Incest ससुर कमीना और बहू नगीना:- 2(completed)

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राजीव उठा और उसकी लूँगी का उभार मालिनी को जता दिया कि वो पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका है नूरी से बात करके। वह वाशबेसिन में हाथ धोया खाना ख़त्म करके। मालिनी भी उठकर किचन में जाकर बर्तन रखी और हाथ धोते हुए सोचने लगी। क्या ये सब जो वो सुन रही है ये सम्भव है? एक लड़की माँ बनने के लिए अपने पति को धोका दे सकती है। वह फिर अपने पति से कैसे आँख मिला पाती होगी। पर ये सब सुनकर उसे उत्तेजना क्यों हो रही है। उसने अपनी बुर खुजायी और बाहर आयी। वो जानती थी की पापा अब उससे उसकी हामी के लिए पूछेंगे। पता नहीं क्या हो रहा है इस घर में।

वो किचन से बाहर आयी तो राजीव सोफ़े पर बैठा उसका इंतज़ार कर रहा था। वह बोला: बहु आओ बैठो तुमसे नूरी के बारे में बात करनी है । मालिनी चुपचाप उसके सामने वाले सोफ़े पर बैठ गयी। आज उसने सलवार कुर्ता पहना था। उसकी चुन्नी सलीक़े से उसकी बड़ी छातियों को ढकीं हुई थी।

राजीव बोला: बहु , आज मैं तुमको एक बात बताऊँगा जो कि सिर्फ़ कुछ लोगों को मालूम है, जैसे तुम्हारी मम्मी को। दरअसल में मैंने अब तक रानी को मिलाकर कुल चार लड़कियों को माँ बनाया है। नूरी को तो उसकी माँ लेकर आयी थी मेरे पास चुदवाने के लिए। इसके पहले भी एक और लड़की को उसकी सास लेकर आयी थी जिसे मैंने मॉ बनाया था।

मालिनी का मुँह खुला का खुला रह गया। वो बोली: मा और सास अपनी बेटी और बहु लेकर आयीं थीं आपके पास इस काम के लिए? क्या हो गया है दुनिया को?

राजीव: बहु, हमारे समाज में माँ नहीं बन पाने का दोष सिर्फ़ लड़की को दिया जाता है। यहाँ तक कि लड़के की दूसरी शादी की बात भी होने लगती है। फिर लड़की और उसकी माँ क्या करें? वो मेरे जैसे आदमी की मदद लेती हैं और कुछ लड़कियाँ अगर घर में ही कोई ज़ेठ या देवर या ससुर हो तो उनसे ही चुदवा कर माँ बन जाती हैं और कुछ पड़ोसी या मेरे जैसे किसी जान पहचान वाले से चुदवा लेती हैं माँ बनने के लिए। समझी तुम?

मालिनी: ओह, मैं तो ऐसा कुछ होता है सोच भी नहीं सकती थी।

राजीव: अब तुमने सुना ही है कि नूरी के ससुराल वालों को दूसरा बच्चा चाहिए। अब उसका पति हालाँकि उसे चोदकर संतुष्ट कर लेता है पर स्पर्म की कमज़ोरी के कारण उसे माँ नहीं बना सकता। अब बताओ वो क्या करे?

मालिनी: ओह , तो ये बात है।

राजीव: हाँ बहू यही बात है। अब तुम उसकी मदद कर दो और अगर उसे यहाँ दो घंटे के लिए आने दो और मुझसे चुदवाने दो तो उस बेचारी को माँ बनने का सौभाग्य प्राप्त होगा और मुझे भी फिर से एक जवान बदन को चोदने का सुख मिलेगा।

ये कहकर वो खड़ा हुआ और उसकी लूँगी में से खड़ा लौड़ा मालिनी की आँखों के सामने था। वह आकर मालिनी के पास बैठा और उसकी जाँघ सहला कर बोला: बहु, प्लीज़ हाँ कर दो। देखो मैं भी कैसे मरा जा रहा हूँ उसको चोदने के लिए। यह कहकर उसने अपनी लूँगी खोली और अपना लौड़ा हवा में झुलाकर उसको दिखाने लगा। मालिनी इतने पास बैठी थी कि उसे पापा के लौड़े की गंध भी आ रही थी। उसकी बुर भी बुरी तरह से गीली होने लगी।

वो बोली: ठीक है पापा जी आप आने दीजिए उसको। और उसकी और अपनी इच्छा पूरी कर लीजिए।

राजीव ख़ुशी से भर कर बोला: आह बहु , तुमने मुझे ख़ुश कर दिया । थैंक यू बहु । तुम बहुत अच्छी हो सच में। यह कहकर वो उसको अपनी बाँह में दबाकर चूम लिया। मालिनी इस अचानक हमले के किए तय्यार नहीं थी। फिर वह उसकी चुन्नी हटाकर उसकी एक चूची दबाने लगा। मालिनी कसमसाते हुए बोली: पापा जी छोड़िए ना प्लीज़।

मगर राजीव ने उसका हाथ अपने लौंडे पर रखा और उसके हाथ को दबाकर मूठ्ठ मारने लगा। उसके गरम लौड़े का स्पर्श उसे भी पागल करने लगा। वह अब दूसरी चूची दबाने लगा। मालिनी का हाथ अभी भी उसके लौड़े पर ही था और वह अभी भी अपने हाथ से उसे दबाकर मूठ्ठी मार रहा था।

मालिनी: आऽऽऽंहहह पापा जी छोड़िए ना।

राजीव ने करीब गिड़गिड़ाते हुए कहा: बहु, प्लीज़ एक बार मेरा पानी गिरा दो। आऽऽऽह बहुत अच्छा लग रहा है।

