राजीव: बेटा शाम को जल्दी आना , तेरी सास और उसके ज़ेठ आने वाले हैं। रात को हम डिनर भी बाहर करेंगे।
शिवा: ठीक है पापा जी। मैं आ जाऊँगा।
फिर वह दुकान चला गया।
राजीव उसके जाते ही बोला: बहु ,तुम आज बड़ी जल्दी नहा ली। मैं तो तुमने नायटी में देखकर ही मस्त हो रहा था और तुम साड़ी में आ गयी। लगता है दोनों साथ में ही नहाए हो? कभी हमारे साथ भी नहाओ।बड़ा मज़ा आएगा।
मालिनी कुछ नहीं बोली और उठकर जाने लगी।
राजीव: बहु मेरा तो आज जैसे समय ही नहीं कट रहा है । पता नहीं कब शाम होगी और तुम्हारी सेक्सी मम्मी आएगी और आऽऽऽऽह मेरी रात रंगीन करेगी। यह कहकर उसने बड़ी बेशर्मी से अपना लौड़ा दबा दिया। तभी मालिनी का फ़ोन बजा और उसने देखा कि उसकी मम्मी का फ़ोन था।
मालिनी: हाय मम्मी ।
सरला: हाय , कैसी हो बेटी?
मालिनी: मम्मी मैं ठीक हूँ। आप कब निकलोगी?
सरला: हम पाँच बजे तक आएँगे बेटी। तुम्हारे लिए क्या लाएँ?
मालिनी: मुझे कुछ नहीं चाहिए। बस आप लोगों से मिलना हो जाएगा।
राजीव ने मालिनी से फ़ोन माँगा और बोला: अरे भाभी जी हमसे भी बात कर लीजिए। सिर्फ़ बेटी ही आपकी रिश्तेदार है क्या? हम तो भी आपके समधी हैं।
सरला सकपका कर: अरे मुझे क्या पता था कि आप भी उसके साथ बैठे हो। कैसे हैं आप?
राजीव: मस्त हैं और आपको याद कर रहे हैं। इंतज़ार है शाम का जब आप आएँगी और हम आपसे मिलकर मस्त हो जाएँगे।
सरला: कैसी बातें कर रहे है? मालिनी भी तो होगी वहाँ?
राजीव ने मालिनी को आँख मारी और कहा: अरे वो तो अपने कमरे में चली गयी है शायद बाथरूम आयी होगी।
मालिनी उसकी मंशा समझकर उठने लगी, पर राजीव ने उसे पकड़कर अपनी बग़ल में बिठा लिया और फ़ोन को स्पीकर मोड में डाल दिया। अब बहु के कंधे को सहलाता हुआ फिर बोला: जान, रात में तुमको बहुत याद किया और मूठ्ठ भी मारी। तुम तो मुझे याद ही नहीं करती होगी।
मालिनी हैरत से ससुर को देखी कि कितनी अश्लील बात कितने आराम से कह दिए।
सरला: अरे आपने मूठ्ठ क्यों मारी? मैं आ तो रही हूँ आज आपके पास। वैसे रात मुझे भी बड़ी मुश्किल से नींद आयी। एक बात बोलूँ?
हतप्रभ मालिनी के कंधे सहलाता हुआ राजीव बोला: हाँ हाँ बोलो ना?
सरला: आप जैसी मेरी नीचे वाली चूसते हो ना , आज तक किसी ने भी वैसी नहीं चूसी। उफफफफ मस्त कर देते हो आप।
राजीव अब उत्तेजित होकर अपना लंड दबाया और मालिनी को उसका आकार लूँगी से साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था। उसने फ़ोन अपनी एक जाँघ पर रखा था। जोश में उसने मालिनी के कंधे को ज़ोर से दबा दिया। मालिनी की सिसकी निकल गयी। पर उसने अपने मुँह पर हाथ रख कर उसे दबा दिया।
राजीव: अरे क्या नीचे वाली लगा रखा है। उसका नाम बोलो मेरी जान।
सरला हँसकर: आप भी ना,मैं बुर की बात कर रही हूँ।
राजीव मालिनी को आँख मारा और बोला: और क्या मैं तुम्हारी चूचियाँ अच्छी तरह से नहीं चूसता?
