Incest ससुर कमीना और बहू नगीना:- 2(completed)

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थोड़ी देर दोनों चुप बैठे थे और सरला सोच रही थी कि शिवा को सिडयूस करना कोई मुश्किल नहीं होगा ऐसा लगता है। रंजू की बातें उसकी कान में गूँज रहे थे कि उसका हथियार बहुत मस्त है। अब सरला अपनी बुर खुजा बैठी।
कार में स्टेरीओ म्यूज़िक बज रहा था। तभी उसमें फ़ोन की घंटी बजी। रंजू ने अपना फ़ोन ब्लूटुथ मोड में रखा था। वो अपना फ़ोन में कॉल रिसीव की और बोली: हाय मेरी जान। क्या हाल है। वह सरला को आँख मारी और धीरे से बोली: मेरा वाला है।
लड़का: हाय मेरी आंटी जी आप कैसी है और कहाँ हैं ?
रंजू: बस आधे घंटे में घर पहुँच जाऊँगी। तुम कहा हो?
लड़का: मैं कोल्लेज में हूँ और थोड़ी देर में घर आऊँगा आंटी एक मदद चाहिए।
रंजू: हाँ हाँ बोल ना।
लड़का: आंटी जी, मुझे दो हज़ार चाहिए। थोड़ा ज़रूरी काम है।
रंजू: ठीक है ले लेना। वैसे कब मिल सकता है? आज बहुत याद आ रही है? वो अपनी बुर खुजा दी।
लड़का: आंटी एक घंटे में आऊँ क्या? अंकल टूर से वापस आ गए क्या?
रंजू: अरे अभी दो दिन बाद आएँगे। तू आजा ख़ूब मज़े करेंगे। ठीक है ना?
लड़का: जी आंटी आता हूँ। मेरा तो आपकी आवाज़ सुनकर ही खड़ा हो गया है। आज तीन बार करेंगे। ठीक है ना? अलग अलग पोज में। आऽऽहहह।
रंजू: जान लेगा क्या ? तीन बार? मेरी तो दो बार ही में फट जाती है। बस दो बार बहुत है समझा बदमाश लड़के?
लड़का: ठीक है आंटी जैसा आप कहें। पर आंटी जी पैसे मिल जाएँगे ना?
रंजू: अरे मेरा बुढहू कमाता ही किसके लिए है? मज़े कर तू भी उसके पैसे पर और उसकी बीवी से भी । वह ये बोलकर फिर से अपनी बुर खुजाने लगी।
लड़का: अच्छा आंटी फिर आता हूँ एक घंटे में। बाई।
रंजू: बाई मेरी जान। फिर फ़ोन कट गया।
सरला: तो ये है तेरा काल बॉय ? आवाज़ तो काफ़ी भारी है। बिलकुल मर्द जैसे।
रंजू: अरे बदन भी साले का मस्त कड़ा है और हथियार भी मस्त है। चोदता भी बहुत बढ़िया है। तू चाहे तो तेरी भी एक चुदाई करवा दूँ?
सरला: ना बाबा मुझे नहीं करना ये सब ।
तभी वो घर पहुँच गए और वो सरला को उतार कर चली गयी।
सरला घर पहुँचकर बिस्तर पर लेटी और सोचने लगी कि क्या अजीब दिन था आज का। रंजू तो बहुत ही घटिया औरत साबित हुई। और ये शिवा भी देखो ना मज़े से अपना लौड़ा भी चुसवा लिया। मैं उसे सीधा समझती थी। वो कल्पना करने लगी और सोची कि टोयलेट जैसी छोटी सी जगह में वो दोनों क्या कुछ कर पाए होंगे। वह अपनी बुर खुजा बैठी।
तभी शिवा का फ़ोन आया। उसे याद आया कि वो बोला था मम्मी घर पहुँच कर फ़ोन कर देना। वो भूल गयी थी।
सरला: हेलो।
शिवा: मम्मी घर पहुँच गयीं ?
सरला: हाँ पहुँच गयी। सॉरी फ़ोन करना भूल गयी।
शिवा: कोई बात नहीं मम्मी। वैसे एक बात और थी।
सरला: हाँ बोलो ना।
शिवा : मम्मी मुझे माफ़ कर दीजिए । वो आपकी सहेली ज़्यादा ही गरम औरत है। वो मेरे यहाँ वहाँ हाथ डाल रही थी।
सरला: वो जैसी भी थी पर तुमने भी तो उसका साथ दिया?
शिवा: मम्मी क्या बताऊँ आपको? पहली बार मेरे साथ ऐसा हुआ है। सच में किसी को बताइएगा नहीं। प्लीज़ । मालिनी को तो बिलकुल नहीं।
सरला: ठीक है नहीं बताऊँगी उसे।
शिवा: मैं आपको पूरी बात बताऊँगा जब कल मिलूँगा । आंटी बहुत शरारती हैं । सच में मम्मी जी।
सरला: ठीक है बताना जब कल आओगे तो।
शिवा: मम्मी जी आप बहुत अच्छी हैं । थैंक्स। बाई।
सरला: बाई बेटा।
सरला अब कल के बारे में सोचने लगी।
मालिनी मम्मी के फ़ोन के बाद सो गयी। राजीव दोपहर को आया और मालिनी के कमरे में आया और सोती हुई मालिनी को बहुत देर तक प्यार से देखा और फिर बाहर आ गया। किचन में जाकर वो खाना गरम किया और खाना लगाया। फिर वो मालिनी के कमरे में आकर उसके पास बैठ गया। वह उसके सिर और गाल में हाथ फेरने लगा। मालिनी उठी और राजीव को पास देखकर मुस्करायी और उठी। उसने सलवार क़ुर्ती पहनी थी। चुन्नी पता नहीं कहाँ थी। उसकी बड़ी मस्त चूचियाँ राजीव के सामने थी । वह झुक कर उसके गाल चूमा और बोला: बेटा, चलो खाना खा लो। अब तबियत कैसी है । वो उसके चूतरों को सहलाया जहाँ उसको पैंटी और सैनिटेरी पैड का अहसास हुआ। वह बोला: बेटी ये ठीक है ना?
मालिनी: हाँ पापा आज तो पहला दिन ही है। आपको और शिवा को अभी सबर करना पड़ेगा। वो शरारत से मुस्करायी।
राजीव झुककर उसको चूमा और हल्के से उसकी चूचियाँ दबाया और बोला: कोई बात नहीं बेटी। चलो अब खाना खा लो।
मालिनी उठी और फ़्रेश होकर बाहर आयी तो टेबल पर खाना लगा हुआ था। वो बोली: पापा आपने क्यों तकलीफ़ की? मैं लगा देती ना?
राजीव उसे खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया और बोला: बेटा, आज तुम थोड़ी ढीली हो तो एक दिन मैं लगा दिया तो क्या हुआ? चलो आज मैं ही खिलाऊँगा तुमको अपने हाथ से।
मालिनी मुस्कुराकर: पापा आज बहुत रोमांटिक हो रहे हो? सब ठीक है ना?
राजीव उसके गाल चूमकर : बेटी हम तो हमेशा रोमैन्स के मूड में रहते हैं पर तुमको दिखाई नहीं देता। अब वो उसे अपने हाथ से खिलाने लगा। वो उसके गोद में बैठकर उसकी छाती से चिपकी हुई थी। फिर मालिनी ने अपनी गाँड़ हिलाई और कोशिश की कि पापा के लौड़े का कड़ापन महसूस कर सके। पर उसे कुछ महसूस नहीं हुआ।