मालिनी समझ गयी कि बिना झड़े वो शांत नहीं होगा, तो उसने हार मान ली और अब उसके लौड़े को ख़ुद ही मुट्ठी में जकड़ कर हिलाने लगी। अब राजीव ने अपना हाथ वहाँ से हटाया और बहु की दोनों चूचियाँ दबाने लगा। मालिनी ने शर्म और उत्तेजना से अपनी आँखें बंद कर लीं और ज़ोर ज़ोर से अपने हाथ हिलाने लगी। तभी राजीव ने उसकी क़ुर्ती उठाई और सलवार के ऊपर से उसकी बुर को सहलाने लगा और उसने पाया कि वो इतनी गीली थी जैसे उसने पेशाब कर दिया हो। उसने दो उँगलियाँ सलवार के पतले कपड़े से ही उसकी बुर में डाल दीं।

मालिनी अब उइइइइइइ करके उसका लौड़ा हिलाती रही और अनजाने में अपनी कमर भी हिलाने लगी। फिर अचानक उसे लगा कि पापा आऽऽऽहहहह कर रहे हैं तो उसने आँख खोली और देखा कि उसी समय उनका लौड़ा झटका मारकर पानी छोड़ने लगा। वीर्य गाढ़ा सा काफ़ी दूर तक ज़मीन में फैल गया और उसका हाथ भी उससे गीला हो गया। तभी वो भी पापा की उँगलियों में झड़ने लगी। ऐसा पहली बार हुआ था कि वो अपने पति के अलावा किसी और से ये सब की थी।

वो चुपचाप से उठी और अपराध बोध से भरकर वह अपने कमरे में आ गयी और बाथरूम में जाकर अपने हाथ को धोने का सोची। तभी फिर उस दिन जैसे उसने पापा के वीर्य को सूँघा और फिर पता नहीं उसे क्या हुआ कि वह अपने हाथ को चाटने लगी। उफफ़ग़फ उसे क्या हो रहा है? वो इतनी कामुक कैसे होती जा रही है? ये सब सही है क्या? शिवा को ये सब पता चलेगा तो उसपर क्या बीतेगी? आऽऽऽह वह क्या करे। वह टोयलेट की सीट पर बैठकर मूतने लगी। फिर सफ़ाई करके बाहर आयी और बिस्तर पर लेट गयी। उसकी आँख लग गयी।

थोड़ी देर में राजीव अंदर आया और उसके पास आकर वह उसके माथे पर हाथ फेरा। वह हड़बड़ा कर उठने की कोशिश की। पर राजीव ने उसे कंधे दबाकर ज़बरदस्ती लेटे ही रहने को कहा। वो बोला: तो बहु, मैं नूरी को बोल दूँ ना कि वो कल से आ सकती है। देखो बाद में अपना इरादा बदल नहीं लेना।

मालिनी धीरे से बोली: ठीक है ।

राजीव: तो मैं उसे बोल देता हूँ। पर उसका बेटा भी तो आएगा, उसे तुम थोड़ी देर सम्भाल लोगी ना जब हम चुदाई करेंगे।

मालिनी: ठीक है पापा जी मैं उसे भी संभाल लूँगी।

राजीव ख़ुश होकर उसके गाल को चूम लिया। फिर वह नूरी को फ़ोन लगाया। फ़ोन को इसने स्पीकर मोड में रखा। राजीव: हेलो बेबी।

नूरी: जी अंकल क्या बोली आपकी बहू। वैसे उसका नाम क्या है।

राजीव मालिनी के माथे को सहलाते हुए बोला: उसका नाम मालिनी है और वह बहुत ही प्यारी बच्ची है। और हाँ वो मान गयी है और जिस समय हम चुदाई करेंगे वो हमारा बच्चा भी सम्भालेगी।

नूरी: सच में मालिनी बहुत अच्छी लड़की है, क्या आप मेरी उससे बात करवा देंगे?

राजीव : हाँ अभी करवाता हूँ। उसने मालिनी को फ़ोन दिया।

मालिनी ने हिचकते हुए कहा: हेलो।

नूरी: हेलो मालिनी, मैं तुमको थैंक्स कहना चाहती हूँ। तुम मेरी मदद करोगी और मुझे सम्मान से जीने का अवसर दोगी। सच में तुम बहुत अच्छी लड़की हो। भगवान तुम्हें सब ख़ुशियाँ दे।

मालिनी : अरे नहीं नहीं आप ज़्यादा सोचो मत । आप आओ और बाक़ी बच्चे को मैं संभाल लूँगी।

नूरी ख़ुश होकर: ठीक है तो फिर कल मिलते हैं। बाई ।

राजीव ने फ़ोन लेकर नूरी को कहा: अब तो कल मिलोगी ना बेबी।

नूरी: जी तीन बजे दोपहर में आती हूँ आपके पास । ठीक है?

राजीव मुस्कुरा कर अपना लौड़ा दबाया और बोला: बिलकुल बेबी मैं तो बस अब बेकरार हूँ तुमसे और हमारे बेटे से मिलने के लिए। अच्छा अब रखता हूँ। बाई ।

राजीव अब मालिनी को देखा और बोला: बहु आज मैं तुम्हारा ऋणी याने क़र्ज़दार हो गया। थैंक यू। वह झुका और उसके गाल चूम लिया और बाई कहकर उसे आराम करने को कहा और अपने कमरे में चला गया।

मालिनी आज दिन भर की घटनाओं के बारे में सोचते हुए सो गयी।
उस दिन और कुछ ख़ास नहीं हुआ। रात को शिवा ने मालिनी को दो राउंड चोदा। मालिनी चुदाई करवाते हुए सोच रही थी कि शिवा कितने प्यार से उसे चोद रहा है, आख़िर मैं उसे कैसे धोका दे सकती हूँ। आज शिवा भी तेल लगाकर उसकी गाँड़ में दो उँगलियाँ डालकर मालिनी को मज़े से भर रहा था। मालिनी भी अपनी कमर उछालकर मज़े ले रही थी। चुदाई के बाद दोनों संतुष्ट होकर लिपट कर सो गए। मालिनी शिवा को दिन भर की घटनाओं के बारे में कुछ भी बता नहीं पाई।

अगले दिन मालिनी सुबह फ़्रेश हुई और ब्रा पहनकर नायटी पहनी और किचन जाकर चाय बनाई। राजीव के कमरे में आवाज़ दी कि वो चाय पी ले।

राजीव बाहर आया और उसके हाथ में एक प्लास्टिक का थैला था। वो बोला: देखो बहु तुम्हारे लिए क्या लाया हूँ?

