Incest ससुर कमीना और बहू नगीना:- 2(completed)

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सरला: आपने तीन लड़कियाँ कहीं, दो और कौन थीं?
राजीव: असल में सारिका जो कि तुम्हारी उम्र की थी अपनी बहू जूली को जब मुझे चुदवा कर माँ बना ली तो ये बात उसने एक औरत को बताई जो कि अपनी बेटी के माँ ना बन पाने के कारण परेशान थी। उस औरत का नाम आयशा था और उसकी बेटी का नाम नूरी था।
सरला: ओह फिर क्या हुआ? वो अब राजीव के लौड़े को सहलाने लगी थी। राजीव ने भी उसके ब्लाउस के ऊपर से उसकी चूचि दबायी और बोला: सारिका और आयशा एक क्लब की मेमबर थीं। वहाँ आयशा ने अपना दुखड़ा सुनाया कि उसके बेटी के ससुराल वाले उसको ताने मारते हैं कि वो बाँझ है और उसकी दूसरी शादी की धमकी देते हैं। जबकि उसकी बेटी में कोई कमी नहीं है। वो लोग उसके पति का चेकअप भी नहीं करवा रहे हैं।
सरला: ओह फिर ?
राजीव: आयशा की बात सुनकर सारिका उसे मेरे बारे में बतायी और आयशा अपनी बेटी से बात की और वह मुझसे चुदवा कर मॉ बनने तो तय्यार हो गयी। इसी सिलसिले में सारिका आयशा को लेकर मेरे पास मेरे दोस्त के ख़ाली फ़्लैट में आयी। वहीं मैं उनका इंतज़ार कर रहा था। सारिका और आयशा अंदर आइ। सारिका ने मुझे पहले फ़ोन पर बता दिया था कि वो आयशा को बता दी है कि वो भी मुझसे चुदवाती थी। इसलिए मैंने सारिका को अपनी बाहों में लेकर चूम लिया। वह। भी मुझसे चिपक गयी। आयशा ये सब देखकर शर्मा रही थी।
सरला: आप उस औरत के सामने ही सारिका से चिपक गए। ये कहकर वह राजीव के लौड़े को दबाई और वह अब खड़ा होने लगा था। फिर वो पूछी: फिर क्या हुआ?
राजीव: फिर मैं सारिका से अलग हुआ और वो मेरा परिचय आयशा से करवाई। आयशा एक गोरी दुबली औरत थी और उसने सलवार कुर्ता पहना था। वह चेहरे से सुंदर थी और उसकी छातियाँ भी उसके दुबले शरीर के लिहाज़ से काफ़ी बड़ी थीं जो डुपट्टे के नीचे से झाँक रही थीं।हम सब बैठे और सारिका ने आयशा के बारे में बताया कि वो एक आर्मी ऑफ़िसर की बीवी है और उसकी बेटी नूरी शादी के ५ साल भी माँ नहीं बन पा रही है और जैसे आपने मेरी बहू को माँ बनाया है वह भी अपनी बेटी नूरी को मुझसे गर्भवती करवाना चाहती है।
सरला: वाह आपके तो मज़े ही मज़े हो गए होंगे?
राजीव: हाँ , मैंने पूछा कि नूरी की उम्र क्या है? वो बोली कि २६ साल की है। मेरा लौड़ा जींस के अंदर खड़ा होने लगा। और मेरी पैंट के ऊपर से उसको दबाया। मैंने देखा कि आयशा और सारिका की आँखें मेरे लौड़े पर ही थी।
सरला: हाय बड़े बेशर्म हो आप? फिर क्या हुआ?
राजीव: अब तुम मेरा लौड़ा चूसो और बीच में नहीं बोलना तो मैं पूरी कहानी सुनाऊँगा।
सरला ख़ुशी से उसका लौड़ा चूसने और चाटने लगी और राजीव ने बोलना चालू किया---------

मैं: नूरी मान गयी है इसके लिए?