राजीव मुस्कुराकर : बेटी लौड़ा टटोल रही हो ? वो आराम से मेरे जाँघों के बीच सो रहा है। आज उसे पता है ना कि तुम ढीली हो और वो इस बात को मान चुका है।
मालिनी: पापा आप सच में बहुत अच्छे हैं। आप मम्मी को भी पिरीयड्ज़ के दिनों में तंग नहीं करते थे?
राजीव: बेटी उसको पहले दो दिन तकलीफ़ होती थी। बाद में बस थोड़ा सा ही होता था। तो दो दिन बाद वो लौड़ा चूस देती थी। और गाँड़ भी मरवा लेती थी।
मालिनी: आप मम्मी की गाँड़ भी मारते थे?
राजीव: हाँ मारता था और उसे भी बहुत मज़ा आता था। वो कई बार कहती थी कि जी आपकी साली खुजा रही है। वो बुर को बीवी और गाँड़ को साली कहती थी।
मालिनी: ओह ऐसा?
राजीव: मैंने तुम्हारी मम्मी की भी गाँड़ मारी है। वो भी मज़े से मरवाती है।
मालिनी: ओह , पर शिवा या आप तो जब मेरे पीछे ऊँगली डालते हैं तो मुझे जलन होती है।
राजीव: बेटी, गाँड़ को खोलने की एक कला होती है। जब तुम चाहोगी मैं तुम्हारी गाँड़ खोल दूँगा, पर कम से कम दर्द होगा ये मेरी गारण्टी है।
मालिनी हँसकर: इसका मतलब है कि मेरे एक छेद का उद्घाटन शिवा ने किया और दूसरे का उद्घाटन आप करोगे?
राजीव: बेटा तुम हाँ तो करो। मैं काम में लग जाऊँगा। वो उसे चूमने लगा।
मालिनी मुस्कुराकर: जब देनी होगी तो बता दूँगी। फिर वो बोली: पापा मेरा हो गया। उठ जाऊँ?
राजीव उसे छोड़कर बोला: ठीक है बेटा उठो, मेरा भी हो गया।
मालिनी जब उठी तो राजीव ने उसके चूतरों को सहलाया और बोला: तुम्हारी कुँवारी गाँड़ मारने में मज़ा आएगा।
मालिनी हँसकर सामान उठाकर किचन में जाते हुए बोली: पापा आपके मज़े होंगे और मेरी सज़ा होगी। हा हा ।
फिर वह किचन में चली गयी।
उधर शिवा रात को घर पहुँचा तो वह बहुत गरम था। आज सरला और रंजू की हरकतों ने उसे बहुत उत्तेजित कर दिया था। वह घर आया और मालिनी को कमरे में आते ही पकड़ लिया और बोला: बड़ी हॉट लग रही हो आज।
मालिनी: हॉट? आज तो मेरा मीटर ही डाउन है। जनाब मेरा पिरीयड आ गया है। वैसे आज मैं आपको हॉट क्यों लग रही हूँ?
शिवा हताश होकर बोला: अरे बस लग रही हो तो लग रही हो। चलो कोई बात नहीं।
फिर वह कपड़े उतारा और चड्डी में उसका आधा खड़ा लौड़ा देखकर मालिनी: क्या हुआ बताओ ना? आज बहुत गरम लग रहे हो।
शिवा: अरे कुछ नहीं बस कार में आते हुए तुम्हारे बारे में सोचा और यह खड़ा हो गया। अब इस ग़रीब को क्या पता था कि तुम्हारी रेड लाइट जल रही है। हा हा ।
वह उसे थोड़ी ना कह सकता था की तुम्हारी माँ और उसकी सहेली ने उसका यह हाल किया है। वह फ़्रेश होने बाथरूम में गया और जब बाहर आया तो मालिनी वहाँ बिस्तर पर बैठी थी। वह चड्डी के ऊपर से उसके लौड़े को दबाते हुए बोली: पहले खाना खाएँगे कि यह चूसवाएँगे ?
शिवा हतप्रभ उसे देखा और बोला: आऽऽह जान सच में झड़ने की बहुत इच्छा हो रही है। पहले चूस दो ना। फिर खाना खा लेंगे।
मालिनी मुस्करायी : ठीक है चलिए लेट जाइए।
शिवा लेटा और मालिनी ने उसकी चड्डी उतार दी। अब वो उसके खड़े लौड़े को ऊपर से लेकर नीचे तक सहलाई। फिर उसके बॉल्ज़ को भी अपनी हथेली में लेकर सहलाई। फिर वह झुकी और उसके जाँघ को चुमी और चाटने लगी। फिर वह उसकी जाँघों के जोड़ को चाटी और फिर वो उसकी नाभि को चाटने लगी। अब वो उसके लौड़े के आसपास के हिस्से को चुमी और जीभ से चाटी । शिवा उसको चूसते देखा और मस्ती से उसके गाल सहलाते हुए बोला: उफफफ रानी क्या मज़ा आ रहा है। हाय्यय ।
अब मालिनी उसके लौड़े के सुपाडे को चाटने लगी और उस पर आए हुए प्रीकम को चाट कर मस्ती से सुपाड़ा चूसने लगी। फिर वो बॉल्ज़ भी चूसी और जल्दी ही उसका मुँह लौड़े के ऊपर नीचे होने लगा और उसका हाथ उसके बॉल्ज़ पर घूमने लगा। अब शिवा भी नीचे से आऽऽहहह करके अपनी कमर उठाके उसके मुँह को मानो चोदने लगा। क़रीब दस मिनट चूसते हुए मालिनी अब अपने गालों को अंदर की ओर चिपका कर उसके लौड़े जो ज़बरदस्त घर्षण का आनंद देने लगी। अब शिवा भी ह्म्म्म्म्म्म करके मुँह की चुदाई में लग गया। तभी मालिनी ने अपनी उँगलियाँ नीचे को खिसकाया और उसने शिवा की गाँड़ के छेद में अपनी ऊँगली चलाई और फिर उसे अंदर करने लगी। अभी आधी ऊँगली ही अंदर गयी थी कि शिवा आऽऽऽह करके झड़ने लगा। मालिनी ने उसकी वीर्य की एक एक बूँद गटक ली। वह कमर उछालकर आऽऽऽऽहहह कहकर मालिनी के मुँह में अपना रस गिराए जा रहा था ।
जब मालिनी ने अपना सिर उसकी जाँघ से हटाया तो शिवा उसके मुँह में लगे हुए सफ़ेद गाढ़े रस देखकर मस्ती से भर गया । मालिनी अपना मुँह पोंछकर बोली: अब ठीक है? अच्छा लगा?
शिवा उसको अपनी ओर खींचा और बोला: सच जान तुम लाखों में एक हो। क्या चूसती हो जान? उफफफफ मस्ती छा गयी पूरे बदन में। थैंक यू जान।
मालिनी हँसकर: चलिए अब खाना लगाती हूँ। पापा भी रास्ता देख रहे होंगे।
फिर वो तीनों खाना खाए और सोने चले गए। सोने के पहले शिवा मालिनी को याद दिलाया कि कल वो उसकी मम्मी के घर जाएँगे।
मालिनी बोली : हाँ याद है ।
फिर वो सो गए।