मालिनी: क्या लायें हैं पापा जी?

राजीव: बहु आज मोर्निंग वॉक से आ रहा था तो हलवाई जलेबियाँ और कचौरी निकाल रहा था। वही ले आया। मुझे सरला ने बताया कि तुमको ये पसंद है। तुमने तो कभी बताया ही नहीं।

मालिनी हँसकर: पापा जी आपने कभी पूछा ही नहीं।

वह राजीव के हाथ से थैला लेकर किचन में जाकर प्लेट में डालकर लाई। राजीव ने लाड़ दिखाते हुए उसके मुँह के पास एक जलेबी रखी और बोला: लो बहु एक मेरे हाथ से खाओ।

मालिनी हँसती हुई मुँह खोली और बोली: नूरी के आने की ख़ुशी में। वह जलेबी खाते हुए बोली: आपने उसे मेरा नम्बर दिया है शायद। उसका sms आया है कि वो दिल्ली से जहाज़ में बैठकर निकल चुकी है। उसका जहाज़ अभी एक घंटे में आ जाएगा। वह हमारे घर ३ बजे तक आएगी।

राजीव: हाँ मुझे भी यही sms आया है। उसकी आंटी उसे लेने एयरपोर्ट पहुँचेगी। चलो शाम को मज़ा आएगा। उसने आँख मारते हुए कहा।

मालिनी चाय के कप रखने किचन में गयी तो वह भी उसके पीछे पीछे गया और वहाँ जाकर मालिनी को पीछे से पकड़कर अपने से चिपका लिया। उसके पेट के हिस्से को सहला कर बोला: सच में तुम बहुत ही प्यारी लड़की हो, पर पता नहीं मुझसे दूर दूर क्यों रहती हो।

मालिनी अपने आप को छुड़ाने की कोशिश की और उसके चूतर उसके लौड़े से रगड़ गए। वह बोला: अच्छा बताओ कल रात शिवा ने चुदाई की थी?

मालिनी: आऽऽऽह छोड़िए ना प्लीज़।

राजीव: बताओ ना चोदा कि नहीं उसने?

मालिनी ने महसूस किया कि उसका लौड़ा अब उसे चुभने लगा है। वो बोली: उफफफफ आप भी ना। हाँ दो बार किया था। बस अब छोड़िए।

राजीव: दो बार क्या किया था?

मालिनी: आऽऽहहह चुदाई की थी और क्या करते हैं।

राजीव: और भी बहुत कुछ करते हैं। जैसे बुर चूसते हैं । वो चूस था तुम्हारी इस प्यारी सी मुनिया को? उसने नायटी के ऊपर से उसकी बुर को दबाकर पूछा?

मालिनी: उइइइइइ हाँ चूसे थे। हमेशा चूसते है। छोड़िए ना प्लीज़।

उसने मालिनी का हाथ पकड़कर अपने खड़े लौड़े पर रखा और बोला: और तुमने उसका ये यानी लौड़ा चूसा था?

मालिनी: आह्ह्ह्ह्ह्ह पापा जी छोड़िए ना। हाँ चूसा था और हमेशा चूसतीं हूँ।

राजीव: आऽऽऽऽऽऽह बहु मेरा कब चूसोगी?

वो बोली: कभी नहीं। मैं अपने पति को धोका नहीं दे सकती।

राजीव अभी भी उसका हाथ पकड़कर उससे अपना लौड़ा दबवा रहा था। वह उसकी बुर दबा कर बोला: अच्छा कोई बात नहीं मेरा मत चूसो पर मुझसे यह अपनी मुनिया तो चूसवा सकती हो बहु रानी।

मालिनी: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ छोड़िए। मैं कयों चूसवाऊँ? आप नूरी का चूसो ना। मम्मी का भी तो चूसते हो आप।

राजीव हँसकर: अरे भाई आज जलन की बू आ रही है। अरे तुम मेरी बन जाओ तो ये नूरी और मम्मी को मैं घर में घुसने ही नहीं दूँगा। अभी हाँ करो और अभी नूरी को मना करता हूँ।

मालिनी हँसकर: वाह बेचारी दिल्ली से सिर्फ़ आपसे चु- मतलब करवाने आ रही है और आप ऐसा बोल रहे हो? मालिनी की बुर आज सबेरे से ही खुजाने लगी थी, पापा जी की हरकतों के कारण।

राजीव उसके गाल चूमकर; क्या करवाने आ रही है?

मालिनी हँसकर उसके लौड़े को दबाकर बोली: इससे करवाने मतलब चुदवाने आ रही है। चलिए अब छोड़िए इनको भी उठाना है। बस बहुत हो गई आपकी ज़बरदस्ती और फ़ालतू की मस्ती।

राजीव उसको एक बार और अपनी बाहों में भींचकर उसके होंठ चूमा और फिर उसे छोड़ते हुए बोला: भगवान सब देख रहा है कि तुम इस ग़रीब पर कितना ज़ुल्म ढा रही हो, पाप लगेगा इस बिचारे को सताने का। वह अपने लौड़े को मसल कर बोला।

मालिनी भी हँसकर: वाह , एक आप ग़रीब और दूसरा ये बेचारा? वाह । वह उसके लौड़े को इशारा करके बोली।

फिर दोनों हँसने लगे। राजीव ने नोटिस किया कि अब मालिनी इस तरह की बातों से विचलित नहीं हो रही है जैसे कि पहले हो जाती थी। उसका कमीना मन यह सोच कर ख़ुश था कि लौंडिया फँस रही है।
 
