Incest ससुर कमीना और बहू नगीना:- 2(completed)

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राजीव अपने कमरे में आकर मालिनी के स्पर्श को याद करके बुरी तरह उत्तेजित हो उठा और अपना लौड़ा पैंट के ऊपर से दबाने लगा। उफफफफ क्या मस्त लगा था जब उसका लौड़ा उसके चूतरों में रगड़ खा रहा था। वह उसकी अपनी बहू थी ये उसे और भी मस्त कर रहा था।
तभी बाहर से मालिनी की आवाज़ आइ: पापा जी खाना लगाऊँ क्या?

राजीव: हाँ लगाओ मैं आता हूँ। फिर दोनों खाना खाए। मालिनी ने नोटिस किया कि आज राजीव की आँखें बार बार उसकी छाती पर जा रही हैं। जब वह पानी डालने को उठी तब वह उसके पिछवाड़े को ताड़ रहा था , यह उसने कनख़ियों से साफ़ साफ़ देखा। वह मन ही मन थोड़ी परेशान होने लगी थी। फिर जब वह बर्तन उठाकर किचन में रख रही थी तब भी वह उसे ताड़ें जा रहा था। और मालिनी ने देखा कि वह अपनी लूँगी में अपना लौड़ा भी ऐडजस्ट किया। उसने सोचा की हे भगवान, ये पापा जी को आख़िर एकदम से क्या हो गया।

बाद में अपने कमरे ने आकर वह सोची कि क्या शिवा को सब बता देना चाहिए? मन ने कहा कि वह बेकार में परेशान होगा और वैसे भी उसके पास इस बात का कोई सबूत भी तो नहीं है।

उधर जैसे जैसे समय बीत रहा था राजीव की दीवानगी अपनी बहू के लिए बढ़ती ही जा रही थी। इसी तरह दिन बीत रहे थे। अब राजीव में एक परिवर्तन आ गया था कि वह अब खूल्लम ख़ूल्ला बहू को घूरता था और अपने लूँगी पर हाथ रख कर अपने लौड़े को मसल देता था। वह इस बात की भी परवाह नहीं करता था कि मालिनी देख रही है या नहीं। मालिनी की परेशानी का कोई अंत ही नहीं था। वह सब समझ रही थी , पर अनजान बनने का नाटक कर रही थी । शायद इसके अलावा उसके पास कोई उपाय भी नहीं था। वह शिवा से भी कुछ नहीं कह पा रही थी।

इधर शिवा की भूक़ भी सेक्स के लिए बढ़ती जा रही थी। वह घर आते ही मालिनी को अपने कमरे में ले जाता और फिर उसको बिस्तर पर पटक देता था और पागलों की तरह उसका बदन चूमने लगता था। फिर वह उसकी चूचियों को दबाकर और चूस चूस कर लाल कर देता था । उसके निपल्ज़ को रगड़कर मालिनी को मस्त करना उसने सीख लिया था। फिर वह उसकी बुर में मुँह डालकर कम से कम १० मिनट चूसता था और फिर उसे कभी नीचे लिटा कर या कभी घोड़ी बनाकर या कभी उसको बग़ल में लिटा कर साइड के करवट से चोदता था। आधे घंटे की चुदाई में मालिनी की चूत के साथ साथ आत्मा भी तृप्त हो जाती थी। बाद में डिनर के बाद तो वह जो उसके कपड़े उतारता था तो वह दोनों रात भर नंगे ही रहते थे। इस वक़्त मालिनी और वो ६९ करते थे। मालिनी ने भी लौड़ा चूसना सीख लिया था। उसे बड़ा अजीब लगता जब शिवा उसकी बुर चाटते हुए उसकी गाँड़ के छेद को भी चाट लेता। इस बार की चुदाई में मालिनी को ऊपर रहना अच्छा लगता था। इस तरह से वो अपने मज़े को चरम सीमा में पहुँचाने की कला भी सीख ली थी। शिवा के हाथ उसकी हिलती चूचियों और चूतरों पर रहते थे और बीच बीच में वह उसकी गाँड़ में ऊँगली भी करता था। चरमसीमा पर पहुँच कर अब मालिनी खुल कर चीख़ने भी लगी थी। शिवा उसको गंदी बातें बोलने के लिए उकसाता और वह भी मस्ती में गंदी बातें बोलने लगी थीं।

जैसे उस रात जब वो उसकी बुर चाट रहा था तो मालिनी चिल्ला रही थी: आऽऽऽऽऽह उइइइइइ

शिवा: जान , मज़ा आ रहा है?

मालिनी: आऽऽऽऽँहह बहुत ।

शिवा: कहाँ मज़ा आ रहा है?

मालिनी: हाऽऽऽऽऽय्य मेरीइइइइइइ बुर मेंएएएएएएए।

शिवा: अब क्या करूँ ?

मालिनी: चोओओओओओओओओदो नाआऽऽऽऽऽ प्लीज़। उग्फ़्फ़्ग्ग्ग्ग ।
इस तरह अब मालिनी भी उसके रंग में रंग गयी थी।

उनकी रात की आख़री चुदाई रात के ११ बजे होती थी जो साइड के पोज़ में होती थी और शिवा के हाथ उसकी कमर, चूतरों और गाँड़ के छेद में होते थे। शिवा उसको मानसिक रूप से गाँड़ मरवाने के लिए भी तय्यार कर रहा था ।वो क़रीब आख़री चुदाई के बाद १२ बजे सोते थे। मालिनी अनुभव कर रही थी कि शिवा चुदाई में वेरायटि खोजता रहता है। वैसे दोनों अब अनुभवी चुदक्कड बन चुके थे। और अब वो गंदी और अश्लील बातें भी करने लगे थे।

जीवन इसी तरह बीत रहा था। मालिनी पूरी तरह से एक तृप्त नारी थी और उधर उसका ससुर पूरी तरह से अतृप्त पुरुष !!!

इसी तरह कई दिन बीत गए। उस दिन क़रीब दोपहर के १ बजे थे। राजीव अपने कमरे ने टीवी देख रहा था और वह सोफ़े पर बैठी अपनी माँ से फ़ोन पर बातें कर रहीं थी। कमला काम करके जा चुकी थी। तभी घंटी बजी और वह उठी और दरवाजे के पास आकर बोली: कौन है?

बाहर से आवाज़ आइ: कूरीयर है मैडम।

मालिनी ने दरवाज़ा खोला और बाहर दो आदमी खड़े थे । वो अंदर को झाँके और किसी को ना देखकर एक बोला: लगता है आप अकेली है अभी?

दूसरे ने पूछा: आपके पति तो काम पर गए हैं ना? कूरीयर में कौन साइन करेगा?

मालिनी: हाँ वह दुकान में हैं , लायिए मैं साइन कर देता हूँ।

उन दोनों को यक़ीन हो गया कि वह शायद अकेली है घर पर । तभी वो दोनों एक झटके से अंदर आए और एक ने उसके मुँह पर अपना हाथ दबा दिया और दूसरे ने एक छुरी निकाल ली और उसे धमकाते हुए बोला: ख़बरदार आवाज़ निकाली तो काट दूँगा। मालिनी घबरा गयी और बोलने की कोशिश की : आपको क्या चाहिए?