सरला भी करवट बदल रही थी। अभी अभी वो बिस्तर पर आयी थी सोने के लिए। दिन भर की घटनाए उसकी आँखों के सामने किसी फ़िल्म की भाँति घूम रही थीं। वो सोची कि आज जो उसने शिवा का रूप देखा है वो काफ़ी हैरान करने वाला है, वो रंजू के चक्कर में इतनी आसानी से फँस गया। उसे याद आया कि रंजू बोली थी कि वो उसका लौड़ा चूसी थी। और उसने ख़ुद देखा था कि वो कैसे मज़े से रंजू से अपना लौड़ा दबवा रहा था । उफ़्फ़ वह क्या करे? क्या वो अपनी बेटी के पति को फुसला कर ख़ुश हो पाएगी? पर वो सोची कि कोई और चारा भी तो नहीं है उसके पास। उसका कमीना ससुर दूसरी शादी की धमकी दे रहा है। तभी उसे रंजू की बात याद आइ। वो बोली थी कि उफफफ क्या मस्त हथियार है शिवा का ! और भी बहुत कुछ बोली थी वो । शिवा भी तो उन दोनों की चूचियों को देखे जा रहा था। काफ़ी हॉट लड़का है। अचानक उसका हाथ अपनी बुर में चला गया। अब वो एक हाथ से अपनी चूचि दबा रही थी और अपनी नायटी उठाकर अपनी बुर में ऊँगली करने लगी। उसकी आँखें बंद थी और वो सोच रही थी कि शिवा उसे चोद रहा है । वो आऽऽऽहहह करके अपनी उँगलियाँ ज़ोर ज़ोर से चलाने लगी। फिर वो अपनी कमर हिलाकर झड़ने लगी और फिर वो शांत होकर सो गयी। सोने के पहले वो सोची कि पता नहीं कल क्या होने वाला है।
 