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उधर मालिनी सोची कि वह पापा जी से ज़रा ज़्यादा ही खुलकर बात करने लगी है। ओह उसे क्या हुआ जा रहा है वह अब पापा जी से चुदाई जैसे शब्द बोलने में भी संकोच नहीं कर रही है। और उसकी बुर को क्या हुआ जा रहा है जो बात बात पर गरम हो जाती है। उफफफफ मैं किस चक्रव्यूह में फँसी जा रही हूँ। वह सोचते हुए शिवा की चाय बनाई और उसे उठाने के किए कमरे में गयी। वो पूरा नंगा सो रहा था। उसने उसे प्यार से देखा और उठाकर चाय पीने को कहा। वह उसे बाहों में अपने ऊपर खींचकर उसे चूमा और गुड मॉर्निंग बोला। वह भी उसे प्यार की और फिर वह फ़्रेश होने के लिए चला गया।

नाश्ता आराम से निपट गया और शिवा अपने काम पर चला गया। तभी नूरी का फ़ोन आया।

मालिनी: हेलो।

नूरी: हाय कैसी हो? मैं तो आंटी के घर में हूँ। आंटी यहाँ अकेली रहती हैं। वो स्कूल में टीचर हैं। वो स्कूल चली गयी हैं। यहाँ बस एक नौकरानी है। मैं बोर हो रही हूँ।

मालिनी: तो आ जाओ अभी । क्या दिक़्क़त है। खाना हमारे साथ खा लेना।

नूरी: सच में अभी आ जाऊँ? आंटी शाम को पाँच बजे आएँगी। इसलिए मैं चार बजे भी निकलूँगी तुम्हारे घर से तो भी हो जाएगा।

मालिनी: अभी आ जाओ। ठीक है?

नूरी: तुम बहुत अच्छी हो। तुमसे मिलने की बड़ी इच्छा है।

मालिनी हँसकर: मुझसे या पापा जी से ? हा हा ।

नूरी भी हँसकर: दोनों से ही। अच्छा आती हूँ एक घंटे में ।

मालिनी ने फ़ोन रखा और राजीव के कमरे में बाहर से आवाज़ लगाई: पापा जी।

मालिनी ने देखा कि पापा जी ने कोई जवाब नहीं दिया तो उसने दरवाज़े को धक्का दिया और देखा कि कमरा ख़ाली है। बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुन कर वह बाथरूम के दरवाज़े को खटखटाई और ज़ोर से बोली: पापा जी, नूरी अभी एक घंटे में ही आ जाएगी। ठीक है ना?

उसी समय दरवाज़ा खुला और सामने राजीव पूरा नंगा खड़ा था। उसका मर्दाना बदन पानी से भीगा हुआ था। उसका लौड़ा लटकते हुए भी बहुत सेक्सी लग रहा था। उसके नीचे दो बड़े से बॉल्ज़ भी बहुत प्यारे लगे मालिनी को। वह शर्माकर पलट गयी और बाहर जाते हुए बोली: बस आपको बताना था कि नूरी अभी एक घंटे में आ जाएगी।

राजीव: इतनी जल्दी? वो तो दोपहर को आने वाली थी ना।

मालिनी उसकी बात का जवाब देने को पलटी और फिर से उसे नंगा देखकर झेंपकर बोली: हाँ वो अकेली है और ख़ाली है इस लिए अभी ही आना चाहती है और मैंने हाँ कर दी है। उसने एक नज़र उसके मस्त कसरती बदन को देखा और फिर बाहर जाते हुए बोली: मैं भी नहा लेती हूँ।

राजीव: अरे बहु सुनो तो एक मिनट।

मालिनी जाते हुए फिर रुकी और पलट कर बोली: जी बोलिए।

वह मुस्कुरा कर बोला: आओ ना साथ में ही नहाते हैं। मज़ा आ जाएगा। सच में बिलकुल तंग नहीं करूँगा। वह अपने लौड़े को हिलाकर बोला।

मालिनी: धत्त पापा जी आप भी कुछ भी बोलते रहते हैं। मैं जा रही हूँ। अब वह अपने कमरे में आइ और बाथरूम में जाकर कपड़े उतारते हुए उसे पापा जी का मस्त बदन और उनके मोटे मोटे बॉल्ज़ नज़र आ रहे थे। वह सोची की पापा जी के बॉल्ज़ में कितना रस भरा हुआ है जो कि वो सब लड़कियों को माँ बना देते हैं। उसने अपनी गीली हो रही बुर को सहलाया और सोची कि आज वो तो नूरी की प्यास बुझाएँगे। उसके मन में ये सोचकर थोड़ी सी जलन हुई जिसका कारण वह ख़ुद ही नहीं समझ पाई। वो नहाने लगी।

आज मालिनी ने पहली बार घर में मम्मी का लाया हुआ टॉप और स्कर्ट पहना। वह शीशे में अपने आप को देखी। वह बला की ख़ूबसूरत दिख रही थी। टॉप उसकी छातियों को ढके हुए था और वो दोनों उभारों को और भी उभार रहे थे। स्कर्ट भी शालीन ही था। उसके घुटनो से थोड़ा नीचे तक आ रहा था। आज उसने पैंटी पहन ली थी। वो नहीं चाहती थी कि नूरी उसे बिना पैंटी के देखे। फिर उसने अपनी छातियों को छुपाने के लिए एक जैकेट सा पहना। अब सब ठीक था। जैकेट में चेन लगी थी । वो बाहर आयी और कमला को खाना बनाने में मदद करने लगी।
थोड़ी देर बाद कमला चली गयी। वह किचन से बाहर आइ तभी राजीव बाहर आए। उन्होंने लूँगी बनियान ही पहनी थी। वो मालिनी को देखकर बोले: वाह आज तो बहुत सज रही हो बहु। ऐसे ही रहा करो। बहुत प्यारी लग रही हो। फिर वो मालिनी के पास आकर बोले: ये जैकेट क्यों पहनी हो? क्यूँ मस्त छातियों को छुपा रही हो। चलो निकालो इसे। यह कहते हुए उसने उसकी जैकेट की चेन नीचे को खिंची और जैकेट के दोनों पल्ले अलग हो गए। और मस्त उभरी हुई छातियाँ उसके सामने आ गयीं जो कि टॉप के ऊपर से बहुत ही मादक लग रहीं थीं।