एक आदमी हँसते हुए उसकी चूचि दबा दिया और बोला: तू चाहिए और साथ में सोना रुपया जो भी मिल जाए। तभी दूसरे आदमी ने भी उसकी दूसरी चूचि दबा दी और बोला: साली मस्त माल है, चोदने में मज़ा आएगा। चल अंदर और तिजोरी खोल और माल निकाल। फिर तेरे से मज़ा करेंगे। ये कहते हुए उसकी चूचि ज़ोर से दबा दिया।

अब मालिनी डर से काँपने लगी और अचानक ना जाने कहाँ से उसमें इतनी ताक़त आ गयी कि वह अपने मुँह में रखे हाथ को पूरी ताक़त से दाँत से काट दी और जैसे उसके मुँह से उस आदमी का हाथ हटा, वह ज़ोर से चिल्लाई: पापा जीइइइइइइइइ बचाओओओओओओओओ।

राजीव की टी वी देखते हुए शायद आँख लग गई थी और टी वी अभी भी चल रहा था, शायद इसलिए वह पहले की बातें नहीं सुन पाया था। पर मालिनी की चीख़ उसने साफ़ साफ़ सुनी और वह बाहर की ओर आया। अब उसने मालिनी को एक साथ दो आदमी के पकड़ से निकलने की कोशिश करते देखा तो वह समझ गया कि उसे क्या करना है। वह पीछे से तेज़ी से लपका और एक आदमी के पीठ में एक ज़ोरदार मुक्का मारा। वह आदमी दूसरे आदमी से टकराया और दोनों नीचे गिर गए। अब उसने दोनों की ज़बरदस्त धुनाई शुरू कर दी। राजीव एक बलिष्ठ पुरुष था और जल्दी ही वो दोनों उठ कर भागने में सफल हो गए।
राजीव उनके पीछे दौड़ा पर वो भाग गए।

जब वो वापस आया तब मालिनी जो अब भी डर से काँप रही थी उससे पपाऽऽऽऽऽऽऽऽ कहकर लिपट गयी और रोने लगी। राजीव उसकी पीठ सहलाते हुए बोला: अरे बहू, वो चले गए। अब क्यों रो रही हो?

मालिनी के आँसू थम ही नहीं रहे थे और वह उससे और ज़ोर से चिपट गयी और वह रोए जा रही थी।
राजीव ने भी उसे अब अपनी बाहों में भींच लिया और उसकी पीठ पर हाथ फेरकर बोला: बस बेटी अब चुप हो जाओ। सब ठीक हो गया ना अब तो? अब वह उसकी बाँह भी सहलाने लगा और फिर उसके गाल से आँसू भी पोछा । अब जब वो थोड़ी सामान्य हुई तो वह उसे सहारा देकर सोफ़े पर बैठा दिया और पानी लेकर आया। उसके बग़ल में बैठकर वह उसे पानी पिलाने लगा। मालिनी की अभी भी हिचकियाँ बंधी हुई थीं। पाने पीने के बाद वो थोड़ा शांत हुई। अब राजीव ने उसके गाल से उसके आँसू पोंछे और बोला: बस बेटी, अब चुप हो जाओ। देखो सब ठीक है।

तभी फिर से घंटी बजी और मालिनी एकदम से डर गयी और राजीव की गोद में बैठ गयी और अपना सिर उसके सीने में छुपा ली और बोली: पापा वो फिर आ गए। अब राजीव ने उसकी बाँह सहलाई और ज़ोर से पूछा: कौन है?

कोई बोला: साहब डोमिनो से आया हूँ पिज़्ज़ा लाया हूँ।

राजीव चिल्ला कर बोला: हमने नहीं मँगाया है। ग़लत ऐड्रेस होगा । अभी जाओ ।

उधर मालिनी उसकी गोद में बैठी थर थर काँप रही थी। अब राजीव ने उसको अपनी बाहों में भींच लिया और बड़े प्यार से उसके गालों को चूमा और बोला: बेटी, पिज़्ज़ा बोय था, बेकार में मत डरो।

मालिनी अभी भी उसकी गोद में बैठी थी और उसकी छाती राजीव की छाती से सटी हुई थी। राजीव को भी अब अपनी जवान बहू के कोमल स्पर्श का अहसास हुआ और उसका लौड़ा लूँगी में अपना सिर उठाने लगा। अब वह झुककर उसके गाल को चूमा और उसकी बाँह सहलाते हुए बोला: वैसे बेटी ग़लती तो तुम्हारी है ही। तुमको दरवाज़ा खोलने के पहले डोर लैच लगाना चाहिए था। तुमने जाकर एकदम से दरवाज़ा खोल दिया। सोचो मैं ना होता घर पर तो क्या होता?

मालिनी का बदन एक बार फिर डर से काँप उठा वह बोली: पापा जी वो तो मेरे साथ गंदे काम करने की बात कर रहे थे। सोना और पैसा भी माँग रहे थे।

राजीव ने अब उसके नंगे कंधे को सहलाया और बोला: बेटी उन्होंने तुम्हारे साथ कोई ग़लत हरकत तो नहीं किया?

मालिनी थोड़ी सी शर्माकर: पापा जी वी बड़े कमीने थे उन्होंने मेरी छाती दबाई थी।

राजीव उसके ब्लाउस को छाती की जगह पर देखकर बोला: तभी यहाँ का कपड़ा बहुत मुड़ा सा दिख रहा है। क्या ज़ोर से दबाया था बेटी उन कमीनों ने?

मालिनी: जी पापा जी बहुत दुखा था। वो रोने लगी।

अब राजीव ने उसके गाल चूमते हुए कहा : बेटी, अब चुप हो जाओ। तुम चाहो तो मैं वहाँ दवा लगा दूँ।

मालिनी: नहीं पापा जी अब वहाँ ठीक है। पापा जी आज आप नहीं होते तो पता नहीं मेरा क्या होता। वो कमीने मेरा क्या हाल करते पता नहीं।

राजीव अपनी गोद में बैठी बहु को चूमा और बोला: बेटी, मेरे रहते तुमको कुछ नहीं हो सकता। पर आगे से दरवाज़ा ऐसे कभी नहीं खोलना ठीक है?

मालिनी: जी पापा जी आगे से कभी ग़लती नहीं होगी।

तभी उसका मोबाइल बजा। मालिनी: हाय जी।

शिवा: जान कैसी हो?

मालिनी रोने लगी और बोली: आज तो पापा जी ने बचा लिया वरना मैं तो गयी थी काम से।

शिवा: क्या हुआ?

राजीव ने उसके हाथ से फ़ोन लिया और शिवा को पूरी बात बताई। वह उसको कहानी बताते हुए अपनी बहु के गाल और हाथ और गरदन सहला रहा था। अब उसका लौड़ा पूरा खड़ा हो चुका था। अचानक मालिनी को अपनी गाँड़ में उसके लौड़ा चुभते हुए महसूस किया। वह चौकी और एकदम से खड़ी हुई और उसके गोद से उठकर वह बोली: पापा मैं बाथरूम से मुँह धोकर आती हूँ।


शिवा: पापा मैं अभी आता हूँ ! ये कहकर वह फ़ोन काट दिया।
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उसके जाने के बाद राजीव उन लमहों के बारे में सोचता रहा जब वह उसकी गोद में बैठी थी। फिर अपना लौड़ा दबाकर अपने कमरे में चला गया।
इधर मालिनी सोच रही थी कि आज पापा के कारण वह भारी मुसीबत से बच गयी। पापा कितने अच्छें है और कितने तगड़े हैं दो दो गुंडों से अकेले ही निपट लिए। जब वो रो रही थी तब भी कितने प्यार से उसे सहारा दिए। कैसे उसका हौंसला बढ़ाते रहे। वह पापा के लिए प्यार और आदर के भाव से भर उठी। पर तभी उसको याद आया कि उनका लौड़ा उसकी गाँड़ में कैसे चुभने लगा था? इसका मतलब तो ये हुआ कि वो उसको वासना की दृष्टि से भी देखते हैं।

फिर वह सोचने लगी कि शायद उसने जो रानी को काम से निकाल दिया था वो ग़लत हो गया । वो पापा की भूक़ शांत तो कर देती थी जो अब नहीं हो पा रही है। इसलिए शायद पापा उसके स्पर्श से गरम हो जाते होंगे। वो उलझने लगी कि इस समस्या का आख़िर हल क्या होगा? हे भगवान मुझे रास्ता दिखाइए ।

तभी फिर से घंटी बजी और वह फिर से डर गयी। वो बाहर आयी तो देखा कि पापा दरवाज़ा खोलने के पहले पूछे : कौन है?