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अगले दिन राजीव वॉक से आकर किचन में गया और चाय बनाया। चाय लेकर वह बाहर हॉल में आया। तभी नायटी में मालिनी भी वहाँ आयी और बोली: पापा आप क्यों चाय बनाए?

राजीव मुस्कुराके: बेटी, आज भी तुम ढीली रहोगी ना तो मैंने सोचा कि चाय ही बना दूँ।

मालिनी:पापा आप मेरा कितना ख़याल रखते हो!

राजीव: अरे मेरा इस दुनिया में और कौन अपना है तुम्हारे ,शिवा और महक के अलावा। इन सबमे भी तुम मेरा सबसे ज़्यादा ध्यान रखती हो। तो मेरा भी फ़र्ज़ बनता है ना बेटा।
मालिनी मुस्कुराकर बोली: थैंक यू मेरे प्यारे प्यारे पापा।

मालिनी ने देखा वह जॉगिंग सूट में बहुत फ़िट लग रहे थे। वो बोली: पापा आप इस सूट में मस्त दिखते हो।

राजीव उसको अपनी बाहों में भर कर बोला: और बेटी तुम इस गुलाबी नायटी में गुलाब का फूल लगती हो। अब वह उसके गाल चूमा और फिर अपने होंठ उसके होंठ से चिपका कर बोला: गुड मॉर्निंग बेटा।

मालिनी भी उसकी छाती से अपनी छातियाँ चिपका कर बोली: गुड मोर्निंग पापा। अब वो थोड़ी देर एक दूसरे के बदन का अहसास करते रहे, राजीव सोच रहा था कि ये सेक्स नहीं है शायद रोमैन्स है। वो सोचा कि आजकल मालिनी थोड़ा ज़्यादा ही उसकी ओर आकर्षित हो रही है।

मालिनी बोली: पापा चाय ठंडी हो रही है। दोनों अलग हुए और राजीव उसकी बग़ल में बैठा और चाय पीते हुए उसकी बाँह सहलाने लगा और बोला: तो आज हमको छोड़ कर अपनी मम्मी के पास जाओगी?

मालिनी: वहाँ तो तभी जाऊँगी ना जब ये उठेंगे।

राजीव: क्या मतलब ? क्या शिवा आज देर से उठने वाला है?

मालिनी: हाँ बोले हैं मैं जबतक ख़ुद ना उठूँ मुझे मत उठाना।

राजीव: मतलब तुम लोग १० बजे के पहले नहीं निकल सकते?