आयशा : हाँ वो मान गयी है।
मैं: फिर ठीक है, तो आज ही उसे ले आना था? मैंने अपना लौड़ा मसल कर कहा।
आयशा: जी मैं पहले आपसे मिलकर ये देखना चाहती थी कि आप कैसे हैं, वगेरह । आख़िर मेरी बेटी का सवाल है ।
मैं अपना लौड़ा दबाते हुए बोला: आपने मुझे देख लिया अब आपका क्या इरादा है?
आयशा: जी मैं कल उसे ले आऊँगी।
मैं मुस्कुराकर: पर आपने मेरी असली काम की चीज़ तो देखी नहीं है, जिसकी मदद से आपकी बेटी माँ बनेगी?
आयशा झेपकर: उसकी कोई ज़रूरत नहीं है।
मैं: पर मुझे तो आपको दिखाना ही होगा ताकि बाद में आप कोई शिकायत ना करो। ये कहते हुए मैंने अपनी जीन के बटन खोले और ज़िपर नीचे किया और अपनी जीन बैठे बैठे ही नीचे कर दी।अब मेरी चड्डी में खड़ा हुआ लौड़ा उनके सामने था। आयशा उसे ग़ौर से देख रही थी। इसके पहले कि वह कुछ और सोच पाती मैंने अपनी चड्डी भी नीचे कर दी और जींस और चड्डी मेरे पैरों पर आ गयी और मेरे नीचे का पूरा हिस्सा नंगा उन दोनों औरतों के सामने था।
आयशा की तो जैसे आँखें ही फट गयीं , वो बोली: इतना बड़ा?
मैंने उसे सहलाया और आयशा को दिखाकर बोला: अरे ऐसा कोई बड़ा नहीं है , सारिका तो बड़े आराम से ले लेती है। क्यों सारिका?
सारिका: हाऽऽय सच में बहुत मस्त मज़ा देता है। इसको मैं बहुत मिस करती हूँ।
मैंने देखा की आयशा सबकी नज़र बचा कर अपनी सलवार से बुर को खुजा रही थी। मैं मन ही मन मुस्कुराया।
मैं: आओ ना सारिका एक बार चुदवा लो इसके बाद आयशा को भी मज़ा दे देंगे।
सारिका: आह नहीं मुझे यूरीनरी इन्फ़ेक्शन हो गया है, अभी मैं नहीं ले सकती आपको भी इन्फ़ेक्शन हो जाएगा।
मैं: ओह फिर इसका क्या होगा? मैंने लौड़ा दबाकर कहा|
सारिका: चूस दूँ क्या?
मैं: अरे इसे मुँह से ज़्यादा बुर की ज़रूरत है। आयशा तुम ही अपनी बुर से दो ना।
आयशा एकदम से चौक गयी और इस तरह की भाषा से भी वह हड़बड़ा गयी।
वह: नहीं नहीं ये कैसे हो सकता है? मैं शादी शूदा हूँ और मैं तो यहाँ अपनी बेटी की मजबूरी के वजह से ही आयी हूँ।
मैं: अरे तो ये तो देख लो कि मैं तुम्हारी बेटी को कैसे चोदूँगा । तुम पर प्रैक्टिकल कर के बता देता हूँ।
आयशा: नहीं नहीं इसकी कोई ज़रूरत नहीं है।
तब मैं खड़ा हो गया और अपने पैरों से पैंट और चड्डी निकालकर सोफ़े पर बैठी आयशा के पास आकर उसके मुँह के पास अपना लौड़ा लहराकर उसके होंठों से अपना लौड़ा छुआ दिया।
वह एक मिनट के लिए सिहर गई और अपना मुँह पीछे कर लिया। अब मैं झुका और उसकी छातियों को कुर्ते के ऊपर से दबाने लगा और उसके होंठों पर अपना होंठ रखकर उनको चूसने लगा। वह मुझसे अलग होने के लिए छटपटाने लगी। मैंने अब भी उसकी छाती को दबाना जारी रखा। अब मैंने सलवार के ऊपर से उसकी बुर भी दबाने लगा। मैंने देखा कि उसकी सलवार नीचे से गीली थी।
