Incest ससुर कमीना और बहू नगीना:- 2(completed)

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शाम को मालिनी तय्यार होकर बाज़ार जाने लगी तो राजीव बोला: बेटी मैं भी चलता हूँ ना तुम्हारे साथ?

मालिनी: पापा यहीं पास में जाना है वहाँ कार की कोई ज़रूरत नहीं है। मैं एक घंटे में आती हूँ।

राजीव : ठीक है बेटा जैसी तुम्हारी मर्ज़ी।

मालिनी बाज़ार चली गयी। वो एक घण्टे के बाद आयी और समान सम्भालने लगी। फिर वो चाय बनाई और राजीव को आवाज़ दी। दोनों चाय पीने लगे। राजीव ने उसे छेड़ने की कोशिश की पर उसने कोई रेस्पॉन्स नहीं दिया। वो हैरान था कि आख़िर इसको क्या हो गया है? ये ऐसा क्यों बर्ताव कर रही है। शायद इसे शिवा और सरला की चुदाई का सुनकर लगता है बहुत धक्का लगा है। उसने मालिनी की जाँघ सहलाई पर उसने उसका हाथ हटा दिया।राजीव थोड़ा परेशान होकर वह वहाँ से उठकर अपने कमरे में चला गया। मालिनी उसे जाते देख कर मन ही मन मुस्करायी।

उधर शिवा दुकान में व्यस्त हो गया। बाद में जब ख़ाली हुआ तो सोचने लगा की आज जब मालिनी को पता चल गया है कि वो सरला को चोदा है तो आज वो ना जाने कैसे रीऐक्ट करेगी।

उधर शाम को सरला ने एक लिस्ट राकेश को थमा दी और पैसे भी दे दिए। राकेश ने देखा कि लिस्ट में राशन का सामान था और फूल भी थे और एक एक पोंड का केक और रूम स्प्रे भी था।
सरला लिस्ट देकर बोली: सामान लाकर मुझे ही देना। बच्चों को मत दे देना।

राकेश हाँ कहकर चला गया। सामान लाकर उसने अपनी माँ को दिया। वो उसे लेकर किचन में चली गयी। राकेश को लग रहा था पता नहीं कब रात होगी, और कब वो मम्मी के साथ सुहागरत मना पाएगा।

सरला ने भी सब सामान चेक किया और मुस्कुराकर फूलों को फ्रिज में रख दिया ताकि मुरझा ना जाएँ। उसने गुलाब की पंखड़िया मँगाई थीं । अचानक उसको अपने बुर में ज़ोर की खुजाल मची और वो बुर को खुजा कर सोची कि चल तेरी प्यास आज तेरे से बाहर निकला तेरा बेटा ही बुझाएगा।

उधर रात आठ बजे शिवा दुकान से वापस आया और आकर मालिनी के साथ बेडरूम में जाकर कपड़े बदलने लगा। मालिनी: आप खाना खाओगे या पहले चाय बनाऊँ?

शिवा: मैं नहा कर आता हूँ फिर खाना ही खाऊँगा। वह बाथरूम में घुस कर सोचा कि आज पहली बार दोनों ने एक दूसरे को प्यार नहीं किया। पता नहीं ऐसा क्यों हुआ? मालिनी ने भी अपनी ओर से कोई आतुरता नहीं दिखाई और ना ही मैंने- वो सोचा। फिर पता नहीं उसे क्या सूझा कि वो पूरा नंगा होकर चिल्लाया: मालिनी ज़रा एक मिनट के लिए आना तो।

मालिनी बाथरूम के दरवाज़े के बाहर आकर बोली: क्या हुआ?

शिवा ने दरवाज़ा खोला और वो पूरा नंगा था। उसका लण्ड साँप की तरह लटक रहा था। मालिनी उसके लण्ड को देखी और बोली: क्यों आवाज़ दी?

शिवा ने मुस्कुराकर उसको बाथरूम में खींच लिया और शॉवर चालू कर दिया। अब मालिनी के कपड़े भी भीगने लगे। वो चिल्लाई: उफ़्फ़ क्या कर रहे हो? पूरा भिग़ा दिया।

शिवा: अरे ये सज़ा है मुझे प्यार नहीं करने की। आह पहली बार तुमने मुझे किस्स नहीं किया दुकान से वापस आने पर।

मालिनी: आपने भी तो नहीं किया था। आप भी चाहते तो कर सकते थे। आपको क्या सज़ा दूँ?

शिवा: तुम मेरे लण्ड को सज़ा दो। इसे ज़ोर से चूसो।

अब मालिनी भी मस्ती में आकर: वाह ये कोई सज़ा थोड़े ना होगी। ये तो इसकी मज़ा हो जाएगी। वो उसके लण्ड को सहलाकर बोली।

शिवा : अरे तो इसको मज़ा भी तुमको ही देना है ना?

मालिनी ने आँखें मटका कर कहा: अच्छा सिर्फ़ मैंने ही देना है क्या?

शिवा समझ गया कि उसका इशारा किधर को है पर वो अनजान बनकर बोला: हाँ ये बिचारा आपके भरोसे ही तो है। चलो ना कपड़े उतारो बहुत मन कर रहा है चुदाई का।