शिवा की आवाज़ आइ: पापा मैं हूँ।

जैसे ही शिवा अंदर आया , मालिनी उससे दौड़ कर लिपट गयी। राजीव के सामने वह पहली बार ऐसा कर रही थी। शिवा उससे प्यार करने लगा। वह फिर से रो पड़ी।

शिवा: पापा आज तो हम लोग लुट जाते। आप तो सूपरमैन निकले।

अब सब हँसने लगे।

शिवा और मालिनी कमरे में चले गए। शिवा ने उसे अपनी गोद में बिठा लिया और प्यार करने लगा।

शिवा: उन लोगों ने तुमसे कोई बदमत्तिजी तो नहीं की?

मालिनी: बहुत कमीने थे उन्होंने मेरी छाती बहुत ज़ोर से दबाई अभी तक दुःख रही है।

शिवा: ओह दिखाओ , कुछ क्रीम लगा देता हूँ। ये कहकर उसने ब्लाउस खोला और फिर ब्रा का स्ट्रैप भी निकाला और अब मालिनी के बड़े दूध उसकी आँखों के सामने थे और उनके लाल लाल निशान थे उँगलियों के। वह निशान पर हाथ फेरकर बोला: ओह कमीनों ने बड़ी बेरहमी से मसला है। फिर वह पास से एक कोल्ड क्रीम की डिब्बी से क्रीम निकालकर उसकी छातियों में मलने लगा। उसकी मालिश से मालिनी के बदन में तरंगें उठने लगीं और वह मस्ती से भरने लगी। अब शिवा का लौड़ा भी उसके नरम चूचियों के स्पर्श से खड़ा होने लगा। और जल्द ही मालिनी की गाँड़ में चुभने लगा।

मालिनी सिहर उठी और सोची कि यही हाल पापा जी का भी था कुछ देर पहले। बाप बेटा दोनों ही बहुत हॉर्नी मर्द हैं। अब वह भी गरम हो चुकी थी सो बोली: आऽऽऽऽहहह जी चूसिए ना इनको।बहुत मन कर रहा है चूसवाने को। शिवा ख़ुश होकर उसकी चूचियाँ चूसने लगा और अब मालिनी की आऽऽऽह निकलने लगी।

उधर राजीव की हालत ख़राब थी , उसके विचारों से उसकी गोद में बैठी बहू के बदन का अहसास निकल ही नहीं रहा था और उसका लौड़ा अभी भी अकड़ा हुआ था। अब वह किचन में पानी पीने गया और उसे मालिनी की आहें सुनाई दी धीरे से। वह रुका और दरवाज़े के पास आकर सुनने की कोशिश किया कि क्या मालिनी अभी भी रो रही है?

पर जल्दी ही मालिनी की सिसकियों की आवाज़ से वह समझ गया कि ये तो मस्ती की सिसकियाँ है। वह अब थोड़ा उत्तेजित हो गया और धीरे से खिड़की के पास आकर आधी खुली खिड़की से पर्दा हटाया । कमरे में काफ़ी रोशनी थी क्योंकि अभी दोपहर के २ बजे थे।

कमरे का दृश्य उसे एकदम से पागल कर दिया। शिवा बिस्तर पर लेता था और उसकी प्यारी सीधी साधी बहू पूरी नंगी उस के लौड़े पर बैठी थी और ऊपर नीचे होकर चुदाई में मस्त थी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या दृश्य था। उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ बुरी तरह से हिल रही थीं जिसे शिवा दबाकर चूस रहा था। उसकी मोटी गाँड़ भी मस्त लग रही थी जो बुरी तरह से ऊपर नीचे हो रही थी और मालिनी की आऽऽऽह और उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ हाऽऽऽऽयय्यय जीइइइइइइ बड़ा मज़ाआऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽ रहाऽऽऽऽऽऽ है। उन्न्न्न्न्न्न्न्न की आवाज़ें राजीव को अपनी लूँगी खोलने को मज़बूर कर दिया और वह अपना लौड़ा मूठियाने लगा।

शिवा भी ह्म्म्म्म्म्म कहकर नीचे से धक्का मार रहा था। जल्दी ही दोनों ह्म्म्म्म्म्म्म उन्न्न्न्न्न्न करके झड़ने लगे और इधर राजीव ने भी अपना पानी अपनी लूँगी में छोड़ दिया। वो सोचने लगा कि साली बहू कितनी सीधी दिखती है पर चुदवाती किसी रँडी को तरह है। आऽऽऽऽऽह क्या मज़ा आएगा इसे चोदने में। वह वहाँ से अपने कमरे में आकर बहू के सपने में खो गया।

उधर मालिनी उठी और बाथरूम से आकर कपड़े पहनी और बोली: चलो तय्यार हो जाओ मैं खाना लगाती हूँ । आज देर हो गयी है। पापा जी क्या सोचेंगे।

वह खाना लगाकर राजीव को आवाज़ दी: पापा जी आ जायीये खाना लग गया है।

फिर तीनों ने खाना खाया और शिवा दुकान वापस चला गया। राजीव और मालिनी अपने अपने कमरे में आराम करने लगे।

अगले कुछ दिन राजीव बहुत बेचैन सा रहा। उसकी आँखों के सामने बहु का मादक नग्न बदन जो कि शिवा के ऊपर उछल रहा था, बार बार आ जाता था और उसको अंदर तक पागल कर देता था। घर में भी उसकी निगाहें मालिनी की जवानी को घूरती रहती थी। कभी उसे उसकी मस्त चूचियों का उभार घायल कर जाता था तो कभी उसके गोरे पेट और गहरी नाभि का दर्शन और उसके पिछवाड़े का आकर्षण तो जैसे उसे दीवाना ही बना चुका था।

वह अपनी परेशानी मिटाने के लिए बाज़ार गया। उसके एक दोस्त की पास ही में गिफ़्ट शॉप थी। उसका दोस्त रमेश उसे बड़े तपाक से मिला: दोनों पुरानी बातें करने लगे। फिर बातें करते हुए राजीव के अकेलेपन पर बात आ गयी।

रमेश: यार तू दूसरी शादी कर ले। अभी तो तू हट्टा कट्टा है। किसी भी लौंडिया को मज़े से संतुष्ट कर सकता है।

राजीव: यार अभी तो शिवा की शादी की है। अब अपनी भी शादी करता हूँ तो क्या अच्छा लगेगा? नहीं यार ये नहीं हो सकता।

रमेश: सब हो सकता है। यह कहकर वह एक फ़ोन मिलाया और बोला: पंडित जी नमस्कार। कैसे हैं। अच्छा एक मेरा दोस्त है क़रीब ४५ साल का है उसकी बीवी का निधन हो गया है। दो शादीशुदा बच्चें भी हैं । उसके लिए कोई लड़की चाहिए। हो पाएगा? मैं आपको स्पीकर मोड में डाला हूँ ताकि मेरा दोस्त भी सुन सके।

राजीव धीरे से बोला: अबे मैं ५० का हूँ।

रमेश ने आँख मारी : अबे सब चलता है।

पंडित: हाँ हाँ क्यों नहीं हो पाएगा। यहाँ तो बहुत ग़रीब लड़कियाँ है हमारे गाँव में , कितनी उम्र की चाहिए?

रमेश: अरे बस यही कोई २२/२५ की और क्या? अब शादी करेगा और इतना ख़र्चा करेगा तो भाई को मज़ा भी तो मिलना चाहिए ना?