अब उसका विरोध कम होने लगा था। तभी सारिका उठकर आयी और बोली: आयशा क्यों मना कर रही है, चुदवा ले ना , मैं ठीक होती तो मैं ही इसका मज़ा ले लेती। सारिका मेरे लौड़े को सहलाकर बोली।
अब आयशा ने मानो सरेंडर कर दिया। वह मेरा विरोध बंद कर दी। अब मैंने उसको अपनी बाँह में उठा लिया किसी बच्चे की तरह और जाकर बेडरूम में बिस्तर पर लिटा दिया। सबसे पहले मैंने अपनी शर्ट उतारी और पूरा नंगा हो गया। मैंने उसकी आँखों में अपने कसरती बदन के लिए प्रशंसा के भाव देखे। तभी मैंने देखा कि सारिका भी वहाँ खड़ी थी।
मैंने सारिका से कहा: तुम क़ुरती उतारो मैं सलवार उतारता हूँ। वह मुस्कुरा कर मेरा साथ देने लगी। जल्दी ही वह अब ब्रा और पैंटी में थी। पूरी तरह स्वस्थ बदन कोई चरबी नहीं। मज़ा आ गया देखकर। फिर मैं उसके ऊपर आकर उसके होंठ चूसने लगा और वह भी अपना हाथ मेरी कमर पर ले आयी और मेरी पीठ सहलाने लगी ।
अब मैंने उसकी ब्रा के हुक खोले और उसकी ३४ साइज़ की चूचियाँ दबाने और चूसने लगा। वह मस्ती से आहबह्ह्ह्ह्ह्ह कर उठी। फिर मैंने उसके पेट को चूमते हुए उसकी गीली पैंटी उतारी और उसे सूँघने लगा। वह शर्माकर मेरी हरकत देख रही थी।
मैंने उसकी जाँघों को सहलाया और चूमा और फिर उसकी जाँघें फैलाके उसकी ४७ साल की बुर को देखा। पूरी चिकनी बुर थी और साफ़ दिख रहा था कि अच्छेसे चुदीं हुई बुर है। उसमें से गीला पानी निकल रहा था। मैंने झुक कर उसे चूमा और जीभ से कुरेदने लगा। वह उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽ कर उठी। मैंने समय ख़राब किए बग़ैर अपना लौड़े का सुपाड़ा उसकी बुर के छेद में रखा और वह कांप उठी और बोली: आऽऽऽऽह धीरे से डालिएगा। आपका बहुत बड़ा है , मैंने इतना बड़ा कभी नहीं लिया है।
मैं: सच क्या तुम्हारे पति का छोटा है?
वो: उनका नोर्मल साइज़ का है पर आपका तो ज़्यादा ही बड़ा है और मोटा भी बहुत है ।
मैं: ठीक है मैं धीरे से शुरू करूँगा।
अब मैं धीरे से सुपाड़ा दबाया और वह उसकी बुर में धँसता चला गया। वह हाऽऽऽऽऽऽऽय्य कर उठी।
मैं : अरे तुम तो इसमे से नूरी को भी बाहर निकाली हो इसलिए कोई समस्या नहीं होगी।
वो: नूरी सिजेरीयन से हुई थी।
सारिका: अरे मुझे भी पहली बार इनका लेने में थोड़ी तकलीफ़ हुई थी पर बाद में कोई समस्या नहीं थी और मज़ा ही मज़ा किया।
अब आयशा के होंठ चूसते हुए और उसकी चूचियाँ दबाते हुए मैंने अपना लौड़ा अंदर करना शुरू किया। आधा लौड़ा अंदर जा चुका था और तभी मैंने ज़ोर से धक्का मारा और पूरा लौड़ा अंदर जड़ तक समा गया। वह अब हाऽऽऽऽऽय्य्य्य्य मरीइइइइइइइइइइइ कहकर थोड़ी सी छटपटाई और फिर शांत हो गयी। मैं भी रुककर उसके होंठ चूसता रहा और चूचियाँ भी चूसने लगा। निपल्ज़ को दबाने से उसकी मस्ती वापस आने लगी और जल्दी ही वह ख़ुद कमर हिलाकर मुझे इशारा कि चलो अब मुझे चोदो।
पर मैं उसके मुँह से सुनना चाहता था सो बोला: रानी मज़ा आ रहा है कि नहीं।
वो: आऽऽऽह हाँ आ रहा है।
मैं: तो चोदूँ अब?