मालिनी ने विरोध किया पर उसकी एक ना चली। फिर राजीव ने उसके दोनों चूचियों को दबाया और बोला: इनकी सुंदरता इनको दिखाने में है बहु । इस तरह जैकेट में छिपाने में नहीं है।
मालिनी उसके हाथ हटाते हुए बोली: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पापा जी छोड़िए ना। नूरी आने वाली है । उसकी मसल दीजिएगा। मुझे बक्श दीजिए।

राजीव हँसने लगा और अपना हाथ उसकी चूचियों से हटा लिया पर उसने उसका जैकेट तो उतार ही दिया था । मालिनी जैकेट को अपने कमरे में रखने के लिए जाने के लिए जैसे ही पलटी राजीव की आँख उसकी गाँड़ के ऊपर चुस्त स्कर्ट से झलक रही पैंटी के किनारों पर पड़ी। वह फिर उसको कमर से पकड़ लिया और उसकी गाँड़ को दबाते हुए बोला: बहु आज पैंटी क्यों पहन ली? तुमने तो घर में पहनना छोड़ दिया था ना?

मालिनी झल्लाती हुई: पापा जी क्या स्कर्ट के नीचे भी पैंटी ना पहनूँ? साड़ी या सलवार के नीचे ना पहनूँ तो चल जाता है पर स्कर्ट के नीचे तो पहनना ही पड़ता है।

राजीव: अरे बहु क्यों पहनना पड़ता है? आख़िर मैं अकेला ही तो हूँ तो घर में और वैसे भी तुम्हारी बुर देखने के लिए मरा जा रहा हूँ। तुम ऐसे तो दिखाती नहीं हो, शायद ग़लती से ही दिख जाए तो मज़ा आ जाए।

मालिनी: आपको अपना सब कुछ दिखाने वाली आ रही है अभी। उसका सब देख लेना। चलिए अब छोड़िए मुझे।

राजीव उसकी गाँड़ दबाकर बोला: बहु तुमसे एक रिक्वेस्ट है, मानोगी?

मालिनी: बोलिए। वो अब राजीव की हरकतों से गरम हो रही थी उसका हाथ अभी भी उसकी गाँड़ की गोलाइयों को दबा रहा था।

वह बोला: बहु आज भी मैंने एक पल्ला खिड़की का खोल दिया है। मैं चाहता हूँ कि तुम आज हमारी चुदाई देखो।

मालिनी सन्न रह गयी। उफफफफ कितना खुलकर ऐसी गंदी बातें करते हैं। वो कुछ नहीं बोली।

वो फिर से बोला: देखोगी ना हमारी चुदाई? मैं ऐसा करता हूँ कि जब तुमको बुलाना होगा तो मैं तुमको एक मिस्ड कॉल दूँगा। तुम समझ जाना कि तुम्हारे लिए मेरा शो चालु हो गया है। बोलो आओगी ना? अब वह उसकी गाँड़ मसलता हुआ उसके गाल भी चूमने लगा।

मालिनी ने अब छूटने का प्रयत्न किया और बोली: पता नहीं।

तभी कॉल बेल बजी। मालिनी बोली: नूरी आ गयी लगता है।

राजीव: आने दो उसे, जब तक तुम नहीं बोलोगी कि तुम आकर देखोगी खिड़की से मेरी मिस्ड कॉल के बाद, मैं नहीं छोड़ूँगा।

मालिनी: अच्छा ठीक है छोड़िए ना , आ जाऊँगी देखने । बस अब छोड़िए ना।

राजीव ने उसे चूमा और छोड़ दिया। उसने अपने बदन के कपड़े ठीक किए और दरवाज़ा खोली।सामने एक भरे बदन की बहुत गोरी अच्छे नाक नक़्श की एक लड़की अपनी गोद में एक बच्चा लेकर खड़ी थी। बच्चा सो रहा था ।

मालिनी: नूरी दीदी?

नूरी: हाँ और तुम मालिनी?

मालिनी: जी दीदी । आइए प्लीज़।

वह अपना एक बैग और पर्स लेकर आयी और बोली: इसे कहाँ सुला दूँ?

मालिनी: मेरे कमरे में सुला दीजिए।

नूरी ने बच्चे को बिस्तर पर लिटाया और फिर सीधी खड़ी हुई और मालिनी को गले लगा ली। मालिनी की गोल पुष्ट छातियाँ उसकी पहाड़ जैसी छातियों से टकरा रहीं थीं। नूरी ने एक टॉप पहना था जिसमें से उसकी ब्रा भी दिख रही थी और नीचे उसने जींस पहनी थी जो उसके विशाल चूतरों से चिपकी हुई थी। फिर नूरी बोली: यार तीन साल पहले मेरा फ़िगर भी तुम्हारे जैसा ही था जब मैं अंकल से मिली थी। बच्चा होने के बाद शरीर काफ़ी बदल जाता है।

मालिनी: दीदी, आप तो अभी भी बहुत सेक्सी दिख रही हो। पापा जी तो फ़िदा हो जाएँगे।

वो हँसकर: अरे उनका क्या है? उनको तो बस तो मस्त चूचियाँ और एक छेद मिल जाए तो उनका काम हो जाता है।

मालिनी: छी दीदी आप भी कैसी बातें कर रही हैं। चलिए आपको पापा जी से मिलवाती हूँ।

बाहर आकर मालिनी ने देखा कि पापा वहाँ भी नहीं हैं। वह उनके कमरे के बाहर से आवाज़ लगाई: पापा जी नूरी से नहीं मिलना क्या?