पंडित खी खी कर हँसा और बोला: आप ठीक कहते हो। मैं आज से ही इस काम में जुट जाता हूँ और आपको ३/४ दिन में बताऊँगा। बस मेरा ख़याल रखिएगा।

रमेश: मैं तुम्हारा नम्बर राजीव को दे रहा हूँ । अब आगे की बात आप दोनों आपस में ही करना। आपको भी राजीव का नम्बर भेज रहा हूँ। चलो रखता हूँ।

राजीव: अबे, मेरी शादी ज़बरदस्ती करा देगा क्या? यार मैं ये नहीं कर सकता इस उम्र में। अच्छा चल छोड़ ये सब, अब चलता हूँ।

उधर मालिनी भी बड़ी ऊहापोह में थी कि पापा जी का घूरना बढ़ता ही जा रहा था और लूँगी में अपना लौड़ा सहलाना भी बड़ी बेशर्मी से जारी था। वह अभी भी फ़ैसला नहीं कर पा रही थी कि इसका ज़िक्र वो माँ से करे या शिवा से करे? या फिर महक दीदी से बात करे?

तभी राजीव घर आया और सोफ़े पर बैठी मालिनी से पानी माँगा। उसकी आँखें अब उसके जवान और भरे हुए बदन पर थीं और वह फिर से उत्तेजित होने लगा आज उसने साड़ी पहनी थी। उफफफफ क्या माल थी उसकी बहू । वह अपने पैंट को दबाया। पानी पीकर वह अपने कमरे में गया और आज बहुत गम्भीरता से मालिनी को पाने के बारे में सोचने लगा। तभी उसके फ़ोन की घंटी बजी और वो चौंक गया क्योंकि महक का फ़ोन था। वह सोचा कि इस वक़्त तो वहाँ रात होगी। इस वक़्त कैसे फ़ोन आया होगा।

राजीव: हेलो बेटी कैसी हो?

महक: पापा मैं बहुत अच्छीं हूँ। आप लोग सब ठीक हो?

राजीव: हाँ बेटी यहाँ भी सब ठीक है। तुम्हारी प्रेग्नन्सी का क्या हुआ? तुमने तो बताया ही नहीं।

महक: बधाई हो पापा , आप बहुत जल्दी पापा और नाना दोनों बनने वाले हैं। अब मुझे पता नहीं कि बच्चा आपका है या कर्नल अंकल का। यह कहकर वह हँसने लगी।

राजीव ख़ुश होकर: बहुत बधाई बेटी तुमको। क्या फ़र्क़ पड़ता है पापा कोई भी हो, मा तो तुम ही होगी ना? इतने दिनो बाद क्यों बता रही हो?

महक: पापा मैं पक्का कर ली हूँ और अब तो मैं ३ महीने से परेगननट हूँ। तभी बताने का सोची। राज भी बहुत ख़ुश है ।

राजीव: ला उसे भी फ़ोन दे दे बधाई दे दूँ। आख़िर पापा तो वही कहलाएगा, भले वो पापा हो चाहे ना हो।

महक: पापा वो टूर पर गए हैं तभी तो फ़ोन कर रही हूँ।

राजीव: ओह तो अकेली है मेरी तरह। ज़रा वीडीयो काल में आना। मुझे तुम्हें देखे कितने महीने हो गए। मैं फ़ेस टाइम भेज रहा हूँ।

महक: ठीक है पापा भेजिए रिक्वेस्ट । जल्दी ही दोनों विडीओ कॉल में कनेक्ट हो गए।

राजीव: बेटी बहुत प्यारी लग रही हो। गाल और भर गए हैं।

महक हँसकर : पापा गाल ही नहीं सब कुछ भर गए हैं।

राजीव: अच्छा और क्या क्या भर गया है, ज़रा दिखाओ ना।

महक हँसकर: देखिए। अब वो अपना पेट दिखाई जहाँ थोड़ा सा साइज़ बढ़ा हुआ लगा। फिर वह अपनी छाती दिखाई और बोली: पापा ये भी अब ४० के हो गए हैं। वो एक नायटी पहनी थी।

राजीव के लौड़े ने लूँगी में झटका मारा। और वह उसे दबाने लगा और बोला: बेटी सच इतने बड़े हो गए? ज़रा दिखा दो ना मुझे भी।


महक हँसती हुई बोली: पापा आप मेरे साथ सेक्स चैट करोगे क्या? शायद ही कोई बाप बेटी ऐसा किए होंगे अब तक?
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राजीव: प्लीज़ दिखाओ ना? देखो मेरे अब खड़ा हो गया है। यह कह कर उसने अपना लौड़ा लूँगी से बाहर निकाला और उसको केमरे से दिखाने लगा। महक पूरे फ़ोन पर उसके खड़े लौड़े का विडीओ देखकर गरम हो गयी और अब अपनी नायटी उतार दी। अब वह सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी।

राजीव: आऽऽऽऽऽह बेटी, क्या मस्त माल हो तुम। सच ब्रा में से भी तुम्हारी चूचियाँ कितनी बड़ी दिख रही हैं। आऽऽऽऽहहह वह मूठ्ठ मारते हुए बोला: अब ब्रा भी निकाल दो मेरी प्यारी बच्ची। आऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह।

महक ने ही मुस्कुरा कर अपनी ब्रा निकाल दी और उसकी बड़ी चूचियाँ देखकर वह मस्ती से लौंडे को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा। अब महक अपनी चूचियाँ दबाने लगी और निपल को भी मसलने लगी। उसकी आँखें उसके लौड़े पर थी।

राजीव: आऽऽऽहहह बेटी, अब पैंटी भी निकला दो और अपनी मस्त चूत और गाँड़ दिखाओ ताकि मैं झड़ सकूँ। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़।

महक ने पैंटी धीरे धीरे किसी रँडी की तरह निकाली और अपने पापा को एक स्ट्रिप शो दे दिया । अब वह रँडी की तरह गाँड़ मटका रही थी। और फिर उसने कैमरा अपनी बुर के सामने रखा और उसको फैलाकर अपनी बुर की गुलाबी हिस्सा दिखाई और फिर उसने तीन उँगलियाँ डालकर हस्त मैथुन करने लगी।

राजीव अब पूरी तरह उत्तेजित होकर आऽऽऽऽऽहहहह क्या चूउउइउउउउउउत है बेटीइइइइइइइइ मैं तोओओओओओओओओ गयाआऽऽऽऽऽऽ। कहकर झड़ने लगा। उसकी वीर्य की धार उसके पेट पर गिरे जा रही थी। उधर वह भी पाआऽऽऽऽऽऽपा कहकर झड़ने लगी।

जब दोनों शांत हो गए तो महक बोली: पापा रानी से चुदाई चल रही है ना? आप इतने प्यासे क्यों लग रहे हो?

राजीव: अरे बेटी, इस बहू ने सब काम ख़राब कर दिया । एक दिन उसने मुझे रानी को चोदते हुए देख लिया और उसको नौकरी से ही निकाल दिया। अब मेरी प्यास बुझाने वाली कोई है ही नहीं। बहु की माँ को एक बार होटेल में बुला कर चोदा हूँ। पर बार बार होटेल का रिस्क नहीं ले सकता।

महक: ओह ये तो बड़ी गड़बड़ हो गयी। रानी कम से कम आपको शांत तो कर देती थी। अब क्या करेंगे?

राजीव : पता नहीं बेटी, तुम्हारे और राज के मज़े तो ठीक चल रहे हैं ना?