वो : हाऽऽऽऽक्ययय हाँ।
मैं: हाँ क्या करूँ? साफ़ साफ़ बोलो।
वो: उइइइइइइइओ आऽऽऽऽह चोओओओओओओओओदो मैं मुस्कुराकर अब ज़ोर से चुदाई में लग गया और मेरे धक्कों से पलंग बिचारा भी कराह उठा और चूँ चूँ करने लगा। सारिका वहाँ पलंग पर बैठ कर चुदाई का मज़ा ले रही थी, और अपनी बुर सहला रही थी।
अब आयशा भी अपनी गाँड़ उछालकर चुदाई में मेरा साथ देने लगी। हम दोनों पसीने से भीग गए थे और तभी वो और मैं दोनों एक साथ चिल्लाए : हाऽऽऽऽऽऽय्य मैं झड़ीइइइइइइइइइइइइ और मैं भी ह्म्म्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा। वो चिल्लाई: मेरे अंदर मत गिराना।
मैंने समय रहते उसे निकाला और उसके दूध पर अपना वीर्य गिराने लगा और फिर उसके मुँह की तरफ़ भी अपना लौड़ा किया और उसका मुँह खुला और उसके अंदर मेरे वीर्य की एक पिचकारी चली गयी। वह उसे निगल गयी। अब मैंने अपना लौड़ा उसके मुँह में ठूँस दिया और वह प्यार से उसपर लगा वीर्य चाटने लगी और फिर चूस कर और चाट कर मेरे लौड़े को साफ़ कर दी। उसने अपनी छातियों के ऊपर गिरा वीर्य भी ऊँगली में लिया और चाटने लगी।
सारिका: मज़ा आया आयशा?
आयशा शर्माकर: हाँ बहुत मज़ा आया। सच में नूरी को बहुत मज़ा मिलने वाला है। पहली बार तो उसको लेने में थोड़ा दर्द होगा पर बाद में मज़े करेगी। वैसे इनका जूस भी बहुत गाढ़ा और स्वाद है। वह अपनी ऊँगली चाट कर बोली।
मैं: नूरी के साथ तुम भी आ जाना और मज़े कर लेना माँ बेटी दोनों एक साथ। बिर्य उसके अंदर डालूँगा और चुदाई दोनों की करूँगा। बोलो ठीक है ना ?
आयशा: नहीं नहीं आप उसे नहीं बताना कि मैं आपसे करवा चुकी हूँ वरना उसे बुरा लगेगा।
मैं: एक बात बताओ, तुम दोनों क्लब जाती हो माडर्न हो और ज़रूर बाहर भी मुँह मारती होगी।
वो दोनों एक दूसरे के देखने लगीं।
सारिका: अब आपसे क्या छिपाना , हाँ हम शादी के बाहर भी मज़े ले रहे हैं। मेरा तो आपको पता ही है।
आजकल घर का घर में ही चल रहा है।मैं और बहू दोनों मेरे बेटे से चुदवा रही हैं। तुम भी बता दो आयशा या मैं बोलूँ?इसका पति तो आर्मी में है यहाँ कम ही रहता है।
आयशा: मैंने भी घर का घर में ही इंतज़ाम किया हुआ है। मेरा एक २२ साल का नौकर है वही मुझे मज़ा देता है। मैंने उससे बेटी को नहीं चूदवया क्योंकि वह काला है और मुझे गोरा बच्चा चाहिए। सारिका मुझे बतायी थी कि आप बहुत गोरे हैं इसीलिए आपके पास आयी हूँ।
मैं: ओह तो तुम दोनों मज़े से चुदवा रही हो। बिलकुल सही है अगर मर्द मज़ा ना दे पाएँ तो क्या किया जाए।

आयशा बोली: अब मैं बाथरूम जाती हूँ।
 
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फिर हम सब अपने घर चले गए। नूरी की चुदाई का कार्यक्रम अगले दिन १२ बजे दिन का बना था।
यह कहकर राजीव बोला: आऽऽऽऽऽऽहहह क्या चूस रही हो। हाऽऽय्य्य्य्य मैं गयाआऽऽऽऽऽऽ । और वह उसके मुँह में झड़ने लगा। सरला ने एक बूँद भी बाहर गिरने नहीं दिया और पूरा वीर्य गटक गयी। फिर सरला ने उसके लौड़े को बड़े प्यार से चाटकर साफ़ किया।
राजीव बड़े प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा।
राजीव: चलो खाना खाते हैं उसके बाद हम दुकान चलते हैं।
सरला: नीरू की चुदाई का क़िस्सा नहीं सुनाओगे?