राजीव बाहर आकर बोला: वो तो तुमसे मिलने आई है , देखो ना सीधे तुम्हारे कमरे में चली गई। मेरे पास तो आइ नहीं। फिर जैसे ही उसकी नज़र नूरी पर पड़ी वह सब ग़ुस्सा भूल गया। उसकी आँखों में एक चमक दौड़ गयी और उसने बाँहें फैलाकर कहा: wow क्या दिख रही हो जान। पहले से भी ज़्यादा मस्त भर गयी हो। आओ मेरी बाहों में आओ ।

नूरी भी बाँहें फैलाकर उसकी तरफ़ जाकर उससे लिपट गयी। राजीव को मज़बूत बाहों ने उसे जकड़ लिया और वह उसके गाल चूमता हुआ अब उसके होंठ चूसने लगा। उसके हाथ उसकी पीठ , नंगी कमर से होता हुआ उसके बड़े। बड़े चूतरों तक जा पहुँचा था। अब वह उसकी गाँड़ की गोलाइयों को नाप रहा था। ये सब देखकर मालिनी की हालत ख़राब होने लगी।
उसे मन ही मन जलन की भावना से भर गई। उसे ख़ुद पर हैरानी हुई कि वह इस तरह से क्यों सोच रही है।

मालिनी: अच्छा तो मैं चलती हूँ। दीदी आप चाय पीयोगि क्या?

रेणु अपने आप को छुड़ाकर बोली: हाँ ज़रूर पियूँगी। चलो बनाते हैं। फिर राजीव को बोली: आप बैठो हम चाय लाते हैं।

वो दोनों किचन में चली गयी। मालिनी: आपको तो पापा जी बहुत प्यार करते हैं ।

नूरी: तुम अपना बताओ कि तुम दोनों के बीच क्या चक्कर है? अंकल को जहाँ तक मैं जानती हूँ वो तुम्हारे जैसे हॉट और मस्त माल को छोड़ने वाले हैं नहीं। चुदवा चुकी हो क्या उनसे?


मालिनी उसकी बात सुनकर सन्न होकर बोली: ऐसा कुछ नहीं है। मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूँ।

नूरी: तो क्या मैं नहीं करती अपने पति से प्यार। वो मुझे भी प्यारे हैं। पर उनको बच्चा भी चाहिए इसलिए मैं इनके पास आयीं हूँ। अब वो मुझे अभी तुम्हारे घर में चोदेंगे और तुम्हारी जानकारी में ही। इसका मतलब तो ये हुआ ना कि तुम दोनों का रिश्ता ससुर और बहु से कुछ आगे का भी है। क्या कहती हो?

मालिनी: ऐसा कुछ नहीं है। वो मेरे को बोले कि तुमको उनकी मदद चाहिए तो मैंने आप दोनों की मदद कर दी। बस इतना ही है। और कुछ नहीं।
 
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उधर मालिनी सोची कि वह पापा जी से ज़रा ज़्यादा ही खुलकर बात करने लगी है। ओह उसे क्या हुआ जा रहा है वह अब पापा जी से चुदाई जैसे शब्द बोलने में भी संकोच नहीं कर रही है। और उसकी बुर को क्या हुआ जा रहा है जो बात बात पर गरम हो जाती है। उफफफफ मैं किस चक्रव्यूह में फँसी जा रही हूँ। वह सोचते हुए शिवा की चाय बनाई और उसे उठाने के किए कमरे में गयी। वो पूरा नंगा सो रहा था। उसने उसे प्यार से देखा और उठाकर चाय पीने को कहा। वह उसे बाहों में अपने ऊपर खींचकर उसे चूमा और गुड मॉर्निंग बोला। वह भी उसे प्यार की और फिर वह फ़्रेश होने के लिए चला गया।

नाश्ता आराम से निपट गया और शिवा अपने काम पर चला गया। तभी नूरी का फ़ोन आया।

मालिनी: हेलो।

नूरी: हाय कैसी हो? मैं तो आंटी के घर में हूँ। आंटी यहाँ अकेली रहती हैं। वो स्कूल में टीचर हैं। वो स्कूल चली गयी हैं। यहाँ बस एक नौकरानी है। मैं बोर हो रही हूँ।

मालिनी: तो आ जाओ अभी । क्या दिक़्क़त है। खाना हमारे साथ खा लेना।

नूरी: सच में अभी आ जाऊँ? आंटी शाम को पाँच बजे आएँगी। इसलिए मैं चार बजे भी निकलूँगी तुम्हारे घर से तो भी हो जाएगा।

मालिनी: अभी आ जाओ। ठीक है?

नूरी: तुम बहुत अच्छी हो। तुमसे मिलने की बड़ी इच्छा है।

मालिनी हँसकर: मुझसे या पापा जी से ? हा हा ।

नूरी भी हँसकर: दोनों से ही। अच्छा आती हूँ एक घंटे में ।

मालिनी ने फ़ोन रखा और राजीव के कमरे में बाहर से आवाज़ लगाई: पापा जी।

मालिनी ने देखा कि पापा जी ने कोई जवाब नहीं दिया तो उसने दरवाज़े को धक्का दिया और देखा कि कमरा ख़ाली है। बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुन कर वह बाथरूम के दरवाज़े को खटखटाई और ज़ोर से बोली: पापा जी, नूरी अभी एक घंटे में ही आ जाएगी। ठीक है ना?