मालिनी हँसकर: अब गीली हो गयी हूँ तो कपड़े तो उतारने ही पड़ेंगे । फिर आप भी अपना काम कर ही लो। यह कह कर वो अपनी साड़ी निकाली और फिर एक एक करके गीले कपड़े उतारे और फिर शिवा उसके नंगे बदन को अपने बदन से चिपका कर नहाने लगा। दोनों के हाथ एक दूसरे के जवान बदन पर चल रहे थे। शिवा का लण्ड अब पूरी तरह से तन गया था। मालिनी के भी निपल्ज़ पूरे खड़े थे और बुर भी बिलकुल पनिया गयी थी। पानी उसकी बड़ी चूचियों के ऊपर से गिर कर नीचे उसके पेट पर गिरता हुआ मस्त दिख रहा था। शिवा मन ही मन में उसकी चूचियों की तुलना आयशा और सरला से करने लगा। इसमे कोई शक नहीं था कि आयशा की ज़्यादा बड़ी और सेक्सी थीं । दूसरे नम्बर पर मालिनी की थोड़ी छोटी पर ठोस चूचियाँ थी। सरला की बहुत बड़ी और थोड़ी नरम हो चलीं थीं । अब वो नीचे देखा और पेट और जाँघें देखकर तुलना करने लगा। यहाँ मालिनी एक नम्बर पर थी। पेट और जाँघें भरी हुई गदराई हुईं थीं। आयशा की थोड़ी पतली थी। सरला की उम्र का असर उसके पेट और जाँघों पर आने लगा था। अब वो बुर की सोचा और अब फिर से मालिनी की ही सबसे टाइट थी उसके बाद आयशा और फिर सरला का नम्बर आता था। अब वो मालिनी के बदन को पोंछने लगा और जब उसको घुमाया और उसकी पीठ पोंछने लगा। तब उसने उसके चूतरों को देखा और अब सोचा कि ये तो मस्त गोल और उभरे हुएँ है। पर ये तीसरे नम्बर पर है। आयशा के इससे ज़्यादा भरे हुए चूतर दूसरे नम्बर पर होंगे। और सरला के बड़े बड़े उभरे हुए चूतर सबसे मस्त और पहले नम्बर पर हैं। वो सोचा कि वो क्या उलटा पुलटा सोच रहा है। फिर वो मालिनी को आगे की ओर झुकाया और पीछे से उसकी बुर में ऊँगली डाला और पाया कि वो गीली थी । अब उसने पीछे से उसकी बुर में अपना मोटा लौड़ा पेल दिया और उसकी चूचियाँ मसलकर उसको चोदने लगा। मालिनी भी आऽऽहह्ह करके चुदवाते हुए अपनी गाँड़ पीछे को दबाकर पूरा लण्ड निगलकर मज़े लेने लगी। वो सोच रही थी कि मम्मी को शिवा ने किस आसान में चोदा होगा। तभी शिवा ने उसकी चूचियों की घुंडियाँ मसली और वो बहुत मस्त होकर सोची कि मम्मी की तो बड़ी बड़ी छातियाँ हैं पता नहीं कितना मज़े से दबाया होगा शिवा ने। अचानक वो सोची कि उसको उत्तेजना क्यों हो रही है यह सोचकर कि शिवा ने मम्मी को कैसे चोदा होगा? उसे तो ग़ुस्सा आना चाहिए। पता नहीं ऐसा क्यों है? वो उलझ सी गयी। तभी शिवा ने अपनी एक ऊँगली उसकी क्लिट पर रखी और वो मस्ती से उइइइइइइ माँआऽऽऽऽ चिल्ला उठी। फिर थोड़ी देर की ज़बरदस्त चुदाई के बाद वो हाऽऽयययय कहकर झड़ने लगी। शिवा भी जल्दी जल्दी धक्के मारकर झड़ गया।

थोड़ी देर बाद जब कपड़े पहन कर वो बाहर कमरे में आए तो शिवा बोला : जान मज़ा आ गया। मस्त चुदाई हुई आज तो।

मालिनी मुस्कुराती हुई बोली: अच्छा ! आपको कब मज़ा नहीं आता इसमें ?

दोनों हँसने लगे।

खाने के बीच कुछ ख़ास नहीं हुआ।

मालिनी जब राजीव के कमरे में दूध लेकर गयी तो शिवा अभी भी ड्रॉइंग रूम में टी वी देख रहा था ।राजीव ने मालिनी को उतावलेपन से पकड़कर कहा: बेटा मुझसे कुछ ग़लती हुई क्या जो आज तुम मुझे अवोयड कर रही हो?

मालिनी: नहीं पापा ऐसा कुछ नहीं है। आप दूध पी लो। वो हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली।

राजीव उसकी चूचि दबाकर बोला: बेटा मुझे तो ये वाला दूध पीना है।

मालिनी हँसकर बोली: पापा ये भी पिला दूँगी। अभी छोड़िए। शिवा बाहर ही बैठा है।

राजीव ने उसके होंठ चूमे और उसे छोड़ दिया।

शिवा और मालिनी अपने कमरे में गए। थोड़ी देर बात करने के बाद दोनों सोने की कोशिश करने लगे। चुदाई तो हो चुकी थी और शायद अब दोनों में से कोई भी शायद दूसरा राउंड नहीं चाहता था। मालिनी कल के अपने प्लान का सोच रही थी। और शिवा आयशा से हुई चुदाई और उससे मिले मज़े का सोच रहा था। आयशा किस मज़े से बता रही थी कि वो अपने ससुर से बड़े प्यार से चुदवाती है। फिर वो सोचा कि क्या मालिनी भी पापा से चुदवाएगी और शिवा और सरला की चुदाई का बदला लेगी। ये सोचकर उसका लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। इसी तरह के विचारों में उलझे दोनों नींद की आग़ोश में समा गए।

राजीव भी मालिनी की हरकत और अजीब सा व्यवहार का सोचकर सो गया।

पर कहीं कोई जाग रहा था वो था राकेश जो कि ११ बजने का इंतज़ार कर रहा था ।आज उसका सपना पूरा होने वाला था। आज उसकी मम्मी उसके साथ सुहागरात मनाने वाली थी। उसका लौड़ा पूरा टाइट था। वो उसे हल्के से सहला भी रहा था ।सरला भी पूरी तय्यारी से अपने बेटे को पूरा मज़ा देने का मन बना चुकी थी। वो जानती थी कि आज के बाद उसकी ज़िंदगी भी हमेशा के लिए बदलने वाली है। उसने अपने आप को देखा और सोची कि इतनी बूढ़ी भी नहीं हुई हूँ। वह आगे और पीछे से साड़ी में लिपटा अपना बदन देखकर ख़ुद ही अपने आप पर मुग्ध हो गयी। फिर उसने सब तय्यारियों का जायज़ा लिया। ठीक ११ बजे उसने राकेश को एक मिस्ड कॉल दिया ।राकेश तो इंतज़ार ही कर रहा था। वो झट से उठा और बाहर आकर शांत घर को देखा। सब सो रहे थे। वो सरला के कमरे में गया और धीरे से दरवाज़ा खोला। वहाँ घुप अँधेरा था। सरला की आवाज़ आयी: बेटा दरवाज़ा बंद कर ले।और बत्ती जला दे।

राकेश ने अंधेरे में दरवाजा बंद किया और बत्ती जलायी। वह वहीं का वहीं खड़ा रह गया। कमरे में रूम फ़्रेशेनेर की ख़ुशबू फैली हुई थी। बिस्तर पर गुलाब की पंखुड़ियाँ बिखरी हुई थीं । बिस्तर के साइड टेबल पर दूध के दो गिलास रखे थे। केक भी रखा था। और उन सबके बीच में उसकी माँ दुल्हन के लाल लिबास में लिपटी बैठी थी ।उसने घूँघट से अपना मुँह छुपा रखा था। राकेश ने ऐसी सुहाग रात की कल्पना नहीं की थी। उसे समझ में आ गया कि मम्मी ने फ़िल्मी तरीक़ा अपनाया है। वो बहुत ख़ुश होकर बिस्तर पर बैठा और बोला: मम्मी थैंक यू । आपने तो समाँ ही बाँध दिया। उफफफफ क्या मस्त सजावट की है।

सरला: मैं सोची कि तुझे शादी से पहले सुहागरात की ट्रेनिंग दे देती हूँ।

राकेश: मम्मी आप भी ना। यहाँ आपके रहते शादी करना ही किसे है । मैं तो आपके साथ ही रहना चाहता हूँ।

सरला: मैं तो आठ दस साल में बुढ़िया हो जाऊँगी और तू जवान का जवान ही रहेगा। इसलिए शादी तो मैं तेरी करूँगी ही। मुझे तू अपनी दूसरी बीवी की तरह रख लेना।

राकेश: मम्मी ये सब छोड़ो और अपना घूँघट हटाओ।

सरला: लो सुन लो इस अनाड़ी की बात। अपना घूँघट भी क्या मैं ख़ुद ही उठाऊँ? पागल कहीं का। वो तो तेरा काम है। और हाँ मुँह दिखाई में क्या देगा?