राजीव: फिर कभी , वैसे उसमें कुछ ख़ास नहीं है ।वह मुझसे चुदीं और एक महीने में माँ बन गयी। प्यारी लड़की थी मज़े से चुदवाती थी।
फिर दोनों खाना खाकर शिवा से मिलने दुकान की ओर चल पड़े।
उधर शिवा खाना खाकर मालिनी को फ़ोन किया।
शिवा: मालिनी, कैसी हो?
मालिनी: ठीक हूँ , आप मम्मी से मिले क्या?
शिवा: नहीं तो वो यहाँ हैं क्या?
मालिनी: हाँ आपके पापा से मिलने गयी हैं।
शिवा: सिर्फ़ मेरे पापा तुम्हारे नहीं?
मालिनी: सॉरी मेर भी पापा हैं।
शिवा : मैं अभी फ़ोन करके पूछता हूँ कहाँ है दोनों?
तभी उसने देखा कि सरला और राजीव अंदर आ रहे हैं।
वो: अरे वो दोनों आ गए हैं। मैं बाद में फ़ोन करता हूँ।
बाई।
मालिनी: बाई।
शिवा ने देखा कि उसकी सास काली साड़ी में बहुत सुंदर लग रही थी। उसे लगा कि पापा का हाथ शायद उनके हिप्स पर थे, पर वह पक्का नहीं था।
शिवा आगे बढ़ा और अपनी सास के पैर छूये ।सरला ने उसे झुक कर उठाया और अपने गले से लगा ली। सरला की साड़ी का पल्लू गिरा और शिवा के सामने उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ थीं, गोरी और आधी ब्लाउस के बाहर ,मोटे चूचे । उसे अचानक याद आया कि वह उसकी सास है तो वो झेंपकर अपनी आँखें वहाँ से हटाया। सास के गले लगने पर उसके बदन की गंध और उसके बड़े चूचे जो उसकी छाती से थोड़ी देर के लिए ही सटे उसे बेचैन कर दिए।
अब वो सब काउंटर के पीछे बने ऑफ़िस में बैठे और चाय पीने लगे।
शिवा चाय पीते हुए बोला: मम्मी आप वापस जाओगी क्या आज? या रात रुकोगी?


सरला: अरे बेटा बस अभी वापस जाऊँगी। मेरा काम तो हो गया है। मैं तो समधी जी की अहसान मंद हूँ कि उन्होंने मेरी ज़ेवर को लेकर पूरी परेशानी को दूर कर दिया है।

राजीव: अरे सरला जी, सब कुछ इन बच्चों का ही तो है । शिवा , मालिनी और महक का।
सरला: महक और उसके पति कब तक आएँगे?
शिवा: पापा, मेरी महक दीदी से बात हुई है वह अकेली ही आएँगी शादी में । जीजा जी नहीं आ पा रहे हैं।
सरला: सगाई में भी वो रहती तो अच्छा होता।
शिवा: अरे USA से आना कौन सी छोटी बात है।
सरला: हाँ ये तो है। वो वहाँ जॉब करती हैं क्या?