मालिनी: जी लगता तो ऐसा ही है।

राजीव: आज तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है वरना हम शिवा के देर से उठने का फ़ायदा उठा सकते थे।

मालिनी शरारत से आँखें मटका कर बोली: कैसे फ़ायदा उठाते?

राजीव: अरे ओरल सेक्स कर लेते और क्या? पर तुम तो रेड सिग्नल चालू करके रखी हो।

मालिनी आँख मारते हुए बोली: आपका भी रेड सिग्नल है क्या वहाँ? वह उसके लौड़े की ओर इशारा करके बोली।

राजीव अपने लौड़े को पैंट के ऊपर से उसको दबाया और बोला: बिचारा सबर कर रहा है। और क्या करे?

मालिनी: अगर बहुत बेचैन है तो मैं इलाज कर देती हूँ। वैसे भी शिवा ने भी रात को चूसवाया था । वो भी बहुत उत्तेजित हो रहा था। आप बोलो तो आपको भी आराम दे देती हूँ।

राजीव की आँखें वासना से लाल हो उठीं। वो सोचा कि बहु अब रँडी बनने की दिशा में क़दम रख चुकी है। वो भी अब लौड़ा चूसने में आनंद लेने लगी है। ये तो बहुत हो बढ़िया मोड़ है हमारे रिश्ते का। वो मुस्कुराया और बोला: बेटा, सच अगर तुमको कोई तकलीफ़ ना हो तो चूस दो ना। बहुत मन कर रहा है। वैसे भी अब तुम पता नहीं रात को वापस आओगी या कल ही आओगी?

मालिनी: पापा आप अपने कमरे में चलो। मैं एक बार शिवा को देख कर आती हूँ।

वह चाय के ख़ाली कप लेकर खड़ी हुई तो राजीव ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसके पेट में अपना मुँह घुसाया और उसके चूतरों को दबाने लगा।वहाँ पैंटी को छूकर उसने पैड का अहसास किया और बोला: बेटा पिरीयड्ज़ में ज़्यादा तकलीफ़ तो नहीं है ना?

मालिनी उसके गाल चूमकर बोली: नहीं पापा ठीक ही है।

फिर वह उसकी चूचियों को हल्के से दबाया और बोला: ठीक है बेटा मैं कपड़े उतार कर तुम्हारा इंतज़ार करता हूँ। जल्दी आओ।

मालिनी मुस्कुराती हुई हाँ करके चली गयी।

थोड़ी देर बाद वो पूरा नंगा होकर बाथरूम में गया और फ़्रेश होकर आकर बिस्तर पर नंगा ही लेट गया। वह अपने खड़े लौड़े को सहला रहा था जब मालिनी अंदर आइ और बोली: वो तो घोड़े बेचकर सो रहे हैं। आप आराम से मज़ा ले लो।

राजीव: बेटा नायटी उतार दो ना। तब मज़ा दुगुना हो जाएगा।

मालिनी: पापा आप मुझे ज़्यादा उत्तेजित मत करो। पिरीयड्ज़ में बहुत अच्छा नहीं लगता ।

राजीव: ओके बेटा, तुम ही चूसो और मैं बस आराम से मज़े लेता हूँ।

अब मालिनी ने जैसे रात को शिवा को मज़ा दिया था वैसे ही राजीव को भी देना शुरू किया। जल्दी ही राजीव भी मस्त होकर अपने लौड़े को उसके मुँह में अंदर बाहर करने लगा। मालिनी आज भी अपने गालों को पिचकाकर अपनी जीभ हिलाकर उसको चुसाई का मस्त मज़ा दे रही थी। फिर वो जैसे शिवा के साथ की थी वैसे ही राजीव के साथ भी की और उसके बॉल्ज़ को सहलाकर अपने हाथ को नीचे ले गयी। अब उसने राजीव की जाँघों को पकड़कर उठाने का इशारा किया । राजीव ने अपनी दोनों टाँगें उठा ली जैसे औरत चुदवाने के लिए उठा लेती है । पता नहीं मालिनी को क्या सूझा कि वो उसकी गाँड़ को देखकर मस्त हो उठी और वहाँ जीभ से उसके गाँड़ के छेद के आसपास के एरिया को चाटने लगी। फिर वो छेद को भी चाटी और वहाँ ढेर सारा थूक लगा दी। ये करते हुए वह उसके लौड़े को मूठिया भी रही थी। फिर उसने २ उँगलियो को उसकी गाँड़ में डाला और अंदर बाहर करने लगी। साथ ही अब फिर से लौड़ा भी चूसने लगी। उफ़्क्फ़्फ़्फ़ राजीव चिल्लाया और आऽऽहहह करके उसने अपना वीर्य मालिनी के मुँह में छोड़ना शुरू किया।वो उसे पीती और गटकती चली गयी। मालिनी उठके बाथरूम में गयी और साफ़ करके बाहर आयी। राजीव उसको अपने पास बुलाया और उसको अपने ऊपर गिराकर चूमने लगा। मालिनी भी उसे चूमने लगी। अब राजीव उसकी पीठ सहलाते हुए बोला: बेटा, आज तो तुमने चूसने में अपनी मम्मी को भी मात दे दी। ये मेरी गाँड़ में ऊँगली डालने का विचार कैसे आया?