राकेश मुँह लटका कर: मम्मी मैं क्या दे सकता हूँ?

सरला हँसकर: वो टेबल पर रखा डिब्बा दे देना।

राकेश ने देखा कि वो ज़ेवर का डिब्बा था। अब वो सरला के सामने आया और उसका घूँघट हटाया और अपनी माँ की सुंदरता को देखते ही रह गया। आज वो बहुत ही सजी हुई थी। आँखों में काजल और होंठों पर लाल लीपस्टिक क्या लग रही थी। लाल ज़रीदार साड़ी और वैसा ही ब्लाउस उसकी सुंदरता को मानो चार चाँद लगा रहे थे। अब उसने वो डिब्बा मम्मी को दिया और वो प्यार से बोली: तू ख़ुद ही पहना दे ना।

राकेश ने डिब्बा खोला और उसमें एक सुंदर सा लॉकट था। वो उसकी चेन को खोल कर उसकी गरदन में डाला और ये करते हुए उसके हाथ उसकी छातियों को छू गए और उसका लौड़ा झटके मारने लगा। अब मालिनी ने उसे एक सिंदूर की डिब्ब्बी दी और बोली: चल मेरी माँग भर दे । अब मैं तुझे बता दूँ कि तू तीसरा मर्द है जो मेरी माँग भरेगा। पहला तेरा पापा उसके बाद तेरे ताऊ और अब तू मेरा बेटा।

राकेश ने उसकी माँग भरी और उसका माथा चूम लिया।

राकेश: मम्मी थैंक यू । आपने मुझे ये दर्जा दिया। मैं आपका पूरा ध्यान रखूँगा। इसी साल मेरी पढ़ाई पूरी हो जाएगी और जॉब लगते ही आप मेरे साथ रहना मेरी बीवी बनकर ।

सरला: हा हा वो सब बाद में देखेंगे। चल अब दूध पी ले इसमे मैंने बादाम और पिस्ता डाला है। अब सरला ने उसे भी दूध पिलाया और ख़ुद भी दूध पीकर बोली: वैसे आज तू भी बहुत प्यारा लग रहा है।

राकेश झुककर सरला के होंठ पर अपने होंठ रखा और एक चुम्बन लिया। अब वो बोला: मम्मी आप आज सच में बहुत सुंदर लग रही हो।

सरला: आज मैंने एक पार्लर वाली को घर में बुलाया था । उसने मेरे चेहरे का मसाज़ किया है और मेरे चेहरे के बाल निकाले हैं।

राकेश: मम्मी सिर्फ़ चेहरे के बाल? और बाक़ी जगह के बाल नहीं निकाले?

सरला: चल बदमाश कही का। क्या बाक़ी के बाल मैं उससे निकलवाऊँगी? वो तो मैंने ख़ुद ही साफ़ किए है।

राकेश: सच मम्मी आपने सब जगह के बाल साफ़ किए हैं? बताओ ना कहाँ कहाँ के किए हैं ?

सरला बनकर: अभी तू देख ही लेगा की मैंने कहाँ कहाँ के साफ़ किए हैं ।

राकेश अब उसको अपनी गोद में खींच कर बोला: मम्मी मुझे कभी अकेला मत छोड़ना।

सरला: नहीं रे तू अब हमेशा मेरे पास रहेगा।

अब वो उसकी साड़ी का पल्लू गिराया और उसके ब्लाउस के ऊपर से उसकी छातियों को दबाकर बोला: मम्मी साड़ी उतार दूँ ?

सरला: जैसी तेरी मर्ज़ी।

राकेश अब उसकी साड़ी को उतारने की कोशिश किया। तब सरला ने उसे सिखाया कि साड़ी कैसी उतारी जाती है। अब सरला ब्लाउस और पेटिकोट में थी और बहुत मस्त लग रही थी। राकेश ने अब सरला के होंठ चूसते हुए उसकी छातियाँ दबानी शुरू की और वो भी उफफफफ करके उससे चिपक गयी। अब राकेश ने उसके ब्लाउस के हुक खोले और ब्लाउस को उतार दिया। वो भी बाहँ उठा कर उसकी मदद की। तभी वो देखा कि सरला का बग़ल उसकी आँख के सामने था। उसकी चिकनी बग़ल देख कर वो समझे गया किमम्मी ने यहाँ के बाल निकाले हैं।

वो उसकी बग़ल सूँघा और फिर जीभ और होंठों से उसको चाटा और चूमा और बोला: आपने यहाँ के बाल साफ़ किए हैं।

फिर उसने दूसरी बग़ल को भी चूमा और चाटा। ब्रा में क़ैद उसको बड़ी चूचियाँ अब उसकी आँखों के सामने थीं। वो उनको भी सहलाया और दबाया। अब वो उसके पेटिकोट के नाड़े को खोला और उठकर बैठा और सरला को लिटा दिया और पेटिकोट को निकालने लगा। सरला ने भी गाँड़ उठकर उसका साथ दिया।

अब सरला ब्रा और पैंटी में बहुत मस्त माल लग रही थी। भरा हुआ गोरा बदन जैसे चुदाई के लिए चिल्ला रहा हो। राकेश बहुत उत्तेजित हो चुका था।

सरला: मुझे तो नंगा किए जा रहा है और ख़ुद पूरे कपड़े पहन कर बैठा है।

राकेश: मम्मी, आप मेरे कपड़े खोल दो ना।

सरला: सुहागरात में दुल्हन ऐसा नहीं करती। वो शर्माती जो है।

राकेश अब अपना लोअर और टी शर्ट उतारा और अब वो सिर्फ़ चड्डी में था और उसका खड़ा लंड साफ़ दिखाई दे रहा था। सरला की बुर ने उसका आभास पाकर पानी छोड़ना शुरू कर दिया था। अब वो सरला के ऊपर आकर उसकी चूचियाँ दबाकर उसके होंठ चूसने लगा। सरला के हाथ उसकी पीठ पर घूम रहे थे। अब वो उसकी ब्रा खोलने की कोशिश किया पर उससे खुला नहीं। सरला हँसकर बोली : चल मैं सिखाती हूँ। फिर उसने उसे ब्रा का हुक खोलना सिखाया। अब उसकी बड़ी चूचियाँ राकेश के आँखों के सामने नंगी थी। वो उन पर झपट पड़ा और दबाकर चूसने लगा। सरला बोली: बेटा ये निपल्ज़ को ऊँगली और अंगूठे के बीच में पकड़कर मसलो। जब वो ऐसा ही किया तो वो सिसकारी मारकर बोली: उफ़्फ़्फ़।आऽऽऽह बड़ाआऽऽऽऽ अच्छा लग रहा है ।