राजीव: हाँ वो और दामाद दोनों बैंक में जॉब करते हैं।
अब दुकान पर आइ हो तो एक साड़ी अपने लिए और एक बहू के लिए पसंद करिए।
सरला: नहीं नहीं आप पैसे नहीं लोगे और मुझे बड़ा अजीब लगता है।
शिवा: मम्मी अपनी ही दुकान है, आप ऐसा मत बोलिए।
फिर शिवा सरला को साड़ी के काउंटर पर ले गया और सरला साड़ी का सिलेक्शन करके अपने ऊपर रख कर देखने लगी। शिवा ने देखा कि इस दौरान उसका पल्लू बार बार गिर जाता था। और शिवा के सामने उसकी भारी छातियाँ आ जाती थीं। वह थोड़ा बेचेंन होकर दूसरी तरफ़ देखने लगता। तभी सरला ने शीशे के सामने एक साड़ी लपेट कर अपने पिछवाड़े को देखा कि कैसी लगती है साड़ी। क्या दृश्य था शिवा का लौड़ा कड़ा होने लगा। क्या उभार था गाँड़ का आऽऽऽऽह। वो सोचा कि मम्मी इस उम्र में भी मस्त माल है।
फिर वह अपने को कोसने लगा कि छि कितनी गंदी बात है। मालिनी को कितना ख़राब लगेगा अगर उसे भनक भी मिल गयी उसके विचारों की।
सरला: ठीक है बेटा ये ही रख लूँ ना? तुम्हें कैसी लगी?
शिवा हकलाकर: जी जी अच्छी है। आप ये भी रख लीजिए। यह कहकर उसने एक पैकेट सरला को दिया।
सरला: ये क्या है?
शिवा: मालिनी की साड़ी, मैंने पसंद की है।आप उसे दे दीजिएगा।
सरला: अभी सगाई भी नहीं हुई और ये सब शुरू हो गया?
शिवा झेंप कर: क्या मम्मी जी आप भी मेरी टाँग खींच रही हैं।
उधर श्याम का फ़ोन राजीव को आया।
श्याम: क्या हाल है।
राजीव : बढ़िया।
श्याम: दोनों काम हो गए?
राजीव: हाँ सरला ने ज़ेवर पसंद कर लिए हैं। और कौन सा दूसरा काम?
श्याम: अरे उसे पटाने का काम और क्या?
राजीव हँसते हुए: हाँ यार वह भी हो गया। और बहुत अच्छे से हो गया। मैंने उसके तीनों छेदों का मज़ा ले लिया। क्या माल है यार।
श्याम: यार बड़े बदमाश हो जो इतनी जल्दी से इतना मज़ा ले लिए।
राजीव हँसते हुए: अपना काम तो ऐसा ही है।
श्याम: अरे भाई अब उसको वापस तो भेजो या वहाँ ही रात भर रख कर ठोकने का इरादा है?

राजीव कमिनी हँसी हँसकर : यार मन तो यही कर रहा है पर क्या किया जाए। वापस भेजता हूँ उसे । चलो फिर बात करेंगे।
 
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फिर राजीव शिवा और सरला के पास आया और बोला: चलो सब काम हो गया? श्याम का फ़ोन आया था , कह रहा था कि सरला जी को जल्दी से भेज दो। सो ,चलो अब मैं आपको बस अड्डे तक छोड़ आता हूँ।
सरला ने शिवा को गले लगाया और उसका माथा चूमा और राजीव के साथ साड़ियों के पैकेट लेकर कार में बैठी और कर बस अड्डे को चल पड़ी।
सरला: श्याम भाई सब क्या बोले?
राजीव: वो पूछ रहा था कि सरला की चुदाई कर दी ना?
सरला: छी क्या बोल रहे हैं? वो ऐसा कभी नहीं पूछेंगे। आपने क्या बात दिया।
राजीव: हाँ मैंने बता दिया किहमारे सम्बंध अब बहुत मधुर हो गए हैं। आज मैंने तुम्हारे तीनों छेदों का मज़ा ले लिया है।
सरला: ही भगवान । आप कितनी गंदी बातें करते हो। कोई ऐसा भी बोलता है भला? भाई सब क्या बोले?