उसी समय दरवाज़ा खुला और सामने राजीव पूरा नंगा खड़ा था। उसका मर्दाना बदन पानी से भीगा हुआ था। उसका लौड़ा लटकते हुए भी बहुत सेक्सी लग रहा था। उसके नीचे दो बड़े से बॉल्ज़ भी बहुत प्यारे लगे मालिनी को। वह शर्माकर पलट गयी और बाहर जाते हुए बोली: बस आपको बताना था कि नूरी अभी एक घंटे में आ जाएगी।

राजीव: इतनी जल्दी? वो तो दोपहर को आने वाली थी ना।

मालिनी उसकी बात का जवाब देने को पलटी और फिर से उसे नंगा देखकर झेंपकर बोली: हाँ वो अकेली है और ख़ाली है इस लिए अभी ही आना चाहती है और मैंने हाँ कर दी है। उसने एक नज़र उसके मस्त कसरती बदन को देखा और फिर बाहर जाते हुए बोली: मैं भी नहा लेती हूँ।

राजीव: अरे बहु सुनो तो एक मिनट।

मालिनी जाते हुए फिर रुकी और पलट कर बोली: जी बोलिए।

वह मुस्कुरा कर बोला: आओ ना साथ में ही नहाते हैं। मज़ा आ जाएगा। सच में बिलकुल तंग नहीं करूँगा। वह अपने लौड़े को हिलाकर बोला।

मालिनी: धत्त पापा जी आप भी कुछ भी बोलते रहते हैं। मैं जा रही हूँ। अब वह अपने कमरे में आइ और बाथरूम में जाकर कपड़े उतारते हुए उसे पापा जी का मस्त बदन और उनके मोटे मोटे बॉल्ज़ नज़र आ रहे थे। वह सोची की पापा जी के बॉल्ज़ में कितना रस भरा हुआ है जो कि वो सब लड़कियों को माँ बना देते हैं। उसने अपनी गीली हो रही बुर को सहलाया और सोची कि आज वो तो नूरी की प्यास बुझाएँगे। उसके मन में ये सोचकर थोड़ी सी जलन हुई जिसका कारण वह ख़ुद ही नहीं समझ पाई। वो नहाने लगी।

आज मालिनी ने पहली बार घर में मम्मी का लाया हुआ टॉप और स्कर्ट पहना। वह शीशे में अपने आप को देखी। वह बला की ख़ूबसूरत दिख रही थी। टॉप उसकी छातियों को ढके हुए था और वो दोनों उभारों को और भी उभार रहे थे। स्कर्ट भी शालीन ही था। उसके घुटनो से थोड़ा नीचे तक आ रहा था। आज उसने पैंटी पहन ली थी। वो नहीं चाहती थी कि नूरी उसे बिना पैंटी के देखे। फिर उसने अपनी छातियों को छुपाने के लिए एक जैकेट सा पहना। अब सब ठीक था। जैकेट में चेन लगी थी । वो बाहर आयी और कमला को खाना बनाने में मदद करने लगी।
थोड़ी देर बाद कमला चली गयी। वह किचन से बाहर आइ तभी राजीव बाहर आए। उन्होंने लूँगी बनियान ही पहनी थी। वो मालिनी को देखकर बोले: वाह आज तो बहुत सज रही हो बहु। ऐसे ही रहा करो। बहुत प्यारी लग रही हो। फिर वो मालिनी के पास आकर बोले: ये जैकेट क्यों पहनी हो? क्यूँ मस्त छातियों को छुपा रही हो। चलो निकालो इसे। यह कहते हुए उसने उसकी जैकेट की चेन नीचे को खिंची और जैकेट के दोनों पल्ले अलग हो गए। और मस्त उभरी हुई छातियाँ उसके सामने आ गयीं जो कि टॉप के ऊपर से बहुत ही मादक लग रहीं थीं।

मालिनी ने विरोध किया पर उसकी एक ना चली। फिर राजीव ने उसके दोनों चूचियों को दबाया और बोला: इनकी सुंदरता इनको दिखाने में है बहु । इस तरह जैकेट में छिपाने में नहीं है।
मालिनी उसके हाथ हटाते हुए बोली: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पापा जी छोड़िए ना। नूरी आने वाली है । उसकी मसल दीजिएगा। मुझे बक्श दीजिए।

राजीव हँसने लगा और अपना हाथ उसकी चूचियों से हटा लिया पर उसने उसका जैकेट तो उतार ही दिया था । मालिनी जैकेट को अपने कमरे में रखने के लिए जाने के लिए जैसे ही पलटी राजीव की आँख उसकी गाँड़ के ऊपर चुस्त स्कर्ट से झलक रही पैंटी के किनारों पर पड़ी। वह फिर उसको कमर से पकड़ लिया और उसकी गाँड़ को दबाते हुए बोला: बहु आज पैंटी क्यों पहन ली? तुमने तो घर में पहनना छोड़ दिया था ना?

मालिनी झल्लाती हुई: पापा जी क्या स्कर्ट के नीचे भी पैंटी ना पहनूँ? साड़ी या सलवार के नीचे ना पहनूँ तो चल जाता है पर स्कर्ट के नीचे तो पहनना ही पड़ता है।

राजीव: अरे बहु क्यों पहनना पड़ता है? आख़िर मैं अकेला ही तो हूँ तो घर में और वैसे भी तुम्हारी बुर देखने के लिए मरा जा रहा हूँ। तुम ऐसे तो दिखाती नहीं हो, शायद ग़लती से ही दिख जाए तो मज़ा आ जाए।

मालिनी: आपको अपना सब कुछ दिखाने वाली आ रही है अभी। उसका सब देख लेना। चलिए अब छोड़िए मुझे।

राजीव उसकी गाँड़ दबाकर बोला: बहु तुमसे एक रिक्वेस्ट है, मानोगी?