महक: पापा आपसे चूदने के बाद अब तो इनके पतले हथियार से मज़ा ही नहीं आता। इसलिए यहाँ भी मैंने अपने लिए एक अमेरिकन पापा ढूँढ लिया है।

राजीव: मतलब? मैं समझा नहीं।

महक: पापा, मेरे ऑफ़िस में आपकी उम्र का ही एक आदमी है जॉन । वो तलाक़ शुदा है। वह मुझे घूरता रहता था। आपसे मिलकर जब वापस आइ तो बुर बहुत खुजाती थी मोटे लौड़े के लिए। आपकी आदत जो पड़ गयी थी। तब मैंने इसे लिफ़्ट दी और अब वह मुझे मज़े से चोदता है। मैं उसे पापा कहती हूँ अकेले में और चुदवाते समय भी। वह भी मुझे डॉटर की तरह ट्रीट करता है अकेले में। उसका लौड़ा भी आपकी तरह मस्त मोटा और बड़ा है। वो भी मस्ती से चोदता है बिलकुल आपकी तरह।

राजीव: वाह बेटी तुमने वहाँ भी एक पापा ढूँढ लिया है, पर मुझे तो यहाँ एक बेटी नहीं मिली।

महक हँसकर बोली: पापा घर में बहू तो है ,बेटी ना सही , उसी से काम चला लो। वैसे उसका व्यवहार कैसा है?

राजीव: व्यवहार तो बहुत अच्छा है उसका, पर साली बहुत सेक्सी है । मैंने उसकी और शिवा की चुदाई ग़लती से देखी है, आऽऽऽऽह क्या मस्त बदन है और क्या रँडी की तरह मज़ा देती है। आऽऽऽऽहहह देखो उसके नाम से मेरा फिर से खड़ा हो गया।

महक: पापा आपकी बातों से मैं भी गीली हो गयी। चलो एक राउंड और करते हैं । यह कहकर वो अपनी जाँघें फैलायी और वहाँ रखे एक डिल्डो ( नक़ली लौड़ा) से अपनी बुर को चोदने लगी।

राजीव भी अपना लौड़ा रगड़ने लगा और बोला: बेटी घोड़ी बन जाओ ना, तुम्हारी गाँड़, चूत और चूतर सभी दिखेंगे। ज़्यादा मज़ा आएगा।

महक उलटी हुई और गाँड़ उठा ली और अपने पापा को अच्छे से दर्शन कराया। फिर पीछे से हाथ लाकर वो डिल्डो अपनी बुर में डालकर मज़े लेने लगी। राजीव को उसकी गुलाबी बुर में वह मोटा सा नक़ली लौड़ा अंदर बाहर होते हुए दिख रहा था और वह भी बुरी तरह से मूठ्ठ मार रहा था। दस मिनट में दोनों झड़ गए।

क्योंकि दोनों थक गए थे इसलिए और ज़्यादा बात नहीं हुई और दोनों आराम करने लगे फ़ोन बंद हो चुका था।

उधर मालिनी भी अपने कमरे में बैठी थी। उसके पिछले दो दिन से पिरीयड्ज़ आए हुए थे। शिवा भी रात को चुदाई के लिए तड़प रहा था। उसने एक बार मुँह से संतुष्ट किया था। दूसरी बार वह उसके बूब्ज़ पर लौड़ा रगड़ कर शांत हुआ था। उसने गाँड़ में डालने की कोशिश की थी पर मालिनी के आँसू देखकर वह अंदर नहीं डाला। वह मुस्कुराई और सोची: कितना प्यार करते है, मुझे ज़रा सा भी कष्ट ने नहीं देख सकते। तभी शिवा का फ़ोन आया: जान खाना खा लिया ?

मालिनी: हाँ जी। आप खा लिए?

शिवा: हाँ खा लिया। अब तुमको खाने की इच्छा है।

मालिनी: एक दो दिन सबर करिए फिर मुझे भी खा लीजिएगा।

शिवा: अरे जान सबर ही तो नहीं होता । पता नहीं तुम्हारा रेड सिग्नल कब ग्रीन होगा। और तुम्हारी सड़क पर मेरी फटफटि फिर से दौड़ेगी ।

मालिनी हँसने लगी: आप भी मेरी उसको सड़क बना दिए।

शिवा: किसको, नाम लो ना जान। वो अपने चेम्बर में अकेला था सो उसने अपना लौड़ा पैंट के ऊपर से दबाया।

मालिनी फुसफुसाकर: मेरी बुर को।

शिवा: आऽऽऽह रानी वीडीयो कॉल करूँ क्या? एक बार अपनी चूचियाँ दिखा दो तो मैं मूठ्ठ मार लेता हूँ।

मालिनी: आप भी ना। आप रात को आइए मैं मार दूँगी और चूस भी दूँगी।

शिवा: प्लीज़ प्लीज़ जान ,अभी बहुत मूड है।

मालिनी: दुकान में कोई आ गया तो?

शिवा: अभी लंच ब्रेक है, कोई मेरे कैबिन में नहीं आएगा। लो मैं अंदर से बंद कर लिया प्लीज़ कॉल करूँ विडीओ में?

मालिनी: हे भगवान, आप भी ना, अच्छा चलिए करिए।

जल्दी ही वो विडीओ कॉल से कनेक्ट हो गए। शिवा ने उसे कई बार चुम्मा दिया। फिर अपना लौड़ा दिखाकर बोला: देखो मेरी जान कैसे तड़प रहा है ये तुम्हारे लिए?

मालिनी आँखें चौड़ी करके बोली: हे राम, आप तो पूरा तय्यार हैं। अब उसके निपल्ज़ भी तन गए।

शिवा: जान, प्लीज़ चूचि दिखाओ ना।

मालिनी ने ब्लाउस खोला और फिर वहाँ कैमरा लगाकर उसको ब्रा में क़ैद चूचियाँ दिखाईं। उसने कहा: आऽऽऽऽह प्लीज़ ब्रा भी खोलो।

वह ब्रा निकाल कर नंगी चूचियाँ दिखाने लगी। अब शिवा के हाथ अपने लौंडे पर तेज़ तेज़ चलने लगे। वह बोला: आऽऽऽऽऽह जाऽऽऽऽऽऽन अब पिछवाड़ा भी दिखा दो प्लीज़ । आऽऽऽऽहहह तुम्हारे चूतर देखने है आऽऽऽहहह।

मालिनी ने साड़ी और पेटिकोट उठाया और कैमरा में अपने पैंटी में फँसे चूतरों को दिखाने लगी। फिर उसने पैंटी भी नीचे की और शिवा बोला: आऽऽऽहब्ब चूतरों को फैलाओ और गाँड़ का छेद दिखाओ। हाऽऽऽऽय्य्य्य्य उसका हाथ अब और ज़ोर से चल रहा था। मालिनी ने अपने चूतरों को फैलाया और मस्त भूरि चिकनी गाँड़ उसे दिखाई । फिर ना जाने उसे क्या हुआ कि जैसे शिवा उसकी गाँड़ में ऊँगली करता था, आज वैसे ही करने की इच्छा उसे भी हुई। और वह अपनी एक ऊँगली में थूक लगायी और अपनी गाँड़ में डालकर हिलाने लगी। शिवा के लिए दृश्य इतना सेक्सी था कि वह आऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह उग्ग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्ग्ग कहकर वीर्य की धार छोड़ने लगा। मालिनी भी वासना से भरी हुई उसके वीर्य को देखते रही और अपने होंठों पर जीभ फेरती रही। उसकी बुर भी पानी छोड़ रही थी। हालाँकि उसके पिरीयड्ज़ आए हुए थे। फिर उसने अपनी गाँड़ से ऊँगली निकाली और बोली: हो गया? अब सफ़ाई कर लूँ? आप भी क्लीन हो जाओ।

यह कह कर वो बाथरूम में चली गयी। शिवा ने भी अपने कैबिन से सटे बाथरूम में सफ़ाई की।

बाहर आकर वह फिर फ़ोन किया और मालिनी से बोला: आऽऽह जान , आज तुमने अपनी गाँड़ में ऊँगली कैसे डाल ली? उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मैं तो जैसे पागल ही हो गया अपनी संस्कारी बीवी को ये करते देख कर?