राजीव: वो बोला कि प्यासे को पानी देना पुण्य का काम है। हम दोनों प्यासे हैं और अपनी अपनी प्यास बुझा लिए तो उसने बुराई क्या है।
सरला उसकी जाँघ पर हाथ रखकर: आप किसी और को तो नहीं बताएँगे ना?
राजीव उसके हाथ को सहलाया और फिर उसके हाथ को उठाकर अपने लौड़े के ऊपर रखकर बोला: जानू, बस तुम इसकी प्यास बुझाती रहो, बाक़ी जो तुम चाहोगी, सब हो जाएगा।
सरला ने प्यार से लौड़े को पैंट के ऊपर से दबाकर कहा: मैंने कभी मना किया है। आप जब कहेंगे हाज़िर हो जाऊँगी।
राजीव ने भी हाथ बढ़ाकर उसकी साड़ी के ऊपर से बुर को दबाकर कहा: सच आज का मज़ा हमेशा याद रहेगा। क्या मस्त बुर और गाँड़ है तुम्हारी। चूसती भी बहुत बढ़िया हो। श्याम की ट्रेनिंग पक्की है।
सरला: चूसना तो मैंने शादी के पहले ही सीख लिया था ।
राजीव: सच मे ? कौन था?
सरला हंस कर : अगली बार मिलूँगी तो बताऊँगी। चलिए आप हाथ हटाइए नहीं तो साड़ी भी गीली हो जाएगी।
राजीव: क्यों पैंटी तो पहनी हो? पेटिकोट भी है।
सरला: आपके छूने से बाढ़ आ जाती है वहाँ। बस अब हाथ हटायिए। यह कहकर वह अपना हाथ भी उसके पैंट से हटा लेती है।
बस अड्डे पहुँचकर राजीव बोला: अरे पैंट में लौड़ा अजस्ट करना पड़ेगा , ये तो एकदम खड़ा हो गया है।
सरला हँसते हुए बाहर आ गयी और राजीव भी पैंट ठीक करके बाहर आया।
फिर वह उसको बस पर चढ़ाकर वापस घर को चला गया।
शाम को रानी आइ तो वह अभी भी नींद में था। रानी चाय बनाकर लाई । राजीव फ़्रेश होकर सोफ़े पर बैठा था। उसने रानी को गोद में खींचकर कहा: और पिरीयड तो नहीं आया।
रानी: नहीं अभी तक नहीं आया।
राजीव : भगवान ने चाहा तो आएगा भी नहीं।
राजीव उसके पेट को सहलाते हुए उसकी चूचि दबाने लगा।
रानी: आऽऽऽह क्या कर रहे हैं। समधन को नहीं चोद पाए क्या? जो मेरे पीछे पड़े हो।
राजीव: अरे उसकी तो तीनों छेद का मज़ा के लिया। वो तो ४५ साल की है और तू तो अभी भी जवान है मेरी जान। ये कहते हुए उसने उसकी सलवार के ऊपर से उसकी बुर दबा दी।
रानी: आऽऽह तीन बार झड़ने के बाद अभी भी गरम हो रहे हैं। आप आदमी हो या राक्षश ?
