Incest ससुर कमीना और बहू नगीना:- 2(completed)

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राजीव का हाथ शीला के ब्लाउस की ओर बढ़ा और वो उसकी साड़ी के ऊपर से ही चूची पर हाथ फेर। शीला बहुत सुंदर नहीं थी पर जवान तो थी। जवान लड़की के मस्त कसे दूध उस अधेड़ को भी जवान कर गए। अब राजीव उसकी चूचियाँ दबाते हुए बोला: बेटी क्या तुम्हारा पति बिलकुल ही नहीं चुदाई कर पाता?
शीला: आऽऽऽऽह पापा वो तो अपना पतला सा डालते ही सी सी करते हुए झड़ने लगते हैं । दो तीन धक्के ही मुश्किल से मार पाते है।
उसकी साड़ी के पल्लू को नीचे गिराकर राजीव अब उसकी अर्धनग्न छातियों को दबाते हुए बोला: और तुम्हारे ससुर अच्छी तरह से चोद पाते हैं? अब उसने उसका हाथ अपने लण्ड पर रख दिया लूँगी के ऊपर से ।
शीला उसके लण्ड को सहलाने लगी और उसका पूरा साइज़ महसूस की और बोली: जी वो बहुत अच्छे से मज़ा देते हैं।उनका ये भी बड़ा और मोटा है , पर आपका तो उनसे भी ज़्यादा बड़ा है। आऽऽहहह । राजीव ने उसकी चूचियाँ मस्ती में ज़्यादा ज़ोर से दबा दीं।
राजीव उसको खड़े किया और उसकी साड़ी निकाला और फिर ब्लाउस और पेटिकोट में उसकी मस्त जवानी को देख कर ख़ुशी से बोला: बेटी मस्त माल हो , आज चुदाई में बहुत मज़ा मिलेगा।
शीला अपने ब्लाउस खोलते हुए बोली: पापा एक बात समझ में नहीं आयी कि मालिनी ने मुझसे ये सब करने को क्यों कहा। वो ख़ुद भी तो आपसे चु- मेरा मतलब है कि करवा सकती थी।
राजीव उसकी ब्रा के हुक खोलते हुए बोला: बेटी, मालिनी को मेरा बेटा मज़े से चोदता है। इसीलिए वो मुझसे चुदवाना नहीं चाहती। पर वो जानती है कि मैं चुदाई के लिए तड़प रहा हूँ । इसलिए वो तुमको राज़ी की है मुझसे चुदवाने के लिए। भगवान ऐसी बहु सबको दे जो अपने ससुर का इतना ख़याल रखे। वैसे तुम्हारी सास को पता है कि तुम ससुर से चुदवाती हो?
शीला: पता नहीं पक्का नहीं कह सकती। पर एक बार मैं पति को तलाक़ देने को कही थी तब से सास मुझसे दबती है। मुझे लगता है की उसको पता है पर ऐसा दिखाती है जैसे अनजान हो।
राजीव: ओह । फिर तो घर में ससुर से खुल कर चुदवा सकती हो?
शीला: पापा बोल रहे थे कि जल्दी ही वो सासु माँ को भी इसमें शमिल करेंगे ताकि हम तीनों एक साथ मज़ा ले सकें। यह बात सुनकर राजीव मस्ती से भर गया। अब उसने उसकी ब्रा बाहर निकाली और उसके मस्त उरोजों को देख कर मस्ती से उनको सहलाया और फिर दबाने लगा। बड़े बड़े निपल्ज़ को वो ऐंठने लगा। फिर उससे रुका नहीं गया और वह बारी बारी से उनको चूसने लगा। शीला: आऽऽऽऽऽऽऽऽह पापा । बहुत अच्छा लग रहाआऽऽऽऽऽऽऽ है।
अब उसने उसका पेटिकोट भी खोल दिया। पैंटी में कसी उसकी जवान बुर मस्त दिख रही थी। उसने पैंटी के ऊपर से उसकी बुर को सहलाया और वहाँ के गीलेपन को भी महसूस किया । लौड़िया गरम हो चुकी थी। फिर उसने झुक कर उसकी पैंटी भी उतारी और उसकी गरम बुर को देखकर मस्ती में आकर उसको मूठ्ठी में भींच लिया । वो सोचा कि आख़री चुदाई उसने नूरी की ही की थी। आज उसकी बहु की कृपा से उसके लण्ड की प्यास बुझेगी। अब वो शीला को बिस्तर पर लेटने को कहा। और अपने कपड़े भी उतार दिया। शीला की आँखें उसके ऊपर नीचे होते विशाल लण्ड पर थी। अब वो शीला के ऊपर आया और उसके होंठ चूसने लगा। शीला भी बराबरी से साथ दे रही थी। जब वो उसके दूध चूस रहा था तब वो भी उसका सर अपने दूध पर दबाके मस्ती से आऽऽह कर रही थी। उसका हाथ उसकी नंगी मस्क्युलर पीठ पर घूम रहा था। अब राजीव नीचे आकर उसकी जाँघों को फैलाया और उसकी बुर में दो ऊँगली डाला। पूरी गीली हुई पड़ी थी मस्त टाइट बुर थी।फिर वो थोड़ी देर जीभ से बुर के छेद को चाटा। शीला की सिसकारियाँ निकली जा रही थी।
शीला: आऽऽऽऽह पापा बस करो वरना मैं झड़ जाऊँगी। आऽऽऽहहब मुझे भी आपका चूसना है। राजीव हँसकर मुँह हटा लिया और पलंग के सहारे बैठ गया। अब शीला झुककर उसके जाँघों के बीच आयी और उसके लण्ड को मज़े से चूसने लगी। वह उसकी बॉल्ज़ भी चूस रही थी। राजीव उसकी चूचियाँ दबाए जा रहा था।