मालिनी हँसकर : बस इच्छा हुई और डाल ली। आप भी तो रोज़ ही डालते हैं मेरे वहाँ ऊँगली। आज मैंने ख़ुद डाल ली।

शिवा: जान मज़ा आया ना? आज के प्रोग्राम में।

मालिनी: हाँ आया तो पर अब ये रोज़ का काम नहीं बना लीजिएगा

शिवा: अरे नहीं रोज़ नहीं, पर कभी कभी तो कर सकते है ना?

मालिनी हंस दी और बोली: चलिए अब काम करिए और मैं आराम करती हूँ। बाई। और उसने फ़ोन काट दिया।


मालिनी सोचने लगी कि आज का उसका व्यवहार काफ़ी बोल्ड था। उसे अपने आप पर हैरानी हुई कि वो ऐसा कैसे कर सकी। फिर सोची कि शायद वह अब बड़ी हो रही है। वो मन ही मन मुस्कुरायी। वो जानती थी कि आज का शो शिवा को ज़िंदगी भर याद रहेगा। वह सोचते हुए सो गयी।
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इसी तरह दिन बीत रहे थे । राजीव की प्यास बहू को पाने की अब अपनी चरम सीमा पर थी। पर बहू की तरफ़ से कोई भी पहल होने का प्रश्न ही नहीं था। वह भी ऐसा कोई काम नहीं करना चाहता था जिससे उसे शिवा के सामने शर्मिंदा होना पड़े। वह अब यह चाहने लगा था कि दिन में मालिनी उसकी प्यास बुझाए और शिवा के आने के बाद वह उसके साथ रहे और मज़े करे। ये उसके हिसाब से बहुत सीधा और सरल उपाय था, पर बात आगे बढ़ ही नहीं पा रही थी। उसके हिसाब से यह बहुत ही सिम्पल सा ऐडजस्टमेंट था जो मालिनी को करना चाहिए और इस तरह वह भी दुगुना मज़ा पा सकती है, और शिवा और वो भी ख़ुश रहेंगे। ।वह बहुत सारी योजना बनाता था मालिनी को पटाने का ,पर कोई भी प्रैक्टिकल नहीं थी। सच ये है कि मालिनी को इस तरह के रिश्ते की कोई ज़रूरत ही नहीं थी क्योंकि वह अपने पति से पूरी तरह संतुष्ट थी। दिक़्क़त तो राजीव की ही थी। इसी तरह समय व्यतीत होते रहा।
फिर एक दिन राजीव नाश्ता करके अपने कमरे में बैठा था तभी पंडित का फ़ोन आया।
पंडित: जज़मान, मुझे रमेश जी ने आपका नम्बर दिया है। वो कह रहे थे कि आपके लिए लड़कियाँ पसंद करूँ।
राजीव: ओह फिर ?
पंडित: दो लड़कियाँ है शादी में लायक। एक की उम्र २२ साल है और दूसरी २५ की है। दोनों सुंदर हैं और उनका परिवार इसके लिए तय्यार है।
तभी राजीव के कमीने दिमाग़ में अचानक ही एक ख़तरनाक योजना ने जन्म लिया और वह सोचने लगा कि अगर उसकी यह योजना सफल हो गयी तो शायद मालिनी उसके पहलू में होगी।
वह एक कुटिल मुस्कुराहट के साथ पंडित को अपनी योजना समझाया और बोला : जैसे मैंने कहा है वैसे करोगे तो तुमको मैं दस हज़ार रुपए दूँगा।
पंडित: ज़रूर जज़मान, जैसे आपने कहा है मैं वैसे ही बात करूँगा। आप जब भी फ़ोन करोगे। और आपके मिस्ड कॉल आने पर मैं आपको फ़ोन करूँगा। पर जज़मान, पैसे की बात याद रखना।
राजीव: अरे पंडित , तुम्हारा पैसा तुमको मिलेगा ही मिलेगा।
पंडित ने ख़ुशी दिखाकर फ़ोन बंद किया।
राजीव ने अपनी योजना पर और विचार किया और अब अपने आप पर ही मुस्कुरा पड़ा और सोचा कि सच में मेरा दिमाग़ भी मेरे जैसा ही कमीना है। क्या ज़बरदस्त आइडिया आया है।
उसने सोचा कि शुभ काम में देरी क्यों। वह लूँगी और बनियान में बाहर आया। मालिनी कमला से काम करवा रही थी। वह न्यूज़ पेपर पढ़ते हुए कमला के जाने का इंतज़ार करने लगा ।
थोड़ी देर में कमला चली गई और मालिनी भी अपना पसीना पोंछते हुए बाहर आयी किचन से बोली: पापा जी चाय बनाऊँ?
राजीव मुस्कुराकर: हाँ बहू बनाओ।
थोड़ी देर में दोनों चाय पी रहे थे , तब मालिनी उससे शिवा की दुकान के बारे में बात करने लगी।
मालिनी: पापा जी। ये बोल रहे थे कि दुकान में एक सेक्शन और खोलने से आमदनी बढ़ जाएगी। पर क़रीब ३ लाख और लगाने पड़ेंगे।
राजीव: बेटी, मैं तो अभी पैसा नहीं लगाउँगा। शिवा के पास कुछ इकट्ठा हुआ है क्या? वो लगा ले।
मालिनी: पापा जी, वो तो सारा पैसा आपको ही दे देते हैं, उनके पास कुछ नहीं है।
राजीव: ओह, अभी तो एक और ख़र्चा आ सकता है।
मालिनी: कैसा ख़र्चा ,पापा जी?
राजीव: बेटी, मेरे कई दोस्त बोल रहे हैं कि मैं शादी कर लूँ। मैं कई दिन से इसके बारे में सोचा और आख़िर में मुझे लगा कि इस बात में दम है।
मालिनी हतप्रभ होकर: पापा जी , आपकी शादी? इस उम्र में? ओह !!!!
राजीव: बेटी, अजीब तो मुझे भी लग रहा है, पर किया क्या जाए? बहुत अकेला पड़ गया हूँ। सविता ने तो बीच राह में साथ छोड़ दिया।
मालिनी: ओह, पापा जी पर लोग क्या कहेंगे? और आपके दोनों बच्चे क्या सोचेंगे? मेरी रिक्वेस्ट है कि इस पर फिर से विचार कर लीजिए। यह बड़ी अजीब बात होगी।
राजीव: ठीक है बेटी। और सोच लेता हूँ, पर मेरे दोस्त पीछे पड़े हैं। एक दोस्त ने तो गाँव के पंडित को काम पर भी लगा दिया है।वह मेरे लिए गाँव में लड़की देख रहा है।
मालिनी अब शॉक में आकर बोली: लड़की देखनी भी शुरू कर दिए? आपको शिवा और महक दीदी से बात तो करनी चाहिए थी। पता नहीं वो दोनों पर क्या बीतेगी?
राजीव: अरे कुछ नहीं होगा , कुछ दिनों में सब समान्य हो जाएगा।
मालनी: तो सच में आप शादी करने को तय्यार हैं? लड़की की उम्र क्या होगी?
राजीव: समस्या यहीं है, जो लड़कियाँ मिल रहीं हैं , वो तुमसे भी उम्र में छोटी हैं। पता नहीं तुम अपनी से भी छोटी लड़की को कैसे मम्मी कहकर बुला पाओगी?
अब मालिनी का मुँह खुला का खुला रह गया, बोली: मेरे से भी छोटी ? ये क्या कह रहें हैं आप? हे भगवान! उसके माँ बाप शादी के लिए राज़ी हो गए?
राजीव: बेटी, पैसे का लालच बहुत बड़ा होता है। मुझे काफ़ी पैसे ख़र्च करने पड़ेंगे। इसी लिए तो बोला कि आगे आगे ख़र्चे और बढ़ेंगे, तो शिवा की दुकान ने कैसे पैसा लगा पाउँगा?
मालिनी: ओह , बड़ी मुश्किल हो जाएगी।
राजीव: बेटी, फिर शादी के बाद मेरा परिवार भी तो बढ़ेगा, शिवा का भाई या बहन होगी और ख़र्चा तो बढ़ेगा ही ना?
मालिनी का तो जैसे दिमाग़ ही घूम गया अपने ससुर की बातें सुनकर। वह चुपचाप उठी और अपने कमरे में चली गयी। वो सोचने लगी कि इस उम्र में इनको ये क्या सूझी है शादी और बच्चा पैदा करने की । कितनी जग हँसाई होगी? और हमारे बच्चे का क्या ? उसे सबकुछ गड़बड़ लगा, वह बहुत परेशान हो गयी थी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। पता नहीं शिवा इसे कैसे लेगा? पता भी उस पर क्या बीतेगी? वह तो अपने पापा से पैसे की आस लगाए बैठा है।
इसी तरह की सोच में वो खोई हुई थी ।
राजीव आज बहुत ख़ुश था, क्योंकि उसका तीर एकदम निशाने पर लगा था। वह जानता था की अब आगे आगे वो मालिनी को मजबूर करेगा कि वह उसकी बात मान ले। वह अपना लंड दबाया और बोला: बस अब कुछ दिनों की ही बात है, तू जल्द ही बहू की बुर के मज़े लेगा। वह कमीनी मुस्कुराहट के साथ मोबाइल पर सेक्स विडीओ देखने लगा।
लंच के बाद सोफ़े पर बैठकर मालिनी ने फिर से वही टॉपिक उठाया और बोली: पापा जी। मैं आपसे फिर से कहती हूँ कि प्लीज़ इस पर विचार कीजिए, ये सही नहीं है। आपको इस उम्र में २० साल की लड़की से शादी शोभा नहीं देती।
राजीव कुटीलता से बोला: बहू , इस सबके लिए कुछ हद तक तो तुम ही ज़िम्मेदार हो?
मालिनी हैरानी से : में ? वो कैसे ?
राजीव: अच्छा भला मेरा काम चल रहा था, रानी के साथ। तुमने उसे भी निकाल दिया। अब बताओ मैं क्या करूँ? कैसे अपना काम चलाऊँ? यह कहकर वह बेशर्मी से अपने लूँगी के ऊपर से अपने लण्ड को दबाने लगा। राजीव घर में चड्डी भी नहीं पहनता था।
मालिनी के गाल लाल हो गए। वो पापाजी की इस हरकत से स्तब्ध रह गयी।
वह लूँगी के ऊपर से उनके आधे खड़े लौड़े को देखकर हकला कर बोली: पापाजी, ये आप कैसी बातें कर रहे हैं? रानी एक ग़लत लड़की थी और आपको उससे कभी भी कोई बीमारी भी लग सकती थी। वो आपके लायक नहीं थी।
राजीव: मैं नहीं मानता। वो सिर्फ़ अपने पति और मुझसे ही चु- मतलब रिश्ता रखती थी। वो एक अच्छी लड़की थी। तुमने उसको नाहक ही निकाल दिया।
मालिनी परेशान होकर उठ बैठी और बोली: पापा जी मैंने तो अपनी ओर से आपके स्वास्थ्य के हित के लिए किया था और आप मुझे ही दोष दे रहे हैं।