मालिनी हँसकर बोली: पापा कल मैंने शिवा के साथ भी यही ट्राई किया था और उनको बहुत मज़ा आया था। इसलिए आज आपके साथ भी कर लिया । वैसे सीखीं तो मैं आपसे ही हूँ। आप मेरी गाँड़ में ऊँगली डालते है तो मैंने सोचा कि मैं भी आपकी गाँड़ में डालूँ।

राजीव हँसकर: वाह हमारा हथियार हम पर ही आज़मा लिया। शाबाश बेटा। फिर उसकी पीठ पर हाथ फेरकर बोला: बेटा अब इतने आगे बढ़ गयी हो तो चुदवा भी लो ना? इसमे क्या जाएगा?

मालिनी: पापा आपको लगता है कि मैं अब आपसे चुदें बिना रह पाऊँगी? मैं बस अपने आप को तय्यार कर रही हूँ कि मैं शिवा से बेवफ़ाई कर सकूँ। वैसे पापा मुझे आपसे एक और बात करनी थी ।

राजीव : हाँ हाँ करो ना, पर अपनी नायटी उठा दो ताकि मैं तुम्हारे मस्त चूतरों को सहला सकूँ।

मालिनी हँसती हुई उठी और अपनी नायटी उठा दी और फिर से उसके नंगे बदन पर लेट गयी और बोली: पापा इस बार मुझे बहुत उम्मीद थी कि मेरा पिरीयड नहीं आएगा और मैं प्रेगनेंट हो जाऊँगी पर ऐसा नहीं हुआ। मैं थोड़ा सा दुखी हूँ। क्या मुझे अपना चेक अप करना चाहिए ?

राजीव के हाथ अब उसके नंगे चूतरों को सहला रहे थे और पैंटी उसके हाथ में छू रही थी। वो मस्त होकर बोला: बेटा, मुझे नहीं लगता कि तुम दोनों में कोई कमी है। मगर चाहो तो चेक अप करा लो। मैं एक डॉक्टर को जानता हूँ यहीं पास में ही रहती है। कल या परसों जब चाहो करवा लेना।

मालिनी: शिवा को बताऊँ या नहीं? पता नहीं वो क्या सोचेंगे?
 
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राजीव अब उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया और उसके गाँड़ के छेद को सहला कर मज़े से बोला: उफफफ बेटी क्या मस्त गाँड़ है । अब इस कुँवारी गाँड़ का उद्घाटन करना ही पड़ेगा। वह उसमें एक ऊँगली डालते हुए बोला।

मालिनी: उफफफ पापा जलन हो रही है ना। निकालिए बाहर, सूखे ही डाल रहे हो आप तो।

राजीव हँसकर अपनी एक ऊँगली में थूक लगाया और फिर उसने उसकी गाँड़ में डाला और वो उफफफ कर उठी।

राजीव ऊँगली अंदर बाहर करते हुए बोला: अभी मत बताओ शिवा को। रिपोर्ट आ जाएगी तब देखेंगे।

मालिनी: आऽऽऽऽऽह पापा ठीक है अभी नहीं बताऊँगी। परसों का प्लान कर लो आप डॉक्टर का। आऽऽऽहव अब बस करो अब फिर से जलन हो रही है। निकाऽऽऽऽऽऽऽलो प्लीज़।

राजीव ने अपनी ऊँगली निकाली और फिर उसको दिखाकर सूँघने लगा और बोला: आऽऽह बेटा क्या मस्त गंध है।

मालिनी हँसती हुई उसकी छाती में एक मुक्का मारकर बोली: छी गंदे पापा। फिर वह उठकर अपनी नायटी नीचे की और बोली: चलिए अब नाश्ता बनाती हूँ। देखती हूँ कि शिवा का क्या प्रोग्राम है। फिर वह झुक कर उनसे होंठ चुमी और बाहर चली गयी।
वह जब अपने कमरे में जा रही थी तो उसकी गाँड़ में थोड़ी सी जलन हुई। वो सोची कि पापा की ऊँगली से जलन हो रही है तो जब उनका मोटा मूसल अंदर जाएगा तो मेरा क्या हाल होगा। फिर कमरे में पहुँची तो देखा कि शिवा बाथरूम में था और पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी। तभी शिवा पूरा नंगा बाहर आया और तौलिए से मुँह पोंछ रहा था। मालिनी को देखकर वह बोला: वाह जान कहाँ थी?