अब वो उसकी पैंटी भी उतारा और सरला की बिना बालों की चिकनी बुर उसके सामने थी। उसने उसकी जाँघें फैलाया और वो मंत्र मुग्ध सा अपने जन्म स्थान को देखता रहा । उसकी बुर को बहुत देर देखने के बाद वो उसे सहलाया और फिर झुककर उसको चूमने लगा। सरला आऽऽऽह करके मज़े से भरने लगी। अब वो उठके अपनी चड्डी खोला और अपने मस्त लौड़े को बाहर निकाला और मालिनी को बोला/ आऽऽह मम्मी चूसो ना।

सरला: नयी दुल्हन से पहली बार में इसे चूसने को नहीं कहना। समझे? और उसने चूसने से मना कर दिया।

अब वो सोचा कि वो अपना लण्ड अंदर डाले। पर अनुभव नहीं था सो वह उसके ऊपर आया और उसकी सीधी रखी टाँगो के बीच अपना लंड अंदर डालने के लिए छेद के पास लगाकर दबाना शुरू किया। सरला हँसकर बोली: बुद्धू मेरी टाँगें तो मोड और बाहर की ओर झुका।

अनाड़ी बलमा ने वैसे ही किया और अब स्वर्ग का द्वार खुला हुआ साफ़ दिखाई दिया। वो अब अपना लण्ड उसकी बुर के मुँह पर रख कर उसमें लंड दबाया और पूरी गीली बुर में वो सरसराता हुआ घुस गया। राकेश: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मम्मीइइइइइइइइ । कहकर उसके होंठ चूसने लगा और दोनों बड़ी चूचियाँ मसलने लगा।

सरला: आऽऽऽह बेएएएएएटा उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मस्त लग रहा है। हाऽऽऽऽययय।

अब वो ऊपर नीचे होकर चुदाई में लग गया। सरला भी अब नीचे से कमर उछालकर पूरा लंड निगलकर उसे मस्ती से भरने लगी। सरला: उन्न्न्न्न्न उन्न्न्न्न आऽऽहहब फ़ाआऽऽऽऽऽऽऽड़ दो बेएएएएएएएटा कहकर गाँड़ उछाल कर मज़े से चुदवा रही थी। उसने अपनी जीभ राकेश के मुँह में डाल दी जिसे वो मस्ती से चूसने लगा। क़रीब २० मिनट की चुदाई के बाद सरला आऽऽऽऽऽहहह मैं गयीइइइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी।

अब राकेश भी आऽऽहहह कहकर झड़ गया। थोड़ी देर बाद दोनों अग़ल बग़ल में चिपक के लेटे हुए बातें करने लगे।

सरला: तो सुहाग रात की ट्रेनिंग हो गयी तेरी? अब शादी के बाद अच्छी तरह से मज़ा ले लेना।

राकेश ने उसके बड़े बड़े चूतरों को दबाकर कहा: मम्मी मैं तो शादी करूँगा ही नहीं। मैं तो बस आपका ही दीवाना हूँ। और आजमुझे सब कुछ मिल गया है आपसे। ये कहते हुए उसकी एक ऊँगली सरला के गाँड़ के छेद पर घूमने लगी। सरला: आऽऽऽहब सब कुछ मिल गया है तुझे? जहाँ तू ऊँगली डाल रहा है वो अभी कहाँ मिला है?

राकेश: तो मम्मी दे दो ना वो भी।

सरला हँसकर : आज ही सब कुछ ले लेगा क्या? वैसे वो ख़ुद भी गाँड़ मरवाना चाहती थी क्योंकि कई दिनों से वहाँ लण्ड नहीं ली थी।

राकेश ने एक ऊँगली अंदर बाहर करते हुए कहा: मम्मी गाँड़ भी मरवा लो ना प्लीज़।

सरला: आऽऽऽह ऊँगली बाहर निकाल । बिना तेल या क्रीम के जलन होती है। जा वहाँ क्रीम रखा है ला उसे और मेरी गाँड़ में लगा। पर पहले तेरा लंड चूसकर उसे खड़ा तो कर दूँ।

अब वो अपने बेटे के लंड को चूसने लगी और राकेश तो जैसे सुख के सागर में डूब गया। उफफफफ क्या मस्ती से चूस रही थी वो। उसका लंड अब उसके गले के अंदर तक जा रहा था। राकेश बोला: मम्मीइइइइइइ रुकोओओओओओ । वरना मैं झड़ जाऊँगा।

वो मुस्कुरा कर अपना मुँह हटाई और पेट के बल लेट गयी। उग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ गोरे गोरे मोटे चूतर क्या मस्त दिख रहे थे। वो इनका ही तो दीवाना था। उसने पूरी ताक़त से उनको आटे की तरह गूँथना चालू किया।फिर उसकी दरार ने हाथ फेर कर बोला: मम्मी आज आपकी बुर और गाँड़ में एक भी बाल नहीं है, लगता है आज सफ़ाई की है।

सरला: हाँ सफ़ाई तो की है पर सामने की। मेरे पीछे बाल आते ही नहीं।

राकेश उसकी गाँड़ के छेद को सहलाते हुए: तो मम्मी ये नैचरल चिकनी है। आह । फिर वो उसको सहलाते हुए नीचे झुककर चूमने लगा और वहाँ जीभ फिराने लगा। सरला अब सिसकारियाँ भरने लगी। फिर वो बोली: उफफफफ बेटा अब क्रीम लगा और मार ले मेरी गाँड़ । राकेश ने ऊँगली में क्रीम लगाई और उसकी छेद में डालकर अंदर बाहर किया। सरला: आऽऽऽह बेटा अब दो ऊँगली डाल क्रीम लगाकर।

अब उसकी दो उँगलियाँ अंदर बाहर होने लगी। अब सरला बोली: आऽऽह चल अब अपने लण्ड में क्रीम लगा और डाल मेरी गाँड़ में। पर एकदम धीरे धीरे डालना। ये कहकर वो अपनी गाँड़ हवा में ऊँची कर दी और अपने आप को हाथों का सहारा लेकर घुटने मोड़कर मानो कुतिया ही बन गयी। राकेश की आँखें उसके पिछवाड़े पर जम सी गयी थी। उफफफ क्या मस्त माल है मम्मी वो सोचा। अब वो उसके पीछे आकर अपने हाथों से उसके चूतरों को फैलाया और अपने लंड को क्रीम मल कर उसकी गाँड़ के छेद में रख कर छेड़ने लगा।

सरला ने अपनी गाँड़ के छेद बाहर की ओर दबाकर उसको बड़ा किया और बोली: आऽऽऽऽऽह बेटा अब और ना तड़पा । अब डाल भी दे।