वह परेशानी की हालत में अपने कमरे में आ गयी।
 
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राजीव उसकी परेशानी का मज़े से आनंद ले रहा था।

रात को जब शिवा आया तो मालिनी से बात बात में पूछा: पापा से पैसे की बात हो पाई क्या?

मालिनी: नहीं हो पाई।

शिवा: अच्छा आज डिनर पर मैं ही बात करता हूँ।

मालिनी: नहीं नहीं, आज मत करिए, फिर किसी दिन मौक़ा देख कर करेंगे।

शिवा: क्यों आज क्या हुआ?

मालिनी: आज उनका मूड ठीक नहीं है।

शिवा: जान, कल तुम बात ज़रूर करना , तुमको पता है कि मेरे लिए ये पैसे कितने ज़रूरी हैं । प्लीज़ जल्दी बात करना। तुम्हारी बात वो नहीं टालेंगे। अपनी बहू को बहुत प्यार करते हैं वो।

मालिनी: अच्छा करूँगी जल्दी ही बात।

वह मन ही मन में सोचने लगी कि अगर मैं शिवा को बता दूँ कि पापा जी के मन में क्या चल रहा है तो वह सकते में आ जाएँगे। और अभी तो पापा जी का पैसा देने का कोई मूड ही नहीं है।

रात को शिवा सोने के पहले उसकी ज़बरदस्त चुदाई किया और वो भी मज़े से चुदवाई। पर बार बार उसके कानों में पापा जी की बात गूँजती थी कि तुम ही हो इस सबकी ज़िम्मेदार , रानी को क्यों भगाया? वो सोची की पापा को तो बिलकुल ही अपने किए पर पश्चत्ताप नहीं है। उलटा मुझे दोष दे रहे हैं। तो क्या रानी को वापस बुला लूँ? नहीं नहीं ये नहीं कर सकती तो क्या करूँ। उफफफफ वो शिवा से भी कुछ शेयर नहीं कर पा रही थी। वो ये सोचती हुई सो गयी।

अगले दिन मालिनी शिवा के जाने के बाद कमला से काम करवाई और उसके भी जाने के बाद अपनी योजना के हिसाब से राजीव बाहर आया। मालिनी उसको देखके पूछी: पापा चाय बनाऊँ क्या?

राजीव: नहीं रहने दो। पानी पिला दो।

जैसे ही वह पानी लेने गयी , उसने पंडित को मिस्ड कॉल दी। मालिनी के आते ही राजीव के फ़ोन की घंटी बजी। मालिनी के हाथ से पानी लेकर वह बोला: हेलो, अरे पंडित जी आप?

मालिनी पंडित के नाम से चौंकी और ध्यान से सुनने लगी।

राजीव ने पानी पीते हुए फ़ोन को स्पीकर मोड में डाला।

पंडित: जज़मान, आपके लिए दो लड़कियाँ देख लीं हैं , एक २० साल की है और दूसरी २२ की। दोनों बहुत ही मासूम और सुंदर लड़कियाँ हैं।

मालिनी हैरान रह गयी, कि ये सब क्या हो रहा है। ये पापा जी तो बड़ी तेज़ी से शादी का चक्कर चला रहे हैं।

राजीव: अरे यार थोड़ी बड़ी उम्र की लड़की नहीं मिली क्या? ये तो मेरी बहु से भी छोटी हो जाएँगी ।

पंडित: अरे जज़मान, मज़े करो, ऐसी लड़कियाँ दिला रहा हूँ कि आप फिर से जवान हो जाओगे। तो बोलो क्या कहते हो?

राजीव: ख़र्चा कितना आएगा?

पंडित: ३/४ लाख तो लगेंगे ही। आख़िर शादी का सवाल है ।

मालिनी सोची ३/४ लाख, इतना ही तो शिवा को चाहिए। और पापा इसे शादी में बर्बाद कर रहे हैं।

राजीव: पंडित जी , थोड़ा सा मोल भाव करों भाई। देखो और कम हो सकता है क्या?

पंडित: चलिए मैं कोशिश करता हूँ, पर आप लड़कियाँ देखने कल आएँगे ना।

मालिनी का तो जैसे कलेजा मुँह में आ गया, कल ही? हे प्रभु, क्या करूँ? कैसे रोकूँ इनको?