मालिनी थोड़ी सी हड़बड़ा कर बोली: वो वो किचन में थी। आपके लिए चाय लाती हूँ। तभी शिवा ने उसको जकड़ लिया और बोला: अरे चाय के पहले शहद तो पिला दो । वो अब उसके होंठ चूसने लगा। मालिनी भी उससे लिपट कर होंठ चूसने लगी । मालिनी ने महसूस किया कि उसका लौड़ा खड़ा होने लगा है। अब वह हाथ बढ़ा के उसके लौड़े को सहला दी। शिवा उसकी क़मर सहला कर बोला: उफफफ क्या माल हो जान। क्या रेड सिग्नल करके बैठी हो बहुत मन कर रहा है चोदने को।

मालिनी: बस करिए ना । अब चाय पीजिए फिर तय्यार होकर मम्मी के घर भी जाना है ना।

शिवा: हाँ वो तो जाना है पर थोड़ा इसको शांत कर दो ना।

मालिनी: रात को चूसा था ना। अब फिर रात को चुसवा लेना।
मालिनी सोची कि अभी तो पापा का चूसीं हूँ। अब इनका भी चूसूँ क्या। उसके हाथ में अभी भी उसका लौड़ा था जो कि तना हुआ था।

शिवा: जान एक बार और चूस दो ना, जैसे रात को चूसा था।

मालिनी: आप ज़िद करोगे तो चूस लूँगी। पर ज़्यादा मज़ा आएगा जब रात को आराम से चूसूँगी।

शिवा: ऐसा? चलो ठीक है रात को ही चूस लेना। जाओ अब चाय लाओ। तब तक मैं लूँगी पहनकर बाहर आता हूँ।

मालिनी झुकी और उसके लौड़े का एक चुम्बन ली। फिर वह बाहर चली गयी।

चाय और नाश्ता करके शिवा और मालिनी एक छोटा सा बैग लेकर बाहर जाने को तय्यार हुए।

शिवा: मैं पापा को बोल देता हूँ कि हम निकल रहे हैं। यह कहकर वो आवाज़ लगाया: पापा हम जा रहे हैं।

राजीव बाहर आया और बोला: अच्छा बेटा ध्यान से जाना। फिर मालिनी से बोला: वाह बेटा आज साड़ी में बहुत प्यारी लग रही हो। शिवा इसका ख़याल रखना ।

शिवा: ज़रूर पापा जी। अब चलो देर हो रही है।

दोनों बाहर आए और कार में बैग रखा और अचानक मालिनी बोली: मैं अभी आइ। मैं अपना धूप का चश्मा लेकर आती हूँ। आपको भी चाहिए क्या?

शिवा: हाँ मेरा भी लेते आना। तब तक मैं कार पोंछ लेता हूँ।

मालिनी अंदर आइ और अपने कमरे में जाकर अपना और शिवा का चश्मा ले लिया और जब बाहर आइ तो पापा खड़े थे और उसको बड़े प्यार से देख रहे थे। वो बोला: बेटा मुझसे प्यार करने और बाई करने आइ हो ना? चश्मा तो एक बहाना था ना?

मालिनी आइ और उससे लिपट गई और बोली: हाँ पापा सच में आपको बाई करने ही आयी हूँ। फिर दोनों के होंठ चिपक गए। राजीव के हाथ उसकी नंगी कमर पर चलने लगे थे। फिर वह उसके चूतरों को दबाकर मस्त होकर बोला: बेटी सच में तुमसे दिन भर अलग रहने की कल्पना से ही ख़राब लग रहा है।

मालिनी: पापा मैं भी आपसे अलग नहीं होना चाहती । कोशिश करूँगी कि शाम तक वापस आ जाऊँ।

राजीव: ठीक है बेटा , जाओ पर पहुँच कर फ़ोन करना फिर वह उसको छोड़ा और वो जब दरवाज़े तक पहुँची तो राजीव बोला: बेटी एक बार दिखा दो ना?

मालिनी दरवाज़े तक पहुँच चुकी थी। वो मुड़ी और बोली: पापा क्या दिखाऊँ?

राजीव: बेटा अपनी साड़ी उठा कर एक बार दिखा दो ना? प्लीज़। तुम्हारी छवि मेरी आँखों में बस जाएगी।

मालिनी हँसकर: पापा आपने कई बार तो देखी है। और वैसे भी आज पैंटी और उसमें पैड भी लगा है। क्या दिखेगा?