राजीव: वो मेरी समधन जाते जाते भी मेरा लौड़ा गरम कर गई है , अब तुम ही उसे ठण्डा कर दो।
रानी मुस्कुरा कर बोली: मैं तो इसको शांत करने को हमेशा तय्यार हूँ। ये कहते हुए उसने अपनी गाँड़ उठायी और लौड़े को दबा दिया।
राजीव मुस्कुरा कर उसकी सलवार खोल दिया और उसने पैंटी भी निकाल दी। राजीव उसको अपने सामने खड़ा करके उसकी बुर को चाटने लगा । वह जल्दी ही गरम होकर हाऽऽऽय्यय करने लगी। अब राजीव ने बैठे हुए अपनी पैंट और चड्डी उतार करके नीचे खिसका दी। उसने रानी को खींचकर अपने लौड़े को चूसने का इशारा किया। वह अब उसके पैरों के बीच घुटने के बल बैठ कर उसका लौड़ा चूसने लगी। अब राजीव ने उसको अपनी गोद में खींच कर उसकी टांगों को अपनी गोद के दोनों ओर किया और रानी ने भी अपनी गाँड़ उठाकर अपनी बुर के मुँह में लौड़े को रखा और धीरे से उसपर बैठने लगी। अब वह पूरा नीचे होकर उसका मोटा लौड़ा अपनी बुर में निगल चुकी थी।
राजीव ने उसके दोनों चूतरों को पकड़ा और उसकी कमर को उछालकर अपने लौड़े पर दबाकर चुदाई करने लगा। रानी भी हाऽऽऽऽय करके अपनी गाँड़ उछालकर उसके लौड़े पर ऊपर नीचे हो रही थी। राजीव ने अपनी एक ऊँगली में थूक लगाया और उसकी गाँड़ में डाल दिया। वह आऽऽऽऽऽऽह कर उठी और भी ज़ोर ज़ोर से चुदाई करने लगी। उसकी टाइट बुर में उसका मोटा लौड़ा जैसे फँस सा रहा था। राजीव ने महसूस किया कि जवान बुर आख़िर जवान ही होती है। सच में रानी की बुर सरला की बुर से बहुत टाइट थी। वह अब मस्ती से नीचे से धक्के मारने लगा और रानी की सिसकारियाँ निकलने लगीं। वह अब कुर्ते को उठाकर उसकी चूचियाँ भी ब्रा के अंदर हाथ डाल कर मसलने लगा था। उसके निपल्ज़ भी तन गए थे जिसे उसने मसल कर रानी को मस्ती से भर दिया।
वह उइइइइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽऽऽ करके झड़ने लगी।
राजीव भी अपना लौड़ा उछालकर उसकी बुर में झड़ गया। अब रानी जब उसके लौड़े के ऊपर से उठी तो उसकी जाँघों से उसका और राजीव का काम रस बह रहा था।
अब दोनों फ़्रेश होकर बैठे तो रानी ने सरला की चुदाई की पूरी कहानी सुनी और हँसकर बोली: आप भी एक दिन में बिचारि का कोई छेद नहीं छोड़े। सभी में लौड़ा पेल दिए।
राजीव भी कमीनी हँसी हँसने लगा। उस दिन और कुछ ख़ास नहीं हुआ।
रात को राजीव ने महक से बात की फ़ोन पर शिवा के सामने। वह बोली: पापा मैं शादी में पक्का आऊँगी। सगाई में मुझे माफ़ कर दो।
शिवा: ठीक है दीदी शादी में ख़ूब मस्ती करेंगे। जीजा जी को भी ले आओ ना।
महक: वो नहीं आ पाएँगे। लो पापा उनसे बात करो।
राज ( महक का पति) : नमस्ते पापा जी, सच में मुझे छुट्टी नहीं मिल रही है। पर मैं अभी भी कोशिश कर रहा हूँ। अगर छुट्टी मिली तो मैं ज़रूर आऊँगा।
राजीव: ठीक है बेटा कोशिश करना। अच्छा अब रखता हूँ।
शिवा: पापा लगता है जीजा जी भी आ ही जाएँगे।
राजीव: उसका पक्का नहीं है।पर हमारी दुलारि बेटी तो आएगी ही।

तभी उसकी निगाह एक ग्रूप फ़ोटो पर पड़ी जिसमें सविता अपने दोनों बच्चों के साथ थी। उस फ़ोटो में शिवा बहुत शांत दिख रहा था और महक बहुत चुलबुली दिख रही थी। महक की बड़ी बड़ी छातियाँ टी शर्ट में जैसे फटी जा रही थी। राजीव को अपने लौड़े में थोड़ी सी अकड़न महसूस हुई पर उसने अपने सिर को झटका और अपने आप पर कंट्रोल करके सोने चला गया।
 

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