अब राजीव बोला: आओ चलो अब लेटो और मैं डालता हूँ।
शीला लेट गयी और अपनी टाँगें फैला ली। राजीव उनके बीच में आकर अपना लण्ड उसकी बुर में डाल दिया। वह आऽऽऽऽहहह पाआऽऽऽऽऽऽऽपा कर के नीचे से अपनी गाँड़ उछाली और पूरा लण्ड निगल गयी। अब राजीव उसे बुरी तरह से चोदने लगा। वो भी उसकी कमर पकड़ कर नीचे दबा रही थी ताकि पूरा लण्ड निगलती रहे। अचानक राजीव ने महसूस किया शीला उसके चूतरों को दबाकर नीचे को खींच रही थी । उसने चुदाई की गति तेज़ कर दी। धक्कों से पलंग भी चूँ चूँ करने लगा। हर धक्के पर वो ऊं ऊं करती थी।उसने सोचा कि बहुत गरम माल है। तभी वो महसूस किया कि शीला ने उसकी गाँड़ में ऊँगली डालनी शुरू की है। वह उत्तेजित होकर आऽऽऽऽऽह करके झड़ने लगा। शीला भी चिल्ला कर उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कहकर झड़ रही थी।
बाद में राजीव उसकी बग़ल में लेटके पूछा: बेटी ये गाँड़ में ऊँगली डालना कहाँ से सीखा है?
शीला: वो मेरे मामा ने सिखाया है। उन्होंने ही शादी के पहले मेरी सील तोड़ी थी। बाद में पति से सुख ना मिलने के कारण मैं फिर से मायके जाकर उनसे चुदवा लेती थी । अब तो ससुर भी मज़ा दे देते हैं।
राजीव: ओह चलो अब जब चुदाई की इच्छा हो मेरे पास आ सकती हो। ठीक है ना?
शीला: जी ठीक है। आपकी बहू को इतराज नहीं होना चाहिए।
राजीव: वही तो तुमको मुझसे मिलवाई है। उसे कोई इतराज नहीं होगा।
शीला उठके बाथरूम गयी और तय्यार होकर बाहर आइ। वहाँ ड्रॉइंग रूम में मालिनी शांति से टी वी देख रही थी।
मालिनी मुस्कुराते हुए: हो गया? मज़ा आया?
शीला भी मुस्कुराकर: हाँ हो गया। बहुत मज़ा आया है।
मालिनी: चलो चाय बनाऊँ?
शीला: नहीं अब निकलती हूँ। घर में सब इंतज़ार कर रहे होंगे।
फिर वह मिलते हैं कहकर जल्दी से चली गयी। मालिनी बैठी सोच रही थी कि ये आज उसने क्या कर दिया? अब पापा को तो हमेशा इस तरह की अपेख्शाएँ हो जाएँगी उससे । तभी राजीव लूँगी बाँधता हुआ आया और बोला: बेटा आज तो बहुत दिन बाद चुदाई का मज़ा दिला दिया तुमने सच में तरस गया था इसके लिए। वह उसके गाल चूमकर बैठ गया।
मालिनी हँसकर: पापा पसंद आयी शीला?
राजीव: अरे बिलकुल टाइट माल है जवान है चुदासी भी है। चेहरे से वो सुंदर नहीं है तो क्या। बाक़ी सब तो बढ़िया है। बुर मस्त टाइट है।चूचियाँ भी मस्त हैं।
मालिनी हँसने लगी।
उधर सरला बच्चों के लिए शाम का नाश्ता और चाय बनाई। रुचि और मुन्नी चाय पीने लगी। तभी सरला ने राकेश को आवाज़ दी तो वो बाहर आया अपने कमरे से। उसका चेहरा सूखा हुआ था। वो बोला: हाँ मम्मी बोलो।
सरला को उसके सूखे चेहरे को देखकर चिंता हुई और वो बोली: बेटा तबियत ठीक है ना?
वो : हाँ सब ठीक है।
सरला: तो फिर आ जा चाय पी ले।
राकेश: नहीं इच्छा नहीं है। वो ये कहकर अपने कमरे में वापस चला गया।
सरला को उसकी भूक़ हड़ताल की बात याद आइ और वो सोची कि इस नालायक को समझाती हूँ। वो उसके कमरे में गयी । वो बिस्तर पर पेट के बल लेता था। वो बोली: बेटा क्या हुआ । चलो चाय पी लो। मैंने तुम्हारे पसंद के पकोड़े भी बनाए हैं।
वो : मम्मी मुझे कुछ नहीं खाना है। आप मेरे बैग से लंच बॉक्स भी निकाल लो क्योंकि मैंने खाना नहीं खाया है।
सरला झुंझला कर: बेटा क्या तमाशा बना रखा है ये सब। चलो चुपचाप उठो और खाना खाओ।
राकेश सीधे होकर लेटा और बोला: मम्मी मैं नहीं खाऊँगा। जब तक आप मेरी बात नहीं मानोगी।
सरला: बेटा जो तुम चाहते हो वो नहीं हो सकता। मॉ बेटा ये सब नहीं कर सकते। मैंने कहा तो कि ज़्यादा से ज़्यादा मैं तुमको हाथ से कुछ सुख दे सकती हूँ। बस इसके आगे कुछ नहीं।
राकेश: मम्मी आप जाओ यहाँ से मुझे सोने दो।
अब सरला ग़ुस्से में : जा मर भूका । कहकर वहाँ से बाहर आ गयी।

फिर कोई पड़ोसन उसके पास आयी और वो बातें करने लगीं।
 

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