मालिनी साँस रोक के सुन रही थी कि उसकी मम्मी कितनी अश्लील बात कर रही थी। वह फिर से उठकर जाने की कोशिश की पर राजीव की पकड़ मज़बूत थी, वह हिल भी नहीं पाई। सरला: अरे वो तो आप मस्त चूसते हैं। सच आपके साथ जो मज़ा आता है, किसी और के साथ आ ही नहीं सकता। इसीलिए तो बार बार आ जाती हूँ आपसे करवाने के लिए?
अब मालिनी को भी अपनी बुर में गीलापन सा लगा। और राजीव ने भी कल जैसे ही आज भी अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया था और उसे मसल रहा था। मालिनी की उत्तेजना भी बढ़ रही थी, उसके निपल्ज़ एकदम कड़े हो गए थे।
राजीव उसके कंधे से हाथ नीचे लेजाकर उसके ब्लाउस तक पहुँचा और उसकी बाँह सहलाते हुए उसकी एक चूची को साइड से छूने लगा।
राजीव: क्या करवाने आती हो, जानू साफ़ साफ़ बोलो ना।
सरला: आऽऽऽह आप भी ना, चुदाई करवाने आती हूँ और क्या? आऽऽऽह अब मैं भी गरम हो गयी हूँ आपकी बातों से । अब बंद करूँगी फ़ोन, नहीं तो मुझे भी बुर में ऊँगली करनी पड़ेगी।
मालिनी का मुँह खुला का खुला रह गया। उफफफफ मम्मी को क्या हो गया है। कितनी गंदी बातें कर रही हैं। उसकी आँख राजीव के मोटे लौड़े पर गयी।
राजीव: आऽऽऽऽह मेरा भी खड़ा है। चलो फ़ोन बंद करता हूँ। ये कहते हुए उसने फ़ोन काटा। और फिर जो हरकत राजीव ने की, उसके लिए मालिनी बिलकुल तय्यार नहीं थी। राजीव ने मालिनी का एक हाथ पकड़कर अपने लौड़े पर रखा और उसे दबाने लगा। दूसरे हाथ से वह उसकी ब्लाउस के ऊपर से एक चूची दबाने लगा। और अपना मुँह उसके मुँह पर रख कर उसके होंठ चूमने लगा। मालिनी इस अचानक से हुए तीन तरफ़ा हमले से हक्की बक्की रह गई और उसके मुँह से गन्न्न्न्न्न्न की आवाज़ निकलने लगी।
राजीव अपने हाथ से उसके हाथ को दबाकर अपना लौड़ा दबवा रहा था। और चूची भी दबाए जा रहा था। मालिनी ने अपने बदन को ज़ोर से झटका दिया और अपने होंठों से उसके होंठों को हटाने की कोशिश की और कुछ बोलने को मुँह खोला। राजीव ने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और अब मालिनी और ज़ोर से फड़फड़ाई और अपने को छुड़ाने के लिए ज़ोर लगाई। राजीव को आँखें मालिनी की आखों से टकराई। मालिनी की आँखों में आँसू आ गए थे। राजीव ने आँसू देखे और एकदम से पीछे हटकर बैठ गया। उसने दोनों हाथ भी हटा लिए।
राजीव का लौड़ा अभी भी उत्तेजना से ऊपर नीचे हो रहा था। मालिनी उठी और क़रीब भागती हुई अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गयी और इस सदमे से बाहर आने की कोशिश करने लगी। वह करवट लेती हुई लम्बी साँसें ले रही थी। उसके बदन में एक अजीब सी सिहरन दौड़ रही थी। उसकी बुर गीली थी और एक चूची जो राजीव दबाया था ,वहाँ उसे कड़ेपन का अहसास हो रहा था। तभी इसे अहसास हुआ कि वो अकेली नहीं है। वो जैसे ही घूमी और पीठ के बल हुई, राजीव उसे बिस्तर पर बैठे नज़र आया। वो सहम गयी। पर राजीव मुस्कुराते हुए बोला: बहु, मैं अपना अधूरा काम पूरा करने आया हूँ।
मालिनी: कौन सा अधूरा काम?
