसने चुन्नी इस तरह से ली थी जिसमें उसकी छातियाँ पूरी ढकीं हुई थी। सच में उसकी बहु नगीना याने हीरा थी ,वह सोचा।

फिर दोनों बाहर आए और कार में बैठकर सब्ज़ी बाज़ार की तरफ़ चल पड़े। रास्ते में राजीव उसे शहर के ख़ास बाज़ार और मुहल्लों के बारे में बताने लगा। वह बड़े ध्यान से सुन रही थी। तभी सब्ज़ी मार्केट आ गयी ।दोनों कार से उतरे और मालिनी हाथ में थैला पकड़कर चल पड़ी। राजीव उसके पिच्छे चलने लगा। उसने ऊँची एड़ी का सेंडल पहनी थी और उसके चूतर सलवार में मस्त मटक रहे थे। राजीव का लौड़ा अकडने लगा। तभी वह एक सब्ज़ी वाले के यहाँ रुकी और झुक कर टमाटर पसंद करने लगी। अब उसकी चुन्नी ढलक गयी थी और उसकी मस्त छातियाँ सामने तनी हुए दिखाई दे रहीं थे। उसके चूतर भी पीछे से मस्त कशिश पैदा कर रहे थे। उफ़्फ़्फ़्ग्ग क्या मस्ती है इस लौड़िया में। तभी एक आदमी वहीं से गुज़रा और उसने झुकी हुई मालिनी की गाँड़ पर हाथ फेरा और चला गया।

राजीव को ग़ुस्सा आया पर वह आदमी ग़ायब हो चुका था। मालिनी एकदम से पलट कर देखी तब तक वह आदमी जा चुका था। राजीव उसके पीछे आकर खड़ा हुआ और बोला: बेटी, अब मैं यहाँ खड़ा हूँ तुम आराम से सब्ज़ी पसंद करो।

मालिनी: ठीक है पापा जी। वह अब अपने काम में लग गयी।
राजीव अब अच्छी तरह से उसकी गाँड़ का जायज़ा ले रहा था और अपने लौड़े को adjust कर रहा था। तभी राजीव को एक साँड़ आता दिखा और वह राजीव के बिलकुल बग़ल में आ गया और उसे रास्ता देने के लिए उसे आगे को होना पड़ा तभी उसका पैंट के अंदर से उसका लौड़ा उसकी चूतरों पर टकराने लगा। मालिनी सकपका कर उठने की कोशिश की और तभी वह साँड़ राजीव से टकराने लगा और राजीव आगे को हुआ और फिर मालिनी उसकी ठोकर से आगे को गिरने लगी। तभी राजीव ने उसके कमर पर हाथ डाला और उसे अपने क़रीब खींच लिया और वह नीचे गिरने से बच गयी । राजीव का अगला हिस्सा अब मालिनी के पिछवाड़े से पूरी तरह चिपक गया था। मालिनी को भी उसके कड़े लौड़े का अहसास अपनी गाँड़ पर होने लगा था। राजीव का हाथ उसकी कमर पर चिपका हुआ था। मालिनी पीछे को मुड़ी और उसने साँड़ को वहाँ से जाते देखा । वह समझ गयी कि क्या हुआ है। वह बोली: पापा जी साँड़ चला गया, अब मुझे छोड़ दीजिए।

राजीव झेंप कर पीछे को हुआ और अपने पैंट को अजस्ट करने लगा। मालिनी की आँखें उसकी पैंट पर पड़ी और वह शर्म से दोहरी हो गयी। वो सोची - हे भगवान ! ये पापा को क्या हो गया? वो इतने उत्तेजित मुझे छू कर हो गए क्या? फिर उसने अपनी आँखें वहाँ से हटाई और पैसे देने लगी।

राजीव: बेटी, मैंने बोला था ना कि यहाँ बहुत भीड़ रहती है। चलो तुम्हारी सब्ज़ी हो गयी या अभी और लेना है।

मालिनी: पापा जी अभी और लेनी है, चलिए उधर भीड़ नहीं है वहाँ से लेते हैं।

दिर उन्होंने सब्ज़ी ख़रीदी और वापस घर आए। मालिनी थोड़ी सी हिल सी गयी थी कि पापा उसे छू कर इतने उत्तेजित क्यों हो गए। क्या वो उसे ग़लत निगाह से देखते है। उसे थोड़ा ध्यान से रहना होगा अगर पापा जी उसके बारे में कुछ ऐसा वैसा सोचते हैं तो । फिर उसने अपने आप को कोसा और सोची कि छि पापा के बारे में वो ऐसा कैसे सोच सकती है। अब वह आराम करने लगी।
 

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