राजीव: अरे पंडित जी, कल का मत रखो , मुझे पैसे का भी इंतज़ाम करना होगा। आप ३ दिन बाद का कर लो। ठीक है?

पंडित: ठीक है तो तीन दिन बाद ही सही। और कुछ?

राजीव: देखो, पंडित , कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं होनी चाहिए लड़कियों पर । वह अपनी मर्ज़ी से शादी करेंगी। ठीक है?

पंडित: बिलकुल ठीक है। ठीक है फिर रखता हूँ।

राजीव ने फ़ोन रखा और मालिनी को देखा जो बहुत परेशान दिख रही थी। राजीव मन ही मन ख़ुश हो रहा था कि तीर निशाने पर लगा है।

मालिनी: पापा जी, कोई तरीक़ा नहीं है इस शादी को टालने का?
आप चाहो तो मैं रानी को वापस बुला लेती हूँ। उसने अपने हथियार डालते हुए कहा।

राजीव: क्या फ़ायदा अब? उसके गर्भ को काफ़ी समय हो गया है। अब वो चु- मतलब करवाने के लायक होगी भी नहीं। अक्सर डॉक्टर ऐसे समय में चु- मतलब सेक्स करने को मना करते हैं।

मालिनी: ओह, फिर क्या करें? यह रानी वाला आप्शन भी गया।

राजीव: देखो, मेरी हालत तो तुमने बिगाड़ ही दी है। रानी को निकाल दिया और ऊपर से तुम्हारा ये क़ातिलाना सौंदर्य मैं तो पगला ही गया हूँ।

मालिनी बुरी तरह से चौकी: मेरा सौंदर्य? मतलब? मैंने क्या किया? आप ऐसे क्यों बोल रहे हैं?

राजीव: और क्या बोलूँ? कभी अपना रूप देखा है आइने में। इतनी सुंदर और सेक्सी हो तुम। दिन भर तुम्हारे इस रूप और इस सेक्सी बदन को देखकर मेरा क्या हाल होता है , जैसे तुमको मालूम ही नहीं? यह कहकर वह फिर से अपना लौड़ा लूँगी के ऊपर से दबाया।

मालिनी को तो जैसे काटों ख़ून नहीं!!! हे ईश्वर, ये मैं क्या सुन रही हूँ। पापा जी खूल्लम ख़ूल्ला बोल रहे हैं कि वह उसे वासना की नज़र से देखते है। अब तो वह कांप उठी। पता नहीं भविष्य में उसके लिए क्या लिखा है?

वह बोली: पापा जी। ये कैसी बातें कर रहे हैं। मैं आपकी बहू हूँ ,बेटी के जैसे हूँ। महक दीदी के जैसे हूँ। आप मेरे बारे में ऐसा सोच भी कैसे सकते हैं?

राजीव: देखो, पिछले दिनो में मेरी भावनाएँ तुम्हारे लिए बहुत बदल गयी है। अब मैं तुमको एक जवान लड़की की तरह देख रहा हूँ और तुम्हारा भरा हुआ बदन मुझे पागल कर रहा है। पर मैंने कभी कोई ग़लत हरकत नहीं की है तुम्हारे साथ। मैं हमेशा लड़की को उसकी रज़ामंदी से पाना चाहता हूँ। आज मैंने तुमको बता दिया कि ये शादी अब सिर्फ़ तुम ही रोक सकती हो। वो भी मेरी बन कर।

मालिनी: पापा जी, पर मैं तो आपके बेटे की बीवी हूँ। आपकी कैसे बन सकती हूँ?

राजीव: देखो बहू , तुम दिन में मेरी बन कर रहो और शिवा के आने के बाद उसकी बन कर रहो। इस तरह हम दोनों तुमसे ख़ुश रहेंगे। इसमे क्या समस्या है?

मालिनी: पापा जी, आप क्या उलटा पुल्टा बोल रहे है? मैं शिवा से बहुत प्यार करती हूँ, उनको धोका नहीं दे सकती हूँ। आप अपनी सोच बदल लीजिए। आप नहीं जानते मुझे आपकी बात ने कितना दुखी किया है। और वह रोने लगी।

राजीव: देखो बहू, रोना इस समस्या का हल नहीं है। तुमको या तो मेरी बात माननी होगी या मेरी शादी होते देख लो। अब जो भी करना है, तुमको ही करना है।

मालिनी वहाँ से रोते हुए भाग कर अपने कमरे में आ गयी।

मालिनी के आँसू जब थमें वह बाथरूम में जाकर मुँह धोयी और बाहर कर बिस्तर पर बैठ गयी और पूरे घटनाक्रम के बारे में फिर से सोचने लगी। यह तो समझ आ गया था कि पापा की आँखों पर हवस का पर्दा पड़ा है और वो उसे पाने के लिए पागल हो रहे हैं। अगर वह उनको नहीं मिली तो वह शादी करके एक दूसरी लड़की की ज़िन्दगी बरबाद करेंगे। हे भगवान, मैं क्या करूँ।? पापा की शादी से और क्या क्या नुक़सान हो सकते है ? वो इसपर भी विचार करने लगी। एक बात तो पक्का है कि पैसे का तो काफ़ी नुक़सान होगा ही। और क्या पता कैसी लड़की आए घर में। हो सकता है वह इस घर की शांति ही भंग कर देगी। उफ़ वो क्या करे ? किसकी मदद ले? शिवा, महक या मम्मी की। उसने सोचा कि उसके पास ३ दिन है । देखें क्या रास्ता निकलता है इस उलझन का?

पापा के साथ लंच करने की इच्छा ही नहीं हुई। उसने उनको खाना खिलाया।

राजीव: तुम नहीं खा रही हो?

मालिनी: आपने मेरी भूक़ प्यास सब मार दी है। आपने तो मुझे पागल ही कर दिया है।

राजीव: बहू, मैंने नहीं , तुम्हारी जवानी ने मुझे पागल कर दिया है। बस तुम एक बार मेरी बात मान जाओ , सब ठीक हो जाएगा। दिन में तुम मेरी जान और रात में शिवा की जान। आख़िर इसमें इतना ग़लत क्या है? घर की बात घर में ही रहेगी। और समय आने पर शिवा को भी बता देंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि वह इसे सामान्य रूप से ही लेगा।

मालिनी: आप ऐसा कैसे कह सकते हैं। छि, ये सब कितना ग़लत है। शिवा को धोका देना मेरे लिए असम्भव सा है। प्लीज़ मुझे बक्श दीजिए। प्लीज़ शादी मत करिए।

राजीव खाना खाकर वापस सोफ़े में बैठ चुका था। वो बोला: देखो बहु, अगर मैं तुम्हारी बात मान लूँ तो मेरे इसका क्या होगा? इस बार वो अपनी लूँगी के ऊपर से लौड़ा दबाकर बोला। उसकी इस कमीनी हरकत से एक बार मालिनी फिर से सकते में आ गयी।

राजीव अपने लौड़े को मसलते हुए बोला: देखो बहु, मैं कैसे मरे जा रहा हूँ तुम्हें पाने के लिए। अब उसका लौड़ा पूरा खड़ा था लूँगी में और वह चड्डी भी नहीं पहनता था। मालिनी ने अपना मुँह घुमा लिया,और सोची कि इनका पागलपन तो बढ़ता ही जा रहा है। उफ़्फ़ इस सब का क्या हल निकल सकता है?

वह फिर से उठकर अपने कमरे में चली गयी। रात को ८ बजे शिवा आया और मालिनी सोचती रही कि इनको बताऊँ क्या कि पापा मुझसे क्या चाहते हैं। फिर वह सोची कि घर में कितना बड़ा घमासान हो सकता है बाप बेटे के बीच में। वह अभी चुप ही रहना चाहती थी।

उसने सोचा कि कल महक या माँ से बात करूँगी, शायद वो कुछ मदद कर सकें।
 

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