राजीव ने उसकी दूसरी चूची पकड़ ली और दबाते हुए बोला: मैंने एक ही चूची दबाई थी, अब दूसरी भी दबा देता हूँ।
मालिनी उसके हाथ को पकड़ती हुई बोली: पापा जी आज आपको क्या हो गया है? क्या मेरा रेप करेंगे? हाथ हटाइए।
राजीव: नहीं बहु, मैं कभी रेप कर ही नहीं सकता वो अभी अपनी लाड़ली बहु का? ये कहते हुए उसने उसकी चूचि छोड़ दी। और बोला: लो बहु अब बराबर हो गया। दोनों चूचियाँ बराबर से दबा दीं।
मालिनी हैरानी से उसे देखती हुई बोली: पापा जी आप जाइए यहाँ से । आज तो आप सारी लिमिट पार कर गए हैं।
राजीव हँसकर: अरे बहु, अभी कहाँ लिमिट पार की है। आख़री लिमिट तो तुमने साड़ी में यहाँ छुपा कर रखी है जिसे पार भी करना है और प्यार भी करना है। ये कहते हुए उसने साड़ी के ऊपर से उसकी बुर को मूठ्ठी में लेकर दबा दिया।
मालिनी उछल पड़ी और बोली: आऽऽह पापा जी ये क्या कर रहे है? छोड़िए ना प्लीज़। उइइइइइइ माँआऽऽऽऽ हाथ हटाइए।
राजीव हँसता हुआ उठा और बोला: बहू , अभी तो कई लिमिट पार करनी है। चलो अब आराम करो मेरी नन्ही सी जान। यह कहकर वो अपना लौड़ा लूँगी के ऊपर से मसलकर बाहर चला गया। मालिनी सन्न होकर लेटी रही। वह सोचने लगी कि आज पापा जी को क्या हो गया था जो वो इस हद तक उतर आए।
तभी शिवा का फ़ोन आया और वो अपनी बुर के ऊपर से साड़ी ठीक करके बोली: हाँ जी कैसे हैं?
शिवा: बस तुम्हारी याद आ रही थी, आज सुबह की चुदाई में तुम्हारी गाँड़ पीछे से बहुत मस्त लग रही थी। वही याद कर रहा था।
मालिनी सोची कि बाप बेटा दोनों एक से हैं। वह बोली: छी, फ़ोन पर भी आप यही बात करते हैं। काम कैसा चल रहा है?
शिवा: बहुत बढ़िया। अच्छा, आज असलम का फ़ोन आया था, कह रहा था कि खाने पर आओ।
मालिनी: कौन असलम? वही बीवी बदलने वाला?
शिवा हँसकर: हाँ वही असलम। अरे भाई उसे और भी काम है बीवी बदलने के अलावा।
मालिनी: मुझे नहीं जाना उसके घर खाना खाने को। क्या पता उसकी बीवी पर आपका दिल आ जाए और फिर आप मेरे पीछे पड़ जाओगे कि जानू चलो बीवियाँ बदल लेते हैं। मुझे नहीं जाना।
शिवा हँसकर: वाह क्या कल्पना की है? लगता है तुम भी यही चाहती हो।
मालिनी: आओ घर वापस, बताती हूँ कि मैं क्या चाहती हूँ।
शिवा हँसते हुए: अरे जान, ग़ुस्सा मत करो, मैं मना कर देता हूँ । कह दूँगा फिर देखेंगे कभी और दिन। अब तो ठीक है?
मालिनी: हाँ ठीक है। आपने खाना खा लिया?