राजीव: अरे बेटा, तुमको पैंटी में भी देखकर बड़ा सुख मिलेगा।

मालिनी हँसी और बोली: ठीक है पापा जैसी आपकी मर्ज़ी। यह कहकर वो झुकी और अपनी साड़ी को पेटिकोट के साथ ऊपर उठा दी। राजीव की आँखें उसकी मस्त जाँघें और बीच में सुंदर सी गुलाबी पैंटी देख कर मस्त हो गया।

वह बोला: आऽऽऽऽऽह बेटा बहुत मादक है तुम्हारा बदन। अब घूम जाओ और पिछवाड़ा भी दिखा दो।

मालिनी पीछे को घूम गयी और अब उसके मस्त गोल गोल चूतर उसकी आँखों को मदमस्त कर रहे थे। पैंटी उसकी गाँड़ की दरार में फँसी हुई थी। फिर वो बोली: पापा बस अब जाऊँ?

राजीव: आऽऽह क्या माल हो बेटा तुम? कब चुदवाओगी ? ठीक है जाओ। बाई।

उसने साड़ी नीचे की और उसे ठीक किया और मुड़कर बोली: पापा बाई। और हँसते हुए भाग गयी। वो बाहर आकर कार में बैठी और दोनों शिवा की ससुराल के लिए निकल पड़े ।

उधर सरला को भी रात भर ठीक से नींद नहीं आइ। वो अच्छे और बुरे के संशय में परेशान थी। क्या वो शिवा के साथ ये सब करके अन्याय नहीं कर रही थी। वो सुबह के काम से निपट कर नहाने गयी। उसने अपने कपड़े उतारे और ख़ुद को पूरी नंगी शीशे में देखकर सोची कि अभी भी मुझसे दम है किसी भी मर्द को अपने बस में करने का। उसने नीचे देखा और वहाँ अपनी बुर के आसपास की झाटों को देखकर सोची कि पता नहीं शिवा को ये बाल पसंद आएँगे या नहीं। उसने वीट लगाया और अपनी बुर के आसपास के बालों को रुई से साफ़ किया। सफ़ाई करते हुए उसे याद आया कि कैसे उसके पति कभी उसको ये काम ख़ुद नहीं करने देते थे । वह ख़ुद ही उसे बिस्तर पर लिटाकर उसकी झाँटें साफ़ करते थे । सच वो बहुत मिस कर रही थी आज अपने पति को। तभी उसका फ़ोन बजा। वो बाहर आयी नंगी ही और फ़ोन सुनी: हेलो।

राजीव: हेलो जान। शिवा और मालिनी निकल गए हैं यहाँ से। देखो अच्छा मौक़ा है। कुछ काम को आगे बढ़ा लेना।

सरला: हाँ पूरी कोशिश करूँगी। मेरी कोशिश होगी कि मालिनी अपने भाई और श्याम के बच्चों में उलझी रहे और मैं शिवा के साथ कुछ कर पाऊँ।

राजीव: ऐसे कपड़े पहनना कि तुम्हारे दूध उसे दिखें। वो उस दिन भी तुम्हारे दूध ही देखे जा रहा था। क्या पहनोगी आज?

सरला: अभी तय नहीं किया है। साड़ी का ही सोच रही हूँ और साथ में स्लीवलेस ब्लाउस पहनूँगी। ठीक है ना?

राजीव: ठीक रहेगा जान। पैंटी नहीं पहनना। तुम्हारे मादक चूतरों को देखकर ही वो पागल हो जाएगा।

सरला: ठीक है। अब तैयार होती हूँ।

राजीव: अभी क्या नायटी में हो?

सरला हँसकर: अभी तो नंगी हूँ, नहाने जा रही थी कि फ़ोन बज गया और मैंने बाहर आके उठा लिया।

राजीव: वाह नंगी हो तो जान एक बार दिखा दो ना। मैं विडीओ कॉल करूँ?

सरला: कर लो ,वैसे भी मैंने आपके बेटे के लिए अभी अपने नीचे के बाल की सफ़ाई की है। हा हा।

अब राजीव ने फ़ोन काटा और विडीओ काल किया। अब राजीव ने सरला का चेहरा देखा और कहा: आह आज कितने दिनों के बाद तुमको देखा है। बहुत सेक्सी लग रही हो। अब कैम नीचे करो और अपनी मस्तानी चूचियाँ दिखाओ।

सरला ने फ़ोन नीचे किया और राजीव उसकी चूचियाँ देखकर बोला: आऽऽऽह ये तो और भी मदमस्त करने वाली हो गयीं हैं। क्या ४० से भी बड़ीं हो गयीं हैं मेरी जान।

सरला हँसकर: आप बहुत मज़ाक़िया हो। अभी भी ४० की है मेरी ब्रा। वह अपनी चूचियाँ दबाकर बोली।

राजीव: उफफफफ क्या कर रही हो जाऽऽऽऽऽऽंन। वह अपना लौड़ा मसलकर बोला: अब अपनी बुर दिखाओ ना।
 

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