राकेश ने मस्त होकर अपना लंड उसकी गाँड़ में दबाना शुरू किया और वो आऽऽऽहहहह करके अपनी गाँड़ को पीछे दबाकर धीरे धीरे पूरा लण्ड निगल ली। फिर वो कमर हिलाकर अपनी गाँड़ में लंड को अजस्ट करके मज़े से भर गयी। अब सरला बोली: बेटा आऽऽहहहह मज़ा आऽऽऽऽऽऽ रहा है। चल अब फाड़ मेरी गाँड़। हाय्य्य्य्य। फिर वो मस्ती से उसकी चुदाई में लग गया। सरला ने उसके हाथ पकड़कर अपनी चूचियों पर रख दिए और वो मस्ती से उनको दबाने और निपल्ज़ मसलने लगा। राकेश की जाँघें सरला के गुदाज चूतरों से टकराकर थप्प थप्प की आवाज़ पैदा कर रही थी। तभी सरला ने उसका एक हाथ छाती से हटाकर अपनी बुर पर रखा और वो तीन उँगलियाँ अंदर डालकर उसे हिलाने लगा। उसका अँगूठा उसकी क्लिट को रगड़ रहा था। अब सरला आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह फ़ाआऽऽऽऽऽऽऽड़ दोओओओओओओओ मेरीइइइइइइइ
गाऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽँड़ । वो अब झड़ने लगी और राकेश की उँगलियाँ उसके कामरस से पूरी गीली हो गयीं थीं। वो भी अब अपना वीर्य उसकी गाँड़ में छोड़ने लगा। फिर वो लस्त होककर उसके बग़ल में लेट गया।

सफ़ाई करके दोनों बैठे और सरला और राकेश ने केक काटा और एक दूसरे को खिलाया। फिर वो लिपट कर सोने लगे तो राकेश बोला: मम्मी आज आपने मुझे अपने तीनों छेदों का मज़ा दे दिया। थैंक यू ।

सरला: बेटा अब मैं तेरी हो गयी हूँ। अब तू जब चाहे मज़ा ले लेना। बस कभी कभी तेरे ताऊ जी को चान्स दे देना। वो हफ़्ते में एक बार तो चुदाई करते हैं । पर वो पहले ही इशारा कर देते हैं।

राकेश: मम्मी मैं रोज़ आपके साथ सो सकता हूँ क्या ?

सरला: हाँ बेटा क्यों नहीं। फिर वो दोनों एक दूसरे को चूमकर आपस में लिपट कर सो गए।

सुबह अचानक सरला ने महसूस किया कि राकेश उसको सीधा लिटा रहा है। इसके पहले वो कुछ समझ पाती वो अपना लंड क्रीम लगाकर उसकी सुखी बुर में दाल दिया और उसकी चुदाई में लग गया। वो मुस्करायी: अरे मुझे जगा तो लेता । पागल कहीं का। आऽऽऽहहह चल अब अच्छी तरह से चोद। हाऽऽऽय्यय।

अब वो दोनों ज़बरदस्त चुदाई में लग गए।

उधर सुबह को मालिनी की आँख खुली और वो फ़्रेश होकर अपनी नायटी में अपना बदन देखी और मुस्कुराई कि आज का दिन उसके लिए विशेष होने वाला है। फिर उसने एक नज़र शिवा पर डाली जो कि बेसुध सो रहा था। वो सोची कि कितना भोला दिख रहा है। पर पता नहीं अपने मन में क्या क्या राज़ छिपाए हुए है? वो बाहर आकर किचन में चाय बनाने लगी। आज उसकी बाई नहीं आने वाली थी क्योंकि उसने उसे आने से मना कर दिया था ये कहकर कि वो बाहर जाने वाले हैं एक दिन के लिए। आज उसे पूरा एकांत जो चाहिए था। वो मुस्कुराई और अपनी बुर को खुजा कर हाथ धोयी और राजीव को आवाज़ दी।
 
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राजीव बाहर आकर चाय पीने लगा और मालिनी को घूरने लगा। वो चुपचाप चाय पीती रही । राजीव उसकी चुप्पी से असहज हो कर पूछा: बेटा क्या बात है? जब से तुमने शिवा और सरला की मस्ती का सुना है तुम थोड़ा अजीब सा व्यवहार कर रही हो? वह उसकी बाँह सहला कर बोला।

मालिनी : कुछ नहीं पापा ऐसा कुछ नहीं है। सब ठीक है।

अब राजीव उसकी नायटी के ऊपर से उसकी चूची दबाकर बोला: नहीं कुछ बात तो है, बेटा। बताओ ना? उफफफफ क्या मस्त चूचि है तुम्हारी। पता नहीं कब इनका रस पिलाओगी?

मालिनी: पापा आप भी बस पीछे ही पड़े रहते हो।

राजीव ने नोटिस किया कि आज वो उसका हाथ अपनी चूचि से नहीं हटा रही थी। अब वो उसकी चूची को ऊपर से सहलाना शुरू किया जहाँ से वो थोड़ी सी नंगी दिखाई दे रहीं थीं । मालिनी बोली: पापा आप छोड़िए ना मुझे शिवा को भी जगाना है। वैसे आज बाई भी नहीं आएगी तो काम भी ज़्यादा होगा ।

राजीव ने उसको अपनी गोद में खींचकर बिठा लिया और बोला: अरे बाई नहीं आएगी तो क्या हुआ? मैं तुम्हारी मदद करूँगा । बोलो क्या करना है। वो उसकी चूचियों को ऊपर से चूमकर बोला।

मालिनी हँसकर: पापा आप पहले इनको छोड़िए। तभी तो मैं कोई काम कर सकूँगी। और हाँ देखती हूँ क्या मदद करते हो आप?

राजीव उसको छोड़ते हुए बोला: बेटा बोलो बर्तन साफ़ करूँ या झाड़ू लगाऊँ?

मालिनी उठकर उसके गाल को चूमकर बोली: अरे आपको ये सब नहीं करना पड़ेगा। फिर प्यार से उसके लौड़े को लूँगी के ऊपर से दबाकर बोली: पापा ये तो बस खड़ा होने का बहाना ही ढूँढता रहता है, है ना?

राजीव: बेटा अब इसको पता नहीं कितने दिन तुम प्यासा रखोगी? ये तो यहाँ घुसने के लिए मरा जा रहा है। उसने उसकी बुर को नायटी के ऊपर से दबाकर कहा।

मालिनी हँसकर: पापा इसके अंदर डालने का आपका प्लान तो बहुत पहले से ही है। चलो मैं शिवा को उठाती हूँ। और हाँ एक बात और, आज आप नाश्ता नहीं करोगे। शिवा पूछेगा तो कोई बहाना बना दीजिएगा। मैं भी नाश्ता नहीं करूँगी। ठीक है?

राजीव: वो क्यों?

मालिनी: पापा आप सवाल बहुत पूछते हो। एक दिन थोड़ा देर से नाश्ता नहीं कर सकते मेरे लिए।

राजीव: अरे बेटा तेरे लिए तो मैं कुछ भी कर सकता हूँ। नाश्ते की क्या बात है ।

मालिनी: अच्छा अब मैं शिवा को चाय देकर आती हूँ। फिर वो किचन में जाकर शिवा के लिए चाय बनाई और शिवा को उठाई। शिवा चाय पीकर फ़्रेश हुआ और नहाने चला गया। जब वो नाश्ता करने बैठा तो राजीव बोला: मैं आज नाश्ता देर से करूँगा , अभी मेरी तबियत थोड़ी ढीली है।

मालिनी : आज मैं भी नहा कर ही खाऊँगी ।

शिवा नाश्ता करके जाने लगा तो मालिनी बोली: आज का क्या प्रोग्राम है?