शिवा: बस खाने जा रहा हूँ।
मालिनी: चलो अब मैं भी खाना लगाती हूँ। चलो बाई।
शिवा: हाँ पापा जी को भी भूक़ लगी होगी।बाई।
मालिनी सोची कि पापा जी को तो बस एक ही चीज़ की भूक़ है उसकी इस जगह की। उसने अपनी बुर को सहलाकर सोची।उसकी बुर का गीलापन बढ़ने लगा था। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ यह कैसी फ़ीलिंग़स है कि एक तरफ़ तो उसे लगता है कि यह सब ग़लत है। पर दूसरी तरफ़ यह शरीर ग़लत सिग्नल भी दे देता है।जैसे अब भी उसकी चूचियों में मीठा सा दर्द हो रहा था मसले जाने का। और यह कमीनी बुर तो बस पनियाना ही जानती है। अब आज शाम को मम्मी और ताऊजी के आने के बाद भगवान ही जानता है कि क्या होने वाला है इस घर में? वह सोची और उठकर खाना लगाने किचन में चली गयी।
उस दिन शाम को सरला और श्याम को लेने राजीव बस अड्डा गया। सरला बस से उतरी तो वह उसे देखता ही रह गया । काली साड़ी में उसका गोरा बदन क़हर ढा रहा था। छोटा सा ब्लाउस आधी चूचियाँ दिखा रहा था और उसकी गहरी नाभि उस पारदर्शी साड़ी में बहुत आकर्षक लग रही थी। वह अपना सामान उठाने झुकी तो उसकी सामने की क्लिवेज़ देखते ही बनती थी। दोनों गोलायीयाँ जैसे अलग अलग से मचल रही थीं बाहर आने के लिए।
श्याम भी आकर राजीव से गले मिला और सरला भी उसके पास आकर नमस्ते की। राजीव ने उसका हाथ पकड़कर दबाया और बोला: आऽऽऽंह जानू क्या क़ातिल लग रही हो?
सरला: हा हा आपका चक्कर चालू हो गया। आप भी बहुत स्मार्ट लग रहे हो।
राजीव श्याम से बात करता हुआ सरला के पीछे चलने लगा। उफफफ क्या मस्त चूतर हैं। कैसे मटक रहे हैं। कार में बैठने लगे तो सरला को आगे बैठने को कहा। श्याम पीछे बैठा। कार चला कर वह सरला को बोला: आज तो काली साड़ी में तुम्हारा गोरा बदन बहुत चमक रहा है। उसने सरला की जाँघ दबाकर कहा।
सरला: आप ही तो बोले थे की सेक्सी साड़ी पहनना , तो मैं ये पहन ली। आपको अच्छी लगी चलिए ठीक है।
वह राजीव के हाथ के ऊपर अपना हाथ रखी और दबाने लगी।
राजीव : और श्याम भाई क्या हाल है? हमारी जान का ख़याल रखते हैं ना?
श्याम: हाँ जी रखते हैं। पर ये तो आपको बहुत याद करती रहती है।
राजीव: सच मेरी जान? ये कहते हुए उसने सरला की बुर को साड़ी के ऊपर से दबा दिया।
सरला मज़े से टाँगें फैला दी ताकि वह मज़े से उसको सहला सके। वह बोली: अरे घर जाकर ये सब कर लीजिएगा । अभी कार चलाने पर ध्यान दीजिए।
राजीव: क्या करें सबर ही नहीं हो रहा है। देखो कैसे खड़ा है तुम्हारे लिए? राजीव ने अपना लौड़ा पैंट के ऊपर से दबाकर कहा। सरला भी आगे आकर उसके पैंट के ऊपर से लौड़े को दबाकर मस्ती से भर उठी। फिर बोली: आऽऽह सच में बहुत जोश में है ये तो। फिर वह उसे एक बार और दबाकर अपनी जगह पर आके बैठी और बोली: आज तो ये मेरी हालत बुरी करने वाला है। सब हँसने लगे।
घर पहुँच कर सरला मालिनी से लिपट गयी और प्यार करने लगी। मालिनी भी सब कुछ भूलकर उससे लिपट गयी। फिर मालिनी श्याम से मिली और श्याम ने भी उसे प्यार किया।