मालिनी: बोलिए। वो अब राजीव की हरकतों से गरम हो रही थी उसका हाथ अभी भी उसकी गाँड़ की गोलाइयों को दबा रहा था।

वह बोला: बहु आज भी मैंने एक पल्ला खिड़की का खोल दिया है। मैं चाहता हूँ कि तुम आज हमारी चुदाई देखो।

मालिनी सन्न रह गयी। उफफफफ कितना खुलकर ऐसी गंदी बातें करते हैं। वो कुछ नहीं बोली।

वो फिर से बोला: देखोगी ना हमारी चुदाई? मैं ऐसा करता हूँ कि जब तुमको बुलाना होगा तो मैं तुमको एक मिस्ड कॉल दूँगा। तुम समझ जाना कि तुम्हारे लिए मेरा शो चालु हो गया है। बोलो आओगी ना? अब वह उसकी गाँड़ मसलता हुआ उसके गाल भी चूमने लगा।

मालिनी ने अब छूटने का प्रयत्न किया और बोली: पता नहीं।

तभी कॉल बेल बजी। मालिनी बोली: नूरी आ गयी लगता है।

राजीव: आने दो उसे, जब तक तुम नहीं बोलोगी कि तुम आकर देखोगी खिड़की से मेरी मिस्ड कॉल के बाद, मैं नहीं छोड़ूँगा।

मालिनी: अच्छा ठीक है छोड़िए ना , आ जाऊँगी देखने । बस अब छोड़िए ना।

राजीव ने उसे चूमा और छोड़ दिया। उसने अपने बदन के कपड़े ठीक किए और दरवाज़ा खोली।सामने एक भरे बदन की बहुत गोरी अच्छे नाक नक़्श की एक लड़की अपनी गोद में एक बच्चा लेकर खड़ी थी। बच्चा सो रहा था ।

मालिनी: नूरी दीदी?

नूरी: हाँ और तुम मालिनी?

मालिनी: जी दीदी । आइए प्लीज़।

वह अपना एक बैग और पर्स लेकर आयी और बोली: इसे कहाँ सुला दूँ?

मालिनी: मेरे कमरे में सुला दीजिए।

नूरी ने बच्चे को बिस्तर पर लिटाया और फिर सीधी खड़ी हुई और मालिनी को गले लगा ली। मालिनी की गोल पुष्ट छातियाँ उसकी पहाड़ जैसी छातियों से टकरा रहीं थीं। नूरी ने एक टॉप पहना था जिसमें से उसकी ब्रा भी दिख रही थी और नीचे उसने जींस पहनी थी जो उसके विशाल चूतरों से चिपकी हुई थी। फिर नूरी बोली: यार तीन साल पहले मेरा फ़िगर भी तुम्हारे जैसा ही था जब मैं अंकल से मिली थी। बच्चा होने के बाद शरीर काफ़ी बदल जाता है।

मालिनी: दीदी, आप तो अभी भी बहुत सेक्सी दिख रही हो। पापा जी तो फ़िदा हो जाएँगे।

वो हँसकर: अरे उनका क्या है? उनको तो बस तो मस्त चूचियाँ और एक छेद मिल जाए तो उनका काम हो जाता है।

मालिनी: छी दीदी आप भी कैसी बातें कर रही हैं। चलिए आपको पापा जी से मिलवाती हूँ।

बाहर आकर मालिनी ने देखा कि पापा वहाँ भी नहीं हैं। वह उनके कमरे के बाहर से आवाज़ लगाई: पापा जी नूरी से नहीं मिलना क्या?

राजीव बाहर आकर बोला: वो तो तुमसे मिलने आई है , देखो ना सीधे तुम्हारे कमरे में चली गई। मेरे पास तो आइ नहीं। फिर जैसे ही उसकी नज़र नूरी पर पड़ी वह सब ग़ुस्सा भूल गया। उसकी आँखों में एक चमक दौड़ गयी और उसने बाँहें फैलाकर कहा: wow क्या दिख रही हो जान। पहले से भी ज़्यादा मस्त भर गयी हो। आओ मेरी बाहों में आओ ।

नूरी भी बाँहें फैलाकर उसकी तरफ़ जाकर उससे लिपट गयी। राजीव को मज़बूत बाहों ने उसे जकड़ लिया और वह उसके गाल चूमता हुआ अब उसके होंठ चूसने लगा। उसके हाथ उसकी पीठ , नंगी कमर से होता हुआ उसके बड़े। बड़े चूतरों तक जा पहुँचा था। अब वह उसकी गाँड़ की गोलाइयों को नाप रहा था। ये सब देखकर मालिनी की हालत ख़राब होने लगी।
उसे मन ही मन जलन की भावना से भर गई। उसे ख़ुद पर हैरानी हुई कि वह इस तरह से क्यों सोच रही है।

मालिनी: अच्छा तो मैं चलती हूँ। दीदी आप चाय पीयोगि क्या?

रेणु अपने आप को छुड़ाकर बोली: हाँ ज़रूर पियूँगी। चलो बनाते हैं। फिर राजीव को बोली: आप बैठो हम चाय लाते हैं।

वो दोनों किचन में चली गयी। मालिनी: आपको तो पापा जी बहुत प्यार करते हैं ।

नूरी: तुम अपना बताओ कि तुम दोनों के बीच क्या चक्कर है? अंकल को जहाँ तक मैं जानती हूँ वो तुम्हारे जैसे हॉट और मस्त माल को छोड़ने वाले हैं नहीं। चुदवा चुकी हो क्या उनसे?


मालिनी उसकी बात सुनकर सन्न होकर बोली: ऐसा कुछ नहीं है। मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूँ।

नूरी: तो क्या मैं नहीं करती अपने पति से प्यार। वो मुझे भी प्यारे हैं। पर उनको बच्चा भी चाहिए इसलिए मैं इनके पास आयीं हूँ। अब वो मुझे अभी तुम्हारे घर में चोदेंगे और तुम्हारी जानकारी में ही। इसका मतलब तो ये हुआ ना कि तुम दोनों का रिश्ता ससुर और बहु से कुछ आगे का भी है। क्या कहती हो?

मालिनी: ऐसा कुछ नहीं है। वो मेरे को बोले कि तुमको उनकी मदद चाहिए तो मैंने आप दोनों की मदद कर दी। बस इतना ही है। और कुछ नहीं।
 

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