शिवा हैरानी से: कुछ नहीं बस दुकान जाऊँगा, और क्या?

मालिनी: बस ऐसे ही पूछा ,और कुछ नहीं ।

फिर वो चला गया। मालिनी उसके जाने के बाद राजीव से बोली: आप ज़रा अपने कमरे में आयिए ना।

राजीव उठकर उसके पीछे अपने कमरे में आया और बोला: क्या हुआ बेटा? क्या बात है?

मालिनी: पापा आप उस दिन मुझे एक लिंगरी निकाल कर दी थी ना। उस समय मैंने आलमारी में कुछ सुंदर साड़ियाँ देखीं थीं मम्मी जी की। एक बार दिखाएँगे क्या?

राजीव : हाँ हाँ क्यों नहीं बेटा, अब वो तो नहीं रही , इसलिए ये सब तुम्हारा ही है। लो देखो। ये कहकर वो आलमारी खोला और मालिनी वहाँ लटकी हुई साड़ियों का कलेक्शन देखकर बोली: पापा मम्मी बहुत शौक़ीन थीं । कितनी साड़ियाँ ख़रीद रखीं हैं। अब वो कुछ सुंदर साड़ी निकाली और फिर बोली: पापा ये लाल साड़ी कितनी भारी है ना? बहुत महँगी होगी?

राजीव: बेटा ये साड़ी उसने हमारी शादी के दिन पहनी थी। ये साड़ियाँ सिल्क की हैं जो उसे बहुत पसंद थीं। ये सब तुम रख लो।

मालिनी: पापा इनके ब्लाउस कहाँ हैं ? वो ढूँढती हुई बोली।

राजीव पीछे से आकर उसके चूतरों पर हाथ फेरा और बोला: ये देखो इस शेल्फ़ में रखे हैं। पर वो तुमको ढीले होंगे क्योंकि उसका बदन बाद में भारी हो गया था।

मालिनी: ये लाल ब्लाउस तो लगता है आ जाएगा। बाक़ी ज़रूर बड़े लग रहे हैं।

राजीव: अरे लाल वाला तो शादी के दिन पहनी थी ना, उस समय वो तुम्हारी जैसी थी । वो तो बच्चे होने के बाद ज़्यादा ही भारी हो गयी थी।

मालिनी: ठीक है पापा मैं ये ले लेती हूँ। जो बड़े होंगे वो दर्ज़ी से ठीक करवा लूँगी।

राजीव उसकी गाँड़ दबाकर और उसकी गर्दन चूमकर बोला: हाँ बेटा सब रख लो। सब तुम्हारा ही है और मैं भी तो तुम्हारा हूँ।

मालिनी हँसकर : आऽऽह पापा बस अब छोड़ो ना। मुझे नहाना है।
तभी उसकी निगाह कुछ डिब्बों पर पड़ीं और वो बोला: बेटा ये भी देख लो।ये तो उसने पहना ही नहीं। उसने डिब्बा खोला तो उसमें ब्रा और पैंटी रखीं थीं ।

राजीव: बेटा ये ब्रा तो तुमको बड़ी होंगी। उसकी छातियाँ बड़ी थीं ना। तुम्हारी उससे छोटी है अभी।

मालिनी हँसकर: पापा आप जितना इनको दबाते हैं उससे तो लगता है जल्दी ही ये भी इतने बड़े हो जाएँगे। ये कहते हुए उसने नयी ब्रा का कप अपनी एक छाती पर रखा और बोली: मेरी भी जल्दी ही आप इतना बड़ा कर दोगे हा हा ।

राजीव : बेटा सिर्फ़ दबाने से बड़ी नहीं होतीं उनको चूसना भी पड़ता है। वो तो मुझे तुम करने नहीं देती। अरे बेटा ये पैंटी रख लो। ये तो काम आ ही जाएँगी।

मालिनी हँसकर: हाँ जब आप बाप बेटा पहनने दोगे तो ही ना काम आएँगी। आप दोनों को तो मेरा पैंटी पहनना ही पसंद नहीं है।

राजीव उसकी गाँड़ की गोलायी को दबाकर बोला: बेटा देखो कितनी अच्छी लगती है बिना पैंटी की गाँड़ । उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त फ़ीलिंग आती है। पैंटी रहने से ऐसा अहसास थोड़े ना होता है।

मालिनी: आऽऽह पापा छोड़िए अब। ठीक है पैंटी रख लेती हूँ। बाहर तो मैं पहनकर ही जाती हूँ। अच्छा अब आप भी नहाकर तय्यार हो जाओ। आपकी आलमारी दिखाओ तो।

राजीव हैरान होकर बोला: क्यों क्या हुआ?

मालिनी: अरे दिखाइए ना। फिर उसने राजीव के किए वो चूड़ीदार पजामा और कुर्ता निकाला जो कि उसने मालिनी की शादी में पहना था।

वो बोली: पापा आप आज इसको पहनो ।

राजीव: कहाँ जाना है हमको?

मालिनी: बताऊँगी ना अभी थोड़ी देर में। आप यही पहनना । ठीक है ? चलो दस बज गए हैं । आधे घंटे में बिलकुल तय्यार हो जाइए।

राजीव थोड़ा सा कन्फ़्यूज़्ड होकर हाँ में सर हिलाया, और सोचने लगा कि इसके मन में क्या चल रहा है। अब वो उसके कमरे से कपड़े लेकर निकल गयी।

अपने कमरे में आकर वो नहाने के लिए घुसी और अपनी नायटी उतारकर सिर्फ़ ब्रा में ख़ुद को निहार कर अपने आप पर ही मुग्ध हो गयी। अब उसने अपनी बग़लें चेक कीं और वहाँ वीट लगाकर उसने अपने बाल साफ़ किए। फिर उसने अपनी झाँटे चेक कीं और थोड़े से ही बाल उगे थे। उसने बुर और गाँड़ के आसपास की सभी बालों की सफ़ाई की। अब उसने अपनी ब्रा खोली और अपने मस्त टाइट मम्मे देखकर मुस्कुराई और फिर शॉवर लेने लगी। आज जो होने वाला है उसका सोचकर उसकी बुर पनिया चुकी थी। उसने उसे नहीं छेड़ा। वो आज बहुत मस्त मूड में थी। अब वो नहाकर अपनी मदमस्त जवानी को देखती रही और फिर तौलिए से बदन सुखाकर वो नंगी ही बाहर कमरे में आयी। अब वो लिंगरीपहनी जो पापा ने उस दिन दी थी जब शिवा भी एक लिंगरी लेकर आया था। इसमे जाली वाली ब्रा और जाली वाली ही पैंटी थी । जाँघों पर थोंग भी थी और गाँड़ की दरार में एक पट्टी सी थी। उसने ख़ुद को शीशे में देखा ।पूरी रँडी लग रही थी जैसे ब्लू फ़िल्मों की होती हैं। वो पीछे अपनी गोल ठोस गाँड़ देखकर मस्ती से मुस्कुराई। अब वो सास का लाल ब्लाउस पहनी और चेक की । मामूली सा ही ढीला था। फिर उसने लाल पेटिकोट पहना । अब वो और भी सेक्सी लग रही थी। फिर उसने सास की लाल साड़ी पहनी जो उसकी सास ने अपनी और पापा की शादी में पहनी थी।अब वो अपने चेहरे का मेकअप की और फिर वो ज़ेवर पहने जो कि उसको ससुर ने समय समय पर दिए थे। पैरों में पायल ,कानों में झूमके, गले में सुंदर सा हार और हाथों में लाल काँच की चूड़ियाँ भी पहनी। आख़िर में उसने लाल लिप्स्टिक लगाई। अब वो अपने आप को आगे और पिच्छे से देखी और मुस्कुराई । पता नहीं पापा का क्या हाल होगा उसको इस रूप में देखकर।

वो सज सँवर कर बाहर आयी और किचन में जाकर पिछले दिन जो सामान लायी थी उसे थाली में सजायी और ऊपर से एक सुंदर सा लाल कपड़ा डालकर उस थाल को ढाँक दी।

अब वो पूजा के कमरे में गयी और वहाँ उसने सजावट की थोड़ी सी। और वो ढाँकि हुई थाल भगवान के आगे रख दी। अब वो बाहर आकर आराम से टी वी देखने लगी। अब उसने पास के रेस्तराँ में पूरी और छोले ऑर्डर किए और कहा कि आधे घंटे में भेज दो। अब वो शांति से पापा का इंतज़ार करने लगी। तभी राजीव बाहर आया और मालिनी उसे देखकर मुस्कुराई और बोली: पापा आप तो बहुत जवान दिख रहे हो। ये ड्रेस आप पर बहुत फ़ब रही है।
 
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राजीव मुस्कुराया और बोला: ये तुमने क्या पहना हुआ है? आज तो दुल्हन दिख रही हो? अरे ये क्या तुमने तो वही सास की साड़ी पहन ली जो वो हमारे शादी के दिन पहनी थी।
मालिनी: आप सही पहचाने। ये वही साड़ी है। अब वो उठकर बोली: पापा किसी दिख रही हूँ मैं?
राजीव:उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ बेटा क्या कहूँ? बिलकुल वैसी दिख रही हो जैसे तुम्हारी सास दिखी थी सालों पहले शादी के दिन।बल्कि उससे भी ज़्यादा प्यारी और सुंदर।
मालिनी: आज तो पापा आप भी कई क़त्ल कर दोगे अगर ऐसे बाहर गए तो। पता नहीं कितनी लड़कियाँ और अंटियाँ आप पर मर मिटेंगी। क्या लग रहे हो आप?
राजीव झेंप कर: अरे मुझे ही खींचने लगी अब तुम। वैसे इरादा क्या है तुम्हारा? ये दुल्हन का लिबास पहनकर कहाँ जाओगी? और मुझे भी कहाँ ले जाओगी?
वो हँसी: पापा आपको इतना तय्यार करके अगर मैं बाहर गयी तो पता नहीं आप जब वापस आएँगे तो पता नहीं कितनी लड़कियों के साथ आएँगे? ऐसा रिस्क मैं ले नहीं सकती। इस लिए अब हम कहीं बाहर नहीं जा रहे हैं । ठीक है? बस इस पूजा घर तक ही जाएँगे।
राजीव चौंक कर: पूजा घर ? वहाँ क्यों?
मालिनी: क्योंकि आज मैं आपसे गंधर्व विवाह करने वाली हूँ।
राजीव को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ, वो हैरानी से बोला: क्या कहा? ज़रा फिर से कहना।
वो मुस्कुराई : हाँ हम अभी गंधर्व विवाह करेंगे। आपकी इच्छा थी ना कि मैं आपकी भी पत्नी बनूँ, वो आज मैं पूरी करूँगी। इसी लिए तो मैंने आपसे शुभ समय का पूछा था। अब से लेकर १२ बजे तक अत्यंत शुभ समय है आपको कल पंडित ने बताया था ना। बस अब चलिए पूजा घर में , मैंने सब तय्यारियाँ कर रखी हैं।
राजीव ख़ुशी से झूम कर: वाह बहु तुमने तो एकदम से मुझे हैरत में ही डाल दिया। मुझे तो यक़ीन ही नहीं हो रहा है किमेरी क़िस्मत खुल गयी है ।
वह आगे बढ़ा और उसको बाहों में लेकर चूम लिया। वो उसको बोली: पापा अभी छोड़ो और पूजा घर चलो।
दोनों ने वॉश्बेसिन में हाथ धोए और पूजा घर में घुसे । अब मालिनी बोली: पापा हम इसका वीडीयो बनाते हैं। यादगार रहेगा। उसने अपने फ़ोन का वीडीयो रिकॉर्डिंग चालू की और वहाँ खिड़की पर रख दिया। फिर दोनों वहाँ पर बैठ गए। अब मालिनी ने एक पुस्तक निकाली और कुछ भजन पढ़ने लगी। राजीव मंत्र मुग्ध सा उसके चेहरे को देखता ही रह गया। अब मालिनी ने भगवान के आगे दिया जलाया। और आँख बंद करके प्रार्थना की। फिर वो खड़ी हुई और राजीव भी खड़ा हुआ। अब वो थाल का कपड़ा उठाई और उसमें से दो फूलों की माला निकाली। एक माला उसने राजीव को दी। अब वो ख़ुद राजीव के सामने खड़ी होकर उसके गले में माला डाली और अब राजीव भी उसके गले में माला डाला। अब उसने राजीव को सिंदूर की डिब्बी दी जिसमें से लाल सिंदूर निकालके वह उसकी माँग भरा और मालिनी झुककर उसके पैर छुई। राजीव ने उसे उठाकर अपने सीने से लगा लिया और उसका माथा चूम लिया। अब मालिनी बोली: पापा चलो हो गया। देखें विडीओ कैसा बना है।
अब दोनों बाहर आए और ड्रॉइंग रूम में बैठे तभी घंटी बजी और मालिनी ने रेस्तराँ से आए पैकेट को लेकर पैसा दिया।
राजीव अपने कमरे में गया और एक चाबियों का गुच्छा लेकर आया और उसने मालिनी की कमर में उसे खोंस कर बोला: बेटा अब ये चाबियाँ तुम ही सम्भालो। आज से ये घर तुम्हारा हुआ। और तुम इस घर की महारानी हो।
मालिनी मुस्कुराकर: पापा थैंक यू। मैं अपनी ज़िम्मेदारी पूरी ईमानदारी से सम्भालूँगी। राजीव ने उसे चिपका कर उसे प्यार किया। फिर मालिनी बोली: पापा चलो छोले भटूरे खाते हैं। आपकी पसंद की रेस्तराँ से मँगाये है।
अब मालिनी ने टेबल में नाश्ता लगाया और एक थाली में सब लगाया। मालिनी: पापा अब एक ही थाली में खाएँ ना।
राजीव उसके गाल चूमकर: हाँ बेटा क्यों नहीं। अब तो हम दो बदन एक जान है । पर एक बात बता कि मैं अब तेरा पति भी हूँ और ससुर भी। तो क्या तुमको बेटी बोलूँ या नहीं?
मालिनी: पापा आप मुझे बेटी ही कहिए। वो क्या है ना सबके सामने जो बोलेंगे वही अकेले में भी बोलेंगे तो ठीक ही रहेगा।
राजीव खाते हुए बोला: चलो जैसा तुम चाहो। फिर दोनों खाना खाते हुए विडीओ देखने लगे।
दोनों खा कर उठे और अब मालिनी बोली: पापा क्या आप मेरे लिए वही पान ला देंगे जो कभी कभी खिलाते हो।
राजीव हैरानी से : पान खाना है वो भी अभी? ठीक है आज तो मैं तुम्हारी सभी शर्तें पूरी करूँगा। वो उठकर बाहर चला गया। क़रीब १० मिनट का पैदल रास्ता था। गली में थी पान की दुकान तो वो पैदल ही चला गया।
जब वो चला गया तो मालिनी ने राजीव के कमरे में जाकर बिस्तर पर नयी चादर बिछाई और फिर फूलों की पंखुड़ियाँ बिखेरीं ।दरवाज़े पर फूलों के हार सेलो टेप से चिपकायी। अब वो रूम में ख़ुशबू वाली स्प्रे भी करी। सब कुछ सुंदर बना दिया था उसने। अब वो वाशरूम गयी और फ़्रेश होकर अपनी बुर को साफ़ किया। अब उसने वहाँ भी एक ख़ुशबू वाला स्प्रे किया अब वो अपनी घूँघट नीचे करके बिस्तर पर दुल्हन बन कर बैठ गयी। अब वो अपने दूल्हे राजा का इंतज़ार कर रही थी। उसके निपल्ज़ कड़े हो गए थे और बुर गीली हो गयी थी।
तभी राजीव आया और अंदर आकर मालिनी को आवाज़ दिया। फिर वो उसके कमरे में गया और वहाँ उसको ना पाकर वो किचन में गया। अब वो सोचा कि कहाँ चली गयी? तभी मालिनी ने आवाज़ लगाई : पापा मैं यहाँ हूँ आपके कमरे में।
राजीव अपने कमरे की ओर बढ़ा और जैसे ही कमरे में पहुँचा वो ख़ुशी से झूम उठा। उफफफफ ये लड़की भी क्या क्या सोच लेती है? मस्त दुल्हन बनी बैठी है मेरे बिस्तर पर। आह्ह्ह्ह्ह उसका लौड़ा तनाव में आने लगा। अब वह बोला: बेटी पान लाया हूँ।
मालिनी ने हाथ बढ़ाकर कहा: लायिए मुझे खाना है।
राजीव ने उसके नाज़ुक हथेली पर पान रखा और वो उसे खाने लगी। घूँघट के अंदर से ही वो राजीव को देख रही थी जो अपना पान भी खाने लगा था।
राजीव: बेटी क्या सजावट की है तुमने ? मेरे जीवन की आज सबसे ख़ुशनुमा घड़ी है। सच में आज तुमने मुझे अपना ग़ुलाम बना लिया है।
अब राजीव ने आलमारी खोली और एक ज़ेवर का बॉक्स निकाला और लाकर बिस्तर पर रखा। अब वो वाश रूम गया और फ़्रेश होकर आया । उसने अपना लौड़ा अच्छी तरह से साफ़ किया और मालिनी के बग़ल में आकर बैठ गया।
अब वो मालिनी को बोला: बेटा घूँघट उठाऊँ क्या? या और कोई रस्म बाक़ी है।
मालिनी अपनी बुर के गीलेपन से परेशान ही थी सो बोली: आह पापा अब और कोई रस्म बाक़ी नहीं है ।
राजीव ने उसका घूँघट उठाया और उसके रूप का तेज़ देखकर वो मस्ती से भर गया। अब वो उसके हाथ में ज़ेवर का बॉक्स रखा और बोला: बेटा ये मेरी तरफ़ से तुम्हारी मुँह दिखाई का तोहफ़ा।
मालिनी मुस्कुरा कर उसको लेकर बोली: पापा थैंक यू।
अब राजीव बोला: बेटा अब और ना तड़पाने । आओ मेंरी बाँहों में आ जाओ। अब वो उसको खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया। अब वो उसके गाल को चूमने लगा। मालिनी ने महसूस किया कि पापा का खूँटा उसके गाँड़ में चुभ रहा था। वो और भी मस्त हो गयी थी। अब राजीव उसके गरदन और होंठ चूसने लगा। अब राजीव ने उसे बिस्तर पर लिटा दिया। वो उसके बग़ल में लेटा और मालिनी को अपनी बाँह में भरकर चूमने लगा। मालिनी भी राजीव के बलिष्ठ शरीर से लिपट गयी।
राजीव: कितने दिनों के बाद आज मेरी तमन्ना पूरी होगी। उफ़्फ़ कितना तड़पाया है तुमने।
मालिनी: पापा मैंने नहीं तड़पाया है बल्कि आप ख़ुद ही तड़प रहे थे। मुझे तो कई बार शक होता है कि आप मुझे इस घर में अपने लिए लाए हो या शिवा के लिए?
राजीव हँसकर उसकी गाँड़ में एक चपत लगा कर बोला: वैसे ये सच है कि मेरा कमीना दिल तो तुम पर तभी से आया हुआ था जब मैं तुमको पहली बार शिवा के साथ देखने आया था। तुम चीज़ ही ऐसी मस्त हो जान। अब चलो ना ये भारी भरकम साड़ी उतारो और अपनी जवानी दिखाओ।
मालिनी हँसकर: आप ही उतारो ना। गरज तो आपकी है।

राजीव हँसकर : बिलकुल सही कहा। मैं ही तो मरा जा रहा हूँ तुम्हें चोदने को। यह कह कर उसने उसकी साड़ी की गाँठ कमर से खोली और एक ही झटके में साड़ी उसके बदन से अलग कर दी। अब वो मालिनी की रसीलि जवानी को ब्लाउस और पेटिकोट में देखकर मस्ती से भर गया। वो उसके ऊपर झुका और उसकी गरदन और कंधे को चूमने लगा। अब वो उसकी ब्लाउस को देखा और छातियों को दबाकर बोला: ये लगता है तुमने अपनी सास का ब्लाउस ही पहना है ना? बिलकुल फ़िट आ गया है। ऐसी ही मस्त टाइट अनार थे उसके भी शुरू में । फिर वो उसके नंगे सपाट पेट को चूमा और नाभि के छेद में अपनी जीभ फिराने लगा। मालिनी बोली: पापा आऽऽह गुदगुदी हो रही है।
 

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